हाय एवरीवन एंड वेलकम टू अपना कॉलेज और आज हम बात करने वाले हैं कि कैसे कॉलेज एग्जाम्स के अंदर हम नाइन प्लस जीपीए स्कोर कर सकते हैं अब इसको हम जीपीए कह सकते हैं एसजीपीए कह सकते हैं परसेंटेज कह सकते हैं जो भी हमारे कॉलेज के अंदर टर्म चलती है मेरी खुद की जीपीए काफी सारे ऑनलाइन काफी सारे ऑफलाइन सेमेस्टर्स के अंदर नाइन प्लस रह चुकी है तो ऑनलाइन सेमेस्टर्स के अंदर ऑनलाइन एग्जाम्स में कैसे अच्छी जीपीए लेकर आनी है इसका तो हम सबको आईडिया है पर हम आज डेडीकेटेडली बात करेंगे ऑफलाइन एग्जाम्स के अंदर
कैसे कॉलेज के अंदर हम अच्छे मार्क्स स्कोर कर सकते हैं 9 प्लस जीपीए की तरफ हम काम कर सकते हैं अब जनरली हम नए-नए जब कॉलेज के अंदर आते हैं तो हमारे दिमाग में एक छोटी सी मिथ होती है कि जैसे मार्क्स हमारे स्कूल में आते थे वैसे ही मार्क्स हमारे कॉलेज में आएंगे और उन मार्क्स को लाने का तरीका भी सेम रहेगा ये मिथ इसलिए है क्योंकि कॉलेज के अंदर जिस तरीके से पढ़ाई करनी पड़ती है वो स्कूल वाली पढ़ाई से थोड़ी सी अलग होती है कॉलेज के अंदर जरूरी नहीं है कि वही स्टूडेंट
9 प्लस सीजीपीए स्कोर करेगा जो रोज रेगुलरली क्लासेस के अंदर गया है जिसने क्लासेस के बाद बैठ के एक्स्ट्रा पढ़ाई करी है जिसने सारी की सारी जो बुक्स हैं उनको पढ़ डाला है और कॉलेज एग्जाम्स के अंदर भी पूरा टाइम वही चीजें कर रहा है कई बार कॉलेज के अंदर ऐसे स्टूडेंट्स होते हैं जिनके स्कूल में शायद एवरेज मार्क्स आते थे बट उन्होंने कॉलेज वाली राइट स्ट्रेटजीजर के अपने कॉलेज के अंदर के जो मार्क्स हैं उनको काफी ज्यादा ड्रस्ट इंप्रूव कर लिया तो हमें भी वैसे ही सोचना है स्कूल के अंदर फर्क नहीं पड़ता कि
हमारे एवरेज मार्क्स आए थे या हमारे एवरेज से भी कम मार्क्स आए थे बट कॉलेज के अंदर हमें कुछ राइट स्ट्रेटेजी को फॉलो करना होता है जिनको हम डिस्कस करेंगे और इन स्ट्रेटेजी को फॉलो करने के बाद हम डेफिनेटली चाहे हम एवरेज स्टूडेंट हैं चाहे हम कैसे भी स्टूडेंट हैं हम डेफिनेटली कॉलेज के अंदर अच्छे मार्क्स 9 प्लस जीपीए जैसे मार्क्स स्कोर कर सकते हैं सबसे पहले तो बात करते हैं कि जीपीए इंपॉर्टेंट क्यों होती है कॉलेज के अंदर अब मान लेते हैं कि हमारी जीपीए बहुत अच्छी आई है और हम कॉलेज के टॉपर बन
गए हैं तब भी हमें कोई गारंटी नहीं मिलेगी कि जीपीए के बेसिस पर हमारी एक बहुत अच्छी जॉब लग जाएगी या फिर करियर के अंदर हम सक्सेसफुल हो जाएंगे लेकिन वहीं पर अगर हमारी जीपीए थोड़ी सी खराब हो जाती है तो वो हमारे काफी सारे करियर के एस्पेक्ट्स को हैपर कर सकती है इसको हम कंपेयर कर सकते हैं अपनी हेल्थ के साथ अगर हमारी हेल्थ बहुत अच्छी है हम डेली एक्सरसाइज करते हैं हम डेली अपने न्यूट्रिशन के ऊपर ध्यान देते हैं तो उससे कोई गारंटी नहीं मिलती कि हमारा जॉब या हमारा करियर भी बहुत अच्छा
चलेगा लेकिन हां अगर हेल्थ खराब होती है तो वो हमारे काम को भी अफेक्ट करती है इसीलिए हमें रेगुलरली अपनी हेल्थ के ऊपर काम करना जरूरी है वैसे ही कॉलेज लाइफ के अंदर हमें अपनी जीपीए के ऊपर काम करना जरूरी है कॉलेज की जो जीपीए होती है वो दो एरियाज के अंदर सबसे ज्यादा हेल्प करती है जिसमें से सबसे पहले होते हैं हमारी इंटर्नशिप्स एंड प्लेसमेंट अब अगर कोई भी कंपनी कॉलेज के अंदर आती है हमें रिक्रूट करने के लिए तो वो कॉलेज वालों को बताती है कि मुझे इतने स्टूडेंट्स चाहिए जिनके मैं टेस्ट इंटरव्यूज
लेना चाहता हूं और उसके बाद उनको हम शॉर्टलिस्ट कर रहे होंगे तो कॉलेज वाले क्या करते हैं सबसे जो पहला कट ऑफ लगाते हैं वो होता है हमारा सीजीपीए के बेसिस पर यानी वो स्टूडेंट्स को बोलेंगे कि सारे के सारे जो सेन प्लस या 7.5 प्लस सीजीपीए वाले स्टूडेंट्स हैं वो इस कंपनी के अंदर अप्लाई कर सकते हैं उससे कम सीजीपीए वाले स्टूडेंट्स नहीं अप्लाई कर सकते तो ये जो सीजीपीए का कट ऑफ होता है ये कंपनी टू कंपनी डिपेंडेंट होता है हो सकता है किसी कंपनी का 8 प्लस जीपीए का कट ऑफ लग जाए
अगर हम वीआईटीसी कॉलेजेस के अंदर हैं जहां पर जनरली स्टूडेंट्स के मार्क्स हायर एट पर होते हैं तो वहां पर कंपनीज नाइ प्लस सीजीपीए का भी कट ऑफ लगा देती है तो इसीलिए एक बार अपने कॉलेज सीनियर से जरूर बात कर लेनी है जो शायद अभी थर्ड या फोर्थ ईयर के अंदर है जिन्हें बेटर आईडिया होगा कि कौन सी कंपनी हमारे कॉलेज के हिसाब से किस सीजीपीए का कट ऑफ लगाती है तो इसीलिए सीजीपीए का कट ऑफ क्लियर करने के लिए हमारी एक अच्छी जीपीए मेंटेन करना इंपॉर्टेंट है इसमें 8 प्लस जीपीए अगर है तो
इट इज आल्सो गुड बट हमें कोशिश करनी चाहिए कि उसको और थोड़ा सा हायर एंड में लेकर जाएं ताकि सारी की सारी कंपनीज के लिए हम सेफ हो जाएं दूसरी जगह जहां पर सीजीपीए काफी इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है वो होते हैं हमारी मास्टर्स मास्टर्स के अंदर कैट जैसा एग्जाम हो गया जो एमबीए के लिए देना पड़ता है तो उसमें हमारे कॉलेज के मार्क्स काउंट होते हैं अगर गेट जैसा एग्जाम्स हो गया तो उसके अंदर कॉलेज का ही सिलेबस आता है तो फिर वो पढ़ाई अगर हम पहले से अच्छी करके रखेंगे तो वो हमें हेल्प
करेगा या फिर अगर हम किसी रिसर्च इंटर्नशिप के लिए अप्लाई कर रहे हैं किसी आईआईटी के अंदर डीआरडीओ के अंदर इजरो के अंदर तो वहां पर जनरली साइंटिस्ट हमारे एकेडमिक्स कोर्स देखते हैं यानी हमारी सीजीपीए देखते हैं जिससे उन्हें आईडिया लगता है कि हम किस तरीके के स्टूडेंट हैं इनफैक्ट अगर हम एमएस करने भी जाते हैं तो वहां पर भी हमारी एप्लीकेशन के अंदर हमारे कॉलेज की जीपी एक इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है इसीलिए जीपी अच्छी मेंटेन करना ज्यादा जरूरी हो जाता है अब सबसे पहली चीज जो हम अच्छा जीपीए मेंटेन करने के लिए कर
सकते हैं वो है टू नॉट इग्नोर आवर मिड सेमेस्टर एग्जाम्स जब भी हम कॉलेज के अंदर आते हैं तो हमारा थोड़ा सा परसेप्शन ये होता है कि हमारे जो मिड सेमेस्टर्स हैं या जो असाइनमेंट्स चल रहे हैं या जो क्लास टेस्ट चल रहे हैं ये तो काफी सेकेंडरी सी चीज है हमारा जो मेन एग्जाम है वो तो हमारे एंड सेमेस्टर होंगे जनरली हर कॉलेज के अंदर दो सेमेस्टर्स होते हैं एक सेमेस्टर हमारा छ महीना का होता है जिसमें बीच में एक मिड सेमेस्टर का एग्जाम होता है और लास्ट में हमारा एंड सेमेस्टर का एग्जाम होता
है जिसमें पूरा सिलेबस आता है तो हमारे लिए एज अ स्टूडेंट जब हम शुरुआत में कॉलेज में जाते हैं तो हमें लगता है कि एंड सेमेस्टर ही सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है वही चीजें मेक और ब्रेक करेगा बट एक्चुअली ऐसा नहीं होता कई बार कॉलेजेस के अंदर टीचर्स के पास कुछ ऐसे मार्क्स होते हैं जिनको हम इंटरनल मार्क्स कहते हैं और बहुत सारे कॉलेजेस में कई सारे टीचर्स मिड सेमेस्टर के जो एग्जाम्स होते हैं जिसमें सिर्फ आधा सिलेबस आ रहा होता है उसके बेसिस पर आपके इंटरनल के मार्क्स लगा देते हैं ऐसे में हमारा काफी ज्यादा
पोर्शन ऑफ मार्क्स हमारे मिड सेमेस्टर पर ही डिपेंडेंट हो जाता है इसीलिए कॉलेज के अगर एग्जाम्स आ रहे हैं तो उसमें ऐसे नहीं सोचना कि मिड सेमेस्टर तो ऐसे ही फालतू सा है एंड हम जाकर एंड सेमेस्टर के अंदर सारी चीजें कवर अप कर लेंगे क्योंकि मिड सेमेस्टर से ही कई बार हमारे इंटरनल के मार्क्स एसोसिएटेड होते हैं इनफैक्ट हमारे जो क्लास के अंदर क्लास टेस्ट चल रहे होते हैं या असाइनमेंट्स जो सबमिट करने होते हैं तो उसमें हां थोड़ी सी मेहनत लगती है बीच-बीच में बट इवेंचर इंटरनल के मार्क्स को अफेक्ट कर रहे होते
हैं जो काफी इंपॉर्टेंट होते हैं ओवरऑल जीपीए बिल्ड करने के लिए तो इसीलिए अगर हमारा टारगेट है कि हम एट या 9 प्लस जीपी की तरफ जाना चाह रहे हैं तो ये जो छोटे-छोटे टेस्ट छोटे-छोटे असाइनमेंट या हमारे मिड सेमेस्टर्स होते हैं इनको इग्नोर नहीं करना इनके लिए भी उतना ही सीरियसली पढ़ना है जितना हम अपने एंड सेमेस्टर के एग्जाम्स के लिए पढ़ने वाले थे सेकंड चीज जो हम कर सकते हैं वो है टू टॉक टू आवर इमीडिएट सीनियर्स इमीडिएट सीनियर्स यानी जो हमारे एक साल सीनियर हैं अगर हम फर्स्ट ईयर के अंदर हैं तो
हमारे सेकंड ईयर सीनियर्स अगर हम सेकंड ईयर के अंदर हैं तो हमारे थर्ड ईयर सीनियर्स जनरली हमारे जो एक साल सीनियर्स होते हैं उन्हें पूरा आईडिया होता है कि कौन से सेमेस्टर में कौन से सब्जेक्ट चल रहे हैं कौन से सब्जेक्ट के हमारी ब्रांच के अंदर कौन-कौन से टीच टीचर्स हैं कौन सा टीचर ज्यादा स्ट्रिक्ट है उन्हें चाहिए कि अटेंडेंस के लिए आप हर एक क्लास में आओ ही आओ और कौन से टीचर हैं जो आसानी से मार्क्स नहीं देते उसमें चाहे आप कितना भी अच्छा आंसर लिखकर आ जाओ शीट के अंदर वो आपको सेन
प्लस या एट प्लस ही मैक्सिमम देंगे कई ऐसे टीचर्स होते हैं जो थोड़े से लीनियर मार्किंग करते हैं तो वो आसानी से आपको स्कोर दे देते हैं कुछ टीचर्स होते हैं जिन्हें अटेंडेंस का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप क्लास में आ रहे हैं नहीं आ रहे उन्हें बस चाहिए कि आप पढ़ाई ढंग से कर लो और एग्जाम में अच्छे से लिखकर चले जाओ तो एक बार अपने इमीडिएट सीनियर से जरूर बात कर लेनी है कि जो भी टीचर्स आपको पढ़ा आ रहे हैं इस सेमेस्टर के अंदर वो टीचर्स किस-किस टाइप के हैं कौन सी
क्लासेस आपके लिए अटेंड करना इंपॉर्टेंट है कौन से टीचर अच्छे नोट्स बनाक देते हैं तो नोट्स बनाना कौन से टीचर के क्लास में इंपॉर्टेंट है या फिर कौन सी टीचर की क्लास है जिसको हम थोड़ा बहुत इग्नोर कर सकते हैं और एग्जाम टाइम में जाकर पढ़ सकते हैं अब इसमें एक और चीज कई बार हमारे जो टीचर्स होते हैं उनमें से एक दो टीचर्स एच ओडीज होते हैं और जनरली जो एग्जाम पेपर सेट कर रहे होते हैं वो हमारे एच ओडीज ही होते हैं या उनका काफी बड़ा हाथ होता है उस चीज में तो अगर
आप एक बार अपनी सीनियर से बात कर लेंगे तो उस चीज का हमें आईडिया लग जाएगा कि कौन-कौन से टीचर्स हैं जो इवेंचर सेट करने वाले हैं तो फिर वो टीचर्स जो नोट्स देते हैं वो सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाते हैं प्रिपरेशन पॉइंट ऑफ व्यू से जैसे इसमें हमारे कॉलेज के अंदर फर्स्ट सेमेस्टर में हमारा फिजिक्स का सब्जेक्ट होता था कंप्यूटर साइंस ब्रांच के अंदर तो जो हमारे फिजिक्स के टीचर थे वो ओवरऑल फिजिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी होते थे और वही पेपर सेट करते थे तो हमारे जो आसपास वाले भी सेक्शंस थे यानी मान लो
कोई कंप्यूटर साइंस से भी नहीं है पर उनका भी फिजिक्स सब्जेक्ट पढ़ाया जा रहा है तो वो उन्हीं टीचर के नोट्स से पढ़ रहे होते थे ना कि अपने खुद के क्लास नोट से तो इसीलिए ये चीज काफी इंपोर्टेंट हो जाती है कि कौन से टीचर से कौन से रिसोर्सेस हमें लेकर रखने हैं और यह सबसे ज्यादा अच्छे तरीके से हमें खुद के ही इमीडिएट सीनियर्स वो भी हमारी ही ब्रांच के एक साल बड़े सीनियर्स बता सकते हैं तीसरी इंपॉर्टेंट चीज है टू फोकस ऑन क्लास नोट्स अब कॉलेज की पढ़ाई और स्कूल की पढ़ाई में
काफी ज्यादा डिफरेंसेस होते हैं स्कूल के अंदर हम क्लासेस रेगुलरली अटेंड करते हैं और वो कंपलसरी होता है अटेंड करना उसके बाद भी घर आके या तो हम सेल्फ स्टडी करते हैं थोड़ी सी नहीं तो हम में से मैक्सिमम स्टूडेंट्स रोज ट्यूशन जा रहे होते हैं उसके बाद एग्जाम टाइम पर भी हम रेगुलरली पढ़ रहे होते हैं अब कॉलेज के अंदर जनरली स्कूल में जितना टीचर साथ दे देते हैं उतना एग्जाम टाइम में हमारा कोई साथ नहीं देता हमें सेल्फ स्टडी पर सबसे ज्यादा फोकस करना पड़ता है इसीलिए कॉलेज के अंदर नोट्स बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट
होते हैं स्पेसिफिकली क्लास नोट्स तो अगर हम ऐसे स्टूडेंट हैं जिसको क्लासेस अटेंड करना ठीक लगता है जो शायद आगे फर्स्ट बेंच पे बैठते होंगे जिनको क्लास के नोट्स खुद बनाना पसंद है तो उनके पास तो ऑलरेडी नोट्स अवेलेबल होंगे पर हम में से मेजॉरिटी स्टूडेंट्स उस कैटेगरी के अंदर नहीं होते इसीलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम ऐसे स्टूडेंट के नोट्स अवेलेबल कर लें जो रेगुलरली क्लास अटेंड करते हैं जो क्लास के अंदर ध्यान देते हैं क्योंकि कई बार टीचर्स हमें इंपॉर्टेंट टॉपिक्स इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस मार्क करा देते हैं जो एग्जाम्स के लिए काफी जरूरी
होते हैं ऐसे में क्लास नोट्स होना बहुत जरूरी है क्योंकि क्लास नोट्स के अंदर एक तो हमें सीमित इंफॉर्मेशन मिलती है जनरली जो हमारी बुक्स होती हैं यूजी या पीजी की उनके अंदर बहुत सारे चैप्टर्स और काफी सारा कंटेंट होता है पर क्लास नोट से हमें आईडिया लग जाता है कि कौन सी चीजें इंपॉर्टेंट है एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से और हम अपना मैक्सिमम ध्यान उन्हीं चीजों के ऊपर लगा रहे होते हैं और सेकंड हमें ये भी आईडिया लग जाता है कि कौन-कौन से टॉपिक्स टीचर ने इंपॉर्टेंट मार्क कराए जिनके ज्यादा चांसेस होते हैं हमारे
एग्जाम्स में आने के अब इसके साथ में एक और चीज क्लास नोट्स तो इंपॉर्टेंट है ही उसके साथ-साथ जो अगर मान लो बीच में आपसे असाइनमेंट्स कराए जाते हैं या आपको प्रैक्टिस क्वेश्चंस कराए जाते हैं उन पर भी स्पेशल फोकस करना है क्योंकि मैक्सिमम जो टीचर्स पेपर बनाते हैं वो उन्हीं क्वेश्चंस में से कुछ ना कुछ क्वेश्चंस पिक कर लेते हैं हमारे फाइनल पेपर के लिए एंड फिफ्थ चीज जिसका हम ध्यान रख सकते हैं वो है टू नॉट बी स्लीपींग एग्जाम्स कॉलेज का एग्जाम आ रहा है चाहे वो मिड सेमेस्टर हो गया हो चाहे वो
एंड सेमेस्टर हो गया हो हमें तैयारी सबसे पहले तो एक रात पहले स्टार्ट नहीं करनी अगर हमारा गोल है कि हमें सिक्स से सेवन सीजीपीए के बीच में लेकर आना है या हमें पासिंग मार्क्स चाहिए तब तो एक रात पहले अगर पढ़ के हम एग्जाम देने चले जाएंगे अगले दिन तो देयर इज अ हाई प्रोबेबिलिटी कि अगर हमने ठीक-ठाक पढ़ी है एक रात के अंदर तो हमारे ठीक-ठाक पासिंग मार्क्स आ जाएंगे लेकिन यहां हम डिस्कस कर रहे हैं कि कैसे हम 8 प्लस या नाइन प्लस स्कोर कर सकते हैं उसके लिए ये जरूरी नहीं है
कि हम पूरा सेमेस्टर बैठ के तैयारी करें पर हां उसके लिए ये जरूरी है कि थोड़ा सा टाइम पहले से हम स्टार्ट करें मिड सेमेस्टर से एक हफ्ता पहले और एंड सेमेस्टर से एटलीस्ट दो हफ्ते पहले हमें अपनी तैयारी शुरू करनी है ताकि एक बार हम सारे के सारे टॉपिक से गो थ्रू हो जाएं सबसे पहले तो ये देखना है कि हमें सिलेबस पता हो दूसरा हम अपने क्लास के नोट्स अरेंज कर लें तीसरा हम टाइम पे तैयारी स्टार्ट करें क्योंकि हमें पता है कि हां एक हफ्ता मिड सेमेस्टर्स के लिए और दो हफ्ते अपने
एंड सेमेस्टर्स के लिए हमें देने ही देने हैं उसके बाद एक बार अगर एग्जाम्स आ जाते हैं तो एग्जाम टाइम में हो सकता है कि हमें ऑल नाइट्स मारने पड़े जिसमें हम पूरी-पूरी रात बैठ के कुछ पढ़ रहे हैं या फिर हमारे टॉपिक्स का हो सकता है रिवीजन चल रहा हो या फिर हम काफी सारे वीडियो लेक्चर एक साथ देख रहे हो अपने कॉलेज की तैयारी के लिए तो ऐसे में कभी-कभार हम अपनी स्लीप को सैक्रिफाइस कर देते हैं इसमें अगर आपको लगता है कि नहीं मेरे टॉपिक्स मिस हो जाएंगे अगर मैं ज्यादा सो गया
तो तो उसमें एक चीज कर सकते हैं कि हर एग्जाम के बाद जब भी हमारे लगातार एग्जाम्स होते हैं जैसे मेरे कॉलेज के अंदर जब मिड सेमेस्टर एग्जाम्स होते थे तो बीच में कोई ब्रेक नहीं होता था आज पहला एग्जाम है कल दूसरा एग्जाम है परसों तीसरा एग्जाम है इस तरीके से एग्जाम्स चलते थे ऐसे में हर एग्जाम के बाद एक नैप लेना एटलीस्ट बहुत जरूरी है ताकि हमारा ब्रेन थोड़ा सा रिफ्रेश हो जाए अगर हम रेगुलरली सात आठ दिन तक बहुत बिल्कुल स्लीपलेस होकर पढ़ाई कर रहे होंगे स्लीपलेस होकर एग्जाम दे होंगे तो उसमें
हाई प्रोबेबिलिटी होती है कि हमारा एग्जाम भी खराब हो जाएगा और हमारी हेल्थ भी खराब हो जाएगी तो उसमें प्रायोरिटी तो एग्जाम को ही देनी है बट उसके साथ में ये भी देखना है कि हम स्लीपीजी ना कर रहे हो स्पेशली एग्जाम हॉल के अंदर क्योंकि एग्जाम हॉल के अंदर अगर 3 घंटे का एग्जाम है या मान लो डेढ़ घंटे का भी एग्जाम है और उसमें मैं नींद आने लग जाएगी तो उसमें हम क्या करेंगे सबसे पहले हम गिव अप कर देंगे कि नहीं मुझसे और सोचा ही नहीं जा रहा अब मेरा हो गया अब
इससे ज्यादा मैं नहीं लिख सकता इवन दो हो सकता है हमने पूरी रात बैठ के पढ़ाई करी हो और वो टॉपिक्स हमें आते हो तब भी हमारा लिखने का मन नहीं करेगा तो इसीलिए अपनी स्लीप को कभी भी सैक्रिफाइस नहीं करना है एग्जाम्स के लिए ठीक है ऑल नाइटर्स आर गुड बट बीच में नाप लेना इज आल्सो वेरी इंपॉर्टेंट अब इसके साथ में एक और एडिशनल टिप मैं देना चाहूंगी कि कई बार आपने सुना होगा कि नहीं एग्जाम्स जो होते हैं कॉलेज के एग्जाम्स उसमें ग्रुप स्टडी बैठ के करनी चाहिए क्योंकि वो बहुत इंपॉर्टेंट होती
है हो सकता है आपका दोस्त एक टॉपिक पढ़ ले वो आपको पढ़ा दे और आप उसको दूसरा टॉपिक पढ़ा दो कोई तीसरा दोस्त आपको कुछ और पढ़ा दे इस तरीके से स्टडी करनी चाहिए वहीं पर दूसरी तरफ काफी सारे स्टूडेंट्स कहते हैं नहीं हमें तो इंडिविजुअली बैठ के पढ़ाई करनी चाहिए एग्जाम से एक दो दिन पहले क्योंकि वो फोकस स्टडी करने का टाइ टाइम होता है और उसमें अगर इंडिविजुअली बैठ के पढ़ाई करते हैं तो दोस्तों के साथ मस्ती में टाइम वेस्ट नहीं होता फोकस पढ़ाई होती है तो ऐसे में मैं आपको एडवाइस करूंगी कि
हर किसी का अपना पढ़ने का पैटर्न होता है कुछ स्टूडेंट्स होंगे जिनको ग्रुप स्टडी में ज्यादा जल्दी समझ में आती होंगी चीजें जिनके लिए वो अच्छा एक स्टडी पैटर्न होगा कुछ स्टूडेंट्स होंगे जिनको फोकस्ड एनवायरमेंट में अकेले बैठ के चीजें जल्दी समझ में आती होंगी एंड जल्दी वो चीजें उन्हें याद होती होंगी तो उनके लिए वो उनका स्टडी पैटर्न है इसके साथ-साथ कई सारे ऐसे स्टूडेंट्स होंगे जिनको शायद सुबह उठकर पढ़ना जल्दी उठकर पढ़ना पसंद है जैसे मेरा शेड्यूल ये होता था कि मैं रात में अपना सारा सिलेबस खत्म करके सो जाती थी एंड सुबह
बैठकर मैं रिवाइज करती थी तो अगर आपका भी सिमिलर सा पैटर्न है तो आप सुबह उठकर रिवाइज कर सकते हो या सुबह उठकर पढ़ सकते हो पर कई स्टूडेंट्स ऐसे होते हैं जिनको रात में लेट नाइट तक अपना पढ़ाई करना पसंद है या वो उनको फोकस टाइम लगता है क्योंकि कोई डिस्टरबेंस नहीं होती सारी चीजें बंद हो चुकी होती है तो पता ही होता है कि अगले दिन एग्जाम है तो अब पढ़ना ही पढ़ना है तो ऐसे में आपको खुद का अपना इंडिविजुअल स्टडी पैटर्न रिकॉग्नाइज करना पड़ेगा कि हां मुझे ऐसे पढ़ना पसंद है और
फिर आप अपनी जो तैयारी है वो उसी पैटर्न के हिसाब से कर सकते हैं ऐसे में किसी की बातों में आने की जरूरत नहीं कि हम ऐसे ही पढ़ेंगे या वैसे ही पढ़ेंगे अपना खुद का पैटर्न हमें एनालाइज करना है खुद के कंफर्ट के हिसाब से जिस तरीके से हम अपनी बेस्ट पढ़ाई कर सकते हैं वैसे ही हमें पढ़ने की कोशिश करनी है तो आई होप कॉलेज के जो हमारे सेमेस्टर एग्जाम्स आ रहे हैं उनके अंदर इन सारी चीजों का हम ख्याल रखेंगे और फिर अच्छे से अपने एग्जाम्स को देकर आ रहे होंगे एक अच्छा
जीपीए स्कोर कर रहे होंगे जो हमें अभी तो हेल्प करेगा ही बाकी हमारे फ्यूचर के अंदर भी हो सकता है हमें कई जगह जाकर हेल्प कर दे तो इसके अलावा कॉलेज से रिलेटेड अगर आपको कोई भी डाउट है या एग्जाम से रिलेटेड कोई भी डाउट है उसके बारे में आप मुझे नीचे कमेंट करके बता सकते हैं आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में टिल देन कीप लर्निंग एंड कीप एक्सप्लोरिंग