मेरी जो ताकत है वो मोदी नहीं है 140 करोड़ देशवासी हजारों साल की महान संस्कृति परंपरा वही मेरा सामर्थ्य इसलिए मैं जहां भी जाता हूं तो मोदी नहीं जाता है हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोग उनके सपनों को लेकर के उनको आकांक्षाओं को लेकर के मैं निकलता हूं और इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं ना तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है व तो सामर्थ मोदी का नहीं है सामर्थ भारत का है जब भी हम शांति के लिए बात
करते हैं तो विश्व हमें सुनता है क्योंकि बौद्ध की भूमि है यह महात्मा गांधी की भूमि है तो विश्व में सुनता है और हम संघर्ष के पक्ष के है ही नहीं हम समन्वय के पक्ष के हैं ना हम प्रकृति से संघर्ष चाहते हैं ना हम राष्ट्रों के बीच में संघर्ष चाहते हैं हम समन्वय चाहने वाले लोग हैं और उसमें अगर कोई भूमि का हम अदा कर सकते हैं तो हमने निरंतर अदा करने का प्रयत्न किया है मेरा जीवन बहुत अत्यंत गरीबी से निकला था लेकिन हमने कभी गरीबी का कभी बोझ नहीं फील किया क्योंकि जो
व्यक्ति बढ़िया जूते पहनता है और अगर उसके जूते नहीं है तो उसको लगता है यार यह है अब हमने तो जिंदगी में कभी जूते पहने ही नहीं थे तो हमें क्या मालूम था जूते पहनना भी एक बहुत बड़ी चीज होती है तो हम व कंपेयर करने की व अवस्था में नहीं थे हम जीवन ऐसे ही जिए है मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने मेरे शपत समारोह में पाकिस्तान को स्पेशली इनवाइट किया था ताकि एक शुभ शुरुआत हो लेकिन हर बार हर अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला हम आशा करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिलेगी और
सुख शांति के रास्ते पर जाएंगे और वहां की आवाम भी दुखी होगी ऐसा मैं मानता हूं देखिए आपने जो कहा आलोचना और कैसे डील करते हैं तो अगर मुझे एक वाक्य में कहना है तो मैं उसका स्वागत करता हूं क्योंकि मेरा एक कन्विसिटी सिजमेक की आत्मा है मैं मैं सभी इन नौजवानों से कहना चाहूंगा जीवन में रात कितनी ही अंधेरी क्यों ना लेकिन वो रात आ ही है सुबह होना तय होता है फलो कर् र्र मो द प्राइम मिनि इंडिया इ वान म मूविंग क एंड एक्स माय लाफ अला ड इट प्ली स्प अ स्
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कहा हिंदू धर्म में कोई पूजा पाठ पूजा पद्धति का नाम नहीं है लेकिन यह वे ऑफ लाइफ है जीवन जीने की पद्धति है और उसमें हमारे शास्त्रों में शरीर मन बुद्धि आत्मा मनुष्य को किस प्रकार से ऊंचाई पर ले जाना इन सारे की एक प्रकार से चर्चा भी है और उसके लिए कुछ रास्ते भी है कुछ परंपराएं हैं व्यवस्थाएं है उसमें एक उपवास भी है उपवास सब कुछ नहीं है और भारत में कल्चरल कहो फिलोसॉफिकली कहो कभी-कभी मैं देखता हूं तो डिसिप्लिन के लिए मैं अगर सा अन्य भाषा में बात करूं या जो हिंदुस्तान को
जानते नहीं ऐसे दर्शकों के लिए कहूं तो जीवन को अंतर बाह्य दोनों प्रकार के डिसिप्लिन के लिए यह बहुत ही उपकार है यह जीवन को ड़ने में भी काम आता है जब आप उपवास करते हैं तो आपने देखा होगा जैसे आपने कहा कि आपने दो दिन से पानी पर रहे हैं आपकी जितनी इंद्रिय है खास करके सुगंध की हो स्पर्श की हो स्वाद की हो यह इतनी जागरूक हो गई होगी कि आपको पानी की भी स्मेल आती होगी पहले कभी पानी पीते होंगे तो स्मेल अनुभव नहीं किया होगा कोई चाय भी लेकर के आपके बगल
से गुजरता होगा तो उस चाय की स्मेल आएगी कॉफी की स्मेल आएगी आप एक छोटा सा फूल पहले भी देखते होंगे आज भी देखेंगे आप उसमें बहुत ही उसको रिकॉग्नाइज कर सकते हैं यानी आपकी सारी इंद्रिय जो है एकदम से बहुत ही सक्रिय हो जाती है और उनकी जो कैपेबिलिटी है चीजों को एब्स करने नहीं और रिस्प करने की अनेक गुना बढ़ जाती है और मैं तो इसका अनुभव भी हूं दूसरा मेरा अनुभव है कि आपके विचार प्रवाह को यह बहुत ही शार्पनेस देते हैं नयापन देते हैं आप एकदम से आउट ऑफ बॉक्स मैं नहीं
जानता हूं औरों का उपवास का यही अनुभव होगा मेरा है दूसरा ज्यादातर लोगों को लगता है कि उपवास मतलब खाना छोड़ देना खाना ना खाना यह तो हो गया एक फिजिकल एक्टिविटी कोई व्यक्ति किसी कठिनाई के कारण उसको कुछ खाना नहीं मिला पेट में कुछ नहीं गया अब उसको कैसे उपवास मानेंगे यह एक साइंटिफिक प्रक्रिया है अब जैसे मैं लंबे समय पर उपवास करता हूं तो उपवास के पहले भी मैं पाच सात दिन पूरे बॉडी को इंटरनली क्लीन अप करने के लिए जितने भी आयुर्वेद की प्रैक्टिसेस है योगा की प्रैक्टिसेस है य हमारी ट्रेडिशनल प्रैक्टिसेस
उनको करता हूं फिर मैं कोशिश करता हूं उपवास एक्चुअली शुरू करने से पहले बहुत पानी पीना मैंने हो सके उतना ज्यादा पानी पना तो डिटॉक्सिफिकेशन जिसको कहे इसके लिए एक प्रकार से मेरा बॉडी रेडी हो जाता है और फिर जब मैं उपवास करता हूं तो मेरे लिए उपवास एक डिवोशन होता है मेरे लिए उपवास डिसिप्लिन होती है और मैं उपवास के समय कितनी ही बाहर की गतिविधि करता हूं लेकिन मैं अंतर मन में खोया हुआ रहता हूं मेरे भीतर रहता हूं और वो मेरा एक्सपीरियंस एक बहुत अद्भुत अनुभूति होती है और ये उपवास मैं कोई
किताबों को पढ़ कर के या किसी के उपदेश के कारण या मेरे परिवार में अगर कोई कारण से उपवास चल रहा है तो उन चीजों से नहीं हुआ है मेरा खुद का एक एक्सपीरियंस था स्कूल एज में हमारे यहां महात्मा गांधी की जो इच्छा थी गौ रक्षा की उसको लेकर के आंदोलन चलता था सरकार कोई कानून नहीं बना रही थी उस समय पूरे देश में एक दिन का उपवास करने का सार्वजनिक जगह पर बैठ कर के करने का कार्यक्रम था हम तो बच्चे थे अभी भी प्राइमरी स्कूल से शायद निकले होंगे मेरा मन कर गया
मुझे उसम बैठना चाहिए और मेरे जीवन का वह पहला अनुभव था उतनी छोटी आयु में मैं कुछ मु मुझे भूख लग रही है मुझे खाने की इच्छा हो रही है मैं जैसे कुछ न एक चेतना प्राप्त कर रहा था नई एनर्जी प्राप्त कर रहा था तो मैं कन्विसिटी है फिर मैंने धीरे-धीरे खुद को कई प्रयोगों से अपने शरीर को मन को ड़ने का प्रयास किया तो कैसे एक लंबी प्रक्रिया से मैं उपवास से निकला हूं और दूसरी बात है कि मेरी एक्टिविटी कभी बंद नहीं होती मैं उतना ही काम करता हूं कभी-कभी तो लगता है
ज्यादा करता हूं और दूसरा मैंने देखा है कि उपवास के दरमियान मुझे अगर कहीं अपने विचारों को व्यक्त करना है तो मैं आश्चर्य हो जाता हूं य विचार कहां से आते हैं कैसे निकलते हैं मैं बड़ा अद्भुत अनुभूति करता हूं सो य मी र यने अ इंडिया यल रोल लीडर न स्टेज ल फ ए सम की बड़ा लंबा इतिहास है सुनने वाले भी थक जाएंगे एक हमारे यहां चातुर्मास की परंपरा है जब वर्षा ऋतु होती है तो हम जानते हैं डाइजेशन पावर काफी कम हो जाता और वर्षा ऋतु में एक टाइम ही भोजन करना या
24 आवर्स में एक टाइम और वह मेरा करीब जून मिड से शुरू होता है तो दिवाली के बाद करीब-करीब नवंबर आ जाता है करीब चार महीना साढ़े महीना वह मेरी एक परंपरा चलती है जिसमें मैं 24 ववर में एक बार खाता हूं फिर मेरा एक नवरात्रि आता है जो आमतौर पर भारत में सिबर अक्टूबर में होता है और पूरे देश में उस समय दुर्गा पूजा का उत्सव होता है शक्ति उपासना का उत्सव होता है वह एक नौ दिन का होता है तो उसमें मैं पूरी तरह सिर्फ गर्म पानी पीता हूं वैसे मैं गर्म पानी तो
मेरा रूटीन है मैं हमेशा ही गर्म पानी पीता हूं मेरा पुराना लाइफ है था कि जिसके कारण एक आदत मेरी बनी हुई है दूसरा एक मार्च अप्रैल महीने में नवरात्रि आता है जिसे हमारे यहां चैत्री नवरात्रि कहते हैं जो अभी शायद इस वर्ष 31 मार्च से शुरू हो रहा है तो वह नव दिन मैं उपवास करता हूं उसमें मैं कोई एक फल एक बार दिन में यानी नौ दिन के लिए जैसे मान लीजिए मैंने पपैया किया तो फिर न दिन तक पपैया सिवाय कोसी चीज को हाथ प लगाऊंगा और सिर्फ एक बार लूंगा तो वैसा
एक नौ दिन का मेरा वो रहता है तो साल भर में इस प्रकार से मेरा जो सालों से एक परंपरा मेरे जीवन में बन चुकी है शायद यह मैं कह सकता हूं 50 55 साल से मैं ये चीजों कर रहा हूं ज देर बन टाइम्स न यू मेट विद द वर्ल्ड लीडर एंड फ ए वय फम इन मा बी प्रेसें मा ए सेंस ए शली फोस नस एक्स बय स् ज मा य फ जलोग पता नहीं होने देता मैं यह मेरा निजी मामला है तो मैं इसकी कोई पब्लिसिटी वगैरह ये लोगों को थोड़ा बहुत पता
चलने लगा यह मैं सीएम पीएम बना उसके बाद ही पता चलने लगा अदर वाइज मैं ये मेरा पोरली पर्सनल मामला रहता है लेकिन अब जब पता चल गया है तो मैं उसको अच्छे ढंग से लोगों को कोई पूछता है तो बताता हूं ताकि किसी को उपयोग हो सके क्योंकि मेरी पर्सनल प्रॉपर्टी तो है नहीं मेरा एक्सपीरियंस है किसी को भी काम आ सकता है क्यों मेरा तो जीवन ही लोगों के लिए है जैसे मेरा प्रधानमंत्री बनने के बाद और उस समय राष्ट्रपति ओबामा के साथ मेरा वाइट हाउस में बायलट मीटिंग था अब उन्होंने डिनर भी
रखा था तो तब जाकर के दोनों सरकारों के बीच चर्चा चली और जब यह कहा कि भाई डिनर तो जरूर कीजिए लेकिन प्रधानमंत्री कुछ खाते नहीं है तो वो बहुत चिंता में थे कि अब यह कैसे उनको इतने बड़े देश के एक प्रधानमंत्री आ रहे हैं वाइट हाउस आ रहे हैं और हमको कैसे खाते उनकी चिंता जब हम बैठे तो मेरे लिए गर्म पानी आया तो मैंने कहा ओबामा जी से बड़ी मजाक में कहा कि देखो भाई मेरा डिनर बिल्कुल आ गया है ऐसा करके मैंने गिलास सामने रखा फिर बाद में दोबारा जब मैं गया
तो उनको याद था उन्होंने कहा देखिए पिछली बार तो उपवास में थे इस बार आप उस सम दूसरी बार में ज था लंच था इस बार उपवास नहीं है तो आपको डबल खाना पड़ेगा लेट्स गो ट द बेगिनिंग यू रोज हमल बेगिनिंग टू लीड द वर्ल्ड लार्जेस्ट डेमोक्रेसी सो आई थक देर लट पीपल फॉर दिस इ ट्रूली इंस्पायरिंग योर फैमिली वाज अ वेरी मस्ट मीन ए यू ग्र अप इन अ वन रोम हाउस वि द मड फ्लोर य हो फैमली लिविंग ल मी अब यो चाइल्डहुड हा दो हमल बगिंग शेप र आउटलुक न लाइफ ऐसा
है कि मेरा जन्म गुजरात में हुआ और गुजरात में नॉर्थ गुजरात में मैसाना डिस्ट्रिक्ट में बडनगर करके एक छोटा सा कस्बा है वैसे वह स्थान बहुत ही ऐतिहासिक है और वही मेरा जन्म हुआ वही मेरी पढ़ाई हुई अब यह आज की दुनिया को देखते हैं जब तक मैंने गांव में रहता था जिस परिवेश में रहता था अब मेरे गांव की कुछ विशेषता रही है जो शायद दुनिया में बहुत ही रर होती है जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो हमारे गांव के एक सज्जन थे वह हमें लगातार स्कूलों में बच्चों को कहते कि देखो भाई
आप लोग कहीं जाएं और कहीं पर भी आपको कोई भी नकाशे वाला पत्थर मिलता है या उस पर कुछ लिखा हुआ पत्थर मिलता है कार्विंग की हुई कोई चीज मिलती है तो यह स्कूल के इस कोने में करो तो मेरा जरा उसमें क्यूरियोसिटी बढ़ने लगी समझने लगा तो पता चला कि हमारा गांव तो बहुत ही पुराना है इतिहासिक है फिर कभी स्कूल में चर्चा होती थी तो उसमें से जानकारी मिलने लगी बाद में शायद चाइना ने एक फिल्म बनाई थी और मैं उस फिल्म के विषय में कहीं अखबार में पढ़ा था कि चाइनीज फिलोसोफर न
सं वो मेरे गांव में काफी समय रहे थे काफी कई सेंचुरी पहले आए थे तो बौद्ध शिक्षा का एक बड़ा केंद्र था वह तो मैंने उसके विषय में जाना और शायद 1400 में एक बौद्ध शिक्षा का केंद्र था 12वी सदी का एक विक्टरी मॉन्यूमेंट 17वीं सदी का एक मंदिर 16वीं सदी में दो बहने जो संगीत में बहुत बड़ी पारंगत थी ताना रीरी या इतनी चीजें सामने आने लगी तो मैं देख रहा था कि फिर जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने बड़ा एक्सक बशन का काम शुरू करवाया तो एक्सक वेशन का काम किया तो ध्यान में
आया कि उस समय हजारों बुद्ध भुओ की शिक्षा का सेंटर था और बुद्ध जैन हिंदू तीनों परंपराओं का वहां प्रभाव रहा था और हमारे लिए इतिहास केवल किताबों तक सीमित नहीं था हम हर पत्थर बोलता था हर दीवार कह रही थी मैं क्या हूं जब हमने यह एक्सशन करने का काम शुरू किया तो जो चीजें मिली इतिहास के लिए महत्त्वपूर्ण है अब तक उनको 2800 साल की एविडेंस मिले हैं जो बिल्कुल ही अखंड रूप से यह शहर अविनाशी रूप में 2800 हैबिटेट रहा मनुष्य जीवन वहां रहा है और 2800 2800 यर कैसे उसका डेवलपमेंट उसका
पूरे सबूत प्राप्त हुए है अभी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक वहां म्यूजियम भी बना है लोगों के लिए खास करके आर्कोलॉजी के स्टूडेंट जो है उनके लिए बड़ा अध्ययन का क्षेत्र बना है तो मेरा एक तो मेरा जहां जन्म हुआ उसका अपनी एक विशेषता रही है और मेरा काशी मेरी कर्मभूमि बनी अब काशी भी अविनाशी है काशी बनारस वाराणसी जिसको कहते हैं वो भी सैकड़ों वर्षों से निरंतर एक जीवन शहर है तो शायद कुछ ईश्वर दत्त व्यवस्था होगी कि मु बड़नगर में पैदा हुआ व्यक्ति काशी में जाकर के आज अपनी कर्मभूमि बना करर के मां
गंगा के चरणों में जी रहा है जब मैं अपने परिवार हमारा था पिताजी थे माताज भाई बहन मेरे चाचा चाची मेरे दादा दादी सब लोग बचपन में सब तो हम छोटे से शायद यह घर तो जगह तो बहुत बड़ी है जहा बैठे जिसमें कोई खिड़की भी नहीं थी एक छोटा सा दरवाजा था वही हमारा जन्म हुआ वही पले पड़े अब विषय आता है गरीबी वह आज स्वाभाविक है कि जिस प्रकार से सार्वजनिक जीवन में लोग आते हैं उस हिसाब से तो मेरा जीवन बहुत अत्यंत गरीबी से निकला था लेकिन हमने कभी गरीबी का कभी बोझ
नहीं फील किया क्योंकि जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनता है और अगर उसके जूते नहीं है तो उसको लगता है यार यह है अब हमने तो जिंदगी में कभी जूते पहने ही नहीं थे तो हमें क्या मालूम था कि जूते पहनना भी एक बहुत बड़ी चीज होती है तो हम वो कंपेयर करने की व अवस्था मेंही नहीं थे हम जीवन ऐसे ही जिए हैं और हमारी मां बहुत ही परिश्रम करती थी हमारे पिताजी बहुत परिश्रम करते मेरे पिताजी की विशेषता थी और इतने डिसिप्लिन थे कि बहुत सुबह चा सा सा बजे वो घर से निकल जाते
थे काफी वह पैदल जाकर कई मंदिरों में जाकर के फिर दुकान पर पहुंचते थे तो एक जो जूते पहनते थे वह चमड़ी के गांव का जो बनाता है बहुत ही वह हार्ड होते एकदम से तो आवाज बहुत आती है टॉक टॉक टॉक करके तो चलते थे जब दुकान जाते थे तो लोग कहते थे हम घड़ी मिला लेते थे कि हां दामोदर भाई जा रहे हैं यानी इतना उनका डिसिप्लिन लाइफ था बहुत मेहनत करते थे व रात देर तक काम करते थे वैसे हमारी माता जी भी घर की परिस्थितियों को कोई कठिनाई या महसूस के लिए
करती रहती थी लेकिन इन सबके बावजूद भी हमें कभी अभाव में जीने कि इन परिस्थितियों ने मन पर प्रभाव पैदा नहीं किया मुझे याद है मैंने तो कभी स्कूल में जूते बूते पहनने का सवाल ही नहीं था एक दिन मैं स्कूल जा रहा था मेरे मामा मुझे रास्ते में मिल गए उन्होंने देखा अरे त ऐसे स्कूल जाता है जूते हु तो नहीं है तो उस समय उन्होंने कैनवास के जूते खरीद के मुझे पहना दिए अब उस समय तो शायद वो 10 12 रुप में आते होंगे वो जूते अब वो कैनवास के थे उस पर दाग
लग जाते थे तो सफेद कैनवास के जूते थे तो मैं क्या करता था स्कूल में जब शाम को स्कूल छूट जाती थी तो मैं थोड़ी देर स्कूल में रुकता था और जो टीचर ने चौक स्टिक का उपयोग किया और उसके टुकड़े जो फेंके होते थे व तीन चार कमरों में जाकर इकट्ठा करता था और वह चौक स्टिक के टुकड़े घर ले आता था और उसको मैं भिगो करके पॉलिश बना के मेरे कैनवास के जूते पर लगा कर के चमकदार बाइट बना कर के जाता था तो मेरे लिए वह संपत्ति थी बहुत वैभव अनुभव करता था
अब मुझे मुझे पता नहीं क्यों बचपन से हमारी मां स्वच्छता वगैरह विषय में बहुत ही बहुत जागृत थी तो हमें भी शायद संस्कार हो गए तो मुझे जरा कपड़े बड़े ढंग से पहनने की आदत कैसे है पता नहीं बचपन से थी जो भी हो उसको ठीक से पहनो तो मैं आयन कराने के लिए प्रेस कराने के लिए तो हमारे पास कोई व्यवस्था थी नहीं तो मैं तांबे के लोटे में पानी भरके गर्म करके व उसको चिम से पकड़ करके मैं खुद अपना प्रेस करता था और स्कूल चला जाता था तो यह जीवन जीवन का एक
आनंद लेता था हम लोग कभी यह गरीब है क्या है कैसे यह लोग कैसे जीते हैं इनका जुग कैसा है ऐसा तो कभी संस्कार नहीं हुआ जो है उसी में मस्त मौजी से जीना काम करते रहना कभी रोना नहीं इन चीजों को लेकर के और मेरे जीवन की इन सारी बातों को भी सद भाग्य कहो या दुर्भाग्य कहो राजनीति में ऐसी मेरी परिस्थिति बन गई कि चीजें निकल कर के आने लगी क्योंकि लोग जब मैं सीएम का मेरा शपथ हो रहा था तो टीवी वाले मेरे गांव पहुंच गए मेरे दोस्तों को पूछने लग गए मेरा
घर का वो वीडियो निकालने के लिए चले गए तब पता चला कि यह कोई कहां से आ रहा है उसके पहले कोई ज्यादा मेरे विषय में जानकारी नहीं थी लोगों को तो जीवन मेरा ऐसा ही रहा और हमारी माता जी का एक स्वभाव रहा था कि सेवा भाव उनके प्रवृत्ति में था और उनको कुछ परंपरागत चीजें आती थी दवाई की तो बच्चों को वह ट्रीटमेंट देती थी तो सुबह 5 बजे बच्चे सूर्योदय के पहले उनकी ट्रीटमेंट होती थी तो सब लोग हमारे घर पर सब लोग आ जाते थे छोटे बच्चे रोते भी रहते थे तो
हम लोगों को भी जल्दी उठना होता था उसके कारण और माय फिर उनको ट्रीटमेंट करती रहती थीय सेवा भाव जो है व एक प्रकार से इन्हीं चीजों में से पनपा हुआ था एक समाज के प्रति संवेदना किसी के लिए कुछ अच्छा करना ऐसे एक परिवार से मैं समझता हूं कि माता के पिता के मेरे शिक्षकों के जो पर मु मिला परिवेश मिला उस जीवन बड़ चला पप लिनिंग ट दिस द आर ट्रूली इंप बा र स्टोरी फम दोस ल बिनिंग टू द लीडर द बिोक इन दड व कन यू य फ आ स्गलिंग आ इन
द ंग एडवाइसड य गिव देम मैं मैं सभी नौजवानों से कहना चाहूंगा जीवन में रात कितनी ही अंधेरी क्यों ना लेकिन वह रात ही है सुबह होना तय होता है और इसलिए हमारे में वो चाहिए आत्मविश्वास चाहिए है यह हालत है और मैं हालत के कारण नहीं हूं ईश्वर ने मुझे किसी काम के लिए भेजा है यह भाव होना चाहिए और मैं अकेला नहीं हूं जिसने मुझे भेजा है वह मेरे साथ है य एक अत विश्वास होना चाहिए कठिनाइयां भी कसौटी के लिए हैं कठ मुझे विफल करने के लिए नहीं है मुसीबतें मुझे मजबूत बनाने
के लिए है मुसीबतें मुझे हताश निराश करने के लिए नहीं है और मैं तो हर ऐसे संकट को हर मुसीबत को हमेशा अवसर मानता हूं तो मैं नौजवानों से कहूंगा दूसरा पेशेंस चाहिए शॉर्टकट नहीं चलता हमारे य रेलवे स्टेशन लिखा रखता है कुछ लोगों को आदत होती है ब्रिज पर से रेलवे पटरी क्रॉस करने के बजाय नीचे से भागने की तो व लिखा हु होता है शॉर्टकट वि कट यू शॉर्ट तो मैं नौजवानों को भी कहूंगा शॉर्टकट विल कट यू शॉर्ट कोई शॉर्टकट नहीं हो एक पेशेंस होना चाहिए धीरज होनी चाहिए और हमने जो भी
रा दायित्व मिलता है ना उसमें जान भर देनी चाहिए उसको मस्ती से जीना चाहिए उसका आनंद लेना चाहिए और मैं मानता हूं कि अगर यह मनुष्य के जीवन में आता है उसी प्रकार से बहुत कुछ है वैभव वैभव है कोई चिंता का विषय नहीं वो भी अगर कंबल ड़ कर के सोता रहेगा तो वह भी बर्बाद हो जाएगा उसने तय किना ये भले मेरे आसपास होगा लेकिन मुझे मेरे अपने सामर्थ्य से इसमें वृद्धि करनी चाहिए मुझे मेरे सामर्थ्य से समाज को ज्यादा देना चाहिए यानी मैं अच्छी स्थिति में हूं तो भी मेरे लिए करने के
लिए बहुत कुछ है अच्छी स्थिति में नहीं हूं तो भी करने के लिए बहुत काम है यह मैं मैं चाहूंगा दूसरा मैंने देखा है कि कुछ लोग चलो यार हो गया इतना सीख लिया बहुत हो गया जीवन में भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना चाहिए लगातार सीखते रहना चाहिए हर चीज सीखने का जिनका मैंने अब मुझे शायद मुझे किसी काम के लिए ही तो जीना होगा तो अब मैं तो गुजराती भाषा में मेरी मातृ भाषा है और हम हिंदी भाषा जानते नहीं वाग चातुर्य क्या होता है बात कैसे करनी चाहिए तो पिताजी के
साथ चाय की दुकान पर हम बैठते थे तो उतनी छोटी आयु में इतने लोगों से मिलने का मौका मिलता था और मुझे हर बार उसमें से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता था व तरीके उनकी बात करने का तरीका तो इन चीजों से मैं सीखता था कि हां यह चीजें हम भी भले आज हमारी स्थिति नहीं है लेकिन कभी हो तो हम ऐसा क्यों ना करें हम इस प्रकार से क्यों ना रखे तो सीखने की वृत्ति मैं समझता हूं कि हमेशा रहनी चाहिए और दूसरा मैंने देखा है कि ज्यादातर लोगों को पाने बनने के मन
में सपने होते हैं टारगेट होते हैं और वह जब नहीं होता है तो निराश हो जाता है और इसलिए मैंने हमेशा मेरे मित्रों से जब भी मुझे बात करने का मौका मिलता है मैं कहता हूं भाई देखिए पाने बनने के सपनों के बजाय कुछ करने का सपना देखो जब करने का सपना देखते हो और मान लीजिए आपने 10 तक पहुंचना तय किया आठ पहुंचे तो आप निराश नहीं होंगे आप 10 के लिए मेहनत करोगे लेकिन आपने कुछ बनने का सपना तय कर लिया और नहीं हुआ तो जो हुआ है वह भी आपको बोझ लगने लगेगा
और इसलिए जीवन में इसकी कोशिश करनी चाहिए दूसरी क्या मिला क्या नहीं मिला मन में भाव यह होना चाहिए मैं क्या दूंगा देखिए संतोष जो है ना वो आपने क्या दिया उसकी कोक से पैदा होता है एंड आई श से द दिस यंग किड वन ऑ द थिंग्स आ ड्रीम ऑफ डूइंग इ टू डू दिस वेरी थिंग टू टक टू यू ट सो दिस इज वेरी सुरील ए से r टाइम आपने मुझे लगता है काफी मेहनत [हंसी] की देखिए मैं इस विषय में ज्यादा बातें बहुत करता नहीं हूं लेकिन कुछ मैं बाहरी चीजें आपको जरूर
कह सकता हूं अब देखिए मैं छोटे से स्थान पर रहा हमारी जिंदगी एक सामूहिक की थी क्योंकि लोगों के बीच में ही रहना जीना वही था और एक लाइब्रेरी थी गांव में तो वहां जाना किताबें पढ़ना अ उन किताबों में जो मैं पढ़ता था तो मुझे लगता था कि मुझे अपने जीवन को हम भी क्यों ना ऐसे ट्रेन करें अपने जीवन को ऐसी इच्छा होती थी जब मैं स्वामी विवेकानंद जीन के लिए पढ़ता था छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए पढ़ता था ये कैसे करते थे कैसे जीवन को बनाते थे और उसके लिए मैं भी अपने
साथ काफी प्रयोग करता रहता था मेरे प्रयोगों का तो लेवल ऐसा ही था कि जिसको हम कहे कि शारी शरीर के साथ जुड़े हुए रहते थे जैसे मेरे यहां उतनी ठंड नहीं होती है लेकिन दिसंबर महीने में ठंड होती है कभी लेन फिर भी रात में और ठंडा लगता है स्वाभाविक है तो मैं कभी तय करता था कि मैं आज कहीं खुले में बाहर सो जाऊंगा और कुछ भी शरीर पर उड़ने के लिए नहीं लूंगा देखता हूं ठंड क्या करती है तो मैं कभी-कभी शरीर के साथ ऐसे बहुत छोटी में कर लेता था और मुझे
हमसे रहता था और मेरे लिए लाइब्रेरी में जाना और बाकी काफी चीजें पढ़ना तालाब जाना परिवार के सब लोगों के कपड़े धोना और मुझे स्विमिंग का काम मेरा हो जाता था मेरा फिजिकल एक्टिविटी स्विमिंग हुआ करती थी तो यह सारी चीजें मेरे जीवन से जुड़ी हुई थी उसके बाद जब मैं विवेकानंद जी को पढ़ने लगा तो मैं जरा और आकर्षित होने लगा एक बार मैंने स्वामी विवेकानंद जी के लिए पढ़ा उनकी माता जी बीमार थी हम वो रामकृष्ण परम जी के पास गए उनसे झगड़ा करते थे व उनसे बहस करते थे अपने प्र काल में
वे बौद्धिक भी जितनी शक्ति का उपयोग कर सकते थे करते थे और कहे कि मेरी मां बीमार है मैं पैसे कमाता तो आज मां की कितनी सेवा करता वगैरे वगैरे तो रामकृष्ण देवा ने कहा भाई मेरा सर क्यों खा रहे हो तुम जाओ महाकाली के पास जाओ माहाकाली है उससे मांगो तुझे जो चाहिए हो तो विवेकानंद जी गए मां काली की मूर्ति के सामने घंटों तक बैठे साधना की बैठे रहे कई घंटों के बाद वापस आए तो रामकृष्ण देव ने पूछा अच्छा भाई मांग लिया तूने मां से नहीं बोले मैंने तो नहीं अच्छा बोले दोबारा
जाना कल तेरा क मां करेगी मां से मांगो दूसरे दिन गए तीसरे दिन गए और वो उन्होंने देखा कि भाई मैं क्यों कुछ मांग नहीं सकता था मेरी मां की तबीयत खराब थी मुझे जरूरत थी लेकिन मैं मां के पास बैठा हूं मैं साक्षात मां का ऐसे खोया हुआ हू उसमें लेकिन मैं कुछ भी मांग नहीं पाता हूं मां से ऐसे ही खाली हाथ लो के आता हूं और रामकृष्ण देव जी को कहता हूं मैं तो खाली हाथ चलाया मैंने कुछ नहीं मांगा देवी के पास जाना और कुछ मांग ना पाना उस एक बात ने
उनके मन के अंदर एक ज्योति जला दी एक स्पार्किंग था उनके जीवन में और उसी में से देने का भाव मैं समझता हूं कि शायद विवेकानंद जी का वो छोटी सी घटना मेरे मन पर थोड़ा प्रभाव कर गई कि जगत को क्या दूंगा शायद संतोष उससे पैदा होगा जगत से मैं कुछ पाने के लिए तो मेरे मन में पानी की भूखी जगती रहेगी और उसी में था कि भाई शिव और जीव का एकात्म क्या होता है शिव की सेवा करनी है तो जीव की सेवा करो शिव और जीव में एकत्व की अनुभूति करो सच्चा अद्वैत
इसी में जिया जा सकता है तो ऐसे विचारों को मैं खो जाता था फिर थोड़ा उस तरफ मैं मन कर ता था मुझे याद है एक घटना हम अब जिस मोहल्ले में हम रहते थे उसके बाहर एक महादेव जी का मंदिर था तो वहां एक संत आए थे तोव संत कुछ न कुछ साधना वगैरे करता करते थे मेरा भी उनके प्रति थोड़ा आकर्षण हो रहा था कि कुछ आध्यात्मिक शक्ति इनके पास होगी शायद क्योंकि विवेकानंद जी को तो पढ़ते थे देखा तो नहीं था कुछ तो कुछ ऐसे ही लोग देखने को मिलते थे तो नवरात्रि
का व्रत कर रहे थे तो उस सम उन्होंने अपने हाथ पर हमारे यहां जवेरा बोलते हैं जो उगाते हैं एक प्रकार से गास हाथ के ऊपर हो ऐसे सोना न 10 दिन तक ऐसा एक व्रत होता है वो महात्मा जी कर रहे अब उन्हीं दिनों में मेरे मा मा मामा के परिवार में एक हमारे मौसी की शायद शादी थी मे पूरी परिवार मामा के घर जा रहा था अब मामा के घर जाना किसी भी बच्चे के लिए आनंद का विषय होता है मैंने घर वालों से कहा नहीं मैं तो नहीं आऊंगा मैं तो यही रहूंगा
मैं यह स्वामी जी की सेवा करूंगा इनके हाथ पर यह रखा हुआ है तो तो खा पी नहीं सकते तो मैं ही करूंगा उनका उस बचपन में मैं नहीं गया शादी में मैं उनके पास रहा और स्वामी जी की सेवा कर रहा था तो शायद मेरा कुछ उसी दिशा में कुछ मन लग जाता था कभी लगता था कि हमारे गांव में कुछ लोग जो फौज में काम करते थे छुट्टियों में आते थे तो यूनिफॉर्म पहन के चलते थे तो मैं भी दिन भर उनके पीछे पीछे भागता था कि देखिए कितनी बड़ी देश की सेवा कर
रहा है तो ऐसे लेकिन कुछ मेरे लिए नहीं कुछ करना है बस यह भाव रहता था तो ज्यादा समझ नहीं थी कोई रोड मैप भी नहीं था भूख थी कुछ मुझे इस जीवन को जानने की पहचाने की मैं चल चला गया निकल पड़ा तो रामकृष्ण मिशन में मेरा संपर्क आया वहां के संतो ने बहुत प्यार दिया मुझे बहुत आशीर्वाद दिए स्वामी आत्मस्थानंद जी के साथ तो मेरी बड़ी निकटता बन गई वह 100 साल तक करीब करीब जीवित रहे और उनके आखिरी क्षणों में मेरी बहुत इच्छा थी कि वोह मेरे पीएम हाउस में आक के रहे
उनकी जिम्मेवारी इतनी थी व आए नहीं जब मैं सीएम था तब तो आते थे मुझे बहुत उनका आशीर्वाद मिलता था लेकिन उन्होंने मुझे गाइड किया भाई तुम क्यों यहां अपना आए हो तुम्हें जो करना है कुछ और काम है तुम खुद के भलाई के लिए तुम्हारी प्रायोरिटी है कि समाज की भलाई के लिए विवेकानंद जी ने जो भी कहा व समाज की भलाई के लिए है तुम तो सेवा के लिए बने हो मैं एक प्रकार से वहा थोड़ा निराश भी हुआ उपदेश सुनने को मिला मदद तो मिली नहीं फिर मैं अपने रास्ते पर चलता रहा
कई जगह पर हिमालय लाइफ में रहा बहुत कुछ अनुभव किया देखा बहुत सारे जीवन के अनुभव रहे कई लोगों से मिलना हुआ बड़े-बड़े तपस्वी लोगों से मिलने का मौका मिला लेकिन मन स्थिर नहीं था मेरा आयु भी शायद ऐसी थी जिसमें जिज्ञासा बहुत थी जानना समझने की खवाहिश थी एक नया अनुभव था वहां की मौसम की दुनिया भी अलग थी पहाड़ों बर्फ बर्फीले पहाड़ों के बीच में रहना होता था लेकिन सबने मुझे ड़ने में बहुत बड़ी मदद की मेरे भीतर की सामर्थ्य को उसमें से बल मिला साधना करना ब्रह्म मुहूर्त में उठना स्नान करना लोगों
की सेवा करना सहज रूप से जो बुजुर्ग संत होते थे तपस्वी संत उनकी सेवा करना एक बार वहां पर नेचुरल कैलेमिटी आई थी तो मैं काफी गांव वालों की मदद में लग गया तो यह मेरे जो संत महात्मा जो भी जिनके पास कभी ना कभी मैं रहता था ज्यादा दिन एक जगह पर नहीं रहता था मैं ज्यादा पटकता ही रहता था एक प्रकार वैसा ही जीवन था एंड फॉर पीपल हु डों नो दैट मोमेंट इन रामा कृष्णा मिशन आश्रम विद वि द मंक स्वामी अना यशन ही हे य ऐसा कि बाहर की दृष्टि से तो
आपको लगता होगा इसको नेता कोई लोग कहते होंगे या प्रधानमंत्री कहते होंगे मुख्यमंत्री कहते होंगे लेकिन मेरा जो भीतर जीवन है व सातत्य है जो बचपन में मां बच्चों को कुछ उपचार करती थी उस समय उन बच्चों को संभालने वाला मोदी हिमालय में भटकता हुआ मोदी या आज स्थान पर बैठ कर के काम कर रहा है मोदी उसका सबके अंदर एक सातत्य है हर पल औरों के लिए ही जीना है और वो सातत्य के कारण मुझे साधु और नेता ऐसा कोई बहुत बड़ा डिफरेंशिया की नजरों में तो होही क्योंकि वो कपड़े अलग होते जीवन अलग
होता दिन भर की भाषा अलग होती यहां का काम अलग है लेकिन मेरे भीतर का जो व्यक्तित्व है वो तो उसी डिटैचमेंट से दायित्व को संभाल रहा है अनदर पार्ट ऑफ र लाइफ ऑफ हु यू आर इ यू स्पोकन यरल लाइफ अब पुटिंग र नेशन ऑफ इंडिया अब ल एल्स वन यू ए यू जोइन द आरएस वपास द आइडिया हिंदू नेशन कैन यू ल मी अब आरस एंड व इंक्ट दे हैड एन हु यू आर एंड द डेवलपमेंट ऑफ यो पोलिटिकल आइडिया देखिए एक तो बचपन में कुछ ना कुछ करते रहना यह स्वभाव था मेरा
मुझे याद है मेरे यहां एक माको स मुझे नाम बोड़ा या नहीं वो सेवा दल के शायद हुआ करते थे माको स सोनी ऐसा कुते भी थे अब वो एक बजाने वाली डफली जैसा रखते थे अपने पास और देशभक्ति के गीत और उनकी आवाज भी बहुत अच्छी थी तो हमारे गांव में आते थे तो अलग-अलग जगह पर उनके कार्यक्रम होते थे तो मैं पागल की तरह बस उनको सुनने चला जाता था रात रात भर उनके देशभक्ति के गाने सुनता था मुझे मजा आता था क्यों आता तो पता नहीं है ऐसा ही मेरे यहां राष्ट्रीय संक
संघ की शाखा चलती थी शाखा में तो खेलकूद होता ले देशभक्ति के गीत होते थे व मन को जरा बड़ा मजा आता था एक मन को छूता था अच्छा लगता था तो ऐसे ही करके हम संघ में आ गए तो संघ के एक संस्कार तो मिले कि भाई कुछ भी सोचो करो अगर वह पढ़ते हो तो भी सोचो मैं इतना पढ इतना पढ मैं देश के काम आ अगर व्यायाम करता हूं मैं ऐसा व्यायाम करो ऐसा व्यायाम करो मेरा शरीर भी देश को काम आए यह संग के लोग सिखाते रहते हैं अब स एक बहुत
बड़ा संगठन है शायद अब उसके 100 साल हो रहे सवा वर्ष है और दुनिया में इतना बड़ा स्वयं से भी संगठन कहीं होगा ऐसा मैंने तो नहीं सुना है करोड़ों लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं लेकिन संघ को समझना इतना सरल नहीं है संघ के काम को समझने का प्रयास करना चाहिए और संघ स्वयं तो एक परपज ऑफ लाइफ जिसको कहे इसके विषय में आपको एक अच्छी दिशा देता है दूसरा देश ही सब कुछ है और जन सेवा ही प्रभु सेवा है यह जो हमारे वेद काल से जो कहा गया है जो हमारे ऋषियों ने
कहा जो विवेकानंद ने कहा वही बातें संघ के लोग करते हैं तो स्वयं सेव को कहते हैं तुम्हें संघ में से जो प्रेरणा मिली वो एक घंटा शाखा है वो नहीं यूनिफॉर्म पहनना व स्वयं संघ नहीं है तुमने समाज के लिए कुछ करना चाहिए और उस प्रेरणा के आज ऐसे काम चल र है जैसे कुछ स्वयंसेवकों ने सेवा भारती नाम का संगठन खड़ा किया है यह सेवा भारती जो गरीब बस्तियां होती है जुग्गी झोपड़ी में गरीब लोग रहते हैं जिसको वह सेवा बस्ती कहते हैं मेरी मोटी मोटी जानकारी है करीब सवा लाख सेवा प्रकल्प चला
व और किसी सरकार की मदद के बिना समाज की मदद से वहां जाना समय देना बच्चों को पढ़ाना उनके हेल्थ की चिंता करना ऐसे ऐसे काम करते हैं संस्कार उनके अंदर लाना उस इलाके में स्वच्छता का काम करना ने बिल्कुल समा सवा लाख एक छोटा नंबर नहीं है वैसे कुछ स्वयंसेवक है संघ में सेही घड़े हुए हैं वो वनवासी कल्याण आश्रम चलाते हैं और वह जंगलों में बन आदिवासियों के बीच में रह कर के आदिवासियों की सेवा करते 700 से ज्यादा वन टीचर वन स्कूल एकल विद्यालय चलाते हैं और अमेरिका में भी कुछ लोग हैं
जो उनको लिए शायद 10 डलर या 15 डलर का डोनेशन करते हैं इस काम के लिए और वो कहते हैं कि एक कोका कोला नहीं पीनी है इस महीने एक कोका कोला मत पियो और उतना पैसा यह एकल विद्यालय को दो अब 7 हज एकल विद्यालय आदिवासी बच्चों को पढ़ाने के लिए करना कुछ स्वयंसेवकों नेने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती नाम का संगठन खड़ा किया करीब 25000 स्कूल चलते हैं उनके देश में और 30 लाख से छात्रा एट टाइम होते हैं और मैं मानता हूं तक करोड़ों विद्यार्थियों को और बहुत ही कम
दाम में पढ़ाई हो और संस्कार को भी प्राथमिकता हो जमीन से जुड़े हुए लोग हो कुछ ना कुछ हुनर सीखे समाज पर बोझ ना बने यानी जीवन के हर क्षेत्र में वे चाहे महिला हो युवा हो इवन मजदूर शायद उन मेंबरशिप के हिसाब से मैं कहूं तो भारतीय मजदूर संघ है शायद उसके 55 हज के करीब यूनियन है शायद और करोड़ों की तादाद में उनके मेंबर्स है शायद दुनिया में इतना बड़ा लेबर यूनियन कुछ नहीं होगा और सिखा कैसा जाता है लेटिस्ट लोगों ने मजदूरों की मूवमेंट को बड़ा बल दिया लेबर मूवमेंट जो लगे उनका
नारा क्या होता है वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड यूनाइट दुनिया के मजदूर एक हो जाओ फिर देख लेंगे यह भाव होता है यह मजदूर संघ वाले क्या कहते हैं जो आरएसएस की शाखा से निकले हुए स् मजदूर संघ चलाते हैं वह कहते हैं वर्कर्स यूनाइट द वर्ल्ड वह कहते हैं वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड यूनाइट यह कहते हैं वर्कर्स यूनाइट द वर्ल्ड यूनाइट द वर्ल्ड य कितना बड़ा वाक्य दो शब्दों में इधर उधर है लेकिन कितना बड़ा वैचारिक बदलाव है यह संघ की शाखा से निकले हुए लोग अपनी रुचि प्रकृति प्रवृत्ति के अनुसार जब काम करते हैं
तो इस प्रकार के गतिविधियों को बल देते हैं और जब इन कामों को देखेंगे तब आपको 100 साल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत [संगीत] के सारे चका चौन दुनिया से दूर रहते हुए एक साधक की तरह समर्पित भाव से तो मेरा एक सौभाग्य रहा कि ऐसे पवित्र संगठन से मुझे संस्कार मिले जीवन के लाइफ ऑफ परपज मुझे मिला फिरा मेरा सौभाग्य रहा कि मैं कुछ पल के लिए कुछ समय के लिए संतों के बीच चला गया तो मुझे आध्यात्मिक अधिष्ठान मिला तो शिस्त मिली लाइफ ऑफ परपज मिला संतों के बाद आध्यात्मिक अधिष्ठान मिला स्वामी
आत्मस्थानंद जी जैसे लोगों ने जीवन भर मेरा हाथ पकड़ करके रखा हर पल मेरा मार्गदर्शन करते रहे तो रामकृष्ण मिशन स्वामी विवेकानंद जी उनके विचार संघ के सेवा भाव इन सबने मेरे मुझे ड़ने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है ब दे आल्सो हेल्प पुश आइडिया ऑफ इंडिया वट इ द आइडिया यूनिफाइज इंडिया व्ट इज इंडिया एज अ नेशन व्हाट इज द फाउंडेशन आइडिया द यूनाइट्स ऑल ऑ दज डिपरेट वर्ल्ड्स एंड कम्युनिटीज एंड कल्चरस व्ट वड इट बी देखिए एक भारत एक सांस्कृतिक पहचान है एक सांस्कृतिक हजारों साल पुराना सिविलाइजेशन है भारत की विशालता देसी
है 100 से ज्यादा लैंग्वेजेस हजारों बोलियां आप भारत में कुछ मिल पर जाएंगे हमारे य कहते 20 मील पर जाने पर बोली बदल जाती है कस्टम बदल जाते हैं कुजन बदल जाता है पहन पहना बदला जाता है दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक आप सारे देश में विविधता दिख लेकिन जब रा और गहरा जाएंगे तो आपको एक तंतु मिलेगा जैसे मैं कह हमारे यहां भगवान राम की चर्चा हर मुझ से सुनने को मिलेगी राम का नाम हर जगह पर सुनने को मिले लेकिन अब आप देखेंगे तमिलनाडु से शुरू करेंगे जम्मू कश्मीर तक जाएंगे आपको कोई
कोई व्यक्ति मिलेंगे जिनके नाम में कहीं कहीं राम होगा गुजरात में जाएंगे तो राम भाई कहेगा तमिलनाडु में जाएंगे तो रामचंद्र कहेगा महाराष्ट्र में जाएंगे तो राम भाऊ कहेगा तो यानी यह विशेषता भारत को संस्कृत से बांध अब जैसे आप स्नान भी करते हैं हमारे देश में तो क्या करते हैं बाल्टी वाले पानी से लेते हैं लेकिन गंगे च यमुने च गोदावरी सरस्वती यानी भारत के हर कोने की नदियों का स्मरण करके मैं उस नर्मदे सिंधु कावेरी ज सिम करू सभी नदियों के पानी से मैं स्नान कर रहा हूं पूरे देश का हमारी यहां संकल्प
की परंपरा होती है कोई भी काम करे पूजा हो तो संकल्प और आप संकल्प को बड़ा ी लिखी जा सकती है यानी किस प्रकार से डेटा कलेक्शन मेरे देश में होता था शास्त्र कैसे काम करते थे बड़ा यूनिक वे था कोई संकल्प लेता है या पूजा करता है या मानो शादी हो रही है तो पूरे पहले ब्रह्मांड से शुरू कर दे जमू द्वीप भरत खंडे आर्यवर्त से शुरू करते करते करते गांव तक आएंगे फिर उस परिवार तक आएंगे फिर उस परिवार के जो देवता होंगे उसका स्मरण करेंगे यानी यह भारत में और आज भी हिंदुस्तान
के हर कोने में हो रहा है ये लेकिन दुभाग वेस्टर्न मॉडल क्या रहा दुनिया के और मॉडल क्या रहा कि वो शासकीय व्यवस्था के आधार पर ढूंढने लगे भारत में शासकीय व्यवस्थाएं भी कई प्रकार की रही कई बिखरी हुई कई टुकड़ों में दिखाई देगी राजा महाराजाओ की संख्या दिखाई देगी लेकिन भारत की एकता इन सांस्कृतिक बंधनों से हमारी यहां तीर्थ यात्रा की परंपरा रही चार धाम की शंकराचार्य ने स्थापना की आज भी लाखों लोग एक स्थान से दूसरे जा तीर्थ यात्रा करेंगे हमारे यहां काशी में लोग आएंगे रामेश्वर का पानी काशी काशी का पानी रामेश्वरम
करने वाले अनेक प्रकार के लोग आपको मिलेंगे यानी एक प्रकार से हमारे पंचांग भी देखोगे तो आपको देश में इतनी चीजें मिलेगी जिसकी आप कल्पना ल फ अ महामा गां ब मया य महात्मागांधी जाते मेरा जन्म गुजरात में हुआ मेरी मातृभाषा गुजराती है महात्मा गांधी का जन्म भी गुजरात में हुआ उनकी मातृभाषा भी गुजराती है वह बैरिस्टर बने विदेशों में रहे उनको बहुत सारे अवसर मिले लेकिन भीतर का जो भाव था जो परिवार से संस्कार मिले थे वो सब सु छोड़ छाड़ करके भारत के लोगों की सेवा के लिए आ गए भारत की आजादी की
जंग में वह उतर गए और महात्मा गांधी का कम अधिक प्रभाव आज भी भारतीय जीवन पर किसी ना किसी रूप में दिखता है और महात्मा गांधी जी ने जो जो बातें कही उसको जीने का प्रयास किया अब जैसे स्वच्छता वह स्वच्छता के बड़े आग्रह थे लेकिन व खुद भी स्वच्छता करते थे और कहीं पर भी जाए तो स्वच्छता की चर्चा भी करते थे दूसरा भारत ने आजादी का आंदोलन देखिए भारत चाहे मुगल रहे होंगे या अंग्रेज रहे होंगे या कोई और रहे होंगे हिंदुस्तान में सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बावजूद भी कोई समय ऐसा नहीं
गया होगा कोई भूभाग ऐसा नहीं गया होगा जहां भारत में कहीं न कहीं आजादी की जोत जली ना हो लक्षा वधि लोगों ने ब अपने आप को बलिदान दिया लाखों लोगों ने बलिदान दिया आजादी के लिए मर मिटे जवानी जलों में खपा दी महात्मा गांधी ने भी आजादी के लिए काम किया लेकिन फर्क क्या था वे तपस्वी लोग थे वीर पुरुष थे त्यागी लोग थे देश के लिए मरने मिटने वाले लोग थे लेकिन आते थे देश के लिए शहीद हो जाते थे परंपरा तो बहुत बनी रही उसने एक वातावरण भी बनाया लेकिन गांधी जी ने
जन आंदोलन खड़ा किया और सामान्य मानवी झाड़ू भी लगाता है तो कहते तुम आजादी के लिए कर रहे हो किसी को पढ़ा रहे हो तो बोले तुम आजादी को कर रहे हो तुम चरखा कात रहे हो और खादी बना रहे हो तुम आजादी के लिए काम कर रहे हो तुम लेप्रसी के पेशेंट की सेवा कर रहे हो तुम आजादी के लिए कर रहे हो उन्होंने हर काम के साथ आजादी के रंग से रंग दिया और इसके कारण भारत का सामान्य मानवी भी लगने लगा कि हा मैं भी आजादी सैनिक बन गया ये जन आंदोलन इतना
बड़ा गांधी जी ने बड़ बनाया जिसको कभी समझ ही नहीं पाए अंग्रेजों को कभी अंदाज ही नहीं था कि एक चुटकी भर नमक दांडी यात्रा एक बहुत बड़ा रिवोल्यूशन पैदा कर सकता और करके दिखाया उन्होंने तो बात और उनका जीवन व्यवहार शैली उनका दिखना बैठना उठना उन सबका एक प्रभाव था और मैंने तो देखा है कि वे कई उनके किस्से बड़े मशहूर है वो एक बार गोलमेज परिषद में एक अंग्रेज ने रिप गोलमेज परिषद में जा रहे थे बंकिम पैलेस में किंग जॉर्ज से उनकी मुलाकात का समय था अब गांधी जी अपना धोती और एक
चदर लगा कर के पहले चले गए उस तमान लोगों को इतना था ऐसे कपड़ों में मिलने आए महाराज को धी ने कहा मुझे कपड़े पहने की क्या जरूरत है जितने कपड़े आपके राजा के बदन पर है वो हम दोनों के लिए काफी है तो यह मजाक के स्वभाव उनका था तो महात्मा गांधी की कई विशेषताए रही है और मुझे लगता है कि उन्होंने सामूहिक का भाव जो जगाया जनशक्ति के सामर्थ्य को पहचाना मेरे लिए आज भी वो उतना ही महत्त्वपूर्ण है मैं जो भी काम करता हूं मेरी कोश रहती है वो जन सामान्य को जोड़
करके करू ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो सरकार ही सब कुछ कर लेगी यह भाव मेरे मन में नहीं होता है समाज की शक्ति अपरम पार होती है यह मेरा मत रहता है सो ही वाज प्रोली वन ऑ द ग्रेटेस्ट लीडर्स ऑ द 20 सें यू आर वन ग्रेटेस्ट लीडर्स ऑ द 21 सें दो टू सेंज वेरी डिफेंट एंड यू हैव बन मास्टरफुल इन द गेम arts.com इट सीम्स लाइक यू आर मास्टर क्स बींग लड बाय एवरी बडी बट एरी बडी नोज एंड फील्स द स्ट्रेंथ सो फाइंडिंग द बैंस कैन यू स्पीक टू द
बैंस पहली बात है कि यह तुलना करना उचित नहीं होगा कि 20वीं सदी के महान नेता गांधी थे वो बवी हो 21वी हो या बावी हो गांधी महान नेता हर सदी के लिए हैं आने वाली सदियों तक महात्मा गांधी रहने वाले हैं क्योंकि मैं उनको उसी रूप में देखता हूं और आज भी मैं उनको रिलेवेंट देख रहा हूं जहां तक मोदी का सवाल है मेरे पास एक दायित्व है उस लेकिन दायित्व उतना बड़ा नहीं है जितना कि मेरा देश बड़ा है व्यक्ति उतना महान नहीं है जितना कि मेरा देश महान है और मेरी जो ताकत
है वो मोदी नहीं है 140 करोड़ देशवासी हजारों साल की महान संस्कृति परंपरा वही मेरा सामर्थ्य इसलिए मैं जहां भी जाता हूं तो मोदी नहीं जाता है हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोग उनके सपनों को लेकर के उनको आकांक्षाओं को लेकर के मैं निकलता हूं और इस इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं ना तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है व तो सामर्थ मोदी का नहीं है सामर्थ भारत का है और उसी के कारण और मुझे याद है मैं
2013 में जब मेरी पार्टी ने तय किया कि मैं प्रधानमंत्री का उम्मीदवार रहूंगा तो मेरी जो आलोचना होती थी वह एक ही आलोचना होती थी और वह व्यापक रूप से चर्चा हुआ मोदी तो एक स्टेट का नेता है एक राज्य को चलाया है उसको विदेश नीति क्या समझ आएगी वह विदेश में जाकर क्या करेगा ऐसी सारी बातें होती थी और मुझे जितने भी मेरे इंटरव्यू होते थे उसमें यह सवाल मुझे पूछा जाता था तब मैंने एक जवाब दिया था मैंने कहा कि देखिए भाई एक प्रेस इंटरव्यू में तो पूरी विदेश नीति में समझा नहीं सकता
हूं और जरूरी है लेकिन मैं इतना आपको कहता हूं कि हिंदुस्तान ना आंख झुका के बात करेगा ना आंख उठा के बात करेगा लेकिन अब हिंदुस्तान आंख में आंख मिला के बात करेगा तो मैं 2013 में इस प्रकार से आज भी उस विचार को लेकर र मेरे लिए मेरा देश प्रथम है लेकिन किसी को नीचा दिखाना किसी को बुरा भला कहना यह ना मेरे संस्कृति के संस्कार है मेरी सांस्कृतिक परंपरा है और हम तो मानते हैं कि भाई पूरी मानव जात का कल्याण भारत में तो जय जगत की कल्पना रही है विश्व बंधुत्व की कल्पना
रही वसुदेव कुटुंब का विचार लेकर के हम सदियों से पहले हम पूरे पृथ्वी पूरे ब्रह्म के कल्याण की कल्पना करने वाले लोग रहे हैं और इसलिए आपने देखा होगा कि हमारी बातचीत भी क्या होती है मैंने दुनिया के सामने जो अलग-अलग विचार रखे हैं उन विचारों को अगर आप एनालिसिस करेंगे जैसे मैंने एक विषय रखा एनवायरमेंट की इतनी चर्चा होती थ मेरे एक भाषण में मैंने कहा वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रेड तो यह पूरा फिर जब कोविड चल रहा तो जी 20 में ही मेरा एक संबोधन था मैंने कहा भाई हमारा वन हेल्थ का
कांसेप्ट हमने डेवलप करना चाहिए यानी हमेशा मेरी कोशिश य रही है जैसे हमने जी 20 का हमारा लोगो था कि वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर हर चीज हम उस भूमिका से ही पहले बढ़े अब दुनिया को ये चीजें अब मैंने जैसे रिन्यूएबल एनर्जी का मूवमेंट चले इंटरनेशनल सोलार एलाइंस को हमने जन्म दिया और वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रीड उस भावना और दुनिया को ग्लोबल हेल्थ की जब बात आई तो मैंने कोविड में कहा था वन अर्थ वन हेल्थ अब जब वन अर्थ वन हेल्थ कहता हूं तो पशु जीव मात्र चाहे वो वनस्पति हो
पशु पंखी हो या मानव जीव यानी मेरी हमेशा कोशिश रही है कि दुनिया का कल्याण करने वाली मूलभूत चीजों की र हमने कोशिश करनी चाहिए अगर हम सब मिलकर के और दूसरी बात है कि आज दुनिया इंटरकनेक्टेड है आइसोलेशन में कोई नहीं कर सकता आज दुनिया इंटरडिपेंडेंट है आइसोलेशन में आप कुछ नहीं कर सकते और इसलिए आपको सबके साथ ताल मिलाने की आदत भी बनानी होगी और सबको सबके साथ ताल मिलाने की आदत बनानी पड़ेगी तो हम इस काम को आगे बढ़ा सकते हैं यूनाइटेड नेशन जैसी संस्थाओं का जन्म हुआ वर्ल्ड वॉर के बाद लेकिन
काल रहते हुए उसमें जो रिफॉर्म होने चाहिए वह नहीं हुए उसके कारण आज उनको कितना रिलेवेंट रहा कितना नहीं उस पर डिबेट चल रही है यू हैव स्पोक अब य एक् य द स्ल य दप रेज ट बी द बिस्ट पीसमेकर इन न स् एल न यू एक्न य अप्रोच द प्रोसेस मेकिंग पीस हेल्पिंग मेक पीस ब ू वांग नेशन फरल र ए यन आप देखिए मैं मैं उस देश का प्रतिनिधि कर रहा हूं जो भगवान बुद्ध की भूमि है मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जो महात्मा गांधी की भूमि है और यह
ऐसा महापुरुष है कि जिनके उपदेश जिनका वाणी वर्तन व्यवहार पूरी तरह शांति को समर्पित है और इसलिए सांस्कृतिक रूप से ऐतिहासिक रूप से हमार हमारा बैकग्राउंड इतना मजबूत है कि जब भी हम शांति के लिए बात करते हैं तो विश्व हमें सुनता है क्योंकि बौद्ध की भूमि है यह महात्मा गांधी की भूमि है तो विश्व में सुनता है और हम संघर्ष के पक्ष के है ही नहीं हम समन्वय के पक्ष के हैं ना हम प्रकृति से संघर्ष चाहते हैं ना हम राष्ट्रों के बीच में संघर्ष चाहते हैं हम समन्वय चाहने वाले लोग हैं और उसमें
अगर कोई भूमिका हम अदा कर सकते हैं तो हमने निरंतर अदा करने का प्रयत्न किया है अब जैसे मेरा रशिया के साथ भी गनि संबंध है यूक्रेन के साथ भी गनि संबंध है मैं राष्ट्रपति पुतिन के सामने बैठ कर के मीडिया को कह सकता हूं कि युद्ध का समय नहीं है और मैं जेलेंस्की को भी एक मित्र भाव से उनको भी कहता हूं कि भाई दुनिया कितनी ही आपके साथ खड़ी क्यों ना हो जाए युद्ध भूमि में कभी भी परिणाम नहीं निकलने वाला है परिणाम तो टेबल पर ही निकलने वाला है और टेबल पर परिणाम
तब निकलेगा जब उस टेबल पर यूक्रेन और रशिया दोनों मौजूद होंगे पूरी दुनिया यूक्रेन के साथ बैठ कर के कितनी माथा पच्ची कर ले उसे परिणाम नहीं आता है दोनों पक्षों का होना जरूरी और शुरू में समझा नहीं पा रहा था लेकिन आज जो इस प्रकार का वातावरण बना है उससे मुझे लगता है कि अब रशिया यूक्रेन मैं आशावादी हूं कि बहुत उन्होंने खुद ने तो गवाया है दुनिया का बहुत नुकसान हुआ है ग्लोबल साउथ को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है पूरे विश्व में फूड फ्यूल एंड फर्टिलाइजर उसका संकट रहा है तो विश्व तो पूरा
विश्व जाता जल्दी से जल्दी शांति हो और मैं हमेशा कहता हूं मैं शांति के पक्ष में हूं मैं न्यूट्रल नहीं हूं मैं शांति मेरा एक पक्ष है और मैं उसके लिए प्रयत्न रत हूं अनदर डिफिकल्ट हिस्टोरिक रिलेशनशिप एंड कन्फ बवी इंडिया एंड पाकिस्तान सो वन ऑ मोस्ट ें कलिक्स इन द वर्ल्ड टू नर पावर्स स्ट्रंग इलॉजिकल डिफरेंस य गट पीसमेकर लुकिंग इट द फचर एज व य सी दथ फर फ्रेंडशिप फर पीस फर गुड रिलेशन बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान एक तो कुछ इतिहास की जो बातें हैं जिसको शायद दुनिया के बहुत लोगों को पता नहीं
है 1947 से पहले आज आदी की लड़ाई सब लोग कंधे से कंधा मिलाकर के लड़ रहे थे और देश आजादी के लिए आजादी का जश्न मना का इंतजार कर रहा था उसी समय क्या मजबूरिया रही होग वो कई उसके भी पहलू है उसकी लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन उस समय जो भी नीति निर्धारक लोग थे उन्होंने भारत के विभाजन को स्वीकार किया और मुसलमानों को उनका अलग देश चाहिए तो भाई दे दो ऐसा और भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रख के बड़ी पीड़ा के साथ इसको भी मान लिया लेकिन माना तो उसका
परिणाम उसी समय य आया कि लाखों लोग कत्लेआम चला पाकिस्तान से ट्रेन भर भर करके लह लुहान और लोग और लाश आने लगी बड़ा डरावना दृश्य था उन्होंने अपना पाने के बाद उनको लगना चाहिए था चलो भाई हमें हमारा मिल गया भारत को लोगों ने दे दिया है भारत का धन्यवाद करें हम सुख से जिए उसके बजाय उन्होंने लगातार भारत से संघर्ष का रास्ता चुना अब प्रॉक्सी वर चल रहा है अब यह कोई आइडियो जीी नहीं है आईडियोलॉजी ऐसी थोड़ी होती है लोगों को मारो काटो रिस्टों को एक्सपोर्ट करने का काम चल रहा है और
सिर्फ हमारे साथ ही नहीं अब दुनिया में कहीं पर भी टेररिस्ट की घटना घटती है तो कहीं ना कहीं सूत्र पाकिस्तान जाकर के अटक हैं अब देखिए 91 इतनी बड़ी घटना घटी अमेरिका में उस उसका मेन जो सूत्रधार था ओसामा बिन लादेन वो आखिर में कहां से मिला पाकिस्तान में ही शरण लेकर बैठा था तो दुनिया पहचान गई है कि ये प्रकार से आतंकवादी प्रवृत्ति आतंकवादी मानसिकता और वो सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर के लिए परेशानी का केंद्र बन चुका है और हम लगातार उनको कहते रहे हैं कि इस रास्ते से किसका भला होगा
आप आतंकवाद के रास्ते को छोड़ दीजिए ये स्टेट स्पनर टेररिज्म जो है वो बंद होना चाहिए नॉन स्टेट एक्टरों के हाथ में सब छोड़ दिया है क्या होगा फायदा और इसकी शांति के प्रयासों के लिए मैं खुद लाहौर चला गया था मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने मेरे शपथ समारोह में पाकिस्तान को स्पेशली इनवाइट किया था ताकि एक शुभ शुरुआत हो लेकिन हर बार हर अच्छे प्रयासों का परणा नकारात्मक निकला हम आशा करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिलेगी और सुख शांति के रास्ते पर जाएंगे और वहां की आवाम भी दुखी होगी ऐसा मैं मानता हूं
वहां की आवाम भी यह नहीं चाहती होगी कि रोज मरा की जिंदगी जिए इस प्रकार के मारधार लो लवान कट बच्चे मर रहे हैं जो टेरेस बन कर के आते हैं उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है सम मेमोरेबल स्टोरीज फम यर पास्ट अटम्स टू ट्रा टू इंप्रूव रिलेशन वि पाकिस्तान दड गाइड द पथ फॉरवर्ड इनटू द फ्यूचर पहली बात है कि संबंध सुधारने की सबसे बड़ा ब्रेकथ्रू था प्रधानमंत्री बनते ही शपथ समारोह में उनको निमंत्रित करना यह अपने आप में बहुत बड़ी घटना थी और कई दशकों के बाद हुई थी घटना और शायद जो लोग
मुझे 2013 में सवाल पूछते थे कि मोदी की विदेश नीति क्या होगी उन सबने जब यह सुना कि मोदी ने सात देशों के सभी नेताओं को शपत समारोह में बुलाया तो चौक गए थे और इस निर्णय के प्रक्रिया जो हुई थी उसके संबंध में हमारे व उस वक्त के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी साहब उन्होंने अपनी किताब में जो संस्मरण लिखे हैं उसमें इस घटना का वर्णन बहुत बढ़िया ढंग से किया है और सचमुच में भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट है और कितनी आत्मविश्वास से भरी है उसके दर्शन हो चुके थे और भारत शांति के प्रति
कितना प्रतिबद्ध है उसका संदेश दुनिया के सामने साफसाफ गया था लेकिन परिणाम सही नहीं मिले मे बी टू आस्क अ लिटल बिट ऑफ अ लाइटर क्वेश्चन हु है द बेटर क्रिकेट टीम इंडिया और पाकिस्तान द टू टीम ि एंडसन यटू व रोल स्पोर्ट क्र एंडल इन फंग बटर रिले वैसे जो स्पोर्ट है पूरे दुनिया में र्जा भरने का काम करते हैं स्पिरिट दुनिया के अंदर जोड़ने का काम करते हैं तो मैं स्पोर्ट्स को तो बदनाम होते देखना नहीं चाहूंगा स्पोर्ट्स को मैं बहुत मानव की विकास यात्रा का अत्यंत महत्त्वपूर्ण और खेल दिल एक रूप में
हमेशा सम बता हूं दूसरा विषय है कि कौन अच्छा कौन बुरा अगर खेल की टेक्निक के में कहे तो मैं इसका एक्सपर्ट नहीं हूं तो टेक्निक जो लोग जानते होंगे वही बता सकते हैं कि किसका खेल अच्छा और कौन खिलाड़ी अच्छे लेकिन कुछ परिणाम से पता चलता है जैसे अभी कुछ दिन पहले ही इंडिया और पाकिस्तान के बीच एक मैच हुआ तो जो परिणाम आया उसे पता चलेगा कि कौन बेटर टीम है स्क पता चलेगा या आई वाच द सीरीज कॉल्ड द ग्रेटेस्ट राइवल वस pakistan's स इब पर् स इब gamespot.com सारा क्षेत्र ऐसा है
कि जहां फुटबॉल अच्छी तरह खेला जाता है और फुटबॉल की हमारे महिलाओं की टीम भी अच्छा काम कर रही है शो की टीम भी अच्छा काम कर रही है लेकिन अगर पुरानी बातें हम कहे 80 के कालखंड की तो मैडोना का नाम हमेशा उभर करके आता है हो सकता है कि उस जनरेशन के लिए वह एक हीरो के रूप में देखे जाते हो और आज की जनरेशन को पूछोगे तो वो मेस्सी की बात बताएंगे लेकिन मुझे एक और इंटरेस्टिंग घटना याद आ रही है आपने पूछा तो हमारे यहां मध्य प्रदेश करके एक स्टेट है सेंट्रल
पार्ट ऑफ इंडिया में वहां शहडोल करके एक डिस्ट्रिक्ट है वहां सारा ट्राइबल बिल्ट है काफी लोग ट्राइबल लोग रहते हैं तो मैं वहां ट्राइबल मेमन के जो सेल्फ ग्रुप चलते हैं उनसे बातचीत करने का मेरा एक मुझे गम पसंद आता है ऐसे लोगों से बातचीत करना तो मैं मिलने गया था लेकिन वहां मैंने देखा कि कुछ स्पोर्ट्स के ड्रेस में पहने हुए 800 नौजवान छोटे बच्चे थोड़े नौजवान थोड़ी बड़ी आयु के सब लोग एक ही प्रकार तो मैं स्वाभाविक उनके पास गया तो मैंने कहा भाई आप लोग कहां से हैं सब तो बोले हम मिनी
ब्राजील से हैं मैंने कहा मिनी ब्राजील क्या है भाई तेरा बोले हमारे गांव को लोग मिनी ब्राजील कहते हैं मैंने कहा कैसे मिनी बील कैसे हैं बोले हमारे गांव में से हर परिवार में चार-चार पीढ़ी से लोग फुटबॉल खेलते हैं नेशनल प्लेयर 80 के करीब हमारे गांव से निकले हैं पूरा गांव फुटबॉल को समर्पित है और वह कहते हैं कि हमारे गांव का एनुअल मैच जब होता है तो 20 25 हज दर्शक आसपास के गांव से लोगों से आते हैं तो भारत में फुटबॉल का जो अ इन दिनों क्रेज बढ़ रहा है मैं उसके शुभ
संकेत मानता हूं क्योंकि टीम स्पिरिट भी पैदा करता है या फुटबॉल इज वन ऑ द ग्रेट पोर्ट्स द यूनाइट्स नॉट जस्ट इंडिया द होल वर्ल्ड एंड ट दैट जस्ट शोज द पावर ऑ व स्पोर्ट कैन डू यू रिसेंटली विजड द यूनाइटेड स्टेट्स एंड अ रिइनविगोरेटेड योर फ्रेंडशिप विद डॉनल्ड ट्रंप व् ड यू लाइक अबाउ डॉनल्ड ट्रंप ए अ फ्रेंड एज अ लीडर मैं घटना का वर्णन करना चाहूंगा शायद आप उससे जज कर सकते हैं कि कौन सी बातों की तरफ मैं कह रहा हूं अब जैसे हमारा ह्यूस्टन में कार्यक्रम था हाउडी मोदी और मैं और
राष्ट्रपति ट्रंप दोनों और पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था इतने लोगों का होना अमेरिका के जीवन के अंदर बहुत बड़ी घटना है खेलकूद के मैदान में पॉलिटिकल रैली में इतने बड़े लोग होना बहुत बड़ी बात है तो इंडियन डायस्पोरा के लोग इकट्ठे आए थे तो हम लोग दोनों स्पीच किए वह नीचे बैठ कर के मुझे सुन रहे थे अब ये उनका बड़पन है जी अमेरिका के राष्ट्रपति स्टेडियम में नीचे बैठ कर के सुन रहे हो और मैं मंच पर से भाषण कर रहा हूं उनका बड़पन है मैं भाषण करके नीचे गया और हम तो जानते
हैं कि अमेरिका की सिक्योरिटी की कितनी बड़ी वो रहता है कितने प्रकार की स्क्रूटनी होती है मैं जाकर के वो रहे इस के लिए धन्यवाद करने गया फिर मैंने उनको ऐसे ही कहा अगर मैंने कहा आपको इतराज ना हो तो आइए हम जरा एक पुरे स्टेडियम का चक्कर काट के आते हैं इतने लोग हैं तो हाथ ऊपर करके नमस्ते करके आ जाते हैं अ अमेरिका की लाइफ में लिए इंपॉसिबल है कि हजारों की भीड़ में अमेरिकन राष्ट्रपति चल पड़े एक एक पल का भी विलं किए बिना मेरे साथ चल पड़े भीड़ में अमेरिका की जो
सुरक्षा तंत्र था पूरा एकदम से व हो गया था डिस्टर्ब हो गया था मेरे लिए टच कर गया कि इस व्यक्ति में हिम्मत है यह डिसीजन खुद लेते हैं और दूसरा मोदी पर उनको भरोसा है कि मोदी ले जा रहा है तो चलिए चलते हैं तो यह आप पी विश्वास का भाव यह इतना हमारा मजबूती मैंने उसी दिन देखा और मैंने राष्ट्रपति ट्रंप को उस दिन जिस रूप में महसूस किया कि सिक्योरिटी वालों को पूछे बिना मेरे साथ चल देना हजारों लोगों के बीच में आप उसका वीडियो देखोगे तो आपको आश्चर्य होगा और जब उन
पर गोली चली इस चुनाव कैंपेन में तो मुझे राष्ट्रपति ट्रंप एक नजर आए उस स्टेडियम में मेरा हाथ पकड़ कर के चलने वाले ट्रंप और गोली लगने के बाद भी अमेरिका के लिए जीना अमेरिका के लिए ही जिंदगी यह जो उनका रिफ्लेक्शन था क्योंकि मैं नेशन फर्स्ट वाला हूं वे अमेरिका फर्स्ट वाले हैं मैं भारत फर्स्ट वाला हूं तो हमारी जोड़ी बराबर जम जाती है तो यह चीजें हैं कि अपील करती और मैं मानता हूं कि ज्यादातर दुनिया में राजनेताओं के विषय में मीडिया में इतना रिपोर्ट छपते हैं कि हर कोई एक दूसरे को मीडिया
के माध्यम से आंकता है स्वयं ज्यादा एक दूसरे से मिलकर के एक दूसरे को ना पहचानते हैं ना जानते हैं और शायद तनाव का कारण भी य थर्ड पार्टी इंटरवेंशन ही है मैं जब पहली बार वाइट हाउस गया तो राष्ट्रपति ट्रंप के विषय में बहुत कुछ मीडिया में छपता था उस समय नए-नए आए थे दुनिया जरा कुछ अलग ही रूप में उनको देखती थी मुझे भी बता भाती भाती का ब्रीफिंग किया गया था जब मैं वाइट हाउस पहुंचा पहली मिनट में उन्होंने सारे वह प्रोटोकॉल की दीवारें तोड़ दी एकदम से और फिर जब उन्होंने पूरा
वाइट हाउस में घुमाने ले गए और मुझे दिखा रहे थे और मैं देख रहा उनके हाथ में कोई कागज नहीं था कोई पर्ची नहीं था कोई साथ में कोई व्यक्ति नहीं था मुझे दिखा दे यह अब्राहम लिंकन यहां रहते थे यह कोर्ट इतना लंबा क्यों है इसके पीछे क्या कारण यह टेबल पर कौन राष्ट्रपति ने सिग्नेचर किया था डेट वाइज बोलते थे जी मेरे लिए वह बहुत बड़ा इंप्रेसिव था कि यह इंस्टिट्यूशन को कितना ऑनर करते हैं कितना अमेरिका की हिस्ट्री के साथ उनका कैसा लगाव है और कितना रिस्पेक्ट है वह मैं अनुभव कर रहा
था और बड़े खुल कर के काफी बातें मेरे से कर रहे थे यह मेरी पहली मुलाकात का मेरा अनुभव था और मैंने देखा कि जब वो पहली टम के बाद वो चुनाव बाइड जीते तो ये 4 साल का समय हुआ मेरा और उनको बीच में जानने वाला कोई व्यक्ति उनको मिलता था न चार साल में नहीं नहीं तो 00 बार उन्होंने कहा होगा मोदी माय फ्रेंड कन्वे माय रिगार्ड्स नॉर्मल य बहुत कम होता है यानी हम एक प्रकार से फिजिकली भले ना मिले लेकिन हमारे बीच का डायरेक्ट इनडायरेक्ट संवाद या निकटता या विश्वास यह अत
रहा है ही य म र बर नेगो ली य यम नेगो ए य ट अब य बी गेट नेगो यह तो मैं कह नहीं सकता हूं क्योंकि उनका बड़पन है कि वह मेरे जैसे आयु मैं भी उनसे छोटा हूं व मेरी सार्वजनिक रूप से तारीफ करते हैं अलग अलग विषय पर री करते हैं लेकिन यह बात सही है कि मैं मेरे देश के हितों को ही सर्वोपरि मानता हूं और इसलिए मैं भारत के हितों को लेकर के हर फॉर्म में अपनी बात रखता हूं किसी का बुरा करने के लिए रखता नहीं हूं सकारात्मक रूप से
रखता हूं तो किसी को बुरा भी नहीं लगता है लेकिन मेरे आग्रह को तो सबको जानते हैं कि भाई मोदी है तो इन चीजों का आग्रह करेगा और वह तो मेरे देश के लोगों ने मुझे वो काम तो मैं तो मेरे देश ही मेरा हाई कमांड है मैं तो उनकी इच्छा का ही पालन करूंगा य बं प्रोडक्ट मीटिंग सेलर वि ू ड स्ट इ मुक ज ् सम टड फम मीटिंग की टेक की मेम मैं यह कह सकता हूं कि राष्ट्रपति ट्रंप को मैंने पहले टम में भी देखा है और टम देखा है इस बार
पहले से बहुत अधिक व प्रिपेयर्ड है बहुत ही उनको क्या करना है उसके विषय में उनके दिमाग में स्टेप्स रोड मैप बहुत क्लियर है और मैं देख रहा हूं कि मैं उनकी टीम के लोगों से मिला मैं मानता हूं बहुत अच्छी टीम उन्होंने सिलेक्ट की है और इतनी अच्छी टीम है तो राष्ट्रपति ट्रंप की जो भी विन है उसको लागू करने वाला सामर्थ वान टीम मुझे महसूस हुई जितनी मेरी बातें हुई है जिन लोगों से मेरा मिलना हुआ चाहे तुलसी जी हो या विवेक जी हो या एलन बस्को एक फैमिली लाइक एनवायरमेंट था सब अपने
परिवार के साथ मिलने आए थे तो मेरा परिचय एलोन मस्क है तो मैं मुख्यमंत्री था तब से मेरा उनका परिचय है तो अपने परिवार के साथ बच्चों के साथ आए थे तो स्वाभाविक वह माहौल था खैर बातें तो होती हैं कई विषयों पर चर्चा होती है अब उनका जो डोज वाला मिशन चल रहा है तो बड़े उत्साहित भी है कि किस प्रकार से व कर रहे हैं लेकिन मेरे लिए भी खुशी का विषय मैं 2014 में आया तो मैं भी चाहता हूं कि मेरे देश में जो पुरानी बीमारियां जो घुस गई है मेरे देश को
मैं उन बीमारियों से गलत आदतों से जितनी ज्यादा मुक्ति दिला सकता हूं तो दूं अब जैसे मेरे यहां मैंने देखा 2014 में आने के बाद हमारी कोई इतनी कोई ग्लोबल लेवल पर चर्चा नहीं है जितनी राष्ट्रपति ट्रंप और डोज की चर्चा है लेकिन मैं उदाहरण दूं तो आपको ध्यान में आएगा कैसे काम हुआ है मैंने देखा कि जो सरकार के कुछ स्कीम्स के बेनिफिट होते हैं खास करके लोक कल्याण के काम कुछ ऐसे लोग उसका बेनिफिट लेते थे जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ था लेकिन गोस्ट नाम शादी हो जाती है विधवा हो जाते हैं
पेंशन मिलना शुरू हो जाता है हैंडीकैप हो जाते हैं पेंशन मिलना और मैंने फिर उसको स्क्रूटनी शुरू की आप जानकर के हैरान होंगे वन 100 मिलियन लोग 10 करोड़ लोग 10 करोड़ ऐसे नाम फेक नाम डुप्लीकेट नाम उनको मैंने व्यवस्था से बाहर निकाला और उसके कारण जो पैसों की बचत हुई फर मैंने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर शुरू किया जो पैसा दिल्ली से निकलेगा उतना ही पैसा उसके जेब में जाना चाहिए इसके कारण मेरे देश का करीब 3 लाख करोड़ रु पै से के विधर जो गलत हाथों में जाता तो बच हुआ बचत हुआ है डायरेक्ट बेनिफिट
ट्रांसफर के कारण टेक्नोलॉजी का मैं भरपूर उपयोग करता हूं उसके कारण बिचोली वगर ते सरकार में मैंने खरीदार के लिए जम पोर्टल बनाया टेक्नोलॉजी का तो सरकार को खरीदी में भी बहुत पैसा बच रहा है समय बच रहा है कंपटीशन अच्छा मिल रहा है अच्छी चीजें मिल रही है हमारे यहां कंप्लायंस का बर्डन भी बहुत था मैंने 40000 कंप्लायंस खत्म किए पुराने कान ढेर सारे थे जो कोई कारण नहीं था करीब 1500 कानून मैंने खत्म किए तो मैं भी एक प्रकार से सरकार में इस प्रकार की जो चीजें डोमिनेट कर रही थी उससे मुक्ति पिलाने
का तो यह चीज ऐसी है जो डोज का जो काम है स्वाभाविक है ऐसी चीजों को चर्चा होना बहुत स्वाभाविक होता है यू हैव यू एन सीज है कंसीडर्ड ईदर फ्रेंड्स कैन द फ्रेंडशिप बी रिइनविगोरेटेड टू हेल्प डिस्कल सम ऑ द रीसें टेंस एंड रिज्यूम डायलॉग एंड कोऑपरेशन विद चाइना देखिए भारत और चीन का संबंध यह कोई आज का नहीं है दोनों पुरातन संस्कृति है पुरातन सिविलाइजेशन है और मॉडर्न वर्ल्ड में भी अपने उनकी भूमिका है आप अगर पुराने रिकॉर्ड देखेंगे सदियों तक चीन और भारत एक दूसरे से सीखते रहे हैं और दोनों मिलकर के
दुनिया की भलाई के लिए कोई न कोई कंट्रीब्यूट करते रहे ग्लोबल पुराने जो रिकॉर्ड है कहते हैं कि दुनिया का जो जीडीपी के था उसका 50 पर से ज्यादा अकेले भारत और चीन का हुआ करता था इतना बड़ा कंट्रीब्यूशन ब का रहा और मैं मानता हूं कि इतने सशक्त संबंध रहे इतने गहन सांस्कृतिक संबंध रहे और पहले की सदियों में कोई हमारे बीच में संघर्ष का इतिहास नहीं मिलता है हमेशा एक दूसरे से सीखना एक दूसरे को जानने का ही रहा है और बुद्ध का प्रभाव किसी जमाने में तो चाइना में काफी था और वह
यहीं से ही वह विचार गया था हम भविष्य में भी इन संबंधों को ऐसे ही मजबूत रहना चाहिए कंटिन्यू रहना चाहिए यह हमारा जहां तक डिफरेंसेस तो होते हैं दो पड़ोसी देश होते तो को तो होता है ऑकेजनल डिसएग्रीमेंट भी बहुत स्वाभाविक है कोई ऐसा तो हर चीज नहीं होता एक परिवार में भी रहता है लेकिन हमारी कोशिश है कि हमारे जो डिफरेंसेस है डिस्प्यूट में ना बदले उस दिशा में हमारा प्रयास रहता है उसी प्रकार से हम डिस्को नहीं डायलॉग इसी पर बात कर बल देते हैं तभी जाकर के एक स्टेबल कोऑपरेटिव रिलेशनशिप और
दोनों ही देशों के लिए बेस्ट इंटरेस्ट में है यह ख है कि हमारा सीमा विवाद चलता रहता है तो 2020 में जो सीमा पर जो घटनाए घटी उसके कारण हमारे बीच स्थितियां काफी दूरी की बन गई लेकिन अभी राष्ट्रपति श्री के साथ मेरा मिलना हुआ उसके बाद पर जो चीजें थी उसमें नॉर्मल से आ चुकी है 2020 के पहले की स्थिति में हम लोग अब काम कर रहे हैं अब धीरे-धीरे वह विश्वास और वह उत्साह और उमंग और ऊर्जा वापस आ जाए उसको थोड़ा समय लगेगा कि बीच में पा साल का अंतराल गया है हमारा
साथ होना ना सिर्फ बेनिफिशियल है बल्कि ग्लोबल स्टेबिलिटी और प्रोस्पेरिटी के लिए भी जरूरी है और जब 21वीं सदी एशिया की सदी है तो हम तो चाहेंगे कि भारत चीन के बीच में स्पर्धा सब स्वाभाविक है स्पर्धा कोई गलत चीज नहीं है य संघर्ष नहीं होना चाहिए द वर्ल्ड इज वड अबाउ अ ब्रूइंग ग्लोबल वर द टेंशन बिटवीन चाइना एंड द यूनाइटेड स्टेट्स इ यूक्रेन रया इंड यूरोप इन इजराल द मिडल ईस्ट व्ट कैन यू से अब हा वी इन द 21 सें कैन अड ग्लोबल वर अइ एन एलेशन टर्ड्स मोर कन्फ मोर वर देखिए
कोविड ने हम सबकी मर्यादाओं को उजागर कर दिया हम जितने ही भरे अपने आप को महान राष्ट्र क्यों ना मानते हो बहुत प्रगतिशील क्यों ना मानते हैं साइंटिफिक बहुत एडवांस गए हुए मानते हो जो भी हो सबने अपने अपने तरीके से लेकिन कोविड के काल में हम सब जमीन पर आ गए दुनिया के हर देश और तब लगता था कि दुनिया उससे कुछ सीखे गी और एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ हम जाएंगे जैसे सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद एक वर्ल्ड ऑर्डर बना वैसा शायद कोविड के बाद बनेगा ले लेन दुर्भाग्य से स्थिति यह बनी
कि शांति की तरफ जाने के बजाय दुनिया बिखर गई एक अनिश्चितता का कालखंड आ गया युद्ध के ने उसको और मुसीबत में डाल दिया और मैं मानता हूं कि मॉडर्न वड्स सिर्फ रिसोर्स या इंटरेस्ट के लिए नहीं आज मैं देख रहा हूं कि इतना उतने प्रकार का संघर्ष चल रहा है फिजिकल लड़ाई की तो चर्चा होती लेकिन हर क्षेत्र में संघर्ष चल रहा है जो अंतरराष्ट्रीय संगठन पैदा हुए करीब करीब रिलेवेंट हो गए उसमें कोई रिफॉर्म नहीं हो रहा है यूएन जैसे संस्थाए अपनी भूमिका अदा नहीं कर सकते हैं दुनिया में जो लोग कानून की
नियमों की परवाह नहीं करते वह सब कुछ कर रहे हैं कोई रोक नहीं पा रहा है तो ऐसी स्थितियों में बुद्धिमानी यही होगी कि सब लोग संघर्ष का रास्ता छोड़ कर के समन्वय के रास्ते पर आगे आए और विकासवाद का रास्ता सही होगा विस्तार वाद का रास्ता काम नहीं आएगा और जैसा मैंने पहले ही कहा दुनिया इंटरडिपेंडेंट है इंटरकनेक्टेड है हर किसी को हर एक की जरूरत है कोई अकेला कुछ नहीं कर सकता है और मैं देख रहा हूं कि जितने अलग-अलग फॉर्म में मुझे जाना होता है उसमें चिंता सबको सता रही है संघर्ष की
हम आशा करते हैं कि बहुत ही जल्द उससे मुक्ति मिले आईम न वेरी गुड आप गड़ी की तरफ न न i i बन i'm गु r दे वन द मस्ट चिड डन इन हिस्ट देस ब ू एंड मुलिम सिज द गुजरा द टू 1000 इट ल् द इटी लिस ें इन द न यू ए यय चीफ मिनिस्टर गुरा दम लुकिंग ब व लेय india's supreme.com इन 12 एंड 22 यू हैड नो इमेंट इन द वालेस ऑ 2002 गुरा राय ब आ वंडरिंग इफ य स्पीक टू द बड लेसन य ड फम द टाइम देखिए मैं
समता हूं कि सब तो पहले जो आपने कहा कि मैं इस विषय में एक्सपर्ट नहीं हूं मैं अब इंटरव्यू ठीक कर रहा हूं नहीं कर रहा जो आपके मन में जो दुविधा पैदा हुई मुझे लग रहा है कि आपने काफी मेहनत की है काफी रिसर्च किया है और आपने हर चीज की बारीकियों में जाने का प्रयास किया है तो मैं यह नहीं मानता हूं कि आपके लिए कोई कठिन काम है और आपने जितने प्रकास किए हैं मैं मानता हूं कि आप लगातार अच्छा ही परफॉर्म कर रहे हैं और अपने मोदी को लिए क्वेश्चन करना उसके
बजाय आपने भारत के परिवेश को जानने की भरपूर कोशिश ऐसा मैं फील कर रहा हूं और उसके इसलिए मैं समझता हूं कि सच्चाई तक जाने का आपका जो प्रयास है उसमें ईमानदारी नजर आती है और इस प्रयास के लिए मैं आपका बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं थैंक यू जहां तक आपने उन पुरानी चीजों की बात की लेकिन आप 2002 और गुजरात के राइड्स लेकिन उसके पहले के कुछ दिनों का मैं आपको एक एक 1215 महीने का एक चित्र आपके सामने पेश करना चाहूंगा ताकि आपको अंदाज आ जाए कि क्या स्थिति थी जैसे 24 दिसंबर 1999
या तीन साल पहले की बात है काठमांडू से दिल्ली जो फ्लाइट आ रही थी वह हाक कर कर के अफगानिस्तान ले जाएगा कंधार में ले गए और भारत के सैकड़ों यात्रियों को बैन बनाया गया पूरे भारत में एक बहुत बड़ा तूफान था लोगों के जिंदगी और मौत का सवाल था अब 2000 के अंदर हमारे यहां लाल किले में आतंकी हमला हुआ दिल्ली में एक नया और उसके साथ तूफान जुड़ गया 11 सितंबर 2001 अमेरिका में ट्विन टावर पर बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ उसने फिर एक बार दुनिया को चिंतित कर दिया क्योंकि यह सब जगह
पर करने वाले एक ही प्रकार के लोग हैं अक्टूबर 2001 को जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला हुआ 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद पर आतंकी हमला हुआ यानी आप उस समय के एक आ 10 महीने की घटनाएं देखिए वैश्विक स्तर की घटनाए आतंक की घटनाए खून खराबी की घटनाए निर्दोष लोगों की मत की नाए तो कोई भी एक प्रकार से अशांति के लिए एक चिंगारी काफी होती है स्थिति पैदा हो चुकी थी हो चुकी थी ऐसे समय अचानक 7 अक्टूबर 2001 मुझे मुख्यमंत्री बनने का दायित्व मेरे सर पर आ गया अचानक और वो
भी मेरी सबसे बड़ी जिम्मेवारी थी ग गुजरात रात में जो भूकंप आया था उस भूकंप के रिबिन के लिए बहुत बड़ा काम था और पिछली शताब्दी का व सबसे बड़ा भूकंप था हजारों लोग बारे गए थे तो एक काम के लिए मैं मेरे लिए सीएम का काम मेरे जिम में आ गया बहुत महत्त्वपूर्ण काम था और मैं सफर लेने के बाद पहले दिन से इस काम में जुड़ गया था मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो कभी सरकार नाम से मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा मैं सरकार में कभी रहा नहीं मैं सरकार क्या होती है जानता
नहीं था मैं कभी एमएलए नहीं बना मैं कभी चुनाव नहीं लड़ा मुझे जीवन में पहली बार चुनाव लड़ना पड़ा मैं 24 फरवरी 2002 मैं पहली बार एमएलए बना एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि बना और मैं पहली बार 24 तारीख को या 25 तारीख को या 26 तारीख को गुजरात विधानसभा में मैंने पैर रखा 27 फरवरी 2002 विधानसभा में मेरा बजेट सत्र था हम हाउस में बैठे थे और उसी दिन यानी अभी मुझे एमएलए बने तीन दिन हुए थे और गोधरा की घटना हो गई और भयंकर घटना थी लोगों को जिंदा जला ला दिया गया था आप
कल्पना कर सकते हैं कि जो कंधार के विमान अपहरण को या पार्लमेंट पर का हमला कहो या 91 कहो यह सारी घटनाओं का बैकग्राउंड हो और उसमें कितनी बड़ी संख्या में लोगों का मर जाना जिंदा जला देना आप कल्पना कर सकते कि स्थिति कैसी होगी कुछ भी नहीं होना चाहिए हम भी चाहते हैं कोई भी चाहेगा शांति रहनी चाहिए दूसरा जो कहते यह बहुत बड़े रायट वगैरह तो य भ्रम फैलाया गया है अगर 2002 के पहले का डाटा देखें तो पता चलता है कि गुजरात में कितने दंगे होते थे हमेशा कहीं ना कहीं कर्फ्यू लगा
रहता था पतंग के अंदर कम्युनल वायस हो जाए साइकिल टकरा जाने पर कमल वायस हो जाए 2000 से पहले गुजरात में 50 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे और 1969 में जो दंगे हुए थे वह तो करीब छ महीना चले थे अरे तब तो हम कहीं थे ही नहीं दुनिया के उस चित्र में उस समय की मैं और इतनी बड़ी घटना एक ऐसा पार्किंग पॉइंट बन गया कि कुछ लोगों की हो गई लेकिन न्यायालय ने उसको बहुत डिटेल में देखा है लंबे अ और उस समय हमारे जो विरोध के लोग हैं वह सरकार में थे
और वह तो चाहते थे कि हम पर जितने आरोप लगे थे हम को सजा हो जाए लेकिन उनके लाखों कोशिश के बाद भी जुडिशरी ने पूरी तरह डिटेल में उसका एनालिसिस किया दोदो बार किया और पूरी तरह जिन लोगों ने गुनाह किया था उनके लिए न्यायालय ने अपना काम किया है लेकिन सबसे बड़ी बात है जिस गुजरात में साल में कहीं कहीं दंगे हुआ करते थे 2002 के बाद आज 2025 है गुजरात में 2022 साल में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ पूरी तरह शांति है और हमारी कोशिश यह रही है कि वोट बैंक की राजनीति
नहीं करते हम सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास इसी मंत्र को लेकर के चलते हैं पॉलिटिक्स ऑफ एजमेंट से हमने पॉलिटिक्स ऑफ एस्पिरेशन की तरफ गए हैं और उसके कारण जिसको भी कुछ करना है वह हमारे साथ जुड़ जाते हैं और एक अच्छी तरह गुजरात विकसित राज्य बने उस दिशा में हमने लगातार प्रयास करते रहे हैं अब विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं उसमें गुजरात कर रहा है a पय i've ब क्रि यू इ फया एंड फ इन है क्रि य दिस 2002 गु य वस रेशिप लाइक वि क्रिम हा यू
वि क्रिस हा य क इ इ a c लाइफ देखिए आपने जो कहा आलोचना और कैसे डील करते हैं तो अगर मुझे एक वाक्य में कहना है तो मैं उसका स्वागत करता हूं क्योंकि मेरा एक कवि है कि क्रिटिसिजम यह डेमोक्रेसी की आत्मा है अगर आप ट्रू डेमोक्रेट है आपके ब्लड में डेमोक्रेसी है तो हमारे यहां तो कहा जाता है शास्त्रों में निंदक नियरे राखिए जो आलोचक होते हैं वह सबसे निकट होने चाहिए आपके पास तो आप डेमोक्रेटिक वे में अच्छे ढंग से अच्छी जानकारियों के साथ काम कर सकते हैं और मैं मानता हूं कि
क्रिटिसिजम होना चाहिए और ज्यादा होना चाहिए और बहुत तीखा क्रिटिसिजम होना चाहिए लेकिन मेरा मेरी शिकायत यह है कि आजकल क्रिटिसिजम नहीं हो रहा है क्रिटिसिजम करने के लिए बहुत अध्ययन करना पड़ता है विषय की बारीकी में जाना पड़ता है सच और झूठ खोज करके निकालना पड़ता है आजकल लोग शॉर्टकट ढूंढने की आदत के कारण कोई स्टडी करते नहीं है रिसर्च नहीं करते हैं विटनेसेस को ढूंढ के निकालते नहीं है और आरोप लगाने में लग जाते हैं एलिगेशन और क्रिटिसिजम के बीच में बहुत अंतर होता है आप जिन लोगों का रेफरेंस दे रहे हैं वह
एलिगेशंस है वह क्रिटिसिजम नहीं है और लोकतंत्र की मजबूती के लिए क्रिटिसिजम चाहिए आरोप से किसी का भला नहीं होता है तू तू मैं मैं चलता है और इसलिए मैं क्रिटिसिजम को हमेशा वेलकम करता हूं और जब आरोप झूठे होते हैं तो मैं बहुत स्वस्त पूर्व अपने डि के सा मे देश की से में लगा रहता हूं यी री इ ट ब आईडम गे जनम एंड अफली इन मडन ल जर्नलिस्ट सीक क्लिक हेडला एकशन ब दे ंड इि ब द हेडलाइन दप श आई देर इ रूम एर एंड हंगर फ गेट जर्नलिस्ट एंड द यप
डिंग एंड इट सा मी हा ऑफ वन ऑ दज य आई थ आ वेरी गुट दिस ब वन ऑ द रीज आई वाड ट टकट यू इ बज आई डों सी एन हा एप र्च आई ड हानी बुक्स i've लट इ प्रपे ज रे में पॉलिसी मेकिंग में को मदद करता है क्लियर कट पॉलिसी विजन इससे निकलता है और मैं विशेष रूप से ऐसी चीजों पर ध्यान भी देता हूं कि ऐसे जो क्रिटिसिजम होता है उसको मैं स्वागत करता हूं ले आपने जो कहा जर्नलिज्म हेडलाइन देखिए अगर हेडलाइन का मोह हो और शायद कोई शब्दों
का खेल खेले मैं उसको बहुत बुरा नहीं मानता हूं एजेंडा लेकर के काम किया जाता है सत्य को नकार दिया जाता है तब वो आने वाले दशकों तक बर्बादी करता है किसी को अच्छे शब्दों का मोह हो जाए कोई अपने रीडर्स है या दर्शक है उनको अच्छा लगे चलिए उतना सा हम कंप्रोमाइज कर ले लेकिन इरादा गलत हो एजेंडा तय करके चीजों को सेट करना हो तो वह चिंता का विषय होता है एंड इन ूथ सफर्स आई थिंक मुझे याद है मेरा एक बार लंदन में मेरा एक भाषण हुआ था वहां का एक अखबार है
लंदन में गुजराती अखबार है तो उनका एक कार्यक्रम था उसम तो मैंने ऐसे ही अपने भाषण में कहा मैंने कहा देखिए क्योंकि वो पत्रकार थे पत्रकार का कार्यक्रम था तो मैंने कहा देखि भाई पत्रकारिता कैसी होनी चाहिए मक्खी जैसी होनी चाहिए कि मधुमक्खी जैसी होनी चाहिए तो मैंने कहा कि मक्खी जो होती है वह गंद पर बैठती है और गंद ही उठा कर के फैलाती है मधुमक्खी हैं जो फूल पर बैठती हैं और मधु लेकर के मधु प्रसारित करती है लेकिन कोई गलत करें तो मधुमक्खी ऐसा डंग देती है कि तीन दिन तक आप अपना
चेहरा किसी को दिखा नहीं सकते हो तो मैंने कहा अब मैं मेरे इस आधी चीज को उठा लिया किसी ने और उसका इतना विवाद खड़ा कर दिया तो मैं बहुत ईमानदारी से किसी के प्रति नकारात्मकता की बिजा में कह रहा था ऊपर से मैं तो ताकत बता रहा था कि मधुमक्खी की ताकत यह है कि वो ऐसा ही एक छोटा सा भी डंक लगा दे तो आप तीन दिन तक मुंह नहीं दिखा सकते हो छुपा मुंह छुपा कर के रहना पड़ेगा यह ताकत होनी चाहिए पत्रकारिता की लेकिन कुछ लोगों को मक्खी वाला रास्ता अच्छा लगता
है आई नाउ हैव अ न्यू लाइफ गोल ऑ बिकमिंग द बी यू मेंच डेमोक्रेसी सो एंड नट नोइंग मच अबा गवर्मेंट अटिल 2002 ब ट फम 2002 टू डे यू वन ए एलेक्स द आ क काउंट सो बय ब है जब से राजनी में आया देर से राजनीति में आया और मैं पहले तो संगठन का काम करता था तो मेरे पास संगठन का काम रहता था इलेक्शन मैनेजमेंट का भी काम रहता था तो मेरा समय उसी में जाता था और मैं पिछले 24 साल से हेड ऑफ द गवर्नमेंट के रूप में देशवासियों ने और गुजरात
के लोगों ने मुझे काम करने का अवसर दिया तो एक समर्पित भाव से जनता जनार्दन को जो मैं ईश्वर मानता हूं उसने मुझे जो दायित्व दिया है इसको पूरा करने का मैं प्रयास कर रहा हूं मैं कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देता हूं और वह भी मैं जैसा हूं वह देखते हैं मेरी सरकार की जो नीतियां रहती हैं वह जैसे मैं अभी कह रहा हूं सैचुरेशन की नीति जो भी योजना होगी शत प्रतिशत लागू करना चाहिए उसके जो लाभार्थी हैं उसमें के भेदभाव नहीं होना चाहिए ना जाति ना पंथ ना आस्था ना पैसा
ना पॉलिटिक कुछ नहीं हमने जो सबके लिए हैं सबको करना चाहिए और उसके कारण अगर किसी का काम नहीं भी हुआ है तो उसको यह नहीं लगता है कि मेरे से गलत कारणों से रोका गया है उसको लगता चलिए अभी नहीं हुआ कल हो जाएगा तो विश्वास पैदा होता है और एक तो मेरे गवर्नेंस के मॉडल में विश्वास बहुत बड़ी ताकत है दूसरा मैं चुनाव सेंट्रिक गवर्न नहीं चलाता हूं मैं पीपल सेंटिक गवर्न चलाता हूं मेरे देश के लोगों का भला कैसे हो मेरे देश के लिए अच्छा क्या हो और मैं तो आध्यात्मिक यात्रा के
लिए निकला था तो अब मैंने देश को ही देव मान लिया है और मैंने जनता जनार्दन को ही ईश्वर का रूप मान लिया है तो एक पुजारी की तरह मैं इन जनता जनार्दन की सेवा करता रहूं यही मेरा भाव रहा है तो दूसरा मैं जनता से कटता नहीं हूं उनके बीच में रहता हूं उनके जैसा रहता हूं और मैं पब्लिकली कहता हूं आप 11 घंटा काम करोगे मैं 12 घंटा काम करूंगा और लोग देखते भी हैं तो उनको विश्वास है दूसरा मेरा अपना कोई इंटरेस्ट नहीं है मेरा कोई मेरे अगल बगल में कोई मेरा रिश्तेदार
दिखता है मेरा कोई पहचान वाला दिखता है तो सामान्य मानवी इन चीजों को पसंद करता है और शायद ऐसे कई कारण होंगे दूसरा मैं जिस पार्टी से हूं वहां लाखों समर्पित कार्यकर्ता है सिर्फ और सिर्फ भारत माता का भला हो देशवासियों का भला हो इसके लिए जीने वाले जिन्होने राजनीति में कुछ नहीं पाया है ना कुछ बने हैं ना कभी सत्ता के गलियारों में कभी आए हैं ऐसे लाखों कार्यकर्ता है जो दिन रात काम करते हैं दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी है मेरी उस पार्टी का मैं मेंबर हूं मुझे गर्व है और आयु भी
मेरी बहुत छोटी है फिर भी तो लाखों कार्यकर्ताओं का परिश्रम है उन कार्यकर्ता को लोग देखते कि बिना स्वार्थ य इतनी मेहनत करता है उसके कारण भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता है उसके कारण चुनाव जीतते हैं मुझे मैंने तो गिना नहीं कितने चुनाव जीता लेकिन जनता के आशीर्वाद लगातार हमें मिलते रहे हैं आ वंग इ स्पीक टू द इंक्रेडिबल लस्ट b r india's a l 2 a ए 600 प्स मि पपल वो इर सम एनेड यू स्पीक टिकु प्रेस ट यू और यीक जनरली िस वस ू रन एलेशन बग डेमोक्रेसी बग
एक तो मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने बड़ा ही अच्छा सवाल पूछा है जो दुनिया में लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोगों ने जरूर इस जवाब को सुनना चाए कभी-कभी चुनाव हरजीत की चर्चा होती है लेकिन कितने बड़े स्केल पर क्या काम होता है उसकी चर्चा नहीं होती है अब देखिए जैसे 2024 का चुनाव अभी जो लोकसभा हुआ 980 मिलियन रजिस्टर्ड वोटर्स और हर एक का फोटो है हर एक का पूरा बायोडेटा है इतना बड़ा डाटा और यह संख्या उत्तर अमेरिका की आबादी से दो गुने से भी अधिक है यह पूरे यूरोपीय संघ की
कुल आबादी से ज्यादा है 980 मिलियन रजिस्टर वटर में से 646 मिलियन लोग अपने घर से बाहर निकल कर के और मई महीने में मेरे देश में भयंकर गर्मी होती है कुछ जगह पर 40 डिग्री टेंपरेचर होता है उन्होंने वोट डाला और यह वोट डालने वालों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी से डबल है एक मिलियन से अधिक पोलिंग बूथ जहां पर वोटिंग न मिलियन से ज्यादा पोलिंग बूथ इसमें कितने लोग लगते हैं मेरे देश में 2500 से ज्यादा पॉलिटिकल पार्टीज है यह आंकड़ा सुन दुनिया के देश के लोगों के लिए आश्चर्य करता ऐसा देश
जहा 2500 पॉलिटिकल रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टिया है मेरे देश में 900 से ज्यादा 24 बाय से टीवी चैनल्स है 5000 से ज्यादा डेली अखबार निकलते हैं यह जो डेमोक्रेसी को साथ जुड़े हुए कुछ ना कुछ रो और हमारे यहां कोई भी गरीब से गरीब होगा गांव का व्यक्ति वो टेक्नोलॉजी को बहुत तेजी से एडप करता है ईवीएम मशीन से वोट देता है दुनिया के कई देशों में चुनाव के रिजल्ट महीने महीने तक आते नहीं है मेरे यहां एक दिन में रिजल्ट आ जाता है इतने लोगों का काउंटिंग हो जाता है और आपने सही कहा कि कु
दूर दराज क्षेत्रों में पोलिंग स्टेशन होते हैं हेलीकॉप्टर से हमें भेजना पड़ता है अरुणाचल प्रदेश में एक पोलिंग बूथ वोह शायद दुनिया का सबसे से टॉप पोलिंग बूथ होगा मेरे यहां गुजरात में गिर फॉरेस्ट में पोलिंग बूथ था एक ही वोटर था उसके लिए पोलिंग बूथ था गिर फर में जा गिर लायन से तो हमारे यहां कई प्रकार के मैंने कोशिश रहती है कि लोकतंत्र के काम के लिए डेमोक्रेसी को स्ट्रन करने के लिए कितनी प्रकार से प्र कोशिश की जाए किया जाए और हम मतदान के लिए पूरी व्यवस्था हमारी और इसलिए मैं तो कहता
हूं कि दुनिया में भारत के एक निष्पक्ष स्वतंत्र इलेक्शन कमीशन चुनाव करवाता है सारे निर्णय व करता है यह अपने आप में कितनी बड़ी ब्राइट स्टोरी है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी ने उसका केस स्टडी करना चाहिए इसके मैनेजमेंट का केस स्टडी करना चाहिए ये मोटिवेशन का इतने लोग वोट करते हैं आज कितना बड़ा पॉलिटिकली अलर्टनेस होगा इन सारी बातों का एक बहुत बड़ा केस स्टडी करके दुनिया की नई पीढ़ी के सामने रखना चाहिए अ टू मी आई लव डेमोक्रेसी दिस इज वन ऑ द मेन रीजस आई लव द यूनाइड स्टेट्स बट रज जस्ट नथिंग
क्वाट ए ब्यूटिफुल अस डेमोक्रेसी वन इट फंक्शंस इन इंडिया यू लाइक यू सेड 900 मिस्ट के इ ब दनी पपल कम विंगली कास्टि अट समें दे हा इ इ लट बीड बीकिंग य आ बा प यू आ वन म व ड यू समटाइम थंक अब वेदर दिस मच पा है अ करप्टिंग अफेक्ट इन यर माइ स्पेली क्रॉस द मेनी यर्स यू बीन इन पावर एक तो शायद मेरे लिए शब्द ही मेरे मुझे मेरे जीवन से फिट नहीं बठता है मैं शक्तिशाली हूं ऐसा दावा मैं नहीं कर सकता हूं और नहीं क्योंकि मैं एक सेवक हूं
और मैं तो मेरा पहचान भी प्रधान सेवक के रूप में करता हूं और सेवा के मंत्र को लेकर के मैं निकला हूं जहां तक पावर की आपने बात कही आई हैव नेवर बदर अबाउट पावर आई नेवर केम टू पॉलिटिक्स टू पसू पावर गेम्स और मैं तो पावरफुल के बजाय कहूंगा मैं प्रो वर्क फुल होने का सार्थक हूं पावरफुल नहीं हूं प्रो वर्क अब मेरा परपज हमेशा से लोगों की सेवा करने का रहा है उनके जीवन में कुछ भी पॉजिटिव योगदान कर सकता हूं तो करने का रहा है मेरा लाक यू मेंशन यू वर्क अ लट
यू गिव यर होल सोल टू य वर्क यवर ग लोनली देखिए मैं अकेलापन कभी महसूस नहीं करता इसलिए कि मैं हमेशा मानता हूं वन प्लस वन की थिरी को और जब वन प्लस वन की मेरी थरी है वह मेरा मेरा सात्विक समर्थन करती है और ये वन प्लस वन कोई भी पूछेगा वन प्लस वन कौन है तो मैं कहता हूं पहला वन जो है वह मोदी है और प्लस वन है व ईश्वर है मैं अकेला कभी नहीं होता हूं वह हमेशा मेरे साथ होता है तो मैं हमेशा उस भाव से और मैं मैं मैंने जैसा
कहा मुझे मैंने विवेकानंद जी के सिद्धांतों को जो जिया था कि नर सेवा ही नारायण सेवा मेरे लिए देश ही देव है नरही नारायण है तो जन सेवा ही प्रभु सेवा इस भाव को लेकर के मैं चला हूं और इसलिए मुझे उस प्रकार से अकेलापन वगैरह का मैनेज करने का कोई प्रसंग आया नहीं अब जैसे कोविड के समय सारे ब ब लगे हुए थे ट्रेवलिंग बंद था तो समय का कैसे उपयोग करना लॉकडाउन था तो मैंने क्या किया गवर्नेंस को वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा मॉडल डेवलप कर दिया और वर्क फ्रॉम होम एंड मीटिंग वर्चुअली करना
शुरू कर दिया मैं अपने आप को बिजी रखता था दूसरा मैंने तय किया कि जिन लोगों के साथ मैंने जीवन भर काम करता रहा हूं पूरे देश में मेरे कार्यकर्ता हैं उसमें जो 70 प्लस के लोग हैं उनको याद कर कर करके कोविड के समय में छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को भी अरे फैमिली बैकग्राउंड बहुत सामान्य होगा ऐसे भी 70 प्लस है उन सबको मैं फोन करता था और उनको मैं कोविड के समय में उनकी तबीयत ठीक है क्या उनके परिवार की तबीयत ठीक है क्या उनके आसपास के इलाके में व्यवस्था कैसी चल रही है
यह सारी बातें मैं उनके साथ कर लेता था तो मैं भी एक प्रकार से उनसे जुड़ जाता था पुरानी यादा ताजा हो जाती थी उनको भी लगता था अरे ये वहां पहुंच गए यनी बड़ी जिम्मेवारी है लेकिन आज बीमारी के समय मेरे घर पर फोन करते हैं और मैं डेली एवरेज 30 40 फोन करता था डेली और पूरे कोविड का कार्यकाल के दरमियान करता रहा तो मुझे खुद को भी पुराने पुराने लोगों से बातें करने का आनंद मिलता था तो यह अकेलापन नहीं था मेरी व्यस्तता के तरीके में ढूंढता रहता हूं और मैं खुद से
बातचीत करने के लिए बहुत अभ्यास हूं मेरा हिमालयन लाइफ मुझे बड़ी मदद कर रहा है आ हर्ड फम मेनी पीट यू आर द हर्स्ट वर्कर दे नो वस र फिलोसोफी ब द यूट इन क आ ए सिंगल य गट र्ड सोर्स ऑफ स्ट्रेंथ एंड पसरस थ्र लट देखिए एक तो मैं मैं ये नहीं मानता हूं मैं ही काम करता हूं मैं मेरे आसपास लोगों को देखता हूं और मैं हमेशा सोता हूं यह मेरे से ज्यादा काम करते हैं मैं जब किसान का स्मरण कर तो मुझे लगता है किसान कितनी मेहनत करता है खुले आसमान के
नीचे कितना पसीना बहाता है मैं मेरे देश के जवान को देखता हूं तो मुझे विचार आता है कितने घंटे तक कोई बर्फ में है कोई रेगिस्तान में कोई पानी में दिन रात काम कर रहा है मैं किसी मजदूर को देखता हूं तो मुझे लगता है कितनी मेहनत कर रहा है यानी मैं हमेशा सोचता हूं कि हर परिवार में मेरी माताएं बहने कितनी मेहनत करती है परिवार के सुख के लिए सुबह सबसे पहले उठ जाएं रात को सबसे बाद में सो जाएं और परिवार के हर व्यक्ति की खैर करें सामाजिक रिश्ते ना तो का भी संभाल
ले तो जैसे मैं सोचता हूं तो मुझे लगता है अरे लोग कितना काम करते हैं मैं कैसे सो सकता हूं मैं कैसे आराम कर सकता हूं तो मुझे स्वाभाविक मोटिवेशन मेरी आंख के सामने जो चीजें हैं वही मुझे मोटिवेट करती रहती है दूसरा मेरी जिम्मेवारी मुझे दौड़ती है जो जिम्मेवारी देशवासियों ने मुझे दी है मुझे हमेशा लगता है कि मैं पद पर मौज मस्ती करने के लिए नहीं आया मेरी तरफ से मैं पूरा प्रयास करूंगा हो सकता है मैं दो काम ना कर कर पाऊं लेकिन मेरे प्रयास में कमी नहीं रहेगी मेरे परिश्रम में कमी
नहीं रहेगी और मैं जब 14 में चुनाव लड़ रहा था तब मैंने पहले जब गुजरात में था तब भी मैंने लोगों के सामने रखा था और यहां आया तो यहां भी कहा था मैंने कहा मैं देशवासियों को वादा करता कि मैं कभी भी परिश्रम करने में मैं पीछे नहीं रहूंगा दूसरा मैं कहता था कि मैं बद इरादे से कोई काम नहीं करूंगा और तीसरा मैं कहता था मेरे लिए मैं कुछ नहीं करूंगा आज मुझे 24 साल हो गए इतने लंबे कालखंड से मैं हेड ऑफ द गवर्नमेंट के रूप में देशवासियों ने मुझे काम दिया है
मेरे इन तीन कसौट पर मैंने अपने आप को तोल करके रखा हुआ है और मैं उसको करता हूं तो मुझे मेरा एक इंस्पिरेशन 14.4 बिलियन लोगों की सेवा उनके एस्पिरेशन उनकी आवश्यकता जितनी मेहनत कर सक जितना कर सकू मैं करने के मूड में हूं आज भी मेरी ऊर्जा वही है जी मी एज एन इंजीनियर ए अ पर्सन हु लव्स मैथमेटिक्स आई हैव टू आस्क नवासा रामजन इज अ इंडियन मैथमेटिशियन फ्रॉम अ सेंचुरी अगो ही वाइली ट बी वन ग्रेटेस्ट माथ ऑल टाइम सेल्फ ग्र अप इन पटी य ऑफ स्पोकन अब हि व फाइ इरिंग अब
हि देखिए मैं देख रहा हूं मैं उनके बहुत आदर करता हूं और मेरे देश के हर कोई उनको आदर करते हैं क्योंकि साइंस और स्पिरिचुअलिटी के बीच बहुत बड़ा कनेक्ट है ऐसा मेरा मत है बहुत से साइंटिफिक एडवांस माइंड्स अगर थोड़ा सा भी देखें तो वह स्पिरिचुअली एडवांस भी होते हैं उ कट ऑफ नहीं होते है श्रीनिवास रामानुजम कहते थे कि उन्हें मैथमेटिकल आइडियाज उस देवी से आते हैं जिसकी वह पूजा करते हैं यानी आइडिया तपस्या से आते हैं और तपस्या सिर्फ हार्ड वर्क नहीं है एक तरह से किसी एक काम के लिए खुद को
डिव कर देना खुद को खपा देना स्वयं ही जैसे वह कार्य का रूप बन जाए और हम नॉलेज के जितने ज्यादा सोर्सेस के लिए अपने ओपन होंगे हमारे पास उतने ही ज्यादा आइडियाज आएंगे हमें इंफॉर्मेशन और नॉलेज के बीच में फर्क कर भी समझना चाहिए कुछ लोग इंफॉर्मेशन को नॉलेज मानते हैं और इंफॉर्मेशन का बहुत बड़ा पंज लेकर के घूमते रहते हैं मैं नहीं मानता हूं कि इंफॉर्मेशन का मतलब नॉलेज करना नॉलेज एक विधा है जो एक प्रोसेसिंग के बाद धीरे-धीरे इवॉल्व होती है और उसको हमने उस उस फर्क को समझ कर के इसको हैडल
करना चाहिए यू हैव रेप you's इय में मैं एक ऐसा पॉलिटिशियन हूं जो मेरे देश के 85 टू 90 पर डिस्ट्रिक्ट में रात्रि मुकाम कर चुका हूं मेरे पूर्व जीवन की मैं बात करता हूं मैं भ्रमण करता था उससे जो मैंने पाया है वह जो सीखा है तो मेरे पास एक बहुत बड़ा चीजों को ग्रास रूट लेवल पर स्थितियों के विषय में मेरी फर्स्ट एड इंफॉर्मेशन है किसी से पूछा हुआ जाना हुआ सब किताबों के द्वारा नहीं पाया है दूसरा गवर्नेंस की दृष्टि से देखे तो म पर पास कोई प्रकार का बैगेज नहीं है कि
जिस बैगेज को लेकर के मुझे दबे रहना है उसके आगार पर मेरा चलना है वो नहीं है तीसरा निर्णय करने में मेरा एक तराजू है मेरा देश सबसे पहले मैं जो कर रहा हूं मेरे देश का नुकसान तो नहीं हो रहा है दूसरा हमारी महात्मा गांधी कहते थे किई तुम्हें कोई निर्णय करते समय कोई उलझन हो तो तुम किसी गरीब के चेहरा देख लो उनको याद करो और सोचो य उसके काम आएगा क्या तो आपका निर्णय सही होगा मुझे वो मंत्र बहुत काम आता है कि भा आप सामान्य मानवी को याद करो क्या मैं जो
कर रहा हूं उसको दूसरी प्रक्रिया जहा तक है कि मैं बहुत ही वेल कनेक्टेड हूं मेरी सरकार में मेरे अफसरों की को मेरे प्रति ईर्षा भी होती होगी और उनको तकलीफ भी होती होगी और वह है मेरे इंफॉर्मेशन चैनल बहुत है और बहुत लाइव है और इसलिए मुझे की जानकारियां बहुत सारी मिल जाती है बहुत जगह से तो मुझे कोई आकर के ब्रीफ करें वही अकेली इंफॉर्मेशन नहीं होते मेरे पास एक दूसरे पहलू भी होते हैं तो मैं दूसरा मैं एक मेरे में विद्यार्थी भाव है मान लीजिए कोई चीज नहीं आई मुझे किशन ने कुछ
बताया तो मैं विद्यार्थी भाव से उसको पूछता हूं अच्छा मुझे बताओ भाई कैसे हैं फिर क्या है फिर कैसे और कभी मेरे पास दूसरी इंफॉर्मेशन है तो मैं डेविल एडवोकेट बनकर के उल्टे प्रश्न पूछता हूं उसको बहुत बारीकी सेने प्र मंथन करना पड़ता है तो ऐसा करने से अमृत निकले उस प्रकार की मेरी कोशिश थ दूसरा मैं जब निर्णय लेता हूं मुझे लगता है कि हाय करने जाता तो फिर मैं एक सना जो लोग हैं मेरे विचारों को उनको शेयर करके हल्के फुल्के शब्दों में मैं डालता हूं उनके भी रिएक्शन देखता हूं कि निर्णय का
क्या होगा और मुझे फिर जब कन्वीन बन जाए कि हां यह मैं सही कर रहा हूं तो एक पूरी प्रोसेस मेरी जो इतना बोलता हूं इतना भी टाइम नहीं लगता है मेरी स्पीड बहुत है अब जैसे मैं एक उदाहरण दूं कोरोना के समय कैसे निर्णय लिए अब मुझे नोबल प्राइज विनर मिलते हैं इकोनॉमी में भत भत के मुझे उदाहरण देते थे फलाने देश ने यह कर दिया टिकने देश ने तुम भी करो तुम भी करो सब बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट बना कर मेरा सर ख पाते थे पॉलिटिकल पार्टिया मुझे प्रेशर करती थी इतना पैसा दे दो इतना
प मैं कुछ करता नहीं था मैं सोचता था मैं क्या करूंगा और फिर मैंने मेरी अपनी मेरे देश की परिस्थिति के अनुसार को निर्णय किया मैं गरीब को भूखा सोने नहीं दूंगा मैं रोजमर की आवश्यकता के लिए सामाजिक तनाव पैदा नहीं होने दूंगा ऐसे कुछ मेरे मन में भाव तय हुए सब दुनिया तो लॉकडाउन में पड़ी थी इकोनॉमी पूरी तरह दुनिया की बैठ चुकी थी दुनिया मुझ पर प्रेशर करती थी कि खजाना खाली करो नोटो छापोल हो इकोनॉमी कैसे कर मैं उस रास्ते पर जाना नहीं चाहता था लेकिन अनुभव ये कहता है कि मैंने जिस
रास्ते पर चला एक्सपर्ट के ओपिनियन मैंने सुने थे समझने का प्रयास भी किया था विरोध भी नहीं किया था लेकिन मैंने मेरे देश की परिस्थिति मेरे अपने अनुभव उन सबको मिलाकर के मिश्रण करके जिन चीजों को डेवलप किया और जो व्यवस्थाएं खड़ी की उसके कारण दुनिया ने जो इंफ्लेशन की मुसीबत झेली इमीडिएट आफ्टर कोविड मेरे देश ने नहीं ली मेरा देश आज लगातार दुनिया की बड़ी इकोनॉमी में तेज गति से प्रगति करने वाला है उसका मूल कारण उस संकट के समय बड़े धैर्य के साथ कोई दुनिया भर की थिरी को लागू करने के मोह में
पड़े बिना अखबार वालों को अच्छा लगेगा बुरा लगेगा अच्छा छपे अच्छा नहीं छपे आलोचना हो ग सारी चीजों से परे रह कर के मैंने बेसिक फंडामेंटल पर फोकस करते हुए काम किया और मैं सफलता के साथ आगे बढ़ा तो मेरा मेरी इकोनॉमी को भी लाभ हुआ तो मेरी कोशिश यह रही कि भाई मैं इन् चीजों को लेकर के चलू दूसरा मेरी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बहुत है मैं यह नहीं सोचता हूं मेरा क्या नुकसान होगा अगर मेरे देश के लिए सही है मेरे देश के लोगों के लिए सही है तो मैं रिस्क लेने तैयार रहता हूं
और दूसरा मैं ओनरशिप लेता हूं मानो कभी कुछ ऐसा भी हो जाए गलत तो किसी के सर पर डाल नहीं देता मैं खुद जिम्मा लेता हूं यस मैं खुद खड़ा रहता हूं और जब आप ओनरशिप लेते हैं ना तो आपके साथी भी आपके प्रति समर्पित भाव से जुड़ जाते हैं उनको लगता है यह आदमी हमें नहीं डुबो देगा हमें मरवा नहीं देगा यह खुद खड़ा रहेगा हमारे साथ क्योंकि ईमानदारी से निर्णय कर रहा हूं मेरे लिए कुछ नहीं कर रहा देशवासियों के गलती हो सकती है मैंने देशवासियो को पहले कहा था मैं मैं इंसान हूं
मेरे से गलती हो सकती है बद इरादे से काम नहीं करूंगा तो व बातें सब तुरंत वो देख यार मोदी ने 13 में यह कहा था अभ यह हो गया है लेकिन उसने उसका इरादा गलत नहीं होगा व कुछ अच्छा करना चाहता होगा नहीं हुआ होगा तो मुझे समाज जैसा ह वैसा देखते हैं स्वीकार करते हैं यू गव पावरफुल स्पीच ए अगो द ए समम इन फ्रस इन य स्पोक अब द ंट पूल फ ए एय इन इंडियाई वन द बिस्ट प ब डक इया ली एक बात आप शायद ज्यादा लगेगी और हो सकता है
किसी को बुरा भी लगे जब आपने पूछा है तो अभी मेरे मन में से निकल रहा कहना चाहता दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले भारत के बिना एआई अधूरा है बहुत जिम्मेवार स्टेटमेंट में कर रहा हूं देखिए एआई के संबंध में आपके अपने अनुभव क्या है मैं खुद आपने मेरा भाषण तो सुना पेरिस वाला और उसको बायन ला वाले क्या कोके एई लक है क्या आपद का अभ क्या है य य स्पीच ब्रिल ऑ द पॉजिटिव इक्ट ऑ ए एंड द लिम ए आई थक दल यू गव इन यक ट ए इजन टंग
लेफ्ट हैंड इज गो टूरेट हैं एम इया प्रोसेस हैं ई डेवलपमेंट है य कोई एक दूसरे को अपने एक्सपीरियंस और लर्निंग से सपोर्ट कर सकता है और इंडिया सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा बल्कि स्पेसिफिक यूज केसेस से के हिसाब से एआई बेस एप्लीकेशंस को भी डेवलप कर रहा है जीपीयू एक्सेस को सोसाइटी के सारे सेक्शन के पास पहुंचाने के लिए हमारे पास एक यूनिक मार्केट प्लेस बेज मॉडल ऑलरेडी मौजूद है माइंडसेट शिफ्ट हैपनिंग इन इंडिया हिस्टोरिकल फैक्टर्स सरकारी कार्यशैली या अच्छे सपोर्ट सिस्टम की कमी के कारण यह सही है कि औरों की नजर में
देरी लगती होगी मुझे जब 5जी आया दुनिया को लगता था हम 5जी में काफी पीछे हैं लेकिन एक बार हमने किया तो हमने हम दुनिया से सबसे तेज गति से 5जी ल पहुंचाने वाले देश बन गए मुझे एक अमेरिका के कंपनी के मालिक आए थे वह अपना अनुभव शेयर कर रहे थे वह कह रहे थे मैं अमेरिका के मैं एडवर्टाइजमेंट दूं इंजीनियर की जरूरत है तो मेरे पास जो इंजीनियर आएंगे व ज्यादा से ज्यादा एक कमरा भर जाए इतने आते हैं और मैं हिंदुस्तान में एडवर्टाइजमेंट दूं तो एक फुटबॉल मैदान छोटा पड़ जाए इतने इंजीनियर
आते यानी इतनी बड़ी मात्रा में टैलेंट पूल भारत के पास है यह इसकी सबसे बड़ी ताकत है और इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल भी रियल इंटेलिजेंस के सहारे जीने जीती है रियल इंटेलिजेंस के बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य नहीं हो सकता है और रियल इंटेलिजेंस जो है वो भारत के यूथ टैलेंट पूल में है और मैं समझता हूं कि इसकी अपनी एक बहुत बड़ी ताकत है बट आल्सो इफ यू लुक मेनी ऑफ द टॉप टेक लीडर्स फर्स्ट ऑ ल टेक टैलेंट ब टेक लीडर्स इन यूएस आर ऑफ इंडियन ओरिजिन सुंदर पचाई साला आन सस य समम स्पिरिट ऑ
देर इंडियन ओरिजिन यक दे कैरी इनम द एनेबल देम टू बी सो सक्सेसफुल दे भारत के जो संस्कार है वह ऐसे हैं कि जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों का सम्मान उसमें कोई भेद नहीं होना चाहिए तना जन्मभूमि के प्रति समर्पण हो तो उतना ही कर्मभूमि के समर्पण समर्पण भाव होना चाहिए और आपका जो बेस्ट दे सकते हो वो देना चाहिए और इस संस्कार के कारण हर भारतीय अपना बेस्ट देने के लिए वह जहां भी हो वह कोशिश करता है व बड़े पद पर हो तब करेगा ऐसा नहीं छोटे पद पर और दूसरा कहीं गलत चीजों में
वह फसता नहीं है ज्यादातर वह सही काम के और दूसरा उसका नेचर है हर एक के साथ मिल जाता है अल्टीमेटली सक्सेस के लिए आपके पास नॉलेज इनफ नहीं है आपके पास टीम वर्क करने का ताकत बहुत बड़ी हर एक व्यक्ति के समझ करके उनसे काम लेने का सामर्थ्य बहुत बड़ी बात होती है बांड लार्ज भारत में से जो पले बड़े लोग होते हैं जो जॉइंट फैमिली से निकले हुए लोग होते ओपन सोसाइटी में से निकले हुए लोग होते हैं उनके लिए बहुत आसान होता है व इस प्रकार बड़े-बड़े कामों को नेतृत्व आसानी से कर
सकते हैं और सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनिया दुनिया के कई देशों में अच्छे महत्त्वपूर्ण पदों पर आज भारतीय काम कर है और इंडियन प्रोफेशनल्स की प्रॉब्लम सॉल्विंग जो स्किल है एनालिटिकल जो थिंकिंग है और मैं समझता हूं व सामर्थ्य इतना बड़ा है कि उसका व्यक्तित्व ग्लोबली कंपट हो जाता है और बहुत फायदेमंद हो जाता है और इसलिए मैं समझता हूं कि इनोवेशन एंटरप्रेन्र्दे सेक्टर देख लीजिए आप पहले से स्पेस हमारा सरकार के पास था मैंने आकर के उसको एक दो साल पहले ओपन अप किया इतने कम समय में 200 स्टार्टअप स्पेस में है और हमारी जो चंद्रयान
वगैरह की जो हमारी यात्रा है व इतनी लो कॉस्ट में होती है अमेरिका की हॉलीवुड की फिल्म का जितना खर्चा होता है उसके कम खर्चे में मेरी चंद्रयान यात्रा होती है तो दुनिया देखती है इतनी कॉस्ट इफेक्टिव है तो हम क्यों ना उसके साथ जुड़े तो उस टैलेंट के प्रति आदर अपने आप पैदा हो हो जाता है तो मैं समझता हूं कि ये हमारे सि सिविलाइजेशनल थोस का एक हॉलमार्क है सो य स्पोक अबाउ दिस ह्यूमन इंटेलिजेंस ड यू वरी द ए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विल रिप्लेस अस ह्यूमंस ऐसा है कि हर युग में कुछ समय
तक टेक्नोलॉजी और मानव के बीच स्पर्धा का वातावर बनाया गया या उसके बच में संघर्ष का वातावरण बनाया गया मानव जात को ही चैलेंज करेगा ऐसा वातावरण बनाया गया लेकिन हर बार नोलॉजी भी बढ़ती और मानव उससे ऊप एक कदम आगे ही बढ़ता गया हर बार हुआ और मनुष्य ही है जो उत्तम तरीके से उस टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है और मुझे लगता है कि एआई के कारण इंसान को इंसान होने का मतलब सोचना पड़ रहा है य एई ने अपनी ताकत दिखाई है क्योंकि जिस तरीके से वह काम कर रहा है उसको उसको प्रश्न
कर दिया है लेकिन जो इंसान की इमेजिनेशन है एआई जैसे कई चीजें वो प्रोडक्ट कर सकता है शायद इससे भी ज्यादा कर देगा आने वाले दिन में और इसलिए मैं नहीं मानता हूं कि उस इमेजिनेशन को कोई रिप्लेस कर पाएगा आई अग्री विद यू इट डक मी एंड लट पीपल वंडर व मेक्स ह्यूमन स्पेशल ब इ सीमर अ लट द मेक्स न स्पेशल द इमेजिनेशन द क्रिएटिविटी द कॉन्शसनेस ट बी अफ्रेड ट लव ट ड्रीम थक आइड ऑ द बॉक्स आउटसाइड द बॉक्स द बॉक्स द बॉक्स टेक रिस्क ल दोस थिंग अब देखिए केर करने
की जो इंटेट एबिलिटी है मनुष्य एक दूसरे की जो चिंता करता है अब कोई मुझे बताए दिस वन द बिग ओपन क्वे ऑ 21 h स्डट हा रम् बम सोय य् हा द एम् स् इक इ ए ज एंड स् बांड ला समाज में एक विचित्र प्रकार की मानसिकता बन गई स्कूलों में भी अपने सफलता के लिए उनको लगता है कि हमारे कितने बच्चे किस रैंक में आए परिवार को भी माता बन गया कि मेरा बच्चा इस रैंक में आया तो मेरा परिवार शिक्षा दीक्षा में समाज में अच्छी पोजीशन में है तो एक ऐसी सोच
में का परिणाम हो गया बच्चों पर प्रेशर बढ़ गया बच्चों को भी लगने लग गया कि जीवन में 10थ और 12थ के एग्जाम ही सब कुछ है तो हमने उसमें बदलाव लाने की हमारी जो नई एजुकेशन पॉलिसी में हमने काफी कुछ बदलाव लाए हैं लेकिन वह चीजें धरती पर उतरे तब तक मेरा दूसरा भी रहता है कि भाई अगर उनके जीवन में कठिनाई है तो मेरा भी कोई कर्तव्य बनता है मैं उनसे बातें करू उनको समझने का प्रयास करू एक प्रकार से मैं जब परीक्षा पर चर्चा करता हूं तो मुझे उन बच्चों से समझने को
मिलता है उनके माता-पिता की क्या मानसिकता वो समझने को मिलती है एजुकेशनल फीड के जो लोग हैं उनकी क्या मानसिकता है वह समझने को मिलती है तो यह परीक्षा पर चर्चा उनका तो लाभ करती ही करती है मेरा भी लाभ करती है और किसी स्पेसिफिक डोमेन में खुद का टेस्ट करने के लिए एग्जाम ठीक है लेकिन यह ओवरऑल पोटेंशियल को जज करने का पैमाना नहीं बन सकता बहुत से लोग हैं पढ़ाई में अच्छे मार्ग नहीं लाए लेकिन क्रिकेट में सेंचुरी लगाते हैं क्योंकि उसकी उसमें व ताकत होती है और जब लर्निंग पर फोकस होता है
तो स्कोर अक्सर खुद ही ठीक होने लग जाता है अब मुझे याद है जब मैं पढ़ता था तो मेरे एक टीचर थे लर्निंग की उनकी टेक्निक मुझे आज भी बड़ी अपील करती है वो हम बच्चों को कहते थे एक को कहेंगे ऐसा भाई तुम घर जा कर के घर से 10 चना के दाने ले आना दूसर को कहेंगे तुम चावल के 15 दाने ले आना तीसरो को कहते थे तु मूंग के 21 दाने ले आना ऐसा अलग-अलग आंकड़ा भी अलग और वैरायटी भी अलग तो व बच्चा सोचता था मुझे 10 लाने हैं फिर घर जाकर
के गिनता था तो उसको 10 की आग याद आ जाता था फिर उसको पता चलता इसको चना कहते थे फिर स्कूल में जाते थे सब इकट्ठा कर देते थे फिर बच्चों के चलो भाई इसमें से 10 चना निकालो तीन चना निकालो दो मूंग निकालो पांच ही निकालो तो गणित भी सीख लेते थे चने की पहचान हो जाती थी मूंग किसको कहते पहचान हो जा बहुत बाल्यावस्था की बात करता हूं तो यह लर्निंग टेक्निक जो होती है बिना बोझ को बच्चों को पढ़ाने का तो हमारी नई एजुकेशन पॉलिसी में इसका एक प्रयास है जब मैं स्कूल
में था तो मेरा देखा था कि मेरे एक टीचर बड़ा इनोवेटिव आइडिया था उनका वो उन्होंने आते ही पहले दिन कहा कि देखो भाई यह डायरी मैं यहां रखता हूं और सुबह जो जल्दी आएगा वह डायरी में एक वाक्य लिखेगा साथ में अपना नाम लिखेगा फिर जो भी दूसरा आएगा उसको उसके अनुरूप भी दूसरा वाक्य लिखना पड़ेगा तो मैं बहुत जल्दी स्कूल भागने करके जाता था क्यों तो मैं पहला वाक्य मैं लिखूं और मैं मैंने लिखा कि आज सूर्योदय बहुत ही शानदार था सूर्योदय मुझे बहुत ही ऊर्जा देथा कुछ मने वाक्य लिख दिया अपना नाम
लिया फिर मेरे पीछे जो भी आएंगे वो सूर्योदय पर ही कुछ ना कुछ लिखना होता था कुछ दिनों के बाद मैंने देखा कि मैं मेरी क्रिएटिविटी को इससे ज्यादा फायदा नहीं होगा क्यों क्योंकि मैं एक थॉट प्रोसेस लेकर के निकलता हूं और वह जाकर के मैं लिख देता हूं तो फिर मैंने तय किया कि मैं लास्ट में जाऊंगा तो उसे क्या हुआ कि औरों ने क्या लिखा है वह मैं पढ़ता था और फिर मेरा बेस्ट देने की कोशिश करता था तो मेरी क्रिएटिविटी और बढ़ने लगी तो कभी कुछ टीचर्स ऐसी छोटी-छोटी चीजें करते हैं जो
आपके जीवन को बहुत उपयोगी होती है तो यह मेरे जो अनुभव है और मैं खुद एक प्रकार से संगठन का काम करता रहा उसके कारण मेरे ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट के मेरा एक विशेष क्षेत्र रहा काम का तो मैं इन बच्चों के साथ मिलकर के साल में एक बार निकालता हूं अब वो करते करते किताब भी बन ग है जो खों की तादाद में बच्चों कोम आती है रेफरेंस के लिए कैन यू स्पीक अ ट बिट मर बाय वे एडवाइस डेंट्स टू बी सक्सेसफुल न द पाथ इन करर हाटू फा द करर एंड हाटू फाइ सुसेस
इन इंडि ए जट द्र दप इन व मुझे लगता है कि कि जो काम मिले वह समर्पण भाव से पूरी तरह डेडिकेशन से अगर कोई करता है तो अवश्य आज नहीं तो कल उसकी एक्सपर्टाइज्ड उसको सफलता के द्वार खोल देती है और मनुष्य ने काम करते करते अपनी क्षमता बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए अपनी लर्निंग एबिलिटी को कभी भी अंडरमाइंड नहीं करना चाहिए जब वह लर्निंग एबिलिटी को लगातार उसके महत्व में देता है हर चीज में सीखने की कुछ लोग होंगे अपने सिवाय भी वाले का काम भी देखेंगे तो उसकी क्षमता डबल हो जाती
है त्रिगुणा हो जाती है अगर मैं नौजवानों को कहूंगा कि भाई निराश होने की कोई जरूरत नहीं होती है दुनिया में कोई ना कोई काम आपके लिए परमात्मा ने लिखा हुआ ही है चिंता मत करो आप अपनी क्षमता बढ़ाओ ताकि आप योग्य कर पाओ मैंने तो सोचा था डॉक्टर बनू अब डॉक्टर नहीं बना मैं टीचर बन गया मेरी जिंदगी बेकार हो गई ऐसे करके बैठोगे तो नहीं चलेगा ठीक है डॉक्टर नहीं बने लेकिन अब तुम टीचर बन कर के 100 डॉक्टर बना सकते हो तुम तो एक डॉक्टर मन के थ पेशेंट का भला करते अब
तुम टीचर के नाते ऐसे स्टूडेंट तैयार करो उनके डॉक्टर बनने के सपने पूरे हो ताकि तुम और वो लाखों दर्दियो की सेवा कर सके तो उसको जीने का एक और नया दृष्टिकोण मिल जाता है कहा यार मैं डॉक्टर नहीं बन पाया और मैं रोता बैठा था मैं टीचर बन गया उसका ही मुझे दुख था लेकिन मैं टीचर बनकर डॉक्टर भी बना सकता हूं तो हम जीवन के बड़ी चीजों की और उसको अगर जोड़ देते हैं तो उसको एक प्रेरणा मिलती है और मैं हमेशा मानता हूं कि परमात्मा ने हर एक को सामर्थ्य दिया हुआ होता
है अपने सामर्थ्य पर भरोसा कभी छोड़ना नहीं चाहिए अपने सामर्थ्य पर भरोसा बनाए रखना चाहिए और विश्वास होना चाहिए जब भी मौका मिलेगा मैं करके दिखाऊंगा मैं करूंगा मैं सफल होता हूंगा व आदमी करके देता है हर दो स्टूडेंट्स डी स्ट्रेस स्ट्रगल डिफिकल्टी अलोंग पथ उनको एक बार तो समझ होनी चाहिए कि परीक्षा ही जिंदगी नहीं है परिवार को पता चलना चाहिए कि अपने बच्चे को समाज के अंदर एक प्रकार से दिखाने के लिए नहीं है मेरा बच्चा म देखिए इतना मार्क लाता है देखो मेरा बच्चा यह मां बाप ने मॉडल के रूप में बच्चों
का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए अ और दूसरा मुझे लगता है कि अपने आप को प्रिपेयर्ड रखना चाहिए तब जाकर के एग्जाम के लिए बिना स्ट्रेस को व एग्जाम दे सकता है उसको विश्वास होना चाहिए और उसको पूरा पता होना चाहिए और कभी कभी मैं कहता हूं तुम कभी-कभी क्या क जाते हैं पेपर ले लिया ये लिया और कभी पेन थोड़ी चलती नहीं तो एकदम निराश हो जाता है फिर कभी उसको लगता है कि यार यह बगल में यह बैठा है तो मुझे मजा नहीं आएगा बैच लती है उसी में इसका दिमाग खपा रहता
है अपने पर विश्वास ही नहीं है जो अपने पर विश्वास नहीं है वह एक नई नई चीजें ढूंढता रहता है लेकिन अगर अपने पर विश्वास है और पूरी मेहनत की है तो एक दो मिनट लगता है आप आराम से जरा डीप ब्रीथिंग कीजिए आराम से जरा ध्यान केंद्रित कीजिए और से पढ़ कर के क और फिर टाइम को अलट कर दीजिए कि मेरे पास इतना समय है मैं एक सवाल इतनी मिनट में लिखूंगा मैं मानता हूं बहुत आ जिसने पेपर लिखने की प्रैक्टिस डाली हो वो बच्चा बला बिना प्रॉब्लम कोई चीजों को अच्छी तरह पार
कर लेता है एंड यू सेड लवेज फोकस ऑन लर्निंग व्ट्स योर अप्रोच टू लर्निंग व्ट एडवाइस कैन यू गिव ऑन हाउ टू लर्न बेस्ट नॉट जस्ट वन यूर यंग थ्रू आट योर लाइफ देखिए मैंने पहले ही कहा जैसे मेरे जीवन में पहले तो मुझे पढ़ने का अवसर मिलता था बाद में तो स्थिति ऐसे मैं पढ़ नहीं पाता हूं लेकिन मैं बहुश्रुत हूं मैं वर्तमान में होता हूं जब भी मैं किसी को मिलता हूं तो मैं वर्तमान में होता हूं तो मेरे अटेंट बहुत में रहता हूं मैं चीजों को बहुत जल्दी से ग्राफ कर सकता हूं
अब अभी मैं आपके साथ हूं मैं आपके साथ ही हूं अभी मैं और कहीं नहीं हूं ना मोबाइल फोन है ना टेलीफोन है ना कोई मैसेज आ रहा है कुछ बैठा हूं मैं हर चीज को कंसंट्रेट कर पा रहा हूं और इसलिए मैं हमेशा कहूंगा कि यह यह आदत डालनी चाहिए आपकी लर्निंग एबिलिटी ब बढ़ती जाएगी और आप दूसरा अकेले ज्ञान से होता नहीं आपको अपने आप को प्रैक्टिस में डालना चाहिए आप अच्छे ड्राइवरों की आत्मकथाएं पढ़ कर के ड्राइवर नहीं बन सकते जी व तो गाड़ी ले में बैठना ही पड़ता और ट्रेनिंग पकड़ना पड़ता
है सीखना पड़ रिस्क लेना पड़ता है एक्सीडेंट हो क्या होगा मर जाऊंगा तो क्या होगा ऐसा नहीं चाता और मेरा मेरा मत है जो वर्तमान में जीता है उसके जीवन में एक मंत्र काम में आता है कि जो समय हमने जी लिया वो हमारा भूतकाल बन चुका है तुम वर्तमान में जिओ इस पल को भूतकाल मन बनने दो वरना तुम भविष्य की तलाश में वर्तमान को भूतकाल बना दोगे तो तुम्हारा वह घाटे में जाएगा मामला और ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं कि जो भविष्य के दिमाग खपाने में इतना खराब करते हैं कि उनका वर्तमान ऐसे
ही चला जाता है और वर्तमान चला जाने के कारण वो वो भूतकाल में गुजर जाता है i've य मी ए it's दक् नक् न बलाक दिस एंड फोकस न द म इशन बफ एंड इ गि य गव द फोकस मी सोक a a आर यू अफ्रेड ऑफ [संगीत] डेथ मैं आपको एक सवाल पूछू शर जन्म के बाद आप मुझे बताइए जीवन है मृत्यु है इसमें से सबसे निश्चित क्या है थ मृत्यु अब मुझे बताइए आपने मुझे सही जवाब दिया कि जन्म के साथ जो जन्म लेता है वह मृत्यु है जीवन तो पनपता है जी जीवन
और मृत्यु में मृत्यु ही निश्चित है आपको पता है कि यह निश्चित है और जो निश्चित है उसका डर काहे का भाई तो फिर शक्ति समय जीवन पर लगाओ दिमाग मृत्यु पर मत ख पाओ तो जीवन पनपे जो अनिश्चित है वो जीवन है फिर उसके लिए मेहनत करनी चाहिए उसको स्ट्रीमलाइन करना चाहिए स्टेज बाय स्टेज उसको अपग्रेड करते जाना चाहिए ताकि आप मृत्यु जब तक ना आए तब आप जीवन को फुल बहार में खिला सको और इसलिए दिमाग में से मृत्यु निकाल देना चाहिए वो तो निश्चित है वह तो लिखा हुआ है आने वाला है
कब आएगा कब आएगा वो जाने जब आना है तब आए उसको जब फुर्सत होगी तब आएगा व फर नस्ट इंडिया ब लन सिवि ल थ मैं स्वभाव से ही बहुत आशावादी व्यक्ति हूं मैं निराशा नकारात्मकता य मेरी या मेरे शायद सॉफ्टवेर में है ही नहीं वह चीप इसलिए मुझे वह कभी उस दिशा में दिमाग मारा जाता नहीं है मैं मान हूं कि मानव जात का इतिहास की तरफ हम देखें तो कितने बड़े संकटों को पार करते हुए मानव जात आगे निकली है और समय की आवश्यकता के अनुसार उसने कितने बड़े बदलाव स्वीकार किए हैं और
लगातार उसने कितना और दूसरा हर युग में नई चीजों को स्वीकारने का उसका स्वभाव है दूसरा मैंने देखा है मानव जात में हो सकता है प्रोग्रेस में उतार चढ़ाव होंगे लेकिन जोला काल बाह्य छोड़ने की ताकत रखता है वह सबसे तेजी से बोझ मुक्त होकर के आगे बढ़ सकता है काल बाह्य चीजें हैं उससे मुक्त होने की सामर्थ्य और मैं देखता हूं आज मैं मैं जिस समाज के साथ ज्यादा जुड़ा रहा उसको मैं ज्यादा समझ सकता हूं और मैं मानता हूं काल भाय चीजों को छोड़ कर के नई चीजों को पकड़ने का वो काम कर
सकता है जी इन दिस मोमेंट आई वंडरिंग इफ यू गाइड मी परस थ हिंदू प्रेयर और मेडिटेशन फ अ फ्यू मोमेंटस आई र्न ट्रांग टू लेर्न द गायी म इन मा फस्ट ा टूू द ंस परपस आई क ट्रा चटिंग यू कड ल मी अब द इंपोटेंस ऑ दिस मां मे बी अदर्स इन यर लाइफ इन यर स्पिरिट शई ट्रा भुवा स्वाहा ततो नमग देवा मही योयो प्रोया हर काफी काफी अच्छा किया आपने ओम भूर भूव स्वहा तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि योयो न प्रचोदयात यानी एक्चुअली य सूर्य उपासना से जुड़ा हुआ है और सूर्य शक्ति
का उस जमाने में कितना महात्म है व हिंदू हिंदू फिलॉसफी में जो मंत्र है उस मंत्र का विज्ञान से कोई कोई है और विज्ञान होगा प्रकृति होगी उनसे कहीं न कहीं वह जुड़ा हुआ होता है जीवन के भी अलग-अलग पहलुओं के साथ जुड़ा हुआ होता है और मंत्र की पाठ उसको रेगुलर रिदम में ले जाने के कारण बहुत बड़ा लाभ करता है जी इन योर न स्पिरिचुअलिटी इन य क्वाट मोमेंटस न य विद गड व मा गो व्ट रोल ड मां प वन य फास्टिंग न यर जस्ट अलोन वि योरसेल्फ देखिए कभी हम लोगों को
कहते हैं मेडिटेशन तो बड़ा भारी शब्द बन गया है हमारे यहां भाषा में साधा शब्द है ध्यान अब किसी को मैं कहूं भाई मेडिटेशन के संदर्भ में ध्यान बात करूं तो सबको ल बहुत बड़ा बो है यह तो हम कर सकते ही नहीं कैसे कर सकते हैं हम हम कोई आध्यात्मिक पुरुष तो है नहीं फिर मैं उनको समझाता हूं भाई तुम्हें बे ध्यान होने की जो आदत है ना उससे मुक्ति लो जैसे कि तुम क्लास में बैठे हो लेकिन उस समय तुम्हारा चलता है खेल का पीरियड कब आएगा मैदान में कब जाऊंगा उसका मतलब तुम्हारा
ध्यान नहीं है अगर तुम यहां रखा तो दैट इज मेडिटेशन मुझे याद है जब मैं मेरी हिमालयन लाइफ थी तो मुझे एक संत मिले उन्होंने बड़ा अच्छा सा मुझे टेक्निक सिखाया टेक्निक था व कोई वो व कोई स्पिरिचुअल वर्ल्ड नहीं था टेक्निक था हिमालय में जरने बहते रहते छोटे-छोटे तो उन्होंने मुझे ये जो सूखे पत्तल जो होते हैं उसका एक टुकड़ा होता है जलने के अंदर ऐसे लगा दिया और नीचे जो एक बर्तन था उसको उल्टा कर दिया तो उसमें से टपक टपक पानी गिरता था तो उन्होंने मुझे सिखा है कि देखो तुम कुछ मत
करो सिर्फ इसी की आवाज सुनो कोई और आवाज तुमको सुनाई नहीं देनी चाहिए कितने ही पंखी बोलते हो कुछ भी बोलते हो हवा की आवाज आती हो कुछ नहीं तुम इस पानी के जो बंद गिरते हैं और वह मुझे व सेट करके देते थे तो मैं बैठता था मेरा अनुभव था कि उस उसकी आवाज उस पानी की बूंद उस बर्तन पर गिरना उसकी जो आवाज थी धीरे धीरे धीरे मेरे मेरा माइंड ट्रेन होता गया बड़े आराम से ट्रेन होता गया कोई मंत्र नहीं था कोई परमात्मा नहीं था कुछ नहीं था उसको मैं कह सकता हूं
ना ब्रह्म उस नाद ब्रह्म से नाता जुड़ना अब यह मुझे कंसंट्रेशन सिखा गया मेरा वह धीरे-धीरे मेडिटेशन बन गया यानी और कभी-कभी देखिए आप बहुत ही अच्छा आपका फाइव स्टार होटल है बहुत ठड आपको चाहिए वैसा कमरा है सारा डेकोरेशन बहुत बढ़िया है और आप भी मन से फस्ट किया हुआ है बहुत लेकिन बाथरूम में पानी टपक रहा है उस छोटी सी आवाज आपकी हजारों रुपए के किराए वाला बाथरूम आपके लिए बेकार बना देती है तो कभी कभार हम जीवन में अंतर मन की यात्रा को निकटता से जब देखते हैं ना तो इसकी वैल्यू समझ
आती है कि कितना बड़ा बदलाव हो सकता है अगर हम अब जैसे हमारे शास्त्रों में एक जो हम लोग जीवन और मृत्यु की आपने बात की है एक मंत्र है हमारी य ओम पूर्ण मदम पूर्ण मदम पूर्णत्व पूर्ण मदो चत है यानी पूरा जीवन को एक सर्कल के अंदर उसने रखा हुआ है पूर्णता ही है पूर्णता को प्राप्त करने का विषय है उसी प्रकार से हमारे यहां कल्याण की बात कैसे करते स्वयं के नहीं सर्वे भवंतु सुखना सर्वे संतु निरामया यानी सबका भला हो सबका सुख हो सर्वे भद्राणी पश्च मा कश्चित दुख भाग भवे अब
यह मंत्रों में भी लोगों के सुख की बात है लोगों के आरोग्य की बात है और फिर करें क्या ओम शांति शांति शांति हमारे हर मंत्र के बाद आएगा पीस पीस पीस यानी ये जो रिचुअल्स भारत में डेवलप हुए हैं वो हजारों साल की ऋषियों की साधना से निकले हुए हैं लेकिन वह जीवन त तत्व से जुड़े हुए वैज्ञानिक तरीके से रखे गए हैं शांति शांति शांति थैंक यू फॉर दिस ऑनर थैक यू फॉर दिस इंक्रेडिबल कन्वर्सेशन थैंक यू फॉर वेलकमिंग मी टू इंडिया एंड आई कैट वेट टू ब्रेक द फास्ट वि सम इंडियन फूड
टम थैंक ू सो मच प्राइम मिनिस्टर दिस वा ए नर मुझे बहुत अच्छा लगा कि आपसे बात करने का अवसर मिला दो दिन फास्ट किया है तो आप एकदम से खाना शुरू मत कीजिए एक दिन थोड़ा लिक्विड से शुरू कीजिए तो आपको एक सिस्टमिक उसका फायदा मिलेगा मेरे लिए भी शायद मैंने कई विषय ऐसे हैं जिसको मैंने पहली बार छुआ होगा क्योंकि मैं इन चीजों को बहुत अपने तक ही सीमित रखता था आज कुछ चीजें आप निकालने में सफल हुए हो सकता है कि थैंक यू आपके दर्शकों को अच्छा लगेगा मुझे बहुत अच्छा लगा मेरी
तरफ से आपको बहुत शुभकामना है थैंक यू थैंक यू थैंक यू फॉर लिसनिंग टू दिस कन्वर्सेशन विथ प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोद एंड नाउ ले मी आंस सम क्वेश्चंस एंड ट्राई टू रिफ्लेक्ट न यला go.com फव टीम प्रम मिनिस्टर एप एक् ए गम ए गट प ए h i ंग s इे forty translation.com c i've experienced.net a w s a t a आ ए i य इ ए ए आ ए e india's आ फ बमुनि इम टल इ थ there's a l it's i a l i इ डि आई बव आ ऑ a फब s i
[संगीत] m i a magic's t self-driving नेक स् फिश स्म बि पिचर इट a परेली डस्ट i विल मली ल इंडिया वि माय फेंड प रोज इ दय फचर सम अ फ्रेंड ल अराउंड फम द नथ इंडिया थ नाउ अला मी टस कमेंट अबाउ वन द बुक्स द फर्स्ट ड्र मी ड इंडिया एंड ट्सप हिस्ट फिलोसॉफिकल ए स्पिल ट्र द बुक इ सथ बा म बन ्र i a l ंगवे एंडो एक्लो मी आ य एंडल मी e h ए बा प्ज अ दि ला i've से h मा से ो इटन बान न नबल नस्ट
हि लाफ हिज फंग है श हिस्ट आ एंड ही सफर्ड फम डेबिट हेक्स इनिया एंड डिप्रेशन रिंग दिस पेरिड ही बन पको एनालिसिस वि काल यंग इ l h exposed.com that1card a young's फ पल आ ए ए आ गोपना बुक ब ए दिस one ए i f a deepa's b l m l द ए h c नॉ विम ए मी ब स इ one i've इ मा ला a i b i i waiter's i a फ i ए न इ इ a i ए फ ए फ क्क एथक य यड सीज हि ओन सल्फ इन
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