[संगीत] सोचो अगर तुम अभी किसी ऑफिस में बैठे हो, स्क्रीन पर घूर रहे हो और सोच रहे हो यार ये मुकेश अंबानी, रतन डाटा, विजय शेखर शर्मा, दीपेंद्र गोयल, पीयूष बंसल, अमन गुप्ता, रितेश अग्रवाल, नारायण मूर्ति इन जैसे लोग इतना बड़ा बिजनेस कैसे बना लेते हैं? क्या उनके पास जन्म से ही करोड़ों रुपए थे? क्या बिना पैसे के बिजनेस शुरू करना इंपॉसिबल है? अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आप एक बहुत बड़े भ्रम में जी रहे हैं। आज की दुनिया में सबसे बड़ा झूठ यही है कि बिजनेस करने के लिए सबसे पहले पैसे की
जरूरत होती है। सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। क्योंकि अगर पैसा ही बिजनेस का असली मंत्र होता तो धीरूभाई अंबानी, नारायण मूर्ति और Flipkart के फाउंडर्स जैसे लोग कभी भी अपना साम्राज्य खड़ा नहीं कर पाते। इन लोगों ने कुछ ऐसा किया जो बहुत कम लोग समझते हैं। इन्होंने पैसे से नहीं लीवरेज को यूज़ करके बिजनेस खड़ा किया। इसे हम रिसोर्सफुलनेस भी कह सकते हैं। मतलब बिना खुद का पैसा लगाए जो भी रिसोर्सेज आपके पास अवेलेबल हैं उसका सही इस्तेमाल करना और अगर कुछ भी नहीं है तो दूसरों के रिसोर्सेज और सिस्टम्स का इस्तेमाल करके अपना बिजनेस
खड़ा करना। अगर आज की वीडियो आपने एंड तक देख ली तो आप समझ जाओगे कि एक छोटा सा किराने की दुकान चलाने वाला दुकानदार, एक सड़क पे बाइक चलाने वाला आदमी या एक छोटी सी चाय की टपरी चलाने वाला आम इंसान यह सब लोग एक दिन 100 करोड़ का बिजनेस खड़ा कर सकते हैं। और यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि एक ऐसा सीक्रेट फार्मूला है जो हर एक सक्सेसफुल इंडियन एंटरप्रेन्योर ने फॉलो किया है। और सबसे बड़ी बात यह फार्मूला कोई भी यूज कर सकता है। बिना एक भी पैसा लगाए। मैं आपको वो छुपे हुए
सीक्रेट्स बताने वाला हूं जो दुनिया के सबसे अमीर लोग जानते हैं और साथ ही एंड में मैं आपको चार सिंपल और एक्शनेबल स्टेप्स भी बताऊंगा जिसे यूज़ करके कोई भी इंसान अपना बिजनेस बहुत तेजी से करोड़ों में लेके जा सकता है। ज्यादातर लोग यही सोचते हैं मुझे पहले पैसे चाहिए तभी मैं बिज़नेस शुरू कर सकता हूं। लेकिन सच यह है कि अगर आप पैसा लेकर भी बिज़नेस शुरू करोगे और अगर आपके पास सही स्ट्रेटजी नहीं होगी तो आप इसे बहुत जल्दी डूबा दोगे। पर बिना खुद के पैसे लगाए, बिना खुद का रिस्क उठाए अगर आप
सिर्फ एक सही स्ट्रेटजी के साथ काम करते हो तो आप अपना बिजनेस बहुत तेजी से स्केल कर सकते हो। कैसे? इस बात को अच्छे से समझने के लिए हमें कुछ नामचीन लोगों की जिंदगी में झांकना पड़ेगा। जिन्होंने जीरो से शुरू करके अरबों का साम्राज्य खड़ा कर दिया और वो भी लीवरेज और रिसोर्सफुलनेस को यूज़ करके। धीरूभाई अंबानी का नाम आज पूरी दुनिया जानती है। लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी शुरुआत कैसी थी? 1950 के दशक में धीरूभाई अंबानी सिर्फ 17 साल के थे। जब वह 500 की नौकरी करने यमन चले गए। वहां उन्होंने देखा
कि मार्केट में कीमतों का उतार-चढ़ाव कैसे होता है और कैसे एक ही प्रोडक्ट अलग-अलग जगह पे अलग-अलग दामों पर बिकता है। उन्होंने बहुत सिंपल सी लेकिन पावरफुल चीज सीखी जिसको बोलते हैं आर्बिट्रेज। अब ये आर्बिट्रेज क्या होता है? ये एक बहुत सिंपल लेकिन कमाल की स्ट्रेटजी है। इसमें कोई भी व्यक्ति एक ही चीज को एक बाजार से सस्ते में खरीद कर दूसरे बाजार में महंगे में बेच सकता है। धीरूभाई ने देखा कि यमन में पेट्रोल बहुत सस्ता था और भारत में काफी ज्यादा महंगा था। तो उन्होंने वहां से सस्ते में खरीदा और भारत में ऊंचे
दामों पर बेचना शुरू कर दिया। इससे उन्हें बहुत बड़ा मुनाफा हुआ। जब वह भारत लौटे, तो उन्होंने कपड़ा मार्केट में एंट्री ली। लेकिन यहां एक बड़ा सवाल, अगर उनके पास खुद का पैसा नहीं था, तो उन्होंने बिज़नेस कैसे शुरू किया? यहीं पे आता है कांसेप्ट लीवरेज का। उन्होंने कभी भी खुद की फैक्ट्री नहीं लगाई। उन्होंने कभी खुद के पैसे से कपड़ा नहीं खरीदा बल्कि उन्होंने पहले आर्डर लिया फिर माल खरीदा। मतलब पहले कस्टमर का पैसा फिर डिलीवरी। Reliance का आईपीओ सिर्फ ₹10 पर शेयर पे ल्च हुआ था। और उस समय 57,000 लोगों ने इस कंपनी
में इन्वेस्ट किया। आज Reliance सिर्फ एक कंपनी नहीं बल्कि 19 लाख करोड़ की इंडस्ट्री है। सो व्हाट्स द लर्निंग हियर? अगर तुम्हारे पास पैसा नहीं है तो दूसरों के पैसे और मार्केट गैप का सही इस्तेमाल करना सीखना पड़ेगा। नारायण मूर्ति वो नाम जिसने भारत को आईटी सेक्टर का ग्लोबल लीडर बना दिया। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि जब उन्होंने Infosys की शुरुआत की थी तब उनके पास खुद को संभालने तक के पैसे नहीं थे। आज Infosys की मार्केट वैल्यू 6.5 लाख करोड़ से भी ज्यादा है। लेकिन उसकी शुरुआत सिर्फ ₹200 से हुई थी। लेकिन सवाल
यह है कि क्या बिना पैसे के इतनी बड़ी कंपनियां बनाई जा सकती है? 1970 के दशक में जब भारत में कंप्यूटर और आईटी सेक्टर लगभग ना के बराबर था। तब नारायण मूर्ति को यह समझ आ गया था कि आने वाला समय सॉफ्टवेयर्स का होगा। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि कैसे एक आईटी कंपनी शुरू करें जब भारत में इस फील्ड का कोई बड़ा एक्सपर्ट था ही नहीं। यहां पे अगेन उन्होंने भी लीवरेज का इस्तेमाल करना शुरू किया। उन्होंने अपने छह दोस्तों को कन्विंस किया कि वो उनके साथ मिलकर एक सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत
करें। उनके पास ऑफिस के लिए भी जगह नहीं थी। उनके पास कंप्यूटरटर्स नहीं उनके पास क्लाइंट्स भी नहीं थे। लेकिन उनके पास एक चीज थी नॉलेज। उन्होंने देखा कि अमेरिका और यूरोप की बड़ी कंपनियों को सस्ते लेकिन टैलेंटेड सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की जरूरत है। और भारत में बेहतरीन इंजीनियर्स तो थे ही लेकिन उनके पास मौके नहीं थे। यही था उनका मार्केट गैप। उन्होंने सोचा कि अगर हम भारतीय इंजीनियर्स को ग्लोबल कंपनियों के साथ कनेक्ट कर दें तो बिना किसी इन्वेस्टमेंट के एक आईटी कंपनी की शुरुआत हो सकती है। लेकिन यहां पे एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
अगर उनके पास कोई कंप्यूटर ही नहीं था तो क्लाइंट्स तक पहुंचते कैसे? यहां पर फिर से लीवरेज का इस्तेमाल हुआ। Infosys ने अपनी पहली डील साइन की डाटा बेसिक्स कॉरपोरेशन न्यूयॉर्क के साथ। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह थी कि Infosys के पास अभी तक कंप्यूटर नहीं था। मतलब उन्होंने पहले क्लाइंट से पैसे लिए फिर उन्हीं पैसों से कंप्यूटर खरीदा और प्रोजेक्ट पूरा किया। यही होता है स्मार्ट बिजनेस। जहां पहले पैसे लाओ फिर सर्विस डिलीवर करो। Infosys का पहला साल बहुत मुश्किल भरा था। पैसे नहीं थे, इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था लेकिन टीम में एक चीज थी
दूर दृष्टि, विज़। Infosys ने 1993 में अपना पहला आईपीओ लांच किया। उस समय तक आईटी सेक्टर को लेकर भारत में ज्यादा भरोसा बिल्कुल भी नहीं था। लेकिन Infosys के पहले दिन के आईपीओ ने 300% से भी ज्यादा की ग्रोथ दिखाई। आज Infosys के शेयर ₹1500 से ज्यादा के प्राइस पर ट्रेड कर रहे हैं। आज Infosys दुनिया की टॉप 10 आईटी कंपनी में से एक है। कंपनी की नेटवर्थ 6.5 लाख करोड़ से ज्यादा है। Infosys में 3 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। Infosys के क्लाइंट्स में Apple, Google, Microsoft जैसी बड़ी कंपनीज़ भी शामिल है।
तो अब आप सोच के देखो अगर नारायण मूर्ति क्लासिक बहाना बनाते हैं। मेरे पास पैसे नहीं है। मैं कैसे कंपनी शुरू कर सकता हूं तो शायद आज Infosys का नाम भी नहीं होता। उन्होंने पैसे नहीं बल्कि स्किल्स का लीवरेज किया। उन्होंने बिना कंप्यूटर, बिना इंफ्रास्ट्रक्चर और बिना फंडिंग के अपनी कंपनी खड़ी कर दी। इसलिए अगर तुम बार-बार यही सोचते हो कि बिजनेस के लिए तो पैसे ही चाहिए तो यह वीडियो तुम्हारे लिए सबसे बड़ा वेकअप कॉल है मेरे भाई। पैसा नहीं आईडिया और एग्जीक्यूशन बिजनेस बनाता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या तुम भी
अपने स्किल्स को लिवरेज कर सकते हो? कमेंट्स में बताना मुझे। साल था 2007 और दो साधारण लड़के सचिन बंसल और बिनी बंसल। बोर में एक छोटे से कमरे में बैठे एक आईडिया प्लान कर रहे थे जिसने भारत में ई-कॉमर्स का पूरा गेम बदल दिया। आज Flipkart की वैल्यू 3 लाख करोड़ से ज्यादा है। और यह भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन मार्केट प्लेस में से एक है। पर क्या आपको पता है Flipkart की शुरुआत सिर्फ और सिर्फ ₹4 लाख की पूंजी से हुई थी। और सबसे बड़ी बात Flipkart ने कभी भी शुरुआत में खुद के पैसे
से इन्वेंटरी नहीं खरीदी। फिर भी एक मल्टी बिलियन डॉलर कंपनी बनी। कैसे? लीवरेज से। Flipkart की शुरुआत से पहले भारत में ई-कॉमर्स लगभग ना के बराबर था। था। लोग ऑनलाइन खरीदारी पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करते थे। उन्हें डर था कि क्या प्रोडक्ट सही आएगा? अगर डिलीवरी नहीं हुई तो ऑनलाइन पेमेंट सेफ है भी कि नहीं है? लोगों में बहुत ज्यादा डर था। लेकिन सचिन और बिनी ने एक चीज पर ध्यान दिया Amazon की सफलता पे। दोनों पहले Amazon के लिए काम कर चुके थे और उन्होंने वहां से सीख लिया था कि ऑनलाइन रिटेल कैसे
काम करता है। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी नॉलेज। लेकिन यहां एक सवाल उठता है अगर उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने बिजनेस शुरू कैसे किया? मतलब उन्होंने खुद की कोई इन्वेंटरी खरीदी ही नहीं। उन्होंने लीवरेज किया सप्लायर्स की इन्वेंटरी का। मतलब अगर मेरे पास मेरा स्टॉक रखने के लिए, मेरा सामान रखने के लिए जगह नहीं है, इन्वेंटरी नहीं है, तो क्या फर्क पड़ता है? जिन लोगों ने ऑलरेडी लाखों रुपए लगा रखे हैं और अपना सामान वहां पे रखा हुआ है, क्या मैं उन्हीं के पास और कस्टमर लाने के लिए मेहनत कर सकता हूं?
यह सिंपल सी सोच Flipkart के बहुत बड़े सक्सेस का कारण बनी। Flipkart की शुरुआत सिर्फ एक कैटेगरी किताबों की सेलिंग से हुई थी। लेकिन उन्होंने खुद के पैसे से किताबें कभी खरीदी ही नहीं बल्कि उन्होंने एक सिंपल स्ट्रेटजी अपनाई। पहले वेबसाइट पर प्रोडक्ट लिस्ट किया। जब कस्टमर ने आर्डर दे दिया तभी उन्होंने सप्लायर से किताब खरीदी और फिर डिलीवरी कर दी। मतलब कस्टमर के पैसे से ही उनका बिजनेस चलना शुरू हो गया। और यह था Flipkart का पहला लीवरेज। बिना एक भी प्रोडक्ट अपने पास स्टोर किए उन्होंने लाखों की बिक्री शुरू कर दी थी। शुरुआत
में सबसे बड़ी दिक्कत थी भारतीय लोग ऑनलाइन पेमेंट करने से डरते थे। Flipkart ने इस प्रॉब्लम को बहुत स्मार्ट तरीके से सॉल्व किया। कैश ऑन डिलीवरी मॉडल को इंट्रोड्यूस करके। यह सच में एक गेम चेंजर मूव था। साल 2010 में Flipkart की 60% से ज्यादा सेल्स कैश ऑन डिलीवरी के जरिए से होने लगी और इस वजह से Flipkart पर लोगों का बहुत ज्यादा भरोसा बढ़ा और लोग ऑनलाइन खरीदारी करने लगे। Flipkart ने 2009 में अपना पहला फंडिंग राउंड उठाया एक्सेल पार्टनर से $1 मिलियन। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उन्होंने बिना किसी बड़ी
फंडिंग के ही करोड़ों में सेल करनी शुरू कर दी थी। Ter ग्लोबल और उनके जैसे ही बहुत बड़े इन्वेस्टर्स ने Flipkart में करोड़ों डॉलर्स इन्वेस्ट करने शुरू कर दिए। सिर्फ 2014 में Flipkart ने $1 बिलियन की फंडिंग उठाई जो उस समय भारत के किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी फंडिंग थी। Flipkart इतनी तेजी से ग्रो कर रही थी कि 2018 में Walmart ने इसे 16 बिलियन यानी $2000 करोड़ में खरीद लिया। Flipkart की इस खरीद ने इसे भारत का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स का प्लेटफार्म बना दिया। आज Flipkart भारत के 100 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों
तक पहुंच चुका है। देश भर में 20 लाख से ज्यादा कैटेगरी में प्रोडक्ट्स बेचता है। हर महीने अरबों का रेवेन्यू करता है। अब सोच के देखो अगर सचिन और बिनी बंसल भी यह सोचते हमें पहले करोड़ों की इन्वेस्टमेंट चाहिए तभी बिजनेस शुरू कर सकते हैं। तो Flipkart कभी बन ही नहीं पाता। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन्वेस्टमेंट के बिना तो आप बिजनेस शुरू कर सकते हो। पर नॉलेज के बिना कुछ नहीं हो पाएगा। अपने फील्ड की नॉलेज तो आपको चाहिए ही चाहिए। और यह नॉलेज आती है उस फील्ड में काम करने से, एक्सपीरियंस
लेने से। जितना ज्यादा आप किसी काम को समझते हैं, उसे करते हैं, जितनी ज्यादा आपकी प्रैक्टिस होती है, उतना ही आपका एक्सपीरियंस और साथ के साथ आपकी नॉलेज उस इंडस्ट्री में बढ़ती चली जाती है। अब मैं आपको अभी ऐसे चार सिंपल स्टेप्स देने वाला हूं जो अगर आपने सच में फॉलो कर लिए, बड़ी आसानी से अपने बिजनेस को करोड़ों में ले जाओगे और अगले कुछ सालों में इसी वीडियो के कमेंट्स में आकर आप थैंक यू भी लिखने वाले हो। स्टेप नंबर वन, प्रॉब्लम इज योर की टू सक्सेस। हम में से हर एक इंसान प्रॉब्लम से
हमेशा बचना चाहता है, दूर रहना चाहता है। पर चलो एक बार जरा प्रॉब्लम को आज एक नए नजरिए से देखते हैं। बिजनेस की सबसे बड़ी गलती क्या होती है? लोग सोचते हैं कि एक अच्छा आईडिया मिल जाए बस तुरंत करोड़पति बन जाऊंगा। लेकिन आप सोच के देखो जरा दुनिया के बड़े से बड़े सारे बिनेसेस किसी एक आईडिया से नहीं बल्कि किसी एक बड़ी प्रॉब्लम के सॉल्यूशन निकालने से बने। जब धीरूभाई अंबानी ने बिज़नेस शुरू किया तब उनके पास लाखों करोड़ों नहीं थे। जब नरेश गोयल जेट एयरवेज के मालिक। इन्होंने एयरलाइंस इंडस्ट्री में कदम रखा तब
उनके पास खुद की एयरलाइंस खरीदने के पैसे नहीं थे। जब Flipkart शुरू हुआ तब बिन्नी बंसल और सचिन बंसल के पास सिर्फ एक लैपटॉप था। क्या इनका आईडिया बहुत यूनिक था क्या? नहीं। लेकिन ये सब लोग सिर्फ एक चीज जानते थे। लोगों की प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व करना है। धीरूभाई अंबानी ने कपड़े के बिजनेस में देखा कि इंडियन मिडिल क्लास को सस्ते और टिकाऊ कपड़े चाहिए। उन्होंने अपनी पूरी स्ट्रेटजी इसी पे बनाई। बिन्नी और सचिन बंसल को पता था कि भारत में लोग किताबें खरीदने के लिए घंटों मार्केट में घूमते हैं। उन्होंने Flipkart इसी मॉडल
पे शुरू किया। तो आपका पहला काम क्या है? बिलियन डॉलर आइडियाज सोचना बंद कर दो। प्रॉब्लम को पकड़ो। क्या प्रॉब्लम हो रही है लोगों को आपके आसपास? ऐसी प्रॉब्लम की लिस्ट बनाते चलो जो लाखों करोड़ों लोगों को सच में परेशान कर रही है। एक बार अगर आपने सही प्रॉब्लम को ढूंढ लिया ना तो पैसों की दिक्कत तो आपको बिजनेस शुरू करने से कभी रोक ही नहीं सकती। स्टेप नंबर टू फोकस ऑन बिल्डिंग योर नेटवर्क नॉट मनी। अब सवाल आता है कि बिजनेस के लिए पैसा कहां से आएगा? भाई मैं बार-बार कह रहा हूं पैसा नहीं
चाहिए। पहले नेटवर्क चाहिए, पहचान चाहिए, ब्रांड चाहिए। क्या आपने कभी सोचा है Paytm को शुरू करने के लिए विजय शेखर शर्मा के पास कोई बैंक नहीं था। लेकिन फिर भी उन्होंने करोड़ों के पेमेंट सिस्टम को खड़ा कर दिया। क्या Zomato के पास खुद के रेस्टोरेंट्स थे? नहीं। क्या o के पास खुद के होटल्स थे? नहीं। तो उन्होंने किया क्या? उन्होंने नेटवर्क खड़ा किया भाई साहब। दूसरों के रिसोर्सेज को अपने ब्रांड के साथ जोड़ दिया। Oyo का मॉडल क्या था? दूसरे के होटल को अपने नाम से चलाना। Zomato का मॉडल क्या था? दूसरे के रेस्टोरेंट को
ऑनलाइन लेके आना। आपको भी यही करना है। आज के जमाने में पैसे से बिजनेस खड़ा नहीं होता है। नेटवर्क और ट्रस्ट से खड़ा होता है। तो पहला काम अपने इंडस्ट्री के लोगों से जुड़ो। उनके साथ काम करो, सीखो, समझो और अपनी जगह बनाओ। आपको इसी तरह से सोचना है कि जो प्रॉब्लम आपने पकड़ा उसका सॉल्यूशन अगर आप ऑलरेडी ढूंढ चुके हो तो आप उस सॉल्यूशन को कैसे मार्केट तक पहुंचाओगे। अगर आपके पास उतने रिसोर्सेज नहीं है कि आप खुद सॉल्यूशन क्रिएट कर पाओ तो आप कैसे अपने नेटवर्क को बिल्ड करके उस नेटवर्क का इस्तेमाल करोगे
ताकि वो सॉल्यूशन इफेक्टिवली लोगों तक पहुंच जाए। देखो बिजनेस में या तो पैसा लगता है या फिर दिमाग लगता है। अगर पैसा नहीं लगा सकते आप तो दिमाग तो लगाना पड़ेगा बॉस। स्टेप नंबर थ्री टेक बेबी स्टेप्स। सबसे बड़ा सवाल बिजनेस कैसे शुरू करें? लोग एक ही झटके में 100 करोड़ कमाने की सोचते हैं। लेकिन सच यह है कि हर बड़ा बिजनेस छोटे-छोटे कदमों से शुरू होता है। अगर तुम्हें लगता है कि कोई भी बड़ा बिज़नेस एक रात में बना है तो ये सबसे बड़ी गलतफहमी है दोस्त। Amazon जो आज दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स
कंपनी है। उन्होंने सिर्फ किताबें बेचकर शुरुआत करी थी। Ola आज भारत का सबसे बड़ा कैब सर्विस प्लेटफार्म है। लेकिन इसकी शुरुआत सिर्फ मुंबई में कुछ टैक्सियों से हुई थी। Reliance जो आज 19 लाख करोड़ की कंपनी है। उसकी शुरुआत बस एक छोटे से पॉलीस्टर के बिजनेस से हुई थी। तो आपको क्या करना है? सबसे पहले एक छोटे बिज़नेस पर फोकस करो। मान लो तुम एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी शुरू करना चाहते हो। अगर तुम्हें लगता है कि शुरू में बड़ी-बड़ी कंपनीज़ तुम्हें हायर कर लेंगी, तो यह गलतफहमी है दोस्त। सबसे पहले एक क्लाइंट पकड़ो सिर्फ एक
क्लाइंट। उससे ₹10,000 कमाओ। जब पहला क्लाइंट सेट हो जाए, तो पांच क्लाइंट पकड़ो। फिर ₹1 लाख का बिज़नेस बनाओ। फिर धीरे-धीरे इसे 10 लाख तक लेके जाओ। फिर 10 लाख का स्टेबल बिज़नेस जब बन जाए तब इसे एक करोड़ तक स्केल करने की सोचो। और जब एक करोड़ की इनकम आनी शुरू हो जाए तो तुम इसे 10 करोड़ तक भी और 100 करोड़ तक भी लेके जा सकते हो। छोटे से शुरू करने में सबसे बड़ा फायदा यही है कि रिस्क एकदम कम होता है। मान लो तुम अपना पूरा पैसा एक बड़े आईडिया में लगा देते
हो लेकिन वह फेल हो गया तो तुम्हारा सब कुछ चला जाएगा। लेकिन अगर तुम छोटे से शुरू करोगे तो तुम सीखते रहोगे, गलतियां करोगे लेकिन नुकसान बड़ा कभी भी नहीं होगा। स्टीव जॉब्स ने भी पहले अपने गराज में बैठकर Apple की शुरुआत की थी। धीरूभाई अंबानी भी पहले छोटे-छोटे बिजनेस डील्स करके Reliance को खड़ा कर रहे थे। अगर वो भी सोचते कि मुझे सीधा 100 करोड़ का बिज़नेस चाहिए तो आज वो कहीं नहीं होते। स्टेप नंबर चार बी हंग्री फॉर नॉलेज। अक्सर लोग सोचते हैं कि बिजनेस शुरू किया तो सीधा सीईओ की कुर्सी पर बैठूंगा।
बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमूंगा और लोग उन्हें बॉस कह कर बुलाएंगे। लेकिन दोस्त बिजनेस का असली खेल सीखने से शुरू होता है। बॉस बनने से नहीं। बड़ा बिजनेस खड़ा करने के लिए पहले खुद को छोटा बनाना पड़ता है। अगेन हम यहां पे धीरूभाई अंबानी का एग्जांपल ले सकते हैं कि पेट्रोल पंप से लेके अरबों का साम्राज्य खड़ा करने वाला इंसान आज भारत के सबसे बड़े बिजनेस आइकॉन में से एक है। लेकिन उन्होंने क्या सीधा अरबों के बिजनेस से शुरुआत करी थी? नहीं। धीरूभाई अंबानी की पहली नौकरी क्या थी? एक पेट्रोल पंप पे सेल्समैन की। उन्होंने इसे
सिर्फ नौकरी नहीं समझा। उन्होंने यहीं से बिजनेस के असली सबक सीखे थे कि कैसे कस्टमर सोचता है, कैसे पेट्रोल के दाम बदलते रहते हैं। कैसे छोटी-छोटी बचत से बड़ी पूंजी बनाई जा सकती है। यहीं से उन्होंने बिजनेस की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। उन्होंने छोटे से सीखा बड़े में खेला। रतन टाटा अरबपति होकर भी मजदूरों के साथ रहना सीखा। रतन टाटा का परिवार पहले से बिजनेस में था। लेकिन उन्हें सीधे टाटा ग्रुप का चेयरमैन नहीं बना दिया गया। उनके दादाजी जे आरडी टाटा ने कहा कि अगर तुम टाटा ग्रुप चलाना चाहते हो तो पहले
इसे नीचे से समझो। रतन टाटा को टाटा स्टील की फैक्ट्री में भेज दिया गया। उन्होंने वहां मजदूरों के साथ काम किया। धूल धक्कड़ में रहे। लोहे के सामान उठाए, जमीन पर बैठकर खाना खाया। कैसे एक लोहे की छड़ बनती है। कैसे मजदूर 12 घंटे मेहनत करते हैं। कैसे ग्राउंड लेवल पर कच्चा माल तैयार होता है। रतन टाटा ने सिर्फ कंपनी के कागज नहीं देखे। कंपनी का असली ग्राउंड वर्क भी समझा। तभी जाकर वो दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस लीडर्स में से एक गिने गए। Infosys के फाउंडर नारायण मूर्ति आज भारत के सबसे बड़े आईटी बिज़नेस
लीडर्स हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी पहली सैलरी सिर्फ ₹1000 की थी। वो एक इंजीनियर थे, लेकिन उन्होंने सबसे पहले एक छोटी सी नौकरी करी। इसी दौरान उन्होंने सीखा कि कोडिंग कैसे होती है? कैसे बड़ी-बड़ी कंपनियां टेक्नोलॉजी में पैसा लगाती है। कैसे एक छोटे से आईडिया से बड़ा बिजनेस खड़ा किया जा सकता है। अगर नारायण मूर्ति चाहते तो वो किसी बड़े बिजनेस हाउस में घुसकर अच्छी सैलरी, ऊंची सैलरी वाली नौकरी पकड़ सकते थे। लेकिन उन्होंने भी पहले अपने दिमाग में सीखने की आग जगाई। फिर उसे करोड़ों की कंपनी में बदल दिया। तो फाइनली
आज मैंने आपको वो फार्मूला दिया जिसे जीरो से 10 करोड़ का बिजनेस और 10 करोड़ से 100 करोड़ का बिजनेस खड़ा किया जा सकता है। अब यह आपके ऊपर है कि आप इसे सिर्फ सुनकर भूल जाओगे या इसे अपनी लाइफ में अप्लाई भी करोगे। क्या वाकई में अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने के लिए तैयार हो? कमेंट में लिखना आई एम रेडी। और मेरे को यह भी बताना कि कौन सा बिजनेस आपको सबसे ज्यादा पसंद है। अगर यह वीडियो आपको पसंद आई है तो इसे लाइक जरूर करना। इससे मुझे बहुत इंस्पिरेशन मिलती है। आप अपने
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