How HINDUISM is spreading in FOREIGN COUNTRIES

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In this video, we discover the impact of Hinduism on African cultures by exploring the surprising sp...
Video Transcript:
1960 में स्वामी कृष्णानंद सरस्वती रामायण लेकर इथियोपिया जाते हैं वहां के रूलर हेली सेलीस को गिफ्ट करने के लिए पर वो इस गिफ्ट से बिल्कुल भी इंप्रेस नहीं होते हैं वो रामायण बुक को देखते हैं और बोलते हैं यह बुक तो मैंने पढ़ रखी है और मैंने क्या मेरे देश का बच्चा-बच्चा इस कहानी को जानता है इस पर स्वामी कृष्णानंद सरस्वती आश्चर्य चकित होते हैं सोचते हैं कि कहीं यह राजा रामायण को किसी और बुक से कंफ्यूज तो नहीं कर रहे हैं अभी वह यह बात सोच ही रहे होते हैं कि तभी राजा के मुख
से निकली अगली लाइन स्वामी जी को हक्का बक्का कर देती है हे सन्यासी महाराज हम खुद प्रभु राम के पुत्र कुश के वंशज हैं अफ्रीका और भारत का कोलोनियल कनेक्शन जैसे कि 1920 में महात्मा गांधी का साउथ अफ्रीका में सत्याग्रह करना या भारतीय ट्रेडर्स और मजदूरों को खेती के लिए साउथ अफ्रीका जाना यह सब तो हम जानते हैं पर हेली सेलीस का यह कहना कि हम राम के ही वंशज है यह बहुत बड़ा क्ले लगता है क्या यह सच है कि अफ्रिकंस श्रीराम के वंशज है अगर हां तो वह खुद को हिंदू क्यों नहीं कहते
हैं और भारत से 5000 किलोमीटर दूर रामायण आखिर पहुंची कैसे अगर यह बातें सही है तो फिर हमारे हिस्ट्री के किताबों में क्यों नहीं है या यह पूरी कहानी बस एक whatsapp2 म के हर ट्रेस को जानने की जरूरत थी जिन भी अफ्रीकन देशों में आज हिंदू रहते हैं उन जगहों पर वह हिंदू कब से रह रहे हैं कब वो वहां पहली बार गए और क्या रीजन था उनके अफ्रीका जाने का पर इन सब रिसर्च में एक बहुत बड़ा चैलेंज था इतने बड़े कॉन्टिनेंट में आखिर हम स्टार्ट कहां से करें 54 कंट्रीज है एकएक करके
खोजना तो बिल्कुल भी फीजिबल नहीं लग रहा था पर एक ऐसा अफ्रीकी देश है जिसका स्वामी कृष्णानंद सरस्वती जी से बहुत ही अनोखा सा संबंध है ना हिंदू प्रेजेंस वाली सबसे रिसेंट और सबसे इंटरेस्टिंग कंट्री है इंटरेस्टिंग इसलिए क्योंकि यहां के ओरिजिनल अफ्रीकन हिंदू उस की संख्या यहां रह रहे इंडियन हिंदू से भी ज्यादा है इनफैक्ट हिंदुइज्म घाना की फास्टेस्ट ग्रोइंग रिलीजन है पर यह ग्रोथ इंडियन इमीग्रेंट की वजह से नहीं बल्कि यहां के ओरिजिनल घाना के लोग की वजह से है जो खुद ही बड़ी संख्या में सनातन को अडॉप्ट कर रहे हैं पर क्यों
सनातन में ना तो मिशनरी सिस्टम है ना ही हिंदू बनने के लिए पैसे मिलते हैं एक्चुअली इस ग्रोथ का रीजन है यह घाना के स्वामी घनानंद सरस्वती जो कि घाना के पहले हिंदू बने पर जब घाना में इससे पहले कोई हिंदू थे ही नहीं तो इन्हें हिंदुइज्म की इंस्पिरेशन कहां से मिली क्योंकि इनका जन्म तो एक क्रिश्चियन फैमिली में हुआ था एज क्वेसी एसल असल में इस नन्हे क्वेसी को बचपन से एक बहुत बड़ी दिक्कत थी बहुत ज्यादा सवाल पूछने की और यह सवाल रहते थे इस ब्रह्मांड इस सृष्टि के रहस्य के बारे में इसके
क्रिएटर के बारे में पर अब्राहम फेथ में सवाल जवाब का इतना ज्यादा स्कोप नहीं रहता है कि वह कोसी एसल के प्रश्नों का उत्तर दे पाए लेकिन तभी कोसी का एक्सपोजर होता है एक ऐसे पगन कल्चर से जिसमें प्रश्नों को और ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है वेर आस्किंग क्वेश्चंस इ प्रमोटेड पर कई हिंदू फिलॉसफी की बुक्स पढ़ने के बाद भी क्वेसी की जिज्ञासा शांत ही नहीं हो रही थी अब कोई नॉर्मल व्यक्ति होता तो वह यहां पर रुक जाता और अपनी आम दिनचर्या में व्यस्त हो जाता आखिर के लिए क्या ही चाहिए रोटी कपड़ा और
मकान पर जिनको सत्य खोजने का कीड़ा काट लेता है ना उनकी दृष्टि इन सबके पार निकल जाती है और इसीलिए क्सी एसल भी निकल पड़े सनातन धर्म की जन्मभूमि द लैंड ऑफ सीकर्स भारत की ओर क्वेसी एसल ऋषिकेश में स्वामी कृष्णानंद सरस्वती जी के आश्रम में आ जाते हैं जो कि उस समय डिवाइन लाइव सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी थे स्वामी कृष्णानंद सरस्वती जी के शरण में आकर ना सिर्फ को को उसके प्रश्नों के उत्तर मिले बल्कि कड़ी तपस्या करके उन्होंने दीक्षा भी ग्रहण की और बन गए स्वामी घनानंद सरस्वती सनातन के विचारों को लोगों तक
पहुंचाने के लिए स्वामी घनानंद वापस घाना पहुंचते हैं और राजधानी एकरा में अफ्रीकन हिंदू मोनेस्ट्री और घाना के पहले हिंदू मंदिर की स्थापना करते हैं यह मंदिर ना सिर्फ सनातन का एक मेजर हब बना बल्कि भाईचारे का एक बहुत बड़ा सिंबल भी बना जहां पर ना सिर्फ हिंदू बल्कि क्रिश्चियंस और मुस्लिम भी विजिट करते थे इनमें से एक जामर बरोद अपना इस्लामिक फेथ मेंटेन करते हुए भी इस मंदिर को रेगुलरली विजिट करते हैं और वो कहते हैं मैं जानता हूं कि इस्लाम में मूर्ति पूजा मना है पर यह भी सच है कि ईश्वर कोई भेदभाव
नहीं करता मुझे इस मंदिर में आके शांति महसूस होती है इसीलिए मैं यहां आता हूं घाना में हिंदुइज्म के इससे ज्यादा पुराने ट्रेस तो मुझे नहीं मिले तो हेली सेलीस के स्टेटमेंट की तह तक जाने के लिए मेरी रिसर्च पहुंचती है एक ऐसे अफ्रीकी देश जहां पर हिंदुइज्म ना के कंपैरेटिव काफी पुराना था पर इसकी वजह कोई स्वामी नहीं बल्कि अंग्रेज [संगीत] थे 1834 में ब्रिटेन ने स्लेवरी एबलेशन एक्ट पास किया जिससे कि विश्व में सभी कॉलोनी में स्लेवरी पर कंप्लीट बैन लग गया पर इससे ब्रिटिश एग्रीकल्चरिस्ट को एक दिक्कत आ गई फ्री लेबर की
अब ब्रिटिश एग्रीकल्चरलिस्ट को लेबर से काम कराने के लिए उन्हें पैसे देने पड़ते थे फिक्स वर्किंग आवर रखने पड़ते थे और हीं स्लेवरी में वह गुलामों से 18 घंटे तक लगातार काम ले सकते थे वह भी बिल्कुल मुफ्त अंग्रेजों ने जब गवर्नमेंट से इस प्रॉब्लम का जिक्र किया तो गवर्नमेंट नया रूल लेकर आई जिसने जन्म दिया एंडेंजर्ड लेबर यानी कि बंधुआ मजदूरी का बंधुआ मजदूरी में वह व्यक्ति जो लोन नहीं चुका पाता है उसे अपने श्रम से लोन का भुगतान करना पड़ता है यह मजदूर कोई स्पेसिफाइड इयर्स तक बिना सैलरी के काम करते हैं और
समय कंप्लीट होने के बाद उन्हें आजाद कर दिया जाता है इसके बाद बड़ी संख्या में बंधुआ मजदूरों को इंडिया से ब्रिटेन की अफ्रीकन कॉलोनी में फार्मिंग और रिलेटेड एक्टिविटीज के लिए लाया जाने लगा इन मजदूरों से लेबर टेनर खत्म होने के बाद वहीं सेटल होने के लिए लैंड प्रॉमिस किया गया और अपने रिलीजियस प्रैक्टिसेस करने की पूरी छूट दी गई साउथ अफ्रीका उस समय चार कॉलोनी में डिवाइडेड था ऑरेंज रिवर नटाल केप और ट्रांसवाल इसमें यह नटाल में ही सबसे ज्यादा इंडियन लेबर्स आए और आज भी इस एरिया में लोकेटेड डरबन सिटी में सबसे ज्यादा
इंडियन ओरिजिन के लोग रहते हैं लेबर्स के अलावा इंडियन टीचर्स इंडियन व्यापारी और कारीगर भी अपने एक्सपेंस से बेटर अपॉर्चुनिटी के लिए भारत से नटाल आने लगे नसली य भेदभाव के बावजूद यह इंडियन कम्युनिटी अपनी कड़ी मेहनत से धीरे-धीरे वहां की एलीट कम्युनिटीज में शुमार हो गई और वहां पर हिंदू कल्चरल प्रैक्टिसेस को बढ़ावा मिलने लगा पर तभी एक अजीब सी बात सामने आई इस रीजन में रिसर्च करते-करते हमें मालूम हुआ कि यह सारे इंडियन ट्रेडर्स इंडियन लेबर्स और कारीगरों का साउथ अफ्रीका आने का सिलसिला ब्रिटिश रूल की वजह से स्टार्ट नहीं हुआ सरप्राइजिंगली यह
भारतीय अंग्रेजों से पहले से ही यहां पर थे कौन थे यह भारतीय यह है अफ्रीका का स्वाहिली कोष और इनकी भाषा में एक यूनिक बात है क्या आप बता सकते हैं कि इन हिंदी वर्ड्स को स्वाहिली भाषा में क्या कहा जाता होगा कोई डिफरेंस नहीं ना ही शब्दों में और ना ही उनके मीनिंग में और इसी तरह संस्कृत का सिम्हा बन गया सिंबा और द्वारी शलम बन गया दारे सलाम इन सिमिलरिटीज की वजह है भारतीय और पर्शियन ट्रेडर्स एंड सेलर्स जो कि 11थ सेंचुरी से ही ईस्टर्न कोस्ट पे ट्रेड के लिए आने लगे थे इनमें
से कई यहां पर सेटल होकर लोकल महिलाओं के साथ घर बसाया जिसके कारण आज भी स्वाहिली लोगों में भारतीय और पर्शियन जींस मिलते हैं स्वाहिली कोस्ट और भारत के बीच सैकड़ों साल तक मजबूत ट्रेड एक्टिविटीज के कारण ही स्वाहिली कोश पर करेंसी का नाम रुपया ही कहलाता था और ब्रिटिश टाइम में तो भारत में चलने वाला इंडियन रुपी ही यहां भी ट्रांजैक्शन में होता था जिसे 1906 में ईस्टर्न अफ्रीकन रुपी ने रिप्लेस कर दिया पर भारत ने सिर्फ लैंग्वेज और करेंसी ही अफ्रीका को नहीं दी तंजानिया के नेशनल डिस्क का नाम है पलाव ईस्टर्न कोस्ट
प सबसे पसंदीदा डिश में से एक है बिरयानी यहां के सभी घरों में चपाती बनाई जाती है और उत्तर भारत की तरह यहां पर भी समोसा ही सबसे पॉपुलर स्नैक है हिंदू और जैन कम्युनिटीज को यहां पर बनियानी कहा जाता है जो कि बनिया शब्द से निकल कर आया है भारत और भारतीयों ने स्वाहिली कोठ को उसका कल्चर दिया उसकी पहचान दी पर इसी रीजन में एक ऐसा देश है जिसे भारतीयों ने तो बहुत कुछ दिया पर बदले में भारतीयों को मिला सिर्फ डिस्क्रिमिनेशन और विश्वासघात 18964 की आवश्यकता थी और यह वहां पर लोकली अवेलेबल
नहीं था इसी इसीलिए ब्रिटिशर्स ने 40000 स्किल्ड इंडियंस को इमीग्रेट करवाया 1902 में यह प्रोजेक्ट खत्म हुआ और कुछ इंडियंस यही रुक गए हाईली स्किल्ड होने की वजह से यह इंडियंस वहां की एडमिनिस्ट्रेशन और बिजनेसेस में एंटर कर गए जहां पर उन्होंने तेजी से ग्रोथ देखा इंडियन कम्युनिटी के एफ्लुएंस बढ़ने से और भी इंडियंस भारत से युगांडा माइग्रेट करने लगे इस इंडियन कम्युनिटी ने अपना बिजनेस सेट किया और सिर्फ 60 सालों में युगांडा की 90 पर इकोनॉमी में इंडियंस का कंट्रीब्यूशन हो गया यानी कि 90 युगांडा इकोनॉमी भारतीय ही चला रहे थे पर इस ग्रोथ
ने एक बहुत बड़ी रुकावट आई 1971 में युगांडा के जनरल इी अमीन ने एक मिलिट्री कू से युगांडा की सत्ता हथिया ली जनरल इी अमीन को इंडियंस का यह डोमिनेंस पसंद नहीं था और उनके रूल में इंडियंस के खिलाफ डिस्क्रिमिनेशन चालू हो गए फाइनली 1972 में वही हुआ जो हिंदुओं के साथ पिछले 1000 साल से हो रहा है जनरल ने इंडियंस को तीन महीने में युगांडा छोड़ने का टम दिया ही टर्म दिस एज इकोनॉमिक वॉर और इकोनॉमिक जिहाद जिसके बाद लगभग 80000 इंडियंस को युगांडा छोड़ना पड़ा इंडियंस को वहां से भगाकर जनरल ने भारतीयों की
प्रॉपर्टीज और उनके बिजनेसेस सब कुछ अपने सपोर्टर्स के नाम कर दिए ताकि इन बिजनेसेस के प्रॉफिट्स उनके सपोर्टर्स को ही मिले पर ऐसा हुआ नहीं युगांडा का ना तो टैलेंट था और ना ही एक्सपीरियंस इसी कारण दशकों से हाई प्रॉफिट पर भारतीयों द्वारा चलाई जा रही ये बिजनेसेस सिर्फ कुछ ही महीनों में भारी कर्ज में आ गए जिसका सीधा इंपैक्ट हुआ युगांडा की इकोनॉमी पे जो कि पूरी तरह से डूब गई आनंद फानन में युगांडा को अकल आई और 20 साल बाद इंडियंस को वापस लौटने के लिए रिक्वेस्ट किया गया और उनकी प्रॉपर्टीज लौटाने का
भी प्रॉमिस किया गया लेकिन हिंदू फिर कभी बड़ी संख्या में वापस नहीं आए इस वजह से मेरी टीम को यह पूरा युगांडा पर किया गया रिसर्च वेस्ट ऑफ टाइम लग रहा था कि तभी मुझे यह फोटो दिखाई दी यह है मामी वता इन्हें करीब 20 अफ्रीकन देशों में और 50 अफ्रीकन कल्चर्सल में नाग चंद्र के सिंबल्स और एसोसिएशन विद वाटर ध्यान से देखा जाए तो इनके कैरेक्टरिस्टिक बिल्कुल महादेव की तरह है यह अकेला कोइंसिडेंस नहीं है अफ्रीकन गॉड ऑफ वॉर ओगुण के कैरेक्टरिस्टिक भी कार्तिकेय या मुर्गन स्वामी से मिलते हैं इसी तरह इजिप्ट और नॉर्थ
अफ्रीका की गॉडेस आईस की डिस्क्रिप्शन और कैरेक्टरिस्टिक भी मां काली जैसी है फ्रांसिस विल्फ जो कि 19 सेंचुरी के एक बड़े इंडोलॉजिस्ट और ओरियंटल जििंक इंडियन हिस्ट्री पे बहुत शोध किया है इन्होंने बताया कि इथियोपिया के बारे में संस्कृत ग्रंथों में भी कई बार मेंशन किया गया है यही हम भारतीयों की सबसे बड़ी दिक्कत है पूरे अफ्रीका में आंसर खोज रहे हैं पर एक बार भी हमने भारत के ग्रंथों और पुस्तकों की तरफ देखा ही नहीं यह है विष्णु पुराण के दूसरे अंश के दूसरे अध्याय का पहला पेज इसमें ऋषि और मैत्री ऋषि के बीच
का एक कन्वर्सेशन है जिसमें वह बता रहे हैं कि विश्व को सात हिस्सों में बांटा गया है जंबू द्वीप पलाश द्वीप सलम द्वीप कुष द्वीप क्रौच द्वीप शक द्वीप और पुष्कर द्वीप इसमें नॉर्थ अफ्रीका और अरब एरियाज को कुष द्वीप कहा गया है इंटरेस्टिंग 2000 बीसी के आसपास अफ्रीका के जिन एरियाज को पुराणों में कुष द्वीप कहा जाता है वहां पर एक कुश एंपायर का एसिस्टेंसिया डिसेंडेंट्स ने आगे चलकर इजिप्ट किंगडम रोमंस इथियोपिया और ग्रीक साम्राज्य की नीव रखी भारत और कुशा इट एंपायर के रिसर्च करने पर हमें एक ऐसी बुक मिली जिसने हमारे प्रश्नों
के उत्तर का एक पेंडोरा बॉक्स सा खोल दिया इस पुस्तक ने हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर दे दिए आइए जानते हैं इसमें ऐसा क्या लिखा है इसके वॉल्यूम वन में भारत और इथियोपिया के रिलेशंस के बारे में माइंड ब्लोइंग एविडेंसेस है बायोलॉजिस्ट थॉमस हेनरी हक्सली ने कहा था कि कुश और भारत के द्रविडियंस सिमिलर रेस के हैं और इस रेस द्वारा रूल एंपायर भारत से स्पेन तक फैला हुआ है एंट ग्रीक टेक्स्ट में इथोपियन एंपायर को तो सिंधु से गंगा के बीच में स्थित एंपायर को बताया गया है भगवान शिव के नंदी की तरह ही
इजिप्ट के भगवान ओसिरिस का माउंट भी एक बुल था जिनके बारे में कहा गया है नो इंटेलिजेंट िप हाम द बल इट वाज द सिंबल दैट रिप्रेजेंटेड ओरस एनी ऑफेंस टू द बल वाज एन इंसल्ट टू ओरस देयर फोर द सेक्रेड एनिमल्स व रिस्पेक्टेड एज टीज टू इंजर एनी बुल इन इजिप्ट मेंट डेथ डी डी ह्यूस्टन ने अपने बुक में आगे बताया है कि ग्रीक और रोमन गॉड्स एंड गॉडेस कोई और नहीं बल्कि भारत और कुश के देवी देवता महा ऋषि और राजा थे 600 बीसी में बैक्ट्रिया एंपायर जो कि कुश एंपायर का एक सक्सेसर
स्टेट था वहां पर इंद्र को स्टॉर्म का अग्नि को फायर का और सोम को इंटॉक्सिकेशन का गॉड कहा गया है भारत और अफ्रीका के कल्चरल रूट्स की सिमिलरिटीज कई ग्रीक ऑथर्स के टेक्स्ट में मिलती है एंट ग्रीक टीचर फिलो स्स्टस ने अपनी बुक लाइफ ऑफ अपोलिस में लिखा था द इंडीज आर द वाइजेस्ट ऑफ मैनकाइंड द इथियोपिया आर अ कॉलोनी ऑफ देम एंड दे इहे द विजडम ऑफ देर फादर्स यानी इथोपियंस भारतीयों द्वारा बसाई गई एक कॉलोनी है मेगस्थनीज जब चंद्रगुप्त मौर्य के कोर्ट में आते हैं तो अपनी बुक एंडिका में लिखते हैं द चिटी
ऑफ दमन एंड दज ऑफ द मेन वा एडमिरल देर वा न ए स्लेवरी इन इंडिया दे य नो लक्स टू देर डर्स अब ल नो इंडियन वा एवर नोन ट टेल ला व ेंड द ब्लेमलेस थपिया ओल्ड डि स्वामी कृष्णानंद सरस्वती ने जब हेली सेसी के कुशा इट वाले बात पर और रिसर्च किया तो पाया कि पहले इथोपियंस खुद को कुश नामक एक राजा के वंशज मानते थे जो कि खुद एक हाम नामक राजा के बेटे थे इसके बारे में बाइबल में भी मेंशन है स्वामी कृष्णानंद सरस्वती ने बताया कि पहले इस राजा को रहम
के नाम से जाना जाता था जो कि बाद में हाम हो गया यानी कई अंसिएंट फिलोसोफर को लगता था कि कुशा इट्स भारतीयों के वंशज हैं और कई को लगता था कि भारतीय लोग कुश के वंशज हैं पर इससे यह बात तय है कि दोनों का एक ही कॉमन और शेयर्ड हेरिटेज रहा है और दोनों ही कल्चर सनातन धर्म से ही निकले हैं और शायद यही कारण है कि आज हिंदुइज्म अफ्रीका का फास्टेस्ट ग्रोइंग रिलीजन बन गया है पर अफसोस यह है कि इतने हजारों साल तक विश्व के कई कल्चरस को सिखाने वाले विश्व गुरु
कहलाने वाले सनातन धर्म को आज आप जैसे सनातन ही सिस्टमिक तरीके से खत्म कर रहे हैं पर कैसे
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