Why 99.6% of you will never be RICH | The Education Trap

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Saqlain Khan
Get my documentary's script and my script template: https://bit.ly/46nIywd Have you ever wondered w...
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[संगीत] बिल गेट्स कोफाउंडर ऑफ [संगीत] माइक्रोसॉफ्ट मार्क जुकरबर्ग को फाउंडर ऑफ फु गौतम अडानी फाउंडर ऑफ अडानी ग्रुप रिचर्ड ब्रांडन कोफाउंडर ऑफ वर्जिन [संगीत] ग्रुप पता है इन सब में क्या कॉमन है आप सोच रहे होंगे हां यह सब दुनिया के रिचेस्ट लोगों में से एक है और आज के प्रेजेंट वर्ल्ड पे ये डोमिनेट कर रहे हैं बियर रिचर्ड बंसन नाउ द फर्स्ट पर्सन टू रीच द एज ऑफ स्पेस इन हि वेरी ओन स्पेसक्राफ्ट बट एक और चीज है जो इन सब में कॉमन है यह सब लोग अपने को एक ऐसे ट्रैप से बचाने में
सक्सेसफुल रहे हैं जिस ट्रैप में आज हर एक इंसान खुद को प्राउडली डाल रहा है टू चेंज द परसेप्शन ऑफ रियलिटी टू सच एन एक्सटेंट द डिस्पाट ऑफ द एंडस ऑफ इंफॉर्मेशन नो वन इ एबल टू कम टू सेंसिबल कक्ल आई डोंट केर व्ट आई हैव टू डू इफ आ ट मूव समर और स्टार्ट समथि और वट मे बी आई एम ट गोट पुट माय चिल्ड्रन इनटू अ सिस्टम दैट डजन अंडरस्टैंड द गिफ्ट्स एंड एबिलिटीज आ है जस्ट बिकॉज दे डोंट फिट ऑन द कन्वेयर बेल्ट एंड इन द यूएस देर आर मोर दन 5 लाख
पीपल हु डोंट सेंड देर चिल्ड्रन टू स्कूल इरोनिकली मोस्टली ऑल टीचर्स बिकॉज दे नो हाउ स्क्रूड अप द सिस्टम इज और दूसरी तरफ हो आप जो शायद अभी किसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे होंगे टाइम प असाइनमेंट्स कर रहे होंगे 90 पर अटेंडेंस मेंटेन कर रहे होंगे ना चाहते हुए बुक्स को मेमोराइज कर रहे होंगे और हर रूल्स को फॉलो कर रहे होंगे इस उम्मीद में कि जब आप कॉलेज से निकलोगे तो आपके पास एक ग्रेजुएशन डिग्री होगा आपको एक अच्छी जॉब मिल जाएगी उसके बाद आप अपने पेरेंट्स के लिए एक बड़ा सा घर खरीदोगे
एक महंगा कार खरीदोगे शादी करोगे बच्चों को अच्छे स्कूल में भेजोगे और खूब सारे पैसे कमाओगे बट रियलिटी क्या है आपको पता है आपने तैयारी शुरू करी आप कितने साल के थे सर उस समय हम 18 साल के थे और अभी अभी हम 30 साल के हो गए हैं 30 साल के पिछले 12 सालों में आपने अपनी जिंदगी में क्या किया जिंदगी में सर पढ़ते गया पढ़ते गया डिग्री लेते गया मैंने तीन सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएट किया बीएड किया सीटेट क्वालिफाइड है नेट क्वालिफाइड है सर आप 15 साल मेहनत करने के बाद फाइनली एक ग्रेजुएशन
डिग्री ले लेते हो बट अब आपको पता चलता है कि आपको जॉब नहीं मिल रहा है आप ना जाने कितने इंटरव्यूज देते हो लेकिन हर जगह आपको किसी ना किसी कारण से रिजेक्ट कर दिया जाता है लोग आपका मजाक बनाने लगते हैं देखते हैं हम लोग बहुत हीन भावना से परिवार रिश्तेदार लो उतना बात नहीं करते हैं सर और मैं दो साल से गांव में भी नहीं गया हूं अभी तक दुख है सर क्या बोलूं मैं अपने दुख और पीड़ा को किसी पा सामना नहीं कर सकता हूं सर बहुत संघर्ष से पढ़ा हूं ट्यूशन पढ़ा
पढ़ा के मैं 2012 से ट्यूशन पढ़ा पढ़ा के अभी तक मैं पढ़ाई के आ हूं और मैं कुछ भी हासिल नहीं कर पाया उल्टा हमारे पर एफायर हो गया आप लोगों से मिलना जुलना बंद कर देते हो खुद को कमरे में बंद करके रो-रो के बस एक ही प्रे करते रहते हो कि गॉड किसी तरीके से एक नौकरी दिला दे धीरे-धीरे आपका सेल्फ एस्टीम आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होने लगता है आखिरकार किसी तरीके से आपको एक जॉब मिल जाता है लेकिन उसकी सैलरी बहुत ही कम होती है बट आप मजबूरी में कर भी क्या सकते
हो वो जॉब आप करने लगते हो इतनी सैलरी है नहीं कि आप पैसे कमाकर जमा कर कर एक घर घर खरीद सको तो आप एक होम लोन ले लेते हो अब अपना घर है तो ओबवियसली एक कार भी होना चाहिए तो आप एक कार लोन भी ले लेते हो अनजाने में ही सही पर आपने खुद को चारों तरफ से बांध लिया है अब आपको हर वक्त ये डर सताता रहता है कि कहीं मुझे जॉब से निकाल ना दिया जाए क्योंकि फिर मैं घर के खर्च कैसे मैनेज करूंगा होम लोन की ईएमआई चल रही है कार
लोन की ईएमआई चल रही है बच्चों के स्कूल का फीस धीरे-धीरे आप खुद के सपने को दबाते जाते हो और सुबह चुपचाप उठते हो जॉब पे जाते हो शाम में घर आते हो फिर चाहे वो काम करना आपको पसंद हो या ना हो और फिर एक दिन आता है जब आपको ये लाइफ नॉर्मल लगने लगता है और धीरे-धीरे काम करते करते आप बूढ़े हो जाते हो आपको ऐसा लगेगा कि शायद मैं अनलकी था इसीलिए मैं लाइफ में बड़ा कुछ कर नहीं पाया क्योंकि मेहनत तो मैंने खूब किया था पर सच सच कुछ और ही है
मेरे दोस्त जो आज तक आपसे छुपा कर रखा गया है द गैंग ऑफ ना गट टुगेदर आ थक इट वास एंड डिसाइडेड दिस इज व्ट पीपल शड लेर्न फिजिक्स बायोलॉजी केमिस्ट्री एंडस दिस इज हा दे शुड लेर्न इट लाइक द न्यूजपेपर इंडस्ट्री राइ मोर प्रिंटिंग प्रेसेस मोर बिग बिल्डिंग्स राइ मेक्स दि लक ग्रैर हु बिल्ट द स्कूल्स वर कॉन्शियसली एमिंग एट एराके द विल ऑफ द स्टूडेंट हु र पार्ट ऑफ़ द सिस्टम बज दे वां देम टू बी ओडिट हायर पर्पस ऑफ गुड यूनिवर्सिटी इज टू गिव यू ए फाउंडेशन टू फेल नॉट ए फाउंडेशन टूू
गेट एन ए दिस एजुकेशन सिस्टम को आप बचपन से आंख बंद करके फॉलो करते आ रहे हो उस एजुकेशन सिस्टम को बनाया ही इसीलिए गया था ताकि आप फेल हो सको उस एजुकेशन सिस्टम को बनाया ही इसीलिए गया था ताकि आप एक ओबेडिएंट फैक्ट्री वर्कर बन सको आपको लग रहा होगा मैं कुछ भी बोल रहा हूं बट आई प्रॉमिस जस्ट गिव मी फ्यू मिनट्स और उसके बाद आपको यह पूरा का पूरा ट्रैप खुद अच्छे से समझ आ जाएगा सो आर यू कमिंग विथ मी धीरू भाई अंबानी विराट कोहली आमिर खान नरेंद्र मोदी यह सब हमारे
इस करंट एजुकेशन सिस्टम के ट्रैप में नहीं फसे कि जस्ट इन स्कूल काइंड पजल अस वा दे देर साल होता है 1806 नेपोलियन की आर्मी और प्रशिया के बीच एक वॉर होता है और इस वॉर में प्रशिया वन ऑफ द बेस्ट आर्मी होने के बावजूद हार जाती है प्रशियन लीडर्स को यह समझ नहीं आता है कि आखिरकार व इतने अच्छे आर्मी के साथ हार कैसे सकता है बहुत सोचने के बाद उनके लीडर्स को यह समझ में आता है कि उनकी आर्मी मजबूत तो थी लेकिन वॉर के दौरान व अपने सुपीरियर्स के ऑर्डर्स को फॉलो करने
के बजाय अपना दिमाग इस्तेमाल कर रहे थे जबकि नेपोलियन की आर्मी सिर्फ और सिर्फ नेपोलियन के ऑर्डर्स को फॉलो कर रहे थे और इस हार का कंसीक्वेंस क्या होता है प्रशिया को अपना आधा टेरिटरी नेपोलियन के हाथ में दे देना पड़ता है और साथ ही एक पीस एग्रीमेंट साइन करना पड़ता है अब प्रशियन लीडर्स के सामने एक चैलेंज होता है कि दोबारा ऐसा कभी भी उनके साथ नहीं होना चाहिए बट क्वेश्चन यह है कि आखिरकार वो लोग ऐसा करेंगे कैसे वेल बहुत दिमाग लगाने के बाद उनको एक आईडिया आता है और फिर वो लोग एक
सिस्टम बिल्ड करने में लग जाते हैं कैसा सिस्टम ओबवियस सली ऐसा सिस्टम ताकि सोल्जर्स बस उतना ही करें जितना उनको करने के लिए कहा जाए और ऐसा करने का बेस्ट पॉसिबल तरीका क्या हो सकता था उन ब्रेंस को कंट्रोल करना जो ब्रेंस अभी खुद से सोचने के कैपेबल ना हो जिन्हें सही और गलत के बारे में पता ना हो सो दैट उन्हें जो भी समझाया जाए वो उसे ही सच मान ले और इस तरीके से एक एट इयर्स एजुकेशन सिस्टम बिल्ड होता है द प्रशियन एजुकेशन सिस्टम 5 साल से लेकर 13 साल के दौरान आपके
लिए एजुकेशन सिस्टम कंपलसरी कर दिया जाता है जिसका सोल पर्पस क्या होता है एंड द प्रश प्रोडू अ यूनिवर्सल एजुकेशन सिस्टम इन द लेट 1800 बिकॉज दे वर अफ्रेड दे वर लूजिंग मिलिटरी सुपीरियोर एंड दे वांटेड टू प्रोड्यूस अ कद्रे ऑफ मांडले ओबेडिएंट सोल्जर्स दैट वाज एक्सप्रेसली द पर्पस आने वाले जनरेशन को एक ऐसे पर्सन में ट्रांसफॉर्म करना जो ओबेडिएंट हो अपने सुपीरियर्स के हर एक बात को माने और वही करें जितना कहा जाए विदाउट आस्किंग अ सिंगल क्वेश्चन इस एट ईयर के एजुकेशन के दौरान उन्हें बस इतना ही समझाया जाता है इतना ही पढ़ाया
जाता है जितने में वो अपने सुपीरियर्स के ऑर्डर्स को फॉलो कर सके ना कि इतना कि वह खुद के बारे में सोचने लगे एंड प्रशियन लीडर्स ने जैसा प्लान किया था यह एजुकेशन सिस्टम एगजैक्टली वैसा ही रिजल्ट उन्हें दे रहा था इस तरह एक ऐसे सिस्टम का इन्वेंशन हो चुका था जो आने वाले फ्यूचर में सब कुछ बदलने वाला था और ठीक ऐसा ही होता है उस दौरान एक और चीज था जो इस वर्ल्ड में बहुत ही तेजी से फैल रहा था गेस कीजिए क्या साल 1760 से लेकर 1840 के दौरान इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन अपने पीक
पर होता है ग्लोबल इकोनॉमी बहुत ही तेजी से दूसरे डायरेक्शन में शिफ्ट हो रहा होता है अब तक लोग एग्रीकल्चर करके अपने हाथों से प्रोडक्ट्स बनाकर पैसे अर्न कर रहे थे बट अब वर्ल्ड पे मशीनस डोमिनेट करना शुरू कर देता है जितना प्रोडक्ट्स एक इंसान पूरे महीने भर में नहीं बना पा रहा था एक मशीन उससे कहीं ज्यादा प्रोडक्ट एक दिन में बना दे रहा था बट देयर वाज अ प्रॉब्लम और वो प्रॉब्लम क्या था फैक्ट्रीज में वर्कर्स का कमी होना क्योंकि लोग अपने फील्ड में एग्रीकल्चर कर रहे थे अपने हाथों से प्रोडक्ट्स बना रहे
थे छोटे-मोटे बिजनेस कर रहे थे और पैसे अर्न कर रहे थे ऐसे में कोई अपना यह सब कुछ छोड़कर किसी और के फैक्ट्री में एज अ लेबर क्यों काम करना चाहेगा इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन कैसे निकाला जाए वेल प्रशियन एजुकेशन सिस्टम अपने रिजल्ट्स के कारण ऊपर के बैठे हुए लोगों तक ऑलरेडी पहुंच चुका था और अब डिफरेंट डिफरेंट कंट्रीज अपना एजुकेशन सिस्टम इस प्रशियन एजुकेशन सिस्टम के मॉडल पे बनाना शुरू कर देती है और इस बारी सोल पर्पस क्या होता है इस बारी सोल पर्पस होता है एक ऐसा जनरेशन तैयार करना जिनके क्रिएटिविटी को किल
करके उनके दिमाग में पैसा अर्न करने का बस एक ही ऑप्शन रह जाए और वो हो वर्क एज अ लेबर इन फैक्ट्रीज कॉर्पोरेट टाइप्स मोस्टली हु वांटेड टू प्रोड्यूस क्रेज ऑफ ओडिंट वर्कर्स एंड दैट्ची ऐसा ही होना शुरू हो जाता है जो लोग अब तक फार्मिंग करके छोटे-मोटे बिजनेस करके मनी अर्न कर रहे थे उनके बच्चों के ब्रेन को इस तरीके से ब्रेन वॉश किया जाता है कि जब वोह अपना एजुकेशन कंप्लीट करके निकलते हैं तो उनके दिमाग में पैसा अर्न करने का बस एक ही ऑप्शन रह जाता जाता है और वो होता है किसी
फैक्ट्रीज में काम करना और इस तरह लेबर्स की जो कमी थी वह धीरे-धीरे पूरा होना शुरू हो जाता है उस समय हमारा देश ब्रिटिशर्स का गुलाम था बट दिक्कत अंग्रेजों के सामने भी था और वोह दिक्कत था कि वह थे तो बस कुछ ही और इतने बड़े आबादी को कंट्रोल में रखना बहुत ही मुश्किल हो रहा था साल होता है 1835 थॉमस बेबिंगटन मकाउ जिसके बारे में शायद आपने अपने स्कूल लाइफ में पढ़ा होगा एज द लॉर्ड मकाले के नाम से वो एक प्रपोजल तैयार करता है इंडिया में इंग्लिश एजुकेशन को प्रमोट करने के लिए
और लॉर्ड विलियम बेंटिक जो कि उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी का गवर्नर जनरल होता है व इसे इंग्लिश एजुकेशन एक्ट ऑफ 1835 के थ्रू पास कर देता है एंड अगेन यह जो एजुकेशन सिस्टम होता है यह मोर और लेस प्रशियन एजुकेशन सिस्टम पे ही बेस्ड होता है और इस बार मकसद क्या होता है लोग सोच रहे थे कि ब्रिटिशर्स हमारा भला ही चाह रहा है हम सभी लोगों को इंग्लिश सिखाना चाह रहा है पर सच क्या था वेल आप खुद मकाले से सुनो एजुकेशन शुड क्रिएट अ क्लास ऑफ पर्सन इंडियन इन ब्लड एंड एंड कलर
बट इंग्लिश इन टेस्ट ओपिनियन इन मोरल्स एंड इन इंटेलेक्ट धीरे-धीरे ही सही लेकिन अंग्रेज अपने इस मकसद को अंजाम तक पहुंचा देते हैं ऑफिस में क्लर्क से लेकर आर्मी में सिपाही तक हर जगह इंडियंस काम कर रहे होते हैं अब ब्रिटिशर्स इंडियंस को इस्तेमाल करके इंडियंस को ही गुलाम बना कर थे ब्रेन वॉश इस हद तक किया जा चुका था कि इंडियंस ब्रिटिशर्स के रूल्स को फॉलो करना अपना ड्यूटी मानने लगे थे आप शायद सोच रहे होंगे वाह ब्रिटिशर्स ने क्या दिमाग लगाया था पर खैर अब तो 76 साल हो गए गए हैं आजादी को
अब तो सब कुछ बढ़िया हो गया है है ना अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो कुछ ही मिनट्स के बाद आपको अपने इसी सोच पे हंसी आएगी आपके पैदा होने के बाद या शायद आपके पैदा होने से भी पहले आपके पेरेंट्स के माइंड में जो सबसे पहला ख्याल आता है वो क्या है आपको पता है कि मैं अपने बच्चे को एक बड़ा स्कूल में पढ़ने के लिए भेजूंगा आज हमारे देश में स्कूल एंड कॉलेजेस एजुकेशन की जगह कम और स्टेटस का जगह ज्यादा बनता जा रहा है हमारा लड़का बड़ा स्कूल में पढ़ता है हमारा
लड़का उस कॉलेज में पढ़ता है आप जैसे ही बोलना शुरू करते हो आपके पेरेंट्स बड़े प्राउडली आपको एक अच्छे से स्कूल में एडमिशन करवा देते हैं और फिर रिलैक्स हो जाते हैं कि मैंने तो बड़े स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन करा दिया अब मेरे बच्चे का फ्यूचर वो लोग बना देंगे मुझे बस टाइम पे फी पे करना है आप स्कूल जाते हो एक फ्रेश क्यूरियस और क्रिएटिविटी से भरे हुए माइंड के साथ एक ऐसे माइंड के साथ जिसके अंदर कोई लिमिटेशंस नहीं होता है एक ऐसे माइंड के साथ जिस से अगर सही से ट्रेन
किया जाए तो वो बहुत कुछ कर सकता था लेकिन जैसे ही आप स्कूल में जाते हो आपको कुछ सब्जेक्ट्स का कॉमिनेशन का एक सिलेबस दे दिया जाता है और फिर अब से वही आपकी दुनिया बन जाती है आप सुबह से लेकर शाम तक उन्हीं के बारे में सोचते हो उन्हीं को पढ़ते हो और अगर आपने उसके अलावा कुछ और सोचा या कुछ और पढ़ा तो आपका मार्क्स पे इफेक्ट पड़ता है और फिर आपको पनिशमेंट मिलता है पर क्या आपके पेरेंट्स एक बार भी ये क्वेश्चन करते हैं कि आखिरकार ये स्कूल्स कॉलेजेस कोचिंग्स ये हमारे बच्चे
को आखिर क्या सिखा रहा है क्या सच में हमारे बच्चे का फ्यूचर ब्राइट हो रहा है क्या सच में हमारे बच्चे को जो पढ़ाया जा रहा है वो उसे पसंद भी है नहीं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि हमारे बच्चे का फ्यूचर बनाया जा रहा है हमारे बच्चे को एक कामयाब इंसान बनाया जा रहा है पर अगर आप थोड़ा सा भी ध्यान से सोचोगे तो आपको समझ आएगा कि इस पूरे स्कूल एंड कॉलेज के दौरान आपको एक ऐसा पर्सन बनाने का प्रोसेस चल रहा होता है जो पर्सन जब स्कूल एंड कॉलेज से बाहर निकले तो
उनके दिमाग में बस एक ही गोल हो किसी तरीके से जॉब मिल जाए और अगर दूसरे शब्द में कहूं तो कोई मुझे अपने यहां काम पर रख ले हर बच्चा यही चाहता है कि मैं सरकारी जॉब में पहुंच अपने घर की अर्थव्यवस्था कुछ सही करूं मेन मकसद तो यही होता है हर आदमी का क्योंकि सरकारी जॉब एक ऐसी जॉब है कि वो आदमी के मरते तम दम तक साथ देती होगी इसीलिए हर आदमी सोचता है चाहे चपरासी की मिल जाए लेकिन सरकारी मिल जाए आपके पूरे स्कूलिंग एंड कॉलेज के दौरान आपको कभी भी सेल्फ डिपेंडेंट
होने के लिए सिखाया ही नहीं जाता क्यों क्योंकि यह सिस्टम कभी भी आपको फुल्ली सेल्फ इंडिपेंडेंट बनने के लिए बनाया ही नहीं गया था इस सिस्टम का अल्टीमेट गोल ही था कि इंडस्ट्री को एक अफोर्डेबल और एक बढ़िया वर्कर प्रोवाइड किया जा सके ये पूरा सिस्टम एक ऐसे ग्रुप ऑफ पीपल को तैयार कर रहा है जो अपने बॉस के ऑर्डर्स को फॉलो कर सके जो अपने सुपीरियर्स का रिस्पेक्ट कर सके पूरे महीने दिन रात काम कर सके इस उम्मीद में कि एट द एंड ऑफ द मंथ मुझे एक पेचेक मिले फिर चाहे वो काम मुझे
पसंद हो या ना हो लोग अपनी 25 पर से ज्यादा जिंदगी इस करंट एजुकेशन सिस्टम में लगा देते हैं ताकि अपने से कम पढ़े लिखे आदमी की कंपनी में जाके उसके सपने पूरे कर सके कोई नहीं चाहता कि आप सेल्फ डिपेंडेंट बनो आप मिलियनेयर बनो कोई क्यों चाहेगा कि आप मिलियनेयर बनो आप सेल्फ डिपेंडेंट बनो इससे उनका का क्या फायदा होगा क्योंकि अगर आप सेल्फ डिपेंडेंट बन गए तो फिर आप ऑर्डर्स फॉलो नहीं करोगे आप हर चीज में क्वेश्चंस करोगे आप गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठाओगे पर आप कभी भी इस ट्रैप को समझ ही
नहीं पाते क्योंकि जब आपको इस ट्रैप में डाला जाता है उस वक्त आपकी इतनी ऐज होती नहीं है कि आप कुछ सोच पाओ कुछ समझ पाओ और जब तक आप उस एज तक पहुंचते हो जहां पर आप सोचने के कैपेबल होते हो तब तक काफी लेट हो चुका होता है या तो पिछले 152 साल से इस सिस्टम को फॉलो करते-करते आपका इस तरीके से ब्रेन वॉश हो जाता है कि आपको यही चीज सही लग ने लगता है या फिर आपकी इतनी एज हो जाती है कि आपके ऊपर काफी ज्यादा जिम्मेदारी आ जाता है और आप
चाह कर भी इस ट्रैप से बाहर नहीं निकल पाते हो क्योंकि अब आपको किसी भी तरीके से पैसा अर्न करना होता है बेरोजगारी की हद पार हो रही है घर वाले भी प्रेशर डाल रहे हैं कि जॉब करो जॉब करो कहीं से भी पैसे लेके आओ और पिछले 20 साल से जो मेहनत आप कर रहे थे लाखों रुपए आपने स्कूल्स को दिया लाखों रुपए आपने कॉलेज को दिया लाखों रुपए आपने कोचिंग्स को दिया उसके बदले में बस आप किसी तरीके से एक 30 से 40000 की नौकरी की उम्मीद में आप लग जाते हो पर स्टैट्स
क्या है आपको पता है द आईओ सेज अबाउट 65 ऑफ द यूथ इन इंडिया आर जॉबल 65 हाउ डिड दिस हैपन आज हमारे देश में 42 पर ग्रेजुएट्स जिनका एज 25 से कम है वो अनइंप्लॉयड है और अगर जॉब मिल भी जाता है तो आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में एक इंजीनियर्स की एवरेज सैलरी जितनी है उससे 10 गुना ज्यादा अमेरिका में ट्रक ड्राइवर्स अर्न करते हैं तो देख लो भाई अमेरिका में एक ट्रक ड्राइवर है ना अभी स्लो चल रहा है काम मंदे में 10 से 12 मतलब इंडिया का मोटा मोटा 10
लाख रप कमा रहे हैं ज काम अच्छा चलता है तो ₹ लाख रप इंडिया के कमा रहे हैं इतना तो कोई मतलब वहां प डॉक्टर भी नहीं कमा रहा तो इन सब का सलूशन क्या है क्या हम लोग स्कूल्स जाना छोड़ दें क्या हम लोग कॉलेजेस जाना छोड़ दे करोड़ों लोग एवरीडे स्कूल्स जा रहे हैं कॉलेजेस जा रहे हैं तो मैं बोल रहा हूं कि यह सारे लोग गलत कर रहे हैं वेल आप अभी तक समझे नहीं लेट मी एक्सप्लेन किसी चीज को इतना प्रमोट करो कि वह एक न्यू वे ऑफ लाइफ बन जाए और
लोग बिना कोई क्वेश्चन किए उसको चुपचाप फॉलो करते चले जाए आज हमें बस सिंपल सा एक क्वेश्चन पूछने का जरूरत है हु क्रिएटेडटेड व्हाई एंड इन दोनों का आंसर्स आपको अब तक मिल चुका होगा जिस वक्त इस सिस्टम को बिल्ड किया गया था उस वक्त इस वर्ल्ड को बिलियंस के तादाद में वर्कर्स की जरूरत थी बट आज आज का सिचुएशन क्या है द अशन इज यू क्रैक द आईआईटी एंड यू आर सेट फॉर लाइफ अ बिग पे पैकेज अवेट्स यू पर हैप्स नॉट एनी मोर द न्यूज़ कमिंग आउट ऑफ़ द आईआईटी इज वरिंग इन द
बम्बे कैंपस 36 स्टूडेंट्स आर यट टू बी प्लेस्क किंग अबाउट द बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज इन इंडिया लास्ट ईयर वाज मोर ऑफ द सेम वी लुक्ड एट अदर आईआईटी टू इन द डेल्ली कैंपस 40 स्टूडेंट्स वर नॉट प्लेस इन 2023 इन कानपुर 31 आर यट टू बी प्लेस कल भी इस सिस्टम को फॉलो करके लोग बिलो एवरेज लाइफ जीकर मर गए ना खुद के शौक पूरे कर पाए ना ही अपने अपने बच्चों के लिए कुछ बड़ा विरासत छोड़ पाए और ना ही आज इस सिस्टम को फॉलो करके कोई करोड़पति बन रहा है बस एक पेचेक टू
पेचेक लाइफ में अटक कर रह जा रहा है और हर वक्त बस इसी डर में जी रहा है कि इतने सारे ले ऑफस हो रहे हैं कहीं अगली बारी मेरी तो नहीं और इसी डर के कारण अपने सेल्फ रिस्पेक्ट तक को दाव पर लगाकर अपने सुपीरियर्स के सारे ऑर्डर्स को फॉलो कर रहा है और चुपचाप काम किए जा रहा है फिर चाहे वो काम पसंद हो या ना हो हमारे सामने दो ऑप्शंस हैं हम रियलिटी को एक्सेप्ट ना करें और इसी ट्रैप में फंसे रहे और अपने बच्चों को भी इसी ट्रैप में डाल दें और
दूसरा हम अपना रास्ता खुद बनाएं हम खुद एक्सप्लोर करें कि हमें क्या-क्या करना चाहिए क्या-क्या पॉसिबल एथिकल तरीका है जिससे कि हम अपने मन चाहे अमाउंट्स को अर्न कर सकते हैं अब हमें ऐसे और कॉलेज ग्रेजुएट्स की जरूरत नहीं है जिनका एंड गोल सिर्फ एक जॉब हो एंड दे डोंट हैव एनी स्किल ऑल दे हैव इज अ सो कॉल्ड कॉलेज डिग्री अब टाइम चेंज हो चुका है जिन स्किल्स को सीखने के लिए आप कॉलेजेस को कई लाख दिया करते थे अपने लाइफ का कीमती पांच से छ साल दिया करते थे फिर भी कुछ भी सीख
कर बाहर नहीं निकल चलते थे अब बड़े से बड़े स्किल्स को आप कहीं कम फी में ऑनलाइन कोर्सेस के थ्रू सीख सकते हो और वो भी उन पर्सन से जो खुद उस स्किल को यूज करके कुछ बड़ा अचीव किए ना कि उनसे जिनके पास नॉलेज सिर्फ और सिर्फ थ्योरी तक ही लिमिटेड हो अगर आप पेरेंट्स हैं तो अपने बच्चे को स्कूल भेजें कॉलेज भेजें बट मार्कशीट को उतना इंपॉर्टेंस ना दें उन्हें एक्सपोजर दें उन्हें बताएं कि इस दुनिया में करने के लिए बहुत कुछ है सिर्फ मैथ्स केमिस्ट्री फिजिक्स सिर्फ यही दुनिया नहीं है इसके अलावा
भी बहुत कुछ है अपने बच्चे को अलग-अलग चीजों को एक्सप्लोर करने के लिए मोटिवेट करें अगर मार्क्स कम आते हैं कोई बात नहीं हो सकता है वह कोई स्किल सीख रहा हो जहां पे वो इससे कहीं ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर रहा हो आज हम जेई के लिए नीट के लिए गेट के लिए वन ईयर ड्रॉप टू ईयर ड्रॉप लेते हैं बट क्या कभी खुद के पैशन को समझने के लिए खुद के इंटरेस्ट को जानने के लिए अलग-अलग अपॉर्चुनिटी को एक्सप्लोर करने के लिए ड्रॉप ईयर लिया है क्या आपको स्टेबल एंड एवरेज लाइफ चाहिए या आपको
लाइफ में कुछ बड़ा करना है खूब पैसे कमाना है अपने ड्रीम्स को पूरा करने के लिए जी जान लगाना है डिसीजन आपको लेना है थैंक यू सो मच आपने इस डॉक्यूमेंट्री को एंड तक देखा अ इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने के लिए मैं ना जाने पिछले कितने दिनों से मेहनत कर रहा हूं एंड फाइनली ये डॉक्यूमेंट्री बन के रेडी है आप तक पहुंच गया है और आपने इसे एंड तक देख लिया है इस सपोर्ट के लिए थैंक यू सो मच अ और अगर आपको यह डॉक्यूमेंट्री बहुत अच्छा लगा है तो आप जरूर चैनल को सब्सक्राइब करना
और इस डॉक्यूमेंट्री को वीडियो को लाइक करना और कमेंट में आप मुझे जरूर बताएं के कहीं कोई कमी रह गया है या फिर जो भी आपका इस डॉक्यूमेंट्री के बारे में कहना हो कमेंट में आप जरूर बताएं और कोशिश करें कि इसको ज्यादा से ज्यादा लोग तक शेयर करें क्योंकि अभी हम लोग एक न्यू न्यू चैनल क्रिएट कर रहे हैं तो आप जितना लोगों तक इसको शेयर करेंगे उतना ज्यादा लोगों तक अवेयरनेस फैले वंस अगेन थैंक यू सो मच एंड तक इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए और इतना प्यार देने के लिए थैंक यू
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