दोस्तों नमस्कार जब तक संसद में जाने की होड़ है जब तक विधानसभा में जाने की होड़ है एक दूसरे को गिराकर एक दूसरे को गिराने के लिए तमाम हथकंडे अपनाकर जब इतनी जबरदस्त लड़ाई है संसद और विधानसभा में जाने को लेकर तो फिर इन दोनों जगहों की सत्ता छोड़ना कौन चाहेगा जाहिर है इस देश का संविधान और इस देश का लोकतंत्र इसी आसरे जीता रहा कि अगर यह सत्ता सब कुछ विधानसभा के भीतर समा गई या संसद के भीतर समा गई तो फिर सत्ता तो तानाशाह हो जाएगी लेकिन यह कल्पना वाकई कभी किसी ने की
ही नहीं यहां तक कि जब संविधान बन रहा था उस वक्त संविधान सभा ने भी यह कल्पना तो नहीं की होगी कि इस देश के भीतर के वह तमाम संस्थान जो उस लोकतंत्र को जिंदा रखते हैं उस लोकतंत्र की निगरानी करते हैं उस निगरानी तंत्र को ही एक झटके में सत्ता अपने अनुकूल कर ले यह कल्पना किसने की होगी और शायद इसीलिए संविधान सभा में भी यह सवाल कभी उठा ही नहीं कि कोई राजनीतिक सत्ता इस देश के तमाम संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा कर लेगी या फिर तमाम संवैधानिक संस्थान सत्ता के अनुकूल काम करने लग
जाएंगे शायद इसीलिए लिए बीते 10 वर्षों में आपने कभी भी केंद्र की सरकार को लेकर किसी करप्शन की आवाज को संसद के भीतर सुना नहीं होगा और अब तो विधानसभा के भीतर भी बहुत सारी चीजें मैनेज हो जाती है लेकिन जिक्र जब इस देश के सबसे बड़ी प्रीमियर वच टॉक इंस्टिट्यूशन का होगा उसमें सीएजी का जिक्र होगा जो इस देश में फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी और कप्स पर निगरानी रखती है वह जानती समझती है कि इस देश में आम जनता का पैसा टैक्स पेयर का पैसा जो सत्ता के पास आता है उस पैसे का गुलछर्रे कोई नहीं
उड़ाए और जो पैसा देश के खजाने में जाता है उसका भी सही उपयोग हो लेकिन यह उपयोग नहीं हुआ इसीलिए अरविंद केजरीवाल को शराब नीति के जरिए कटघरे में खड़ा कर दिया गया और एक सीजी रिपोर्ट का जिक्र लगातार होते चला आया उस सीएजी रिपोर्ट के भीतर है क्या क्या यह सीएजी रिपोर्ट सिर्फ एक परसेप्शन की लड़ाई है जिसमें सीएजी में बैठे हुए अधिकारियों को लगा या खुद सीएजी को लगा कि इतना कुछ लाभ हो सकता था तो यह स्थिति तो इस देश के भीतर 2014 से पहले इस देश में टूजी स्कैम को लेकर भी
हुई थी जब 176000 करोड़ का एक परसेप्शन डेवलप किया गया कि राजस्व का नुकसान हो गया याद कीजिए कोयला घोटाला कोल ब्लॉक्स को जो बांटने का सिलसिला तो वह भी तो उसी परसेप्शन के आश्र जी रहा था 1700 हज करोड़ रुपए का नुकसान देश को हो गया संसद के भीतर बवाल बच गया हंगामा होने लगा और इस देश के भीतर मनमोहन सिंह सरकार की पूरी इमेज एक झटके में धराशाई हो गई उस दौर में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी स्कैम भी तो था उस दौर में कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर भी तो स्कैम था एक लंबी फेरिस थी
सत्ता बदल गई लेकिन उसी संसद के भीतर उसके बाद टूजी स्कैम या कोल ब्लॉक्स को लेकर ना तो सरकार किसी को जेल भेज पाई और ना ही सीएजी जो उस वक्त विनोद राय थे वह यह कहने की हिम्मत जुटा पाए कि उन्होंने जो परसेप्शन बनाया था वह कागज पर नहीं हकीकत में है उन्हें बाद में सॉरी कहना पड़ा तो क्या वाकई इस देश के संस्थानों के जरिए एक बड़ा खेल इस देश में लोकतंत्र को धराशाई करके होता है आज का दिन तो दिल्ली का है और आज का दिन उसके साथ ही सीएजी का भी है
और सीएजी के आसरे आज का दिन इस देश के भीतर मोदी सरकार को लेकर क्या वाकई सीएजी ने कोई रिपोर्ट इस दौर में रखी या नहीं रखी सब कुछ आज सुन लीजिए जान लीजिए यह इसलिए भी जानना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस देश में लोकतंत्र के आश्रय जिन संवैधानिक और स्वायत संस्थाओं के आश्रय संविधान की रक्षा और उसके तहत नियम कायदों का जिक्र जो होता है वह सब सिर्फ एक परसेप्शन कल तक था अब वह पॉलिटिकल टूल्स में तब्दील हो गया है राजनीतिक हथियार में बदल चुका है आज रिपोर्ट रखी गई आठ चैप्टर की रिपोर्ट है
लेकिन बहरहाल उस पर मत जाइए 2000 दो करोड़ 68 लाख का नुकसान हो गया जो शराब की नीति थी शुरुआत आज इसी से की जाए और इसमें जो चार महत्त्वपूर्ण आधारों को बताया गया कैसे यह नुकसान हुआ वह नुकसान की भरपाई क्या मौजूदा बीजेपी सरकार यह कहकर कर पाएगी कि देखिए हम इसी क्षेत्र में आगे बढ़ते और हम इतना वसूल लेंगे और आपने नुकसान कर दिया पहला पॉइंट था कि नन कफिंग मुंसिपल वार्ड्स में दुकान खोलने की इजाजत नहीं दी गई क्यों नहीं दी गई दे देनी चाहिए थी इसकी वजह से 941 करोड़ 53 लाख
रुपए का नुकसान हो गया यानी म्युनिसिपल वार्ड जो नॉन कंफर्मिंग म्युनिसिपल वार्ड थे उसमें दुकान क्यों नहीं खोला गया उस समय याद कीजिए एक परिसीमन था म्युनिसिपल वार्ड्स बढ़ रहे थे क्यों नहीं खोला गया एक पर पशन बनाया गया सीएजी को लगा कि अगर वहां भी चीजें हो जाती तो शायद इतना मुनाफा और हो जाता तो उन्होंने अपने हिसाब से निकाला 941 करोड़ 53 लाख नंबर जहन में रखिएगा दूसरा पॉइंट जो बताया गया कि ठेकेदारों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिए थे लेकिन सरकार फिर से टेंडर जारी कर सकती थी और टेंडर जारी करके वह कमा
सकती थी उसने ऐसा क्यों नहीं किया और इसकी वजह से तकरी 890 लाख 15000 करोड़ का नुकसान हो गया यानी पहली हिस्से में 941 करोड़ दूसरे हिस्से में 890 करोड़ दोनों को मिला दीजिएगा तो तकरीबन 1800 कोड़ के लगभग खेल हो चुका है उसके बाद आया कि जब कोरोना महामारी चल रही थी उस समय ठेकेदारों को जो नियम कानून है उसके विरोध या उसके खिलाफ जाकर छूट दी गई और बड़ी तादाद में शराब बिकने लगी और याद उस दौर को भी कीजिएगा कोरोना काल में तो दिल्ली में जैसे ही शराब दुकान खुली एक लंबी-लंबी कतारें
दिखाई देने लगी लोग घरों में कैद थे शराब पीना चाहते थे शराब पीने के लिए दुकानों में पहुंच गए और उन सबके बीच ठेकेदारों को नियम के विरुद्ध छु करर छूट दे दी गई उस दौर में दिल्ली सरकार कह रही थी कि दरअसल राजस्व का नुकसान होगा और इस देश की एक हकीकत तो पहले जान भी लीजिए इसके साथ ही इस देश में में शराब से होने वाला राज्यों को जो लाभ होता है और इस देश में पेट्रोल बेचकर जो केंद्र और राज्यों को लाभ होता है इसके अलावे कोई इकोनॉमी नहीं है जो राज्य और
केंद्र को बचा सकती है पेट्रोल डीजल पर लगने वाला जो टैक्स होता है और शराब पर जो टैक्स होता है जिसको आप जिस भी रूप में कीजिए वह अपने तौर पर इतनी बड़ी तादाद में होता है कि हर राज्य की पूरी इकोनॉमी चलती है तो वह भी आपने उस दौर में गड़बड़ी कर डाली जो की ठेकेदारों को नियम के खिलाफ जाकर छूट दे दी तो उसकी वजह से 144 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया और जो लोकल लाइसेंस धारक को उचित सिक्योरिटी डिपॉजिट लेनी चाहिए थी वह भी आपने नहीं ली तो इसकी वजह से 27
करोड़ का नुकसान हो गया इन सबको जोड़िए तो आएगा 2000 दो करोड़ 68 लाख रुपए यही व नुकसान है और यही वहां से सवाल है क्योंकि वालों के बीच जिन बातों का जिक्र किया गया उसमें तीन बड़ी महत्त्वपूर्ण बातें है एक पॉलिसी जो आपने बनाई बड़ी कमजोर थी दूसरा लाइसेंस प्रक्रिया में आपने गड़बड़ी कर दी तीसरा जो खास तौर से एक्सपर्ट जो विशेषज्ञों की राय थी उसको जो सुझाव थे वह आपने नहीं माने जो मनीष सिसोदिया उस समय थे देख रहे थे डिपार्टमेंट और डिप्टी सीएम थे नहीं माने अब इस पूरी प्रक्रिया के भीतर आपके
लिए एक सवाल तो होगा ही घोटाला कहां हुआ है पैसा कहां पर है और इस पूरी प्रक्रिया में एक बात जहन में रख लीजिए जब आप पॉलिटिक्स के नियम कायदे पढ़ेंगे तो इसमें कोई दो मत नहीं कि दिल्ली सरकार ने टीआरएस के साथ समझौता कि बीआरएस वही जो तेलंगाना में चुनाव हार गए वह भी एक पॉलिटिकल तौर पर विकल्प इस देश में बनना चाहते थे और उनकी सभा में तीन महत्त्वपूर्ण लोग गए थे इस देश से अखिलेश यादव अरविंद केजरीवाल और केरल के मुख्यमंत्री विजयन आए थे वो चाह रहे थे कि कांग्रेस से हटकर एक
नई चीजें क्रिएट हो लेकिन इस दौर में देखिए तो वहां के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी उनको भी जेल जाना पड़ा अरविंद केजरीवाल को भी जेल जाना पड़ा जमानत उनको भी मिल गई जमानत इनको भी मिल गई इस पूरी प्रक्रिया में कितने छापे पड़े क्या हुआ थोड़ी देर के लिए भूल जाइए और सोचना शुरू कीजिए क्या एक सीएजी इस देश के भीतर जब बनाई गई तो माना गया इस देश में कोई भी फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी जिस भी डिपार्टमेंट की होती है वहां पर जो पैसा है वह पैसा किस रूप में खर्च हो रहा है और उसको
खर्च जो किया जा रहा है वह किस-किस मद में खर्च किया जा रहा है हम एक चार्टेड अकाउंटेंट की तरह क्योंकि उसका काम ही यही है यही काम उसे करना है लेकिन एक झटके में अचानक एक परसेप्शन की लड़ाई इस देश में स्कैम के जरिए जो 20121 में शुरू हुई जब विनोद राय हुआ करते थे इस लकीर को इस देश के भीतर क्या हर किसी ने माना हर हर किसी का मतलब यह है कि हमारी टीम ने कहा बता डालिए विनोद राय के बाद शशिकांत शर्मा आए 2013 से 2017 तक सीएजी रहे उसके बाद राजीव
महर्षि आए 2017 से 2020 तक रहे उसके बाद गिरीश चंद्र मुरमू आए जो 2020 से 2024 तक रहे और फिर नवंबर 20224 में संजय मूर्ति आए हैं लेकिन जरा कल्पना कीजिए विनोद राय के वक्त में इस देश में जितनी भी सीएजी रिपोर्ट बनाई जाती थी राज्यों से हटकर केंद्र सरकार यानी यूनियन गवर्नमेंट को लेकर उसके बाद के किसी भी सीएजी ने इस देश में केंद्र सरकार यानी यूनियन गवर्नमेंट यानी मोदी सरकार के डिपार्टमेंट्स को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं बनाई और हर रिपोर्ट चकि इस देश के भीतर में टेबल की जाती है पार्लियामेंट के भीतर तो
आपको यह जानना होगा कि दरअसल ऐसी कौन सी स्थिति थी मौजूदा वक्त में सीएजी ने किसी भी डिपार्टमेंट को लेकर मोदी सरकार के ऊ पर कभी कोई कोई रिपोर्ट दी ही नहीं यह कौन सा खेल है लेकिन उस खेल से पहले हमें लगता है एक क्षण के लिए दिल्ली को लेकर जो बीजेपी के मंत्री एमएलए हैं और दूसरी तरफ जो आम आदमी पार्टी के आंदोलन के वक्त से जुड़े हुए गोपाल राय दोनों की बात एक साथ सुन लीजिए तब वह खेल खुलेगा कि इस देश के भीतर लोकतंत्र संविधान नियम कानून का राज और इन सब
से हटकर प पोलिटिकल टूल के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले संवैधानिक संस्थान कैसे काम करते हैं अरविंद केजरीवाल जी के लाख कोशिशों के बाद कैग रिपोर्ट भी सामने आई और उनके घोटाले की जानकारी भी सामने आई इस घोटाले का पता चला कि किस तरह से 40004 करोड़ रुप का रस्व का नुकसान हुआ दिल्ली सरकार को उनके दोस्तों को फायदा हुआ किस तरह से अरविंद केजरीवाल जी ने इस पॉलिसी में % से बढ़ाकर 12 पर कमीशन की और यह जस्टिफिकेशन दी उसकी कि क्योंकि लेबोरेटरी में से शराब का टेस्ट करना होता है इसलिए 7 पर
कमीशन बढ़ा दी जाए यह भी समझ में आया कि किस तरह पहले 111 लोग शराब का कारोबार करते थे उसकी जगह से अब कम करके 14 लोगों को मोनोपोली बनाकर काम दिया गया और वो भी तीन तीन लोगों को जो काम दिया वो 72 पर तीन लोगों के पास काम था उनमें से दो लोग अरविंद केजरीवाल के साथ जेल में बंद थे यह भी सामने आया कि जो शिकायतें थी 14 लोगों के खिलाफ उन शिकायतों को यह कह के दरकिनार कर दिया गया कि अभी समय नहीं है पढ़ने का टाइम बहुत कम है इसलिए इनको
काम दे दिया जाए और 12 लोगों को उसमें से काम मिल गया यह भी समझ में आया कि किस तरह से जिनके पास होलसेल थी रिटेल थी और मैन्युफैक्चरिंग थी तीनों काम एक ही आदमी को दिए गए जबकि पॉलिसी में स्पष्ट लिखा था कि जो मैन्युफैक्चर होगा या रिटेलर होगा वो होलसेलर नहीं हो सकता या होलसेलर होगा वो दोनों बाकी काम नहीं कर सकता लेकिन यहां तीनों तीनों काम एक एक आदमी को दिए गए क्योंकि वो दोस्त अरविंद केजरीवाल जी के थे दो साल से भारतीय जनता पार्टी यही रा गलाप रही है दो साल से
इन्होंने सारी एजेंसियों को लगाया ईडी को लगाया सीबीआई को लगाया दो साल से हजारों छापे मारे गए सारे जेल में डाल दिए गए सारी जगह जांच कर ली कुछ नहीं मिला आज तक भारतीय जनता पार्टी केवल काम से बचने के लिए नए नए हथ गंडे ढूंढ रही है बहाने ढूंढ रही है वैसे दिल्ली ही नहीं पूरा देश इंतजार कर रहा है कि शीश महल जिसका जिक्र हुआ उसके भीतर क्या वाकई सोने का कमोड था या नहीं था यह देश देखना भी चाहता है या सिर्फ यह शोर था क्योंकि इस दौर में अगर कैग की रिपोर्ट
शराब नीति को लेकर पैसों के हेरफेर को ना बता पाए और पैसा इस दौर में कहीं है ही नहीं एक परसेप्शन के जरिए एक बुलबुला तैयार कर लिया गया और उसके साथ-साथ इस दौर में दिल्ली को लेकर जो 14 और पेंडिंग सीएजी रिपोर्ट का जिक्र है एक क्षण के लिए उसको भी आप समझ लीजिए तब इस दिशा में जाएंगे इस देश के भीतर मोदी सरकार कैसे बच जाती और उसके खिलाफ कभी कोई बात आती क्यों नहीं नहीं है दिल्ली को लेकर पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य सेवाओं के मैनेजमेंट पर एक परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट नहीं रखी
गई दिल्ली परिवहन निगम की वर्किंग यानी कामगांव भी नहीं रखी गई डीटीसी में जो कामकाज होता है उसको लेकर भी सीएजी ने एक ऑडिट रिपोर्ट बनाई वह भी नहीं रखी गई दिल्ली में जो शराब आपूर्ति के परफॉर्मेंस क्या रहा इसको लेकर भी सीएजी ने का काम किया वह भी रिपोर्ट नहीं रखी गई इस देश के भीतर दिल्ली राजधानी है तो यहां पर जो वाहनों से जो वायु प्रदूषण होता है और हॉर्न बजाने से जो शांति भंग होती है इस पर भी एक परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट बनाई गई जो नहीं रखी गई 31 मार्च 2021 के लिए
देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों पर जिन बच्चों को राज्य अपने तौर पर देखता उनको लेकर भी परफॉर्मेंस रिपोर्ट ऑडिट रिपोर्ट बनाई गई नहीं रखी गई 202021 में रेवेन्यू इकोनॉमिक सोशल जनरल सेक्टर पर एक पीएसयू की रिपोर्ट बनाई गई थी जो नहीं रखी गई इसके अलावे 2021 2022 2023 में फाइनेंस ऑडिट रिपोर्ट थी नहीं रखी गई इस देश के भीतर में हर राज्य में बजट रखा जाता है जिसमें तमाम बातों का जिक्र होता है लेकिन आज हम सिर्फ सीएजी का जिक्र कर रहे हैं और यह भी बताया गया कि 2122 में अकाउंट फाइनेंस जो
था स्टेट का 202 2 में जो फाइनेंस अकाउंट था और जो एप्रोप्राइटिंग तरीके से हर आंकड़े पर काम किया है अब आइए असल खेल यही से शुरू होता है इस देश के भीतर में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को लेकर सीएजी ने कितनी रिपोर्ट दी यह आपको जानना चाहिए 2014 से पहले अगर एवरेज रिपोर्ट 100 रिपोर्ट सेंट्रल गवर्नमेंट को लेकर होती थी तो 2015 में वह एक झटके में 55 पर आ गई 2016 में एक भी रिपोर्ट नहीं रखी गई 2017 में आठ रिपोर्ट रखी गई 2020 में 14 रिपोर्ट रखी गई 2023 में उसके बाद का
आंकड़ा बतलाता है तकरीबन 21 रिपोर्ट रखी गई और उसके भी बाद का आंकड़ा बतलाता है 20222 में जो रिपोर्ट रखी गई वह भी लगभग 11 12 13 इसी रूप में थी तो आप कहेंगे रिपोर्ट तो रखी जा रही है बिल्कुल सही बात है लेकिन रिपोर्ट कैसी रखी जा रही है इसको बकायदा सीएजी ने अपनी साइट पर निर्धारित किया आपको जानकर हैरत होगी 2024 में सिर्फ चार पांच छह रिपोर्ट रखी गई जिसमें तीन सिक्किम की है तीन तेलंगना की है चार तेलंगना की है तीन सिक्किम के इसके अलावे कोई रिपोर्ट नहीं है यूनियन गवर्नमेंट यानी भारत
सरकार को लेकर आखिरी रिपोर्ट 10 अगस्त 2023 को पार्लियामेंट के पटल पर रखी गई थी लेकिन वह क्या था वो दरअसल था उड़ान यानी मिनिस्ट्री ऑफ सिविलाइजेशन से जुड़ा हुआ उड़े देश का आम नागरिक इसको लेकर एक रचना जो की गई थी मंत्रालय के जरिए उस परे काम हुआ था और कहा गया था कि देखिए इस पर कैग ने एक रिपोर्ट बनाई है हमने भी कहा यह अच्छी बात है इसके अलावे इसके अलावे जब परखना शुरू हुआ यूनियन गवर्नमेंट ने इससे पहले कोस किस इलाके में तो इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज सिस्टम पर एक रिपोर्ट बना दी
मैक्सिमम रिपोर्ट रेलवे को लेकर रखी कुछ कस्टम को लेकर रखी कुछ रेवेन्यू डिपार्टमेंट से लेकर रखी अपने-अपने तरीके से सरकार ने यह रिपोर्ट बनाई जिसको पढ़कर आप हैरत में आ जाएंगे इस देश का कोई भी मंत्रालय उसके भीतर की गड़बड़ी किसी को भी लेकर कैग ने कुछ नहीं किया सिर्फ एक बार किया था आप कहेंगे वह एक बार क्या था तो वह तो आपको जानना चाहिए क्योंकि यह अगस्त 2023 में रिपोर्ट रखी गई थी जब यह बताया गया था पहली बार की द्वारका एक्सप्रेस जो गुरुग्राम के बीच और द्वारका के बीच बन रही है 29
किलोमीटर की उसमें प्रति किलोमीटर 250 करोड़ 7 लाख रुपए का खर्च आ गया हंगामा मच गया था क्योंकि कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर ने सिर्फ 18 करोड़ 20 लाख का जिक्र किया था और यह 250 करोड़ 77 लाख यानी 29 किमी का खर्चा 7287 करोड़ जबकि होना चाहिए था 577 करोड़ वो आखिरी रिपोर्ट थी जिसमें नितिन गडकरी जी फंसते हुए दिखाई दिए देश में सरकार के गवर्नेंस को लेकर उंगली उठने लगी और उसके बाद यह आवाज आई क्या वाकई देश के अलग-अलग मंत्रालयों के भीतर भी कहीं ऐसा ही खेल तो नहीं है लेकिन सीएजी ने
कोई रिपोर्ट नहीं दी इस देश के मंत्रालय को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं दी यहां आप पूछ सकते हैं और आपके जहन में यह सवाल होना भी चाहिए कि जनाब जब किसी मंत्रालय में कोई गड़बड़ी हुई ही नहीं तो रिपोर्ट कैसे आती बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है इस देश में इस दौर में प्राइवेटाइजेशन और मोनेटाइजेशन के जरिए सरकार के मंत्रालयों का काकाज कैसे निजी हाथों में दिया गया और निजी हाथों में देने के साथ-साथ जो डिस इन्वेस्टमेंट चल रहा था उस डिस इन्वेस्टमेंट को लेकर जहां-जहां सरकार को लगा कि कुछ हिस्सा बेचना है उस
हिस्से पर कैग ने रिपोर्ट दे दी और वह हिस्सा चाहे एनएचआई से जुड़ा हुआ हो राष्ट्रीय इस्पात निगम से जुड़ा हो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया से जुड़ा हो या कुछ पीएसयू से जुड़ा हो जो कि बेचे गए उसको लेकर सीएजी यानी सरकार ने जिस पर चाहा कि कैक की रिपोर्ट आ जाए जिसके बाद व उसको बेच पाए उस परे कैक की रिपोर्ट आ गई इसके अलावे यह सवाल अब किसी के जहन में भी होना चाहिए कि वह कौन-कौन से कैसे-कैसे क्षेत्र थे सिर्फ एक तस्वीर आपको दिखला देते हैं याद कीजिए 202122 में सरकार ने कहा
था 6 लाख करोड़ रुपए कमाएंगे और वह मोनेटाइजेशन के जरिए कमाएंगे और उस वक्त इस बात की जानकारी दी गई कि इस देश के भीतर के जो अलग-अलग मंत्रालय हैं वहां से यह कमाई होगी और वह काम प्राइवेट सेक्टर को बेच दिया जाएगा मसलन सड़क के क्षेत्र में 1600 हज करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया रेलवे में 152000 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया पावर ट्रांसमिशन में 45200 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया पावर जनरेशन में 39000 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया नेचुरल गैस पाइपलाइन में 2446
करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया टेलीकॉम में 35000 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया वाटर हाउसिंग में 28900 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया यहां जब हम वाटर हाउसिंग कह रहे हैं तो कैग ने इस पर एक रिपोर्ट बनाई थी और जैसे ही वो रिपोर्ट आई उसके तुरंत बाद कुछ हिस्सा प्राइवेट सेक्टर को दे दिया गया कहा गया जी सरकार इसमें असफल है और सरकार प्राइवेट सेक्टर के जरिए कमाई करेगी माइनिंग में 2874 करोड़ का काम प्राइवेट सेक्टर को दिया गया एविएशन के क्षेत्र में भी जहां पर अडानी के
हिस्से में एयरपोर्ट्स गए वहां पर भी 20772 करोड़ रुपए का जिक्र उस मोनेटाइजेशन के हिस्से में आता है पोर्ट्स जो दिए गए जो पीएसयू के तहत यानी सरकार के जो पोर्ट्स थे वो जो दिए गए पोर्ट किंग को 12828 करोड़ दिए गए इस देश के कुछ स्टेडियम दिए गए प्राइवेट सेक्टर में 11450 करोड़ रपए जो अर्बन रियल स्टेट का पूरा का खेल है उसमें 15000 करोड़ रुपए प्राइवेट सेक्टर को दिए गए आप कहेंगे कि सरकार ने ये प्राइवेट सेक्टर को दे दिए हमारा सवाल ये नहीं है सवाल यह है कि सीएजी ने जो बजट के
तहत इस देश के भीतर मंत्रालयों के हिस्से में जो बजट जाता है उस बजट के तहत उनको जो काम करना होता है उस काम को वो नहीं करके वह बेचने की प्रक्रिया में आए और देश को लाभ हो रहा है यह बताया गया प्राइवेट सेक्टर को कैसे लाभ हो गया यह नहीं बताया गया अगर सरकारी तौर पर काम होता तो कितने में काम हो होता और प्राइवेट सेक्टर ने कितने में काम किया यह सब कुछ नहीं बताया गया इसका असर यह होता है कि इस देश के भीतर में जो पहला काम इस देश में चल
रहा था उसमें जो 6 लाख करोड़ का खेल था उसमें सबसे ज्यादा काम रोड में ट्रांसपोर्ट में हाईवे सेक्टर में कोल सेक्टर में सब कुछ महंगा हो गया यानी जहां पड़े पांव वहीं पर बंटाधार तो प्राइवेट सेक्टर के हाथ में उसने कमाने के लिए ही तो अपने पास ली थी सारी चीजें लेकिन उस परे कोई सीएजी की रिपोर्ट नहीं आई सवाल अब इसके आगे का है मान लीजिए पुरानी सारी चीजें हम मिटा डालते हैं तो सरकार तो एक कदम और आगे बढ़ गई और जो जानकारी आई उसमें नीति आयोग को भी लगा दिया गया कि
अब आप पूरे ग्राउंड वर्क कीजिए हर राज्य में जाइए अब तो तमाम जगहों पर हमारी ही सरकार है और जो हमारे मंत्रालय हैं वहां पर जो काम है उस काम के तहत उनको हमारे साथ जोड़िए और बताइए कि कितनी कमाई हम कर सकते हैं लेकिन उस कमाई को लेकर जो सीएजी की रिपोर्ट आनी चाहिए ना पहले राउंड में आई ना दूसरे राउंड में आएगी यह दूसरा राउंड जो है 2025 के अप्रैल से शुरू होगा न्यू फाइनेंशियल ईयर से क्योंकि पुराने फाइनेंशियल ईयर का डाटा जो निकल कर आया उसमें बताया गया कि तकरीबन जो 6 लाख
करोड़ का कमाई होनी थी उसमें लगभग 5 लाख 40000 करोड़ की कमाई उसमें हो गई है और सारी कमाई अब आखिरी दौर में है तो इस दौर में एनएचआई जो नेशनल हाईवे है उसको लेकर बड़ा काम चल रहा है और इसीलिए एक झटके में 23000 करोड़ रुपए वहां पर प्राइवेट सेक्टर के जरिए बढ़ा दिए गए इतनी कमाई हो जाएगी पहले 1.67 लाख करोड़ था अब बढ़ा के 1.90 लाख करोड़ हो गया है यानी इस देश के भीतर में जो पूरे राजस्व को चुना जो है वह कैसे प्राइवेट सेक्टर में शिफ्ट हो और जहां शिफ्ट ना
हो वहां पर जनता पर प्राइवेट सेक्ट का बोझ कैसे पड़े और सरकार जिम्मेदारी से मुक्त हो जाए और सीएजी कोई रिपोर्ट दे ही नहीं क्योंकि जो हमने पूरी लिस्ट आपको बताई उस पूरी लिस्ट में सिर्फ एक ही मंत्रालय निकल कर आया जो मुश्किल में गुरुग्राम और द्वारका के बीच जो सड़क बनाने का था क्योंकि तमाम मंत्रालयों का जो पूरा बजट रहता है उस बजट का एवरेज 35 से 45 फीदी हिस्सा सरकार के प्रचार प्रसार पर चला गया और वह भी उस मंत्रालय से जुड़ते हुए प्रधानमंत्री के जरिए जो पोस्टर देश भर में चिस्पा होते हैं
वह तमाम चीजों पर खर्च हो गया सीएजी को तो रिपोर्ट बनानी चाहिए थी सीए जी ने रिपोर्ट क्यों नहीं बनाई कोई जवाब आपको नहीं मिलेगा शायद इसीलिए अब यह बड़ा सवाल है क्योंकि आने वाले वक्त का आंकड़ा यह 6 लाख करोड़ जो था जो 20212 में शुरू हुआ 2025 के मार्च तक का यह खत्म हो रहा है इसके बाद का आंकड़ा लगभग दुगने का होने वाला है अब उसके जरिए जो माना जा रहा है पावर ट्रांसमिशन की मिनिस्ट्री होगी माइनिंग की मिनिस्ट्री होगी पेट्रोलियम की मिनिस्ट्री होगी यह प्राइवेट सेक्टर के लिए खुलेगी लेकिन इन मंत्रालयों
के भीतर को लेकर कोई कैक की रिपोर्ट आएगी नहीं जिसको पार्लियामेंट ले जाया जाए टेबल किया जाए तो फिर लौट है दोबारा दिल्ली को लेकर दिल्ली के भीतर भी क्या यह परसेप्शन की लड़ाई लड़ी गई और इस परसेप्शन के आसरे इस देश के भीतर जो सीएजी अपनी रिपोर्ट्स में बतलाती है कि हमने किस-किस राज्य में कितनी किनी सेंट्रल गवर्नमेंट यानी य यूनियन गवर्नमेंट को लेकर कोई भी रिपोर्ट आपको कभी भी बेचैन करेगी नहीं कि अच्छा आपने ऐसी रिपोर्ट दे डाली मसलन मार्च के महीने में 2023 यूनियन गवर्नमेंट को लेकर कैक किस पर काम कर रही
है आईटी ऑडिट ऑफ सीबीआई एसी ईएस जीएसटी एप्लीकेशन यूनियन गवर्नमेंट डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इनडायरेक्ट टैक्सेस जीएसटी यह एक रिपोर्ट आती है उसके बाद मार्च में एक और रिपोर्ट आती है यह भी इकोनॉमिक सर्विस मिनिस्ट्री से जुड़ी हुई है कंप्लायंस ऑडिट ऑब्जर्वेशन है यानी मंत्रालयों के अपने बजट को लेकर जो इससे पहले इस देश के भीतर जो निर्णय होते थे या पॉलिसी गत तरीके से जो निर्णय होते थे वह भी गायब हो गए दिसंबर 2022 कंप्लायंस ऑडिट ऑन यूनियन गवर्नमेंट डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू कस्टम ईयर ऑफ द मार्च एंड 2021 अब कैसी कैक की रिपोर्ट इस दौर
में क्यों डालूट हो गई और पूरा का पूरा इस देश के भीतर लोगों से जुड़ा हुआ जो मंत्रालय जो कामकाज था कहां गायब हो गया तो ऐसे में दिल्ली की यह रिपोर्ट जो सीएजी की है इसमें आपको कहीं पैसा दिखाई नहीं देगा परसेप्शन दिखाई देगा और उसके जरिए इस देश में सबसे प्रीमियर इंस्टिट्यूशन जो फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी को तय करता हो वह भी अगर डालूट हो जाए तो आप यह मत कहिए कि ईडी के रास्ते पर सीएजी है आप यह कहिए कि विधान सभा और संसद के भीतर लोकतंत्र को मत खोजिए वह एक बुलबुले में तब्दील
हो गया है और वह बुलबुला कैसे फोड़ा जाए इसको भी सत्ता जानती है वह बुलबुला कैसे बनाया जाए इसको भी सत्ता जानती है यही खेल है इस देश के भीतर के हर उस रिपोर्ट का जो कि करप्शन होते हुए भी करप्शन के दायरे में नहीं आता है बहुत-बहुत शुक्रिया बहुत-बहुत शुक्रिया