नमस्कार मैं रवीश कुमार आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री देखी है क्या डिग्री दिखाना कोई अपराध है क्यों दिल्ली यूनिवर्सिटी डिग्री नहीं दिखाने के लिए अजीब अजीब तरह के तर्क दिए जा रही है दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हाई कोर्ट के सामने कह दिया कि ऐसी चीज जिसमें पब्लिक का इंटरेस्ट हो जरूरी नहीं कि वह पब्लिक इंटरेस्ट में हो तो जनहित क्या है वही है जिसमें लोगों की जिज्ञासा होती होगी डिग्री को लेकर भी तो संदेह है विवाद है तभी तो जिज्ञासा है इसलिए जनहित का सवाल है दिल्ली यूनिवर्सिटी का कहना है कि आरटीआई के तहत सिर्फ
इसलिए सूचना नहीं मांग सकते क्योंकि आप जानना चाहते हैं हद है तो फिर क्या नहीं जानने के लिए आरटीआई के तहत अब सूचनाएं मांगी जाएंगी दिल्ली यूनिवर्सिटी के तर्क परेशान करने वाले हैं और इन तर्कों पर बहस होनी चाहिए कि अगर आप कोर्ट को डिग्री दिखा सकते हैं तो याचिका ता को क्यों नहीं बीजेपी के सांसदों से दिल्ली यूनिवर्सिटी को सीखना चाहिए वे बकायदा विदेशों में पढ़ने वाले अपने बच्चों के दीक्षांत समारोह में जाते हैं फोटो खिंचवाते हैं और ट्वीट करते हैं सबसे बधाइयां लेते हैं तो फिर प्रधानमंत्री मोदी ऐसा क्यों नहीं कर सकते ज्योतिरादित्य
सिंधिया से लेकर निशिकांत दुबे पियूष गोयल और शिवराज सिंह चौहान शान से अपने बच्चों की यूनिवर्सिटी का नाम लेते हैं डिग्री का भी येल हार्वर्ड एडिनबरो पेंसिल्वेनिया सांसदीय व्यस्त काम से छुट्टी लेकर बच्चों के कन्वे केशन में जाते हैं जब विदेशों से मिलने वाली डिग्री को लेकर इतने गौरव का अनुभव किया जा रहा है तब फिर भारत ने प्रधानमंत्री को मिली डिग्रियों को लेकर गर्व से प्रचारित क्यों नहीं किया जा रहा प्रधानमंत्री मोदी भी यूनिवर्सिटी के डिग्री वितरण कार्यक्रमों में जाते हैं दीक्षांत समारोह में 2014 में एम्स के दीक्षांत समारोह में गए 2025 की जनवरी
में तिरची के भारतीय दासन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में गए 2018 में गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में गए लेकिन क्या आपको पता है कि प्रधानमंत्री मोदी केवल अपनी डिग्री ही नहीं दिखाते बल्कि किसी भी यूनिवर्सिटी से मानद उपाधि नहीं लेते इसका पता हमें इस तरह की खबरों से चला 2016 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के 100 साल होने पर दीक्षांत समारोह में गए उस वक्त बीएचयू उन्हें मानद उपाधि देना चाहती थी मगर प्रधानमंत्री मोदी ने अस्वीकार किया और माफी मांग ली 2014 में अमेरिका की लुईजियाना की सदन यूनिवर्सिटी ने उन्हें एक मानत डॉक्टरेट
की उपाधि से नवाज में का फैसला किया मगर प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार नहीं किया क्या प्रधानमंत्री मोदी ने इन मानत डिग्रियों को इसलिए भी अस्वीकार किया होगा कि कहीं इसके बहाने फिर से उनकी डिग्री को लेकर डिग्री डिग्री ना होने लग जाए लेकिन जब खुद प्रधानमंत्री दीक्षांत समारोहों में जाते हैं छात्रों को डिग्रियां देकर उनका मनोबल बढ़ाते हैं तो अपनी डिग्री क्यों नहीं दिखाते कई बार यूनिवर्सिटी अपने उन छात्रों की डिग्री दिखाती है जो किसी देश के प्रधानमंत्री हुए राष्ट्रपति हुए या नोबेल पुरस्कार मिला या उन्होंने बड़ा कमाल किया गर्व से बताती हैं यूनिवर्सिटियसेक्स कि
प्रधानमंत्री मोदी उनके छात्र रहे तो फिर उन्हें डिग्री दिखाने को लेकर इतनी झिझक क्यों है क्या उसमें से रोशनी की तेज धमक निकल आएगी जिससे जनता की आंखें चौंधी आ जाएंगी क्या हो जाएगा अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री सार्वजनिक कर देगी देश की दो-दो यूनिवर्सिटिट मोदी की डिग्री नहीं दिखाने पर अड़ी है कोर्ट में मुकदमा लड़ रही हैं गुजरात यूनिवर्सिटी भी कोर्ट चली गई और 2017 से दिल्ली यूनिवर्सिटी एक डिग्री नहीं दिखाने को लेकर कोर्ट में है दिल्ली हाई कोर्ट में 8 साल से बस इस सवाल पर मुकदमा लड़ रही है कि हम
डिग्री नहीं दिखाएंगे प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री नहीं दिखाने के लिए भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से पैरवी कर रहे हैं क्या उनके पास यही सबसे महत्त्वपूर्ण काम है एक डिग्री को रोकने के लिए भारत के सॉलिसिटर जनरल की सेवाएं ली जा रही हैं आप समझ नहीं रहे हैं कि प्र प्रधानमंत्री मोदी की यह डिग्री कितनी महत्त्वपूर्ण हो गई है अरविंद केजरीवाल ने भी आरटीआई दायर की कोर्ट गए लेकिन गुजरात हाईकोर्ट से उन्हें सफलता नहीं मिली उल्टा 7 साल बाद गुजरात हाई कोर्ट ने केजरीवाल पर ही प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री
मांगने के लिए ₹2500000 से संघर्ष कर रहे हैं नीरज शर्मा ने पहले इसकी जानकारी आरटीआई से मांगी वहां उन्हें सफलता मिली आयोग ने यूनिवर्सिटी से कहा डिग्री दिखाइए लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी उन्हें कोर्ट ले गई नीरज शर्मा बस जानना चाहते थे कि 1978 में प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा दी थी उनका रोल नंबर क्या था नाम क्या लिखा था कितने अंक आए थे पास हुए या फेल बस इतनी सी बात पर भारत की अदालत में 8 साल से मुकदमा चल रहा है दिल्ली यूनिवर्सिटी जिद पर है कि डिग्री नहीं दिखाएंगे सूचना के अधिकार के जवाब में कहा
यूनिवर्सिटी ने हम थर्ड पार्टी को जानकारी नहीं देंगे सूचना आयोग ने कहा आपको थर्ड पार्टी को ही सूचना देनी होगी अब वही यूनिवर्सिटी कोर्ट में कह रही है हम अजनबी को डिग्री नहीं दिखाएंगे इतने वर्षों में 8 साल में तो याचिकाकर्ता और यूनिवर्सिटी के बीच दोस्ती हो जानी चाहिए इतने वर्षों के बाद यूनिवर्सिटी कैसे दावा कर रही है कि याचिकाकर्ता अजनबी है मुझे एक बात बताइए क्या आरटीआई से जानकारी लेने के लिए रिश्तेदार होना जरूरी है क्या ऐसा कानून में लिखा है आप तभी जानकारी मांग सकते हैं जब आप उस अधिकारी के रिश्तेदार होंगे दोस्त
होंगे दामाद होंगे समधी होंगे भाई होंगे चाचा होंगे और अंकिल होंगे किसी तरह का संबंध होगा तभी डिग्री दिखाई जाएगी हो क्या रहा है इस कंट्री में अब यूनिवर्सिटी कह रही है कि कोर्ट को डिग्री दिखाएगी मगर याचिकाकर्ता को नहीं जब दिल्ली हाई कोर्ट के जज साहब देख सकते हैं तो उस कोर्ट में खड़े तमाम वकील मुनीम मदली याचिकाकर्ता दूसरे वकील क्यों नहीं देख सकते और कोर्ट से बाहर देश की जनता क्यों नहीं देख सकती प्रधानमंत्री की डिग्री में ऐसा क्या है या फिर ऐसा क्या नहीं है जिसे देश की जनता के सामने पेश नहीं
किया जा सकता क्या खुद से प्रधानमंत्री को अपनी डिग्री नहीं दिखा देनी चाहिए अदालत का कितना समय बच जाएगा कितना कीमती वक्त होता है कोर्ट का सॉलिसिटर जनरल का इस बात को लेकर कई साल से सुनवाई चल रही है डिग्री दिखाई जा या नहीं दूसरों से कागज दिखाने की मांग करने वालों को भी प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहिए हम उनसे कागज मांग रहे हैं और आप डिग्री नहीं दिखा रहे उस डिग्री में कुछ नहीं होगा तब भी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे तब फिर क्या दिक्कत है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक जीवन में है भारत
के कानून के हिसाब से उन्हें हर चुनाव में अपने पैसे तक का हिसाब जनता को देना होता है बैंक खाते में कितने पैसे हैं कैश कितना सब बताना होता है विवाहित है या नहीं कार है या नहीं कुछ भी जानकारी वह छुपा नहीं सकते तो जब आपका बैंक अकाउंट तक प्राइवेट नहीं है तो डिग्री में ऐसा क्या है जिसे प्राइवेट रखने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी 8 साल से मुकदमा लड़ रही है प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही कहा है उनका जीवन खुली किताब है तो इस किताब में उनकी डिग्री का पन्ना क्यों नहीं जब व जीवन
की किताब खोलकर दिखा सकते हैं तो डिग्री क्यों नहीं मेरा जीवन खुली किताब जैसा [प्रशंसा] है यह कौन सी खुली किताब है कि डिग्री नहीं दिखाने के लिए 8 साल से दिल्ली यूनिवर्सिटी मुकदमा लड़ रही है पता करना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को रोकने के लिए दिखाने से रोकने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने मुकदमा लड़ने में कितना पैसा और समय खर्च किया दिल्ली हाई कोर्ट में यूनिवर्सिटी ने कहा कोर्ट को दिखा देंगे किसी अनजान को नहीं यूनिवर्सिटी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा एक अनजान व्यक्ति आरटीआई दफ्तर चला जाता है
कहता है दिल्ली यूनिवर्सिटी के 10 लाख छात्रों में से मुझे एक व्यक्ति की डिग्री चाहिए सवाल है कि क्या कोई भी किसी की डिग्री मांग सकता है लेकिन सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में लिखा था कि डीयू एक पब्लिक संस्थान है उसे जानकारी देनी होगी अब क्या बहस इस पर चलेगी कि अजनबी कौन है या चिका करता क्या अजनबी है तुषार मेहता ने कहा सूचना का अधिकार अपने आप में संपूर्ण अधिकार नहीं है हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है हम कोर्ट को ओरिजिनल डिग्री दिखा देंगे लेकिन हम इस याचिकाकर्ता की मंशा पर विश्वास
नहीं करते 140 करोड़ लोगों का परिवार है प्रधानमंत्री का खुद ही बताते नहीं थकते कोई बचा नहीं जो उनके परिवार में नहीं आता तो यह अनजान कहां से आ गया आप एक बात बताइए एक ही बात बा दिल्ली यूनिवर्सिटी को याचिकाकर्ता की मंशा पर विश्वास नहीं और याचिकाकर्ता को प्रधानमंत्री की डिग्री पर विश्वास नहीं इन दोनों में सबसे महत्त्वपूर्ण सवाल क्या है जाहिर है डिग्री का सवाल सबसे बड़ा हो जाता है याचिका करता उस डिग्री को लेकर ना तो पीएम के नाम पर कोई मुद्रा का लोन लेने वाला है ना कोई फर्जी यूनिवर्सिटी खोलने वाला
है या संभव तो है नहीं तब फिर उसकी मंशा पर विश्वास का सवाल या संदेह का सवाल कहां से आ जाता है जब भारत का छात्र दूसरे देशों में नामांकन लेता है तो उसकी डिग्री की जांच होती है या नहीं डिग्री ही नहीं यूनिवर्सिटी से ट्रांसक्रिप्ट जैसे तमाम तरह के दूसरे दस्तावेज मांगे जाते हैं जिनमें एक-एक पेपर का बेरा और नंबर लिखा होता है इन दस्तावेजों के बिना आप अपनी एप्लीकेशन नहीं भेज सकते 203 की एक खबर है ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के भारत दौरे के कुछ दिनों के बाद वहां की पांच यूनिवर्सिटी ने भारत के
कुछ राज्यों से आने वाले छात्रों पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वे पढ़ने के लिए नहीं काम करने के लिए दाखिला पाना चाहते थे उत्तर प्रदेश राजस्थान गुजरात हरियाणा पंजाब जैसे राज्यों के छात्रों पर इस प्रतिबंध का असर पड़ गया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पर भारत के सबसे बड़े एक्सपर्ट हैं बल्कि एकमात्र राष्ट्रीय एक्सपर्ट हैं हर साल 12वीं की परीक्षा से पहले छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा करते हैं बताते हैं कि छात्रों को तनाव नहीं लेना चाहिए परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए इस बात के ही प्रमाण में के परिणाम की चिंता नहीं करनी
चाहिए प्रधानमंत्री को अपनी डिग्री दिखा देनी चाहिए कि मेरे भी तो नंबर नहीं आए मैं आज देश का प्रधानमंत्री हूं परीक्षा में नंबर नहीं आने के बाद भी मैंने जीवन में दूसरी बड़ी सफलताएं प्राप्त की हैं परीक्षा के समय लाखों छात्रों को तनाव मुक्त रहने का ज्ञान देने वाले प्रधानमंत्री मोदी अपनी डिग्री को लेकर इतने तनाव में क्यों आ जाते हैं यूनिवर्सिटी क्यों उनके बचाव में खड़ी हो जाती है उन्हें तो खुद अपनी डिग्री [संगीत] उन्होने ज्यादा सीखा या किसकी क्लास बोरिंग हुआ करती थी अच्छा भैया बताइए ये तिल गल खाने का कौन सा मौसम
अच्छा होता है सर्दिया क्यों खाते हैं शरीर को गर्म रखता है सर शरीर को गर्म रखता है आप लोग पोषण के संबंध में क्या जान जो अपने बॉडी के लिए जो भी मिनरल चाहिए उसकी बस रिक्वायरमेंट को अपन नहीं लेकिन अगर उसका ज्ञान ही नहीं तो क्या करेंगे एक्चुअली इंडिया में मिलेट्स को प्रमोट करते हैं मिलेट इ फि विथ न्यूट्रिशन मिलेट किसकिस ने खाए हैं खाया होगा सबने लेकिन आपको मालूम नहीं होगा बाजरा रागी सब खाते हैं अा मिलेट का दुनिया में ऐसा नहीं है कि कभी यह डिग्री नहीं दिखाई गई एक बार तो खुद
अमित शाह डिग्री लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आ गए थे जिस डिग्री को 2016 में दिखाने के लिए अमित शाह और अरुण जेटली प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए डिग्री लेकर आए उस डिग्री को दिल्ली यूनिवर्सिटी क्यों नहीं दिखाना चाहती है 2013 में गुजरात के रोशन साह समेत अन्य लोगों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री देखने की आरटीआई याचिका दायर की 2016 में जब अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री देखने की मांग की तब उनकी याचिका पर केंद्रीय सूचना आयोग ने गुजरात यूनिवर्सिटी को आदेश दिया कि प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी केजरीवाल को दी जाए यूनिवर्सिटी
के वाइस चांसलर ने बयान दिया कि मोदी ने वहीं से एक एक्सटर्नल छात्र के रूप में एमए की डिग्री पाई थी बाद में अमित शाह और अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनकी डिग्री सार्वजनिक कर दी इसी पर सारा बवाल हो गया आज मैं इस प्रेस वार्ता के माध्यम से आप सबके सामने प्रधानमंत्री जी की बीए की बीए की और एमए की दोनों डिग्रियां सार्वजनिक करना चाहता हूं करेंगे दोनों डिग्रियां सार्वजनिक करना चाहता हूं और ये दोनों डिग्रियों की प्रति भी आपको उपलब्ध करा दी जाएगी डिग्री सार्वजनिक होने से विवाद को थम जाना चाहिए लेकिन
बढ़ गया आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सवाल किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए की जो डिग्री मिली है उसमें डिग्री मिलने की तारीख और नाम में गड़बड़ी है पर एमए में एंटायस पॉलिटिकल साइंस नाम की कोई डिग्री नहीं होती इस पर बीजेपी ने जवाब दिया कि इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री ने पॉलिटिकल साइंस के सभी विषयों में एमए किया है ऐसा था तो आज तक कोई और छात्र इस विषय में डिग्री दिखाने के लिए सामने क्यों नहीं आया वही आ जाता कि प्रधानमंत्री नहीं दिखा रहे हैं वह उनका सहपाठी है और उसी बैच का
है यह रहा उनकी डिग्री देख लीजिए तो सहपाठी भी सामने नहीं आया और प्रधानमंत्री भी अपनी डिग्री नहीं दिखा रहे बीए की डिग्री पर 1979 लिखा है तो इसके जवाब में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा 1988 में ही छोड़ चुके थे विश्वविद्यालय 1979 में दीक्षांत समारोह हुआ इसके अलावा यह भी सवाल उठा डिग्री पर नाम अलग है दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री का नाम नरेंद्र कुमार दामोदर दास मोदी लिखा है अब कुमार तो मैं भी लिखता हूं रवीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी कहां कुमार लिखते हैं उनके हलफनामे में भी नरेंद्र दामोदर दास मोदी ही लिखा है कुमार नहीं
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार नवंबर 2021 में कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री बिल्कुल सही है हो सकती है तो उसे दिखा दीजिए याचिकाकर्ता को नहीं दिखाना चाहते अगर उससे किसी प्रकार का ईगो प्रॉब्लम हो गया है तो देश को दिखा दीजिए खुद से सार्वजनिक कर दीजिए कायदे से दिल्ली यूनिवर्सिटी को उस क्लास का सम्मेलन बुलाना चाहिए एलुमनाई मीट बुलाना चाहिए जिस क्लास में प्रधानमंत्री थे और उनके सा टियो को उनके साथ पढ़ने का अवसर मिला इतने लोग प्रधानमंत्री से मिलते हैं उनके बैचमेट भी तो मिलते होंगे अपना अनुभव साझा कर सकते हैं मगर मच
के बच्चे को पकड़ने की कहानी का कार्टून बन गया लेकिन साथ कौन पढ़ा कहां पढ़े और डिग्री का कोई फोटो सामने नहीं आ रहा जब आप खुद से बता रहे हैं कि बचपन में मगरमच्छ के बच्चे को घर ले आए तो डिग्री भी दिखा दीजिए या फिर आप दिल्ली यूनिवर्सिटी के मुंह से अपनी डिग्री खुद निकाल लाइए और देश को दिखा दीजिए प्रधानमंत्री के जीवन का यह कौन सा कोना है जहां कोई मोमबत्ती भी लेकर जाता है खलबली मच जाती है डिग्री तक पहुंचने वाली रोशनी की हर किरण की सप्लाई काट दी जाती है कोई
भी यूनिवर्सिटी गर्व करना चाहेगी लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी कहती है कि अजनबी को नहीं दिखाएंगे सूचना का अधिकार कानून था जिसकी बुनियाद पर इलेक्टोरल बंड का कानून असंवैधानिक माना गया और यहां सूचना आयोग के दोदो आदेश को दोदो यूनिवर्सिट चुनौती दे रही हैं है ना कमाल की बात सूचना आयुक्त ने कहा कि हर यूनिवर्सिटी एक सार्वजनिक संस्थान है यूनिवर्सिटी के पास जितनी भी डिग्रियां हैं सब पब्लिक डॉक्यूमेंट हैं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली यूनिवर्सिटी ने शुरू में कहा कि उसे यह बताने में दिक्कत नहीं है कितने छात्र परीक्षा में बैठे उत्तीर्ण हुए या असफल हुए लेकिन
सभी छात्रों का रोल नंबर पिता का नाम अंक इन सबके साथ जानकारी देने में दिक्कत है गुजरात हाई कोर्ट में भी सूचना आयोग के आदेश को चुनौती दी गई यूनिवर्सिटी से कहा गया कि आप डिग्री दिखाइए लेकिन मई 2023 में गुजरात यूनिवर्सिटी ने कोर्ट में चुनौती दी कोर्ट ने डिग्री दिखाने की मांग खारिज कर दी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी डिग्री खुद ही दिखा देनी चाहिए अजीब हाल हो गया है चुनाव आयोग मतदाता सूची नहीं दिखाता डिग्री मांगो तो प्रधानमंत्री डिग्री नहीं दिखाते डिग्री उनकी योग्यता का पैमाना कहीं से नहीं है अगर डिग्री नहीं
भी होती तो भी प्रधानमंत्री बनने की क्षमता कम नहीं हो जाती लेकिन जिस तरह से पर्दा डाला जा रहा है उससे संदेह के बादल गहरा जा रहे हैं और संदेह सार्वजनिक जीवन में उचित नहीं है इसे दूर करना हर राजनेता का परम कर्तव्य है नमस्कार मैं रवीश कुमार