[संगीत] यह सच बात है यह बिल्कुल सही कहावत है कि जिंदगी में जो होता है अच्छे के लिए होता है तो आइए इस बात को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं जंगल में एक नवयुवक महात्मा से मिलने आया वह काफी दुखी था और रो रहा था महात्मा उस नवयुवक को समझाते हैं कि तुम अपने जीवन में चिंता ना लो जो कुछ भी हुआ सब अच्छे के लिए हुआ नव युवक गुस्से में कहता है आप कैसी बातें कर रहे हैं मेरा सब कुछ लुट गया लुटेरों ने मेरी हर एक चीज लूट ली पर अब मेरे
पास घर जाने के लिए कुछ भी नहीं बचा यह मेरे साथ अच्छा कैसे हुआ यह मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है और यह बुरा ही है आप इसे भला कैसे कह सकते हैं कि मेरे साथ अच्छा हुआ है दरअसल वह युवक जंगल में भ्रमण के लिए निकला था जंगल में घूम ही रहा था कि लुटेरों ने उसका सामान छीन लिया और उसे निहत्था छोड़ दिया महात्मा कहते हैं मैं तुम्हें इस बात को एक कहानी की मदद से समझाता हूं नमस्कार दोस्तों बोधी इनसाइट्स य चैनल में एक बार फिर से आप सभी का दिल से स्वागत
है इस कहानी को तुम ध्यान से सुनो क्योंकि यह कहानी आपकी जिंदगी बदलने वाली है महात्मा ने उस नौजवान से कहा एक समय की बात है एक बार एक गांव में भयंकर बांड आई इतनी तेज बांड आई कि सब कुछ बह गया उसी गांव में एक किसान का बहुत गरीब परिवार रहता था जिनके पास खाने को कुछ ना था उसके पास थोड़े बहुत अनाज की वस्तुएं थी लेकिन बाढ में सब बर्बाद हो गई और जो कुछ बचा था सब नष्ट हो गया उस किसान का एक लड़का था लड़के ने कहा कोई बात नहीं है पिताजी
बह गया तो बह जाने दो जो हुआ अच्छा हुआ किसान को बहुत गुस्सा आया और कहा तू कैसी पागलों जैसी बातें कर रहा है मेरा सब कुछ छिन गया यहां पर खाने को मेरे पास अनाज नहीं है और रहने को जो भी हमारे घर था वह बाढ़ में बह गया इसमें अच्छा क्या है यह सब कुछ बहुत बुरा हुआ है किसान को बहुत गुस्सा आया और उसने लड़के को घर से भगा दिया और बोला तू यहां से चला जा तू यहां रहने लायक नहीं है लड़का रोते हुए वहां से चला गया लेकिन शाम हो गई
और लड़का अभी तक घर नहीं आया किसान को यह बात समझ आई कि उसने गलत कह दिया लेकिन वह कर भी क्या सकता था अचानक से एक नौका आई और उसमें से लोग उतरे लोग उस गांव के लोगों को बचाने लगे किसान की पत्नी कहती है आपने यूं ही उसी को डांट दिया सही तो कह रहा था देखिए अच्छा ही हुआ लोगों ने हमें बचा लिया उसने कहा तुम बेवकूफ हो तुम्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इसमें अच्छा कुछ भी नहीं है इनका तो बचाना ही काम है अभी इन्होंने बचा लिया लेकिन हमारे
पास खाने को भोजन नहीं और ना ही रहने को घर है हम कहां रहेंगे और क्या खाएंगे क्या इसका कोई हल है किसान की पत्नी ने कहा कहा पैसे नहीं है तो क्या हुआ आप इतने परेशान क्यों लग रहे हो किसान बोला दरअसल बात पैसे की भी नहीं है उस घर में एक पोटली थी उस पोटली में बहुत ही खास चीज रखी थी वह भी बाढ में बह गई अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा किसान की पत्नी बोली ऐसा क्या था उस पोटली में किसान ने कहा मैं तुम्हें अवश्य बताता लेकिन अब जब वह
है ही नहीं तो उसको बताने का क्या तात्पर्य धीरे-धीरे समय गुजरता रहा उस किसान ने लोगों से मांगकर जीवन यापन करना शुरू किया लेकिन ऐसा भला कब तक काम चलता इस साल उस खेत में भी अच्छी फसल नहीं लगी थी वह बहुत परेशान और चिंतित था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करा जाए एक शाम को अपनी पत्नी के साथ बैठकर बातें कर रहा था तो उसकी पत्नी बोली चिंता करने से क्या होगा आप नगर में जाकर कोई और काम तलाश क्यों नहीं करते हैं थोड़े समय ले कुछ ना कुछ रोजी रोटी
के लिए धन इकट्ठा तो हो ही जाएगी उसी के सहारे हम अपना काम चला लेंगे आप परेशान मत होइए मैं भी बगल के घरों में जाकर काम किया करूंगी कुछ धन तो आएगा इससे जीवन जीना आसान हो जाएगा किसान ने कहा बात तो सही है अगले दिन वह किसान काम की तलाश में शहर गया हर गलियों में कुछ काम ढूंढने लगा कि कोई उसे कोई काम दे दे लेकिन कहीं किसी ने कोई काम नहीं दिया अब वह चिंता की मारे और परेशान होने लगा कि कैसे काम चलेगा और कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करूंगा
उसके पास घर नहीं है उसने जैसे तैसे करके बाढ के जाने के बाद घास फूस से छोटा सा घर बनाया था एक दिन किसान अपने खेतों में फसलों को देख रहा था क्योंकि इस साल फसल भी अच्छी नहीं लगी थी इसलिए इस बात को सोचकर चिंतित हो रहा था कि इस साल फसल ने भी साथ नहीं दिया मेरा लड़का भी घर छोड़कर चला गया मैं तो हर तरह से अनाथ हो गया हूं ऊपर से वह कह रहा है कि जो हुआ अच्छा हुआ यह भला अच्छा कैसे हो सकता है उसकी पत्नी उसे फिर समझाती है
कि क्या आप फालतू में चिंता कर रहे हो आप फिर से कोशिश करो काम कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा अब घर पर बैठकर रोने से अच्छा है आप कुछ ना कुछ कोशिश किया करो क्योंकि क्या पता कुछ काम हाथ लग जाए किसान को उसकी पत्नी की बात ठीक लगी और अगले दिन वह फिर काम की तलाश में निकल पड़ा लेकिन इस बार भी उसे कोई काम हाथ नहीं लगा और फिर निराश हुए घर लौटा वह घर लौटने वाला था ही कि रास्ते में उसे एक महात्मा मिले और बोले क्या है
तुम क्यों परेशान हो रहे हो किसान ने उनको सारी बात बताई दरअसल बाढ़ में मेरा सारा घर बह गया और मेरे पास खाने को अनाज नहीं रहने को घर नहीं छोटा सा घर मैंने कैसे भी करके बनाया है और फिर भी मैं अपना जीवन बड़ी मुश्किल से गुजर कर रहा हूं उस महात्मा ने कहा कि इसमें परेशान होने वाली क्या बात है महात्मा से उस किसान ने कहा परेशान वाली बात तो है ही मैंने गुस्से में अपने लड़के को बहुत कुछ सुना दिया था और वह उस दिन से घर छोड़कर चला गया महात्मा ने कहा
तभी तो मैं कह रहा हूं जो हुआ अच्छा हुआ किसान को फिर गुस्सा आया और बोला आप ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं मैं इतना परेशान हूं मेरा सब कुछ छीना हुआ है मेरे पास खाने को कुछ भी नहीं मेरा लड़का भी मेरा साथ नहीं दिया और वह भी घर छोड़कर चला गया इसमें क्या अच्छा है और क्या अच्छा हो सकता है यह तो हर तरह से बुरा है महात्मा ने कहा सब्र रखो हर सवाल का जवाब तुम्हें समय आने पर मिल जाएगा तुम परेशान ना हो वह महात्मा वहां से चले गए किसान को फिर
अफसोस हुआ कि महात्मा को देने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है लेकिन वह उस रात को यह सोच के हैरान था कि आखिर जो होता है अच्छे के लिए कैसे होता है मेरे साथ तो अच्छा हुआ ही नहीं लेकिन वह फिर से अगले दिन काम की तलाश में वह नगर निकल जाता है लेकिन इस बार किस्मत उसकी सही होती है और उसे एक बड़े सेठ के घर में उसे काम करने के लिए कुछ काम मिल जाता है सेठ बड़े दयालु होते हैं और वहां पर पैसे की भी कोई दिक्कत नहीं है वह सेठ
कहता है अगर तुम्हें कोई दिक्कत है तो मेरे घर के बगल में एक मकान खाली पड़ा है तुम वहां पर रह सकते हो किसान ने कहा नहीं नहीं मैं आपका बहुत आभारी हूं मैं वहीं ठीक हूं उसने अच्छी तनख्वाह पर उस किसान को काम पर रख लिया अब वह किसान और उसकी पत्नी बहुत खुश थे अगले दिन रात के समय उसके दरवाजे को एक लड़के ने खटखटाया उन्होंने दरवाजा खोला और देखा वह हैरान रह गए कि एक लड़का लंबी सी कार और बड़ा सा बैग हाथ में लिए दरवाजे के सामने खड़ा था किसान बिल्कुल आश्चर्य
चकित रह गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह कौन है लड़के ने बोला पापा मैं हूं आपका लड़का वह हैरान रह गया आखिर यह कैसे हुआ यह क्या चमत्कार है लड़के ने बोला आपने घर बदल लिया हमें बताया तक नहीं मैंने गांव वालों से पूछा तो उन्होंने बताया कि अब हमारा घर यहां पर है दरअसल मैं उस दिन यहां से निकलकर दूर शहर में काम की तलाश में निकला था और मुझे वहां पर काम मिल गया और मैं वहीं पर व्यापार करने लगा और उस व्यापार में मुझे बहुत मुनाफा हुआ और आज
उसकी बदौलत मैं आपसे मिलने आया हूं और मैं आपको बता दूं मैंने वहां नगर में एक और घर वा लिया है किसान खुशी के मारे कूदने लगा उसे सब समझ में आ गया लड़के ने कहा पापा मैंने कहा था ना जो होता है अच्छे के लिए होता है अगर उस दिन बाढ नहीं आई होती और यह सब कुछ बहा नहीं होता तो क्या पता यह बात मैं आपसे बोलता नहीं अगर यह बात मैं ना बोलता तो आप मुझे घर से बाहर नहीं भगाते और ना ही मैं रोजगार के लिए नगर में तलाश करता किसान ने
कहा हां मुझे यह बात समझ में आ गई यह बिल्कुल सही बात है देखो उसी बाण की वजह से मुझे भी एक बड़े घर में नौकरी मिल गई यानी अब डबल मुनाफा डबल पैसे और हर तरह से फायदा ही फायदा हम तो मालामाल हो गए किसान और लड़का जोर-जोर से उछलने लगे कहानी के बाद महात्मा ने उस नवयुवक को समझाया कि जिंदगी में एक बात याद रखना इंसान की सोच बहुत बड़ी नहीं है वह कुदरत के फैसले को नहीं समझ सकता और ना यह जा पाता है कि उसके साथ जो हुआ अच्छे के लिए हुआ
है वह सिर्फ आज को देखता है कि उसके साथ बहुत बुरा हुआ लेकिन सच में देखा जाए तो अगर अच्छी नियत और मन साफ है तो कभी किसी के साथ बुरा नहीं होता महात्मा ने उस नवयुवक को समझाया कि जिंदगी में जब भी तुम्हारा बुरा वक्त आए तो एक बात हमेशा याद रखना कि यह वक्त गुजर जाएगा इस बात को तुम याद रखना कि समय कितना भी बुरा हो तुम्हारी जिंदगी में कितने भी दुख या फिर मुसीबतों का पहाड़ क्यों ना हो एक वक्त बाद सब ठीक हो जाता है और सब आसान बन जाता है
बस वह समय बुरा होता है इसीलिए बुरे वक्त से लड़ने की आदत डालो और बुरे वक्त में ऐसा कोई भी कदम ना उठाओ जिसकी वजह से तुम्हें बाद में पछताना पड़े अगर कुछ बुरा होता है तो भी अच्छे के लिए होता है लेकिन देर से ही सही उस बात का और उस सवाल का जवाब इंसान को मिल ही जाता है जब इंसान का समय खराब होता है तो उसकी बुद्धि काम करना बंद कर देती है इंसान का समय खराब होता है लेकिन समय ठीक भी हो जाता है तब उस नवयुवक ने कहा यह सब तो
ठीक है लेकिन मेरा तो सब कुछ चोरी हो गया इसमें अच्छा क्या है अब तो मेरे पास कुछ नहीं है मैं घर कैसे जाऊंगा महात्मा ने कहा दरअसल मुझे एक जंगल में कुछ मिला था यह लो तब महात्मा से उसे एक चमकदार पत्थर दिया और कहा तुम इसे ले जाकर नगर में बेज सकते हो क्योंकि यह मेरे किसी काम का नहीं है और मैं इसे कुछ नहीं कर सकता उस लड़के को भी यह बात समझ में आ गई कि बात तो सही है अगर मेरा सामान चोरी नहीं होता तो मैं महात्मा के पास नहीं आता
और जब मैं महात्मा के पास नहीं आता तो मुझे पत्थर कभी नहीं मिलता दरअसल वह एक पारस पत्थर था जिसको लोहे से स्पर्श करके हर लोहे की चीज को सोने में बनाया जा सकता था अब वह भी मालामाल हो गया था तो दोस्तों आपने आज के इस वीडियो से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं उम्मीद है कि आपको आज की वीडियो पसंद आई होगी तो इस वीडियो को उस इंसान को शेयर करें जिसे इस कहानी को सुनने की जरूरत है और उसी के ठीक बाद हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें तो चलिए
फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई वीडियो में एक नई सीख के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद नमो बुद्धाय [संगीत]