ताज महल के बंद कमरों का रहस्य दोस्तों होगी इस दुनिया में एक से बढ़कर एक इमारतें लेकिन ताज जैसी कोई नहीं क्योंकि इसकी बुनियाद में एक बादशाह ने अपना दिल रखा है दोस्तों ताज महल कला का वह खूबसूरत उदाहरण है जिसे 17वीं शताब्दी के मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी सबसे चहेती बेगम मुमताज महल के लिए उसकी याद में बनवाया था वह इमारत जितनी खूबसूरत है उतनी ही रहस्यों से भरी हुई है और कोई ना कोई विवाद इस इमारत के इर्दगिर्द घूमता ही रहता है और सबसे बड़ा रहस्य है ताज महल के 22 बंद कमरों का
राज आखिर क्यों बंद हैं ये कमरे क्या इनमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां छुपी हुई हैं क्या सच में ताज महल शिव मंदिर को तोड़कर बना है और सबसे बड़ी बात दोस्तों क्या आपको पता है कि बिना सीमेंट के ताज महल कैसे बनाया गया जबकि आज तो बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स और पुल वगैरा सीमेंट से ही बनते हैं और 100 10000 साल तक खड़े भी रहते हैं लेकिन ताजमहल तो बिना सीमेंट के बनाया गया है तो फिर कैसे वह करीब 350 सालों से इतनी मजबूती से खड़ा है फिर चाहे कितना ही बड़ा भूकंप आ जाए चाहे कोई
भी नेचुरल डिजास्टर हो जाए ताज महल वहीं का वहीं खड़ा है आखिर कैसे और क्या आपको पता है कि उस समय ताज महल कितने रुपयों में बनाया गया होगा और क्यों ताज महल में आज तक कोई लाइट्स नहीं लगाई गई है दो दोस्तों आज का वीडियो पूरा देखना जरूर क्योंकि इस वीडियो में आप ताजमहल के 22 ऐसे रहस्यों के बारे में जानोगे जो शायद ही पहले आपने कभी सुना होगा बस वीडियो को स्टार्ट करने से पहले वीडियो को एक लाइक करके चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए चलिए शुरू करते हैं नंबर 22 ताज महल के रहस्य
में सबसे पहला रहस्य तो ताजमहल की न्यूज से ही जुड़ा हुआ है जब क्योंकि ताजमहल यमुना नदी के पास है तो ऐसी नमी वाली रेतीली मिट्टी में किसी भी इमारत की न्यव खड़ी करना यकीनन एक मुश्किल भरा काम हो सकता था लेकिन दात देनी पड़ेगी उस वक्त के मुगल सल्तनत के इंजीनियर्स की जिन्होंने इतनी नमी वाली जमीन में ऐसी पक्की न्यू बनाकर तैयार की जिसके बलबूते आज भी इतनी बड़ी इमारत सही सलामत टिकी हुई है दरअसल ताज महल की न्यू बनाते समय दज के चारों ओर बहुत से कुएं खोदे गए इन कुओं में ईंट प
पथर डालकर इन पर आबनूस और महोगनी की लकड़ियों से ताज महल की फाउंडेशन बनाई गई यह कुएं ताज की न्यू को मजबूत बनाते हैं आबनूस और मोहगी की लकड़ियों में एक खासियत होती है कि इन्हें जितनी नमी मिलती रहेगी यह उतनी ही फौलादी और मजबूत रहेंगी और इन लकड़ियों को नमी ताज के पास बहने वाली यमुना नदी के पानी से मिलती है यमुना के पानी का स्तर हर साल घट रहा है और लकड़ियों में नमी की कमी आ गई है यही वजह है कि सन 2010 में ताज में दरारें देखी गई दोस्तों आपने देखा होगा
कि ताज महल के आसपास के चारों मीनार एक दूसरे से परपेंडिकुलर खड़े हैं मतलब यहां कि ताजमहल की जो चार मीनारें हैं ये बिल्कुल सीधी नहीं खड़ी हैं बल्कि चारों बाहर की तरफ हल्की सी झुकी हुई हैं और इन्हें ऐसा ही बनाया गया था ताकि भूकंप जैसी आपदा आने पर अगर ये गिरे भी तो बाहर की तरफ गिरे दरअसल ऐसा इसलिए किया गया है कि अगर कभी जोर का भूकंप आता भी है तो वह चारों मीनार ताज महल से दूर जाकर गिर जाएं और इस तरह भूकंप के झटके ताजमहल तक पहुंचने से पहले ही इन
मीनारों में ऑब्जर्व हो जाएं और ताजमहल को कोई नुकसान ना पहुंचे नंबर 20 हजारों टूरिस्ट जो ताज महल देखने आते हैं वो यह नहीं जानते कि वो जो सामने देख रहे हैं वो ताज का पिछला हिस्सा है दरअसल जो शाही दरवाजा है वो नदी के किनारे दूसरी तरफ है आज ज्यादातर टूरिस्ट ताज को वैसा नहीं देख पाते जैसा कि शाहजहां चाहते थे मुगल काल में ताज तक पहुंचने के लिए नदी ही एक मुख्य रास्ता थी और यह एक तरह का हाईवे था बादशाह और उनके मेहमान नाव में बैठकर यहां आते थे नदी के किनारे एक
चबूतरा हुआ करता था नदी बढ़ती गई और वह बहुत पहले ही नष्ट हो गया बादशाह और उनके मेहमान उसी चबूतरे से ताज आया करते थे नंबर 19 दोस्तों यह कहा जाता रहा है कि शाहजहां ने ताज महल बनाने वाले वॉकर्स के हाथ कटवा दिए थे लेकिन यह बात एक अफवाह जैसी लगती है क्योंकि इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि शाहजहां ने वॉकर्स और कारीगरों को जिंदगी भर की पगार देकर उनसे इकरारनामा लिखवाया था कि वो ऐसी कोई दूसरी इमारत नहीं बनाएंगे क्योंकि 200 हज वॉकर्स जिन्होंने ताज
महल बनाया था क्या एक ही दिन में उन सबके हाथ काटना मुमकिन ल लता है क्या सबको एक-एक करके बुलाया गया कि आओ यह दिन इतने मजदूर के हाथ काटेंगे और उस दिन इतने मजदूर के हाथ काटेंगे अगर ऐसा होता तो जैसे ही हाथ कटने शुरू होते तो बहुत से मजदूर भाग खड़े होते और हिस्टोरिकल देखा जाए तो इस चीज का जीरो एविडेंस है नंबर 18 कुतुब मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है लेकिन शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि ताज महल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है ताजमहल 73 मीटर ऊंचा है जबकि
कुतुब नार की ऊंचाई 72.5 मीटर है नंबर 17 ताज महल के साथ में उसके 22 कमरों का रहस्य भी जुड़ा हुआ है जिसके बारे में लोगों का कहना है कि उन 22 कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बंद हैं दरअसल दोस्तों जब ये अफवाह ज्यादा फैलने लगी और कुछ मीडिया वालों ने सोशल मीडिया पर डिबेट को जबरदस्ती जारी रखा जिसके चलते एएसआई के सोर्सेस ने इंडियन एक्सप्रेस को बता दिया कि जो 22 रूम्स हैं असल में यह रूम्स नहीं है बल्कि की या एक लंबा सा कॉरिडोर है जिस पर दरवाजे लगाए गए हैं और
ऐसा भी नहीं है कि इन बंद दरवाजों को सदियों से खोला ना गया हो एएसआई के स्टाफ के अकॉर्डिंग हर एक से दो हफ्ते में इन बंद दरवाजों को खोलकर अंदर की सफाई की जाती है इन सबके बावजूद प्रोपेगेंडा थमने का नाम नहीं ले रहा था जिसके बाद आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इन बंद कमरों के अंदर की फोटोज पब्लिकली दिखा दी यह देख लो इन कमरे के अंदर का नजारा कुछ ऐसा दिखता है आगरा के चीफ आके पटेल ने इंडिया टुडे को बताया कि यह पिक्चर्स अब एएसआई की वेबसाइट पर लाइव आपको मिल जाएंगी
और कोई भी इन पिक्चर्स को देख सकता है उनकी वेबसाइट पर जाकर नंबर 16 दोस्तों बिना सीमेंट के आखिर इतना बड़ा मॉन्यूमेंट खड़ा कैसे हो गया जबकि सीमेंट का आविष्कार 1824 में एबदन नाम के एक इंटेलिजेंट इंसान ने किया था जो कि इंग्लैंड में रहते थे और इन्होंने ही दुनिया का सबसे पहला सीमेंट कंपनी बनाया था जिसका नाम था पोर्टलैंड सीमेंट और ताजमहल का कंस्ट्रक्शन 1631 में शुरू हुआ और 1648 में जाकर पूरा भी हो गया लेकिन बिना सीमेंट के ही यह खड़ा हो चुका था जिससे आज तक एक भी खरूज नहीं आई दरअसल सीमेंट
के इन्वेंशन से पहले कंस्ट्रक्शन के लिए खास तरह का पेस्ट इस्तेमाल किया जाता था और ताज महल को बनाने में जो सीक्रेट पेस्ट का इस्तेमाल होता था उसमें गुण बतासा बेलगी का पानी जैसी और भी बहुत सारी चीजों को डाल कर पेस्ट बनाया जाता था नंबर 15 ताजमहल का निर्माण 1631 में शुरू हुआ था और 1633 में लगभग 22 साल तक 20000 मजदूरों की खड़ी मेहनत के बाद इस खूबसूरत नायाब इमारत को तराश कर बनाया गया था ताजमहल के निर्माण के लिए हर चीज को हीरे की तरह परख कर चुना गया था ताजमहल की दीवारों
पर जो नक्काशी है इसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गई थी उज्बेकिस्तान के बुखारा से संगे मरम को तराशने वाले कारीगर बुलाए गए थे ईरान से संगे मरमर पर कैलीग्राफी करने वाले कारीगर आए थे और पत्थरों को तराशने के लिए बलूचिस्तान से कारीगरों को बुलाया गया था नंबर 14 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने ताजमहल को काफी नुकसान पहुंचाया उन्होंने लेपिस लेजली जैसी कई बेशकीमती रत्नों को ताजमहल की दीवारों से खूद करर निकाल दिया था नंबर 13 दोस्तों ताजमहल के मुख्य गुंबद का जो कल किसी जमाने में वह सोने का हुआ करता था
लेकिन 19वीं सदी की शुरुआत में सोने के कलश को बदलकर कांसे का कलश लगा दिया गया नंबर 12 दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि ताज महल को किसने डिजाइन किया था लेकिन यह कहा जाता है कि 37 लोगों की एक टीम ने मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था और यह 37 वास्तुकार दुनिया के दूर-दूर के कोने से बुलाए गए थे नंबर 11 1653 में जब ताज बनकर तैयार हुआ था उस समय इसके निर्माण की कीमत करोड़ों में बताई गई थी उसी हिसाब से अगर आज ताज बनवाया जाए तो इसे बनाने में
कम से कम 57 अरब 60 करोड़ लगेंगे नंबर 10 दोस्तों ताज महल को जितना दूर से देखते हैं यह हमें उतना बड़ा दिखाई देता है लेकिन जैसे-जैसे हम इसके करीब जाते हैं यह इमारत छोटी होती जाती है और ताजमहल दिन में चार बार रंग बदलता है जैसे अगर आप इसे सुबह 4 बजे देखेंगे तो यह काला दिखेगा सुबह तारों की रोशनी में यह गुलाबी दिखेगा दिन में इसका रंग दूधिया हो जाता है और पूनम की रात को ताजमहल सुनहरा दिखाई देता है लेकिन इसका रहस्य आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है नंबर नाइन ताज
महल में खुफिया दरवाजा भी है जो यमुना नदी में खुलता है लेकिन किसी को इसका नहीं पता दरअसल इस दरवाजे का इस्तेमाल शाहजहां अपने महल से ताजमहल में जाने के लिए करते थे जैसे उनकी मौत के बाद बंद कर दिया गया नंबर आठ ताज महल को बनाने के लिए सफेद संग मरमर राजस्थान के मकराना से लाए गए थे जड और क्रिस्टल चाइना से मंगाए गए थे लपस लेजली अफगानिस्तान से आया था और कार्नेलियन अरब से आया था कुल मिलाकर ऐसे ही 28 किस्म के बेशकीमती रत्नों को दुनिया भर के अलग-अलग देशों से मंगवा करर सफेद
संग मरमर में जड़ा गया था इन सब चीजों को विदेश से आगरा लाने के लिए 1000 से भी ज्यादा हाथे इस्तेमाल किए गए थे नंबर सात ताज महल को वास्तव में शाहजहां ने बनवाया है इसके पीछे भी काफी सारी थरी बताई जाती हैं जैसे कि कुछ लोगों का मानना है कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर हुआ करता था जिसका नाम तेजो महालय था दरअसल दोस्तों 1989 में एक भारतीय लेखक पीएन ओक ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम था ताज महल द ट्रू स्टोरी इस किताब में उन्होंने कई तर्कों के साथ यह दावा किया
था कि ताजमहल मकबरा बनने से पहले एक शिव मंदिर था और इसका नाम तेजो महालय था सन 2000 में पीएन ओक ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ताज की साइट खोदने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक ताज महल कभी एक शिव मंदिर था इस बात का कोई सबूत नहीं है बल्कि शाहजहां ने ताज को बनवाया था इसके सबूत इतिहास के पन्नों में मिलते हैं नंबर छह कई देशों में ताज महल की नकल पर बनी इमारतें मौजूद हैं जैसे
चीन बांग्लादेश कोलंबिया और ऐसी ही एक और इमारत भारत में भी मौजूद है जिसका नाम बीवी का मकबरा है यह इमारत महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है और इसे मुगल बादशाह आजम शाह ने अपनी मां दिलरस बानो बेगम की याद में 17वीं सदी के आखिर में बनवाया था इसे ताज महल की तर्ज पर बनवाया गया था इस मकबरे का गुंबद ताज महल की गुंबद से छोटा है और इसका सिर्फ गुंबद ही संग मरमर का है बाकी निर्माण प्लास्टर से किया गया है नंबर पांच एक कहानी फेमस है कि शाहजहां यमुना नदी के दूसरे तरफ काले संगमरमर
से ऐसा ही एक और काला ताज महल बनवाना चाहते थे कहा जाता है कि शाहजहां मुमताज की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनाना चाहते थे लेकिन इससे पहले कि वह काला ताजमहल बनवा पाएं औरंगजेब ने उनको कैद खाने में डलवा दिया लेकिन इतिहासकार कहते हैं कि यह बाद में बनाई गई मनगढ़ंत कहानियां हैं जिस जगह शाहजहां के काले ताजमहल बनाने की बात की जाती है वहां कई बार खुदाई की जा चुकी है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह पता चले कि शाहजहां काला ताज महल बनवाना चाहते थे नंबर चार ताजमहल की सबसे
ज्यादा पॉपुलर इसके कंस्ट्रक्शन से जुड़ी अद्भुत प्रेम कहानी की वजह से है शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में इस इमारत को बनवाया था मुमताज का असली नाम अर्जुन मंद बानो बेगम था शाहजहां ने उन्हें मुमताज महल नाम दिया यानी महल का सबसे अनमोल रत्न महज 38 साल की उम्र में अपनी 14वीं संतान को जन्म देते वक्त मुमताज की मौत हो गई उस वक्त वोह बहारंपोर में थी अपनी बेगम की मौत से बादशाह बेहद दुखी हुई जैसे कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई और आखिर में उनकी याद में शाहजहां ने ताज को बनवाने
का फरमान जारी किया नंबर थ्री पहले मुमताज को बहारंपोर में ही दफनाया गया इसके बाद शाहजहां ने ताज को बनवाना शुरू किया उसके बाद बहारंपोर से ममताज की डेड बॉडी को निकालकर जहां ताज महल बन रहा था उसके पास एक गार्डन में दफनाया गया ताज महल को तैयार होने में 22 साल लगे जब तक मुमताज की डेड बॉडी गार्डन में बनाई गई कब्र में ही दफन रही बाद में उसे ताज महल के अंदर मुख्य गुंबद के नीचे दफनाया गया नंबर दो जिस वक्त शाहजहां बादशाह बने वह मुगल सल्तनत का सबसे सुनहरा दौर था या यूं
कहें शाहजहां का जमाना मुगल हुकूमत के पसंद जैसा था चारों तरफ अमन और खुशहाली थी प्रजा के लिए बादशाह का हुक्म ही सबसे ऊंचा होता था शाहजहां की बादशाहत में लड़ाइयां नहीं होती थी वो जबरदस्त शानो सौकत ऐशो इसरत का दौर था बादशाह को बड़ी-बड़ी इमारतें बनवाने का शौक था उन्होंने मुगल वास्तुकला के साथ भारत के प्राचीन इतिहास को मिला दिया था नंबर एक शाहजहां जानते थे कि यह दौलत यह ताकत ये शानों शौकत एक दिन सब खत्म हो जाएगा उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसी यादगार चीज बनाई जाए जो हमेशा रहे और शाहजहां ने अपनी
पत्नी की याद में ताज को बनवाया आज बादशाह ही नहीं रहे उनकी हुकूमत नहीं रही और उनकी सल्तनत को भी खत्म हुए कई जमाने गुजर गए बस एक ताज है जिसने बादशाह की सदियों पुरानी प्रेम कहानी को खुद में संजोए रखा है प्रकृति की गोद में चांद स जगमगाती यह भव्य इमारत सदियों से दो प्रेमियों के प्यार की अमर कहानी सुनाती आई है और सदियों तक सुनाती रहेगी दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आज की यह वीडियो आपको जरूर पसंद आई होगी साथ ही आप किस शहर में रहते हो और क्या आपने ताजमहल देखा है हमें
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