सोशल मीडिया पर कुछ वीडियोस रिलीज होती हैं जिसमें सऊदी अरब की सड़कों पर तीन पैसेंजर एयरक्राफ्ट्स को बड़े-बड़े ट्रक्स में देखा गया जद्दा की सड़कों पर सऊदी एयरलाइंस के तीन बोइंग 77 एयरक्राफ्ट्स को 26 व्हीलर के ऊपर देखकर लोगों ने इसकी वीडियोस बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दी आगे पीछे पुलिस और ट्रैफिक डिपार्टमेंट की एस्कर्ट व्हीकल्स और कई क्रू मेंबर्स जो इस काफिले को आगे बढ़ने में मदद करते दिखाई दिए कहीं इस काफिले की वजह से ट्रैफिक जैम्स देखे गए तो कहीं रोड साइड पर खड़े लोग और बच्चे हैरानी से इस मंजर
को एंजॉय करने लगे पहले तो यह समझा गया कि शायद जिद्दा में किंग अब्दुल अजीज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इनको कहीं करीब ही मेंटेनेंस या डिस्प्ले के लिए लेकर जा रहे हैं लेकिन बाद में मालूम पड़ा कि 100 मीटर जितने लंबे इन तीन ट्रेलर्स की आखिरी मंजिल यहां से 850 किमी दूर सऊदी का कैपिटल रियाद है जी हां बोइंग 77 क्या किसी भी एयरक्राफ्ट को रोड के जरिए 850 किमी भेजने वाला सऊदी अरब अब दुनिया का पहला मुल्क बन चुका है इससे पहले यह रिकॉर्ड 2004 में यूरोप में बनाया गया जब एक कंकड को हीथ्रो एयरपोर्ट
से स्कॉटलैंड के म्यूजियम ऑफ फ्लाइट तक भेजा गया इस सफर में 643 किमी का फासला तय हुआ था लेकिन सऊदी अरब ने एक नहीं बल्कि तीन-तीन बोइंग िप से को इतने लंबे फासले तक भेजकर एक एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है सिर्फ वर्ल्ड रिकॉर्ड ही नहीं बल्कि सऊदी अरब का यह एक सोचा समझा मार्केटिंग स्टंट था जो शायद काफी हद तक कामयाब भी हो चुका है आइए इस मामले की गहराई तक जाकर यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह सारा माजरा क्या है जम t की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद
नाजरीन कन्वॉयज पहले एयरक्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर ए ज ए केजी है जिसके बारे में रिकॉर्ड्स बताते हैं कि यह 26 साल पुराना बोइंग 77 है जो 1998 में सऊदी एयरलाइंस को डिलीवर किया गया था 18 साल तक सर्विस में रहने के बाद इसको ग्राउंड कर दिया गया और पिछले 8 सालों से यह जिद्दा एयरपोर्ट पर ही खड़ा था इसी तरह दूसरे दो एयरक्राफ्ट्स भी करीब 18 साल सर्विस में रहने के बाद पिछले 7-8 सालों से ग्राउंड थे इन तीनों एयरक्राफ्ट्स ने अपनी सर्विस लाइफ के दौरान 50000 घंटों तक फ्लाई किया है सर्विस लाइफ का मतलब
है कि जब तक कोई भी एयरक्राफ्ट अपने नॉर्मल ऑपरेशंस परफॉर्म कर रहा हो और इसके बाद बो 77 की सर्विस लाइफ खत्म हो जाती है यानी इस पीरियड के बाद मैन्युफैक्चरर इसको इस्तेमाल करने से मना करता है तो क्या इस पीरियड के बाद जहाज जाया हो जाते हैं नॉर्मली जब भी एयरक्राफ्ट्स अपनी सर्विस लाइफ पूरी कर लेते हैं तो इनको एयरक्राफ्ट बोन यार्ड्स में पार कर दिया जाता है बोन यार्ड्स बहुत बड़े मैदान को कहते हैं जहां लंबे अरसे के लिए एयरक्राफ्ट को स्टोर किया जाए खास तौर पर ऐसे एरिया में जहां ड्राय या खुश्क
रेगिस्तान जैसा मौसम हो और इस किस्म का एरिया ढूंढने में सऊदी अरब को कोई मुश्किल पेश नहीं आई होगी ऐसे क्लाइमेट में बोन यार्ड्स बनाने का मकसद वहां खड़े एयरक्राफ्ट को जंग से बचाना होता है क्योंकि ड्राई क्लाइमेट में मॉइश्चर कम होता है जो कि मेटल के लिए काफी खतरनाक है बोन यार्ड्स में पार करने से पहले एयरक्राफ्ट के इंजंस और दूसरे सेंसिटिव पार्ट्स को सील कर दिया जाता है ताकि मिट्टी नमी और टेंपरेचर चेंज से बचाया जा सके बेशक ये एयरक्राफ्ट किसी काम में नहीं आते लेकिन फिर भी इनकी पीरियोडिक मेंटेनेंस करना लाजमी होता
है जैसा कि साफ सफाई सर्विस लाइफ खत्म होने के बाद भी एयरक्राफ्ट्स में काफी ऐसे पार्ट्स होते हैं जिनकी लाइफ अभी भी बाकी होती है जैसा कि इंजंस इलेक्ट्रॉनिक्स लैंडिंग गियर और उसकी सीट्स थोड़ी सी मेंटेनेंस के बाद इन पार्ट्स को बिल्कुल नए जैसा बना दिया जाता है यह तमाम पार्ट्स निकालने के बाद भी पीछे बचा ढांचा भी फजूल नहीं होता मॉडर्न एयरक्राफ्ट्स का 90 पर मटेरियल रिसाइकल हो सकता है इनमें मौजूद एलुमिनियम टाइटेनियम और स्टील वो मेटल्स हैं जो दोबारा से रिसाइकल हो सकते हैं सर्विस लाइफ खत्म होने के बाद पहले देखा जाता है
कि प्लेन की कंडीशन क्या है अगर थोड़ी रिपेयर के बाद दोबारा यह जिंदा होने के काबिल हो तो अक्सर को कार्गो प्लेन में कन्वर्ट कर दिया जाता है या फिर अगर इसके पार्ट से दोबारा कोई काम लेना हो तो वह भी पॉसिबल है जैसा कि फ्लाइट सिम्युलेटर्स यह सिम्युलेटर्स पायलट की ट्रेनिंग के काम आते हैं और इनमें से ज्यादातर को ग्राउंड हुए प्लेंस के कॉकपिट को कन्वर्ट करके बनाया जाता है इन सब यूजेस के अलावा ग्राउंड हुए प्लेंस को दुनिया भर में टूरिस्ट अट्रैक्शन के लिए इस्तेमाल करना भी बहुत कॉमन है जैसा कि होटल्स कैफेस
और म्यूजियम्स पर यह डिपेंड करता है कि जो टूरिस्ट अट्रैक्शन के लिए इस्तेमाल करना चाहता है वो एयरक्राफ्ट ट्रांसपोर्ट करने में कितना खर्चा बर्दाश्त कर सकता है जाहिर है अगर किसी को एयरप्लेन रेस्टोरेंट खोलना है वह पहले तो उसको खरीदने के पैसे देगा और उसके बाद उसको ट्रांसपोर्ट करने का खर्चा अलग क्योंकि ग्राउंड हुआ प्लेन टुकड़ों टुकड़ों में बाय रोड या बाय ट्रेन भेजना ही पॉसिबल है सऊदी गवर्नमेंट ने भी इन तीन बोइंग 77 एयरक्राफ्ट को इसी मकसद के लिए इतना दूर भेजने का फैसला किया जिसमें 850 किलोमीटर तक होने वाला ट्रांसपोर्ट प खर्चा उन
के लिए इतना मैटर नहीं करता असल में इन प्लेंस की मंजिल है रियाद सीजन 2024 यह सऊदी के कैपिटल रियाद में अरेंज किया गया एक ऐसा मेगा इवेंट है जिसका मकसद दुनिया भर से टूरिस्टस को अट्रैक्ट करना है एंटरटेनमेंट शॉपिंग कल्चर और स्पोर्ट्स इस रियाद सीजन को आगे मुख्तलिफ 14 जनस में डिवाइड किया गया है जिसमें बोलीवड वर्ल्ड बुलेवार्ड सिटी किंगडम अरीना वंडर गार्डेंस जू ड्यूस स्टू स्टूडियो टूर और सबसे नया बुलेवर्ड रनवे भी शामिल किया गया है रियाद सीजन 2024 के लिए एक पूरा एयरपोर्ट बनाया गया है जिसमें रनवे कंट्रोल टावर और तीन रियल
लाइफ बोइंग 77 एयरक्राफ्ट मौजूद होंगे दुनिया भर से आए टूरिस्ट इस जोन में अपने एविएशन क्रेज को पूरा कर सकेंगे लगजरी एयरक्राफ्ट बॉडी के अंदर डिनर हो कॉकपिट में या फिर कंट्रोल टावर में एयरक्राफ्ट से रिलेटेड बेशुमार लग्जरी एंटरटेनमेंट के लिए रियाद सीजन 2024 में बोलीवड रनवे जोन को इंट्रोड्यूस करवाया गया है अक्टूबर 2024 से शुरू होकर मार्च 2025 तक चलने वाला यह इवेंट सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का एक छोटा सा हिस्सा है इसको सबसे पहले 2019 में स्टार्ट किया गया था लेकिन कोविड की वजह से इसको इंटरनेशनल प्रेजेंस नहीं मिल
सकी फिर 20222 इवेंट में की ओपनिंग सेरेमनी को 75 लाख विजिटर्स ने अटेंड किया जिसमें सबसे ज्यादा ड्रस ने एक साथ फ्लाई करके एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी कायम किया पिछले साल सऊदी 50 लाख टूरिस्ट अट्रैक्ट करने में कामयाब हुआ और उम्मीद है 2024 का सीजन भी नया रिकॉर्ड बनाएगा तीन बोइंग 77 को 850 किलोमीटर तक ट्रांसपोर्ट करवाना भी असल में सऊदी का एक मार्केटिंग स्टंट समझा जा रहा है एक ऐसा मार्केटिंग स्टंट जो ना सिर्फ दुनिया भर में रियाद सीजन 2024 को फेमस कर रहा है बल्कि सऊदी को एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दे
गया इन सब बातों की वजह एक ही है कि सऊदी अरब अब बदल रहा है सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 के तहत इनको सऊदी अरब की ऑयल से होने वाली कमाई पर से डिपेंडेंसी हटानी है पहले सऊदी अरब के लिए ऐसा सोचना भी पॉसिबल नहीं था लेकिन अब मिडिल ईस्ट में ही छोटे से दुबई ने ऐसा करके दिखाया है दुबई ने खुद को टूरिज्म और बिजनेस का गढ़ बनाकर तमाम मिडल ईस्ट कंट्रीज के होश उड़ा दिए हैं जहां पहले यूएई भी ऑयल पर डिपेंडेंट था अब वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर और एंटरटेनमेंट की वजह
से यह डिपेंडेंसी सिर्फ 5 पर रह गई है और यह सब देखकर सऊदी अरब भी अपने लिए अपॉर्चुनिटी तलाश कर रहा है आप खुद देख लें कि विजन 2030 के साय तले सऊदी जितने भी प्रोजेक्ट्स लॉन्च कर रहा है या जितने भी इवेंट्स होस्ट कर रहा है इनका टारगेट सिर्फ वेस्टर्न वर्ल्ड है फिर चाहे वह 00 बिलियन डॉलर का नियम प्रोजेक्ट हो या द रेड सी प्रोजेक्ट जिसमें 50 लग्जरी होटल्स और 1000 विलास बनाए जा रहे हैं कुछ साहिल पे और कुछ रेड सी में बने आइलैंड्स पर इंटरनेशनल इवेंट्स की बात की जाए तो 2025
में सऊदी अरब फार्मूला ईपी होस्ट करने जा रहा है और 2020 से दक रैली भी सऊदी ही होस्ट कर रहा है जिसमें ऑफ रोडिंग ड्राइवर्स को मुश्किल रास्तों से होकर 800 किमी का ट्रैक पूरा करना होता है वह भी सिर्फ एक दिन में और यह तो सब जानते हैं कि बंजर और ऑफरोडिंग ट्रैक्स की सऊदी के पास कोई कमी नहीं जिद्दा से रियाद सऊदी एयरलाइंस के तीन बोइंग 77 का यह सफर किसी भी तरह से आसान नहीं था सबसे पहला टास्क तो एयरक्राफ्ट को ट्रांसपोर्ट के लिए तैयार करना था जिसमें प्लेन के विंग्स और टेल
को निकाला गया और पीछे बचा सिर्फ फ्यूज लार्ज एकएक फ्यूज लार्ज 200 टन वजनी जिनको उठाने के लिए स्पेशल क्रेंस का बंदोबस्त किया गया लिफ्ट करने के लिए स्पेशल नायलॉन बेल्ट्स का इस्तेमाल हुआ ताकि बॉडी पर स्क्रैचेज ना आए बड़ी एहतियात से बारीक कैलकुलेशंस के बाद दो क्रेंस ने मिलकर एक फ्यूज लार्ज को ऊपर उठाकर 26 व्हीलर के ऊपर रख दिया यह कहलाता तो 26 व्हीलर है लेकिन असल में इसमें 104 टायर्स होते हैं जिता एयरपोर्ट से रियाद तक का यह सफर भी इतना आसान नहीं था कौन सेकन से पॉइंट्स पर 100 मीटर से लंबे
ट्रेलर को कहां से टर्न करवाना है यह सारा रूट पहले से प्लान किया गया कुछ रोड्स पर नॉर्मल ट्रैफिक को रोड से उतार कर ऑफ रोड ट्रैक से गुजारा गया ताकि कन्वॉयज ना हो और ट्रैफिक भी चलता रहे इस तरह का कन्वॉयज की स्पीड से ज्यादा नहीं चलता क्योंकि इससे तेज चलने से ट्रेलर की लोड बैलेंसिंग बिगड़ सकती है आगे पीछे पुलिस की गाड़ियों ने स्टार्ट से एंडिंग तक कन्वॉयज को गुजारा जाए इस पूरे ऑपरेशन में डिस असेंबली यानी प्लेन के पुर्जे अलग करना फिर ट्रांसपोर्ट करना और आखिर में वापस विंग्स को जोड़ने में टोटल
करीब 10 दिन का वक्त लगा 10 दिन जिसमें रातें भी शामिल थी कुल मिलाकर बात इतनी है कि सऊदी अरब अपने विजन 2030 को लेकर काफी सीरियस है जिसके लिए हो सकता है आने वाले वक्त में ऐसे कई स्टंट्स देखने को मिले पर एक सवाल जिसका जवाब अभी भी अधूरा रह गया कि क्या वाकई सऊदी अरब दुबई की टूरिज्म को टक्कर दे पाएगा या नहीं इसका जवाब आप लोग कमेंट सेक्शन में पोस्ट करें उम्मीद है जम टीवी की यह वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स का बेहद
शुक्रिया मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में