पहलगाम हमले में जिन हाथों ने उस दिन बंदूकें चलाई थी, वो आज की डेट तक जिंदा घूम रहे। पहलगाम हमला करने जो आया था, वह पाकिस्तानी आर्मी का एसएसजी पैरा कमांडो निकला और यह चीज ऐसे पता चली। हमले के लास्ट में इन्होंने डेड बॉडीज के साथ सेल्फियां ले लेके रखी और जो वीडियो रिकॉर्ड करी थी, उसने उसके पास जाके उसको पेलेस्तीन के बारे में बोलने को कहा। और जैसे ही उसने बोला ये चीज सामने आई। इन्होंने होटल पे हमला करने का जो प्लान था इनका उसकी लोकेशन चेंज करके पहलगाम कर दी। वरना पहले जो टारगेट
था तीसरा आतंकवादी लीगल स्टूडेंट वीजा लेके अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान में तो घुसा। हमला होने से पहले पहलगाम एरिया की जो सेटेलाइट इमेज थी उनको खरीदने की जो डिमांड थी वो अचानक से डबल क्यों हो गई? यह नॉर्मल नहीं है। यह जो ओजीW थे इनको जब पकड़ के पुलिसिया अंदाज में पूछा गया तो इन्होंने लाइन बाय लाइन जैसे ही हमला हुआ यूएस की मैक्स टेक्नोलॉजी ने पाकिस्तान की कंपनी बीएसआई से पार्टनरशिप तुरंत तोड़ दी। ये कोई ऐसी ही रैंडम फायरिंग नहीं थी। तीन तरफ से ग्राउंड को चोक करके भीड़ को मैगी स्टॉल की तरफ इकट्ठा
किया गया कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि अब तुम कश्मीर में डोमिसाइल इशू करोगे। [संगीत] देखिए आगे बढ़ने से पहले बात करते हैं बढ़ती गर्मी के साथ इंडिया की बढ़ती प्रॉब्लम टेंपरेचर और पोल्यूशन। भारत की जियोग्राफिकल लोकेशन ऐसी है जहां वेदर हॉट और ह्यूमिड रहता है और ग्लोबल वार्मिंग से लास्ट 30 इयर्स में एवरेज 1 डिग्री टेंपरेचर बढ़ गया है। धूल, मिट्टी, गर्मी ये सब 12 में से 10 महीने रहने लगा है। इंडिया में 40% प्लस लोगों की स्किन ऑयली है और इसलिए डर्ट, पोल्यूशन और एक्सेस सीबम प्रोडक्शन की वजह से ऑयली स्किन में एक्ने यानी
कि मुहासे की प्रॉब्लम्स बढ़ती जा रही हैं। देखिए ऑयली स्किन में जो सबबेशियस ग्लैंड्स होते हैं वो ज्यादा सीबम बनाते हैं। और जब ये सीवम गंदगी और डेड स्किन के साथ मिलता है तो पोर्स ब्लॉक हो जाते हैं और वही बनाता है पिंपल्स। तो इसके लिए आज मैं आपको बताना चाहूंगा डर्मा टच के सेलिसिलिक 2% फेस वॉश के बारे में। इसमें है बीएचए जो ऑयल कंट्रोल करके एक्ने को ठीक करता है और जिंक पीसीएफ जो स्किन को हाइड्रेटेड रखता है। छ से आठ वीक्स में आपको रिजल्ट्स दिखने शुरू हो जाते हैं। पावरफुल एक्टिव से बना
ये फेस वॉश फ्रेगेंस फ्री है और सभी स्किन टाइप्स के लिए सूटेबल है। तो यह सेंसिटिव स्किन को भी वेल सूटेड है। डॉक्टर रिकमेंडेड इंडियन फार्मेसी ब्रांड dermaच बनाता है सॉलिड प्रोडक्ट्स। 4 प्लस रेटेड इस फेस वॉश का स्टार्टिंग प्राइस है सिर्फ ₹149। यह अवेलेबल है इनकी वेबसाइट dermach.com और amazon, Flipkart, blink जैसे सभी प्लेटफार्म पे और आपके नियरेस्ट फार्मेसी स्टोर पे भी। तो टॉपिक पे वापस आते हैं। देखिए यह है जम्मू एंड कश्मीर और जम्मू एंड कश्मीर के अंदर जो अनंतनाग डिस्ट्रिक्ट है इसके अंदर पड़ता है पहलगाम। और पहलगाम से जब आप 5 कि.मी.
ऊपर चढ़ाई करते हो, तो यह यहां पे 800 मीटर लंबा एक मैदान है बायसर जिसको इंडिया का मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहते हैं। और यही वो जगह है जहां 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने एक प्लंड तरीके से हमला किया और यह जो इंसिडेंट हुआ है, यह ऐसा ही नहीं है कि एक आतंकवादी आया और ऐसे ही बस बंदूक उठाई और गोली चला दी। इस समय बहुत बड़ी प्लानिंग की गई है जिसमें मल्टीपल ग्रुप्स ने वेल कोऑर्डिनेटेड स्ट्रेटजीस और अल्ट्रासेट्स जैसी टेक्नोलॉजीस का यूज करके हमला किया है। अब ये हमला कैसे किया गया? प्लानिंग कैसे हुई? कहां
पे हुई? पाकिस्तान में हुई तो उसके मल्टीपल प्रूफ्स क्या निकल के आए? एक-एक चीज मैं इस वीडियो में आपको बताऊंगा और ये सारी चीजें समझने के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा। तो देखिए ये जो अभी मैंने आपको बायसरन एरिया दिखाया था। इसके इस तरफ एक गांव है जिसका नाम है गुर। यह गांव ऑफिशियली अनंतनाग डिस्ट्रिक्ट के बिजहारा ब्लॉक में पड़ता है और इसी गांव के एक घर में पैदा होता है आदिल हुसैन ठोकर जो कि पहलगाम अटैक का पहला आतंकवादी है। अभी थोड़े दिन पहले ही इसके घर को तो से उड़ा दिया लेकिन
ईयर 1992 में जब यह पैदा हुआ था तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये आगे चलके पहलगाम जैसा हमला करेगा जिसकी वजह से दो देशों के बीच में वॉर जैसी सिचुएशन आ जाती है। [संगीत] नेटवर्क सक्सेसफुल सिक्योरिटी। अब आदिल जब यहां पे बड़ा हो रहा था तो इसने पहले शाह हमदान पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया। फिर गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बीच बेहारा से 12th क्लास की और ईयर 2018 आते-आते अनंतनाग में जो रहमत आलम कॉलेज है वहां से अपना एमए कंप्लीट करके टीचिंग करने लगा। तो ईयर 2018 तक जब तक ये
कॉलेज में था तब तक किसी भी एंटी इंडिया एक्टिविटी में इसका नाम नहीं आया था। लेकिन बस एक चीज थी उस टाइम पे जो सबने नोटिस की थी कि उस एरिया में जब भी कोई आतंकवादी मारा जाता था तो उसके जनाजे में जरूर जाता था यह। बाकी किसी और एक्टिविटी में इसका नाम उससे पहले सुनाई में नहीं आया था। लेकिन अप्रैल 2018 में इसने अपना असली गेम स्टार्ट किया। 29th ऑफ अप्रैल 2018 को यह आदिल ठोकर जो था ये क्या करता है? अपने घर वालों से बोलता है कि उसका एक एग्जाम है तो उसके लिए
इसको कश्मीर के बटगांव जाना पड़ेगा और वहां एग्जाम देके वापस घर आ जाएगा और घर वाले भी इसकी बात मान के इसको भेज देते हैं लेकिन दो से तीन दिन निकल जाते हैं लेकिन आदिल अपने घर वापस नहीं आता बल्कि गायब हो जाता है और घर वाले बैक टू बैक फोन भी मिलाते हैं इसको लेकिन इससे बात नहीं होती है और फिर थक हार के सेकंड ऑफ मई 2018 को आदिल ठोकर की जो मदर थी शहजादा बानो वो पुलिस स्टेशन में जाके मिसिंग कंप्लेंट रजिस्टर करा देती है। अब इधर मिसिंग रिपोर्ट तो रजिस्टर हुई लेकिन
एक्चुअल में आदिल ने पहले से ही पूरी प्लानिंग कर रखी थी। इसने बिना किसी को बताए सेम मंथ यानी कि अप्रैल 2018 को पाकिस्तान में एक एप्लीकेशन लगा के स्टूडेंट वीजा के लिए अप्लाई कर दिया था हायर स्टडीज के लिए। और बहुत ही कम टाइम में यानी कि सेम मंथ में पाकिस्तान अथॉरिटी जो है वह आदिल ठोकर को स्टूडेंट वीजा ग्रांट भी कर देती है। और इसी वीजा के बेसिस पे आदिल घर में एग्जाम का बहाना बना के अटारी वाघा बॉर्डर के रास्ते वैलिड पासपोर्ट और वैलिड स्टूडेंट वीजा के थ्रू मई 2018 में पाकिस्तान पहुंच
जाता है। ये उसकी पिक है उस टाइम की। अब ये पाकिस्तान पहुंच तो गया था लेकिन इसको पाकिस्तान जाके पढ़ाई नहीं करनी थी। पाकिस्तान पहुंचने के बाद सबसे पहले अपना फोन बंद करता है। अपनी फैमिली और अपनी कश्मीर के आसपास के जो लोग थे उनसे पूरी तरीके से कांटेक्ट खत्म कर देता है। और सेम डे लश्कर तबा की लीडरशिप से मिलता है। लश्कर तबा ये वही मिलिटेंट ऑर्गेनाइजेशन है जिसने मुंबई, पार्लियामेंट अटैक ये सब करवाए हैं। अब पाकिस्तान पहुंचने के बाद मुजफराबाद के सवाई नाला में एलईडी का कैंप है जो कि एलओसी से 30 कि.मी.
अंदर पड़ता है पीओके में। यहां पे इसकी ट्रेनिंग स्टार्ट होती है। दौरा ए सूफा, दौरा ए आम, दौरा एखास ये सारी इसकी ट्रेनिंग स्टार्ट होती है। अभी जो ऑपरेशन सिंदूर में नौ स्ट्राइक्स की गई थी उसमें से सबसे पहली स्ट्राइक यहीं की गई थी। अब इधर आदिल की ट्रेनिंग अपनी चलती रहती है। इसको रेडी किया जाता है आगे चलके हमले करने के लिए। दूसरी तरफ जब ये आया था उसके नेक्स्ट मंथ यानी के 28th ऑफ जून 2018 को पाकिस्तान के लिए एक दिक्कत खड़ी हो जाती है। एफएटीएफ फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर। यह एक इंटरनेशनल बॉडी
है जो दुनिया के अंदर टेरर फंडिंग की मॉनिटरिंग वगैरह करती है। तो एफएटीएफ ने पाकिस्तान की एक्टिविटीज को देखते हुए उसे अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया। ब्लैक लिस्ट करने से पहले ग्रे लिस्ट में डाला जाता है। एक मौका दिया जाता है सुधरने का। अब ये बहुत बड़ी दिक्कत थी पाकिस्तान के लिए क्योंकि इसकी वजह से आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक से जो लोन वगैरह मिलते हैं पाकिस्तान को वो सब रुक जाते। इससे पाकिस्तान के लिए एक सर्वाइवल का भी इशू खड़ा हो जाता। तो ग्रे लिस्ट में डालने के बाद एफ एटीएफ ने पाकिस्तान को गाइडलाइंस दी
कि यह जो आपकी कंट्री में लशकर तबा जैसी ऑर्गेनाइजेशन चल रही हैं, इनकी फंडिंग आप रोको इन पे एक्शन लो। तो एफएटीएफ की गाइडलाइंस और दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने छोटे-मोटे एक्शन लिए। इन्होंने रिपोर्ट सबमिट करना स्टार्ट करी कि इन्होंने फंडिंग रोक दी है और इनके लीडर्स जो हैं एलईटी वगैरह के इनको भी जेल में डाल के दिखाया। अब इसके कुछ महीने बाद 14th ऑफ फरवरी 2019 को इंडिया के अंदर पुलवामा किया जाता है। इंडिया के अंदर हर कोई बहुत गुस्से में था और इस हमले के तुरंत बाद इंडिया ने जितने भी प्रूफ
थे जैसे उमर जिसने हमला किया था उसके अकाउंट में कैसे 10.43 लाख पाकिस्तान से डाले गए। ये सारे प्रूफ इकट्ठा करके एक डोज़ियर बनाया गया और एफएटीएफ मेंबर कंट्रीज जो थी जैसे यूएस, फ्रांस, यूके इनको भेजा। 17 से 22 फरवरी तक एफ एटीएफ की पेरिस के अंदर मीटिंग होती है और पाकिस्तान को फाइनल वार्निंग दी जाती है कि अब अगर ऐसा कुछ हुआ तो ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। तो अब इस चीज के बाद पाकिस्तान के अंदर लश्कर तैबा जैश-ए-मोहम्मद इनकी जो एक्टिविटी थी वो स्लो हो गई और पाकिस्तान में भी शांति हुई और फिर
इसके 5 महीने बाद फिफ्थ ऑफ अगस्त 2019 को इंडिया ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया। इनमें पॉलिसी आर्टिकल 370 स्टैंड्स जम्मू एंड कश्मीर स्पेशल स्टेटस डिसेंटल अ न्यू एरा ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशनल यूनिफिटी एंड फेडरल अब ये चीज होने के बाद पाकिस्तान जो था वो चारों तरफ से फंस गया था। इधर आर्टिकल 370 हट चुका था। मिलिट्री एक्शन पाकिस्तान ले नहीं सकता था। लश्कर तबा जैश-ए-मोहम्मद ये जितनी भी प्रॉक्सी थी इनकी एफटीएफ की नजर पड़ी थी उन पे। तो इस चीज से निपटने के लिए पाकिस्तान के मुरीद के में जहां एलईटी का हेड क्वार्टर है वहां पर
मल्टीपल मीटिंग्स होती हैं। इसका सॉल्यूशन निकाला जाता है और फिर इसके कुछ टाइम बाद एक नया प्लान बनाया जाता है ताकि कश्मीर के अंदर जो लड़ाई है उसको कंटिन्यू किया जा सके। पाकिस्तान एक नए नाम से आतंकवादी आउटफिट बनाता है। द रेजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ। प्लान इसमें यह था कि अपना नाम बदलो, चेहरा बदलो और काम सारा का सारा वही पुराना रखो। जैसे नॉर्मली आपने देखा होगा कि कोई कंपनी जिसका किसी फ्रॉड के चक्कर में बहुत ज्यादा नाम खराब हो जाता है तो वह नए नाम से कंपनी खोल के सेम काम करने लगती है। तो ठीक
वैसा ही यहां पे भी किया गया है। तो अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटता है और 2 महीने बाद यानी के अक्टूबर 2019 में द रेजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ को सेटअप कर दिया जाता है और यही टीआरएफ आगे चलके पहलगाम के हमले को अंजाम देती है। ये जो टीआरएफ थी इसको ऐसे बनाया गया था कि एक क्लीन लोकल कश्मीरी ग्रुप का इल्लुजन दे। दुनिया भर से ये लोग बचे रहे जिसमें पाकिस्तान का नाम दूर-दूर तक ना आए और इस टीआरएफ के अंदर जो पूरा सिस्टम था जो ऑपरेशन था उसको चलाने की जिम्मेदारी वही पुराने आतंकवादी जो
लश्कर तबा जैश मोहम्मद वाले थे उन्हीं के हाथ में थी बस नाम बदला गया था टीआरएफ बनने के बाद हायरिंग एक बहुत बड़ा इशू था तो इसके लिए इन्होंने इनिशियल फज़ में तहरीक मिल्लत इस्लामिया गजनवी हिंद हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर तबा के कुछ लोगों को मिला के इन्होंने हायरिंग स्टार्ट करी और ये जितनी भी हायरिंग की गई इन सारी हायरिंग में से एक हायरिंग बहुत ही इंपॉर्टेंट है। उसका नाम आप याद रखिएगा क्योंकि पहलगाम हमले का एक्चुअल मास्टरमाइंड यही है। इसका नाम है हासिम मूसा। यह हासिम मूसा जो है यह पाकिस्तान आर्मी का एक एसएसजी
पैरा कमांडो है। तो पाकिस्तान आर्मी जो थी वो इसकी सर्विस जो थी वो टर्मिनेट करके इसको लोन पे लश्कर तबा को दिया था। लोन पे एलईटी को दे दिया। इसका मतलब यह है कि अब यह एलईटी के जितने ऑपरेशंस होंगे उनको एग्जीक्यूट करेगा। और देखिए, यह कोई भी कॉन्स्परेसी थ्योरी नहीं है। एनआईए की जो इनिशियल इन्वेस्टिगेशन हुई है, उसमें साफ यह चीज सामने आई है। जितने ओजीW के बयान आए हैं। इंडिया टुडे टाइम्स ऑफ इंडिया, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस डे वन से इस चीज को कवर कर रही हैं। और इसमें जो कह रहा है कि
एनआईए तो इंडिया की है, यह न्यूज़ एजेंसीज भी इंडिया की है। तो देखिए क्राइम इंडिया के अंदर हुआ है। इन्वेस्टिगेशन इंडिया के अंदर चल रही है। तो टोक्यो से रिपोर्ट नहीं आएगी। और ये जो सारी चीजें मैं बता रहे हैं छुपती नहीं है। पुराने भी जितने हमले हुए हैं चाहे पुलवामा हो, 2611 हो, कसाब जो पकड़ा गया जो भी प्रूफ आए एनआईए ने इनिशियल स्टेज में जो भी बोला गया आगे चलके वो सारी चीजें प्रूव हुई और इंटरनेशनल कम्युनिटी ने भी उन प्रूफ्स को माना। और देखिए इससे पहले मैं आगे पहलगाम का जो हमला हुआ
उसकी प्लानिंग कैसे हुई? ये लोग घुसे कैसे? कोऑर्डिनेशन कैसे किया? उसके बारे में बताऊं। उससे पहले यह चीज समझनी बहुत जरूरी है कि सिर्फ इंडिया इकलौता देश ऐसा नहीं है कि जो पाकिस्तान के बारे में ये सब चीजें बोलता है। इंडिया के बाहर की ऐसी ऑर्गेनाइजेशन जिनकी रिपोर्ट्स को पूरी दुनिया के लोग मानते हैं। यूनाइटेड नेशन, इंटरनेशनल वॉश डॉग्स, इंडिपेंडेंट इंटेलिजेंस फर्म सब ये चीज कह चुके हैं अपनी रिपोर्ट में कि पाकिस्तान ने टेरर आउटफिट का यूज़ करके कश्मीर जैसे एरिया में एक प्रॉक्सी बैटल फील्ड बनाया है। और सबसे डेंजरस पार्ट इस चीज में ये
रहता है कि पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई जो है इसे आतंकवाद नहीं समझती है। बल्कि एक कैलकुलेटेड मिलिट्री डॉक्ट्रिन मानती है। जैसे अफगानिस्तान में यूएस की सीआईए ने लोकल मुजाहदीन के थ्रू प्रॉक्सी वॉर लड़ के सोवियत यूनियन को बाहर कर दिया था। तो यह मानते हैं कि सेम ऐसे ही बिना वॉर लड़े इंडिया से कश्मीर ले लेंगे। यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशिया स्टडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान आर्मी और इनकी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई इनका एक अनहोली अलायंस है टेरर ग्रुप्स के साथ। इन्होंने $25 से 250 मिलियन आतंकवादी ग्रुप्स को दिए हैं। कुछ उनकी
सैलरीज़ की फॉर्म में ट्रेनिंग, ऑपरेशनल कॉस्ट जितनी भी लगती है उसके लिए दिए हैं। इस पूरी रिपोर्ट का लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में लगा रखा है। इसके अलावा यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा कि पाकिस्तान का आईएसआई अभी भी आतंकवादी ग्रुप को शेल्टर दे रहा है जो इंडिया पे फोकस कर रहे हैं। कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस सीआरएस। इसकी रिपोर्ट नंबर R41832 में ऑन रिकॉर्ड बोला गया कि पाकिस्तान की आईएसआई एंटी इंडिया मिलेंट ऑर्गेनाइजेशन के साथ लिंक्ड है और लश्कर तबा जैसी ऑर्गेनाइजेशन को सीक्रेटली फाइनेंसियल असिस्टेंस ट्रेनिंग और स्ट्रेटेजिक गाइडेंस दे रही हैं। ये रिपोर्ट भी मैंने डिस्क्रिप्शन में
लगा रखी है। पेज नंबर 23 से 24 के आगे आप पढ़ोगे जब तो आपको पता चलेगा कैसे कसीदे पढ़े गए हैं पाकिस्तान के लिए। अमेरिका की पार्लियामेंट यूएस कांग्रेस में जो सीआरएस रिपोर्ट पब्लिश हुई थी, उसमें भी कहा गया कि पाकिस्तान के अंदर 15 आतंकवादी ग्रुप हैं। जिनको पांच कैटेगरीज़ में डिवाइड किया गया है। जिसमें से एक ग्रुप का डेडिकेटेड टास्क है कश्मीर के अंदर आतंकवाद फैलाना। ये सारे उनके नाम है और इसका भी लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा। ये सारी रिपोर्ट्स इंडिया के बाहर की है और अगर इनको भी आप नहीं मानो तो
पाकिस्तान के फॉर्मर प्रेसिडेंट मुशर्रफ ने सीएन के इंटरव्यू में एक्सेप्ट किया कि हां हम ट्रेनिंग देते हैं को कश्मीर में लड़ने के लिए। ये हमारे हीरो हैं। पाकिस्तान में फिर उनको हीरो रिसेप्शन दी गई। पाकिस्तान के फॉर्मर पीएम नवाज शरीफ ने डॉन को इंटरव्यू देते हुए एक्सेप्ट किया कि नॉन स्टेट एक्टर्स जैसे लश्कर तबा ने पाकिस्तान की जमीन का यूज करके मुंबई में अटैक किया। बाकी ये फेमस फोटोग्राफ आपने हाल फिलहाल में जरूर देखी होगी। यूएन के डेजिग्नेटेड आतंकवादी हाफिज अब्दुल रौफ के साथ ये सारी पाकिस्तान की लीडरशिप खड़ी है। और ये मैं शॉर्ट में
बता रहा हूं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस पेंटागन एफएडीएफ की कितनी सारी रिपोर्ट है। पूरी रात निकल जाएगी और सिर्फ और सिर्फ उन रिपोर्ट्स में पाकिस्तान और उनके आतंकवादियों से क्या कनेक्शन रहे हैं सिर्फ उसके बारे में बता गया है और ये सब इंडिया के बाहर की रिपोर्ट है। तो आगे मैं जो भी स्टोरी बता रहा हूं आपको उसको सिर्फ आप यह कह के नहीं रिजेक्ट कर सकते कि अरे ये तो इंडिया का यूट्यूबर है। इंडिया की रिपोर्ट्स हैं। इंडिया की एनआईए है। ये सारी चीजें कह के आप पाकिस्तान का जो लिंक है आतंकवाद से वो
हटा नहीं सकते। चलिए वापिस अपनी स्टोरी पे आते हैं। तो देखिए अभी तक पाकिस्तान आर्मी का जो पैरा कमांडो था हाशिम मूसा वो आर्मी छोड़ के एलईटी के जो ऑपरेटिव्स थे उनके साथ काम करने लगा था। आदिल ठोकर जो कश्मीर से पाकिस्तान पहुंच गया था वो वहां पे उसकी ट्रेनिंग चल रही थी। यानी कि पहलगाम हमले वाले दिन जो दो आतंकवादी थे वो पाकिस्तान के अंदर अपना काम कर रहे थे। और तीसरी चीज टीआरएफ इसका फॉर्मेशन हो चुका था। और टीआरएफ के फॉर्मेशन के बाद दूसरी चीज जो इनको करनी थी इनको टीआरएफ के हेड बनाने
थे और हेड ऐसे बनाने थे जिनके ऊपर इनको लंबे टाइम से ट्रस्ट हो स्किलफुल हो और कश्मीर के लोकल हो ताकि इनका जो नैरेटिव है वॉर का वो उसी तरीके से एग्जीक्यूट हो और लोकल हेड होने से लोकल हायरिंग और उस एरिया की नॉलेज उसको अच्छी होती है तो उसका बहुत बड़ा एडवांटेज होता है। तो इसके लिए ये लोग सेलेक्ट करते हैं कश्मीर के कुलगाम जिले के रामपुरा के कैमा गांव का रहने वाला मोहम्मद अब्बास शेख। यह बहुत ही पुराना और ट्रस्टी आतंकवादी था एलईटी का। यह 1996 से ही एलईटी के साथ आतंकवाद फैलाने में
जुड़ा हुआ था। तो इसी वजह से मोहम्मद अब्बास शेख जो था उसको हेड बनाया गया टीआरएफ का। इसको टीआरएफ का फाउंडर भी कहते हैं। लेकिन एक्चुअल में जो टीआरएफ के फाउंडर थे वो पाकिस्तान में बैठे हुए थे। टीआरएफ के हेड मोहम्मद अब्बास शेख के साथ एक और एलईटी का ट्रस्टी आदमी रहता था जिसका नाम था शेख सज्जाद गुल। पहलगाम हमले की जो प्लानिंग हुई थी, जो लोकेशन सेट की गई थी, जो होटल से पहलगाम शिफ्ट की गई थी, सारी प्लानिंग इसी ने की थी। अभी आएगा आगे। यह कश्मीर में श्रीनगर के नवा बाजार में रहता
था। इसने एमबीए कर रखा था और पहले भी दिल्ली में एक बार यह आईटी एक्स के साथ पकड़ा गया था। कई हमले में इन्वॉल्व था। इसका भाई भी महाराजा हर सिंह हॉस्पिटल में पहले डॉक्टर था। अभी आजकल गल्फ कंट्रीज में फंडिंग संभालता है। तो ये सारी चीजें करने के बाद अब यहां से मोहम्मद अब्बास शेख और शेख सज्जाद गुल कश्मीर में टीआरएफ का पूरा नेटवर्क संभालते हैं। और फिर इसके बाद कश्मीर के अंदर जो टीआरएफ के ओजीडब्ल्यू नेटवर्क की जो जिम्मेदारी थी वो फारूक अहमद को दी गई। फारुख अहमद जो था यह बहुत ही इंपॉर्टेंट
आदमी था। यह 2016 तक तो कश्मीर के नारीकोट गांव कालारूस ब्लॉक कुपवाड़ा डिस्ट्रिक्ट में था। लेकिन 2016 के बाद से यह पीओके के मुजफ्फराबाद में रह के कश्मीर का जो ओजीW नेटवर्क था उसको संभालता था। और एलओसी पार करा के कश्मीर के अंदर जो आतंकवादी पहुंचाए जाते थे वो भी यही फारूकी करवाता था। इनफैक्ट पहलगाम हमला जो होता उस टाइम पे भी जितने आतंकवादी आए थे पाकिस्तान से सारे के सारे एलओसी इसी ने क्रॉस करवाए थे। और जितने ओजीW इनवॉल्व थे पहलगाम हमले में जो प्लानिंग से पहले जा के रेकी कर रहे थे सब के
सब इसके साथ कांटेक्ट में थे। देखिए ओजीडब्ल्यू मैंने पुरानी वीडियो में बता रखा है। एक बार फिर से बता देता हूं। ओजीडब्ल्यू ओवर ग्राउंड वर्कर। कश्मीर में जो लोग इंडिया से नफरत करते हैं लेकिन हथियार उठा के अपनी जान दाव पे नहीं लगाना चाहते हैं वो ओजीW बन जाते हैं। ये आराम से आम जनता की तरह अपना घर चलाते हैं। कोई ऑटो चलाता है, कोई दुकान संभालता है। लेकिन जो आतंकवादी होते हैं उनको ये हेल्प करते हैं। उनको खाना, शेल्टर, आर्मी की इंफॉर्मेशन देना, एरिया की डिटेल्स शेयर करना ये सारे काम करते हैं। ओजीW कश्मीर
में बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं। ओजीडब्ल्यू के बिना यह जितनी आतंकवादी ऑर्गेनाइजेशन है, एलईटी हो गई, जैश-ए-मोहम्मद हो गई। इनका पूरा काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है कश्मीर के अंदर। अब इसके बाद जब यह सारी चीजें सेटअप हो जाती हैं तो कश्मीर के अंदर फारुख अहमद पाकिस्तान से आतंकवादियों को एलओसी क्रॉस करा के घुसाना चालू करता है कश्मीर के अंदर। ताकि हमला किया जा सके। एलओसी से जितने भी आतंकवादी घुस रहे थे वो सांबा, कटुआ, रजौरी और पुंज वाला जो एरिया था वहां से घुस रहे थे। और इनका एक सेट पैटर्न रहता
था। कश्मीर के बॉर्डर पे घुसने के बाद ओजीW इनको रिसीव करते थे। इनकी हेल्प करते थे और फिर यह बॉर्डर पे आने के बाद डायरेक्ट जम्मू वाला रूट पकड़ के अनंतनाग पहुंचने की बजाय यह जो यहां से आप किस्तवार वाला एरिया जो देख रहे हो यहां वाले रूट से पहुंचते थे क्योंकि यहां पे बहुत ज्यादा घने जंगल हैं, नेचुरल केव्स हैं। एवरेज एलिवेशन जो है सी लेवल से 2000 मीटर से भी ऊपर है। तो भागने में बहुत आसानी होती है। यहां पे पकड़ना इनको बहुत मुश्किल होता है। 22 अप्रैल 2025 जिस दिन ये अटैक हुआ
था। आज की डेट तक इस्तवार वाला जो इलाका है हमारी फोर्सेस इनको ढूंढ-ढूंढ के मार रही हैं। अभी भी लड़ाई चल रही है इस एरिया में। तो देखिए ईयर 2022 आते-आते इन्होंने अपना पूरा नेटवर्क इस्टैब्लिश कर लिया था कश्मीर के अंदर। टीआरएफ ने अपने आतंकवाद के मॉडल की रिब्रांडिंग करी। ऑनलाइन पोर्टल्स बनाए। टेलीग्राम सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा यूज किया इन्होंने। एक टीj आरएफ नाम से टेलीग्राम चैनल भी बनाया जिसमें प्रोपेगेंडा वाली वीडियोस वगैरह शेयर करके कश्मीरियों को ज्वाइन कराते थे। और फिर इसी बीच इन्होंने कश्मीर के अंदर हमले करना स्टार्ट किया। नॉन लोकल जो
थे उनको टारगेट करना स्टार्ट किया। लाल चौक से 100 मीटर पे हर सिंह हाई स्ट्रीट मार्केट एरिया में मारा इन्होंने। टीआरएफ का ये पहला अटैक था कश्मीर के अंदर। इसके बाद इन्होंने अजय पंडिता जी इनको मारा, आकाश मेहरा को मारा। इंडिया के कोने-कोने से जो लेबर्स आए थे उन पे हमले किए। बेसिकली इनका मॉडल कुछ इस तरीके से आप समझ लीजिए कि एक कॉन्ट्रैक्ट किलर की तरह ये काम कर रहे थे। जितने भी नॉन लोकल थे उनको ये जा के मार रहे थे। लेकिन असली झटका जो इनको लगा था वो 23 अगस्त को लगा था।
क्योंकि इस दिन श्रीनगर के अलोची बाग में टीआरएफ का हेड मोहम्मद अब्बास शेख जिसको फाउंडर भी कहा जाता है टीआरएफ का। ये लोकल लोगों के साथ क्रिकेट मैच खेल रहा था। वहीं पे जम्मू एंड कश्मीर की पुलिस को पता चल जाता है और इन्होंने वहीं पे पहुंच के इसको मार दिया। जिस दिन यह मारा सेम वीक में जो टीआरएफ का सेकंड हैंड कमांड था जो मैंने बताया भी था आपको शेख सज्जाद गुल इसको हेड बना दिया जाता है। इधर टीआरएफ का हेड मारा जाता है। दूसरी तरफ कश्मीर की सिचुएशन भी बहुत तेजी से बदल रही
थी। जैसे 2018 जो स्टोन पल्टिंग होती थी वो 1458 केसेस आए थे। वहीं 2020 में ये 255 रह गए थे और फिर आगे चलके और कम हुए। आगे 2023 और 204 में तो ऑफिशियल डाटा जीरो हो गया था स्टोन पल्टिंग का। 2018 में जो 228 आतंकवादियों के केस रजिस्टर्ड हुए थे। वहीं 2023 की बात करें तो टीआरएफ 44 हमले ही कर पाया था। 2018 में जहां 8.5 लाख टूरिस्ट आए थे। यह नंबर बढ़ के 2023 में 31 लाख हो गया था और उसके नेक्स्ट ईयर तो 43 लाख टूरिस्ट आए थे। 2019 में जहां 296.64 करोड़
की इन्वेस्टमेंट हुई थी। वहीं 2022 में 153 करोड़ की इन्वेस्टमेंट हुई कश्मीर के अंदर। बहुत पैसा इंजेक्ट किया जा रहा था। और डोमिसाइल लॉ जो थे वो भी आ चुके थे। जिसकी वजह से कश्मीर के बाहर के लोग भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनवा सकते थे। और मेन जो टारगेट था टीआरएफ का वो यही था कि ये जो ट्रेड बढ़ रहा है टूरिस्ट बढ़ने से जो कश्मीरों के हाथ में पैसे आ रहे हैं इसको रोका जाए अटैक करके। इसको लेके इन्होंने कुछ नॉन लोकल्स और जिन लोगों को डोमिसाइल इशू किए गए थे उन पे हमले किए लेकिन
टूरिस्ट का नंबर कम नहीं हो रहा था। होटल्स फुल थे। पोनी राइडर्स जो थे ऑटो वाले हर कोई बिजी था। YouTube पे भी एक बार आप लोकल कश्मीरी जो थे उनके इंटरव्यू वगैरह जरूर सुनिएगा जिसमें वो खुलेआम बता रहे हैं कि इतना काम था कि एक दिन का भी आराम नहीं था। बहुत पैसा आ रहा था और बहुत टूरिस्ट भी आ रहे थे। तो जो कश्मीर में इतनी तेजी से चीजें चेंज हो रही थी तो इससे निपटने के लिए अब यहां से असली गेम शुरू होता है। सितंबर 2023 को हाशिम मूसा इसके बारे में मैंने
आपको बताया था कि इनिशियली इन्वेस्टिगेशन में ही आ गया था कि ये पाकिस्तान आर्मी का एसएसजी पैरा कमांडो था। तो मूसा और मूसा के साथ अली भाई अली भाई के बारे में ज्यादा डिटेल्स आई नहीं है। ये इसके बारे में नहीं पता है कि ये पैरा कमांडो में था या नहीं था। लेकिन ये अली भाई और मूसा जो थे ये दोनों पाकिस्तानी सिटीजन थे। तो सितेंंबर 2023 को दोनों कथुआ और सामा सेक्टर के रूट से कश्मीर में इनको घुसाया जाता है। कश्मीर में पहुंचने के बाद ओजीW की हेल्प से ये खारी माहौर बसंतगढ़ यहां पे
सेफ हाउस में रहते हैं। यह मूसा जो था इसकी कॉम्बैट ट्रेनिंग बहुत ही अच्छी कराई गई थी। यह कई-कई दिनों तक बर्फ में जंगल में रह के निकाल सकता था। तो प्लान यह था कि अब जो भी आगे कश्मीर में हमले होंगे उसको मूसा ही लीड करेगा अली भाई के साथ मिलके और फारुख के जो 15 से 20 ओजीW थे यह उसकी मदद करेंगे। तो कहने का मतलब यह है कि आगे चलके जो पहलगाम हमला होने वाला था उसके मेन दो आतंकवादी कश्मीर में सितंबर 2023 में पहुंच चुके थे। कश्मीर में पहुंचने के बाद यह
अपने छोटे-मोटे ऑपरेशन एग्जीक्यूट करते हैं। और फिर अक्टूबर 2024 को पहलगाम हमले में जो तीसरा आतंकवादी था जिसने बंदूके चलाई थी। आदिल ठोकर जो शुरू में मैंने बताया था कि स्टूडेंट वीजा लेके पाकिस्तान गया था। ये भी अपनी ट्रेनिंग पूरी करके कश्मीर के अंदर जो पुंज रजौरी वाला एरिया था इस सेक्टर से घुस जाता है। एक एहसान करके और आतंकवादी था जो सेम टाइम में कश्मीर में आया था। लेकिन उसके भी कोई कंफर्म रिपोर्ट नहीं आई है कि यह वही एहसान है जो पहलगाम के हमले वाले दिन था। अब कश्मीर में पहुंचने के बाद यह
लोग कुछ टाइम तक नॉन लोकल्स पे हमले करते हैं। स्पेशली जो लेबर्स जो थे जो इंफ्रा और डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट में इन्वॉल्व थे। जैसे गगनगिर में जी मोर टनल प्रोजेक्ट पे छह लेबर और एक डॉक्टर को मारा इन्होंने। फिर डेरा की गली डीके जे में हमले किए। तो इस तरीके से हर थोड़े टाइम पे ये लोग वहीं से बैठ के अटैक कर रहे थे कश्मीर के अंदर। अब इसके 2 महीने बाद यानी कि दिसंबर 2024 में यानी कि पहलगाम हमला होने से 3-4 महीने पहले की बात है। इस टाइम पे श्रीनगर के डचिगम में इनके
साथ एक आतंकवादी था जुनैद अहमद भट्ट। इसको फोर्सेस घेर के एक ऑपरेशन में मार देती हैं। और मरने के बाद इसकी बॉडी वगैरह चेक होती है तो इसके पास से एक मोबाइल मिलता है। जिसमें से इसके पाकिस्तान के कनेक्शन जो इंस्ट्रक्शंस वगैरह आ रहे थे, इंक्रिप्टेड मैसेजेस वगैरह आ रहे थे वो सब पकड़े जाते हैं और इसके मोबाइल से एक इमेज मिलती है। अभी रिसेंटली भी आपने ये इमेज देखी होगी। पहलगाम हमले के बाद यह इमेज बहुत ज्यादा वायरल हुई थी। यह इमेज दिसंबर 2024 में जुनैद के मोबाइल से मिली थी। लेकिन उस टाइम पे
फर्सेस पहचान नहीं पाई थी कि इसमें मूसा भी है। लेकिन जब पहलगाम हमला हुआ और बाद में जब टूरिस्ट ने डिस्क्रिप्शन वगैरह दिए हमले के बाद और स्केच बने तब ये फोटो निकल के आई और ओजीW जो थे जो पकड़े गए तो उनकी इंफॉर्मेशन के थ्रू तब उसमें पता चला कि ये जो फोटो है इसके राइट में जो है ये मूसा है और इसके बगल में जो आप देख रहे हो ये जुनैद है जिसको मारा गया। अब देखिए इसके बाद जब ये सारे लोग कश्मीर में पहुंच गए थे तो हथियारों का जो अरेंजमेंट हुआ उसके
बारे में भी रिपोर्ट्स आई हैं। पहलगाम हमले में अमेरिकन एम4 राइफल्स यूज़ हुई हैं और ये M4 राइफल्स AK-47 से एडवांस थी। इनमें नाइट विज़न, डिवाइसेस और कैमरे वगैरह लग जाते हैं। जब पहलगाम हमले के बाद क्राइम सीन से कार्ट्रेज बरामद हुई थी, तो उन कार्ट्रेज का बैलस्टिक एनालिसिस किया गया था। उसमें ये चीज निकल के सामने आई थी कि M4 कारबाइंस और AK-47 जैसी बंदूके यूज की गई। और यह जो अमेरिकन M4 राइफल्स हैं इनके बारे में भी चीजें बाहर आई हैं कि जब यूएसए अफगानिस्तान से निकला था तो करीब $7 बिलियन डॉलर के
हथियार छोड़ के गया था अफगानिस्तान में। और ये जो हथियार थे इंक्लूडिंग अमेरिकन एफ4 राइफल्स वहां से ब्लैक मार्केट में ये सारे हथियार पहुंचे थे। और इंटेलिजेंस रिपोर्ट के हिसाब से जैश-ए-मोहम्मद का जो चीफ था मुफ्ती अब्दुल रॉफ असगर जिसको आर्म्स, प्रोक्योरमेंट्स और लॉजिस्टिक का टास्क दिया गया था। वो इन एम4 राइफल्स को स्मगल करवा के खैबर पख्तून खवा रीजन के थ्रू जैश-मोहम्मद के हेडक्वार्टर मरकज कैंप में लेके आया और फिर वहां से ड्रोन का यूज करके ये जो हथियार थे कश्मीर के अंदर डंप किए गए और ये जो प्रोसेस था कश्मीर में हथियारों को
लाने का ये कई सालों से चल रहा था। अब देखिए इसके बाद एक बहुत ही अनयूजुअल एक्टिविटी हुई और जिस स्टाइल से पहलगाम अटैक किया गया उसकी वजह से इस इंसिडेंट कीेंस और बढ़ गई। एक्चुअली हुआ क्या कि थोड़े टाइम पहले अगस्त 2024 में क़तर के दोहा में यूएन का डेजिग्नेटेड आतंकवादी और लश्कर तबा का हेड सैफुल्ला कसूरी हमास के लीडर खालिद मशाल से मिला था और उस टाइम पे पाकिस्तान की जो पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग पीएमएमएल थी इसने भी इस मीटिंग की वीडियोस वगैरह डाली थी। उस टाइम पे तो इस चीज पे किसी ने
ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। लेकिन असली खतरे की घंटी बजती है फिफ्थ ऑफ फरवरी 2025 को। इस दिन क्या होता है कि पाकिस्तान के रवालकोट शहीद सबीर स्टेडियम में हमास के लीडर आते हैं। यह इतिहास में पहली बार हुआ था जब हमास की लीडरशिप ने पीओके के अंदर कदम रखा था और यहां पहुंचने के बाद इन्होंने कॉन्फ्रेंस रखी। इस कॉन्फ्रेंस का ऑफिशियल नाम रखा कश्मीर सॉलिडेरिटी एंड हमास ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड कॉन्फ्रेंस। और यहां पे इन्होंने काफी रैली की। इंडिया के खिलाफ बहुत सारा जहर उगला और यहां से यह चीज लगने लगी थी कि अब
कश्मीर में ये लोग कुछ करने वाले हैं और पहलगाम हमला भी जो हुआ वो भी हमास स्टाइल में ही हुआ और ये मीटिंग होने के बाद ये रिपोर्ट्स आने लगी कि हमास ने यहां पे आने के बाद कश्मीर के अंदर जो हमले करने की टैक्टिक्स हैं एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन के जो तरीके हैं और सिविलियन टारगेटिंग वगैरह पे डिस्कशन किया। अब देखिए इधर फिफ्थ ऑफ फरवरी को हमास की लीडरशिप पीओके पहुंची और वहीं इसके एक वीक बाद एक और अनयुअल चीज होती है। यूएस के अंदर एक फेमस सेटेलाइट कंपनी है मैक्स टेक्नोलॉजीes। तो क्या होता है कि
अचानक से इस कंपनी के पास कश्मीर के पहलगाम का जो एरिया है वहां की हाई रेसोल्यूशन इमेजेस की डिमांड जो थी वो डबल हो गई। अब पहलगाम एक टूरिस्ट एरिया है। कोई बैटल फील्ड नहीं है कि इस तरीके से डिमांड बढ़ना। ये नॉर्मल नहीं था। ये इमेज आप पॉज करके एक बार देख लेना। 12, 15, 18, 21 और 22 फरवरी इसी साल 2025 में सबसे ज्यादा हाई रेसोल्यूशन इमेजेस के ऑर्डर आए। ये वो इमेजेस हैं। देखिए ये जो यूएस की सेटेलाइट कंपनी है मैक्स टेक्नोलॉजी ये हाई रेज़ोल्यूशन सेटेलाइट इमेजेस जिनका साइज 30 सें.मी. से लेके
15 सें.मी. तक होता है। उनको दुनिया भर की अप्रूव्ड गवर्नमेंट और डिफेंस एजेंसीज को सेल करती है। जैसे इंडिया के अंदर इसरो और मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेंस इसके कस्टमर हैं। ये हाई रेोल्यूशन सेटेलाइट इमेज जो होती है नॉर्मल नहीं होती। इससे ग्राउंड पे छोटी से छोटी चीज देखी जा सकती है। इन हाई रेोल्यूशन इमेजेस के थ्रू अटैक की प्लानिंग, टारगेट वेरिफिकेशन वगैरह ये सारी चीजें होती है। ये इमेज एक टैक्टिकल वेपन की तरह एक्ट करती है बैटल फील्ड के अंदर। इस वजह से ये अपनी इमेज सिर्फ अप्रूव्ड गवर्नमेंट एजेंसीज के साथ ही शेयर करते हैं। प्राइवेट
या रैंडम एंटिटी कोई आती है तो उसको हाई रेोल्यूशन इमेजज़ नहीं देते। लो ग्रेड इमेजज़ दे देते हैं। वो काम की नहीं होती। अब यहां से क्वेश्चन ये उठता है कि पहलगाम जैसे एरिया की इमेजेस की डिमांड ऐसी बड़ी क्यों? और इन इमेजेस का जो एक्सेस है वो इतना आसान नहीं है। तो जब इसके बारे में भी पता लगाया गया तो एक नया खेल निकल के आया सामने। हुआ क्या कि जून 2024 में एक पाकिस्तानी कंपनी बिनेस सिस्टम इंटेलिजेंस प्राइवेट लिमिटेड पीएसआई इसने यूएस की जो ये सेटेलाइट कंपनी है मेक्स टेक्नोलॉजीस इसकी सारी की सारी
शर्तें मान के इससे पार्टनरशिप कर ली। अब पार्टनरशिप होने से इस पाकिस्तानी कंपनी बीएसआई को ये एडवांटेज हुआ कि ये उन हाई रेोल्यूशन इमेजेस जिनको आसानी से एक्सेस नहीं किया जा सकता उनके राइट्स भी आ गए सेल करने के। कहने का मतलब है कि इस कंपनी के पास भी एक्सेस आ गया जो अभी तक अप्रूव्ड गवर्नमेंट एजेंसीज के लिए एक्सक्लूसिव थी। ये पाकिस्तानी कंपनी बीएसआई चाहे तो अपने पाकिस्तानी क्लाइंट उनको भी दे सकती है। और कुछ पता नहीं कि वो पाकिस्तानी क्लाइंट क्या पता आतंकी ऑर्गेनाइजेशन ही हो। और ऐसा होने के चांसेस बहुत ज़्यादा हैं।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इस कंपनी का जो फाउंडर था उबैदुल्ला सैयद यह भी फ़डिया निकला। यह क्या कर रहा था कि जो न्यूक्लियर रिसर्च और मिसाइल डेवलपमेंट जैसे सेंसिटिव कामों के लिए जो हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग इक्विपमेंट और एडवांस सॉफ्टवेयर यूज़ होते हैं उनको यह यूएस से छुप के पाकिस्तान की जो पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन पीएईसी है उसको इललीगली एक्सपोर्ट कर रहा था। यूएस ने इसको रंगे हाथों पकड़ लिया और फिर यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट फॉर द नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ इलोनॉय ने 18 यूएससी 371 के तहत इसको सजा दी। अब देखिए फरवरी 2025 के
फर्स्ट वीक में हमास मीटिंग करती है पीओके में। सेम मंथ में पहलगाम जो एरिया है उसकी इमेज की जो डिमांड है वो डबल हो जाती है और फिर इसके 10 से 15 दिन बाद मार्च 2025 में एक अनाउंसमेंट होती है। अनाउंसमेंट यह थी कि पीएम नरेंद्र मोदी नेक्स्ट मंथ यानी कि 19th ऑफ अप्रैल 2025 को कश्मीर आएंगे। वंदे भारत की इनोगेशन करने। अब जब ये अनाउंसमेंट हुई थी तो इस टाइम पे पाकिस्तान से आए मूसा, अली भाई, आदिल ठोकर और बाकी जो इनके साथ ग्रुप में थे ये कश्मीर के अंदर ही थे। जिस मंथ ये
अनाउंसमेंट हुई यानी कि मार्च 2025 इस पूरे मंथ ना तो कोई सेटेलाइट की इमेजेस के ऑर्डर आए और ये जो मूसा अली भाई ये जो थे इन्होंने भी कोई एक्टिविटी नहीं की कश्मीर के अंदर। ऐसा माना जा रहा है कि इसी मंथ में यह प्लानिंग हुई होगी किस्तवार के जंगलों में टीआरएफ के हेड शेख सज्जाद गुल जो था वो मूसा अली भाई और आदिल ठोकर जो थे इन्होंने शायद इसी मार्च के महीने में प्लानिंग करी होगी। लेकिन इसमें सबसे जो सरप्राइजिंग चीज थी ये जितने भी लोग कम्युनिकेशन कर रहे थे आपस में चाहे आपस में
कर रहे हो चाहे पाकिस्तान के अंदर कर रहे हो इस कम्युनिकेशन के बारे में किसी को पता ही नहीं चल पाया और क्यों नहीं पता चल पाया वो भी डिस्कस करते हैं। देखिए पहले ये जो जैश-ए-मोहम्मद लश्कर तैबा और ये जितने आतंकवादी रहते थे 2611 का जो मुंबई हमला हुआ था उस समय भी आपने कन्वर्सेशन सुनी होगी अभी भी YouTube पे पढ़ी है थुराया सेटेलाइट फोन के थ्रू ये लोग आपस में कम्युनिकेशन कर रहे थे वो सब पकड़ी गई थी लेकिन इस बार इनको पाकिस्तान मिलिट्री के अंदर जो अल्ट्रा सेट्स यूज़ होते हैं वो दे
के भेजा गया था कश्मीर में huai जो है वो एक चाइनीस कंपनी है जो इंडिया के अंदर बैंड है इसने कुछ स्पेशल स्मार्टफोनोंस ल्च किए थे med 60 pro60 सीरीज और 11 अल्ट्रा इसमें क्या किया था इसने इंटरनल सेटेलाइट एंटीना और स्पेशलाइज चिप डाल दी थी इन फोंस में। पर्पस इसका यह था कि अगर यूजर को कोई इमरजेंसी हो और इंटरनेट ना हो तो वह इन फोंस को चाइनीस के तियानटोंग वन सेटेलाइट नेटवर्क जिसको चाइना टेलीकॉम मैनेज करता है। उससे कनेक्ट करके वॉइस टेक्स्ट हो गए और वीडियो चैट हो गए ये कर सके बिना इंटरनेट
के। बेसिकली एक नॉर्मल फोन सेटेलाइट फोन में कन्वर्ट हो जाता है। और इन्हीं अल्ट्रा सेट्स को यूज़ में लाया गया अपग्रेड करके। पहलगाम की पूरी प्लानिंग में यहां तक कि हमले वाले दिन यह अल्ट्रासेट्स यूज़ हो रहे थे। यह पकड़े इसलिए नहीं जा रहे थे क्योंकि जब मूसा और अली भाई जैसे आतंकवादी कश्मीर में बैठ के आपस में कम्युनिकेशन कर रहे थे तो एक्चुअल में हो यह रहा था कि मिलिट्री ग्रेड एंक्रिप्टेड रेडियो सिग्नल इंडियन सेल्यूलर और सेटेलाइट सर्विलयंस सिस्टम को बाईपास करके चाइना की सेटेलाइट का यूज करते थे और फिर उसके थ्रू पाकिस्तान में
जो सर्वर है वहां पे सिग्नल जाते थे। जिससे इनका कम्युनिकेशन ट्रेस ही नहीं हो पा रहा था। और इसलिए ये माना जा रहा है ये जो पूरा मार्च का मंथ था और ये जो पूरी प्लानिंग हुई ये पकड़ में ही नहीं आ पाई। इनके कम्युनिकेशन जो थे वही नहीं पकड़ में आए। पाकिस्तान के कराची और पीओके के मुजफराबाद में बैठ के कोऑर्डिनेशन किया गया इन अल्ट्रा सेट्स का यूज़ करके। जहां एक-एक स्टेप समझाया गया कब कहां और किस तरीके से टास्क को पूरा करना। ये जो अल्ट्रा सेट्स हैं, यह सिर्फ एक बार 2023 में सुरनकोटे
के एक एनकाउंटर में एक बार हाथ लगे थे एक आतंकवादी के पास से। इसको क्रैक करने की कोशिश की गई। इनफैक्ट इस अल्ट्रासेट को वेस्टर्न कंट्रीज को भी भेजा गया था। लेकिन ये क्रैक नहीं हो पाया था। यह बहुत बड़ा रीज़न था कि इनकी जो कम्युनिकेशन थी वो ट्रेस नहीं हो पा रही थी। तो कम्युनिकेशन के लिए अल्ट्रासेट्स तो यूज़ हुए और कश्मीर के जंगलों में जो रास्ते ढूंढे जाते थे। पहले जो OGW होते थे उनकी बहुत ज्यादा हेल्प ली जाती थी। लेकिन इस बार oजीW की कम हेल्प ली गई। वो इसलिए किया गया क्योंकि
इन्होंने नेविगेशन के लिए भी नए मेथड यूज़ किए। इन्होंने एक ऐप का यूज़ किया जिसका नाम है अल्पाइन क्वेस्ट। जिसको ट्रैकर्स जो हैं वो ऑफलाइन नेविगेशन के लिए यूज करते हैं। जब इंटरनेट नहीं होता है तो Google मैप की तरह पहाड़ों पर नेविगेट करते हैं इसका यूज करके। तो इस अल्पाइन क्वेस्ट के ऑफलाइन वर्जन में इन्होंने हाई रेज़ोल्यूशन सेटेलाइट इमेजेस का यूज़ किया। जिसकी वजह से यह मूसा अली भाई बिना इंटरनेट सर्विज के बिना ओजीW की हेल्प के जैसे Google मैप चलता है। उस तरीके से इस एल्पाइन क्वेस्ट ऐप का यूज़ करके किस्तवार के जंगलों
में घूम रहे थे। अब इसके बाद अप्रैल फर्स्ट वीक में प्लानिंग स्टार्ट होती है कि किस तरीके से कश्मीर के अंदर जो टूरिस्ट आ रहे हैं कैसे ट्रेड को इंपैक्ट किया जाए कश्मीर के अंदर ताकि ये जो पूरा सिस्टम चेंज हो रहा है बहुत तेजी से कश्मीर के अंदर वो डिसरप्ट हो सके। तो अप्रैल फर्स्ट वीक में इन्होंने डिसाइड किया कि कश्मीर के ज़बरान वैली के पास जो लग्जरी होटल्स होंगे स्पेशली जिनमें फॉरेन टूरिस्ट होंगे उनके ऊपर हमला करा जाएगा। बेसिकली ये कश्मीर के ट्रेड को इंपैक्ट करना चाह रहे थे। एक तरह से कश्मीरियों के
खिलाफ ये ट्रेड वॉर थी। इसमें एक चीज और कही गई है कि शायद ये भी रीजन हो सकता है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी को भी कश्मीर में आना था उस टाइम पे इनोगेशन करने के लिए। तो सेम टाइम पे जो लग्जरी होटल होंगे उनमें हाई वैल्यू टारगेट जो होंगे पीएम के डेलीगेट्स वगैरह जो आते हैं साथ में उनके होने के भी चांसेस बढ़ जाएंगे। तो उसकी वजह से हमले की जो कवरेज होगी वो और ज्यादा फैलेगी। इस वजह से ये लोग इस टाइम पर होटल के अंदर जो टूरिस्ट होंगे उनके ऊपर अटैक करने का प्लान
जो था इन्होंने फिक्स कर दिया था। अब टारगेट फिक्स होने के बाद फोर्थ ऑफ अप्रैल 2025 को ये रेकी स्टार्ट करते हैं। रेकी करने आदिल ठोकर के साथ ओजीW जाते हैं। पाकिस्तानी जो मूसा और अली भाई थे ये रेकी करने नहीं जाते थे। रेकी जब हो जाती थी तो ओजीW इनको फुटेज वगैरह जाके शेयर करते थे और फिर प्लान बनाया जाता था और डेली बेसिस पे रैकी होती थी। अब जब यह रेकी हो रही थी इसी बीच में नाइंथ ऑफ अप्रैल को एक लोकल रेजिडेंट था रशपाल। उसके घर में दो से तीन आतंकवादी M4 राइफल
लेकर घुसते हैं। अब ये आतंकवादी थे कौन? यह कंफर्म नहीं हो पाया। लेकिन एक चीज कंफर्म हुई कि ये मूसा, अली भाई इनमें से कोई नहीं था। अब रजपाल के घर में घुसने के बाद यह फूड, ट्रैवल बैग और अंब्रेला मांगते हैं। फिर रजपाल जो था उससे फोन मांगते हैं। उसके फोन से WhatsApp कॉल करते हैं। उर्दू में कहीं पे जाकर बात करते हैं और फिर सिम तोड़ के रशपाल का जो फोन था उसको वापस कर देते हैं। और उसके बाद जब जा रहे थे ये लोग तो इन्होंने इलाके के आसपास जितने भी एरिया है
उनकी जो डायरेक्शन थी वो रशपाल से पूछी और सारा कुछ पूछने के बाद यह निकल जाते। और नेक्स्ट मॉर्निंग यानी कि 10th ऑफ अप्रैल को रशपाल जो था वो पुलिस को जाके सारी चीजें बता देता। और इसके साथ-साथ इस टाइम पर और भी छोटी-छोटी इंटल्स एजेंसीज के पास आ रही थी कि होटल के ऊपर आतंकवादी हमला करने वाले हैं। तो इन सारी चीजों की वजह से जम्मू एंड कश्मीर की पुलिस और पैरामिलिट्री जो थी ये दोनों मिलके डचीगाम निशांत और आसपास के जो लग्जरी होटल थे वहां जॉइंट ऑपरेशन शुरू करके सिक्योरिटी बढ़ा देते हैं। फोर्सेस
ने सारे जो होटल के जो एग्जिट और एंट्री पॉइंट थे उन पे सर्लेंस शुरू कर दिया था। गेस्ट वेरिफिकेशन होने लगे थे। क्विक रिएक्शन टीम जो थी वो स्टैंड बाय पर रख दी गई थी। अब इसी टाइम पे एक चीज और निकल के आती है कि प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी जो हैं उनकी जो विजिट होनी थी कश्मीर के अंदर इनोगेशन के लिए वो वो कैंसिल कर देते हैं और रीजन बताया जाता है कि कश्मीर का वेदर खराब है। इस वजह से यह विजिट जो है वो कैंसिल की जाएगी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के थ्रू कर ली
जाएगी। अब इसके कुछ टाइम बाद ये जो होटल था जहां पे मूसा अली भाई इन सब ने टारगेट फिक्स कर लिया था कि होटल के टूरिस्ट पे अटैक करेंगे। ये लोग ये प्लान कैंसिल कर देते हैं। अब ये प्लान सिक्योरिटी की वजह से कैंसिल हुआ या जो प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी का आना कैंसिल हुआ उसकी वजह से हुआ इसके बारे में कोई क्लेरिटी नहीं है। लेकिन होटल का जो टारगेट था जो सबसे पहले फिक्स हुआ था इसको कैंसिल कर दिया जाता है। अब इसके लिए ये लोग फिर से रेकी स्टार्ट करते हैं और रेकी करने
के बाद चार लोकेशन फाइनल की जाती है जिसमें पहली थी अरु वैली। दूसरी थी बेताब वैली। तीसरा इन्होंने लोकल एम्यूजमेंट पार्क जो होते हैं उनको सेलेक्ट किया था और चौथी थी बायसरन वैली। सारी लोकेशन ऐसी थी जिनमें टूरिस्ट को किया जाए ताकि ये जो टूरिस्ट आ रहे हैं ये जो इकॉनमी बढ़ रही है इसको इंपैक्ट किया जा सके। अब इसके नेक्स्ट स्टेप ये जो चार लोकेशन सेलेक्ट की गई थी इसमें से अम्यूजमेंट पार्क की जो लोकेशन थी उसको ये लोग हटा देते हैं कैंसिल कर देते और रीज़न इसके पीछे ये था क्योंकि इसकी लोकेशन से
पहलगाम पुलिस स्टेशन सिर्फ 500 मीटर की दूरी पे था। यानी कि एक दो मिनट के अंदर ही पुलिस पहुंच सकती थी और जो अरु वैली वाली जो लोकेशन थी उसको भी ये लोग अपने प्लान से ड्रॉप कर देते हैं। रीज़न यह था कि एक तो यहां पे नेटवर्क की दिक्कत थी। दूसरा रोड का कनेक्शन बहुत स्ट्रांग था। तो फोर्सेस का आना और लोगों का भाग जाना बहुत आसान था। और बेताब वैली में भी सेम इशू था। सिक्योरिटी फोर्सेस पास में थी और हमला करने के बाद जो आतंकवादी थे उनका बच के भागने के जो ऑप्शंस
थे वो बहुत लिमिटेड थे। और फिर ये सारी चीजें कैलकुलेट करने के बाद फाइनली इन्होंने सेलेक्ट किया पहलगाम की बायसरन वैली। रीज़न यह था कि एक तो यहां पे कोई सिक्योरिटी की प्रेजेंस नहीं थी। दूसरा टूरिस्ट का जो फुटफॉल था वो बाकियों को कंपेरेटिवली ज्यादा था यहां पे। गाड़ी नहीं पहुंच सकती थी। सिर्फ ट्रैकिंग करके या घोड़े से जाया जा सकता था। सिक्योरिटी फोर्सेस को आने में भी 30 से 40 मिनट लगते ही लगते। सीआरपीएफ की डेल्टा कंपनी 116 बटालियन का जो सबसे करीब बेस था वो 4 से 5 कि.मी. पे था। यह मैप है
उसका चारों तरफ से घने जंगल तो हमला करके जंगलों में भागना बहुत आसान था और कोई भी सीसीटीवी कैमरा नहीं था। तो फिर यहां से इन्होंने ये जो लोकेशन थी पहलगाम की बायसरन वैली इस लोकेशन को फिक्स कर दिया और इसके लिए प्रिपरेशन स्टार्ट कर दी। और जब यह चीज होती है तो इसके नेक्स्ट डे न्यूज़ आती है कि यूएस के वाइस प्रेसिडेंट इंडिया आ रहे हैं और इस न्यूज़ के आने की वजह से यह फैसला हुआ कि जब यूएस का वाइस प्रेसिडेंट इंडिया के अंदर होगा उसी बीच में हमला किया जाएगा ताकि पूरे वर्ल्ड
में न्यूज़ बने। इसलिए 22 अप्रैल की डेट फिक्स कर दी गई। अब जैसे ही डेट फिक्स की जाती है तो बाकी आतंकवादी तो पहले से ही बायसरन के एरिया के आसपास थे। लेकिन 21 अप्रैल को मूसा और अली भाई जो इतने दिनों से जंगल में छुपे थे उनको ग्रीन सिग्नल मिलता है और दोनों सेम डेट यानी कि 21 ऑफ अप्रैल की रात में कोकरनाग के फॉरेस्ट से निकलते हैं बायसरन वैली की तरफ जो रूट ये पकड़ते हैं वो किस्तवार दक्षम लर्नू चटपाल ऐशमुकम ये वाला रूट पकड़ते हैं 22 रन की तरफ निकलने के लिए कुछ
रिपोर्ट में आपको अवंतीपुरा तराल सिरीगुवार पहलगांव वाला रूट भी मेंशन मिलेगा लेकिन ज्यादातर रिपोर्ट में किश्तवार वाला ही रूट मेंशन है तो मैंने वही वाला लिया अब यहां से ये लोग चलते हैं और 21 से 22 घंटे लगातार चलने के बाद इस तरीके से इन्होंने ट्रेनिंग की थी कि लगातार चलते हैं ये और 21 से 22 घंटे लगातार चलने के बाद बायसरन के जो आसपास के जंगल हैं वहां पे आके बैठ जाते हैं और वेट करते हैं हमला करने का। आदिल ठोकर वहीं श्री गुबारा के पास के एरिया में था तो वो पहले से ही
वहां पे था। तो कहने का मतलब है कि अब सारे आतंकवादी बायसरन वैली के आसपास के जो जंगल थे वहां आके बैठ गए थे और घात लगा के इंतजार कर रहे अब देखिए पहलगाम जो है वो यह यहां पे है और यहां से 5 से 6 कि.मी. उबड़ खाबड़ कच्चे रास्ते से आप ऊपर ट्रैक करके जाते हो तो करीब 1 घंटा लगता है और ट्रैक करने के बाद आप यह इस गेट पे पहुंचते हो और जैसे ही इस गेट से आप एंट्री करते हो तो एंट्री करते ही 800 मीटर लंबा और 600 मीटर चौड़ा ग्रीन
मैदान दिखता है। यही मैदान है बायसरन वैली। और इसी के आसपास के जंगलों में आतंकवादी छुप के वेट कर रहे थे। तो एक यहां से एंट्री एग्जिट गेट है और एक यहां से एंट्री एग्जिट गेट है इस मैदान का। यह जो पूरा एरिया है इसको पहलगाम डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ब्रिज बहरा के एक आदमी को ₹3 करोड़ में 3 साल के लिए टेंडर में दे दिया था। तो उसी ने इस एरिया के अंदर टिकटिंग का सिस्टम किया। जिप लाइनिंग स्टार्ट करवाई और इस एरिया के चारों तरफ फेंसिंग लगा के भी सिक्योर किया। तो कहने का मतलब
है कि इस पूरे एरिया में दो एंट्री एग्जिट गेट हैं। बाकी चारों तरफ फेंसिंग हो रखी है। और सिक्योरिटी जो है वो अमरनाथ यात्रा के टाइम यहां प्रोवाइड होती है। बाकी के टाइम सिक्योरिटी तभी आती है जब टूर ऑपरेटर या होटल वाले इन्फॉर्म करते हैं अथॉरिटीज को कि टूरिस्ट ज्यादा हो गए हैं तब वो सिक्योरिटी आती है। अब इसके बाद 2 ऑफ अप्रैल 2025 का दिन स्टार्ट होता है। 9:00 बजे बायसरन वैली की एंट्री खुलती है और पहलगाम से टूरिस्ट अलग-अलग होटलों से अपनी-अपनी लोकेशन से बायसरन वैली की तरफ पहुंचना शुरू करते हैं और बायसरन
वैली का जो मेन गेट है यहां से टिकट ले लेके बायसरन वैली में एंट्री लेना स्टार्ट करते हैं और धीरे-धीरे करके 1000 टिकट बिक चुके थे। मतलब कि 1000 लोगों का फुटफॉल इस एरिया में हो चुका था। और अब इसके बाद दोपहर के 1:30 बज चुके थे और तब तक करीब 400 टूरिस्ट बचे थे इस लोकेशन के अंदर। बाकी सारे जितने थे वो वापस जा चुके थे। किसी को भी बिल्कुल आईडिया नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। अब इसके 15 मिनट बाद यानी कि 1:45 पे पहला आतंकवादी मोस्ट प्रोबेबबली आदिल ठोकर जो था
वही घुसता है। देखिए यहां पे जो मैं आपको जितनी भी चीजें बताऊंगा इस पूरे सीन में यह कहना मुश्किल होगा कि इधर से मूसा गया या इधर से आदिल गया। क्योंकि इस चीज का कंफर्मेशन नहीं हो पाया कि आदिल किधर से घुसा, मूसा किधर से घुसा। सिर्फ इतना कंफर्म हुआ है कि मूसा, अली भाई और आदिल वहां पे थे जिन्होंने बंदूकें चलाई थी। और कुछ आतंकवादी जो थे वो जंगल में एज अ बैकअप थे। कुछ ऐसे थे जिनके हाथ में बंदूक नहीं थी लेकिन वो भीड़ में मिले हुए थे। इसलिए एक्चुअल में उस समय वहां
पे कितने आतंकवादी थे ये कहना मुश्किल था लेकिन अली भाई, मूसा और आदिल ठोकर ये कंफर्म थे वहां पे जिन्होंने बंदूक उठा के लोगों को मारा। तो इस तरीके से एक आतंकवादी कश्मीरी फेरन पहन के ये इस तरफ से ग्राउंड में एंट्री करता है। इसकी वगैरह कश्मीरी जो फेरन इसने पहन रखी थी उसके अंदर छुपा रखी थी। तो आराम से पब्लिक के बीच में घुस के इधर ये जो एंट्री एग्जिट गेट है इसकी तरफ जाने लगता है। जैसे ही ये एंट्री एग्जिट गेट पर पहुंचता है यह बंदूक निकाल के हवा में फायरिंग करना स्टार्ट कर
देता है। किसी आदमी पे नहीं चलाता है। हवा में कंटीन्यूअसली फायरिंग करता है और भीड़ को जो मेन एंट्री एग्जिट गेट है उसकी तरफ ले जाने की कोशिश करता है। अब जैसे ही भीड़ मेन एंट्री एग्जिट गेट की तरफ इकट्ठा होने लगती है। तो वहीं साइड से जंगलों की तरफ से फेंस जो लगी हुई थी वहां से कूद के दो आतंकवादी मिलिट्री ट्रैक सूट पहन के वगैरह लेकर खड़े हो जाते हैं और मोस्ट प्रोबेबबली ये मूसा और अली भाई ही थे। पब्लिक सोच रही थी कि सिक्योरिटी वाले हैं। तो देखिए ऐसे ही कुछ आतंकवादी आए
रैंडम उन्होंने फायर करके लोगों को मार दिया। ऐसा नहीं था। ये एक वेल प्लान ट्रैप था जिसमें जो दोनों एंट्री एग्जिट पॉइंट थे उनको प्रॉपर ब्लॉक किया गया और ये जितने टूरिस्ट थे इनको चारों तरफ से घेरा गया। और एरिया बहुत बड़ा था तो जब ये सारी चीजें हो रही थी तो कुछ लोग जो दूसरी तरफ थे उनको पता ही नहीं चल पाया कि दूसरी तरफ क्या चल रहा है। वो आराम से अपना ज़िप लाइनिंग वगैरह कर रहे थे। अब भीड़ जब मेन एंट्री एग्जिट पॉइंट पे पहुंचती है तो वो जो दोनों आतंकवादी थे जो
सिक्योरिटी वाले जिनको लोग समझ रहे थे वो भी गोली चलाना स्टार्ट कर देते हैं। फिर ये सारी भीड़ को इधर ये जो भेलपुरी और चाय और फूड की जो स्टॉल थी इस पॉइंट पे भीड़ को इकट्ठा करते हैं। औरतों और आदमियों को अलग करते हैं। ये सारी चीजें जो करी इन्होंने ये मेन एंट्री एग्जिट जो गेट था उससे 50 मीटर के अंदर ही करी। अब आदमी और औरतों को अलग करने के बाद ये आदमियों से पूछते हैं कि हिंदू है कि नहीं। और फिर जो नहीं बताते उनसे कलमा पढ़वाते हैं। देवाशीष भट्टाचार्य के पास जैसे
ही आतंकवादी आए उन्होंने कलमा पढ़ दिया तो उनको छोड़ के आतंकवादी दूसरी तरफ चला जाता है। एक क्रिश्चियन वहीं बगल में खड़ा था उससे पैलेस्तीन का जो इशू था उस पे बोलने को कहा गया। कुछ की पैंट उतरवाई गई और फिर जो हिंदू टूरिस्ट थे उनको क्लोज रेंज से गोली मार दी गई। अब इसी टाइम पे आदिल हुसैन जो पोनी राइडर था ये टूरिस्ट जो थे उनको घुमाने लेके आया था। आदिल के एक टूरिस्ट को आतंकवादी गोली मारता है तो आदिल उससे बहस करने लगता है। उसकी गन छीनने लगता है। तो आतंकवादी आदिल हुसैन को
भी तीन गोली चला के उसकी भी जान ले लेते हैं। इनके पास M4 राइफल थी। AK-47 थी। इनकी बॉडी और पे GP कैमरा लगे हुए थे। तो ये सारी चीजें रिकॉर्ड कर रहे थे और जिन लोगों की जान चली गई थी उनके साथ सेल्फी ले लेके अपने फोन में रख रहे थे। और भी बहुत सारी चीजें हैं जो मैं बता नहीं पाऊंगा और आप सुन भी नहीं पाओगे। तो ये सारी चीजें ये लोग 20 से 25 मिनट तक इन्होंने की। ये सारी चीजों में 26 लोगों की जान गई। उनके नाम यह है। और फिर जब
ये सारी चीजें हो गई तो इसके बाद इन्होंने भीड़ में से ही दो फोन लिए जबरदस्ती छीने उनसे। और उन फोन को लेके लेफ्ट साइड वाली जो वॉल की फेंस थी उसके ऊपर से कूद के जंगलों में भाग गए। अब ये तो भाग गए। लेकिन वहां साइड पे चारों तरफ लोग चिल्ला रहे थे। अपनी फैमिली के लिए हेल्प मांग रहे थे। लेकिन दूर-दूर तक हेल्प ही नहीं थी कोई। फिर जैसे तैसे करके 2:30 बजे पुलिस के पास पहली बार इंफॉर्मेशन पहुंचती है कि बायसरन वैली में आतंकवादियों ने यह सब कर दिया है। पहलगाम पुलिस स्टेशन
के एसएओ शॉक्ड हो जाते हैं और इनको बायसरन वैली पहुंचने में टाइम लगता तो इन्होंने जल्दी मदद भिजवाने के लिए कश्मीर की सारी यूनियन के जो जनरल प्रेसिडेंट अब्दुल वाहिद थे इनको इन्फॉर्म करते हैं कि यह सारी चीजें हो गई है और जल्दी से जल्दी हेल्प भेजी जाए और अब्दुल वाहिद को जैसे ही पता चलता है वो पोनी ओनर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रईस अहमद भट्ट को बता देते हैं इनके भी फोन के नेटवर्क नहीं आ रहे थे तो ये अकेले ही बायसरन वैली की तरफ भागने लगते हैं और जो रास्ते में जो इनको एक दो
लोग मिलते हैं उनको अपने साथ ले लेते हैं और जंगल से शॉर्टकट लेके फर्सेस से पहले पहुंच जाते हैं। कहने का मतलब है कि इतनी भीड़ में सिर्फ पांच से छह लोग ही पहुंच पाए थे मदद के लिए। ये प्रोफेशनल भी नहीं थे तो ये लोग पीठ वगैरह पे बैठा के जिस तरीके से रेस्क्यू किया जा सकता था वो कर रहे फिर जैसे तैसे करके एसएओ रियाज़ जो है वह पहुंचते हैं और फिर सीआरपीएफ की 116 बटालियन के कमांडेंट राजेश कुमार जो थे वो अपनी 25 लोगों की टीम के साथ पैदल भागते-भागते साइड पे पहुंच
जाते हैं और फिर रेस्क्यू ऑपरेशन स्टार्ट होता है। हेलीकॉप्टर वगैरह आते हैं। अब जैसे ही ये हमला होता है इसके थोड़ी देर बाद टीआरएफ जो थी वो हमले की जिम्मेदारी लेती है और रीज़न बताती है कि जो डोमिसाइल इशू करे जा रहे हैं इसलिए किया गया है। अब इसके बाद ये जो पूरा एरिया था उसको सैनिटाइज किया जाता है। टूरिस्ट जो थे जिनके साथ ये सारी चीजें हुई थी उनके स्टेटमेंट लिए जाते हैं। स्केच बनवाए जाते हैं। क्रैकडाउन स्टार्ट होते हैं। ओजीW जो थे उनको पकड़ा जाता है। उनके स्टेटमेंट लिए जाते हैं। और लोग जो
इन्वॉल्व थे उनको पकड़ के कैसे प्लानिंग हुई उसको जोड़ा गया और जो जो ओजीडब्ल्यू और आतंकवादी पकड़े जा रहे थे उनके जो घर थे उनको लगा के डिस्ट्रॉय कर दिया जा रहा था। अब इसमें सबसे इंपॉर्टेंट चीज यह है कि टीआरएफ ने तो ऑलरेडी जिम्मेदारी ले ली थी इस पूरे हमले की। लेकिन 25th ऑफ अप्रैल 2025 को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल ने प्रेस स्टेटमेंट इशू किया जिसमें इस पहलगाम हमले को क्रिटिसाइज करना था। तो इस प्रेस स्टेटमेंट का जो फर्स्ट ड्राफ्ट था उसमें डायरेक्ट द रेजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ का नाम लिखा हुआ था। लेकिन जैसे ही
टीआरएफ का नाम इसमें लिखा हुआ देखा पाकिस्तान ने पाकिस्तान ने इसका अपोज किया। पाकिस्तान ने कहा कि यूएन की इस ऑफिशियल प्रेस स्टेटमेंट से टीआरएफ का नाम हटना चाहिए। यह उस स्टेटमेंट की ओरिजिनल कॉपी है। आप पॉज करके देख लेना। कहीं भी टीआरएफ का नाम मेंशन नहीं है। चाइना नेवी भी यूएन की 1267 सेंक्शन कमेटी में टीआरएफ को ब्लैक लिस्ट करने वाला जो इंडिया का प्रपोजल था उसको रोक दिया। चाइना के डिप्लोमेट चंग ली ने पाकिस्तान के कहने पर टीआरएफ का नाम लिस्ट से हटा दिया और बहुत ही फक्र से पाकिस्तान ने नाम हटाने के
बाद अपने पार्लियामेंट में बताया कि हमने टीआरएफ का नाम नहीं आने दिया। अब देखिए सर्च ऑपरेशन अभी भी चल रहा है। ओजीW पकड़े जा रहे हैं। लेकिन मेन जो उस दिन बंदूकों पे जिनके हाथ थे जिन्होंने मारा था मूसा अली भाई आदिल ठोकर ये सब बचे हुए हैं। इनको अभी भी इंडियन फर्सेस किस्तवार के जंगलों में ढूंढ रही है। ऑपरेशन चल रहा है। जैसे-जैसे और डिटेल्स आएंगी मैं आपको बता दूं। लास्ट में एक बार फिर से आपको बता दूं डरमा टच के सेलिसिलिक 2% फेस वॉश को जरूर ट्राई करिएगा। थैंक यू। [संगीत]