Jang e Yarmouk | Khalid bin Walid

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The Kohistani
0:00 Pre Yarmouk 3:26 Hazrat Umer RA Orders 7:50 Roman King 19:48 The Yarmouk WAR 29:19 Final day of...
Video Transcript:
जंगे यर्म मुसलमानों की तारीख की सबसे बड़ी और सबसे फेमस जंग जिसमें एक तरफ रोमन एंपायर अपनी फुल ताकत के साथ 2 लाख की फौज लेकर खड़ी थी और दूसरी तरफ मुसलमान खालिद बिन वलीद की लीडरशिप में सिर्फ 300 मुसलमानों के साथ खड़े ब वेट खालिद बिन वलीद को तो इस जंग से पहले ही आर्मी चीफ के औधे से हटा दिया गया था तो फिर वो इस जंग के लीडर आखिर बने कैसे इस जंग की स्टोरी जंगे यर्म की स्टोरी बहुत ही इंटरेस्टिंग होने वाली है मुसलमानों ने पहले खलीफा अबू बकर रज अल्लाह ताला अन्हो
के दौर में उस वक्त की सुपर पावर्स रोमन और पर्जन एंपायर से हड्डा ले लिया था और जब हजरत उमर रज अल्ला ताला अन खलीफा बने तो मुसलमान खालिद बिन वलीद की लीडरशिप में इन दोनों एंपायर से यह सारा इलाका फतह कर चुके थे लेकिन जैसे ही हजरत उमर खलीफा बने उन्होंने खालिद बिन वलीद को उनकी पोजीशन आर्मी चीफ के ओहदे से हटा दिया जिसे हम इस वीडियो में एक्सप्लेन कर चुके और उनकी जगह अबू उबैद इब्ने ज्रह को मुसलमानों का नया आर्मी चीफ बनाया नाउ खालिद बिन वलीद के जमाने में मुसलमान डस्क जैसी बड़ी
सिटी को फतह कर चुके थे यह इतनी बड़ी सिटी थी कि यह आज तक सीरिया शाम का कैपिटल है तो अबू उबैद इब्ने जर्राह की लीडरशिप में मुसलमान इस सिटी से भी आगे बढ़े और रोमन एंपायर की एक दूसरी बहुत ही इंपॉर्टेंट सिटी तक पहुंचे एसा जिसे आज होम्स कहा जाता है एमेसा कोई आम सिटी नहीं थी इसकी लंबी-लंबी दीवारें थी और इन दीवारों के सामने एक बहुत बड़ी नहर बनाई गई थी ताकि कोई इस सिटी के दीवारों तक ना पहुंच सके अबू उबैद की लीडरशिप में मुसलमानों ने इस सिटी को चारों तरफ से घेर
लिया लेकिन अब मसला यह था कि जब मुसलमान इस सिटी तक पहुंचे तो ये दिसंबर के सखत सर्दी का मौसम था और यहां बहुत ज्यादा बर्फबारी हो रही और मुसलमान तो सारे अरब के गर्म डेजर्ट से आए तो वो इस सर्दी को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे काफी अरसा गुजरने के बाद भी मुसलमान इस सिटी को फतह नहीं कर सके और आखिर एक दिन मुसलमानों ने फैसला किया कि अब हम और थक गए तो वह इस सिटी को छोड़कर वापस जाने लगे यह तारीख में पहली दफा था कि मुसलमान किसी जंग को छोड़कर वापस जा
रहे थे यह देखकर अमसा का जनरल और आवाम बहुत खुश हुई और कहने लगे कि हमें पता था यह अरब इस सर्दी को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे तो इस सिटी के जनरल ने अपनी फौज को मुसलमानों पर हमले का हुकुम दिया ताकि मुसलमानों को यहां से जल्दी भगा सके जिसकी वजह से उसकी फौज किले से बाहर निकल आई और मुसलमानों का पीछा करने लगी जैसे ही यह फौज अपने किले के तोपों और तीरों की रेंज से बाहर निकली तो मुसलमानों की फौज अचानक रुक गई और इन पर हमला कर दिया और एट द सेम टाइम
मुसलमानों की इन दो फौजों ने भी आकर इस फौज पर हमला कर दिया और इस तरह यह सारी फौज खत्म हो गई और इनका जनरल मारा गया मुसलमानों की आर्मी की जबरदस्त प्लानिंग को देखकर यही लगता है कि जरूर यह खालिद बिन वलीद का ही मशवरा होगा अबू उबैद मुसलमानों की फौज लेकर वापस सिटी के पास आए अमसा के लोग जो अब तक बहुत खुश थे यह देखकर उनका सारा हौसला टूट गया और उन्होंने सिटी की गेट्स खोलकर अबू उबैद के सामने सरेंडर कर दिया नाउ अब फाइनली टाइम आ चुका था कि मुसलमान शाम सीरिया
से निकलकर रोमन एंपायर के कैपिटल तुर्की में कांस्टेंटिनॉपल जिसे आज इस्तांबुल कहा जाता है उसकी तरफ बढ़ते हैं लेकिन अचानक एक मैसेंजर मुसलमानों की कैपिटल मदीना से खलीफा उमर बिन खत्म का एक बहुत ही इंपॉर्टेंट लेटर लेकर फुल स्पीड मदीना से एमएस की तरफ पहुंचा और उस मैसेंजर ने सीधा जाकर यह लेटर अबू उबैद तक पहुंचाया इस लेटर में बहुत ही एक अजीब बात लिखी थी इसमें लिखा था कि बस इससे आगे मुसलमानों की फौज को बढ़ने की इजाजत नहीं है और यह क्लीयरली लिखा हुआ था कि एमएस के बाद कोई भी दूसरा इलाका फतह
नहीं करना एंड ऑफ कोर्स अबू उबैद और मुसलमानों की सारी फौज ने हजरत उमर के इन ऑर्डर्स को बगैर किसी क्वेश्चन के मान ली लेकिन अब हजरत उमर के इस ऑर्डर से एक बहुत बड़ा मसला यह हुआ कि मुसलमानों की फौज की स्पीड जो इससे पहले ही खालिद बिन वलीद के हटाने से बहुत ही स्लो हो चुकी थी अब ऑलमोस्ट खत्म हो गई और इतनी स्लो हुई कि अमीर इस मैप को देखें हजरत अबू बकर रज अल्ला ताला अन्हो ने इससे पहले अपनी सिर्फ दो साल की खिलाफत मदीना से डमक तक ये इतना बड़ा इलाका
फतह किया था लेकिन अब हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन के पहले दो सालों में मुसलमान डस्क से सिर्फ इतना ही आगे जा पाए लेकिन अब क्वेश्चन यह था कि हजरत उमर आखिर क्यों क मुसलमानों को आगे बढ़ने से रोक रहे थे क्योंकि हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन्हो को लीडरशिप की ट्रेनिंग खुद रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दी थी और आप सल्लल्लाहु अ वसल्लम को भी एक जमाने में मक्का वालों ने ऑफर दी थी और वो ऑफर यह थी कि हम आपको मक्का का बादशाह बना देंगे अगर आप अपने खुदा के साथ सा हमारे
खुदाओं को भी सही कहे लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये आसानी का रास्ता अपनाने के बजाय इस ऑफर को ठुकरा दिया और कई साल तक मक्का वालों के जुल्मों को बर्दाश्त करते रहे इसी तरह हजरत उमर रज अल्लाह ताला अहो को भी पता था कि मुसलमानों के इन हर तरफ हमलों से मुसलमानों की यह एंपायर तो बहुत फैल जाएगी और वह खुद बहुत बड़े बादशाह तो बन जाएंगे लेकिन इससे इस्लाम को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि अगर आज देखा जाए तो पूरी दुनिया में ऑलमोस्ट 2 बिलियन मुसलमान है लेकिन 2 बिलियन होने के बाद
भी मुसलमानों की आज कोई हैसियत नहीं है तो हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन्हो चाहते थे कि चाहे मुसलमान नंबर्स में कम भी हो लेकिन सच्चे मुसलमान मतलब हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन्हो को अपनी हुकूमत से ज्यादा इस्लाम की फिक्र थी तो उन्होंने दोबारा हजरत अबू उबैद की तरफ एक लेटर भेजा जिसका का मफू यह था कि अब तुम सिर्फ एक आर्मी चीफ नहीं बल्कि पूरे शाम के गवर्नर और पहले इस्लामिक लीडर हो तो आप सिर्फ जंगो से ज्यादा लोगों को इस्लाम सिखाओ और यहीं से पहली बार अरब से बाहर लोग इस्लाम के सिस्टम
को जानने लगे इससे पहले हजरत अबू बकर रज अल्ला ताला अन के दौर में मुसलमान इतनी टेंस सिचुएशन में थे कि उन्हें इन नए इलाकों में इस्लामिक निजाम कायम करने का टाइम नहीं मिला तो अब हजरत उमर रज अल्ला ताला अन्हो ने पहली बार दुनिया के सामने एक नया सिस्टम रखा खिलाफत का सिस्टम और हजरत उमर रज अल्ला ताला अन ने बहुत सोच समझ के हजरत अबू उबैद को इस काम के लिए चूज किया क्योंकि अबू उबैद इब्ने ज्रह रज अल्लाह ताला अन इस्लाम के पहले 10 मुसलमानों में से थे और इस्लाम लाने के बाद
वो रसूलल्लाह सला वसल्लम की हर डिसीजन में उनके साथ शामिल थे और इस्लाम के साथ इतने लॉयल थे कि जब जंगे बदर में मुसलमान और काफिर एक दूसरे के सामने हुए तो अबू उबैद के वालिद दुश्मनों की फौज में थे और फिर जब जंग शुरू हुई तो अबू उबैद के वालिद उन्हीं के हाथों से मारे गए जिसके बाद इनकी इला के साथ कमिटमेंट पर किसी को कोई शक नहीं था इसीलिए हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन्हो ने खालिद बिन वलीद को हटाकर इन्हें मुसलमानों का नया लीडर बनाया क्योंकि अब जंग से ज्यादा एक ऐसे लीडर
की जरूरत थी जो लोगों को इस्लाम का असल मकसद सिखा सके तो हजरत अबू उबैद रज अल्ला ताला अन्हो ने पूरे शाम को छोटे हिस्सों में डिवाइड करके यहां के नए गवर्नर्स लगाए और खुद सबसे फ्रंट वाली सिटी एमेसा में अपना नया हेड क्वार्टर बनाया ताकि अगर मुसलमानों को कोई भी खतरा हो तो सबसे पहले इनको पता चले और अपने राइट हैंड खालिद बिन वलीद को शाम के असल कैपिटल द मश का गवर्नर बनाया और आम्र इब्ने आस को उर्दन जॉर्डन का गवर्नर लगाया और इन इलाकों में बिल्कुल इस्लाम के सिस्टम के मुताबिक जकात और
जजिया का सिस्टम राइज किया इस्लामिक कोर्ट्स और अदालतें भी बनाई और इवन एक पुलिस का सिस्टम भी बनाया और सबके सामने यहां के ताकतवर लोगों को उनकी पोजीशन से हटाकर आम लोगों की तरह उनको सजाएं दी यह सब जब रोमन एंपायर की आवाम ने देखा तो व हैरान हुए कि ये लोग तो हमारी पिछली हुकूमत से बहुत बेहतर हैं आखिर एक साल से भी ज्यादा अरसा गुजर गया और वो मुसलमानों ने एमएस के बाद और कोई भी सिटी फतह नहीं की बल्कि इस टाइम को यूज करके अपने इस एंपायर को मजबूत करने की कोशिश की
लेकिन इस सारे टाइम से ऑलमोस्ट एक साल से रोमन एंपायर के बादशाह को भी टाइम मिला कि वो मुसलमानों के खिलाफ एक बहुत बड़ी फौज बना सके लेकिन अब रोमन एंपायर इतनी कमजोर हो चुकी थी कि मजबूरन रोमन एंपायर के बादशाह हर कल राक लेयस ने एक ऐसा काम किया जो इससे पहले सोचना भी इंपॉसिबल था हुआ यू कि रोमन एंपायर के बादशाह हरकर ने पर्जन एंपायर के बादशाह के तरफ पहली बार दोस्ती का हाथ बढ़ाया और सिर्फ यही नहीं बल्कि अपनी पोती की शादी भी पर्जन एंपायर के बादशाह से कराए और इस तरह तारीख
में पहली बार रोमन और पर्शियन एंपायर सिर्फ दोस्त नहीं बल्कि रिश्तेदार बन गए यह बहुत ही इंपॉसिबल बात थी क्योंकि इससे पहले रोमन और पर्शियन एंपायर पिछले 800 साल से एक दूसरे के बहुत बड़े दुश्मन लेकिन अब इन दोनों अंपायर्स में मुसलमानों का इतना खौफ बैठ चुका था कि इन्होंने पिछले 800 साल की दुश्मनी बुलाकर एक दूसरे के साथ दोस्ती करली ये ऐसा ही था जैसे आज पाकिस्तान और इंडिया किसी और के खिलाफ एक हो जाए और इवन वर्स फलस्तीन और इजराइल किसी दूसरे के खिलाफ एक दूसरे के दोस्त बन जाए जो इंपॉसिबल लेकिन हजरत
उमर रज अल्ला ताला अ की खिलाफत मुसलमानों के खौफ ने इन्हें एक होने पर मजबूर कर दी तो अब इन दोनों अंपायर्स ने मिलकर मुसलमानों के खिलाफ अपनी-अपनी अंपायर्स में बहुत बड़ी फौज जमा करना शुरू कर दी जिसके बाद जंगे यरब और जंगे कादसिया जैसी असीम जंगे लड़ी गई रोमन बादशाह ने अंता किया में अपने सारे जनरल्स की एक मीटिंग बुलाई जिसमें उसने एक सिंपल सा क्वेश्चन पूछा कि आखिर क्या वजह है कि हम इन मुसलमानों से नंबर्स में ज्यादा होने के बावजूद हर जंग में हार जाते हैं जिस पर उनके सारे जनरल्स ने एक
ही जवाब दिया कि मुसलमानों की फौज का जो आर्मरर है व हमारी फौज से बहुत ही हल्का होता है इसीलिए उनकी स्पीड हमेशा हमसे बहुत तेज होती है और मुसलमान हमसे कभी एक जंग में नहीं लड़ते बल्कि हमेशा छोटे-छोटे ग्रुप्स में लड़ते हैं तो रोमन बादशाह यह सब सुनकर अपने तखत से खड़े हुए और कहा कि अब इन सारी बातों का सिर्फ एक ही आ और अगर तुम मेरे जनरल्स हमेशा के लिए अरबों की गुलामी से बचना चाहते हो तो पूरी रोमन फौज को इधर अंता किया में जमा होने का हुकुम दो और साथ ही
उसने अपने सारे सूबों के गवर्नर्स की तरफ लेटर्स भेजे कि जो भी नौजवान जंग करने के काबिल हो उसे चाहते या ना चाहते हुए रोमन एंपायर की फौज में शामिल करके अंता किया की तरफ भेजा जाए जिसकी वजह से अंता किया में रोमन एंपायर की एक बहुत बड़ी फौज लाखों की फौज जमा होने लगी और इनका प्लान यह था कि अब मुसलमानों की इन छोटी-छोटी ट्रिक से निकलकर आमने सामने होकर एक बहुत बड़ी जंग लड़ी जा अब जब यह सब कुछ यहां पे हो रहा तो वहां एमएस में मुसलमानों के जनरल अबू उबैद इने जर्राह
को रोमन बादशाह के हर मूव की खबर मिलती जा रही थी जिससे वहां पर मुसलमान बहुत ही टेंशन में थे कि अब आखिर हम क्या करेंगे इतनी बड़ी फौज का मुकाबला कैसे करें क्योंकि अब हर तरफ से रोमन एंपायर मुसलमानों से बदला लेने के लिए इनकी तरफ बढ़ रही थी मुसलमानों की इस घबराहट को देखकर अबू उबैद ने जल्दी से एक दूसरी मीटिंग बुलाई और अपने सारे ज जनरल्स को बुलाकर पूछा कि अब हमें इतनी बड़ी फौज के सामने क्या करना चाहिए जिस पर सारे जनरल्स के मशवरे से यह फैसला किया गया कि हमें अमसा
जिसे आज के जमाने में होम्स कहा जाता है इस सिटी को बगैर किसी लड़ाई के छोड़कर यहां से वापस दमस्क की तरफ जाना चाहिए जिधर उस वक्त खालिद बिन वलीद अपनी फौज के साथ मौजूद थे लेकिन जाने से पहले अबू उबैद इब्ने जरा ने इस सिटी के फाइनेंस मिनिस्टर को बुलाया और उसे ऑर्डर्स दिए कि यहां जितने लोगों से भी जजिया टैक्स लिया गया था उ उ सबको वो पैसे वापस कर दिए जाए क्योंकि यह जजिया टैक्स हमने इनकी हिफाजत के लिए लिया था और अब जब हम इनकी और हिफाजत नहीं कर सकते तो इस
टैक्स पर भी अब हमारा कोई हक नहीं है तो इधर मुसलमान इस सिटी को छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे थे और वहां वोह फाइनेंस मिनिस्टर अपनी टीम के साथ एमएस के हर घर-घर तक जाकर लोगों को उनके टैक्स के पैसे वापस दे रहा है यह देखकर यहां के लोग अगेन हैरान रह गए कि आखिर यह क्या मखलूक है कि हम तो सिर्फ इस बात पर खुश थे कि इन्होंने हमारे इलाके करने के बाद हमें नहीं मारा और हमारी औरतों को भी कुछ नहीं कहा और हमारी जमीनें भी नहीं ीनी और अब इस सब के
बाद भी यह हमसे लिया गया टैक्स भी वापस करके जा रहे हैं इनमें से एक बंदे ने मुसलमानों के जनरल के पास आकर यह तक कहा कि खुदा आप लोगों को हमारे ऊपर दोबारा लाए तो आखिर मुसलमान इस सिटी होम्स को छोड़कर यहां से दमस्क की तरफ रवाना हुए जहां खालिद बिन वलीद अपनी फौज के साथ इनका इंतजार कर रहे थे दमस्क पहुंचते ही दोबारा सारे जनरल्स की मीटिंग स्टार्ट हुई कि अब आगे हमें क्या करना चाहिए अब जब यह मीटिंग चल ही रही थी कि अचानक एक मैसेंजर जॉर्डन उर्दन से अमर इब्ने आस का
लेटर लेकर अबू उबैद के पास पहुंचा और इस लेटर में लिखा था कि रोमन एंपायर की फौज की ताकत को देखकर सिर्फ जॉर्डन में नहीं बल्कि हर तरफ बहुत सारे क्रिश्चन बगावत कर रहे हैं और अब जब उन्होंने यह भी देखा कि मुसलमान उस फौज के डर से एमेसा छोड़कर वापस आ चुके हैं तो उनका कॉन्फिडेंस और भी बढ़ चुका है और हर तरफ इन बगावत को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो चुका है आप मुसलमान दोनों तरफ से फंस चुके थे मतलब इनके सामने रोमन एंपायर की 2 लाख की फौज इनके तरफ बढ़ रही थी
और इनके पीछे हर तरफ लोग बगावत कर रहे थे तो मुसलमान जनरल्स को समझ आ गई थी कि अब यहां दमस्क में रहना भी बहुत ही डेंजरस काम है लेकिन दमस्क इतनी बड़ी सिटी थी मतलब यह फैसला इन जनरल्स ने नहीं बल्कि मदीना में खलीफा उमर बिन खत्म और उनके मिनिस्टर्स अब्दुल रहमान बिन औफ उस्मान और अली रज अल्ला ताला अन्हो ने करना था तो सिर्फ कुछ ही दिनों में डायरेक्ट मदीना से उमर बिन खत्म का लेटर दमस्क पहुंचा जिस में लिखा था कि फैसला हो चुका है कि दमस्क की इस सिटी को छोड़ दिया
जाए और सिर्फ दमस्क को नहीं बल्कि पूरे शाम को छोड़ दिया जाए और यहां से पीछे हटकर कोई ऐसी जगह जंग के लिए सेलेक्ट कर जिसकी लोकेशन ऐसी हो कि उसके पीठ के पीछे अरब का इलाका हो ताकि पीछे से कोई बगावत ना हो सके और हमारे सारे दुश्मन हमारी आंखों के सामने हो तो फौरन हजरत उमर रज अल्ला ताला अन्हो के इस ऑर्डर पर काम शुरू हो गया और मुसलमान दमशरस हटे और जॉर्डन में आम्र इब्ने आस की फौज की तरफ रवाना हुए बट जान आने से पहले यहां के सारे लोगों से भी जो
टैक्स लिया गया था अबू उबैद ने वो टैक्स वापस करने का हुकम दिया और यहां के लोग भी हैरान हुए कि ये ये कौन लोग हैं आखिर आखिर मुसलमानों की ये फौज और आम्र इब्ने आस की फौज यर्म के दरिया के पास एक दूसरे के साथ मिल गई और साथ ही शाम में मुसलमानों की जितनी भी फौज वो सारे भी आकर मुसलमानों की इस फौज के साथ शामिल हो और यह सब रोमन एंपायर की फौज का इंतजार करने लगे वहां मदीना में भी हजरत उमर रज अल्लाह ताला अन और उनके सारे मिनिस्टर्स बहुत टेंशन में
थे कि अब इतनी बड़ी फौज का मुकाबला कैसे करें क्योंकि यह अब तक इस्लाम की तारीख की सबसे बड़ी जंग थी तो उन्होंने इस फौज की मदद के लिए मदीना में इस फौज के लिए लोग जमा करना शुरू कर दिया तो हजरत उमर रज अल्ला ताला अन ने मस्जिद नबवी में सबको बुलाकर एक बहुत ही जबरदस्त स्पीच की जिसमें सबसे पहले वो सहाबा भी सामने आए जो इस्लाम की पहली जंग जंगे बदर में भी शामिल थे और अब उनकी एज भी बहुत ज्यादा थी लेकिन यह जंग इतनी खतरनाक थी कि जंगे बदर के 100 सहाबा
इस जंग में शामिल होने के लिए तैयार हुए मतलब जंगे बदर के 313 में से 100 सहाबा जो एक बहुत बड़ा नंबर है तो यह बद्री सहाबा भी बिल्कुल जंगे बदर की तरह अब तलवार उठाकर जंगे यर्म की तरफ जाने के लिए तैयार हुए इन्हीं 100 सहाबा को देखकर 1000 और सहाबा भी इस जंग के लिए तैयार हुए और इन हजार सहाबा को देखकर 5000 और मुसलमानों ने भी यर्म की तरफ जाने का वादा किया यह देखकर हजरत उमर रज अल्ला ताला अ ने भी इरादा किया कि वह खुद इस जंग को रमक में लीड
करेंगे लेकिन फिर बाकी सहाबा ने उन्हें समझाया कि यह जंग जीतना बहुत ही मुश्किल काम है और कहीं ऐसा ना हो कि मुसलमान यह जंग हार जाए और खलीफा को भी नुकसान पहुंचे तो इससे इस्लाम को बहुत बड़ा नुकसान होगा तो आप इस जंग के लिए खुद मत जाएं अब वहां यर्म के मैदान में एक तरफ 2 लाख और दूसरी तरफ सिर्फ 30000 की फौज खड़ी थी लेकिन काफी दिन गुजरने के बाद भी इन दोनों फौजों में कोई भी एक दूसरे पर हमला नहीं कर रहा था और कई हफ्तों तक रोमन कैंप से रात को
शराब और पार्टीज की आवाजें आती रहती थी और ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये लोग कोई जंग करने के लिए आए तो यह देखकर खालिद बिन वलीद ने सोचा कि जरूर इसके पीछे कोई ना कोई साजिश चल रही हो तो अचानक एक दिन रोमन जनरल वाहान का एक बंदा मुसलमानों की कैंप्स की तरफ आया और अबू उबैद से कहा कि हम आपसे लड़ना नहीं चाहते बल्कि आप लोगों के साथ एक डील करना चाहते हैं तो आप अपना कोई स्ट्रांग जनरल कल हमारी तरफ भेजे तो अबू उबैद रजि अल्लाह ताला अन्हो ने ऑफकोर्स खालिद
बिन वलीद को उनकी तरफ भेजा जैसे ही खालिद बिन वलीद वहां पहुंचे तो रोमन जनरल ने उन्हें डराने के लिए अपनी फौज को फुल सीधी लाइन में खड़ा किया और फुल आर्मरर भर दिया ताकि मुसलमान जनरल के दिल में रोमन एंपायर का खौफ बैठ जाए बट यह लोग किसको डरा रहे थे खालिद बिन वलीद को आई डोंट थिंक सो खालिद बिन वलीद इन सारी चीजों को इग्नोर कर सीधा रोमन जनरल के पास पहुंचे तो जनरल सारों के सामने खड़े हुए और अपनी स्पीच स्टार्ट की जिसमें उन्होंने जीसस क्राइस्ट की कुछ तारीफ करने के बाद अपने
बादशाह हर कल की तारीफ करना शुरू की और कहा कि हर कल रोमन बादशाह पूरी दुनिया का सबसे ताकतवर बादशाह है और जब वो इसकी कुछ ज्या ज्यादा ही तारीफ करने लगा तो खालिद बिन वलीद ने उसे रोक दिया और कहा यस मैं मानता हूं कि तुम्हारा बादशाह सबसे बड़ा बादशाह है हमारे बादशाह से भी बड़ा बादशाह लेकिन जिस आदमी को हमने अपना लीडर बनाया वो असल में कोई बादशाह है ही नहीं बल्कि खलीफा है और जिस दिन उसके दिल में बादशाहत की थोड़ी सी भी ख्वाहिश पैदा हुई हम उसको उसकी पोजीशन से हटा देंगे
और यह बात बिल्कुल सही थी क्योंकि अगर देखा जाए तो यरमौक के मुसलमानों की इस फौज में खलीफा उमर बिन खत्मा के अपने बेटे अब्दुल्लाह बिन उमर भी शामिल थे लेकिन किसी जनरल की हैसियत में नहीं बल्कि एक आम सोल्जर की तरह इसके अलावा पिछले खलीफा हजरत अबू बकर के बेटे अब्दुल रहमान बिन अबू बकर भी इस जंग में एक आम सोल्जर की तरह शामिल और इस फौज के जनरल सारे ऐसे लोग जिनका हजरत उमर रज अल्लाह ताला अहो के कबीले बनू आदी से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक नहीं था खालिद बिन वलीद ने ऑफकोर्स इस
मीटिंग में रोमंस की सारी ऑफर्स को रिजेक्ट कर दिया और वापस अपने कैंप्स की तरफ आए बट एक मिनट यह अजीब बात नहीं है कि रोमंस 2 लाख होने के बाद बाद में मुसलमानों से जंग नहीं बल्कि डील करना चाहते हैं असल में यह सब कुछ झूठ था रोमंस मुसलमानों से कोई डील नहीं बल्कि टाइम बाय करना चाहते थे याद है हमने कहा था कि इस जंग से कुछ ही अरसा पहले रोमन और पर्शियन एंपायर दोस्त ही नहीं बल्कि रिश्तेदार बन चुके थे और इन दोनों ने मुसलमानों के खिलाफ एक ही टाइम पर फौज जमा
करना शुरू कर दी तो रोमन एंपायर मुसलमानों से कोई डील नहीं बल्कि अपने दोस्त पर्जन एंपायर की फौज का इंतजार कर रही थी ताकि वो जल्दी रेडी हो और हम दोनों एक साथ ही मुसलमानों पर हमला करके इन्हें खत्म कर दे तो यह डील सिर्फ एक बहाना था जिसका खालिद बिन वलीद को पहले ही अंदाजा हो चुका था तो उन्होंने सीधा एक लेटर हजरत उमर रज अल्ला ताला अहो की तरफ भेजा कि यहां पे यह सब कुछ चल रहा है तो हजरत उमर रज अल्ला ताला अन्हो ने पर्शियन एंपायर में मुसलमानों की फौज की तरफ
ऑर्डर्स भेजे कि किसी भी हाल में पर्जन एंपायर के साथ जंग मत करो बल्कि उनके साथ नेगोशिएशन स्टार्ट करो कि हम आपसे और जंग नहीं करना चाहते और हम अपने इलाकों में वापस जा रहे हैं ताकि इससे पर्जन एंपायर की फौज स्लो हो जाए एंड इट वर्क्ड परजियन बादशाह यह सुनकर बहुत ही खुश हुआ और मुसलमानों से इन नेगोशिएशंस में उनका बहुत टाइम वेस्ट होने लगा तो इस तरह हजरत उमर रजला ताला अहो ने जबरदस्त प्लानिंग से पर्जन एंपायर से जंग का खतरा थोड़ा डिले कर दिया नाउ रोमन फोज रमक में अब भी पर्शियन फौज
का इंतजार ही कर रही लेकिन अचानक उन्होंने देखा कि मदीना से एक नई फौज ने आकर मुसलमानों की फौज को जवाइन कर लिया यह वही 6000 की फौज थी जो हजरत उमर रजला ताला अन्हो ने भेजी थी लेकिन इस फौज को ऑर्डर्स दिए गए कि तुम सारों ने एक साथ रमक के मैदान में दाखिल नहीं होना बल्कि हर दिन छोटे-छोटे ग्रुप्स 500 या हज लोगों ने इस मैदान में दाखिल होना है जिससे बहुत बड़ा फायदा यह हुआ कि हर दिन रोमन एंपायर सुबह उठती है और देखती है कि सामने एक नई फौज आकर मुसलमानों के
साथ मिल जाती तो आखिर रोमन जनरल वाहान ने सोचा कि अगर ऐसा ही चलता ना तो मुसलमानों को हराना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा तो आखिर एक दिन फाइनली ऑलमोस्ट एक महीने के बाद रोमन एंपायर की फौज अपने अपने कैंप्स को छोड़कर आगे बढ़ने लगी और बिल्कुल मुसलमानों के सामने आकर खड़ी हो गई यह देखकर मुसलमानों ने भी अपनी सफे सीधी की और दोनों फौज जंग के लिए तैयार हो इस एनिमेशन को देखें यह जंग उस जमाने में एगजैक्टली इसी तरह लग रही होगी क्योंकि यह है मुसलमानों की 300 की फौज और इनके सामने यह
खड़ी है रोमन एंपायर की 2 लाख की फौज इतना बड़ा डिफरेंस आजकल के कुछ मॉडर्न हिस्टोरियंस रोमन एंपायर की इस फौज को दो लाख से कम एक लाख के अराउंड कहती है लेकिन इस्लामिक सोर्सेस में से 5 लाख से 240000 के दरमियान बताया गया है सो लेट्स जस्ट टेक 2 लाख अबू उबैद ने अपनी फौज को ऑर्गेनाइज किया और अपनी फौज के पीछे अपने चार मेन जनरल्स खड़े किए आमर बिन आस शुरा हबील खालिद और यजद बिन अबी सुफियान जंग से सिर्फ एक रात पहले अबू उबैद ने अपने सारे जनरल्स की एक मीटिंग बुलाई और
इन सब ने मिलकर जंग की प्लानिंग करना शुरू की अब जब यह सारे इस जंग की प्लानिंग कर रहे थे तो अचानक अबू उबैद रजि अल्ला ताला अन्हो ने कहा कि आप सबका इस बारे में क्या ख्याल है कि हम सिर्फ इस जंग के लिए लीडर को बदल दें मतलब मेरी जगह खालिद बिन वलीद को इस जंग का लीडर बनाए और आर्मी चीफ मैं ही हूं क्योंकि हम खलीफा के ऑर्डर्स के खिलाफ नहीं जा सकते लेकिन सिर्फ इस जंग के लिए व्हाट डू यू थिंक इस पर सारे जनरल्स ने कहा कि यह क्या बात कही
आपने यह तो हम सब भी सोच रहे थे और जंग का असल मजा तो अब आएगा क्योंकि इन सब को पता था कि इस जंग में खालिद बिन वलीद जैसे दिमाग की बहुत सख्त जरूरत पड़ेगी तो अगले दिन मतलब जंग जंग यरब के पहले दिन अबू उबैद इने जर्रा अपनी पोजीशन से नीचे आए और आम जनरल्स की रैंक्स में खड़े हो गए और खालिद बिन वलीद पीछे आकर दोबारा आर्मी चीफ की पोजीशन पर खड़े हो गए और जंग शुरू हुई इस जंग में वह सारे ही बड़े सहाबा मौजूद थे जिनका नाम हम अहा दीस और
हिस्ट्री में बार-बार सुनते रहते हैं फॉर एग्जांपल अबूजर गफारी अबू हुरैरा अब्दुल्ला बिन उमर अबू अयूब अंसारी और 70 साल की उम्र में अम्मार बिन यासिर जिनके मां-बाप इस्लाम के पहले शोहदा थे यह सब इस जंग में मौजूद और अबू बकर उमर और उस्मान रज अल्ला ताला अन के बेटे भी इस जंग में शामिल थे जंग का पहला दिन 15 अगस्त साल 636 मतलब हजरत उमर रजला ताला अ की खिलाफत को दो साल हो चुके थे रोमन फौज ने नंबर्स में ज्यादा होने की वजह से पहले मुसलमानों पर हमला कर दिया और बहुत देर तक
लड़ाई हुई लेकिन इस दिन दोनों फौजों को कोई खास नुकसान नहीं हुआ क्योंकि दोनों ही फौज एक दूसरे की ताकत और हिम्मत को टेस्ट कर रहे थे और शाम होते दोनों फौज अपनी-अपनी पोजीशंस पर वापस चली गई इस जंग में एक रोमन सोल्जर जॉर्ज भी शहीद हुआ शहीद क्योंकि जंग से पहले ही जॉर्ज रोमन आर्मी को छोड़कर इस्लाम कबूल करके मुसलमानों के साथ शामिल हो ग और अपने इस्लाम के पहले ही दिन शहीद हो गया जंग के दूसरे दिन रोमन एंपायर ने मुसलमानों को सरप्राइज करने के लिए फजर के नमाज के डायरेक्ट बात मुसलमानों पर
हमला कर दिया बट खालिद बिन वलीद को इस सब का पहले ही अंदाजा था तो उनके पहुंचने से से पहले मुसलमान जंग के लिए बिल्कुल रेडी खड़े इस बार रोमंस ने बिल्कुल जोर से हमला किया और आखिर थोड़ी जंग के बाद मुसलमानों की राइट साइड पर जिसे आम्र बिन आस लीड कर रहे थे इतना प्रेशर पड़ा कि वह आहिस्ता आहिस्ता मेन लाइन से पीछे हटने लगे और आखिर इतना पीछे तक आ गए कि बिल्कुल मुसलमानों के कैंप्स तक पहुंच गए जहां मुसलमानों की औरतें और फैमिलीज मौजूद थी क्योंकि मुसलमान पिछले ती सालों से रोमन एंपायर
के अंदर रह रहे थे तो इनके साथ इनकी फैमिलीज भी अरब को छोड़कर यहीं पर आबाद हो चुकी जब इन औरतों ने देखा कि मुसलमान जंग से आहिस्ता आहिस्ता पीछे हट रहे तो उन्होंने अपने कैंप्स के सामने बहुत सारे ऊंटों को लाइन में खड़ा करके ऑलमोस्ट एक दीवार बना दी और खुद तलवार उठाकर रोमन एंपायर की फौज के सामने जंग में कूद पड़े जो इससे पहले कभी भी नहीं हुआ था और कुछ औरतें अपने कैंप से मुसलमान मर्दों पर पत्थर फेंकने लगी और कुछ ऐसे आशर पड़ने लगी ताकि मुसलमान मर्दों को जंग से पीछे हटने
में शर्म आए और वोह आगे बढ़े एंड इट वर्क्ड मुसलमानों की फौज और पीछे हटने से रुक गई और अपनी जगह पर मजबूती से खड़ी हो गई और उसी टाइम खालिद बिन वलीद अपनी फौज लेकर मुसलमानों की राइट साइड की हेल्प के लिए पहुंचे और फिर आमर इब्ने आस और खालिद रज अल्लाह ताला अन्हो ने मिलकर रोमन एंपायर की फौज को वापस खेल दिया और वहीं पर वापस लेके आए जहां से जंग शुरू हुई थी अब जब जंग दोबारा नॉर्मल हुई तो अचानक मुसलमानों की लेफ्ट साइड जिसे यजद बिन अबू सुफियान लीड कर रहे थे
और बर्दाश्त ना कर सकी और यह भी बिल्कुल उसी तरह आहिस्ता आहिस्ता अपने कैंप्स तक पहुंच गए जहां एक बार फिर मुसलमा मान औरतों ने तलवार उठाकर रोमन एंपायर के खिलाफ जंग में शामिल हो गई और बाकी औरतें फिर इन पर पत्थर फेंकने लगे और कुछ ऐसी पोएट्री करने लगे जिससे मुसलमानों का हौसला बढ़ सके और कहा जाता है कि इन औरतों में से एक हिंदा भी थी जिन्होंने जोर से एक पत्थर अबू सुफियान की तरफ फेंका और कहा कि अब जाकर अपने उन गुनाहों को साफ करो जो तुमने इस्लाम लाने से पहले किए थे
इस सब के बाद यह फौज भी अपनी जगह पर स्टेबल हो गई तो यह देखकर खालिद बिन वलीद अगेन राइट साइड से फुल स्पीड लेफ्ट साइड की मदद के लिए अपनी फौज के साथ दोबारा पहुंचे और फिर इस फौज को भी पीछे हटाकर जंग दोबारा वही ले गए जहां से शुरू हुई और फिर थोड़ी ही देर शाम होने के बाद रोमन फोज विदाउट गेनिंग एनीथिंग वापस अपने कैंप्स की तरफ चली गई रमक के तीसरे दिन रोमन एंपायर ने दोबारा मुसलमानों पर हमला किया और अगेन थोड़ी सी जंग के बाद उसी तरह मुसलमानों की राइट साइड
दोबारा पीछे हटने लगी लेकिन इन्हें इस बार ऑर्डर्स दिए जा चुके थे कि पिछली दफा की तरह सीधी लाइन में पीछे नहीं हटना बल्कि एक स्पेसिफिक एंगल में हटना है ताकि रोमंस की पूरी फौज दो में डिवाइड हो जाए और खालिद बिन वलीद सेंटर से इन पर हमला कर सके तो मुसलमान फौज ने भी एगजैक्टली ऐसा ही किया इसी तरह मुसलमान और रोमन शाम तक लड़ते रहे और दोनों साइड से बहुत सारे लोग मारे गए और शाम होते ही रोमन फौज दोबारा अपने कैंप्स की तरफ वापस चले गए जंगे रमक का चौथा दिन इस जंग
का सबसे खतरनाक दिन था जिसे आज भी द डे ऑफ लॉस्ट आइज कहा जाता है इस बार रोमन जनरल वाहान ने अपनी स्ट स्टेजी बिल्कुल बदल दी और सुबह होते ही सिर्फ अपनी लेफ्ट साइड की फौज को मुसलमानों पर हमले का हुकुम दिया और दूसरी फौज को आहिस्ता आहिस्ता लेकर आगे बढ़ने लगा वाहन का यह प्लान बहुत ही जबरदस्त था क्योंकि कुछ ही देर के बाद अगेन मुसलमानों की राइट साइड जंग से पीछे हटने लगी खालिद बिन वलीद ने ये देखकर सिचुएशन संभालने के लिए अबू उबैद और यजद को हुकुम दिया कि यही खड़े रहने
के बजाय तुम रोमन फौज पर हमला कर दो और खुद राइट साइड पर मुसलमानों की मदद के लिए पहुंचे अबू उबैद और उसकी फौज ने आगे जाकर रोमन एंपायर को काफी देर तक रोका रखा और काफी देर तक जंग इसी तरह चलती रही आखिर रोमन जनरल ने अपने आर्चर्स को आगे किया और उन्होंने अबू उबैद की फौज पर तीर बरसाना शुरू कर दिए जिससे बहुत सारे मुसलमान शहीद हुए और जो मुसलमान बच गए उनमें से 700 लोगों के आंखों में तीर लगी जिससे वो ऑलमोस्ट ब्लाइंड हो गए जिससे मजबूरन अबू उबैद की फौज आहिस्ता आहिस्ता
पीछे हटने लगी अब चौथे दिन पहली बार मुसलमानों की राइट और लेफ्ट दोनों फौज इतने पीछे चली गई कि दोनों फौज अपने कैंप्स तक पहुंच गई और वहां एक बार फिर औरतों ने अपने कैंप से निकलकर तलवार उठाकर रोमन एंपायर के खिलाफ लड़ना शुरू कर दिया और बाकी औरतों ने दोबारा मुसलमानों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिए ताकि उनकी अरब गैरत जाग सके रमक के इस जंग में मुसलमान औरतों के इस रोल से बाद में एक मुसलमान सोल्जर ने यह भी कहा कि उस दिन यर्म के दिन हमें रोमन एंपायर की फौज से इतना डर
नहीं लगता था जितना इन औरतों की बातों और पत्थरों से लगता था इसी तरह मुसलमानों की फौज रोमन एंपायर से बहुत छोटी होने के बाद भी अपनी जगह पर मजबूत ू से खड़ी हो गई जिस पर रोमन सोल्जर्स भी हैरान थे कि हम इनसे इतना ज्यादा होने के बाद भी इन्हें आखिर क्यों पीछे नहीं हटा पा रहे और आखिर कुछ ही देर बाद शाम हो गई और रोमन फौज 2 लाख होने के बावजूद अब तक कुछ हासिल ना कर सकी और मजबूरन उन्हें जंग से पीछे हटना पड़ा रोमन एंपायर की फौज और जनरल का ख्याल
था कि यह ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन की लड़ाई होगी लेकिन मुसलमानों के हौसले और जज्बे को देखकर रोमन एंपायर का मोराल बिल्कुल डाउन हो गया मुसलमानों को भी इस चौथे दिन सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और जब मुसलमान अपने शहीदों को जंग से उठाने के लिए गए तो उन्हें इन्हीं शहीदों में से इकमा बिन अबू जहल भी मिला जो इस जंग में बहुत बहादुरी से लड़े थे और जंग के दरमियान ही शहादत की कसम उठा चुके थे मतलब कितनी अजीब बात यह इकमा अबू जहल का बेटा था जो इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन
था और अब उसी अबू जहल के बेटे ने इस्लाम के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर दी थी चौथे दिन के बाद रात को वाहान ने अपने सारे जनरल्स की मीटिंग बुलाई और पूछा कि यह आखिर क्या हम क्यों नहीं जीत पा रहे तो उसे बताया गया कि मुसलमान तो पीछे हटने वाले नहीं है और अब हमारी फौज भी बहुत ज्यादा थक चुकी है और और लड़ाई के काबिल नहीं रही तो अपने सारे जनरल्स के मशवरे से वाहान ने आखिर एक फैसला पांचवा दिन शुरू होते ही मुसलमान बिल्कुल रेडी जंग के लिए खड़े थे लेकिन
उस दिन रोमन एंपायर ने हमला किया ही नहीं बल्कि अपनी तरफ से एक मैसेंजर मुसलमानों की तरफ भेजा जिसने खालिद बिन वलीद को बताया कि रोमन फौज अब और जंग नहीं करना चाहती तो बस हम इस जंग को इधर ही खत्म कर देते किसी और दिन फिर दोबारा लड़ लेंगे मुसलमान इसके बाद भी उसी तरह अपनी लाइंस बनाकर खड़े रहे लेकिन पांचवें दिन कोई लड़ाई नहीं हुई तो खालिद बिन वलीद ने अपने सारे जनरल्स को मीटिंग के लिए बुलाया और उन्हें रोमंस की इस ऑफर के बारे में बताया तो कुछ जनरल्स ने बताया कि सिर्फ
रोमंस ही नहीं बल्कि मुसलमान भी काफी थक चुके हैं तो हमें चाहिए कि हम इस ऑफर को मान ले लेकिन अबू उ बैदा और खालिद बिन वलीद दोनों की राय यह थी कि जंग तो अभी सिर्फ शुरू हुई तो सारों की बातें सुनने के बा खालिद बिन वलीद खड़े हुए और उन्हें बताया कि अब तक हमारी स्ट्रेटेजी यही थी कि हम इन पर हमला नहीं करेंगे और अपनी जगह पर खड़े रहकर सिर्फ इन्हें थका जाएंगे और जब यह लड़ लड़क थक जाएंगे तब हमारी असल गेम शुरू होगी तो खालिद बिन वलीद ने रोमन जनरल की
ऑफर रिजेक्ट कर दी और सारी मुसलमानों की फौज को हमले के लिए रेडी रहने का हुकम भेजा छठे दिन रोमन फौज के बजाय एक यंग रोमन वॉरियर ग्रेगरी जो बहुत ही पावरफुल सोल्जर था अपनी फौज से सामने आया और मुसलमानों के जनरल को चैलेंज किया तो पहली बार अबू उबैद इब्ने जरा उससे जंग के लिए आगे बढ़े लेकिन खालिद बिन वलीद ने एकदम उन्हें रोक दिया कि आपकी उम्र 50 साल के करीब है आप कैसे इस यंग लड़के से लड़ पाएंगे तो अबू उबैद ने जवाब दिया कि अगर मैं नहीं गया तो लोग कहेंगे कि
मुसलमानों का जनरल एक छोटे से लड़के से डर गया और इनकेस अगर मैं इस लड़ाई में शहीद हो जाऊ तो मैं तुम्हें खालिद को अपने बाद आर्मी चीफ नॉमिनेट करता हूं यह कहकर अबू उ बैदा मुसलमानों की फौज से आगे बढ़े और लड़ाई शुरू हुई काफी देर लड़ाई होने के बाद आखिर ग्रेगरी लड़ाई छोड़कर अपनी फौज की तरफ भागने लगा लेकिन यह सिर्फ एक ट्रिक जैसे ही अबू उबैद उसके पीछे गए उसने एकदम पीछे मुड़कर तलवार से फुल स्पीड उनकी तरफ वार की लेकिन एट द लास्ट सेकंड अबू उबैद ने उसे डॉज करके अपनी तलवार
से उसकी गर्दन उड़ा दी यह देखकर पीछे खड़े खालिद बिन वलीद जोर से अल्लाहू अकबर का नारा लगाया और उन्हीं के साथ पूरी मुसलमान फौज नारे लगाने लगी और इसी के साथ खालिद बिन वलीद ने छ दिनों के बाद पहली बार मुसलमानों की फौज को रोमन एंपायर पर हमले का हुकम दिया अबू उबैद अपनी जगह पर ही खड़े रहे और पीछे से मुसलमानों ने उन्हें जॉइन करके रोमन एंपायर पर हमला कर दिया और मुसलमानों की फौज फुल स्पीड आकर रोमन एंपायर की फौज से टकरा गई लेकिन मुसलमानों की इस सारी एक्साइटमेंट और जज्बे के बाद
भी रोमन एंपायर की फौज मुसलमानों से इतनी ज्यादा थी कि मुसलमान उन्हें ज्यादा कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए और काफी देर तक जंग इसी तरह चलती रही और बहुत मुसलमान शहीद होने लगे और आहिस्ता आहिस्ता ऐसा लगने लगा कि खालिद बिन वलीद ने यह हमला करके बहुत बड़ी गलती की है क्योंकि अब यहां से पीछे जाना भी इंपॉसिबल था रोमन जनरल वाहान भी खालिद बिन वलीद की इस गलत स्ट्रेटजी को देखकर बहुत खुश हुआ और मुसलमानों की तरफ देखकर मुस्कुराने लगा लेकिन अचानक उसने देखा कि खालिद बिन वलीद अपने घोड़े पर अकेले मुसलमानों की राइट
साइड पर फुल स्पीड भागने लगा लेकिन उसने सोचा कि अकेले ये एक शख्स हमारा क्या बिगाड़ लेगा किसी को पता नहीं था कि खालिद बिन वलीद आखिर अपने घोड़े पर कहां जा रहे हैं जैसे ही खालिद बिन वलीद मुसलमानों को क्रॉस करते हुए पहाड़ के करीब पहुंचे तो अचानक आउट ऑफ नोवेयर पहाड़ के पीछे से 8000 हॉर्समैन फुल स्पीड खालिद रजि अल्लाह ताला अन्हो के साथ शामिल हो गए और इन 8000 हॉर्समैन ने रोमन एंपायर की फौज पर राइट साइड से हमला कर दिया अब इसका किसी को पता नहीं था जंग से एक रात पहले
ही खालिद बिन वलीद ने इन 8000 हॉर्समैन को इस पहाड़ के पीछे भेजा था और इन्हें ऑर्डर्स दिए थे कि जब तुम मुझे अपने घोड़े पर फुल स्पीड भागता हुआ देखो तो यही तुम्हारा हमला करने का सिग्नल है यह 8000 हॉर्समैन बहुत तेजी से रोमन एंपायर की फौज को क्रश करने लगे यह देखकर रोमन एंपायर की सारी फौज में खौफ फैल गया जिससे रोमन एंपायर की फौज आहिस्ता आहिस्ता जंग छोड़कर हर तरफ भागने लगी और मुसलमान इनका पीछा करने लगे यह फौज जंग से फुल स्पीड इस पुल की तरफ भागी जो इनके भागने का मेन
ता था लेकिन जैसे ही यह फौज पुल के करीब पहुंची उन्होंने देखा कि यहां भी पहले से मुसलमान फौज का एक डिवीजन खड़ा है और इन्हें भी एक रात पहले खालिद बिन वलीद ने इस फौज से छुपाकर पीछे ब्रिज के पास खड़ा किया था मतलब खालिद बिन वलीद की कैलकुलेशंस इतनी पावरफुल थी कि उन्हें पता था कि यह जंग तो मैं जीत जाऊंगा लेकिन जंग हारने के बाद जब रोमंस भागेंगे तो मैं इन्हें भागने भी नहीं दूंगा और कहा जाता है कि जब खालिद बिन वलीद ने यह मंजर देखा तो उन्होंने थोड़ी देर के लिए
अपनी आंखें बंद की और अल्लाह का इस अजीम फतह पर शुक्रिया अदा किया और फिर अपनी आंखें खोलकर सबसे पहले पूछा कि वाहन किधर है तो उन्हें बताया गया कि वाहन तो यहां से भाग चुका है तो खालिद बिन वलीद भी फुल स्पीड उसके पीछे गए और कुछ ही देर में उसे पकड़कर मार दिया इस जंग जंगे यर्म को बैटल ऑफ द सेंचरी कहा जाता है जिसने दुनिया की तारीख को हमेशा के लिए बदल दिया क्योंकि इस जंग से पहले शाम और इस सारे इलाके में लोग ग्रीक और अरमक जबान बोला करते थे लेकिन इस
जंग के बाद अगर आज तक देखा जाए तो यहां के लोग अपनी जबाने छोड़कर आज अरबी जबान बोलते हैं और यह इलाका शाम जो एक जमाने में क्रिश्चियनिटी का सेंटर हुआ करता था आज पूरा का पूरा मुसलमान है आप सिर्फ इमेजिन करें जब इस फतह की खबर मुसलमानों की कैपिटल मदीना पहुंची होगी तो वहां के सारे मुसलमान कितने खुश हुए होंगे बट एट द सेम टाइम जब इस जंग के हार की खबर रोमन एंपायर के बादशाह हर कल तक पहुंची तो उसने अंता किया में आखिरी बार खड़े होकर शाम की तरफ देखा और कहा ऐ
शाम की जमीन मैं तुम्हें सलाम पेश करता हूं तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत जमीनों में से एक हो लेकिन अफसोस आज के बाद हम दोबारा यहां कभी भी नहीं आ सकेंगे और यह कहते ही हर कल शाम को हमेशा के लिए छोड़कर अपने कैपिटल इस्तांबुल चला गया इस जंग के बाद शाम में मुसलमानों को फ्री हैंड मिला कि वह जहां भी जाना चाहे जा सकते थे लेकिन मुसलमानों ने रोमन एंपायर के कैपिटल तुर्की जाने के बजाय अपनी सारी फौज इस जंग के कुछ ही दिनों बाद एक दूसरी सिटी की तरफ मोड़ी पैगंबरों की सिटी जेरूसलम
जिसे फतह करने का मुसलमान बहुत टाइम से इंतजार कर रहे थे इसीलिए रमक के कुछ ही दिनों बाद मुसलमान फौज रमक से सीधा जेरूसलम की तरफ गई और इस सिटी को चारों तरफ से घेर लिया लेकिन मुसलमानों के इस खिलाफत के सारे मसले रमक के साथ खत्म नहीं हुए क्योंकि जंगे [संगीत] यरमिला थी जिसे जंगे कादसिया कहा जाता है [संगीत]
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