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We've all heard stories about incredible success and...
Video Transcript:
साल था 1973 और 14 साल का एक मिडिल क्लास लड़का अपने परिवार के साथ कोलकाता के बड़ा बाजार में रहता था उसके पापा और ग्रैंडफादर दोनों स्टॉक ब्रोकर का काम करके अपनी जिंदगी का गुजारा किया करते थे पर अचानक उसके पापा हमेशा के लिए उसे छोड़कर चले जाते हैं उसके पापा की डेथ हो जाती है वो पढ़ाई में उतना अच्छा नहीं होता है और अपने 10थ की एग्जाम में भी फेल हो जाता है अपने ग्रैंडफादर के साथ रहकर उसे स्टॉक मार्केट के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो जाती है उसके अंदर ट्रेडिंग का पैशन डेवलप होने लगता है पर उसकी उम्र अभी काफी कम थी वक्त बीतता गया और फाइनली वह 19 साल का हो जाता है और ट्रेडिंग करना शुरू कर देता है ही स्टार्टेड व्हेन ही वाज रियली यंग व्हेन ही वाज जस्ट 19 ट्रेडिंग से व अपनी उम्र के हिसाब से काफी अच्छे प्रॉफिट्स बनाने लगता है और अब उसे लगने लगता है कि उसे ट्रेडिंग का गेम समझ आ गया है और जल्द वो अब अपने फैमिली को बहुत अच्छी जिंदगी दे पाएगा वह हर रोज ट्रेडिंग करता और हर बार उसे यह उम्मीद लगी रहती कि इस ट्रेड के बाद वह पक्का करोड़पति बन जाएगा वो जितने पैसे बनाता अगले ट्रेड में सारे पैसे लगा देता और फिर और ज्यादा प्रॉफिट बना था हमेशा की तरह एक दिन उसके पास जितने भी पैसे थे उसने सारे ट्रेड में लगा दिए इस उम्मीद में कि इस बार पक्का वो बड़ा प्रॉफिट बनाने वाला है पर बदकिस्मती से इस बार उसे लॉस का सामना करना पड़ता है और उसके सारे पैसे डूब जाते हैं एंड सिर्फ वो अपने पैसे लॉस नहीं करता बल्कि और कर्ज में भी चला जाता है अब उसे किसी भी तरह 15 दिन से पहले अपने इस कर्जे को भरना था जब उसे कोई रास्ता नहीं दिखता है तो आखिर में उसे अपने इस डेप्ट को भरने के लिए अपनी मम्मी की ज्वेलरी को सेल करना पड़ता है उसका ट्रेडर बनने का सपना मानो टूट सजाता है और वो डिसाइड करता है कि वो अब ट्रेडिंग को हमेशा के लिए छोड़ देगा एक दिन उसने अपने आसपास देखा कि कुछ लोग किराने स्टोर्स में एक ₹ की पुड़िया बना कर के बेच रहे हैं उसने अपनी मम्मी से कहा कि मैं भी यही करना चाहता हूं तब उनकी मम्मी ने उसे डांटते हुए कहा कि बड़ा सोचो कुछ महीने बाद वो फिर से ट्रेडिंग करना शुरू करता है और मुंबई शिफ्ट हो जाता है वो प्रॉफिट्स तो बना रहा होता है पर उसके एक गलत ट्रेड के कारण वो फिर से भारी लॉस में चला जाता है और ये साप सीढ़ी का खेल चलता रहता है आखिर में वो डिसाइड करता है कि ये ट्रेडिंग को छोड़कर मुझे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में सोचना चाहिए साल आता है 2004 और वो अपनी सेविंग्स को तीन कंपनियों में इन्वेस्ट कर देता है एजस लॉजिस्टिक्स सेरा सैनिटरी वेयर एंड अतुल ऑटो वक्त बीतता जाता है और लगभग 10 साल के अंदर यानी 2014 तक उनकी प्राइसेस 100 गुना बढ़ जाता है जिसके कारण उसके करोड़ों में प्रॉफिट बनाने का सपना फाइनली पूरा हो जाता है यह शख्स कोई और नहीं बल्कि आज लगभग 1723 करोड़ का मालिक मार्केट के दिग्गज निवेशक ए इन्वेस्टर द डायरेक्टर ऑफ केडीए सिक्योरिटीज विजय खेड़िया विजय केडिया विजय डिया मिस्टर विजय खेड़िया विजय किशन लाल केडिया ऐसे ना जाने कितने सक्सेस एज वेल एज इस कैम की स्टोरीज है स्टॉक मार्केट से रिलेटेड जो हमने कभी ना कभी तो जरूर सुना है पर इन कहानियों को सुनकर हम बस इंटरटेन होकर भूल जाते हैं और सोचते हैं कि ये स्टॉक मार्केट से हमारा क्या ही लेना देना है हमें क्या ही फर्क पड़ता है पर आपको शायद यह एहसास नहीं है कि आपके एक 20 ग्राम के टूथपेस्ट खरीदने से लेकर अपने सपनों का घर खरीदने तक हर जगह ये स्टॉक मार्केट आपको इंपैक्ट कर रहा होता है आपकी लाइफ की हर एक डिसीजन को डायरेक्टली या इनडायरेक्टली यह स्टॉक मार्केट इंपैक्ट कर रहा होता है तो ऐसे में हमारे लिए यह जानना बहुत ही जरूरी हो जाती है कि आखिर यह स्टॉक मार्केट है क्या इसकी शुरुआत कैसे हुई और आखिर यह पूरा सिस्टम वर्क कैसे करता है और कुछ लोग कैसे इसी स्टॉक मार्केट से इतना ज्यादा अमीर बन जाते हैं तो आइए आज के इस डॉक्यूमेंट्री में इस स्टॉक मार्केट को पूरी शुरुआत से बहुत ही आसान लैंग्वेज में समझने की कोशिश करते हैं स्टॉक मार्केट अक्रॉस यूरोप एंड द यूएस कमरू टुडे फल रन इन द इंडियन मार्केट सीम अनस्टॉपेबल ंग द सेंसेक्स एंड द निफ्टी कंटिन्यू टू हिट न्यू हाइज निफ्टी टुडे वी क्लॉक न्यू रिकॉर्ड हाई टुडे स्टॉक मार्केट इ हायर इट्स [संगीत] ल पिछले चार पाच सालों में मैंने लगभग 500 600 वीडियोस बनाई है इस पूरे जर्नी के दौरान मैंने अपने अलग-अलग एस्पेक्ट को इंप्रूव करने की कोशिश की है फिर वो चाहे मेरा एडिटिंग स्किल हो या फिर वॉइस मॉडले हो या फिर स्टोरी टेलिंग का तरीका हो और इस पूरे जर्नी में जो एक बहुत ही बड़ी इंप्रूवमेंट मैंने की है वो है मेरा स्क्रिप्ट लिखने का तरीका एंड मैंने उसे एक स्क्रिप्ट टेंप्लेट के फॉर्म में कन्वर्ट किया था जिसे मैंने आप लोगों के साथ शेयर किया था अपने थर्ड वाले डॉक्यूमेंट्री में ये स्क्रिप्ट टेंप्लेट मुझे मिलियंस ऑफ व्यूज लाकर दे रहा है एंड हजारों लोगों ने उस स्क्रिप्ट टेंप्लेट को खरीदा था और उन लोगों ने बहुत ही पॉजिटिव फीडबैक भी मुझे दिया है साथ ही कुछ क्रिएटर्स ने ये भी कहा है कि इतना डिटेल में इस तरीके का स्क्रिप्ट आप कैसे लिखते हो सो मैं आप लोगों के लिए गुड न्यूज़ लेकर आया हूं अगले 48 घंटे के लिए आपको वो स्क्रिप्ट टेंप्लेट साथ ही मेरा एक डॉक्यूमेंट्री जिसके ऊपर 1. 1 मिलियन व्यूज है उसका कंप्लीट स्क्रिप्ट एंड एक वीडियो ट्यूटोरियल जो आपको बताएगा कि उस स्क्रिप्ट टेंप्लेट को कैसे यूज करना है ये सब कुछ अगले 48 घंटे के लिए आप बाय कर सकते हो और उससे कुछ सीख सकते हो सिर्फ 99 में और आप उस स्क्रिप्ट टेंप्लेट को अपनी वीडियोस में यूज करें ताकि आप भी अपने वीडियोस को बेहतर बना सकें और अगर आप फ्रीलांसर हैं तो आप अपने क्लाइंट्स को बेहतरीन स्क्रिप्ट लिखकर दे सक लिंक डिस्क्रिप्शन में दे रहा हूं जाएं जाकर अभी उसे परचेस करें तो आइए इस स्टॉक मार्केट के कंप्लीट स्टोरी को समझते [संगीत] हैं कमर्शियल रिवोल्यूशन की शुरुआत से ही फ्रांस में फाइनेंस और डेप्ट मैनेजमेंट बहुत तेजी से बढ़ रहे होते हैं उसी के साथ-साथ इनफॉर्मल बैंक्स भी सेटअप की जा चुकी थी जो एग्रीकल्चर के लिए लोंस दिया करती थी पर इन लोंस को मैनेज करना मुश्किल होता जा रहा था तो इन डेप्स को मैनेज करने के लिए बैंक्स के हाफ में कुछ लोगों को अपॉइंट्स की बाइंग और सेलिंग को मैनेज किया करते थे इन लोगों को फ्रेंच में कोर्टियर्स द चेंज कहकर बुलाया जाता था जिसका मतलब हुआ फॉरेन एक्सचेंज ब्रोकर या मनी ब्रोकर और इस तरह ब्रोकर्स की कांसेप्ट की शुरुआत होती है 16वीं शताब्दी के दौरान डच स्पेनिश एंपायर के अंदर आता था किसी तरह 1581 में डच खुद को इंडिपेंडेंट डिक्लेयर कर देता है इंडिपेंडेंस के बाद डच की पूरी इकॉनमी पोर्तुगीज से लाए गए एशियन और अफ्रीकन स्पाइसेज को सेल करने पर डिपेंडेंट होती है पर धीरे-धीरे स्पेनिश एंपायर का कंट्रोल पोर्तुगीज टेरिटरीज पर बढ़ने लगता है जिसके कारण अब डच को पोर्तुगीज से स्पाइसेसवेर है इस इकोनॉमिक क्राइसिस से बचने के लिए डच मर्चेंट्स एशियन एंड अफ्रीकन कंट्री का डायरेक्ट रूट ढूंढने का फैसला करते हैं ताकि उन्हें पोर्तुगीज पर डिपेंडेंट ना होना पड़े लेकिन समुद्र में एक नया रूट ढूंढना कोई आसान काम नहीं था जब भी वो लोग रूट ढूंढने के लिए निकलते तो उनके हर 10 में से एक शिप कभी वापस नहीं लौट पाती थी और समुद्र में ही खो जाती थी थी पर किसी भी तरह डच लोग फाइनली एक नया रूट खोज निकालते हैं अब यह रूट खोजना काफी कॉस्टली प्रोसेस था और साथ ही यह लोग स्पेनिश एंपायर के साथ वॉर भी कर रहे थे तो जो मर्चेंट्स इन सारे चीजों को फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस [संगीत] में होने वाली प्रॉफिट्स को शेयर कर दिया जाएगा इनका यह प्लान सक्सेसफुल रहता है और यह लगभग 6 मिलियन गिल्डर्स कलेक्ट करने में सक्सेसफुल रहते हैं जो आज के 110 मिलियन डॉलर्स के बराबर है और इस पूरे प्रोसेस को मैनेज करने के लिए एमस्टरडम स्टॉक एक्सचेंज की नीव रखी जाती है जिसे आज हम दुनिया का सबसे पहला स्टॉक मार्केट के रूप में जानते हैं एंड डच ईस्ट इंडिया कंपनी पब्लिकली ट्रेड किए जाने वाली पहली कंपनी बन जाती है इस मॉडल से इंस्पायर होकर दुनिया में और भी बहुत सारी कंट्रीज ने फंडिंग कलेक्ट करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत की इंडिया में इसकी शुरुआत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने वेंचर्स के लिए बॉन्ड्स और शेयर्स इशू करके की थी मुंबई हमेशा से ही इंडिया का सबसे बिजी ट्रेडिंग स्पॉट रहा है और इंडिया में स्टॉक मार्केट की शुरुआत भी मुंबई के टाउन हॉल के सामने खड़े बैनियन ट्री से हुई थी धीरे-धीरे मुंबई में स्टॉक ब्रोकर्स की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है और आगे चलकर साल 18753 [संगीत] जिसे आज हम शॉर्ट में बीएससी भी बोलते हैं शुरुआत में इसे द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के नाम से जाना जाता था और फिर वक्त के साथ इंडिया के और भी स्टेट्स में रीजनल स्टॉक एक्सचेंज का सेटअप होना शुरू हो जाता है आजादी के बाद साल 1977 में [संगीत] बचा जा सके तो साल 1988 में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया को एस्टेब्लिश किया जाता है जिसे हम सेबी भी कहते हैं इसी के साथ साल 1993 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की इस्टैब्लिशमेंट की जाती है जिसे एनएसई भी कहा जाता है आज हमारा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का सिक्स्थ लार्जेस्ट स्टॉक एक्सचेंज के रूप में जाना जाता है वहीं एनएसी दुनिया का सेवंथ लार्जेस्ट स्टॉक एक्सचेंज बन चुका है पर ये तो हमें समझ आ गया कि आखिर ये स्टॉक मार्केट की शुरुआत कैसे हुई पर क्वेश्चन ये है कि आखिर ये पूरा सिस्टम वर्क कैसे करता है किस तरह आज हजारों कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्टेड है और करोड़ों लोग अपनी-अपनी पसंद की कंपनीज के शेयर्स को खरीद रहे हैं और बेच रहे हैं यह जो हम सुनते हैं कि आज निफ्टी इंडेक्स बढ़ गया या फिर सेंसेक्स इंडेक्स कम हो गया आखिर यह सब है क्या तो आइए जानने की कोशिश करते हैं तो इमेजिन करो कि आपकी एक फास्ट फूड की दुकान है एक्स वाई जड फास्ट फूड आपके एरिया में आपकी ये शॉप के काफी चर्चे हैं और दूसरे एरियाज से भी लोग आपकी इस शॉप में आते हैं आपको लगता है कि जिन एरियाज से लोग ट्रेवल करके आपके पास आ रहे हैं क्यों ना आप उन एरियाज में भी अपनी शॉप ओपन कर दो आप अपने सेविंग्स इकट्ठे करते हो और कुछ पैसे अपने दोस्तों और रिलेटिव से लेकर नई ब्रांच ओपन कर देते हो एंड आपकी दूसरी शॉप भी सक्सेसफुल रहती है और लोगों की भीड़ और बढ़ती जाती है अब आप सोचते हो कि कुछ तो बात है मेरे फास्ट फूड शॉप में क्यों ना अपने सिटी के हर मेजर एरियाज में एक-एक ब्रांच ओपन कर दिया जाए और इस पूरे सेटअप के लिए आपको काफी ह्यूज अमाउंट्स ऑफ कैपिटल की नीड होगी जो आपके दोस्त और रिलेटिव्स भी नहीं दे पाएंगे ऐसे में आप डिसाइड करते हो कि क्यों ना हाई नेटवर्थ वाले लोगों से हेल्प लिया जाए और बदले में उन्हें अपनी कंपनी का कुछ हिस्सा दे दूंगा आप उनके पास जाते हो और अपने फास्ट फूड शॉप के बारे में बताते हो वो सब कुछ समझने के बाद कन्वींस हो जाते हैं और आपको पैसे देने के लिए तैयार हो जाते हैं इन्हें इन्वेस्टर्स या फिर एंजल इन्वेस्टर्स कहते हैं और ये पूरा प्रोसेस आपने शार्क टैंक में देखा होगा अब इन पैसों को लेकर आप अपने सिटी के सारे फेमस जगह पे एक-एक ब्रांच ओपन कर देते हो एंड गेस व्हाट वो सारे स्टोर्स सक्सेसफुल रहते हैं और आपके फास्ट फूड शॉप की चर्चा पूरे शहर में होने लगती है आप काफी अच्छा प्रॉफिट भी बना रहे होते हो अब आप चाहो तो यहां भी रुक सकते हो पर आप चाहते हो कि सिर्फ आपके शहर में ही नहीं बल्कि पूरे देश में आपके फास्ट फूड शॉप का ब्रांच हो अब इसके लिए ओबवियसली बहुत ज्यादा पैसे चाहिए और अब इन्वेस्टर्स भी आपको इतने पैसे नहीं दे पाएंगे तो ऐसे में आप डिसाइड करते हो कि क्यों ना आम पब्लिक से हेल्प ली जाए और बदले में उन्हें अपनी कंपनी का कुछ हिस्सा दे दिया जाए इस प्रोसेस को आईपीओ कहा जाता है जिसका मतलब है इनिशियल पब्लिक ऑफि पर क्योंकि आम पब्लिक भी आपके कंपनी का हिस्सा बनने वाली है तो इसका मतलब यह हुआ कि आपकी कंपनी में कुछ भी सही या गलत होता है तो इसका इंपैक्ट आम पब्लिक को भी झेलना पड़ेगा इसीलिए इससे पहले कि आप अपना आईपीओ लॉन्च करें आपको कुछ जरूरी प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा सबसे पहले आपको एक इन्वेस्टमेंट बैंकर हायर करना होगा जो आपकी कंपनी को अच्छे से रिव्यू करेगा और सारे नेसेसरी डॉक्यूमेंट वगैरह तैयार करेगा इन सारे डॉक्यूमेंट को लेकर आप अब आप सेबी के पास जाओगे और सेबी क्या होता है यह मैंने ऑलरेडी आपको बता दिया है सेबी आपकी डॉक्यूमेंट चेक करेगा जिसमें आपके बिजनेस का पूरा रिपोर्ट होगा इन रिपोर्ट्स को देखकर आप सेबी ये डिसाइड करेगा कि क्या आपकी कंपनी पब्लिक में लिस्ट करने लायक है या नहीं आपके फास्ट फूड कंपनी के केस में लकिली सारे डॉक्यूमेंट बढ़िया होते हैं और सेबी के तरफ से आपको ग्रीन सिग्नल मिल जाता है इसके बाद आप डीआरएचपी स्टेज में जाते हो यानी ड्राफ्ट रेड हेयरिंग प्रोस्पेक्टस जिसमें आप अपनी कंपनी की पूरी डिटेल प्रिपेयर करते हो जैसे जैसे बिजनेस ऑपरेशंस पास्ट फाइनेंशियल परफॉर्मेंस और फ्यूचर में क्या होने की प्रोबेबिलिटी है और भी बहुत कुछ अब फाइनली आप पब्लिक तक इस न्यूज़ को किसी तरह पहुंचाते हो कि अब आप भी हमारे इस फास्ट फूड कंपनी का हिस्सा बन सकते हो जिसके लिए आप अलग-अलग तरह से मार्केटिंग करते हो सो दैट लोगों को पता चल जाए कि आपकी कंपनी अब पब्लिक में लिस्ट होने वाली है पर यहां पे आपको एक दिक्कत का सामना करना पड़ता है आपको समझ नहीं आ रहा होता है कि मुझे आखिर एक शेयर का प्राइस कितना रखना चाहिए क्योंकि अगर आपने ज्यादा प्राइस रख दिया तो लोग शायद शेयर परचेस ही ना करें और अगर आपने कम रख दिया तो आपका नुकसान हो जाएगा ऐसे में आईपीओ से पहले आप एक और प्रोसेस से गुजरते हो बुक बिल्डिंग प्रोसेस यानी आप एक मैक्सिमम एंड मिनिमम प्राइस सेट करते हो सपोज 100 से ₹2000000 दिन के लिए आप पब्लिक को बिडिंग करने का मौका देते हो बिडिंग के बाद आपको आईडिया लग जाता है कि मैक्सिमम लोगों ने ₹1 पे बिडिंग किया था तो बेहतर यही होगा कि मैं अपने शेयर का प्राइस ₹1 रखूं एंड कांग्रेचुलेशन आपकी फास्ट फूड कंपनी फाइनली अब पब्लिकली लिस्ट हो चुकी है एंड जो लोग आपको पहले से जानते थे या आपकी फास्ट फूड शॉप पर आकर वो खाया करते थे उन्हें ये विश्वास होता है कि आपके फास्ट फूड में कुछ तो बात है और यह कंपनी पक्का आगे जाएगी तो वो लोग आपके शेयर्स को खरीद लेते हैं आपके पास फंड्स आ जाती है और आप उसका यूज करके पूरे देश भर में अपने फास्ट फूड शॉप की ब्रांच ओपन कर देते हो अब जो शेयर्स पब्लिक ने खरीदा था वो मार्केट में अवेलेबल हो जाता है और उसे कोई भी बाय या सेल कर सकता है और ये ये बाइंग एंड सेलिंग का प्रोसेस हर सेकंड चलती रहती है और यह पूरा खेल होता है डिमांड एंड सप्लाई का मान लीजिए आपके शेयर को 10 लोग बेचना चाह रहे हैं पर 20 लोग ऐसे हैं जो उनको खरीदने के लिए तैयार बैठे हैं तो ऐसे में आपके शेयर की डिमांड बढ़ जाती है जिसका रिजल्ट ये होता है कि आपके शेयर की प्राइस भी बढ़ जाती है वहीं पे अगर आपके शेयर को 10 लोग बेचना चाह रहे हैं पर सिर्फ पांच लोग ही हैं जो उसे खरीदना चाहते हैं तो ऐसे में आपकी शेयर की डिमांड कम हो जाती है जिसकी वजह से आपकी शेयर की प्राइस घट जाती है अब ये डिमांड एंड सप्लाई बहुत सारे फैक्टर्स पर डिपेंड करती है इनमें से कुछ फैक्टर्स तो इंटरनल फैक्टर्स होती है जैसे आपकी प्रोडक्ट की क्वालिटी लोगों का क्या फीडबैक आ रहा है साथ ही साथ मार्केट के हिसाब से आपका प्राइसिंग क्या है और भी बहुत सारा फैक्टर्स होता है पर बहुत सारी एक्सटर्नल फैक्टर्स भी होती है जिसपे कंपनीज का उतना कंट्रोल नहीं होता है जैसे कि टेक्नोलॉजिकल चेंजेज रेगुलेटरी चेंजेज पॉलिटिकल शिफ्ट्स इमोशंस न्यूज़ इकोनॉमिक कंडीशंस ट्रेड पॉलिसीज और भी बहुत सारी फैक्टर्स और हमारे देश में एक और फैक्टर है जो बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है रूमर्स हमारे आसपास के 10-15 लोग अगर हमें बोल दें कि उस कंपनी की कंडीशन बहुत खराब होने वाली है तो फिर हम बिना कुछ रिसर्च किए या दिमाग लगाए रूमर्स के पीछे भागने लगते हैं और ऐसे में उस कंपनी के शेयर्स को सब बेचने लगते हैं जिसके कारण उस कंपनी की शेयर प्राइस अचानक से गिरने लगती है पहले के टाइम में जब ट्रेडिंग कागज पे हुआ करती थी तो मार्केट ओपन होने से पहले इसी तरह किसी कंपनी के बारे में रूमर्स फैला दिए जाते थे और फिर मार्केट ओपन होने पे उस कंपनी के शेयर उसी रूमर के हिसाब से परफॉर्म करते थे आपने ने ये सेम चीज हर्षद मेहता स्कैम सीरीज में भी देखी होगी जहां पे हर्षद मेहता एसीसी सीमेंट के ऊपर एक रूमर्स फैला देता है और फिर जब मार्केट ओपन होता है तो एसीसी सीमेंट का परफॉर्मेंस हर्षद मेहता के फैलाए गए रूमर्स पे बेस्ड होता है आज के टाइम पे अगर आपको इंडियन स्टॉक मार्केट के हेल्थ को समझना है तो आप निफ्टी इंडेक्स या फिर आप सेंसेक्स इंडेक्स को देखते हो ये निफ्टी इंडेक्स असल में एनएसी में लिस्टेड टॉप 50 कंपनीज की परफॉर्मेंस को ट्रैक करती है वहीं सेंसेक्स बीएससी में लिस्टेड कंपनीज में से टॉप 30 क कंपनीज की परफॉर्मेंस को ट्रैक करती है सो निफ्टी एंड सेंसेक्स के परफॉर्मेंस से हमें ओवरऑल इंडियन मार्केट के परफॉर्मेंस का अंदाजा लग जाता है यानी अगर एनसी की टॉप 50 कंपनीज अच्छा परफॉर्म कर रही है तो यानी कहीं ना कहीं इंडियन मार्केट भी अच्छा परफॉर्म कर रहा है यह तो हमें समझ आ गया कि आखिर स्टॉक मार्केट वर्क कैसे करता है पर अब क्वेश्चन यह है कि आखिर में अपनी मेहनत से कमाए गए पैसे को किसी और कंपनी के स्टॉक्स को खरीदने में क्यों लगाऊंगा और अगर मैं लगाना भी चाहता हूं तो क्या-क्या पॉसिबल तरीका है खिर मैं शेयर मार्केट का हिस्सा बनकर अपने पैसे को ग्रो कैसे करूंगा आइए समझने की कोशिश करते हैं मान लीजिए कि आपने किसी तरह मेहनत करके 2015 में ₹2000000 [संगीत] आप और वेट नहीं करोगे आप अपने 26000 लेकर ज्वेलरी शॉप जाते हो और 10 ग्राम की ज्वेलरी पसंद करते हो और पेमेंट करते वक्त आप दुकानदार को ₹2000000 की नहीं मिल पाएगी इसकी प्राइस 76000 है आपके पैरों तले जमीन खिसक जाती है कि भाई मैंने तो 26000 में पिछली बार देखी थी अचानक 76000 कैसे हो गए इस पूरी चीज को इंफ्लेशन कहते हैं यानी 20155 में आप जिन ₹2000000 [संगीत] आप लगभग 3. 5 ग्रा ही गोल्ड बाय कर पाओगे तो इसका मतलब यह हुआ कि आपके मेहनत से सेव की गई अमाउंट वक्त के साथ-साथ अपनी वैल्यू खोती रहती है ऐसे में आपको कोई ऐसा रास्ता ढूंढना पड़ेगा जिससे अगर आप उस 26000 से 2015 में 10 ग्राम गोल्ड खरीद पा रहे थे तो अब 2024 में भी आप 10 ग्राम गोल्ड खरीद सको इस इंफ्लेशन को बीट करने के लिए आपके पास कुछ ऑप्शंस अवेलेबल है जैसे बैंक में एफडी करवाना जिससे कि आपको एनुअली एक फिक्स्ड रिटर्न मिल सके पर मोस्ट ऑफ द बैंक्स आपको 6 पर के आसपास एनुअल रिटर्न देती है यानी आपका ₹1000000 बन जाएगा पर इंडिया में इंफ्लेशन रेट ही लगभग % के आसपास है तो इन बेस्ट केस सिनेरियो आपकी सेविंग्स किसी तरह बस इंफ्लेशन को बीट कर पाएगी नेक्स्ट ऑप्शन आपके पास होता है कमोडिटीज को बाय करके रखना फॉर एग्जांपल अगर आपने 2015 में वो 10 ग्राम गोल्ड बाय कर लिया होता तो आज आपकी 26000 सेविंग्स लगभग 76000 हो जाती और आप इंफ्लेशन को आराम से बीट कर लेते इसी तरह और भी कमोडिटीज है जैसे सिल्वर वगैरह नेक्स्ट ऑप्शन आप आपके पास होता है स्टॉक मार्केट जहां आप कुछ शेयर खरीदकर किसी भी कंपनी के पार्ट ओनर बन जाते हो और बिना किसी मेहनत के उस कंपनी के प्रॉफिट्स के हिस्सेदार भी बन जाते हो और एक साथ आप जितनी चाहो उतनी कंपनीज में अपने पैसे को इन्वेस्ट कर सकते हो जैसे विजय केडिया के केस में 2004 में उसने अपने सेविंग्स को तीन कंपनीज में इन्वेस्ट किया था और 10 साल बाद 2014 तक वो कंपनीज इतना ग्रो कर जाती है कि विजय केडिया का इन्वेस्टमेंट 100 गुना बढ़ जाता है हमें यह तो समझ आ गया कि आखिर क्यों लोग स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं पर अब अब क्वेश्चन यह है कि एक आम इंसान कैसे स्टॉक मार्केट का हिस्सा बन सकता है तो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के मेनली दो तरीके होते हैं डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट या फिर इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट अगर आप चाहते हो कि आप पर्सनली किसी कंपनी की पूरी डिटेल्स पढ़ो एंड देन ये डिसाइड करो कि मुझे इस कंपनी में पैसे इन्वेस्ट करने चाहिए या नहीं तो यह कहलाता है डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट मतलब कि आप डायरेक्टली पूरे प्रोसेस में इवॉल्वड होते हो वहीं अगर आप चाहते हो कि भाई कौन यह सब टेक्निकल चीजों को पढ़ेगा मुझे तो बस अपने पैसे डालने हैं और चुपचाप एक अच्छा रिटन लेकर निकलना है तो ऐसे में आप इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की तरफ देखते हो जिसे हम म्यूचुअल फंड्स भी कहते हैं एंड आई एम श्योर आपने कहीं ना कहीं यह वर्ड जरूर सुना होगा म्यूचुअल फंड्स में बेसिकली आप अपना पैसा एक ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स के हाथों में दे देते हो जो इन स्टॉक मार्केट को अच्छे से जानते हैं और वो एनालिसिस करके आपके पैसे को बहुत सारी कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं आपका यह फंड एक्सपर्ट फंड मैनेजर मैनेज करता है इसीलिए इन फंड्स में स्टॉक्स की कंपैरिजन में बहुत कम रिस्क होता है पर एक क्वेश्चन ये उठता है कि स्टॉक मार्केट तो पिछले 100 200 सालों से हमारी लाइफ का हिस्सा रहा है तो फिर पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ कि इसकी पॉपुलर इतना ज्यादा बढ़ [संगीत] गई एनएससी को इंडिया में अपने पहले 1 करोड़ इन्वेस्टर्स रजिस्टर करने में 14 साल का वक्त लगा था लेकिन 2024 में सिर्फ पाच महीनों में ही इन्वेस्टर्स की तादाद 9 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ हो गए यानी 1 करोड़ नए इन्वेस्ट सिर्फ 5च मंथ्स में रजिस्टर किए जा चुके हैं एनएसी की लेटेस्ट रिपोर्ट के हिसाब से 30 साल से कम उम्र के इन्वेस्टर्स के नंबर में सिग्निफिकेंट ग्रोथ देखने को मिला है मार्च 2018 में 22.
9 पर इन्वेस्टर की ऐज 30 साल से कम थी जो बढ़कर 40 हो गई है पीडब्ल्यू स इंडिया और द इंडस्ट्री ग्रुप एसो कम की रिपोर्ट के हिसाब से 2025 तक रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या 15 करोड़ तक बढ़ जाएगी पर इतनी रैपिड पॉपुलर के पीछे आखिर कारण क्या है इसके पीछे सबसे इंपॉर्टेंट रीजन है स्टॉक मार्केट का डिजिटलाइज होना डिजिटलाइजेशन की वजह से बहुत लोगों के लिए स्टॉक मार्केट की एक्सेसिबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी बढ़ गई है इसके अलावा ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स की वजह से ब्रोकरेज फीस की कॉस्ट भी कम हुई है जिस वजह से स्टॉक मार्केट में एंट्री करना बहुत ही इजी हो गया है आप अभी बैठे-बैठे इसी वक्त किसी भी ब्रोकरेज ऐप में अपना डीमेट अकाउंट ओपन करवा सकते हो कहीं दौड़ भाग करने की जरूरत नहीं है और फिर तुरंत ही आसानी से किसी भी कंपनी के शेयर्स को बाय या सेल करना शुरू कर सकते हो फंड्स इंडिया की स्टडी के हिसाब से पिछले 20 सालों में इंडियन स्टॉक मार्केट ने 16 पर रिटर्न दिया है जो बाकी सारे ट्रेडिशनल एसेट्स के कंपैरिजन में सबसे ज्यादा है इसके अलावा इंडियन स्टॉक मार्केट के बेंचमार्क निफ्टी 50 ने दुनिया की बाकी सारी इंडेक्स के कंपैरिजन में कहीं ज्यादा रिटर्न दिया है इस रैपिड ग्रोथ में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंस का भी बहुत बड़ा रोल रहा है आज इंडिया में बहुत सारे ऐसे इन्फ्लुएंस हैं जो स्टॉक मार्केट के कांसेप्ट को बहुत ही इजी एंड आसान लैंग्वेज में लोगों को समझा रहे हैं एंड एज अ रिजल्ट ज्यादा से ज्यादा लोग इस मार्केट का हिस्सा बन रहे हैं पर कैसा हो अगर इस पैसे से भरे मार्केट को लोग गैंबलिंग की तरह ट्रीट करने लगे कैसा हो अगर मेजॉरिटी लोग यह सपना देखने लगे कि रातों-रात मैं करोड़पति बन जाऊंगा कैसा हो अगर लोग बिना किसी एनालिसिस के बिना किसी रिसर्च के बिना किसी नॉलेज के अपनी पूरी सेविंग्स इस मार्केट में डाल दे बस अपने किस्मत के भरोसे कि मेरा पैसा भी 100 गुना बढ़ जाएगा बदकिस्मती से आज इंडिया में यही चीज हो रही है सेबी की रिपोर्ट के अकॉर्डिंग हर 10 में से नौ लोग लॉस का सामना कर रहे हैं फाइनेंशियल ईयर 2022 फाइनेंशियल ईयर 2024 के दौरान लोगों ने लगभग 1. 8 लाख करोड़ की लॉस की है आप समझ रहे हो 1.