[हंसी] [प्रशंसा] दोस्तों प्राचीन समय की बात है एक गांव में एक युवती रहती थी वह सुंदर नहीं थी और उसका कोई भी नहीं था वह अकेले ही रहा करती थी वह खुद ही मेहनत करती और अपने लिए दो वक्त की रोटी का प्रबंध किया करती थी यूं तो उसे दो वक्त की रोटी मिल ही जाया करती थी लेकिन फिर भी वह अपने आप से खुश नहीं थी उसे दुनिया में सब लोग सुखी नजर आते थे सिवाय उसके खुद के जीवन देखकर वह खुद को कोसा करती थी खुद को तरह-तरह की बातें कहती थी हे ईश्वर
आपने सभी को खुशहाल बनाया है सभी को सुख दिया है सभी को सुंदर बनाया है तो मुझे क्यों नहीं ऐसा बनाया आखिर मैंने किया क्या था आखिर मेरी गलती क्या थी मैं जानती हूं आप मुझसे कोई बदला ले रहे हैं इसी प्रकार एक दिन वह अपने आप से नाराज होकर निराश होकर एक वृक्ष के नी बैठी हुई थी और रो रही थी तभी वहां से एक बौद्ध भिक्षु भिक्षा न करके गुजर रहे थे उन्होंने जब उस युवती को रोते हुए देखा तो वह उसके पास गए और उन्होंने उससे पूछा पुत्री क्या बात है तुम क्यों
रो रही हो इसका जवाब देते हुए वह उनसे कहती है हे गुरुवर मुझे कोई प्यार नहीं करता मुझे कोई पसंद नहीं करता क्योंकि मैं काली हूं मैं सुंदर नहीं हूं और मेरे रंग को लेकर लोग मेरा मजाक बनाते हैं मेरा कोई नहीं मेरे पास तो धन भी नहीं है इस दुनिया में हर कोई सुखी है हर किसी के पास सब कुछ है हर कोई अपना जीवन खुशहाली से जी रहा है सभी के पास सब कुछ है तो मेरे पास क्यों नहीं है आखिर मैंने क्या किया था आखिर इसमें मेरा क्या कसूर है क्या मुझे सुखी
होने का हक नहीं है क्या मुझे अपना जीवन खुशहाली से जीने का हक नहीं है उन बौद्ध भिक्षु ने उस युवती की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनी और उसके बाद वह से कहते हैं पुत्री अगर तुम मुझे उस व्यक्ति से मिलवा दो जो अपने जीवन में सुखी हो तो मैं तुम्हें एक ऐसी चीज दूंगा जिससे तुम सुंदर और सुखी दोनों बन जाओगी उन बौद्ध भिक्षु के मुख से यह सुनकर वह युवती बहुत प्रसन्न हुई और तुरंत ही उन बौद्ध भिक्षु से कहती है हे गुरुवर क्या सचमुच ऐसा हो सकता है इस पर वह भिक्षु उस युवती
से कहते हैं हां यह अवश्य ही हो सकता है तभी वह युवती उन बौद्ध से कहती है हे गुरुवर यदि यह सचमुच संभव है तो मैं एक ऐसे आदमी को जानती हूं जो बहुत सुखी है मैं उसे अभी लेकर आती हूं आप मेरा यहीं पर इंतजार करना इस पर वह बौद्ध भिक्षु उस युवती से कहते हैं हां पुत्री जब तक तुम वापस नहीं लौटती मैं तुम्हारा यहीं पर इंतजार करूंगा इतना कहकर वह युवती वहां से भागी भागी अपने मालिक के पास पहुंची जो कि एक किसान था उसने किसान से कहा मालिक आप मेरे साथ चलिए
मुझे एक भिक्षु मिले हैं जिन्हें मैं आपसे मिलवा चाहती हूं उस भिक्षु ने कहा है कि अगर मैं एक सुखी व्यक्ति को उनके पास ले जाऊंगी तो वह मुझे सुंदर और सुखी दोनों बना देंगे उस युवती की बात सुनकर वह किसान दुखी होकर उससे कहता है मैं तुम्हें कहां से सुखी लगता हूं इस पर वह युवती उस किसान से कहती है मालिक आपके पास तो सब कुछ है आपके पास तो घर है अच्छा खाने के लिए है रहने के लिए अच्छा मकान है आपका अपना परिवार है और तो और आपके पास धन भी है तो
आप दुखी कैसे हो सकते हो इस पर वह किसान जवाब देते हुए कहता है अरे मूर्ख मेरी फसल अच्छी नहीं हो रही इसीलिए उसके दाम भी अच्छे नहीं मिल रहे और राजा को लगान भी देनी है मेरे पास तो अब इतने पैसे भी नहीं है कि मैं फिर से अच्छे किस्म के बीज खरीद सकूं और इस बार बरसात में मेरी सारी की सारी फसल भी खराब हो गई थी अब तो मेरे हालात और अधिक खराब हो चुके हैं और ऐसे हालातों में मैं सुखी कैसे रह सकता हूं जाओ किसी और को ढूंढ लो जो सच
में सुखी हो इस पर वह युवती अपने मालिक से कहती है मालिक तो आप ही बताइए आपके हिसाब से कौन सबसे ज्यादा सुखी है जिसे मैं अपने साथ ले जा सकूं इस पर वह किसान कुछ देर सोच विचार कर उससे कहता है मुझे लगता है कि व्यापारी बहुत सुखी है उन्हें ना तो फसल उगाने की चिंता है और ना ही फसलों की की देखरेख करने की उन्हें तो बस फसल खरीदनी होती है और वह उसे कहीं से भी खरीद सकते हैं और तो और वे अन्य चीजों का भी व्यापार करते हैं जिनका मौसम से कोई
लेना देना नहीं होता और वे लोग हमसे कहीं ज्यादा अधिक धन भी कमाते हैं लोग उनका आदर सम्मान भी करते हैं मुझे तो लगता है कि वही सबसे सुखी हैं तुम उन्हीं के पास जाओ वह युवती अपने मालिक की बात सुनकर वहां से भागी भागी एक व्यापारी के पास जा पहुंची और उस व्यापारी से कहती है मालिक आप मेरे साथ चलिए मुझे एक भिक्षु मिले हैं जिन्हें मैं आपसे मिलवा चाहती हूं उन्होंने कहा है कि किसी ऐसे सुखी व्यक्ति को ले आओ जो सचमुच सुखी हो और उसके बाद वह मुझे एक ऐसी चीज देंगे जिससे
मैं सुंदर और सुखी दोनों हो जाऊंगी उस युवती की आवाज सुनकर वह व्यापारी दुख भरे शब्दों में उससे कहता है अरे हमारे जीवन में कहां सुख है चारों ओर से तो हमें दुख ने ही घेर रखा है चोर लुटेरे तक हमें सबका ध्यान रखना होता है व्यापार में अभी बहुत घाटा भी चल रहा है और तो और राजा हमसे अतिरिक्त कर भी वसूल रहे हैं जिससे अब व्यापार करने में बहुत दिक्कत आने लगी है हमें सुरक्षा भी नहीं मिल पा रही है जीवन पर हमेशा कोई ना कोई संकट रहता है मुझे तो ऐसा लगता है
कि मुझसे दुखी इस दुनिया में और कोई नहीं है इस पर वह युवती उस व्यापारी से कहती है परंतु मालिक आप के पास तो इतना धन है आपके पास इतनी जमीन जायदाद है आपके पास इतना अन्न है रहने के लिए इतना आलीशान मकान है और खाने पीने के लिए हर प्रकार की सुविधाएं हैं इसके बाद भी आप दुखी हैं यह बहुत अजीब सी बात है मुझे तो लगता था कि आप बहुत सुखी होंगे खैर कोई बात नहीं कृपया करके मुझे कोई ऐसा व्यक्ति बताइए जो आपके हिसाब से बहुत सुखी हो जिसे मैं उन बौद्ध भिक्षु
के पास ले जा सकूं इस पर वह व्यापारी कुछ देर सोच विचार कर उस युवती से कहता है मुझे लगता है कि राज्य के अधिकारी बहुत सुखी हैं वह सीधा राजा से संबंध रखते हैं उनके पास अधिकार है और वह धनवान भी है वह चोर लुटेरे से भी नहीं घबराते और वही लोग हमसे धन भी वसूलते हैं और हमें उनके सामने उनके आदर में झुकना ही होता है और सभी लोग उनका बहुत मान सम्मान भी करते हैं मुझे नहीं लगता कि उनके जीवन में कोई भी दुख होगा और मुझे लगता है है कि वही सबसे
सुखी है काश मैं भी राजा का एक अधिकारी होता तो मैं भी अपना जीवन आराम से बिता रहा होता इस पर वह युवती उस व्यापारी से कहती है मालिक क्या आप किसी अधिकारी को जानते हैं क्या आप मुझे उनसे मिलवा सकते हैं मैं उन्हें अपने साथ ले जाऊंगी इसके बाद मुझे वह बौद्ध भिक्षु कुछ ऐसी चीज देंगे जिससे मैं भी सुंदर और सुखी हो जाऊंगी बताइए ना आप मुझे किसी अधिकारी से मिलवा सकते हैं मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी व्यापारी को उस युवती पर दया आ गई उसने उसको एक अधिकारी से मिलवा ही दिया युवती
ने अधिकारी से मिलने के बाद उस अधिकारी से कहा मालिक आप मेरे साथ चलिए मुझे एक भिक्षु मिले हैं जिन्हें मैं आपसे मिलवा चाहती हूं उन्होंने मुझसे कहा है कि अगर मैं एक सुखी व्यक्ति को उनसे मिलवा दूंगी तो वह मुझ एक ऐसी चीज देंगे जिससे मैं सुंदर और सुखी दोनों हो जाऊंगी पर वह अधिकारी उस युवती से कहता है तुम्हें किसने कह दिया कि मैं सुखी हूं अरे मेरे जैसा दुखी व्यक्ति तो इस दुनिया में और कोई नहीं होगा तुम्हें नहीं पता लेकिन हम पर कितना दबाव होता है हमारे ऊपर कितनी जिम्मेदारियां होती हैं
हमें हर एक आदेश को पूरा करना होता है और वह आदेश भी इतनी आसानी से पूरे नहीं होते उनके लिए हमें कितनी मुश्किलें उठानी होती है कितनी दिक्कतों का सामना करना होता है राजा कुछ भी आदेश पारित कर देते हैं और उसे हमें लागू करना होता है जनता का गुस्सा और तरह-तरह की मुश्किलें सभी परिणाम हमें ही झेलने होते हैं और तुम्हें लगता है कि मैं सुखी हूं ऐसा कुछ भी नहीं है अगर वह भिक्षु तुम्हें सुखी कर दे तो तुम उसे मुझे भी मिलवा देना मैं भी सुखी होना चाहता हूं मुझे भी अपना जीवन
खुशहाली से बिताना है भला अधिकारी बनकर मुझे क्या मिला रोज-रोज तरह-तरह का तनाव इस पर वह युवती आज आश्चर्य से उस अधिकारी से कहती है मालिक जहां तक मैं सोचती थी कि आप सबसे सुखी हैं लेकिन आप भी सुखी नहीं लग रहे परंतु आपको क्या लगता है इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सबसे सुखी हो क्या आप मुझे बता सकते हैं मैं आपकी बहुत-बहुत आभारी रहूंगी उस युवती की सारी बात सुनने के बाद उस अधिकारी को उस युवती पर दया आ गई उस अधिकारी ने उससे से कहा देखो मुझे तो ऐसा लगता है
कि इस पू राज्य में केवल एक मात्र व्यक्ति जो सुखी है वह है इस राज्य का राजा मुझे तो केवल वही सुखी लगते हैं उन्हें किसी की सुननी नहीं होती वह नियम बनाते हैं आदेश देते हैं सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहते हैं और सब उनके सामने झुकते भी हैं ना उन्हें धन की कमी है और ना जमीन जायदाद की सारी धरती को उन्होंने जीत लिया है वह सबके मालिक हैं और सबसे उच्च वही है वही है जो एकमात्र सुखी व्यक्ति है काश मैं भी किसी राजा के घर पर जन्मा होता तो आज मैं भी बहुत सुखी
होता उस अधिकारी की यह सारी बातें सुनकर वह युवती उस अधिकारी से कहती है मालिक आपसे एक विनती है क्या आप मुझे एक बार राजा से मिलवा सकते हैं कृपया कीजिए आपका बहुत एहसान होगा मैं उनसे कुछ पूछना चाहती हूं युवती का चेहरा देखकर अधिकारी को उस पर दया आ गई और उसने कहा चलो ठीक है मैं अभी राज दरबार ही जा रहा हूं एक काम करो तुम भी मेरे साथ ही चलो और वहां पर राजा से तुम्हें जो भी पूछना है तुम पूछ लेना इतना कहकर वह अधिकारी उस युवती को राज दरबार ले गया
राज दरबार पहुंचने के बाद अधिकारी की विनती करने पर राजा उस लड़की की बात सुनने के लिए तैयार हो गए और उस युवती को राज दरबार में बुलाया गया राजा ने उस युवती से कहा बेटी तुम अपनी बात निर्भीक होकर कहो तुम्हें क्या कहना है तुम मुझसे क्या पूछने आई हो इस पर वह युवती जरा घबराते हुए राजा से कहती है हे राजन मैं एक संपूर्ण सुखी व्यक्ति को ढूंढ रही हूं मुझे एक भिक्षु मिले हैं और उन्होंने मुझसे कहा है कि यदि तुम कोई ऐसा सुखी व्यक्ति मुझसे मिलवा दो तो मैं तुम्हें एक ऐसी
चीज दूंगा जिससे तुम सुंदर और सुखी दोनों हो जाओगी काफी लोगों से मिलने के बाद मुझे यह पता चला कि आप ही हैं जो इस दुनिया में एकमात्र सुखी व्यक्ति हैं तो क्या आप मेरे साथ भिक्षु से मिलने चलेंगे आपका बहुत एहसान होगा राजा उस युवती की बात ध्यानपूर्वक सुनता है और उसके बाद जोर-जोर से हंसने लगता है और उस युवती से कहता है अच्छा सबकी तरह तुम्हें भी लगता है कि मैं इस दुनिया का सबसे सुखी व्यक्ति हूं लेकिन यदि कोई मुझसे पूछे कि इस दुनिया में सबसे दुखी व्यक्ति कौन है तो वह मैं
ही हूं मेरे पास नींद नहीं है मेरे पास आराम नहीं है मेरे अंगरक्षक हमेशा मेरे आसपास रहते हैं उनके बिना मैं अकेले कहीं जा भी नहीं सकता जरा से आहट होती है तो नींद टूट जाती है हमेशा भय लगा रहता है क्योंकि मेरे दुश्मन मेरे घर में ही रहते हैं जिनका मुझे पता तक नहीं कौन कब और कहां से मुझ पर वार कर दे कोई नहीं कह सकता यहां बैठे सभी लोग मेरे दुश्मन ही तो हैं वे सभी मेरे शत्रु हैं यहां पर बैठा हर एक व्यक्ति मेरे राज दरबार का ही है किंतु मुझे सब
पर शक करना होता है हर एक सांस मुझे भारी मालूम होती है इतने दिग्गज राज्य की जिम्मेदारी उठाना इतना आसान नहीं है तुम्हें लगता होगा कि राजा के पास तो सभी ऐशो आराम है धन है दौलत है जमीन जायदाद है उनके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं और इस हिसाब से तो उन्हें सुखी होना ही चाहिए किंतु मैं तुम्हें बता दूं कि यह सब सुख नहीं देते इस पर वह युवती राजा से कहती है हे राजन क्षमा कीजिएगा परंतु यदि सुख धन दौलत नहीं देती राज्य नहीं देता जमीन जायदाद नहीं देती ऐशो आराम नहीं
देता तो क्या हुआ कम से कम सुंदरता तो सुख देती है इस पर राजा एक बार फिर मुस्कुराते हुए उस युवती से कहता है पुत्री सुंदरता जो मैंने देखी है जो लोग शक्ल से सुंदर होते हैं उनके मन सुंदर नहीं होते वे लोग तो एक मुखौटा लगाए घूमते रहते हैं वे दूसरों को दिखाते हैं कि मैं कितना सुंदर हूं लेकिन समय सबकी सु सुंदरता छीन लेता है एक मात्र सुंदरता मन में ही रहती है और जिसका मन सुंदर है वह हमेशा ही सुंदर रहता है इस पर वह युवती राजा से कहती है हे महाराज तो
आप ही बताइए कि आपके हिसाब से इस दुनिया में सबसे सुंदर और सुखी कौन है इस पर वह राजा युवती से कहता है पुत्री मेरे हिसाब से तो एक गरीब व्यक्ति जो दो वक्त की रोटी का प्रबंध कर सके बस इतना ही जो किसी तंत्र बिना किसी बंदिशों के बिना किसी भी दिशा में घूम सके उसे कुछ भी छिन जाने का भय ना हो कुछ भी लुट जाने का खौफ ना हो जिसे रात को अच्छी नींद आती हो मुझसे पूछो तो सबसे ज्यादा सुखी वही होगा और इस हिसाब से मैं तुम्हें देखता हूं कि तुम
सबसे सुखी हो तुम्हारे पास नींद है अच्छा मन है चारों दिशाएं हैं और कोई भय नहीं कोई साजिश नहीं कोई षड्यंत्र नहीं बस जीवन है मेरे हिसाब से तुम ही सबसे सुखी हो राजा की यह सारी बातें सुनकर एक पल के लिए वह युवती सोच में रह गई और तभी उसे इस बात का एहसास भी हो गया कि वाकई में वह एक मात्र सुखी है वही सुंदर है और अब वह जो थी जैसी भी थी उसे खुद के होने पर गर्व होने लगा वह पूरे दिन यहां वहां भटकते हुए आखिरकार थक हार कर लेकिन संपूर्ण
सुख लिए चेहरे पर मुस्कान लिए प्रकृति से बातें करते हुए वह उन बौद्ध भिक्षु के पास वापस लौटी और उसने उन बौद्ध भि से कहा हे गुरुवर मैं यहां से गई थी तो मुझे लग रहा था कि मैं ही सबसे दुखी हूं और मैं ही सबसे बदसूरत हूं लेकिन यहां से जाने के बाद जैसे-जैसे मैं लोगों से मिलती गई मुझे यह एहसास होने लगा कि इस दुनिया में सबसे सुखी व्यक्ति तो मैं ही हूं हां यह बात और है कि मैं किसी सुखी व्यक्ति को आपके पास ला ना सकी क्योंकि मुझे लगता था कि मेरे
अलावा सब सुखी हैं लेकिन बात तो कुछ उल्टी ही हो गई यहां तो मेरे अलावा सभी दुखी हैं सभी को किसी ना किसी चीज का भय है कुछ खो जाने का भय कुछ ना पाने का भय खुल के ना जी पाने का भय इस हिसाब से तो मेरे पास सब कुछ है मैं खुशी से झूम सकती हूं गा सकती हूं जहां मन करे वहां जा सकती हूं और दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए मेरे पास यह हाथ और पैर भी है मुझे किसी चीज का कोई गम नहीं मेरे पास ऐसा कुछ नहीं
जिसके खोने का भय मुझे सताए इस पर वह बौद्ध भिक्षु उस युवती से कहते हैं पुत्री आखिरकार तुम्हें वह सुंदरता और सुख मिल ही गया अब से तुम सुंदर और सुखी हो यह कहकर वह भिक्षु वापस अपने आश्रम लौट गए और वह युवती भी अब जान चुकी थी कि वही सबसे सुंदर और सुखी है अब उसे किसी बात का कोई गम नहीं था वह कभी अपने आप को अब कोसा नहीं करती थी बल्कि वह अपने आप में हमेशा खुश रहती थी हमेशा मस्त रहती थी दोस्तों हमें भी ऐसा ही लगता है कि कि हमारे पास
कुछ नहीं है और सामने वाले के पास सब कुछ है वह कितना सुखी है उसके पास हर चीज है हर ऐशो आराम है हर सुविधाएं हैं किंतु ऐसा है नहीं यह केवल आपके देखने का नजरिया है असली सुख तो आपके पास ही है और वह है संतुष्टि यदि आप अपने आप से संतुष्ट हैं आपके पास जो कुछ भी है उसमें यदि आप खुश है तो आपको कोई भी गम सता नहीं सकता आपको कोई भी दुख परेशान नहीं कर सकता किंतु हमारी सबसे दिग्गज तकलीफ यही है कि हम खुद को नहीं बल्कि दूसरों को ज्यादा देखते
हैं दूसरों से हम ज्यादा प्रेरित होते हैं और उनकी खुशी देखकर हमारे भीतर ईर्षा का भाव उत्पन्न होने लगता है हमें तकलीफ होती है कि उनके पास इतना सुख कैसे है और हम इतने दुखी क्यों हैं क्योंकि हम केवल उनकी तरफ ही नजर बनाए हुए हैं हमने तो अपने पास देखा ही नहीं कि हमारे पास क्या है हम उस पर कभी ध्यान नहीं देते बल्कि हम तो हमेशा इस पर ध्यान देते हैं कि हमारे पास क्या नहीं है और यही नजरिया आपको दुख और तकलीफों की ओर ले जाता है आप चाहकर भी सुखी नहीं रह
पाते क्योंकि आपने अपना नजरिया इसी नहीं पर गड़ा रखा है वहीं पर यदि आप इस तरह से सोचे कि मेरे पास बहुत कुछ है रहने के लिए अच्छा घर है खाने के लिए अच्छा खाना है पहनने के लिए अच्छे वस्त्र हैं कम से कम दो वक्त की रोटी का आपके लिए इंतजाम भी हो जाता है लेकिन बहुतों के पास तो यह भी नहीं होता तो क्या आप सुखी नहीं है एक पल के लिए सोच कर देखिएगा अब आप में से कितने लोग यह कहेंगे कि यह सब तो खाली बेकार की बातें हैं ऐसा कहने से
कुछ नहीं होता लेकिन मेरी बात का विश्वास कीजिए बस एक बार के लिए आप 24 घंटे के लिए यह प्रण कीजिए कि आप केवल सकारात्मक सोचेंगे और अपने जीवन में हो रहे सकारात्मक विचारों पर ध्यान देंगे सकारात्मक घटनाओं पर ध्यान देंगे आप देखेंगे कि वह दिन आपका बहुत अच्छा बीतेगा और उस दिन आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे आप जिस कार्य में हाथ देंगे वह कार्य आप पूरा भी कर सकेंगे आप उस दिन जैसा चाहेंगे वैसा कर पाएंगे क्या आप अपने आप को चुनौती देने के लिए तैयार हैं क्या आप 24 घंटे केवल अच्छा सोचने के
लिए तैयार हैं अगर हां तो आप मुझे कमेंट में जरूर बताएगा इससे यह भी पता चल जाएगा कि कितने लोग चाहते हैं कि उनका जीवन सच मुछ बदले और कितने लोग नहीं इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की यह कहानी पसंद आई होगी तो इस वीडियो को लाइक और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिएगा चलिए अब दूसरी कहानी की ओर बढ़ते हैं दोस्तों महात्मा बुद्ध अपनी बातों को तीन बार दोहराया करते थे और यदि कोई बात आपसे तीन-तीन बार कही जाए तो क्या आप उस बात को सुन पाएंगे मान लीजिए आप
किसी चिकित्सक के पास जाते हैं और वह चिकित्सक आपसे एक बार कहता है कि आप ठीक हैं आपको कुछ नहीं हुआ है तो यह बात आप सुन लेते हैं और आपको यह बात समझ में आ जाती है कि मैं ठीक हूं और मुझे कुछ भी नहीं हुआ है लेकिन अगर वही चिकित्सक आपसे बार-बार वही बात कहे बार-बार वह वही बात दोहराए तो क्या आपको क्रोध नहीं आएगा आप यही कहेंगे कि हां हां मुझे वह बात समझ में आ चुकी है आप बार-बार एक ही बात क्यों दोहरा रहे हैं मैं समझ चुका हूं कि मैं बीमार
नहीं हूं और मुझे कुछ नहीं हुआ है तो इसको बार-बार दोहराने से क्या फायदा लेकिन वास्तविकता तो यह है कि जब हम किसी बात को बार-बार दोहराते हैं तो उससे हमारा चेतन मन ऊब जाता है और बार-बार उस बात को सुनने से हमारा चेतन मन उस बात पर ध्यान नहीं देता और यही वह वक्त होता है जब हमारी बात हमारे अवचेतन मन तक पहुंचती है और जब आपकी बात आपके अवचेतन मन तक पहुंच जाए तो यकीन मानिए कि तब कुछ भी संभव है फिर चाहे आप कोई अपने जीवन में लक्ष्य प्राप्त करना चाहे हो या
फिर अपना स्वास्थ्य सुधारना चाहते हो सब कुछ संभव हो जाएगा दोस्तों आपने कभी ना कभी यह किस्सा तो सुना ही होगा एक प्लेन क्रैश हो गया था और उस प्लेन का जो पायलट था उसकी प्लेन से गिरने की वजह से शरीर की सारी बोनस टूट चुकी थी और जब उसे अस्पताल में भर्ती किया गया तो उससे हिला भी नहीं जा रहा था डॉक्टर्स ने भी यह जवाब दे दिया था कि तुम ठीक नहीं हो सकते लेकिन वह व्यक्ति जीना चाहता था उस उसने अपने अवचेतन मन में जबरदस्ती यह बात घुसाई कि मैं ठीक हो सकता
हूं मैं ठीक हो सकता हूं और यकीन मानिए कि वह व्यक्ति सच में ठीक हो गया वह अपने पैरों पर चलकर अपने घर गया ऐसा केवल हमारे अचेतन मन की शक्तियों के कारण होता है जब हम कुछ ठान लेते हैं और अपने अचेतन मन को एक स्पष्ट और साफ संदेश देते हैं तो हमारा अचेतन मन हमसे कुछ ऐसे कार्य करवाने लगता है कि हमारे लिए सब कुछ मुमकिन हो जाता फिर चाहे वह जीवन में कोई लक्ष्य प्राप्त करना हो या फिर अपने स्वास्थ्य को सुधारना हो और पुराने जमाने में यह बहुत सरल हुआ करता था
क्योंकि उस समय लोग कुतर्क नहीं किया करते थे और जो भी कहा जाता था वह उसे बहुत गहन ध्यान के साथ सुनते थे और समझते थे लेकिन आजकल के तथा कठित बुद्धिमान लोग सभी इन बातों को अंध विश्वास कहते हैं लेकिन यह भी एक वास्तविकता है कि जैसा आप खुद से कहते हैं वैसा ही आप अंदर से बनते चले जाते हैं आप अंदर से उतने ही अशांत होने लगते हैं और जो व्यक्ति अपने मन की बकबक को शांत कर पाता है वही शांति को प्राप्त कर पाता है हमारी जो बुद्धिमानी है वही हमारे अचेतन मन
का एक रूप होती है हमारा चेतन मन हमें कोई भी नई चीज सीखने में हमारी मदद करता है जैसे यदि आप कोई नई भाषा सीखना चाहते हैं या फिर या फिर आप कोई नई टेक्नीक सीखना चाहते हैं तो इसमें हमारा चेतन मन हमारी बहुत मदद करता है लेकिन जब बात आती है भावनाओं की अर्थात क्रोध कामना आलस इत्यादि की जो कि हमारे अचेतन मन का हिस्सा होते हैं उन्हें हमें सीखना नहीं होता वह तो हमारे अंदर पहले से ही मौजूद है क्या आपने कभी ग्रोथ सीखा है क्या आपने कभी काम वासना सीखी है क्या आपने
कभी आलस सीखा है यदि आपको बचपन से ही किसी ऐसी जगह पर रखा जाए जहां पर कोई भी व्यक्ति ना हो कोई भी इंसान ना हो तब भी आपके भीतर यह सारे गुण आ ही जाएंगे क्योंकि इसमें तो सिर्फ और सिर्फ हमारे अचेतन मन का ही काम है यानी कि वह चीजें जो प्रकृति ने हमें पहले से ही दी है और वह सिर्फ हमारे अवचेतन मन के माध्यम से ही भरी जाती है क्योंकि हमारा अचेतन मन कभी विरोध नहीं करता क्या आपने कभी इस बात पर भी गौर किया है कि जो इस दुनिया में बाहरी
चीजें हैं उसे आप सीख सकते हैं लेकिन जहां बात आती है हमारे भीतर की तो आप उस सीख को नहीं सीख पाते मान लो अगर आपको समय सीखना है तो उसके बारे में हमारे अचेतन मन को कुछ नहीं पता होता लेकिन वहीं पर यदि कोई आपसे यह कहे कि पांच और पांच 10 होते हैं तो यह बात आपके अचेतन मन को अच्छी तरह से समझ में आ जाती है क्योंकि आपका अचेतन मन विरोध नहीं करता और उसे एक साफ और स्पष्ट संदेश भी मिल रहा है इसलिए हमें अपने अवचेतन मन तक साफ और स्पष्ट संदेश
भेजने की आवश्यकता होती है और यह तभी संभव है जब हमारा चेतन मन इसके रास्ते में ना आए तभी वह शिष्य उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर आखिर हम अपने अवचेतन मन को साफ और स्पष्ट संदेश क्यों नहीं भेज पाते आखिर इसका क्या कारण है इसका जवाब देते हुए गुरु शिष्य से कहते हैं भंते इसका पहला कारण यह है कि जब भी हम अपने अवचेतन मन में कोई सूचना पहुंचाने की कोशिश करते हैं तो हमारा चेतन मन पहले उससे तर्क वितर्क करता है वह यह सोचता है कि इस जानकारी से हमें लाभ होगा या
हानि और जब तक हम अपनी सूचना को सही और साफ स्वस्थ तौर पर अपने अवचेतन मन तक नहीं पहुंचा पाते तब तक वह हमारे लिए काम नहीं कर सकती है मान लीजिए कि आप ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे ईश्वर मुझे एक अच्छी नौकरी मिल जाए मैं अच्छी तरह से कामयाब हो जाऊं इस दौरान हमारा चेतन मन यह सोचता है कि आखिर मुझे नौकरी मिल जाएगी और मैं कामयाब हो जाऊंगा तो उसके बाद मैं क्या करूंगा मैं ऐसा घर खरीदूंगा ऐसी गाड़ी खरीदूंगा अपने परिवार के लिए यह करूंगा वह करूंगा अपना खुद का
व्यापार शुरू करूंगा ऐसे कई प्रकार के विचार हमारे चेतन मन में उठने लगते हैं और इसी कारण हम अपने औचित्य मन तक साफ और स्पष्ट संदेश भेज नहीं पाते और इसीलिए कहा जाता है कि ध्यान हमारे मन को शांत कर देता है आपको अपने अवचेतन मन तक साफ और स्पष्ट स्पष्ट संदेश भेजना ही होगा अपने अवचेतन मन को अपने वश में करना ही होगा और अपने अवचेतन मन को वश में करने के लिए आप यह एक तरीका अपना सकते हैं अगर आपको कोई चीज पानी है तो आपको उस चीज को मंत्र की तरह मन में
दोहराना होगा और ऐसा आपको करीब 30 दिन तक करना होगा और यदि इस दौरान आपसे कोई यह कहे कि इससे कोई फर्क नहीं होने वाला यह सब बेकार की बातें हैं तो उनकी बातों पर यकीन मत कीजिएगा क्योंकि यदि आप कोई बात मंत्र की तरह दोहराते हैं तो वह मंत्र अर्थात वह बातें हमारे अवचेतन मन तक पहुंच जाती हैं और एक बार यदि आपकी बात आपके अवचेतन मन तक पहुंच गई तो हम दुनिया की कोई भी चीज पा सकते हैं हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं और उसके लिए आपको बस इतना ही
करना है जब भी आप रात को सोने जाएं तो बिस्तर पर लेटने के बाद नींद आने से ठीक पहले आपको करीब 15 बार अपने मन में उस मंत्र को दोहराना है जो भी आप चाहते हैं और ऐसा करते हुए आपको नींद में चले जाना है क्योंकि हमारा अचेतन मन कभी नहीं सोता वह हमेशा आपके लिए लगातार काम करता रहता है जबकि रात को सोते समय हमारा चेतन मन पूरी तरह से शांत होता है और यही वह समय है जब हमारा अवचेतन मन पूरी तरह से जागृत होता है यह सबसे ज्यादा शक्तिशाली होता है रात को
सोते वक्त जो भी बातें आप अपने मन में भेजते हैं आप वैसे ही बनते चले जा जाते हैं कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि जब भी आप रात को सोते वक्त कोई नकारात्मक बात या नकारात्मक जानकारी लेते हैं तो सुबह उठते ही आपको नकारात्मक विचार आते हैं और वहीं पर यदि आप रात को सोते वक्त सकारात्मक जानकारी या सकारात्मक बातें करते हैं तो अगले दिन सुबह आप बहुत ज्यादा ताकतवर महसूस करते हैं आपका दिन पहले से ज्यादा अच्छा लगने लगता है आप अच्छा महसूस कर पाते इसलिए रात को सोते वक्त कभी भी
अपने आप से नकारात्मक बातें ना करें हो सके तो हमेशा अपने आप से सकारात्मक बातें करें या फिर आप चाहे तो इस प्रयोग को भी अपना सकते हैं और अपने जीवन में जो कुछ भी चाहे आप उसे पा सकते हैं क्योंकि एक बार यदि आपका लक्ष्य आपके अवचेतन मन तक पहुंच गया तो उसे पाना बहुत आसान हो जाएगा फिर वह चाहे कितना भी दिग्गज क्यों ना हो वह चाहे कितना भी कठिन क्यों ना हो आप उसे हासिल कर ही लेंगे आप उसमें कामयाबी पा ही लेंगे इतना कहकर वह गुरुवर शांत हो गए और वह शिष्य
भी यह समझ चुका था कि आखिर हमारे चेतन मन और अवचेतन मन में क्या अंतर होता है और किस प्रकार हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं नमो बुद्धाय