साल 2006 में एक बुक पब्लिश होती है जिसका नाम था द सीक्रेट और पब्लिश होने के कुछ ही महीनों के अंदर इसके मिलियंस ऑफ कॉपीज बिक जाते हैं और फिर यहीं से एक और वर्ड को सबसे ज्यादा पॉपुलर मिली जो आज के समय में इंटरनेट और सोशल मीडिया पे बहुत ही ज्यादा ट्रेंडिंग में रहता है और वह वर्ड है [संगीत] मेनिफेस्टेशन अगर आप लॉ ऑफ अट्रैक्शन और सबकॉन्शियस माइंड के बारे में जानते हैं तो आप मेनिफेस्टेशन के बारे में जानते ही होंगे लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर यह मेनिफेस्टेशन काम कैसे करता है अगर
लॉ ऑफ अट्रैक्शन एक लॉ है तो वह सबके लिए समान होना चाहिए आखिर क्यों कुछ लोगों के लिए यह काम करता है और कुछ लोगों के लिए यह काम नहीं करता आखिर मेनिफेस्टेशन का असली मतलब और उसके पीछे का क्या सीक्रेट है चलिए जानते हैं आज के इस वीडियो में सबसे पहले तो यह जान लेते हैं कि मेनिफेस्टेशन का मतलब क्या होता है तो मेनिफेस्टेशन एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें आप अपने विचारों अपने इमोशंस अपनी फीलिंग्लेस की ओर केंद्रित करके उस चीज को अपनी तरफ आकर्षित करना यह एक मेंटली और स्पिरिचुअल अभ्यास है जिसकी मदद
से आप खुद को और अपनी आसपास के एनवायरमेंट को बेहतर बनाते हो हमारे विचार हमारे इमोशंस और हमारे हमारी फीलिंग यह तीनों चीजें हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करती है और फिर उसी प्रकार से हम चीजों को और उस तरह के एनवायरमेंट को हम अपनी तरफ आकर्षित करते हैं यानी मेनिफेस्टेशन का मतलब यही हुआ कि हमारे विचार इमोशंस और फीलिंग को हमारे सपनों और इच्छाओं के साथ अलाइन करना अगर इसे आपको फिल्मी तरीके से बताओ तो कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती
है अभी आपको मेनिफेस्टेशन होता क्या है उसके बारे में पता चल गया होगा अभी इसके पीछे के बेसिक साइंस को समझने की कोशिश करते हैं तो देखो जब भी आप अपने दिमाग में किसी चीज की तस्वीर या फिर किसी चीज को बार-बार बोलते हो तो आपके दिमाग में उससे जुड़ा एक नया न्यूरल पाथवे क्रिएट होता है जिससे आपकी उस चीज से जुड़ी क्लेरिटी बढ़ने लगती है और फिर धीरे-धीरे करके आपके इमोशंस और फीलिंग भी इससे जुड़ने लगते हैं जिससे वो न्यूरॉन कनेक्शन और स्ट्रांग होता है जितना ज्यादा आप अपने दिमाग में मोशंस को क्रिएट करेंगे
उतना ही ज्यादा आप उसको मेनिफेस्ट करेंगे और यही न्यूरोप्लास्टिसिटी के पीछे का साइंस है पहले यह माना जाता था कि हम सिर्फ किसी फिजिकल प्रैक्टिस से ही नए न्यूरॉन्स का कनेक्शन बना सकते हैं लेकिन अभी हुई कुछ रिसर्च से यह पता चला है कि हमारे दिमाग को इमेजिनेशन और रियलिटी के बीच का फर्क पता नहीं चलता अब किसी भी चीज को बार-बार विजुलाइज करके अपने ब्रेन के अंदर एक नया न्यूरल पाथवे क्रिएट कर सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि आप सिर्फ विजुलाइज करके बाइक चलाना सीख सकते हो विजुलाइजेशन सिर्फ आपको उस चीज
को समझने में और आपके दिमाग की क्लेरिटी के लिए है उससे आपके दिमाग को यह पता चल पाए कि आपको किस चीज को ज्यादा प्रायोरिटी देनी है और इससे आपका दिमाग उस चीज से रिलेटेड सभी चीजों को अब्जॉर्ब कर पाए और आपको उस चीज तक पहुंचने की नई-नई अपॉर्चुनिटी दिखा पाए और इसके अलावा हमारे दिमाग में एक और चीज होती है जो बहुत ही इंटरेस्टिंग है जिसे रेटिकुलर एक्टिवेशन सिस्टम यानी कि आरएएस कहते हैं आरएएस हमारे ब्रेन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो हमारी सनेस और हमारे फोकस को कंट्रोल करता है इसे मैं आपको एक
एग्जांपल से समझाने की कोशिश करता हूं अगर आपको कोई चीज खरीदनी है तो अभी के समय में आप सबसे पहले उसे इंटरनेट प जाकर सर्च करते हैं मान लो कि आपको कोई मोबाइल खरीदना है तो आपने उसे google3 वेबसाइट में जाकर चेक किए और आपने अगर गौर किया हो तो फिर थोड़ी देर बाद जब आप किसी और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जाएंगे तो फिर वहां आपको अपने आप ही उसी मोबाइल का ऐड दिखाई देगा जब आपको कोई वीडियो देख रहे हो या स्क्रॉल कर रहे हो तो आपको बार-बार वही मोबाइल की ऐड्स दिखाई देने लगती
है जो आपको उसे खरीदने पर मजबूर करती है इसके अलावा अगर आप कोई वीडियो देख के उसे लाइक करते हैं तो फिर थोड़ी देर में उसी प्रकार के वीडियो आपके सामने बार-बार आते हैं मतलब वेब ब्राउजर और सोशल मीडिया प्लेटफार्म आपके प्रेफरेंसेस जैसे कि लाइक्स सर्चे और कमेंट्स को देखते हैं और फिर उसी प्रकार के रिजल्ट को आपको बार-बार वापस भेजते रहते हैं जिससे आप क्या चाहते हैं उस परे आपका फोकस बना रहे खैर यह एक एक प्रकार से इंटरनेट और सोशल मीडिया का एल्गोरिदम है लेकिन ठीक इसी प्रकार का एक एल्गोरिदम हमारे ब्रेन में
भी होता है और उसी को रेटिकुलर एक्टिवेशन सिस्टम कहते हैं और इसे आपने कई बार एक्सपीरियंस भी किया होगा जैसे कि मान लो आपको कोई कार खरीदनी है तो सबसे पहले आप उस कार के बारे में सही से जानकारी लेते हैं आप उसकी पूरी डिटेल के बारे में जानते हो और फिर जब आप कहीं भी रास्ते में आ जा रहे हो तो आपको वही कार बार-बार देखने को मिलती है जैसे रोड पे कहीं बैनर या पोस्टर में अभी इसका मतलब यह नहीं कि वह पह मौजूद नहीं थी और अभी ही आपको बार-बार दिखाई दे रही
है इसका मतलब यह हुआ कि आपने उस कार के बारे में अच्छे से जाना है उसको कई बार अनजाने में ही आपने विजुलाइज भी किया है और इसीलिए आपके आरएएस ने उसको आपकी प्रायोरिटी बना लिया है और इसीलिए रास्ते में जा रही सभी कार्स को इग्नोर करके आपका आरएएस सिर्फ उसी कार पे फोकस करता है जिससे आपको ऐसा लगता है कि आपको वही कार बार-बार दिख रही है अभी इससे यह स्पष्ट है कि एक बार हम किसी चीज या विचार के बारे में कॉन्शियस हो जाते हैं तो वो चीज फिर हमें हर जगह दिखाई देना
शुरू हो जाती है हमारा आरएएस फिर उन्हीं चीजों को हमें बार-बार दिखाता है देखो आरएएस हमारे कॉन्शियस माइंड और हमारे सबकॉन्शियस माइंड के बीच एक गेटकीपर की तरह है जो अननेसेसरी चीजों को इग्नोर कर देता है और अभी हमारे लिए क्या जरूरी है उस परे फोकस करता है हमारे पांचों सेंसेस के मदद से जो भी इंफॉर्मेशन हमारे दिमाग के पास पहुंचती है उसमें से 99 पर इंफॉर्मेशन को हमारा कॉन्शियस माइंड इग्नोर करता है आरएएस हमें अवेयर करता है कि कौन सी चीज हमारे लिए जरूरी है हमारा आरएएस समय के साथ-साथ हमारी सभी हरकतों को और
हमारे बिहेवियर को देखता रहता है और फिर उसी के हिसाब से यह हमारी सभी प्रायोरिटी की एक लिस्ट बनाता है और फिर हमारा फोकस वहीं पर बार-बार ले जाने की कोशिश करता है इसीलिए अगर आप किसी चीज के बारे में बार-बार सोचते हो या किसी चीज को आप बार-बार विजुलाइज करते हो और आपके इमोशंस और फीलिंग्लेस चीज को हमारी प्रायोरिटी बना दगा और फिर आपका आरएएस उस चीज को सही साबित करने के लिए सबूत ढूंढना शुरू कर दें और आपको फिर वही चीजें बार-बार दिखाएगा जो उस चीज से जुड़ी है जिससे आपको उस चीज तक
पहुंचने की और अपॉर्चुनिटी मिलने की संभावना बढ़ जाती है देखो यहां मैंने जितना सिंपल हो सके उतना सिंपल करके आपको समझाने की कोशिश की है कि आखिर हमारा दिमाग और आर आईएस किस प्रकार से काम करते हैं और किसी भी चीज के बारे में बार-बार सोचने से वो कैसे हमारी प्रायोरिटी बनती है उसके बारे में अब आपको पता चल गया होगा अभी यह तो हो गई साइंटिफिक नजरिए से बात लेकिन हमारे वेद और उपनिषद मेनिफेस्टेशन के बारे में क्या कहते हैं हां मेनिफेस्टेशन तो एक मॉडर्न शब्द है जिसे हम अभी इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन
इसके बारे में आपको हमारे वेदों में भी देखने को मिलता है भले ही उनका समझाने का तरीका थोड़ा अलग हो लेकिन अंत में उनका समझाने का अर्थ तो यही है आप वही हैं जो आपकी गहरी इच्छाएं हैं जैसी आपकी इच्छा है वैसी आपकी वासना है जैसी आपकी वासना है वैसा आपका कर्म है और जैसा आपका कर्म है वैसा आपका भाग्य है यह बात बृहदारण्यक उपनिषद में लिखी हुई है और अगर आप इसको ध्यान से समझने की कोशिश करोगे तो यह बात हमें सीधे-सीधे लॉ ऑफ अट्रैक्शन और मेनिफेस्टेशन की ओर इशारा कर रही है देखो जब
से हमने इस दुनिया में जन्म लिया है तब से हम ही हमारी दुनिया के क्रिएटर है हमारा इस दुनिया में जन्म तो सिर्फ एक इफेक्ट है लेकिन हमारी इच्छाएं इस दुनिया में रहने का कारण जन्म के तुरंत बाद ही हमारे अंदर अनगिनत इच्छाएं पैदा होने लगती है और इन्हीं इच्छाओं की वजह से इंसान खुद का जो ट्रू नेचर है उसे भूल जाता है इंसान का ट्रू नेचर है परमानंद लेकिन वो इन इच्छाओं के पीछे भागने में इस परमानंद को ही खो बैठता है इसीलिए सबसे पहले आपका जो ट्रू नेचर है उसे जानने की कोशिश करो
मतलब कि आप खुद कौन हो और आपके अंदर का जो डीप ड्राइविंग डिजायर यानी कि आपकी गहरी प्रेरक इच्छा क्या है उसे जानने की कोशिश करो क्योंकि गहरी प्रेरक इच्छा से ही आपके अंदर एक वासना पैदा होती है और वासना आपके अंदर का एक अनमैनिफेस्टेड बीज है और यह बीज एक सही एनवायरमेंट का इंतजार करता है और जैसे ही उसे अपने अनुकूल एनवायरमेंट मिलता है तो वो अपनी जड़ पकड़ लेता है और फिर धीरे-धीरे वो बढ़ने लगता है मतलब वो मेनिफेस्ट होना शुरू हो जाता है इसीलिए अपने डीप ड्राइविंग डिजायर को यानी कि आपकी गहरी
प्रेरक इच्छा क्या है उसे जानने की कोशिश करो क्योंकि वो इच्छा ही आपका इन्हेरेंट नेचर यानी कि आपका ट्रू नेचर है अगर आप अपने ट्रू नेचर के खिलाफ कुछ मांगेंगे तो वो चीज कभी भी आपके पास नहीं आएगी क्योंकि वो आपके इन्हेरेंट नेचर के खिलाफ है और इसीलिए कई लोगों के साथ यह मेनिफेस्टेशन वर्क नहीं करता मान लो कि आप एक इंट्रोवर्ट टाइप पर्सन है और आपको अकेले में रहकर काम करना पसंद है लेकिन अगर आप फिर एक मोटिवेशनल स्पीकर या आप फिर एक नेता बनने का सोचते हैं क्योंकि आपको लगता है कि वहां आपको
ज्यादा पॉपुलर मिलेंगी तो वो चीज आप कभी भी हासिल नहीं कर पाएंगे क्योंकि आपका इन्हेरेंट नेचर स्पॉटलाइट में रहना नहीं है आपका इन्हेरेंट नेचर है अकेले में रहकर काम करना और इसी मिस अलाइन मेंट के कारण आप कुछ करते भी हो तो हां आप हमेशा स्ट्रेसफुल और खुद को बेचैन ही पाएंगे लेकिन वही आप एक लेखक साइंटिस्ट या फिर एक रिसर्चर बनने की इच्छा रखते हो जहां आप इंडिपेंडेंटली अपने एकांत में काम कर सके जहां आप अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर सके तो वहां आपके सक्सेसफुल होने के चांसेस बहुत ही ज्यादा बढ़ जाते
हैं क्योंकि वहां आपका इन्हेरेंट नेचर आपकी इच्छा के साथ अलाइन हो जाता है और वहां आपको एक संतुष्टि और आनंद का एहसास भी होता है अगर आप अपने इन्हेरेंट नेचर के विरुद्ध जाकर कुछ मांगेंगे या उसे पाने की इच्छा र रखेंगे तो शायद वह चीज आप कभी भी हासिल नहीं कर पाएंगे लेकिन अब सवाल यह है कि हम पता कैसे करें कि हमारा इन्हेरेंट नेचर क्या है और क्या हम अपने इन्हेरेंट नेचर को अपनी इच्छाओं के अकॉर्डिंग बदल सकते हैं तो इसका जवाब है हां लेकिन जब तक हो आप अपने इन्हेरेंट नेचर के अकॉर्डिंग ही
किसी चीजों को मेनिफेस्ट करने की कोशिश करें अगर आप अपनी इच्छाओं के अकॉर्डिंग अपने इन्हेरेंट नेचर को बदलने जाएंगे तो उसमें आपको ज्यादा टाइम लग सकता है आई होप कि मैं क्या समझाना चाहता हूं वो आप समझ रहे होंगे लेकिन इसे से समझना बहुत ही जरूरी है क्योंकि यही मेनिफेस्टेशन का एक मूल है हमारा इन्हेरेंट नेचर हमारे जेनेटिक्स हमारे आसपास के एनवायरनमेंट और हमारे एक्सपीरियंस के अकॉर्डिंग ही बनता है और अगर आपको अपना इन्हेरेंट नेचर जानना है तो आपको सेल्फ अवेयरनेस प काम करना पड़ेगा आपको खुद से ही सवाल पूछ के उसके खुद ही जवाब
ढूंढने होंगे आपको चीजों को ऑब्जर्व करना होगा और जितना हो सके उतना मेडिटेशन की प्रैक्टिस करनी पड़ेगी अगर आपको सेल्फ अवेयरनेस के बारे में और जानना है तो हमने इसके ऊपर प पहले ही एक पूरा वीडियो बनाया हुआ है जिसे आप बाद में जाकर देख सकते हो यहां मैंने जितना सिंपल हो सके उतना सिंपल करके बताने की कोशिश की है ताकि आप मेनिफेस्टेशन को पूरी तरह से जान पाओ और आपको शायद यह सवाल का भी जवाब मिल गया होगा कि कुछ लोगों के लिए यह काम क्यों नहीं करता अगर आपका इन्हेरेंट नेचर नेगेटिव होगा तो
आपके साथ हमेशा बुरा ही होगा और अगर आपका इन्हेरेंट नेचर पॉजिटिव होगा तो आपके साथ हमेशा अच्छा ही होगा इसके लिए सबसे जरूरी है हमारी सेल्फ टॉक हर एक इंसान खुद से बात करता है और वह जिस प्रकार से खुद से बात करता है उसी हिसाब से उसके दिमाग के अंदर मोशंस क्रिएट होते हैं और जैसे उसके मोशंस क्रिएट होते हैं वैसी ही उसकी इच्छाएं प्रकट होती है और इच्छाओं की वजह से ही वासना उत्पन्न होती है और वासना ही हमसे कर्म यानी कि एक्शन करवाती है और अपने कर्म के हिसाब से ही हम किसी
चीज तक पहुंच सकते हैं मतलब इसकी शुरुआत तो एक विचार से ही होती है वो विचार फिर उसके जैसे अनेक विचारों को जन्म देता है और जिससे एक इच्छा बनती है और एक जै जैसी अनेक इच्छाओं को मिला के आपके अंदर एक गहरी प्रेरक इच्छा बनती है और वही आपका ट्रू नेचर बनता है इसके लिए सबसे जरूरी है पॉजिटिव थिंकिंग और अभी बाकी सारी चीजें तो नॉर्मल है जिसे करना तो जरूरी ही है जैसे कि रोज विजुलाइजेशन करना रोज पॉजिटिव एफर्मेशन का अभ्यास करना और खुद से हमेशा पॉजिटिव सेल्फ टॉक अपनी आदतों में बदलाव करना
यह सब चीजें तो आपके डेली रूटीन का एक पार्ट होना ही चाहिए इसके ऊपर भी हमने एक पूरा वीडियो बनाया हुआ है जिसे आप बाद में जाकर देख सकते हो लेकिन आपके लिए यह जानना जरूरी था कि आखिर मेनिफेस्टेशन वर्क कैसे करता है हम में से ज्यादातर लोग हमारे इन्हेरेंट नेचर को जाने बिना ही चीजों को मेनिफेस्ट करना शुरू कर देते हैं जबकि सबसे पहले आपको खुद को जानना होगा और आप किस चीज के लिए बने हैं उसे जानना होगा और यह चीज आपको लंबे अभ्यास और खुद के ऊपर काम करने से ही पता चलेगी
नई-नई चीजों को ट्राई करो रोज कुछ नया सीखने का ट्राई करो इस दुनिया को और खुद को ऑब्जर्व करना शुरू कर दो मेनिफेस्टेशन का मतलब यह नहीं है कि आपको बंद कमरे में अचानक एक विचार आया कि चलो एक बिजनेसमैन बन जाते हैं और फिर आप बस दिन रात सोचते रहो कि मैं बिजनेसमैन बन जाऊं ऐसे तो आज हर कोई एक बड़ा बिजनेसमैन होता लेकिन नहीं यह सुनने में जितना आसान लगता है कि जैसा सोचो वैसा पाओ लेकिन करने में यह उतना ही मुश्किल है आपकी पूरी एनर्जी को उस एक इच्छा के साथ अलाइन करना
और अपने इन्हेरेंट नेचर को जानना इतना आसान भी नहीं है इसीलिए मैं कई बार यह कहता हूं कि पहले खुद के ऊपर काम करो और खुद को ढूंढने की कोशिश करो मुझे उम्मीद है कि अभी आप मेनिफेस्टेशन को अच्छे से जान पाए होंगे और शायद ही आपने मेनिफेस्टेशन के बारे में इतना डिटेल में वीडियो कहीं देखा होगा आपको टेक्निक्स तो बहुत मिल जाएगी लेकिन मेनिफेस्टेशन का जो असल में काम है वही नहीं पता तो बाकी सभी टेक्निक्स बेकार हैं अगर आपको वीडियो अच्छा लगा हो तो एक लाइक जरूर कर देना और मेनिफेस्टेशन और लॉ ऑफ
अट्रैक्शन को लेकर अगर आपके कोई एक्सपीरियंस है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताए और ऐसे ही इंटरेस्टिंग एंड नॉलेजेबल वीडि को देखने के लिए हमारी चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल ना भूले तो मिलते हैं अगली वीडियो में धन्यवाद [संगीत]