अजय को मैं इस वक्त आप आराम से बैठकर इस वीडियो को देख रही है मगर मैं आपको कहुं आज जिस जगह पर आप अभी बैठे हो वह जमींदार से करोड़ों साल पहले साढ़े आठ हजार डिग्री के तापमान से उबर रही थी या जिस जगह पर आप बैठे हैं वह लाखों सालों तक बर्फ से ढकी हुई थी यह दोनों बातें सच हैं इस 15 मिनट की वीडियो के अंदर आप अ पृथ्वी के 450 करोड़ साल के सफर को देखने वाले हैं कि जिस जगह आज हमारा सौरमंडल है वह विभिन्न प्रकार की गैस और धूल के बादल
हुआ करते थे वैज्ञानिकों के मुताबिक है इधर धूल के बादलों से दूर एक तारा हुआ करता था वक्त के साथ-साथ उसे तारे की ऊर्जा कम होने लगी जिसके कारण उसके अंदर एक विशाल विस्फोट हुआ विस्फोट की वजह से अंतरिक्ष की धूल एक दूसरे से दबाने लगी इस दौरान बादलों में स्थित धूल के कण दबाव और गर्मी के कारण बड़े उल्का पिंड और पत्रों में परिवर्तित हो चुके थे और इसी दबाव की वजह से इन बादलों में स्थित रेडियोएक्टिव पदार्थ नहीं ग्रैविटी का निर्माण किया इस ग्रैविटी के कारण बीच में हायड्रोजन और हिलीयम इकट्ठा होने लगे
बीच यौवन का दबाव के कारण एक विशाल विस्फोट हुआ और इस विस्फोट के कारण हमारे सूरज का जन्म हुआ था कि अंतरिक्ष में फैले स्ट्रैट यानि क्षुद्र ग्रहों में भारी वजन की वजह से सूरज के करीब आकर सूरज की प्रतिमा करने लगे हैं MP3 लास्ट में फल टकराव हुआ जिसके फल स्वरूप मर्करी विनस अर्थ और मांस जैसे ग्रहों का निर्माण हुआ था वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त पृथ्वी और मां से यानी मंगल ग्रह के बीच दिया नाम अधिग्रहण सूरज की प्रतिमा किया करता था पृथ्वी पर ग्रैविटी होने की वजह से सूरज की प्रतिमा करने वाले
ऐड अब पृथ्वी की प्रतिमा करने लगे और धीरे-धीरे करोड़ों सालों तक यह पृथ्वी पर गिरते रहे और ऐसी घटना हमारे पड़ोसी ग्रह थी यहां पर भी हो रही कि जिसके कारण थी पृथ्वी के और करीब आने लगा और आकर्षित करता आया है कि इस भयंकर टकराव की वजह से पृथ्वी के हिस्से कणों के रूप में अंतरिक्ष में फैल गए और एक रिंग की तारा पृथ्वी की प्रतिमा करने लगे इन्हीं परिक्रमा करते हुए कणों में टकराव होने लगा जिसके कारण हमारे चांद का निर्माण हुआ था कि उस वक्त पृथ्वी पर सिर्फ एक ही समुद्र हुआ करता
था और वह था 1958 ग्रेट सेल्सियस की तापमान पर उबलते हुए दावेदार उबर रही थी वह सारी चीजें जिसे आज आप अलग-अलग नाम से जानते हैं वक्त के साथ साथ पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी हो रही थी जिसके कारण बिक्री के भारी तत्व जैसे धातु और रेडियो एक्टिव पदार्थ पृथ्वी के केंद्र में जाकर इकट्ठा हो गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर आ गए लाखों सालों तक पृथ्वी पर उग कपड़ों की बरसात हुई और इन गिरते हुए उल्का पिंडों में जमा था नमक मिनरल्स और पानी करोड़ों सालों तक अपने उनका बिलों की बरसात होती रही और
धीरे-धीरे पृथ्वी की ऊपरी सतह पानी से ठंडी लगी वैज्ञानिकों के मुताबिक यही वह वक्त था जब दूर गहरे पानी के अंदर निकलते ज्वालामुखियों से पहली बार सूक्ष्म जीवों का निर्माण हुआ लाखों सालों बाद एक वक्त ऐसा आया जब पृथ्वी की ऊपरी सतह पानी से थक चुकी थी कि और हमारी पृथ्वी के सबसे अंदर का कोर रेडियोएक्टिव पदार्थ से बने होने की वजह से हरदम गर्म होता रहता है लेकिन जब भी पृथ्वी की ऑफिस जमीन ठंडी हो जाती है तब पृथ्वी के अंदर की गर्मी को बाहर नही निकल पाती जिसके कारण ज्वालामुखियों का निर्माण होता है
और उस वक्त कुछ ऐसा ही हुआ पानी से ढकी हुई पृथ्वी पर हजारों की तादात में ज्वालामुखी भी करने लगे हैं है और आने वाले लाखों सालों तक इन ज्वालामुखियों का निकलना जारी रहा जिससे पानी के ऊपर इस जमीन का निर्माण हो रहा था इस वक्त भी पृथ्वी पर वातावरण ना होने की वजह से अंतरिक्ष से उल्कापिंडों की बरसात हो रही थी कि ऑल से लगभग 300 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर ऐसा वक्त आया जब पृथ्वी का वातावरण लगभग स्थिर होने लगा था ज्वालामुखी निकलने धीरे हो गए थे और पृथ्वी का एक दिन अ बार
हाथ घंटे का हुआ करता था इस साल बीतते गए और धीरे-धीरे की सूक्ष्म जीव रखी विकसित होते गए और समूह में रहने लगी आज से लगभग 250 करोड़ साल पहले पहली बार पृथ्वी पर ऐसे जीवों का निर्माण हुआ था तो जीने के लिए यह पानी के अंदर के मिनरल्स यानि खनिज पदार्थ है और धूप का इस्तेमाल करते थे और मल त्याग के रूप में ऑक्सीजन बाहर निकालते थे इस वक्त तक पृथ्वी पर ज्यादातर ज्वालामुखी निकलने बंद हो चुके थे और इन माइक्रोबैक्टीरिया की वजह से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही थी वातावरण में ऑक्सीजन
पड़ने की वजह से पृथ्वी का वायुमंडल बनना शुरू हुआ और आने वाले हजारों सालों तक वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती रही जिसकी वजह से पृथ्वी के ज्यादातर हिस्सों में यह सोच मिर्ची वो फैल गए हजारों सालों बाद एक वक्त ऐसा आया जब पृथ्वी में ज्यादा ऑक्सीजन पड़ने के कारण यह सोच में जीवन-मरन शुरू हो गए उस वक्त तक पृथ्वी का वातावरण ठंडा होने के साथ-साथ भजन से भी भर चुका साथ जिसके कारण जमीन और वातावरण में स्थित आयरन यानि लोहे के मिनरल्स पानी में स्थित ऑप्शन से व्यक्ति होने लगे और एक वक्त ऐसा आया
जब पृथ्वी की जमीन है आज के मांस के जैसे लाल हो चुकी थी वक्त बीतने के साथ-साथ धरती कि टेक्टोनिक प्लेट में दरार होने लगी जिसके कारण पृथ्वी के अंदर का अलावा जमीन की तरह कई लाखों सालों तक खुला उबल तरह और यही वह कारण था जिसके कारण पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गई और पृथ्वी पर एसिड की वर्षा शुरू हो गई हु इस विन की वजह से पृथ्वी का तापमान घटने लगा और तापमान कितना घंटा कि पृथ्वी के ऊपर स्थित पानी बर्फ में परिवर्तित होने लगा पृथ्वी पर पहली बार
भयंकर आई से हराया इस वक्त पूरी पृथ्वी की सफ़ेद बर्फ से ढक चुकी थी अ है आमतौर पर जब धरती पर सूरज की किरणें गिरती हैं तब ज़मीन उन किरणों को सोख लेती है मगर क्योंकि पूरी पृथ्वी वर्ग से ढूंढ चुकी थी और क्योंकि बर्फ सफेद और चमकीली होती है जिसके कारण सूरज की किरणें धरती पर गिरने के बाद वापस चली जाती थी इसी कारण से पृथ्वी कई लाखों सालों तक बर्फ से ढकी हुई मगर फिर से पृथ्वी के अंदर स्थित गर्मी ज्वालामुखी के रूप में निकलना शुरू हो गई और ज्वालामुखियों से निकलने वाली गर्मी
नहीं पर को फैलाना शुरू कर दिया है किसी वीडियो पृथ्वी की गहराई में बच्चे कुछ सूक्ष्मजीव धीरे-धीरे बदल रहे थे और अब वह ऑफ सीजन को अपने शरीर को बड़ा और जटिल बनाने के लिए इस्तेमाल करने लगे थे इस बीच पानी में अलग से भी छोटे समुद्री पौधे निकलने शुरू हो चुके थे वह जैसे-जैसे ज्वालामुखी निकल रहे थे वैसे वैसे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से गर्म हो रहा था वक्त के साथ-साथ बर्फ पिघलने लगी मगर धरती पर फिर से एसिड की वर्षा शुरू हो गई जिसके कारण फिर पृथ्वी ठंडी होने लगी और फिर
पृथ्वी की ज्यादातर तथा बर्फ से ढक गई ऐसा बार-बार कई हजारों सालों तक होता रहा और इसी कारण से अब समुद्री जीव धीरे-धीरे वातावरण के हिसाब से विकसित हो रहे थे इस बीच कई सारे जीव और समुद्री जंगल्स विलुप्त हो गए मगर जो बच गए वह धीरे-धीरे पृथ्वी के बदलते तापमान के हिसाब से ढालते गए और हजारों सालों बाद समुद्री पेड़ पर की वजह से पूरी तरह से मरते या सूखे नहीं थे अब सूक्ष्मजीव समुद्री लुट चुके थे कि कि जब फिर से ज्वालामुखियों में पृथ्वी की बर्फ को पिघलाने शुरू किया तब यह समुद्री पेड़
जल्दी विकसित होकर फैल गए धीरे-धीरे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी और पृथ्वी पर होने वाली एसिडिटी वर्ष बाद कम होने लगी वातावरण में ऑक्सीजन आने की वजह से पृथ्वी की ओजोन लेयर मोटी होने लगी और आज से लगभग 47 करोड़ साल पहले पृथ्वी की ऊपरी सतह पर पहली बार बॉस नामक प्लांट उठना शुरू हुआ वक्त के साथ-साथ जमीन पर अलग-अलग प्रकार के पौधे और पेड़ उठना शुरू हुए एक वक्त ऐसा आया जब ज़मीन के पेड़ों की लंबाई लगभग 80 से 100 फीट जितनी या आज के पांच से छह मंजिला बिल्डिंग जितनी ऊंची हो
चुकी थी यह वह वक्त था जब समुद्री जानवर समुद्र से बाहर निकल रहे थे तो कि पुलिस जमीनी जानवरों में परिवर्तित हो रहे थे कि गति की ज़्यादातर जमीन एक जगह इकट्ठी हो चुकी थी जिसे आज हम पेंजिया महाद्वीप के नाम से जानते हैं पृथ्वी का वातावरण और तापमान लगभग स्थिर हो चुका था और अब करीब 21 से 23 घंटे का दिन हुआ करता था अब समुद्री जीव पानी से बाहर रहने लगे थे और वातावरण के हिसाब से उनके शरीर का रंग रूप बदल रहा था धीरे-धीरे ही जमीनी जानवर है डायनोसोर में परिवर्तित हो गए
जिलाधीश ने पेड़-पौधे दिखाने शुरू कर दिए उनका शरीर लंबा और विशाल रूप से विकसित होने लगा उस गणेश शिकार किया करते थे इसके कारण वे छोटे और तेज होते चले गए थे कि पृथ्वी की ऊपरी जमीन एक जगह इकट्ठी होने के कारण ज्यादातर जमीन रेगिस्तान और बंजर हो चुकी थी ज्यादातर जंगल समुद्र के करीब हुआ करते थे जिसमें जानवर सोर्स रहा करते थे है और से लगभग 20 करोड़ साल पहले पेंजिया महत्वपूर्ण टूटना शुरू हो गया पेंजिया के विभाजित होने की वजह से पृथ्वी की ज़्यादातर पूरी जमीन पानी के संपर्क में आने लगी जिसके फल
स्वरूप को पृथ्वी पर हरियाली पड़ती गई जिस वजह से चैनल सोर्स और ज्यादा विभिन्न और विशाल होते चले गए हों सोर्स ने आने वाली लगभग दो पीस से 30 करोड़ सालों तक पृथ्वी पर राज किया कि उस वक्त जॉन ओर से समुद्र से लेकर जमीन और आसमान तक पूरी पृथ्वी पर राज किया करते थे कि इस दौरान अफ्रीका के टूटा भारत दौरा कर आज के तिब्बत से टकराया और इस चक्रवात की वजह से यह हिमालय का निर्माण हुआ था 25 लगभग साढे छह करोड़ साल पहले पृथ्वी की तरफ आज के माउंट एवरेस्ट से भी बड़ा
लगभग 4.5 लाख करोड़ कि लोग भजनियां उल्का पिंड लगभग 80,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से पृथ्वी की तरफ आ रहा था पृथ्वी की सतह को छूते ही उसमें भयंकर आग लगी और वह जलते हुए सीधा पृथ्वी से टकराया इस टकराव से निकलने वाली ऊर्जा आज के 10 करोड़ परमाणु बम एक साथ फटने के बराबर थी जहां यह उल्कापिंड की रात वहां के जानवर और पेड़ तुरंत भाप बनकर चल गए के गिरते ही पृथ्वी पर पूरी तरह धूल फैलने लगी समुद्र में भयंकर बाढ़ आने लगी कि भूकंप और आधुनिक पृथ्वी को चलाना शुरु कर दिया है
कि कुछ ही घंटों में पूरी पृथ्वी के वातावरण में हानिकारक गैस और धूल की वजह से पृथ्वी नर्क हो चुकी थी दोनों सोर्स भूतहा गांव और भूखमरी से पूरी तरह विलुप्त हो गए हैं मैं इस वक्त हमारे पूर्वज जमीन के अंदर रहा करते थे जिसके कारण वह इस विशाल प्रलय से बच गए पृथ्वी का वातावरण पूरी तरह से काला और अंधेरा हो चुका था जिससे धूप भी जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी पृथ्वी के पेड़ और ज्यादातर जानवर विलुप्त हो गए वातावरण में धूल और हानिकारक गैस के कारण पृथ्वी पर फिर से इज इट
की वर्षा शुरू हो गई और फिर पृथ्वी ठंडी होकर बर्फ से ढक गई लेकिन इस बार पृथ्वी की बर्फ में लाखों सालों तक नहीं जम रही और अस्सी से नब्बे हजार साल बाद यह बर्फ पिघलनी शुरू हो गई जैसे ही धरती पर वातावरण फिर से पहले जैसा होने लगा वैसे ही यह छोटे जीव जमीन से बाहर आना शुरू हो गए हैं कि उस वक्त पृथ्वी की बर्फ पिघलनी शुरू हुई थी जिसके कारण अफ्रीका में घिरे ठंडे जंगल हुआ करते थे और इसी बीच यह जमीनी जीव बंदरों में परिवर्तित हुए मगर जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होने लगी
वैसे-वैसे अफ्रीका के लिए जंगल सूखी लगे जंगल की चीज़ें खाने वाले बंदरों को खाने की कमी होने लगी खाने की तलाश में इन बंदरों ने अपने पैरों पर चलना शुरू कर दिया जिससे उन्हें दूसरे जानवरों के शिकार करने में मदद मिलती थी धीरे-धीरे बंदर एप्स यानि वाउचर में परिवर्तित हुए खाने की तलाश में यह एप्स पृथ्वी के दूसरे हिस्सों में फैलने लगे और धीरे-धीरे उनके शरीर का रंग-रूप वहां के मौसम के हिसाब से बदलता गया वर्क के साथ हम आदिवासी बने हमने हथियारों से लेकर आज का आविष्कार किया कि हम अब धीरे-धीरे इंसान के रूप
में विकसित हुए हमने धर्म से लेकर परिवार भाषा और संस्कृति का निर्माण किया और वक्त के साथ हम विकसित होते चले गए और आज हम इस पृथ्वी की सबसे विकसित प्रजाति बन चुके हैं पृथ्वी को आज कि जैसे बनने में लगभग 450 करोड़ साल का वक्त लगा है और हमें एक छोटे जमीन में रहने वाले जानवर से इंसान बनने में कई लाखों सालों का मगर हमने इन मसालों में जितना पृथ्वी को गंदा और तबाह किया है उतना आज तक किसी भी प्रजाति ने नहीं किया होगा अब फिर से धरती को गंदा कर रहे हैं और
कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ा रहे हैं वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर फिर विशाल परिवर्तन होने वाला है भविष्य में पृथ्वी कैसी होगी जानेंगे हमारी अगली वीडियो में [संगीत]