इंडिया अपने अनइंप्लॉयमेंट क्राइसिस को कभी खत्म नहीं कर सकता मैं इतना बड़ा स्टेटमेंट क्यों दे रहा हूं यह आपको अगले चार मिनट के अंदर पता चल जाएगा अमेंट टमेंट टमेंट रिम ए सीरियस प्रॉब्लम आपके लिए सक्सेस का मतलब क्या है बड़ा बंगला हो जाता है अच्छी गाड़ी मिल जाती है आपके आसपास नौकर चाकर रहते हैं मुझे लगता है कि हर एक मिडिल क्लास आदमी यह चाहेगा एक बहुत ही फेमस एक्सपेरिमेंट है जिसको माउस व्हील एक्सपेरिमेंट कहते हैं इसमें एक रोटेटिंग केज को एक जंगल में रख दिया जाता है फिर उसके ऊपर एक चीज ब्लॉक को
बांध दिया जाता है कुछ चूहे उनके सामने खाना देखकर उस केज में भागने लगते हैं लेकिन वो कितना भी भाग ले वो ऊपर बंधे हुए चीज ब्लॉक तक कभी पहुंच नहीं पाते हैं और कुछ देर के बाद वो चीज मेल्ट हो जाता है अभी आप सोच रहे होंगे कि इस एक्सपेरिमेंट का अनइंप्लॉयमेंट के साथ क्या रिलेशन है लेट मी एक्सप्लेन 10 साल से हम लोग यही राजधानी में रहके यही तैयारी कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई ऐसा हम लोग मुकाम हासिल नहीं कर पाए जॉब के क्षेत्र में कोई वैकेंसी ही नहीं हैई अभी मैं
आपको कुछ जॉब्स के नाम बताता हूं कंजर्वेशन इंजीनियर विंड एनर्जी टेक्निशियन एथिकल हैकर फूड टेस्टर सोमे लियर पेट्रोलियम इंजीनियर ओनिल जििंक कंसल्टेंट मीटरोलॉजिस्ट ये जितने भी जॉब्स का मैंने नाम लिया वो सब हाई पेइंग जॉब्स हैं लेकिन आप में से कितने लोगों को इसके बारे में पता है लास्ट ऑप्शन वही है सरकारी नौकरी और नहीं तो हम लोग ख जैसे मांगता है कटोरा लेकर उस माफी हम लोग हैं शायद ज्यादा लोगों को पता नहीं है इसीलिए जिनके पास इंजीनियरिंग का डिग्री है वो भी पी ऑन पोटिकल जॉब या साफ सफाई के जॉब्स कुछ भी मिल
जाए वो करने के लिए रेडी है चलो मैं एक सिंपल क्वेश्चन पूछता हूं टॉप 1 पर के लोग यानी कि वो लोग जो दुनिया के रिचेस्ट लोगों में आते हैं उनमें और आप में क्या डिफरेंस है क्या इसके बारे में कभी आपने सोचा है लन मस्क इज ऑफिली द रिचेस्ट पर्सन एवर गौतम अडानी की कुल संपत्ति 88.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई मुकेश अंबानी एक ही साल में 170000 करोड़ रपए कमाए हैं ये लोग खुदको उस वियस सर्कल से निकालने में सक्सेसफुल हो गए जिस वियस सर्कल में आज आप और हम फंसे हुए हैं ठीक
वैसे ही जैसे एक चूहे के पास पूरा जंगल होने के बाद भी वो उस चीज क्यूब के पीछे भागने लग जाता है चलो आज नहीं सफलता तो कल कभी तो मिल जाएगी समझ ही नहीं आ रहा हम लोग जाए तो जाएगा कभी-कभी मन करता है आदमी की जाए गंगा मैया में विसर्जित हो जाए अभी सिचुएशन ऐसा है कि लोग जॉब के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है मैं आपको कुछ रिसेंट इंसीडेंट्स बताता हूं कुछ दिन पहले एक न्यूज़ बहुत ही वायरल हो रहा था जहां पे अन एंप्लॉयड इंडियंस को रशिया और
यूक्रेन के बीच में हो रहे वर में लड़ने के लिए भेजा जा रहा था उन लोगों को पहले यह बोला गया था कि उनको सिर्फ हेल्पर या फिर सिक्योरिटी गार्ड की पोस्ट में रखा जाएगा इसीलिए उनकी पोस्टिंग वर जोन से काफी दूर होगी और उसके बदले महीने का एक ₹ लाख सैलरी मिलेगा इसीलिए जिनका कोई भी मिलिटरी स्किल नहीं था वो लोग भी पैसों की लालच में रसिया पहुंच जाते हैं फिर उन लोगों को धोखे से फ्रंट लाइन में लड़ने के लिए भेज दिया जाता है मैं रशिया आया था जॉब करने के लिए एजेंट के
थ्रू रशिया आने के बाद वो हमको आर्मी में डाल दिया मैं अपनी जान बचाकर बड़ी मुश्किल से भागा हूं ग्रेनेट आर्टिलरी हर चीज वहां प गिर रही थी हमारे पास जी पर एक्सपीरियंस है हम बिल्कुल भी युद्ध के लिए नहीं जा रहे हैं हमें किसी को भी अच्छे से बंदूक भी नहीं पकड़ने आती है और ये हमें फ्रंट लाइन पर डालना चाहते हैं इसमें दो लोगों की मिसाइल अटैक में मौत हो जाती है उनमें से एक थे गुजरात की हेमल अश्विन भाई और दूसरे थे कर्नाटक के मोहम्मद असफान ऐसे ही एक और इंसिडेंट है जहां
पे काफी सारे इंडियंस इजराइल पहुंच जाते हैं प्लंबिंग लेबर और इलेक्ट्रिशियन जैसे ब्लू कलर जॉब्स के लिए ये जानते हुए कि इजराइल और पलेस्टाइन के बीच में वार हो रहा है अभी ये लोग इतना डेंजरस स्टेप चूज करके फॉरेन कंट्री में क्यों जा रहे हैं जिसमें उनकी जान भी जा सकती है इसलिए हमारे इंडिया में जॉब का सिचुएशन क्या है वो समझते हैं ये कानपुर रेलवे स्टेशन है यहां पे जो आप भीड़ देख रहे हैं ये सब यूपी के पुलिस कांस्टेबल पोस्ट के लिए अप्लाई किए हुए थे लगभग 50 लाख लोगों ने इस जॉब के
लिए अप्लाई किया था लेकिन वैकेंसी था सिर्फ 600000 पोस्ट का वैसे ही पुणे में एक जॉब इंटरव्यू के लिए 3000 लोग पहुंच गए थे और पोस्ट था जूनियर डेवलपर का सिमिलर सिचुएशन इंडिया में हर जगह नोटिस किया जा रहा है और दूसरी तरफ जिन लोगों के पास जॉब है इस हाइपर कंपीटेटिव एनवायरमेंट में वो कितना दिन अपना जॉब बचा सकते हैं उसका कोई गारंटी नहीं है अगर आपको इन सब से डर नहीं लग रहा है तो मैं आपको एक और फैक्ट बताता हूं लास्ट ईयर आरबीआई ने कहा था कि इंडिया दुनिया का फिफ्थ लार्जेस्ट इकॉनमी
बन चुका है और बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट ये दावा कर रहे हैं कि 2030 तक इंडिया दुनिया का थर्ड लार्जेस्ट इकोनॉमी बन सकता है इंडिया विल बी द थर्ड लार्जेस्ट इकोनॉमी सून क्या नाम है तेरा देश प्रेमी देश प्रेमी नाम है खाना वाना हो जाता है रोज होता है कभी कभी होता है कभी नहीं होता कितने टाइम खाते हो दिन में दिन में होग कभी कभी मिला तो मिलाना ऐसा हो र मतलब दिन में खाना नहीं भी मिला ऐसा भी हो जाता है ध मांग के कभी कभी खाते हैं मांग खाते सच ये है कि किसी भी
रिचेस्ट पर्सन और आपके बीच में बहुत बड़ा गैप है जिसको कहते हैं द वेल्थ गैप और यह गैप हर साल बढ़ते ही जा रहा है अभी इसका भी बहुत सारे सलूशन है लेकिन उससे पहले इसका रूट कॉज क्या है वो समझते है अगर आपको अभी तक वीडियो अच्छा लग रहा है तो प्लीज [संगीत] सब्सक्राइब 18 सेंचुरी तक हमारे देश में गुरुकुल एजुकेशन सिस्टम चलता था जहां पर मोरल वैल्यूज प्रैक्टिक स्किल्स कैरेक्टर डेवलपमेंट वेदिक मैथ फिलोसोफी और इकोनॉमिक्स जैसे 18 सब्जेक्ट पढ़ाए जाते थे जो रियल लाइफ में काम में आता था क्योंकि तब लोगों को पता
था कि जब जिंदगी परीक्षा लेती है तो सब्जेक्ट वाइज नहीं लेती य गेट स्ट ए इन स्कूल इफ सो गुड फॉर यू कलेश बट इन द रियल वर्ल्ड य नेवर गेट स्ट्र अन देर अप्स एंड दे डाउ गुरुकुल एजुकेशन सिस्टम में लोगों को हर चीज से सवाल करना सिखाया जाता था क्योंकि सवाल करने से क्रिटिकल थिंकिंग बढ़ती है इसे आप हमारे पुराणों में भी देख सकते हैं मैं आपको महाभारत का एग्जांपल देता हूं श्री कृष्णा भवान होने के बाद भी जब वो अर्जुन को अपने भाइयों से लड़ने के लिए कहते हैं तो अर्जुन उनसे काफी
सारे सवाल पूछते हैं अर्जुन के वही सब सवालों से आज भगवत गीता बना है लेकिन आज हम सवाल पूछने से डरते हैं क्योंकि अगर किसी टीचर को बुरा लग गया तो वो पनिशमेंट के नाम पर मारने पीटने लगेंगे और मोस्ट ऑफ द पेरेंट्स को इससे कोई प्रॉब्लम भी नहीं है इसीलिए हम सवाल पूछना ही भूल चुके हैं चाहे वो अपने पेरेंट्स हो या फिर टीचर्स यू डों नी कॉलेज लर्न स्टफ य बेसिकली डाउनलोडिंग टा एंड अल्म इनटू योर बेन इट एक्चु अमेजिंगली बैड एक रोबोट की तरह हमारे दिमाग में ये भरा जाता है कि एक
एवरेज इंसान का इस दुनिया में कोई वैल्यू नहीं है इसलिए तुमको सबसे बेस्ट बनना पड़ेगा और ये बेस्ट का मतलब है आपको हर एक सब्जेक्ट में बेड बनना पड़ेगा अगर आप मैथ्स और फिजिक्स में अच्छे मार्क्स लाते हैं और किसी एक सब्जेक्ट में फेल हो गए तो आपके ऊपर फेलर का शंप लग जाएगा अगर ये सच होता तो हमारे सामने रामानुजन जैसे ग्रेट मैथमेटिशियन नहीं होते वो मैथ्स के अलावा किसी भी सब्जेक्ट में अच्छे नहीं थे लेकिन इसके बाद भी वो इनफिट सीरीज कंटिन्यूड फ्रैक्शन नंबर थ्योरी डिस्कवर कर लेते हैं लेकिन आज के टाइम में
एक इंसान खुद को हर एक सब्जेक्ट में बेस्ट बनाने के लिए अपने लाइफ का सबसे इंपोर्टेंट 15 से 20 साल इन्वेस्ट कर लेता है फिर जब वो जॉब ढूंढने जाता है तो उसके सामने ऐसे सिचुएशन होता है जिसके लिए वो कभी प्रिपेयर्ड ही नहीं था ग अ स्कल गेट अ जॉब बाय अ हाउस बाय अ कार मोस्ट पीपल आर ब्रेन वाश व्हेन इट कम्स टू मनी क्या होता अगर हमारे स्कूल में ये सिखाया जाता कि डिजिटल मार्केटिंग क्या होता है पब्लिक स्पीकिंग कैसे की जाती है या फिर फिल्म मेकिंग स्क्रिप्ट राइटिंग हाउ टू स्टार्ट ए
कंपनी लीडरशिप स्किल्स हाउ टू इन्वेस्ट योर मनी वाइली हाउ टू ग्रो योर मनी यह सब सिखाया जाता है आप खुद सोच कर देखिए कि इसमें से कितने सारी चीज हैं जो रियल लाइफ में काम में आ सकता है हम सबको पैसा कमाना है लेकिन हम में से कितने लोगों को पता है कि पैसों को ग्रो कैसे करते हैं क्या होता अगर हमें बैटल ऑफ पानीपत हल्दी हाटी युद्ध वर्ल्ड वॉर के साथ-साथ amazonbusiness.in अब हम डॉक्टर इंजीनियर या फिर एमबीए क्रैक नहीं कर पाते फिर हमें कहीं से पता चलता है कि एकस्टर कंसल्टेंट करके कोई जॉब
है जिसमें उतना कंपटीशन नहीं है और इसका एनुअल सैलरी 30 लाख से भी ऊपर है अभी आप सर्च करने लग जाते हैं कि जल्दी से अगर कोई कोर्स हो जाए तो बेटर होगा क्योंकि आप अपने लाइफ का 20 साल ऑलरेडी बर्बाद कर चुके हैं अगर ऐसे सिचुएशन में किसी को जॉब मिल भी जाती है तो अभी उसका सामना ऐसे लोगों से होगा जो ऑलरेडी बहुत ही एक्सपीरियंस्ड होंगे या फिर उससे ज्यादा टैलेंटेड होंगे और इस तरह एक इंसान फिर से उस माउस फल में फंस जाता है जिससे वो निकलने की कोशिश कर रहा था शायद
इसीलिए एन का कोफाउंडर स्टीव वज नियाक ने कहा था कि इंडियंस डिग्री हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं फिर वो एक [संगीत] फिल्म देख कर आए हो ड्रामा कर रहे हो या फिर ये कहेंगे कि ये कोई जॉब होता है फूड टेस्ट करके कितना कमा लेगा अरे हसेंगे लोग अगर आपके पेरेंट्स मान भी जाते हैं तो आपके ऐसे रिलेटिव्स होंगे जो आपके मम्मी या पापा को ये समझाने में कामयाब हो जाएंगे कि आप जो बनना चाहते हैं उसमें कोई फ्यूचर नहीं है इसको कहते हैं कंफर्मेटिव आयस मतलब सिंपल लैंग्वेज में इसको हार्ड मेंटालिटी
कहते हैं इसमें लोग अपने जजमेंट स्किल का इस्तेमाल ना करके बहुत सारे लोग जो काम कर रहे हैं वही करने लग जाते हैं बेसिकली हम हमेशा लेस रिस्की ऑप्शन चूज करना पसंद करते हैं जिसमें ऑलरेडी बहुत सारे लोगों को सक्सेस मिल चुका है अगर किसी का फ्रेंड सीए बनकर अच्छा पैसा कमा रहा है तो उसको भी सीए बनना है अगर किसी के कोजिन को रेलवे में जॉब मिल गया तो वो नेक्स्ट डे से रेलवे के प्रिपरेशन में लग जाता है क्योंकि यहां प सबका एंड गोल होता है पैसा चाहे कोई भी काम करना पड़े क्या
करते हो आप हा क्या अरे हां क्या स्टूडेंट है भाई कौन सी कॉलेज में क्या पढ़ते हो बीए बीए हा सेकंड ईयर है बीए किस चीज का बीए भैया बीए आर्ट से कर रहा हूं अच्छा अरे तो बीए ही तो बेचल ऑफ आर्ट्स होता है बीए कि चीज में आठ साइड से कर रहा हूं बता तो रहा हूं सब्जेक्ट सब्जेक्ट अरे भैया आपको क्या चीज आपको पूछना है वो चीज पूछिए ना आपका एजुकेशन क्वालिफिकेशन कि करते क्वालिफिकेशन मेरा बीए कर रहा हूं बता तो रहा हूं ना अरे पर बीए का सब्जेक्ट क्या है गुस्सा क्यों
रहे हो सब्जेक्ट पूछ रहे हैं भाई आठ साइड में बीए कर रहा हूं मैं बता तो रहा हूं ये चीज ना सब्जेक्ट पूछ रहे बीए का मतलब क्या होता है आर्ट साइड है भैया सब्जेक्ट बता तो रहा हूं आ साइड इसलिए आज हालत ये है कि 35 पर बीटेक ग्रेजुएट्स काम करने के लिए फिट नहीं है वही 30 एमबीए स्टूडेंट्स काम करने के लिए अनफिट है 60 आईटीआई स्टूडेंट्स के पास डिग्री है बट काम करने के लिए अनफिट है और मोर देन 75 पर पॉलिटेक्निक स्टूडेंट्स अन एंप्लॉय बल हैं और सारे ग्रेजुएट्स का अगर एक
एवरेज निकाला जाए तो सिर्फ 46 पर इंडियन ग्रेजुएट्स ही एंप्लॉय बल है यहां पे थ्री इडियट्स का वो डायलॉग बिल्कुल फिट बैठता है सक्सेस के पीछे मत भागो एक्सीलेंस एक्सीलेंस का पीछ करो सक्सेस झक मार के तुम्हारे पीछे आएगी अभी एक्सीलेंस के पीछे भागकर कैसे सक्सेसफुल होते हैं उसका सबसे बड़ा एग्जांपल ये लोग हैं रितेश अग्रवाल श्रीकांत बोलला ध्रुव रटी जब मैंने रहे थे और मैंने इस पर सीरियसली काम किया क्योंकि कम कंपटीशन था आज ध्रुव रेठी के पास 22 मिलियन सब्सक्राइबर्स है और उसके साथ-साथ एजुकेशनल और जिओ पॉलिटिकल कंटेंट में सबसे पॉपुलर यूटर है
सिमिलरली रितेश अग्रवाल और श्रीकांत बोला छोटे से टाउन से होने के बाद ही वो एक सक्सेसफुल कंपनी बना देते हैं जिसका नेटवर्थ करोड़ों में है श्रीकांत बोला कौन है अगर आप नहीं जानते हैं तो मैंने इनके ऊपर ऑलरेडी एक वीडियो बनाया हुआ है वो आप इस वीडियो के बाद देख सकते हैं अभी जानते हैं कि तीसरा सबसे बड़ा प्रॉब्लम क्या है [संगीत] इंडिया अपने चीप लेबर के लिए दुनिया भर में फेमस है वहीं इनोवेशन के फील्ड में बहुत ही पीछे है ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में आउट ऑफ 132 कंट्रीज इंडिया का रैंक 40 है इसके पीछे
एक बहुत बड़ा रीजन है 1990 तक इंडिया का सबसे बड़ा वर्कफोर्स था अग्रे यन वर्कफोर्स मतलब 602 70 पर लोग एग्रीकल्चर रिलेटेड जॉब्स करते थे लेकिन ये अगले कुछ सालों में बदलने वाला था ग्लोबलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन 1991 में इंडिया बाहर की कंपनीज को हमारे देश में बिजनेस करने के लिए इनवाइट करता है उससे हमारे देश की इकोनॉमी में सुधार आया जिसकी वजह से एंप्लॉयज के सैलरीज भी बढ़ने लगे बट इसके जो बेनिफिट्स हैं वो बड़े-बड़े सिटीज तक ही लिमिटेड रह गए आज के वक्त सबके पास रिक्वायर्ड इंडस्ट्री स्किल्स नहीं है और ये स्किल सीखने के
लिए लोग जिस कॉलेज में जाते हैं वहां पे टीचर्स के पास भी सफिशिएंट टेक्निकल नॉलेज नहीं होता है इसलिए स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज से ज्यादा थोरेट्स किया जाता है करंट इंडस्ट्री नीड्स के हिसाब से वोकेशनल और टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स नहीं होते हैं इसी एजुकेशनल मिसमैच की वजह से एंप्लॉयज के स्किल और इंडस्ट्रियल नीड में बहुत बड़ा गैप देखने मिल रहा है इसे स्किल गैप कहते हैं अभी इसका मैं एक रियल लाइफ एग्जांपल देता हूं मेरा एक फ्रेंड है जो कंप्यूटर साइंस पढ़ रहा था वो और उसके ग्रुप मिलके डिसाइड करते हैं कि वो फाइनल ईयर
प्रोजेक्ट में टेंसर फ्लो लाइट यूज करके एक एंड्र ऐप बनाएंगे जब वो ये आईडिया लेकर टीचर्स के पास गए उनके टीचर्स को ये प्रोजेक्ट समझ में ही नहीं आया अरे कहना क्या चाहते हो इसलिए उनके प्रोजेक्ट के लिए उनको कोई मेंटर नहीं मिला बाद में जब वो लोग अपने प्रोजेक्ट को प्रेजेंट करते हैं तो उनको बी ग्रेड मिलता है और आयरानी की बात ये है कि बाकी के ग्रुप्स जो प्रोजेक्ट को मार्केट से खरीद के प्रेजेंट किए थे उनको ओ ग्रेड मिल जाता है कराटे केड मूवी में एक बहुत ही अच्छा डायलॉग है नो सच
थिंग बैड स्टूडेंट ओनली बैड टीचर इसका मतलब एक अनसक्सेसफुल स्टूडेंट के पीछे टीचर का सबसे बड़ा रोल होता है अभी आप सोच कर देखिए कि इंडिया में ग्लोबलाइजेशन आए हुए 30 साल से ऊपर हो चुका है लेकिन आज तक हम उसको पूरी तरह से अडॉप्ट नहीं कर पाए हैं तो अभी जो मैसिव अमाउंट में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन हो रहा है और एआई का पावर हम हर सेक्टर में फील कर रहे हैं इसे हम कब तक अडॉप्ट करेंगे अभी इन सारे प्रॉब्लम्स का सलूशन भी है आपने नोटिस किया होगा कि मैंने इस पूरे वीडियो में हमारे सरकार
के ऊपर कुछ भी नहीं बोला है क्य क्या हुई ये सच है कि इंडिया का जो अन एंप्लॉयमेंट क्राइसिस है या फिर एग्जाम में जो स्कैम्स हो रहे हैं हमेशा क्वेश्चन पेपर्स लीक होते रहते हैं जिसकी वजह से एक स्टूडेंट कितना भी प्रिपरेशन कर ले उसका रिजल्ट अच्छा होगा इसका कोई गारंटी नहीं होता है इन सब में हमारी इंडियन गवर्नमेंट सबसे ज्यादा रिस्पांसिबल है लेकिन वो कहते हैं ना भगवान के भरोसे मत बैठिए का पता भगवान हमरे भरोसे बैठा हो अभी हमारी सरकार कब सब कुछ ठीक करेगी ये किसी को भी नहीं पता इसलिए हम
खुद के ऊपर क्या इंप्रूवमेंट कर सकते हैं उसके ऊपर फोकस करते हैं सबसे पहला और इफेक्टिव सलूशन है अल्टरनेट एजुकेशन ये अल्टरनेट एजुकेशन कितना इफेक्टिव है अगर मैं उसको एक्सप्लेन करने लगूंगा तो ये वीडियो और भी लंबा हो जाएगा मैंने खुद भी अल्टरनेट एजुकेशन लिया था और इसी के वजह से मेरा एक सेकंड सेट ऑ स्किल डेवलप हो पाया मेरा वही अल्टरनेट स्किल की वजह से आज मैं एक कंपनी में एंप्लॉयड हूं ऐसे काफी सारे लोग हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कोडिंग मशीन लर्निंग डिजिटल मार्केटिंग या फिर साइबर सिक्योरिटी जैसे कोर्स करके बड़े-बड़े कंपनीज में
प्लेस है youtube0 सॉफ्टवेयर सीखकर आज फॉरेन कंपनीज में बेटर सैलरी के साथ काम कर रहे हैं इसीलिए आप जिस भी स्ट्रीम से पढ़ाई कर रहे हैं उसके साथ एक अल्टरनेट एजुकेशन ऐड कर सकते हैं अगर आप अफोर्ड कर सकते हैं तो आप ऐसे कॉलेज में एडमिशन लीजिए जो अल्टरनेट एजुकेशन प्रोवाइड करता हो दूसरा सलूशन है ब्रिजिंग द स्किल्स क्या स्किल्स दो तरह के होते हैं हार्ड स्किल और सॉफ्ट स्किल हार्ड स्किल मतलब टेक्निकल नॉलेज जो आपको किताबों से मिलता है वही सॉफ्ट स्किल का मतलब होता है कम्युनिकेशन स्किल लीडरशिप स्किल प्रॉब्लम सॉल्विंग वर्क एथिक्स टाइम
मैनेजमेंट स्किल जो आपके खुद के एक्सपीरियंस से डेवलप होता है इट्स नॉट इनफ इफ यू आर गुड इन टेक्नोलॉजी यू हैव अक्वायर्ड द ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट इट इज देयर बट इज दैट ऑल इनफ नो सॉफ्ट स्किल इज रिक्वायर्ड व्हाई टुडे वी टॉक अबाउट ग्लोबलाइजेशन यू हैव क्लाइंट्स ऑल ओवर द वर्ल्ड यू शुड नो हाउ टू कम्युनिकेट विद देम यू कम्युनिकेट विद योर कलीग्स यू कम्युनिकेट टू योर मैनेजर गिव हिम द फीडबैक तीसरा सोल्यूशन है टर्निंग योर वीकनेस इनटू योर पावर अभी ये तो हम सबने एक्सेप्ट कर लिया है कि मोबाइल या फिर सोशल मीडिया के बिना
हम जी नहीं सकते सोशल मीडिया छोड़ के आप दोनों कितने दिन तक रह सकते हैं ट्स नॉट पॉसिबल ट्स नॉट पॉसिबल ये एकदम ड्रग्स की तरह है मतलब कुछ मिसिंग हो जाता है लेकिन क्या होगा अगर हम उसे अपने फायदे के लिए यूज करें माइंड्स रील्स या फिर वीडियोस देखने से अच्छा है कि आप उस टाइम को एजुकेशनल वीडियोस देखने में इन्वेस्ट कर सकते हैं वंस आप ऐसे वीडियोस देखना स्टार्ट करेंगे तो आपके होम फीड में एजुकेशनल कंटेंट ही रिकमेंड होगा आप मेरे चैनल भी सब्सक्राइब कर सकते हैं क्योंकि मैं काफी सारे इंटरेस्टिंग वीडियोस पे
काम कर रहा हूं जो फ्यूचर में आने वाले हैं लास्ट सॉल्यूशन है पेरेंट्स और टीचर्स के लिए एक बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा उससे ये पूछने से अच्छा होगा अगर उससे ये पूछा जाए कि तुम्हारे लिए सक्सेस का मतलब क्या है और आपके लाइफ में ऐसा क्या आ जाएगा जब आप एक्सेप्ट कर लोगे कि मैं सक्सेसफुल हो गया हूं सबके लाइफ में कैरियर काउंसलिंग के साथ-साथ सक्सेस का डेफिनेशन तय करना भी बहुत ही जरूरी है क्योंकि अगर ये डिसाइडेड नहीं होगा तो हम पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो
जाएंगे जैसे कि ये लोग जिनको अमेरिका में सक्सेस नजर आती है इसलिए ये लोग इल्लीगल तरीके से अमेरिका पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी इन लोगों को आठ से नौ कंट्रीज का बॉर्डर क्रॉस करना है तभी वो अमेरिका पहुंच सकते हैं ये इल्लीगल रूट क्रिमिनल और माफिया से भरा हुआ होता है जिसमें लोग अपनी जान भी गवा देते हैं ये वीडियो देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं दूसरे किसी इंटरेस्टिंग टॉपिक में वीडियो देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं अगर आपको यह वीडियो अच्छा लगा तो प्लीज लाइक दिस
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