खुद को discipline मे रखो || Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj

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Sadhan Path
Rasmay Kirtan, Pad Gayan, & Satsang by - Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj From - Shri Hi...
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मन को विचार के द्वारा दोष पैदा करके या इधर राग पैदा करके प्रभु की तरफ हटाओ दूसरी बात ये नियम की बड़ी मार मन पर पड़ती है मन को मारने के लिए नियम का बहुत पालन करना जरूरी है आप अपनी दिनचर्या ऐसी बनाए या गुरुजनों से जो पास हुई दिनचर्या आपके पास प्रातः काल से शयन काल तक एक मिनट भी खाली नहीं होना चाहिए यह आप देख लो जो अभी तक चर्चा हुई वह पूरे संसार में दोष दृष्टि करके भोगों के प्रति या प्रभु पर महत्व बुद्धि करके छोड़ दो राग छोड़ो वास्तविक कहीं सुख नहीं
आप लोग देख लीजिए विवेक से देख लीजिए अभी तक सब वही करते रहे हो जन्म जन्मांतर अब हमको मन की यह जो बलवान वृत्ति हैमन स्वभाव वाली वृत्ति इस पर अंकुश करना है कैसे करना है प्रातः काल जगने से लेकर सन तक एक मिनट भी आपका खाली नहीं होना चाहिए आपकी दिनचर्या में होना चाहिए नियमित दिनचर्या बनवा लीजिए या बना लीजिए अपने बड़ों से अपने पूज्य जनों से पास हमारी य दिनचर्या जीवन में उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए ऐसी दिनचर्या नहीं कागज वाली दिनचर्या नहीं आपकी वास्तविक दिनचर्या जो है वही होनी चाहिए जिस समय जो
आदेश हुआ है कार्य का आपको उसी समय वही कार्य करना है इससे मन तुम्हारा मरेगा मन के अनुसार यहां क्या कि रो सुनते आज नहीं सुनेंगे सत्संग क्या है सुबह तक रोज वाणी पाठ में जाते नहीं जाए 6:00 बजे तक सो रहे हैं शाम के रात्रि तक या यह ठीक नहीं चलो आज ऐसा कर ले नहीं ठीक नहीं जो नियम दिया गया वैसे ही चलो अगर नियम से चलोगे तो उसे लाभ क्या मिलेगा एक तो परमानंद की तरफ बढ़ रहे हो दूसरी बात आपका मन मरेगा मन नियम से मरता है इस मन का स्वभाव बदल
जाएगा यदि आप नियम वर्ती बनोगे नियमानुसार आपके अधीन होगा नियम बनाओ आप नियम अगर आपने नहीं बनाया तो परमार्थ की चढ़ाई पर नहीं चढ़ सकते हो परमार्थ में आज तक उसी को लाभ मिला जो नियम से चला है किसी ने पूछा किसी से क्या नियम है आपके तो उनका हमारे संप्रदाय में तो नियम है ही नहीं गजब की बात कह दी यहां का जो नेम है वह प्रेम से शासित है प्राण चले जाए पर वो नेम छोड़ी छोड़ सकते हैं देखो ना मन क्रम वचन त्रिश सकल मत नियम नहीं है जो आप कह रहे हैं
उसी के अनुसार जीवन चलाना है प्रिया लाल के सुख का निम प्रिया लाल के नाम जप का निम प्रिया हमारे य कोई नियम है नहीं मतलब खाओ पियो पड़े रहो केवले से आप समझो समझ के बोलो किसी को मत बोलो परमार्थ में आज तक जिसको भी लाभ मिला है नियम से चलने वाले को प्राप्त हुआ है इष्ट आराधना में जो जो आपको नियम मिले हैं उनमें शिथिलता नहीं होनी चाहिए और बहुत काल तक एक नियम में चलने वाले को सिद्धि प्राप्त हो जाती है जिस स्थान पर जिस आसन पर जिस समय पर जो मंत्र जितना
वो नियम होना चाहिए ऐसा नहीं कि आज 20 माला जप लिया तो कल 10 माला जप कर लिया तो दो दिन जपा ही नहीं फिर आगे ऐसे नहीं होता एक नियम अनुवर्ती होता पाच मिनट का भी अंतर आपके नियम में जब नहीं पड़ने लगेगा नियमित नियत समय यह संतो में देखा गया है जय बजे उठना जय बजे श जय बजे उनकी जो दिनचर्या एक दिन अगर देख लो तो दूसरे दिन तुम कह सकते हो इस समय यह यह साधन कर रहे होंगे क्योंकि उनका नियम है व वैसे मिलेंगे बड़े-बड़े महापुरुषों में देखा गया यह दो
बजे के जगने का समय तो मतलब जैसे लगभग लगभग विषय पुरुष सब सोते हैं ऐसे लगभग लगभग जो भगवत प्राप्ति की लगन वाले साधु दो बजे जग जाते सब ये नहीं कोई आश्चर्य की बात नहीं है हमने देखा है गंगा के किनारे जैसे ब्र दो बजे शुरू हो जाता है कुआ से जल चना सब दिनचर्या गंगा नहाने के लिए फिर जाना बाद यहीं से स्नान करके फिर बाद में गंगा स्नान करने जाना जो अनियमित साधन करता है यद साधन अविनाशी पर मन मरेगा नहीं मन अधीन नहीं होगा ध्यान रखना अनियमित नियमित आज एक घंटे बैठे
कल 30 मिनट बैठे परस तो 10 मिनट और फिर आगे बैठे नहीं दो चार दिन बिल्कुल नहीं ऐसा नहीं चाहे 10 मिनट से शुरुआत करो तो 11 होना चाहिए कभी नौ नहीं होना चाहिए और बार-बार दिनचर्या का परिवर्तन नहीं होना चाहिए मंत्र का परिवर्तन नहीं होना चाहिए नाम का परिवर्तन नहीं होना चाहिए खाने पीने का शयन का जगने का बिल्कुल नियत समय होना चाहिए मन को वश में करने के लिए यह जो लोग नहीं कि जब जहां जैसे आया चिड़िया की तरह चुनते रहते हैं कुछ लोगों को तो देखा है यहां तो शासन है सत्संग
में भी बोतल खोली एक एक घूट ऐसे थोड़ी थोड़ी देर अरे मर ो जाओगे अमृत बरस रहा भगवत चर्चा उसका पान करो चिड़िया की तरह कभी ऐसे जेब में डाले व रंगीन पड़ियो नहीं होती ऐसे थैली निकाला भुजिया च दो पानी मर थोड़ी जाओगे एक बार भोजन डाल दो प्राण पोषण होता रहेगा एक बार नहीं दो बार इसके बाद ज्यादा य नहीं होना चाहिए थोड़ा य पाया थोड़ा वो पाया थोड़ा प्रसाद में मिले प्रणाम कर लिया जरा चक लिया रख लिया जब प्रसाद पाए तब पा लिया बारबार खानपान से भजन में विक्षेप पहुंचता है अगर
मन को मारना है भगवत करना है तो खानपान का समय शयन का समय शयन का समय मानो आप 9 बजे से दो बजे तक 9 बजे आप सैया पर होना चाहिए दो बजे आप सैया छोड़ ही दो नींद आई हो या ना हो इससे कोई मतलब नहीं नियम सो नियम य नहीं आज रात में नींद नहीं आई तो आज सो लेते नहीं उठो तुरंत आपकी दिनचर्या अपने लोगों ने अभ्यास जब किया ना तो यह नहीं कि जग के विचार करना है कि उठना है जही घड़ी पर दृष्टि गई आज तक भगवत कृपा से कभी अलार्म
नहीं लगाया बचपन से लेकर अभी तक मिल घड़ी तो अलार्म क्या लगाए गंगा के घड़ी लेके कौन घड़ी देगा गरीब किसानों के एक समय निश्चित पाच 10 मिनट के अंतर की बात नहीं कते तुरंत वस्त्र हटाओ तुरंत ये नहीं कि ओढ के ध्यान करेंगे वो ध्यान नहीं होगा सो जाओगे वो पहले अगर सर्दी के समय ह दिया ऐसे खुले बैठो ठंडी लगेगी अब नाम जप करो जितनी देर तुम्हारा नियम हो नहीं तो चलो अपना सोच स्नान पवित्रता फिर उस शयन वाले आसन पर ना बैठे अगर फिर नहा धो कर के बैठ जाओगे तो एक दिन
पूरी और हो जाएगी उसमें अ प्राया लोग यही करते ना कि पहले तो बोले नहाने ने की जरूरत नहीं नाम जप कर लेंगे उसी में बैठे ओढ के अगर बैठ गए तो सूर्य उदय हो गए कितने नाम जपा उनको खुद पता नहीं क्यों वो कम उसम या नहा के जल्दी से उड़कर बैठ गए फिर सो गए ऐसे साधना नहीं होती स्नान करने के बाद फिर आसन में बैठकर बहुत साधारण अवस्था ऐसा नहीं कि खूब गरम गरम कंबल ऐसे उड़ नहीं ठंडी लगनी चाहिए शांत बैठ आख खुली ध्यान नहीं करना चाहिए आंतरिक ध्यान करो आख मुदली
ना तो सुश में पहुंच जाओगे ध्यान पूर्वक ऐसे जैसे चातक स्वाती की बूंद को निहारता है भागवत में आया कि कैसे शरता होना चाहिए वक्ता के प्रति चातक दृष्टि से देखते एक एक शब्द श्रवण इद्री से वो पान कर रहा है ऐसे शांत एकदम देखते हुए ऐसे श्रोता सोई परम सुजान सुनत चित रति करे आपके वस्त्र पहनने का ढंग चलने का ढंग बोलने का ढंग सात्विक होना चाहिए सोमवार को अमुक रंग का मंगल को अमुक रंग का बृहस्पति को अमुक रंग का ऐसे चलने की भी अलग-अलग स्टाइल अलग-अलग से डालना कब अगर भगवत प्राप्ति करनी
है तो सात्विक सात्विक चाल हो सात्विक भाषा हो सात्विक वस्त्र हो इनका भी बहुत प्रभाव पड़ता है वस्त्रों का भी प्रभाव पड़ता है चाल का भी प्रभाव होता है अभिमान की चाल देखना छाती में हड्डी हड्डी पर फैला के चल रहे मान शूरवीर है हां जाग में मांस नहीं है केवल पेंट पेंट दिखाई दे रहा है बा ऐसा अभिमान ऐसे टांग चला यह सब नहीं सात्विक वृत्ति से चलो सात्विक कपड़े पहनो ऐसा नहीं कि अब लालही पहनना है तो अमुक कंपनी का आना चाहिए लाल रंग का या पीले रंग का कितने का स्वेटर बो एक
700 हज का है अपना जीवन सात्विक हो सात्विक वस्त्र भ वस्त्र और हमारा चलना भी सात्विक हो हमारा बोलना भी सात्विक होना चाहिए अब इसके बाद उपासक को देखो यह तो नियमावली उपासक शब्द इसीलिए है विषय पुरुष नहीं रख सकता उपासक को हर समय मन पर दृष्टि रखना है क्या सोच रहा है ऐसा क्यों सोच लिया इसने ऐसा क्यों प्रेरणा क्या हमारा भोजन गलत हुआ क्या संग गलत हुआ क्या हुआ पूरी जांच हो रही आप सच्ची मानना प्रारंभिक बात तो अलग है कि मन पूर्व नहीं तो ऐसा नहीं है कि काम के विषय में सोचने
लगे यह लोभ के विषय ऐसा नहीं है आपका संग गलत हुआ आपका दर्शन गलत हुआ आपका गलत श्रवण हुआ भोजन गलत हुआ तो ही हो सकता है नहीं ऐसे नहीं कि भगवत चिंतन की धारा में बीच में काम आ जाए बीच में क्रोध आ जाए प्रारंभ में तो ऐसा होता है लेकिन आगे बढ़े हुए उपासिकों को फिर य दिनचर्या में अपनी जांच करनी क्या गलत हो गया आज क्या खाया जो हमारे मन में ऐसे विचार आ रहे हैं आज किसका संग किया जो हमारे मन में ऐसे विचार आ रहे हैं यद्यपि बड़ा कठिन है मन
की जांच करना क्योंकि हम मनही बने हुए तो जांच क्या करेंगे जाच तो वो कर सकता है जो थोड़ा मन से अलग हटा है ना दृष्टा भाव देख रहा है मन को हम तो मनही बने हुए हैं जो चाहता है वो हम चाहते हैं देखो ना बहुत बातचीत से समझ में आता है आज हमारी ये खाने की इच्छा है आज वहां जाने की इच्छा है तुम्हारी थोड़ी व मन की है थोड़ा अलग हट कर के देखो फिर उसमें निर्णय करो सही है या गलत जो जो विचारों में आप सपोर्ट दे देंगे वो मन के संस्कार
बन जाएंगे आप सपोर्ट नहीं देंगे तो संस्कार नहीं बनेगा ये बहुत खास बात है जब आप भजन में बैठे हो साधन में या चलते फिरते उठते बैठते ये जो शास्त्र विरुद्ध गंदी स् पुरणा दे आप बिल्कुल इसको सपोर्ट मत करना नहीं संस्कार बना देगा फिर वह आपके ना चाहने पर भी आपको परेशान करेगा और यदि आप बिल्कुल उदासीन रहे जैसे पागल आदमी पीछे बोलता चला जाए आप कुछ मत बोलो व दूसरी दिशा में चला जाएगा ऐसे ही मन शांत हो जाएगा आपका या आपको फेंकता आप परेशान मत होना ये फेंकता रहेगा जो उसने जमा किया
है फिर शांत हो जाएगा फिर नष्ट हो जाएगा उसका विषय स्फुरण नष्ट हो जाएगा अगर कहीं मन भगवत संबंधी सलाह दे तो उसको दुलार करना चाहिए सराहना कर वाह आज आपने बहुत सुंदर बात मन आपको कभी-कभी अच्छी सलाह और जहां आपको बुरी सलाह देने लगे तो फिर उसको धिक्कार दो कि प्रभु से बढ़कर तुमको यह लगा प्रभु के नाम रूप से बढ़कर लगा अंदर होना चाहिए बाहर भले मत ऐसे होगे ना व सुधरने लगेगा बस य अच्छे से ध्यान रखो जब यह गलत प्रेरणा करे तो या तो एकदम उदासीन और या फिर इसको डाट लगा
दो प्रभु की तरफ चल क्या गंदी बात अंदर नहीं नहीं अभ्यास से मन असत कार्यों को छोड़कर भगवत कार्यों में लगने लगेगा धीरे-धीरे जब इसको स्वा मिलेगा तो पूरा का पूरा य आपके अधीन होने लगे ऐसा नहीं है कि मन वश में मन वश में की वश की बात मन की ताकत नहीं होती कि विषयों में चला जाए आप करके तो देखो भजन नहीं ऐसा होता तो पूरा जीवन बर्बाद हो जाए फिर मनही बस में नहीं होता फिर क्या नहीं ऐसा नहीं पूरे जीवन को पढ़ा है साधु की सबसे बड़ी पढ़ाई मन की होती है
वो मन को पढ़ता है पूरे जीवन मन को पढ़ा है उसने देखा है मन अब क्या परिवर्तन अब क्या परिवर्तन अब क्या स्थिति अब क्या स्थिति सच्ची मानिए एक दिन मन मनमोहन बन कर के अनुभव करा देता है कहीं और अनुभव नहीं होता इसी में अनुभव होता है निहाल कर देता धन्य धन्य कर देता है बस इसके असत वासनाओं असत चेष्टा असत स्फर का आप साथ ना दें तो ये आपसे अलग हो नहीं सकता यह भगवता अंद में डुबो देगा इसे अधिक से अधिक भगवत चर्चा सुनाओ इसे अधिक से अधिक प्रभु की छवि के दर्शन
कराओ देखो भरो मन में भरो खूब भगवत चर्चा भगवत चर्चा करो प्रभु की श्री विग्रह आप जस जिस कमरे में शयन करते हो उस कमरे में कहीं भी कोई सांसारिक नहीं होनी चाहिए परिवार की फोटो या किसी अन्या आकर्षण कारी वैभवशाली की फोटो ऐसा नहीं या कोई अपने आराध्य देव गुरुदेव संत भगवान एक से एक भगवत प्रेमी महात्मा उनकी संतों की छवि प्रियालाल की छवि जिधर जिधर दृष्टि जाए भगवत स्मृति में लगा दे उठते बैठते अपना तो कमरा अंदर से ऐसा ही होना चाहिए पूरे कमरे में नाम लिख लो राधा राधा राधा वल्लभ राधा राधा
राधा राधा या लिखे हुए टांग बहुत आपको लाभ मिलेगा जिधर अब राधा राधा राधा अखंड स्मृति उस जो आपका वास्तविक साधन कक्ष हो शयन कक्ष हो अगर ऐसा हो जाए तो बहुत बढ़िया है अन्य का प्रवेश ना हो कोई भी हो सदगुरु देव के सिवा आराध्य देव के सिवा उसका आप देखना इसका बहुत बड़ा प्रभाव होता है कई बार इस बात का अनुभव हु कि जैसे बाहर मन विक्षिप्त हो गया किसी बात से किसी उपासक से और जे भी एकदम जैसे बदली एकदम बदल गई व्यक्ति और भजन बड़ी तीव्रता से होने क्योंकि वहा परमाणु भजन
के व भागवती कक्ष होता है इसके लिए भाई जी ने भी सावधान किया अगर ऐसा हो जाए तो मन लो असुविधा है तो कोई बात नहीं अगर ऐसा हो जाए भगवत मार्ग के पथिक का जो वास स्थल है जहां व सन करता है बैठता है उसमें सारिक पुरुषों का प्रवेश ना हो इसलिए हो सकता शब्द लगाए एकही परिवार में रहते हो आप ऐसा झगड़ा करोगे कि हमारे कमरे में ना जाए कोई रिश्ते नातेदार या अन्य परिवार के सदस्य कठिन हो जाएगा अगर हो सकता हो तो भगवत प्रेमी महात्मा के सिवा भगवत भजन करने वाले के
सिवा प्रवेश ना हो तो आप देखो कि उस कमरे में ऐसी परमाणु आ जाएगी कि आपका मन वहां प्रवेश करते ही भजन में लगने लगेगा बड़ी शांति का अनुभव होगा इसे खूब भगवत चर्चा सुनाओ भगवत चर्चा करो और भगवत श्री विग्रह के दर्शन कराओ बड़ा लाभ मिलता है जैसे आप जहां सन कर रहे हो सामने अगर अपने आराध्य देव की छवि हो ना ब बार बार बार दर्शन का स और कभी-कभी तन्मयता एकाग्रता करते हुए अगर सहन कर जा तो स्वप्न में वही छवि के दर्शन करते हुए पाया जाता है एकाग्रता का बड़ा महत्व है
अगर आप नाम में एकाग्र करके सो जाओ तो आप देखो जगते समय आपकी वही नाम चलता मिलेगा मन के कहने में कभी अपने आप मत फसाओ मन लोभी मन लालची मन चंचल मन चोर मन के मत चलिए नहीं यह पलपल में कुछ और भटका रहता है जब तक यह प्रभु की तरफ आपको प्रेरित ना करें तब तक इसको अपना दुश्मन मानकर इसका विरोध ही करते रहि मन का जैसे अपने दुश्मन के प्रत्येक कार्य पर निगरानी करने वाला दुश्मन के प्रहार से बच जाता है क्योंकि हर क्षण वह सावधान रहता है वैसे ही जो उपासक मन
पर नजर रखकर इसे दुश्मन के भाव से देखता है वह सावधान रहता है और मन के प्रहार से बच जाता है जहां कहीं य उल्टा आपको ले जाने के लिए करे बस इसकी सुनना नहीं बिल्कुल इसके विरोध में हो जाना यह बड़ा बलवान है पर तुमसे बड़ा नहीं ध्यान रखना यह तुम्ही से बलवान है तुम्ही से खा पी के तुम्ही को पटके अगर इसके अनुकूल रहे और अगर आप अपने तो ये इसकी ताकत नहीं आपको गिरा दे क्योंकि बिना सपोर्ट के आपके कुछ नहीं कर सकता पक्का आप सपोर्ट मत कीजिए यह आपका कुछ नहीं बिगाड़े
पर इसका स्वभाव कि एक क्षण में अपने अनुकूल कर लेना जहां दिखाया हम आपको ऐसा सुख प्रदान करेंगे जल रहे हो ना अभी आनंदित हो जाओगे तो आप दसक कर दोगे जी बस ले गया आपके दसक के बिना कुछ नहीं कर सकता कई बार इससे उपासक को हारना होगा क्योंकि बताया नहीं दस्त करवा लेगा पर तुम साहस मत छोड़ना इसके परास्त करने का सैकड़ों बार हराता है सच्चा उपासक वही है कि गिर कर के हार कर के भी उसको हराने का उत्साह ना छोड़े यह हरा देता है बहुत बार हरा देता है क्योंकि पूर्वा अभ्यासी
बहुत दाव पेच जानता है हमको अपने अधीन किए रह तो कई बार तो ऐसे ढंग से हराता है कि समझे नहीं आता कि मुझे हरा रहा था क्या जब हार गए तब लगता है हां हार तो गए इसका मतलब हमको हरा रहा था हिम्मत मत हारना जीत तुम्हारी होगी क्योंकि तुम प्रभु के सीधे अंश हो और ये तुम्हारी ताकत से बलवान हो रहा है दृढ़ता से लड़ो तो दिन दिन तुम्हारा बल बढ़ेगा और मन का बल घटेगा और यदि इसका सपोर्ट करते रहोगे तो इसका बल बढ़ेगा तुम्हारा घटेगा तुम इस पर जिस दिन विजय हो
गए तो यह मन मन ना रहकर श्री कृष्ण हो जाएगा पर ध्यान रखना यह बहुत चतुर है ये कभी डरवा जाएगा तुमको फिर अपने अधीन करेगा ऐसे ही होता है कभी फुस लाएगा कभी लालच देगा कभी बड़े सुख का प्रलोभन देगा परंतु तुम इसके धोखे में मत आना भूलकर इसका विश्वास ना करना अपनी हिम्मत टूटने ना पावे लड़ने में कमी ना होने पावे इससे लड़ाई लनी य मन से तो लड़ते नहीं बाहर झगड़ा करते घूम रहे हैं इससे लड़ो यह बेईमान जो हमको परास्त कर रहा है अंत में आप देखोगे आपकी आज्ञा पर खड़ा हो
जाएगा हाथ जोड़ अब जैसा आप जैसा यह विश्वासी सेवक बन जाएगा मन को कभी निकम्मा मत रहने दो अब तो सब हो गया वाणी पाठ भी हो गया सब तीन घंटे तो कोई बात है नहीं 3:30 बजे शाम के जाना है तीन घंटे में वो इतना मसाला एकत्रित कर देगा कि तीन महीने में तुम सत्संग के द्वारा उतना सामग्री नहीं एकत्रित कर पाओगे उसको हराने के लिए बहुत चतुर है इसको खाली मत र एक आदमी ने भूत सिद्ध किया भूत सिद्ध हो गए भूत ने कहा कि काम बताओ हमें अमुक काम एक क्षण में कराया
और बताओ और क्या बताए बोले काम नहीं बताओगे तो उठा पटक देंगे तुम्हें हम तुम्हें मार देंगे हम वो जो भूत सिद्ध करने के लिए मंत्र दिया था वोह गुरु के पास गया बोले महाराज वो तो कह रहा मार डालेंगे अगर काम नहीं बताओगे ठीक है एक लंबा बांस खड़ा कर दिया और कहा इस भूत को आदेश करो इसके उतर चढो जब तक हम कोई काम ना बताए तो यही तुम्हारे ऊपर का बस ऐसे ही मन भूत है उठा के पटक देगा आपको किसी ना किसी विषय में इसको काम बताओ क्या राधे श्याम राधे श्याम
राधे श्याम च ते उतरते र नाम में चलते र जब और कोई काम होगा तो बताएंगे चलो सेवा कर लो बाड़ी पाठ करलो नहीं है ना राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम पक्का समझो भूत है मार देगा तुम्हे अगर राधे श्याम रूपी बास में इसे चढ़ाओ उतारो नहीं तो पटक देगा किसी ना किसी विषय में फिर छाती जलेगी दिमाग खराब होगा डिप्रेशन में पहुंच जाओगे यह ऐसे ऐसे कर्म करवा देता है कि लगता है अब भी इसकी जरूरत है प्रभु के होकर प्रभु का नाम जप करके प्रभु के मार्ग में अब भी इसकी जरूरत है
जो तुमने किया जो तुमने सोचा जो तुम सोच रहे इसकी जरूरत है बहुत सावधान नाम कभी छूटे ना इसको उसमें यह निकम्मा मन बर्बाद कर देता है निकम्मा रहोगे तो इधर उधर की बातें सोचेगा एक और बात बता दे जब तक नींद ना आवे तब तक लेट करके भजन मत करना किडनी थोड़ी खराब तुम्हारी कि तुम्हें बैठने में परेशानी अपने लोगों ने ऐसा किया है जैसे रात्रि में है माला लेकर बैठ ग नींद नहीं आ रही तब तक माला चल रहा है भजन चल रहा जब नींद आने लगी धीरे से माला छाती में रखा है
अगल कोई अपने माला में ही अब लेट करके की नींद का इंतजार तो नींद तो आए कि ना आए लेकिन क्या क्या प्रोग्राम आ जाएगा वो आप देख लो नए साधक सावधान नहीं रहते तो दुर्दशा अपनी कर लेते हैं क्रियाओं के द्वारा अन्य चेष्टा हों के द्वारा शयन के समय बहुत सावधान रहने की जरूरत है दिन भर तो आपको ऐसी सेवाएं मिली हैं ऐसे साधन मिले हैं जो भगवता आनंद में डुबोने के लिए पर्याप्त है लेकिन जो आपका पर्सनल समय है उस समय आप सावधान रहना अब आप फुर्सत में लेट ग जे भी फुर्सत सोच
के लेटे कि सब हो गया अब उसका प्रोग्राम शुरू मन का अब आपकी इधर उधर चित्तवृत्ति फिर मोबाइल जो पास है तो फिर क्या कहना है मन को तो मानो अमृत मिल गया वह आपको प्रेरित करेगा जहां आपने कोई गेम यह वो नौटंकी नाटक जहा बस उसको मसाला मिल गया वह आप काफी है वो आपको ऐसी जगह पहुंचा देगा कि सुबह दिनचर्या में हाजिर नहीं हो पाओगे कहां है वो बोले अभी तो आया ही नहीं वो क्यों मन ने उसको परास्त कर दिया इसलिए नहीं आया बहुत सावधान यह निकम्मा रहेगा तो बुरी बुरी बातें सोचेगा
खास बात है दिन भर सावधान रह सकते हो माना लेकिन सयम के समय जब आप अपनी सैया पर गए अब होश ठिकाने रखो बिल्कुल सावधान यहां थोड़ी तुम्ह सावधान रहने की जरूरत है अभी तो सावधान है ही हो नहीं तो अभी खड़े हो तुम्हारे पितर तक तृप्त हो जाएंगे अभी लेकिन कमरे में सिटकनी बंद अब शयन के लिए गए आप होश में यही होश खो जाते हैं ध्यान रखना मन आपसे ऐसी चेष्टा कराएगा क्रियाए कराएगा ऐसा दर्शन कराएगा ऐसा सोच आएगा पूरे दिन की साधना को मटिया प्लेट कर देगा पोछा लगा देगा हमारी प्रार्थना मान
लेना जब तक नींद ना आवे तब तक सोने के लिए आप लेटना नहीं यदि जवान साधक हो माला हाथ में ऐसे दोनों हाथ कब्जे में है जवान से नाम या मानत अधर अब थक गए सो गए तो ऐसे सो जाओ आपकी सैया परम पवित्र है अगर घंटा दो घंटा इंतजार नींद का तो पक्का वो भ्रष्ट करा के रखेगा पक्का हमारी बात लिख लो सावधान शयन के समय हर उपासक सावधान उस समय विशेष आवश्यकता आपको भजन की है क्योंकि वह एकांत है और आपके ऊपर उस समय मन को हावी होने का अवसर मिल इसलिए सावधान सत्संग
को सुना जाए मनन किया जाए और आचरण में उतारा जाए और इस भूत को हर समय नाम रूपी बांस पर चढ़ाते उतारे राधे श्याम राधा वल्लभ श्री हरिवंश राधा वल्लभ श्री हरिवंश
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