15th अगस्ट 1977 ओहायो वेसलिन यूनिवर्सिटी में एक रूटीन का दिन था लेकिन आज ही की रात यहां कुछ ऐसा होने वाला था जो आने वाले सालों में अब तक इंसानों के लिए मिस्ट्री बना रहेगा यूनिवर्सिटी में बिग ईयर नामी रेडियो टेलीस्कोप के 30 मीटर चौड़े रिफ्लेक्टर ने रात को 10:1 मिटों पर एक बहुत बड़ा रेडियो सिग्नल डिटेक्ट किया यह सिग्नल टेलीस्कोप से होता हुआ आईबीएम 1130 क र में पहुंचा और यहां से ऑटोमेटिक कन्वर्ट होकर प्रिंटर तक गया रात के इस पहर कंट्रोल रूम में प्रिंटर की आवाज के अलावा बिल्कुल खामोशी थी कागज पर प्रिंट
हुआ सिग्नल बाकी तमाम प्रिंटआउटस के बीच दब गया और फिलहाल किसी को भी मालूम नहीं पड़ा कि बिग यर टेलिस्कोप ने आसमान में सेजिटेरियस कांस्टेलेशन से आने वाला एक एलियन सिग्नल रिसीव किया है कुछ दिनों के बाद कंट्रोल रूम के टेक्निशियन ने तमाम प्रिंट आउटस उठाकर एस्ट्रोनॉमिकली 6e क य ज5 इस सिग्नल को जेरी अहमद ने देखा और अपनी रेड पेन से इसको हाईलाइट करते हुए इसके बराबर में लिखा वाओ तब से लेकर यह वाओ सिग्नल के नाम से पहचाना जाता है लेकिन आखिर इस सिग्नल में ऐसी भी क्या खास बात थी पिछले 47 इयर्स
से यह एस्ट्रोनोवा है और सेजिटेरियस कांस्टेलेशन से आया यह सिग्नल एलियंस का पैगाम था या फिर सिर्फ एक इत्तेफाक जम टीवी की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद नाजरीन वाओ सिग्नल की इंपॉर्टेंस के पीछे एक स्टडी थी जो करीब इस वाक से 18 साल पहले रिलीज की गई थी हुआ कुछ यूं था कि 1959 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के फिजिसिस्ट फिलिप मॉरिसन और जू सेप्पी कोपनी ने एक पेपर रिलीज किया जिसमें यह हाइपोथेसाइज किया गया यानी यह ख्याल जाहिर किया गया कि अगर यूनिवर्स में कोई एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रे सिविलाइजेशन होगी तो वह हमसे यानी अर्थ पर
रहने वालों से राबता करने के लिए 1420 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेंगे इसकी वजह यह है कि यह फ्रीक्वेंसी नेचुरली हाइड्रोजन से निकलती है और यह तो सभी जानते हैं कि हाइड्रोजन इस यूनिवर्स में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला एलिमेंट है और यह हर टेक्नोलॉजिक एडवांस्ड सिविलाइजेशन के लिए शायद एक कॉमन और समझने वाला रेफरेंस हो सकता है इसीलिए यह फ्रीक्वेंसी एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रे कम्युनिकेशन के लिए आइडियल मानी गई है इस स्टडी के बाद 1973 में ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी ने अपने रेडियो टेलिस्कोप बिग एयर को एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रे यानी अर्थ के एटमॉस्फेयर के बाहर इंटेलिजेंट लाइफ
के सिग्नल्स ढूंढने के लिए वक्फ कर दिया और इस मिशन को नाम दिया गया सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रे इंटेलिजेंस या फिर सेटी यह मिशन अपने टाइम का सबसे लंबा चलने वाला मिशन था जो अर्थ के बाहर जिंदगी तलाश करने के लिए डिजाइन किया गया बिग एयर रेडियो टेलिस्कोप ओहायो वेसलियस यूनिवर्सिटी के कैंपस पर पर्किंस ऑब्जर्वेटरी के करीब मौजूद था इसका मिशन आसमान के अलग-अलग हिस्सों को स्कैन करना और किसी भी इंटेलिजेंट सिग्नल को डिटेक्ट करना था जो अर्थ के बाहर से आया हो बिग एयर रेडियो टेलीस्कोप के डाटा को समझने के लिए एस्ट्रोनोवा से यह
काम करने पर राजी थे 15th अगस्त 1977 की रात 10:1 पर टेलिस्कोप को मिलने वाला सिग्नल इतना अनोखा और पावरफुल था कि अहम और उनके साथी साइंटिस्ट हैरत जदा रह गए ये सिग्नल पूरे 72 सेकंड्स तक टेलीस्कोप ने रिकॉर्ड किया जो कंप्यूटर कन्वर्जन के बाद 6e क य ज5 बन गया इस सिग्नल में नंबर्स और लेटर्स कोई छुपा हुआ मैसेज नहीं है बल्कि यह सिग्नल की इंटेंसिटी को इसकी ताकत को जाहिर करते हैं वाओ सिग्नल में टोटल छह कैरेक्टर्स हैं और हर कैरेक्टर या नंबर 12 सेकंड्स के टाइम को शो करता है यानी 12 सेकंड्स
तक टेलिस्कोप सिग्नल डिटेक्ट करेगा फिर उसको कंप्यूटर में रिकॉर्ड करेगा और फिर अगले 12 सेकंड्स को रिकॉर्ड करने लगेगा यानी अगर वाव सिग्नल में छह कैरेक्टर्स हैं और हर कैरेक्टर 12 सेकंड्स का है तो इसका मतलब यह हुआ कि वाओ सिग्नल टोटल 72 सेकंड्स तक टेलिस्कोप तक पहुंचता रहा आपको यहां बताते चलें कि जब टेलिस्कोप में कोई सिग्नल रिसीव नहीं होता तो वह जीरो की वैल्यू रिकॉर्ड करता है सबसे छोटा सिग्नल वन है और इसी तरह जैसे जैसे जैसे नंबर्स बढ़ते जाते हैं इसका मतलब सिग्नल की इंटेंसिटी इसकी ताकत बढ़ रही है नॉर्मली बिग ईयर
टेलिस्कोप में वन से लेकर थ्री या फोर इंटेंसिटी के सिग्नल्स रिसीव होते रहते थे लेकिन वाउ सिग्नल की शुरुआत ही सिक्स से हुई 10 से बड़ी वैल्यू का सिग्नल होगा तो वह अल्फाबेट्स में बदल जाएगा जैसा कि 10 का मतलब है ए 11 का बी और 12 का सी इसी तरह यह आगे बढ़ेगा वव सिग्नल का दूसरा हिस्सा कंप्यूटर ने ई में कन्वर्ट किया जिसका मतलब है 14 यानी जहां पिछले 12 सेकंड्स में सिग्नल की इंटेंसिटी सिक्स थी वहीं दूसरे 12 सेकंड्स में 14 हो गई तीसरा क्यू है जिसकी वैल्यू बनती है 26 इस सिग्नल
की सबसे बड़ी वैल्यू 30 थी जिसको कंप्यूटर ने य में कन्वर्ट किया और फिर आखिरी के दो हिस्सों में इसकी वैल्यू ज यानी 20 हुई और फिर फाइ इस वाव सिग्नल की सबसे खास बात यह थी कि यह सिर्फ 1420 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी के चैनल पर सुना गया वही फ्रीक्वेंसी जो कुदरती तौर पर हाइड्रोजन एलिमेंट से निकलती है यही वजह है कि एस्ट्रोनोवा उठ रहा होगा कि यूनिवर्स में इतने ज्यादा एस्टेरॉइड्स प्लेनेट गैलेक्सी और क्लस्टर्स हैं हो सकता है यह सिग्नल रैंडम कहीं से जनरेट हुआ हो तो फिर इसे एलियन से ही क्यों जोड़ा जा
रहा है असल में 1420 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी हाइड्रोजन लाइन की है जो यूनिवर्स का सबसे कॉमन एलिमेंट इमिट करता है साइंटिस्ट का मानना है कि अगर कोई एलियन सिविलाइजेशन कम्युनिकेट करना चाहेगी तो वह एक यूनिवर्सल और आसानी से समझने वाली फ्रीक्वेंसी चूज करेगी जिसे हर एडवांस स्पीशीज समझ स दूसरा यह कि वाउ सिग्नल की स्ट्रेंथ का अगर लाइन चार्ट बनाया जाए तो यह बहुत अनोखा दिखता है यह सिग्नल 30 की वैल्यू तक गया और फिर आहिस्ता आहिस्ता फेड होता गया और इस तरह के सिग्नल सिर्फ जानबूझकर जनरेट हो सकते हैं वाव सिग्नल को एलियन से जोड़ने
की एक और वजह यह भी है कि स्पेस में कॉस्मिक इवेंट्स सिग्नल फेंकते जरूर हैं लेकिन ना तो वो इस पैटर्न के होते हैं यानी आहिस्ता आहिस्ता बढ़कर वापस आहिस्ता आहिस्ता खत्म होना और ना ही वह सिग्नल्स सिर्फ एक बार आते हैं पर वाउ सिग्नल की एक और खास बात जो एलियंस की तरफ इशारा देती है वह यही है कि यह सिग्नल सिर्फ एक ही बार सुना गया अगर यह सिग्नल किसी नेचुरल इवेंट की वजह से जनरेट होता तो वह बार-बार सुनाई देता और सबसे बढ़कर सिर्फ 1420 मेगाहर्ट्ज के फ्रीक्वेंसी बैंड में नहीं होता अब
आते हैं अपने दूसरे सवाल की तरफ कि आखिर यह ल आसमान की कौन सी लोकेशन से आया था वाउ सिग्नल की एग्जैक्ट लोकेशन जहां से यह आया था बिग एयर टेलिस्कोप के डिजाइन की वजह से मालूम करना बहुत मुश्किल है टेलिस्कोप में दो अलग-अलग स्ट्रक्चर्स थे जिन्हें फीड हॉन्स कहते हैं जमीन की रोटेशन की वजह से यह दोनों फीड हॉन्स आसमान को अलग-अलग डायरेक्शन में स्कैन कर रहे थे वाउ सिग्नल इनमें से सिर्फ एक फीड हन में सुना गया लेकिन दूसरे में नहीं और डाटा को ऐसे प्रोसेस किया गया कि यह डिसाइड करना मुमकिन नहीं
है कि यह सिग्नल किस हॉन ने सुना इस वजह से हमारे पास यह दो अलग-अलग लोकेशंस हैं जहां उस वक्त दोनों फीड हॉन्स की डायरेक्शन थी और इन्हीं दोनों लोकेशन से ही यह सिग्नल आया हो सकता है पर एगजैक्टली कंफर्म नहीं है कि इन दोनों में से कौन सी लोकेशन थी सिग्नल की लोकेशन सेजिटेरियस कांस्टेलेशन के एक स्पेसिफिक एरिया में थी जो ग्लोबुलर क्लस्टर m55 के करीब और टाव सेजिटेरियस था यह मिस्ट्री अभी तक अनसोल्वड है क्योंकि हमें यह तो मालूम है कि वाओ सिग्नल सेजिटेरियस कांस्टेलेशन से आया था लेकिन एग्जैक्ट कोऑर्डिनेट्स अभी तक कंफर्म
नहीं हो सके वाओ सिग्नल के बारे में कई थ्योरी और हाइपोथेसिस हैं कि यह क्या था और कहां से आया था लेकिन साइंटिस्ट किसी एक थ्योरी पर इत्तेफाक नहीं करते एक पॉसिबिलिटी यह है कि यह एक कमजोर सिग्नल का इंटरस्टेलर ट्विंक लिंक था बिल्कुल उसी तरह जैसे स्टार्स ट्विंकल करते हैं लेकिन इस सिग्नल को वेरी लार्ज अरे टेलिस्कोप जो बिग ईयर से ज्यादा सेंसिटिव टेलिस्कोप है डिटेक्ट नहीं कर सका अगर यह सिग्नल इंटरस्टेलर ट्विंकल की वजह से बिग ईयर पर डिटेक्ट हुआ होता तो वह वीएल पर क्यों नहीं हुआ लिहाजा यह थ्योरी भी गलत साबित
हुई दूसरा ख्याल यह जाहिर किया गया है कि शायद यह सिग्नल अर्थ से ही जनरेट हुआ लेकिन स्पेस में किसी एस्टेरॉइड या स्पेस डिबी से रिफ्लेक्ट होकर वापस बिग एयर टेलिस्कोप पर रिकॉर्ड हुआ लेकिन यह थ्योरी भी बाद में गलत साबित हुई क्योंकि साइंटिस्ट का कहना है कि अगर यह सिग्नल अर्थ पर ही जनरेट होता तो स्पेस डिबी से टकराकर वापस आते-आते इसकी इतनी ज्यादा ताकत नहीं रहती कि यह य यानी 30 की वैल्यू तक पहुंच सके एक और मसला यह है कि 1420 मेगाहर्ट्ज का फ्रीक्वेंसी बैंड एस्ट्रोनॉमी के लिए रिजर्व है और जमीन पर
रेडियोज को इस फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल भेजने की परमिशन ही नहीं है इसी वजह से वाउ सिग्नल का अर्थ पर ही जनरेट होना पॉसिबल नहीं है जेरी अहम और दूसरे एस्ट्रोनोवा का मेटा अरे यूज किया 1995 में एच पॉल शू ने ग्रीक बैंक ऑब्जर्वेटरी के टेलिस्कोप का यूज किया फिर 1999 में ग्रे और साइमन एलिंग्सन ने माउंट प्लेजट रेडियो ऑब्जर्वेटरी का 26 मीटर टेलिस्कोप भी यूज करके देखा लेकिन नतीजा हमेशा एक ही था बिल्कुल खामोशी क्या यह सिग्नल एक एक्सीडेंट था या एलियंस ने हमें कांटेक्ट करना चाहा और फिर रुक गए 2017 में एंटोनियो पेरेस ने
कहा कि यह सिग्नल दो ट्स 266 प और 335 प के हाइड्रोजन क्लाउड से आया हो सकता है लेकिन एस्ट्रोनोवा सिग्नल एक मिस्ट्री है जिसका जवाब आज तक साइंटिस्ट के पास नहीं है क्या यह एक एलियन सिविलाइजेशन का पैगाम था या एक नेचुरल कॉस्मिक इवेंट साइंटिफिक कम्युनिटी अब भी इस सिग्नल के ओरिजिन को समझने की कोशिश कर रही है आज वाउ सिग्नल को रिकॉर्ड हुए करीब 47 इयर्स गुजर चुके हैं लेकिन 15 अगस्त 1977 की रात के बाद यह सिग्नल दोबारा कभी किसी भी टेलीस्कोप पर रिकॉर्ड नहीं हुआ उम्मीद है जम टीवी की यह वीडियो
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