एक्सकन टीम को घने जंगल के बीच जमीन के अंदर जाता एक पाइप दिखाई देता है यह काफी हैरानी की बात थी क्योंकि जहां पर वह खड़े थे वह एक पुराना डेड वोल्केनो था जिसको पेड़-पौधे और घास ने पूरी तरह कवर कर लिया था पाइप के अंदर देखने के लिए इसमें नाइट विजन कैमरा भेजने का फैसला किया गया जब कैमरा अंदर गया तो करीब 30 मीटर नीचे जाने के बाद एक बहुत बड़े टनल का मंजर कैप्चर किया गया यह सेथ मार्च 2018 का दिन था और एक्सक वेशन टीम साउथ पोलैंड के शहर लुबान के करीब जमीन
से 30 मीटर नीचे कुछ अनोखा देखने वाली थी जम टीवी की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद इस टनल के अंदर जब कैमरा घुमाया गया तो वहां पर हैरत अंगेज तौर पे उनको एक पटरी दिखाई दी अभी वह इसी कशमकश में थे कि यहां पटरी का क्या काम तो दूर खड़ी एक माइन कार्ट ने उनकी तवज्जो अपनी तरफ कर ली जब लोकल अथॉरिटीज को मालूम पड़ा तो वो वर्ल्ड वॉर 2 के जमाने में एक खो जाने वाले टनल का मैप लेकर आए मालूम पड़ा कि यह टनल करीब 80 साल पहले वर्ल्ड वॉर 2 के
दौर में बनाया गया था और पिछले कई सालों से लोकल अथॉरिटीज इसी टनल की तलाश कर रही थी इस टनल की एंट्रेंस को भारी पत्थर रखकर बंद किया गया था जिसके आगे सालों की मिट्टी और घास भूस ने इसकी एंट्रेंस के निशानाथ भी मिटा दिए लेकिन अंदर से यह टनल हूबहू मैप पर दिखने वाले टनल से मैच कर रहा था इसके अंदर पटरी और माइन काट देखकर ऐसा मालूम होता है कि यह वर्ल्ड वर ट के दौर में सामान स्टोर करने के काम आता था टनल में मौजूद अक्सर लोहे के सामान को जंग लग चुका
था यहां से बेलचा ड्रिल बिट्स और कुडाल जैसे टूल्स उसी हालत में मिले जैसे उनको 80 साल पहले नार्ज मिलिट्री के सोल्जर्स ने रखा था वर्ल्ड वॉर ट के दौरान नाजी जर्मनी और जापान जैसी कंट्रीज से मुकाबला था अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मुल्कों का इस दौरान हिटलर की फौज ने हजारों की तादाद में अंडरग्राउंड बंकर्स बनाए थे शुरुआत बेशक हिटलर ने की थी लेकिन बाद में अलाइड फोर्सेस ने भी अंडरग्राउंड टनल्स और बंकर्स का इस्तेमाल करना शुरू किया वर्ल्ड वॉर ट के दौरान बंकर्स काफी स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंस रखते थे और इनका मकसद डिफेंस और ऑफेंस दोनों
के लिए था यानी कहीं पर इनका काम दुश्मन के हमलों से बचना होता तो कहीं यह दुश्मन पर हमला करने के लिए काम आते थे यह बंकर्स दुश्मन की एयर स्ट्राइक्स और आर्टिलरी शेल से हिफाजत करते और सोल्जर्स को एक सिक्योर बेस फराम करते थे डिफेंसिव बंकर्स को फ्रंट लाइन पर इस तरह डिजाइन किया जाता कि वह दुश्मन के हमलों को रोक सके जैसे जर्मनी की अटलांटिक वॉल जो एलाइड फोर्सेस के हमलों के खिलाफ एक मजबूत रुकावट थी साथ ही कुछ बंकर्स को प्लानिंग के लिए यूज किया गया जहां से कमांडर्स अपने ऑपरेशंस को सीक्रेट
मैनेज करते वर्ल्ड वॉर 2 में इतने ज्यादा अंडरग्राउंड बंकर्स और वार रूम्स कंस्ट्रक्ट किए गए थे कि आज भी इनकी गिनती करना पॉसिबल नहीं है क्योंकि इनमें से हजारों की तादाद में आज भी जमीन के अंदर कहीं दफन है कहा जाता है कि वर्ल्ड वॉर 2 में अलाइड पावर्स और एक्सेस पावर्स ने अंडरग्राउंड बंकर्स पे इतना खर्चा किया था कि पूरी दुनिया में लोहे और सीमेंट की शॉर्टेज हो गई थी एक एस्टीमेट के मुताबिक इन तमाम बंकर्स को बनाने में लगभग आज के 500 बिलियन से एक ट्रिलियन डॉलर्स का खर्चा आया यूं समझ लें कि
अमेरिका की अफगानिस्तान में चलने वाली 20 साला जंग में रोजाना 00 मिलियन डॉलर खर्चा आता था तो वर्ल्ड वॉर ट में बंकर्स बनाने में रोजाना 460 मिलियन डॉलर्स यह तो वह खर्चा है जो सिर्फ कंस्ट्रक्शन में हुआ वर्ल्ड वॉर ट में मैन पावर लॉजिस्टिक्स और एम्युनेशन के खर्चे का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है आइए इतिहास की तल्ख यादों में जाकर चंद बंकर्स के बारे में जानते हैं द अटलांटिक वॉल एक बहुत बड़ा कोस्टल डिफेंस सिस्टम था जो नार्ज जर्मनी ने वर्ल्ड वॉर ट के दौरान बनाया ये 2400 माइल्स या 3800 किमी तक यूरोप के कोस्ट
लाइन पर फैला हुआ था जिसका मकसद समंदर से अलाइड फोर्सेस के हमलों से बचना था 1940 से 1944 के दरमियान बनाए गए इस सिस्टम में हजारों बंकर्स एम्युनेशन डिपो और किले शामिल थे उस वक्त हिटलर का फ्रांस के कई इलाकों पर भी कब्जा था अटलांटिक वॉल का एक हिस्सा नॉर्दर्न फ्रांस के इलाके नॉर्मन में भी फैला हुआ था जहां लॉजस सरमर नामी आर्टिलरी बैटरी इंस्टॉल की गई यह बंकर्स हैवी बंबा मेंट्स को फेस करने और हमलों के वक्त डिफेंसिव फायर देने के लिए डिजाइन किए गए थे नॉर्वे की बात की जाए तो इसका निचला हिस्सा
नॉर्थ अटलांटिक ओशन से आने वाली अलाइड फोर्सेस को रोकने के काम आ सकता था तभी हिटलर ने यहां पर भी अटलांटिक वॉल के कुछ हिस्से गाड़े हुए थे यहां पर क्रिस्टियन सैंड जैसे फोर्ट्रेसेस नेवल रूट्स को प्रोटेक्ट करते थे इसके अलावा नेदर जैंड्स भी उस वक्त नार्ज के कंट्रोल में था और यहां पर नॉर्थ अटलांटिक के कोस्ट पर हजारों सेफ अनियन नामी बंकर्स बनवाए गए थे नाची जर्मनी की इस पूरी अटलांटिक वॉल जिसमें अंडरग्राउंड बंकर्स डिपोज टनल्स आर्टिलरी बैटरीज और किले शामिल थे को फ्रिट्स टॉड नामी एक जर्मन इंजीनियर की कंपनी ने बनाया था 260000
वर्कर्स जिनमें ज्यादातर कैदी थे उनसे यह तमाम स्ट्रक्चर्स सिर्फ दो से 4 सालों के दरमियान जबरदस्ती बनवाए गए आज भी अटलांटिक वॉल के कुछ पार्ट्स हिस्टोरिकल मॉन्यूमेंट्स के तौर पर मौजूद हैं जो वर्ल्ड वॉर ट की इंजीनियरिंग और उस पर होने वाले खर्चे का एहसास दिलाते हैं जब हिटलर ने अटलांटिक वॉल बनाई तो उस वक्त अलाइड पावर्स के वहम और गुमान में भी नहीं था कि आगे चलके उनको कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा फिर 1942 में एक वाकया हुआ जिसने अमेरिका और ब्रिटेन की आंखें खोल कर रख दी कैनेडियन फोर्सेस जो अलाइड पावर्स का
हिस्सा थी उन्होंने फ्रांस के इलाके डीब पर एक हमले की प्लानिंग की जिसको आज डीएफ रेड के नाम से याद किया जाता है इस हमले का मकसद हिटलर की बनाई गई अटलांटिक वॉल को समझना था कि आखिर वह काम कैसे करती है इन मजबूत कंक्रीट बंकर्स ने अलाइड अटैक को बुरी तरह नाकाम बना दिया अलाइड ट्रूप्स जो कोस्ट लाइन पर लैंड करने की कोशिश कर रहे थे वह नाज जर्मनी के पावरफुल क्रॉस फायर का शिकार बन गए यह अलाइड फोर्सेस के लिए एक बहुत बड़ा झटका था क्योंकि उनको अटलांटिक वॉल की मजबूती से इतनी तवक्कोल
अलाइड सोल्जर्स आए थे जिसमें से 3600 या तो मारे गए या फिर नार्ज के हाथों कैदी बन गए डीप रेट के बाद अलाइड फोर्सेस को समझ आ गया कि अग अगर उन्हें हिटलर की हुकूमत पर कामयाब हमला करना है तो उन्हें भी बंकर्स और डिफेंसेस सिस्टम की प्लानिंग में काफी इन्वेस्टमेंट करनी होगी लिहाजा यूनाइटेड किंगडम फ्रांस और सोवियत यूनियन समेत कैनेडा में भी बंकर्स और टनल्स की कंस्ट्रक्शन में खूब खर्चा किया गया चर्चिल वॉर रूम्स एक अंडरग्राउंड कॉम्प्लेक्शन में बना था यह वर्ल्ड वॉर ट के दौरान ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल का हेड क्वार्टर था
यह कॉम्प्लेक्शन इसलिए डिजाइन किया गया था कि नार्ज जर्मनी की एयर स्ट्राइक से महफूज रहा जा सके फ्रांस की मजीनो लाइन जो वर्ल्ड वॉर व के बाद बनाई गई थी यहां भी नए अंडरग्राउंड बंकर्स और टनल्स बनाए गए फ्रांस को यकीन था कि यह सिस्टम उनकी हिफाजत करेगा लेकिन वर्ल्ड वॉर 2 में जर्मनी ने मैजिनोट लाइन करते हुए बेल्जियम के रास्ते से फ्रांस पर कब्जा कर लिया दुनिया के दूसरे कोने में जापान जो वर्ल्ड वॉर 2 में हिटलर का साथ दे रहा था वहां पर भी सैकड़ों अंडरग्राउंड बंकर्स खोदे गए इयो सीमा के अंडर एक
पूरा नेटवर्क बनाया गया जिसमें हिडन आर्टिलरी पोजीशंस स्टोरेज रूम्स और लिविंग क्वार्टर्स शामिल थे यह टनल्स अलाइड फोर्सेस के हमले के वक्त सरप्राइज अटैक्स के लिए यूज होते थे ओनवा के बंकर्स और टनल्स ज्यादा बड़े पैमाने पर और पेचीदा थे जहां हजारों जैपनीज सोल्जर्स डिफेंस और रेजिस्टेंस के लिए पोजीशन में रहते यह डिफेंसिव सिस्टम अलाइड इनवेजंस को डि करने और ज्यादा से ज्यादा को मौत के घाट उतारने के लिए डिजाइन किया गया था वर्ल्ड वॉर ट के दौरान तमाम कंट्रीज के बनाए जाने वाले बंकर्स की इंजीनियरिंग किसी चमत्कार से कम नहीं है एक तो जंग
का समा ऊपर से हर चीज की शॉर्टेज और इन सब चैलेंज के साथ-साथ हर गुजरते लम्हे एयर स्ट्राइक का खतरा रहता और तो और अंडरग्राउंड टनल्स की कंस्ट्रक्शन में वर्कर्स की दम घुटने से मौत भी हो जाती थी लेकिन इन सब चैलेंज इस के बावजूद हजारों बंकर्स ना सिर्फ बनाए गए बल्कि इनमें से काफी सारे तो आज तक जमीन के नीचे उसी हालत में छुपे हुए हैं खास तौर पर जो एक्सेस पावर कंट्रीज में बनाए गए थे क्योंकि वर्ल्ड वॉर ट के बाद जब उनका राज वहां से खत्म हुआ उस वक्त या तो वहां से
सोल्जर्स बंकर की एंट्रेंस को बंद करके भाग गए या फिर उसी के अंदर मर गए लिहाज किसी को पता ही नहीं चला कि कौन सा बंकर किस लोकेशन पर बना था एक तरीका था इन तमाम बंकर्स और टनल्स की लोकेशन पता लगाने का और व था हिटलर की गवर्नमेंट के पास मौजूद सीक्रेट डॉक्यूमेंट लेकिन वो भी या तो जला दिए गए या फिर किसी ऐसी जगह छुपाए गए जिसका सिर्फ उसी को पता था जिसने यह छुपाए थे और खास तौर पर इन बंकर्स को कैमफ्लेज करके बनाया जाता यानी नेचुरल टेरेन में इनको ऐसे बनाया जाता
कि किसी को भी पता ना चले कि यहां मिलिट्री बंकर है इसी वजह से जंग के बाद यह बंकर्स छुपे के छुपे ही रह गए अंडरग्राउंड बंकर्स के लिए स्पेशल वेंटिलेशन सिस्टम्स बनाए गए जो ताजा हवा को बंकर के अंदर लेकर जाते और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर नार्ज लीडर एडोल्फ हिटलर ने अपने दौरे राज में कई बंकर्स का सहारा लिया उनके जेरे इस्तेमाल मशहूर जमाना बंकर्स थे ईगल नेस्ट जिसे कील स्टाइन हाउस भी कहा जाता है यह जर्मनी के उबेर सेल्सबर्गा सीक्रेट मीटिंग्स और रिलैक्सेशन के लिए बनाया गया था कंक्रीट और ग्रेनाइट को इस्तेमाल करते
हुए इसमें बॉम प्रूफ जैसी खुसूसियत रखी गई थी हिटलर का दूसरा मशहूर बंकर बेलिन में मौजूद फ्यूरें बंकर नहीं था बल्कि यह पूरा हेड क्वार्टर था बंकर को इस तरह डिजाइन किया गया था कि वो अलाइड बमिंग और आर्टिलरी से महफूज रहे यहां हिटलर ने अपने आखिरी दिन गुजारे और 30th अप्रैल 1945 को यहीं अपनी जिंदगी खत्म की आज इस बंकर का कोई हिस्सा भी सरफेस पर नहीं दिखता लेकिन यह जगह वर्ल्ड वॉर 2 की हिस्ट्री का एक डार्क चैप्टर रहा है अब बात करते हैं हिटलर के एक ऐसे बंकर की जहां उन्होंने जंग के
सबसे ज्यादा दिन गुजारे यह वुल्फसन नामी बंकर कम बल्कि कोई किला ज्यादा लगता है जो नॉर्थ जर्मनी में मौजूद जंगल के बीच में मौजूद है इसके अंदर हिटलर का बे बेडरूम और उसके चारों तरफ ऑफिसेसूट की छत करीब 7 मीटर मोटी बनाई गई थी एक बजरी की मोटी लेयर पूरे किले नुमा बंकर को एयर स्ट्राइक्स और बमिंग से महफूज बनाती थी एक मोटी स्टील की चादर का दरवाजा जो केमिकल अटैक से भी बचाता था किसी इजिप्शियन टूम की तरह दिखने वाला यह बंकर इतना मजबूत था कि आज भी इसे तबाह करना मुमकिन नहीं है और
सिक्योरिटी इतनी कि इसमें एक भी खिड़की नहीं रख रखी गई यहां एक खास वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया था जो ताजा हवा को पूरे बंकर के अंदर सर्कुलेट करता था पर इतनी सिक्योरिटी के बावजूद भी इस बंकर को जंगल के लैंडस्केप में इनविजिबल किया गया था इसकी छत पर मिट्टी डालकर इसके ऊपर वही पेड़-पौधे लगाए गए जो आस-पास जंगल में मौजूद थे इसकी वजह से ऊपर से जब कोई जहाज गुजरता तो उसे जर्र बराबर भी नहीं शक होता कि यहां नीचे हिटलर का हेड क्वार्टर मौजूद है अलाइड पावर्स यानी यूएसए यूके कनाडा और बाकी फोर्सेस ने
नार्ज जर्मनी के स्ट्रांग डिफेंसिव बंकर्स और अटलांटिक वॉल को तोड़ने के लिए सालों की प्लानिंग की हिटलर की बनाई गई अटलांटिक वॉल से मुकाबला करने के लिए 156000 से ज्यादा ट्रूप्स 5000 शिप्स और 11000 एयरक्राफ्ट इस्तेमाल हुए यह सिक्स्थ जून 1944 का दिन था जिसको डीडे के नाम से याद किया जाता है इस दिन जर्मनी ने अटलांटिक वॉल के बंकर्स और आर्टिलरी से अलाइड फोर्सेस का सामना किया लेकिन उनकी प्लानिंग और रिसोर्सेस उतने इफेक्टिव नहीं रहे अलाइड एयर स्ट्राइक्स और पैराट्रूपर्स ने जर्मन कम्युनिकेशन और डिफेंस का खूब मुकाबला किया अलाइड फोर्सेस को शुरू में काफी
नुकसान का सामना करना पड़ा लेकिन आखिरकार वह नाज जर्मनी का यूरोप पे कंट्रोल तोड़ने में कामयाब हो गए उम्मीद है जम टीवी की यह वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स का बेहद शुक्रिया मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में