नमस्कार दोस्तों आज की वीडियो आधारित है मूलाधार चक्र को जागृत करने पर क्या किसी भी कार्य को करने से पहले आप अक्सर आलस्य महसूस करते हैं क्या आप अक्सर तनाव या चिंता के जाल में खुद को फंसा हुआ पाते हैं क्या आप भावनात्मक रूप से बहुत संवेदनशील हैं और अक्सर आपको अलग-अलग प्रकार के डर सताते हैं अगर आपको पाचन संबंधी समस्याएं रहती हैं जोड़ों का दर्द रहता है बहुत नींद आती है और अक्सर सुस्ती महसूस होती है इसके साथ ही अगर आप बार-बार नकारात्मक विचारों से परेशान हो जाते हैं तो संभव है कि आपका मूलाधार
चक्र निष्क्रिय हो चुका है दोस्तों मूलाधार चक्र के निष्क्रिय हो जाने से हमारे जीवन का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ने लगता है आज के वीडियो में हम जानेंगे कि आखिर मूलाधार चक्र क्या होता है कहां स्थित होता है और इसे सक्रिय कैसे किया जाता है हमारा शरीर शरीर पांच तत्त्वों से मिलकर बना है यह तत्व है आकाश वायु अग्नि जल और पृथ्वी इन पांचों तत्त्वों को पंचमहाभूत भी कहा जाता है और इन्हीं से संपूर्ण सृष्टि के प्रत्येक पदार्थ का निर्माण होता है हमारा मूलाधार चक्र पृथ्वी तत्व पर आधारित है आइए पहले समझते हैं कि यह
कहां स्थित होता है और इसके बाद हम जानेंगे कि इसे किस प्रकार सक्रिय किया जाता है दोस्तों हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं जिन्हें अंग्रेजी में एनर्जी सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है इन्हीं सात चक्रों से हमारे शरीर के पांचों तत्व संतुलन में रहते हैं और इन्हीं में सबसे पहला चक्र है मूलाधार चक्र जिसे रूट चक्र भी कहा जाता है यह हमारे शरीर के आधार में स्थित होता है जहां हमारी रीढ़ की हड्डी खत्म होती है और गुदा और जननांगों के बीच में जो स्थान पाया जाता है उसी केंद्र में मूलाधार चक्र
का स्थान होता है यही एकमात्र ऐसा चक्र है जो इस भौतिक दुनिया और हमारे सभी ऊर्जा तंत्रों के बीच एक कड़ी की भूमिका निभाता है अगर मूलाधार चक्र की ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है और हमारे शरीर में प्रवाहित नहीं हो पाती है तो हम इस भौतिक दुनिया में सिमट कर रह जाते हैं और इस दुनिया से परे जो अध्यात्म है जो चेतना है जो समझ है वहां तक कभी पहुंच ही नहीं बातें जब यह चक्र संतुलित हो जाता है तो हम पृथ्वी तत्व से जुड़ जाते हैं यानी जमीन से जुड़ जाते हैं हम स्थिर हो
जाते हैं हम निडर बन जाते हैं हमारे भीतर से हर प्रकार के नकारात्मक विचार और भावनाएं निकल जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है हमारे भीतर प्रेम और सादगी की भावनाओं का प्रवाह होने लगता है और हमारा स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा रहने लगता है हमारे जीवन में एक संतुलन होता है और सभी प्रकार के संबंधों में मिठास होती है हमारा आलस्य जाने लगता है और दिन प्रतिदिन हम अपने कार्य के प्रति अपने लक्ष्य को हासिल करने के प्रति केंद्रित और ऊर्जावान रहते हैं इस चक्र की सबसे बड़ी विशेषता है जड़ता इसका मतलब है
कि अगर व्यक्ति का मूलाधार चक्र जागृत नहीं होता या किसी कारण वश निष्क्रिय हो जाता है है तो उस व्यक्ति में जड़ता आ जाती है इस जड़ता के आने से व्यक्ति में अहंकार जलन गुस्सा आलस्य और अनेक प्रकार की नकारात्मक भावनाएं घर करने लगती हैं ऐसे में व्यक्ति केवल और केवल अपने बारे में ही सोचता है और दूसरे का अहित करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता प्रेम और दया की भावनाएं नष्ट हो जाती हैं और वह व्यक्ति पूरी तरह से भौतिकता वादी संस्कृति में खुद को झोंक देता है भौतिकता वादी संस्कृति क्या है
यही दिखावा झूठ स्वार्थ फरेब और लालच दोस्तों इस चक्र को जागृत करने के तरीके को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि वह कौन से कारण है जिनसे यह निष्क्रिय हो जाता है अर्थात ब्लॉक हो जाता है अब एक व्यक्ति जिसे सुबह काम पर जाना है और रात को घर आना है उसके पास ना तो ध्यान करने का समय है और ना ही सकारा विचारों पर चिंतन करने का वह सुबह एक टिफिन लेकर जाता है और साथ में एक बोतल पानी उस व्यक्ति का पूरा दिन उसी भोजन और पानी पर आश्रित रहता है काम
से घर आने के बाद भी वह व्यक्ति इतना थक जाता है कि उसे किसी अन्य कार्य में कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती यही बात विद्यार्थियों पर भी लागू होती है वह सुबह स्कूल या कॉलेज चले जाते हैं उनका आधे से अधिक समय वहीं बीतता है और फिर घर आकर वो स्कूल या कॉलेज के बचे हुए काम में ही फंसे रह जाते हैं और जो फिर थोड़ा बहुत समय बचता है उसमें स्मार्टफोन देखने लगते हैं आजकल के अनाज में न जाने कितने प्रकार के रसायनों की मिलावट की जाती है इससे हमारा शरीर अंदर से खोखला होता
जा रहा है साथ ही हमारे सभी चक्रों को भी यह निष्क्रिय करता जा रहा है हमारा वातावरण खराब हो रहा है सोशल मीडिया की दुनिया ने हमारे मन मस्तिष्क को इतना दूषित कर दिया है कि हमें पता भी नहीं चल रहा कि किस तरह हम खुद ही खुद के दुश्मन बन बैठे हैं अलग-अलग प्रकार के तनाव और चिंता ने हमारे जीवन की बुनियाद को इतना कमजोर कर दिया है कि आज हमें इसी बुनियाद को मजबूत करने के लिए इस वीडियो को देखना पड़ रहा है यही बुनियाद है मूलाधार चक्र दोस्तों मैं आपको इस बुनियाद को
सक्रिय करने का तरीका तो बता दूंगी लेकिन आपको दिन के किसी भी समय इस तरीके को करने का समय तो निकालना पड़ेगा दोस्तों अगर यह वीडियो आप तक पहुंची है और आप अभी इसे देख रहे हैं तो यह नियती खुद चाहती है कि आप अपने जीवन की बुनियाद को मजबूत करें अपने मूलाधार चक्र को सक्रिय करें यही मूल है यही आधार है यही आरंभ है और यही अंत है अगर दिन के किसी भी समय आप 10 से 20 मिनट निकालकर इस चक्र को जागृत करने का अभ्यास कर पाए तो विश्वास कीजिए अगले 30 दिनों में
आपके जीवन का एक नया जन्म होगा आप निडर आत्मविश्वास सही और गलत का फर्क आध्यात्मिक और सकारात्मक चेतना से भरपूर भावनाओं से भरे होंगे मेरे जिन दोस्तों को हमारे चक्र सिस्टम पर विश्वास नहीं उन्हें मैं बता दूं कि इसे ऋषियों द्वारा ना केवल हजारों वर्षों की तपस्या के बाद प्राप्त किया गया था बल्कि वर्तमान समय में विज्ञान ने जब इस पर रिसर्च की तो यह पाया कि हमारे सात चक्र पूरे शरीर में मौजूद तंत्रिकाओं और ग्रंथियों से अलाइड होते हैं जैसे किसी इमारत की बुनियाद सबसे महत्त्वपूर्ण होती है उसी तरह मूलाधार सबसे महत्त्वपूर्ण चक्र है
जब हम इससे शुरुआत करते हैं इस पर ध्यान देते हैं तो हमारे शरीर के अन्य चक्र अपने आप संतुलित होने लगते हैं आइए अब जानते हैं कि इसे कैसे जागृत कर सकते हैं दोस्तों हमारे शरीर के सातों चक्रों को जागृत करने के लिए हमारे ऋषियों ने बीज मंत्रों की खोज की थी हर चक्र का एक अलग बीज मंत्र है मूलाधार चक्र का बीज मंत्र है लंब और हर चक्र का एक चिन्ह भी होता है मूलाधार चक्र का चिन्ह है चार पंखुड़ियों वाला लाल रंग का कमल हर पंखुड़ी एक अलग भावना का प्रतिनिधित्व करती है मन
बुद्धि अहंकार और चित्त का प्रतिनिधित्व करने वाले चार पंखुड़ियों वाले कमल से व्यक्ति को इन चारों भावनाओं के प्रति चेतना जागृत होने लगती है इन भावनाओं के प्रति एक गहन समझ और बोध प्राप्त होने लगता है मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं आपकी रीढ़ सीधी होनी चाहिए आप सुखासन में भी बैठ सकते हैं आंख बंद करें अपने मन को हर प्रकार के विचार से खाली कर दें एक गहरी सांस अंदर भरें और छोड़ते हुए मूलाधार चक्र को जागृत करने वाले बीज मंत्र की ध्वनि लम का उच्चारण करें
इसका उच्चारण ऐसे ही नहीं बल्कि इस मंत्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसकी ध्वनि को महसूस करते हुए करना है जैसे लम [प्रशंसा] लम [संगीत] लम जीभ को तालू से लगाकर ल वर्ण का उच्चारण और दोनों होठों को मिलाकर म वर्ण का उच्चारण लंबे समय तक करना है इस बीज मंत्र का उच्चारण करते समय अपनी पूरी चेतना अपना पूरा ध्यान केवल मूलाधार चक्र पर केंद्रित रखें मूलाधार चक्र के केंद्र पर चार पंखुड़ियों वाले लाल कमल की कल्पना करते हुए उनके खुलने और बंद होने की कल्पना करें चार पंखुड़ियों वाले कमल के विस्तार और संकुचन से
इनमें निहित भावनाओं के प्रति चेतना विकसित होने लगती है लाल रंग पृथ्वी त तत्व का प्रतीक है जो हमारे अस्तित्व और आत्म संरक्षण की भावनाओं को मजबूत करता है दोस्तों आप सुबह मेडिटेशन करने के बाद भी इस क्रिया को कर सकते हैं और यदि शाम को आपको समय मिलता है तो आप तब भी कर सकते हैं बस आपको यह ध्यान रखना है कि आपका पेट खाली होना चाहिए बेहतर अनुभव के लिए आप गाइडेड मेडिटेशन का सहारा भी ले सकते हैं डिश मिल जाएंगे जिनमें मूलाधार चक्र को जागृत करने के प्रति मार्ग दर्शित किया जाता है
[संगीत] अरमेचर्स में प्रयुक्त हुए सकारात्मक वाक्य आपके मूलाधार चक्र को जागृत करने में सहायक हैं इनमें कुछ वाक्य हो सकते हैं जैसे हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं हम अपनी जमीन से जुड़े हुए हैं हमारी जड़ें बहुत गहरी हैं और हमें शांति मिल रही है हम निडर और आत्म विश्वासी हैं हमें स्वयं से प्रेम है हम हर प्रकार की संभावनाओं के लिए खुले हैं यह धरती हमें एक सुरक्षित वातावरण देती है हम इस धरती के प्रति कृतज्ञ है हमारे जीवन में प्रचुरता है हम अपने शरीर से प्यार करते हैं हमें यह विश्वास है कि हम
अपनी मूलाधार चक्र को जागृत कर लेंगे और इसमें यह ब्रह्मांड हमारा समर्थन करेगा आइए दोस्तों अपने मूलाधार चक्र को जागृत करें अपने जीवन की बुनियाद मजबूत करें मैं आशा करती हूं इस वीडियो ने मूलाधार चक्र के प्रति आप में जागरूकता लाई होगी आप अपने सवाल कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं सातों चक्रों को जागृत करने का गाइडेड मेडिटेशन भी हमारे चैनल पर उपलब्ध है आप चाहे तो डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिए गए लिंक से उस वीडियो को देख सकते हैं इस वीडियो को लाइक कर अपनी सराहना हम तक जरूर भेजिएगा वीडियो को अंत तक देखने के
लिए आपका बहुत धन्यवाद नमस्कार