2009 में स्टीव जॉब्स एक हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट के बाद बेहोशी की हालत में लेटे थे डॉक्टर ने स्टीव की तरफ देखा और कहा यह ऑक्सीजन मास्क पहनो स्टीव स्टीव जॉब्स नहीं इसका डिजाइन ठीक नहीं है स्टीव जॉब्स अपने केयर टेकर्स को मास्क के डिजाइन के पांच नए ऑप्शंस लाने के लिए कहते हैं ताकि वो उनमें से बेस्ट ऑप्शन चूज कर सके हमें सुनने में ये थोड़ा सा अजीब लगेगा लेकिन वो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी ही डिसीजंस लेते थे और यही क्वालिटी एंड में उनकी मौत का कारण भी बनी क्योंकि जब डॉक्टर्स ने
उन्हें ऑपरेशंस के लिए कहा था तो उन्होंने ऑपरेशन को डिले करवा दिया जिसकी वजह से उनकी डेथ हो गई और मरने से पहले स्टीव जॉब्स के लास्ट वर्ड थे ओ वाओ ओ वाओ ओ वाओ स्टीव पॉल जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को यूएस के सैन फ्रांसिस्को में हुआ था इनका रियल नाम अब्दुल लतीफ जंदा था इनकी बायोलॉजिकल मदर यानी जिन्होंने इन्हें एक्चुअल में पैदा किया था वो एक स्विस जर्मन अमेरिकन स्टूडेंट थी जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कंसिन में ग्रेजुएशन करी थी यहीं पर ये अब्दुल फतह अल जंदा से मिली जो सीरिया की एक अमीर
अरब फैमिली से थे क्योंकि इन दोनों की शादी नहीं हुई थी इसलिए इन्होंने अपने आने वाले बच्चे को किसी और को गोद देने का फैसला किया लेकिन यह दोनों चाहते थे कि इनका बच्चा जिसके पास भी जाए वो कम से कम ग्रेजुएशन तक पढ़े लिखे होने चाहिए ताकि इनके बेटे की परवरिश और पढ़ाई लिखाई अच्छे से हो एक कपल जिनका नाम पॉल और क्लारा जॉब्स था उन्होंने अब्दुल यानी स्टीव जॉब्स को गोद लेने का फैसला किया ऑल दो वो दोनों खुद ग्रेजुएट्स नहीं थे लेकिन उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि व अब्दुल को कॉलेज जरूर भेजेंगे
अब्दुल को गोद लेने के बाद इस बच्चे का नाम इसके पेरेंट्स ने स्टीव जॉब्स रखा स्टीव जॉब्स जब छोटे थे तभी उन्हें पता चल गया था कि उन्हें गोद लिया गया है एक्चुअली हुआ यह था कि जब स्टीव जॉब्स 6 साल के थे तो अपने पड़ोस में रहने वाली एक लड़की के साथ खेल रहे थे वो छोटी बच्ची स्टीव के साथ खेलते खेलते अचानक से बोली स्टीव तुम्हें पता है ये तुम्हारे असली मां-बाप नहीं है और तुम्हें गोद लिया गया है यह सुनकर स्टीव रोते-रोते अपने घर भाग गए तब उनके पेरेंट्स ने इन्हें समझाया कि
बेशक ये सच्चाई है लेकिन व दोनों स्टीव से बहुत प्यार करते हैं बाद में स्टीव के रियल पेरेंट्स की भी शादी हुई और उन्होंने स्टीव की सिस्टर मोना सिंपसन को जन्म दिया यह दोनों भाई-बहन हमेशा काफी क्लोज रहे स्टीव अपने रियल बाप से इतने नाराज थे कि उन्होंने पूरी लाइफ अपने रियल बाप को नहीं देखा बस वो एक बार अपनी रियल मां से मिले और उनका शुक्रिया किया कि उन्होंने स्टीव को जन्म दिया और अब बॉर्ट नहीं करवाया स्टीव बचपन से ही बहुत क्यूरियस नेचर के थे इनके बायोग्राफर वाल्टर आइस सेक्सन लिखते हैं कि इनकी
इसी आदत की वजह से बचपन में इनके साथ दो बड़े हादसे हुए एक बार इन्होंने एक इलेक्ट्रिक सॉकेट में मेटल की पिन डाल दी जिसकी वजह से इनका हाथ पूरे तरीके से जल गया और दूसरी बात तो हद तब होगी जब उन्होंने जहर खा लिया यह देखने के लिए कि इसे होता क्या है जिसकी वजह से उन्हें इमरजेंसी रूम ले जाया गया और वो बाल-बाल बचे इसके कुछ टाइम के बाद इनकी नई फैमिली सैन फ्रांसिस्को से कैलिफोर्निया शिफ्ट हो गई वहां जब इनकी स्कूलिंग शुरू हुई तो उनको क्लासेस बहुत बोरिंग लगती थी वो इस बोरियत
को दूर करने के लिए स्कूल में कुछ ना कुछ करते रहते एक बार उन्होंने अपनी क्लास में सांप छोड़ दिया और एक बार अपने टीचर के टेबल के नीचे बॉम फोड़ दिया इनकी इन्हीं हरकतों की वजह से इनको स्कूल से बार-बार वापस घर भेज दिया जाता था लेकिन इनके पेरेंट्स ने इन्हें एक बार भी नहीं डांटा स्टीव ने आगे चलकर यह एडमिट किया कि यह स्कूल बहुत ही बेवकूफी वाला सिलेबस पढ़ाते थे जिसकी वजह से इनका मन कभी भी नहीं लगता था अब जब स्टीव जॉब फोर्थ स्टैंडर्ड में हुए तो उनके टीचर ने नोटिस किया
कि स्टीव जॉब्स के लिए सिलेबस बहुत आसान था इसलिए उन्होंने स्टीव के पेरेंट्स को सजेस्ट किया कि स्टीव को फोर्थ क्लास की जगह दो क्लास छोड़ के सिक्स्थ स्टैंडर्ड में एडमिट करवाना चाहिए शुरू में स्टीव के पेरेंट्स ने ये चीज एक्सेप्ट नहीं करी बट फाइनली स्टीव को दूसरे स्कूल में सिक्सथ में एडमिशन दिलवा दी अब दूसरे स्कूल में सिक्स्थ क्लास के बच्चों के साथ इनके बहुत झगड़े होते क्योंकि ये वहां पर छोटे थे एक बार तो स्टीव जॉब इतने थक गए कि उन्होंने घर आकर अपने पेरेंट्स को कह दिया कि प्लीज आप मुझे स्कूल से
निकाल दीजिए वरना मैं वहां कभी भी नहीं जाऊंगा तो उनकी स्कूल लाइफ तो कुछ ऐसी ही चल रही थी लेकिन क्योंकि ये सिलिकन वैली में ग्रो हो रहे थे जिसकी वजह से इनके आसपास बहुत से इंजीनियर्स रहते थे उन्हीं में से एक इंजीनियर का नाम था लैरी लैंग जो आगे चलकर स्टीव जॉब के बहुत खास मेंटर भी बने एक बार लरी ने स्टीव को एक बहुत ही इंटरेस्टिंग एक्सपेरिमेंट दिखाया उन्होंने कार्बन माइक्रोफोन एक बैटरी और एक स्पीकर लिया और अपनी गाड़ी में डालकर वो माइक में कुछ बोलने लग गए और यह आवाज स्पीकर में बहुत
जोर से आ रही थी अब स्टीव जॉब्स के फादर ने स्टीव को बताया था कि यह काम बिना इलेक्ट्रॉनिक एंपलीफायर के नहीं हो सकता पर लरी का सिस्टम बिना इलेक्ट्रिसिटी के काम कर रहा था स्टीव जॉब्स भागकर घर गए और उन्होंने अपने फादर से इस बात पर बहस करी जब उनके फादर यह नहीं माने तो स्टीव अपने फादर को लैरी के घर लेकर गए और अपने डैड को प्रूफ किया कि बिना एंपलीफायर के भी आवाज को इंक्रीज किया जा सकता है लैरी से बहुत इंप्रेस हुए और आने वाले सालों में लरी ने स्टीव को इलेक्ट्रॉनिक्स
के बारे में खूब सिखाया फॉर एग्जांपल एक बार उन्होंने स्टीव को हेल्थ किट से भी इंट्रोड्यूस किया ये एक ऐसी किट्स थी जिसमें टेलीविजन रिसीवर और रेडियो इक्विपमेंट जैसी आइटम्स को बनाने के डिटेल इंस्ट्रक्शंस दिए होते थे इन किट्स ने स्टीव को ना केवल यह सिखाया कि ये चीजें कैसे काम करती हैं बल्कि इन्होंने यंग स्टीव को यह विश्वास दिला दिया कि टेलीविजन और रेडियो जैसी दिखने वाली चीजें भी एक्चुअल में आसान होती हैं और उन्हें समझा जा सकता है खैर जैसे ही स्टीव 17 साल के हुए उन्हें कॉलेज में डाल दिया क्योंकि उन्होंने स्टीव
के एक्चुअल पेरेंट्स से वादा किया था अब स्टीव के पेरेंट्स ने एक ऐसा कॉलेज ढूंढा जो स्टैनफोर्ड जितना महंगा था जिसमें स्टीव के पेरेंट्स अपनी जिंदगी भर की कमाई इसमें लगा रहे थे और ये स्टीव जॉब्स को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया स्टीव जॉब्स अपनी स्टैनफोर्ड कमेंसमेंट स्पीच में बताते हैं तब मुझे नहीं पता था कि मुझे आगे लाइफ में क्या करना है और ना ही यह कॉलेज इसमें मेरी कोई मदद कर सकता था इसलिए मैंने ड्रॉप आउट करने का डिसीजन लि उस टाइम ये डिसीजन मुझे बहुत डरावना लग रहा था लेकिन आज जब मैं
पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे ये अपनी लाइफ का सबसे बेस्ट डिसीजन लगता है स्टीव ने जब ड्रॉप आउट किया तो वो अपने दोस्तों की गैलरी में सोए रहते थे वो कोक की खाली कैंच बेचकर खाना खाते थे और हर संडे हरे कृष्णा टेंपल में खाना खाने के लिए 7 किमी पैदल चलते थे लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि उनको कॉलेज के कोर्स की क्लासेस फॉलो नहीं करनी पड़ती थी बल्कि इनको जो अच्छा लगता था ये उस क्लास में जाकर बैठ जाते थे फॉर एग्जांपल रीड कॉलेज उस टाइम पूरे पूरे देश में कैलीग्राफी
का सबसे अच्छा कोर्स प्रोवाइड करता था कैलीग्राफी स्टीव जॉब्स को इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इसकी क्लासेस लेने का डिसीजन लिया इस स्टेज पर वो नहीं जानते थे कि यह इनकी लाइफ में बहुत ज्यादा काम आएगा और इसी डिसीजन की वजह से आगे चलकर [संगीत] भी यूज करते हैं उनको यह चीज बहुत पसंद आई स्टीव कहते हैं कि इंटू इंटेलेक्ट से भी पावरफुल चीज है इंडिया से जब ये वापस अमेरिका आए तो उन्होंने अपने इसी इंटू के साथ apple365.bet पहला प्रोडक्ट [संगीत] [संगीत] प एक बिलियन डॉलर यानी 88000 करोड़ की कंपनी बन चुकी थी अब
ये बिलियन डॉलर की कंपनी बनाना इतना भी आसान नहीं था क्योंकि 1984 में जब स्टीव 29 साल के थे उस वक्त उन्होंने अपनी बेस्ट क्रिएशन मैकट को लॉन्च किया था जिसे आज हम मैक कहते हैं जिसके बाद उन्हें उन्हीं की कंपनी से निकाल दिया गया एक्चुअली हुआ यह था कि स्टीव जॉब्स मैक का नया वर्जन लॉन्च करना चाहते थे जिसमें बहुत पैसे लगने थे लेकिन जॉन स् कली जिन्हें स्टीव जॉब ने pepsi-cola बल्कि स्टूडियो है उन्होंने pixar's के जाने के बाद कोई भी इनोवेशन नहीं कर पा रहा था तो apple's को वापस apple's की कंपनी
wss4j है कि हमें क्या नहीं करना है वो वाइट बोर्ट पर जाकर अपने एंप्लॉई से पूछते हैं मुझे अपनी टॉप 10 चीजें बताओ इसके बाद जॉब्स टीम मेंबर के सजेशन को नोट करते उसके बाद वो अपनी टीम को कहते कि इन 10 चीजों को डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ इंपॉर्टेंस में लिखो फिर वो इनमें से आखिरी सात चीजें काट देते और कहते कि हम सिर्फ इन टॉप तीन चीजों पर फोकस करेंगे ये शार्प फोकस उनकी पर्सनालिटी का सबसे स्ट्रांग कंपोनेंट था इन्होंने इस क्वालिटी से केवल लेरी पेज इनसे राय लेने आए लेरी पेज google's ने लेरी को
यही सजेस्ट किया कि आप ये फिगर आउट करो कि [संगीत] google3 पेच ने इनकी एडवाइस को फॉलो किया और इसी तरीके से इंपोर्टेंट क्वालिटी थी उनका परफेक्शन के लिए पागलों वाला क्रेज फॉर एग्जांपल जब वो के सीईओ थे वेंडल ने स्टीव को बताया कि वो गोरिला ग्लास यूज कर सकते हैं जो कि बहुत स्ट्रांग है स्टीव ने वेंडल को कहा कि तुम जितने भी गोरिला ग्लासेस प्रोड्यूस कर सकते हो तुम कर दो हम सारे खरीद लेंगे और फाइनली एक अमेजिंग अमेजिंग फोन लॉन्च हुआ जिसे हम i कहते हैं उस वक्त जिसने भी इस प्रोडक्ट को
यूज किया था उनके मन में सिर्फ एक ही चीज आई थी वाओ क्या अमेजिंग प्रोडक्ट है यार जब i पहली बार लच हुए थे ना तो मेरे पास दो आईफो आए थे वैसे मैंने एक उनको भेज दिया शाबा हैपनिंग अरे ये क्या चीज है यार ये तो माइंड ब्लोइंग है परफेक्शन की ये क्वालिटी जॉब्स ने अपने फादर से सीखी थी एक्चुअली एक बार स्टीव जॉब्स और उनके डैड कैबिनेट को पेंट कर रहे थे फ्रंट साइड पेंट होने के बाद जॉब्स ने पेंटिंग बंद कर दी इस पर उनके डैड बोले इसकी पिछली साइड कौन पेंट करेगा
इस पर छोटे स्टीव्स बोले लेकिन डैड पिछली साइड तो कोई देखेगा नहीं ना किसी को पता नहीं चलेगा इस पर उनके डैड ने कहा हां किसी को पता नहीं चलेगा लेकिन तुम्हें तो पता है ना और यह बात स्टीव जॉब की बचपन से ही मन में रह गई जॉब्स ने इस लेसन को एक मशीन के सर्किट बोर्ड में भी अप्लाई किया उन्होंने अपने इंजीनियर्स को बोला कि चिप्स को वो इतना नीटली अरेंज करें ताकि उनका सर्किट बोर्ड एकदम नीट और क्लीन दिखाई दे जॉब्स के इस फीडबैक ने उनके इंजीनियर्स को चौंका दिया क्योंकि सर्किट बोर्ड
मशीन के अंदर बहुत ही टाइटली फिट होना था वो चिप कभी भी किसी कंज्यूमर को दिखाई नहीं देनी थी ना ही उस चिप की वजह से बाहर कंप्यूटर की दिखाव में कोई फर्क पड़ना था लेकिन फिर भी स्टीव जॉब्स नहीं माने और इंजीनियर्स को उनकी बात माननी पड़ी और तो और परफेक्शन को लेकर उनका क्रेज इतना हाई था कि वो अपने घर का फर्नीचर भी नहीं खरीद पाते थे परफेक्ट फर्नीचर ना मिलने के कारण वो घर में बहुत ही कम फर्नीचर रखते थे 2003 में स्टीव जॉब्स के पेट में दर्द हुआ और स्कैन से पता
चला कि उनके पैंक्रियास में ट्यूमर है डॉक्टर ने कहा कि उतना ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन फिर भी उनको कहा कि जल्दी से जल्दी वो ऑपरेशन करवा लें स्टीव जॉब्स ने इसे नेगलेक्ट कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि अगर वो इससे ध्यान हटा देंगे तो ये ठीक हो जाएगा अब ये क्वालिटी उनकी एल में अच्छे प्रोडक्ट बनाने में तो काम आती थी लेकिन इस 6 महीने की डिले की वजह से उनका कैंसर बहुत जगह फैल गया और और अब बहुत देर हो चुकी थी जब स्टीव जॉब्स को पता चला कि उन्हें पैंक्रियास कैंसर है और
उनके पास अब इस दुनिया में ज्यादा समय नहीं है तो उन्होंने वाल्टर एस एक्सन को कॉल किया और कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम मुझ पर एक किताब लिखो इस पर वाल्टर एस एकसन ने मना कर दिया कि अभी तो तुम करियर के पीक में हो तुम्हें बहुत कुछ अचीव करना बाकी है मैं तुम्हारे ऊपर किताब 10-15 साल के बाद लिखूंगा और उन्होंने फोन काट दिया इसके बाद स्टीव जॉब्स की वाइफ ने वाल्टर एस एकसन को कॉल किया और स्टीव की बीमारी के बारे में बताया इस पर वाल्टर एस एकसन स्टीव पर बुक बक
लिखने के लिए राजी हो गए और स्टीव ने वाल्टर आस सेक्सन को अपने घर के गेस्ट रूम में जगह दे दी जहां पर वाल्टर आस सेक्सन रहते थे और वह हर रोज स्टीव जॉब्स के पास आते उनसे बहुत से सवाल पूछते स्टीव जॉब्स को पता था कि वह यह बुक कभी भी नहीं पढ़ पाएंगे लेकिन वह दुनिया को अपना वर्जन बताना चाहते थे फाइनली वो वक्त आ गया जिसका सबको डर था स्टीव जॉब्स हमेशा लाइफ से फैसटेक्स्ट वर्ड थे ओ वाओ ओ वाओ ओ वाओ जब अक्टूबर 2011 में उनकी डेथ हुई तब तक वह [संगीत]
apple.in की नेट वर्थ 3.6 ट्रिलियन डॉलर्स यानी कि ये हमारी जीडीपी से भी ज्यादा है स्टीव जॉब्स पर बहुत सी बुक्स लिख जा चुकी हैं लेकिन वाल्टर एसन की बुक में वो कहानियां हैं जो स्टीव ने आसन को बताई हैं अगर आप इस बुक की डिटेल बुक समरी हिंदी में फ्री में सुनना चाहते हैं तो वो आप ग प में सुन सकते हैं इस बुक का लिंक मैं डिस्क्रिप्शन और फर्स्ट कमेंट में दे दूंगा दोस्तों अगर आपको लगता है कि यह वीडियो आपके किसी फैमिली मेंबर या फ्रेंड को इंस्पायर कर सकती है तो यह आप
अपनी फैमिली के साथ जरूर शेयर करें एनीवेज दोस्तों अगर आप ऐसी नॉलेजेबल वीडियोस मिस नहीं करना चाहते तो सब्सक्राइब करने के बाद बेल का बटन दबाना मत भूलिए जल्दी हम आपसे दोबारा मिलेंगे जय हिंद