Point Nemo: The Loneliest Spot on Earth

1.12M views1823 WordsCopy TextShare
Zem TV
Point Nemo: The Loneliest Spot on Earth Face Reveal & QNA: https://youtu.be/zPXVS88OS2s Shorts Ch...
Video Transcript:
1977 में समंदर के अंदर दो बहुत अजीब आवाजें रिकॉर्ड हुई इनकी फ्रीक्वेंसी बहुत कम जबकि एंप्लीट्यूड बहुत बड़ा था इनको अमेरिका के एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के रडार ने रिकॉर्ड किया था लेकिन हैरानी की बात यह है कि यही सेम आवाजें 5000 किमी दूर दूसरे रेडर्स में भी रिकॉर्ड हुई कैलकुलेशंस के बाद इन आवाजों की लोकेशन का अंदाजा लगाया गया तो मालूम पड़ा कि यह साउथ पैसिफिक ओशन के एक इंतहा रिमोट एरिया में समंदर के अ अंदर जनरेट हुई थी उस वक्त इन आवाजों को ब्लूप का नाम दिया गया और इन पर रिसर्च शुरू कर दी गई
कि आखिर यह खौफनाक आवाजें किस चीज की थी जाहिरी तौर पर यह आवाजें किसी बहुत बड़ी चीज की होनी चाहिए थी लेकिन समंदर के इस हिस्से में ऐसा कुछ भी नहीं मिला कई सालों तक यही समझा जाने लगा कि समंदर के इस हिस्से के नीचे कोई बहुत बड़ा देव क्रिएचर रहता है लेकिन 2012 के बाद नेशनल ओशिया निक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अपना स्टांप बदलकर कहा कि 1977 में रिकॉर्ड होने वाली आवाजें ग्लेशियल मूवमेंट यानी ग्लेशियर्स के हिलने की वजह से जनरेट हुई थी पर सच्चाई क्या है इसके बारे में अभी तक कोई नहीं जान
पाया पर जिस पॉइंट पे यह आवाज रिकॉर्ड हुई थी वहां आज एक बहुत ही अनोखा काम किया जाता है साउथ पैसिफिक ओशन के ठीक इस पॉइंट पर समंदर का वो हिस्सा मौजूद है जिसकी चारों साइड्स पर हजारों मील तक जमीन का कोई भी हिस्सा नहीं है इसको ओशनिक पोल के साथ-साथ पॉइंट नीमो भी कहते हैं यहां से जमीन का करीबी टुकड़ा तकरीबन 2688 किमी दूर है और यह करीबी टुकड़ा भी किसी काम का नहीं क्योंकि यह साउथ पोल यानी एंटार्कटिका है पॉइंट नीमो से करीबी आबादी वाला लैंड मास चिली का साहिली हिस्सा है जो 3334
किमी जबकि दूसरी साइड पे न्यूजीलैंड है जो 4700 किमी दूर है यही वजह है कि पॉइंट नीमो को दुनिया का सबसे वीरान और बयाबान हिस्सा तसव्वुर किया जाता है इतना वीरान कि यहां सबसे करीबी ह्यूमंस जमीन पे नहीं बल्कि हैरत अंगेज तौर पे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में बैठे एस्ट्रोनॉट्स हैं जो दिन में एक या कभी दो मर्तबा पॉइंट नीमो के 400 किमी ऊपर से गुजरता है दुनिया से कटे रहने के बावजूद भी पॉइंट नीमो बे मकसद नहीं है समंदर के इस हिस्से के नीचे इंसानों की वो इंवेंशंस भी हैं जिसके लिए कभी पैसा दरिया की
तरह बहाया जाता था जी हां पॉइंट नीमो कब्रस्तान है टूटी हुई सेटेलाइट्स स्पेसक्राफ्ट्स और रॉकेट्स के टुकड़ों का पर सवाल यह उठता है कि पॉइंट नीमो डिस्कवर होने से पहले सेटेलाइट्स को कहां गिराया जाता था इनको गिराने की जरूरत ही क्यों पेश आती है और सबसे बढ़कर सेटेलाइट्स को ठीक पॉइंट नीमो तक लाया कैसे जाता है जम टीवी की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद नाजरीन पॉइंट नीमो साउथ पैसिफिक ओशन में 22 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर के एरिया पर फैला हुआ है यह इतना बड़ा एरिया है कि इसमें दुनिया का सबसे बड़ा मुल्क रशिया भी
फिट आ सकता है और उसके बावजूद भी इतनी जगह बच जाएगी कि इजिप्ट जैसी पांच कंट्रीज फिट आ सके पर इन 22 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर में इंसानों की कोई आबादी नहीं बसती इंसान तो इंसान यहां पानी के नीचे भी बहुत सारे सी क्रिएचर्स जिंदा नहीं रह सकते रिसर्चस का मा माना है कि यहां की कंडीशंस बहुत चैलेंजिंग है जिसमें सी लाइफ के लिए जिंदा रहना मुश्किल हो सकता है पॉइंट नीमो साउथ पैसिफिक ओशन के एक बहुत ही रिमोट और डीप एरिया में लोकेटेड है जहां पानी का टेंपरेचर ठंडा होता है और न्यूट्रिएंट्स ना होने के
बराबर पॉइंट नीमो एक ऐसी जगह पर है जहां ओशनिक करेंट्स की वजह से यानी पानी के तेज बहाव की वजह से न्यूट्रिएंट्स की कमी होती है यह पानी ओशन के इस हिस्से में गोल-गोल घूमता रहता है यानी पैसिफिक ओशन के दूसरे हिस्सों का पानी यहां सही से फ्लो नहीं हो पाता जिसकी वजह से यहां न्यूट्रिएंट्स की कमी होती है और जहां भी न्यूट्रिएंट्स कम होते हैं वहां प्लैंक टोन और दूसरे माइक्रोस्कोपिक ऑर्गेनिस्ट मस भी कम होते हैं जो फूड चेन का बायस बनते हैं इस एरिया में ओशन की गहराई लगभग 3700 मीटर या फिर 12100
फीट है इतनी गहराई तक सनलाइट का पहुंचना नामुमकिन है इसलिए यहां फोटोसिंथेसिस भी नहीं हो सकती यानी कोई सी लाइफ होती भी है तो वह डीप सी ऑर्गेनिस्ट मस जैसे स्क्विड्स बायो लुमिन सेंट फिश और दूसरे डीप सी क्रिएचर्स हो सकते हैं जो एक्सट्रीम कंडीशंस में सरवाइव कर सकें 1992 में पहली बार एक कैनेडियन इंजीनियर ने पॉइंट नीमो को मुख्तलिफ मैथमेटिकल कैलकुलेशंस करके डिस्कवर किया यह जगह इतनी रिमोट है कि जिसने इस पॉइंट को डिस्कवर किया आज तक वह खुद भी यहां नहीं गया 9 सालों के बाद 2001 में पहली बार इसको रशियन स्पेस एजेंसी
की तरफ से इस्तेमाल किया गया क्योंकि पॉइंट नीमो ओशन का वह हिस्सा है जो इंटरनेशनल वाटर्स में आता है यानी इसको कोई भी कंट्री ओन नहीं करती इसी वजह से दुनिया की मुख्तलिफ स्पेस एजेंसीज को यहां अपने स्पेस ऑब्जेक्ट्स गिराने के लिए किसी से परमिशन नहीं लेनी पड़ती 23 मार्च 2001 रशियन स्पेस स्टेशन मीर को लॉन्च हुए 15 साल गुजर चुके थे और अब वह इस काबिल नहीं था कि ज्यादा अरसे तक मिशन पे रहे तभी रशियन स्पेस एज ने उसको डी ऑर्बिट करके यानी अर्थ के ऑर्बिट से निकालकर पॉइंट नीमो में गिरा दिया मीर
के बाद दूसरी स्पेस एजेंसीज को भी यह जगह काफी मुनासिब लगी और अब वह भी इसको स्पेस क्राफ्ट डंपिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं पिछले 23 सालों में यह कब्रिस्तान बढता गया और आज पॉइंट नीमो के नीचे 260 से ज्यादा स्पेसक्राफ्ट्स का मलबा मौजूद है और अन करीब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी इसी पॉइंट नीमो पर दफन होने वाला है क्योंकि क नासा के मुताबिक आईएस की लाइफ 2030 तक है उससे पहले-पहले इसको डी कमीशन कर दिया जाएगा सेटेलाइट्स या स्पेसक्राफ्ट्स को बहुत ही प्रेसा अंदाज में बारीकी से बनाया जाता है करोड़ों डॉलर्स खर्च करने के
बाद भी यह हमेशा रहने के लिए नहीं बनते जैसे मुख्तलिफ प्रोडक्ट्स की एक्सपायरी डेट बनाते वक्त ही लिख दी जाती है ऐसे ही स्पेस में घूमने वाले ऑब्जेक्ट्स की भी एक एक्सपायरी डेट होती है और उस एक्सपायरी डेट के बाद उनको वॉलेटर क्रैश करना बहुत जरूरी होता है अगर ऐसा ना किया गया तो स्पेसक्राफ्ट आउट ऑफ कंट्रोल होकर कभी भी ऑर्बिट से निकलकर जमीन पे अनकंट्रोल्ड तरीके से गिर सकता है 1978 में कॉस्मस 954 जो एक सोवियत सैटेलाइट थी उसमें कोई मसला हुआ और उसका कांटेक्ट बेस स्टेशन से टूट गया अब वह सैटेलाइट बेकाबू होकर
कुछ वक्त तक अपने ऑर्बिट में रही लेकिन आखिरकार कई महीनों के बाद वह ऑर्बिट से निकलकर जमीन की तरफ बढ़ने लगी जिस चीज का डर था वही हुआ उसने अर्थ में अनकंट्रोल्ड एंट्री की लेकिन सबसे बड़ा खतरा इसका आउट ऑफ कंट्रोल होना नहीं बल्कि इसमें मौजूद न्यूक्लियर रिएक्टर था जिसकी वजह से इस सैटेलाइट को पावर मिलती थी यह सैटेलाइट तो आसमान में ही जलकर राख हो गई लेकिन रेडियो एक्टिव मटेरियल पूरे नॉर्थ कैनेडा में फैल गया उसके बाद एक ऑपरेशन स्टार्ट किया गया जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ इस रेडियो एक्टिव मटेरियल की तलाश और उसकी
सफाई था यह अपनी तर्ज का सबसे बड़ा ऑपरेशन था जिसको ऑपरेशन मॉर्निंग लाइट का नाम दिया गया खुशकिस्मती से इसमें किसी का कोई नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन इस हादसे के बाद सेटेलाइट्स को न्यूक्लियर के जरिए चलाने के नुकसान की एक झलक दुनिया ने देख ली इसके अलावा 1997 में ओकलाहोमा से ताल्लुक रखने वाली लोटी विलियम्स पार्क में वॉक कर रही थी कि अचानक उनके कंधे पर कोई चीज आकर गिरी मालूम पड़ा कि यह डेल्टा टू रॉकेट का एक टुकड़ा है जो मीलों दूर एटमॉस्फेयर में दाखिल होते वक्त बिखर गया था लोटी विलियम्स को इस
हादसे में कोई चोट नहीं लगी लेकिन इस हादसे ने सबकी आंखें खोल दी ऐसे वाकत फ्यूचर में पेश ना आए इसी वजह से स्पेस ऑब्जेक्ट्स को ओशन के वीरान हिस्सों के ऊपर ही गिराया जाता है जब तक पॉइंट नेमो डिस्कवर नहीं हुआ था इससे पहले भी यह काम पैसिफिक ओशन या फिर जमीन के रिमोट एरियाज में किया जाता था जब भी कोई सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट क्रैश करना हो तो उसमें लगे थ्रस्टर्स की मदद से पहले उसको ऑर्बिट से निकाला जाता है ऑर्बिट से निकालने के बाद भी वह अगले कई महीनों तक अर्थ के गिर्द घूमता
रहता है पर आहिस्ता आहिस्ता वह जमीन से करीब भी होता जाता है थ्रस्टर्स कब कहां किस वक्त और किस पोजीशन में एक्टिवेट करने हैं यह काम बहुत बारीकी से इंजीनियर्स कैलकुलेट करते हैं अर्थ के एटमॉस्फेयर में एंटर होने से पहले दोबारा थ्रस्टर्स को एक्टिवेट किया जाता है जिससे उसकी डायरेक्शन पॉइंट निमो की तरफ की जाती है याद रहे कि स्पेस में क्योंकि हवा नहीं है प्रेशर नहीं है इसी वजह से वहां किसी किस्म की फ्रिक्शन नहीं होती सेटेलाइट्स जो अपने ऑर्बिट में है वह बगैर पावर के अगले कई महीनों तक अपना ऑर्बिट नहीं छोड़ती इनकी
स्पीड बहुत तेज होती है नॉर्मली 15000 किमी पर आर और जब इसी स्पीड से वह एटमॉस्फेयर में एंटर होती हैं तो फ्रिक्शन की वजह से उनका टेंपरेचर 3000 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है और वह एक फायर बॉल की शक्ल इख्तियार कर लेती हैं यह टेंपरेचर उनमें लगे मेटल को गला करर राख कर देता है और ज्यादातर केसेस में मलबा गिरने से पहले ही भाप बनकर उड़ जाता है लेकिन कभी-कभी कुछ मलबा जमीन पर भी आ गिरता है जो अगर आबादी के ऊपर गिरे तो भारी नुकसान भी कर सकता है यही वजह है कि इनको
पॉइंट नीमो के 22 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर के एरिया पर टारगेट करके इंसानों को इस के नुकसान से महफूज रखा जाता है बात की जाए नाम की तो नीमो एक लैटिन वर्ड है जिसका मतलब है नो वन क्योंकि यहां ना इंसान रहते हैं ना समंदरी मखलूक और यह लोकेशन भी कुछ ऐसी है कि यहां से शिप्स का गुजर भी नहीं होता वसल्स ऐसी लोकेशंस को अवॉइड करती हैं जहां प्रॉब्लम की सूरत में मदद आना मुश्किल हो अगर आप पॉइंट नियमों में कभी फंस जाएं तो यहां शिप के जरिए मदद आने में दो हफ्ते लग जाएंगे और
3000 किमी तक ट्रैवल करने वाले हेलीकॉप्टर्स पूरी दुनिया में सिर्फ गिने-चुने ही हैं जिसमें स्की s92 अस् वेस्टलैंड aw101 और लॉक हीड मार्टिन v71 शामिल है और उनकी भी कोई गारंटी नहीं कि वह 3000 किमी का डिस्टेंस बिना रिफ्यूलिंग के तय कर सकें और अगर कर भी लिया तो वापसी का फ्यूल नहीं बचेगा पॉइंट ो तक पहुंचना और वहां अंडर वाटर रिसर्च करना साइंटिफिक कम्युनिटी का एक ख्वाब है हो सकता है आने वाले वक्त में यहां रिसर्च हो और 1977 में आने वाली आवाजों के राज बेनकाब हो सके उम्मीद है जम टीवी की यह वीडियो
भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स का बेहद शुक्रिया मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में
Copyright © 2025. Made with ♥ in London by YTScribe.com