Reality Of Waqf Board

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Nitish Rajput
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Video Transcript:
वक्स प्रॉपर्टी की परमानेंट ओनरशिप अल्लाह की है तो इसने इंसान की बात करने को साफ मना कर दिया इंडिया टुडे का वक्फ के ऊपर जैसे ही स्टिंग ऑपरेशन सामने आया हर कोई हैरान हो गया झूठी न्यूज़ फैला दी गई कि वक्स ट्रिब्यूनल में तो खाली मुस्लिम है वो जिस प्रॉपर्टी को चाहेंगे वक्फ कर लेंगे ईयर 1995 में तो बीजेपी खुद कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर पार्लियामेंट के अंदर वक्फ बिल लेके आ गई थी मुस्लिम कम्युनिटी के पास तो लैंड कम थी लेकिन वक्फ के पास लैंड ज्यादा है मेरठ के अंदर वक्त प्रॉपर्टी नंबर 3068 के
मुतली कमर अहमद ने सिंगापुर की सिर्फ 200 वक्त प्रॉपर्टी का रेवेन्यू 42.7 करोड़ है और इंडिया की 5 लाख प्रॉपर्टी का रेवेन्यू सिर्फ 163 करोड़ कैसे हो सकता जकात और सदका जरिया ही एक मात्र ऑप्शन है विजय माल्या के शराब के बिजनेस के लिए वर्क प्रॉपर्टी को लीज पे दे दिया गया जो कि इस्लाम में गुनाह [संगीत] है देखिए अभी आगे हम वक्फ के बारे में बात करेंगे लेकिन उससे पहले मैं आपको बता दूं कि टेक्निकल एडवांसमेंट्स के साथ हर चीज डिजिटाइज हो चुकी है इनफैक्ट रिलीजियस प्लेसेस के मैनेजमेंट रिकॉर्ड कीपिंग रिसर्च में भी टेक्नोलॉजी
का यूज होता है मेडिकल फाइनेंस लर्निंग सब डिजिटली हो रहा है पैसों की लेनदेन के लिए हर कोई एक दिन में मल्टीपल टाइम्स यूपीआई यूज़ करता है लेकिन अगर हर यूपीआई ट्रांजैक्शन पे आपको रिवार्ड्स मिले तो ऐसा पॉसिबल है पॉप यूपीआई के साथ पॉप यूपीआई ऐसा प्लेटफार्म है जिससे आपको हर यूपीआई पेमेंट पर 2 पर एश्योर्ड पॉप कॉइंस मिलेंगे एक पॉप कॉइन की वैल्यू है ₹1 जैसे 2500 की पेमेंट पर ₹ के पॉप कॉइंस मिलेंगे इन पॉप कॉइंस को आप पॉ पप पर अवेलेबल प्रोडक्ट्स को 80 पर डिस्काउंट तक खरीदने के लिए यूज कर सकते
हो जैसे कि यह नॉइस का ब्लूटूथ हेडसेट जो बाकी मार्केट प्लेसेस पे ₹1000000 से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स फैशन कॉस्मेटिक्स एंड स्किन केयर ब्रांड्स हैं इतना ही नहीं गारंटीड पॉप कॉइंस और अमेजिंग डील्स के साथ पॉप यूपीआई एक बहुत ही फास्ट एंड सिक्योर्ड यूपीआई ऐप है जिस पे आप सेफली अपनी डेली यूपीआई पेमेंट्स कर सकते हो तो अभी डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक से पॉप यूपीआई डाउनलोड करें तो टॉपिक पर वापस आते हैं देखिए दुनिया के अंदर चैरिटी का जो कांसेप्ट है वो अलग-अलग रिलीजन में एसिंट टाइम से चला आ रहा है जैसे भगवत गीता के
चैप्टर 17 श्लोका 20 और 21 में सात्विक दान राजसिक दान इन सब के बारे में बताया गया है ऐसे ही इस्लाम के अंदर चैरिटी को जकात और सदका बोला गया है कुरान शरीफ के चैप्टर सेकंड सूरा अल बकारा के वर्ष 215 में इसके बारे में बात की गई है चैप्टर सूरा अल इमर के वर्स 134 में इसके बारे में बात की गई और आप स्क्रीन पे जो आयत देख रहे हैं इन सब में चैरिटी के बारे में बताया गया और ये सारी चीजें मैं इसलिए बता रहा हूं क्योंकि इनका लिंक जो है वो कहीं ना
कहीं वक्फ का जो सिस्टम है उससे लिंक है तो इस्लाम के अंदर चैरिटी के साथ-साथ एक और चीज है जिसके बारे में बहुत बार बात की गई है वो है कंटीन्यूअस चैरिटी इसको इस्लाम में सदका जरिया बोला जाता है हजरत अबू हुरैरा की हदीद नंबर 1631 में कंटीन्यूअस चैरिटी यानी कि सदका जरिया के बारे में बताया गया है अल्लाह के रास्ते में की गई एक ऐसी चैरिटी और उस चैरिटी का फायदा लोग उस आदमी के मरने के बाद भी हमेशा के लिए उठाते रहे वो कभी रुके नहीं ताकि जिस आदमी ने चैरिटी की है उसका
फल उसको मरने के बाद भी मिलता रहे वो रुके नहीं और इसी कांसेप्ट को कहा गया है सदका ए जरिया और आज की डेट में ये जो आप वक्फ बोर्ड के बारे में रोज न्यूज में सुनते हैं वो पूरा का पूरा जो कांसेप्ट है इसी कंटीन्यूअस चैरिटी यानी कि सदका जरिया पे बेस्ड है वरना कुरान शरीफ के अंदर वक्फ जो वर्ड है उसके बारे में डायरेक्टली कहीं मेंशन नहीं है अभी आगे मैं आपको इस वीडियो में एक-एक डिटेल बताऊंगा तब आपको एक्चुअल में समझ में आएगा कि पूरे इंडिया में इसको लेके बवाल क्यों हो रहा
है एक भी लाइन मैं अपने मन से नहीं बोलूंगा हर एक चीज का प्रूफ आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा आप वेरीफाई कर सकते हैं देखिए अब होता क्या है कि हजरत प्रॉफिट इब्राहिम और हजरत प्रॉफिट इस्माइल ने मक्का के अंदर लोकल स्टोंस का यूज़ करके काबा शरीफ को बनाया ताकि लोग यहां पे आके अल्लाह की इबादत कर सके यानी कि वरशिप कर सकें और ये जो इंसीडेंट है ये कुरान शरीफ के चैप्टर सेकंड अल बकारा वर्स 127 में भी मेंशन है एज इट इज मैं बोल रहा हूं तो अब ये जो कंस्ट्रक्शन किया गया था
इसके अंदर सदका जरिया यानी कि कंटीन्यूअस चैरिटी जो है इसके दोनों प्रिंसिपल फॉलो हो रहे थे पहला इसको अल्लाह की राह में डेडिकेट किया गया और दूसरा आज की डेट तक लोग यहां पे आके वरशिप करते हैं और यही रीजन है कि काबा शरीफ को लोग सदका जरिया यानी कि कंटीन्यूअस चैरिटी कंसीडर करते हैं और काबा शरीफ को ही दुनिया के अंदर लोगों ने पहला वक्फ माना अब आपका ये क्वेश्चन हो सकता है कि वक्फ जो वर्ड है उसका क्यों यूज किया गया कुछ और क्यों नहीं बोला गया तो थोड़ा सा वेट करिएगा अभी एक-एक
चीज आपको समझ में आ जाएगी बाकी कुछ हिस्टोरियन बरकत हबास जो कि एक तालाब है उसको भी पहला वक्त मानते हैं लेकिन मोस्टली जगह अगर आप सर्च करोगे तो काबा शरीफ को ही पहला वक्फ माना गया है बाकी ये जो चीजें मैं आपको बता रहा हूं इसको आप अगर सर्च करोगे तो कई-कई जगह पे दो-दो पॉइंट ऑफ व्यू मिलेंगे तो जो सबसे ज्यादा फेमस है वो मैंने उठाए हैं और वही मैं आपको बताऊंगा इसमें तो अब जब ये पहला इंसीडेंस हुआ कंटीन्यूअस चैरिटी यानी कि सदका जरिया का तो ये बहुत ही एक फेमस एग्जांपल बन
के आया लोगों के सामने और इस टाइम तक वफ जो वर्ड था वो उत ना ज्यादा यूज़ नहीं हो रहा था तो हर जगह पे सदका जरिया जो है वही बोला जा रहा था तो अब इसके बाद करीब दो से 00 साल बाद यानी कि ईयर 634 एडी के आसपास एक ऐसा इंसीडेंट होता है जिसकी वजह से ये जो सदका जरिया का जो कांसेप्ट है यानी कि कंटीन्यूअस चैरिटी का जो कांसेप्ट है ये पूरे मिडिल ईस्ट के अंदर दूर-दूर तक फेमस हो जाता है और ये जो इंसिडेंट है इसके बारे में किताब अल शहद के
चैप्टर 54 की हदीद 24 का रेफरेंस आज भी लोग देते हैं जब भी वक्फ की बात उठती है तो होता क्या है कि इस टाइम पे सेकंड कैलिफ हजरत उमर ये हजरत प्रॉफिट मोहम्मद के पास जाते हैं और उनसे कहते हैं कि देखिए खाबर में मेरे पास एक बहुत ही अच्छी लैंड है तो मैं इस लैंड को बहुत ही ज्यादा अच्छे काम में अगर यूज करना चाहूं तो वो क्या होगा तो उस टाइम पे हजरत प्रॉफिट मोहम्मद इनसे कहते हैं कि इसको तुम सदका ए जरिया कर दो ऐसा करने से तुम्हारे बाद भी लोगों को
लैंड से फायदा होगा मतलब कि तुम इस लैंड को प्राइवेट यूज से रोक के अल्लाह के नाम पे सदका जरिया कर दो इससे होगा ये कि इस लैंड को ना तो सेल ना गिफ्ट ना डोनेट ना ही विरासत में किसी को दिया जा सकेगा और इस लैंड को सिर्फ पब्लिक वेलफेयर में यूज किया जाएगा मतलब कि इस लैंड से जो भी प्रॉफिट होगा उसे पुअर स्लेव्स गेस्ट ट्रैवलर्स जो होंगे उनके लिए यूज़ किया जाएगा और यह जमीन जो है वो प्राइवेट यूज से हट के अल्लाह की हो जाएगी और तुम्हारे बाद भी कंटीन्यूअस चैरिटी होती
रहेगी जिसका फल जो है वो तुम्हें दुनिया से जाने के बाद भी कंटीन्यूअसली मिलता रहेगा तो वक्फ प्रॉपर्टी का जो पूरा कोर है वो इसी कांसेप्ट पे डिजाइंड है अब ये जो इंसिडेंट था इसके बारे में दूर-दूर तक बातें हुई लोग एक नॉर्मल चैरिटी से ज्यादा इंटरेस्टेड थे कि कंटीन्यूअस चैरिटी करें ताकि एक बार बेनिफिट मिलने की बजाय कंटीन्यूअस बेनिफिट मिलता रहे तो पूरे मिडिल ईस्ट के अंदर यह जो सदका जरिया है ये एक ट्रेडिशनल गया इस रीजन में अरब्स रहते थे जो अरबी बोलते थे तो अरबी में एक वर्ड है वकफा जिसे अवक भी
बोलते हैं या फिर वक्फ भी बोलते हैं इसका मतलब होता है कि किसी चीज को रोक देना होल्ड करना या टाई अप कर देना तो इस टाइम पे जब पूरे रीजन में लोग सदका ए जरिया कर रहे थे यानी कि प्रॉपर्टीज को प्राइवेट यूज़ से रोक के अल्लाह के नाम कर रहे थे तो नॉर्मल बातचीत में कुछ लोग यह भी कहते थे कि इस लैंड को वक्फ कर दिया गया है शाही अल बुखारी की हदीस 2737 में आपको लिखा हुआ मिलेगा इस जमीन को रोक दो और इसका फायदा लोगों के लिए रखो तो यह जो
रोक दो वर्ड है कुछ लोगों ने इसको ही वक्फ कर दो से जोड़ा तो इसके बाद आने वाले 20 से 25 साल तक पूरा यह जो रीजन था मिडिल ईस्ट का यहां पे सदका जरिया यानी कि कंटीन्यूअस चैरिटी जो थी वो बहुत ज्यादा फेमस हो गई थी ट्रेडिशनल यूज हो रही थी अब ये चैरिटी तो हो रही थी लेकिन इसमें मिसमैनेजमेंट बहुत था कोई एक ऑर्गेनाइज स्ट्रक्चर नहीं था लेकिन सेम टाइम पे क्या था कि पर्शियन इजिप्शियन और जूज जो थे उनके यहां पे जो चैरिटी हो रही थी वो एक ऑर्गेनाइज तरीके से हो रही
थी उनके पास एक ऑलरेडी ऑर्गेनाइज स्ट्रक्चर था जिसमें वो एक सिस्टमिक तरीके से चैरिटी कर रहे थे जैसे पर्शिया के अंदर लोग अपनी रिसोर्सेस और जमीन को एक सिस्टमैटिक तरीके से होली फायर टेंपल के ऑपरेशंस के लिए डोनेट कर रहे थे वहीं इस्लाम के अर अंदर जो चैरिटी हो रही थी उसका कोई ऑर्गेनाइज स्ट्रक्चर नहीं था अब इसके बाद क्या होता है कि करीब 20 से 25 साल बाद यानी कि ईयर 661 एडी में पूरे रीजन में उम्याल जो थी वो एस्टेब्लिश हो जाती है जिसकी वजह से इस्लामिक एंपायर जो था वो बहुत ही पावरफुल
होता है इस रीजन के अंदर और इस टाइम के कैलिफ मुआविया अबी सुफियान जो थे उनकी प्रायोरिटी में सबसे ऊपर था कि कैसे भी करके इस अन ऑर्गेनाइज्ड कंटीन्यूअस चैरिटी का जो कांसेप्ट है इसको एक फॉर्मल और ऑर्गेनाइज्ड स्ट्रक्चर दे दिया जाए ताकि सदका जरिया जो है उसको लेके मुस्लिम्स के अंदर कोई कंफ्यूजन ना रहे तो उस टाइम पे क्या था कि पर्शियन इजिप्शियन का जो चैरिटी का ऑलरेडी मॉडल चल रहा था उसी को बेस बना के एक मिलता-जुलता सिस्टम डेवलप किया और इस टाइम तक वक्फ जो वर्ड था वो भी फेमस हो चुका था
तो इस पूरे सिस्टम को नाम दिया इन्होंने वक्फ सिस्टम और इस वक्फ सिस्टम को पूरी ह्यूमैनिटी के लिए बनाया गया था सिर्फ मुस्लिम्स के लिए नहीं बनाया गया था लेकिन आगे चलके ये चीज चेंज होगी तो ये जो पूरा वक्स सिस्टम था इसको कैलिफ अबी सुफियान ने डेवलप किया और कुछ ही टाइम बाद अबू सुफियान जो थे वो जब आए तो उन्होंने इस बनाए हुए वर्क सिस्टम के लॉ को डिफाइन किया जो हर एक मुस्लिम जब वो चैरिटी करेगा तो उसको फॉलो करेगा तो सबसे पहले इन्होंने क्या किया पूरे रीजन के अंदर उस टाइम तक
जितनी भी प्रॉपर्टी वक्फ हुई थी उसका एक ऑफिशियल रिकॉर्ड बनाना स्टार्ट कर दिया और जब सारे रिकॉर्ड बन गए तो उन्होंने हर रीजन में वक्फ एडमिनिस्ट्रेटर बनाए उनको मुत वलीज भी बोला जाता है उनको अपॉइंट्स आज की डेट में भी इंडिया के अंदर आप देखोगे तो वक्फ प्रॉपर्टी जो है उनको मुत वल्ली ही मैनेज करते हैं अभी आएगा आगे तो रीजन के अंदर मुतली जो थे वो अपने एरिया के अंदर जो वक प्रॉपर्टी थी उसको मेंटेन करने लगे उसका रिकॉर्ड बनाने लगे और जो इनकम जनरेट होती थी उसका भी रिकॉर्ड बनाने लगे हैं हर एक
छोटी से छोटी डिटेल जैसे किस काम के लिए प्रॉपर्टी वफ की गई है उसका पर्पस क्या है हर एक चीज का रिकॉर्ड बनने लगा अब मुतली मैनेज तो कर रहा था लेकिन वो सिर्फ एक केयर टेकर था वर्क प्रॉपर्टी का जो रेवेन्यू था उसमें से वो एक भी रुपया ले नहीं सकता था इसके बाद इन्होंने वक्फ सेंट्रल रजिस्ट्री बनाई जिसमें ये सब था कि जो प्रॉपर्टी वक्फ की गई है उसका मालिक कौन है किस पर्पस के लिए डोनेट की गई है करंट स्टेटस क्या है हर एक चीज वक्फ सेंट्रल रजिस्ट्री में मेंटेन होने लगी तो
इस तरीके से इसका स्ट्रक्चर बना दिया गया और जो इसके लॉ थे वो भी क्लियर सबको समझा दिए गए सबसे पहली चीज इसमें यह कही गई कि एक बार अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ कर दी गई तो उसकी परमानेंट ओनरशिप जो है वोह अल्लाह की हो जाएगी और किसी भी कंडीशन में उसकी ओनरशिप जो है वोह चेंज नहीं की जा सकती जिसने उस प्रॉपर्टी को वक्फ किया यानी कि डोनेट किया है जो वाकिफ होता है वो भी अगर दोबारा से चाह ले कि उस प्रॉपर्टी का ओनर बनना तो दोबारा से उस प्रॉपर्टी का ओनर नहीं बन
सकता इनफैक्ट इंडिया के अंदर भी सुप्रीम कोर्ट ने ऑन रिकॉर्ड बोला है वंस अ वक्फ ऑलवेज अ वक्फ तो इसके बाद कोई कंफ्यूजन ना रहे इसलिए वर्क्स प्रॉपर्टी का यूज कहां हो सकता है इसके बारे में भी साफ-साफ मेंशन कर दिए क्या पहला रिलीजियस पर्पस दूसरा चैरिटेबल पर्पस ये एक बार आप पॉज करके पढ़ लेना इनके जितने भी टाइप हैं वक्फ के कि किस-किस पर्पस के लिए आप वक्फ कर सकते हो नॉन मुस्लिम जो हैं वो भी अगर चाहे तो वक्फ कर सकते हैं लेकिन उस प्रॉपर्टी को इस्लामिक परपस के लिए यूज़ किया जा सकता
है उसपे कोई चर्च या हिंदू टेंपल नहीं बनाया जा सकता और इसके साथ-साथ कसीनो या फिर लिकर शॉप जो है वो नहीं खोली जा सकती उसपे और जो वाकिफ होगा यानी कि जो उस प्रॉपर्टी को वक्फ कर रहा है वो उस प्रॉपर्टी का लेजिटिमेसी नहीं है कि उधार लेके कोई प्रॉपर्टी खरीद के और फिर वक्फ कर सके और जो प्रॉपर्टी वक्फ होगी तो वक्फ करते टाइम एक वक्फ डीड बनेगी जिसे सक अल वक्फ भी कहा जाता है इस वक्फ डीड के अंदर एक-एक डिटेल होती है ओनर की डिटेल्स किस पर्पस के लिए डोनेट की गई
है ये सारी चीजें इस वक्फ डीड के अंदर मेंशन होती है ये एक लीगल डॉक्यूमेंट की तरह काम करता है लेकिन इसमें एक सबसे कंट्रोवर्शियल चीज थी ओरल वक्फ मतलब कि वाकफ जो डोनर है वो ओरली भी प्रॉपर्टी को वक्फ कर सकता है बिना उस प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट को दिखाए और जिससे आगे चलके ये दिक्कत हुई कि जो ओरल वक्फ होते थे उनके डॉक्यूमेंट ही नहीं होते थे तो कोर्ट में केस जाके फंस जाते थे तो अभी ये जो नया वक्फ एक्ट आया है 2024 में इसमें इस ओरल वक्फ को भी हटाया गया है तो
इस टाइम पे रिटर्न और ओरल वक्फ दोनों के लिए रास्ते बना दिए गए थे देखिए वक्फ के भी टाइप होते हैं और वाकफ यानी के जो अपनी प्रॉपर्टी डोनेट कर रहा होता है वक्फ कर रहा होता है उसकी मर्जी होती है कि वो किस पर्पस के लिए वक्फ करना चाहता है जैसे ये इतने टाइप के वक्फ होते हैं आप पॉज करके एक बार देख लेना इनमें से कोई भी पर्पस चूज किया जा सकता है ये चीज वाकिफ यानी कि डोनर की मर्जी होती है कि वो कौन सा वक्फ का ऑप्शन लेना चाहता है जैसे अगर
प्रॉपर्टी वक्फ करते टाइम रिलीजियस वक्फ का ऑप्शन लिया है तो उस प्रॉपर्टी को मदरसा या फिर मस्जिद के काम में लिया जाएगा इसमें एक फैमिली वक्फ भी होता है जिसे वक्फ अल औलाद भी कहते हैं इसमें प्रॉपर्टी वक्फ करने के बाद उस प्रॉपर्टी से जो इनकम जनरेट होती है वो वाकफ के फैमिली मेंबर्स को मिल सकती है मान लो कोई प्रॉपर्टी वक्फ की गई है और उससे कुछ रेंट आने लगा तो उसका कुछ पोर्शन वाकिफ चाहे तो अपनी प्रॉपर्टी के मेंबर्स के लिए भी अलॉट कर सकता है और इसी को वक्फ अल औलाद या फैमिली
वक्फ भी बोलते हैं वक्फ अल औलाद के बारे में किताब अल शहद के चैप्टर 54 की हदीद नंबर 24 में भी मेंशन है तो ये सारे जो रूल्स थे इस टाइम पे डिफाइन करके वर्क का एक प्रॉपर सिस्टम बना दिया गया जो अरब्स ने बहुत ज्यादा यूज़ किया और फिर आगे चलके जब ऑटोमन अंपायर आया तो इसको और ऑर्गेनाइज करके इंप्रूव किया और जब ये वक्फ का स्ट्रक्चर बन गया था तो इसको बनने के बाद सबसे पहला जो रिटर्न रिकॉर्ड था वो ईयर 912 एडी के टाइम का मिला था जिसमें पलेन के रमला सिटी में
रहने वाले फैक अल हादी ने एक रेस्ट हाउस वक्फ किया था जिसकी बेसिक टर्म्स जो थी वो एक स्टोन की स्लैब पे लिखी हुई थी अब इसके बाद करीब 200 से 250 साल बाद ईयर 1192 एडी में जब मोहम्मद गौरी भारत पे हमला करता है सेकंड बैटल ऑफ तराइन में महाराजा पृथ्वीराज चौहान को हार का सामना करना पड़ता है तो उसके बाद इस पूरे एरिया पे मोहम्मद गौरी अपना रूल एस्टेब्लिश कर लेता है और इसी के बाद वक्फ को इंडिया के अंदर एस्टेब्लिश करने की भी बातें स्टार्ट हुई अब वक्फ के रूल के हिसाब से
वही लैंड डोनेट या फिर वक्फ कर सकता है जो उसकी खुद की लैंड हो और इस्लामिक स्कॉलर्स ने उस टाइम पे कहा कि जो रूलर अपनी शक्ति से किसी एरिया को जीत के अपना रूल एस्टेब्लिश करता है वो एरिया उसका माना जाता है ऐसे स्टेट लैंड को शरिया में खराज लैंड या क्राउन लैंड कहा जाता है तो इस्लाम स्कॉलर जो थे उन्होंने उस टाइम पर कहा कि ऐसी प्रॉपर्टी अगर रूलर चाहे तो वो वक्फ कर सकता है तो मोहम्मद गौरी ने इंडिया के अंदर वक्फ का एक मॉडल बनाया जिसमें उसने पूरे इंडिया में अलग-अलग रीजन
में जो मस्जिदें थी चाहे पहले से जो मस्जिदें थी और जो नई बनने वाली थी उसमें इसने ये किया कि उसके आसपास के विलेजेस या फिर लैंड उन मस्जिदों के साथ अटैच करके वक्फ कर दिए अब ऐसा करने से हुआ ये कि जो मस्जिदें थी वो एक सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल में चलने लगी और जो भी रेवेन्यू इस वक्फ की गई लैंड या विलेजेस से आता था था चाहे रेंट के थ्रू चाहे एग्रीकल्चर के थ्रू उससे ये जो मस्जिदें थी उनका ऑपरेशन चलता था इमाम वगैरह जो थे उनकी सैलरी वगैरह दी जाती थी तो इंडिया के
अंदर जो वक्फ स्टार्ट हुआ था वो कुछ इस तरीके के मॉडल से स्टार्ट हुआ था ये जो लैंड दी जाती थी उस टाइम पे इसको अलग-अलग नाम भी दिए गए थे जैसे मदद ए माश वाज ए माश वाज ए मिल्क ये कहा जाता था इनको उस टाइम पे इंडिया और पाकिस्तान अलग नहीं हुए थे तो मुल्तान में एक जामा मस्जिद पहले से ही थी उसके साथ दो गांव थे उसको अटैच कर दिया गया था और शैखुल इस्लाम नाम के एक आदमी को यहां का मुतली बनाया गया था तो इंडिया के अंदर इसको सबसे पहली वक्फ
की गई प्रॉपर्टी माना जाता है और यह सब आपको फिरूज शाह तुगलक के टाइम के हिस्टोरिकल टेक्स्ट तारीक ए फिरूज में मिलेंगे तो इसके बाद इंडिया के अंदर भी एक ट्रेडिशनल का और जो भी प्रॉपर्टी वक्फ की जाती थी उसका सारा रिकॉर्ड किसने वक्फ की किस रूलर के टाइम पे की मुत वल्ली कौन था सबका एक ऑफिशियल रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता था जिसे फरमान कहते थे और बहुत सारी प्रॉपर्टीज टाइम पे वक्फ की गई थी इनफैक्ट साउथ के बहनी सल्तनत के रूलर महमूद गवान इन्होंने दरगाह के लिए मलर गांव की 5250 बीघा जमीन वक्फ की
थी और फिर जहांगीर के टाइम पे भी 20 बीगा हाजीपुर बिहार में वक्फ हुए औरंगजेब के टाइम पे 200 बीघा अलाबाद की लैंड वक्फ हुई 30 बीघा जमीन अजमेर में वक्फ हुई और सिर्फ इस्लामिक रूलर ही नहीं सोशल हार्मोनी मेंटेन करने के लिए हिंदू रूलरसोंग्स होने पर पीर शाह शरीफ के पास एक वाटर रिजर्व था वो डोनेट किया था शिवाजी महाराज ने भी याकूब बाबर पीर शहरा वर्दी की दरगाह के लिए 653 एकर लैंड और साथ में एक मस्जिद के लिए भी लैंड दी थी और भी बहुत सारी प्रॉपर्टी वक्फ की गई थी तो मैं
एक साथ नहीं बता सकता तो आप स्क्रीन पे देख सकते हैं इसको एक बार पॉज करके आप पढ़ लीजिएगा ये साइड में इनके फरमान जो है उनकी डिटेल्स मेंशन है टोटल प्रॉपर्टी जो उस टाइम पे वक्फ की गई थी जो मैं ढूंढ पाया वो थी 1346 बीगा लैंड थी वो वक्फ की गई थी उस टाइम पे ये उनकी डिटेल्स है आप स्क्रीन पे देख सकते हो और इसके अंदर कैश शॉप रेवेन्यू और जिनके फरमान मिसिंग थे उनकी डिटेल्स नहीं है इसमें राइट में डेट मेंशन है कि कब वक्फ हुए जिस रूलर ने फरमान इशू किया
उसका नाम है लोकेशन मेंशन है और उसके बगल में पर्पस जो है वो भी मेंशन है अब देखिए ये जो प्रॉपर्टी वर्क होती जा रही थी इनको दोबारा से किसी प्राइवेट यूज़ में नहीं किया जा सकता था और इंडिया के अंदर इसको मैनेज करने के लिए भी एक सिस्टम बनाया गया था स्टेट लेवल की जो वक प्रॉपर्टी थी उसको मैनेज करने के लिए सदर असाइन किए गए थे जो एडमिनिस्ट्रेशन करते थे इसका ग्रांट्स वगैरह जो होते थे उनको मैनेज करते थे डिस्ट्रिक्ट लेवल पे सदर ए सरकार की पोस्ट बना के मैनेज करवाते थे ये लोग
वक प्रॉपर्टी को और विलेज लेवल पे जो काजी होते थे वो वक्फ प्रॉपर्टी को देखते थे बाकी इन वक्फ प्रॉपर्टी का जो रेवेन्यू वगैरह कलेक्ट करने का जो काम था वो दीवान को दिया गया था और डेली जो एक्टिविटीज होती थी वो मुतबललिस्ट और एडमिनिस्ट्रेटिव कैपिटल जो था वो डेल्ली था तो जितने भी रूलरसोंग्स जहा ने दिल्ली के एरिया में शाहजहानाबाद नाम से एक पूरा शहर बसा दिया था यह जो चांदनी चौक रेडफोर्ट ओल्डड डेल्ली वाला जो एरिया है सब इसी में आता था तो अब क्या होता है कि इसके करीब 28 साल बाद ईयर
1656 में दिल्ली का जो एरिया था वहां पे जामा मस्जिद भी बनाई गई और जामा मस्जिद के आसपास की जो जमीन थी उसको वक्फ कर दिया गया था इसलिए आप देखोगे कि सबसे ज्यादा जो वक्फ बोर्ड का जो कंफ्लेक्स आप देखते होंगे गवर्नमेंट के साथ और इसके पीछे रीजन क्या है वो अभी आगे बताऊंगा मैं आपको अब देखिए इसके बाद क्या होता है कि ईयर 17 57 आते-आते ब्रिटिशर्स जो थे वो इंडिया के अंदर आके रूल करने लगे थे और मुगल्स जो थे वो काफी वीक हो चुके थे इस टाइम तक तो ब्रिटिशर्स ने जब
इंडिया पे रूल करना चालू किया तो इन्होंने एक चीज की कि हिंदू और मुस्लिम्स के जो धार्मिक मुद्दे थे उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की क्योंकि उनको पता था कि ऐसा करने से उनको बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है तो अंग्रेजों की इंटेंशन पे कोई शक ना करें कि आगे चलके रिलीजस मुद्दों में छेड़छाड़ करेंगे अंग्रेजों ने एक रॉयल फरमान निकाला था जिसको द रेगुलेशन ऑफ 1772 भी कहते हैं जिसमें इन्होंने क्लीयरली मेंशन कर दिया था कि हिंदू और मुस्लिम के जो रिलीजियस चीजें हैं उनमें ये बिल्कुल भी इंटरफेयर नहीं करेंगे तो मुगलों का बनाया हुआ
जो वक्स सिस्टम था उसमें भी इन्होंने कोई छेड़छाड़ नहीं की आने वाले 30 से 35 सालों तक वक्स सिस्टम जैसे पहले चल रहा था वैसे ही चलता रहता है अब इसके बाद क्या होता है कि ईयर 1810 का जो टाइम था ये टाइम आते-आते वक्फ के अंदर दीवान मुतबललिस्ट होता है कि वक्फ के मैटर में मुस्लिम्स के अलावा एक कोई तीसरी एंटिटी इंटरफेयर करना स्टार्ट करती है अब ये जो टाइम था इस टाइम पे ब्रिटिशर्स जो थे उनकी इंडिया के अंदर जो रिलीजियस लैंड थे उनके ऊपर वैसे ही नजर थी क्योंकि इन्होंने लड़ाई और दंगों
के डर से बोल तो दिया था कि ये इंटरफेयर नहीं करेंगे लेकिन इन रिलीजियस प्रॉपर्टीज से काफी रेवेन्यू जनरेट हो रहा था जिसके ऊपर अंग्रेजों की नजर थी और वो अंग्रेजों को मिल नहीं पा रहा था तो अब ये जो करप्शन के केसेस चल रहे थे इसको लेके आने वाले 20 साल तक बहुत ज्यादा इशू खड़े होते हैं और फिर ईयर 1820 में अंग्रेज एक एक्ट ले लेके आते हैं द लैंड रिजेंस एक्ट 1828 29 इसकी वजह से फिर से दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं इस एक्ट में ये था कि उस टाइम पे इंडिया के
अंदर काफी लैंड ऐसा था जो टैक्स नहीं दे रहा था तो इस एक्ट के जरिए ये था कि अब उनसे भी टैक्स लिया जाएगा तो वक प्रॉपर्टी जो थी वो भी टैक्स नहीं दे रही थी उसके ऊपर भी इस एक्ट का इंपैक्ट हुआ और जैसे ही ये एक्ट लागू हुआ जो भी फैमिली वक्फ वाला जो कांसेप्ट था उस पे बहुत बड़ा इंपैक्ट हुआ कई मुस्लिम फैमिलीज के लिए सरवाइव करना मुश्किल हुआ इसका इंपैक्ट जो था वो मदरसों पे भी पड़ा इसको लेकर मुस्लिम कम्युनिटी ने बहुत ज्यादा प्रोटेस्ट किए और प्रेशर भी बनाने की कोशिश की
अब शुरू में तो अंग्रेज इनकी नहीं सुनते हैं लेकिन आगे चलके जब 1857 का रिवॉल्ट भी शुरू हो गया था जहां पे रिलीजस इशू ही मेन मुद्दा था जहां पे काव और पिक की चर्बी के इशू की वजह से ब्रिटिशर्स को बैकफुट पे आना पड़ा था तो फिर इस एक्ट में चेंज किए गए और वक प्रॉपर्टी जो थी उसको टैक्स से अलग कर दिया गया था इस इंसीडेंट से अंग्रेजों को ये चीज समझ में आ गई थी कि डायरेक्ट अगर ऐसे रिलीजस मुद्दों पे इंटरफेयर करेंगे तो उससे दिक्कत होगी तो अंग्रेजों ने थोड़ा डिफरेंट अप्रोच
रखी इसके बाद तो इसके एक साल चुप रहते हैं अंग्रेज और उसके बाद ईयर 18641 लेके आए काज एक्ट 18644 इससे पहले ये होता था कि वक्फ प्रॉपर्टी पे कोई विवाद होता था तो उसको काजी निपटा दे थे तो अंग्रेज ये जो काज एक्ट 18641 प्रॉपर्टी के ऊपर कोई भी विवाद होगा तो उसको काज नहीं निपटाए बल्कि उसको इंग्लिश लीगल प्रिंसिपल के अंडर इंग्लिश जज जो होंगे वो सिविल कोर्ट में देखेंगे कुल मिला के उन्होंने कह दिया कि अब काज की नहीं चलेगी वक प्रॉपर्टी के ऊपर और फिर इसके 17 से 18 साल बाद यानी
कि ईयर एक्ट 18828 टर्म्स एंड कंडीशन डाली जिसका सीधा क्लैश वर्क प्रॉपर्टी के जो रूल्स रेगुलेशन थे उससे हुआ ये जो एक्ट था इस एक्ट के सेक्शन 14 में इन्होंने कहा कि अगर कोई भी वर्क प्रॉपर्टी है वो सेल बाय या ट्रांसफर करेगा कोई उसको तो जो अंग्रेजों का बनाया हुआ लीगल प्रोसेस है उसको फॉलो करना पड़ेगा अब वक्फ के हिसाब से वक्त की जो प्रॉपर्टी है उसकी परमानेंट ओनरशिप जो है वो अल्लाह की होती है तो ये कंफ्लेक्स हो गया यहां से इस एक्ट में इन्होंने मल्टीपल सेक्शन डाले जो इनडायरेक्टली वक्फ के ऊपर हमला
कर रहे थे और अगर आपके पास टाइम होगा तो इसके कुछ इंपॉर्टेंट सेक्शंस हैं सेक्शन 14 6 13 सेक्शन 17 18 और सेक्शन 25 इनको जरूर पढ़िए ग मैंने डिस्क्रिप्शन में इनके लिंक लगा रखे हैं बहुत ही स्मार्टली ये एक्ट इन्होंने इंप्लीमेंट किया था और वक्फ के जो रूल्स एंड रेगुलेशन थे उस पे इनडायरेक्टली इंपैक्ट डाला था इन्होंने और सेम टाइम पे अब्दुल फतह मोहम्मद इस नाम का एक आदमी था इसकी एक प्रॉपर्टी वक्फ अल लाद यानी के फैमिली वक्फ वाली कैटेगरी में डोनेट कर दी गई थी जिसमें से कुछ प्रॉफिट इसकी फैमिली को भी
जाता था अब इसको लेके रिजोम धुर चौधरी नाम का एक आदमी था वो ब्रिटिश कोर्ट में पहुंच जाता है और कहता है कि ये जो फैमिली वक्फ वाला जो कांसेप्ट है ये इनवैलिड है चैरिटी के नाम पे इसका मकसद पब्लिक वेलफेयर नहीं है बल्कि पर्सनल फायदा है तो काफी दिन तक ये कोर्ट जो है ब्रिटिश कोर्ट में चलता है और इसके बाद फिर जजमेंट आता है जिसमें वक्फ अल औलाद मतलब कि फैमिली वक्त को इनवैलिड अनाउंस कर दिया जाता है और बात यहां पे भी नहीं रुकती है इसके बाद 12 साल बाद सेकंड ऑफ फरवरी
18946 18940 लेके आए कि ब्रिटिश गवर्नमेंट अगर चाहे इंडिया के अंदर उसको पब्लिक के लिए कुछ अगर बनाना है मतलब कि कोई रोड ट्रेन डैम रिवर हॉस्पिटल वगैरह अगर उसको बनाना हो तो वो किसी भी लैंड को अपने अंडर ले सकता है और उसके बदले में जो उसका कंपनसेशन होगा वो दे देगा और ये जो एक्ट ये लेके आए थे इस एक्ट में इन्होंने वक्फ की जो प्रॉपर्टी थी उसको भी इंक्लूड कर रखा था अब वक्फ प्रॉपर्टी का जो कांसेप्ट है उसके हिसाब से परमानेंट ओनरशिप तो अल्लाह की है तो मुस्लिम जो है वो वर्क्स
प्रॉपर्टी को बेच नहीं सकते अगर कोई गवर्नमेंट प्रोजेक्ट आ भी जाएगा उसमें तो वो उससे पैसा नहीं ले सकते लेकिन अंग्रेज मानते नहीं है इस एक्ट को जबरदस्ती इंप्लीमेंट कर देते हैं तो अब यहां से धीरे-धीरे करके जितनी भी वर्क्स प्रॉपर्टी थी उन पे ब्रिटिशर जो हैं वो इनडायरेक्टली कंट्रोल लेना शुरू कर रहे थे तो ऐसे ही 11 साल बाद यानी कि ईयर 1911 में ब्रिटिशर्स क्या करते हैं कि इंडिया की जो कैपिटल थी उसको कलकता से शिफ्ट करके दिल्ली कर देते हैं और उस टाइम पे मुस्लिम पॉपुलेशन बहुत ज्यादा थी दिल्ली के अंदर और
मुस्लिम रिलीजस स्ट्रक्चर और वक प्रॉपर्टी ऑलरेडी बहुत ज्यादा थी जो मैंने पहले बताया था कि वहां पे मुगल्स वगैरह बहुत रहे थे तो अंग्रेज जब दिल्ली मूव कर रहे थे तो उन्होंने लैंड एक्यूजन एक्ट का इस्तेमाल किया और इसके थ्रू दिल्ली के एरिया में 100 से ज्यादा गांव जो थे वो एक्वायर कर लिए जिसमें वक्फ की भी प्रॉपर्टी थी और उसके कंपनसेशन में इन्होंने ₹ 440000 ऑफर किए अब डेल्ली की जो वर्क प्रॉपर्टी थी वो तो मुस्लिम्स के हाथ से गई लेकिन इसके बदले में वो पैसा भी नहीं ले सकते थे उसके लिए भी इन्होंने
मना कर दिया क्योंकि रूल्स के हिसाब से ऐसा करना पॉसिबल नहीं था उनके लिए तो इस इंसीडेंट के बाद ही दिल्ली के अंदर जो वर्क प्रॉपर्टी थी उसका जो कंफ्लेक्स की नीव रख दी गई थी और फिर आगे चलके जब देश आजाद हुआ था तो ये जो सारा लैंड था ये लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिसर एंड द डेल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी डीडीए इसके अंडर आ गया था जिसको लेके अभी भी कंफ्लेक्स रहा है और केस जो है वो कोर्ट के अंदर चल र हैं अभी बताऊंगा आगे मैं तो ये जो ब्रिटिशर्स एक-एक करके एक्ट लेके आ रहे
थे और जिसका डायरेक्ट इंपैक्ट जो था वो वक्फ की प्रॉपर्टी पे पड़ रहा था तो इसको लेके प्रोटेस्ट तो चल ही रहे थे साथ में मुस्लिम लीग जो थी उसने भी ब्रिटिशर्स प प्रेशर बनाया कि वक्फ के जो रूल्स एंड रेगुलेशन है वो क्लैश कर रहे हैं आप इसके लिए एक सेप लीगल फ्रेमवर्क बनाइए और वक्फ को लीगली एक्सेप्ट करिए और ईयर 1923 आते-आते मुस्लिम लीग जो थी वो ब्रिटिशर्स को यह बात समझाने में सफल रही थी और फिर ब्रिटिश गवर्नमेंट ने पहली बार वक्फ को लीगली इंडिया के अंदर एक्सेप्ट किया और फिर फिफ्थ ऑफ
अगस्त 1923 को द मुसलमान वख एक्ट 1923 लेके आए इसमें इन्होंने वक्त की डेफिनेशन लीगली डिफाइन की फिर इसमें यह कहा गया जो मुस्लिम रिलीजन को फॉलो करता है वो अपनी किसी भी प्रॉपर्टी को मुस्लिम्स लॉ में रिलीजस और चैरिटेबल पर्पस के लिए परमानेंट डेडिकेट कर सकता है अब इससे हुआ ये कि ये जो कंटीन्यूअस चैरिटी का जो पूरा कांसेप्ट था इससे पहले पूरी ह्यूमैनिटी के लिए आया था लेकिन इसके बाद अंग्रेजों ने इसे इनडायरेक्टली सिर्फ मुस्लिम्स के लिए कर दिया गया फिर इसमें यह कहा गया कि अब से जितनी भी वक्स प्रॉपर्टी होगी उनका
मैंडेटरी रजिस्ट्रेशन होगा वक्फ की जो इनकम होगी एक्सपेंसेस होंगे सबका ऑफिशियल रिकॉर्ड मेंटेन होगा और इस एक्ट के सेक्शन थ्री में कहा गया कि मुत वल्ली जो होगा वो 2000 से ज्यादा जितनी भी इनकम करेगा सबका ऑडिट करवा के कोर्ट के अंदर सबमिट कर करेगा और अगर कोई आगे चलके घपला सामने आता है तो इस एक्ट के सेक्शन 10 में साफ मेंशन था कि ब्रिटिश कोर्ट में उसके ऊपर केस चलेगा और इसके बाद इसमें एक आ गया कि इंडिया के हर स्टेट में वक्फ बोर्ड बनाए जाएंगे और ये जो वक्फ बोर्ड थे इनको ऐसे ही
रैंडम तरीके से नहीं बना दिया गया इनको लीगल पावर भी थी इनको एक स्टेट लेवल की स्टैचूट नॉन ऑफिशियल बॉडी की तरह बनाया गया मतलब कि बनाया इसको गवर्नमेंट लॉ के अंडर ही है लेकिन इसका जो ऑपरेशन है वो मुस्लिम कम्युनिटी के जो लोग हैं वो इंडिपेंडेंट होक चलाएंगे उसको और फिर इसमें मुस्लिम कमिश्नर को वक्फ बोर्ड का एक प्रेसिडेंट बनाया गया और यह कहा गया कि आगे भी जो प्रेसिडेंट बनेगा वो मुस्लिम कमिश्नर ही होगा वर्क बोर्ड का जो प्रेसिडेंट होगा उसको कुछ सिविल कोर्ट जैसी अथॉरिटी दी गई जैसे सिविल कोर्ट किसी को भी
समन इशू करके बुलाता है और डॉक्यूमेंट डिमांड करता है ठीक वैसे ही वर्क बोर्ड का जो प्रेसिडेंट होगा वो भी ठीक वैसे ही कर सकता है और इसमें इन्होंने कहा कि वक्फ अल औलाद वाला जो कांसेप्ट है उसका जो रेवेन्यू आएगा उसका 2.5 पर पैसा वक्फ बोर्ड को भी दिया जाएगा ताकि वो अपना ऑपरेशन चला सके अगर कोई वक प्रॉपर्टी है उसको ट्रांसफर करना चाहता है तो पहले वक बोर्ड से परमिशन लेनी होगी ऐसा नहीं नहीं होगा कि वाकिफ या फिर मुतली अपने हिसाब से जो चाहे वो कर ले वक्फ बोर्ड चाहे तो किसी भी
वक्फ प्रॉपर्टी को बिना गवर्नमेंट के अप्रूवल के 20 साल के लिए लीज पे दे सकता है कुछ स्टेट्स में 3 साल की भी लिमिट रखी गई थी और इसमें ये भी कहा गया कि अगर कहीं पे कोई कब्जा होता है वक्फ प्रॉपर्टी पे तो पुलिस को साथ में लेके 45 डेज में कब्जा हटाया जा सकता है बेसिकली ब्रिटिशर जो ये एक्ट लेके आए थे इसके बाद वक्फ बोर्ड जो था वो वक्फ प्रॉपर्टी का पूरा करता धरता बन गया था और ये जो वर्क बोर्ड था स्टेट लेवल पे ऑपरेट कर रहा था यानी कि हर स्टेट
का अलग वर्क बोर्ड था और एक रार की बनाई इन्होंने सेम चीज इन्होंने डिस्ट्रिक्ट लेवल पे भी करी हर डिस्ट्रिक्ट के लिए वक्फ कमिश्नर बनाए उनका काम था डिस्ट्रिक्ट लेवल पे वक्फ प्रॉपर्टी को हैंडल करना रजिस्ट्रेशन वगैरह ये सारी चीजें देखना और यह सब करने के बाद वक फंड भी बनाए गए क्योंकि यह सारा ऑपरेशन चलाने के लिए इंडिया के अंदर फंड्स की भी जरूरत थी तो इसके लिए अलग से वक्फ फंड बनाए गए जिसमें तीन तरह से पैसे इकट्ठे करने के रूल बनाए गए एक तो कुछ पैसे इसमें टाइम टू टाइम ब्रिटिश गवर्नमेंट जो
होगी वो देगी बाकी अलग से अगर कोई प्राइवेट डोनेशन करना चाहे वफ के फंड के अंदर तो वो भी कर सकता है तीसरी चीज वक्फ की जो प्रॉपर्टी होगी उससे जो रेवेन्यू आएगा उसमें से भी कुछ पैसा जो है वो इस वक फंड के अंदर डाला जाएगा ताकि ये पूरा वक्फ बोर्ड का जो ऑपरेशन है वो आसानी से चलता रहे अब इसके कुछ सालों बाद अंग्रेज इंडिया से चले जाते हैं हमें आजादी मिलती है और इंडिया और पाकिस्तान दो अलग देश बन चुके थे तो कुछ मुस्लिम्स और मुत वल्ली को अपनी जमीन छोड़ के इंडिया
से पाकिस्तान माइग्रेट करना पड़ता है उसमें उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी भी थी और वक्फ प्रॉपर्टी भी थी और इसी तरीके से पाकिस्तान के अंदर से हिंदू और सिख जो थे वो अपनी जमीन छोड़ के आए थे अब पाकिस्तान गवर्नमेंट जो थी उन्होंने हिंदू और सिख की जो प्रॉपर्टी थी उसको अपने अंडर में ले लिया था लेकिन इंडिया में जो लोग अपनी जमीन छोड़ के पाकिस्तान गए थे उन जमीनों पे जो पाकिस्तान से रिफ्यूजी आए इंडिया में उनके लिए कैंप्स बनाए गए इन जमीनों को इक्यू प्रॉपर्टी बोला जाता था मतलब कि ऐसी प्रॉपर्टी जिनके ओनर फर्स्ट ऑफ
मार्च 1947 के बाद इंडिया छोड़ के पाकिस्तान चले गए थे उनको इवाक प्रॉपर्टी बोला गया सबसे ज्यादा इवाक प्रॉपर्टी जो थी वो पंजाब हरियाणा दिल्ली और यूपी में थी और पाकिस्तान के अंदर से हिंदू और सिख जितनी लैंड छोड़ के आए थे उसके बेसिस पे इन इक्यू प्रॉपर्टी को इंडिया के अंदर अलॉट किया जा रहा था लेकिन बहुत ही कम टाइम के अंदर ये जो इक्यू प्रॉपर्टी थी इसके अंदर लोगों के बीच में कंफ्लेक्स हो गए ऐसे केसेस आने लगे जहां पे जबरदस्ती कब्जा होने लगा था और मिसमैनेजमेंट जो था वो बहुत ज्यादा बढ़ गया
था इन इ वैक्यू प्रॉपर्टीज पे तो अगले दो से तीन साल तक तो ये मिसमैनेजमेंट चलता है इन प्रॉपर्टीज पे लेकिन इसके बाद ईयर आता है 1950 और और इस ईयर में इस मैनेजमेंट को सही करने के लिए गवर्नमेंट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ इक्यू प्रॉपर्टी एक्ट 1950 लेके आई और इस एक्ट के सेक्शन 10a में ये जो प्रॉपर्टी थी इनको गवर्नमेंट प्रॉपर्टी अनाउंस कर दिया जाता है और इन प्रॉपर्टीज को बेचने और लीज पे देने का जो काम था उसके लिए गवर्नमेंट ने एक कस्टोडियन बना दिया था जो गवर्नमेंट के बेसिस पे इन प्रॉपर्टीज पे डिसीजन लेता
था लेकिन इस इवाक प्रॉपर्टी जो थी ये इसमें किसी के पास भी प्रूफ नहीं था कि इसमें से कौन सी प्रॉपर्टी वर्क की है और कौन सी प्राइवेट प्रॉपर्टी है अब वर्क बोर्ड जो था वो इस पर्टिकुलर चीज को लेके कोर्ट में चला जाता है वक्फ ने कहा कि इवेक प्रॉपर्टी जो है वो वक्फ प्रॉपर्टी है वो किसी आदमी की नहीं थी कि अगर वो पाकिस्तान चला गया तो उसके बेसिस पर किसी और को दे दिया जाए इवाक प्रॉपर्टी के अंदर जो वक्फ प्रॉपर्टी आ रही थी वो इंडिया की जो मुस्लिम कम्युनिटी थी उनकी मानी
जा रही थी और फिर जब गवर्नमेंट के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ा तो जो प्रॉपर्टी वर्क की थी वो उनको वापस दे दी गई लेकिन यहां पे भी कंट्रोवर्सी हो गई थी क्योंकि वर्क बोर्ड अपने पुराने पेपर दिखा नहीं पाया था क्योंकि टाइम के साथ पेपर खराब हो गए थे लेकिन बाद में ये प्रॉपर्टी वक्त को दे दी गई थी लेकिन जब ये इंसिडेंट हुआ था इस इंसीडेंट के बाद से ही जो मुस्लिम कम्युनिटी थी वो चाहती थी कि आजाद भारत में भी वक्फ को लीगली एक्सेप्ट कर लिया जाए कांस्टिट्यूशन के अंदर इसके रूल्स सेट
कर दिए जाए ताकि आगे चलके कोई भी गवर्नमेंट आए तो इसके ऊपर अपनी मनमानी ना कर सके तो अगले 2 साल तक गवर्मेंट के ऊपर मुस्लिम कम्युनिटी जो थी वो बहुत प्रेशर बनाती है और फिर ईयर 1952 में कांग्रेस के एमपी एसएम अहमद काजमी को टास्क दिया गया कि आप सर्वे करके वर्क प्रॉपर्टी जो है इंडिया के अंदर उनको आइडेंटिफिकेशन बल ऐसा ही करते हैं उनको आइडेंटिफिकेशन गवर्नमेंट 21 ऑफ मई 1954 को वक्फ एक्ट 1954 लेके आती है जो कि जम्मू एंड कश्मीर बंगाल यूपी महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ एरिया को छोड़ के पूरे इंडिया
में इंप्लीमेंट होता है तो ये जो वक्फ एक्ट 1954 गवर्नमेंट लेके आई थी बेसिकली इसमें जो अंग्रेजों ने लीगल सिस्टम पहले वक्फ को लेके बनाया था यह मॉडल भी उसी पर बेस्ड था वक्फ कमेटी जो थी वक्फ बोर्ड जो थे और जो वक्फ फंड बनाए गए थे वो सारा मॉडल उसी तरीके से था और इसमें हर थोड़े टाइम पे अमेंडमेंट हुए मैं एक साथ जोड़ के बता दे रहा हूं य आप स्क्रीन पे देख सकते हैं ये इतनी बार अलग-अलग एक्ट जो है वो लाए गए थे बाकी इंडियन गवर्नमेंट ने जो इसमें इंपॉर्टेंट पॉइंट ऐड
किए थे वो मैं आपको इसमें बता देता हूं तो इस एक्ट में बोला गया कि पहले तो जितने भी स्टेट हैं इंडिया के अंदर हर स्टेट का अपना एक अलग से वक्फ बोर्ड होगा जैसे गुजरात के अंदर गुजरात वक्फ बोर्ड होगा यपी के अंदर यूपी वक्फ बोर्ड होगा ऐसे करके सारे जितने भी स्टेट्स हैं उनके सेपरेट वक्फ बोर्ड होंगे जो उस स्टेट की वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज करेंगे अगर कोई स्टेट ऐसी है जहां पे जो शिया मुस्लिम्स हैं उनकी पॉपुलेशन ने डोनेशन ज्यादा की है ज्यादा की है से मतलब कि वक प्रॉपर्टी जो उनकी है
शिया मुस्लिम की वो 15 पर से ज्यादा है तो उस केस में उस स्टेट में दो वक बोर्ड बनाए जाएंगे एक शिया वक्फ बोर्ड दूसरा सुन्नी वक्त बोर्ड इसलिए आप देखोगे यूपी बिहार राजस्थान इन स्टेट में शिया और सुन्नी दो वर्क बोर्ड हैं तो ऐसे करके 32 वर्क बोर्ड हो गए तो ये जो वर्क बोर्ड बनाए गए थे पूरे स्टेट की वर्क प्रॉपर्टी का एडमिनिस्ट्रेशन देखते थे वर्क बोर्ड जो बनाया गया था उसके अंदर मुस्लिम मेंबर्स ही होते थे और मान लो किसी प्रॉपर्टी को सेल ट्रांसफर या मॉर्गेज करने का फैसला लेना है तो वर्क
बोर्ड के अंदर जितने भी मेंबर हैं उसमें से 2 थर्ड मेंबर जब तक अप्रूवल नहीं देंगे तो वो चीज अप्रूव नहीं होगी ये जो वक्फ एक्ट 1954 इंडियन गवर्नमेंट लेके आई थी तो ये तो इसका बेसिक मॉडल लेके आई थी इंडियन गवर्नमेंट लेकिन इस एक्ट के अंदर कुछ सेक्शन अलग से बहुत बहुत ही इंपोर्टेंट थे जो कि ऐड किए गए थे जैसे कि इसके सेक्शन 66 सी में ऐड किया गया कि नॉन मुस्लिम चाहे तो वो भी वर्क प्रॉपर्टी डोनेट कर सकते हैं लेकिन इस्लामिक रूल के हिसाब से वो डोनेशन कंसीडर की जाएगी मतलब कि
उस डोनेशन के पैसे से चर्च या फिर टेंपल वगैरह नहीं बन सकता इस एक्ट का जो सेक्शन 3 ए1 है इसको लेकर सबसे ज्यादा बहस होती है सबसे ज्यादा कंट्रोवर्सी आप देखोगे तो इसी सेक्शन में होती है अभी भी जो 2024 में जो करंट गवर्नमेंट अमेंडमेंट लेके आई है उसमें इस सेक्शन को हटाया गया वो अभी आगे बताऊंगा मैं आपको तो इसमें ये था कि अगर कोई प्रॉपर्टी काफी टाइम से इस्लामिक काम के लिए यूज हो रही है और अगर ओनर को कोई दिक्कत नहीं है तो उसको वक्फ प्रॉपर्टी मान लिया जाएगा इसको वक्फ बाय
यूजर कहा जाता है आजकल डेली आप न्यूज़ के अंदर यह वर्ड सुनते होंगे जैसे मान लो कोई मस्जिद है उसके पास में एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है जहां पे सब इकट्ठे होके काफी टाइम से नमाज अदा कर रहे हैं और उस प्रॉपर्टी के ओनर को कोई दिक्कत नहीं है इस चीज से तो उसको भी वक्फ बाय यूजर माना जा सकता है वक्फ बाय यूजर का का मतलब यह हो गया कि एक ऐसी प्रॉपर्टी जिसका हिस्टोरिकल वक्फ के पर्पस के लिए यूज हो रहा हो लेकिन उसका कोई रिटर्न वक्फ डीड वगैरह ना हो तो उसको वक्फ बाय
यूजर बोला जाता है तो पहले तो ये रैंडम चल रहा था लेकिन जब ये गवर्नमेंट य एक्ट लेके आई थी तो इसके सेक्शन 3 ए1 में ये चीज अलग से ऐड की गई थी और वक्फ प्रॉपर्टी जो है वो इन एलियने बल प्रॉपर्टी है मतलब कि एक बार प्रॉपर्टी अगर वक्फ हो गई उसकी ओनरशिप चेंज नहीं हो सकती उसकी ओनरशिप हमेशा के लिए अल्लाह की हो जाती है चाहे भले ही 100 साल हो हो गए हो 200 साल हो गए हो किसी ने उसके ऊपर कोई कमर्शियल काम शुरू कर दिया हो चाहे गवर्नमेंट ने ही
कोई बिल्डिंग उसपे क्यों ना बना ली हो वंस अ वक्फ ऑलवेज अ वक्फ और जब इंडियन गवर्नमेंट ये एक्ट लेके आई थी तो ये सारी चीजें मैनेज कैसे होंगी उसके लिए भी इस एक्ट के अंदर रूल्स डिफाइन किए गए इस एक्ट के सेक्शन फोर में मेंशन है कि ये सारी वक प्रॉपर्टी मैनेज करने के लिए एक सर्वे कमिश्नर की पोस्ट बनाई गई ताकि कोई कंफ्लेक्स वे कमिश्नर होगा इसके हाथ में सिविल कोर्ट जैसी पावर होंगी जैसे कि किसी भी वक्त प्रॉपर्टी के रिगार्डिंग समन कर सकता है मतलब बुला के डिटेल्स पता कर सकता है ओरिजिनल
डॉक्यूमेंट वगैरह यह सब चेक कर सकता है और वक्फ के अंदर सर्वे करने का मतलब है कि आइडेंटिफिकेशन साइज किसने वक्फ किया उसकी एक रिपोर्ट बनाता है और वो रिपोर्ट गवर्नमेंट को भेजता है और फिर गवर्नमेंट जिस स्टेट से रिलेटेड ये मैटर होगा उस स्टेट के वक्फ बोर्ड को भेजेगी और फिर वक्फ बोर्ड उस पूरी रिपोर्ट को पढ़ के ऑफिशियल गैजेट में पब्लिश कर देगी कि यह प्रॉपर्टी वक्फ की है तो जो आप न्यूज़ में सुनते हो कि यह प्रॉपर्टी वक्फ डिक्लेयर कर दी गई है तो इसका मतलब यही होता है कि उस स्टेट के
वक्त बोर्ड का जो सर्वे कमिश्नर है उसने आइडेंटिफिकेशन की डिटेल्स वगैरह सब मेंशन करके उसको वक्फ डिक्लेयर कर दिया है और मान लो कि अगर कोई वक्फ प्रॉपर्टी है वक बोर्ड का जो सर्वे कमिश्नर है उसने सर्वे करके प्रॉपर्टी को वक्फ डिक्लेयर कर दिया है तो उस प्रॉपर्टी का जो ओनर है अगर उसको लगता है कि वो प्रॉपर्टी उसकी है वक्त की नहीं है और इसको लेके अगर कोई डिस्प्यूट होता है तो प्रॉपर्टी के ओनर को 1 साल के अंदर-अंदर वो सिविल कोर्ट जा सकता है और जब तक सिविल कोर्ट के अंदर केस चलेगा वो
प्रॉपर्टी वक्फ की ही रहेगी अब इसमें कुछ लोग ये भी कहेंगे कि सिविल कोर्ट में नहीं जाता है वक्फ ट्रिब्यूनल में जाता है तो उस टाइम पे सिविल कोर्ट में ही जाता था वक्फ ट्रिब्यूनल जो है वो अभी आगे आएगा कि वो कैसे बना उसमें बताऊंगा मैं आपको तो इस वाले एक्ट में ये था कि अगर वक्फ बोर्ड ने प्रॉपर्टी को वक्फ डिक्लेयर कर दिया है और 1 साल के अंदर तक अगर कोई नहीं आता है कोई उसपे डिस्प्यूट नहीं क्लेम करता है तो वो प्रॉपर्टी फिर वक्फ की हो जाएगी और उसके बाद कोई भी
ऑप्शन नहीं बचता है और एक बार अगर सर्वे हो गया तो उसके बाद फिर 20 साल के बाद ही सर्वे हो सकता है अब जब ये एक्ट गवर्नमेंट लेके आती है और आजाद इंडिया में जब वक्फ लीगली एक्सेप्ट हो जाता है तो इस चीज को लेके मुस्लिम कम्युनिटी काफी खुश होती है गवर्नमेंट से और इसके आने के बाद वक बोर्ड जो होता है वो सर्वे करवाना शुरू करता है इंडिया के अंदर कि पहले ऐसी कौन-कौन सी प्रॉपर्टी थी चाहे मुगलों के टाइम पे या किसी और रीजन से पहले कब्जा हो गया हो वो सर्वे करवाना
चालू करता है कि कौन-कौन प्रॉपर्टी वर्क की है ताकि उसको वर्क बोर्ड अपने अंडर में ले सके लेकिन जब यह चीज करी जा रही थी तो इंडिया के अंदर एक एक्ट है लिमिटेशन एक्ट 1908 इसमें यह था कि अगर किसी प्रॉपर्टी पे 12 साल से ज्यादा कोई अगर रह रहा है या उसका कब्जा है उस प्रॉपर्टी पे तो जो ओनर है उसकी ओनरशिप खत्म हो जाती है अब वक प्रॉपर्टी इस एक्ट के बाद जो भी वर्क प्रॉपर्टी क्लेम कर रही थी सबको 12 साल से ज्यादा टाइम हो गया था तो इसको सही करने के लिए
भी वक्फ एक्ट 1954 के सेक्शन 66 जी को अमेंड करके वक्फ के लिए यह डेट 30 साल तक के लिए एक्सटेंड कर दी गई थी और फिर आगे चलके वक्फ के लिए इसका टाइम अनलिमिटेड कर दिया गया वर्क ड जब ये बनाया गया था इसके बहुत सारे रूल्स एंड रेगुलेशन कंफ्लेक्स ये इतने सारे इंडिया के जो एक्ट थे उनको चेंज करना पड़ा था ये आप पॉज करके एक बार देख सकते हैं तो जब ये एक्ट आया और सर्वे स्टार्ट हुए तो वर्क प्रॉपर्टी जो है वो बढ़ी तो जैसे राजस्थान में पहले जहां 73 वक्त प्रॉपर्टी
थी वहां 1965 हो गई थी आंध्र प्रदेश में 15300 थी व वहां पे 3576 हो गई थी अब देखिए अलग-अलग स्टेट जो थे उनके लिए तो अलग-अलग वक बोर्ड बना दिए गए थे लेकिन सेंटर लेवल पे कोई चीज नहीं थी जो इन सारे स्टेट के जो वक बोर्ड हैं इनको सेंट्रलाइज कर सके तो अब टाइम आ चुका था पूरे इंडिया के अंदर वक बोर्ड को सेंट्रलाइज करने का ताकि वक्फ का जो ऑपरेशन है वो सही से चल सके और करप्शन कम हो क्योंकि स्टेट के अंदर जो वक्फ बोर्ड थे उसमें मुतली जो थे उनके करप्शन
के केसेस आ रहे थे और पॉलिटिशियन वगैरह जो थे वो अपनी पावर का यूज करके वक प्रॉपर्टी पे कब्जा भी कर रहे थे वक्फ प्रॉपर्टी की लीज से रेंट से जो रेवेन्यू आ रहा था उसमें बहुत ज्यादा घपला हो रहा था तो इन सारी चीजों से निपटने के लिए वक्फ एक्ट के सेक्शन 8a में पूरा एक चैप्टर ऐड किया गया जहां पे सेंट्रल वक्फ काउंसिल सीडब्ल्यूसी बनाई गई जो कि एक स्टैचूट बॉडी थी मतलब कि इनको लॉ के थ्रू बनाया गया लेकिन ये जो काम थी ये इंडिपेंडेंट करेंगी तो ये सेंट्रल वर्क काउंसिल जो थी
सीडब्ल्यूसी इसके बनने से वक्त के पास एक लीगल पावर भी आ गई थी ताकि कब्जे वगैरह जो है उनसे निपटा जाए जा सके और इस सेंट्रल वर्क काउंसिल को डायरेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर के अंदर रखा गया था और ये स्टेट के जितने भी वर्क बोर्ड थे इनके ऊपर नजर रखते थे तो देखिए इसको याद रखिएगा सेंटर लेवल पे हो गई सेंट्रल वक्फ काउंसिल सीडब्ल्यूसी उसके बाद स्टेट लेवल पे हो गई वक्फ बोर्ड फिर डिस्ट्रिक्ट लेवल पे हो गया वक्फ कमेटी और फिर सर्वे कमिशनर जो हो गया मुतली हो गया उनके रोल आपको पता ही
हैं अब इसके बाद क्या होता है कि वक्फ जो है वो एक ऑर्गेनाइज तरीके से अपना काम करता है और इंडिया के अंदर जो पुरानी प्रॉपर्टी वक्फ थी उनको वक्फ अपने अंडर में लेता है क्लेम करना स्टार्ट करता है तो इसी बीच में क्या होता है कि कुछ लोग सेम टाइम पे अपनी प्रॉपर्टी सेल करने सब रजिस्ट्रार ऑफिस गए तो रजिस्ट्रार ऑफिस से उनको पता चला कि ये जो प्रॉपर्टी है जिसको अपना समझ के उस परे रह रहे थे यह प्रॉपर्टी तो वक्फ के नाम पे रजिस्टर्ड है अब रूल के हिसाब से यह था कि
वक्फ जो है वो अगर कोई प्रॉपर्टी अपने अंडर में लेगा तो गैजेट नोटिफिकेशन निकालेगा उसके बाद एक साल का टाइम होगा लेकिन इसमें दिक्कत ये आ रही थी कि नोटिफिकेशन जो निकाला जा रहा था वो आम जनता ऐसे पढ़ नहीं रही थी तो जितने भी लोग अपील करने जा रहे थे उनकी प्रॉपर्टी का ऑलरेडी एक साल कंप्लीट हो गया था तो तो हर कोई बहुत परेशान हो गया था कि इसके कैसे सॉल्यूशन निकाला जाए और कोर्ट के अंदर बहुत सारे केसेस बढ़ गए थे वर्क बोर्ड की जो प्रॉपर्टी है उसको लेके और सेम टाइम पे
गवर्नमेंट ने भी डिसाइड किया कि वर्क प्रॉपर्टी अपने आप काम तो कर रही है ये रेवेन्यू भी जनरेट कर रही है अगर इसके मैनेजमेंट में गवर्नमेंट भी हेल्प करे और इनको भी थोड़ी बहुत सब्सिडी दे दे लोन वगैरह दे दे तो जो मुस्लिम कम्युनिटी जो माइनॉरिटी है इंडिया के अंदर उनके लिए जो वेलफेयर की स्कीम लानी होती है गवर्नमेंट को उसका बर्डन कम हो जाएगा अगर गवर्नमेंट इसी वक्त बोर्ड के अंदर इनके साथ कोलैबोरेट कर लेती है तो इसको लेके गवर्नमेंट की तरफ से भी वक्त की जो फंडिंग थी वो स्टार्ट हुई गवर्नमेंट ने लोन
दिए ये सारे लोन की लिस्ट है आप पॉज करके एक बार देख सकते हो टोटल ये इतने ग्रांट्स दिए गए थे ये स्क्रीन पे आप देख सकते हो ये सारे कंप्लीटेड प्रोजेक्ट्स की डिटेल्स हैं जो गवर्नमेंट की हेल्प से स्टार्ट हुए आप पॉज करके एक बार देख सकते हो और ये जो स्टेप लिया गया था गवर्नमेंट की तरफ से यह गेम चेंजर भी बना वक्फ के लिए एक तो गवर्नमेंट का भी बर्डन कम हुआ जो वो अलग से वेलफेयर के लिए पैसे देती थी दूसरा वक बोर्ड का भी प्रॉफिट बढ़ा अकेले आंध्र प्रदेश का जो
वक बोर्ड था उसके पास 4 करोड़ का सरप्लस फंड बन गया था और इसी टाइम पे इसको इन्होंने क्या किया कि एफडी कर दिया था जिससे 10 पर इंटरेस्ट भी आने लगा था तो इस चीज से काफी फायदा भी हुआ वक्फ को हालांकि इस चीज को लेकर बहुत ज्यादा कंट्रोवर्सी भी स्टार्ट हुई उस टाइम पे कि इस्लाम में इंटरेस्ट को सही नहीं माना जाता है तो ये एफडी करा के जो इंटरेस्ट लिया जा रहा है ये गलत है लेकिन ज्यादा कुछ बात बढ़ती नहीं है और इसी टाइम पे जब गवर्नमेंट और वक बोर्ड कोलैबोरेट करके
काम कर रहे थे तो सेम टाइम पे कुछ प्राइवेट एंटिटीज भी आई जिनको कॉरपोरेट वक्फ भी कहा गया कई इंडिविजुअल्स ने कॉरपोरेट वक्फ बनाने भी शुरू कर कर दिया इंडिया के अंदर जैसे हाकिम हाफिज अब्दुल मजीद ने गरीबों के लिए सस्ती दवाइयां देने के लिए हमदर्द लेबोरेटरी स्टार्ट करके उसको वक्त कर दिया ये कॉरपोरेट वक्फ था इन्होंने जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी बनाई इंडिया के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी हमदर्द लेबोरेटरी स्टार्ट करी इन्होंने तो इसके साथ-साथ कॉर्पोरेट वक्फ जो था वो भी स्टार्ट हो गया था इंडिया के अंदर अब इसके बाद क्या
होता है कि डेट आती है 26th ऑफ मार्च 1976 और इस टाइम पे इंदिरा गांधी जी प्राइम मिनिस्टर थी तो इंदिरा गांधी जी ने सारे स्टेट्स को वर्क प्रॉपर्टी के प्रोटेक्शन और मैनेजमेंट के लिए लेटर भेजे ये उस लेटर की कॉपी है ये पूरा का पूरा लेटर जो है मैंने डिस्क्रिप्शन में भी लगा दिया आप एक बार पढ़ लेना तो इसमें बेसिकली इन्होंने ये कहा कि देखिए इंडिया के अंदर काफी सारी वक्फ प्रॉपर्टी स्टेट गवर्नमेंट के कंट्रोल में पड़ी है तो इन्होंने इस लेटर में कहा कि या तो उस प्रॉपर्टी को खाली करके वक्त को
वापस दे दो और अगर उस प्रॉपर्टी के ऊपर गवर्नमेंट ने ऑलरेडी बहुत ज्यादा पैसा लगा के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर लिया है तो उसका रेंट देना स्टार्ट कर दो अब इस चीज को इंप्लीमेंट करने के लिए भी कई सारे रूल्स जो थे वो कनफ्लिक्ट करने लगे तो इसके लिए भी रूल चेंज किए गए जैसे कि टाउन प्लानिंग लॉ लैंड सीलिंग एक्ट लैंड एक्यूजन एक्ट लिमिटेशन एक्ट इनकम टैक्स एक्ट इन सब एक्ट्स को वक्त से क्लैश होने की वजह से चेंज किए गए और डेवलपमेंट ऑफ अर्बन वक प्रॉपर्टीज स्कीम बना के 2016 तक कांग्रेस और बीजेपी ने
47 करोड़ 65 96000 दिए अलग-अलग वक्त बोर्ड को ये आप लिस्ट देख सकते हो पॉज करके ईयर वाइज अभी तक किस गवर्नमेंट ने कितना पैसा दिया है यह सारा इसमें आपको मिल जाएगा और 2014 से अभी तक की बात करें तो 21 करोड़ के करीब बीजेपी ने भी दिया है लेकिन कंट्रोवर्सी स्टार्ट हुई इसके करीब 14 से 15 साल बाद ईयर 1989 में फर्स्ट ऑफ अप्रैल को यूपी के सीएम नारायण दत्त तिवारी जी ने ऑर्डर दे दिया कि यूपी में जो लैंड बंजर है यानी कि अनकल्टीवेटेड लैंड है उसको वक्फ के काम के लिए जैसे
ग्रेव यार्ड मस्जिद ईदगाह इसके लिए दे देना चाहिए और ये जो अनकल्टीवेटेड गवर्नमेंट प्रॉपर्टी थी इसको वक्त के नाम पे रजिस्टर कर दिया गया तो इसकी वजह से यूपी के अंदर मिलियंस ऑफ हेक्टर की जो जो अनकल्टीवेटेड लैंड थी वो वक्त की हो गई थी लेकिन इस चीज को लेके गवर्नमेंट के ऊपर काफी टाइम तक प्रेशर रहा था लोगों ने यह भी कहा था कि सेकुलर देश में रिलीजन के नाम पे लैंड नहीं दी जा सकती काफी टाइम तक ये डिस्कशन चलता है लेकिन फिर बामरा दब जाता है अब देखिए इसके बाद 18 से 20
साल तक वक्फ ऐसे ही काम करता है सर्वे वगैरह होते हैं लेकिन इसमें दिक्कत यह थी कि जब भी वक प्रॉपर्टी को कुछ क्लेम करना होता था तो उसको डॉक्यूमेंट दिखाने होते थे जैसे वक्फ डीड्स विल्स ग्रांट्स सनद रूलरसोंग्स ड ये सारी चीजें दिखानी होती थी और ये सारे डॉक्यूमेंट जो होते थे काफी पुराने होते थे या तो वो मिस हो जाते थे या वो खराब हो जाते थे तो इसकी वजह से वर्क बोर्ड को क्लेम करने में बहुत दिक्कत आती थी जैसे ताजमहल जो था उसको वक्फ प्रॉपर्टी बोल दिया गया था लेकिन कोर्ट के
अंदर वक्फ डीड जो थी वही मिसिंग थी तो फिर ताजमहल को वक्फ प्रॉपर्टी नहीं माना गया ऐसे एक पूरा गांव था उसको वर्क बोर्ड ने क्लेम कर दिया था लेकिन उसके भी डॉक्यूमेंट नहीं मिले थे और इसकी वजह से बहुत ज्यादा नुकसान होता था एक तो वक्फ का नुकसान होता था कि उसका क्लेम रिजेक्ट हो जाता था दूसरा जिस प्रॉपर्टी पे क्लेम किया जाता था कि ये वक्फ की प्रॉपर्टी है उसको लोग खरीदना बंद कर देते थे क्योंकि आगे चल के पता नहीं क्या हो कौन सी सरकार आए तो अगर कोई प्रॉपर्टी वक बोर्ड क्लेम
कर देता था तो उसके रेट बहुत ज्यादा गिर जाते थे जिससे लोगों का बहुत नुकसान होता था लोग डरते थे कि कहीं कोई वक्फ के लिए क्लेम ना कर दे और वक्फ के लिए सबसे ज्यादा टफ होता था पुराने फरमान या पेपर को प्रेजेंट करना कोर्ट के अंदर तो जितने भी लैंड माफिया या बाहुबली नेता होते थे उनका बहुत ज्यादा कब्जा हो गया था और ऐसी वक्त प्रॉपर्टीज पे मुतली जो थे वो भी घूस लेके लीज पे दे रहे थे तो इनकी वजह से बहुत सारे केसेस वक्त बोर्ड को लेके सिविल कोर्ट में जा रहे
थे सिविल कोर्ट में ऑलरेडी इतने सारे केसेस पहले से ही चल रहे थे तो एक बार वक प्रॉपर्टी को लेके कोई केस अगर कोर्ट में पहुंचता था तो उसमें बहुत ज्यादा टाइम लगता था और हर किसी का नुकसान होता था तो इन सब से निपटने के लिए यह जो वक्फ एक्ट 1954 था गवर्नमेंट ने डिसाइड किया कि अब इसको चेंज करने का टाइम आ गया और यह जो वक्फ एक्ट 1954 था इसको हटा के पीवी नरसिंहा राव जी ने वक्फ एक्ट 1995 लेके आए इसमें वर्क बोर्ड को और स्ट्रांग किया गया जिसमें बीजेपी ने खुल
के सपोर्ट किया पार्लियामेंट के अंदर अब ये जो नया एक्ट बनाया गया था इसमें सबसे पहले वक्फ ट्रिब्यूनल बनाए गए वक्फ ट्रिब्यूनल एक तरह से आप ऐसे समझिए कि फास्ट ट्रैक कोर्ट है जैसे आर्म फोर्स ट्रिब्यूनल है रेलवे ट्रिब्यूनल है इंडस्ट्री ट्रिब्यूनल है ऐसे ही वक्फ ट्रिब्यूनल बनाया गया ताकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ऊपर बर्डन कम आ सके और केस जल्दी निपटाए जा सके अब इसमें एक कंफ्यूजन और रहता है कि वक्फ ट्रिब्यूनल जो है इसके अंदर सारे के सारे जो मेंबर्स हैं वो मुस्लिम्स है और मुस्लिम ही डिसाइड करते हैं तो देखिए
ऐसा नहीं है वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन मेंबर होते हैं एक मेंबर स्टेट सिविल सर्विस से होता है एक जुडिशियस सर्विसेस से और तीसरा जो मेंबर होता है वो एक मुस्लिम लॉ स्पेशलिस्ट होता है और जैसे कोर्ट के पास पावर होती है वैसी पावर वक्फ ट्रिब्यूनल को भी दी गई इस एक्ट में वक्फ ट्रिब्यूनल का जो फैसला होगा वो कोर्ट की तरह फाइनल जजमेंट की तरह होगा इसके अगेंस्ट आप अपील नहीं कर सकते लेकिन हां अगर कोई लीगल एरर निकलता है तो उसको रिव्यू कराया जा सकता है तो कहने का मतलब है कि अब इसके बाद
वक ट्रिब्यूनल ने अगर किसी प्रॉपर्टी पे अपना फैसला सुना दिया कि ये प्रॉपर्टी वक्फ की है तो वो चेंज नहीं की जा सकती और इसमें जो सबसे कंट्रोवर्शियल चीज ऐड की गई थी वो इसके सेक्शन 40 में बर्डन ऑफ प्रूफ इसमें यह है कि अगर वर्क किसी प्रॉपर्टी को क्लेम करेगा तो जो प्रॉपर्टी का ओनर होगा उसको प्रूफ करना होगा कि वो प्रॉपर्टी उसकी है वो उसका लेजिटिमेसी वक्फ की मानी जाएगी बाकी ये जो वक्फ प्रॉपर्टी के ऊपर लैंड माफिया वगैरह ने कब्जा वगैरह कर लिया था इसके लिए इसमें रूल बनाए गए इसको कॉग्निजेबल और
नॉन बेलेबल ऑफेंस माना जाएगा और 2 साल तक की सजा सुनाई जाएगी अब जब यह एक्ट पास हुआ यानी कि वक्फ एक्ट 1995 जो बीजेपी और कांग्रेस ने मिलके पास कराया इसलिए मैं वक्फ अमेंडमेंट को वक्फ अमेंडमेंट को सपोर्ट करते हुए इस बिल को पूरी पुरजोर साथ देते हुए तो इस चीज को लेके वक्फ के अगेंस्ट में भी बातें शुरू हो गई इंडिया के अंदर क्योंकि लोग कह रहे थे कि टेंपल्स जो हैं वो गवर्नमेंट के अंदर में रखे गए हैं मंदिरों का जो पैसा है वो भी गवर्नमेंट के पास जाता है और क्योंकि वक्त
को इंडिपेंडेंट बॉडी की तरह पावर दी जा रही थी तो लोग इससे नाराज हो रहे थे इसको काउंटर करने के लिए लोग इंडिया के बाहर की जो कंट्रीज थी उसके भी एग्जांपल देते थे क्योंकि सेम टाइम पे क्या हो रहा था कि इंडिया के बाहर की कंट्रीज में वक्त को लेके इंडिया से एकदम अलग डेवलपमेंट हो रहा था जैसे टर्की वहां पे मुस्तफा कमाल ने वक्फ मिनिस्ट्री को बंद कर दिया और सारी वक प्रॉपर्टी जो थी वो टर्की गवर्नमेंट ने अपने अंडर में ले ली थी और ऐसे ही इजिप्ट के अंदर भी वक प्रॉपर्टी को
गवर्नमेंट ने अपने कंट्रोल में ले लिया था अल्जेरी और मोरक्को में भी वर्क प्रॉपर्टी गवर्नमेंट ने अपने अंडर में ले ली थी रशिया ने भी सेम चीज की थी ये आप स्क्रीन पे पॉज करके एक बार देख सकते हो कि क्यों और किस वजह से ली थी तो इन सारी वजह से वक प्रॉपर्टी का जो मॉडल था इसको लेके आने वाले 10 साल तक उसको लेके एक बहस स्टार्ट हो गई थी कि इंडिया के अंदर जो मुस्लिम कम्युनिटी है उसकी फाइनेंशियल कंडीशन इतनी खराब है और जो लैंड है वोह भी मुस्लिम्स के पास बहुत कम
है लेकिन वर्क प्रॉपर्टी का जो लैंड है वो बहुत तेजी से बढ़ रहा है तो जब बात बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो ईयर 2005 में गवर्नमेंट क्या करती है कि जस्टिस राजेंद्र सच्चर को टास्क देती है कि आप एक रिपोर्ट तैयार करो वक्फ और मुस्लिम्स की जो एक्चुअल कंडीशन है इंडिया के अंदर उसके ऊपर आप एक रिपोर्ट बनाओ ताकि डेटा के बेसिस पे पता चल सके कि दिक्कत कहां पे है तो सच्चर कमेटी बनती है इसमें और भी बहुत सारी चीजें थी माइनॉरिटी के स्टेटस को लेके इंडिया के अंदर लेकिन मैं सिर्फ वक्फ के
बारे में डिस्कस करूंगा तो सच्चर कमेटी ने क्या किया कि इंडिया के अंदर जितनी भी अलग-अलग स्टेट के वक्फ बोर्ड थे उनसे कहा कि जो भी रेवेन्यू प्रॉपर्टी से आ रहा है या जहां-जहां आप सर्वे कर रहे हो प्रॉपर्टी क्लेम कर रहे हो एक-एक चीज का पहले तो आप डाटा शेयर करो और जब सचर कमेटी ने डेटा मांगा तो कई स्टेट्स के वक बोर्ड ने तो अपने सर्वे का डेटा ही अपडेट नहीं कर रखा था तो उनके पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं था कई ऐसे भी छोटे स्टेट्स थे जहां पे किसी भी तरीके का डाटा
मेंटेन ही नहीं हो रहा था लेकिन जैसे-तैसे करके ये सारी डिटेल्स इकट्ठा करके करीब एक साल के बाद 177th ऑफ नवंबर 2006 को सचर कमेटी अपनी रिपोर्ट सबमिट करती है जिसमें काफी शॉकिंग फैक्ट सामने आते हैं जिससे गेस किया जा सकता है कि वक्फ बोर्ड में कुछ ना कुछ तो गड़बड़ी चल रही है रिपोर्ट में आया कि उस पर्टिकुलर टाइम पे वक्फ के पास 4.9 लाख रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी है जिनको वक्फ ने रजिस्टर करवा रखा है बाकी जो क्लेम कर रखी हैं और रजिस्टर नहीं है वो इससे बाहर थी टोटल लैंड निकाला गया कि वक्फ के
पास कितना लैंड है तो ये निकला 6 लाख एकड़ और फिर इसके बाद इंडिया के अंदर जो टोटल वक प्रॉपर्टी थी जो रजिस्टर्ड थी उसकी की मार्केट वैल्यू निकाली गई जो कि 1.2 लाख करोड़ आई अब ये सब करने के बाद सच्चर कमेटी ने कहा कि जितनी भी वर्क की प्रॉपर्टी है अगर 10 पर के रिटर्न के हिसाब से भी हम कैलकुलेट करें तो 000 करोड़ का प्रॉफिट तो इससे आना चाहिए लेकिन वर्क बोर्ड जो है वो अपनी प्रॉपर्टी का एनुअल प्रॉफिट 163 करोड़ दिखा रहा है और ये जो 12000 करोड़ है ये बहुत बड़ा
नंबर था सिक्किम मिजोरम नागालैंड जैसे स्टेट जो है इनका बजट होता है अगर हम अभी 2024 की भी बात करें तो माइनॉरिटी अफेयर्स का जो एनुअल बजट है वो 30001 183.5 करोड़ था तो कहने का मतलब है कि वक्फ अपनी प्रॉपर्टी से जो बना रहा है उसका चार गुना ज्यादा रेवेन्यू आना चाहिए तो वक्फ की जो ये प्रॉपर्टी है उससे रेवेन्यू तो जनरेट हो रहा है लेकिन उसके बाद भी अर्बन एरिया प्रॉपर्टी रिपोर्ट 2004 2005 के हिसाब से 38.4 मुस्लिम्स तो गरीबी रेखा के नीचे थे और वेस्ट बंगाल की बात करें तो उस पर्टिकुलर टाइम
पे तो वेस्ट बंगाल के पास सबसे ज्यादा वक्त प्रॉपर्टी थी उसके बाद भी सबसे ज्यादा गरीब मुस्लिम जो थे वो वेस्ट बंगाल में ही पाए गए मुस्लिम्स की जो इकोनॉमिक कंडीशन है वो वीक है और लैंड भी उनके पास कम है और वक्फ के पास इतना लैंड होने के बाद भी इंडिया के अंदर जो मुस्लिम कम्युनिटी है उनके पास उसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा है सिंगापुर की 200 वक्फ प्रॉपर्टी का जो रेवेन्यू है वो 42.7 करोड़ है इंडिया की 4.9 लाख वक्स प्रॉपर्टी का जो रेवेन्यू है 163 करोड़ है ये बहुत ज्यादा डिफरेंस है
इसका मतलब है कि मिसमैनेजमेंट है इंडिया के अंदर सिंगापुर वालों ने वक्त को लेके एक शुकू मुस्करा का सिस्टम डेवलप किया था और इस्लामिक बंड्स बना के इन्वेस्टर्स का भी पैसा लगाया मलेशिया और इंडोनेशिया तिब दल सिस्टम लेके आए जिससे बहुत ज्यादा रेवेन्यू उन्होंने बनाया लेकिन इंडिया के अंदर वर्क बोर्ड में करप्शन नेताओं की मनमानी और आउटडेटेड सिस्टम की वजह से रेवेन्यू में बहुत ज्यादा डिफरेंस है अब इस चीज के ऊपर वक बोर्ड जो है उसका कहना था देखिए वक प्रॉपर्टी तो बहुत सारी है ऑन पेपर बहुत सारी है लेकिन एक्चुअल में वक प्रॉपर्टी के
ऊपर इल्लीगल कब्जा जो है वो बहुत ज्यादा बढ़ गया है लैंड माफिया पॉलिटिशियन ने अपने हिसाब से इस प्रॉपर्टी को ऐसा किया है कि वक्त की जो प्रॉपर्टी को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है वर्क बोर्ड ने कहा कि जो भी गवर्नमेंट आती है वो अपने बंदे घुसा देती है और लैंड से फायदा बनाती है और हमारी इसमें चलती ही नहीं है जैसे इसमें कहा इन्होंने कि गवर्नमेंट ने अपने फायदे के चक्कर में शिलोंग का जो वर्क बोर्ड था वहां का जो सीईओ था एक 10th फेल को जबरदस्ती बिना मर्जी के वर्क बोर्ड का सीईओ
बना दिया गया इंडिया टुडे ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था यह मेरट की वक प्रॉपर्टी नंबर 3068 के मुत वल्ली कमर अहमद के पास गए इसने इनको फेक लेटर दिया ये उसकी कॉपी है और 1.35 करोड़ में 680 स्क्वायर यार्ड देने को रेडी हो गया जिसमें इसने बोला कि 25 पर तो मुझे ऊपर वक बोर्ड के जो मेंबर हैं उनको देना है सीतापुर के मुतली चौधरी अब्दुल हामिद वक्त प्रॉपर्टी नंबर 4181 को जुगाड़ लगा के पैसे लेकर 90 इयर्स के लिए लीस प देने को रेडी हो गए और मेरठ की एक और वक्फ प्रॉपर्टी जिसका
नंबर 3493 उसका जो मुतली था हाजी अब्दुल समद ये पैसे लेके वक्फ प्रॉपर्टी बेचने के लिए रेडी हो गया आप एक सर्च करोगे तो आपको 00 केसेस मिल जाएंगे ऐसे जहां पॉलिटिशियन लैंड माफिया मुतली कोऑर्डिनेटेड तरीके से वर्क प्रॉपर्टी का मिसयूज कर रहे हैं और जो पैसा गरीब मुस्लिम के यहां जाना था ये अपने पास रख रहे हैं वेस्ट बंगाल में 120 56 वक्स प्रॉपर्टी जो थी उसको बहुत ही कम रेट पे लीज में उठा के दे दी गई एक वक्स प्रॉपर्टी को शौ वायलेंस बिल्डिंग के लिए 99 ईयर्स के लिए विजय माल्या की एक
अल्कोहल कंपनी जो थी उसको दे दिया गया जबकि अल्कोहल के लिए तो वर्क प्रॉपर्टी किसी भी कीमत पे नहीं सेल की जा सकती पॉलिटिशियन की जो लिस्ट है वो तो और भी लंबी है कर्नाटका स्टेट के माइनॉरिटी कमीशन चेयरमैन अनवर मनी पेडी ने रिपोर्ट सबमिट की जिसमें इन्होंने एलिगेशन लगाई कि ईयर 2001 से लेके 2012 के बीच में पॉलिटिशियन और लैंड माफिया ने 27000 एकर वक्फ की जो जमीन थी वो बहुत ही सस्ते में दे दी और ये जो पूरा स्कैम था इसका एस्टीमेट 2 लाख करोड़ बताया गया जिसमें इन्होंने डायरेक्ट नाम लिया रहमान खान
जफर शरीफ तनवीर सेठ कमरुल इस्लाम खनीज फातिमा एन ए हैरिस सीएम इब्राहिम और मलिका अर्जुन खरगे तक का नाम लिया इसमें टीडीपी के चंद्र बाबू नायडू ने 1100 वक्फ लैंड को एयरपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे दिया जो कि ऐसा वो नहीं कर सकते थे ऐसे ही वाईएसआर रेड्डी ने भी दरगाह हुसैन शाह की 1630 एकड़ वक्क की जो लैंड थी जिसकी कीमत करीब 32000 करोड़ थी वो मल्टीनेशनल कंपनीज को उठा के दे दी थी दिल्ली की जो जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद के पास की जो वक्फ लैंड थी वहां पे जो शॉप्स थी
उनको 1500 से ₹2000000 रेंट आराम से आना चाहिए इसके लिए भी अहमद बुखारी और मौलाना मुअज्जम अहमद पे इल्जाम लगाया गया दिल्ली में बहुत सारी ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी है जिनको ₹1 से ₹1 पर मंथ रेंट पे दे दिया गया है यूज करने के लिए ये उन सारी प्रॉपर्टी की लिस्ट है और इसमें भी आप देखोगे तो मुस्लिम्स को ना देखे 85 पर केसेस में हिंदुओं को रेंट पे दी गई है यूपी में मल्टीपल एलिगेशन मुख्तार अंसारी पे लगे हैं कि इन्होंने वर्क प्रॉपर्टी की जमीन पे एक मॉडर्न कॉम्प्लेक्टेड और अतीक अहमद के ऊपर भी इल्जाम
लगाया गया कि इन्होंने प्रयागराज में एक प्राइम लोकेशन की वक्त प्रॉपर्टी थी जिसका मुतली जो था वो अपना इलाज कराने के लिए कुछ टाइम के लिए गया था तो उसी के बीच में अतीक अहमद ने उस प्रॉपर्टी को जो कि वक्त की थी अपने घर वालों के नाम करा दी तो देखिए करप्शन को लेके वर्क बोर्ड ने बहुत बार अपने कंसर्न दिखाए हैं कि वर्क बोर्ड पे बहुत ज्यादा कब्जे हो रहे हैं इसपे कुछ ना कुछ करना होगा लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं होता है शुरू में मैंने बताया था आपको कि दिल्ली को जब
अंग्रेजों ने कैपिटल बनाया था तो उन्होंने वक प्रॉपर्टी ले ली थी तो जब अंग्रेज चले गए तो उसके बाद वर्क बोर्ड ने करीब दिल्ली की 77 पर लैंड पे अपना क्लेम किया था दोबारा से लेकिन तब तक ये सारी प्रॉपर्टी जो थी वो डीडीए एंड एलडीए के अंडर आ गई थी और गवर्नमेंट का बहुत सारा इंफ्रास्ट्रक्चर इसके ऊपर बन गया था करीब 200 प्लस मस्जिद और 300 प्लस वर्क प्रॉपर्टी को लेके अंग्रेज जब इंडिया से चले गए थे तो गवर्नमेंट और वर्क बोर्ड के बीच में अभी तक कंफ्लेक्स रहा है कोर्ट केसेस चल र हैं
डीडीए और एलएनडीओ ने डेल्ली वर्क बोर्ड पे 300 से ज्यादा केस कर रखे इसी लैंड को लेके और जब 2014 के इलेक्शन होने थे तो उससे 30 दिन पहले 123 प्रॉपर्टी कांग्रेस ने वर्क बोर्ड को वापस कर दी थी लेकिन इलेक्शन में बीजेपी जीत के आ गई थी तब दोबारा से गवर्नमेंट के पास प्रॉपर्टी आ गई अभी फिर से दोबारा से इसी चीज को लेके दिल्ली वक्फ ने गवर्नमेंट के ऊपर केस कर रखा है लेकिन अभी उसका कोई रिजल्ट नहीं आया दिल्ली के अंदर सबसे ज्यादा कंफ्लेक्स चल रहे हैं 989 ए विक्शन ऑर्डर डाले गए
हैं वक्स प्रॉपर्टी को लेके और 120 पुलिस कंप्लेन हो चुकी हैं उसके उसके बाद भी सिर्फ चार वक्त प्रॉपर्टी थी जो वापस मिली थी वर्क बोर्ड को ये आप लिस्ट एक बार पॉज करके देख सकते हैं इनप वर्क बोर्ड ने कहा कि गवर्नमेंट ने तो इन प्रॉपर्टी पे खुद ही कब्जा कर रखा है इसमें सबसे ज्यादा करप्शन के जो केस हैं वो दरगाह के आते हैं 29th ऑफ नवंबर 2012 को कर्नाटका के टुमकुर सिटी में बीएच रोड पे दो मुस्लिम सेंट की दरगाह थी दरगाह के ऊपर मुंसिपल कमिश्नर ने केस कर दिया था कि ये
इल्लीगल बनाई गई है और फिर इसके बाद केस चलता है सिविल कोर्ट में और फिर सिविल कोर्ट के अंदर ईयर 1906 का मैप प्रोड्यूस किया गया जिसमें दरगाह थी नहीं तब जाके कोर्ट ने दरगाह के अगेंस्ट में ऑर्डर पास किया ऐसे ही दिल्ली के एक फ्लाई ओवर के ऊपर दरगाह बना दी गई थी वो मुद्दा भी बहुत ज्यादा उठ गया था उत्तराखंड के फॉरेस्ट में 450 मजार मिली लेकिन जब इसको चेक किया गया तो कोई ह्यूमन बॉडी नहीं मिली इसमें तो इसमें काफी ज्यादा मिसमैनेजमेंट चल रहा था मुकेश अंबानी के घर से लेके ईडन गार्डन
स्टेडियम तक बहुत सारी प्राइम प्रॉपर्टीज जो हैं वो इंडिया के अंदर कंफ्लेक्स हुई है कोर्ट में केस चल रहे हैं ये पूरी लिस्ट आप पॉज करके एक बार देख सकते हो जो प्राइम लोकेशन है जहां पे कंफ्लेक्स रहा है इस पूरे वक्त के मिसमैनेजमेंट को लेके एक वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया बनाया गया ताकि कब्जा रोका जा सके ये एक ऑनलाइन पोर्टल है इस ऑनलाइन पोर्टल को अगर आप खोल के देखोगे तो स्टेट वाइज वक प्रॉपर्टी की डिटेल्स मिल जाएंगी आप भी चाहो तो आप अपने एरिया की डिटेल देख सकते हो इस वेबसाइट पे इसमें
वर्क प्रॉपर्टी के जीपीएस कोऑर्डिनेट जो केस चल रहे हैं उनकी डिटेल्स मिलेंगी आपको सर्वे आने के बाद जो रिपोर्ट्स आई है वो मिलेंगी फाइनेंशियल डाटा रेंट कितना आ रहा एनुअल बैलेंस शीट सब कुछ मिलेगा आपको इसमें इस पोर्टल पे जाके आप देखोगे तो टोटल 58000 कंप्लेंट रजिस्टर्ड है 4951 केसेस जो है वो वक्फ ट्रिब्यूनल में पेंडिंग है 165 केसेस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं और सबसे हैरानी की बात है कि 99942 केसेस तो खुद मुस्लिम्स के चल रहे हैं जिस मुस्लिम कम्युनिटी के लिए यह वक्फ सिस्टम बनाया गया था उनके वेलफेयर
के लिए लाया गया था उसी कम्युनिटी को सबसे ज्यादा सफर करना पड़ रहा है तो अब इसके बाद ये जो करंट ईयर चल रहा है 2024 इसमें क्या हुआ है कि 8थ ऑफ अगस्ट 2024 को नया वक्फ बिल लेके आई है गवर्नमेंट तो ये जो बिल लेके आई है गवर्नमेंट इसमें इन्होंने कई सारी चीजें चेंज कर दी हैं इसीलिए इसको लेकर बहुत ज्यादा कंट्रोवर्सी स्टार्ट हो गई है पहली चीज इसमें कही गई है कि जो आदमी कम से कम 5 साल से इस्लाम प्रैक्टिस कर रहा होगा वही अपनी प्रॉपर्टी वक्फ कर सकता है वक्फ बाय
यूजर जो मैंने ऊपर समझाया था आपको उसको इसमें से रिमूव कर दिया गया है इसके बाद जो पहले सर्वे कमिश्नर सर्वे करते थे उसकी जगह गवर्नमेंट का डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर जो होगा वो सर्वे करेगा और वर्क बोर्ड की जगह स्टेट गवर्नमेंट को रिपोर्ट भेजेगा और जिस वक प्रॉपर्टी का डिस्प्यूट गवर्नमेंट का और वर्क बोर्ड का चल रहा होगा जब तक उसपे कोई फैसला नहीं आ जाता वो प्रॉपर्टी गवर्नमेंट की मानी जाएगी और इस एक्ट में यह भी गया है कि अब कोई भी वर्क प्रॉपर्टी को रजिस्टर करने के लिए जो कलेक्टर होगा उसकी परमिशन लेके रेवेन्यू
रिकॉर्ड में दिखाना होगा इसके बाद इस बिल में कहा गया है कि वर्क बोर्ड में आपसे कम से कम दो नॉन मुस्लिम होने चाहिए और साथ में दो मुस्लिम वूमेन जो हैं उनको भी होना कंपलसरी कर दिया गया है और वक ट्रिब्यूनल में जो एक मुस्लिम लॉ स्पेशलिस्ट होता था उसकी जगह पे कर दिया गया है स्टेट गवर्नमेंट ऑफिसर और ये जो वक्त के जो फाइनेंस की ऑडिट होगी उसको भी गवर्नमेंट की सीएजी करेगी और मेनली जितने भी डिसीजन होंगे वो कलेक्टर लेगा वर्क प्रॉपर्टी के केस में तो इसकी वजह से इन अ वे वक्फ
ट्रिब्यूनल जो है उसका भी इंपैक्ट कम हो गया है और पहले जो स्टेट में दो वक्फ होते थे शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड अब उसमें अगाह खानी और बोरा मुस्लिम जो हैं उनका वक बोर्ड भी ऐड होगा और इसके साथ-साथ इसमें एक चीज और की गई है वक्फ एक्ट जो था उसका सेक्शन 107 हटा दिया गया जिसकी वजह से वक्फ जो है वो अब लिमिटेशन एक्ट के अंडर आ गया है और अब सिर्फ रिटर्न वक्फ ही माना जाएगा ओरल वक्फ जो इससे पहले किया जाता था वो नहीं माना जाएगा अब देखिए ये जो वक्फ बिल
आया है अभी 2024 में इसको लेकर अपोज हो रहा है एक तो मुस्लिम कम्युनिटी जो है इंडिया के अंदर उसको ये जो पूरा नया वक एक्ट लेके आया गया है उसको लेके ट्रस्ट इश्यूज हैं जो अभी करंट में गवर्नमेंट चल रही है उससे दूसरा अगर आप ये जो नया वक्फ एक्ट आया है इसको देखोगे जो सारा का सारा वक्फ का सिस्टम है वो गवर्नमेंट के अंडर आ गया है मुस्लिम अथॉरिटी से निकल के अब आगे इसको लेके क्या होगा वो तो आने वाले कुछ महीनों में पता चल जाएगा लेकिन इतना बड़ा चेंज करना गवर्नमेंट के
लिए भी आसान नहीं होगा लास्ट में एक बार फिर से आपको रिमाइंड करा दूं टू डाउनलोड पॉप यूपीआई ऐप इस पर यूपीआई ट्रांजैक्शन करने पे मिलेंगे अशोर 2 पर पॉप कॉइंस जिसमें एक पॉप कॉइन की वैल्यू है ₹1 और पॉप कॉइंस को यूज करके आप ले पाओगे अप टू 80 पर डिस्काउंट ऑन पॉप शॉप लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन थैंक यू [संगीत]
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