नमस्कार, मैं रवश कुमार। कांग्रेस और बीजेपी के बीच फोटो संग्राम छिड़ गया है। बीजेपी की तरफ से जारी फोटो के जवाब में कांग्रेस का भी फोटो आ गया है। दोनों फोटो को देखकर दुख होता है कि इनमें भारत के नेताओं की तुलना या उनके चेहरे का इस्तेमाल पाकिस्तान के नेताओं के साथ किया गया है। कहां तक यह मामला जाएगा कोई नहीं जानता, लेकिन लगता है कि ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी को भुनाने में सफलता मिल नहीं रही है या बताने में सफलता नहीं मिल रही है। तो अब विपक्ष को फिर से उसी खांचे में फिट किया
जा रहा है। जिस खांचे में फिट कर उसे नक्सल देशद्रोही बताया जा रहा था। थोड़ी देर के लिए लगा कि विपक्ष की वापसी हुई है। सरकार को विपक्ष दिखाई देने लगा है। लेकिन अब फिर से बीजेपी विपक्ष को देशद्रोही, मीर जाफर और गद्दार बताने में जुट गई है। तरीका वही है विपक्ष की साख गिराते रहो ताकि विपक्ष के सवालों पर जनता यकीन ना करें। इस संग्राम की जड़ में है क्या? इस वीडियो में इसकी भी पड़ताल करेंगे। 20 मई की सुबह अमित मालवीय जो बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख हैं उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट की। यही
है वो फोटो जिसमें पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर में राहुल गांधी और राहुल गांधी में असीम मुनीर की छवि दिखाने की कोशिश की गई है। राहुल गांधी और पाक सेना के प्रमुख असीम मुनीर की छवि को मिक्स किया गया है। इस तस्वीर से कांग्रेस भड़क गई और कानूनी कार्रवाई की बात करने लगी है। बीजेपी के कुछ लोगों ने अंधभक्तों की मंडली ने और दो रुपल्ली के ट्रोलों ने आज नेता विपक्ष राहुल गांधी की तस्वीर पाकिस्तान के असीम मुनीर के साथ मिलाकर चलाई। इससे राहुल गांधी की कोई तौहीन नहीं होती है। इससे आपका असली चाल चरित्र
और चेहरा सामने आ जाता है। वो चरित्र, वह चेहरा जो असल में हर बार हिंदुस्तान के खिलाफ खड़ा हुआ दिखता है। हर बार पाकिस्तान की परस्ती करते हुए दिखता है। लेकिन दोष आपके डीएनए में है। क्योंकि आपके पुरखे भी तो यही करते थे। आपके सबसे बड़े नेता सावरकर पूरा देश अंग्रेजों से लड़ रहा था। वो अंग्रेजों का साथ देते थे। आपके दूसरे बड़े आराध्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी पूरा देश भारत छोड़ो आंदोलन में जुटा हुआ था। वो मुस्लिम लीग के साथ मिलकर नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में सिंध में और बंगाल में सरकार चला रहे थे। फिर
आपके एक और बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी जी जिन्ना की मजार पर गए। श्रद्धांजलि दी और उनको धर्मनिरपेक्ष बुलाया। आपके बड़े नेता अटल जी बस की सवारी करके लाहौर गए। हाथ-वात हिलाया। उसके बाद कारगिल हो गया। उसके बावजूद परवेज मुशर्रफ को 2001 में आगरा समिट के लिए बुलाया। फिर आए आपके बड़े नेता मोदी जी। बिना बुलाए बिरयानी खाने के लिए, बर्थडे मनाने के लिए लाहौर लपके चले गए। बीजेपी को इस तस्वीर से जवाब देने की क्या जरूरत थी? जाहिर है कांग्रेस की तरफ से प्रतिक्रिया आनी ही थी। जिस तरह से बीजेपी ने राहुल गांधी और असीम
मुनीर का फोटो मिक्स कर दिया। उसी तरह से बिहार कांग्रेस ने भी नवाज शरीफ और प्रधानमंत्री मोदी का फोटो मिला दिया। इस फोटो पर लिखा है एक बिरयानी देश पर भारी। इस तस्वीर का संदर्भ प्रधानमंत्री मोदी के दिसंबर 2015 के पाकिस्तान दौरे से है। 25 दिसंबर 2015 की दोपहर अफगानिस्तान से लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "मैं लाहौर से होता हुआ नई दिल्ली जाऊंगा।" उसी दिन नवाज शरीफ का जन्मदिन भी था। तब से ही यह सवाल उठ रहा है। क्या प्रधानमंत्री मोदी ने उस दिन नवाज शरीफ के साथ बिरयानी खाई थी? क्या इस वक्त
जब मोदी सरकार विपक्षी दलों के सांसदों के साथ एनडीए के सांसदों को भेज रही है? इस लेवल पर आने की जरूरत थी? क्या कोई और तरीका नहीं था एस जयशंकर के बयानों पर कांग्रेस के सवालों का जवाब देने के लिए? क्या बीजेपी मजबूर कर रही है कि कांग्रेस इस प्रतिनिधिमंडल से अलग हो जाए? क्या इसलिए कांग्रेस की सूची से नाम ना लेकर शशि थरूर और मनीष तिवारी का नाम शामिल किया गया। शशि थरूर और मनीष तिवारी क्या अपने नेता की तुलना पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष से किए जाने पर भी इस प्रतिनिधिमंडल में जाएंगे? इसका जवाब
तो शशि थरूर, मनीष तिवारी और आनंद शर्मा ही दे सकते हैं। गजब की राजनीति चल रही है और दांव खेला गया है। जैसे राहुल गांधी को चुनौती दी जा रही है कि अगर अपने सांसदों पर कंट्रोल है तो इन्हें वापस बुला लीजिए। या बीजेपी साबित करेगी कि कांग्रेस के सांसदों पर आज भी उसी का कंट्रोल चलता है। शशि थरूर, मनीष तिवारी और आनंद शर्मा का भी बीजेपी इम्तिहान ले रही है कि तय कर लें कि उनकी पार्टी कौन सी है? उनका पुराना नेता कौन है? उनका नया नेता कौन है? तीनों कैसी एकजुटता निभाने जा रहे
हैं कि उनकी पार्टी के नेता की तुलना पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष से की जा रही है तो वे मोदी सरकार के बनाए प्रतिनिधिमंडल में भारत सरकार के नाम पर शामिल हो सकते हैं। क्या मोदी सरकार या भारत सरकार के किसी मंत्री ने इस तरह की तस्वीरों की निंदा की है? यह सवाल शशि थरूर, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी तीनों को भारत सरकार से पूछना चाहिए। शशि थरूर, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी को एक और सवाल का जवाब देना चाहिए। क्या वे इसकी कल्पना कर सकते हैं कि इस तरह की तस्वीर अगर कांग्रेस की सरकार ने बनाई होती
तो क्या बीजेपी का कोई भी सांसद अपने नेता के खिलाफ जाकर उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो जाता। क्या प्रधानमंत्री मोदी शशि थरूर की तरह बीजेपी के किसी नेता को इस तरह के स्वायत आचरण के लिए बर्दाश्त करते एक सेकंड के लिए भी अमित मालवीय ने जो तस्वीर जारी की जो कार्टून जारी किया वह सामान्य नहीं है। वह केवल आईटी सेल का नहीं माना जा सकता। आईटी सेल बीजेपी का अहम हिस्सा है। एक तरह से बीजेपी ने अपनी तरफ से ऐलान कर दिया है कि उसकी राजनीति अब किस लाइन पर होगी। अमित मालविया यही नहीं रुके
बल्कि थोड़ी देर के बाद एक और कार्टून पोस्ट करते हैं और इस कार्टून में राहुल गांधी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पीठ पर सवार दीवार पार देखने का प्रयास कर रहे हैं। कितने जहाज गिरे हैं? इस कार्टून में राहुल गांधी को नए दौर का मी जाफर बताया गया है। इन दोनों तस्वीरों के बाद कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया वैसी ही आनी थी। कांग्रेस ने भी एक कार्टून जारी कर दिया। इस कार्टून में जयशंकर फोन पर किसी से बात करते हुए कह रहे हैं जनाब सुरक्षित रहिए। पीछे से प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं जोर से बोलिए।
इशारा इसी तरफ है कि क्या एस जयशंकर पाकिस्तान में किसी से बात कर रहे हैं? ट्वीट के ऊपर सवाल करते हुए पवन खेड़ा ने लिखा है कि क्या जयशंकर आज के जयचंद हैं? पवन खेड़ा ने जो कार्टून ट्वीट किया इसके जरिए अमित मालवीय के उस फोटो का जवाब दिया गया जिसमें वे राहुल गांधी को मीर जाफर कह रहे हैं और राहुल गांधी शहबाज शरीफ की पीठ पर सवार हैं। इतना भी सब्र नहीं किया जा रहा है कि सत्ता और विपक्षी दलों के 59 सांसदों का दल 32 देशों की यात्रा पर निकलने वाला है। उससे पहले
ही फोटो संग्राम कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़ गया है। इस संग्राम का अंजाम क्या होगा? लेकिन इस संग्राम से एक सवाल निकल कर आ रहा है। जब बीजेपी को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी में जिन्ना की तस्वीर नजर आ रही है, असीम मुनीर की तस्वीर नजर आ रही है, तब फिर विपक्ष के सांसदों के साथ प्रतिनिधिमंडल भेजने का ढोंग भी बंद कर देना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता को संतुष्ट नहीं कर पा रही है और इससे पहले कि विपक्ष इन सवालों पर खुलकर आ जाए इस लड़ाई को कीचड़
की लड़ाई में बदल देना चाहती हो ताकि जनता कंफ्यूज हो जाए कौन क्या कह रहा है? इतना कीचड़ कर दो कि बात का ओरछोर पता ना चले। अब आते हैं विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान और राहुल गांधी के ट्वीट पर। राहुल गांधी ने 19 मई को ट्वीट कर दिया कि हमले से पहले पाकिस्तान को जानकारी देना अपराध है। विदेश मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। किसने उन्हें इसके लिए अधिकृत किया? इसके कारण हमारे कितने एयरक्राफ्ट को नुकसान उठाना पड़ा? राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में यह सब सवाल पूछे। हम कॉपीराइट नियमों के
कारण एस जयशंकर के बयान को नहीं दिखा सकते। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चार एजेंसियों को बुलाकर एक बयान दिया। उस बयान के बारे में पीआईबी ने फैक्ट चेक किया कि जयशंकर के बयान की भ्रामक प्रस्तुति की गई है। अंग्रेजी भाषा के जानकारों ने कहा कि जयशंकर ने कुछ गलत नहीं कहा लेकिन उनकी भाषा से जबरन एक अर्थ निकाला जा सकता है। सुनने में लग सकता है। हालांकि कहा नहीं उन्होंने। जयशंकर कह रहे हैं कि लड़ाई के पहले पाकिस्तान को सूचना दी गई। लेकिन इसका अर्थ नहीं है ना उन्होंने ऐसा कहा है। इसलिए कई लोगों
ने जयशंकर के बयान पर कुछ नहीं कहा। यहां तक उसे लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। तब उन सवालों से दूरी भी बना ली। लेकिन तब है कि इस तरह की आक्रमक राजनीति का शिकार कौन रहा है? जाहिर है राहुल गांधी। क्या इसी तरह के बयान को लेकर बीजेपी और गोदी मीडिया राहुल गांधी को व्याकरण और भाषा के संदेह का लाभ देता है। जवाब है नहीं देता। फिर भी कई लोगों ने कहा कि राहुल गांधी को इस बयान को लेकर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी लेकिन कांग्रेस पीछे नहीं हटी। 20 मई को ही सुप्रिया श्रीनेत
ने विदेश मंत्री के पाकिस्तान दौरे की पुरानी पोस्ट को ट्वीट करते हुए लिखा कि श्रीमान विदेश मंत्री आपको भले आदर सत्कार मिला हो लेकिन आपको इससे लाइसेंस नहीं मिल जाता कि पाकिस्तान को हमारी सेना की कार्रवाई की सूचना पहले ही दे दें। विदेश मंत्री जयशंकर ने 16 अक्टूबर 2024 को यह ट्वीट किया तब वे पाकिस्तान गए थे। कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवन खेड़ा ने भी जयशंकर के बयान को लेकर सवाल किया था। जयशंकर जी खुद प्रेस एजेंसीज को सामने बैठाकर और खुद बता रहे हैं कि हमने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला करने से
पहले पाकिस्तान को सूचित कर दिया था। अब ये सूचित करने का क्या मतलब होता है? इतना भरोसा है आपको आतंकियों पर कि आप सूचित कर देंगे और वह वहीं रहेंगे या वो चुपचाप बैठेंगे। यह भरोसा है आपको उन आतंकियों पे। रिश्ता क्या है आपका? कैसे आप बोल रहे हैं उनको? क्यों बताया आपने उनको? और इसको आप क्या कूटनीति कहेंगे? ये डिप्लोमेट रहे हुए हैं। आज जो देश के विदेश मंत्री हैं, यह एक राजदूत रहे हुए हैं। आईएफएस ऑफिसर रहे हुए हैं। क्या इसको कूटनीति कहते हैं? माफ़ कीजिएगा। हमारी देहातीती भाषा में इसको मुखबिरी कहते हैं।
इसको कूटनीति नहीं कहते। यह मुखबिरी है। यह अपराध है। यह गद्दारी है। और उसके बाद लीपापोती पूरी कि मैंने ऐसा नहीं। अरे आप आपने तो खैर लीपापोती भी नहीं की। आपके विभाग से एक चिट्ठी आ गई कि ये ऐसा नहीं कहा। क्या इसी मुखबिरी की वजह से अजहर मसूद जिंदा भाग गया? क्या इसी मुखबिरी की वजह से हाफिज सईद भाग गया? यह हुआ क्या? क्या देश को यह जानने का हक नहीं है कि आपने पहले ही सूचित करके अजहर मसूद को बचाया। यह वही अजहर मसूद है जिसको पहले भी बचाया गया था। कंधार में जब
IC814 को हम छुड़वाने गए थे। तब इसी अहर मसूद को हम जाकर उनको सुपुर्द करके आए थे। यह दूसरी बार बचाने की का साजिश क्यों हो रही? क्यों बचाया गया अजर मसूद को? कारण बताइए। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोरारजी देसाई के समय का एक किस्सा सुनाया। जाहिर है यह किस्सा एस जयशंकर के बयान के संदर्भ में सुनाया गया। मैं थोड़ा इतिहास में जरूर जाऊंगा। बहुत महत्वपूर्ण अध्याय है इतिहास का। मोरारजी देसाई जनसंघ, जनता पार्टी सब मिलके एक प्रधानमंत्री बनाया मोरारजी देसाई। मोरारजी देसाई ने और यह रिकॉर्डेड हिस्ट्री है। कोई हवाबाजी, WhatsApp
यूनिवर्सिटी और यह आईटी वाली ट्रोल नहीं है। रिकॉर्डेड हिस्ट्री है। मोरारजी देसाई ने फोन उठाकर जनरल जियाउल हक को कहा कि हमें रावा वालों ने बताया है काहुता में आपका न्यूक्लियर क्या तैयारी चल रही है। पूरे डिटेल रॉ के हमारे जो इंफ्रास्ट्रक्चर था पाकिस्तान में जो हमारे कैंप्स वो सारा बता दिया उनको। कुछ हफ्तों में हफ्ते भी नहीं कुछ दिनों में हमने इतने रॉ के लोग गवा दिए वहां उनको पाकिस्तान ने गायब कर दिया मार दिया क्या किया हमें नहीं मालूम और जो दशकों की मेहनत थी रॉ की वो मोरारजी देसाई के जियाउल हक को
एक फोन कॉल में खत्म कर दी इसीलिए कहता हूं मुखबिरी का इतिहास है और ये मोरारजी देसाई है जैसा देश में हमारे भारत रत्न होता है ना पाकिस्तान में निशाने पाकिस्तान होता है मोरारजी देसाई को पाकिस्तान ने निशाने पाकिस्तान से नवाजा। इसी निशाने पाकिस्तान के बारे में अमित मालवीय कह रहे हैं कि राहुल गांधी को मिलने वाला है। मगर यह तो पहले ही मोरारजी देसाई को मिल चुका है। पाकिस्तान की ओर से किसी भारतीय को पहली बार यह सम्मान दिया गया था। आगे चलकर मोरारजी देसाई को भारत रत्न भी दिया गया। जियाउल हक और मोरारजी
देसाई के प्रसंग के बारे में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के अधिकारी रहे आईपीएस ऑफिसर बी रमन ने अपनी किताब द काऊ बॉयज ऑफ रॉ में लिखा है। अपनी किताब के आठवें अध्याय में बी रमन लिखते हैं कि जियाउल हक चाहते थे कि जुल्फिकार अली भुट्टो से मुक्त होने तक भारत के साथ कोई तनाव ना हो। वो फोन पर मोरारजी देसाई से बातें किया करते थे और कोशिश में थे कि उनकी मोरारजी देसाई से दोस्ती बढ़ जाए। पाकिस्तानी सेना के कई अफसरों की तरह जियाउल हक खुशामद के मास्टर थे। वे कई बार मोरारजी देसाई से
फोन पर पारंपरिक दवाओं और मूत्र चिकित्सा के बारे में नुस्खे लिया करते थे। सवाल किया करते थे कि दिन में कितनी बार मूत्र पिया जाना चाहिए और सबसे पहले पीना चाहिए या दिन में कभी भी पी सकते हैं। बी रमन लिखते हैं कि ऐसे ही एक दिन अनजाने में मोरारजी देसाई ने बैठकर जियाउल हक को बता दिया कि उन्हें पता है कि पाकिस्तान की सेना छिप कर अपनी परमाणु क्षमताओं पर काम कर रही है। बी रमन आगे लिखते हैं कि नेताओं की ऐसी चूक भी खुफ़िया एजेंसियों की चुनौतियां काफी बढ़ा देती है। उनका रिस्क बढ़
जाता है। अब आप सोचिए अगर मोरारजी देसाई कांग्रेस के प्रधानमंत्री होते, तो गोदी मीडिया उनके इस काम को लेकर, किताब के इस हिस्से को लेकर हर दिन डिबेट करता। हर दिन मोरारजी देसाई को लेकर मीम बन रहे होते। अब राहुल गांधी ने 19 मई को एक और ट्वीट कर दिया। अपने पुराने ट्वीट को रीट्वीट करते हुए जयशंकर से उन्होंने फिर से जवाब मांग दिया। दूसरी बार जब उन्होंने ट्वीट किया तो उसमें केवल विमान के गिरने को लेकर सवाल पूछा। उन्होंने लिखा कि ऐसा नहीं कि विदेश मंत्री की चुप्पी बहुत कुछ कहती है। यह डैमिंग है।
इसलिए मैं फिर से पूछता हूं कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी होने के कारण हमने कितने विमान खोए कि कितने विमान गिरे हैं। राहुल गांधी ने आगे लिखा कि यह चूक नहीं था। यह अपराध था। देश को सच्चाई जानने का हक है। बीजेपी को यह भी रास नहीं आया कि राहुल गांधी बार-बार विमानों के गिराए जाने का सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन क्या यह सवाल केवल राहुल गांधी पूछ रहे हैं? भारतीय विमान के गिराए जाने को लेकर दुनिया भर के अखबारों में ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद ही विश्लेषण छपने लगे थे। अभी
तक छप रहे हैं। इन खबरों में रफाल कंपनी के सूत्रों की तरफ से दावे किए जाने लगे। भारत सरकार ने खुलकर राफाल का नाम लेकर कभी खंडन नहीं किया| मगर इतना जरूर कहा कि सारे पायलट वापस आ गए हैं। भारत में इसे लेकर कम चर्चा हुई और अखबारों ने भी इस पर कम ही लिखा लेकिन यह सवाल अभी भी हवा में तैर रहा है। अब फिर से लौट कर आते हैं विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर। उनके बयान को पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर दिखाया गया। इसके क्लिप को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने
ट्वीट कर दिया। मकसद यही बताना था कि पाकिस्तान में भी इसकी चर्चा हो रही है। इस पर पवन खेड़ा ने सवाल किया कि पाकिस्तान के किसी टीवी चैनल पर कांग्रेस के किसी नेता का नाम आ जाए तो प्राइम टाइम में उछल कूद होने लगती है। अब देखिए पाकिस्तान की टीवी पर एस जयशंकर का बयान चल रहा है। देखिए पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्री को मिलने वाली क्लीन चिट। क्या आज होगी इस मिलीभगत पर प्राइम टाइम में उछल कूद। पवन खेड़ा की यह बात 100% सही है। अगर राहुल गांधी का बयान पाकिस्तान के टीवी चैनलों
पर चलता तो गोदी मीडिया पर जमकर डिबेट होता। बीजेपी और आईटी सेल की यही राजनीति रही है। पाकिस्तान के चैनलों पर कुछ चल गया तो उसके खिलाफ ऐसा माहौल बनाते हैं जैसे उसके प्राण पखेरू उड़ ही जाएं। आपको याद होगा जैसे ही नेहा सिंह राठौर का गाना पाकिस्तान के चैनलों पर दिखाया गया उनके खिलाफ मुकदमा किया गया और जानलेवा माहौल बना दिया गया। अब जब बीजेपी के नेताओं के बयान एस जयशंकर के बयान पाकिस्तान के चैनलों पर चल रहे हैं तो जाहिर है विपक्ष भी इन मुद्दों को उठाएगा। गोदी मीडिया के झूठे कवरेज को जब
पाकिस्तान के चैनलों पर दिखाया जाने लगा तब पाकिस्तान के चैनलों पर क्या चल रहा है इसे लेकर घेरने की राजनीति थोड़ी ठंडी तो हुई। राजनीति जल्दी ही मैदानों में भिड़ने वाली है। कीचड़ में उतरने वाली है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से राहुल गांधी ने चुप्पी साध ली। केवल सरकार और सेना के साथ होने का बयान देते रहे। शायद उनकी यही रणनीति होगी कि इस वक्त चुप रहे ताकि बीजेपी को कुछ ना मिले। लेकिन जैसे ही उन्होंने जयशंकर के बयान को लेकर ट्वीट किया और बाद में भारत के लड़ाकू विमान गिराए जाने को लेकर सवाल किया।
लगता है बीजेपी का इंतजार पूरा हो गया। वैसे बीजेपी कब से बेचैन हुई जा रही थी उसे राहुल गांधी का इंतजार नहीं था। आपको याद होगा बीजेपी के हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया जिसमें यूपीए सरकार के समय के हमलों की याद दिलाई गई। बताया गया कि तब एक्शन नहीं होता था। अब मोदी सरकार में एक्शन होता है। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तड़ से ट्वीट किया कि तो अब राजनीति करनी है। राजनीति करने का टाइम आ गया। सरकार को विपक्ष के साथ की जरूरत नहीं। क्या अब एकजुटता का संदेश नहीं देना
सरकार और बीजेपी स्पष्ट करें। जयशंकर के बयान पर कांग्रेस का एक कदम आगे जाना और उस बयान के जवाब में बीजेपी का दो कदम बढ़कर फोटो बनाना अब इस लड़ाई को किसी और लेवल पर ले जा रहा है। राहुल गांधी को जिना असीम मुनीर की तरह दिखाने वाले अच्छी तरह जानते हैं। जनता कुछ सवालों के जवाब का इंतजार कर रही है। पहला सवाल कि पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हुआ? उसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्यों नहीं किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई? दूसरा सवाल, पहलगाम के आतंकी कब पकड़े जाएंगे? तीसरा सवाल, पाकिस्तान पर भारत ने बढ़त
बना ली थी, तो अचानक सीज फायर क्यों हुआ? चौथा सवाल, क्या सीजफायर अमेरिका के दबाव में हुआ? हो सकता है कि इन सवालों को खत्म कर देने के लिए ही फोटो संग्राम शुरू किया गया हो ताकि दोनों तरफ से इतने दावे हो जाएं कि जनता को समझ ना आए। पूछना क्या था? जवाब क्या आना था? कौन सही था? कौन गलत था?