PM Modi in conversation with @nikhil.kamath #Podcast

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Narendra Modi
PM Modi podcast with Nikhil Kamath: Prime Minister Narendra Modi engages in an insightful conversati...
Video Transcript:
[प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] आ द कैमरा सेट ओके एवरीवन र टा आ ही वर हि चप अगेन कैन व प्लीज फ शूज अी सेट कैम रोलिंग यो [संगीत] रोंग वी विल ट्राई टू ड्र पैरेलल बिटवीन पॉलिटिक्स ए एंटरप्रेन्योरशिप जीरो फियर नॉट अफ्रेड ऑफ एनीथिंग और एक ऐसा डिसीजन ले जो आप अदर वाइज नहीं ले रहे बिकॉज ऑफ स्ट्रक्चर कंस्ट्रक्ट गवर्नमेंट ल ऑफ दैट वो एक चीज क्या होती है मैं बताता [संगीत] हूं स्टार्ट अब तक कितने पॉडकास्ट किए आपने 25 सर 25 हां बट हम महीने में एक रात करते बस अच्छा हर महीने में एक दिन
एक पॉडकास्ट और बाकी महीना कुछ नहीं करते लेकिन जिसको जिससे करना है उसको एक महीने तक समय दे कर के उसको हां काफी कंफर्ट करते हैं करेक्ट करेक्ट इन डेप्थ में करते हैं ज्यादातर पॉडकास्ट जो हमने किया है इज अबाउट एंटरप्रेन्योरशिप हमारी ऑडियंस पूरी वो कैटेगरी है 15 टू 40 जिनको पहली बार एंटरप्रेन्योरशिप स्टार्ट कर ना है तो हम करते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में एक एपिसोड मेटा वर्स के बारे में एक एपिसोड फार्मास्यूटिकल चीजों के बारे में ऐसे वेरी स्पेसिफिक सब्जेक्ट करते हैं और और एक चीज हमने अभी शुरू की है पीपल जिसम
हमने बिल गेट्स ऐसे कुछ लोगों के साथ बातें की है बट अगेन वेरी स्पेसिफिक टू द इंडस्ट्री दे बिलोंग एक तो मेरे लिए पॉडकास्ट पहली बार हो रहा है और इसलिए मेरे लिए भीय दुनिया बिल्कुल नई है तो सर मुझे माफ कीजिए अगर मेरी हिंदी ज्यादा अच्छी नहीं हो मैं साउथ इंडियन हूं मैं ज्यादातर बेंगलोर में पला बड़ा हूं और वहां पर लोग मेरी मम्मी का सिटी मैसूर है तो वहां पर ज्यादा लोग कनाडा बोलते हैं और मेरे पापा मंगलुरु के पास से थे हिंदी मैंने स्कूल में सीखी है बट फ्लुएंसी के हिसाब से बहुत
ज्यादा अच्छी नहीं है और लोग कहते हैं कि ज्यादातर कम्युनिकेशन नॉन वर्बल होती है जो लोग एक दूसरे को देख के समझ जाते हैं तो आई थिंक वी शुड बी फाइन देखिए मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं तो हम दोनों कि ऐसे ही चलेगी और यह एक हमारा पॉडकास्ट एक ट्रेडिशनल इंटरव्यू नहीं है मैं जर्नलिस्ट नहीं हूं हम ज्यादातर उन लोगों से बातें करते हैं जिन्हें पहली बार एंटरप्रेन्योरशिप करनी हो तो हम उन्हें यह बताते हैं कि एक इंडस्ट्री में एंटरप्रेन्योर बनने के लिए क्या चाहिए फंडिंग पहली बार कहां से मिले उन्हें कहां से सीखने
के लिए मटेरियल मिलेंगे ऑनलाइन तो हम उस लोन से आ रहे हैं एंड अलोंग द वे टुडे हम वी विल ट्राई टू ड्रॉ पैरेलल्स बिटवीन पॉलिटिक्स एंड एंटरप्रेन्योरशिप क्योंकि मुझे ऐसा लगा है कि इन दोनों में से बहुत सारी ऐसी सिमिलरिटीज है जिसके बारे में किसी ने अ आज तक बातें नहीं की है तो वी विल टेक दैट डायरेक्शन और आगे चलते हैं तो अगर आप चाहे इस पॉडकास्ट में कुछ सवाल खुद पूछने के लिए मेरे पास कोई अच्छे आंसर्स नहीं है बट आप बेहद पूछ सकते हैं पहली चीज मैं बात करना चाहूंगा इस पॉडकास्ट
में इज आपके लाइफ के पहला का पहला भाग प्री पीएम प्री सीएम आप कहां पैदा हुए थे पहले 10 सालों में आपने क्या किया था इफ यू कैन थ्रो सम लाइट ऑन द फर्स्ट एरा ऑफ योर लाइफ देखिए वैसे तो सबको पता है मेरा जन्म गुजरात में में नॉर्थ गुजरात में मैसाना डिस्ट्रिक्ट है वहां वडनगर एक छोटा सा टाउन है जब हम छोटे थे तब तो शायद 15000 की आबादी थी मोटा मोटा मुझे याद है मैं उस स्थान से हूं लेकिन तब तो जैसे हर एक का अपना एक गांव होता है वैसा एक मेरा गांव
था मेरे गांव एक प्रकार से गाय स्ट्रेट था तो गायकवाड़ स्ट्रेट की एक विशेषता थी हर गांव में एजुकेशन के प्रति बड़े आग्रह थे एक तालाब होता था पोस्ट ऑफिस होती थी लाइब्रेरी होती थी ऐसे चार पांच चीजें ना गायकवाड़ स्टेट का गांव है तो यह होगा ही होगा यह उनके वि व्यवस्था थी तो मैं उस गायकवाड़ स्टेट की जो प्राइमरी स्कूल बनी हुई थी उसमें ही [संगीत] तो मेरी खैर बचपन में वही रहा तालाब था तो स्विमिंग करना सीख गए वहां मैं मेरे परिवार के सबके कपड़े मैं धोता था तो उसके कारण मुझे तालाब
जाने की इजाजत मिल जाती थी बाद में वहां एक भागवताचार्य नारायणाचार्य हाई स्कूल था बीएन हाई स्कूल वो भी एक प्रकार से चैरिटेबल ही था वो कोई आजकल का जोके पे की स्थिति है वैसे नहीं थी तो मेरा वहां स्कूली शिक्षा वहां पर हुई उस समय यह 10 प्लस टू नहीं था 11वीं कक्षा हुआ करती थी मैंने कहीं पढ़ा था कि चाइनीज फिलोसोफर यन सं वह मेरे गांव में रहे थे तो उस पर एक फिल्म बनाने वाले थे तो मैंने उस समय शायद उनकी यहां एंबेसी को या किसी को चिठी लिखी थी कि भाई आप
मैंने कहीं पढ़ा है कि आप ं सिंह के लिए फिल्म बना रहे हैं तो मेरे गांव में वह रहते थे अब उसको भी जिक्र कहीं करना ऐसा करके मैंने कुछ प्रयत्न किया था वो बहुत साल पहले की बात है उसके पहले मेरा मेरे गांव में एक रसिक भाई दवे कर के थे वे कांग्रेस के लीडर थे ड़ समाजवादी विचार के भी थे और मूल वो सौराष्ट्र के थे और मेरे गांव में आकर के बस से थे वो हम स्कूल को बच्चों को कहते थे दे भाई तुम कहीं पर भी जाओ और कोई भी पत्थर तुम्हें
मिले जिस पर कुछ लिखा हुआ हो या कहीं कुछ उस पर नकाश की हुई हो तो वह पत्थर इकट्ठे करके स्कूल के इस कोने में डाल देना धीरे धीरे वोह बड़ा ढेर हो गया था ले तब मुझे समझ आया कि उनका इरादा यह था कि बहुत पुरातन गांव है यहां के हर पथर में कोई कोई स्टोरी है इकट्ठा करो जब भी कोई व्यक्ति आएगा तो इसको करेगा शायद वह कल्पना र होगी तो मेरा भी ध्यान उस तरफ गया 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री बना तो स्वाभाविक दुनिया के लीडर से कट स कॉल करते हैं तो
चीन के राष्ट्रपति राष्ट्रपति शि उनका कट स कॉल आया शुभकामना वगैरे वगैरे बातें हु फिर उन्होंने खुद ने कहा कि मैं भारत आना चाहता हूं मैंने कहा बिल्कुल स्वागत है आपका आप जरूर आइए तो कहा लेकिन मैं गुजरात जाना चाहता हूं मैं वो तो और अच्छी बात है तो उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे गांव बड़नगर जाना चाहता हू मैं क क्या बात है आपने यहां तक कब बढ़ा दिया है बोले तुम्हें मालूम है क्यों मैंने कहा नहीं मुझे मालूम नहीं तो बोले मेरा और तुम्हारा एक स्पेशल नाता है क्या ययन संघ जो चाइनीज फिलोसोफर था
वह सबसे ज्यादा समय तुम्हारे गांव में रहा था लेकिन वापस जब आया चाइना तो मेरे गांव में रहा था तो बोले हम दोनों का ये कनेक्ट और अगर आप अपने बचन बचपन के बारे में और चीजें याद करें जब आप छोटे थे क्या आप अच्छे स्टूडेंट थे आपके इंटरेस्ट क्या थे इस टाइम मैं एक बहुत ही सामान्य विद्यार्थी रहा मैं कोई किसी भी प्रकार से कोई मुझे नोटिस कर ऐसा नहीं था लेकिन मेरे एक टीचर थे बलजी करके वो मेरे प्रति बहुत वो रखते थे तो एक दिन व मेरे पिताजी को मिलने गए थे मेरे
पिताजी को कह रहे थे इसके अंदर इतनी टैलेंट है लेकिन य कोई ध्यान नहीं केंद्रित करता है ऐसे ही है जबाती बाते की चीजें करता रहता है तो बोले हर चीज इतनी जल्दी ग्रास करता है लेकिन फिर अपनी दुनिया में हो जाता है तो वेलजी भाई की मुझसे बहुत अपेक्षा थी मेरे लजी भाई चौधरी की तो मेरे टीचरों का मुझ पर प्यार बहुत रहता था लेकिन [संगीत] मुझे ज्यादा पढ़ना है अगर उसमें कंपटीशन का एलिमेंट है तो मैं शायद उससे दूर भागता था मुझे कोईम रुचि नहीं थी ऐसे ही परीक्षा पास कर लो भाई निकाल
ऐसा ही रहता था लेकिन और एक्टिविटी में बहुत करता था कुछ भी नई चीज है तो उसको तुरंत पकड़ लेना ये बरा नेचर था सर आपकी कोई ऐसे बचपन के दोस्त हैं जो अभी भी आप टच में रहते हैं ऐसा है कि मेरा मेरा केस थोड़ा विचित्र है बहुत छोटी आयु में मैंने घर छोड़ दिया घर छोड़ा मतलब सब कुछ छोड़ा मैंने किसी से मेरा संपर्क नहीं था तो बहुत बड़ा गैप हो गया तो मेरा कोई कांटेक्ट नहीं था किसी से कुछ लेना देना भी नहीं था और मेरी जिंदगी भी एक अनजान ऐसे ही भटकते
इंसान की थी कोई कौन पूछेगा मुझे तो मेरा जीवन ऐसा नहीं था लेकिन जब मैं सीएम बना तो मेरे मन में कुई इच्छा है जगी एक इच्छा जग कि मेरे क्लास के जितने दोस्त है पुराने सबको मैं सीएम हाउस में बुलाऊंगा उसके पीछे मेरी साइकोलॉजी यह थी कि मैं नहीं चाहता था कि मेरे किसी भी व्यक्ति को ये लगे कि अपने आप को बड़ा तिसमार का बन गया है मैं वही हूं जो सालों पहले गांव छोड़कर गया था मुझ में बदलाव नहीं आया है उस पल को मैं जीना चाहता था और जीने का तरीका यही
है कि मैं उन साथियों के साथ बैठूं लेकिन वो चेहरे से भी पहचान नहीं पाता था मैं क्योंकि बीच में बहुत बड़ा गैप हो गया वो हरे के बाल सफेद हो चुके थे बच्चे बड़े हो गए थे सब लेकिन मैंने सबको बुलाया शायद 30 35 लोग इकट्ठे हुए थे हम और रात को बड़ा खाना वाना खाया गप सप मारे पुरानी बचपन की आदत ताजा की लेकिन मुझे वो बहुत आनंद नहीं आया आनंद इसलिए नहीं आया कि मैं दोष खोज रहा था लेकिन उनको मुख्यमंत्री नजर आता था तो खाई पटी नहीं और मेरे जीवन में शायद
तू कहने वाला कोई बचा ही नहीं ऐसी स्थिति हो गई है सब अभी भी संपर्क में है लेकिन बड़े सम्मान से मेरे प्रति वो लोग देखते रहते हैं तो एक एक है एक टीचर थे मेरे रास बिहारी मणियार उनका भी स्वर्गवास हुआ कुछ समय पहले और वो करीब 93 94 थे वो मुझे चिट्ठी हमेशा लिखते थे उसमें वो तू लिखते थे बाकी तो एक इच्छा मैं सीएम बना तो एक थी कि मैं अपने स्कूल के दोस्तों को बुलाऊं बुलाया दूसरी मेरी इच्छा थी जो शायद हिंदुस्तान के लोगों के लिए अजीब होगा मेरा मन करता था
मैं मेरे सभी टीचर्स को सार्वजनिक रूप से सम्मान करूंगा तो मुझे बचपन से जिन्होंने पढ़ाया है और स्कूली शिक्षा तक जो भी मेरे टीचर रहे मैंने सबको ढूंढा और सीएम बनने के बाद उनका बहुत बड़ा सार्वजनिक सम्मान किया मैंने और हमारे गवर्नर साहब थे शर्मा जी वे भी उस कार्यक्रम में आए और गुजरात के सभी लब्द प्रतिष्ठित लोग उस कार्यक्रम में थे और मैं एक मैसेज मेरे मन में था कि मैं जो कुछ भी हूं इनका भी कुछ न कुछ योगदान है मुझे बनाने में कोई मेरा बाल मंदिर के टीचर रहे होंगे कोई सबसे बड़ी
आयु के टीचर 93 ईयर के थे करीब 30 32 टीचर्स को बुलाया था और उनका सबका मैंने सार्वजनिक रूप से सम्मान किया और मेरे जीवन की वो बड़ी अच्छी पल मेरे मन में लगता नहीं फिर मैंने एक दिन मेरे जीवन में किया मेरा जो बृहद परिवार था मेरे भाई उनके संतान बहन उनके स जो भी परिवार के लोग क्योंकि उनको भी मैं पहचानता नहीं था क्योंकि मैं छोड़ चुका था लेकिन एक दिन मैंने मेरे सीएम हाउस में सबको बुलाया सब परिवार जनों को परिचय किया मैंने ये किसका बेटा है किसकी शादी कहां हुई है मेरा
तो कोई नाता रहा नहीं था तीसरा काम मैंने ये किया चौथा मैंने जब संग के जीवन में मैं था तो शुरू में जिन परिवारों में मुझे खाना मिलता था खाना खाने जाता था कई परिवार थे जो इन्होंने मुझे खिलाया पिलाया जीवन भर मेरा अपना तो खाने की व्यवस्था नहीं थी ऐसे ही मैं तो उन सबको मैंने बुलाया था तो जिसको कहे कि मैंने अपनी इच्छा से कोई चीजें की इतने पिछले 25 साल हो गए मुझे तो चार चीजें की स्कूल के दोस्तों को बुलाया जिनके घर मैंने खाना खाता था उनको बुलाया मेरे अपने फैमिली के
लोगों को बुलाया और मैं मेरे टीचर्स को बुलाया अगर आपको शायद आपको याद नहीं होगा थोड़ी साल पहले बैंगलोर आए थे स्टार्टअप के लोगों से से मिल रहे थे एंड योर लास्ट मीटिंग ऑफ द नाइट आप हमसे मिले थे एंड दे टोल्ड अस कि यू हैव 15 मिनट्स अलोन विथ हिम बट आप एक घंटा बैठे थे एंड अगर आपको याद है तभी भी मैं आपको सवाल ही पूछ रहा था अ आई थिंक इट्स इजियर टू आस्क क्वेश्चंस देन गिव आंसर्स और मैं आपको ऐसी भी चीजें बता रहा था कि अ यह जो हो रहा है
शायद अच्छा नहीं है वह जो हो रहा है शायद अच्छा नहीं है और आप सुन रहे थे अगर आप इफ यू हैव टू थिंक की देर ज सम कैटेगरी ऑफ पीपल और सम एज ग्रुप ऑफ पीपल इन सोसाइटी जिससे आपका कनेक्शन बहुत स्ट्रांग है अगर आप एज एक एक एज ग्रुप डिफाइन कर सके तो वह कौन सी होगी तो मेरे लिए बाय एंड लार्ज कहा जाता था कि भाई नरेंद्र भाई को ढूं है तो कहां ढूंढोगे ज 15 20 नौजवानों के बीच में ठा के मारता होगा तो बोले वही खड़ा होगा वो तो वे भी
एक छवि थी मेरी तो इसलिए शायद आज तो मैं हर क्षेत्र से हर उम्र से दूरी महसूस नहीं करता हूं कनेक्ट वाला शब्द जितना शायद पर परफेक्ट आंसर तो मेरा नहीं होगा लेकिन दूरी महसूस नहीं करता हूं मैं जैसे आप कह रहे थे कि आपको कंपटीशन अच्छा नहीं लगता पीपल लाइक जिदू कृष्णमूर्ति अ लॉट ऑफ वेरी इवॉल्वड थिंकर्स वो ऐसी बातें करते हैं कि कंपटीशन अच्छा नहीं है सबब कमिंग फ्रॉम दैट स्कूल ऑफ थॉट इनटू पॉलिटिक्स जहां पर बहुत सारा कंपटीशन है वो पॉलिटिक्स में वो सेम आइडियो कैसे लेकर आ सकते देखिए बचपन में जो
कंपटीशन नहीं वो तो आलसी पन होगा कोई बड़ी फिलोसोफी कुछ नहीं होगा ऐसे ही गैर जिम्मे राना व्यवहार जो एक बच्चों का रहता है ऐसा ही होगा मेरा मैं नहीं मानता हूं कोई फिलोसोफी मुझे गाइड करती थी ऐसा मैं नहीं मानता मुझे लगता ठीक है वो ज्यादा नंबर लाएगा लाएगा मैं क्या मैं अपना ज्यादा करू तो दूसरा मैं सब बंदर का व्यापारी जैसा था जी जो हाथ लगे समय पर उसको छू लेता था मैं मानए कोई भी ऐसे कंपटीशन होगा तो मैं उसम उतर जाऊंगा नाट्य स्पर्धा होगी तो उतर [संगीत] जाऊंगा यानी ये चीजें मैं
सहज रूप से कर लेता था मैं मेरे यहां एक मिस्टर परमार करके मेरे टीचर थे व बड़े ने वो पीटी टीचर कहते शद फिजिकल ट्रेनिंग वाले टीचर तो मेरे यहां एक हवेली में एक छोटा सा खाड़ा था तो मैं इनसे इतना इंस्पायर हुआ तो मैं रेगुलर जाता था मल स्तंभ सीखता था मैं उस समय कुश्ती क्या होता है सर कुश्ती कुश्ती और मल स्तंभ जो लकड़ी का एक बहुत बड़ा पिलर होता है इस पर जो खास करके महाराष्ट्र में वो मल स्तंभ होता है अच्छा वैसे वो ने शरीर को सुगठित बनाने के लिए उत्तम एक्सरसाइज
है वो एक प्रकार से खंबे पर करने वाला योगा है एक प्रकार से वो तो मैं चला जाता सुबह 500 बजे उठ के उनके पास चला जाता था मैं और वो भी मेरे पीछे मेहनत करते थे लेकिन मैं खिलाड़ी नहीं बना ठीक है कुछ समय किया छोड़ दिया ऐसा ही रहा क्या क्या ऐसी कोई चीजें हैं जो राजनीति में एक पॉलिटिशियन के लिए टैलेंट मानी जा सकती है जैसे कि एंटरप्रेन्योरशिप में जब कोई कंपनी स्टार्ट कर रहा है उसके लिए इन्हेरेंटली तीन चार टैलेंट चाहिए होते हैं जैसे कि कोई अच्छे मार्केटिंग करे कोई अच्छा सेल्स
करे कोई अच्छा टेक्नोलॉजी में हो जो प्रोडक्ट डेवलप करे अगर किसी युवा को आज पॉलिटिशियन बनना है तो उसमें ऐसी कोई टैलेंट्स है जो आप परक सकते हैं ऐसे ये होना चाहिए दो चीज अलग-अलग है पॉलिटिशियन बनना वो एक पार्ट है और पॉलिटिक्स में सफल होना वह दूसरी चीज है तो दो अलग तरीके से तो एक तो हो गया है राजनीति में आना दूसरा होना है सफल होना मैं मानता हूं कि उसके लिए तो आपका एक डेडिकेशन चाहिए कमिटमेंट चाहिए जनता के सुख दुख के आप साथी होने चाहिए आप एक्चुअली अच्छे टीम प्रेयर होने चाहिए
आप यह कहो मैं तिसमार का हूं और मैं सबको चलाऊंगा और दौड़ा आंगा सब मेरा हुकम मानेंगे तो वह हो सकता है उसकी राजनीति चल जाए चुनाव जीत जाए लेकिन वह सफल राजनेता बनेगा गारंटी नहीं है और देखिए देश में मैं कभी-कभी सोचता हूं हो सकता है मैं मैं जो सोचता हूं विवाद भी पैदा कर सकता है जब आजादी का आंदोलन चला उसमें समाज के सब वर्ग के लोग जुड़े लेकिन सब पॉलिटिक्स में नहीं आए कुछ लोगों ने अपना जीवन बाद में शिक्षा को दे दिया किसी ने खादी को दे दिया किसी ने प्राउड शिक्षा
को दे दिया किसी ने ट्राइबल की भलाई के लिए ऐसा रचनात्मक कामों में लग गए लेकिन देशभक्ति से प्रेरित आंदोलन था आजादी का आंदोलन हर एक के मन में जज्बा था भारत को आजाद कराने के लिए मुझसे जो होगा मैं करूंगा आजादी के बाद उसमें से एक लट राजनीति में आया और शुरू में देखिए राजनीति के बाद हमारे देश में जितने टॉल वड लीडर्स थे वह आजादी के जंग से निकले हुए लीडर थे तो उनकी सोच उनकी मैच्योरिटी उसका रू अलग है बिल्कुल ही अलग है इनकी बातें उनकी बिहेवियर की जो चीजें सुनने को मिलती
है उसमें एक बहुत ही समाज के प्रति अतिशय समर्पण भाव और इसलिए मेरा मत है के राजनीति में निरंतर अच्छे लोग आते रहने चाहिए और मिशन लेकर के आए एंबिशन लेकर के नहीं अगर मिशन लेकर के निकले हो तो कहीं कहीं तो आपको स्थान मिलता जाएगा एंबिशन से ऊपर होना चाहिए मिशन फिर आपके अंदर क्षमता हो गया जैसे महात्मा गांधी आज के युग के नेता की जो आप परिभाषा देखते हैं तो उसमें महात्मा जी कहां फिट होते हैं पर्सनालिटी वाइज शरीर दुबला पटला रेटरी ना के बराबर थी तो उस हिसाब से देखें तो भाई वह
लीडर बन ही नहीं सकते थे तो क्या कारण था तो जीवन बोलता था और यह जो ताकत थी उसने इस व्यक्ति को पीछे पूरे देश को खड़ा कर दिया था और इसलिए यह जो आजकल ये जो बड़े प्रोफेशनल कैटेगरी में पॉलिटिशियन का रूप देखा जा रहा है लच्छा दार भाषण करने वाला होना चाहिए य कुछ दिन चल जाता है तालियां बज जाती है लेकिन अल्टीमेटली तो जीवन काम करता है और दूसरा मेरा मत है कि भाषण कला ऑरेटरी उससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कम्युनिकेशन आप कम्युनिकेट कैसे करते हैं अब देखिए महात्मा गांधी हाथ में अपने
से भी ऊंचा डंडा रखते थे लेकिन अहिंसा की वकालत करते थे बहुत बड़ा कंट्रास्ट था न कम्युनिकेट करते थे महात्मा जी ने कभी टोपी नहीं पहनी लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती थी कम्युनिकेशन की ताकत थी महात्मा गांधी का राजनीति क्षेत्र था पॉलिटिक्स था लेकिन राज व्यवस्था नहीं थी वह चुनाव नहीं लड़े थे वह सत्ता पर नहीं बैठे थे लेकिन मृत्यु के बाद जो जगह बनी उसका नाम राजघाट रखा और सर जो आपने अभी कहा है यह आज के पूरे कन्वर्सेशन का पॉइंट हमारे लिए यही है कि हम वी वांट टू टेल यंग पीपल कि थिंक
ऑफ पॉलिटिक्स एज एंटरप्रेन्योरशिप एंड व्हाट आई एम होपिटल स्मार्ट इंडियंस गेट मोटिवेटेड बाय योर लाइफ गेट इंस्पायर्ड टू ट्राई एंड बी पॉलिटिशन इन इंडिया लाल केलिए से तो कहा था कि देश को 1 लाख ऐसे नौजवानों की जरूरत है जो राजनीति में आए और मैं मानता हूं कि लेना पाना बनना यह अगर मकसद है तो उसका आयुष बहुत लंबा नहीं है एंटरप्रेन्र्दे है वो भी दे देने की वहां पर मैं मेरा मेरी कंपनी या मेरा प्रोफेशन उसकी नंबर वन कैसे बने यहां होता है नेशन फर्स्ट यह बहुत बड़ा फर्क होता है और समाज भी नेशन
फर्स्ट की सोच वाले व्यक्ति को ही स्वीकार करता है और यह राजनीतिक जीवन सरल नहीं होता है जी जो लोग मानते हैं ऐसा नहीं होता है कुछ लोगों के नसीब में है उनको कुछ नहीं करना पड़ता उनको मिलता रहता है लेकिन हो सकता है कोई कारण होंगे मैं उसमें जाना नहीं चाहता लेकिन मैं जानता हूं मेरे यहां एक अशोक भट करके हमारे कार्यकर्ता थे छोटे से घर में रहते जीवन के अंत तक कई बार मिनिस्टर रहे थे खुद की कोई गाड़ी वगैरह कुछ नहीं था और पहले तो मोबाइल फोन हुआ नहीं करते थे लैंडलाइन होती
थी आप रात में न बजे उनको फोन करो आधी घंटी आधी घंटी से व फोन उठाते थे और आप उनको कहो भाई क उस समय मैं राजनीति में नहीं था लेकिन हमारे यहां अहमदाबाद राजकोट हाईवे पर एक्सीडेंट बहुत होते बगोदरा करके जगह है तो सप्ताह में दो तीन दिन मुझे फोन आते थे कि भाई यहां बड़ा एक्सीडेंट हो गया है तो मैं अशोक भट्ट को फोन करता था और व कहते अच्छा थोड़ी देर में निकल जाते खुद के पास गाड़ी वाड़ी कुछ नहीं वो किसी को पकड़ लेंगे ट्रक पकड़ लेंगे जिंदगी पूरी ऐसे जीते थी
आर यू आल्सो सेइंग दैट कोई युवा ऐसा ना सोचे कि मुझे पॉलिटिशियन बनना है बट यह सोच के आए कि मुझे पॉलिटिशियन बनके क्या करना है ऐसा है कि वह ज्यादातर लोग पॉलिटिशियन बनना ऐसा नहीं कहते वह कहते मुझे एमएलए बनना है मुझे कॉरपोरेटर बनना है मुझे एमपी बनना है वो एक अलग कैटेगरी है जी पॉलिटिक्स में आने का मतलब चुनाव लड़ना ही जरूरी थोड़ा है जी वो तो लोकतंत्र की प्रक्रिया है कि मौका मिलेगा लड़ लीजिए काम तो है जन सामान्य के दिलों को जीतना चुनाव तो बाद में जीते जाते हैं और जन सामान्य
के दिल जीतने के लिए जिंदगी उनके उनके बीच में जीनी पड़ती है जी जिंदगी को उनके साथ जोड़ना पड़ता है और ऐसे लोग है आज भी है देश में अगर आप आजकल के पॉलिटिशियन के बारे में बात करें जो यंग है आपको किसी में ऐसी दिखती है लाइक यू सी दैट मच पोटेंशियल इन एनीबडी बहुत लोग है जी बहुत लोग है और बिल्कुल खप जाते हैं दिन रात मेहनत करते हैं मिशन मूड में काम करते हैं जी को कोई एक आदमी आपके दिमाग में मैं नाम कहूंगा तो कईयों के साथ अन्याय हो जाएगा तो मेरा
दायित्व बनता है कि मैं किसी को अन्याय ना करूं लेकिन मेरे सामने कई नाम है कई चेहरे हैं कई लोगों की बारी क्या मुझे पता है जब आप पहले कह रहे थे कि वो जो लोगों के साथ रहना फीलिंग फॉर देम वो एंपैथी सिंपैथी क्या आपके चाइल्डहुड में ऐसी कोई चीजें थी चच मेड यू लाइक दैट मतलब मतलब जैसे आप कह रहे थे कि पॉलिटिशियन जब आप बनना चाहते हैं तो इट्स नॉट अबाउट यू यू आर सेकेंडरी जो लोग है जिनके लिए आप पॉलिटिशियन है वो वो पहला बन जाते हैं आपके चाइल्डहुड में ऐसी कोई
चीज थी जिसकी वजह से व ऐसा है कि मेरा जीवन मैंने नहीं बनाया है हालात ने बनाया है मैं बचपन से जो जिंदगी गुजार करके आया हूं मैं उसकी गहराई में जाना नहीं चाहता हूं किक अलग मेरे मेरा बचपन बीता है लेकिन वह जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है जी और शायद वही मेरा एक प्रकार से सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी थी मुसीबत यूनिवर्सिटी है मेरे लिए जो मुझे सिखाती है [संगीत] और हो सकता है कि मैंने मुसीबत को मोहब्बत करना सीख लिया है जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया है मैं उस राज्य से आता हूं जहां मैंने माताओं
बहनों को सर पर घड़ा लेकर के दो दो तीन-तीन किलोमीटर पानी के लिए जाते देखा है तब मेरा मन करता है कि आजादी के 75 साल के बाद क्या मैं पानी पहुंचा सकता हूं तो उस संवेदनाओं में से पैदा हुई मेरी यह एक्टिविटी है योजनाएं होगी पहले भी होगी मैं योजनाओं को क्लेम नहीं करता सपने पहले भी लोगों ने देखे होंगे लेकिन मैं उन सपनों के लिए खप जाता हूं सपने किसी के भी क्यों ना हो लेकिन वह सपना सही है तो मेरा काम है मैं खप जाऊं ताकि कुछ नि ले देश के लिए जब
मुख्यमंत्री बना मेरा एक भाषण था और सहज रूप से मैंने कहा था मैं कि मैं मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखूंगा दूसरा मैं मेरे लिए कुछ नहीं करूंगा और तीसरा मनुष्य हूं गलती हो सकती है बद इरादे से गलत नहीं करूंगा और वह मैंने अपने जीवन के मंत्र बनाए गलतिया होती होगी मुझसे भी होती होगी मैं भी मनुष्य हूं मैं कोई देवता थोड़ा हूं मनुष्य तो गलती होती है बद इरादे से गलत नहीं करूंगा यह मेरे मन का रहा है क्या क्या आपको लगता है कि जो आपके बिलीफ सिस्टम है जो आप सबसे अंदर
व्ट इज मोस्ट इंपॉर्टेंट यू वो बिलीव्स जो आप 20 साल पहले सोचते थे अगर आज वो बदल जाए इज इट अ गुड थिंग और अ बैड थिंग जैसे जैसे कि सोचिए कि मैं आज मैं 38 का हूं जब मैं शायद 20 साल का था मैं सोचता था कि कैपिट जम इज द राइट वे ऑफ द वर्ल्ड और जब मैं 38 का बन गया हूं मे बी आई वांट टू चेंज माय माइंड अपॉन चेंज माय माइंड अबाउट इट बट पीपल होल्ड यू टू व्हाट यू सेड 20 साल पहले बट आई फील लाइक इट जस्ट एवोल्यूशन और
एक ट्रांजिशन है विथ मोर डाटा लोगों के दिमाग में जो व पहले सोचते थे वह बदल जाता है मैं अभी भी कैपिट जम में मानता हूं मैं यह एग्जांपल ऐसे ही दे रहा हूं बट क्या आपके ऐसे कोई बिलीव्स थे जो आप 10 साल 20 साल पहले मानते थे और आज वो आप नहीं मानते दो चीजें है एक तो कुछ लोग होते हैं जो गंगा काहे गंगा दास जमुना काहे जमुना दास बहती गाड़ी में जैसा ही रंग बदलना है बदलते रहते हैं मैं वह व्यक्ति नहीं हूं मैं एक ही विचार से बला बढ़ा हूं और
अगर मेरी उस आइडियो जीी को बहुत कम शब्दों में अगर कहना है तो वह यह है नेशन फर्स्ट अगर मेरा एक टैग लाइन है नेशन फर्स्ट तो फिर उसमें जो भी फिट बैठता है मुझे फिर व आइडियो जीी के बंधनों में बांधता नहीं है ट्रेडिशनल जाने के लिए जरूरी होता है तो मैं करता हूं पुरानी चीजें छोड़नी है तो मैं छोड़ने के लिए तैयार हूं नई चीजें स्वीकार करने के लिए तैयार लेकिन मानदंड क्या नेशन फर्स्ट मेरा तराजू एक है तराजू नहीं बदलता अगर मैं इसको थोड़ा और दूसरी तरफ लेकर जाऊं तो क्या पॉलिटिशियन की
आइडियो जीी होती है जिसके वजह से उसे फॉलोअर्स मिलते हैं या सोसाइटी की आइडियो जीी होती है जिसको पॉलिटिशियन कॉपी करते हैं और उसकी वजह से उसको फॉलोवर्स मिलते हैं आइडियो जीी से भी ज्यादा आइडियलिज्म का मह तो है आइडियो जीी के बिना राजनीति होगी ऐसा मैं नहीं कहता हूं लेकिन आइडियलिज्म आदर्शवाद इसकी बहुत जरूरत होती है जैसे आजादी के पहले क्या आइडियो जीी थी भाई आंदोलन चलता था फ्रीडम आजादी वही एक आइडियो जीी थी गांधी जी का रास्ता जुदा था आइडियो जीी आजादी सावरकर का रास्ता अपना था आइडियो जीी अलग कौन सी आजादी लोग
कहते हैं कि पॉलिटिशियन बनने के लिए अ थिक स्किन चाहिए मोटी चमड़ी हाउ डज वन डेवलप दिस लोग ट्रोल करेंगे पब्लिक में आपके बारे में बुरा कहेंगे आपके बारे में कहानियां बनाएंगे यह नॉर्मल आदमी के लिए एक नया एक्सपीरियंस है ये कैसे सीख सकते हैं राजनीति में संवेदनशील लोगों की जरूरत है किसी का भला हो तो खुशी हो ऐसे ऐसे लोगों की जरूरत है दूसरा विषय है आरोप प्रत्यारोप तो यह लोकतंत्र में आपको स्वीकार करके चलना चाहिए कि आप पर आरोप होंगे हम भाती बाती का आरोप होंगे लेकिन आप अगर सही है आपने गलत नहीं
किया है तो आपको कभी भी परेशानी नहीं होती और सर आपने प्री सोशल मीडिया पॉलिटिक्स में आप सीएम रह चुके हैं और पोस्ट सोशल मीडिया में आप पीएम है इस दौरान पॉलिटिक्स कैसे बदला है आपने दोनों देखे हैं पहले वाला टाइम और आज का टाइम भी जब सोशल मीडिया ज्यादा इंपॉर्टेंट नहीं था और आज जब यह बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो गया है अगर आप इसके बारे में कुछ एडवाइस दें एक युवा को जो पॉलिटिन बनना चाहता हैं कि इसको कैसे यूज करते हैं तो कभी-कभी लोग मुझे पूछते हैं छोटे-छोटे जब बच्चों को मिलता हूं ना
तो मुझे ये सवाल पूछते हैं मुझे भी अच्छा लगता है उनके साथ गप्पे भार रहा आठवी नवी कक्षा के बच्चे कभी आ जाते हैं मिलने के लिए तो कहते साहब ये कभी कोई बच्चे आप खुद को टीवी पर देखते हो तो कैसा लगता है ऐसा पूछते हैं कुछ बच्चे आके पूछते हैं कि इतनी सारी आपको दिन रात गालिया पड़ती है आपको कैसा लगता है तो मैं उनको एक चुटकुला सुनाता हूं मैं कहता हूं मैं अहमदाबादी हूं और हमारे अहमदाबादी लोग कि अलग एक पहचान उनके बहुत चुटकुले चलते हैं मैंने कहा एक अहमदाबादी स्कूटर लेकर जा
रहा था और किसी के पास बिल्कुल टक्कर लग जाए ऐसा तो सामने वाला गुस्से में आ गया तो त तो मैं मैं शुरू हो गई वो गालियां देने लगा ये जो अहमदाबादी था अपना स्कूटर लेक ऐसे ही खड़ा रहा वो गालिया देता ही जा रहा था इतने में कोई आया बोले यार भाई तुम कैसे इंसान हो यह गालियां दे रहा है और तुम ऐसे ही खड़े हो तो कह रहा है भाई दे रहा है ना ले तो नहीं जा रहा ना कुछ यह अहमदाबादी की टिपिकल दे जा रहा है कुछ ले तो नहीं जा रहा
तो मैंने भी मन बना लिया ठीक है भाई दे रहे हैं गालिया उनके पास जो होगा वह देंगे मेरे पास जो होगा मैं दूंगा लेकिन आप सत्य के धरातल पर होने चाहिए आपके दिल में पाप नहीं होना चाहिए अगर आप वरना अच्छा कोई मुझे मुझे बताए साहब आप पॉलिटिक्स में नहीं है एक ऑफिस में काम करते हैं क्या उस ऑफिस में ऐसा नहीं होता है क्या एक विशाल परिवार है और उसमें भी दो भाइयों के बीच में कोई थोड़ा तनातनी हुई तो ये होता है कि नहीं होता है तो जीवन के हर क्षेत्र में ये
कम अधिक मात्रा में लेकिन होता तो होही है और इसलिए उसके आधार पर मोटी चमड़ी के होने के लिए हमें नहीं सोचना चाहिए अत्यंत संवेदनशील होना चाहिए सार्वजनिक जीवन में संवेदनशीलता के बिना आप लोगों का भला नहीं कर सकते और मैं मानता हूं यह लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है सोशल मीडिया पहले गिने चुने लोग आपको परोस थे आप उसी को सत्य मानते थे तब भी आप तो फंसे हुए ही थे आपको कोई वेरिफिकेशन के लिए अवकाश ही नहीं था उसने कहा एक लाख लोग मर गए हम मानते एक लाख मर गए आज आपके पास
अल्टरनेट है आप वेरीफाई कर सकते हैं कि यह बात आई है तो यहां कहां आएगी यहां कहां आपके मोबाइल फोन में हर चीज अवेलेबल है थोड़ा ध्यान दीजिए आप बहुत आराम से सत्य के पास पहुंच सकते हैं और इसलिए डेमोक्रेसी को ताकत देने का काम सोशल मीडिया से हो सकता है जो लोग आज विकृतियों के कारण कुछ गलत कर रहे हैं तो समाज में वैसी सामान्य स्थिति में भी मुझे तो याद है जब पहले में संगठन का काम करता था कोई बात ना हो हम जनसंघ के लोगों को तो तो समय राजनीति में नहीं था
ऐसी गालिया पड़ती थी कुछ ना किया हो कुछ भी गालिया पड़ती थी यहां तक कि अकाल आया तो भी गाली देते थे पॉलिटिशियन को तो उस जमाने में भी ऐसा ही होता था लेकिन तब वो प्रिंट मीडिया हुआ करता था तो उसकी उतनी ताकत थी आज सोचल तो थोड़ा बहुत तो पहले भी था आज भी है लेकिन आज आपके पास सत्य खोजने के लिए बहुत बड़ा कैनवास अवेलेबल है बहुत अल्टरनेट रास्ते ओपन है और आज का नौजवान जो है ज्यादातर इन चीजों को वेरीफाई करता है देखिए मैं आजकल कभी बच्चों को मिलता हूं मैं हैरान
हूं स्पेस के विषय में काफी रुचि नजर आती है तो चंद्रयान की सफलता ने मेरे देश के नौजवानों में एक नया स्पिरिट पैदा किया है मुझे कई बच्चे मिलते हैं वह गगनयान के टाइम टेबल के विषय में उनको पता होता है सोशल मीडिया की ताकत देखिए वह फॉलो करता है कि गगन यान का क्या हो रहा है एस्ट्रोनॉट का क्या हो रहा है किसकी कहां ट्रेनिंग चल रही है आठवी नौवी कक्षा के बच्चों को पता होता है इसका मतलब यह हुआ कि सोशल मीडिया एक प्रकार से नई जनरेशन के लिए एक बहुत बड़ी ताकत भी
बन रही है मैं मैं उसको उपयोगी मानता हूं जब मैं नया नया राजनीतिक क्षेत्र में आया मैं तो बहुत छोटा था तो मुझे तो कोई गाली खाने का प्रश्न नहीं आता था लेकिन उटपटांग चीजें मैं सुनता था तो मुझे लगता है क्यों ऐसा बोलते हैं लोग क्यों ऐसा करते हैं फिर धीरे-धीरे मुझे समझने आया य एक क्षेत्र ही ऐसा है इसमें आपको जीना है आजकल बहुत सारे बच्चे यह कह रहे हैं कि उनको एंजाइटी होती है मुझे भी होती है एंजाइटी मेरे लाइफ में द वे इट प्रेजेंट इट सेल्फ इ जैसे मैं आपके साथ बैठ
के बातें कर रहा हूं आई फील नर्वस आई फील मुझे यह लगता है कि पता नहीं मैं क्या बोल दूंगा आपको कैसे लगेगा एंड आप इट्स टफ कन्वर्सेशन फॉर मी टू हैव बहुत सारे बच्चे एंजाइटी के बारे में बात कर रहे हैं यह आपकी जिंदगी में भी आता है और जब आपके बचपन में आता था आपने इसके साथ किया क्या आता तो होगा ऐसा तो नहीं है कि परमात्मा ने कुछ मेरे लिए दरवाजे बंद रखे होंगे जो हर एक को देता है वो मुझे भी दिया होगा लेकिन हर एक की अपनी इन चीजों को मैनेज
करने की अलग-अलग क्षमता होती है और अलग-अलग स्टाइल होती है ये आप मुझे अगर मैं यह आपसे सीखना चाहूं तो हाउ हाउ डज वन डू इट एटली कोई थीसिस के रूप में कहना तो बड़ा कठिन है लेकिन मैं एक ऐसे पद पर बैठा हूं कि मुझे मेरे इमोशंस को मेरी जो नेचुरल टेंडेंसी मनुष्य की होती है उन सबसे बाहर रहना होगा सबसे ऊपर रहना होगा अब जैसे 2000 दो गुजरात में चुनाव था मेरी जिंदगी का वह सबसे बड़ा कसौटी थी वैसे मैं मेरे जीवन में करीब-करीब चुनाव जीतने का अवसर मुझे बहुत मिला है लड़ा तब
भी और लड़ाया तब भी तो मेरे जीवन में ना टीवी देखा रिजल्ट आ रहे थे कुछ नहीं 111 बजे मेरे घर के नीचे सीएम बंगलो के बाहर ढोल की आवाज आने लगी ब मैंने लोगों को को कहा 12 बजे तक मुझे कुछ जानकारी मत देना फिर हमारे ऑपरेटर ने चिट्ठी भेजी कि साहब आप दो तिहाई बहुमत से आप आगे चल रहे हैं तो मैं नहीं मानता हूं कि कुछ मेरे भीतर कुछ नहीं हुआ होगा लेकिन उसको ओवर पावर करने वाला मेरे पास कोई थॉट था तो मेरे लिए वह रेले सनेस कहो एंजाइटी कहो अलग हो
गया उसी प्रकार से मेरे यहां ब पांच जगह पर बम लास्ट हुए आप कल्पना कर सकते हैं कैसी स्थिति होगी एक मुख्यमंत्री के नाते तो मुझे मैंने कहा मैं पुलिस कंट्रोल रूम में जाना चाहता हूं तो मेरे सिक्योरिटी वालों ने मना कर दिया साब अभी पता नहीं कहां क्या पड़ा होगा और आप कहां जा रहे हैं मैंने कहा जो भी होगा मैं जाऊंगा वह बड़े परेशान थे ये आखिर का मैं मैं आकर के गाड़ी में बैठ गया तो चलती मैं पहले अस्पताल जाऊंगा नहीं बोले साहब अस्पतालों में भी बम फुट रहे हैं मैंने कहा जो
होगा होगा मैं जाऊंगा तो मेरे भीतर उसको आप कह सकते हैं कि रेस्टस होगा एंटी होगी लेकिन मेरा तरीका यह था कि मैं अपने मिशन के साथ खप खप जाता था तो मैं उसको अलग रूप में अनुभव करता हूं शायद मुझे उसमें जिम्मेवारी का भाव आ जाता है मैं 24 फरवरी 2000 दो को जीवन में पहली बार एमएलए बना 24 फरवरी 2002 27 फरवरी पहली बार में असेंबली में गया जीवन में पहली बार विधानसभा ग्रह में गया मेरी एमएलए की आयु तीन दिन थी और अचानक गोधरा में इतना बड़ा कांड की खबर आने लगी ट्रेन
में आग लगी है धीरे धीरे खबर आई मने तो मैं बहुत ही स्वाभाविक जो भी रेस्ट लेस क हो जो भी क्योंकि मैं चिंतित था मैं हाउस में था हाउस में मैं निकलते ही कहा मैंने कहा मैं गोदरा जाना चाहता हूं तो मैंने कहा यहां से बड़ौदा जाएंगे बड़ौदा से हम हेलीकॉप्टर लेंगे तो बोले हेलीकॉप्टर तो है नहीं मैंने क किसी का देखो तो ओएनजीसी का सायद था तो सिंगल इंजन था ने मना कर दिया वीआईपी को नहीं ले जा सकते मैंने कहा मैं वीआईपी नहीं हूं मैं कॉमन मैन मैं जाऊंगा तो बड़ा झगड़ा हुआ
हमारा मैंने कहा मैं लिखित देता हूं जो कुछ भी होगा मेरी जिम्मेवारी है मैं सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर से जाऊंगा और मैं गोदरा पहुंचा अब वो दर्द नाक दृश्य इतने डेड बॉडी है कल्पना कर सकते मैं भी इंसान हूं मुझे भी सब कुछ हुआ जो होना था लेकिन मुझे मालूम था कि मेरे मैं कैसे पथ पर बैठा हूं कि मुझे मेरे इमोशंस को मेरी जो नेचुरल टेंडेंसी मनुष्य की होती है उन सबसे बाहर रहना होगा सबसे ऊपर रहना होगा और जो भी कर सकता हूं करके मैंने कोशिश की अपने आपको को संभालने की पर जैसे मैं
परीक्षा पर चर्चा पर स्टूडेंट से बात करता हूं तो मैं उनको सारा उसका लेसन समझाता हूं कि भाई तुम दिमाग में से निकाल दो कि तुम कुछ करने जा रहे हो री रूटीन एक्टिविटी के हिस्सा बनने ऐसे जाओ तुम स्पेशल नए कपड़े पहनने की कोशिश मत करो उस दिन क्या आप ऐसे सोचते हैं कि वर्स्ट केस क्या होगा वर्स्ट केस मतलब सबसे बुरी चीज क्या हो सकती है क्या आप वैसे सोचते हैं जी नहीं मैंने कभी ना जीवन का सोचा है ना मृत्यु का सोचा है देखिए मैं हिसाब किताब करके जो चलते हैं ना जिंदगी
में उनके लिए शायद होगा मैं इसलिए मैं शायद इसका जवाब नहीं दे पाऊंगा क्योंकि सचमुच में मैं कभी मैं आज जहां पहुंचा हूं वहा आने पहुंचने के लिए निकला ही नहीं था इसलिए मुझे पता ही नहीं है कुछ मैं जब सीएम बना तो मुझे आश्चर्य था मैं सीएम कैसे बन गया तो मेरे जीवन का यह राह नहीं था दायित्व आया है तो मैं निभा रहा हूं अच्छे ढंग से करना य मेरा मकसद रहता है पर कोई इस काम के लिए चल पड़ा था ऐसा नहीं है इसलिए मुझे वो हिसाब किताब बैठता नहीं है जी जो
सामान्य जीवन में होता है मैं शायद इसमें अपवाद हूं क्योंकि क्योंकि मेरा बैकग्राउंड ऐसा है कि मैं ऐसा कभी सोच ही नहीं सकता हूं मैं मुझे मैंने किसी एक बार किसी ने पूछा था मेरा बैकग्राउंड ऐसा है कि मैं अगर कोई प्राइमरी स्कूल का टीचर बन जाता तो मेरी मां ने मोहल्ले में गुड़ बेचा होता गुड़ खिलाया होता सबको कि देखो मेरा बेटा टीचर हो गया तो मेरा वो बैकग्राउंड था तो इसलिए मैंने तो कभी ऐसे सपने देखे नहीं थे इसलिए मुझे कोई यह नहीं होगा तो क्या होगा यह नहीं होगा तो कैसा होगा यह
सब कुछ चीजें दिमाग में बहुत ज्यादा आती नहीं है जी जैसे आज आपने पहले कहा था कि सक्सेस सफलता से ज्यादा फेलर से सीखने को मिलता है आप ऐसे कुछ फेलर्स के बारे में बात करना चाहेंगे जिस दिन चंद्रयान टू का लंचिंग होने वाला था मुझे कई लोगों ने कहा साहब नहीं जाना चाहिए मैंने कहा क्यों बोले साहब ये तो अनसर्टेन होता है दुनिया में हर देश फेल जाते हैं चार चार छह छ बार करने के बाद होते हैं आप जाएंगे और कुछ हो गया तो तो मैंने कहा क्या है अपयश लेने की मेरी कोई
जिम्मेवारी नहीं क्या मैं गया और हुआ ऐसा कि चंद्रयान लॉन्चिंग में हम लास्ट सेकंड बिकर गए सारे वहां बैठे हुए लोग परेशान थे प्रधानमंत्री को कहने की हिम्मत नहीं थी किसी की लेकिन मैं टेक्नोलॉजी को जितनी सम मैं देख पाता था हां कुछ गड़बड़ लग रही है नहीं चल रहा है आखिरकार एक जो सीनियर मोस्ट थे उन्होंने आके मुझे कहा साब चिंता मत कीजिए सभी को मैं नमस्ते नमस्ते किया मैं रात को दो बजे कार्यक्रम था मैं वहां गेस्ट हाउस में गया लेकिन मैं सो नहीं पाया मैंने फिर से करीब आधे पौने घंटे के बाद
सबको बुलाया मैंने कहा देखिए अगर यह लोग थक ना गए हो तो मैं सुबह 7:00 बजे इनको मिलना चाहता हूं जाने से पहले क्योंकि देश को बहुत बड़ा साट बैक था लेकिन मैं सेटबैक से रोने धोने करके जिंदगी गुजारने वाला में नहीं था मैंने क मैं सुबह गया और सभी साइंटिस्ट को मैंने कहा अगर कोई फेलियर है तो जिम्मेवारी मेरी है आपने प्रयास किया आप निराश मत होइए और मैंने उनका जितना भी आत्मविश्वास जगा सकता हूं मैंने जगाया और चंद्रयान तीन सफल हुआ इससे कोई सीख जो आज आप यूज करते हैं इस इंसिडेंट से ऐसी
कोई लर्निंग जो आज आप पॉलिटिक्स में यूज करते हैं देखिए पॉलिटिक्स में रिस्क लेने के लिए बहुत तैयारी चाहिए जी उसमें हर पल रिस्क लेना ज मैं एक लाख नौजवानों को कहता हूं आइए और मैं अपना समय भी उनके लिए देना जो यह लोग चाहते हैं और मुझे लगता है कि देश को अगर ऐसे नौजवान मिल जाए तो मेरा 247 का जो एक मेरे मन में ड्रीम है वह व पूरा करेंगे मैं उनको मेरे लिए काम करने के लिए नहीं बुला रहा हूं देश के लिए काम करने के लिए अपने पॉलिटिक्स में बुला र लेकिन
लेकिन उनको फियर ऑफ अननोन जिसको कहते हैं वो ना हो इसलिए मैं उनका साथ खड़े रहना चाहता हूं आप चिंता मत करिए चलिए दोस्तों और लेना पाना बनने के इरादे से मत आइए लोकतंत्र में राजनीति का बहुत महत्व है उसको प्रतिष्ठा दीजिए जितनी ज्यादा प्रतिष्ठा राजनीति को मिलेगी उतना राजनीति शुद्धिकरण होगा हम उसको निकम्मा है गंदा है तो फिर गंदा है तो फिर गंदा ही आएंगे हम इसको प्रतिष्ठा दे अच्छे लोग आने चाहिए तो मेरी एक कोशिश है एक ये एक बात है कि मैं आज यहां पर बैठ के बोल रहा हूं कि और यंगस्टर्स
को पॉलिटिक्स में आना चाहिए जब मैं खुद अपने बारे में बात करूं तो दो चीजें हैं पहली चीज यह है कि आई लाइक माय जॉब मुझे कंपनीज में इन्वेस्ट करना स्टॉक मार्केट्स यह मैं बहुत टाइम 20 साल से कर रहा हूं एंड आई रियली लव एंड एंजॉय माय जॉब और दूसरी चीज यह है कि ए सम बडी हु ग्रू अप इन साउथ इंडियन मिडिल क्लास फैमिली बचपन से यह कहा गया था कि मेरे आगे जो ऑप्शंस है डॉक्टर या इंजीनियर या चार्टर्ड अकाउंटेंट तब थे अभी शायद एक स्टार्टअप भी उसमें ऐड कर सकते हैं बट
हम सब लोगों के लिए पॉलिटिक्स इज अ डर्टी प्लेस ये इतना इनग्रेन हो गया हमारी साइक में कि यह बदलना बहुत मुश्किल है और अगर मैं थोड़ा और सच कहूं इसके बारे में वोह पॉलिटिशियन बनने के बाद वह एक चीज जो मैं बदलना चाहता हूं मुझे वह पता भी नहीं कि वह चीज क्या है तो हम जैसे लोगों के लिए आप क्या करेंगे मैं मैं दूसरी तरह से देखता हूं आपने जो अपना एनालिसिस किया वो अधूरा है अधूरा इसलिए हैं कि अगर आप जो कह रहे थे वही होते तो आज आप यहां नहीं होते आपका
एक एक मिनट रुपए पैसों का खेल होता व सब छोड़ छाड़ करके दिल्ली की ठंड में आप मेरे साथ अपना दिमाग खपा रहे हो मतलब कि आप डेमोक्रेसी पॉलिटिक्स इससे जुड़े हो पॉलिटिक्स का मतलब चुनाव नहीं है पॉलिटिक्स का मतलब हरजीत नहीं है पॉलिटिक्स का मतलब सत्ता नहीं है वह उसका एक पहलू है चुने हुए जनप्रतिनिधि कितने होंगे देश में मान लीजिए 100 हज एमएलए होंगे एक दोज य सब लोग तो जिने लेकिन राजनीति में सब लोगों की जरूरत होती है दूसरा आप पॉलिसी मेकिंग में होते [संगीत] हैं तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं
आप अपनी एक छोटी कंपनी में अच्छी चीज करके बदलाव लाए लेकिन अगर आपका व्यक्तित्व किसी पॉलिसी मेकर की जगह पर होगा राजनीति में होगा तो आप वो बदलाव पूरे देश में ला सकते हैं तो सबसे बड़ा एडवांटेज यह होता है शासन व्यवस्था में कि आप नीतियां बना सकते हैं नीतियों को एग्जीक्यूट करके आप स्थितियां बदले बदल सकते हो और अगर सही दिशा में हो और नेक ईमानदारी से करते हो तो आपको परिणाम नजर आते हैं अब जैसे मैं बताऊ हमारे देश में ट्राइबल के लिए तो काम हर सरकार करती आई है लेकिन हमारे राष्ट्रपति जी
द्रोपदी मुरमू जी वह समाज के उस तबके से आती हैं तो मैं जब भी उनसे मिलता था तो बहुत इमोशनल हो जाती थी आदिवासी समाज में भी न अति पिछड़े जो लोग हैं उन तक कुछ पहुंचा नहीं है और छोटे-छोटे समूह है बिखरे हुए हैं उन्होंने मुझे कई बार कहा कुछ करना मैंने उनसे कहा आप मुझे गाइड कीजिए तो उनके मार्गदर्शन में मैंने एक स्कीम बनाई पीएम जर्मन योजना अब यह लोग ज्यादा से ज्यादा 25 लाख लोग है और वो भी 250 जगह पे है पॉलिटिशियन के लिए काम का नहीं है क्योंकि उसे वोट मिलना
नहीं है जीत हार होनी नहीं है लेकिन जीवन के लिए बहुत बड़ा है द्रव पदी जी उस समाज को जानती थी उन्होंने मुझे आग्रह किया और मैंने पीएम और आज जब मैं सुनता हूं कि साहब वहां पहले यह नहीं था अब यह हो गया वह नहीं था हो गया तो मेरे मन को एक बड़ा सेटिस्फेक्शन मिलता है कि जगह का क्या उपयोग हो सकता है जिसको किसी ने नहीं पूछा उसकी पूजा करने का मुझे अवसर मिल गया तो मैं राजनीति में अगर आप अच्छे निर्णय और सही समय पर निर्णय करते हैं तो कितना बड़ा परिवर्तन
ला सकते हैं इसका एक उदाहरण है और सर मैं कोई जर्नलिस्ट नहीं हूं ना ही मैं एक पॉलिटिकल एक्सपर्ट हूं अगर मैं पॉलिसीज के बारे में बात करूंगा तो आई विल साउंड लाइक एन इडियट इसके लिए शायद बहुत सारे मोर एक्सपीरियंस लोग हैं बट इफ आई गो बैक टू फेलर क्या आप और दे सकते हैं और उनसे आपने क्या सीखा फ्रॉम फेलर बचपन में भी हो सकता है सीएम के टाइम में पिछले 10 साल में वैसे मुझे सेटबैक तो बहुत आए हैं अब जैसे मैं छोटा था शायद प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था मुझे एट याद
नहीं है अभी और हमारे राज्य में शायद कोई सैनिक स्कूल शुरू हुआ अब मुझे अखबार पढ़ने की आदत थी तो अखबार पढ़ना मतलब एडवर्टाइजमेंट भी पढ़ता था कोई बस पर्दा मतलब पर्दा तो मेरे गांव में लाइब्रेरी से लाइब्रेरी में चला जाता था तो मैंने य सैनी स्कूल का पढ़ा तो फिर शायद उस समय एक रुपया का मनी ऑर्डर करके वो सारा मंगवाया मैंने सब अंग्रेजी में इतना बड़ा आया हमें कुछ आता नहीं था तो मेरे यहां एक रासबिहारी मनियार करके हाई स्कूल के प्रिंसिपल थे लेकिन मेरे घर से कोई 300 400 मीटर दूरी पर रहते
थे तो जाते आते उनका घर देखते थे और हम बचपन में तो बहुत बड़े लगते थे तो एक दिन में उनके घर पहुंच गया मैंने कहा मुझे समझ नहीं आता है अगर कोई मुझे समझाए तो अब वो बड़े दयालु थे तुम चिंता मत करो बेटा मैं तुम्हारी चिंता करूंगा तो उन्होंने सारा देखा और मुझे कहा देखिए यह स्कूल है सैनी स्कूल है ऐसा उसका एक इंटरव्यू होता है एग्जाम होता है पास होता है जाते बाद में मैंने मेरे पिताजी को कहा मेरे पिताजी ने कहा नहीं नहीं हमारे पास पैसे पैसे नहीं है कहीं जाना माना
नहीं है अपने गांव में ही रहो अब वो मेरे मन में पता नहीं सैनिक स्कूल या बहुत बड़ी चीज होती है देश के लिए नहीं कर पाया तो मुझे लगता है कि शायद वो पहला ही मेरे मन में एक सेटबैक आया कि मैं यह भी नहीं कर सकता हूं यानी जीवन में मैं से एक एक चीज देखूं मुझे याद है मैं मेरे मन में इच्छा थी साधु जीवन जीने की इी बी मैं नहीं कर पाया मेरा पहला प्रयास तो था कि मैं रामकृष्ण मिशन में अपने आप को जोडू स्वामी आत्मस्थानंद जी ने जो 100 साल
उनके जीवन रहा अभी स्वर्गवास हु उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ कहा है स्वामी आत्मस्थानंद जी ने क्योंकि मैं उनके पास रहा लेकिन रामकृष्ण मिशन के कुछ नियम थे मैं उस क्वालिफिकेशन में बैठता नहीं था तो मैं वहां फिट नहीं ू हुआ तो मुझे मना कर दिया गया लेकिन मैं निराश नहीं हुआ मेरे लिए मेरा सपना अधूरा रह गया लेकिन मैं निराश नहीं हुआ मैं सेट पैक ही था मेरे जीवन में ऐसे ही भटकता रहा फिर और कहीं कुछ संतो महंतों को ढूंढता रहा वहां भी कुछ सफलता नहीं मिली एक प्रकार से मैं कह सकता हूं
तो फिर लौट के आ गया शायद नियत ने कुछ ऐसे ही सोचा होगा मुझे हम इस राह पर ले गई नियती तो जीवन में सेट बैक तो आते ही है और यह सेट पैक्स ने आज आपकी पर्सनालिटी में एक महत्त्वपूर्ण पार्ट प्ले किया है जैसे आपकी पर्सनालिटी आज है और उनसे आपने क्या सीखा मैं बताता हूं मैं जब आरएसएस में काम करता था तो उस समय नई नई एक पुरानी जीप ली आरस वालोने तो मुझे ड्राइविंग आता था ने सीखा था मैं नया नया अब मैं ट्राइबल बिल्ड में हमारे एक संघ के अधिकारी को लेकर
के ट्रैवल कर रहा था तो उकाई डैम से हम वापस आ रहे थे तो काफी ढलान थी तो मैं मैंने सोचा पेट्रोल बच जाएगा तो मैंने गाड़ी बंद कर दी और जाएगा नीचे गाड़ी तो चली जाएगी मुझे ज्ञान नहीं था कि इसके कारण मेरी मुसीबत कैसी आएगी व्हीकल अनकंट्रोल हो गया ब्रेक लगाए तो भी मुसीबत थी क्योंकि तेज गति एकदम से पकड़ ली मशीन बंद किया हुआ था तो कोई कंट्रोल ही नहीं था बच गए लेकिन मेरे बगल वालों को भी पता नहीं चला कि मैंने ऐसा पाप किया है लेकिन बाद में मैंने सीखा ये
खेल बद करो तो सीखते हैं हर गलती से सीखते हैं तो मैं बिल्कुल साफ मानता हूं कि अनुभवों से ही जिंदगी का जितना ज्यादा संभरना होता है व अनुभव से होता है और मेरा सभागार जोन में जिंदगी मैंने बिताई नहीं हमेशा कंफर्ट जोन के बाहर ही रहा और जब कंफर्ट जोन से बाहर रहा तो मुझे पता था कि मुझे कैसा करना है कैसे जीना है ऐसी को ऐसी कोई स्पेसिफिक रीजन इज देर अ रीजन कि आज भी आज आप ऐसे सोचते हैं कि आपको कंफर्ट जन में नहीं रहना है मैं शायद अनफिट हूं कंफर्ट के
लिए ऐसा ही लग रहा है बट आपने ऐसे भी सोचा है कि क्यों आपको क्यों लगता है कि आप अनफिट है कंफर्ट के लिए मैं जिस जीवन को जी कर के आया हूं ना इसलिए मुझे बहुत बड़ी चीजें है मेरे लिए मैं मुझे छोटा सा भी मेरे मन को संतोष देता है क्योंकि मेरा जीवन का जो बचपन का जो व्यक्ति का एक मन तैयार हो जाता है हम उससे वो बाइड लाज उसको लगता है कि संतोष है बा लाज लगता है संतोष है क्या आपको ऐसा भी लगता हो सकता है कि कंफर्ट कम्स इन द
वे ऑफ अचीविया हैं जो लोग कंफर्ट जोन से इवन इवन एक बड़ा उद्योगपति भी अगर रिस्क नहीं लेता है कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आता है उसके कंफर्ट जोन के लेवल अलग होंगे तो काल क्रम पर वह खत्म हो जाएगा उसको बाहर आना ही पड़ेगा और जो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना चाहता है उसने कंफर्ट जोन का आदि नहीं बनना चाहिए रिस्क लेने की उसकी जो मनो भूमिका है हमेशा हमेशा उसका ड्राइविंग फोर्स होती है और यह एंटरप्रेन्योरशिप में भी सेम थिंग है जो ज्यादा रिस्क ले सके ही डज बेटर क्या सर
आपकी लाइफ में आपकी रिस्क टेकिंग एबिलिटी टाइम के साथ बढ़ रही है मुझे लगता है मेरी जो रिस्ट टेकिंग कैपेसिटी है उसका अभी फुल यूटिलाइजेशन हुआ ही नहीं है बहुत कम हुआ है मेरी बहुत रेकिंग कैपेसिटी शायद अनेक गुना ज्यादा होगी इसका कारण है कि मुझे परवाह ही नहीं है मैंने अपने विषय में कभी सोचा ही नहीं है जी और जो खुद के लिए नहीं सोचता है उसके पास रिस्ट टेकिंग कैपेसिटी का कोई या बेहिसाब होती है मेरा केस ऐसा है अगर आप आज के दिन आज मैं ये नहीं हूं कल ये नहीं रहूंगा तो
मेरा क्या होगा कोई लेना देना ही नहीं मेरा अगर आज आपके दिन में किसी चीज के बारे में नहीं सोचे जीरो फियर नॉट अफ्रेड ऑफ एनीथिंग और एक ऐसा डिसीजन ले जो आप अदर वाइज नहीं ले रहे बिकॉज ऑफ स्ट्रक्चर कंस्ट्रक्ट गवर्नमेंट ल ऑफ दैट वो एक चीज क्या होती शायद मेरी और विधाएं समाप्त हो चुकी है वन लाइफ वन मिशन जैसा हो गया है इसलिए शायद मुझे लेकिन एक चीज मैं पहले करता था जो कभी-कभी मेरा मन अभी भी करता है मेरा एक कार्यक्रम होता [संगीत] था और मैंने उसको नाम दिया था मैं मुझको
मिलने जाता हूं मैं मुझको मिले जाता हूं यानी कभी कभी हम खुद को ही नहीं मिलते दुनिया को तो मिलते हैं खुद को मिलने के लिए समय ही नहीं है तो मैं क्या करता था साल में कोई समय निकाल के तीन चार दिन मेरी जितना जरूरत है उतना सारा लेकर के चल पड़ता था और उस जगह पर जाकर रहता था जहा कोई मनुष्य ना हो कहीं पानी की सुविधा मिल जाए बस ऐसी जगह में ढूंढता था जंगलों में कहीं उस समय तो ये मोबाइल फोन वगैरह कुछ था ही नहीं अख बार बख को सवाल नहीं
उठता था तो वो जीवन का मेरा एक अलग आनंद होता था वो मैं कभी-कभी मिस करता हूं और उस दौरान आप आपने कुछ सीखा अपने बारे में कि जब आप अपने साथ थे अकेले में अ फिलॉसफी में जैसे कि बहुत लोग कहते हैं कि द मोस्ट इंपॉर्टेंट इंटरेस्टिंग क्वेश्चन इन लाइफ इज व्हाई एम आई हाउ आई एम क्या आपने कुछ सीखा अपने बारे में इन दैट टाइम कि आप ऐसे क्यों हैं अपने आप में खो जाना बस यही एक बात एक उदाहरण बता दूं इससे क्या हुआ हम शायद 80 का कालखंड होगा मैंने तय किया
कि मैं रेगिस्तान में रहूंगा तो मैं चल पड़ा लेकिन रेगिस्तान में मैं पटकता ही गया पटकता ही गया लेकिन एक दिया दिखता था लेकिन मैं पहुंच नहीं पाता था तो कोई मुझे कैमल वाला मिल गया बोले भाई तुम क्या कर रहे हो यहां पर मैंने कहा मैं रेगिस्तान में अंदर जाना चाहता हूं उसने कहा ऐसा करो अभी मेरे साथ चलो व जो सामने लाइट दिखती है वह एक आखिरी गांव है मैं तुम्हें वहां तक छोड़ देता हूं रात को वहां रुक जाना और सुबह फिर कोई वहां से तुम्हें मिल जाए तो तो मुझे ले गया
कोई गलबे करके मुस्लिम सज्जन थे उनके ले गया अब वो छोटा सा गांव धोर जो पाकिस्तान की सीमा पर भारत का आखिरी गांव है 2025 घर और सभी मुस्लिम परिवार तो अतिथ सत्कार तो हमारे देश में हैय कहा भाई बच्चे तुम आओ भाई मैंने कहा नहीं मुझे तो जाना है तो बोले नहीं जा सकते रेगिस्तान तुम्ह अंदाज है माइनस टेंपरेचर होगा तुम कैसे रहोगे अभी रात को यहां सो जाओ तुम्हें सुबह दिखाएंगे रात को मैं उनके रुका उन्होंने खाना वाना खिलाया मैंने कहा मुझे तो अकेले रहना है कुछ चाहिए नहीं बोले तुम अकेले रह ही
नहीं सकते तुम यहां एक हमारा छोटा सा झोपड़ी है तुम वहां रहो और उस दिन में चले जाना तुम में रात को वापस आ जाना मैं गया वह वाइट रन था और कल्पना बाहर का वह एक दृश्य ने मेरे मन को इतना छू लिया जो चीजें मैंने मेरे हिमालयन लाइफ में अनुभव की थी बर्फ की चट्टानों के बीच में जिंदगी गुजारना यहां मैं वही दृश्य अनुभव कर रहा था और मुझे एक स्पिरिचुअल फीलिंग आता था लेकिन वो जो दृश्य मेरे मन में था जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने वहां एक रणो सव बड़ा इवेंट बना
दिया और आज वह टूरिज्म का बहुत बड़ा डेस्टिनेशन बन गया है और अभी ग्लोबली बेस्ट टूरिस्ट विलेज का उसको दुनिया में नंबर वन इनाम मिला है उसको अगर सोचिए कि कल आपकी जिंदगी में एक ऐसी ऐसा इवेंट हो जि आपको सबसे ज्यादा खुशी मिले तो पहला कॉल आपका किसको हो जाएगा ऐसा है कि मैं जब श्रीनगर के लालचौक में तिरंगा झंडा फहराने गया था और पंजाब में भगवाड़ा के पास हमारी यात्रा पर अटैक हो गया गोलियां चली काफी लोग पांच या छह लोग मारे गए काफी लोग इंजर्ड हुए तो पूरे देश में तनाव था कि
क्या होगा श्रीनगर लालचौक में जा रहे तब तो तिरंगा झंडा फहराना भी बड़ा मुश्किल था लाल चौक में तिरंगा झंडे को जला दिया जाता था तिरंगा झंडा फहराने के बाद हम जम्मू आए तो मैंने ज से मेरा पहला फोन मेरी मां को किया मेरे लिए एक खुशी की पल थी और दूसरा मन में था कि मां को चिंता होती होगी कि गोलियां चली है और यह कहां गया है तो मुझे याद है मैंने पहला फोन मां को किया था मुझे उस फोन का महात्म आज समझ आता है वैसा मुझे फीलिंग और मैं कहीं आया नहीं
टू लूज अ पेरेंट जसे आप यू लॉस्ट अ पेरेंट रिसेंटली आई लॉस्ट माय डैड रिसेंटली आपने मुझे खत भी लिखा था थैंक यू वेरी काइंड अ आपके दिमाग में पहली चीज क्या आती है जैसे मैं अपना एग्जांपल दूं तो व्हेन आई लॉस्ट माय डैड द फर्स्ट थॉट इन माय माइंड वाज गिल्ट कि मैंने यह क्यों नहीं किया मैंने जाके और टाइम स्पेंड क्यों नहीं किया उनके साथ व्हाई डिड आई पिक मे बी वर्क मे बी दिस दैट और द अदर ओवर हिम जब आपकी लाइफ में येट इवेंट हुआ तो आपने क्या सोचा ऐसा है कि
वैसा मेरे जीवन में नहीं है क्योंकि मैं बचपन में घर छोड़ चुका था तो घर के लोगों ने भी मान लिया था कि ये हमारा नहीं है मैंने भी मान लिया था कि मैं घर के लिए नहीं हूं तो मेरा जीवन वैसा रहा इसलिए उस प्रकार का अटैचमेंट किसी को भी फील होने का कारण नहीं था था लेकिन जब हमारी माता जी का 100 साल हुआ तो मैं मां को पैर छूने के लिए गया था अब 100 साल की उम्र मेरी मां पढ़ी लिखी नहीं थी उनको कुछ भी पढ़ा वो ज्ञान नहीं था याने अक्षर
ज्ञान नहीं था तो मैंने जाते जाते कहा कि मां मुझे तो निकलना पड़ेगा मेरा काम है मेरे लिए कुछ तो मैं हैरान था मेरी मां ने दो वाक्य कहे बड़े ही यानी एक जिसको कभी स्कूल का दरवाजा नहीं देखा वो मां कहती है काम करो बुद्धि से जीवन जियो शुद्धि से अब यह वाक्य उनके मुंह से निकलना यह मेरे लिए बड़ा अने एक प्रकार से बहुत बड़ा खजाना था काम करो बुद्ध गुजराती में बोल रही थी वो लेकिन उसका मतलब यह था काम करो बुद्धि से जीवन जियो शुद्धि से तो मैं सोचता था कि कि
परमात्मा ने इस मां को क्या कुछ नहीं दिया होगा क्या विशेषता होगी तो कभी लगता है कि मैं इस के पास कभी रहता तो मैं शायद ऐसी बहुत सी चीजें निकाल सकता था जान सकता था तो कमी महसूस होती के ऐसा मेरा संवाद बहुत कम हुआ क्योंकि मैं जाता था साल में एक दो बार अच्छा मां कभी बीमार नहीं हुई मां को और कभी जाता था तो भी पूछती थी मुझे कि भाई तुम्हें काम होगा जाओ जल्दी तुम अरे इस प्रकार का उनका नेचर था तो सर मैं पॉलिटिक्स में फिर से आ रहा हूं पहले
आपने बताया कि पॉलिटिक्स डर्टी नहीं है हिस्ट्री ने बताया कि पॉलिटिशियन शायद पॉलिटिक्स को डर्टी बनाते हैं एंड दिस इज स्टिल द प्लेस फॉर आइडियलिस्टिक पीपल इफ दे वांट टू चेंज चेंज द इ सिस्टम दूसरा सवाल पैसे इन पॉलिटिक्स अगर हम टू द यूथ ऑफ द कंट्री वी से जॉइन पॉलिटिक्स उनके दिमाग में सेकंड प्रॉब्लम जो आता है कि इसके लिए बहुत पैसे चाहिए और यह हमारे पास नहीं है इसके बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे मेरे लाइफ में स्टार्टअप इंडस्ट्री में जहां पर मैं काम करता हूं जब हमें एक आईडिया आता है हम दोस्तों
से फैमिली से पैसे लेते हैं इस जिको हम सीड राउंड कहते हैं पॉलिटिक्स में ये कैसे होगा मुझे बचपन की घटना याद है मेरे गांव में एक डॉक्टर बसंत भाई परीक थे अच्छे डॉक्टर थे आंखों के और सेवाभावी थे अच्छे ऑरेटर भी थे और हिंदी में अच्छा बोलते थे वो गुजराती भी अच्छा बोलते थे उन्होंने एक बार इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ना तय किया और हम सब वानर सेना जिसको कहे बाल सेना वह भी झंडा लेके घूमते थे मोटा-मोटा मुझे याद है उन्होंने लोगों से एक एक रुपया लिया था चुनाव लड़ने के लिए और फिर उन्होंने सार्वजनिक
सभा में हिसाब दिया था कि कितना पैसा मिला और शायद वोह 50 खर्च हुआ उनका चुनाव और बहुत कम वोट से जीते थे लेकिन जीत गए थे ऐसा नहीं है कि समाज सत्य को नहीं जानता है आप में धैर्य चाहिए आपका समर्पण चाहिए दूसरा यह कांट्रैक्ट का भाव नहीं चाहिए कि मैं इतना करता हूं तो मुझे वोट मिलने चाहिए फिर आप सफल नहीं होते जीवन इसलिए मैंने कहा राजनीति को यह जो चुनाव एमएलए एमपी इसी में बांध करके रखा है बाहर निकले हम समाज जीवन के साथ जुड़े हुए किसी भी काम से लग जाए वह
राजनीतिक प्रभाव पैदा करता ही करता है कोई अगर एक छोटा सा आश्रम भी चलाता है बच्चियों की शिक्षा का काम करता है स्वयं चुनाव नहीं लड़ता है लेकिन उसके प्रयासों का एक परिणाम होता है कि राजनीतिक परिणाम निकलते हैं और इसलिए राजनीति को बहुत बड़े कैनवास पर देखने की आवश्यकता है और कभी-कभी तो मैं कहता हूं डेमोक्रेसी में वोटर स्वयं भी इनवे पॉलिटिशियन है वह अपना वोट देता है तब अपना माइंड अप्लाई करता है इसको दूं इसको ना दूं जिसको ना दूं उसके प्रति उसके मन में कोई भाव पड़ा है जिसको दू उसके लिए मन
में भाव पड़ा है इसलिए डेमोक्रेसी में मेरे केस में मैं अनुभव करता हूं कि मुझे भले में राजनीति में हूं लेकिन जो सो कॉल पॉलिटिशियन जिसको कहते हैं वैसा मैं नहीं हूं चुनाव के समय ही मुझे यह राजनीतिक भाषण करने पड़ते हैं मेरी मजबूरी है मुझे अच्छा नहीं लगता है लेकिन करना पड़ता है एक ऐसी मजबूरी है मेरा पूरा समय चुनाव के सिवाय गवर्नेंस पर होता है और जब मैं सत्ता में नहीं था तो मेरा पूरा समय संगठन पर होता था ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट प मैं अपने कार्यकर्ताओं के जीवन को घने के लिए खपा रहता
था किसको वक्तृत्व स्पर्धा कैसे करनी प्रेस नोट कैसे लिखना मास मोबिलाइजेशन कैसे करना मैं एक एक चीज में लगा रहता था मैं फलाने डिकना भी ऐसा व भलाना है उस चक्कर में नहीं पड़ता था और यहां भी आपने देखा होगा जब मैं गुजरात में था जैसे मैं मेरे सामने विषय मैं नया मुख्यमंत्री बना था तो मेरे सामने एक काम था भूकंप का तो मैं भूकंप ग्रस्त इलाके में गया आकर के मैंने अफसरों की मीटिंग की उनको पूछा मैंने कहा भाई तब तक भूकंप को न महीने हो चुके थे मैं अक्टूबर महीने में गया था तो
उन्होने कहा साब मार्च महीने तक यह होगा मैंने कहा मार्च महीना तुम्हारे दिमाग में जो यह सरकारी जो ईयर है बजट के कारण फाइनेंसियल उससे बाहर निकलो मुझे बताओ 26 जनवरी के पहले क्या करोगे क्योंकि देश 26 जनवरी को आक के देखेगा एक साल में क्या हुआ तो हमारा टारगेट इसलिए मैंने क मुझे दिसंबर एंड का टारगेट दो अफसरों ने फिर मैंने कहा कि चलिए भाई 43 तालुका थे मैंने कहा हर अफसर एक तालुका का इंचार्ज और आप उस ब्लॉक के च मिनिस्टर हो जाइए और वहां मुझे काम करके दिखाइए फ्राइडे को जाना है मंडे
को मैं पूछूंगा क्या किया सब जाकर के वापस आए पहली मीटिंग हुई मीटिंग में कहते साहब यह तो हो ही नहीं सकता मैंने कहा क्यों बोले साहब य नियम ऐसा है कि मैंने कहा नियम किसने बनाया बोले हमने बनाया मैंने कहा अब आपको जमीन पर गए तो आपको पता चला कि सामान्य मानवी की मुसीबत क्या है मैंने कहा नियम बदलो और सारे नियम उन्हीं लोगों ने बदले और तेजी से काम हुआ और जब जनवरी महीने में देश भर के दुनिया भर का मीडिया वहां गया उसने लगा कि तो अब मैं वहां पॉलिटिक्स नहीं कर रहा
था मैं टीम स्पिरिट से सबको मोटिवेट करते हुए एक परिणाम की तरफ ले जा मैं अनुभवी नहीं था मैं नया था मुझे सरकार चलाने का कोई ज्ञान नहीं था मैं यहां दिल्ली में आया तो दिल्ली में मैंने एक मेरे सचिवों को एक दिन बुलाया आया मैंने कहा मेरी एक इच्छा है आप करोगे काम बोले नहीं आप सब बताई दो मैंने कहा कि आप सब लोग अपने परिवार के साथ दो-तीन दिन की छुट्टी [संगीत] लीजिए उनको लगा ये प्राइम मिनिस्टर छुट्टी क्या हमने क लेकिन छुट्टी में काम करना है आप जब आईएएस अफसर बने और पहली
जो जॉब की थी जिस गांव में वहां जाइए दो रात वहां रुकिए अपने बच्चों वगर ले गया और अपनी पत्नी को बच्चों को बताइए कि इस ऑफिस में मैं बैठता था यहां पंखा भी नहीं था एंबेसडर गाड़ी एक थी तो चार लोग जाते थे सारा दिखाओ और फिर आ हम बात करेंगे गए सब लोग आए मैंने कहा साहब होए बोले साब होए पुराने लोग मिले बोले मिले मैंने कहा मेरा आपसे बड़ा गंभीर सवाल है आपको जिस जगह पर आप गए नौकरी की शुरुआत की ते 25 साल पहले 30 साल पहले आप तो वहां से यहां
पहुंच गए 25 साल पहले जो गांव था वैसा ही है कि बदला हुआ है उनको सबको चोट पहुंची उनको लगा हां साहब वो तो वैसे के वैसे हैं मैंने कहा मुझे बताइए कौन जिम्मेवार तो मैंने उनको कुछ बुरा बुरा नहीं कहा मैंने उनको मोटिवेट किया रियलिटी से परिचित करवाया उनको उस दुनिया को ले गया मैं वापिस 25 साल पहले तो मेरा काम करने का तरीका मुझे कभी किसी को अपशब्द नहीं कहना पड़ता किसी को डांटना नहीं पड़ता है मैं इसे इन तरीकों से काम लेता हूं और अगर आप ऑर्गेनाइजेशन के बारे में बात करें तो
एंटरप्रेन्योरशिप स्टार्टअप बिजनेसेस में जब साइकिल अच्छा चल रहा हो तो लोग बहुत सारे लोगों को हायर करते हैं फिर मार्केट स्लो डाउन हो जाता है या साइकिल बदलता है और उन्हें बहुत लोगों को फायर करना पड़ता है आपने हमेशा से कहा है मिनिमम मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस क्या यह हमारी सरकार हैव वी बीन एबल टू अचीव दिस टू अ सर्टेन एक्सटेंट य कैसे चल रहा है आपको सही लगेगा हमारे यहां मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का कुछ लोगों ने ना समझी में अपने अपने अर्थ निकाले कुछ लोगों को लगा कि मंत्रियों की संख्या कम मतलब मिनिमम
गवर्नमेंट कुछ लोगों को लगा कि कर्मचारियों की संख्या मतलब मिनिमम गवर्नमेंट मेरीय कल्पना कभी नहीं थी ऊपर से मैंने तो आकर के स्किल मिनिस्ट्री अलग बनाई कोऑपरेटिव मिनिस्ट्री अलग बनाई फिशरीज मिनिस्ट्री अलग बनाई तो देश में जिन जिन फोकस एरिया होते हैं उसके लिए जब मैं मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस कहता हूं हमारी य जो प्रोसेस चलती है लंबी एक क्लीयरेंस लेना है तो छछ महीने चल रहा है एक का कोर्ट कचरी का मामला है तो 100 स साल तक पुराने केस अभी लटके पड़े हैं इसलिए हमने क्या किया करीब 400 हज कंप्लायंस हमने निकाल दिए
वरना यह डिपार्टमेंट आपसे य चीज मांगेगा बगल वाला भाई आपसे वही चीज मांगेगा तीसरा भी वही मांगेगा भाई एक ने मांग लिया है ना आप उपयोग करो ना 400 क आप हिंदुस्तान के सामान्य मानवी को कितना बर्डन होता है मैंने करीब करीब 1500 कानून खत्म किए मैंने क्रिमिनल चीजों से जोड़ने वाले कानूनों को बदला है तो मेरी जो मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का कल्पना है वह यह है और मैं आज देख रहा हूं कि यह सब चीजें हो रही है सर इंडिया स्टैक जैसे कि हम डायरेक्ट बेनिफिशियरी हैं इसके यूपीआई ई केवाईसी आधार क्या आपको
लगा था जब इसका कंसेप्ट हुआ था कि इल प्ले आउट इन द मैनर दैट इट डिड आज मैं 30 सेकंड में 30 सेकंड में 10 करोड़ किसानों के खाते में सीधे पैसे भेज सकता हूं मैं आज देश के 13 करोड़ गैस सिलेंडर के उपभोक्ताओं को सबसिडी के पैसे एक क्लिक से 30 सेकंड में भेज सकता हू क्यों जन धन अकाउंट किसी को लगे कब होता लेकिन देश के करोड़ों रुपए जो लीकेज होता था जो भ्रष्टाचार होता था वह गया और टेक्नोलॉजी का उपयोग हुआ अब यूपीआई आप देखिए पूरी दुनिया के लिए अजूबा है जी दुनिया
के मेहमान आते तो पूछते हैं कि यूपीआई कैसे काम कर मैं उनको कहता हूं जरा किसी वेंडर के य होओ भाई इनटेक की दुनिया में और टेक्नोलॉजी को डेमोक्रेटाइज कैसे किया जाता है दुनिया के सामने भारत ने एक उदाहरण पेश किया है आज देश के नौजवानों के जेब में एक मोबाइल फोन हो उसे किसी चीज की जरूरत और मेरे देश के नौजवान याद रखेंगे कभी न कभी कि एक ऐसी सरकार आई थी जो पूरी दुनिया मेरे जेब में थी मेरे मोबाइल में थी टेक्नोलॉजी ड्रिवन सरी है देश ने सेपरेट इनोवेशन के लिए कमीशन बनाया है
मैंने इनोवेशन के लिए अलग फंड निकाला है नौजवान रिस्क ले उसको लगना चाहिए मैं फैल जाऊंगा तो भी कोई मैं भूखा नहीं मरूंगा कोई है मेरी चिंता करेगा मैं एक बार गया था ताइवान तो मेरा मेरा स्वभाव एक स्टूडेंट का है मेरे भीतर कोई चीज एक है क्वालिटी तो मैं कह सकता हूं विद्यार्थी मेरे अंदर जिंदा है तो मैं वहां सब नेताओं से मिला मैं व और मैं इतना प्रसन्न था कि जितने भी इनके लीडर थे अगर ट्रांसपोर्ट का मिनिस्टर था तो उसने दुनिया की बेस्ट यूनिवर्सिटी में ट्रांसपोर्ट में पीएचडी किया हुआ था यानी जिस
विषय का वह मिनिस्टर था उस विषय का वह टॉप मोस्ट यूनिवर्सिटी का वह पीएचडी किया हुआ व्यक्ति था यह चीज मेरे मन को बड़ा प्रभाव कर गया मेरे देश में भी मैं ऐसा यूथ चाहता हूं जो देश को उस लेवल पर ले जाए वही ताइवान में मैं गया था तो मेरा एक इंटरप्रेटर था वह क्वालिफाइड इंजीनियर था और अच्छा पढ़ा लिखा था तो इंटरप्रेटर के रूप में वहां की सरकार ने मेरे साथ लगाया था और मेरी 10 दिन का टूर था ताइवान का मैं उस सरकार के मेहमान था यह भी मेरे मुख्यमंत्री बनने के पहले
की बात है तो आखिर के दिनों में उसने मुझे पूछा कि साब मैं एक बात पूछना चाहता हूं अगर आप बुरा ना माने तो नहीं मैंने कहा भ अने इतने दिनों से साथ रह रहे बुरा क्या माने आप पूछिए नहीं नहीं बोले आपको बुरा लग जाएगा नहीं नहीं नहीं वो टलता रहा मैंने कहा ऐसा मत करो भाई तुम्हारे मन में कुछ है तुम पूछो तो उसने मुझे पूछा कि साहब क्या अभी भी हिंदुस्तान में काला जादू चलता है अभी भी हिंदुस्तान में साफ सपेरे होते हैं अभी भी उस बेचारे के मन में हिंदुस्तान की यह
छ भी थी इतने दिन में उसके साथ रहा मैं टेक्नोलॉजी की चर्चा करता था फिर भी उसके मन में था मैंने उसको मजाक में लिया मैंने कहा देखिए भाई अब तो हमारा हमारे पूर्वज तो सांप पाप के साथ खेल खेलते थे हम लोग नहीं खेल पाते हम माउस के साथ खेलते हैं और मैंने कहा मेरे देश का हर बच्चा माउस खेल मैंने कहा मेरे देश की ताकत उस माउस में है व साफ सफर वाला हिंदुस्तान अलग था एक चीज है जो सभी लोग मानते हैं कि इंडिया का जो परसेप्शन है यह एंटरप्रेन्योरशिप में भी कॉमन
है कि मार्केटिंग एक कंपनी बनाने का बहुत बड़ा हिस्सा होती है आपने इंडिया का परसेप्शन आउटसाइड ऑफ इंडिया बहुत बदला है क्या आप इसके बारे में कुछ टिप्स दे सकते हैं जो एक एंटरप्रेन्योर सीख सके पहली बात यह है कि यह क्लेम करना कि मैंने बदला है वह सही नहीं है मेरा मत यह रहा है कि दुनिया में जो भी व्यक्ति जाता है वह सरकार जिसको भे वो राजदूत है यह जाते हैं वह राष्ट्रदूत है अगर हम इनको ऑन बोर्ड लेंगे तो हमारी ताकत अनेक गुना बढ़ जाएगी तो आपने देखा होगा हमने जो नीति आयोग
बनाया है उसकी जो शुरुआती जो हमारे ऑब्जेक्टिव है उसमें एक ऑब्जेक्टिव यह है कि विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय के सामर्थ्य को जोड़ना लिखित है तो मैं सुविचार मेरा मत है कि विश्व में जो सामर्थ्य है उन सबको जोड़ना चाहिए दूसरा मैं मुख्यमंत्री बना उसके पहले भी मेरा विदेशों में जाना बहुत हुआ था और तब तो मैं संगठन के लोगों के बीच में ही रहता था उनके बीच में जाता था तो मैं उनकी ताकत से परिचित था और मेरे कांटेक्ट भी थे कभी मुझे अटल जी के कहने पर एक काम के लिए भी
मैं गया था तो मैं काफी मुझे सफलता मिली थी उसमें तो ये यह ताकत का उपयोग पहले होता नहीं था मैंने उसका चैनला इज करना शुरू किया तो दुनिया के राजनेताओं को भी लगने लगा यह तो बहुत बड़ा फोर्स है बड़ी बड़ी ताकत है दूसरा उनको देखा कि मिनिमम क्राइम अगर कहीं है तो हिंदुस्तानियों में है वेल एजुकेटेड है तो हिंदुस्तानी है कानून को मानने वाले लोग हैं तो हिंदुस्तानी लोग हैं तो एक ऑनर का भाव बढ़ने लगा इन सबके क्यूलेट इफेक्ट जो हुआ है उसके कारण आज देश का प्रोफाइल बढ़ता चला जा रहा है
और मैं यह ऐसे ही नहीं कह रहा हूं सर जब मैं मेरे बचपन में जब मैं बेंगलोर में बढ़ रहा था 14 15 16 20 साल पहले 25 साल पहले तब ऐसा लगता था कि वह एक आदमी जो कॉलेज गया अमेरिका गया पीएचडी की और माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी कर रहा है या ऐसी कोई कंपनी में दैट वास द हाईलाइट उससे बढ़कर हम लोगों के लिए कुछ नहीं था बट मैं यह कह सकता हूं कि आज मैं जब मिलता हूं 18 साल के लड़कों से व भी नहीं है यह लोग इंडिया में बिल्ड करने की बात
कर रहे हैं यह लोग बाहर जाकर कॉलेज की बात बहुत कम कर रहे हैं तब से कंपैरिजन में तो दिस इज अ बिग चेंज और यह मैंने देखा है और सर अगर आप अगेन यू टेक द एग्जांपल ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप वर्सेस पॉलिटिक्स कंपटीशन इज अ गुड थिंग इन माय वर्ल्ड क्या आपकी दुनिया में भी कंपटीशन अच्छी बात है मैं इसको थो दो तीन अलग अलग चीजें बताना चाहूंगा मैं पब्लिकली कहता था क्या आप पछताओगे अगर हिंदुस्तान वापस नहीं आओगे हो सके उतना जल्द एक पैर तो रख दो युग बदलने वाला है ऐसा मैं कहता था और
मुझे याद है जब बीच में आपने मुझे सवाल पूछता था सेट बैक मैं मुख्यमंत्री था एक डेमोक्रेटिक इलेक्टेड गवर्नमेंट का और अमेरिकन सरकार ने मुझे वीजा देने से मना कर दिया था व्यक्ति के जीवन में तो मेरे लिए कोई अमेरिका जाना नहीं जाना कोई बड़ी चीज पहले भी जा चका बहुत मेरे लेकिन एक इलेक्ट्रेड गवर्नमेंट और एक स्टेट का अपमान एक देश का अपमान मैं फील करता था और मुझे मन में कसक थी कि क्या हो रहा है जस्ट कुछ लोगों ने झूठ चला दिया इसलिए यह निर्णय होंगे दुनिया में ऐसे चलती है दुनिया मेरे
मन में एक भाव था लेकिन उस दिन मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मैंने कहा कि आज अमेरिकन गवर्नमेंट ने मेरा वीजा रद्द किया है जो कहना था मैंने कहा लेकिन मैंने एक बात कही मुझे कुछ सवाल पूछा गया मैंने कहा देखिए मैं अब ऐसा हिंदुस्तान देखता हूं कि दुनिया वीजा के लिए लाइन में खड़ी रहेगी 2005 का मेरा स्टेटमेंट है और आज 2025 में हम पहुंच रहे हैं मैं बोल रहा हूं तो मुझे दिखता भी है कि अब समय भारत का है मेरा यूथ जो है मेरा देश का कॉमन मैन है मैं अभी कुवैत गया
तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था तो सब मजदूर परिवारों से मिल रहा था यह मजदूर वह है जो 10 10 151 साल पहले वहां गए हुए हैं तो अब शादी ब में घर आते होंगे उससे ज्यादा उनका नाता नहीं है एक मजदूर ने मेरे से कहा वह बहुत कोई इंटीरियर इलाके में था बोले हमारे यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कब होगा कुवैत में मजदूरी करने वाला 15 साल पहले हिंदुस्तान छोड़कर गया हुआ इंसान अपने डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ड्रीम देखता है यह एस्पिरेशन जो है ना वह मेरे देश को 207 में विकसित बनाएगा
आज भारत के हर यूथ में ये एस्पिरेशन है ऐसा लग रहा है कि आज पूरी दुनिया वॉर की तरफ चल रही है जैसे कि यूक्रेन एंड रशिया फॉर एग्जांपल जब ऐसे देशों में इंडियन नेशनल्स होते हैं और आप इंडिया के प्रधानमंत्री की की डेजिग्नेशन से उनके लिए रिस्पांसिबल इन अ वे है तो आप इसके बारे में कुछ बोल सकते हैं लाइक कैन यू बिल्ड ऑन दिस क्या होता है इन सिचुएशंस में क्या हो रहा है शुड बी वड अबाउट व्ट इ हैपनिंग इन द वर्ल्ड विश्व के अंदर हमारे प्रति विश्वास है कारण क्या है हमारा
दोगलापन नहीं है हम जो कहते हैं साफ कहते हैं जैसे इस क्राइसिस के समय हमने लगातार कहा है कि हम न्यूट्रल नहीं है मैं लगातार कहता हूं हम न्यूट्रल नहीं है जो लोग कहते हैं कि हम न्यूट्रल है मैं न्यूट्रल नहीं मैं शांति के पक्ष में हूं मेरा पक्ष है शांति और मैं उसके लिए जो प्रयत्न होगा उसमें साथ दूंगा मैं यह बात रशिया को भी बताता हूं मैं बात यूक्रेन को भी बताता हूं यह मैं ईरान को भी बताता हूं मैं पलेस्टाइन को भी बताता हूं इजराइल को भी बताता हूं और उनको मेरी बात
पर यह भरोसा है कि मैं जो कह रहा हूं वह सच कह रहा हूं और उसके कारण भारत की क्रेडिबिलिटी बड़ी है तो जैसे देशवासियों को है कि संकट होगा तो जरूर मेरा देश मुझे संभाल लेगा वैसा दुनिया को भरोसा है कि भारत कहता है मतलब वह मानता है देखिए जब कोरोना की स्थिति आई तब हमारे नौजवान भारत के वहीं पर थे जहां सबसे पहले यह घटना घटी अब उनको वापस लाना था तो मैंने एयरफोर्स के लोगों को कहा भाई देखिए संकट का काम है वॉलेटर जो आगे आएंगे मैं उनको य काम दूंगा सब के
सब आगे आए फौज के लोग या एक प्रकार से मौत को साथ लेकर के चलना वैसा ही था वह लेकर के आए भगवान की कृपा से कोई नुकसान नहीं हुआ पाकिस्तान के लोगों को भी लाए नेपाल के लोगों को लाए बांगलादेश के लोगों को लाए तो मेरे मन में भाव यही है भाई मेरा देशवासी उस को मुसीबत हो तो कौन उसकी चिंता करेगा मुझे बराबर याद है एक घटना मुझे सुनी है नेपाल में भूकंप आया यहां से लोगों को भेजा नेपाल से भूकंप में किसी ने मुझे बताया कि तीन चार दिन के बाद जब विमान
नेपाल से हिंदुस्तान के लोगों को लेकर के आ रहा था क्योंकि जाता था सामान लेकर के आता था लोगों को लेकर के वापस ऐसे हमने एक सज्जन हवाई जहाज में खड़े हुए पूरा जहाज भरा हुआ था उन्होंने कहा कि मैं एक डॉक्टर [संगीत] हूं मैं जी जीवन भर सरकार को गालियां देता रहता [संगीत] हूं जो भी सरकार हो हर गाली देता हूं सरकार यह टैक्स लेती है इनकम टैक्स लेती है डिकना लेती है फनाना लेती है मैं बोले मुझसे जहां बोलने का मौका मिला मैं बोलता रहा लेकिन आज मुझे समझ आई कि उस टैक्स की
कीमत क्या होती है आज जो मैं जिंदा वापस जा रहा हूं आप देशवासियों की दुनिया में कहीं पर भी सेवा करते हैं ना तो उसके दिल में भी अच्छाइयां जगती है जी वह भी कुछ अच्छा करना चाहता और मैं अनुभव कर रहा हूं अब आप मुझे अबू धाबी में जाऊ और मैं वहां उस समय क्राउन प्रिंस थे उनको कहूं कि एक मंदिर के लिए जगह अगर आप देंगे तो अच्छा होगा एक पल का विलंब किए बिना इस्लामिक कंट्री में मुझे मंदिर बनाने के लिए जगा लिए अनुमति मिल जाए आज करोड़ों हिंदुओं को कितना आनंद हो
रहा है चलो भाई देशवासी जैसे हम दूसरे देशों के बारे में बात कर रहे हैं अगर मैं थोड़ा डाग्रे करूं और पूछूं कि मेरा फेवरेट फूड अगर आप पूछे तो पिज्जा है और पिज्जा इटली से और लोग कहते हैं कि आपको इटली के बारे में इंटरनेट पर बहुत कुछ पता है आप इसके बारे में कुछ कहना चाहेंगे अपने मीम्स नहीं देखे नहीं वो तो चलता रहता है मैं उसम अपना टाइम खराब नहीं कर ऐसा है कि मैं मैं जिसको कहे खाने के शौकीन लोग वैसा नहीं बिल्कुल नहीं बिल्कुल नहीं इसलिए जो भी परोसा जाता है
जिस देश में जाता हूं मुझे वह मैं बड़े चाव से खाता हूं लेकिन मेरी कम नसीब ऐसी है कि आज मुझे कैसे आप रेस्टोरेंट में ले जाओगे और मुझे मेनू दे कर के आप कहोगे कि सिलेक्ट करो तो मैं नहीं कर पाऊंगा सर क्या आप जा पाओगे रेस्टोरेंट मैं अभी तो नहीं जा पाया गया ही नहीं हूं कितने साल हो गए बहुत साल हो गए जब बाहर आप पहले मैं जब संगठन का काम करता था हमारे अरुण जेटली जी खाने के बड़े शौकीन थे उनको हिंदुस्तान के किस शहर में कौन से रेस्टोरेंट में कौन सी
चीज बढ़िया है वह पूरी एनसाइक्लोपीडिया थे तो हम बाहर जाते थे तो उनके साथ एक इवनिंग तो भोजन कहीं किसी रेस्टोरेंट में होता था लेकिन आज अगर कोई मुझे मेनू दे दे और सिलेक्ट मैं नहीं कर सकता क्योंकि कभी वह नाम जो मैं पढ़ता हूं और वो डिश जो है दो सेम चीज है मुझे ज्ञान नहीं है अज्ञान है मुझ में क्योंकि मेरी वो वो टेंडेंसी बनी नहीं तो मुझे ज्यादा उसकी समझ नहीं है तो मैं हमेशा अरुण जी को अरुण जी ऑर्डर आप कर दीजिए मेरा इतना ही रहता था वेजीटेरियन चाहिए मैंने आपकी थोड़े
दोस्तों से बातें की दोस्तों या लोग जो आपको 10 20 साल से ऊपर से जानते हैं और उनसे मैंने पूछा ऐसी चीजें बताएं जो पब्लिक डोमेन में नहीं है मैं उनके नाम नहीं लूंगा उन्होंने मुझे एक फोटो भेजा जहां पर थोड़े चीफ मिनिस्टर की स्वे इन सेरेमनी चल रही है चेयर पर थोड़े सीनियर पॉलिटिशन बैठे हैं आप नीचे बैठे हैं जब मैंने भी वह फोटो देखा एट 38 मुझे सिर्फ वह टाइम याद है जब आप प्राइम मिनिस्टर थे या गुजरात के चीफ मिनिस्टर थे उस टाइम से पहले वाले का कोई इमेजरी मेरे दिमाग में नहीं
आता है तो वन आई लुक्ड एट द पिक्चर आई वास लुकिंग एट इट अगेन एंड अगेन अगर आप बता सके कि यह चेंज वहां से यहां यहां मतलब आपको कोई तू बोल नहीं सकता शायद एक आपके टीचर जिनके बारे में आपने बातें की ये कैसे होता है लाइक आईम दो चीजें बोल नहीं सकता तू ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं कोई बोलता नहीं मुझे तू सुनने को मिलता नहीं है वो बोल नहीं सकता ऐसा अर्थ निकालना ठीक नहीं है लेकिन मुझे कभी वो सुनने को मिलता नहीं है क्योंकि जीवन ऐसा बन गया दूसरा पद बदला
होगा परिस्थितियां बदली होगी व्यवस्थाएं बदली होगी मोदी वही है जो कभी नीचे बैठता था और इसलिए मुझे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है और यह मैं शब्दों में नहीं कह रहा हूं यह रियलिटी है जी मैं मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है कोई फर्क नहीं पड़ता और सर अगर आपको याद है तो पिछले साल मैंने आपके आगे एक स्पीच दिया था वाइब्रेंट गुजरात में जब अ भी थे मैंने इतना बुरा किया कि उसके बाद मैंने एक स्पीच कोच लिया और एक साल से मैं सीख रहा हूं क्लासेस जा रहा हूं मेरा एक टीचर है आप
ये इतनी अच्छी तरह से कैसे करते हैं कुछ टिप्स दे सकते हैं लाइक दिस इज समथिंग एवरी बडी वांट्स टू लर्न दो तीन अलग-अलग चीजें हैं एक तो मेरे लिए बहुत बार पूछा जाता है कि आप तो गुजराती हैं हिंदु हिंदी कैसे बोल लेते हैं मुझे कई लोग पहले जब मैं संघ का काम करता था तो यही मानते थे कि मैं तो उत्तर भारत का हूं लेकिन गुजरात में आक के रहता हूं इसका कारण यह था कि हम रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे तो मेरा गांव महसाना म महे याने भैस भैसाना का मतलब होता
है [संगीत] भैस तो मेरे गांव से भैंस जब दूध देना शुरू करती है तो उसको मुंबई ले जाते थे और मुंबई में वह दूध का व्यापार करते थे दूध देना बंद करते थी फिर वापस गांव आती थी तो यह कारोबार करने वाले लोग उत्तर प्रदेश के होते थे तो जब आते थे तो मालगाड़ी उनको जब मिले उसका इंतजार करते थे फिर मालगाड़ी मिलने के बाद पूरी गांस से उसको भर देते थे और उसके अंदर चार भैंस खड़ी रहे ऐसी व्यवस्था रखते थे तो यह 30 40 इस प्रकार के लोग हमेशा वहां रेलवे प्लेटफार्म पर होते
थे तो चाय मैं बेचता था तो मैं चाय उनको पिलाने जाता था तो उनसे मुझे बात कर पड़ती थी बचपन में तो उनसे बातें करते करते मैं हिंदी सीख गया यह जो भैंस का व्यापार करने के लिए आते थे वो तो वो भी मजदूरी होते थे लेकिन शाम को व भजन भजन कीर्तन करते रहते थे अब चाय मंगवाते हम चाय हम भी हिंदी बोलना सीख गए क्या यह बहुत डिफरेंट है सर जैसे कि आप गुजरात में बढे हुए थे आज आप दिल्ली में रहते हैं इन दोनों में इन दोनों सिटीज में रहना आपके लिए पर्सनली
बहुत डिफरेंट है हम कहां सिटी में रहते हैं भाई ये हम तो घर के खोले हुए पड़े रहते हैं जी घर से ऑफिस ऑफिस से घर हम बाहर की दुनिया से तो हम कट ऑफ हो जाते हैं सरकारी व्यवस्था ऐसी होती है तो वो वो वो अंतर करना तो बड़ा मुश्किल होता है और ये मेरा आखरी क्वेश्चन है सर मैंने आपकी कुछ लेकिन आपका दूसरा एक सवाल था इसका एक रेटरी का करेक्ट जो मैं सीखना चाहता हूं मैं समझता हूं कि आप देखिए मान लीजिए कहीं झगड़ा हो गया है या कुछ हुआ है कुछ हुआ
और वहां बिल्कुल अनपढ चार लोग होते कोई महिला होगी बुजुर्ग होगी और आप माइक लेकर खड़े हो जा व फटाफट फटाफट बताने लगते ऐसा हुआ ऐसा हुआ आग ऐसे लगी ना हुआ आप देखते होंगे इतने बढ़िया शब्द होते हैं बढ़िया एक्सप्रेशन होते हैं बढ़िया नरेशन होता है क्यों सेल्फ एक्सपीरियंस होता है आप जब अपने भीतर से चीजें निकलती है डिलीवरी की स्टाइल क्या है डायलॉग डिलीवरी कैसे करते उसका महत्व नहीं है आप जो बता रहे हैं उसमें अनुभव की कोई ताकत है कि नहीं है आप स्वयं बताते समय कन्विंसिंग अंदर आती है जब वो आप
आप किसी सैड की थिंग के बारे में बातें कर रहे हैं तो डू यू फील सैड एट दैट यस आपने देखा होगा मैं बहुत लोग बुरा मान जाते हैं लेकिन ज्यादातर मैं गरीब की बात करता हूं तो मुझे अपने आप को रोकना रोकना पड़ता है मैं इमोशनल हो जाता हूं अखबार में तो मेरी बड़ी आलोचना हो जाती है लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाता समाज जीवन की ऐसी स्थितियों को जब देखता हूं उनको याद करता हूं तो मैं मेरे मन में स्वाभाविक वो भाव जगता है और सर अगर आप जो भी आप आपने
लाइफ में सीखा है इतना एक्सपीरियंस है आपका अगर आप इसी नॉलेज के साथ अपने 20 ईयर ओल्ड वर्जन को कुछ बोल सके एक चीज तो आप क्या बोलेंगे जो नौजवान है मैं उनको उपदेश देने के लिए अपने आप को योग्य नहीं मानता और नहीं आदेश देने का मुझे कोई हक है पर मैं इतना कहूंगा कि मेरा मेरे देश के नौजवानों के प्रति बहुत भरोसा है एक गांव का बच्चा मैं नौकरी नहीं करूंगा मैं स्टार्ट अप करूंगा तीन स्टार्टअप फेल हो जाएंगे मुझे याद है मैंने पहली स्टार्ट अप कान्फ्रेंस की तब तो स्टार्टअप शब्द भी हमारे
देश में नया था लेकिन मुझे पता था कि इसकी ताकत क्या है तो एक बेटी मैंने कुछ स्टार्टअप जिन्ने शुरू किया तो उनको अपने अनुभव सुनाने के लिए कहा था तो एक बेटी खड़ी हुई तो बोले मैं अपना अनुभव बताती हूं वो बोले वो बंगाली थी कलकाता की थी बोले मैंने स्टार्टअप शुरू किया मैं अपनी मां को मिलने गई अब मैंने कहा मैंने तो नौकरी छोड़ दी है तो बोले क्या करोगी तो बोले मैंने स्टार्ट अप शुरू किया है स्टार्ट अप सर्वनाश उसने ऐसा बड़ा ड्रामे वे में उसने पेश किया था एक समय था कि
स्टार्ट अप मतलब सर्वनाश आज स्टार्टअप की एक प्रतिष्ठा बन गई है एक क्रेडिबिलिटी बन गई है और इसलिए मैं मानता हूं कि छोटे से गांव में भी फेलियर भी होगा तो लोग उसको आदर्श मानेंगे यार दम वाला बच्चा है कुछ कर रहा है और सर अगर मैं आपसे एक सवाल पूछूं कि एस पीएम आपका सेकंड टर्म फर्स्ट टर्म से कैसे अलग था और अभी थर्ड टर्म सेकंड टर्म से कैसे अलग है पहली टर्म में तो लोग मुझे भी समझने की कोशिश करते थे और मैं भी दिल्ली को समझने की कोशिश कर रहा था पहले और
दूसरे टर्म में मैं बीते हुए कल के संदर्भ में सोचता था कि पहले यहां थे अब यहां जाएंगे पहले इतना होता था अब इतना करेंगे तीसरे टर्म में मेरी सोच का दायरा बदल चुका है मेरा हौसला ज्यादा बुलंद हो चुका है मेरे सपनों का विस्तार हो चुका है मेरे अरमान बढ़ते चले जा रहे हैं कहने का तात्पर्य है कि मुझे 20 47 विकसित भारत मतलब की भाषण नहीं है जी एक एक चीज को समस्याओं से मुक्ति टॉयलेट 100% हो जाना चाहिए बिजली 100% होनी चाहिए नल से जल 100% हो जाना चाहिए सामान्य मानवी को अपनी
सरकार से मांगने के लिए भीख मांगनी पड़े क्या य कोई अंग्रेजों का राज है क्या उसका हक है 100% डिलीवरी होनी चाहिए 100% लाभार्थियों को होनी चाहिए 100% बेनिफिट पहुंचने चाहिए कोई भेदभाव नहीं होगा और वही तो सच्चा सामाजिक न्याय है वही सच्चा सेकुलरिज्म है तो उन चीजों पर मैं बल देता रहता हूं और उसका ड्राइविंग फोर्स है एस्पिरेशनल इंडिया मेरे लिए एआई का मतलब है एस्पिरेशनल इंडिया और इसलिए अब मैं सोचता हूं कि मेरा 20 47 में यहां है तो मैं 2025 में यहां हूं तभी कितना बाकी रहा पहले सोचता था पहले से कितना
आगे निकला अब सोच रहा हूं यहां हूं कल तक कहां पहुंच तो अब मेरे दिमाग में 247 के संदर्भ में ही मेरी सोच विचार चलता है तो मेरा तीसरा टर्म दो टर्म से अनेक गुना अलग है बिल्कुल बदलाव है और एक बहुत बड़े सपने वाला है और सर इज देर अ प्लान बियोंड यू इज देर यूथ ट यू हैव फेथ इन ट यर ट्रेनिंग इनकल्केटिंग आज के लिए नहीं बट 20 साल के बाद 30 साल के बाद मैं तो देख रहा हूं जी बहुत ही पोटेंशियल लोग हैं मैं जब गुजरात में था तो मैं कहता
था मैं भाई सरकार भले चलाता हूं लेकिन नेक्स्ट 20 इयर्स के लिए मैं लोग तैयार करके जाना चाहता हूं और मैं वह कर रहा हूं और यह मेरा द मेरी सफलता इसमें है मैं मेरी टीम कैसे तैयार करूं जो चीजों को संभाल ले यह मेरा मेरे लिए अपने लिए मापदंड है और सर आखरी क्वेश्चन मेरे से पॉलिटिशियन बनने के मिनिमम रिक्वायरमेंट्स इतने ज्यादा नहीं है दे शुड बी अबाउ द एज ऑफ 25 नो कन्विसिटी कैंडिडेट बनने के क्वालिफिकेशन बोल रहे हैं हां करेक्ट पॉलिटिशियन बनने के नहीं कह रहे आप राइट पॉलिटिशियन बनने के लिए तो
बहुत क्वालिफिकेशन चाहिए आपको हर पल हजारों आंखें देखती हैं आपका एक शब्द इधर-उधर हो जाए तो आपकी 10 साल की तपस्या मिट्टी में मिल जाती है आपको 24/7 कॉन्शियस रहना पड़ता है आपको उसके साथ जीना पड़ता है अनप्रेसिडेंटेड क्वालिटी चाहिए जी और क्वालिफिकेशन वही है और यह कोई यूनिवर्सिटी की सर्टिफिकेट से नहीं निकलता है जी आप क्या कहना चाहेंगे एस अ बाय मैसेज एस अ पार्टिंग मैसेज टू ऑल द यंग पीपल वाचिंग दिस शो अगर उनके लिए आपका एक मैसेज मैं सबसे पहले माताओं बहनों को और नौजवान बेटियों को कहना चाहूंगा कि आज हमारे देश
में करीब-करीब हर राज्य में कम अधिक मात्रा में हो लेकिन करीब 50 पर विमन रिजर्वेशन है पंचायत में ग्राम प्रधान नगरपालिका महानगरपालिका उन्होंने कोशिश करनी चाहिए कि सच्चे अर्थ में एक लीडरशिप के लिए यह नहीं सोचना चाहिए कि चलो भाई महिलाओं की जरूरत है इसलिए मुझे बिठा दिया है और मैं भी जी नहीं आपने समाज को लीड करना है पुरुषों को भी लीड करने की जरूरत है तो आपको करना है यह मेरी माताए नौजवान बेटियां यह लीडरशिप की क्वालिटी के साथ खड़ी हो जाए यह इसलिए मैं कह रहा हूं कि बहुत ही निकट भविष में
एमएलए और एमपी के में भी 30 पर रिजर्वेशन वाला है उस समय हमें बहुत इस प्रकार के समूह की जरूरत पड़ेगी तो अभी दो चार साल का समय है उनसे आग्रह करूंगा कि आप मैदान में उतरी और जितना ज्यादा अपने आप को योग्य बना सकते बनाने के लिए प्रयास शुरू कीजिए समय है यह समय आपका है यह समझे दूसरा मैं देश के नौजवानों से कहूंगा कि आप राजनीति को बुरा मत मान और चुनाव ही राजनीति है इसने मर्यादा में मत सही है राजनीति क्षेत्र सार्वजनिक जीवन में आइए एक बार किसी भी रूप में आइए और
आज देश को लीडरशिप चाहिए जो रचनात्मक रचनात्मकता की कोक से पैदा हुई हो आंदोलन के कोक से पैदा हुए राजनेता अलग प्रकार का मॉडल बनता है आजादी के आंदोलन में रचनात्मकता भी थी एक अलग प्रकार का लट मिला अब देश को रचनात्मकता यानी कुछ क्रिएटिव सोचने वाले नया करने वाले खुद को तैयार करने वाले सुख दुख समझने वाले रास्ते निकालने वाले दूसरे को नीचा दिखाने वाले नहीं देश के लिए रास्ता निकालने वाले ऐसे बहुत बड़े वर्क की जरूरत है देश को आज नहीं ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं नयों की जरूरत है और आज जो
202 साल का है व अगर आगे आता है तो 20 47 तक वह 40 50 का हो जाएगा यानी एक ऐसी प्रॉपर जगह पर होगा जबक वह देश को चला लेगा दूसरा मैं जब यह देश के नौजवानों को कहता हूं कि आप आगे आइए तो कुछ लोगों को लगता होगा कि मैं भाजपा का झंडा फहराना चाहता हूं मैं की राजनीति की बात कर रहा हूं मैं भारतीय जनता पार्टी में आओ या फलानी पार्टी में जाओ या फलानी पार्टी में ना जाओ ऐसा मैं किसी को नहीं कह रहा मैं तो चाहता हूं सभी दलों में एक
प्रकार से न्यू फ्लो आना चाहिए सभी दलों में आना चाहिए बीजेपी में तो आना ही चाहिए लेकिन सब दलों में आना चाहिए कि देश में नौजवान आगे आए ताकि एक नयापन शुरू हो थैंक यू मोदी जी आपने य चलिए बहुत अच्छा लगा लिए इतना टाइम आपने हमारे साथ थैंक यू सो मच मुझे पता नहीं ये कैसा जाएगा आप लोगों को आपके दर्शकों को यू स्पोक एक्सट्रीमली वेल एज ऑलवेज एंड वेरी काइंड की यू टूक दिस मच टाइम विथ अस चलिए आपकी टीम भी थक गई होगी ये मौसम यहां का ध्यान रखिए भाई ठंड होती है
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