Downfall Of Bihar, Politics, Crime, Mafia, 900Cr Scam & Lalu Yadav - Mrityunjay | FO217 Raj Shamani

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Raj Shamani
Order His Book - Broken Promises: Caste, Crime and Politics in Bihar (in English): https://amzn.in/d...
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तो 1990 लालू ने चीफ मिनिस्टरशिप का ओथ लिया और कहा था कि अब कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा अब कोई बेईमानी नहीं होगा लेकिन जो अगले 15 सालों में हुआ डायमेट्रिक अपोजिट हुआ दैट मैन हैज रूइंड एंटायस जनरेशन ऑफ बिहार व्हाट डू यू मीन बाय दैट ऐसे-ऐसे इंडस्ट्रीज क्रिएट हो गए बिहार में जो कोई सोच भी नहीं सकता जैसे किडनैपिंग इंडस्ट्री बिहार में 1990 में 6:00 बजे के बाद घर से बाहर निकल के दिखा दे तो मान जाए सेकंड बेपर लीक इंडस्ट्री दिस वाज 100 करोड़ की इंडस्ट्री जब पूरी इंडिया अपनी ग्रोथ स्टोरी लिख रही थी
बिहार सेर्फ 1 पनम पे ब्रो करती रही तो फिर इतनी टर्म्स वो जीते कैसे व्हाट लालू रियलाइक्स का रास्ता होता है वो बहुत लंबा रास्ता होता है लेकिन दूसरी तरफ अगर आप अपना एक वोट बैंक बना लेते हैं फिर आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है ही रूड लाइक दैट फॉर 15 इयर्स उनका डाउनफॉल कैसे हुआ 1977 में चारा घोटाला सामने आया सीबीआई ने फिर जैसे जांच करनी शुरू की पता चला ये तो 900 करोड़ का स्कैम है मतलब अनइमेजिनेबल लालू तुरंत अरेस्ट किया गया उनके पीरियड को आप जंगल राज क्यों बोलते थे लालू क्या
करते थे कुर्सी प बैठ के पांव टेबल पे रखते थे और पांव के सामने बरो से खड़े रखते थे मतलब सारे ये आईएस खड़े रहते थे जो पान का पीक दान होता है वो उठा के उनको देते थे जो ये फेस था 2005 तक बिहार कश्मीर से कम नहीं था वाय दिस स्टेटमेंट बिहार में 1990 के दशक में 59 मैसर्स जातीय हिंसा 600 लोग मारे गए जो बिहार से पलायन हुआ है उन 10 सालों में इन मिलियंस बिहार में रोड चोरी हो जाती है तालाब चोरी हो जाता है यह कैसे होता है क्या आपको पता
है कि बिहार में ब्रिज और सड़कें चोरी हो जाती है क्यों इंडिया में सब स्टेट्स बहुत तेजी से ग्रो हो रही है पर बिहार इतनी तेज ते से डेवलप नहीं हो रही है बिहार में लोग 6:00 बजे के बाद घर से बाहर निकलने में डरते थे आज भी बिहार के लोगों को डिस्क्रिमिनेशन क्यों फेस करना पड़ता है क्यों ब्यूरोक्रेट्स डरते हैं बिहार में पोस्ट होने से इन सबके बारे में हमने बात करी है आज के हमारे गेस्ट से मृत्युंजय शर्मा वो एक पॉलिटिशियन है एंटरप्रेन्योर है एंड ऑथर है ऑफ द बुक ब्रोकन प्रॉमिस आगे बढ़ने
से पहले राज समानी क्लिप्स एंड राज समानी शॉट्स को सब्सक्राइब कर लो क्योंकि वहां पर हम इस पूरे बड़े एपिसोड की छोटी-छोटी क्लिप्स डालते हैं ताकि आप कम समय में एक बेहतर इंसान बन सके एंड इस पूरे एपिसोड का ऑडियो एक्सपीरियंस spotify.com [संगीत] प्रिपरेशन के टाइम पे वहां पे एक स्टूडेंट था हु सेड कि वो मानने के लिए रेडी नहीं था कि वो बिहार से है उसको शर्म आती थी लोगों के सामने बोलने में कि वो बिहारी है ऐसा क्यों व्हाई डू यू थिंक कि ऐसा होता है या आज भी होता है कि नहीं होता
है किसी उसी टाइम होता था थोड़ा सा कम हुआ है मेरे ख्याल से थोड़ा सा बट बट अभी भी होता है बिल्कुल होता है अ यू यू लैंड अप इन मुंबई इन फैक्ट लेट्स लीव दिल्ली अब बम्बे आ जाओ एंड मे बी नॉट सो व्हाट हैपेंस इज द काइंड ऑफ सोसाइटी एंड स्ट्रेटा दैट वी कम फ्रॉम फम मे बी शायद हमें वो देखने को ना मिलेगा शायद यू मीट मी यू विल नॉट कमेंट टू मी एस यू नो इन सच अ मैन लेकिन अब जो वो तबका है जो बिहार से य काम करने आता है
यू टॉक टू हिम राइट द काइंड ऑफ पीपल दे मीट दैट वुड बी अ स्लर राइट पीपल वुड यूज दैट वर्ड बिहारी एज समथिंग ए अ डेरो गटरी टर्म राइट इट यूज टू हैपन मच मोर आई वुड से इन द 90 एंड 2000 आई एक्सपीरियंस पर्सनली राइट तो मैं दिल्ली में कटिया सराई से यू नो जहां फिटजी का सेंटर था हमारा आईटी का कालू सराय उसे बोलते थे वहां जाते थे बस से एंड बस में कंडक्टर्स अक्सर कोई भी ऐसा बंदा मिल गया जिसने थोड़ा सा भी कुछ गलत किया गलत से चढ़ गया उतर गया
या टिकट नहीं लिया वैसा कुछ भी या बस के सामने से कोई तेजी से पार हो गया तो ड्राइवर चिल्लाता था यार बिहारी है क्या सो यस वेरी ट्रू यू फील कि ये बिहारी मींस जब भी कोई इल सिविल लाक ट से अन एजुकेट या इलिटरेट हरकत करता है तो उसको बिहारी बोल के बोल देते हैं लोग ऐसे गाली देते हैं बिहारी बोल के डू यू थिंक दे वांट टू डेरो गट दैट अदर पर्सन ट्स व्ट यू ट्रांग टू से ट्स वट आईम सेइंग सो इट हैज रिड्यूस्ड थोड़ा कम हो गया है बट स्टिल इट
इज देयर सो मैं बोल रहा हूं एक जनरल इन टर्म्स ऑफ लुकिंग एट अदर स्टेट सो फॉर एग्जांपल सम बडी कम्स फ्रॉम गुजरात यू लुक एट हिम एंड हैव अ सर्टेन परसेप्शन की यनो गुजरात से है एक सर्टेन परसेप्शन है आप नीची नजर से शायद नहीं देखेंगे आपको यह पता है कि एक प्रॉस्परस स्टेट से आता है य दे देर वेल टू डू उनकी जगह पर भी वेल टू डू है लेकिन जही कोई जहां बिहार से आता है आपको आप यू नो देर सर्टेन लुकिंग डाउन अपॉन एट हिम ओके लेट्स गो बैक ओके जब बिहार
वेस्ट बंगाल रीसा के साथ में था राट तो जब तीनों स्टेट एक जैसी थी साथ में थी तब एक काफी बड़ी स्टेट हुआ करती थी एंड काफी प्रॉस्परस होता था इंडिया का बिजनेस काफी वहां से होता था अब तीनों अलग-अलग हो गई तो ऐसा क्या हुआ दैट बिहार बहुत इट स्टिल वन ऑफ द पूरेस्ट कंट्री वन ऑफ द पूरेस्ट स्टेट्स इन द कंट्री एंड वेस्ट बंगाल के साथ वैसा नहीं हुआ और जो यह नैरेटिव है व बिहार का ही नैरेटिव स्पेशल बना वेस्ट बंगाल के लिए नहीं बना उड़सा के लिए नहीं बना ऐसा क्यों और
मे बी टेल मी द गुड पॉइंट इ वर यू बोर्न इन र यू बोर्न एट द टाइम वन ल थ्री स्टेट्स र टुगेदर नो नो सो द स्टेट गट बाफर केटेड इन 1912 ट वा वे बैक बिहार बिकम बिहार इन 1912 सो दिस ल हिस्ट्री टू इट सी बिहार हैज बीन एटलीस्ट नॉट द स्टेट बट दैट रीजन इट सेल्फ इट्स कॉल्ड उसे उसे जो रिपब्लिक की जन्नी कहा जाता है बिहार को यू नो पाटली पुत्रा वी ऑल नो द जो रूलर वहां रूलर आते हैं वहां से जो इतने आर्य भट्ट से लेकर यू नो बुद्धिज्म
जानि जम एवरीथिंग सब कुछ बिहार से आया मेरे ख्याल से जो डिक्लाइन आना शुरू हुआ एक तो प्री इंडिपेंडेंस डिक्लाइन आया प्री इंडिपेंडेंस डिक्लाइन का एक बहुत बहुत इंपोर्टेंट रीजन जो मैंने बुक में भी मेंशन किया है वो यह था कि जो वहां पर जमीदारी का सिस्टम था बिहार में वो पूरी बंगाल प्रेसिडेंसी में सु से वो परमानेंट सेटलमेंट बोलते हैं उस सिस्टम को और बम्बे में और आपको मद्रास में वो मिलेगा रैयतवारी का सिस्टम क्या होता है दोनों समझाओ परमानेंट सेटलमेंट में क्या होता है कि जो जमीदार को टैक्स देना पड़ता था ब्रिटिशर्स को
वो फिक्स था तुम्हें 500 देने ही देने चाहे कुछ भी हो जाए जो द्वारी में सिस्टम था वो था वो परसेंटेज ऑफ प्रोडक्टिविटी पर लिंक था तो बंगाल में क्या होता था कि जमीदार के पास कोई इंसेंटिव नहीं था प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए और रैयतवारी में क्या था उनको इंसेंटिव था प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए तो इसके कारण जो लैंड में इन्वेस्टमेंट होनी चाहिए थी लैंड में इन्वेस्टमेंट और उसके बाद उसके बाकी के एसोसिएटेड चीजों में एजुकेशन में इन्वेस्टमेंट हेल्थ में इन्वेस्टमेंट वो नहीं हुआ वहां पे और यहां पे हुआ दैट वास अ मेजर रीजन जो
मुझे लगता है प्री इंडिपेंडेंट ट तो वो एक रीजन था पोस्ट इंडिपेंडेंस एक बहुत बड़ा फैक्टर एक पॉलिसी के तौर पर आया एंड दैट वास फ्रेट इक्लास बंगाल पूरा अगर आप देखेंगे सो फॉर एग्जांपल झारखंड रीजन उड़ीसा छत्तीसगढ़ य एक्सट्रीमली मिनरल रिच है झारखंड ओनली है 40 पर ऑफ द कंट्री मिनरल्स 40 पर लेकिन 1952 में पॉलिसी लाई गई फ्रेट इक्लाइम्स लाइजेशन होना चाहिए तो जो मिनरल झारखंड में जिस प्राइस पर अवेलेबल होगा वही मिनरल चेन्नई में भी उसी प्राइस पर अवेलेबल होगा बम्बे में भी उसी प्राइस पर अवेलेबल होगा गवर्नमेंट वुड सब्सिडाइज द ट्रांसपोर्टेशन
राइट तो ने क्या लगा कि जब मिनरल सेम ही प्राइस पर अवेलेबल है तो सबने कहा कि हम झारखंड में बिहार में क्यों इंडस्ट्री लगाए हम इंडस्ट्री कोस्टल एरियाज में लगाएंगे तो गुजरात में इंडस्ट्रीज आने लगई महाराष्ट्र में आने लग गई तमिलनाडु में आने लग गई दिस कंटिन्यू टिल 1993 जब वो पॉलिसी स्क्रैप की और मुझे लगता है तब तक फिर बिहार हैड लॉट्स रेस राइट नो इंडस्ट्रीज यू सी इन द मोस्ट मिनरल रिच पार्ट ऑफ द कंट्री इंडस्ट्री जो थी वह आपको सबसे पुरानी दिखेंगी सो जमशेदपुर वा सेट अप बाय टाटा व एकदम 19
सेंचुरी के स्टार्ट में वो दिखेंगी जो हेवी इंडस्ट्री सेट अप की गई एस अ हेवी इंडस्ट्री पॉलिसी ऑफ द गवर्नमेंट आपको वो दिखेगी बट प्राइवेट इंडस्ट्रीज कमिंग क्योंकि वहां पर मिनरल्स है कुछ भी नहीं दिखेगी आपको ये सब फ्रेट फ्रेट इ क्लाइन ये सेकंड सब बड़ा रीजन मुझे लगता है आफ्टर यू नो इंडिपेंडेंस तो 1990 तक ऑलरेडी बिहार पीछे हो चुका था बाकी स्टेट्स कंपेरिजन में चाहे आप पर कैपिटा इनकम देखेंगे या आप जीडीपी का देखेंगे फिर 1990 से 2005 आई थिंक इट वाज लास्ट नेल इन द कॉफिन यह 15 साल में बिहार ग्रू एट
अ रेट ऑफ 1 पर पर एनम जब पूरी इंडिया अपनी ग्रोथ स्टोरी लिख रही थी लिबरलाइजेशन हुआ था यू नो व ओपनिंग अप आवर मार्केट्स इनन अटल बिहारी गवर्मेंट या ग्रो सो मैसिव इंडिया वा ग्रोइंग और बिहार सिर्फ ऐसा स्टेट था जो 1 पर परणम प पूरे 15 साल ग्रो करती रही क्यों ल ड इनटू द रीजन ऑफ दैट मिस गवस एट्स वा द होल बुक इ अबाउट इन फैक्ट मल्टीपल रीजस सो वन आई वुड से द एनटायर व्ट यू कॉल अ मिस गवर्नेंस एंड दे अ ब्यूटीफुल पेपर चच सेज टर्म्स इट एज पॉलिसी ऑफ
स्टेट इनकैपेसिटी हम पॉलिसी ऑफ स्टेट इनकैपेसिटी इसलिए बोली जा रही है क्योंकि जो स्टेट की बेसिक सर्विसेस डिलीवर करने की कैपेसिटी थी उसे खत्म कर दी गई हम मल्टीपल तरीके से सो फॉर एग्जांपल अब अगर इस पीरियड को देखेंगे बिहार में मैसिव वेकेंसीज सारे गवर्नमेंट पोजीशंस पे अ स्कूल्स में देखेंगे जो हम स्टूडेंट टीचर रेशो की बात करते हैं आजकल कि 20 का 30 का 40 का होना चाहिए 122 स्टूडेंट्स पे एक टीचर यनो 1221 आप इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट्स में देखेंगे कॉलेज के प्रोफेसर्स में देखेंगे अ जो ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर्स सर्कल ऑफिसर्स होते हैं एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस
बीडीओ सीओ उसके वन थड पोजीशंस वेक दे ट स्पीक इनफैक्ट जो बॉडी होती है जो पब्लिक सर्विस कमीशन स्टेट की बिहार बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन उसके चेयरमैन का पोजीशन बहुत सालों तक वेकन था जो इसे रिक्रूट करते थे सो वेकेंसीज वेकेंसीज के बहुत स्ट्रांग रीजन थे सरकार इसलिए नहीं चाहती थी रिक्रूट करना क्योंकि उनका लॉजिक था कि अगर हम रिक्रूट करेंगे तो ज्यादातर जो रिक्रूटमेंट होगी व अपर कास से आ जाएगी सो लेट्स नॉट रिक्रूट एट ऑल बिक बहुत क्लियर पॉलिसी थी ऑफ डिस्क्रिमिनेशन करप्शन एट इट्स पीक क्रिमिनलाइजेशन ऑफ पॉलिटिक्स एट इट्स पीक कास्ट वर्स
एट इट्स पीक सो जब लॉ एंड ऑर्डर ही नहीं है इनफैक्ट उस पूरे टर्म में एंड आ राइट दिस इन माय बुक कि यू आर नॉट श्यर कि कितना पार्ट ऑफ बिहार वास अंडर द कंट्रोल ऑफ द स्टेट गवर्मेंट नॉट इवन पटना मे बी वई क्योंकि नथिंग वास इन कंट्रोल न बिहार वा जस्ट बिहार के डिफरेंट रीजंस को अलग-अलग क्रिमिनल पॉलिटिशियन और बाहुबली जिसको आप बोलते हैं वो बट गया था कि वो सिवान में शहाबुद्दीन ही देखेंगे तो बाकी ठीक है व डीएमएसपी रहेंगे वहां पर लेकिन उनकी वो जो बोलेंगे वह करेंगे और लालू जी
को कुछ भी करना होगा तो शहाबुद्दीन को फोन लगाएंगे तो सरकार की वहा कोई जरूरत नहीं होती थी और पूर्णिया में है तो पप्पू यादव देखेंगे जो देखना है गया जहानाबाद रीजन है तो सुरेंद्र यादव देखेंगे जो देखना है पूरा बिहार बटा हुआ था इ यून नो बाहुबली के बीच एंड सरकार वास वर्चुअली नॉन एसिस्टेंट एंड [संगीत] दैट्ची 1990 में लालू ने चीफ मिनिस्टरशिप का ओथ लिया और उन्होंने गांधी मैदान जो पटना का सबसे बड़ा मैदान है यू नो इट्स एन आइकॉनिक मैदान गांधी मैदान इसलिए भी आइकॉनिक है कि जेपी के आंदोलन की शुरुआत हुई
थी वहां से जयप्रकाश नारायण की 1975 की जो आंदोलन थी और बहुत कुछ देखा है उस मैदान ने आजादी की लड़ाई से लेकर हर कुछ पटना के सेंटर में उस मैदान में उसी जयप्रकाश नारायण जी की प्रतिमा के नीचे लालू ने उथ लिया और कहा था एंड कोट दिस इन माय बुक कि अब कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा कोई बेईमानी नहीं होगा अब हमें असल लोकतंत्र बनाना है लोगों का लोकतंत्र बनाना है और ऐसा लगा कि वह हीरो आ गया है जिसकी बिहार को जरूरत थी और अब यह सब कुछ बदल के रख देगा यही वह
हीरो है जो हमारा जैसे हम नायक मूवी में हम देखते हैं ये हमारा अनिल कपूर है अब तो कुछ कोई भ्रष्टाचारी नहीं बचने वाला सब कुछ ठीक हो जाने वाला है प्लस वो खुद यादव समाज से आते थे जो एक ओबीसी बैकवर्ड कास्ट है तो उनको भी बहुत लगा कि जो बैकवर्ड कास्ट दलित है उनको अपना हक मिलेगा जो पिछड़ी जाती अभी तक सरकार में नहीं थी उनको उनकी हिस्सेदारी नहीं मिलती तो उनको ह अपना हक मिलेगा लेकिन जो अगले 15 सालों में हुआ वह डायमेट्रिक अपोजिट हुआ व नाइटमेयर था ना सिर्फ अगड़ी जातियों के
लिए बल्कि पिछड़ी जातियों के लिए भी दलितों के लिए पूरी स्टेट के लिए इट वा नॉट अबाउट वन सेक्शन ऑफ सोसाइटी पूरा स्टेट ही एक जनरेशन पीछे चला गया और इसलिए मैंने बुक को टर्म किया है एस ब्रोकन प्रॉमिस कि उस टाइम प जो प्रॉमिस किया गया था जो लग रहा था कुछ भी इसमें सही नहीं हुआ नहीं और और बीच में भी आप देखेंगे तो जो भी नैरेटिव थे लालू जी के सामाजिक न्याय का सामाजिक क्रांति का यू नो सम्मान दिलाने का वो उसमें से कुछ भी सच्चा नहीं हुआ वो सब धरी की धरी
रह गई वो सिर्फ बातें थी वो सिर्फ यू नो और धीरे-धीरे जब तक सबको समझ में आया कि लालू जो बोलते हैं और जो करते हैं उसमें कोई कनेक्शन नहीं होता वो वो दिल से नहीं आ रहा इट इ जस्ट अनदर प्ले राइट पीपल स्टार्टेड टेकिंग म मच लेस सीरियसली लेटर तब तक बिहार हैड पेड द प्राइस तो फिर इतनी टर्म्स वो जीते कैसे ट्स अ वेरी गुड क्वेश्चन एंड एंड ट्स वई व्ट आई से इज द यह किताब उसी के बारे में है कि आपको वो यह समझ में अपने फ्यूचर जनरेशन को हमने तो
देखा है शायद उस जनरेशन को तो पता है फ्यूचर जनरेशन को समझ में आई कि कि एक गलत वोट या गलत आदमी को चुनने से कितना बुरा हो सकता है ये किताब उसी के बारे में बताओ तो इलेक्शन जीतने के लिए आपको वोट बैंक चाहिए लालू जी जब नए-नए चुनकर आए हम और मैंने किताब में लिखी है तो शुरू में उनको बहुत अच्छे कुछ कुछ इनिशिएटिव थे तो चूंकि वो एक बहुत ही मॉडेस्ट बैकग्राउंड से आते थे तो जहां पे वो रहते थे वेटनरी कॉलेज के सिंपल से क्वार्टर्स में वहीं से वो यू नो चीफ
मिनिस्टर्स ऑफिस आने जाने लगे लोगों को बहुत पसंद आया सड़क पर खड़े हो जाते हो और ट्रैफिक को नो य करने लगते हैं कहीं भी जा रहे हैं और रास्ते में रुक गए और पेड़ के नीचे अपनी सभा लगा दी और पंचायत लगा दी वहीं पर लोगों की समस्याएं सुनने लगे वो पटना के किसी दलित वाली बस्ती में चले गए पानी का टैंक लेकर बच्चों को नहलाने लगे तो बहुत अच्छे शुरू में इनिशिएटिव थे और सबको लगे कि ये वो बंदा है जैसे मैंने कहा ना नायक एकदम एक एक सीन आपको उसम दिख जाएगा दिस
इज राइज ऑफ स्टार राइज ऑफ अ स्टार एटली ट्स द चैप्टर बट व्ट लालू रिलाइज आई थिंक इज कि जो विकास का रास्ता होता है व बहुत लंबा रास्ता होता है और कठिन रास्ता होता है आप कोई भी एक विकास का काम करते हैं इट टेक्स इयर्स टू मटेरियल अब ठीक है बहुत पेस सब बढ़ गया लेकिन पहले अगर आप एक रोड भी बनाने निकलते लंबी तो तीन चार पाच साल कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी एक रोड के बनने में आप एक बड़ा हॉस्पिटल बनाते बड़ा स्कूल बनाते बहुत साल लगते हैं इसमें आप एक
कोई बड़ा इंडस्ट्री लगाने की कोशिश करते आपको एक एक डिकेड निकल जाते हैं तो उसके रिवार्ड्स जल्दी आपको नहीं मिलते हैं बहुत टाइम लगता है लेकिन दूसरी तरफ अगर आप अपना एक वोट बैंक बना लेते हैं किसी प्रकार से जो आपके साथ किसी भी हाल में रहे तो आप आपकी कुर्सी फिर इंटैक्ट है फिर आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है तो लाली जीी को लगा कि ज्यादा अच्छा रास्ता या आसान रास्ता यह है वोट बैंक बनाना वोट बैंक बनाना और इसीलिए आप देखेंगे उसमें एक जगह मैंने लिखा है कि नितीश कुमार का बहुत इंपॉर्टेंट
हाथ था लालू जी को चीफ मिनिस्टर बनाने में ओके और जब एक दो साल के अंदर उन्हें लगने लगा कि यार ये व्यक्ति वैसे काम नहीं कर रहा जैसे हम लोगों ने सपना देखा था एक एक सोशलिस्ट के तौर पर जो हम लोग डिस्कस करते थे तो उन्होंने लालू से कहा कि यू नो विकास की बातें करें डेवलपमेंट की यह हमने नहीं सोचा था और यू नो इस तरह का काम करना चाहिए तो लालू का एक कोट है कि क्या डेवलपमेंट डेवलपमेंट रटते रहते हो डेवलपमेंट से कोई सत्ता मिलती है क्या सत्ता मिलती है वोट
बैंक से ट एंड ही इंटरनलाइज इट उन्हें समझ में आ गया कि सत्ता वोट बैंक से मिलती है और उनके बाद के उनके जितने भी रेटर कल स्पीस आप देखोगे वोह सब के सब उसी को केटर करती थी तो उन्होंने अपना एक वोट बैक इंटैक्ट बनाया जि जिस कास से वो खुद आते थे यादवस जो करीब करीब 14 प्र है बिहार में मुस्लिम्स को उन्होंने अपने साथ लिया जो करीब 16 17 प्र है बिहार में मिलक 30 31 प्र हो गए और थोड़ी बहुत फिर अलग जातियों से थोड़े थोड़े भी सेक्शन आ गए तो एक
अजय उनका कॉमिनेशन बन गया उनको पता था कि ये मेरे हाथ से कभी नहीं जाने वाले तो मुझे कोई हटा नहीं सकता चाहे मैं कुछ भी कर लू उनको बस करना य होता बारबार थोड़ी थोड़े दिनों पर अगड़ी जातियों को गालिया देना है तो क्या होता था बैकवर्ड कंसोलिडेट हो जाते थे जो अप कास्ट उसको गाली दो उसको गाली दो वो रिट करेंगे तो फिर सारे कंसोलिडेट हो जाएंगे हमारे नेता को गाली क्यों पड़ रही है ही रू लाइट फॉर 15 य सोशल इंजीनियरिंग सोशल इंजीनियरिंग ो एक मैं बुक पढ़ रहा था जिस बुक में
अबाउट पॉलिटिक्स इन इंडिया उसमें एक लाइन लिखी थी कि लोग बोलते हैं इंडिया में कि डेवलपमेंट के नाम पर पॉलिटिक्स नहीं लड़ी जा कास्ट के नाम पर लड़ी जाती है रिलीजन के नाम पर लड़ी जाती है बट वो इसलिए करी जाती है क्योंकि मेजॉरिटी ऑफ लोग जो वोट देते हैं उन्हें डेवलपमेंट समझ में भी नहीं आता है और उधर तक पहुंचता भी नहीं है डेवलपमेंट तो जहां पर डेवलपमेंट पहुंचा नहीं जिन्हें समझ नहीं आता तो उन्हें सेंटीमेंट्स और इमोशंस के बेसिस पर वोट दिलवाने के लिए अपना बस शयो अपनी वोट बैंक सिक्योर कर लो अपन
बस शोर हो जाओ एंड ट्स टिपिकली अगर आप देखोगे मेजॉरिटी ऑफ स्टेट्स में यही होता है थोड़ा सा बस प्रोपोर्शन में डिफरेंस आता है वो क्या एक जो सच्चा स्टेट्समैन है ही आल्सो नोज कि मेरे को यह कॉमिनेशन बनाने पड़ेंगे एंड आई विल गिव यू एन एग्जांपल सेम 2005 में नितीश कुमार केम इन टू पार राइट विद बीजेपी जेडी बीजेपी नितीश कुमार आल्सो है सोशल कोलिशन उनका भी अपना सोशल कोलिशन है 2010 में ही जो मैंडेट नितीश कुमार बीजेपी कंबाइन को मिला वह सबसे लार्जेस्ट एवर था पिछले 30 40 वर्षों में वो क्यों मिला वो
इसलिए नहीं मिला क्योंकि नीतीश कुमार वास एबल टू बिल्ड अ बेटर सोशल कोलिशन वो इसलिए मिला कि सोशल कोलिशन तो था ही था साथ में उन्होंने कुछ बहुत अच्छे काम किए जिससे बहुत सारे सेक्शंस खसते सो फॉर एग्जांपल सम ऑफ द सोशल अ सम ऑफ दी लॉज दैट ही ब्रॉट इन फॉर एग्जांपल मेमन रिजर्वेशन इन पंचायतस ही ब्रॉट इट ओबीसी को ओबीसी और ई बीसी में बाफर केट करना सो दैट यू नो रिजर्वेशन का बेनिफिट ही डिड इट दज आर ब्यू फल यू नो सोशल चेंजेज ट ही ब्रॉट रोड्स प काम मैसिव मैसिव काम हुआ
2005 से 10 के बीच इलेक्ट्रिसिटी प मैसिव काम हुआ हर गांव तक बिजली पहुंची उसके पहले 50 प्र गांव में बिजली नहीं थी बिहार में तो उसका भी असर आता है सो इट्स नॉट वन और जीरो सोशल कोलिशन इज इंपोर्टेंट कोई नहीं कह रहा कि इंपॉर्टेंट नहीं है लेकिन उसके साथ साथ आप विकास पर भी तो काम कर सकते हैं ना पा साल बैठ के सोशल कोलिशन थोड़ी बनाते रहना है आपको वो बनाइए जब इलेक्शन आएगा इलेक्शन के समय उस हिसाब से आप सोचिए तो बाइनरी नहीं है दोनों आपस में ओके आपने आपकी बुक में
यह बोला है आपकी बुक के अकॉर्डिंग कि जो यह फेस था 2005 तक इस फेज में बिहार कश्मीर से कम नहीं था यह क्यों बोला है वई दिस स्टेटमेंट यस एंड आई से दिस वेरी रिस्पांसिबली हम मैं इनफैक्ट 2018 में श्रीनगर गया था घूमने और वहां प डल लेक के बीच में ना एक बहुत सुंदर सा कैफे और बुक स्टोर है डल जिल के बीच में तो आई लाइक टू रीड एंड राइट अ लॉट तो मैं उस बुक स्टोर में भी गया और वहां पर कम से कम नहीं तो कश्मीर प ना 150 200 किताबें
होंगी सिर्फ कश्मीर प राइट एंड यू नो आई स्टार्टेड ब्राउजिंग मैंने देखा उसम एक बहुत सुंदर सी लाइन थी एक बुक में सेड ट्रेजेडीज मेक फॉर द बेस्ट स्टोरीज एंड देर नो बिगर ट्रेजेडी ऑफ आवर जनरेशन देन कश्मीर राइट इ ब्यूटीफुल लाइन लेकिन उसके बाद उने सोचना शुरू किया अब देखो कंपैरिजन मैंने क्यों किया कश्मीर में जो कश्मीरी पंडितों के साथ होना शुरू हुआ 1990 से शुरू हुआ बिहार में जो सोशल चेंज आया 1990 में आया कश्मीर में आप जो नंबर्स देखेंगे एकदम प्योर नंबर्स आई डोंट लाइक टू कंपेयर डेथ्स लेकिन दे नो बेटर मेट्रिक
टू से यू नो कश्मीरी पंडितों की हत्या में उसमें अलग-अलग नंबर्स है लेकिन कहीं 100 200 500 इस तरह के हत्याओं की का जिक्र है जो लोगों का वहां से पलायन हुआ वो करीब करब 80 90 कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ अब बिहार में सेम पीरियड देखेंगे अगर बिहार में 1990 के दशक में 59 नरसंहार हुए 59 मसक जातीय हिंसा 600 लोग मारे गए जो बिहार से पलायन हुआ है उन 10 सालों में इन मिलियंस जो 1991 में एंड आ कोट दिस नंबर इन बुक 91 में माइग्रेशन रेट था बिहार का और 2001 में 1991
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यू नो मेल फोक्स को साफ कर दे रहे थे फिर ये उनके गांव में जाके यही कर रहे थे एंड ये 10 सालों तक चलते रहा इट वाज वर्स आई वुड से बिकॉज द स्टेट कुड हैव स्टॉप्ड इट वहां पे वो तो बॉर्डर पार से आ रहा है देर लॉट ऑफ यू नो चैलेंज यहां पे कौन सा चैलेंज था यहां पे स्टेट हैड इनफैक्ट मैं बोलूंगा स्टेट का सपोर्ट था उनको कंपलीसिट लोगों ने जो ट्रेजेडी क्रिएट करी दैट वाज बिगर देन कश्मीर एक्सर्नल लोग ट्रेजेडी क्रिएट कर रहे थे एट्स वई यू कपेड कश्मीर एंड बर
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डोंट एमपता इज वो बस ऐसे हंस के छोड़ देता है बिहार में तो ऐसे किडनैप कर लेते हैं जैसे कौन सा मजाक की बात चल रही है व्हाई डू यू थिंक बिहार पे बिहार पे ज्यादा टेंशन नहीं दिया जाता है इतनी ज्यादा स्पॉटलाइट नहीं है इतनी बातें नहीं होती इतने ज्यादा नेशनल लेवल पे कोई मुद्दा नहीं बना जाता कि वहां पर डेवलपमेंट होना चाहिए ग्रोथ होना चाहिए जबकि वो वन ऑफ द मोस्ट पॉपुलेशन कंट्री वहा पर लोग बहुत ज्यादा है वहां पर मिनरल्स बहुत ज्यादा है तो वहां पर बेनिफिट भी बहुत होंगे उसके बाद भी
उसके बारे में कोई बात नहीं होती वहा पर क्या क्राइम हो रहा है उसके बारे में नेशनल लेवल पर बात नहीं होती वहां पर क्या डेवलपमेंट हो रहा है उस पर नेशनल लेवल बात नहीं होती बात अब होती है मेरे ख्याल से सी वट हैपेंस इ जो 1990 से 2005 था और और इसमें बहुत इंपॉर्टेंट जो हम लोग पहले बात कर रहे थे कि मीडिया और जो इंटे िया है वो क्या नैरेटिव सेट कर रही है व बहुत इंपोर्टेंट है मेरे ख्याल से जो सबसे बड़ा डिस सर्विस मीडिया और इंटेलिजेंसिया ने किया है वह 1990
से 2005 के पीरियड को सोशल रिवोल्यूशन बता के किया है कि वह तो क्रांति का पीरियड था सामाजिक क्रांति आ रही थी उस समय यह कौन सी सामाजिक क्रांति है जिसमें कोई भी बेहतर नहीं हो रहा है सामाजिक क्रांति कैसे हो सकती है तो वो जो कारण है मेरे ख्याल से उसके कारण जो शायद पेन है जो निकल के आना चाहिए था और जिन चीजों पर ज्यादा बात होनी चाहिए थी बात नहीं उस पर बात नहीं हुई बस ऐसे देखा जाने लगा कि अच्छा सामाजिक क्रांति का पीरियड था तो थोड़ा बहुत तो नुकसान होना ही
होना है तो यह थोड़ा सा उसका कोलेट डैमेज है तो कोलेट डैमेज के तौर पर उसको एक्सेप्ट कर लिया गया और लालू जी को मसीहा बता दिया गया सोशल रेवोल्यूशन का कि लालू जी तो पिछड़ों के यूनो जननायक है और इतने बड़े नेता है च इज एब्सलूट रबिश दैट मैन हैज डेस्टेट रु एनटायर जनरेशन ऑफ बिहार ओके टेल मी उनके पीरियड को आप जंगल राज क्यों बोलते थे व्ट ड य मीन जंगल राजो ये एक ऐसा टर्म है जो मैंने नहीं दिया है ओके मलय बहुत सुनने मूवीज में भी बहुत सुनने को आता है हर
जगह मीडिया में भी सुनने जंगल राज का मतलब क्या होता है जंगलराज का मतलब य है कि वो जंगल है मतलब दे नो लॉ एंड डर देर आर नो रूल्स कोई कोई देखने वाला नहीं है कोई जानने वाला नहीं है मतलब वहा कोई कुछ भी कर सकता है इसलिए उसे जंगल राज बोलते हैं राबड़ी देवी के भाई है ना सबसे इंपॉर्टेंट तो आजकल आप देखते होंगे कि यू नो रोहिणी आचार्य जो लालू की बेटी है जिनको सारन से उन्होंने टिकट दिया जिन्होंने उनको किडनी दिया था सिंगापुर में जो रहती है बेटी आप याद कीजिए सो
रोहिणी आचार्य इज कॉल्ड अ डॉक्टर शी इज अ डॉक्टर बट हाउ डिड शी बिकम अ डॉक्टर उनकी बड़ी जो बेटी है मीसा भारती वो भी डॉक्टर है दोनों डॉक्टर कैसे बनी तो मीसा भारती ने कभी मेडिकल एंट्रेंस का एग्जामिनेशन का वो क्रैक नहीं किया तो उनको जमशेदपुर में टाटा मेडिकल कॉलेज है वहां टाटा स्टील के एंप्लॉयज का कोटा होता है उससे उनको वहां पर एडमिशन दिला दिया गया जबकि लालू राबड़ी कोई टाटा स्टील के एंप्लॉई नहीं थे लेकिन स्टेट के चीफ मिनिस्टर थे तो वहां एडमिशन दिलाया फिर बोला गया कि वहां सिक्योरिटी कंसर्न्स है तो
उनको शिफ्ट करना पड़ेगा पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में तो उनको पटना मेडिकल कॉलेज में फिर शिफ्ट कर दिया गया शी टॉप द एमबीबीएस एग्जाम विद अ डिस्टिंक्शन इन गाइनो पलल जी व्हेन हर मदर वाज द चीफ मिनिस्टर ऑफ द स्टेट एंड शी नेवर प्रैक्टिस मेडिसिन फॉर अ डे इन हर लाइफ ये पहली बेटी हुई तो पहली हुई तो दूसरी को भी फिर मन हो गया होगा कि उन्हें भी डॉक्टर बनना है तो उन्हें भी सेम रूट से पहले टाटा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करा दिया गया टिस्को कोटा पे रोहिनी आचार्य की शादी थी 2002 में
हम 2002 में पटना में जब उनकी शादी थी तो पूरे पटना में ऐसा हुड़दंग मचा आप किसी से भी पूछ लेंगे बिहार में सबको पता हो एक पंडाल बनाया गया जिसका शेप था ताज महल पैलेस होटल की तरह उसका रेप्ट बनाया गया पंडाल वत तो ठीक है आप कुछ भी बना लीजिए उसके बाद जो राबड़ी देवी के दो भाई है साधु और सुभाष यादव आपने अक्सर नाम सुने होंगे उनके वह पटना के कार शोरूम्स में गए और उनसे गाड़िया मांगी तो बेचारे ने पांच गाड़िया दे दी कि सब रख लीजिए उन्होने कहा इतने से नहीं
होगा फिर 10 एसी गाड़िया और उठा ली वो गाड़ी ले गए बारातियों को लाने ले जाने के लिए फिर चले गए फर्नीचर शोरूम बोला पंडाल बन गया तो इसमें सोफा भी लगाने होंगे वहां से 100 सोफा सेट उठा लिए और लाकर पंडाल में लगा दिया जो गाड़िया लेकर गए गाड़ी के शोरूम से उसका पेट्रोल भी क्रेडिट पर लिया फिर चले गए य ज्वेलर्स के पास वहां से ज्वेलरी उठा ली सिर्फ फूल वाले बच गए क्यों क्योंकि फूल आ रहा था सिंगापुर से बैंकॉक से तो फूल वाले बच गए जो दूल्हा दूल्हे का जो गांव था
वहां पर रातों रात सड़क पहुंच गई रातो रात वहा बिजली के कनेक्शन हो गई रातो रात व टेलीफोन की लाइन पहुंच गई बिजली कनेक्शन में एस्टीमेट च से सिर्फ 2 लाख रुप का ट्रांसमिशन लॉस हुआ बिजली पहुंचाने में उस गांव में 300 कमांडोज एसटीएफ के लगे हुए थे सिर्फ बारातियों के आवा भगत और यनो सुरक्षा में और 10000 कार्ड छपे थे गेस्ट बुलाने के लिए और को बाटा किसने जितने भी गवर्नमेंट ऑफिशियल थे और डीएम एसपी सब कार्ड बांट रहे थे लालू की बेटी की शादी की लालू की बेटी की शादी का पटना में आईन
गव य मोर इं य सब यह सब पब्लिक रिकॉर्ड है डॉक्यूमेंट टेलिंग बे ओपनि और ट यू है ट ट इंस ऐसे है जो विश्वास नहीं कर पाएंगे आप लेकिन इतने सच हैं जिसम कोई रिफ्यूट नहीं कर सकता है लालू रिफ्यूट नहीं कर सकते बाकी लोग तो छोड़ दे गिव मी मोर इं लाइक गिव मी वन मोर इंसीडेंस आई वा नो मोर वट गिव यू अ वेरी सीरियस वन तो अ दिस अगेन वेरी फेमस देर वाज अ गाय कॉल्ड गौतम हम अ लंदन बेस डॉक्टर का बेटा एस्पायरिंग पॉलिटिशियन केम बैक टू बिहार उसने आरजेडी का
यूथ विंग जवाइन किया साधु यादव उसका सो कॉल्ड दोस्त मेंटर जो भी यूथ विंग में दिस गर्ल कॉल्ड शिल्पी शिल्पी जैन एक पटना के बहुत बड़े क्लोथ मर्चेंट की बेटी उज्जवल जैन की बेटी मिस पटना टाइटल ना बोथ र इन अ रिलेशनशिप अली जटली राइट एक दिन एक गराज में लॉक गराज में कार में दोनों की डेड सेमीन्यूड बॉडीज मिली और जो गैराज था वह जिस घर के बगल में था व घर था 12 फ्रेजर रोड पटना वह घर था साधु यादव का राब देवी का भाई तो यह जैसे खबर फैली पुलिस आई ताती उसके
पहले साधू यादव के सारे सपोर्टर्स आ गए व बहुत हल्ला हंगामा हुआ उस कार को जिसको शायद टो करके ले जाना चाहिए था एविडेंस बचाने के लिए फटाफट बॉडीज को हटाया गया उस कार को ड्राइव करके कांस्टेबल ले गया फिंगरप्रिंट सारे हट गए आपाधापी में बोल दिया गया सुसाइड जो गौतम की बॉडी थी उसको तुरंत बिना उसकी फैमिली के परमिशन के कमेट कर दिया गया पहले सुसाइड बोला फिर बोला नहीं पॉइजनिंग है राइट बहुत जब हल्ला हंगामा मचा इस पर तो केस को सीबीआई को ट्रांसफर किया गया सीबीआई ने जब ऑटोप्सी रिपोर्ट आई शिल्पी की
शिल्पी जैन की मल्टीपल पीपल हैड रेप हर बिफोर हर डेथ सीबीआई ने साधु यादव से डीएनए सैंपल मांगा साधु यादव रिफ्यूज ही रिफ्यूज टू गिव द डीएनए सैंपल ू सीबीआई ू सीबीआई कैन दे रिफ्यूज कैन सम बडी रिफ्यूज ही रिफ्यूज बट कैन यू रिफ्यूज यू कांट राइट यस न सो यू कांट सो ट व्ट नेक्स्ट देन जो पुलिस का एंटर पुलिस अंडर स्टेट गवर्नमेंट क्या कर लोगे उसका रिफ्यूज केस गट क्लोज एस सुसाइड शिल्पी जैन का जो ब्रदर था प्रशांत जन परसंग इट कुछ सालों के बाद प्रशांत जैन को एक दिन एडक्ट कर लिया जाता
है किडनैप बहुत हला हंगामा हो तो 12 दिन के बाद उसे छोड़ा गया बहुत ओबवियस था कि इसने किडनैप किया था ही वास पर्संग द केस बिकॉज 12 दिन के बाद छोड़ दिया गया फिर ही स्टॉ परसंग द केस एंड द केस ट क्लोज दिस अगेन इ अगेन यू कन जस्ट मेक नर्मल ग सर्च देर स्टोरीज एक बहुत डिटेल स्टोरी हैट आई नॉट कोटेड इन द बुक बिकॉज इट वाज नॉट देर वाज नॉट प्राइमरी सोर्सेस टू इट इट सेज हाउ एंड व्हाट हैपेंड एक्चुअली ऑन दैट डे गो अड टेल मी कहा जाता है कि शिल्पी
जन कॉलेज जा रही थी और एक कार से साधु यादव के कुछ जो भी दोस्त उसके चेले जो भी थे वह उसी रास्ते से जा रहे थे उसने शिल्पी जैन को देखा और कहा कि चलो तुमहे हम कॉलेज ड्रॉप कर देते हैं उसे कार में बिठाया और उसे कार में बिठाकर पटना के बहुत बाहर में कोई एक गुडाउन या गराज टाइप जो था वहां ले गए उसे गौतम को पता चला कहीं से कि यू नो कार में बिठा के ये लोग उसको ले गए तो गौतम को लोकेशन पता था गौतम उसके पीछे पीछे वहां तक
गया जब व वहां तक पहुंचा तो देखा कि शिल्पी के साथ कुछ गलत हो रहा है तो इसने विरोध किया तो फिर दोनों को बांधा गया शिल्पी वास रेप बोथ र मडर्ड देर देन देर डीज वास केप्ट इन द कार बट टू द गराज एंड केप्ट देर सीन अ सीरीज कॉल्ड महारानी सीन सम बिट्स ऑफ हैव य सीन इट देयर आर इंसीडेंट्स ऑफ व्हाट यू आर सेइंग इन द सीरीज एज वेल क य बिहार की पॉलिटिक्स के ऊपर है एंड दिस एग्जैक्ट सीन हैपेंस इन दैट सीरीज एज वेल ओके समथिंग सिमिलर कि उधर जो स्टेट
की पेजेंट विनर रहती है उसके साथ होता है उसके बॉयफ्रेंड के एक्जैक्ट सेम तो इंस्पायर्ड बाय दिस एंड सेम एक गैराज में ही होता है वन ऑफ द वेरी पावरफुल एमएलए हु डज समथिंग सिमिलर एंड दिस ही इज नॉट जस्ट अ पावरफुल एमएलए अंडरस्टैंड दिस वो वो चीफ मिनिस्टर का भाई था नॉट जस्ट अनदर एमएलए डिफरेंस ऑलमोस्ट एस गुड एस चीफ मिनिस्टर ही वाज बिकॉज उस समय क्या हुआ था लालू लालू जेल में थे राबड़ी देवी वास शी अनलेटर्ड शी डज नॉट नो टू रीड एंड राइट तो गवर्नमेंट वर्चुअली यही लोग दोनों चला रहे थे
साधु एंड शुभास यादव सो यस लेट्स टॉक अबाउट दिस इंडिविजुअल जो आपने बोला कि पूरे बिहार में बिहार एक स्टेट से रन नहीं था अलग-अलग बाहुबली रन करते थे व्हाट डू यू मीन बाय दैट हर पूरे स्टेट में कितने पार्ट्स में डिवाइडेड था क्या बाहुबली का स्टेटस था क्या करते थे व्हाट वाज द होल सिनेरियो एंड हर जो सीरीज होती है मूवीज होती है जिसके बेसिस पे जो हमें पता चलता है देखने उन सब में यही दिखाते हैं कि बिहार इज यूजुअली अंडर कंट्रोल ऑफ सो कॉल्ड बाहुबली या जो बहुत पावरफुल वहां के पॉलिटिशियन होते
हैं वही कंट्रोल करते हैं और कोई नहीं होता वहां पर दिखाया जाता है कि कैसे एक डीजीपी लेवल तक के पुलिस ऑफिसर को ऐसे चेंज कर दिया जाता है क्योंकि जस्ट बिकॉज वो किसी एक बाहुबली के सपोर्ट में नहीं थे एसपी वगैरह को कैसे ट्रीट करा जाता है एक पॉलिटिशियन सब जो सीरीज में दिखाते हैं एंड बेस्ड ऑन व्ट यू आर सेइंग एंड व्ट यव रिटन इन द बुक इ ये सब रियलिटी आईल गिव एग्जांपल्स सो एक्सप्लेन मी द होल या सो सी व्हाट हैपेंस आल गिव यू सम हिस्टोरिकल कॉन्टेक्स्ट टू इट 60 और 70
के दशक में क्या हुआ कि बूथ कैपचरिंग चालू हुई इलेक्शंस में यू नो बूथ कैपचरिंग हम सब जानते हैं तो बूथ कैपचरिंग में क्या होता था कि अब जो नेता है खुद जाकर तो बूथ कैप्चर करेगा नहीं तो बहुत सारे से स्ट्रांग मैन जो होते थे अलग-अलग जगहों के गांव के वो ढूंढते थे और उनको जिम्मेदारी दे देते थे कि यह 10 गांव के बूत तुम्हें लूटने हैं मेरे लिए 10 गांव के बूत तुम्हें लूटने हैं तो यह बाहुबली बनके आने लगी जो बूथ कैप्चर करने वाले थे 60 और 70 के दशक में इस तरह
से बहुत सारे नेता अपने अपने हां जीतते थे इन्हें रियलाइफ इन बाहुबलियों को जो बूथ लेटते थे कि यार जब हम ही बूथ लूटकर इनको जिता रहे हैं तो इलेक्शन हम ही क्यों ना लड़ ले राइट तो आप देखेंगे अ के दशक में क्या हुआ बहुत सारे इनमें से जो हेंचमैन हुआ करते थे अलिर वो खुद इलेक्शन में आ गए और कई बार तो अपने ही जो उनके सो कॉल्ड मालिक या नेता थे उसी के अगेंस्ट और जीते भी और आज बहुत सारे ऐसे बड़े नेता है बड़े नाम हैं जो एक्चुअली वो बूथ लूटने वाले
काम के साथ शुरू हुए थे आज भी हैं जैसे लेट्स नॉ टेक नेम्स ओके बहुत सारे ऐसे तो 1990 में इसका पीक आया 1990 में जो स्टेट इलेक्शन हुए उसमें 30 इंडिपेंडेंट एमएलए जीत के 30 इंडिपेंडेंट और सभी अपने अपने क्षेत्र के बाहुबली थे ट अब इनके सहयोग से सरकार बनी लालू यादव की सरकार बनी बड़े बड़े नाम थे जो आप आज सुनते हैं शहाबुद्दीन पप्पू यादव यनो और भी कुछ तस्लीमुद्दीन और कुछ कुछ नाम थे सुरेंद्र यादव वो लोग तो पार्टी से थे वैसे अब क्या होता था कि ये अपने क्षेत्र में इतने मजबूत
होते थे उनको किसी पार्टी के सिंबल की जरूरत नहीं थी जीतने के लिए वो इंडिपेंडेंट भी जीत रहे तो पार्टी क्या बोलती थी तुम्हें यार अपने यहां जो करना है कर लो बस तुम मेरी पार्टी को सपोर्ट करो या मेरी गवर्नमेंट को सपोर्ट करो बाद में उन सबको पार्टी में भी मिला लिया गया तो उनको अपने एरिया में रूल करने के लिए एक तरह से छोड़ दिया जाता था बिकॉज उनका भी एक औरा पार मेंटेन रहे कि मेरे क्षेत्र मेरी चलेगी राइट कि मेरे ऊपर कोई भी ओवर रूल नहीं है नहीं है मैं अपने क्षेत्र
में आई डोंट वांट इंटरफरेंशियल अंसारी और ये और आज तक का सबसे लेकिन आई से ड्रेडेड और बड़ा क्रिमिनल पॉलिटिशियन कोई हुआ है तो शहाबुद्दीन क्यों ऐसा बोल र क्यों ऐसा बोल र हूं शहाबुद्दीन के क्राइम्स कुछ-कुछ है एक एक बहुत फेमस क्राइम था मर्डर ऑफ अ स्टूडेंट यूनियन लीडर चंद्रशेखर चंदू बहुत फेमस थे हम अ चंद्रशेखर जेएनयू में थे जवाहरलाल नेहरू स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसिडेंट थे लेफ्ट आइडियो जीी से बिलंग करते थे तो ही वेंट बैक टू शिवान वहां पे ग्राउंड पे काम करना शुरू किया ग्राउंड से ऑर्गेनाइजेशन खड़ी करनी शुरू की और करप्शन
के खिलाफ बोले हर चीज के खिलाफ बोले ही स्टार्टेड बीइंग सीन एज अ कंटेंडर सिवान के लिए हम एक दिन वो सीवान का एक बहुत फेमस सा चौराह है वहां पर एक नुक्कड़ सभा कर रहे थे और उनकी हत्या कर दी जाती है भरी सभा में भरी सभा में सबको पता है किसने हत्या करवाई है फिर एक बहुत बड़ी यू नो रैली निकलती है जो चंदू के गांव से लेकर शिवान के उस चौक तक आई के गुजराल चंदू की मां को एक लाख रप कंपनसेशन ऑफर करते हैं चंदू की मा उसे रिफ्यूज कर देती है
कहती है कि सबको पता है कि हत्यारा कौन है अगर आपको मुझे कोई सहायता ही करनी है तो उसे पकड़ के कीजिए इन पैसों से मत कीजिए दिल्ली में बिहार भवन के सामने बहुत बड़ा प्रोटेस्ट मार्च निकलता है य बहुत सारे स्टूडेंट्स जेनय के खास करके जाते हैं उस भीड़ पर साधु यादव गोली चलवा हैं उस प्रोटेस्ट मार्च पर तो चंद्रशेखर की हत्या एक बहुत फेमस इंसिडेंट हुआ इसी प्रकार से एक तो तो सिवान में क्या होता था अक्सर कि शहाबुद्दीन के डर से कोई किसी पार्टी और किसी पार्टी का झंडा नहीं लगा सकता था
अ बहुत सारे दुकान शहाबुद्दीन की तस्वीरें लगाते थे अपने दुकान में दुकानदार एलिजेंस दिखाने के लिए कि हम आपके साथ हैं शहाबुद्दीन खाब पंचायत लगाते थे शहाबुद्दीन के यहां पीआईएल दाखिल होते थे वह डिसाइड करते थे मैटर्स पे डॉक्टर की फीस कितनी होनी चाहिए सिनेमा हॉल का टिकट का रेट कितना हो चाहिए म शिवान में कुछ भी होगा शाहबुद्दीन की मर्जी से होगा और इसमें हल्का सा भी मैं एजरेट शायद नहीं कर पा रहा हूं उतना जितना एक्चुअली वह वो था एक बहुत ही फेमस और केस हुआ चंदा बाबू का चंदा बाबू के तीन बेटे
थे उनकी दुकान थी वहां की मार्केट में और एक दिन जब शहाबुद्दीन के कुछ लड़के वहां पर रंगदारी वसूल करने आए उनका था हर हफ्ते का लेवी था तो कुछ बहस हुई चंदा बाबू के बेटे से तो वह बेटे ने क्या पास के दुकान में गया ऐसे डराने के लिए तेजाब ला के उसको दिखाया तो चले गए उस समय फिर बाद में शहाबुद्दीन के आदमी आते हैं उन दोनों बेटों को उठा तीनों बेटों को उठा के इक्ट वो खेत में ले ग एक जो सबसे छोटा वाला बेटा था वो तो भाग गया बाकी दोनों बेटों
को तेजाब से नहला के मार डाला राट और जो तीसरा बेटा हैय पब्लिक में हुआ एव्री डम पर्सन इन द वर्ल्ड नोज एवरी पर्सन इन द वर्ल्ड नोज तीसरा बेटा जो है जब य केस चल रहा था चचंदा केस लड़ते रहे अपने आखरी दम तक और तीसरा बेटा विटनेस था उस चीज का जिस दिन गवाही थी उसके पिछले दिन बेटे की हत्या कर दी गई तीसरे बेटे की उसकी जस्ट 10 दिनों पहले शादी भी हुई थी एक दूसरा बहुत बड़ा य कांड है एक और बताता हूं आपको एक ऐसी एक और मर्डर केस हुआ जिसमें
दो लोगों की बॉडीज को चॉप ऑफ करके वो यून नो डिस्पोज कर दिया गया लेकिन चकि कभी बॉडीज मिली नहीं तो यू नो प्रूव हुआ नहीं तो इसमें शाहबुद्दीन का एक चेला जो वो शामिल था संपक प आईम फटिंग द नेम तो पुलिस उसको पकड़ने के लिए शहाबुद्दीन के घर पर था शहाबुद्दीन के घर पर पहुंची तो जो पुलिस ऑफिसर पहुंची संजीव कुमार आ गस सनी शाहबुद्दीन ने उसे झापड़ मारा पुलिस ऑफिसर को पुलिस ऑफिसर को और जितने लोग साथ में थे पुलिस वाले उनको शहाबुद्दीन के लोगों ने पीटा तो ये लोग सब उस समय
चले गए फिर उधर से रिइंफोर्समेंट लेक आए और जब रिइंफोर्समेंट लेके आए तो दोनों तरफ से गोलियां चलनी शुरू हुई नी गैंग वर बिटवीन पुलिस एंड देम पुलिस एंड देम उसमें शहाबुद्दीन के छ लोग मारे गए दो पुलिस वाले मारे पुलिस की जीपों में आग लगा दी गई शहाबुद्दीन फरार हो गया और शहाबुद्दीन ने स्टेटमेंट दिया उस समय आईपीएस थे सिवान के बच्चू सिंह मीना कि बच्चों सिंह को अगर ही वा फ्रॉम राजस्थान कि राजस्थान तक भी ढूंढना पड़ेगा तो उसे ढूंढेंगे और उसे मारेंगे लेकिन मारेंगे जरूर राइट लुक एट द ओडेसिटी राइट बाद में
2004 के आसपास में ही ही वास फाइनली अरेस्टेड बहुत सारे तो उसको सवान में एक हॉस्पिटल का पूरा एक फ्लोर दे दिया गया जहां पर फिर वहां पर जनता दरबार लगती थी और यू नो वो कहने को बस इजन मेंट था 2004 कीय घटना है एंड फाइनली जब रेड हुआ शहाबुद्दीन के घर पर 2005 में यू नो जब नीतीश की सरकार आई यू नो थोड़ा उनके पावर कम हुए थे उस रेड में शहाबुद्दीन के घर से नाइट विविजन गॉगल्स हुए बरामद लेजर गाइडेड गंस एक 47 और उन वेपंस पे पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के स्टैंप थे
राइट ए एंड दिस इ अ फॉर्मल रिपोर्ट बाय द देन डीजीपी डीजीपी ओज ही राइट्स इन हिज रिपोर्ट यू नो पाकिस्तान ऑडिस फैक्ट्री के उसपे मुहत है एंड सुप्रीम कोर्ट का ये स्टेटमेंट है दे से इन वन ऑफ द जजमेंट्स कि भाई वर्च ऑफ बीइंग एन एमपी हाउ कैन यू कीप थिंग्स व्हिच आर नॉट अलाउड टू बी केप्ट बाय सिविलियंस सिर्फ आर्मी के लिए अलाउड है नाइट विजन गगल लेजर गाइडेड गन सिवि रख नहीं सकते इंडिया में तो आपके पास कैसे हैं यह शहाबुद्दीन एंड द आनी ऑफ इट ल शाहबुद्दीन वन ऑफ सबसे ट्रस्टेड लूटने
रहे लालू के पूरी जिंदगी सबसे ट्रस्टेड 1996 में जब संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी जनता दल य मेजर पार्टनर शहाबुद्दीन हैड ऑलमोस्ट बिकम द यूनियन होम मिनिस्ट स्टेट ऑलमोस्ट लालो से गृह राज्यमंत्री बना रहे थे ओके यह सब जो बिहार में होता था एट द सेम टाइम जैसे बूथ कैपचरिंग होती थी पोलिंग बूथ कैपचरिंग वो मल्टीपल स्टेट में होता था सि बिहार में नहीं होता था ट वहां सब भी बहुत सारे बाहुबली है बहुत सारे पावरफुल लोग हैं बहुत सारे करप्ट थे जो पॉलिटिशियन बन गए तो उन सब में लॉ एंड ऑर्डर की स्टेट बेटर
कैसे हुई वर्सेस बर में क्यों नहीं हो पाया 90 के दशक में क्या हुआ आप कभी भी किसी प्रकार का चेंज जो लाना चाहते हैं उसके दोनों तरीके हो सकते हैं एक तो सबको मिला के सोशल चेंज आप लेते हैं और जो दूसरा तरीका है जो लालू ने अपनाया वो है कि हम जो पूरा स्ट्रक्चर है सोशल उसको पलट दें कि अब तक तुम्हारी बारी थी मेरी बारी है और तुमने मुझे कल परेशान किया मैं तुम्हें परेशान करूंगा तो दूसरा तरीका बिहार में अपनाया गया और देश के किसी भी स्टेट में किसी भी पॉलिटिशियन ने
इतना स्ट्रंग दूसरा का नहीं अपनाया है एंड दैट इज व्ट आई थिंक लेड टू द ब्रेकडाउन वहां प तो हर चीज को कास्ट के लें से देखा जाने लगा हर चीज को मी वर्सेस यू के लें से देखा जाने लगा बहुत सारे आप इंस्टेंसस आप लालू के देखेंगे इनफैक्ट जिसमें सो आप आप सिंपली ऐसे देखिए ब्यूरोक्रेसी में तो लालू का अपना ही एक तरीका था यू नो सबको अंडरमाइंड करने के लिए और खास करके उस समय तक ब्यूरोक्रेसी वास वेरी अपर कास्ट हैवी राइट ओबीसी रिजर्वेशन 90 में आए तो उस समय तक तो ज्यादातर अपर
कास्ट होते थे लालू क्या करते थे अपने जब वो घर के यू नो सामने वो बैठते थे तो कुर्सी पर बैठ के पांव टेबल पर रखते थे और पांव के सामने ब्यूरोक्रेट्स कोसे खड़े रखते थे राइट और उसकी फोटो खिंचवाते थे और ये अखबारों में छपती थी और लोगों को बहुत खुशी होता था उनके वोटर्स खुशी होता सबको लाइन प ला दिया है बहुत खुशी की बात है ब्यूरोक्रेसी में 1992 में बता रहा हूं एंड दिस इज अ डेटा मतलब सारे ये आईएएस आईपीएस आईएफएस ऑफिसर्स खड़े रहते थे सामने यस यस और वो स्टेट के
जो चीफ सेक्रेटरी द हाईएस्ट रैंकिंग आईएस ऑफिसर चीफ सेक्रेटरी को वो वो बोलते थे बड़ा बाबू बड़ा बाबू इज जनरली द एसएचओ ऑफ अ पुलिस स्टेशन बड़ा बाबू जो हम बोलते हैं और जो स्टेट का डीजीपी होता था उसे मुंसी जी बोलते थे मुंसी जी जो पुलिस स्टेशन में क्लेरिक स्टाफ होता है उसे मुंसी जी बोलते हैं मुंसी जी बुलाते थे और 1992 में एंड आई कोटेड दिस इन अ बुक आउट ऑफ 382 आईएस ऑफिसर्स इन द स्टेट 144 रिक्वेस्टेड फॉर अ सेंट्रल डेपुटेशन उन्होंने बोला भाई हमें सेंटर में ले लो यहां नहीं रह पाएंगे
तो ब्यूरोक्रेसी का रिस्पेक्ट उसका उसका वर्किंग कैपेसिटी सब कुछ तोड़ दिया तो उसमें शायद जो थोड़े बहुत थे जो उनके लाइन को टो कर गए वो टिक गए बाकियों को जैसे उनका तरीका था अगर किसी ने थोड़ा बहुत भी कुछ किया तो ट्रांसफर कर दिया पोस्टिंग कहीं ऐसी जगह कर दी जहां कोई यून नो रिलेवेंट नहीं हो ब्यूरोक्रेट्स एंड दिस आर अगेन रिकॉर्डेड इंसेंट्स ब्यूरोक्रेट्स लालू के जो पान का पीक दान होता है जिसमें वो पान खाके थूकते हैं वो उठा के उनको देते थे उनके पान थूकने के लिए साथ में एक ब्यूरोक्रेट होता था
कोई भी बगल में होता था उसको इशारा करते थे कि पिक दन उठाओ एंड ब्यूरोक्रेट्स यूज टू डू दैट सो ये कहीं नहीं हुआ है ट इज द मेजर डिफरेंस ओके टेल मी जब वो इतने पावरफुल थे और इतना ज्यादा उनका मैनेजमेंट जो था यादव मुस्लिम ओवरऑल हर चीज का सोशल इंजीनियरिंग का सोशल कोलेशन का और हर जगह वह पावरफुल बनते गए थे उनके साथ सारे बाहुबली भी थे एंड एट द पीक ऑफ इट पावर रा उनका डाउनफॉल कैसे हुआ हाउ डिड ही गट रिप्लेस और ट चेंज या हटा सो ट्स द ट्स द ब्यूटी
और द आयनी ऑफ पावर जब को बहुत ज्यादा पावरफुल हो जाता है ना तो उसको लगता है ही ड्राइव द वर्ल्ड ही कैन नॉट बी डिफीटेड किसी को भी आप हिस्ट्री में ले लो हिटलर नेवर थट ही कुड बी डिफीटेड राटन एनीबडी इन द वर्ल्ड पोल पट हिटलर एनीबडी रशियन लिगा ए सो न लालू यादव को 1996 की बात है लालू यादव बिहार में तो खैर बन ही चुके थे हीरो वो जनता दल के नेशनल प्रेसिडेंट बन गए थे एंड ल वाज वन ऑफ द कंटेंडर्स फॉर प्राइम मिनिस्ट्रियल पोजीशन राट वो बन भी जाते शायद
अगर मुलायम सिंह यादव उनको सपोर्ट करते या उनका नाम उनके नाम प वीटो नहीं लगाते मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि दूसरा यादव लीडर बन जाए दोनों की अपनी अपनी टसल थी बिहार और यूपी में तो लालू नहीं बन पाए ए देन देव कौड़ा बने आई के गुजराल बने तो इस समय तक तो लालू को लगता था कि यार देश में कोई नेता है तो मैं ही हूं और उनके फॉलोअर्स को भी लगता था एंड ही वाज एक्चुअली दैट पावरफुल एटलीस्ट एंड दैट पॉपुलर दैट पॉपुलर एटली ही वाज पॉपुलर 1997 में चारा घोटाला सामने
आया हम राइट मैंने उसका जिक्र किया किताब में एक बहुत फेमस सेक्रेटरी थे वी एस दुबे कर के तो 90 के दशक में क्या हुआ करता था और अक्सर हम अखबारों में पढ़ते थे कि किसी भी सरकारी हर दिन करीब करीब एक न्यूज होता था कि सरकारी शिक्षकों की का वेतन मान छ महीने से लंबित है इन क्लर्क्स का वेतन साल से लंब है किसी को भी टाइम पर पैसे नहीं मिलते थे आजकल आप ये सोच भी नहीं सकते कि ऐसा क्यों होगा तीन तीन साल तक सैलरी नहीं मिलते थे नहीं मिलते थे हर डिपार्टमेंट
कुछ ऐसा किसी का तीन महीने से पेंडिंग है किसी का छ महीने से पेंडिंग है इतना यूजुअल फिनोमिना था ये कि किसी को समय पैसा मिल गया तो तो स्वर्ग है तो वी एस दुबे ने लिखा कि मुझे मैंने जब फाइल्स देखा और मैंने यह देखा कि यू नो सैलरी ही नहीं दे पा रहे हम अपने य ो गवर्नमेंट एप्ल को तो पैसा जा कहां रहा है ऐसा क्या कर रहे हैं पैसे का कोसा बड़ा प्रोजेक्ट तो कर नहीं रहे तो मैंने वो एक्सपेंडिचर और इसके मैंने सब सारे डीएम को भी यूनो मैसेजेस किया कि
देखो यार हो क्या रहा है पैसा कहां जा रहा है और सीजीसी भी उसी समय कुछ रिपोर्ट आई कि जो एनिमल हस्बें डिपार्टमेंट है पशुपालन विभाग उसमें यू नो जो एक्सपेंसेस वो बहुत ज्यादा हो रहे हैं जितना बजट है उसका पांच गुना हो रहा है तो ऐसा कौन सा काम हो रहा है पशु पालन विभाग में कि बजट से पांच गुना खर्च हो रहा है तो एक बहुत फेमस एंड ही इ नाउ इन द पीएमओ अमित खरे ही द ऑफिसर वेरी अपराइट आईएस ऑफिसर वो चाइबासा के डीसी थे तो उन्होंने चाइबासा में जो पशुपालन विभाग
था उसपे रीड किया और रीड करके वहां पर उन्होंने उसके बिल्स बिल सब कुछ चेक किए और उन्होंने देखा कि एक तो सिर्फ खर्च ही नहीं पांच गुना हो रहा है जितने बिल्स और वाउचर्स है सारे फेक है तो उसको रिपोर्ट बैक किया फिर दूसरे डिस्ट्रिक्ट में देखा जाने लगा फटाफट चेकिंग होने लगी कि यार तुम देखो तुम देखो क्या हो रहा है देखा ये तो एकदम कॉमन थ्रेड है हम सारे डिस्ट में यही हो रहा है एंड देयर स्टार्टेड द अन अर्थिंग ऑफ चारा घोटाला सीबीआई को केस ट्रांसफर तो जब ये चारा घोटाला सामने
आया तो लालू ने क्या किया वन मैन कमीशन बनाया एक हम राइट कि यू नो कुछ तो जांच करानी होगी तो जिस वन मैन कमीशन का उसको जो हेड जो हेड था कुछ दिनों बाद उसी का नाम आने लगा उस चारा घोटाले में हम तो अब लालू क्या करते तो उनके बहुत रेजिस्ट किया लेकिन केस को कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया बिहार कोर्ट नहीं यस सु तो फिर बिहार कोर्ट अंडर कंट्रोल में नहीं थी नहीं हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ठीक है मतलब इतना भी अपने इंस्टिट्यूशन टूटे नहीं है कि यू
नो तो सीबीआई को सौंप दिया गया सीबीआई ने फिर जैसे जांच करनी शुरू की पता चला ये तो 900 करोड़ का स्कैम है 900 करोड़ उस समय 97 में मतलब अनइमेजिनेबल हम तो सबसे बड़ा घोटाला 900 करोड़ का स्कैम है और बहुत इंटरेस्टिंग कहानी है कि कैसे उस समय तक यू नो उसके समर्थक सोच भी नहीं पा रहे थे कि लालू को जेल हो जाएगी सब लगता था ये तो इंपॉसिबल लालू और जेल मतलब यह सब तो मजाक है यार लालू हां तो कैसे गवर्नर से परमिशन लिया गया यू नो कैसे सीबीआई ने पूरा फ्रेम
किया कैसे अरेस्ट किया गया कैसे लालू ने तुरंत फिर अपने घर में ही अपनी वाइफ को जाकर बोला रबड़ी देवी को कि आज से तुम चीफ मिनिस्टर हो और जाके सारे एमएलएस को बोल दिया कि अब से ये आपकी नई चीफ मिनिस्टर है फिलहाल जेल जाते हैं वहीं से पतन शुरू हुआ मेरे ख्याल से वाइल जब वो चीफ मिनिस्टर थे तभी ये सब हुआ यस कैसे हुआ कैन यू एक्सप्लेन कैसे अरेस्ट किया इतने पावरफुल चीफ मिनिस्टर का जिनके कंट्रोल में स्टेट चलती है जहां पे मर्डर रेप मस्कर एसिन किडनैपिंग यह सब इतने ओपनली चल रहा
है वहां पर उन्हीं को अरेस्ट कैसे कर लिया पुलिस ने जहां पर पुलिस की भी नहीं चल रही वहां पुलिस वाला रो चेंज हो रहा है तो सो अगेन सीबीआई ने अरेस्ट किया सीबीआई ने पले गवर्नर से गवर्नर से इनफैक्ट परमिशन लिया इस चीज के लिए सीबीआई ने फिर यू नो सेंट्रल फोर्सेस मंगाए पूरे पटना को यू नो ब्लॉकेड किया गया जो पूरा सीएम हाउस का एरिया उसको ब्लॉकेड किया गया एक दो दिन से माहौल बनने लगा सबको समझ में आने लगा कुछ होने वाला है लालू को समझ में आ चुका था कि आई एम
गन अच्छा लालू को समझ में आ गया था कि उन्हीं के अरेस्ट के लिए हो रहा है ये स समझ में आ एक तो अरेस्ट के लिए हो रहा है प्लस समझ में आ गया था कि इस केस में तो मैं फस चुका हूं नो वे आउट और अगर वो कुछ भी रिटल करूंगा इट विल गो अगेंस्ट मी राइट तो लालू को दिख गया लास्ट तक कि अब माय अरेस्ट इज द ओनली सलूशन एंड टू दिस तो मेरे अरेस्ट के साथ-साथ मैं क्या कर सकता हूं और इसके पहले बहुत सारे इनेशन हुए तो हुआ क्या
कि यू नो ये चारा घोटाले का जो सीबीआई का जांच भी है उसकी बड़ी इंटरेस्टिंग स्टोरी है पहले देवगौड़ा पीएम थे तो देवेगौड़ा ने उस समय के जो सीबीआई चीफ थे उनको पुश किया लालू के खिलाफ जाने के लिए क्योंकि अ लालू ने जब 1990 में अ और इनफैक्ट उस समय भी जब वो पीएम बने थे तो लालू ने अपोज किया था देवगौड़ा का पीएम बनना इनफैक्ट तो देवगौड़ा वांटेड टू टेक दैट रिवेंज सो देवेगौड़ा पोस्ट सीबीआई डायरेक्टर को कि लालू के खिलाफ इस केस में गो डीपर इनटू इट फिर देवगौड़ा की सरकार गिर गई
आई के गुजराल बन गए पीएम आई के गुजराल को लालू ने ही पहले पटना से चुनाव या था 1991 में फिर बाद में हम राज्यसभा भेजा था तो वो थोड़ी दोनों की ये थी अंडरस्टैंडिंग थी तो लालू ने आई के गुजराल को फिर बोला कि यार ये क्या मेरे खिलाफ सीबीआई वगैरह लगाए हुए हो यू नो एंड इसको आप ये करिए एंड दिस इज रिकॉर्डेड जोगिंदर सिंह ने अपने इंटरव्यू में बोला जो सीबीआई डायरेक्टर थे आई के गुजराल कॉल्ड हिम एंड सेड कि यार इस केस में थोड़ा सा गो स्लो शी सेड गिव मी इन
राइटिंग बोला कि मैं तुम्हारा प्राइम मिनिस्टर हूं मैं बोल रहा हूं तो बोला कि हां एंड बाय वर्च्यू ऑफ फैक्ट कि आप प्राइम मिनिस्टर है आपको पता भी नहीं होना चाहिए कि मेरे और कोर्ट के बीच क्या चल रहा है हाई कोर्ट ने आर्डर किया है सीबीआई को सीबीआई अपना जांच कर र उसको सब सौंपेगी प्राइम मिनिस्टर को इससे क्या लेना देना है जोगेंद्र सि कोर्ट सेट य भी बताते कि फिर होम मिनिस्टर ने भी कॉल किया उन्होंने बोला यार थोड़ा धीरे हो जाओ मत करो यह वो लेकिन तब तक य स्कम बड़ा हो चुका
था व वो इतना पब्लिक नॉलेज हो चुका था कि उसमें धीरे होना पॉसिबल भी नहीं था नेशनल स्म तो लालू ने हर पॉसिबल प्रयास किया लालू आई के गुजराल को ऑफर दिया बिहार में जहां से भी चुनाव लड़ना है मैं आपको चुनाव हंगा जो कर सकते हैं करिए रोकिए इसको वड नॉट बी कंटेंड बाय देन इट हैड बिकम टू बिग बाय देन राइट लालू को समझ में आ गया था कि अब इसम मेरे को जाना ही होगा रेजिस्टेंस इज नॉट एन ऑप्शन तो बस उनको था ही इनफैक्ट जो लालू के पार्टनर्स थे तब तक जनता
दल में राम विलास पासवान हो गए चाहे चाहे और भी सुरजीत सिंह बरनाला ये सब सब सब यू नो ये करने लगे कि लालू को आप हटाइए यू नो पार्टी से हटाना होगा क सबको लगने लगा वो सब भी जाएंगे इससे बेटर ही इज अ लायबिलिटी नाउ इतना ओपनली यू नो तो लालू ने फिर अपनी पार्टी बनाई उसी समय जनता दल को तोड़ा और राष्ट्रीय जनता दल बनाया सारे एमल उन्हीं के साथ चले गए राबड़ी देवी को चीफ मिनिस्टर बना दिया खुद जेल गएन आई थिंक ट वास द स्टार्ट ऑफ द डाउनफॉल बट स्टिल देन
वो 2005 तक फिर भी सरवाइव ट्स द आयनी ओके टेल मी तो ये तो लीडर एट द टॉप या बट जो लीडर एट द बॉटम थे जो हम बात कर रहे थे सारे जो बाहुबली थे स्पेसिफिक जगह प उनके एरिया में तो वो पॉपुलर थे उनके एरिया में वो खुलेआम मर्डर करते थे गोलियां चलाते थे डरा के धमका के लोगों को वोट्स दिलाते थे राइट पैसे खिलाते थे लोगों को और फिर जो यह पूल वोटिंग पल वोटिंग बूथ है उसको चुरा लेते थे हर चीज होती थी राइट ल ऑफ दैट यूज टू हैपन वहां पर
लीडर्स कैसे चेंज हुए क्योंकि अगर मैं एक नया लीडर उस एरिया में खड़ा होंगा जहां पर मुझे पता है कि यह बाहुबली मुझे खत्म कर देगा तो खड़े कैसे हुए उनके अगेंस्ट में लोग और फिर वो जीते कैसे वेरी इंटरेस्टिंग तो हुआ एकदम ये रेजिस्टेंस हुआ सो फॉर एग्जांपल जैसे मैंने बता है कि शिवान में जब चंद्रशेखर खड़ा होना स्टार्ट हुआ तो शहाबुद्दीन गट हिम किल्ड इसी प्रकार से पूर्णिया में देर वाज अनदर स्टूडेंट लीडर कम्युनिस्ट लीडर कॉल्ड अजीत सरकार वेरी फेमस अजीत सरकार वास लाइक एक्सट्रीमली फेमस लेफ्ट लीडर पपू यादव गट किल्ड राइट फेमस
अगेन तो यह हुआ बट आफ्टर पॉइंट ऑफ टाइम वो रेजिस्टेंस डेवलप होना स्टार्ट हुआ इट्स अ वेरी ग्रैजुअली प्रोसेस तो आप देखेंगे 2001 दो के पंचायत इलेक्शन भी जब हुए ए दिस वा वेरी कॉमन शाहबुद्दीन के जब भी इलेक्शंस हुए हैं नॉट जस्ट जितने भी बाहुबली के इलेक्शंस के प्री पोल वायलेंस में इनफैक्ट 2000 चार वाले इलेक्शंस में या नौ वाले इलेक्शंस में जो बीजेपी का कैंडिडेट था ओम प्रकाश यादव इ आम रिमेंबरिंग द नेम करेक्टली उसके घर पे गोलियां चलवाई शहाबुद्दीन ने उसको सिक्योरिटी कर दिया गया इनफैक्ट तो ये होता था तो ऐसा कुछ
नहीं था कि उन्होंने होने दिया बट वो स्लोली चूंकि स्ट्रक्चर्स भी डेवलप हो रहे थे अ एंड एक बार नीतीश सरकार में आ गए तो द पुलिस स्टार्टेड एक्टिंग मोर रिस्पांसिबली ट बहुत क्लियर मैंडेट था लॉ एंड ऑर्डर का तो उसके बाद वो यू नो एकदम जो एकछत्र राज होता है खुला राज होता है वो ऑफकोर्स रिड्यूस हो गया बहुत सारे ये जो जो क्रिमिनल्स थे स्पेसिफिकली छोटे-छोटे क्रिमिनल्स फास्ट कोट्स बनाए गए पीएमएलए कोर्ट्स बनाए गए उनका कन्वे स्टार्ट हुआ तो फिर वो धीरे-धीरे जैसे जो अभी यूपी में हो रहा है मेरे ख्याल से वो
2005 में थोड़ा सा बिहार में हुआ वंस द न्यू गवर्नमेंट केम इ बिहार में एक चीज और है चच इज बालू माफिया वो कैसे ऑपरेट होता है रेथ माफिया जिसको बोलते हैं इट्स एस्टीमेट टू बी अराउंड 15000 करो यर बिजनेस इलीगल रेती की खदानों से लोग पैसे निकालते हैं और उसके आस उसकी वजह से बहुत सारे मर्डर भी होते हैं बहुत सारी किलिंग्स भी होती है बहुत चीजें होती है व व्हाट इज दिस होल माफिया सो सी किसी भी स्टेट में ना जब नॉर्मल इंडस्ट्रीज नहीं होंगी जो नॉर्मल इंफ्रास्ट्रक्चर है एवेन्यूज है वो नहीं होंगी
तो फिर लोग वहां के ना नॉर्मल डे टू डे चीजों में ही ना वो नए-नए पैसे कमाने के तरीके ढूंढने लगते हैं और एक चैप्टर है मेरी बुक में इट्स कॉल्ड यूनिक क्राइम इंडस्ट्रीज ऑफ बिहार ओके तो बिहार में भी यही हुआ किसी के पास कोई एवेन्यू था नहीं सिर्फ सरकारी नौकरिया उसके अलावा कुछ है नहीं तो सरकारी नौकरिया कितना कुछ हजार है कितने लोगों को मिल सकती है तो बाकी सब करेंगे क्या तो सबने एवेन्यूज ढूंढना स्टार्ट किया और आप देखेंगे बहुत इंटरेस्टिंग सो बिहारी आर वेरी हार्ड वर्किंग पीपल एक्सट्रीमली अंत्रप्रेनोर आई वुड से
इन फैक्ट यू वुड सी आप देश में कहीं भी चले जाएंगे वेरी शार्प पीपल तोब अगर उनकी जो एनर्जी है व सही जगह यूटिलाइज नहीं हुई तो गलत जगह पर होगी तो ऐसे ऐसे इंडस्ट्रीज क्रिएट हो गए बिहार में जो कोई सोच भी नहीं सकता था जैसे गिव मी टू थ्री एग्जांपल सबसे बड़ा किडनैपिंग इंडस्ट्री इट्स इंडस्ट्री अब तो बहुत कम हो गया है किडनैपिंग इन इंडस्ट्री ओके एक्सप्लेन या आई वड एक्सप्लेन इक्ट वेरी वेरी इंटरेस्टिंग स्टार्ट टू इट आल्सो तो कहा जाता है कि जो वेस्ट चंपारण एक डिस्ट्रिक्ट है बिहार में अगेन वेस्ट नॉर्थ
वेस्ट में तो व पहले डक्टस बहुत होते थे राइट तो डका ब बहुत थे तो सरकार ने ना वहां के एसपी को जिम्मेदारी दी डकती कम करवाओ किसी तरीके से तो उसने जो वहां का एसपी था ना उसने सारे डकैतों को बुलाया एक जगह और बोला कि यार देखो तुम जोय डकैती करते हो ना इस बहुत रिस्क है एक तो तुम य जंगलों में छुप के रहना पड़ता है डकैती करते हो यू नो एनकाउंटर में मारे जाने का डर है पकड़े जाने का डर है फिर इसका पकड़ने जाने के बाद पनिशमेंट भी बहुत सीवियर है
लडम भी बहुत है तो डकैती छोड़ो किडनैपिंग करो आराम से किडनैप करो पैसा लो छोड़ दो यार उसमें रिस्क भी कम है तुम्हारा और जिसके पास पैसा है वो दे भी देगा दिस इज अ स्टोरी दिस इज यू नो जनरल इसको कहा जाता है स्टार्ट ऑफ किडनैपिंग इंडस्ट्री इन बिहार ये स्टोरी एज व सुनी सुनाई कहानी है सबके लिए आई वुड से क्रेडिटेबल ओके मल्टीपल सोर्सेस है इसके ओके तो क्रेडिटेबल वहां के एसपी ने बोला कि तुम किडनैपिंग करो डकैती खत्म करो ओके तो तो किडनैपिंग की शुरुआत यहां से हुई ए एस अ ब्रॉडर तो
उन लोगों ने डकती छोड़ के किडनैपिंग की शुरुआत की तो पहले तो उस रीजन में किडनैपिंग ज्यादा होने लगी क्योंकि मल्टीपल रीजंस थे कि एक तो वहां का जो टेरेन था वो बहुत डिफिकल्ट था जंगल और यू नो नद तो भागना आसान है छुपाना आसान है प्लस नेपाल बॉर्डर एक तरफ एक तरफ यूपी बॉर्डर है तो बॉर्डर छोड़ के भागना आसान है बाद में फिर ये सब कंसीडरेशन भी हट गए जब धीरे-धीरे बड़ी होने लगी तो सब जगह होने लगी और आप देखेंगे कि किडनैपिंग के जो नंबर्स बिहार 19 2005 तक में दिस इ समथिंग
आव सीन पर्सनली लोगों ने अपने नाम में सरनेमस लगाना छोड़ दिए ताकि व आइडेंटिफिकेशन [संगीत] ी सिंग वो नहीं लगाते थे इसी प्रकार डॉक्टर्स डॉक्टर्स आप आप बिहार में 1990 में 6 बजे के बाद घर से बाहर निकल के दिखा दे तो मान जाए लोग अपने अपने घरों में ग्रिल लगा के रखते थे और 6 बजे के बाद ग्रिल में ताला लगा के घर के अंदर बैठ जाते थे आप अगर 6 बजे के बाद बाहर निकल रहे तो आपकी गलती है फिर किडनेपिंग हुआ ये हुआ हुआ तो कोई और थोड़ी जिम्मेदार है आपके लिए क्या
आप निकले आपको किडन हो ब किडनैपिंग हुई मर्डर हुआ जो भी हुआ एंड दिस इ नॉट समथिंग जो मैं एजरेट करूंगा या इंस्टेंसस बता रहा हूं एक दो नहीं जनरली 99 पर दिस वाज द केस तो किडनैपिंग एज इंडस्ट्री स्टार्टेड हैपनिंग तोब किडनैपर्स ने बोला किसे किडनैप करें तो सबसे पहले हुआ कि जो पैसे वाले उसको किडनैप करते हैं बिजनेसमैन को स्टार्ट किया किडनैप करना डॉक्टर्स को किडनैप करना स्टार्ट किया इंजीनियर्स को किडनैप करना स्टार्ट किया तो पहले ये किडनैपिंग्स बहुत हुई पैसा मिला ये वो फिर सबने कहा यार ये वाले थोड़े बड़े हैं हल्ला
भी हो जाता है रेजिस्टेंस भी होता है बच्चों को किडनैप करते हैं बच्चों को किडनैप करेंगे तो उनके मां-बाप पैसा तो दे ही देंगे ममता इतनी आएगी किडनैप करना भी आसान होता है तो बच्चों की किडनैपिंग शुरू हुई और आप देखेंगे 90 से 2005 तक के दशक में इतने बच्चों की किडनैपिंग हुई इतने ज्यादा स्कूल ई बच्चों की लोगों ने अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया वह पटना से रांची भेज देते थे रांची वा स्लाइटली सेफर एस प्लेस आधे बच्चे बिहार के रांची में पढ़ने आ जाते थे कि य नो अगर कोई
व उनके रहता था रिलेटिव वहा पर पढ़ा लीजिए यहां पर तो नहीं ले पाएंगे आप देखेंगे 2005 के इलेक्टोरल कैंपेन में अटल बिहारी वाजपेई ने इसको एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाया था और भागलपुर की एक सभा में उनका एक स्टेटमेंट था बहुत फेमस कि मुझे मेरे किसले दीपक लौटा दो कहां है मेरे किसले दीपक किसले दीपक जो बच्चे थे दो बच्चे थे जिनका जस्ट उसी समय किडनैपिंग हो रखा था इतना बड़ा इशू था बिहार में किडनैपिंग एनटायर इंडस्ट्री एक बहुत फेमस इंसिडेंट है इन फैक्ट अगेन वेरी क्रेडिटेबल एक डॉक्टर थे वो नई एक गाड़ी खरीद
के लेके आए तो डॉक्टर साहब के पास कुछ लोग आए उन्होंने कहा डॉक्टर साहब हमें पता चला है आप नई गाड़ी खरीद के लेके आए टेस्ट ड्राइव करना चाहते हैं थोड़ा चला के देखते हैं तो डॉक्टर साहब ने अपनी गाड़ी दे दी उन्हें हम तो डॉक्टर साहब की गाड़ी लेके गए और कुछ घंटों तक वापस नहीं आए डॉक्टर साहब थोड़ा परेशान होने लगे दोपहर हो गई शाम हो गई डॉक्टर साहब की गाड़ी वापस नहीं आई नहींन नहीं गाड़ी खरीदी थी उन्होंने तो डॉक्टर साहब पुलिस के पास गए पुलिस काए को कुछ करने वाली है डॉक्टर
साहब इधर उधर हर जगह भटके तो सबने कहा यार इधर उधर कहीं भी जाओगे कुछ होने वाला नहीं है लालू जी के पास जाइए वही कुछ कर सकते आपका तो डॉक्टर साहब दूसरे दिन सुबह सुबह लालू जी के पास गए उनके आवाज पर गए कि गाड़ी नहीं मिली तो जैसे ही वो गेट से लालू जीी के आवास में घुसे और जो ड्राइव वे था उसको क्रॉस ही कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि उनकी गाड़ी वही खड़ी है तो अब सोचिए कि जब सैया भा कोतवाल तो डर का आएगा तो कोई कंप्लेन करे तो किसे
सो किडनैपिंग वा वन इंडस्ट्री सेकंड बहुत फेमस इंडस्ट्री हुआ बिहार में वा द पपर लीक इंडस्ट्री पेपर लीक यस ओके और एक उसका बहुत बड़ा किंग पिन हुआ रंजीत डॉन मतलब बहुत फेमस उस समय तो या रंजीत डॉन वास लाइक एस्पिरेशनल फॉर यंगस्टर्स वैसे टाइप से क्यों सो 2002 या 2003 में पहली बार कैट एग्जाम के पेपर्स लीक हुए आपको अगर याद हो और वो लीक हुआ पटना से हम छोटे मोटे एग्जाम के पेपर लीक होते चलता है कैट एग्जाम का पेपर कैसे यार लीक हो सकता है 2003 में पटना से कैट एग्जाम के पेपर्स
लीक हुए तो जाक यह सब थोड़ा खुलासा हुआ पूरा एक पेपर लीक इंडस्ट्री रंजीत डॉन ने बना रखा था रजीत डॉन उसको जनरली बोलते थे रजीत सिंह नाम था शायद उसने बिहार में और इसका मैकेनिज्म आप सुनेंगे तो आप के होश उट जाएंगे बताओ तो यह सबसे पहले क्या करते थे कि कोई भी एक एग्जामिनेशन है तो सबसे पहले क्या करते थे कि बहुत सारे कैंडिडेट्स को एक साथ एक साथ फॉर्म भरवा थे और एनवेलप में एक साथ भेजते थे उसको राट ताकि उनको के पीछे सबको सीट मिल जाए एक रूम में तो सबसे पहले
यह तरीका उन्होने अपनाया फिर धीरे-धीरे एग्जामिनेशन एजेंसी समझ गई कि यार ये तो ऐसे करते हैं तो उन्होंने एक साथ सीट अलॉट करना छोड़ के सबको अलग-अलग सीट अलॉट करना शुरू कर दिया तो ये लोग फिर दिल्ली चले जाते थे यूपीएससी के ऑफिस में वहां फिजिकली एक साथ सब एक एक के बाद एक जमा कर देते थे ताकि एक रूम में सीट मिल जाए तो यह हो गया कि पहले एक रूम में कैसे सब आए फिर पीपर लीग का इनका बहुत सारे थे या तो जिस प्रेस में छप रही है वहां से लेकर जहां ट्रांसपोर्ट
हो रहा है वहां से लेकर जिस स्कूल में पेपर पहुंची वहां के टीचर से सेटिंग से अंत तक कहीं ना कहीं से पेपर लीक करा लेंगे पेपर लीक करा लेंगे पिछली रात को ये सारे कैंडिडेट्स को एक रूम में बिठाए एक जगह उनके फोन जोन सब फोन तो होते भी नहीं थे और रात भर उनको आंसर रटवा एंगे सबने आंसर रट पर रटा सुबह की गाड़ी से फिर उनको एग्जाम सेंटर पर छोड़ेंगे है ना उनके आइडेंटिटी कार्ड रख लेंगे फिर उन्होंने एक रूम में समने बैठ के चोरी करनी है एग्जाम देना है फिर वापस आ
जाना है और एडवांस में पैसा ले लिया जाता था इसमें फिर इन्होंने और एक इनोवेशन क्या किया एक इंजन बोगी सिस्टम बनाया इंजन क्या होता था कि कोई एक मेरिटोरियस लड़का ढूंढ लो जिसने पहलो एग्जाम में भी क्रैक कर रखा हो जैसे इंजीनियरिंग मैंने इस साल क्रैक कर लिया मैं इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूं अगले साल मुझे पकड़ लिया उसको ढ़ दो लाख रप दे दिए अब वो बन गया इंजन उसने भी फॉर्म भर दिया उसके पीछे एक बोगी बना दिया अब वो पेपर सॉल्व करेगा पीछे देगा और पीछे वाले सब पास करेंगे तो इंजन बोगी
सिस्टम बन गया और इतना शार्प वो पूरा सिस्टम था इनफैक्ट तो तो रंजीत की खुद की स्टोरी बहुत इंटरेस्टिंग है उसने पहले अपना 10थ का एग्जाम दो बार दिया तो बिहार में यूजुअली क्या हुआ करता था 10थ के एग्जाम लोग मल्टीपल बार देते थे एज कम करने के लिए तो पहले बर्थ सर्टिफिकेट्स नहीं होते थे राइट तो 10थ का जो सर्टिफिकेट है उसे एज का सर्टिफिकेट मान लिया जाता था तो कोई जैसे एक बार 10थ दे दिया उसने फिर 30 साल का हो गया और तो उसकी नौकरी की उम्र जा रही है तो उसने कहा
फिर से मैं 10थ का देता हूं तो फिर 10 दे दिया पहला वाला सर्टिफिकेट फाट के फेंक दिया अब उसका फिर से हो गया 18 साल उम्र तो रजीत ने दो बार थ दिया फिर दो बार उसने 12थ भी किया एक बार आर्ट से किया फिर बोला कि साइंस से करना है मुझे डॉक्टर बनना है उसे अचानक से जब उसने देखा पूरा सिस्टम मैं ही चला रहा हूं तो मैं भी डॉक्टर बन सकता हूं फिर उसने साइन सेडल दिया फिर उसने इसी सिस्टम के भरोसे दरभंगा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लिया अंडरस्टैंड और 6 साल
बाद वो फिर डॉक्टर ही बन गया तो डॉक्टर रंजीत डॉन बन गया राइट मेनी इंटरेस्ट एनेक्ट्स बट ये जब 2003 का कैट का पेपर लीक हुआ उसके बाद जब बहुत ज्यादा फिर यू नो खोजबीन होने लगी जांच होने लगी तब पता चला कि इतना यह बैंकर सिस्टम है एक एंड दिस वास कंसीडर्ड टू बी दिस इ कोटेड इन माय बुक 100 करोड़ की इंडस्ट्री बिहार में रंजीत डन 100 करोड़ घुमा रहा था बेस्ड ऑन जस्ट पेपर लीक जस्ट पेपर लीक्स तो अल्कोहल बैन बोलते हैं बिहार में अल्कोहल बैन है लेकिन खुली मिलती है सबको पता
है तो कैसे चलता है वो अब तो मिनिस्टर्स भी चेंज हो गए लालू यादव की सरकार भी नहीं है नहीं इट इज अ पॉलिसी फ्लो बैन कभी काम नहीं कर सकता इकोनॉमिकली व काम नहीं कर सकता इ इट्स एज सिंपल एज पॉलिसी मेकिंग सबसे लेमन भी समझता है कि बैंस नेवर वर्क इकोनॉमिक्स में व्हाट हैपेंस कि जब भी आप कोई चीज को बैन करते हैं तो उसका आप सप्लाई कम करते हैं तो सिंपली उसकी प्राइस को इंक्रीज करते हैं आप उसका कंजमपट्टी तो कंजंपुरावैम क्राइम रोकना होता है क्राइम को पकड़ना होता है वो आधे दिन
इसी में परेशान है कि कौन शराब ले जा रहा है कौन शराब पी रहा है राइट तो पूरा एक जनरेशन एक तो यूथ का आपने शराब बनाने पहुंचाने में बर्बाद किया पूरा एक मैसिव मशीनरी ऑफ पुलिस एंड रिसोर्सेस जो बहुत इंपॉर्टेंट और दूसरे काम कर सकती है उसको आपने शराब की बोतलें पकड़वाने और ये करवाने में इंगेज कर दिया है और आप इनको पकड़ भी लेते हैं इतने सारे पकड़े भी जाते हैं शराब ले जाते आते जेल में रखते हैं महीने भर बाद उसको छोड़ देते हैं कितनों को आप जेल में रखेंगे कब तक आप
रखेंगे जेल में सरकार का काम ये थोड़ी है कि जेल भर भर के रखे शराब पीने वाले लोगों से दुनिया का सबसे बड़ा क्राइम यही थोड़ी है कि उसने शराब पी ली थी पहले उसे तो पकड़ी जो क्राइम कर रहा है बिहार में तो मेरे खल से पॉलिसी फ्लो बहुत बड़ा है एंड नितीश कुमार आल्सो रिलाइज दिस ऐसा नहीं है ही डन रिलाइज द फैक्ट उन्होंने खुद इतना बढ़ा चढ़ा के इसको इंप्लीमेंट किया और इसकी इतने फायदे बताए तो उसको वापस व कैसे ले तो ही स्टक मैं जब रिसर्च कर रहा था इस पॉडकास्ट के
लिए बिहार के बारे में कि बिहार में क्याक होता है काफी इंटरेस्टिंग चीज मुझे पता चली कि बिहार में ब्रिज चोरी हो जाता है पूरा ब्रिज चोरी हो जाता है रोड चोरी हो जाती है 20 फीट लंबी रोड चोरी हो गई रातों रात ब्रिज गायब हो गया तालाब चोरी हो जाता है यह कैसे होता है ट्रेन का इंजन चोरी हो गया क्योंकि स्टेशन पर खड़ी थी व्हाट इज मतलब कैन यू एक्सप्लेन मी क्या होता है ो मेरे ख्याल से थोड़ा सा सेंसेशन है उस टॉपिक का इट्स ओवर सिपल बट य हैव हर्ड दिस न्यूज राइट
एंड इट्स इट वाज देयर कि रातो रात ब्रिज गायब हो गया हां सो व्हाट हैपेंस इ जैसे रोड की बात जो आई तो आ सनस की क्योंकि वो रोड ढंग से बना हुआ नहीं था तो बेसिकली वो मिट्टी पर एक चादर बन गई बस रोड उ उसे ले ग उठा के ले गए क्यों रोल हो गया तो जब तक आपका स्टेट में य डोंट हैव स्टेक जब तक आप उसे अपना नहीं मानते हैं जब तक आप उसम इवॉल्व नहीं है डेमोक्रेटिक पॉलिसी वाइज तो यही होगा फिर कि य नो एवरी बडी ऑन देर ओन जब
आप स्टेक्स महसूस करने लगोगे स्टेट में प्राइड महसूस करने लगोगे जिस सोसाइटी में आप आ रहे हो वो जैसे आप बम्बे में शायद ये चीज नहीं करोगे क्योंकि शायद शर्म आएगी कि अरे कोई देख लेगा या जान भी जाएगा तो क्या बोलेगा लेकिन वहां पर सब लगे हुए हैं तो सबने मिलकर जितना जितना लूटना है सबने लूट लिया भाई तो कोई किसी को बोलने वाला ही नहीं है तो उससे क्या लूटेंगे वो जो कुछ नहीं क्या मिलेगा उससे रोड से कुछ नहीं डज नॉट मैटर कई बार इट डज नॉट मैटर जैसे एक बस फितरत है
कि कुछ दिख रहा है तो उठा ले जाओ एक हमारे यहां कहावत है कि मगनी के बैल का दांत नहीं गिनते जो फ्री में अगर कोई बैल दे रहा है ना तो उसके दांत नहीं देखे जाते फ्री में रख लो रोड का क्या करेंगे कुछ नहीं करेंगे मे बी कुछ नहीं शायद घर में रख देंगे कुछ का भी अभी वो ब्रिज का क्या लोहा लकड़ शायद बेच देंगे ₹ मिले 50 00 मिले कुछ तो मिल रहा है ना फर्क क्या पड़ता है अगेन इट इज मोर अ मैटर ऑफ कि क्या स्टेक्स है हम दूसरी साइड
का सोच ही नहीं पा रहे हैं हम इतना शॉर्ट टर्म वो विजन है ना और वो इसलिए भी आ रहा है क्योंकि द अदर पार्ट इट इज इट इज आवर फेलियर एस पॉलिटिशियन आई वुड से एज अ लीडर ऑफ द स्टेट ना आप कितना कॉन्फिडेंस इंस्टिल कर पा रहे हैं अपनी जनता में कि आई एम थिंकिंग ऑफ द स्टेट आई एम थिंकिंग ऑफ योर मनी आई एम थिंकिंग ऑफ डेवलपमेंट जब वो देखते मेरा नेता ही चोर है तो मैं क्यों ना चोरी करूं वो जब देखेगा मेरा एमएलए चोर है इसने इतना पैसा बनाया हुआ है
तो मैं क्यों ना चोरी करू जब वो देखता है मेरा लीडर ईमानदार है ना तो थोड़ा स्टिक लगने लगता है कि नहीं नहीं यार मेरा लीडर ईमानदार है मे एमएल ईमानदार है तो मैं भी नहीं करूंगा ट्स सिगनलिंग यू नो अनदर थिंग च आई नोटिस कि बिहार का नैरेटिव अच्छा नहीं है नैरेटिव रियलिटी से और ज्यादा खराब है दिस दिस वा एन आर्टिकल इन इकोनॉमिक टाइम्स कि बिहार में वाटर की जो कंडीशन है बहुत अी अच्छी है इंफ्रास्ट्रक्चर कंपेरटिवली बहुत अच्छा है उसके बाद भी द नैरेटिव इज नोबडी वांट्स टू इन्वेस्ट नोबडी वांट्स टू कम
बाहर से इमेज बहुत खराब है रियलिटी वर्सेस जो इमेज है उसके बीच में बहुत बड़ा गैप है डू यू थिंक सो कि नहीं डू यू थिंक की रियलिटी और ज्यादा खराब है नहीं करेंटली आई वुड से बिहार जो अपना पुराना एक इमेज का डाउनग्रेड हुआ है उसको ज्यादा कैरी कर रहा है उसका बर्डन अभी तक उसे कैरी करना पड़ रहा है हम जैसे 2005 के बाद काफी सारे पॉजिटिव चेंजेज आए लॉ एंड ऑर्डर में भी सुधार हुआ जैसे मैं कह रहा हूं आज वो ब्लेट क्राइम्स या आज वो ब्लेट एकदम उस लेवल का यू नो
लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त वाला आज इशू नहीं होगा क्राइम्स अभी भी ते हैं लेकिन वो जो एक इमेज बन जाती है ना उसको किसी स्टेट को बहुत सालों तक ढोना पड़ता है हम जब तक आप एक बहुत मैसिव कुछ चेंज लेकर नहीं आते हैं जैसे जैसे यूपी की इमेज अभी कब सुधरने शुरू हुई जब यू नो योगी जी बिकम द चीफ मिनिस्टर देर वाज मैसिव चेंजेज इन टर्म्स ऑफ जितने पॉलिटिकल क्रिमिनल्स थे फास्ट ट्रैक बिकॉज देयर वर पॉपुलर इंसीडेंट्स है टू चेंज दैट इमेज रियलिटी पे तो बाहर के लोगों को वैसे भी नहीं पता क्या
हो रहा है करेक्ट पर देयर वर फ्यू पॉपुलर इंसिडेंट जिसकी जिसको इतना ज्यादा मार्केट किया गया दैट पीपल एक्चुअली फेल्ट दैट देयर इज चेंज इदर वे सो व्हाट आई एम सेइंग इज अनलेस देर इज अ स्ट्रांग नैरेटिव जो पिछले नैरेटिव को ब्रेक कर रहा हो तब तक वही नैरेटिव खता चलाएगा आई हैव क्वेश्चन कि हमने स्टार्टिंग में बात करी थी वहां पर छूट गया था मुझसे य बिहारी जो लोग हैं जो बिहार से आते हैं स्पेसिफिकली उनके साथ आपने बोला दूसरी स्टेट के लोग थोड़े ऐसे देखते हैं उनको राइट डिस्क्रिमिनेशन होता है तोन बिजनेस वर्ल्ड
आज जब पूरी दुनिया आगे बढ़ रही है इंडिया का गोल्डन ए चल रहा है हर चीज प्रोग्रेस होते जा रही है राट कॉस्मोप्रोफ स इफ हैव टू ड्र पैरेलल एस इंडियंस वन वी गो इन द वेस्ट आज इंडिया बहुत प्रोग्रेस कर रही है लेकिन आपको लगता है इंडियंस को वो लोग डिस्क्रिमिनेट नहीं करते हैं कंपलीटली दे डू दे डू एगजैक्टली सो ड नॉट नेटिव चेंजिंग बट एटली सो इट डज नॉट एंड इन अ डे जो इमेज नैरेटिव होता है वह बहुत लॉन्ग टर्म तक स्टिक करता है तो व वो नैरेटिव चेंज हो रहा है वो
कम हो रहा है वो बेटर हो रहा है मुझ से अब जैसे 2000 में बहुत बुरी स्थि थी आपको याद होगा इसी बम्बे में शिवसेना ने यू नो पूरा जो रेलवे का रिक्रूटमेंट था बिहारियों को दौड़ा दौड़ा के लोगों ने मारा था यू नो उन्होंने कहा था कि यू नो यह लोग आते हैं सारा हमारा जितने पोजीशन है सब भर देते हैं असम में 2000 में 2003 में टी गार्डेंस में वहा बिहारी काम करने जाते थे 200 बिहारियों के मर्डर हुए थे 2000 से 2003 में 200 यू नो जो कमेंट्स आते रहते हैं रिस्पांसिबल कमेंट्स
मिनिस्टर्स के आपको जो दिखते हैं इट्स पर्ट ऑ द लार्जर नेटिव ऐसा नहीं है मिनिस्टर ने ऐसे ही बस बोल दिया और क्यों डिस्क्रिमिनेशन होता है डू यू थिंक की अभी भी सबके अगेंस्ट मेरे ख्याल से ना व्ट ज हैपेंड इ एक तो जो यह सुपीरियोर या यह फीलिंग सबसे पहले यह गलत है कि जब कोई भी शहर बनता है या बढ़ता है या स्टेट बढ़ता है तो ऑफकोर्स बहुत सारे लोगों का कंट्रीब्यूशन होता है और जो भी वहां आके काम कर रहा है ठीक है अपनी जरूरत से व वहां पर क्या काम कर रहा
है लेकिन वो आपके ग्रोथ में कंट्रीब्यूट कर रहा है ए दिस इज द ओरिजिनल थिंग लेकिन सम एलिमेंट्स पॉलिटिकल रीजंस बोलिए या अपने फायदे के लिए बोलिए ये नैरेटिव बना देना कि नहीं हमारे रिसोर्सेस पे यू नो वो लोग आके हक जमा रहे हैं हमारा ले जा रहे हैं यार आईडियली आप देखोगे तो वो ऐसा काम कर रहे जो आप काम करना नहीं चाहते हो व्हाई डू यू थिंक टेक अप एनी एनी एनी बिगर सिटी इन द कंट्री अगर वहां पर कोई सिक्योरिटी गार्ड बिहारी है वहां वाले वो 10000 का काम नहीं करना चाहते हैं
तभी वो आके कर रहा है अगर वो करना चाहते तो दूसरी जगह से कोई आके करेगा ही नहीं इकोनॉमिकली भी डज नॉट मेक सेंस वो तो वहां प आएगा रूम रेंट देगा सब कुछ उसकी तो सेविंग्स कम है लोकल लोग मिलते नहीं है तो आप बोलते हो कि क्योंकि वहां पर प्रोस्पेरिटी बढ़ गई है स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग हाई हो गई तो एक जो यह पूरा नैरेटिव बनता है ना प्लस एक जनरली नॉर्थ साउथ वाला नैरेटिव जो जब भी बनता है कि यूपी बिहार से लोग आ रहे हैं वो जो भी व्ट एवर दो रिस्पांसिबल स्टेटमेंट्स
आर अंडरस्टैंड दिस कि आपका जो भी स्टेट या सिटी है यह आज जैसा है पहले ऐसा नहीं था 50 साल पहले अगर हम ही यू नो 50 साल पहले जाए जैसे फ्रेट इ क्लाइन की हम लोग जो बात कर रहे थे ट इज अ मेजर रोल टू प्ले तो जो भी इंडस्ट्रीज डेवलप हुए कहां से डेवलप हुए तो नवर यू लुकिंग एट पीपल अगर हम नेशन स्टेट की बात करते हैं तो देन यू कैन नॉट टॉक अबाउट यू नो य आइडेंटिटी की यू नो ए बी सो स्ट्स अ फैले टॉकिंग अबाउट बिहार डू यू थिंक
की आज की जो स्टेट है आज ब्यूरोक्रेट्स एंड पुलिस ऑनेस्टली वर्क कर सकती है बिहार में टू द मच लार्जर कैपेसिटी एस रियली या या सो अगेन ऑल ऑफ सडन दिस पूरा सब चेंज हो गया ल ऑफ सडन चेंज नहीं हुआ है सो मैं बोल रहा हूं आप किस पीरियड या किस दूसरे स्टेट से कंपेयर करें उस सेंस में बोल रहा हूं अगर आज के डेट में आप देखेंगे तो बहुत ज्यादा डिफरेंस नहीं आएगा किसी दूसरे स्टेट थोड़ा बहुत रहेगा ही मैं एग्री करता हूं कुछ स्टेट्स में ब्यूरोक्रेसी ज्यादा इ एफिशिएंट होगी कुछ में ज्यादा
इनएफिशिएंट होगी करप्शन लेवल्स अलग-अलग होंगे बता बट ऐसा एकदम आउटलायर आपको बिहार नहीं दिखेगा एंड सडन नहीं हुआ 2005 के बाद ये चेंजेज आए हैं 2005 के बाद इनफैक्ट इफ यू रीड द लास्ट चैप्टर ऑफ माय बुक बहुत सारे ऐसे यू नो अ पुलिस के फंक्शनिंग में आपको बहुत सारे चेंजेज दिखेंगे एक जनरल कॉन्फिडेंस इंस्टिल हुआ नितीश कुमार ने जो सबसे पहला काम किया इनफैक्ट चीफ मिनिस्टर बनने के बाद द काइंड ऑफ पीपल ही ब्रॉट इन एस चीफ सेक्रेटरी एस डीजीपी उनको फ्री हैंड दिया जिस प्रकार के आईस ऑफिसर्स को उससे ब्यूरोक्रेसी में फिर कॉन्फिडेंस
आने लगता है धीरे-धीरे राइट अगर आप बैक करने लगते हैं अपने ऑफिसर्स को वो देखते हैं कि चलो मैं मोटा मटी सही करूंगा तो आई कोटेड इंस्टेंसस जहां पे एक बहुत इंपॉर्टेंट केस में अभयानंद ही वाज द डीजीपी देन या डीजीपी के पहले जस्ट बनने के पहले उनको लॉ एंड ऑर्डर सुधारने के लिए यू नो नितीश कुमार हैड ब्रॉट एन गिवन फ्री हैंड कि आपको जो करना है करिए लॉ एंड ऑर्डर मुझे अच्छा चाहिए एंड उनके जो मिनिस्टर उनके मिनिस्टर या याद नहीं मुझे उन्हीं के मिनिस्टर से शायद उनकी किसी बात पे अनबन हो गई
एंड जनरली क्या ट्रेंड होता है कि मिनिस्टर से अनबन हुई तो ब्यूरोक्रेट हट जाएगा हटा दिया जाएगा ट्रांसफर कर दिया जाएगा बट इस केस में ऐसा नहीं हुआ इस केस में मिनिस्टर को हटा दिया गया चेंज कर दिया गया मिनिस्ट्री दैट गिव्स यू सम कॉन्फिडेंस थैंक यू सो मच सर फॉर कमिंग हियर इट वाज अ प्लेजर थैंक यू फॉर टेलिंग अस अबाउट बिहार एंड वहां पे क्या रियलिटी और कौन से ब्रोकन प्रॉमिस थे आई होप द स्टेट वुड रिगेन इट्स स्टेटस ऑफ हाई मिनरल्स एंड यूज दैट पर्टिकुलर स्टेट ऑफ हाई मिनरल्स एंड कन्वर्ट दैट इनटू
इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटी फॉर एवरीबॉडी अगर लास्ट आपको ब कि विद दिस कन्वर्सेशन ये जो बुक आपने लिखी है जो बिहार का रियल स्टेट है और जैसी सारी चीजें हो रही है इन सब से अगर फ्यूचर जनरेशन को कोई एक लर्निंग इफ यू वांट टू पुट इट आ व्ट वुड बी द लर्निंग क्या सीखना चाहिए लोगों को कि यार यह तरीका था और एक गलत डिसीजन से इतना सब हो गया इस बुक के लिखने का पर्पस क्या है क्या सीखेंगे लोग पढ़ने के बाद रियलिटी तो हमने इस पॉडकास्ट में बता दी तो इस पॉडकास्ट को देखने के
बाद क्या सी सो वन ऑफ द थिंग्स पीपल आउटसाइड बिहार जनरली डू नॉट हैव दिस डेप्थ ऑफ अंडरस्टैंडिंग ऑफ व्हाट बिहार जज गन थ्रू सो द एंटायस वाज ऑफ राइटिंग दिस बुक एंड स्पेसिफिकली इन इंग्लिश वाज दिस कि दैट एवरीबॉडी शुड अंडरस्टैंड व्हाट दैट स्टेट हैज गन थ्रू एंड एज सेड द पेन दैट द स्टेट हैज सीन अ लॉट ऑफ माय फ्रेंड्स हु रेड दिस बुक एंड दे दे वर यू नो दे एक्सक्लेमेटरी बडी शुड नो दिस यू नो अप्रिशिएट दिस व्हाट दोस पीपल हैव व्हाट दैट स्टेट हैज गॉन थ्रू द लर्निंग पार्ट आई वुड
से अ एंड इट्स द बिगेस्ट लर्निंग फॉर डेमोक्रेसी इन फैक्ट हम अ इन डेमोक्रेसी वी वी इट इज सेड दैट वी गेट द लीडर्स वी डिजर्व राइट एंड हेंस यू नो हाउ वी वोट हाउ वी पार्टिसिपेट इन डेमोक्रेसी इज वेरी वेरी इंपोर्टेंट ऑफें ए टाइम्स यू नो वी वी से दिस दैट मेरे वोट से क्या फर्क पड़ेगा या क्या हो जाता है एंड बहुत बार फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि दो कैंडिडेट्स बहुत बत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता यह भी जीत गया तो कुछ हो जाता है यह भी जीत गया तो कुछ हो जाता है लेकिन
यही जो आउट लायर्स है कभी-कभी बहुत ज्यादा फर्क पड़ जाता है हिस्ट्री में हम जाएंगे तो देखेंगे ऐसे कुछ कुछ इंस्टेंसस होते हैं सो इट इज जस्ट दोस फ्लिकर मोमेंट्स वेयर इन आपके वोट से एक्चुअली बहुत ज्यादा फर्क पड़ जाता है और मेरे ख्याल से 1990 से 2005 वाला जो पीरियड है लोगों के वोट से सबसे ज्यादा अगर फर्क पड़ा होगा पूरे बिहार के इतिहास में और देश के इतिहास में आई वुड से तो उस समय के वोटिंग से पड़ा होगा एंड दिस इज आल्सो वेरी ग्रेट रिमाइंडर फॉर पीपल दैट देर पार्टिसिपेशन इन पॉलिटिक्स इज
वेरी वेरी इंपोर्टेंट सो दिस बुक इज अ रिमाइंडर ऑफ द फैक्ट ट बी मोर पार्टिसिपेटिव इन अ पॉलिटिकल प्रोसेस इन डेमोक्रेसी बी मोर डिमांडिंग फ्रॉम योर लीडर्स ए नहीं करोगे तो जो बिहार में 15 साल में हुआ है ये कभी भी रिपीट हो सकता है किसी के साथ भी और सिर्फ बिहार में नहीं कहीं भी कहीं भी रिपीट हो सकता कहीं भी रिपीट हो सकता है डिमांड फॉर मेरिट बेस लीडरशिप यस यस और थैंक यू सर थैंक यू सो मच थैंक यू सो मच फॉर राइडिंग एन अमेजिंग बुक एंड डूइंग दिस अमेजिंग पॉडकास्ट विथ अस
थैंक यू सो मच ये एपिसोड एंड तक देखने के लिए हमें कमेंट्स में बताओ कि हम इस एपिसोड को और बेहतर कैसे बना सकते हैं क्योंकि आप अगर हमें फीडबैक देंगे तभी हम इस पॉडकास्ट को और ज्यादा बेहतर बना पाएंगे एंड वो सारी चीजें करेंगे जिनसे आपको और ज्यादा वैल्यू मिलती है प्लीज लेट अस नो हमें कमेंट्स में यह भी बताओ कि अगले कौन से से गेस्ट हैं और कौन से से टॉपिक जो आप देखना चाहते हो ताकि हम और हमारी पूरी टीम मिलके आपके लिए वह गेस लेकर आ पाए आई विल सी यू नेक्स्ट
टाइम अंट्या करना है जिसकी लाइफ में इससे एक पॉजिटिव चेंज आएगा और उसे कुछ नया सीखने को मिलेगा थैंक यू सो [संगीत] मच h [संगीत]
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