साल 1869 हवाई जहाज की पहली उड़ान और आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी से भी दशकों पहले अमेरिका में बैठे एक युवक के मन में उपजी एक कल्पना द ब्रिक मून यानी ईंटों से बना एक ऐसा घर जो अंतरिक्ष में तैरता हो जो धरती के चक्कर लगाए और साथ ही दुनिया के नेविगेशन सिस्टम का केंद्र बने अब अंतरिक्ष के लिए इंसान का ऑब्सेशन कोई नई बात तो नहीं है धर्म ग्रंथों में भी यहां स्वर्ग और जन्नत जैसी जगहों का जिक्र मिलता है साइंस की मदद से इंसान ने अपने इस फितूर को पंख दे दिए और 1998
में बन गया इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन आईएसएस जिसे दुनिया की पांच बड़ी स्पेस कंपनियों ने मिलकर के बनाया कौन-कौन शामिल थे इसमें अमेरिका की ओर से नासा रशिया की ओर से रॉस कॉस्मोस यूरोप की ओर से ईएसए जापान का जैक्स और कनाडा का सीएसए इन्होंने मिलकर के इसको बनाया जिससे अंतरिक्ष में गतिविधियां की जाए और साथ ही वहां पर नजर भी रखी जा सके क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से 400 कि.मी ऊपर हवा में लटकी हुई एक लाजवाब संरचना जो हर 90 मिनट में धरती का चक्कर लगाती है इसमें है दुनिया की सबसे एडवांस्ड लैब्स
स्पेसक्राफ्ट्स के लिए पार्किंग छह बेडरूम वाला घर जिम और पर्याप्त ऑक्सीजन पानी और खाना 27 साल तक इंसानी तरक्की की मिसाल रहा यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अचानक जून 2024 में सुर्खियां बना वजह थी बोइंग का एक डिफेक्टिव स्पेसक्राफ्ट जिसकी वजह से 9 महीनों तक भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर स्पेस स्टेशन में फंस गए और उन्हें इस समस्या से निकाला ईलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने आखिर ऐसा क्या हुआ था जो सुनीता विलियम्स की 8 दिनों की ट्रिप 9 महीनों की आफत में बदल गई इतने महीनों तक स्पेस में रहने से
इंसान के दिमाग और शरीर पर क्या असर पड़ा होगा और कैसे ईलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स इस समस्या का निपटारा करने में कामयाब हुई आज के एपिसोड में जानेंगे इन सब सवालों के जवाब नमस्कार अपन है कुलदीप और आप देख रहे हैं जटिलता का विलोम और सरलता का पर्यायवाची आसान भाषा में ब्रॉट टू यू बाय पंजाब नेशनल बैंक भरोसे का प्रतीक [प्रशंसा] बोइंग दुनिया की सबसे बड़ी विमान कंपनियों में से एक है लेकिन हालिया सालों में ये विवादों में भी रही है इसके कुछ मॉडल्स खासकर बोइंग 737 से जुड़ी प्लेन क्रैश की घटनाएं आपने
सुनी होंगी कंपनी सवालों के घेरे में है और इस बार कंपनी के लिए इसका स्पेस मिशन भी समस्या की वजह बन गया हुआ यूं कि जून 2024 में नासा और बोइंग का स्पेसक्राफ्ट स्टार लाइनर लॉन्च के लिए तैयार था इसे एटलस फाइव रॉकेट की मदद से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचना था 1 जून को रॉकेट में करीब 18,84,000 लीटर ईंधन डाला गया दो एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर लॉन्च के लिए तैयार हुए लेकिन लॉन्च की तीन कोशिशें हुई तकनीकी समस्याओं की वजह से अंत में लॉन्च को टालना पड़ा फिर आती है 5 जून की तारीख
एक बार फिर से रॉकेट को लॉन्च करने के लिए तैयार किया जाता है सुनीता और बुच कैप्सूल में बैठते हैं इस बार लॉन्च सफल होता है और 6 जून को बोइंग का पहला स्टार लाइनर एस्ट्रोनॉट मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में डॉग करने की तैयारी करता है डॉग करना यानी स्पेसक्राफ्ट को स्टेशन में पार्क करना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से करीब 400 कि.मी ऊपर और 27,600 कि.मी./ घंटे की रफ्तार से धरती के चक्कर लगाता है सबसे बड़ी समस्या है इतनी स्पीड में चलते हुए स्पेस स्टेशन में स्पेसक्राफ्ट को पार्क करना इसके लिए स्पेसक्राफ्ट को इंटरनेशनल स्पेस
स्टेशन वाली ऑर्बिट में पहुंचना होता है ऑर्बिट को आप अंतरिक्ष में मौजूद एक अदृश्य रास्ते की तरह समझ लीजिए ऑर्बिट में पहुंचने के बाद स्पेसक्राफ्ट धीरे-धीरे स्पेस स्टेशन के करीब जाता है जैसे आप धीरे-धीरे गाड़ी को बैक करते हैं स्पेसक्राफ्ट को कितनी स्पीड से करीब जाना है इसको तय करते हैं कई सारे सेंसर कैमरा और लेजर सिस्टम सेंसर्स से मिली जानकारी के हिसाब से स्पेसक्राफ्ट में लगे थ्रस्टर्स यह शब्द याद रखिएगा थ्रस्टर्स काम करते हैं जिससे स्पीड बदलना आसान रहता है थ्रस्टर्स यानी स्पेसक्राफ्ट के छोटे-छोटे इंजन जो गैस के झोंके मार करके स्पेसक्राफ्ट की स्पीड
और उसकी दिशा को बदलते हैं यह सेंसर और कंप्यूटर के साथ मिलकर के स्पीड और दिशा को माइक्रो लेवल पर एडजस्ट करते हैं ताकि स्पेसक्राफ्ट बिल्कुल सटीक पोजीशन में स्पेस स्टेशन के डॉकिंग पोर्ट से चिपक जाए लेकिन 6 जून को डॉकिंग के वक्त स्टार लाइनर स्पेसक्राफ्ट में मौजूद 28 में से पांच थ्रस्टर्स बंद हो जाते हैं इस वजह से डॉकिंग की प्रक्रिया रोकनी पड़ती है कुछ वक्त बाद फिर से डॉकिंग की कोशिश की जाती है इस बार सफलता मिलती है और सुनीता विलियम्स अपने साथी के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर पहुंच जाती हैं भले
ही स्टार लाइनर स्पेस स्टेशन में पार्क हो गया लेकिन इस दौरान एक और खबर सामने आई कि स्पेसक्राफ्ट से हीलियम गैस लीक हो गई है यह गैस स्पेसक्राफ्ट का ईंधन नहीं है लेकिन ईंधन जले इसके लिए यह बेहद जरूरी है कैसे रॉकेट के टैंक्स में लिक्विड फ्यूल और ऑक्सीडाइजर भरे होते हैं इन टैंकों में प्रेशर बनाने के लिए हीलियम की जरूरत होती है आपके मन में एक सवाल आ सकता है कि गाड़ी में तो हीलियम की जरूरत नहीं पड़ती वो इसलिए क्योंकि गाड़ी धरती पर चलती है यहां फ्यूल टैंक में प्रेशर बनाने के लिए एयर
प्रेशर और गुरुत्वाकर्षण की ताकत पर्याप्त है लेकिन स्पेस में ना तो हवा हिसाब और ना ही ग्रेविटी ना ही गुरुत्वाकर्षण इसीलिए जरूरत पड़ती है हीलियम की जो टैंकों में भरे फ्यूल को पर्याप्त मात्रा में इंजन तक पहुंचा सके हीलियम लीक होने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में डॉक हुए स्टार लाइनर की समस्या और बढ़ गई असल में स्पेस स्टेशन से निकलते वक्त भी फ्रस्टर्स की जरूरत पड़ती है तो बिना हीलियम के नहीं किया जा सकता यह काम माने स्टार लाइनर का इस्तेमाल अब रिस्की हो गया लेकिन भैया नासा के पास इतना पैसा है फिर वो एक
और स्पेसक्राफ्ट भेज के दोनों को वापस बुला सकता था लेकिन ये काम भी इतना आसान नहीं था इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कुल आठ डॉकिंग पॉइंट्स हैं इसमें से चार डॉकिंग पॉइंट्स रूस के हैं चार अमेरिका के हैं रूस के डॉकिंग पॉइंट्स पर अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट फिट नहीं हो पाते हैं इसलिए चार पॉइंट्स का ऑप्शन ही खत्म हो गया फिर बचते हैं अमेरिका के चार पॉइंट्स इनमें से दो पॉइंट्स कार्गो स्पेसक्राफ्ट्स के हैं कारगो स्पेसक्राफ्ट यानी वो स्पेसक्राफ्ट जिनके जरिए स्पेस स्टेशन में राशन और बाकी सामान पहुंचाया जाता है कारगो स्पेसक्राफ्ट का साइज सामान्य स्पेसक्राफ्ट से बड़ा
होता है इसलिए डॉकिंग पॉइंट्स का साइज भी बड़ा होता है पार्किंग तो यहां भी नहीं हो सकती तो बचे अब सिर्फ दो पॉइंट्स इनमें से एक पॉइंट पर तो खुद स्टार लाइनर ही पार्क्ड है और दूसरे पर मौजूद था स्पेस एक्स का स्पेसक्राफ्ट जिसमें किसी दूसरे मिशन के तहत कुछ और एस्ट्रोनॉट आए हुए थे यानी मामला इस समय विकल्पहीन हो चला था अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि भ ये लोग स्पेस एक्स वाले स्पेसक्राफ्ट में बैठकर चले आए तो यह कोई बस या कार नहीं है कि पांच की जगह छह लोग
फिट हो जाए एक जितने लोग बैठकर के उसमें गए थे उतने ही लोग वापस जाएंगे यानी यह रास्ता भी बंद था लेकिन रेस्क्यू तो साफ करना ही था तो उसकी तैयारियां शुरू की गई 27 साल से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एक प्रथा है यह कभी भी एस्ट्रोनॉट्स से खाली नहीं होता माने एक बैच के एस्ट्रोनॉट तब वापस आते हैं जब दूसरा बैच स्टेशन पर पहुंच जाता है जब सुनीता विलियम्स जून में स्पेस स्टेशन पहुंची थी तब स्टेशन पर क्रू एट बैच वहां मौजूद था जैसे हमने आपको भी बताया कि स्पेसक्राफ्ट में एक्स्ट्रा जगह नहीं होती
है क्रू एट के साथ सुनीता विलियम्स का लौटना भी संभव नहीं था लेकिन जब 24 सितंबर 2024 को अगला बैच भेजा गया इस स्पेसक्राफ्ट में दो एस्ट्रोनॉट्स कम भेजे गए जिससे उधर से लौटते वक्त सुनीता विलियम्स और उनके साथ बुच विलमोर को वापस लाया जा सके यह क्रू नाइन अपनी अवधि को पूरा करके 18 मार्च 2025 को वापस निकल गया यह तो बात हुई कि कैसे पूरी समस्या का समाधान निकला सुनीता विलियम्स ने वापस आते वक्त यह भी कहा कि उन्हें इन 9 महीनों तक गुजारा हुआ वक्त बहुत याद आएगा वो स्पेस स्टेशन को बहुत
मिस करेंगी लेकिन स्पेस में रहना खतरे से खाली नहीं होता लंबे समय तक स्पेस में रहने से शरीर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता [संगीत] है क्रिया की बराबर प्रतिक्रिया होती है इसे ऐसे समझिए कि जितना जोर आप लगाएंगे उतना ही जोर आप पर भी लगेगा जैसे आप चलते हैं तो आपके पैर पीछे की तरफ जमीन पर जोर लगाते हैं और बदले में जमीन आपके पैरों पर आगे की तरफ जोर लगाती है तभी आप आगे बढ़ पाते हैं वैसे ही धरती हमारे ऊपर गुरुत्वाकर्षण की शक्ति लगाती है ग्रेविटी की अगर हमें पानी का
गिलास भी मान लीजिए उठाना है तो मांसपेशियों और हड्डियों को ग्रेविटी की उल्टी दिशा में जोर लगाना पड़ता है इस तरह हम दिनभर कुछ ना कुछ फिजिकल एक्टिविटी करते रहते हैं और इससे मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं लेकिन अंतरिक्ष में ग्रेविटी है ही नहीं तो इस वजह से मांसपेशियां और हड्डियां उन पर ना के बराबर जोर पड़ता है यही वजह है कि स्पेस में दो हफ्तों में मांसपेशियों की ताकत 20% कम हो जाती है और छ महीने में इनकी ताकत में 30% तक की कमी संभव है हड्डियां भी हर महीने एक से 2%
कमजोर हो जाती है फ्रैक्चर का डर रहता है इससे बचने के लिए अंतरिक्ष यात्री रोज ढाई घंटे पसीना बहाते हैं वेट ट्रेनिंग करते हैं ट्रेड मिल साइकिलिंग सब कुछ करते हैं इसलिए स्पेस स्टेशन में जिम की सुविधा जरूर मौजूद है इसका असर इंसान की हाइट पर भी पड़ता है जैसे अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी विटसन अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं स्पेस से लौटने के बाद मेरी हाइट लगभग आधे से पौने इंच बढ़ गई थी लेकिन यह असर टेंपरेरी ही रहा वापस आने के 24 घंटे के अंदर ग्रेविटी के कारण मेरी हाइट फिर पहले जैसी हो
गई सही तरीके से पोषण बनाए रखना दूसरी बड़ी चुनौती है अंतरिक्ष में एक अमेरिकन अंतरिक्ष यात्री हैं स्कॉट केली यह करीब 340 दिनों तक अंतरिक्ष में रहे इस दौरान उनका वजन 7% 7% कम हो गया था इसके अलावा उनके डाइजेस्टिव सिस्टम में मौजूद बैक्टीरिया भी बदल गए थे इस वजह से जब वो धरती पर लौटे तो उन्हें खाना पचाने में समस्या हुई अंतरिक्ष में रेडिएशन और ग्रेविटी से डीएनए में भी बदलाव हो सकता है जब स्कॉट केली स्पेस से वापस आए तो पाया गया कि उनके डीएनए में मौजूद टेलोमियर्स लंबे हो गए थे डीएनए के
हर धागे के अंत में टेलोमियर नाम की संरचनाएं होती हैं जैसे हमारे फोन का कवर फोन के कोनों को नुकसान से बचाता है ना वैसे ही टेलोमियर हमारे जींस को प्रोटेक्ट करता है जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है ये टेलोमियर छोटे होते जाते हैं लेकिन केली और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों पर जो रिसर्च हुई उससे पता चला कि अंतरिक्ष यात्रा इन टेलोमियर की लंबाई को बदल देती है हालांकि धरती पर वापस आने के बाद टेलोमियर में आए बदलाव फिर से नॉर्मल हो गया एक तथ्य यह भी है कि डीएनए में बदलाव से कैंसर होने का खतरा भी
बढ़ सकता है सुनीता विलियम्स अब धरती पर वापस आ चुकी हैं तमाम मन आशंकाओं में घिरे हुए थे उनकी वापसी ने सुनीता विलियम्स की वापसी ने विज्ञान के विजय की एक और कहानी लिख दी है हम उनके बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद करते हैं आज का एपिसोड यहीं तक इसे लिखा हमारे साथी आकाश ने देखते रहिए दंड [संगीत]