Untold Stories of 1975 EMERGENCY That Were Kept HIDDEN From Us

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Gaurav Thakur
On 12th July 2024, the Indian government declared 25th June as 'Constitution Murder Day.' This day m...
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संविधान हत्या दिवस 12 जुलाई 2024 को इंडियन गवर्नमेंट ने 25th जून को संविधान हत्या दिवस डिक्लेयर कर दिया आखिर ऐसा क्यों वेल भारत के इतिहास में इसे ब्लैक डे इसीलिए बोला जाता है क्योंकि दो सालों तक इंडिया ऑलमोस्ट नॉर्थ कोरिया जैसा बन गया था यस मैं बिल्कुल भी मजाक नहीं कर रहा हूं करीब लाखों लोगों को जबरदस्ती बिना किसी क्राइम के जेल में डाल दिया गया था वहां पर उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया गया एंड माइंड यू अपोजिशन पार्टी के नेताओं से लेकर रॉयल फैमिली के राजा महाराजा भी सलाखों के पीछे थे और यह
सब भी टॉर्चर झेल रहे थे देश असल में एक डिक्टेटरशिप रेजीम बन चुका था इनफैक्ट आज तो बुलडोजर जस्टिस के लिए अपोजिशन करंट गवर्नमेंट को टारगेट करती है क्या आप जानते हो यह टेक्नीक इसी इमरजेंसी के टाइम पर ही एक्चुअल में ओरिजनेट हुई थी इतना ही नहीं माइनॉरिटी के लिए आवाज उठाने वाली कांग्रेस पर इमरजेंसी के टाइम पर मुस्लिम्स का मास पर्सीक्यूशन करने का भी आरोप लगा था कैन यू बिलीव दैट कांग्रेस आज माइनॉरिटी के लिए जानी जाती है बट इमरजेंसी में इसी कांग्रेस ने माइनॉरिटी को सबसे ज्यादा सप्रे किया लेकिन एक मिनट आखिर इमरजेंसी
लगाई क्यों गई थी वेल कुछ इंटेलेक्चुअल्स बताते हैं कि इमरजेंसी लगाना एक नेशनलिस्ट मूव था इनफैक्ट खुद पीएम इंदिरा गांधी ने इसे देश के लिए जरूरी बताया था और आरएसएस तक इसे सपोर्ट कर रही थी वही आरएसएस जो आज बीजेपी को बैक करती है तो क्या इसका मतलब बीजेपी का संविधान हत्या दिवस बस एक पॉलिटिकल टूल एक प्रोपेगेंडा है क्योंकि करेंटली आप देख रहे होंग मोदी जी पर डिक्टेटर बनने के आरोप लग रहे हैं डिक्टेटरशिप क्यों से मोदी इज अ डिक्टेटर डिक्टेटरशिप आ तो कहीं इस इमेज को वाइट वॉश करने का ये नया तरीका तो
नहीं है कि लोगों का ध्यान डिस्ट्रैक्टर दिया जाए कि असली संविधान को किल करने वाले तो कांग्रेस वाले थे मोदी जी थोड़ी ना चलो इस सबके पीछे की रियलिटी क्या है ना इसे हम डिटेल में जानते हैं एक और एक बहुत बड़ा सवाल यहां पर खड़ा होता है इंदिरा गांधी को अक्सर लोग मर्डर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन कहते हैं बट डू यू नो व्हाट फॉर्मर इंडियन पीएम और फाउंडिंग फिगर ऑफ बीजेपी अटल बिहारी वाजपेई जी उन्हें दुर्गा कहकर संबोध करते थे इंदिरा गांधी वाज वन ऑफ द मोस्ट डेकोरेटेड पीएम इंडिया एवर हैड इंडिया के पहले न्यूक्लियर
टेस्ट स्माइलिंग बुद्धा से लेकर सिक्किम जैसे नॉर्थ ईस्ट में स्ट्रेटेजिक स्टेट को इंडिया का इंटीग्रल पार्ट बनाने तक इंदिरा गांधी के बहुत सारे अचीवमेंट्स हैं जो इंडिया आज तक सेलिब्रेट करते आ रहे हैं इवन द फाउंडेशन ऑफ रॉ भी इंदिरा के अंडर ही हुआ था और बांग्लादेश के लिबरेशन को कौन भूल सकता है जब इंदिरा जी ने लिटरली पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे बट फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि इतने सेलिब्रेटेड लीडर को द किलर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन का टैग मिल गया अंत में वेल लेट्स फाइंड दिस ऑल आउट भाइयों और बहनों राष्ट्रपति
जी ने आपातकाल की घोषणा की है इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है हिंदुस्तान की तारीख में एक ऐसा काला दिन और उसका नाम और कुछ नहीं इमरजेंसी शब्द होगा सो कहानी की शुरुआत होती है 1972 में जब इंडिया में जनरल इलेक्शंस होने वाले थे लेकिन इंदिरा गांधी को उस वक्त ऐसा लगा कि समय उनके फेवर में है और इसीलिए ओवरकॉन्फिडेंस के चलते उन्होंने 1972 के जनरल इलेक्शंस को एक साल पहले ही 1971 में करवाने का फैसला कर लिया उनके इस फैसले से अपोजिशन पार्टी जनसंघ भी काफी शौक थी और उन्होंने रायबरेली के सीट
पर वहां के सबसे पॉपुलर फेस राज नारायण को इंदिरा के अगेंस्ट कंटेस्ट करवाने के लिए भेज दिया उस समय जहां पर अपोजिशन ने इंदिरा हटाओ के नारे लगाए वहीं इंदिरा जी ने बड़े ही टैक्ट फुली इन नारों को अपने फेवर में कन्वर्ट कर दिया इंदिरा गांधी ने उस समय गरीबी हटाओ के नारों से उसे रिप्लेस कर दिया जिसके थ्रू उन्होंने लोगों से अपील किया कि अब फैसला उनके ऊपर है इंदिरा को हटाना है या फिर गरीबी को इस इलेक्शन में इंदिरा जी को फिर 183000 वोट्स मिले और राजनारायण को 7149 जिसके बाद राजनारायण ने इंदिरा
पर बैलेट पेपर टैंपरिंग और करप्ट प्रैक्टिसेस का आरोप लगाया और इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की इस मामले की फिर जांच पड़ताल हुई और कोर्ट ने 12th जून 1975 को अपना फाइनल फैसला सुनाते हुए कहा कि इंदिरा गांधी वाकई में गिल्टी है क्योंकि इन्होंने कैंपेन स्टेज लाउड स्पीकर्स जो गवर्नमेंट के होते हैं और इलेक्शंस में एक पार्टी अपने पर्सनल फायदे के लिए उसे नहीं यूज कर सकती उन्हें भी यूज किया और आईएएस आईपीएस जैसे गैजेटेड ऑफिसर्स को भी उन्होंने अपने पार्टी के इलेक्शन एजेंट्स की तरह यूज किया अब इसमें हुआ क्या कि इस केस के
फाइनल वर्डिक्ट यानी डिसीजन को आने में ही 4 साल लग गए और इन्हीं चार सालों में पीएम इंदिरा गांधी गांधी जी की ही सरकार देश को रूल कर रही थी और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी के रिमूवल पर स्टे लगाते हुए कहा कि वह इस एक साल के लिए पीएम तो बनी रह सकती है लेकिन किसी भी पार्लियामेंट प्रोसीडिंग और वोटिंग में हिस्सा नहीं ले पाएंगी यानी कि वो बस एक नाम की पीएम रह गई थी अब एक तरफ दिल्ली में यह सब चल रहा था उसी दिल्ली में दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई करप्शन बेरोजगारी
और खराब लॉ एंड ऑर्डर को लेकर एक बड़े स्टैचर के सोशलिस्ट लीडर जयप्रकाश नारायण ने लाखों लोगों से भरे दिल्ली के रामलीला मैदान में यह कह दिया कि अब इंडिया को टोटल रेवोल्यूशन की जरूरत है अब एक सोशलिस्ट लीडर के ये वर्ड्स इसीलिए इंपॉर्टेंट थे क्योंकि इनके इसी रेवोल्यूशन शब्द को रशिया और चाइना के रेवोल्यूशन से जोड़कर देखा गया और यहीं पर पूरा गेम ही पलट गया इस एक आंदोलन ने भारत को अगले 2 सालों के लिए डिक्टेटरशिप रेजीम में ढकेल दिया मतलब उस वक्त सिचुएशन कुछ ऐसी थी कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के वर्डिक्ट की
वजह से पीएम इंदिरा गांधी अपनी पावर को बचाने के लिए कोई एक्शन नहीं ले सकती थी बट जयप्रकाश नारायण के आंदोलन ने इंदिरा जी को जैसे अपने पावर बचाने का एक सुनहरा मौका दे दिया और उन्होंने बिना कोई देरी किए 25th जून 1975 की रात को ऑल इंडिया रेडियो पर इंटरनल डिस्टरबेंसस का नाम देकर नेशन वाइड इमरजेंसी डिक्लेयर कर दी और यहीं से शुरू हुआ इंडियन डेमोक्रेसी का सबसे डार्कस्टार भाइयों और बहनों राष्ट्रपति जी ने आपतन की घोषणा की है इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है आप सभी गहरे और व्यापक षडयंत्र से अवगत
होंगे जो उस समय से रचा जा रहा है जब से मैंने भारत के जनसाधारण के लाभ के लिए कुछ प्रगतिशील उपाय करने शुरू कि इमरजेंसी डिक्लेयर करते ही रातों रात अपोजिशन लीडर्स को घर से उठा लिया गया विजय राजेश सिंधिया जय प्रकाश नारायण मुलायम सिंह यादव राज नारायण मुरार जी देसाई चरण सिंह जॉर्ज फर्नांडीस अटल बिहारी वाज जी लाल कृष्ण अडवाणी अरुण जेटली जैसे नेताओं को रातों-रात जेल में डाल दिया गया और जो लीडर्स पुलिस के डर से कहीं पर छुप गए थे उनके भी घर वालों को परेशान किया जा रहा था जैसे जॉर्ज फर्नांड
के भाई लॉरेंस फर्नांड बताते हैं कि पुलिस ने उनके घर से उनको उठा लिया था और कहा कि जॉर्ज का पता बताओ वरना पुलिस उनको चलती ट्रेन के नीचे डाल देगी जेल्स में भी इन नेताओं को कैदियों को लोगों को इन ह्यूमन ट्रीटमेंट दिया जा रहा था जो कि किसी भी डेमोक्रेटिक सिविलाइज सोसाइटी के नाम पर धब्बा था नेहरू नेशनल मेमोरियल लाइब्रेरी की बुक टॉर्चर ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया के पेज नंबर 291 में बताया गया है कि उस समय देश के ऑलमोस्ट सभी जेल्स कैदियों से भर चुके थे जेल में लोगों को करंट दिए
जा रहे थे उनके कपड़े निकालकर उन्हें बर्फ के स्लैब्स पर सुलाया जाता था और कईयों की बॉडीज को तो सिगरेट्स और कैंडल से जलाया जाता था कुछ कैदियों को तो दिनों तक उल्टा लटकाया जाता था और कुछ को तो अपना ही यूरिन पीने तक के लिए मजबूर किया जाता था इस प्रकार का क्रुएल इन ह्यूमन ट्रीटमेंट हुआ था उन लोगों के साथ जो कन्विसिटी नहीं थे अपोजिशन लीडर्स थे या फिर सिर्फ जर्नलिस्ट थे और हां एक और एक बहुत ही विब चीज जिसका नाम भी आज तक इमरजेंसी के साथ जुड़ा हुआ है वो है फोर्सफुल
नसबंदी फोर्सफुल मैस स्टेरलाइजेशन एक्चुअली में हुआ यह था कि इंडिया में ऑलरेडी 1952 से ही एक स्टेरलाइजेशन ड्राइव शुरू था जो कि नेशनल फैमिली प्लानिंग स्कीम का एक हिस्सा था इन फैक्ट इंडिया आल्सो हैपेंस टू बी द फर्स्ट एवर कंट्री इन द वर्ल्ड जिसने नेशन वाइड फैमिली प्लानिंग की स्कीम लॉन्च की थी हम सब जानते हैं कि नसबंदी के पीछे का ऑब् वियस रीजन था पॉपुलेशन कंट्रोल क्योंकि 1970 में इंडिया की पॉपुलेशन रैपिड ग्रो कर रही थी और इंडिया के पास उतने रिसोर्सेस नहीं थे टू फीड सच अ लार्ज पॉपुलेशन सो बेसिकली नसबंदी वाज अ
वेल थॉट आउट डिसीजन लेकिन इसका इंप्लीमेंटेशन उतना ही डिजास्टर्स था इंडिया जैसे देश में जहां पर सुपरस्टिशंस इतने स्ट्रांग हैं यहां पर कई लोग नसबंदी करना अपनी शान के खिलाफ समझते थे और इसीलिए इसके रिजल्ट्स इतने फ्रूटफुल नहीं थे लेकिन इमरजेंसी के वजह से गवर्नमेंट को एक फ्री हैंड मिल चुका था जिसको अच्छे से मिसयूज किया गया फॉर एग्जांपल उस दौरान गवर्नमेंट ने नेशन वाइड काफी सारे स्टेरलाइजेशन कैंप्स लगाए जहां पर टीचर्स को और बाकी गवर्नमेंट वर्कर्स को लिटरली टारगेट्स दिए जाते थे कि उन्हें कैसे भी करके एक दिन में इतने लोगों की नसबंदी करवानी
ही है सो वो टारगेट्स अचीव करने के चक्कर में लोगों को जबरदस्ती उठा उठाकर उनकी नसबंदी करवा देते थे इ रिस्पेक्टिव ऑफ कि वो मैरिड भी है या फिर नहीं अब महाराष्ट्र के बर्शी डिस्ट्रिक्ट का ही एक एग्जांपल ले लो जहां पर जनवरी 1976 में बर्शी मुंसिपल काउंसिल को 10 दिन में 1000 नसबंदी करवाने का टारगेट दिया गया था लेकिन पहले दो दिन हार्डली किसी ने भी वॉलंटस बाद ठ दिन तक टारगेट पूरा करने के लिए पूरे बर्शी में दो ट्रक्स घूमने लग गए और लोगों को लिटरली रास्तों से पकड़ पकड़ कर उनकी नसबंदी करवाई
जा रही थी बिल्कुल ऐसे ही जैसे आज मुसिपालिटी की गाड़ी घूमती है ना स्ट्रे डॉग्स को पकड़ के स्टेरलाइज करवाने के लिए उसी तरीके से उस समय भी कुछ ऐसा ही हाल था इमरजेंसी के टाइम पे उन्हें जो भी मिलता मैरिड अनमैरिड बुड्ढा जवान वो सबको जबरदस्ती घसीटते हुए ले जाते थे और उनकी नसबंदी कर देते थे वो भी अंडर वेरी अनहाइजीनिक कंडीशंस जिसकी वजह से कई लोगों को इंफेक्शन हो जाते और कुछ की तो मौत भी हो जाती थी लेकिन ये भी कुछ भी नहीं है 1977 की एक किताब द जजमेंट इनसाइड स्टोरी ऑफ
इमरजेंसी इन इंडिया मैं यूपी के सुल्तानपुर के नार काडी के एक किस्से का एक जिक्र किया है जहां पर न बंदी के लिए इकट्ठा की गई भीड़ ने पुलिस पर अटैक कर दिया जिसके बाद पुलिस ने उन पर ओपन फायर कर दिया और वहां पर 13 लोगों की इंस्टेंट डेथ हो गई सो इस पूरे ड्राइव में इन टोटल 60 लाख यानी कि 6 मिलियन लोगों की नसबंदी हुई है इंक्लूडिंग पीपल फ्रॉम टकमन गेट ऑफ दिल्ली जहां पर इस इमरजेंसी का सबसे बड़ा मैसकन सिडेंट को जलियावाला बाग मासेकर से भी कंपेयर करते हैं वेल टकमन गेट
वाज अ मुस्लिम मेज रिटी पार्ट ऑफ दिल्ली और इस्लाम में नसबंदी को हराम माना जाता है सो फोर्सड नसबंदी की वजह से वहां के मुस्लिम्स गवर्नमेंट से बहुत नाराज हो गए थे बट फाइनल नेल इन द कॉफिन का काम किया बुलडोजर्स ने यस वही बुलडोजर जस्टिस जिसको आज अपोजिशन स्पेशली कांग्रेस इतना क्रिटिसाइज करती है इससे बुलडोजर चलाया जा रहा है एक परिवार के ऊपर बुलडोजर चला दिया जाता है दिस बुलडोजर जस्टिस वास फर्स्ट एक्चुअली इंप्लीमेंटेड बाय कांग्रेस टर्क न गेट पर इल्लीगल कंस्ट्रक्शन को गिराने के लिए बुलडोजर्स का यूज किया गया अंडर द लीडरशिप ऑफ
संजय गांधी जिसको स्पीयर हेड किया जगमोहन मल्होत्रा ने एंड यस यू गेस्ड इट राइट वही जगमोहन मल्होत्रा जो आगे चलकर जम्मू एंड कश्मीर के गवर्नर भी बने फिर इन्हीं बुलडोजर्स के अगेंस्ट लोगों ने जाहिर है प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया लेकिन पुलिस ने इसके अगेंस्ट लाठी चार्ज और ओपन फायर करना शुरू किया जिसमें 6 से 20 लोगों की मौत हो गई एंड देन अकॉर्डिंग टू सेवरल बुक्स एंड अकाउंट्स इसी प्रोटेस्ट के समय प्रोटेस्टर्स की भीड़ मस्जिद में जाकर छुप गई लेकिन पुलिस ने मस्जिद का दरवाजा तोड़कर वो अंदर घुसे और उन्होंने वहां भी प्रोटेस्टर्स पर
लाठी चार्ज करना शुरू कर दिया यस इस बात को बहुत सी बुक्स में मेंशन किया गया है एंड यस अगेन इन्हीं प्रोटेस्ट के समय में जगमोहन जी ने मुस्लिम्स के खिलाफ एक बहुत ही कंट्रोवर्शियल स्टेटमेंट भी पास किया था जब उन्हें पूछा गया कि वो ये सब क्यों कर रहे हैं उनका जवाब था कि हम पाकिस्तान के टुकड़े करने के बाद इंडिया में एक और एक पाकिस्तान नहीं बनने देंगे जगमोहन ने जवाब दिया क्या आप समझते हैं कि हम पागल हैं कि पाकिस्तान तोड़कर दूसरा पाकिस्तान बन जाने दें और फिर जब बाद में शाह कमीशन
की रिपोर्ट आई तो उसमें क्लियर मेंशन था कि गवर्नमेंट ने बहुत लोगों के घर बुलडोजर से इलीगली तोड़े थे लेकिन सबसे सरप्राइजिंग बात तो यह थी कि ये सब हो रहा था दिल्ली में जहां पर बहुत सारे मीडिया हाउसेस और न्यूजपेपर्स के ऑफिसेसूट सा रीजन था सेंसरशिप ऑन मीडिया इमरजेंसी के दौरान ऐसा एक रूल पास कर दिया गया था कि जो भी न्यूज़ कवर करनी होगी ना वो पहले गवर्नमेंट के थ्रू वेरीफाई होकर ही न्यूज़पेपर में छपे गी और जब ये सारी एट्रोसिटी हो रही थी उस समय पर दूरदर्शन पर बॉबी मूवी चल रही थी
यू नो जस्ट टू डिस्ट्रक्ट द पीपल फ्रॉम द हॉरर्स ऑफ इमरजेंसी और एक ऐसा ही अजीब सा इंसिडेंट हुआ लेजेंड सिंगर किशोर कुमार के साथ इमरजेंसी के टाइम पर लोगों को डिस्ट्रैक्टर के लिए संजय गांधी ने उन्हें कांग्रेस के लिए कोई गाना गाने को कहा लेकिन उन्होंने सीधा रिफ्यूज कर दिया जिसके बाद गवर्नमेंट ने उनके गानों को अनऑफिशियली बैन कर दिया अब इमरजेंसी के दौरान ऐसे ट्रीटमेंट से उस समय के राजा महाराजा और वीआईपी तक नहीं बचे थे जैसे 1970 की फेमस साउथ एक्ट्रेस नेह लता रेड्डी जिन्होंने इमरजेंसी को अपोज किया था और फिर उनको
पुलिस ने मे 1976 में मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट मीसा के अंडर बेंगलोर सेंट्रल जेल के कन्फाइनमेंट सेल्ट में रखवा दिया यह जानते हुए कि वो एक अस्थमेटिक पेशेंट थी और जेल में दो बार अस्थमेटिक कोमा में तक जा आ चुकी थी लेकिन फिर भी उनको जेल के अंदर काफी टॉर्चर किया गया एंड एट लास्ट जब जनवरी 1977 में पैरोल पर व बाहर आई तो सिर्फ पाच दिन में ही उनकी मौत हो गई इसके अलावा इमरजेंसी में क्योंकि लॉ एंड ऑर्डर की धजिया उड़ गई थी लोगों को सिर्फ टॉर्चर ही नहीं किया गया बल्कि देश
में ऑफिशियल गवर्नमेंटल चोरी तक हुई महारानी ऑफ जयपुर गायत्री देवी जो कि इंदिरा गांधी जी की क्लासमेट थी उनको लेकर ऐसा कहा जाता है कि गायत्री देवी की सुंदरता और उनकी रॉयल्टी से इंदिरा गांधी जी थोड़ी सी जेलस थी इसी हेट रेड की वजह से ही जब गायत्री जी अपोजिशन एमपी थी तब इंदिरा गांधी ने पार्लियामेंट में उनको इंसल्ट करने के लिए बिच और ग्लास डॉल तक कह दिया था अब इमरजेंसी इंपोज करते ही इंदिरा ने आजादी के बाद से ही राजाओं को पेंशन के तौर पर मिलने वाला प्रावी पर्स खत्म कर दिया था जो
कि एब्सलूट इंडिया के नजर में एक सही डिसीजन था पर उसी दौरान इंदिरा जी ने गायत्री देवी को इस एक्ट जो कि कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार करके के तिहाड़ जेल में भर्ती करवा दिया जिसके बाद उन्होंने एएसआई की एक टीम और लोकल पुलिस और आर्मी सबको 5 महीनों के लिए जयगढ़ फोर्ट में महारानी के ट्रेजर को ढूंढने के लिए काम पे लगा दिया और फिर ऐसे भी क्लेम्म जेल में थी तब गवर्नमेंट को यह खजाना मिल भी गया जिसके बाद संजय गांधी खुद पर्सनली जयपुर आए थे इवन
यहां से खजाने को लेकर जाने के लिए एक दिन पूरा दिल्ली जयपुर के हाईवे को बंद रखा गया था और 5060 आर्मी ट्रक्स दिल्ली के तरफ रवाना हुए महारानी के बेटे का यह कहना है कि 800 किलो गोल्ड उनके यहां से यह चोरी करके लेकर चले गए लेकिन इस क्लेम के पीछे की सच्चाई के बारे में आज तक किसी भी गवर्नमेंट ऑफिशियल ने डिबेट नहीं किया डिस्कस नहीं किया सो अब यहां पर एक बहुत ही इंपॉर्टेंट सवाल आता है जो मे बी आप लोग के दिमाग में भी आ रहा होगा कि बिना किसी मिलिट्री मसल
के ना ही कोई मिलिट्री कू करवाए पीएम इंदिरा गांधी ने इतने बड़े देश को कंट्रोल कैसे कर लिया वेल इसका एक सिंपल सा आंसर है कंस्ट ट्यूशन मैनिपुलेशन सबसे पहले 10th अगस्ट 1975 को पीएम इंदिरा ने 39th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट पास किया इस एक्ट का कहना यह था कि अब से प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट प्राइम मिनिस्टर एंड स्पीकर के रिलेटेड इश्यूज पर जुडिशरी का कोई जूरिस क्शन नहीं होगा या उसका कोई सेही नहीं होगा सो बेसिकली सुप्रीम कोर्ट यहां पर ऐसे ही इरेलीवेंट होगी अब इससे जो अलाहाबाद कोर्ट के डिसीजन की वजह से उन्होंने अपनी सीट
खोई थी वो उनको वापस मिल गई क्योंकि अब वैसे भी कोर्ट्स इरेलीवेंट हो गए हैं और इस अमेंडमेंट के बाद पीएम पर जुडिशरी कोई भी केस नहीं चला सकती दूसरा मैनिपुलेशन जनवरी 1977 में हुआ जब उन्होंने एक और एक 42 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट पास किया जिसे देश का मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 40 आर्टिकल्स को उन्होंने निकाला और ऐड किया था कुल मिलाकर अगर हम देखें तो इसमें चार ऐसे मेजर चेंजेज हुए थे जिससे पीएम ऑफिस के हाथ में कंप्लीट कंट्रोल आ गया था सबसे पहला इमरजेंसी के टाइम पर सेंटर के हाथों
में दो पावर अलॉट किए गए एक स्टेट लॉस को ओवरराइड यानी कि कैंसल करने की पावर और दूसरा किसी भी स्टेट में सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेस के डेप्लॉयमेंट की पावर यानी कि जब चाहे अपनी मर्जी से पीएम किसी दूसरे स्टेट में मिलिट्री को डिप्लॉयड था लिमिटेड जुडिशियस रिव्यू का इस क्लॉज से उन्होंने यह लॉ पास किया कि जो भी एक्ट सेंट्रल गवर्नमेंट स्केड्यूल नाइन में प्लेस करेगी उसपे जुडिशरी कोई भी एक्शन नहीं ले सकती यानी सिंपली कहे तो इस क्लॉज के मुताबिक सेंट्रल गवर्नमेंट जो चाहे एक्ट पास करें जुडिशरी कुछ नहीं बोल सकती और इसीलिए तो
उन्होंने ओपनली नसबंदी ड्राइव करवाई थी तीसरा चेंज इमरजेंसी में पार्लियामेंट और स्टेट असेंबलीज का टर्म एक्सटेंशन करने की पावर सेंट्रल गवर्नमेंट के पास आ गई थी चौथा चेंज इमरजेंसी के दौरान सारे फंडामेंटल राइट्स को ओवरराइड करने की पावर जिससे इंडियंस के तीन सबसे इंपॉर्टेंट फंडामेंटल राइट्स तुरंत बैन हो गए यू नो बेसिक फंडामेंटल राइट्स एक इंसान के जैसे राइट टू लाइफ राइट टू पर्सनल लिबर्टी ये सब सब कुछ बैन हो गए थे जिसकी वजह से वो ओपनली किसी को भी उठा के जेल में डाल पा रहे थे इसके बाद राइट टू कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडीज भी बैन
हो गया था जिससे पूरे इमरजेंसी के दो सालों में एक भी इंसान सरकार के खिलाफ कोई केस ही फाइल नहीं कर पाता था क्योंकि नॉर्मली हमें कोई केस फाइल करना होता है तो हम लोअर कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट जाते हैं पर ये कांस्टीट्यूशनल रेमेडी वाला फंडामेंटल राइट हमें सीधा वायलेशन पर सुप्रीम कोर्ट में जाने की परमिशन दे देता है बट इसी राइट को खारिज कर दिया गया था और आखरी राइट टू फ्रीडम उसे भी बैन कर दिया गया था जिससे ही प्रेस मीडिया पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन प्रोटेस्ट्स सब कुछ बैन हो गया था अब इसके
अलावा भी बहुत सी चीजें चेंज और ऐड भी हुई थी जैसे सोशलिस्ट सेकुलर और इंटीग्रिटी ये वर्ड्स कॉन्स्टिट्यूशन में ऐड किए गए फंडामेंटल ड्यूटीज ये वर्ड भी ऐड किया गया था ऑल इंडिया जुडिशियस सर्विसेस एटस एसेट इन सारे चेंजेज का एक लिंक मैं नीचे डिस्क्रिप्शन में डाल दूंगा आप चेक कर सकते हो डिटेल नॉलेज के लिए बट इन चार मेजर चेंजेज ने लिटरली पूरा कंट्रोल पीएम इंदिरा गांधी के हाथों में दे दिया था अब देखा जाए तो 1977 आ चुका था और इमरजेंसी इंपोज हुए 2 साल भी हो गए थे लोगों ने यह सोच भी
लिया था कि भारत भी उन अथॉरिटेरियन रेजीम में शामिल हो चुका है जिसने पहले तो एज अ डेमोक्रेसी जन्म लिया फिर एक लीडर के डेमोक्रेटिक इलेक्ट होके आने के बाद वोह एक डिक्टेटरशिप राष्ट्र में कन्वर्ट हो गया बट 18th जनवरी 1977 को पीएम इंदिरा गांधी ने पब्लिक को शॉक कर दिया और इलेक्शंस भी अनाउंस कर लिए खुद से इसके लिए उन्होंने यह रीजन भी दिया कि डेमोक्रेसी में सरकारें जनता के मैंडेट से चलती है लेकिन इस इमरजेंसी से जनता ही खुश नहीं थी और इसीलिए वह इसे रिव कर रही है फिर क्या था 1977 में
जनरल इलेक्शंस हुए कांग्रेस हार गई और जनता पार्टी ने इलेक्शंस जीतकर अपनी सरकार बना ली और सबसे पहला काम उन्होंने किया कि जो चेंजेज 42 अमेंडमेंट एक्ट में पीएम इंदिरा ने किए थे जैसे कि इमरजेंसी में फंडामेंटल राइट्स का सस्पेंशन जुडिशरी के पावर्स को लिमिट करना इन सबको उन्होंने 44th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट लाकर रिव कर दिया और यह लिखा कि अब से प्रेसिडेंट के साइन के बाद ही इमरजेंसी लगाई जा सकती है सो अब आता है यहां पर सबसे बड़ा सवाल कि क्या पीएम इंदिरा गांधी का इमरजेंसी लगाने का डिसीजन वाकई में सही था क्या
वह नेशनल इंटरेस्ट में था या फिर पर्सनल इंटरेस्ट में था तो देखो इसको देखने के ना दो साइड्स है एक जिसमें लोगों ने इस डिसीजन को सही माना इनफैक्ट आरएसएस जैसे ऑर्गेनाइजेशंस ने भी इमरजेंसी को सपोर्ट किया था अब कई एक्सपर्ट्स के हिसाब से इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी इसीलिए लगाया था क्योंकि इंटरनेशनल एलिमेंट्स इंडियन गवर्नमेंट को टॉपल करना चाहते थे सेम वैसे ही जैसे आज जॉर्ज सोरस इंडिया में हजारों करोड़ पंप करके इंडिया को टॉपल करना चाह रहे हैं इवन कई रिपोर्ट्स के मुताबिक जेपी नारायण का प्रोटेस्ट सीआईए फंडेड था जो इंडिया की डेमोक्रेसी को
खत्म करना चाहते थे लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह अभी तक पूरी तरीके से प्रूव्ड नहीं है और रही बात नसबंदी जैसे इन ह्यूमन ड्राइव की तो एशियन स्टडीज के मुताबिक स्टेरलाइजेशन ड्राइव करने के लिए इंडिया की पॉपुलेशन को कंट्रोल करने के लिए उस वक्त वेस्ट इंडिया को काफी प्रेशराइज कर रहा था और इसीलिए ऐसे सरकमस्टेंसस में जहां पे इंडियंस को स्टेरलाइजेशन नहीं कराना है बट गवर्नमेंट चाहती है कि स्टेरलाइजेशन हो इमरजेंसी को इंपोज किया गया था यह भी एक मेजर फैक्टर था एंड ऑफ कोर्स द मोस्ट कॉमन स्पेक्युलेटिंग ने शायद अपनी पावर को रिटेन
करने के लिए नेशन वाइड इमरजेंसी डिक्लेयर किया यह भी एक देखने का पर्सपेक्टिव है जिसमें काफी सारे थिंकर्स बिलीव करते हैं सो आपको क्या लगता है क्या इमरजेंसी डिक्लेयर करने के पीछे इंदिरा गांधी का एक नेशनलिस्ट जस्टिफाइड रीजन था या फिर इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ सेल्फिश मोटिव था कमेंट्स में आप जरूर बताना आपको क्या लगता है नीचे और क्योंकि बीजेपी गवर्नमेंट ने ऑफिशियल एक डे डेडिकेट ही कर दिया है एज संविधान हत्या दिवस तो नीचे थोड़ा सा डिस्कशन करते हैं इस बारे में भी आपका क्या ख्याल है इमरजेंसी के वक्त इंडियन लोगों में इंदिरा
गांधी के प्रति जो रिजेंट मेंट हो गया था जो गुस्सा हो गया था उत्पन्न वैसा ही कोई सिचुएशन आज हम ईरान में देख रहे हैं शिया इस्लाम का गढ़ ईरान आज एक सेकुलर देश बनने की राह पर है वहां पर रिसेंटली हुए इलेक्शन में एक लिबरल पार्टी के नेता प्रेसिडेंट बने यही नहीं ईरान में तो 50000 मॉस्क तक को बंद किया गया है क्योंकि लोगों ने वहां पर जाना ही छोड़ दिया था अब यह पूरा सिचुएशन क्या है क्यों मुस्लिम्स इस्लाम से दूर जा रहे हैं ईरान में मैंने अपने इस वीडियो में डिटेल में कवर
किया है जिसे आपको जरूर देखना चाहिए क्योंकि इससे हम इंडियंस को बहुत कुछ सीखने मिलेगा थैंक यू फॉर वाचिंग दिस वीडियो फ्रेंड्स इस इंफॉर्मेशन को जितना हो सके अपने आप फ्रेंड्स और फैमिली मेंबर्स के साथ शेयर करो बिकॉज मोस्ट ऑफ द लोगों को इस बारे में नहीं मालूम कि जब इमरजेंसी लगी थी तो उस दौरान क्या-क्या चीजें हुई थी यह सारी की सारी चीजें सेंसरशिप की वजह से या तो दबा दी गई या तो डिस्ट्रॉय कर दी गई मिलते हैं अगले एपिसोड में तब तक के लिए टेक केयर जय हिंद
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