बीजेपी के पूर्व विधायक और रेप मर्डर के अपराधी कुलदीप सिंह सेंगर पर बड़ा फैसला सुनाया सुप्रीम कोर्ट ने। दिल्ली हाई कोर्ट ने जो जमानत दे दी थी उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट के अंदर क्या हुआ? सुनवाई के दौरान क्या तर्क रखे गए और बदले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, जजेस ने क्या कहा? यह बताने के लिए विस्तार से हमारे साथ कनुप्रिया हैं। सबसे पहले जो दो बड़े केसेस चल रहे हैं कुलदीप के ऊपर वो बताइए। तो सबसे पहले हम बता दें पृष्ठभूमि में थोड़ा सा कि जो दो मामले चल
रहे हैं कुलदीप सिंह सेंगर पर एक है जिसमें कि जो पीड़िता है उनके पिता के हत्या का मामला है जिसमें कि उनके उसके ऊपर आरोप सिद्ध हो चुका है और वो उसी के चलते वो जेल में बंद है अभी फिलहाल दूसरा केस जो उसके ऊपर चल रहा है वो था पीड़िता के साथ रेप का मामला जिसमें कि अब पीड़िता जो है पूरा मामला यह था कि वो नाबालिग थी जब उनके साथ ये कुछ हुआ तो जब नाबालिग होते हैं तो पॉक्सो की धाराएं लगती हैं पोक्सो की धाराओं के ऊपर कुछ बहस था। अब वो बहस
यह था कि जो पीड़िता की तरफ से जो वकील थे वो बोल रहे थे कि पोक्सो के मामले में जब कोई एक इंसान अगर पब्लिक सर्वेंट वाले रोल में है। जैसा कि आपने पहले बताया कि कुलदीप सिंह सेंगर उस वक्त बीजेपी के विधायक थे और चुने गए थे वो लोगों के द्वारा जनप्रतिनिधित्व कर रहे थे और उस वक्त उसने इस तरीके की घटिया हरकत की। तो पोक्सो के मामले में क्या होता है? एक ऐसा सेक्शन है उसमें जो इस चीज पे बात करता है कि अगर कोई इस रोल में कोई पब्लिक सर्वेंट वाले रोल में
है और तब उसने कुछ ऐसी हरकत की है तो उसको रेयर केस माना जाता है। उसको बहुत ही खराब माना जाता है जो बाकी रेप केसेस से इसको जुदा माना जाता है। अलग माना जाता है। तो सुप्रीम ये दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 तारीख को जो फैसला दिया था जिसमें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं मानते कि यह कुछ बहुत बड़ा मामला है। क्योंकि हम उनके पब्लिक हम कुलदीप सिंह सेंगर के पब्लिक सर्वेंट होने को नहीं मानते हैं। अब पूरी बहस जो है वो और इसी चक्कर में उन्होंने कुलदीप सिंह सगर को बरी
कर दिया था पॉक्सो के मामले में से। तो ये बात है कि उनके ऊपर जो हत्या का जो आरोप था और रेप का जो आरोप था जो आईपीसी के तहत था वो सब सिद्ध था। उसके तहत वो जेल में रहते। लेकिन उसमें ये था कि वो ज्यादा से ज्यादा 20 साल तक जेल में रहते। तो जो उम्र कैद का की जो सजा थी वो उससे उनको दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी किया। उसके बाद सीबीआई ने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और प्ली फाइल की। जी तो
इसमें ये मामला हुआ ना कि जब वो सजा जब उसकी रद्द कर दी गई। उसके बाद फिर सीबीआई ने बोला कि यह एक बहुत ही खराब विभत्स केस है। आप पूरा केस हिस्ट्री ट्रैक करेंगे तो सबको पता है कि उन्नाव रेप केस जो है वह वन ऑफ़ द मोस्ट हीनियस क्राइम्स में से गिना जाता है। बिल्कुल। तो सीबीआई ने बोला कि हम इस तरीके से जमानत तो नहीं मिलने देंगे उस इंसान को। तो सीबीआई ने अपील फाइल की सुप्रीम कोर्ट में। तोकि हम जानते हैं कि अभी फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विंटर वेकेशन का ब्रेक चल
रहा है। तो इसलिए स्पेशली इस केस को सुनने के लिए एक एक वेकेशन बेंच जो है वो बैठाया गया जिसमें कि तीन जजेस थे जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे के महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन। तो पूरा जो मामला जो पूरी सुनवाई थी वो इस एक बात पे थी कि क्या कुलदीप सिंह सेंगर को एज अ पब्लिक सर्वेंट माना जा सकता है क्योंकि अगर उनको पब्लिक सर्वेंट माना जाएगा तो उनके उस उस इंसान के ऊपर जो उम्र कारा उम्र कैद की जो सजा तय की गई है उसको बरकरार रखा जाएगा। तो इसमें जो सॉललीिसिटर जनरल हैं हमारे तुषार
मेहता वो सीबीआई के तरफ से पेश हुए और उन्होंने यही कहा कि ये बहुत ही क्राइम का केस है और ऐसे केस में हम इस तरीके का फैसला दिल्ली हाई कोर्ट से कुछ गलती हुई है जो जजेस ने जो जस्टिस ने ये फैसला दिया है जो जो उनके उनको बेल दे दी गई है तो इस चीज को आपको फिर से देखना चाहिए रिवाइज करना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से जो लोगों का इस संस्थान पर जस्टिस के पूरा न्याय व्यवस्था पर जो है वो विश्वास जो है वो हिल सकता है और जजेस ने भी यह बात
बोली पूरा मामला उन्होंने देखा और उन्होंने यही बोला कि हां हमारे जो जजेस हैं हाई कोर्ट के वो बहुत ही एक्सट्रीम जजेस हैं। वो बहुत ही नामी जजेस हैं। बहुत अच्छे से काम करते हैं। लेकिन गलतियां इंसान से होती हैं। और अगर कोई एक इंसान एक एमएलए है उसको लोगों ने चुना है जो कि वहां पर काम कर रहा है लोगों के लिए ऐसा वो दिखा रहा है और तब वो उस एक रोल में आकर के अगर वो रेप जैसा अपराध कर रहा है तो इसमें कोई भी किसी भी तरीके के छूट का कोई प्रावधान
नहीं होना चाहिए और यही बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया है दिल्ली हाईकोर्ट के जजमेंट पर तो अब बेसिकली कुलदीप सिंह सेंगर अह जो पीड़िता के पिता के हत्या हत्या के मामले में अंदर है वो इंसान और जिसमें 10 साल की सजा सुनाई 10 साल की सजा है और फिलहाल पोक्सो के मामले में आजीवन कारावास जो है उनका वापस से रिटेन कर लिया गया है तो वो बाहर अभी तो फिलहाल नहीं आ रहा है बहुत समय तक नहीं आ रहा है अब ये जो केस है पूरा उन्नाव वाला इसे पॉइंट्स में
इसके इसको समझ लेते हैं इसके बैकग्राउंड को 2017 का ये मामला है साल 2017 में नाबालिक लड़की से रेप का आरोप लगा था कुलदीप सिंह सेंगर पर उस वक्त कुलदीप सिंह सिंह बीजेपी विधायक हुआ करते थे। न्याय नहीं मिलने की बात कहते हुए पीड़िता ने जान देने की भी कोशिश की थी। मामला आगे बढ़ा। इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत भी हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स और तमाम जगहों पर आरोप था कि पुलिस के साथ मिलकर सेंगर ने मर्डर करवाया था पीड़िता के पिता का। जिसमें वह 10 साल की सजा काट
रहा था सेंगर। साल 2019 में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी और केस दिल्ली के 30 हजारी कोर्ट में ट्रांसफर करवा लिया था। यहां कोर्ट ने सेंगर को रेप का दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुना दी थी। लेकिन इसी साल यानी 2025 में 23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर के डिवीजन बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सेंगर की सजा फिलहाल निलंबित रहेगी। उसके बाद आज की तारीख यानी 29 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया और जमानत पर
स्टे लगा दी है। इस मामले पे अभी इतना ही और अपडेट्स जैसे-जैसे आएंगे हम आप तक पहुंचाएंगे। हमारे साथ कनुप्रिया थी जिन्होंने कोर्ट की सारी हियरिंग को आपको आसान शब्दों में समझाया। मेरा नाम है विभावरी। बाकी अपडेट्स के लिए देखते रहिए द लेलन। [संगीत]