नमस्कार मैं रविश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ के आयोजन में कुछ कमियों के लिए माफ़ी मांगी है और आयोजन के लिए योगी जी के नेतृत्व की भी भूरी भूरी प्रशंसा की है प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यूपी का सांसद होने के नाते मैं गर्व से कह सकता हूं कि योगी जी के नेतृत्व में शासन प्रशासन और जनता ने मिलकर इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया है मीडिया इसे योगी के बयान के जवाब के रूप में देख रहा है प्रधानमंत्री के ब्लॉग में योगी के सूअर और गिद वाले बयान के जवाब का तड़का
ढूंढने वाले मीडिया के चक्कर में आप मत पड़िए मीडिया में कब से योगी बनाम मोदी की कहानी बनाई जा रही है प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में जनरल सी माफी मांगी है जैसे आप अपने घर में पूजा या शादी या सेमिनार के आयोजन के वक्त शुरुआत में ही या उसके बाद कमियों के लिए माफी मांग लेते हैं वैसे ही इनकी माफी है प्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में भग का जिक्र तक नहीं किया मौतों का जिक्र तक नहीं किया मौनी अमावस्या के दिन 30 लोग मर गए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मरने वालों की संख्या 18
थी इन दोनों का कोई जिक्र नहीं अफसोस कि प्रधानमंत्री मोदी ने इतने बड़े आयोजन में कुछ कमियों के रह जाने पर माफी मांगी है उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि मैं जानता हूं इतना विशाल आयोजन आसान नहीं था मैं प्रार्थना करता हूं मां गंगा से मां यमुना से मां सरस्वती से हे मां हमारी आराधना में कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा करिएगा जनता जनार्दन जो मेरे लिए ईश्वर का ही स्वरूप है श्रद्धालुओं की सेवा में भी अगर हमसे कुछ कमी रह गई हो तो मैं जनता जनार्दन का भी क्षमा प्रार्थी हूं ये कुछ
कमियां नहीं थी लोगों ने जितने कष्ट सहे उन्हें कुछ कमियों का नाम देकर अफसोस जताने का कोई मतलब नहीं रह जाता जो कमी दिखाई दे रही थी कि गंगा का पानी साफ नहीं था स्नान करने के लिए लोगों को 20-20 किलोमीटर पैदल चलने पड़े दो-दो दिन तक जाम में रहना पड़ा सैकड़ों किलोमीटर तक जाम लगा लोगों के पैसे खत्म हो गए यह सब लोग खुद बता रहे थे और दिखाई दे रहा था और यह कुछ कमियां नहीं थी यह भी ध्यान रहे कि गोदी मीडिया ने पहले इनकी रिपोर्टिंग नहीं की गोदी मीडिया में चुप्पी थी
लोगों की आवाज नहीं थी केवल तारीफ चल रही थी जब लोग खुद से अपनी परेशानियों का वीडियो बनाकर सरकार के दावों को चुनौती देते हुए तमाम बयान झलक आने लगी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के वीडियो लोगों ने बनाए उन्हें है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की माफी औपचारिकता से ज्यादा नहीं यह माफी भी उस माफी के समान है जब किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था शायद उनकी तपस्या में कोई कमी रह गई विनम्रता के इस महान प्रदर्शन के बाद उन मांगों का आज तक पता नहीं चला लोगों को लगा कि किसान आंदोलन
को लेकर उनकी समझ बदली है लेकिन उस दौरान उन्होंने जो वादा किया उस पर आज तक अमल नहीं हो सका किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं आखिर उनके इस ब्लॉग में माफी वाली बात पर लोगों की नजर क्यों पड़ी क्या यह अच्छा नहीं होता कि मीडिया इस हेडलाइन को ऐसे बनाता कि कमियों को उजागर करने वालों की तुलना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूअर और गिद्ध से करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी नाम लेकर आलोचना भी नहीं करते हैं एक महीने के भीतर दो बार भगदड़ मची नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और कुंभ में आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से
दोनों जगहों पर मिलाकर 48 लोग मरे यज्ञ निति सरकार ने बताई लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि गिद्धों को केवल लाश मिली लाश तो सरकार को मिली थी फिर उसके बाद उनके परिजनों को लाश मिली जिनका अंतिम संस्कार किया गया क्या यह किसी मुख्यमंत्री की भाषा हो सकती थी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में ऐसा कुछ नहीं कहा ना साफ-साफ कहा ना इशारे में योगी आदित्यनाथ के सामने योगी की बात को काटना आसान नहीं लेकिन कहानी बना देना आसान है कि योगी को जवाब दे दिया गया आज भी अभी तक बीजेपी से लेकर आरएसएस
तक किसी भी बड़े नेता ने इस बयान की आलोचना नहीं की महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसको वह मिला गिदों को केवल लास मिली सोवर को गंदगी मिली संवेदनशील लोगों को रिश्तों की खूबसूरत तस्वीर मिली आस्थावान को पुण्य मिला सज्जनों को सज्जनता मिली गरीबों को रोजगार मिला को धंधा मिला श्रद्धालुओं को साफ सुथरी व्यवस्था मिली पर्यटकों को अव्यवस्था मिली सद्भावना वाले लोगों को जाति रहित व्यवस्था मिली भक्तों को भगवान मिले मतलब सबने अपने स्वभाव और चरित्र के अनुसार चीजों को देखा है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की य भाषा है वह भी विधानसभा के भीतर इस भाषा
का इस्तेमाल किया गया हो सकता है कि उनके समर्थक इस बात से खुश हो लेकिन उन समर्थकों को याद करना चाहिए कि गंदगी सूअरों को नहीं मिलती है गंदगी की बात करने वालों को आप सूअर नहीं कह सकते यह खबर देख लीजिए 2002 में इसी प्रयागराज के माघ मेला में कुछ संतों ने इसलिए स्नान करने से मना कर दिया था कि गंगा का पानी साफ नहीं था दुर्वासा आश्रम के त्रिदंडी रंग रामानु चार्य चैतन्य ब्रह्माचारी जी और स्वामी निश्चलानंद जी ने स्नान करने से मना कर दिया था और एक दिन का उपवास भी किया अदालत
जाने तक की धमकी दी उस समय राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेई भारत के प्रधानमंत्री 2013 में भी कानपुर के साधु समाज ने गंगा की गंदगी को लेकर प्रयागराज के माघ मेले में स्नान करने से मना कर दिया था लेकिन राजनाथ सिंह ने गंदगी की बात करने वालों के बारे में इस तरह की बात नहीं की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन लोगों को सूअर कह रहे हैं जिन्होंने गंदगी की बात की और मेले में गंदगी देखी बकायदा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट है नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टिप्पणी है कि 50 करोड़
लोगों को नाले के पानी में नहाने के लिए मजबूर किया गया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा था गंगा में नाले का मल बह रहा है अब इनकी रिपोर्ट को लेकर गंगा की बात होनी ही थी मुख्यमंत्री कह रहे हैं सूअरों को गंदगी मिली कितने लोगों ने गंदगी की शिकायत की शौचालय की शिकायत की क्या उनकी शिकायतों की तुलना सूअरों से की जा सकती है भगदड़ में मरे लोगों की संख्या की बात करने वालों को क्या गिद्ध कहा जा सकता है जब यूपी की सरकार कुंभ के आयोजन का श्रेय ले रही है तो फिर उसे
भगदड़ से लेकर जाम और गंदगी की जवाबदेही को भी विनम्रता से स्वीकार करना चाहिए था क्या प्रधानमंत्री मोदी इसकी आलोचना नहीं कर सकते थे कि लोकतंत्र है सबको कहने का अधिकार है लेकिन इस पर भी चुप रह गए या कोई ट्रंप का दरबार तो नहीं कि सबके सामने भारत की नीतियों को पक्षपात पूर्ण बताते रहे भारत का मजाक उड़ाते रहे और प्रधानमंत्री मोदी जवाब तक नहीं दे सके जबकि अनुवादक उन्हें हिंदी में बता ही रहा होगा कि इंग्लिश में ट्रंप भारत की आलोचना कर रहे हैं narendramodi.in एक ब्लॉग है प्रधानमंत्री का पर्सनल स्पेस है वहां
तो लिख ही सकते थे कि भगदड़ में मौत को लेकर दुखी हूं लोगों को घंटों जाम में रहना पड़ा प्रयागराज के लोगों को कितनी तकलीफ उठानी पड़ी नाम लेकर अफसोस जताते तब लगता कि वाकई अफसोस जता रहे हैं क्षमा प्रार्थी हैं हमारा तो यही कहना है कि ट्रंप के दरबार में भी चुप रह गए और भारत के नागरिकों को सूअर और गिद्ध कहे जाने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रह गए कुंभ की समाप्ति पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संगम घाट पर सफाई कर रहे हैं कुंभ का आयोजन होता ही मुश्किल है सभी जानते हैं लेकिन
कमियों को उजागर करने से आयोजन में सुधार भी होता है जिस तरह के दावे किए गए थे उसे लोगों ने सही नहीं पाया था लोगों ने इसकी परवाह नहीं की यह और बात है इसके बाद भी लोग आए अच्छी बात है लेकिन सरकार को अपनी बात करनी चाहिए इसके बजाय उन्हें गिद और सूअर कहा जाए यह कहां की संस्कृति है केवल आम लोगों ने इस सवाल को नहीं उठाया प्रधानमंत्री मोदी जिसे मंदिर कहते हैं उस संसद में सा ने जिम्मेदारी के साथ सवाल उठाया था सांसदों ने इस तरह से अपना कर्तव्य निभाया था आंकड़े देने
से पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दे दे महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए मेरी मांग अध्यक्ष महोदय सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए महाकुंभ आपदा प्रबंधन व खोया या केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए महाकुंभ हादसे के शिकार लोगों की मृत्यु घायलों का इलाज दवाइयों डॉक्टर भोजन पानी परवन की उपलब्धता का आकड़ा संसद में पेश किया जाए महाकुंभ हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर महाकुंभ हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर घोर दंडात्मक कारवाई हो जिन्होंने सच छुपाया है उनको दंडित किया जाए अध्यक्ष महोदय हम डबल इंजन की सरकार
से पूछते हैं अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए छिपाए और मिटाए क्यों गए [प्रशंसा] हैं साच छिपाना और मिटाना भी तो अपराध है इसका दंड कौन भुगते का अध्यक्ष महोदय सर मैं आंकड़ों में जाऊंगा ही नहीं मैं कोविड के दौर का भी गवाह हूं सर कितनी लाशें अनअटेंडेड चली गई सर अति साधारण लोग हैं ये जिंदगी में डिग्निटी चाहिए सर संविधान भी कहता है लेकिन मौत में उससे बड़ी डिग्निटी चाहिए अगर हम डिग्निफाइड डेथ नहीं इंश्योर कर पा रहे हैं सर तो ये हमारे सामूहिक विफलता है सर क्या आंकड़े की बात करूं मैं
जानता हूं मुझे फोन आते हैं आपको भी आते होंगे कि फलनवा वो गया है कोई खबर नहीं लग रही है फोन नहीं लग रहा है वो व्यग्रता वो चिंता सर तब बढ़ जाती है ना जब 17 घंटे तक 17 घंटे तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं होती है तो अवा फैलती है सर और अवा फदर स्टम को जन्म देती है दो तीन जगह हो जाते हैं और मैं क्या सर मैं सोच रहा था कल जब बातचीत शुरू हुई खड़गे साहब बोल रहे थे बाकी लोग मैं सोचा कि इतनी देर में नेहरू जी नहीं आए तो नेहरू
जी भी आ गए 54 के कुंभ का जिक्र हुआ संभवत इतने लोग मारे गए थे सर यह लाशों के आंकड़े पर तेरा वाला मेरा वाला ये लोग कितने चोटी होते होंगे समझिए सर सांसदों के साथ-साथ लोगों ने समस्याओं को उजागर किया बड़ा काम किया स्नान करती महिलाओं के वीडियो बाजार में बिक रहे थे इसकी जानकारी पुलिस की तरफ से पहले नहीं आई सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखना शुरू किया कि ऐसा हो रहा है वह कुंभ को बदनाम नहीं कर रहे थे बल्कि कुंभ की गरिमा की रक्षा कर रहे थे लोगों के हल्ला करने के
बाद पुलिस ने तुरंत मामले की जांच की और तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया प्रयागराज के चंद्र प्रकाश फूलचंद लातूर के प्रज्वल अशोक तेली और सांगली के राजेंद्र पाटिल को गिरफ्तार किया गया है 17 सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है पुलिस को शुक्रगुजार होना चाहिए कि लोगों ने समय रहते उसे सतर्क कर दिया दुर्घटना के वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया था और श्रद्धांजलि भी दी थी लेकिन जब आप ब्लॉग लिख रहे हैं तब भगदड़ का जिक्र करना चाहिए था और मारे गए लोगों को फिर से श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी अफसोस इसे
लेकर जताना चाहिए था अगर प्रधानमंत्री ऐसा करते तब उनका राजनीतिक साहस नजर आता और तब उसमें विनम्र भी नजर आती किसी को सूअर कहना गिद्ध कहना क्या गाली नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इसे नजरअंदाज कर देते हैं और विरोधी दलों पर आरोप लगाते हैं कि वे कुंभ को गाली दे रहे हैं लेकिन यह जंगल राज वाले महाकुंभ को ही गाली दे रहे हैं महाकुंभ को लेकर बद्दी बद्दी बातें कर रहे हैं राम मंदिर से चिड़ने वाले लोग महाकुंभ को भी कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं मैं जानता हूं महाकुंभ को गाली देने वाले
ऐसे लोगों को बिहार कभी भी माफ नहीं करेगा योगी और मोदी के बयानों में केवल शब्दों का अंतर है कुंभ में कमियों को उजागर करने वालों के प्रति दुराव या नफरत दोनों के के बयानों में एक समान ही नजर आता है सांसदों के अलावा संत भी अव्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे थे क्या इसके लिए इनके प्रति अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है क्या कमियों को उजागर कर यह लोग गाली दे रहे थे क्या यह दुर्भावना से कुंभ में गए थे 14 जनवरी को ही बड़ा उदासीन अखाड़े के संतों ने मेला क्षेत्र में
धरना दिया पुलिस और प्रशासन के अफसरों से नाराजगी जताई कि अव्यवस्था सर चढ़कर बोल रही है 10 जनवरी की खबर है कि महाकुंभ मेला क्षेत्र में अव्यवस्था गांव से नाराज निर्मल अखाड़ा के संतों ने त्रिवेणी मार्ग पर धरना दिया संतों ने कहा कि उनके शिविर में अब तक पेय जल का प्रबंध नहीं किया गया है जबकि पेशवाई शनिवार को होनी है मेला प्राधिकरण की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही अफसर कार्यालय में बैठ नहीं रहे 18 जनवरी की टीवी 9 भारतवर्ष की रिपोर्ट है सेक्टर 67 में कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं ने पीने का पानी
नहीं होने और सोने के लिए गद्दे नहीं होने की शिकायत की मगर मेला अधिकारी तक शिकायत पहुंचाने के बाद भी कोई कार्यवाई नहीं हुई तो जूना अखाड़ा की महिला साधुओं ने अपने अखाड़े में प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर दिया हम लोगों ने तो कहा था जो सद्भावना से जाएगा सम्मान से कुंभ में जाए लेकिन जो सद्भावना से नहीं दुर्भावना से जाएगा तो उसकी दुर्गति भी होगी जरूर अगर उसने कुंभ में अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास किया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैसे कह सकते हैं कि जो दुर्भावना से जाएगा उसकी दुर्गति होगी मुख्यमंत्री कैसे यह सब कह
रहे हैं क्या जो लोग मारे गए वोह दुर्भावना से गए थे जो लोग घंटों जाम में फंसे रहे मीलों पैदल चलते रहे वो दुर्भावना से गए थे इसलिए उनकी दुर्गति हुई लोगों ने भीषण ठंड में खुले आसमान के नीचे सोकर रात गुजारी है बुजुर्ग लोगों को घंटों पैदल चलना पड़ा है उनकी हालत खराब हो गई क्या ये लोग दुर्भावना से गए क्या कुंभ में दो तरह के लोग गए एक सदभावना से और एक दुर्भावना से मुख्यमंत्री को कैसे पता कि कौन दुर्भावना से गया ठीक है प्रधानमंत्री मोदी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान की
निंदा नहीं कर सकते थे जो उन्होंने विधानसभा में कहा लेकिन अगर उसका जवाब भी देना था तो कम से कम इस माफी नामे में कुंभ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति की बात लिख देते अफसोस जता देते मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया विधानसभा में योगी आदित्यनाथ एक महिला की तस्वीर दिखाकर बता रहे हैं कि यह देखिए एक बहू पीठ पर सास को लात कर ले गई इस बात पर उनके विधायक तालियां लियां बजाने लगते हैं क्या इस महिला के लिए जरूरी था कि वह अपनी सास को पीठ पर लात कर ही ले जाए
क्या इसका इंतजाम प्रशासन को नहीं देखना था ऐसी ही एक तस्वीर महाकुंभ मेले के ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई जिसमें एक युवक अपने कंधों पर एक बुजुर्ग को ले जा रहा है तस्वीर पर लिखा है संस्कृति का प्रतीक बुजुर्गों का सम्मान क्या इस तरह से सफर करने को मजबूर बुजुर्गों के लिए यह सम्मान की बात थी युवक ने या बहू ने अपनी सास या अपने पिता का सम्मान की किया लेकिन सरकार ने उन बुजुर्गों का सम्मान कैसे किया सवाल यह है परिवार वालों को मजबूर होकर या श्रद्धा से अपने बुजुर्गों को इस तरह से
घाट तक ले जाना पड़ा वरना अगर सुविधाएं होती तो कोई क्यों इतने खतरनाक तरीके से किसी बुजुर्ग को सफर करवाएगा योगी यह तस्वीर सदन में दिखा रहे हैं यह तो उस बहू की श्रद्धा थी लेकिन लोगों को लेकर सरकार की क्या श्रद्धा थी क्या इंतजाम था योगी आदित्यनाथ जिस तस्वीर को दिखा रहे हैं वह उस महिला की तारीफ है लेकिन दिखाने वाले मुख्यमंत्री की आलोचना है बल्कि सख्त आलोचना है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह बताना था कि हमारी व्यवस्था ऐसी थी कि किसी को पीठ पर लाद कर ले जाने की नौबत नहीं आई हमने इतने
बसों का इंतजाम किया कि किसी को इस तरह से ठेले पर लाद कर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी जब लोगों ने इन समस्याओं पर बात की तो मुख्यमंत्री उन्हें गिद्ध कहने लग गए सूअर कहने लग गए श्रद्धा और धर्म के नाम पर आप लोगों के जज्बे को सलाम कर सक सते हैं उसका श्रेय आप नहीं लूट सकते यह केवल इस कुंभ का नहीं सभी कुंभ का और सभी धार्मिक आयोजनों का सच है कि लोग अपने इष्ट तक पहुंचने के लिए तमाम कष्ट उठाते हैं इसका मतलब नहीं कि उनकी इस भावना को सरकार अपने खाते
में जोड़ ले यह सही बात है कि बड़ी संख्या में लोग कुंभ में स्नान करने आए कुंभ को लेकर लोगों में बहुत उत्साह देखा गया लेकिन उन्हीं लोगों ने इस बार दो कुंभ देखे एक आम लोगों का कुंभ एक वीवीआईपी का कुंभ एक तरफ करोड़ों लोग उसी घाट पर स्नान करके गए लेकिन कुछ हजार वीआईपी के लिए अलग घाट बनाया गया आलोचकों और श्रद्धालुओं का पूरा अधिकार है कि वे बताएं कि कहां पर कमी है आपने उन्हीं के लिए आयोजन किया जब बार-बार वीआईपी इंतजाम पर सवाल उठे तब प्रशासन ने माना कि उनसे गलती हुई
इसीलिए कुछ दिनों के लिए वीआईपी पास बंद किए गए प्रयागराज के शहरी लोगों ने भी कुंभ के दौरान कम परेशानियों का सामना नहीं किया कई दिनों तक स्कूल बंद रहे स्कूल खुले तो बच्चों को जाम के कारण कई घंटे तक सड़कों पर फंसा रहना पड़ा दूध की किल्लत हो गई चीजों के दाम बढ़ गए पत्रिका ने लिखा है कि किराना के थोक व्यापारी शुभम केसरवानी ने बताया कि उनको सामान मिलने में समस्या हो रही है ना सिर्फ सामान का अभाव है बल्कि दामों में भी वृद्धि हो रही है रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान का स्टॉक
भी अब खत्म हो रहा है जिससे उनके व्यापार पर असर पड़ रहा है इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट है कि प्रयागराज के लोग लिख रहे हैं कि शहर अपने ब्रेकिंग पॉइंट पर आ गया है और भीड़ नहीं झेल सकता हम पर दया खाइए कुंभ मत आइए इस तरह के बयान अखबार में छपे हैं 24 फरवरी से यूपी बोर्ड की परीक्षा शुरू होनी थी 3 दिन पहले 21 फरवरी को नोटिस आता है कि प्रयागराज में 24 फरवरी की परीक्षा अब 9 मार्च को होगी इस दौरान पूरे महीने छात्र कितना परेशान रहे होंगे कि परीक्षा होगी तो केंद्र
तक कैसे पहुंचेंगे यह फैसला पहले भी तो किया जा सकता था निश्चित रूप से यह अव्यवस्था की कमी थी और इसे उजागर करना किसी भी तरह से गलत नहीं था कुंभ का अपमान कहीं से नहीं था प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में प्रयागराज के लोगों की इसके लिए तारीफ की है उन्होंने परेशानी का सामना किया इसके लिए तारीफ की जा सकती है एक दिन आप बेरोजगारी का सामना करेंगे उसके लिए भी तारीफ होगी महंगाई के कारण आपकी हालत खराब है आपकी तारीफ कर दी जाएगी शेयर बाजार में अब आपकी कमाई डूब गई है प्रधानमंत्री तारीफ
कर देंगे कि इसके बाद भी आप मुस्कुरा रहे हैं प्रधान मंत्री ने ब्लॉग में लिखा है कि विशेषकर प्रयागराज के निवासियों ने इन 45 दिनों में तमाम परेशानियों को उठाकर भी जिस तरह श्रद्धालुओं की सेवा की वह अतुलनीय है मैं प्रयागराज के सभी निवासियों का यूपी की जनता का आभार व्यक्त करता हूं अभिनंदन करता हूं मुझे मालूम है जिस सिटी में 20 से 25 लाख लोग रहते हैं उस सिटी में अचानक 5 करोड़ आ करोड़ लोग आ जाएंगे क्या स्थिति होती होगी जिस घर पांच सदस्य रहते हैं अचानक 10 लोग आ जाए तो हालत खराब
होती है और यहां तो 20 20 गुना लोग आ रहे थे स्थिति में लेकिन प्रयागराज वासियों ने पूरे धैर्य के साथ हसी खुशी के साथ कहा कि साहब ये तो हमारा अपना आयोजन है और प्रयागराज से ही प्रेरित होकर के प्रयागराज से ही प्रेरित होकर के पूरे प्रदेश में इतना बड़ा आयोजन जिस मार्ग से तीर्थ यात्री और श्रद्धालु गए पूज्य संत गए उनके अभिनंदन के लिए उनके अभिवादन के लिए उनके स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश वासी वहां पर उड़ते हुए दिखाई देते थे कुंभ समाप्त हुआ करोड़ों लोगों ने स्नान किया और करोड़ों लोग नहीं भी
जा सके अच्छा हुआ जो नहीं गए उन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने भला नहीं कहा बल्कि यही कहा कि इस महाकुंभ में जो प्रयाग नहीं पहुंच पाए वह भी इस आयोजन में भाव विभोर होकर जुड़े वरना whatsapp-web अमृत वचन घोषित कर दिया जाए नमस्कार मैं रवीश कुमार