Big Breaking! Huge ALIEN PLANET Remains Found Inside Earth

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GetsetflySCIENCE by Gaurav Thakur
Hi Friends, don’t miss out on playing with Indian Warships by downloading World of Warships through ...
Video Transcript:
पृथ्वी के अंदर किसी दूसरे प्लानेट के अवशेष मिले यस ये अवशेष कॉन्टिनेंट जितने बड़े दो ब्लब यानी पत्थर के गोले जैसे हैं और कुछ साइंटिस्ट का यह दावा है कि एक एलियन प्लानेट थिया के रिमेंस है दरअसल आज से करीब 30-40 साल पहले जब साइंटिस्ट अर्थक्वेक्स की स्टडी कर रहे थे तब उन्हें गलती से अफ्रीका और पेसिफिक ओशन के नीचे यहां इस गहराई पर दो विशाल कॉन्टिनेंट्स इतने बड़े पत्थर के टुकड़े मिले थे जो पृथ्वी के पत्थरों से बिल्कुल अलग थे अब ऐसे में सवाल यह था कि यह विशाल पत्थर आखिर पृथ्वी के कोर तक
आखिर पहुंचे कैसे और तभी कैल्टिक यूनिवर्सिटी के जिओ फिजिसिस्ट चियानइम का एक क्लेम आता है दैट यस ये वाकई में किसी एलियन प्लानेट के रिमेंस है और उनके पास इसे प्रूफ करने के लिए एविडेंस भी है अब आईडियली अगर कोई इतने कॉन्फिडेंस के साथ कोई क्लेम करता है तो मोस्ट ऑफें उनके पास वैलिड एविडेंस होता है क्योंकि यही साइंटिफिक मेंथ डोलजी है अपनी बात को प्रूफ करने का बट देन जरा सोचो ये जियोफिजिसिस्ट आखिर एविडेंस के तौर पर क्या ही दिखा सकते थे आई मीन जिन ब्लॉक्स को वो एलियन बता रहे हैं वो पृथ्वी की
गहराई में ऑलमोस्ट पृथ्वी के कोर के पास है जहां तक ना पहले कोई पहुंच पाया है और ना आज पहुंच सकता है और उन ब्लॉक्स को जिस एलियन प्लानेट थिया के साथ जोड़कर बताया जा रहा है वो एक हाइपोथेटिकल प्लानेट है जो कहा जाता है आज से 4.5 बिलियन साल पहले पृथ्वी से टकराकर खत्म हो गया था यानी इसका मतलब ना ही इन साइंटिस्ट के पास उस ब्लॉप के सैंपल्स हो सकते हैं और ना ही उस थिया नाम के हाइपोथेटिकल प्लेनेट के सो आई विल आस्क अगेन क्या इनकी रिसर्च पर बिलीव भी किया जा सकता
है आल्सो कैसे विशाल ब्लब पृथ्वी के अंदर एजिस्ट भी कर सकते हैं बिना उसके रोटेशन को अनस्टेबल किए और साइंटिस्ट हो ने इसके एसिस्टेंसिया ऑन द फर्स्ट प्लेस अब ऑनेस्टली जब भी हम इस तरह के टॉपिक्स पर काम करते हैं ना कई बार हमें बहुत से ऐसे मिथ्स मिस कंसेप्ट और अाव का भी सामना करना पड़ता है बट हमेशा से हमारी बस यही कोशिश रही है कि इन सारे अफव और मिथ्स को साइड में रख के हम एकदम लॉजिकल कंक्लूजन ही आपके सामने लाकर रखें जो साइंटिफिक एविडेंस पर बेस्ड है और यही सेम थिंकिंग और
मेथड हमने इस टॉपिक पर भी यूज किया हमने एकदम स्टार्ट किया इसके बेस से एकदम फंडामेंटल से सो फर्स्ट थिंग्स फर्स्ट साइंटिस्ट ने इन ह्यूज ब्लॉक्स को पृथ्वी के कोर के नजदीक आखिर ढूंढा ही कैसे वेल यहां पर आ जाती है एक बहुत ही इंटरेस्टिंग कहानी सो शुरुआत में साइंटिस्ट का ये गोल ही नहीं था कि भाई पृथ्वी के नीचे कोई ह्यूज ब्लब हो सकते हैं उन्हें ढूंढने निकलते हैं इनफैक्ट उस वक्त तो वो एक अन आंसर्ड मिस्ट्री को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे सो कहानी की शुरुआत होती है 1960 में यूएस के हवाई
आइलैंड्स पर सिर्फ 3 सालों के अंदर-अंदर करीब आठ वोल्केनो फट गए [संगीत] थे अब नॉर्मली फ्रीक्वेंसी इरप्शन सिर्फ उसी जगह पर होते हैं जहां दो टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराते हैं यानी कि टेक्टोनिक प्लेट्स के बाउंड्रीज पर और ऐसा इसीलिए क्योंकि जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स एक दूसरे से टकराते हैं तब पृथ्वी के अंदर का तापमान और प्रेशर बढ़ने लगता है और वहां मौजूद मैग्मा वोल्केनो के रूप में बाहर आने लगता है लेकिन आप देख सकते हो हवाई आइलैंड अपने सबसे नजदीकी टेक्टोनिक प्लेट बाउंड्री से भी कितना दूर है सो लॉजिकली सबसे पहला सवाल यही है
कि हवाई में स्थित मोना लोवा और किला इक ये दोनों पहाड़ दुनिया के सबसे एक्टिव वोल्कानिक हॉटस्पॉट्स आखिर क्यों है आखिर हवा आइलैंड्स के नीचे ऐसा क्या हो रहा है जिसकी वजह से टेक्टोनिक प्लेट्स की बाउंड्री से इतना दूर होने के बाद भी यहां पर दुनिया के दो मोस्ट एक्टिव वोल्केनो है वेल इसी मिस्ट्री को सुलझाने के लिए जब साइंटिस्ट ने दुनिया के सभी एक्टिव वोल्कानिक रीजंस का एक मैप बनाया तब उन्हें पता चला कि सारी कड़ियां दो जगहों पर आकर जुड़ रही है एक अफ्रीका और दूसरा पेसिफिक लाइक लिटरली आप ये हॉटस्पॉट्स के मैप
को देखो हवाई आइलैंड तो पैसिफिक में ही है लेकिन यह जो साइबेरिया ट्रैप्स और डेकन ट्रैप्स नाम के सूखे लावा के पहाड़ है ना यह जो अभी रशिया और इंडिया में दिख रहे हैं यह भी तब बने थे जब साइबेरिया आइसलैंड वाले हॉटस्पॉट के ऊपर हुआ करता था और इंडिया रियूनियन वाले हॉटस्पॉट के ऊपर यानी कि यह दो प्लेट्स अपनी जगह से शिफ्ट हो गए हैं यानी कि ऑल इन ऑल यहां पर दो कंक्लूजन निकलते हैं पहला हो ना हो अफ्रीका और पैसिफिक ओशन के नीचे कुछ तो ऐसा है जो इन हॉटस्पॉट्स को जन्म दे
रहा है और दूसरा इट इज पॉसिबल इन द मेंटल क्योंकि क्रस्ट पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स भले ही आगे मूव कर जाए ये हॉटस्पॉट्स आगे मूव नहीं कर रहे हैं सो ऐसे में क्या थी वो चीज जो अफ्रीका और पेसिफिक ओशन के नीचे है और मेंटल में है वेल द ओनली वे टू फाइंड दैट आउट वाज किसी तरह मेंटल में घुसने की तरकीब निकालो क्योंकि ऑब् वियस सीधा गड्डा खोद कर जाना वाज नॉट एन ऑप्शन आई मीन रशिया ने भी जब कोला सुपर डीप बोर होल खोदा था तो वो सिर्फ 12 किमी के आसपास ही नीचे
पहुं पच पाए थे यह तो मतलब कुछ ऐसा हुआ अगर मैं पृथ्वी के सरफेस को अपने हथेली से कंपेयर करूं तो ये जो हाथ की रेखाओं का डिप्रेशन दिख रहा है ना इतना भी गहरा हम अब तक नहीं खोद पाए कहने का मतलब साफ है कि साइंटिस्ट को एक बेहतर टेक्नीक की जरूरत थी और यहीं पर फिर एंट्री ली यूएस के कुछ क्यूरियस साइंटिस्ट हो ने दरअसल लेट 70 तक अर्थक्वेक्स की स्टडी साइंटिफिक कम्युनिटी में काफी ट्रेंड पकड़ रही थी तो यूएस के कुछ साइंटिस्ट ने सोचा क्यों ना अर्थक्वेक्स के जरिए पृथ्वी के गहराइयों में
पेनिट्रेट किया जाए क्योंकि वैसे भी तब तक इस फील्ड में टेक्नोलॉजी काफी आगे निकल गई थी इनफैक्ट सिर्फ इसी फील्ड में नहीं आज तो ओवरऑल ही टेक्नोलॉजी काफी बूम हो चुकी है फॉर एग्जांपल गेमिंग इंडस्ट्री ही ले लो संडे को मेरे पास थोड़ा फ्री टाइम था तो मैंने अपने पीसी में ही वर्ल्ड ऑफ वरशिप गेम फ्री में खेलना शुरू कर दिया एंड गॉड फ्री में भी ये गेम इतना टेक्निकली एडवांस है कि आपको ऐसा महसूस होगा कि आप एक रियल बैटलफील्ड में ही टेलीप हो गए हो मेरे लिए इस गेम की सबसे यूनिक बात यह
थी कि मैं इसमें काफी हिस्टोरिक आ कोनिक बैटलशिप्स एयरक्राफ्ट कैरियर्स क्रूजर्स वगैरह कमांड कर सकता हूं और उसके साउंड और ग्राफिक्स की क्वालिटी और शिप्स का जो प्रेसीजन कंट्रोल है उससे लिटरली ऐसी फीलिंग आती है जैसे मैं एक रियल वरशिप का कैप्टन हूं आल्सो इसी होली में वर्ल्ड ऑफ वरशिप ने गेम में इंडियन वरशिप्स भी ऐड कर दी मतलब अब आप एक इंडियन वरशिप पर बैटल लड़ सकते हो सो डेफिनेटली कंसीडर चेकिंग आउट द गेम जहां पर आप इंडियन शिप्स के साथ बैटल करके हर गेम के बाद अपने शिप्स को अपग्रेड भी कर सकते हो
एंड डोंट फॉरगेट टू यूज माय कूपन कोड 2024 हैप्पी होली टू गेट द न्यू टायर फाइव क्रूजर डेल्ली ऑन पीसी एंड कूपन कंसोल बैटल फॉर कंसोल गेमर्स लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन और अब लौट आते हैं वापस से हमारे वीडियो पर हम बात कर रहे थे अर्थक्वेक डिटेक्शन टेक्नोलॉजी से साइंटिस्ट ने अर्थ के इंटीरियर्स को कैसे मैप किया तो देखो जब कोई भी अर्थक्वेक आता है तो पूरी पृथ्वी वाइब्रेट करने लगती है यानी कुछ वेव्स जो निकलते हैं वो पृथ्वी के अंदर से आर पार जाने की ताकत रखते हैं तो ऐसे में यूएस साइंटिस्ट ने
सोचा इन वेव्स को स्टडी करके पृथ्वी के इंटीरियर्स का एक मैप बनाया जा सकता है और इस मैपिंग की पूरी जिम्मेदारी उठाई एमआईटी के प्रोफेसर काईटी आकी ने जिन्होंने अर्थक्वेक से पैदा होने वाली साइम वेव्स की स्पीड को नाप करर उन एलियन ब्लॉक्स को डिस्कवर किया एक्चुअली साइस्मिथ का सीन कुछ ऐसा होता है कि ये वेव्स अलग-अलग मीडियम से अलग-अलग स्पीड्स में ट्रेवल करते हैं सो इस स्पीड वेरिएशन को रिकॉर्ड करके उन्होंने पृथ्वी के इंटीरियर्स का एक 2d मैप बनाया जैसे कि मैंने कहा ये वेव्स मीडियम चेंज होने पर स्पीड भी बदलते हैं तो साइंटिस्ट
का इनिशियल प्रेडिक्शन था कि मैंटल से गुजरते समय थ्रू आउट उन वेव्स की स्पीड कांस्टेंट ही रहेगी बट देन एक्सपेरिमेंट में जो रिजल्ट्स आए वो बिल्कुल ही अलग थे अफ्रीका और पैसिफिक रीजंस के नीचे मौजूद मैंटल से गुजरते समय अचानक से इन वेव्स की स्पीड कम हो गई यानी कि वहां मैंटल में कुछ और ऐसी चीज मौजूद थी जिसको टकराकर उन वेव्स की स्पीड चेंज हुई थी डिटेल जांच पर पताल करने पर पता चला अफ्रीका और पैसिफिक के नीचे किसी रेगिस्तान में दिखने वाले रेत के टलो की तरह दो स्ट्रक्चर्स मौजूद है जो किसी कॉन्टिनेंट
जितने बड़े हैं और फिर इन डिस्कवरीज के बाद साइंटिस्ट ने इनमें से अफ्रीका वाले ब्लब को नाम दिया टूजो और पैसिफिक वाले को नाम दिया गया जेसन और इनकी इस खोज के बाद दे मूव टू द नेक्स्ट स्टेप दैट इज हॉटस्पॉट्स और उन एलियन ब्लॉक्स के बीच का कनेक्शन खोजना कि क्या वो ब्लब ही आखिर इन हॉटस्पॉट्स को जन्म दे रहे और इट इज जस्ट अ कोइंसिडेंस इन ब्लॉक्स के ओरिजिन को एक्सप्लेन करने के लिए 1994 में जर्मनी के जानेमाने मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के दो जियो फिजिसिस्ट यू आर क्रिस्टनसन और ए डब्ल्यू हॉफमैन इन्होंने एक
थरी को पेश की थी उनके मुताबिक 200 मिलियन सालों पहले जब पंजिया सुपरकॉन्टिनेंट टूट रहा था तब उस समय पृथ्वी का ओशिया निक क्रस्ट डेंसिटी ज्यादा होने की वजह से कॉन्टिनेंटल क्रस्ट के नीचे धसने लगा था और इवेंचर धस मेंटल तक पहुंच गया इसके बाद यहां मेंटल में एक्सट्रीम टेंपरेचर और प्रेशर के वजह से जब वो पिघला तब उसमें मौजूद पानी के कण कोर में मौजूद आयरन के संपर्क में आकर आयरन पेरोक्साइड में तब्दील हुए और क्योंकि आयरन पेरोक्साइड के मॉलिक्यूल लावा से ज्यादा डेंस होते हैं तो उनकी वजह से वह कोर और मैंटल की
बाउंड्री पर जमा होते गए और समय के साथ उन्होंने वहां पर ऐसे ब्लब स जैसे दो विचित्र स्ट्रक्चर्स बना दिए और क्योंकि इन ब्लब ने काफी समय तक आयरन पेरोक्साइड जैसे डेंस मटेरियल को अपने पास जमा करके रखा है इसीलिए फिर ओवरलोड होकर वो डेंस मटेरियल क्रस्ट को चीरते हुए समय-समय पर बाहर फूट पड़ते हैं क्रिएटिंग हॉटस्पॉट्स यानी कि अब तक लेवल टू भी पार साइंटिस्ट को पता था कि नंबर वन ज्यादातर हॉटस्पॉट्स अफ्रीका और पैसिफिक रीजन में है नंबर टू इन हॉटस्पॉट्स के नीचे दो विशाल ब्लब है और नंबर थ्री ये दो ब्लब ही
हॉटस्पॉट्स को जन्म दे रहे हैं अब बारी थी लेवल थ्री पर जाने की आप देख सकते हो कि क्रिस्टनसन और हॉफ की थिरी यह तो बता पा रही थी कि ये ब्लब बने कैसे होंगे पर इस थिरी के पास अब भी एक आंसर मिसिंग था वो यह नहीं बता पा रही थी कि ये ब्लब स्पेसिफिकली अफ्रीका और पैसिफिक के नीचे ही क्यों बने हैं वो कहीं और भी तो बन सकते थे ना अब देखो उन दिनों इस पर कई साइंटिस्ट ने बहुत सोचा उनका मानना था कि अब तक जितना हम जान चुके हैं उसी पर
आगे बिल्ड कर सके ऐसी कोई थिरी खोजते हैं ना एंड वेल उन्हें यह नहीं पता था कि यही ख्याल उन्हें बहुत ही जल्द एक डेड एंड की तरफ लेकर जाने वाला था एक्चुअली में उन साइंटिस्ट को लग रहा था कि हॉटस्पॉट्स को ब्लब से जोड़ना जितना इजी था ब्लब को अफ्रीका और पेसिफिक से जोड़ना भी उतना ही इजी होगा बट देन उन्होंने जितने भी थिरी दिए वो हॉटस्पॉट्स ब्लब और अफ्रीका पेसिफिक इन तीनों एलिमेंट्स को आपस में कनेक्ट ही नहीं कर पा रहे थे एंड फाइनली अमंस ऑल दिस केस 2021 में एक कंप्लीट अलग थिरी
सबके सामने आई इस थिरी का क्लेम था वो ब्लब असल में एक एलियन प्लेनेट थिया के टुकड़े हैं एंड सपोर्टिंग रिसर्चस ने यह दावा किया कि उनके पास इसका प्रमाण भी है नाउ लेट मी एक्सप्लेन देखो 2021 में कैटेक यूनिवर्सिटी के जिओ फिजिसिस्ट चियानइम ने एक थिरी पब्लिश की उनके अनुसार आज से करीब 45 बिलियन साल पहले पृथ्वी आज के मुकाबले काफी छोटी हुआ करती थी बट फिर एक मार्स इतने बड़े प्लानेट थिया से वो टकराती है और उस भीषण टकराव से नंबर वन पृथ्वी अपने एक्स पर टिल्ट हो जाती है नंबर टू थिया का
एक बड़ा टुकड़ा टूटकर हमारा चांद बन जाता है और नंबर थ्री उसके बचे हुए टुकड़े पृथ्वी के अंदर कैद हो जाते हैं दरअसल युवान का कहना था कि इस कोलेजन के बाद पृथ्वी पूरी तरह से पिघल गई थी और क्योंकि थिया की डेंसिटी पृथ्वी के मुकाबले ज्याद थी और इसीलिए उसके टुकड़े पृथ्वी के निचले हिस्से यानी हमारे कोर तक धस गए ऊपर से रही बात उनके करंट लोकेशन की तो एक अल्टरनेट रिसर्च ये कहती है कि पृथ्वी के इस नए टिल्ट रोटेशन को स्टेबलाइज करने के लिए यह ब्लब एक दूसरे से डायमेट्रिक अपोजिट यानी अफ्रीका
और पैसिफिक में अलाइन हो गए होंगे आफ्टर ऑल जायरोस्कोप में भी तो यही होता है उसके अंदरूनी पुर्जे अलग-अलग मूवमेंट्स और एडजस्टमेंट करके उस गायर स्कोप के रोटेशन को बैलेंस आउट करते हैं सो इज दिस इट क्या थिया वाली थिरी ही फाइनली एक्सेप्ट हुई जो हॉटस्पॉट्स ब्लब और अफ्रीका पेसिफिक की गुथी इन तीनों को आपस में कनेक्ट कर पाई वेल टेक्निकली यस क्योंकि इससे ब्लॉक आए कहां से यह पता चलता है फिर यह अफ्रीका और पैसिफिक में ही क्यों है यह भी पता चलता है और फिर उसी के आगे अगर हम वो ओशनिक क्रस्ट वाली
थिरी को भी कनेक्ट कर दे तो यह हॉटस्पॉट्स क्यों पैदा करते हैं यह भी पता चल जाता है मीनिंग हमारे पास अब वो सभी चीजों के एक्सप्लेनेशन है जो भी हमें चाहिए थे जस्ट वन थिंग सबूत प्रूफ एविडेंस क्या है यह थरी के सच होने का क्या हमारे पास कोई एविडेंस है कि थिया जैसा कोई एलियन प्लेनेट कभी एजिस्ट भी किया करता होगा वेल चिन युवा और उनकी टीम का यह दावा है कि उनके पास प्रूफ है उनका कहना है कि जब उन्होंने अपनी इस हाइपोथिसिस को टेस्ट करने के लिए एक कंप्यूटर सिमुलेशन बनाया उसमें
उन्होंने मून के केमिकल कंपोजीशन से सिमिलर मार्स जितना बड़ा एक प्लेनेट यानी थिया बनाया और फिर उसे पृथ्वी के साथ टकरा कर देखा तो सिमुलेशंस में एगजैक्टली वही हुआ जैसा उन्होंने हाइपोथिसिस में प्रिडिक्ट किया था याने थिया का एक बड़ा सा हिस्सा वाकई में उनके सिमुलेशन में चांद बन गया पृथ्वी उस टकराव से से पिघल भी गई और फिर थिया के बचे हुए टुकड़े अपनी हाई डेंसिटी की वजह से पृथ्वी के कोर मेंटल बाउंड्री तक भी पहुंचे जैसा एग्जैक्ट नजारा आज हमें हमारे पृथ्वी का भी दिखता है यानी कि युवान की इस थिरी के वजह
से अब फाइनली हमारे पास इन ब्लॉक्स के ओरिजिन का एक साइंटिफिक आंसर है एंड पॉसिबली वो सही भी है द ओनली प्रॉब्लम इज अब भी अनफॉर्चूनेटली हमें इसे एक थिरी ही पकड़ कर चलना होगा एंड यू नो व्हाट इज द रीजन वेल अपने इस थिया के अवशेष वाले क्लेम को प्रूफ करने के लिए युवान ने जो कंप्यूटर सिमुलेशन बनाया है उसमें थिया का केमिकल कंपोजीशन एक तरह से बस गेस वर्क है क्योंकि हम अब भी चांद के कंप्लीट केमिकल कंपोजीशन के बारे में नहीं जानते उसके सिर्फ ऊपरी सोइल सैंपल्स का ही हमारे पास प्रॉपर डाटा
है सो ऐसे में इस इनकंप्लीट डेटा सेट से थिया का सिम्युलेटेड मॉडल बनाना आई थिंक यहां पर चांस आ जाता है मार्जिन ऑफ एरर का हाउ एवर हम इसे पूरी तरीके से खारिज भी नहीं कर सकते क्योंकि वो सिमुलेटर मॉडल एक अच्छे खास से लेवल तक उन लॉब्स के एसिस्टेंसिया बेसाइड्स अपने सिमुलेशन के इस लूप होल को युआन और उनकी टीम भी भली भाति जानती है और इसीलिए वो फिलहाल नासा के आर्टेमिस मिशन से चांद के रॉक सैंपल्स हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं इवेंचर को वो ब्लब के साथ मैच करके यह प्रूफ करने
की कोशिश करेंगे कि ब्लब असल में थिया का ही एक हिस्सा है या फिर नहीं एंड दिस ब्रिंग्स अस टू दैट वन फाइनल क्वेश्चन व्हिच इज कि चलो आर्टेमिस चांद के रॉक सैंपल्स ले भी आए तब भी हमारे पृथ्वी के मेंटल में छुपे ब्लब को उनके साथ युआन कंपेयर ही कैसे करेंगे यू नो आज के इस पूरे वीडियो में यही वो सवाल है जिसने मुझे पर्सनली सबसे ज्यादा एक्साइट किया क्योंकि युआन मून के रॉक सैंपल्स को ब्लॉप से कंपेयर करके देखने वाले हैं ये एक फ्यूचर प्रोजेक्ट है इसका मतलब वो ये कैसे करेंगे इसका कोई
प्रोसेस कहीं पर भी मेंशन नहीं है अभी तक मतलब हमें यहां पर अपना खुद का गेस लगाना था कि क्या होगा प्रोसेस सो इससे पहले कि मैं खुद इसका जवाब दूं आप उे ट्राई करना चाहोगे कम ऑन इफ यू हैव एन आंसर तुरंत उसे नीचे कमेंट करो ट्रस्ट मी जवाब अब तक हमने जितना भी सीखा है उसी में ही है और यह हमें भी खुद बाद में ही रियलाइफ हुआ सो होप फुली आपको जो भी आंसर लग रहा है आपने नीचे कमेंट सेक्शन में लिख दिया होगा अब बढ़ते हैं जवाब की ओर आपको याद होगा
हमने सबडक्टेड ओशनिक क्रस्ट थिरी की बात की थी जो हॉटस्पॉट्स और ब्लब के बीच का कनेक्शन बताती है वेल उसमें यह देखो यहां पर साफ-साफ लिखा हुआ है कि वो ब्लब एक ही जगह पर रुके होने की वजह से ओवर टाइम उन ब्लॉक्स में मौजूद आइसोटोप यानी कि एलिमेंट्स के अलग-अलग वेरिएंट्स कंसंट्रेट होने लगते हैं और फिर उसके बाद मेंटल प्लूम यानी कि मैंटल को चीरते हुए जो लावा हॉटस्पॉट से बाहर आता है उनमें ये आइसोटोप रिसाइकल होकर बाहर सूखे लावा के पत्थर बनाते हैं यानी कि हमें चांद और ब्लॉप के पत्थरों को मैच कराने
के लिए मैटल तक खोदने की जरूरत नहीं है बस हवाई आइलैंड जैसे एक्टिव हॉटस्पॉट्स के पास से सूखे लावा के पत्थर यानी बेसाल्ट रॉक्स के सैंपल्स इकट्ठा करो और उनके जरिए ब्लॉक्स के केमिकल कंपोजीशन को आइडेंटिफिकेशन मेरे हिसाब से साइंस कोई सब्जेक्ट नहीं बल्कि एक सोचने का तरीका है प्रॉब्लम को सॉल्व करने का एक अप्रोच एक नजरिया है जो कि हर चैलेंजिंग सिचुएशन को हर सॉल्वड क्वेश्चन को देखकर हमें एक्साइटेड फील कराता है एंड वंस वी फाइंड द आंसर हमें कितना अचीवमेंट लाइक फील होता है बट यहां पर हमारा पर्सनल ग्रोथ भी होता है साथ
में और यही सेम साइंटिफिक अप्रोच हम अपने लाइफ में भी यूज कर सकते हैं अपने लाइफ के प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए खैर हैविंग सेड दैट एक और एक जियोलॉजिकल प्रॉब्लम है और यह सीधा आपसे और मुझसे हम इंडियन से जुड़ी हुई है बेसिकली आसान शब्दों में बताऊं तो इंडिया इज लिटरली स्प्लिटिंग अभी हाल ही में चाइना के रिसर्चस ने यह पता लगाया कि ब ऑफ सम अननोन फिनोमिना हमारा इंडियन टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्सों में टूट रहा है जिससे साइंटिस्ट का यह मानना है कि हो सकता है कि हमारे नॉर्दर्न स्टेट्स और इवन हिमालयन
पर्वत कुछ ही सदियों में बर्बाद हो जाएंगे और वेल इस टॉपिक को भी मैंने इस वीडियो में काफी डिटेल में कवर किया है कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट्स में एगजैक्टली क्या हो रहा है और क्यों साइंटिस्ट ऐसा बिलीव करते हैं कि आगे चलकर नॉर्थ इंडियन बेल्ट डिस्ट्रॉय हो सकता है सो क्लिक ओवर हियर एंड चेक आउट दैट वीडियो काफी इंटरेस्टिंग वीडियो है और अगर फ्रेंड्स इस इस वीडियो से आपको कुछ भी नया सीखने मिला तो एक लाइक जरूर ठोकना और गेट सेट फ्लाई साइंस चैनल को सब्सक्राइब कर लो और बेल नोटिफिकेशन ऑन कर देना ताकि आगे
आने वाली हमारी कोई भी वीडियो की अपडेट आप मिस ना करो सी यू नेक्स्ट टाइम तब तक के लिए एज ऑलवेज स्टे क्यूरियस एंड कीप लर्निंग जय हिंद
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