नमस्कार मैं रविश कुमार इलन मस्क की टेस्ला से भारत की कार कंपनियों को क्यों डरना चाहिए क्या इसलिए कि मस्क की टेक्नोलॉजी और कार भारतीय कंपनियों से बहुत बेहतर होगी या मस्क भारत के बाजार में अपनी शर्तें खुद तय करेंगे और वह भारतीय कंपनियों के खिलाफ जा सकती है अमेरिका में ट्रंप के जीतने के बाद इलन मस्क केवल उद्योगपति नहीं है बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप के दाहिना बाया सब कुछ वही नजर आते हैं मार्च 2024 में मस्क के लिए माला तैयार कर ली गई थी मस्क ही माला पहनने नहीं आए उस समय 2024 में मोदी सरकार
ने इलेक्ट्रिक वाहनों की नई नीति का ऐलान कर दिया कि अगर भारत में कार का निर्माण किया जाए या असेंबली होती है तो आयात शुल्क 110 फीसद से घटाकर 15 फीसद कर दिया जाएगा खबरें छपने लगी थी कि मस्क भारत आने वाले हैं और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे मगर भारत आने से एक दिन पहले इलन मस्क ट्वीट करते हैं कि अफसोस है कि टेस्ला को लेकर बहुत जरूरी काम आ गए हैं इसलिए भारत नहीं आएंगे इस बार वे भारत तो नहीं आए मगर उनके आने से पहले उनकी टेस्ला के आने की आहट बाजार में
तेजी से सुनाई देने लगी है मस्क केवल कार लेकर भारत नहीं आना चाहते हैं सीधे सेटेलाइट से इंटरनेट कनेक्शन देने के बाजार पर भी उनकी नजर है अगर टेस्ला के लिए नियम बदले जा सकते हैं तो जाहिर है स्टार लिंक के लिए भी बदले जाएंगे तब सवाल केवल कार सेगमेंट को लेकर नहीं होगा इसे लेकर भी होगा कि टेलीकॉम कंपनियों के दिग्गजों का क्या होगा यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि मोदी सरकार मस के लिए कालीन बिछाने के अलावा और क्या-क्या करती है फिलहाल तो भारत सरकार को यह बताना चाहिए कि 110 फ
का आयात शुल्क किस लिए लगाया गया था उसका मकसद पूरा हुआ या नहीं भारत सरकार ने यूं ही तो नहीं लगाया होगा तो अब इसे घटाकर 15 फ क्यों किया जा रहा है किसके लिए किया जा रहा है इतनी जल्दी भारत सरकार को यह बात कैसे समझ में आ गई कि आयात शुल्क 110 फ नहीं 15 फ होना चाहिए भारत सरकार बताए कि मस्क या टेस्ला की फैक्ट्री भारत में लगाने जा रहे हैं अगर नहीं लगा रहे हैं तो उन्हें 15 फ के आयात शुल्क का फायदा क्यों दिया जा रहा है इस समय टेस्ला की
गीगा फैक्ट्री वे अपनी फैक्ट्री को गगा फैक्ट्री कहते हैं अमेरिका से बाहर केवल तीन देशों में है चीन और जर्मनी एक और देश है मेक्सिको जहां पर फैक्ट्री तैयार हो रही है क्या इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग इतनी ज्यादा है कि मस्क भारत में एक और फैक्ट्री लगाना चाहेंगे 21 फरवरी की फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में तो यही लिखा है कि इलन मस्क की कंपनी भारत में अभी तो कार नहीं बनाएगी फैक्ट्री की जगह की तलाश की जा रही है लेकिन शुरुआत में बर्लिन के प्लांट से कार का का आयात किया जाएगा अफवाहें उड़ी थी कि
चीन की फैक्ट्री में बनी टेस्ला भारत में बिकेगी लेकिन टेस्ला ने साफ कर दिया कि आयात बर्लिन की फैक्ट्री से किया जाने वाला है इस वक्त यूएस एड के 21 मिलियन डॉलर को लेकर कितना हंगामा मचा कि अमेरिका के पैसे से आंतरिक मामलों में दखल हो रहा है लेकिन मस के लिए आयात शुल्क बदले जा रहे हैं तब आंतरिक मामले में दखल नहीं हो रहा असली हस्तक्षेप की बात तो कोई नहीं कर रहा फालतू के बयानों पर हंगामा मचाया जा रहा है ताकि मस्क को होने वाले फायदे पर किसी की नजर ना जाए 21 मिलियन
डॉलर का हिसाब अभी तक भारत की सरकार ने जनता के सामने नहीं दिया ट्रंप पांच बार बयान बदल चुके हैं पहले ही बयान को लेकर बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालविया कूद पड़े विपक्ष की तरफ इशारा किया जाने लगा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य हैं संजीव सान्याल वह भी आरोप लगाने लगे उपराष्ट्रपति भी इसमें कूद गए उसके बाद ट्रंप कहने लग गए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पैसा दिया गया यह सब बयान आए और अब वित्त मंत्रालय ने बताया है कि 700 मिलियन डॉलर यूएसएड से लिए गए हैं और सरकार की
योजनाओं के लिए लिए गए हैं इसमें 21 मिलियन डॉलर का हिसाब नहीं तो ध्यान भटकाने के लिए कोई भी मुद्दा उठा लिया जाता है कि आंतरिक मामले में दखल दिया जाएगा जब प्रधानमंत्री मोदी का नाम ले लेते हैं ट्रंप तो चुप्पी पसर जाती है खबरें बहुत छोटे में छपती हैं या छपती ही नहीं है लेकिन कोई यह नहीं बता रहा है कि मस के लिए जो नीतियां बदली गई हैं वो आंतरिक मामले में दखल है या नहीं सरकार को बताना चाहिए कि मस को 15 फीस आयात शुल्क का लाभ भारत में फैक्ट्री बनाने के बाद
मिलेगा या पहले से ही मिलने लग जाएगा फैक्ट्री बनाने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी जबकि नवंबर 2023 में ही खबरें छप रही थी कि मस्क 2024 में भारत में फैक्ट्री शुरू करने वाले हैं तो इन खबरों का क्या हुआ अगर मस्क भारत में फैक्ट्री नहीं लगाते हैं सीधे बनी बनाई कार बर्लिन से लाकर बेचते हैं तो इसका मतलब है कि सरकार मस्क के आगे झुक गई मस्क के लिए नीतियां बदली गई आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप हो गया भारत सरकार को बताना चाहिए कि क्या मस्क सीधे बर्लिन की फैक्ट्री से टेस्ला लाकर बेचने वाले हैं ट्रंप
दिन रात यही कह रहे हैं वे आयात शुल्क इसलिए लगा रहे हैं ताकि अमेरिका में उत्पादन हो और अमेरिका के लोगों को नौकरियां मिले तो मोदी सरकार बताए कि मस के लिए जो आयात शुल्क घटाया गया है उससे भारत में नौकरियां बढ़ जाएंगी एक देश में आयात शुल्क बढ़ाने से नौकरी बढ़ जाती है और एक देश में आयात शुल्क घटा देने से नौकरी बढ़ जाती है यह कौन सा हिसाब है कोई तो सम समझाए कि कितने भारतीयों को नौकरी मिलने जा रही है टेस्ला के इस स्वागत से मस्क और ट्रंप को कुछ भी नहीं करना
पड़ रहा है बस एक बयान देते हैं और भारत में नीतियां बदल दी जाती हैं आपने देखा कैसे बजट में हार्ले डेविडसन पर लगने वाला आयात शुल्क 50 से 30 फीस एक झटके में चुपचाप कर दिया गया 20 फीसद की कटौती कर दी गई और हेडलाइन छोटी बनाकर छापी गई ताकि आपकी नजर में ना आए कि इस तरह से आंतरिक मामलों में दखल हो रहा है आप मस्क और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात की दो तस्वीरें देखिए जून 2023 में प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए थे वहां मस् से उनकी मुलाकात हुई इस तस्वीर में आप केवल मस्क
और प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं लेकिन अब इस साल फरवरी की यह तस्वीर देखिए मस्क अपने बाल बच्चों को लेकर चले आए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत के वि विदेश मंत्री हैं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सहित कई प्रभावशाली लोग बैठे हैं मस्क अब मस्क नहीं है इस तस्वीर पर भी अगर आपको गर्व होता है तो इसका मतलब है कि गर्व करने की वायरिंग आपकी खराब हो चुकी है ठीक कराइए भारत सरकार अपनी शर्तों पर टेस्ला का स्वागत कर रही है या मस्क अपनी शर्तों पर टेस्ला भारत भेज रहे हैं इसके पहले
तक भारत सरकार आयात शुल्क घटाने से इंकार करती रही है दिसंबर 2023 की यह खबर देखिए टाइम्स ऑफ इंडिया की हेडलाइन कहती है कि सरकार लाल कालीन बिछाकर टेस्ला का स्वागत नहीं करने वाली है टेस्ला चाहती थी कि मोदी सरकार आयात शुल्क घटा दे लेकिन उस समय के वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश का बयान है और इस अखबार में छपा है कि इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल पर आयात शुल्क हटाने का घटाने का कोई इरादा नहीं है लेकिन तीन महीने के बाद मार्च 2024 में भारत सरकार नई नीति का ऐलान करती है और कहती है कि
आयात शुल्क 110 फीस से घटाकर 15 फी कर देंगे बशर्ते कार कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाएं और यहां निर्माण करें या असमल करें सरकार माला लेकर खड़ी हो जाती है और मस्क भारत की यात्रा तब भी टाल देते हैं मंत्री को पता भी होता है या नहीं तीन महीने पहले कहते हैं आयात शुल्क नहीं घटाए किस आधार पर कह रहे थे और अचानक सरकार कहती है 85 फ आयात शुल्क में कटौती की जा रही है 1 साल तक इस मामले में भी कुछ नहीं होता है फरवरी महीने में अचानक विज्ञापन आता है कि टेस्ला भारत
में लोगों को नौकरियों पर रख रही है लिंग डिन पर 13 पदों के लिए इश्तहार जारी हुआ 13 12 पद फुल टाइम और एक पद पार्ट टाइम सभी पद दिल्ली और मुंबई के दफ्तरों के लिए हैं इनमें ग्राहक सेवा गाड़ी की मेंटेनेंस सेल्स बिजनेस ऑपरेशन और मार्केटिंग की नौकरियां शामिल हैं यह इसलिए बताया कि इससे पहले कि कोई मंत्री दावा कर दे कि टेस्ला के आने से लाखों युवाओं को नौकरियां मिलेंगी तो आप देख लीजिए कि शुरुआत में ही टेस्ला ने केवल 13 लोगों के रखने का विज्ञापन दिया है द मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट में आशीष कुमार
मिश्र ने लिखा है कि क्या इस तरह से किसी देश की नीतियां बदली जा सकती हैं किसी भी कीमत पर विदेशी कंपनी को अपने देश में बुलाने का आकर्षण समझ से बाहर है भारत सरकार सिर्फ यही देख रही है कि टेस्ला के आने से छवि चमकाए गी कि टेस्ला आ गई टेस्ला आ गई लेकिन आशीष कुमार मिश्रा के कहने का यह भी मतलब है कि यह देखना चाहिए कि टेस्ला कैसे लाई जा रही है उसके लिए कैसे नीतियां बदली जा रही हैं अपने लेख में आशीष मिश्र सवाल उठाते हैं कि इस वक्त यह साफ नहीं
कि यह नीति दूसरी कार कंपनियों के लिए भी है या नहीं वियतनाम की कंपनी विन फास्ट ने भारत में मली प्लांट लगाने का फैसला किया है क्या उस पर भी यह छूट लागू होगी चीनी कंपनी बी वाडी भारत में 2007 से ही है इसकी लग्जरी कारें भारत में ही असेंबल होती हैं क्या उसे भी इस ड्यूटी का लाभ मिलने जा रहा है अमेरिका की कार कंपनी फड ने 2021 में भारत से अपना सामान समेट लिया 3 साल बाद यह कंपनी फिर से चेन्नई में अपना प्लांट शुरू करने की बात कर रही है फोट का कहना
है कि यहां जो भी कारें बनेंगी उनका निर्यात किया जाएगा क्या मस्क भी ऐसा ही कुछ करेंगे यह तो इस पर निर्भर करता है कि उन्हें एक और फैक्ट्री भारत में बनाने की जरूरत है या नहीं आपका सवाल इस पर टिका होना चाहिए कि आप यानी भारत इतने साल से 110 फीस आयात शुल्क लगाता रहा है यह किसके दबाव में घटा दिया गया क्या यह आंतरिक मामलों में दखल नहीं है अब आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का क्या होगा इन सब बातों पर सरकार को अपनी राय रखनी चाहिए दो महीना पहले दिसंबर 2024 में
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बयान दे रहे थे कि भारत को ग्लोबल ईवी बाजार पर अपना अधिकार जमाना चाहिए भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के पास अभी के स्तर से 10 गुना उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है अप्रैल 2022 में रायसिना हिल्स डायलॉग में नितिन गडकरी ने कहा था अगर इलन मस्क भारत में टेस्ला बनाने के लिए तैयार हैं तो कोई परेशानी नहीं हमारे पास सारी क्षमताएं हैं सारे वेंडर हैं सब तरह की टेक्नोलॉजी मौजूद है इसलिए वह लागत कम कर सकते हैं भारत में उनका स्वागत है हमें परेशानी नहीं तो अब मंत्री जी बताएं कि मस्क
फैक्ट्री लगाने जा रहे हैं या नहीं गडकरी ने तब कहा था कि अगर मस्क चीन में उत्पादन करके भारत में बेचना चाहेंगे तो वह हमारे लिए ठीक नहीं होगा हमारी उनसे दरख्वास्त है कि वे भारत आएं और यहीं पर उत्पादन करें यहां उन्हें अच्छा मार्केट मिलेगा और यह उनके और भारत दोनों के लिए विनविन का मामला होगा तो आप गडकरी जी से पूछिए कि मस्क भले चीन की फैक्ट्री में बनी टेस्ला को भारत नहीं ला रहे हैं लेकिन बर्लिन की फैक्ट्री में बनी टेस्ला को भारत लाने की बातें छप रही हैं अब उनका क्या कहना
है सवाल उठ रहा है कि भारत की कंपनियों के पास सब कुछ है जैसा कि गडकरी जी 2022 में कह रहे हैं और एक कंपनी अमेरिका से बनी बनाई कार जब आयात करेगी और यहां के बाजार में बेच लग जाएगी तो भारत की कंपनियों पर असर पड़ेगा या नहीं क्या टेस्ला का आना उनके लिए तबाही की घंटी है भारत की कार कंपनियों के शेयरों के दाम फिर क्यों गिरे जा रहे हैं क्या शेयर खरीदने वालों को भारत की कार कंपनियों की क्षमता में टेस्ला के बाद कम यकीन रह गया है या उन्हें लगता है कि
मस्क एक बार आ गए तो बाजार उनके बनाए नियमों के हिसाब से चलेगा जहां दिक्कत होगी सरकार मस के लिए नियम बना देगी तब भारत की का कंपनियों के पास टेक्नोलॉजी होने के बाद भी इस बाजार में टिकना मुश्किल हो जाएगा या आसान रहेगा बताइए इन सवालों का जवाब दीजिए टा और लॉन्च की इस कार के फीचर भी के टेस्ला ने दस्तक दे दी है 2017 में इलन मस्क ने कहा था कि भारत ने तय किया है कि 2023 तक केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही बिकेंगे 5 साल में पूरा हो जाएगा यह लक्ष्य तब मस्क ने
कहा था भारत पहले ही सोलर पावर का सबसे बड़ा मार्केट है इस पर के लिए तो छोड़ना नहीं चाहेंगे जितना ज्यादा लोग आएंगे उतना अच्छा होगा इस पर मस्क ने जवाब दिया कि आपका पॉइंट सही है 2018 में भी आनंद महिंद्रा ने मस् की तारीफ की और कहा कि दुनिया को आप जैसे प्रेरक आविष्कारक की जरूरत है टेस्ला को विश्व विजेता की तरह देखने से पहले यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यूरोप के बाजार में चीन की कंपनी बी वाई डी की कार ने टेस्ला को जमकर टक्कर दी है 2003 से ही टेस्ला की धूम
है अमेरिका में लेकिन आज भी अमेरिकी कार बाजार में इसकी हिस्सेदारी 4 फीसद से अधिक नहीं अमेरिका के हिसाब से टेस्ला महंगी भी पड़ती है अमेरिका की दूसरी कार कंपनियां भी टेस्ला को टक्कर देने की कोशिश कर रही हैं फड भी सस्ती इलेक्ट्रिक कारें बनाने पर ध्यान दे रही है चीन की कंपनी बी लाख से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वाहन बेचे जबकि टेस्ला ने 50 देशों में 11 लाख से कम 2023 की तुलना में बी वाडी की बिक्री 41 प्र अधिक रही पहली बार 2023 में टेस्ला की बिक्री में गिरावट देखी गई एक और जरूरी फर्क यह
है कि बी वाडी अपनी ईवी की सारी [संगीत] बैटरिंग ला कुछ ही बैटरिंग बैटरी लागत की आपूर्ति के लिए थर्ड पार्टी सप्लायर से ली जाती है भारत में 2007 से ही चीन की कंपनी बी वाईडीपी होने के कारण इसके निवेश पर खास तरह से नजर रखी जाती है दूसरी तरफ दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली यह कंपनी बी वाडी भारत में हैदराबाद की एक कंपनी के साथ साझीदारी में फैक्ट्री लगाना चाहती थी यह खबर छपी है और उसी से बता रहा हूं भारत सरकार ने इसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया जुलाई 2023 की टाइम्स
ऑफ इंडिया की खबर है बी वाईडीपी खतरा नहीं क्योंकि इसकी कारें काफी महंगी हैं 25 लाख से शुरू होती हैं 50 लाख तक जाती हैं भारत में बीवा वाईडीपी जब लखनऊ में शोरूम खोले तो सैम पित्रोदा के बयान पर इतना भी गुस्सा नहीं करना चाहिए कि चीन हमारा दुश्मन नहीं है भारत का चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है और 100 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है हर कोई चीन और मस्क को राष्ट्रवादी नजरिए से नहीं देखता है ठगों का कोई राष्ट्रवाद नहीं होता पता चलता है कैसे चीन की कंपनी बी वाईडीपी एक नोटिस
सामने आता है कि से डीलरशिप नहीं देती है इससे पता चलता है कि चीन की इस कंपनी को लेकर कितना जोश है कि ठग भी इसका लाभ उठाने में लगे हैं तो ऐसा नहीं है कि भारत के बाजार में विदेशी कार कंपनियों का आना कोई नई बात है बहुत कंपनियां आई और चली भी गई कुछ ने टक्कर भी दी लेकिन उनके सामने भारतीय कार कंपनियों ने भी खुद को सुधारा बेहतर किया मार्केट में उन कंपनियों को टक्कर भी दी तो कुल मिलाकर भारत के ऑटोमोबिल से सेक्टर में भारतीय कंपनियों के पास अब टेक्नोलॉजी भी है
और मार्केटिंग भी है दोनों का तगड़ा अनुभव है 15 फरवरी को किसी ने करेंगे ऐसा माना जाता है कि इलेक्ट्रिक वाहन ही कारों का भविष्य है इसकी टेक्नोलॉजी में तेजी से विकास हो रहा है भारत की कंपनियों की कार अगर दमदार होगी तो उन्हें टेस्ला की चिंता नहीं करनी चाहिए लेकिन अगर उनकी बनाई कार ही औसत होगी तो वे बिना प्रतियोगिता के भी पिट जाएंगी इस समय भारत में 8 प्र से भी कम लोगों के पास अपनी कारें हैं इतने में ही यहां 200 300 किमी लंबा जाम लग जाता है अम अफ्रिका में 990 प्र
लोगों के पास कारें हैं पिछले साल हमने कितनी खबरें देखी और अपने वीडियो में भी बताया कि कई हजार करोड़ की गाड़ियां शोरूम में खड़ी हुई सड़ रही हैं लेकिन कोई खरीदने को तैयार नहीं किसी के पास पैसा नहीं है तो भारत की सड़कों पर भरोसा करना चाहिए टेस्ला हो या रॉकेट हो चलना सभी को 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही है जाम से भरी सड़कों पर अच्छी से अच्छी टेक्नोलॉजी वाली कारें ठेले की तरह हंसी नजर आती हैं और रेंगती ही रहेंगी टेस्ला आकर सर के ऊपर से निकल नहीं जाएगी वह भी
आपकी कार के बगल में जाम में रेंगती नजर आएगी बस इस बार अंतर है टेस्ला नहीं आ रही है मस्क आ रहे हैं टेस्ला के नाम पर मस्क के लिए क्या नीतियां बदली जा रही हैं इस सवाल का जवाब मांगिए अभी तो असली लड़ाई टेलीकॉम सेक्टर में भी है क्या स्टार लिंक का भी टेस्ला की तरह स्वागत किया जाएगा तब फिर क्या होगा नमस्कार मैं रवीश कुमार