यह बात है साल 1914 की जब एक 8 साल का बच्चा जापान के एक गांव में खेल रहा था तभी उसने कर पहियों पर चलती एक मशीन अच्छी ये फोर्ड का मॉडल टी था जिसको देखकर ये बच्चा बहुत ज्यादा हैरान हुआ यही वो दिन था जब उसे 8 साल के बच्चे को गाड़ियों और मैकेनिकल पार्ट्स से पहले बार लगाव हुआ था इसका नाम था सुचायरॊ होंडा और किसको मालूम था की आने वाले वक्त में इसका नाम हमें हर छोटी-बड़ी गाड़ी पे देखने को मिलेगा जेम टीवी की वीडियो में एक बार फिर से खुशाम्बी नसरीन 1906
में जापान के माउंट फौजी के करीब एक छोटे गांव में जो चेहरे होंडा की पैदाइश हुई थी उनके वाले लोहार होने के साथ साथ पार्ट टाइम में साइकिल रिपेयर का कम भी करते थे होंडा के पांच बहन भाई पहले ही मुक्तिडीफ बीमारियों की वजह से एक मा चुके थे लिहाजा उसके मां-बाप को अपने इस बच्चे से काफी उम्मीदें थी लेकिन उसको पढ़ाई से तो कोई लगाओ नहीं था अलबत्ता अपने आप के साथ साइकिल रिपेयर करने में होंडा को ज्यादा दिलचस्प थी जब वो 16 साल का हुआ तो उसने न्यूज़पेपर में जब का एक एड देखा
आठ चौकी नामी टोक्यो के इस ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशन पर टेक्निशियन चाहिए थे होंडा ने कंपनी को जब के लिए लेटर लिखा और खुशकिस्मती थी की वहां से पॉजिटिव रिप्लाई भी ए गया यही वो टाइम था जब होंडा अपना घर और स्कूल छोड़कर कमाने की आप लगाएं टोक्यो रावण हो गया होंडा का ख्वाब तो तब टूटा जब वो टोक्यो में आठ चुके पहुंच गया था कंपनी के मलिक ने होंडा से सफाई के कम करवाना शुरू कर दिए और यहां तक के उसको बेबी सेटिंग पर लगा दिया होंडा विचार करता तो क्या करता एक तरफ वो अपना
घर और मां-बाप को छोड़कर निकाला था तो दूसरी तरफ उससे फालतू कम लिए जा रहे थे उसको वापस अपने गांव जान में शर्म ए रही थी क्योंकि वह अपने पेरेंट्स को फेस करने की हिम्मत नहीं कर का रहा था यही वजह थी की अगले कई मीना तक वह वही और जॉब्स करने पर मजबूर रहा कुछ ही के बाद आठ चौकी के मलिक ने वर्कशॉप के कम भी लेना शुरू करती है होंडा को इस कम में शुरू से बहुत इंटरेस्ट था इसीलिए वो चीजों को आसानी से समझ जाता था चंद मीना में वो हर तरह की
गाड़ी और उनके पार्ट्स के बड़े में काफी कुछ जान चुका था इस दौरान आठ चुके ने दो भारत कर भी बनाई जिसमें पहले गाड़ी आठ देवलर थी और दूसरी कॉर्टिस ये दोनों गाड़ियां यूज्ड इंजन को इस्तेमाल करके बनाई गई थी जिन्होंने जापानी मोटर कर चैंपियनशिप 1924 में पहले पोजीशन भी हासिल की होंडा अभी तक एक अच्छा मैकेनिक था लेकिन इस रेस में वो ड्राइवर के साथ इंजीनियर के तोर पे बैठा था यही वो इवेंट था जिसके बाद सच्चाई वो होंडा ने मोटर भारत को अपना रिलिजन बना दिया अगले कई सालों तक वह आठ चुके में
ही जब करता रहा और अपने एक्सपीरियंस को बढ़ता भी रहा 1928 में 22 साल की आगे में उसके मलिक ने अपनी एक और ब्रांच खोलना का फैसला किया ये ब्रांड हैमरसू शहर में होना थी जिसको चलने के लिए मलिक ने होंडा को जिम्मेदारी देकर वहां भेज दिया होंडा ने आठ छिपाई की इस नई ब्रांच को एक वर्कर से शुरू किया था और सिर्फ दो ही सालों में 30 वर्कर्स तक पहुंच दिया वो अब एक ब्रिलियंट मैकेनिक और रेसिंग ड्राइवर भी बन चुका था उसने अपनी महारत का फायदा उठाते हुए अपने मलिक के लिए एक भारत
कर डिजाइन की ये गाड़ी 120 किलोमीटर पर आर की स्पीड से चल शक्ति थी जिसने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे यह रिकॉर्ड अगले 20 सालों तक जापान का हाईएस्ट रिकॉर्ड बना रहा आठ चुके के मलिक के दिल में होंडा की अहमियत माजिद बाढ़ चुकी थी वह अपना खुद का वर्कशॉप खोलना चाहता था लेकिन शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं था 1936 में रेसिंग के दौरान होंडा का एक हाल नाक हादसा हो गया इस एक्सीडेंट में उसकी जान तो बैक गई लेकिन उसका लेफ्ट बाजू फ्रैक्चर हो गया शोल्डर डिसलोकेट हो गया और चेहरे पर कई
जख्म ए चुके थे उसको अपनी जिंदगी यही खत्म होते दिखाई दे रही थी ना वह मैकेनिक का कम कर सकता था और ना ही रेसिंग में हिस्सा ले सकता था कई मीना के बाद वो जब दोबारा ठीक हुआ तो उसने आठ चुके के मलिक से रिक्वेस्ट की की वो अब यह रिपेयरिंग का कम नहीं कर सकता बल्कि उसने आइडिया पेस किया की क्यों ना वो अब स्पेयर पार्ट्स बनाने के लिए एक अलग कंपनी शुरू करें आठ सी के सटीक होल्डर ने होंडा का ये आइडिया फौरन रिजेक्ट कर दिया उनको ऑलरेडी प्रॉफिट मिल रहे थे और
कोई भी नहीं छह रहा था की नया रिस्क लिया जाए इसी पर होंडा अपने डिसाइड किया की पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग की कंपनी वह अकेले ही खोलेगा 1936 में 30 साल की उम्र में उसने अपने दोस्त के साथ मिलकर ठुकाई से की हैवी इंडस्ट्री खोलें और अपने दोस्त सिंचाईयों कांटों को उसका प्रेसिडेंट बना दिया कंपनी तो वो खोल चुके थे पर होंडा के पास इसको चलने के लिए कोई इन्वेस्टमेंट नहीं थी वो दिन भर आठ चौकी के लिए कम करता था जब के रात में अपनी नई कंपनी के लिए खुद इंजन पिस्टन बनाने की कोशिश करता था
अगले कई मीना तक वो इसी रूटीन पिघलता रहा लेकिन उसको कोई कामयाबी ना मिल साकी उल्टा वो लगातार शिफ्टन लगा लगा कर कमजोर हो चुका था एक के बाद एक नाकामी उसका रास्ता रॉक बैठी थी तभी उसने मेटालर्जी में भारत हासिल करने के लिए एक यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया 1939 में 3 सालों की लगातार मेहनत करने के बाद वो आखिरकार एक पिस्टन बनाने में कामयाब हो ही गया अब उसने जब छोड़ दी और फूल टाइम वजन बनाने में ग गया पर उसको यह मालूम ही नहीं था की उसके बनाए हुए पिस्टन में अभी भी
कई जल मौजूद हैं उसने टोयोटा कंपनी को अपने पिस्टन ऑफर किया तो टोयोटा ने 50 में से 47 डिजाइंस रिजेक्ट कर दी यह खबर होंडा पर बिजली बनकर गिरी क्योंकि उसके पास अब वापसी का भी कोई रास्ता नहीं था उसने मुख्तिलिफ कंपनी की रिटायरमेंट को समझना के लिए पूरे जापान के डर लगाना शुरू कर दिए अलग-अलग फैक्टरीज में गया कर मैन्युफैक्चरर्स से मिला अगले कई साल उसने मार्केट को समझना में लगा दिए और उसके बाद होंडा ने एक बार फिर से पिस्टन बनाएं इस बार यह पिस्टन साड़ी कंपनी के क्वालिटी कंट्रोल पास कर चुके थे
उसको धड़ाधड़ ऑर्डर्स मिलन शुरू हो गए और एक बार फिर से होंडा को अपने ख्वाब पूरे होते दिखाई दिए ऑर्डर्स को पूरा करने के लिए उसकी कंपनी ने 2000 वर्कर्स को भी हायर कर लिया होंडा की ये खुशी सिर्फ चंद मीना की मेहमान थी यह किसको मालूम था 19 जीवन में जापान वर्ल्ड वार 2 में कूद गया और मिनिस्ट्री ने कई जापानी कंपनी को अपने कंट्रोल में ले लिया जिसमें एक कंपनी सच्चाइयों होंडा की भी थी होंडा को डॉ ग्रेट करके इस की कंपनी का सीनरी मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया गया और चीज तब माजिद खराब
हो गई जब कंपनी के वर्कर्स को मिलिट्री सर्विस में लगा दिया गया अगले 3 साल इन्तेहाई मुश्किल हालात में गुजरे लेकिन 1944 में एक वाक्य हुआ जिसने होंडा की उम्मीद पर पुरी तरह से पानी फ़िर दिया ए रेट के दौरान एक मिसाइल सीधा होंडा की फैक्ट्री पे ए लगा पूरे मुल्क के हालात बाद से बतर होते जा रहे थे जापान जंग हारता हुआ दिखाई दे रहा था फिर 1945 में दो न्यूक्लियर अटैक हुए जिसने जापान की सरे से कमर ही तोड़ डाली इस वाक्य के बाद जापान ने अमेरिकंस के सामने सुरेंद्र कर लिया जाम तो
अब खत्म हो चुकी थी लेकिन होंडा अपना सब कुछ को बैठा था उसने अपने बच्चे को 66 टोयोटा को 450 हजार यह में बेचे और एक बार फिर से जॉब्लेस होकर बैठ गया ये हालात सिर्फ होंडा के साथ ही नहीं थी बल्कि पूरा जापान बहुत बुरे क्राइसिस से गुर्जर रहा था इकोनामी मेल्ट हो रही थी खाना पानी की शहीद की लट और महंगाई ने सबकी कमर तोड़ राखी थी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मिलन तही मुश्किल था क्योंकि जापान में पेट्रोल भी नायाब हो चुका था इसी दौरान होंडा को जापानी इंपीरियल आर्मी का एक छोटा इंजन मिला
जिससे वह वायरलेस रेडियो चलाया करते थे अपनी आदत से मजबूर उसे एक आइडिया आया उसने सोचा की क्यों ना इस इंजन को एक साइकिल में लगाकर अपनी ट्रांसपोर्ट का मसाला हाल किया जाए इससे ट्रांसपोर्ट आसन भी हो जाएगी और सस्ती भी पड़ेगी क्योंकि उसे दूर में लोग पहले ही महंगाई से बहुत परेशान थे तो जब उन्होंने यही इंजन एक साइकिल पर लगा देखा तो सबको यह आइडिया बहुत अच्छा लगा चंद यूज्ड तो होंडा को मिल गए लेकिन लोगों की डिमांड इतनी ज्यादा थी की अब होंडा ने खुद का नया इंजन डिजाइन कर लिया ये हिस्ट्री
में पहले बार था की किसी मशीन पर होंडा का लोगो देखा गया होंडा के पास इतने पैसे नहीं थे की वो मांस लेवल पर यह साइकल्स बना सके लिहाजा उसने 18000 दुकानदारों के नाम एक ओपन लेटर लिखा लोगों को होंडा पे इतना भरोसा था की 3000 दुकानदारों ने उसको पॉजिटिव रिप्लाई दिया और पैसे भी एडवांस में देती है अगले 3 सालों में होंडा ने एक ऐसी मोटरसाइकिल बनाई जो मार्केट की रिटायरमेंट के यह सुपर कप के नाम से लॉन्च की गई जिसने आते ही मार्केट में धूम मचा दी यह मॉडल इतना कामयाब हुआ की 1958
में इसने अमेरिका की अपनी ट्रायंफ और हार्ले डेविडसन की सेल्स को भी पीछे छोड़ दिया क्योंकि होंडा को रेसिंग का बहुत शौक तो था ही इसीलिए उसने अब भारत बाइक बनाने का फैसला किया वो मुख्तलिफ बाइक रेसेज में जाता और जितने वाली बाइक्स इतिहास फीचर्स नो टाउन करता जाता उसे दूर में ऐसे भारत कंपटीशन रेस से बढ़कर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के लिए मार्केटिंग का टूल हुआ करते थे चंद सालों में होंडा की पहले भारत बाइक लॉन्च की गई जिसने 1962 इंटरनेशनल रेसिंग कंपटीशन में पहले पोजीशन हासिल की इस रेस ने होंडा का नाम पुरी दुनिया में
फेमस कर दिया 1960 में होंडा दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बन चुकी थी और 1968 तक यह 1 करोड़ यूनिट्स सेल कर चुके थे अपनी जिंदगी के 62 इयर्स गुजरते के बाद आखिरकार सच्चाइयों होंडा को कामयाबी तो मिल चुकी थी लेकिन जो ख्वाब वो बचपन से ही लिए बैठा था वो अभी तक पूरा नहीं हो पाया था होंडा अब कर मैन्युफैक्चरिंग की तरफ भी जाना चाहता था कई लोगों ने उनको ऐसा करने से माना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की एक ना सनी उसे वक्त जापान में ऑलरेडी नोएडा और निशान जैसी कंपनी अपना
बिजनेस जेम बैठी थी वहां मार्केट में अपनी नई जगह बनाना काफी मुश्किल था होंडा ने अपनी पहले पिक अप ट्रक t360 लॉन्च की जो की फेल हो गई उसके बाद भारत कर s500 लॉन्च की जिसके सिर्फ 1300 यूनिट्स ही बाईक पे कई सालों की मेहनत और कई दर्जन डिजाइंस रिजेक्ट होने के बाद फाइनली 1972 में होंडा सिविक लॉन्च की गई ये वो गाड़ी है जिसके नए मॉडल आज तक पुरी दुनिया में फेमस है 1980 में होंडा मोटर जापान की तीसरी बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी और सिर्फ 10 सालों में ही ये दुनिया की तीसरी बड़ी हो
गई आज होंडा का नाम हमें कार्स मोटरसाइकिल्स वोट इंजंस प्लेन इंजंस और दर्जनों पावर टूल्स पर देखने को मिलता है सिविक के लॉन्च होने के अगले ही साल 1973 में कंपनी से रिटायरमेंट ले ली थी और फिर अगस्त 1991 को उनकी जिंदगी का यह सफर हमेशा के लिए खत्म हो गए उम्मीद है जाम टीवी की यह वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेर करेंगे आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स कहां बेहद शुक्रिया मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में