ध्रुव राठी पाकिस्तान के हवाले से कल उन्होंने ये वीडियो बनाई। ही इज़ नॉट अ जर्नलिस्ट। ये पूरी की पूरी वीडियो जो है ये पाकिस्तान के खिलाफ बनी हुई है। इंडिया ने पाकिस्तान पर हमले के लिए क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट की बुनियाद पर नौ जगहों को चुनाया। इंडियन 8000 फौजियों को मरवाया गया। जब तक वो आपके कंट्रोल में थे वो फ्रीडम फाइटर्स थे। बलूचिस्तान के साथ आपका क्या लेना देना है? आपका तो बॉर्डर भी नहीं मिलता बलचिस्तान के साथ। बीएएलए क्यों आपके रेडार से निकल गया? वो टेररिस्ट नहीं है। चाइना के जो न्यूज़ एजेंसीज हैं उनके अकाउंट्स
भी ब्लॉक कर दिए। आधे घंटे के अंदर-अंदर दोबारा खोल दिए। बड़े अब्बू थे इसलिए इनसे पंगा नहीं लिया। लेकिन द सॉर्ट ऑफ़ वीडियो दैट यू हैव मेड इट वास शॉकिंग के उसमें इतनी गलतियां थी। अस्सलाम वालेकुम नाजरीन। मैं हूं मंसूर अली खान। अपने डिजिटल चैनल के ऊपर आपको खुशामदीद कहूंगा। नाजरीन। ये एक स्पेशल वॉग है। यह खासतौर पे ध्रुव राठी जो कि एक बड़े मशहूर इंडियन यूट्यूबर हैं। एक नौजवान हैं। बड़ा जबरदस्त काम करते हैं। उनके हवाले से है जिन्होंने पाकिस्तान के हवाले से अब से चंद घंटे पहले बल्कि अब तो मेरे ख्याल में एक
दिन गुजर गया है। कल उन्होंने ये वीडियो बनाई जिसका टाइटल आप सामने देख सकते हैं। इंडिया पाक सीज फायर कैन पाकिस्तान एवर बी ट्रस्टेड अगेन ध्रुव राठी और ये उन्होंने रियलिटी ऑफ़ सीज फायर के नाम से जो है ये वीडियो इन्होंने जारी की। अब इसके अंदर मुख्तलिफ पॉइंट्स हैं जो मैं आपके सामने रखूंगा। उन्होंने क्या-क्या इसके अंदर कुछ कहा हुआ है और मेरा जवाब बतौर एक पाकिस्तानी उनके सामने हाजिर होगा। ये ज़हन में रखिएगा दिस इज़ नथिंग पर्सनल। मैं ध्रुव राठी के काम से काफी मुतासिर हूं। उन्होंने बड़ा रिसर्च करके जो है वो काम किया
हुआ है। और उनके बारे में ये बात कही जाती थी कि नरेंद्र मोदी के हवाले से वो बड़ा एक हार्ड स्टांस रखते थे। खासतौर पे इन इलेक्शंस से पहले। और ध्रुव राठी की वीडियोस के बदौलत ये भी कहा जाता था कि नरेंद्र मोदी की पॉपुलैरिटी में काफी हद तक कमी भी आई इनको उसमें से एक का जिम्मेदार जो है वो ठहराया जाता है। लेकिन ये जो वीडियो आई है जो इन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ये तकरीबन 22 मिनट की ये जो एक वीडियो बनाई है इट वाज़ वेरी पूरली रेफरेंस्ड और इसमें रिसर्च वर्क की बड़ी कमी
नजर आ रही थी और सिर्फ एक साइड का पर्सपेक्टिव ही नजर आ रहा था। इससे एक्चुअली पता लगता है ध्रुव राठी के बारे में ये बात जो है वो जरूर कही कही जाती है कि ही इज़ नॉट अ जर्नलिस्ट। ये कंटेंट क्रिएटर हैं। ये रिसर्च करते हैं। ठीक है? चीजों को जो है वो आपके सामने पेश करते हैं। एक पर्सपेक्टिव पेश करते हैं। बट ही इज़ नॉट अ जर्नलिस्ट कि जिसको आप यह कह सकें कि इन्होंने माजी में रिपोर्टिंग की हुई हो, जाके फील्ड रिपोर्टिंग की हो, इंटरव्यूज किए हो। ऐसा नहीं है। कंटेंट क्रिएट करते
हैं। तो उसके अंदर बहुत सी गलतियां भी हो जाती हैं कि क्या इनका जो रिसर्च वर्क है वो एक्यूरेट होता है या नहीं। तो हमने मुख्तलिफ पॉइंटर्स बनाए हैं। एक-एक करके इनके मुख्तलिफ पॉइंटर्स जो हमने इनकी वीडियो में से निकाले हैं। मैं उसको एक-एक करके उसका जवाब देना शुरू करूंगा ताकि हो सकता है कि जो कोई कंफ्यूजन उनके ज़हन में थी वो कम से कम क्लियर हो जाए। एंड मैं दोबारा यही बात कर रहा हूं। ये पाकिस्तान का पर्सपेक्टिव है। मेरा रिसर्च वर्क है जो मैं अभी थोड़ी देर में आपके सामने मैं रखूंगा। अच्छा जी
एक तो सबसे पहली बात ये है कि ध्रुव राठी जो है मैंने आपसे कहा कि इंडिया के बहुत बड़े यूटबर हैं। इनके तकरीबन इस वक्त जब मैं ये वीडियो रिकॉर्ड कर रहा हूं तो कोई तकरीबन 2 करोड़ 86 लाख इनके सब्सक्राइबर्स हैं। जाहिर बात है इंडिया की मार्केट बहुत बड़ी मार्केट है। और ध्रुव राठी की वीडियोस जो हैं वो 1 करोड़ व्यूज होना, ढाई करोड़ व्यूज होना, 1 करोड़ 20 लाख व्यूज होना ये एक आम सी बात है। मतलब ये उनके लिए उनकी वीडियोस के लिए एक आम सी बात है। तो बहुत ज्यादा देखा जाता
है। इनका चैनल जो है इनकी वीडियोस बहुत ज्यादा देखी जाती हैं। अच्छा अब इंटरेस्टिंग बात ये है कि पहलगाम का जब वाक्या पेश आता है तो इस पहलगाम के वाक्य के बाद चार दिन के बाद 26 अप्रैल को ध्रुव राठी जो है एक वीडियो करते हैं पहलगाम अटैक रियलिटी ऑफ़ पहलगाम अटैक हु इज फेलिंग इंडिया। ठीक है? अब ये इस उस पहलगाम अटैक के ऊपर जो है पूरी एक वीडियो करते हैं। अब इसके अंदर बड़ी इंटरेस्टिंग बात ये है कि जब ये ये वीडियो करते हैं तो पाकिस्तान से ज्यादा इनका जो एक्चुअल एतराज नजर आता
है वो इस बात के ऊपर आता है कि भाई यहां पे सिक्योरिटी क्यों नहीं थी? यहां पे जो है वो इतनी एक इंपॉर्टेंट जगह है। इतने टूरिस्ट यहां पे आते हैं। तो यहां पे सिक्योरिटी कितना गायब थी? इसके बारे में यह काफी कंसर्न होते हैं। यह बात करते हैं कि जनाब मिनिस्टर्स को इतने बड़े-बड़े प्रोटोकॉल्स दिए जाते हैं। सिक्योरिटी वहां पर इतनी दी जाती है। आखिर यहां पे इन लोगों को जो है वो सिक्योरिटी क्यों नहीं दी गई? उसके बाद इनका इसी चीज के दौरान जो ऐतराज है और ये पहले से भी करते आए हैं
वो मीडिया को इंडियन मीडिया को जो है ये बार-बार कहते आए कि जनाब इनका गोदी मीडिया है और ये कहते हैं कि जनाब गोदी मीडिया जो है सारा बिका हुआ है और ये सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी के लिए या बीजेपी के लिए कैंपेनिंग करता है। ये दूसरे साइड के पर्सपेक्टिव को जो है दिखाता नहीं है और कई बार ये भी कह चुके हैं कि जनाब ये राहुल गांधी के जो है वो खिलाफ है। कांग्रेस के ये खिलाफ है और उनको जो है वो एक विल्लेन के तौर पे पेश करता है। ये ध्रुव राठी का
एक स्टांस रहा है। अच्छा अब दूसरी बात यह कि इन्होंने माजी में अर्नभ गोस्वामी हो जाए। ये बल्कि अभी सिर्फ चंद दिन पहले जो है इन्होंने एक वीडियो एक महीना पहले की थी और उसके अंदर जो है ये देखिए इन्होंने अर्नभ गोस्वामी के नरेंद्र मोदी की इकट्ठी तस्वीर लगा के उस पे लिखा हुआ है पापा प्लीज इसे बैन करो और और भी अर्नभ गोस्वामी को माजी में भी बहुत दफा ये टारगेट करते रहे हैं और इंडियन मीडिया पे टारगेट करते रहे। बहरहाल यह इस वीडियो का कंटेंट था पहलगाम के हवाले से। इंटरेस्टिंग बात यह है
कि उसके बाद जंग का आगाज होता है और ध्रुव राठी खामोश ध्रुव राठी की तरफ से कोई वीडियो नहीं आती। एस अ मैटर ऑफ फैक्ट एक वीडियो आती है और वह होती है द वॉर फॉर व्हेल्स। अब दिस वास क्वाइट सरप्राइजिंग कि इंडिया के अंदर एक वॉर चल रही है। इंडिया पाकिस्तान आमने सामने खड़े हुए हैं। ड्रोंस फेंके जा रहे हैं। मिसाइल्स चल रहे हैं। जहाज गिर रहे हैं। ध्रुव राठी खामोश क्यों है? ध्रुव राठी की तरफ से कोई वीडियो क्यों नहीं आ रही? इस मौजू के ऊपर तो बड़ा मतलब हमने भी बहुत एक्सटेंसिवली काम
किया और लोगों ने भी बहुत एक्सटेंसिवली काम किया। ध्रुव राठी खामोश क्यों था? इसने बात क्यों नहीं की? उसके बाद अल्टीमेटली कल यानी कि जब सारा कुछ हो जाता है, जंग हो जाती है, जंग खत्म हो जाती है, सीज फायर हो जाता है तब जाके ध्रुव राठी की ये वीडियो आती है और ये पूरी की पूरी वीडियो जो है ये पाकिस्तान के खिलाफ बनी हुई है। हैरानगी की बात नहीं होती। इसका जवाब मैं आपको इस वीडियो के एंड पे दूंगा। ये इसके लिए आपको पूरी वीडियो देखनी पड़ेगी क्योंकि अगर आप समझेंगे नहीं तो तब तक
आपको आखिर के रिजल्ट की समझ नहीं आएगी। तो पहले आप इसको सुनिए। इसका जवाब मैं सबसे एंड पे दूंगा। अच्छा जी। तो ये सब कुछ होता है। ध्रुव राठी जो है वो ये वीडियो बनाते हैं और इसमें अब जो मुख्तलिफ पॉइंट्स वो दे रहे हैं वो सबसे पहले कहते हैं जी के कि जी सीज फायर के बाद पाकिस्तान पे भरोसा करना मुश्किल है। उन्होंने कहा वो भरोसा इसलिए नहीं किया जा सकता के पहले भी जो है पाकिस्तान बहुत दफा भरोसा तोड़ चुका है और सीज फायर की जब अनाउंसमेंट भी हुई थी तो उसके बाद जो
वायलेशन हुई वो पाकिस्तान की तरफ से की गई। अच्छा ध्रुव राठी ने जो है इसको बगैर कोई वेरीफाई किए बस इन्होंनेकि इंडियन मीडिया ने कहा तो ध्रुव राठी ने भी कहा कि जनाब सीज फायर की वायलेशन जो है वो पाकिस्तान की तरफ से हुई है। यहां पे ध्रुव राठी जो है ये बताना भूल गए कि ये वही इंडियन मीडिया है जो एक्चुअली कोई घंटा दो घंटे तक ये सारी चीजें चलाता रहा कि हां जी मिसाइल आ रहे हैं। हां जी ड्रस आ रहे हैं। पाकिस्तान सीज फायर की वायलेशन कर रहा है। और एकदम फिर खामोशी
हो गई। एकदम सब कुछ तब्दील हो गया। वो तमाम चीजें उस वक्त स्क्रीन के सामने से हट गई। ध्रुव राठी ने यह सवाल नहीं किया कि आखिर यह सब कुछ क्या हुआ? ठीक है? एक पॉइंट। अगला पॉइंट आया। उसके बाद इन्होंने कहा कि ध्रुव राठी ने कि जी टीआरएफ नामी तंजीम ने पहलगाम वाक्य की जिम्मेदारी कबूल की थी। ये इन्होंने उनके ऊपर डाल दिया। यहां पे अब दोबारा सिलेलेक्टिव रिसर्च जो है वो शो की गई। आगे से यह नहीं बताया गया कि 25 अप्रैल को टीआरएफ ने दोबारा अपनी एक प्रेस रिलीज़ जारी की और उन्होंने
पहलगाम वाक्य की तरदीद कर दी। लेकिन ये बात ध्रुव राठी जो है वो शायद बताना भूल गए। अच्छा दूसरी बात ये कि इन्होंने ये भी नहीं पूछा। इन्होंने ये भी कह दिया कि जनाब ये जो है ना लश्कर तबा की एक्चुअली एक ऑफ शूट है। टीआरएफ जो है वो एक ऑफशूट है। टीआरएफ ऑफ शूट है या नहीं है ये आपने किस तरह तस्दीक किया? क्या टीआरएफ से आपने खुद राब्ता किया या लश्कर तबा से आपने खुद राब्ता किया? बहरहाल इन्होंने कहा जी वो उसकी ऑफ शूट है। उसके बाद आगे चलके इन्होंने कहा कि जी इंडिया
ने पाकिस्तान पर हमले के लिए क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट की बुनियाद पर नौ जगहों को चुना है। ये दोबारा ये जुमला सुन लीजिए। क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट। क्या मतलब है इस बात का? व्हाट व्हाट डू यू मीन बाय? क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट? क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट यानी के जो आपकी इंटेलिजेंस एजेंसीज हैं उन्होंने कोई इनपुट दी और इसका मतलब है कि वो ठीक ही होगी। आपको पता है पूरी दुनिया के अंदर जो है फॉल्स फ्लैग ऑपरेशंस जो है वो इसी तरह ही किए जाते हैं कि जब आपने किसी पे अटैक करना है तो आप कह दें कि जनाब हमारे
पास क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट है वो वेप्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन जो इराक के अंदर हुआ था जिसकी बलबूते के ऊपर एक्चुअली अमेरिका ने हमला किया था वो भी क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट थी आपको पता है और पूरी की पूरी इराक वॉर चली गई कई हजार लोग उसके अंदर मारे गए करोड़ों अरबों का उसके अंदर नुकसान हो गया लेकिन वो वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन आज तक नहीं मिल सके। वो भी एक क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट थी। दूसरी बात यह मैं ध्रुव राठी से यह एक्सपेक्ट करता था कि वो कम से कम यहां पे ये जरूर कहेगा कि इंडिया ने
बगैर किसी इन्वेस्टिगेशन के बगैर किसी तरीकाकार के जो वही इंडिया जो आज भी मुख्तलिफ जगहों पे पोस्टर्स लगा रहा है। लोगों से कह रहा है कि अगर आपके पास कोई सबूत है उसका वीडियो लेकर आए। उसके सबूत लेकर आए। हम इसकी इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं। एट वन एंड यू आर सेइंग कि हम पहलगाम वाक्य की इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं। और फिर उसी वाक्य की बुनियाद के ऊपर आप बॉर्डर खोल के जो है इंटेलिजेंस क्रेडिबल इंटेलिजेंस इनपुट के ऊपर नौजवानों के ऊपर आप बमबारी कर देते हैं। और आप कहते हैं कि जनाब ये टेरर कैं्स थे
हमने इसलिए उड़ा दिया। ठीक है। उसके बाद अच्छा ये जो लफ्ज है टेरर कैंप्स ये ध्रुव राठी ने बार-बार इस्तेमाल किया कि ये नौ मुख्तलिफ टेरर कैंप्स थे जहां पे इंडिया ने जो है वो हमला किया और वहां पे दहशत गर्दों के जो नेटवर्क थे उनको तबाह कर दिया गया। ये बार-बार दुर्व राठी ने इसका भी जिक्र किया। अब सवाल ये है के ये जो टेरर नेटवर्कक्स जो आपने कहा कि जी हमने उनको तबाह कर दिया है जो फुटेजेस आपके टेलीविजन चैनल्स चलाते रहे इंडियन टेलीविजन चैनल्स चलाते रहे वो तो सारी मस्जिदों की और मदरसों
की फुटेजेस हैं। अगर अगर ऐसा ही टेरर नेटवर्क आपने तबाह किया तो फिर फुटेजेस के अंदर तो रॉकेट लांचर नजर आने चाहिए फुटेजेस के अंदर तो क्लैश एंड कोव्स, 9 एमएम्स, ग्रेनेड्स, टारगेट प्रैक्टिस के लिए जो बोर्ड्स होते हैं वो नजर आने चाहिए थे। टेररिस्ट के जो कैंप्स होते हैं वो तो इस तरह होते हैं। तो वो क्यों नहीं नजर आए? आपने पूछा नहीं इंडिया से कि जनाब आखिर मुझे जो कुछ नजर आ रहा है वो तो सीमेंट की बनी हुई दीवारें टूटी हुई नजर आ रही हैं। मुझे ग्लास टूटे हुए नजर आ रहे हैं।
मुझे मस्जिदों के गुंबद नजर आ रहे हैं। आखिर ये कैसे टेररिस्ट थे जो मस्जिदों के अंदर बैठ के ट्रेन कर रहे थे? ये सवाल किया आपने ध्रुव राठी। उसके बाद आगे इन्होंने कहा जी पाकिस्तानी हुकूमत और फौज दहशतगर्दों को सपोर्ट करती है और उस पॉइंट की हिमायत में उन्होंने यह दलील दी कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारतीय शहरियों पर हमला किया। अब इसको जरा दिल थाम के बैठिएगा क्योंकि इसके लिए ना मुझे अब आपको हिस्ट्री खोलनी पड़ेगी। इन्होंने कहा कि जनाब और आगे चलके इन्होंने एक और बात भी बल्कि कही। इसके अंदर इन्होंने
कहा कि जी पाकिस्तान ने सिविलियंस के ऊपर हमला किया है। जबकि हकीकत ये और इन्होंने कहा कि जी इसके अंदर जो है कुछ बच्चों की भी डेथ हुई है। 12 और 14 साल के बच्चे हैं और दो ट्विन बहन भाई हैं। उनका भी इन्होंने जिक्र किया कि जी उनकी भी डेथ हुई है। चल आप यह बात तो कम से कम मानेंगे ना। इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि बॉर्डर क्रॉस करके जो बमबारी हुई है या ड्रोन्स हुए हैं वो सबसे पहले इंडिया ने किए थे। इसमें तो मेरे ख्याल में ये फ़क्चुअल बात है।
यहां से स्टार्ट करते हैं। इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि आगाज इंडिया ने किया और पाकिस्तान ने उसके बाद जवाब दिया। ये आपके सामने एक बच्चा है सात साल का। मैं आपके सामने तस्वीर रख रहा हूं। इर्तजा अब्बास तूरी। इर्तजा अब्बास तूरी आपको खुदा ना खास्ता दहशतगर्द लगता है? यह बच्चा आपको दहशतगर्द लग रहा है। सिविलियन आबादी के ऊपर हमला करने की जहां तक आपने बात की ये सात साल के बच्चों की बच्चे की आंख में आपको कौन सी दहशतगर्दी नजर आ रही है? आपने इस बच्चे का जिक्र क्यों नहीं किया अपने इस
वीक के अंदर? यह कन्वीनिएंटली सेलेक्टिव रिसर्च जो है उसकी बुनियाद बना के इस पूरी खबर को ही आपने बीच में से निकाल दिया कि जब इंडिया ने एक्चुअली अटैक किया जो कि सबसे पहले किया तो उसके अंदर एक बच्चा ये एक बच्चा है और भी बच्चों की शहादत हुई है। इस बच्चे की जो डेथ हुई है उसका खून आप लोगों के हाथ पे है। और जब पाकिस्तान ने फिर जवाब दिया है तो हां उसके मुताबिक आप जो बात कह रहे हैं फिर वो सारा कुछ हुआ होगा। लेकिन ये क्यों नहीं बताया कि एक्चुअली आगाज इसका
इंडिया की जानिब से हुआ। और यह ड्रोंस जो है वो पाकिस्तान जब भेजे गए तो इस तरह एक सिविलियन की सिर्फ एक नहीं और भी कई सिविलियंस की जो है वो डेथ्स हुई यहां पर। यह सिलेक्टिव रिसर्च आखिर क्यों आपने यहां पे इस्तेमाल की? उसके बाद आपने कहा कि जी पाकिस्तानी हुकूमत दहशत गर्दों को सपोर्ट करती है। बहुत अच्छी आपने बात की। मैं आपको एक चीज जरा दिखाना चाहूंगा। ये देखिएगा ये एक साहब हैं हकानी। सिराजुद्दीन हकानी। यह आपके सामने है और यह अभी सिर्फ दो महीने पुरानी खबर है जो मैं आपके साथ शेयर कर
रहा हूं बल्कि शायद 2 महीने भी नहीं हुए। यूएस लिव्स 10 मिलियन रिवॉर्ड फॉर मेजर तालिबान लीडर हकानी। अमेरिका ने इस शख्स के ऊपर एक करोड़ डॉलर का इनाम लगाया हुआ था इसके ऊपर। ठीक है? और इसको टेररिस्ट डिक्लेअ किया हुआ था। अब जब तालिबान की हुकूमत आ गई है तो यह टेररिस्ट नहीं रहा। यह अब ठीक हो गया है। यह अब गुड बुक्स में आ गया है। मेरी बात को गौर से समझिएगा। फिर मैं आगे चलता हूं। उसके बाद यह एक और खबर यह आप ही के बारे में है। यह आपके इंडिया के बारे
में है। व्हाई इंडिया इज रीचिंग आउट टू द तालिबान नाउ। आपने सोचा कभी कि यही ये वही तालिबान है। ये वही तालिबान है ध्रुव राठी जिनके अगेंस्ट आप लोग जब वॉर एंड टेरर चल रही थी ना अफगानिस्तान के अंदर तो इनका जो ऑोजिट ग्रुप था द नदर्न अलायंस जो उस वक्त था। आप लोग उनको सपोर्ट करते थे इन्हीं तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान के अंदर। उस वक्त हामिद करजई की गवर्नमेंट थी। याद है आपको? उस वक्त हामिद कर की गवर्नमेंट थी और तालिबान जो है वो अपने मुल्क को आजाद करने की एक जद्दोजहद कर रहे थे।
और आप उसमें उस वक्त की अफगान जो हामिद कर की गवर्नमेंट थी उनको सपोर्ट करते थे। वहां पे आपने अरबों डॉलर लगाए। उस वक्त अफगानिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर के अंदर क्योंकि हामिद कर की गवर्नमेंट को आप सपोर्ट कर रहे थे। पाकिस्तान के बॉर्डर के साथ कॉन्सुलेट्स बनाए। याद है आपको? उस वक्त आप तालिबान के खिलाफ सब कुछ कर रहे थे। आप उनको दहशतगर्द कहते थे। आप उनको कहते थे कि उस वक्त की अफगान गवर्नमेंट की हर मुमकिन मदद की जाएगी इन तालिबान को खत्म करने के लिए। लेकिन फिर हालात बदल गए और यही तालिबान जब अफगानिस्तान
में हुकूमत में आए। आज उसके बाद जाके आप उनसे मिलते हैं। बल्कि एज अ मैटर ऑफ़ फैक्ट एस आई एम रिकॉर्डिंग दिस वीडियो तो तालिबान का एक लीडर जो है इंडिया के अंदर आकर बैठा हुआ है। और यह आपके चैनल्स ने रिपोर्ट किया है रात को। तो यही तालिबान अब बाप बन गए। जो दहशतगर्द होते थे आपकी नजर में और यह जो तस्वीर है इसके अंदर यही आपके जो जो फॉरेन सेक्रेटरी हैं मिस्त्री साहब विक्रम मिश्री जिनको एक्चुअली अपना Twitter अकाउंट ब्लॉक करना पड़ा बिकॉज़ ही वास बीइंग ट्रोल्ड और इनको हरेस किया जा रहा था
इनको और इनकी बेटी को आपके मुल्क के अंदर तो यही मिल रहे थे तालिबान के जो फॉरेन मिनिस्टर हैं उनसे आज से चंद महीने पहले उनसे मुलाकात हुई है तो जो कल के टेररिस्ट थे वो आज के आपके दोस्त बन गए हैं। आज उनके साथ जो है वह मेल मिलाप जरूरी हो गया है। इसी तरह जिस तरह मैंने आपको अमेरिका की एग्जांपल दी तो इसी तरह और भी एग्जांपल्स हैं। चल मैं अब जरा एक मर्तबा आपको घुमा के लेकर आता हूं कि जो माजी के टेररिस्ट होते हैं आप एक मिनट लगाते हैं और आपको आप
उनको दोस्त किस तरह बनाते हैं। एलटीटीई का पता है आपको? तामिल जो एक आजादी की तहरीक शुरू हुई थी। 1970 के अंदर रॉ उसी को सपोर्ट करती थी। श्रीलंका के अंदर। अंदर ये मैं श्रीलंका की बात कर रहा हूं कि वहां पे एलटीटीई को जो है वो रॉ सपोर्ट करती थी। सिर्फ सपोर्ट फंड्स के लिहाज से नहीं करती थी। उनको ट्रेन भी करती थी। और फिर उसी तामिल ग्रुप को बेसिकली जो उस वक्त की श्रीलंका की गवर्नमेंट थी उसके अगेंस्ट फंड करती थी। बाद में 1987 में करते-करते हालात जब बहुत ज्यादा खराब हो गए तो
आपने अपनी इंडिया की पीस कीपिंग फ़ जो है एक्चुअली श्रीलंका भिजवाई और जाके वहां पे अमन कायम करने की कोशिश। आपको आदत है बेसिकली भारत को आदत है दूसरे मुल्कों के काम में टांग अड़ाने की। उसके बाद आपने वहां पे ये किया। आपने उस वक्त एलटीटी को बहुत बनाने की कोशिश की। जो तामिल टाइगरर्स थे उनको बनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो माने नहीं। वो आपके भी कंट्रोल से निकल चुके थे। बनाने वाले आप थे लेकिन आपके भी कंट्रोल से निकल चुके थे। और उसके बाद क्या हुआ कि 3 साल तक आपकी जो इंडियन
फोर्सेस थी श्रीलंका में मार खाती रही। 8000 फौजियों को जो है वो मरवाया गया। इंडियन 8000 फौजियों को मरवाया गया और अल्टीमेटली चार साल के बाद आपकी इंडियन फोर्स जो है वापस इंडिया चली गई। उन्होंने कहा जी तामिल हमसे कंट्रोल में नहीं आते और ये वही तामिल थे ये जिनको आप अब दहशत गर्द आप उस वक्त पहले आपने उनको ट्रेन किया बाद में आपने उनको दहशतगर्द डिक्लेअर कर दिया क्योंकि आपके कंट्रोल से चले गए वो जब तक वो आपके कंट्रोल में थे वो फ्रीडम फाइटर्स थे। तब वो तामिल फ्रीडम फाइटर्स लेकिन जब वो आपके कंट्रोल
से निकल गए तो उसके बाद वो दहशतगर्द बन गए और फिर यह वही तामिल थे जिन्होंने राजीव गांधी को जो है फिर मारा था। मैं सिर्फ आपको हिस्ट्री याद दिला रहा हूं। उसके बाद आइए जरा श्रीलंका से मैं आपको बांग्लादेश लेके चलता हूं। ये वही हसीना वाजिद है जिसको पिछले कई सालों से आप सपोर्ट कर रहे थे। और हसीना वाजिद बांग्लादेश में बैठ के ह्यूमन राइट्स की वायलेशंस भी करती थी। लोगों की आवाज भी बंद करती थी, उठवाती भी थी, गिरफ्तार भी करवाती थी, गायब भी करवाती थी, सब कुछ कर रही थी। लेकिन आपकी आवाज
नहीं निकलती थी। लेकिन जब वहां पर उसका तख्ता उलट गया तो वही हसीना वाजिद जो हर किस्म की ह्यूमन राइट्स की वायलेशन कर रही थी उसको इंडिया ने ही सपोर्ट किया और इंडिया में ही पनाह दी। और आज जब आपकी फेवर की गवर्नमेंट नहीं है और वहां पे यूनुस की गवर्नमेंट है तो आज यूनुस की गवर्नमेंट आपको बांग्लादेश में बुरी लगती है। अब आ जाइए पाकिस्तान की तरफ। पाकिस्तान में और इंडिया के दरमियान जो एक इशू है जो वो कश्मीर का इशू है वो अब से नहीं पिछले कई सालों से चल रहा है बल्कि कई
दहाइयों से चल रहा है। आपकी नजर में यहां पे काम करने वाले या यहां पे अपनी स्ट्रगल के लिए जो लोग आवाज बुलंद करते हैं जो महाजरीन वहां पे मौजूद हैं जो वहां पे जो है वो जिहाद करते हैं। ठीक है? है मुजाहदीन जो वहां पे मौजूद हैं आप उनको दहशतगर्द कहते हैं। हम उनको फ्रीडम फाइटर्स कहते हैं। बॉर्डर का फर्क है। बॉर्डर के इस तरफ से उनको फ्रीडम फाइटर्स कहा जाता है। बॉर्डर के उस साइड से आप उनको दहशतगर्द कहते हैं। ठीक है? चल मैं एक मिनट के लिए ये डेफिनेशन आपकी मान लेता हूं
क्योंकि माज़ के अंदर आप भी इन्हीं तामिल्स के साथ भी यही करते आए ना। पहले आप उनको जो है फ्रीडम फाइटर्स कहते थे। बाद में आप उनको दहशत गर्द कहना शुरू हो गए। इसी तरह जिस तरह तालिबान को जो है वो एक जमाने में अमेरिकनंस भी जो है सिर्फ इसको नहीं। यहां तक कि ओसामा बिन लादिन का आपने जिक्र किया। उसको भी एक जमाने में जो है फ्रीडम फाइटर कहा जाता था। जब अफगान वॉर चल रही थी 80 के अंदर तो ओसामा बिन लादिन तालिबान इन सबको फ्रीडम फाइटर्स कहा जाता था। लेकिन फिर जब अमेरिका
के इंटरेस्ट खत्म हुए तो यही लोग टेररिस्ट बन गए। तो टेररिस्ट का जो ब्रांड लफ्ज होता है ना ये पॉलिटिक्स के मुताबिक चलता है। आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूं बड़ी अच्छी तरह। जिस तरह मैंने थोड़ी देर पहले सिराजुद्दीन हकानी का जिक्र किया था ना। ये आज से चंद साल पहले दहशतगर्द था। आज ये इन्हीं की गवर्नमेंट के अंदर मिनिस्टर है। तो इसके ऊपर जो एक्चुअली हेड मनी लगाई हुई थी वो हटा दी गई। ठीक है? तो ये फर्क है। लेकिन एक बात है चल कश्मीर का मामला तो आपका हमारा एक इशू है
ना जिसमें आपका और हमारा एक फड्डा चल रहा है। एक कंबाइंड एरिया के हवाले आप हम कहते हैं इंडियन ऑक्यूपाइड कश्मीर। आप कहते हैं पाकिस्तान ऑक्युपाइड कश्मीर छोड़ देते हैं। मैं कश्मीर की बात नहीं करता। मुझे एक बात बताइए। आपका बलूचिस्तान के साथ क्या लेना देना है? आ जाए इधर आ जाए। आप दहशतगर्दी की बात करते हैं ना बचिस्तान के साथ आपका क्या लेना देना है? आपका तो बॉर्डर भी नहीं मिलता बलचिस्तान के साथ। आपका तो मजहब भी नहीं मिलता बलचिस्तान के साथ। आपके आपकी क्या चीज मिलती है बलचिस्तान के साथ कि जब बलचिस्तान के
अंदर दहशतगर्दी का कोई वाकया होता है। जाफर एक्सप्रेस का जब कोई वाकया होता है उसी वक्त आपके यहां पे टेलीविज़ चैनल्स के ऊपर जो है वो ट्रांसमिशन शुरू हो जाती है। और बीएएलए के सिंपथाइजर्स जो है वो आपके टेलीविज़ स्क्रीन्स के मुख्तलिफ टेलीविज़ स्क्रीन्स के ऊपर आके बैठ जाते हैं। हाउ डस दैट हैपन? क्या ये दहशतगर्दी नहीं है? ये वो लोग जो जाफर एक्सप्रेस को रोके जो लोगों को सुसाइड बम्बर्स बीच में खड़ा करके ठीक है वहां पे 40-50 का ग्रुप इर्द-गिर्द कर दें ताकि जब एक सुसाइड बमबर फटे तो 40-50 मारे जाएं ये दहशतगर्दी
कहलाएगी या नहीं कहलाएगी या आपके इंडियन मीडिया चैनल जिस तरह इनको फ्रीडम फाइटर्स कहते हैं तो क्या ये जायज है? ये तब ठीक है। क्या यहां पे अब आप मेरे साथ नहीं खड़े होंगे? आप कहेंगे नहीं कि नहीं जो सुसाइड बॉम्बिंग कर रहा है वो दहशतगर्द है। आप बोलिए। आप बोलिए जाकर अपने इंडियन मीडिया को कहिए कि जाकर बीएलए के इन तमाम लोगों को दहशतगर्द कहें। मैं तो कहता हूं आप भी कहें मेरे साथ। मैं तो यह भी कहता हूं कि पहलगाम में जिसने जो कुछ किया दोबारा मैं बोलता हूं पहलगाम में जितने जिसने भी
उन मासूम लोगों को मारा वो दहशतगर्द हैं। आप मेरे साथ बोलिए कि बीएलए जो कुछ करते हैं वो दहशतगर्द है। बोलिए मेरे साथ। बीएएलए क्यों आपके रडार से निकल गया? वो टेररिस्ट नहीं है। वो यह ऐसा क्यों है कि उनके लोग बीएएलए के लोग जो हैं वो इंडियन टेलीविजन चैनल्स के ऊपर बैठ रहे हैं। आपका क्या लेना देना है बलचिस्तान के साथ? डोंट यू फाइंड दैट अम्यूजिंग? हैरानगी की बात नहीं है। ये सिलेक्टिव रिसर्च यहां पे किधर चली गई? इसका जिक्र क्यों नहीं होता? ऐसा क्या चक्कर है? मुझे एक बात बताइए। आप उठा के देख
लीजिए। मैंने आपको बांग्लादेश की एग्जांपल दी, श्रीलंका की एग्जांपल दी, बलचिस्तान की एग्जांपल दी। चाइना की देख लीजिए। चाइना के हवाले से अब मैं आपको यहां पे भी बताता हूं। कल कल हुआ है ये। कल इन्होंने चाइना के जो न्यूज़ एजेंसीज हैं उनके अकाउंट्स भी ब्लॉक कर दिए। उन्होंने कहा जनाब ये नहीं दिखाए जाएंगे। आधे घंटे के अंदर-अंदर दोबारा खोल दिए। और मैं नहीं कह रहा इंडिया के अपने अंदर लोग कह रहे हैं कि बड़े अब्बू थे। ताकत बहुत बड़ी है। इसलिए इनसे पंगा नहीं लिया। कि नहीं इनके अगेंस्ट कुछ नहीं करना। टर्की के अगेंस्ट
काम कर रहे हैं। टर्की के अगेंस्ट बोल रहे हैं कि यह टर्की बड़ा खराब है। टर्की ने यह कर दिया, वह कर दिया। यहां पर लोगों को जाना बंद करा दो। मेरे भाई आप लोगों के जो जेट्स गिराए थे वो तो चाइनीस ने गिराए थे। तो चाइना के अगेंस्ट बोले ना उधर हिम्मत नहीं होती बोलने की। यहां पे रिसर्च किधर चली जाती है। अच्छा फिर उसके बाद आपने एक और पॉइंट कहा। आपने कहा कि जी पाकिस्तान के अंदर जो है वो निजाम इनका इनके यहां तो जमूरियत ही नहीं है। इनके यहां कोई कॉन्स्टिट्यूशन नहीं है।
कोई वजीर आजम 5 साल पूरे नहीं करता। लियाकत अली खान को कत्ल कर दिया गया। बेनजीर भुट्टो को कत्ल कर दिया गया। इमरान खान आज जेल के अंदर है। अजीब इनकी जमूरियत का निजाम है। बिल्कुल आपने ये बात सही की। हमें अपने जमूरियत के निजाम को बेहतर करने की जरूरत है। बिल्कुल हमें मेरे ख्याल में बाकी हमें अपने जमहूरी निजाम को, अपने इलेक्शंस के निजाम को, अपने वोटिंग के निजाम को बेहतर करने की जरूरत है। लेकिन एक चीज हमारे निजाम के अंदर बड़ी इंपॉर्टेंट है जो कम से कम आज तक नरेंद्र मोदी जैसा कातिल जो
है वो प्राइम मिनिस्टर के स्लॉट तक नहीं पहुंचा सकी। जिसके ऊपर मुसलमानों के खून जिसके हाथ परंगे हुए हो। और ये मैं नहीं कहता ये मैं छोटी सी एक आपके सामने एक एक ओपिनियन पीस मैं शेयर कर रहा हूं। 11 साल पुराना है गार्डियन का। आप मुख्तलिफ आर्टिकल शेयर करते हैं ना ये 11 साल पुराना है। आदित्य चक्रवर्ती इंडियन है। उन्होंने लिखा हुआ है। टाइटल पढ़िएगा। नरेंद्र मोदी अ मैन वि मैसिकयर ऑन हड्स इज नॉट द रीज़नेबल चॉइस फॉर इंडिया। आपके ख्याल में ध्रुव यह हैरानगी की बात नहीं है कि एक एक शख्स जिसके हाथों
हाथों पर एक मैसकर हो मुसलमानों का आपका जमूरी निजाम उसको प्राइम मिनिस्टर के स्लॉट तक पहुंचा देता है। एंड यू आर वन ऑफ दोज़ वइसेस जो एक्चुअली इसके ऊपर आवाज बुलंद करती रही है, करती रही है, करती रही हैं। डोंट यू फाइंड दिस अम्यूजिंग कि ये आपका कैसा डेमोक्रेटिक निजाम है जो एक कातिल को वहां तक पहुंचा देता है। हमारे प्राइम मिनिस्टरर्स के ऊपर करप्शन के इल्जामात होंगे। वो हो सकता है एस्टैब्लिशमेंट से नाराजगी की वजह से उनको हटा दिया गया हो। ये सारी चीजें होंगी। बट हमारे किसी वजीर आजम के हाथ के ऊपर इस
तरह खून केंगे होने का इल्जाम नहीं आप लगा सकते। हमारे किसी प्राइम मिनिस्टर के ऊपर आप यह इल्जाम नहीं लगा सकते कि जब वो इलेक्शन लड़ता है तो वो साथ-साथ अपनी तकरीरों में यह भी कहता है कि मैं इंडिया को मिटा दूंगा। वो यह नहीं कहता कि मैं इंडिया के घर में घुस के जाकर उसे मारूंगा। वो अपने इलेक्शन कैंपेन में इंडिया को डिस्कस तक नहीं करता। लेकिन आपके हर इलेक्शन कैंपेन में पाकिस्तान इज वन ऑफ द सेंट्रल की पॉइंट्स इन द कैंपेनिंग। व्हाई इज दैट? नफरत की आपने बात की। आपने कहा जी इनके अंदर
नफरत बहुत है। मुसलमानों के अंदर पाकिस्तानियों के हवाले से आपने फरमाया। मैं ये आपके साथ एक रिपोर्ट शेयर करना चाहूंगा। व्हाट कंट्रोवर्शियल एक्शन हैज़ द मोदी गवर्नमेंट टेकन विद रिगार्ड टू मुस्लिम्स? ये एक बड़ी इंटरेस्टिंग रिपोर्ट है जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूं और ये रिपोर्ट जो है ये बेसिकली काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस जो कि एक अमेरिकन थिंक टैंक है उसने ये रिपोर्ट आपके मुल्क के बारे में बनाई है और मोदी के दौर में मुसलमानों के साथ एक्चुअली होता क्या रहा है छोटी सी रिपोर्ट है। आपने एक और जो गलती की है वो
मैं अभी आता हूं कि आपने जो रेफरेंसेस कहां-कहां से दिए। मैंने अभी तक आपको किसी एक पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट का रेफरेंस नहीं दिया। सिवाय एक के उस बच्चे की शहादत के हवाले से। क्योंकि वो पाकिस्तानी बच्चा था सिवाय उसके। मैंने और किसी चीज में पाकिस्तानी मीडिया को कोट नहीं किया। ये रिपोर्ट क्या कहती है? दिसंबर दो इन दिसंबर 2019 द पार्लियामेंट पास्ड एंड मोडी साइन सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट व्हिच अलाउस फॉर द फास्ट ट्रैकिंग ऑफ़ सिटीजनशिप फॉर हिंदू, सिख, बुद्धिस्ट, जैन, पारसी एंड क्रिश्चियन माइग्रेंट्स फ्रॉम अफगानिस्तान, बांग्लादेश एंड पाकिस्तान। क्रिटिक्स से द लॉ इज़ डिस्क्रिमिनेटरी बिकॉज़
इट एक्सक्लूड्स मुस्लिम्स एंड अप्लाई अ रिलीजियस क्राइटेरिया फॉर द फर्स्ट टाइम टू द क्वेश्चन ऑफ़ सिटीजनशिप। मुसलमानों के खिलाफ नरेंद्र मोदी जो है वह कानून बना रहा है। यह हाल है आपके वहां पर मुसलमानों का। उसके बाद आगे चल के यह बात करते हैं के बीजेपी ने अपने 2019 के इलेक्शन मेनिफेस्टो के अंदर प्रॉमिस किया कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन एनआरसी जिसे 1950 में जो है वो कंप्लीट किया गया। वो शुरू किया गया था उसे जो है वो कंप्लीट किया जाएगा। उसके बाद बाबरी मस्जिद मुसलमानों के साथ वहां पर क्या हुआ? उसके बाद आगे चलके
अभी रिसेंटली वफ बोर्ड के हवाले से आप लोगों ने कौन सा एक नया कानून पास किया मुसलमानों की मस्जिदों के हवाले से कि जब जिसका दिल करेगा उसको वहां से रिमूव किया जा सकेगा। उसके बाद कश्मीर के हवाले से क्या कुछ किया गया। यह तो एक बड़ी तवील मतलब उसका स्टेटस चेंज किया आर्टिकल 370 एंड ऑल दैट वो तो बड़ी लंबी एक डिटेल है। उसके बाद यहां पर आप ही के मुल्क के अंदर इंडिया के अंदर जो है वो मुसलमानों को सड़कों पे चौराहों पे खड़ा करके अगर उसके लिफाफे के अंदर जो है मुर्गी का
गोश्त भी होगा तो उसको रोक के इस बात के ऊपर मारा जाएगा कि तू गौ माता का गोश्त लेके जा रहा है। अगर किसी मुसलमान की दाढ़ी लंबी है तो उसके रोक के उसको कहा जाता है दाढ़ी उतार। यह वाक्यात नहीं हुए क्या आपके इंडिया के अंदर? उसके बाद वहां पर लोगों को मुसलमानों के पास जाकर पूछा जाता है। पहले नाम क्या है तुम्हारा? वो कहता है मेरा नाम मोहम्मद अली है। वो कहते हैं बोलो जय श्री राम। बोल जय श्री राम। जानते हुए कि ये नहीं हो सकता। ये गलत है। ये बिल्कुल उसी तरह
है कि किसी हिंदू से जबरदस्ती कहा जाए कि तू कलमा पढ़ कि जोर जबरदस्ती कर इसके साथ। आज 75 साल के बाद दिस इज व्हाट इंडिया हैस क्रिएटेड टुडे। आपको हमारे जमहूरी निजाम के ऊपर एतराज है। मैं मैं एक्सेप्ट कर रहा हूं कि बिल्कुल फॉल्ट्स हैं। लेकिन ऐसे फॉल्ट्स नहीं है जो आपके जमूरी निजाम के अंदर है। आप अपने जमूहरी निजाम के फौ्ट को ठीक कीजिए। यू हैव अ प्राइम मिनिस्टर हु इज इन द हैबिट ऑफ क्रिएटिंग फॉल्स फ्लैग ऑपरेशंस सिर्फ पिटिकल माइलेज हासिल करने के लिए। इंडिया के अंदर जुबान जदे आम बात है कि
जैसे ही इलेक्शन आने वाला होता है। बॉर्डर गरम हो जाता है। हैरानगी की बात नहीं है कि बॉर्डर के ऊपर जो है वह फायरिंग वग़ैरह स्टार्ट हो जाती है। कुछ ना कुछ हो जाता है। तो दूसरी बात ये आपने मुझे बड़ी इंटरेस्टिंग बात लगी कि आपने अपने इस पूरी वीडियो के अंदर जो है इंडियन एक्सप्रेस का बार-बार बार-बार बार-बार तस्करा किया या इंडियन कोटेशंस जो है वो आपने शो की। एक जगह आपने कहा कि जी वो भी आपने खबर का आपने दिया कि जी वहां पे नारकोटिक्स जो है वो लाई जाती है और वो लश्कर
तबा को सपोर्ट करने के लिए सीरियसली सीरियसली आई मीन ये बात तो फिर आपके बारे में भी लिखी जा सकती है कि जी आप भी किसी फॉरेन ये तो अखबार के अंदर चार लाइनें लिखनी है ना दैट वुड प्रूव एवरीथिंग और दूसरी बात ये ध्रुव एंड नाउ दिस कम्स ऑन अ पर्सनल नोट के इफ योर इंडिया इज सो शाइनिंग और इंडिया के अंदर इतना ही अच्छा निजाम है। ध्रुव राठी गिव मी एन ऑनेस्ट आंसर। आप खुद इंडिया के अंदर क्यों नहीं है? आप खुद जर्मनी से क्यों ऑपरेट कर रहे हैं? आप मुझे बताइए कैन यू
गो टू इंडिया राइट नाउ? आपका इतना शाइनिंग इंडिया है। वहां पे इतनी आजादी है। आपने हमारे ह्यूमैनिटेरियन रिकॉर्ड को खोला। आपने फ्रीडम ऑफ स्पीच की पाकिस्तान की बात की। बिल्कुल हमारे रिकॉर्ड बहुत खराब हैं। आई विल आई विल नॉट आर्ग्यू दैट। बट व्हाट अबाउट योर कंट्री? वो ध्रुव राठी जो एक्चुअली ये वीडियो बना रहा है वो खुद इंडिया में नहीं मौजूद और ना वो इंडिया जा सकता है। उसको पता है इस बात का क्योंकि वहां पे जो भक्त हैं भक्त आप समझते हैं ना वहां पे जो भक्त हैं वो क्या हाल करेंगे आपका आप अच्छी
तरह जानते हैं। अब आ जाए वो जो मैंने शुरू में बात की थी कि आपने फरमाया के ये सारा कुछ के जब से ही हुआ पहलगाम के ऊपर एक वीडियो आती है और उसके बाद पूरे इंडिया पाकिस्तान के ऊपर कोई एक वीडियो नहीं आती। एंड देन सडनली दे देयर कम दिस वीडियो व्हिच इज टोटली एंटी पाकिस्तान अनलाइक ध्रुव राठी है ना हैरानगी की बात है ना क्या बदलता है इस सारी चीज के अंदर व्हाट हैज़ चेंज्ड इन इंडिया एक नई डेवलपमेंट होती है और वो डेवलपमेंट क्या है कि मोदी सरकार YouTube चैनल्स ब्लॉक करना शुरू
कर देती है पाकिस्तान की एग्जांपल हमारा अपना चैनल आपके सामने है आई डोंट नो मेरे ख्याल में ध्रुव जो है वो जर्मनी में है तो हमारा चैनल तो देख ही पाएंगे तो ये चैनल्स बंद होना शुरू शुरू हो जाते हैं। अभी मैंने वीडियो के आगाज़ में कहा था कि मिलियंस एंड मिलियंस की व्यूअरशिप है वहां पे। तो अगर नरेंद्र मोदी ने ध्रुव राठी का चैनल भी ब्लॉक कर दिया तो फिर क्या होगा? कितने लोगों को सिखाएंगे कि वीपीए इस्तेमाल करो, वीपीए इस्तेमाल करो। तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि ध्रुव राठी ने यही समझा कि
बेहतर है कि टोटली एक प्रो मोदी नरेटिव जो है उसे पिक कर लिया जाए। और जरूरत नहीं है रिसर्च करने की। जरूरत नहीं है चीजों को चेक करने की। बस वीडियो बनाओ। जो भी पर्पस को सर्व करती है बस बना दो। पाकिस्तान को लान तानी करनी है ना तो कर दो डजंट मैटर। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कहीं ऐसा ना हो कि नरेंद्र मोदी जो है वो अब हमारा चैनल भी ब्लॉक कर दे। क्योंकि अगर यह हो गया आई आई आई जस्ट कांट इवन इमेजिन कि आपका कितना बड़ा फाइनेंसियल लॉस होगा। सो मैं आई एम
एक्चुअली डिसपोइंटेड। फ्रैंकली स्पीकिंग आई एम डिसपॉइंटंटेड बिकॉज़ मैंने वीडियो के शुरू में कहा था कि आई हैव ऑलवेज कंसीडर्ड कि इसका रिसर्च वर्क अच्छा होता था। लेकिन द सॉर्ट ऑफ़ वीडियो दैट यू हैव मेड इट वास शॉकिंग। इट वास शॉकिंग के उसमें इतनी गलतियां थी। इतनी गलतियां थी। मेरे पास ना आधा घंटा हो चुका है इस वीडियो को। मैं यकीन कीजिए मैं आधा घंटा मजीद भी बात कर सकता हूं इसके ऊपर। अगली वीडियो में आपसे दोबारा मुलाकात होगी। अल्लाह हाफिज।