Why Are India's Neighbours Turning Into Enemy States? | Who’s Our REAL Friend? | Akash Banerjee

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अक्टूबर का महीना इंडिया और इंडिया के फॉरेन रिलेशंस के लिए काफी उतार चढ़ाव का महीना रहा है जहां एक तरफ सात समुंदर पार के देश भारत पर एक्स्ट्रा जुडिशियस किलिंग्स में इवॉल्व होने का आरोप लगा रहे हैं हमारे सीनियर मिनिस्टर्स तक को इस पूरे दलदल में घसीट रहे हैं वहीं दूसरे तरफ मोहम्मद मुजू जैसे कट्टर भारत विरोधी नेता अब राष्ट्रपति भवन में बैठकर डिनर खा रहे हैं मोदी से गले मिल रहे हैं सालों से जिस चाइना से हम मुंह फुलाए बैठे हुए थे अब उससे हमारी दोस्ती हो रही है अच्छा कम से कम सुलह हो
रही है दुनिया में हम विश्व गुरु बनने का दावा करते हैं प्राइम मिनिस्टर मोदी यूरोप में वॉर रुकवाने की बात करते हैं इंडिया को एक मीडिएट नेशन की तरह भी देखने की कोशिश हो रही है हमारा वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ बनने का एक क्लियर गोल एक क्लियर एजेंडा भी है लेकिन वहीं हमारे कुछ पड़ोसी मुल्क हमारी एक सुनने को राजी नहीं है उल्टा हम पर ही हावी हो जाते हैं चाइना का इन्फ्लुएंस साउथ एशिया से लेकर मिडिल ईस्ट तक बढ़ते ही जा रहा है वो हमारे नेबर्स को हमारे देश के खिलाफ भड़का रहे हैं मोदी
जी मिले तो र बॉर्डर पर तनाव भी कम हुआ है कुछ हद तक ब्रिक्स समिट में दोनों ने फोटो खिंचवाई हाथ मिलाया जैसे कि हमने अपने पिछले एपिसोड में आपको डिटेल में बताया ब्रिक्स के बारे में लेकिन क्या इंडिया की मस्कुलर फॉरेन पॉलिसी एस जयशंकर की जो ब्लंट और बेबाक बोलने का जो तरीका है हमारी जो बदलती रणनीति है क्या उससे हमारे पड़ोसी ही हमारे खिलाफ हो रहे हैं बांग्लादेश से लेकर श्रीलंका तक पाकिस्तान से लेकर मलडी व्स तक बीते कुछ समय में काफी कुछ हमें उथल-पुथल टर्मल देखने को मिला है इन देशों में और
इन देशों के साथ हमारे रिलेशनशिप में क्या भारत अपनी फॉरेन पॉलिसी के जरिए इन आपदाओं को अफसर में बदल पाएगा क्या प्रॉब्लम है इन देशों को हमारे देश से क्या एंटी इंडिया सेंटीमेंट है वो जो उबाल पर आ रहा है और वो क्यों आ रहा है समझते हैं आज के देशभक्त नेबरहुड स्पेशल एपिसोड में कहा जाता है कि यू कैन चूज योर फ्रेंड्स बट नॉट योर नेबर्स पड़ोसी आपके जैसे भी हो आपको उनके साथ रहना एडजस्ट करके रहना सीखना पड़ेगा तो आइए पहले तो कुछ बातें समझ लेते हैं भारत और हमारे पड़ोसी मुल्कों के बारे
में देखिए भारत साउथ एशिया का सबसे बड़ा देश है इस रीजन में लगभग हर देश हर कंट्री भारत से कहीं ना कहीं उनका बॉर्डर टच होता है पाकिस्तान नेपाल भूटान बांग्लादेश श्रीलंका मलडी व्स इन सब के अलावा ये सब करीबी देश हैं इन सबके अलावा भारत चाइना म्यानमार के साथ भी अपना लैंड बाउंड्री शेयर करता है कॉमन बॉर्डर्स के साथ-साथ इंडिया इन सारे देशों के साथ इनका डीप हिस्टोरिकल और पीपल टू पीपल रिलेशन रह चुका है एक कॉमन कल्चर है हेरिटेज है एक कॉमन सिविलाइजेशन का पार्ट तो यह है यह आप चेंज नहीं कर सकते
हो और इसीलिए यह सारे देश भारत से अपने आप को बहुत डीप कनेक्टेड पाते हैं इसके अलावा एक चीज जो आप इस नक्शे में साफ देख पाओगे वो यह है कि चाइना के अलावा भारत के सारे नेबर्स उससे साइज में बहुत ज्यादा छोटे हैं लैंड एरिया के साथ-साथ भारत इन सभी देशों के इकॉनमी और पॉपुलेशन में भी काफी आगे हैं अगर आप भारत के पर्सपेक्टिव से देखो तो यह सारी बातें बहुत फेवरेबल लगती है हमें पर हमारे पड़ोसी देशों के नजरिए से अगर आप देखेंगे तो आपको एक अलग पिक्चर सामने आती है और यही है
प्रॉब्लम की जड़ जिस तरह आज भारत में बैठे लोग अपने आप को ब्रिटिश कॉलोनियलिज्म के शैडो से बाहर निकालने की अपने आप को कोशिश कर रहे हैं अपने इंडियन आइडेंटिटी को ग्लोबली असर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं इसमें एक प्राइड महसूस कर रहे हैं जगह का नाम बदलकर टेक्स्ट बुक का सिलेबस बदलकर नेशनल प्राइड को आगे बढ़ाकर ठीक उसी तरह हमारे पड़ोसी देशों में भी ये सेंटीमेंट है वो अपने आप को एक इंडियन आइडेंटिटी से अलग रखकर अपनी डिस्टिंक्ट आइडेंटिटी असर्ट करना चाहते हैं उनमें भी एक नेशनलिस्टिक सेंटीमेंट पैदा हो चुकी है एक हिस्टोरिकल
इंडियन सिविलाइजेशन का पार्ट होने के बावजूद यह देश दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं लेकिन लास्ट में वो भी अपनी जियोग्राफी और अपनी हिस्ट्री को डिनायर सकते हैं ना ही इंडिया जैसे बड़े नेबर को वो कंप्लीट इग्नोर कर सकते हैं तो फिर पीसफुल कोएक्जिस्टेंस ही एक ऑप्शन बचता ता है लेकिन इस पीसफुल को एकिस्टिक्स उनका ह्यूज ट्रेड इंबैलेंस और डेफिसिट आग में घी का काम करती है इस डिस्ट्रस्ट की वजह से साइज और पावर में छोटे होने के बावजूद यह पड़ोसी मुल्क इंडिया की सिक्योरिटी को थ्रेटें करने से पीछे नहीं हटते हैं
पाकिस्तान फॉर एग्जांपल ले लीजिए इंडियन टेरिटरी पर अपना हक जताते रहते हैं अपने क्लेम्म करने की कोशिश करते रहते हैं रिपीटेडली वर्ड्स हारने के बावजूद आज भी क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म जैसे पथड़े इस्तेमाल करके इंडिया को अंडरमाइंड करने की कोशिश करते रहते हैं बांग्लादेश और श्रीलंका बाय द वे इन द पास्ट एंटी इंडिया मिलिशिया को ट्रेन कर चुका है उन्हें फंड कर चुका है आज भी इन सारे देशों में एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स बढ़ते ही जा रहे हैं इंडिया का इन्फ्लुएंस को कम करने के लिए और अपने इंटरेस्ट अपनी इकॉनमी अपनी ट्रेड एसेट को बढ़ाने के लिए
ये इंडिया को डीकपल करना चाहते हैं अपने आप को इंडिया से और अक्सर चाइना जैसे राइवल पावर्स की ओर यह खींचे चले जाते हैं जो कि हमारे नेशनल इंटरेस्ट को भी हर्ट कर सकता है तो क्या कर सकता है इंडिया इस सिचुएशन में क्या-क्या हमने फार्मूला अपनाया है कि यह देश चाइना की गोदी में ना जाकर समा जाए क्या शिकायतें हैं हमारी इन नेबर्स की इंडिया के साथ और कहां तक हमारी पॉलिसी सफल हुई है और क्या-क्या चीजें हमें इंप्रूव करनी होगी जानते हैं आज के एपिसोड में लेकिन आगे बढ़ने से पहले उन लोगों के
लिए एक जरूरी मैसेज जो अपना छोटा या बड़ा बिजनेस चलाते हैं चाहे बिजनेस कोई भी हो उसमें बहुत सारा एफर्ट बहुत सारे प्रोसेसेस लगते हैं जो आपके लिए टाइम कंजूमिंग होता है आपका बहुत ज्यादा एफर्ट भी उस परे जाता है और आज के ऑटोमेशन के जमाने में यह सारा काम मैनुअली करना ऑलमोस्ट इंपॉसिबल हो गया है या फिर आपका बहुत ज्यादा टाइम या एफर्ट जाएगा ये सारे टास्क्स ऑटोमेट करने के लिए आपको एक ईआरपी सॉफ्टवेयर की जरूरत है और इसमें आपकी मदद करता है उडू एक अल्टीमेट प्लेटफार्म है आपके बिजनेस को मैनेज करने के लिए
उडू हमारे आज के एपिसोड के पार्टनर्स भी हैं उडू आपके सारे बिजनेस एप्लीकेशंस को मैनेज कर सकता है जैसे वेबसाइट डेवलपमेंट पॉइंट ऑफ सेल्स इन्वेंटरी मैनेजमेंट सीआरएम इन्वॉइसिंग वगैरह वगैरह ये सब कुछ मैनेज करता है आपके लिए उडू आपको एक कंप्लीट सॉल्यूशन प्रोवाइड करता है वो भी सब एक जगह पर आपको दूसरे अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इसमें जो पहला ऐप है आपके लिए हमेशा फ्री रहेगा विथ अनलिमिटेड कस्टमर सपोर्ट एंड होस्टिंग और बाकी एप्स के लिए आप मंथली या ईयरली प्लांस भी ले सकते सते हो जिसका सब्सक्रिप्शन स्टार्टस एज लो
एज र 80 तो अगर आपका बिजनेस अच्छे से ग्रो करना है इजली हैंडल करना है मैनेज करना है तो बस लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में दिया हुआ है एक बार जरूर चेक करिए उडू को एनीवेज बैक टू द स्टोरी इंडिया की फॉरेन पॉलिसी का सालों से मेन गोल यही रहा है कि पड़ोसी देशों में अपने लिए ट्रस्ट को रिगेन करना जिससे एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स को बढ़ने से रोका जाए इसीलिए इंडियन फॉरेन पॉलिसी में हमेशा से नेबरहुड को खास जगह दी गई है लेट 1990 में जब इंडियन इकोनॉमिक रिफॉर्म्स के फेज में था हम ग्रो कर रहे
थे ग्लोबल स्टेज प अपना प्रेजेंस दिखा रहे थे बढ़ा रहे थे तब फॉरेन मिनिस्टर आई के गुजराल ने अपनी फेमस गुजराल डॉक्ट्रिन को इंट्रोड्यूस किया था गुजराल डॉक्ट्रिन का मकसद था अपने छोटे पड़ोसी मुल्कों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना रेसिप प्रोकेन की उम्मीद ना रख के बिना इस उम्मीद के कि आप जो कंसेशंस अपने नेबर्स को दे रहे हो वही कंसेशंस वो भी आपको देंगे या मुनाफा आपको भी मिलेगा इस डॉक्ट्रिन में एक डीप रूटेड अंडरस्टैंडिंग था कि इंडिया को अपने छोटे नेबर्स के साथ ज्यादा एक्सपेक्टेशन नहीं रखनी चाहिए बल्कि एक बड़े भाई के तरह
बनके उनको सपोर्ट करना चाहिए नॉन रेसिप प्रोसिटी के साथ-साथ इस डॉक्ट्रिन में मेन फोकस था नॉन इंटरफेरेंस यानी इंडिया ऐसे पड़ोसी मुल्कों के इंटरनल मैटर्स पर इंटरफेयर दखल अंदाजी नहीं करेगा लेकिन जब जरूरत पड़ेगी तो उन्हें बिना किसी शर्त मदद करेगा या याद रखिए ये वो दौर था जब पड़ोसी मुल्कों के साथ इंडिया का जो डिस्ट्रेस था अपने पीक पर था इंडिया ने लेट 1980 में श्रीलंका में पीसकीपिंग फोर्स भेजा जो कि काफी कंट्रोवर्शियल साबित हुआ इंडिया के गुडविल के साथ-साथ हमारे 1000 से ज्यादा सैनिक भी वहां मारे गए इस मिलिट्री इंटरवेंशन के बाद इंडिया
का नेबरहुड में ट्रस्ट रिगेन करना और भी ज्यादा जरूरी हो गया था गुजरात डॉक्ट्रिन ने थोड़ा हेल्प तो जरूर किया लेकिन हमें और करने की जरूरत थी इसीलिए नए मिलेनियम में हमने इस डॉक्ट्रिन को अपग्रेड किया और फिर बनती है हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी इस पॉलिसी का मेन एम होता है साउथ एशिया में रीजनल कॉर्पोरेशन को प्रमोट करना और अपने पड़ोसी देशों के साथ इकोनॉमिक और स्ट्रेटेजिक टाइज को स्ट्रेंथ करना 2014 में मोदी सरकार भी इसी पॉलिसी को अपना फॉरेन पॉलिसी का कोर पिलर बनाती है विजन यह था कि इंडिया सिर्फ एक हेल्पर या पैसिव
पार्टनर नहीं बल्कि एक्टिवली साउथ एशियन रीजन में एक लीडरशिप रोल लेगा इस पूरे रीजन को डेवलप और उसकी सिक्योरिटी में हाथ बटाएगा नॉन रेसिप प्रोसिटी और ऑलवेज रेडी टू हेल्प अप्रोच के साथ-साथ अब भारत और अपने पड़ोसी देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में भी एक्टिवली हिस्सा लेने लगा चाहे हाइडल पावर प्रोजेक्ट्स हो पोर्ट डेवलपमेंट हो रोड या रेलवे कनेक्टिविटी हो या फिर डेट फाइनेंसिंग की बात हो इंडिया इन सभी मायनों में अब अपने पड़ोसियों के साथ एक्टिवली काम करने की कोशिश करता है याद रखिए आपको शायद यह बात याद होगी कोविड के टाइम पर भारत
ने पहले अपने जो इंडिया में मेड वैक्सीनस थे सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को पहले मुहैया करवाया फिर बाकी दूसरे दुनिया में देशों को भेजा गया अब सवाल यह उठता है कि यह सब करने के बाद क्या हमारे नेबर्स के साथ हमारे जो रिलेशनशिप्स हैं वो क्या सुधरे हैं क्या एंटी इंडिया फोर्सेस का जो इन्फ्लुएंस था इन देशों में वो कम हुआ है या बढ़ने को दिख रहे हैं वेल इसके लिए हमें हर पड़ोसी देश में हो रहे रिसेंट डेवलपमेंट्स को एक-एक करके समझना होगा शुरू करते हैं सबसे रिसेंट सक्सेस स्टोरी के साथ और काफी
यूटर्न वाला स्टोरी है मलडी फ्स के प्रेसिडेंट मोहम्मद मुजू हाल ही में भारत आए अपने ओपनली एंटी इंडिया स्टैंड्स इंडिया आउट कैंपेन के दम पर सरकार इन्होंने बनाई और वो सरकार बने एक साल भी नहीं हुआ है लेकिन अब इन्होंने मारा है एक 180 डिग्री शार्प यूटर्न अपने पहले स्टेट विजिट टू इंडिया में मुजू ने इंडिया को वैल्यूड पार्टनर कहा मुजू ने इंडिया के साथ इंगेजमेंट की इच्छा दिखाई जिसे न्यू दिल्ली ने भी विलिंग्ली एक्सेप्ट कर लिया यही नहीं इंडिया में मोल्डेविया इकॉनमी को सपोर्ट करने के लिए लिए 400 मिलियन डॉलर्स का करेंसी स्वैप एग्रीमेंट
भी अप्रूव कर दिया है जो उनके फॉरेन एक्सचेंज इश्यूज को काफी हद तक एड्रेस करेगा मोल्डिव अभी एक बड़े बजट डेफिसिट और डेट बर्डन से जूझ रहा है इससे उनकी फॉरेन रिजर्व्स काफी कमजोर हो गई है मुजू का प्रो चाइना स्टैंड्स और मलडी व्स में स्टेशन इंडियन ट्रूप्स को निकालने का उनका कैंपेन दोनों ही हमारे ट्रेडिशनल टाइस को खतरे में तो डाल रहा था और काफी चिंता का विषय बन गया था लेकिन इलेक्शन जीतने के बाद अपने देश की इकॉनमी संभालने के लिए लास्ट में उनको इंडिया की तरफ देखना ही पड़ा आज हालत ऐसी है
कि एक समय पर कट्टर एंटी इंडिया होने के बावजूद आज मुजू इंडिया के नेबरहुड में कुछ बचे खुची एलाइज में से ही एक अब साबित हो रहे हैं लेकिन भारत जो बाकी देश हैं हमारे पड़ोसी मुल्क उसके मामले में इतना लकीन नहीं हुआ है पिछले ही महीने श्रीलंका में इलेक्शंस हुए जिसमें नेशनल पीपल्स पावर एनपीपी अलायंस जीती है इस अलायंस का एक अहम कंपोनेंट होता है प्रेसिडेंट एडी के दिस नाइके की जेवीपी पार्टी जेवीपी ट्रेडिशनल एंटी कैपिटिस और नेशनलिस्ट पार्टी रह चुकी है जिसमें एंटी इंडिया सेंटीमेंट काफी दिखने को मिलता है इस साल अपने इंडिया
विजिट के दौरान जहां एडीके ने इंडिया के 2022 के फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान टाइमली एड और रिलीफ को अप्रिशिएट किया वही लेकिन उन्होंने कुछ एनवायरमेंटल कंसर्न्स को लेकर अडानी पावर के रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट के बारे में कंसर्न्स भी एक्सप्रेस किए हैं एक ट्रेडिशनल मार्क्सिस्ट लीडर होने के वजह से उनकी प्रो चाइना लीनिंग काफी जाहिर है लेकिन उनके लीडर्स का जो भी बिलीफ हो एनालिस्ट के मुताबिक आज काफी श्रीलंकन इंडिया की टाइमली मदद को अप्रिशिएट करते हैं याद रखते हैं जिसकी वजह से एंटी इंडिया सेंटीमेंट अभी श्रीलंका में कम है तो अभी देखना यह होगा कि
एडीके की सरकार इंडिया और चाइना के बीच में एक बैलेंस कैसे बनाकर चलती है अब वो बैलेंस कितना इंडिया की तरफ झुकती है कितना चाइना की तरफ रुझान करती है यह आने वाले महीनों में ही पता चलेगा अब बात करते हैं बांग्लादेश की जहां इंडिया ने अपने सबसे पुराने एलाई को रिसेंटली खोया है शेख हसीना के खिलाफ पब्लिक अपरा इजिंग के बाद आज बांग्लादेश में एक मिलिट्री ब्रैक ट्रांजीशन गवर्नमेंट चल रहा है नोबेल लोरिएन मोहम्मद यूनिस की सरकार इसे ट्रांजीशन को लीड कर रही है बांग्लादेश के स्टूडेंट रेवोल्यूशन को हमने देशभक्त पर एक्सटेंसिवली कवर किया
था अगर आपने नहीं देखा है तो जरूर देखिएगा काफी बड़ा एक रीजनल चेंज था हमारे साउथ ईस्ट एशिया में शेख हसीना के जाने के बाद लेकिन अनफॉर्चूनेटली एंटी इंडिया एंटी हिंदू और इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट का इन्फ्लुएंस तेजी से हमें बढ़ने को दिखा है पिछले महीने ही दुर्गा पूजा के दौरान हमें कई इंसिडेंट देखने को मिली जहां अलग-अलग पूजा पेंडा पर एक्सट्रीमिस्ट ने अटैक किए इंडिया ने ऑफिशियल भी इन अटैक्स के खिलाफ अपने कंसर्न्स रेज किए हैं तो 100 दिनों से ज्यादा तक सरकार चलाने के बाद भी आज भी बांग्लादेश की रूलिंग एस्टेब्लिशमेंट इंडिया के कंसर्न्स को
प्रॉपर्ली एड्रेस नहीं कर पाई है वहीं इंडिया भी अभी तक बहुत ज्यादा कन्विंसिंग देश में ग्रोइंग एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स को रोक पाएंगे सोशल मीडिया पर चलिए ठीक है मास रेप्स और जेनोसाइड की जो खबरें हैं वो झूठी ही हो लेकिन हिंदू अपने आप को अंडर अटैक पा रहे हैं बांग्लादेश में और अगर सिचुएशन को काबू नहीं किया तो यह और भी एक डेडली सिचुएशन बन सकता है आज बांग्लादेश की आवाम शेख हसीना और उनसे जुड़ी हर चीज से नफरत कर रही है उनको तोड़फोड़ अशोर किया है कि इंडिया के कंसर्न्स को एड्रेस किया जाएगा लेकिन
अभी भी कोई कंक्रीट कदम लिया गया है या नहीं यह देखने वाली बात है हां एक अच्छी चीज हुई है इसी महीने एक ट्राई पार्टट एग्रीमेंट साइन किया गया है क्रॉस बॉर्डर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को इनेबल करने के लिए इस एग्रीमेंट के मुताबिक नेपाल अपनी सरप्लस इलेक्ट्रिसिटी को बांग्लादेश तक एक्सपोर्ट करेगा इंडियन टेरिटरी के थ्रू इंडिया इन दोनों देशों के बीच इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई करने के लिए इंतजाम करेगा ऐसे कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स और भी लेने होंगे बांग्लादेश में अपना ट्रस्ट रिगेन करने के लिए बाय द वे नेपाल में जुलाई के महीने में केपी शर्मा ओली फिर से
प्राइम मिनिस्टर बनते हैं ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल यूएमएल फिर से पावर में आ जाती है और साथ ही साथ इंडिया की दिक्कतें और भी बढ़ने लगती है याद रखिए ओली वही प्राइम मिनिस्टर है जिन्होंने साल 2020 में इंडिया के कुछ रीजंस को नेपली टेरिटरी बताते हुए नया नक्शा जारी कर दिया था इन मैप्स में उत्तराखंड के कई जगहों को नेपाल का टेरिटरी बता दिया गया नेपाल की पार्लियामेंट ने ने जून 2020 में सरकार के इस नए मैप को कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट के जरिए इसको फॉर्मलाइज भी कर दिया इसमें एकमत दिखाकर इसे एग्रीमेंट भी दे
दी अब साल 2024 में नेपाल की सरकार इन मैप्स को अपने करेंसी नोट्स पर भी प्रिंट कर रही है तो आप समझ सकते हैं कि रिलेशंस कहां से कहां फिसल चुके हैं साथ ही चाइना के साथ नेपाल के ट्रेड रिलेशन और भी बढ़ते ही रह रहे हैं इसमें खास तौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसे फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजीज इंपोर्ट करना भी शामिल है आने वाले समय में नेपाल की चाइना पर डिपेंडेंसी और भी बढ़ी ही जा रही है वही नेपाल में इंडिया के प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट इस दौरान कम हो रहा है जाहिर सी बात है नॉट अ गुड
न्यूज़ फॉर इंडियाज ओल्ड अलाय और हमारे स्ट्रेटेजिक इंटरेस्ट के लिए भी अब जब बात स्ट्रेटेजी की आ गई है तो पाकिस्तान पर भी जल्दी से नजर डाल लेते हैं बीते सालों में हुए उरी और पठानकोट जैसे टेरर अटैक्स एंड फाइनली आर्टिकल 370 के एब्रे के बाद दोनों देशों के बीच में डिप्लोमेटिक टाइज अब लगभग ना के बराबर ही हैं भारत ने साफ कर दी है बात कि पाकिस्तान से बातचीत और एग्रीमेंट और डिस्कशन तभी होगा जब वो क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म पर लगाम लगाएगा पाकिस्तान क्लियर अभी भी इंडिया से टाइस को नॉर्मलाइज करने में बिल्कुल इंटरेस्टेड
नहीं है या कैपेबल नहीं है जयशंकर के रावलपिंडी विजिट के कुछ इनफॉर्मल बातचीत हुई उस विजिट में लेकिन दिखता तो नहीं है कि दोनों देशों के टाइज में कोई प्रोफाउंड इंपैक्ट आने वाला है हां जयशंकर के विजिट के कुछ दिनों बाद इंडिया पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडॉर एग्रीमेंट 5 सालों के लिए रिन्यू जरूर करा दिया है जिससे पता चलता है कि दोनों देशों के बिहाइंड द सींस तो कम से कम बातचीत चल रही है बैक चैनल टॉक्स चल रही हैं लेकिन पाकिस्तान इस बातचीत करने में ना समस्या पाकिस्तान के साथ ये है कि ऑफिशियल चैनल्स में
अगर आपने कहीं उम्मीद के किरण जग भी जाती है तो वहां आईएसआई तिल बलाकर कश्मीरी एरियाज में आतंकवादियों को एक्टिवेट कर देती है और सारे टॉक्स को सबोटाज कर देती है जयशंकर के विजिट के तुरंत बाद ही कश्मीर में पहले माइग्रेंट वर्कर्स पे और अब आर्मी पर हमला कर दिया तो पाकिस्तान से सीधे-सीधे आज इतने सालों डिप्लोमेटिक बॉयकॉट टफ टॉक के बाद भी हमें मिक्स सिग्नल्स ही मिल रहे हैं और मोदी और जयशंकर का पाकिस्तान को साइलेंट ट्रीटमेंट देने से भी कुछ खास अंजाम तो नहीं आया है क्योंकि वहां पाकिस्तान के अंदर ही टॉक्स को
सबोटाज करने के लिए बहुत लोग बैठे हुए हैं अब पाकिस्तान की बात हो ही रही है तो सबसे बड़े हमारे दुश्मन सबसे बड़े सिक्योरिटी थ्रेट चाइना की भी बात कर ही लेते हैं अभी-अभी बॉर्डर एग्रीमेंट हुआ है लगभग 4 साल बाद एलएसी पर डिसएंगेजमेंट का प्रोसेस शुरू हुआ है कुछ-कुछ जगं में मोदी जी का बायलट भी हो गया रशिया में मतलब जो इंडिया चाइना टाइज पिछले 4 साल से जमीन पर रेंग रें के चल रहे थे वो एटलीस्ट अब कुछ स्पीड पकड़ता हमें दिख रहा है ओबवियसली ये सब अचानक तो हुआ नहीं है हमारे डिप्लोमेट्स
की मेहनत इतने सालों से कुछ ना कुछ रंग लाई है यहां कहा जा रहा है कि रशियन प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन का भी इसमें एक बड़ा हाथ है इंडिया और चाइना के बीच में सुलह कराने के लिए नॉर्मलाइजेशन कराने के लिए पुतिन को एज अ ग्लू देखा जा रहा है बिटवीन चाइना एंड इंडिया हालांकि इस ग्लू को आप फेविकॉल नहीं बुला सकते हो क्योंकि इतने सालों बाद भी आप एक चीज जान लो कि चाइना के ऊपर यकीन करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है और इसीलिए आप देखोगे मोदी जी की जो मीटिंग होती है उसके बाद
कोई जॉइंट स्टेटमेंट इशू नहीं होती है सेपरेट हैंड आउट्टेक्स आपको दिखने को मिल रहे हैं दोनों देश अपने-अपने अलग राग र जप रहे हैं बॉर्डर इशू को लेकर लेकिन कहीं ना कहीं यह बात देना होगा कि बॉर्डर एरियाज में चीन अपनी दादागिरी ना दिखाए और इंडिया हमेशा सतर्क रहे ये बहुत जरूरी है उसके बाद आप नॉर्मलाइजेशन की बात कर सकते हो लेकिन चाइना पर आप ट्रस्ट नहीं कर सकते हो लेकिन इंडिया की नेबरहुड ट्रबल्स चाइना और पाकिस्तान पर खत्म अनफॉर्चूनेटली नहीं होती है पाकिस्तान के आगे अफगानिस्तान भी है जो अफगानिस्तान में 2021 के तालिबान टेकओवर
के बाद काफी अनस्टेबल देश है वो इंडिया के साथ इंगेजमेंट भी अब काफी लिमिटेड हो चुका है अफगानिस्तान का दिक्कत यह है कि तालिबान से बात करें तो करे कैसे कौन करे किस टर्म्स पे करे किस लिए बातचीत करें अभी के लिए भारत बस यह चाहता है कि तालिबान अफगानिस्तान सोइल पर एंटी इंडिया फोर्सेस को अ कोई शरण ना दे तालिबान ने भी भरोसा दिलाया है कि अफगानिस्तान अब अपनी जमीन पर आतंकियों को पनपने नहीं देगा भारत पर हमला नहीं करने देगा आज तीन साल बाद भी हमें यह दिखने को आया है कि तालिबान के
वजह से कोई मेजर टेरर अटैक नहीं हुआ है उम्मीद करते हैं कि आने वाले टाइम पर भी तालिबान अपने आप को बिहेव करें अब वेस्टर्न बॉर्डर से सीधे चलते हैं हमारे फाइनल स्पॉट पर म्यानमार पर म्यानमार के साथ 2021 के मिलिट्री कू के बाद टाइज अब हमारे कोल्ड हो चुके हैं इसका भी मेन रीजन वही है एक इलेजिटिमेसी में पावर ग्रैब करने के लिए इलेक्शंस करवाने का नाटक करना भी ना समझा जरूरी बस आ गए एक दिन सेना के जनरल साहब प्रेसिडेंट पैलेस में आंग सांग सुकी को डाला सलाखों के पीछे और जमा लिया सत्ता
पर अपना हक इलेक्शंस तो दूर की बात है पूरे देश में अभी तक शांति बहाल नहीं हुई है सारे रेबल ग्रुप्स पर कंट्रोल नहीं किया गया है अब ऐसी सरकार के साथ भारत सरकार इंगेज कैसे कर सकती है हालांकि जब हालत ज्यादा बिगड़ जाती है जैसे बॉर्डर एरियाज में फाइटिंग के वक्त रिफ्यूजीस का इ भारत के अंदर होना या फिर सीमा पर मणिपुर में आम सप्लाई होना तो इंगेज करना पड़ता है म्यानमार हुता के साथ भी तो म्यानमार जिसे हम कभी एक इंडिया का साउथ ईस्ट एशिया गेटवे समझते थे आज हमारे लिए एक नो गो
एरिया बन चुका है ये हमारी गलती नहीं है लेकिन नुकसान जरूर हमारा है तो कुल मिलाकर बात यह है कि गलती और नो गलती मलडी व्स और आप कह लीजिए भूटान को छोड़कर भारत में अपने नेबरहुड में काफी अनप्लेज्ड आता है वी आर वर्चुअली विदाउट एनी फ्रेंड्स राइट नाउ कुछ कमेंटेटर्स कहते हैं नहीं यह भारत की गलती है हमारे पॉलिसीज की गलती है हमारे टोन और टेनर की गलती है लेकिन इसमें यह बात भी सच है कि बहुत सारे केसेस में यह सब भारत के कंट्रोल से बिल्कुल बाहर था कि उन देशों में क्या हो
रहा है हम यह जरूर कह सकते हैं कि भारत अपने पॉलिसीज और प्रायोरिटी को बेटर मैनेज कर सकता है ताकि एक अनफ्रेंडली नेबरहुड में भी अपने सिटीजंस अपनी इकॉनमी अपने सिक्योरिटी इंटरेस्ट को हम कैसे बेहतर मैनेज कर सके इस मामले में मैं आपको एक एग्जांपल देता हूं ब्राजील काभी कुछ सिचुएशन ऐसा ही था ब्राजील भी इंडिया की तरह एक हॉस्टाइल्स का पार्ट था जहां वो सबसे बड़ा रीजनल पावर था इतना बड़ा विशाल देश है ब्राजील भारत की तरह ब्रजील के नेबर्स भी ना बहुत छोटे-छोटे और उनको डिस्ट्रेस के साथ ब्राजील को देखा जाता था लेकिन
इस सब के बावजूद ब्राजील ने अपने नेबर्स के साथ मिलकर एक इफेक्टिव ट्रेड एग्रीमेंट को हकीकत में बदला जिससे फायदा पूरे साउथ अमेरिकन मार्केट को मिला है वही इंडिया की अगर आप बात करें तो सार्क ले लीजिए बमक ले लीजिए आज भी स्ट्रगल रही है इंटरनल पॉलिटिक्स और डिवीजन के वजह से लैक ऑफ पॉलिटिकल विल की वजह से ऐसा नहीं है कि ब्राजील अपने पड़ोसियों के साथ कोई आपसी रंजिश या डिस्प्यूट नहीं है पर ब्राजील ने इसके बावजूद एक रीजनल ट्रेड और मार्केट यूनिफिकेशन को प्रमोट किया और लास्ट में सारी इकॉनमी को उससे हेल्प मिला
तो गुडविल तो बढ़ेगा ही है अब भारत को भी ऐसे सक्सेसफुल रीजनल बॉडी से सीख लेकर एक इनोवेटिव सॉल्यूशन ढूंढना पड़ेगा जिससे अनफ्रेंडली नेबरहुड में भी हम अपने आप को नेविगेट कर पाए एक रास्ता निकाल पाए इस मामले में आज भी इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री को बहुत ज्यादा काम करने की दरकार है साउंड बाइट देना बहुत आसान होता है ह
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