दुनिया में लोग कई धर्मों को मानते हैं लेकिन उन सब में हिंदू धर्म सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है भारत में यह हजारों सालों से कायम है जहां एक से दूसरे छोर तक अनगिनत मंदिर देखने में आते हैं लेकिन दक्षिण भारत के पहाड़ों की चोटी पर शान से खड़ा एक मंदिर उन हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है जहां दुनिया भर से सबसे ज्यादा तीर्थ यात्री आते हैं यहां आते ही जैसे आप भगवान से जुड़ जाते हैं अब नेशनल जियोग्राफिक आपको ले जा रहा है एक पैनोरा टूर पर वह सब दिखाने जो मंदिर में होता
है देखिए शानदार परंपराएं और तिरुमला ब्रह्मोत्सवम श्री वेंकटेश्वर स्वामी के तिरुमला मंदिर [संगीत] में आंध्र प्रदेश राज्य में मौजूद तिरुपति पहली नजर में मॉडर्न इंडिया की किसी भी अर्बन सिटी की तरह चहल पहल से भरा दिखता है लेकिन यह जाना जाता है सदियों पुराने आध्यात्मिक स्वर्ग के द्वार के तौर पर [संगीत] तिरुपति वह जगह है जहां से शुरू होती है चढ़ाई शशा चलम या सेवन हिल्स के पहाड़ों की 8000 स्क्वायर किलोमीटर में फैले यह पहाड़ 50 करोड़ साल पुराने हैं इन खूबसूरत पहाड़ों से गुजर करर सफर पहुंचता है टेंपल टाउन तिरुमला में दुनिया भर में
बसे एक अरब से ज्यादा हिंदुओं में से ज्यादातर के लिए यह टेंपल टाउन बहुत मायने रखता [संगीत] है समुद्र तल से करीब 2500 फीट ऊंचाई पर मौजूद तिरुमला धरती के उन हिंदू तीर्थों में से एक है जहां सबसे ज्यादा लोग आते हैं यहां रोजाना औसतन 60 से हज लोग आते हैं खास मौकों पर तो लोगों की तादाद एक लाख से भी ज्यादा हो जाती है सबकी एक ही इच्छा होती है उस मंदिर में जाना जो समर्पित है भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी [संगीत] कोवी सदी के कवि और संत अनमा आचार्य की रचनाए भगवान को ही समर्पित
[संगीत] है [संगीत] लेकिन श्री वेंकटेश्वर स्वामी की गाथा तो और भी प्राचीन है त्रिदेव के माइथोलॉजी कांसेप्ट के बारे में जानने के लिए हमें उन हिंदू ग्रंथों के प्राचीन पन्नों पर नजर डालनी होगी जिनका नाम है पुराण विष्णु सृष्टि के पालनहार फिर है ब्रह्मा सृजन हार और शिव सृष्टि के संहार करता तिरुमला मंदिर भग विष्णु को समर्पित है मंदिर के चार मुख्य पुजारियों में से एक भगवान के महत्व के बारे में बताते हैं विष्णु एक नाम नहीं है बल्कि यह तो स्वयं में ही सुप्रीम एनर्जी है जो पूरे ब्रह्मांड और उसके पार भी मौजूद हैं
त्रिदेव में एक ही एनर्जी के तीन स्वरूप है यह है सृजन कर्ता पालक और तीसरा है पूरी सृष्टि का विनाश करने वाला जैसा कि ग्रंथ बताते हैं बीते युगों में विष्णु कई बार धरती पर आए थे मनुष्य और पशु दोनों के रूप में इसका कई तरह से उल्लेख मिलता है लेकिन कहानी जो भी हो सब में यह बात जरूर सामने आती है आखिरकार विष्णु श्री वेंकटेश्वर स्वामी के रूप में अवतरित हुए और सबके कल्याण के लिए तिरुमला में ही बस गए यह ही वह भगवान हैं जो यहां गर्भ गृह में विराजे हुए हैं जिनके दर्शनों
के लिए रोजाना हजारों लोग यहां आते हैं तिरुमला मंदिर द्रविडियन आर्किटेक्चर की उस शैली की एक शानदार मिसाल है जो सातवीं सदी की है इस आर्किटेक्चर में खास होते हैं विशाल पिरामिड जैसे स्ट्रक्चर्स जिन्हे कहते हैं गोपुरम और पिलर्ड हॉल्स जिन्हे कहते हैं मंडपम गोपुरम और पिलर्ड वॉल्स पर खास तरह की इंक्रिप्शन और हाथ से तराश मूर्तियां दिखती हैं जो अलग-अलग डायनेस्टीज की कहानियां कहती हैं तिरुमला ने नाइंथ सेंचुरी में पल्लव डायनेस्टी से लेकर 11थ सेंचुरी में तंजौर की चोल डायनेस्टी देखी 14 और 15 सेंचुरी में यह टेंपल टाउन विजयनगर डायनेस्टी के प्रभाव में रहा
1800 से 20 सेंचुरी के फर्स्ट क्वार्टर तक ब्रिटिश एंपायर ने यहां से टैक्स वसूला था आखिरकार 1933 में एक स्पेशल लेजिस्लेटिव एक्ट पास हुआ और मंदिर और उससे जुड़ी गतिविधियों की देखरेख के लिए एक ऑटोनोमस बॉडी बनाई गई नाम दिया गया तिरुमला तिरुपति देवस्थानम या टीटीडी आज भी टीडी ही श्रद्धालुओं के त्रिमला पहुंचने के बाद से उनकी इस तीर्थ यात्रा की सारी देखरेख करता [प्रशंसा] है तिरुमला आने वाले तकरीबन हर श्रद्धालु का एक ही मकसद होता है यहां आकर भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करना मैं 1969 से लगातार आ रहा हूं यहां पर मैं
जो भी मन्नत मांगता हूं यहां पर मेरा पूरा होता है बहुत सारे तकलीफें जिंदगी में आई है सब तकलीफें दूर हुई है इसलिए मैं यहां आता हूं लेकिन दर्शन का रास्ता उतना आसान नहीं [संगीत] है सफर लंबा है जो शुरू होता है पहाड़ की तलहटी में तिरुपति से [संगीत] अ ऊपर मंदिर तक पहुंचने के दो तरीके हैं शशा चलम की घुमावदार सड़क से करीब एक घंटे की ड्राइव करके भी वहां पहुंचा जा सकता है लेकिन बहुत से लोग ज्यादा मुश्किल तरीका अपना कर जाते हैं 16 सेंचुरी के राजा की तरह यानी पैदल अपनी पिछली विजिट
में मैंने कसम खाई थी कि अगर मेरी मन्नत पूरी हो गई तो मैं दर्शन करने मंदिर तक पैदल आऊंगा आज मैं अपनी व कसम पूरी कर रहा हूं चढ़ाई करने वाले दो पैदल रास्तों में से एक को चुन सकते हैं वह श्रीवरी मेटू के रास्ते जा सकते हैं जो छोटा है पर उसमें 2 किलोमीटर की थकाने वाली चढ़ाई है हम कह सकते हैं कि यह है एक डिवाइन एक्सपीरियंस साल में एक बार अपने भगवान के दर्शन के लिए आना ऐसा एक्सपीरियंस है जो पूरे साल आप में जोश बनाए रखता है श्रद्धालु अली पिरी मिटू के
रास्ते भी आ सकते हैं जो 9 किलोमीटर लंबा है लेकिन चढ़ाई हल्की होने की वजह से कई लोग इसे पसंद करते हैं बेसिकली मैं लोगों से सुनने के बाद तिरुपति आई हूं मैंने बहुत सुना था कि यहां जो मांगो मिल जाता है तो मेरी बहुत समय से इच्छा थी बस उसे ही पूरा करना चाहती [संगीत] थी रास्ते में श्रद्धालुओं को अलग-अलग तरीके से चढ़ाई चढ़ते देखा जा सकता है जैसे हर सीढ़ी पर सिंदूर का टीका लगाते जाना हमें पैसे की बहुत तंगी थी काफी दिक्कतें आ रही थी फिर मैंने भगवान के सामने मन्नत मांगी कि
अगर हमारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी तो मंदिर तक हर सीढ़ी को टीका [संगीत] लगाऊंगी कुछ श्रद्धालु तो हाथों और घुटनों के बल सीढ़िया चढ़कर आते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो चढ़ाई का पूरा मजा लेते हैं जब मैंने शुरू में देखा तो मुझे पहाड़ कुछ ज्यादा बड़ा नहीं लगा लेकिन जैसे मैंने चढ़ना शुरू किया तब पता चला कि बहुत ऊंचा है और बहुत मेहनत करनी पड़ती है ऊपर तक जाने में अली पीरी वाले रास्ते में गाली पुरम एक खास पड़ाव है थोड़ा सुस्ताने के लिए ही नहीं बल्कि यहां दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन होता है
आज कंप्यूटराइज टोकन सिस्टम के चलते यह प्रोसेस आसान हो गया है और रास्ते में भी आज की तमाम सहूलियत की वजह से सुधार हुआ है इसका श्रेय जाता है तिरुमला तिरुपति देवस्थानम या टीटीडी के सालों से चलते आ रहे एडमिनिस्ट्रेशन को इस पर आपके बायोमेट्रिक है आपका फोटो है और यह कार्ड ट्रांसफर नहीं हो सकता है और आपको वो सब प्रोवाइड करेंगे जो किसी भी डिवटी को सीढ़ियां चढ़ते वक्त चाहिए होता है श्रद्धालू चाहे पैदल आए हो या गाड़ियों से सभी आखिरकार तिरुमला पहुंचते हैं यानी वो टाउन जिसके सेंटर में है श्री वेंकटेश्वर स्वामी यहां
आकर कुछ श्रद्धालु तो सीधे कल्याण कट्टा की तरफ बढ़ जाते हैं यहां एक खास रस्म को अंजाम दिया जाता है जो पूरे तिरुमला टाउन में सबसे खास नजारों में से एक बन जाती [संगीत] है जहां देखो वहीं मुंडन किए सिर दिखाई देते हैं कई श्रद्धालु दर्शन से पहले मुंडन कराना जरूरी मानते हैं जब हमारी बेटी पैदा हुई थी तब मैंने डिसाइड किया था कि हम अपने बाल भगवान को ऑफर करेंगे और इसलिए मैं यहां पर आया हमारी यह बेटी उनकी ही कृपा से पैदा हुई है यह रस्म भगवान के सामने जाने से पहले अपनी ईगो
यानी अहम को मिटा देने का प्रतीक मानी जाती है मेरी मन्नत पूरी हो गई है तो मुझे खुशी मिली है और मिला है बहुत सारा संतोष भी सिर मुंडाया हो या नहीं अपने भगवान के दर्शन करने को आतुर श्रद्धालुओं के लिए अब वक्त है दर्शन की वेटिंग लाइंस में खड़े होने लाइन में खड़े श्रद्धालुओं में वह लोग भी हैं जो घंटों की चढ़ाई करके आए हैं पर अब उन्हें और कई घंटों के लिए लाइन में लगना होगा इसी वजह से बीते सालों में दर्शन क्यूज में कई रेस्टिंग गैलरीज का इंतजाम किया गया है वैकुंठ क्यू
[संगीत] चलते यह इंतजार 10 घंटे या उससे ज्यादा का भी हो सकता है साल दर साल बढ़ती भीड़ को देखते हुए टीटीडी अथॉरिटीज ने एक बार फिर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर एक आसान तरीका निकाला है अब श्रद्धालु दर्शन अपॉइंटमेंट पहले ही ऑनलाइन बुक करा सकते [संगीत] हैं कोई किसी भी रास्ते से आए लाइन से आए या क्यू से तिरुमला आकर सब एक ही द्वार पर पहुंचते हैं श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] द्वार मुख्य मंदिर करीब 2.2 एकर में फैला है इसकी लेंथ है 450 फीट और
विड्थ 263 फीट श्रद्धालु महाद्वार से अंदर आते हैं जो है 50 फीट ऊंचा बाहरी गोपुरम यहां वो एक खुले कोर्टयार्ड में दाखिल होते हैं जहां लगा है एक चमकता फ्लैग स्टाफ जिसका नाम है ध्वज स्तंभम अंदर जाते हुए बाई तरफ है रंग नायक मंडपम और दाई तरफ आईना महल यानी आइनों का हॉल जो अंतहीन इमेजेस झलका है श्रद्धालु वेंडी वाकली से गुजरते हैं जो मुख्य गर्भ गृह का सिल्वर एंट्रेंस है इसके बाद उनके सामने होता है बंगारू वाकली या गोल्डन एंट्रेंस बंगारू वाकली के अंदर ही वह सीमा है जिसके आगे ज्यादातर श्रद्धालु नहीं जा सकते
यहां एक के बाद एक कई अंधेरे मंडप के बाद दिखता है भीतरी गर्भगृह वहां तक जाते हर च की चौड़ाई कम होती जाती है बहुत से लोग मानते हैं कि चौड़ाई का यह घटते जाना आत्मा के परमात्मा की कोख तक के सफर का प्रतीक है शायद इसीलिए सबसे अंदर के उस स्थान को संस्कृत में गर्भ गृह या वूम लाइक चेंबर कहते हैं जहां भगवान निवास करते हैं भगवान को सभी प्राकृतिक तत्वों जैसे हवा धूप बारिश और तूफान से सुरक्षित रखना होता है ताकि अंदर सुप्रीम एनर्जी बनी रहे और गर्भ ग्रह जो कि उनका अपना निवास
स्थान है इसलिए केवल विशेष पुजारी ही वहां प्रवेश कर सकते हैं और बाकी श्रद्धालुओं को उस सीमा से बाहर रहना होता है श्रद्धालुओं को बंगारू वाकली के अंदर अपनी नजरों की सीध में ध्यान लगाए रखना होता है अगर किस्मत ने साथ दिया तो वहां से हटने से पहले उन्हें कुछ सेकंड्स के लिए दर्शन मिल जाते हैं वैसे घर पर बैठे लोगों के लिए भीतरी गर्भ गृह को नजदीक से देखने और समझने का एक तरीका है बिल्कुल वैसे जैसे कुछ ही लोग देख पाते [संगीत] हैं आंध्र प्रदेश में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में लाइंस में घ
इंतजार के बाद श्रद्धालु भीतरी गर्भ गृह के दरवाजे तक पहुंचते हैं लेकिन यहां तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के सामने एक ऑपरेशनल चैलेंज है आगम शास्त्र नाम के प्राचीन ग्रंथ की मर्यादा के चलते टीटीडी के पास मंदिर के मुख्य द्वार को बड़ा करने की धार्मिक अनुमति नहीं है जिसका मतलब है भीड़ को उन प्राचीन द्वारों से ही मैनेज करना जो बतौर एंट्री और एग्जिट का काम करते हैं हम आगम शास्त्र के तहत चलते हैं जो हमें मंदिर के मौजूदा प्रवेश द्वारों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की इजाजत नहीं देता है तो इन दो स्पेसिफिक पैसेजेस के
लिए कोई और रास्ता नहीं है एक सिंगल पॉइंट एंट्री से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मुख्य मंदिर में दाखिल होती है पहले श्रद्धालुओं के एक बैच को अंदर जाने दिया जाता है फिर कुछ के लिए अंदर आने वालों को रोककर बाहर निकलने वालों को जाने दिया जाता है एक औसत दिन में हर घंटे करीब 4000 तीर्थ यात्री इस दरवाजे से गुजरते हैं तो आमतौर पर हम एक नियम पर चलते हैं ी मिनट इन फो मिनट आउट मिनट इन फो मिनट्स आउट तीसरी बार में मिनट इन फ मिनट्स आउट ला का आगे च रहना जरूरी है इसीलिए
हर श्रद्धालु किस्मत से ही गर्भ गृह के सामने कुछ सेकंड से ज्यादा ठहर पाता है फाइनली हमें दर्शन हो गए इससे मिलने वाली शांति ही हमें ताकत देती है हा कई घंटों के इंतजार के बाद जब आप भगवान के सामने पहुंचते हैं तो आपको सिर्फ और सिर्फ शांति मिलती है हम बस उस एक पल के सुकून के लिए यहां आते हैं जिस पल आप उनके दर्शन करते हैं तो आप सब कुछ जाते हैं यह भी ध्यान नहीं रहता कि आप यहां क्यों आए हैं किसकी पूजा करें तो आप उन्हें बस देखते रहते हैं और बस
यही आपकी पूजा होती है ज्यादातर श्रद्धालुओं के लिए कुछ सेकंड्स काफी हो सकते हैं तो कुछ के लिए नहीं इस गर्भ गृह में कई अजूबे हैं जिनके लिए ज्यादा लंबी झलक की जरूरत हो सकती है तो जहां रिवाज इजाजत नहीं देता वहां सूझबूझ ने एक रास्ता निकाला है वेलकम टू द नमूना आलयम यानी रेप का टेंपल जो है मंदिर के भीतरी मंडप की हूबहू नकल इसे 2008 में मंदिर की इजाजत से टेलीविजन ब्रॉडकास्टर एसवीबीसी या श्री वेंकटेश्वर भक्ति चैनल ने तैयार किया था लोग वेंकटेश्वरा की महिमा देखना चाहते हैं पर सबको तो वहां तक जाने
की अनुमति नहीं है तो अगर कोई वहां जाकर यह सब चीजें देखना चाहता है उसके लिए हमने पूरे तिरुमला मंदिर का एक रेप्ट बनाया है तिरुपति में हम भगवान वेंकटेश्वर की सभी सेवाओं को ठीक वैसा ही शूट कर रहे हैं जैसे वह तिरुमला मंदिर में होती है नमूना आलयम या रेप्ट टेंपल एकदम असली जैसा ही दिखता है खासकर गर्भ गृह यानी इनर मोस्ट चेंबर यहां पर ही है श्री वेंकटे श्वर स्वामी की काले पत्थर की 8 फीट ऊंची प्रतिमा यानी मूल विराट श्रद्धालु उन्हें कई नामों से पुकारते हैं जो हैं श्री वेंकटेश्वर स्वामी तिरुमला बालाजी
गोविंदा और श्रीनिवास इस बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है कि यहां यह प्रतिमा किसने बनाई या स्थापित की लेकिन बहुतों का मानना है कि यह यहां इस रूप में स्वयं प्रकट हुई थी श्री वेंकटेश्वर स्वामी के पोट्रेट्स या तस्वीरों में ज्यादातर यही स्वरूप दिखाया गया है लेकिन यहां बस यही स्वरूप नहीं है मुख्य प्रतिमा के आसपास कई और प्रतिमाएं हैं हर एक की अलग पहचान तय मकसद और वजहें हैं चांदी की भोगा श्रीनिवास की प्रतिमा वह स्वरूप है जिसे रोजाना की ज्यादातर रस्मों में पूजा जाता है यहां कोलू श्रीनिवास की प्रतिमा है जो मंदिर
के विधि विधान में प्रतीक के तौर पर शामिल होती है उग्र श्री निवास भगवान के क्रोधित स्वरूप को दर्शाती है और यहां है श्री मलय पपा स्वामी जिनके दोनों तरफ देवियां हैं भूदेवी और श्रीदेवी यही वह प्रतिमा है जो रोज होने वाली पूजा के लिए गर्भ गृह से बाहर जाती है और इसी प्रतिमा की आने वाले सालाना महा ब्रह्मोत्सवम के दौरान शानदार शोभा यात्राओं में सवारी निकाली जाएगी प्रतिमाएं चाहे गर्भ गृह के अंदर हो या बाहर उन्हें कीमती नगीनों से बने गहने पहनाए जाते हैं शानदार परंपरागत पोशाकें भी पहनाई जाती हैं श्रद्धालु की इच्छा होती
है कि वो भगवान को दुनिया की बढ़िया से बढ़िया चीज भेंट करे जैसे कि बेहतरीन सिल्क बेहतरीन आभूषण बेहतरीन फूल मनमोहक सुगंध इन बेश कीमती चीजों में सिर्फ भगवान के कपड़े ही नहीं हैं जिन्हें मंदिर की पूजा में इस्तेमाल किया जाता है इनमें भारत में पाए जाने वाले कुछ बहुत ही खास नेचुरल रिसोर्सेस भी शामिल हैं तिरुमला के आसपास के जंगल शशा चलम बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है इसकी मोस्ट हाई वैल्यू प्लांट स्पीशीज में से एक है चंदन यानी सैंडल जो अपनी सेंटेड हार्टवुड के लिए काफी डिमांड में रहती है तिरुमला और इंडिया की सदर्न
स्टेट्स में चंदन के पेड़ काफी ज्यादा हुआ करते थे लेकिन आज ओवर एक्सप्लोइटेशन इल्लीगल कटाई और अनसाइंटिफिक मैनेजमेंट और स्पीशीज की अनदेखी की वजह से इन चंदन के पेड़ों की संख्या बहुत ज्यादा घट गई है जो कि अच्छा नहीं है तिरुमला मंदिर में चंदन पूजा में रोजाना इस्तेमाल होता है टीटीडी का रि फॉरेस्टेशन यह कोशिश कर रहा है कि आने वाली कुछ और सेंचुरी तक यह मिलता रहे यहां 10 हेक्टेयर में सेंडल वुड प्लांटेशन की शुरुआत की गई थी विद इंटेंसिव साइंटिफिक मैनेजमेंट और इस साल हम इसे 100 हेक्टेयर तक बढ़ा रहे हैं तो यह
100 हेक्टेयर और जुड़ने से मंदिर को और 300 सालों तक लगातार सैंडलवुड मिलती रहेगी गर्भ गृह के रोजाना के विधि विधान पूरे किए जाने में सिर्फ हाई क्वालिटी इंग्रेडिएंट्स ही इस्तेमाल होते हैं यहां 200 से ज्यादा प्रीस्ट का एक प्रीस्टहुड भी होता है जिन्हे उन बेहद प्राचीन हिंदू शास्त्रों का ज्ञान कराया जाता है जिनमें माहिर होने में सालों लग जाते हैं श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर शेषा चलम के जंगलों में है धर्मागिरी [संगीत] यहां बना है वेंकटेश्वर वेद विज्ञान पीठम एक एजुकेशनल इंस्टिट्यूट जहां का माहौल वैदिक काल की याद दिलाता [संगीत] है
वेंकटेश्वर वेद विज्ञान पीठम 134 साल पहले बनाया गया था यह क्वालिटी वैदिक और मंदिर के पुजारियों और ब्रह्मनिकल स्कॉलर्स की ट्रेनिंग के लिए स्थापित किया गया था तब से यहां से कई पुजारी महाप जारी भगवान वेंकटेश्वर की सेवा कर चुके हैं वेद विज्ञान पीठम आगे भी कई पुजारियों को तैयार [संगीत] करेगा यहां पढ़ाने का प्राचीन तरीका देखने को मिलता है स्टूडेंट्स हजारों साल पुराने सूत्रों को पढ़ते हैं वे खाना स आगम की ही तरह जो श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में जीवन और पूजा के तकरीबन हर पहलू के बारे में बताता है 10 साल की छोटी
उम्र के लड़के अपने घर और मेन स्ट्रीम स्कूल सिस्टम्स को छोड़कर संस्कृत के इन ग्रंथों में बताई फिलॉसफी मेटा फिजिक्स और नियम पढ़ने आते हैं सेकंड यर स्टूडेंट हूं व खना सा आगम की शिक्षा ले रहा हूं मेरे घर पर तो परिवार में सिर्फ तीन चार लोग ही हैं लेकिन यहां पर 700 लोग हैं यहां पूजा के अलावा बाकी चीजें रोज सिखाई जाती हैं जिसका हमें पालन करना होता [संगीत] है ग्रेजुएशन के बाद ये स्टूडेंट्स आगे तिरुमला मंदिर में प्रीस्टहुड परफॉर्म करने वाले 200 प्रीस्ट में से एक हो सकते हैं [संगीत] लेकिन मंदिर और इसकी
पवित्रता को बनाए रखना इसके पुजारियों का ही काम नहीं [संगीत] है यहां एक ग्रुप है जो तिरुमला के ताने बाने में अहम है यह है जियस पूरे गर्भ गृह की चाबी सही मायनों में इन्हीं के हाथों में होती है सुबह मंदिर के दरवाजे खोलने से लेकर रात को उन्हें बंद करने तक मैं आपको यह बताता हूं कि यहां पूजा का विधि विधान क्या है सुबह के विधि विधान के लिए पुजारियों के साथ मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं सुबह से देर रात तक पडा जियार या उनके प्रतिनिधि के सामने सारे विधि विधान श्रद्धा और उल्लास
के साथ पूरे किए जाते हैं जियर्स उन श्री रामानुज के वंशज हैं जो 11थ सेंचुरी के एक प्रॉमिनेंट स्पिरिचुअल लीडर और रिफॉर्म रहे हैं और जिन्होंने इस मंदिर में होने वाली पूजा और विधि विधान को काफी हद तक तय किया था [संगीत] मंदिर के सबसे पॉपुलर ट्रेडिशनल म जिसे श्रद्धालु मुख्य मंदिर से निकलने के बाद लेते [संगीत] हैं असल में इंडियन मिठाइयों में आज इसने सेलिब्रिटी स्टेटस हासिल कर लिया है नाम है तिरुपति लड्डू यह मिठाई इतनी पसंद की जाती है कि हाल के सालों में इसे पेटेंट कराया गया है तिरुपति लड्डू को जीआई यानी
जियोग्राफिक इंडिकेशन स्टेटस दिया गया है जिसका मतलब है मंदिर की यह प्रिपरेशन और क्वालिटी यूनिक है वह क्या है जो इन लड्डुओं को खास बनाता है इसका जवाब शायद इन्हे बनाने वाले मॉडर्न टेक्नोलॉजी और सदियों पुराने मुंह में पानी लाने वाले कुलिनरी ट्रेडिशनल में छुपा है [संगीत] तिरुमला मंदिर में एक आम दिन भीड़ की तादाद 60 से 8 हजार तक पहुंच जाती है सभी का एक मकसद होता है मंदिर में विराजे भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन श्रद्धालु खास तरह के एहसास पाने की उम्मीद में तिरुमला आते हैं दिव्य दर्शन से लेकर मशहूर तिरुपति लड्डू
चखने तक जिसके लिए वो खुशी-खुशी एक और क्यू में खड़े हो जाते हैं जो 60 से ज्यादा लड्डू काउंटर्स में से किसी एक तक जाती है लड्डू की इस मंदिर की फूड स्टोरी में एक खास जगह है यह भगवान को परोसे जाने वाले नैवेद्यम या डेली मील का एक अहम हिस्सा है हर लड्डू हाथ से बनाया जाता है चने के आटे चीनी और घी से इसमें इलायची जैसे स्पाइसेसफर डाले जाते हैं एक वक्त था जब लड्डू बनाने का काम खास तौर पर मुख्य मंदिर की पोटू या किचन में किया जाता था लेकिन 2006 में लड्डू
बनाने के शुरुआती कामों के लिए मुख्य मंदिर के बाहर एक नई मैकेनाइज्ड किचन बनाई गई दोनों किचन तालमेल से काम करते हुए दिन में करीब 3 लाख लड्डू तैयार करती हैं उबलते घी से भरे बर्तन में चने से बना क्रीमी बैटर जाता है इससे तैयार होते हैं सिजलिंग डीप फ्राइड फ्रेगमेंट्स यानी बूंदी इस पॉइंट पर ट्रेडिशनल है एक टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड फ्राइड बंदियों से भरी ट्रेस एक ऑटोमेटेड रोपवे पर माउंट की जाती है नैरो पैसेजेस से ऊपर जाते हुए यह उस जगह पहुंचती हैं जहां कैमरास को जाने की इजाजत नहीं है दूसरे छोर पर ट्रेस पहुंचती
हैं मुख्य मंदिर में उनका इंतजार करते करीब 200 ब्राह्मण पुजारियों तक जो हर लड्डू हाथ से बनाते हैं तिरुपति लड्डू कहीं और नहीं बनाया जाता वेंकटेश्वरा स्वामी के प्रसा के लड्डू की दुनिया भर के श्रद्धालुओं में बहुत ज्यादा मांग है इधर मंदिर के पुजारी किचन में एक ही विधि से लड्डू बनाते हैं और उधर लड्डू ट्रेज तिरुमला तिरुपति देवस्थानम या टीटीडी की टेस्टिंग लैब्स में क्वालिटी चेक से गुजरती हैं हम यहां लड्डुओं की शेल्फ लाइफ चेक करते हैं फॉर एग्जांपल आज हमने लड्डू का यह बड़ा सा सैंपल लिया है इसे तोड़कर देखा जाएगा कि इसमें
में ड्राई फ्रूट लेवल क्या है चीनी और बेसन का लेवल क्या है यूजुअली यह मैक्सिमम सात से 10 दिन तक ऐसा ही रहता है टेस्टिंग लैब प्रसादम बनाने में इस्तेमाल होने वाले हर इंग्रेडिएंट्स टीटीडी की किचन के अंदर बड़ी तादाद में बनने वाले मील्स भी शामिल हैं यह है मातृ श्री तारी गंडा वैंग मांबा नित्य अन्न प्रसादम कॉप्लेक्स यहां के किचन रोजाना तकरीबन 65 से 75 हज मील्स तैयार करते हुए दिन के करीब 15 घंटे काम करती हैं लड्डुओं की ही तरह मील्स भी भगवान के भोग के तौर पर बनाए जाते हैं खाना खास तौर
पर साउथ इंडियन होता है और इंग्रेडिएंट्स स्ट्रिक्टली वेजिटेरियन नारियल तो मेन्यू का अहम हिस्सा है है ही और इनके किचन तक पहुंचने की कहानी भी भक्ति से सराबोर [संगीत] है हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु श्री वेंकटेश्वर स्वामी को कई खास चढ़ावे चढ़ाते हैं यह डोनेशंस तिरुमला मंदिर के रिसोर्सेस में जुड़कर इसे कुछ अनुमानों की माने तो दुनिया में सबसे धनवान हिंदू मंदिरों में से एक बना यह चढ़ावे भारी भरकम से लेकर मामूली तक होते हैं भगवान को चढ़ाया जाने वाला एक मशहूर चढ़ावा नारियल उस वेदी पर चढ़ाया जाता है जो मुख्य मंदिर के ठीक सीध में
है यहां रोजाना एक लाख नारियल का ढेर लग जाता है दिन में एक बार नारियल इकट्ठा करने वाली टीम यहां आती है या कलेक्शन बॉक्स को खोलती है और इन्ह इकट्ठा करके ले जाती है तिरुमला की किचन में सिर्फ नारियल ही नहीं किचन में इस्तेमाल होने वाली सभी सब्जियां श्री वेंकटेश्वर स्वामी के नाम पर चढ़ावे में आती हैं और वापस तीर्थ यात्रियों की थाली में पहुंच जाती हैं [संगीत] प्रसादम भी बहुत ही सात्विक होता है इसमें ज्यादा मसाले वगैरह नहीं होते भगवान का भोग लगाने के बाद ही खाना प्रसादम बनता है जो दर्शन के लिए
आने वाले श्रद्धालुओं को खिलाया जाता है और वह इसे भगवान का आशीर्वाद समझकर खाते हैं अन्न प्रसादम लेने सब लोग आते हैं कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं है कोई भी आकर स्वामी वरी प्रसादम ले सकता है हमारे यहां चार हॉल्स हैं हर एक की कैपेसिटी है 1000 लोगों की तो ग्राउंड फ्लोर पर दो हॉल्स है और दो हॉल्स फर्स्ट फ्लोर पर है मेन्यू के जितने भी डिशेस है वह सब बहुत टेस्टी है उसमें सांभर राइस है चटनी है और कर्ड राइस है और यह बिल्कुल घर के बनाए हुए खाने जैसा है दिन भर लोगों को बैठाने खिलाने
और साफ सफा का काम चलता रहता [संगीत] है जो हमें याद दिलाता है कि तिरुमला में दसियों हजार की भीड़ को संभालना रोजमर्रा का काम है आम दिनों में रोजाना यहां 65 से 75 हजार लोग आते हैं और स्पेशल ओकेज जैसे कि ब्रह्मोत्सवम या किसी और त्यौहार के दिनों में हम सर्व करते हैं करीब डेढ़ लाख या सवा लाख लोगों को आने वाले ब्रह्मोत्सवम फेस्टिवल जैसे उत्सव के दिन सिर्फ किचन पर ही नहीं टीटीडी पर भी दबाव बढ़ा देते हैं विशाल सालाना उत्सव के करीब आने पर टेंपल अथॉरिटीज को अपनी सर्विसेस बढ़ानी होंगी टीटीडी उस
भीड़ को संभालने के लिए स्टेट ऑफिशल्स की मदद लेगा जिसकी तादाद एक लाख से ज्यादा हो सकती है हमें अपना काम आम दिनों के मुकाबले और अच्छे से करना होगा जिसमें किसी भी पॉइंट पर कोऑर्डिनेशन में प्रॉब्लम्स का कोई स्कोप नहीं रहना चाहिए तो आइए हम इस ब्रह्मोत्सवम उत्सवम के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है तिरुमला टाउन रंगबिरंगी जगमगाहट और गीत संगीत में सरा बोर होने लगा है यह धरती के उन हिंदू तीर्थों में से एक बनने की तैयारी में जुट गया है जहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं पहाड़ी पर बसे टेंपल टाउन तिरुमला में
एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं का जमघट लगा है जो यहां आए हैं न दिन का उत्सव ब्रह्मोत्सवम [संगीत] मनाने ब्रह्मोत्सवम श्री वेंकटेश्वर स्वामी के तिरुमला में पौराणिक आगमन की खुशी में मनाया जाने वाला सालाना उत्सव है [प्रशंसा] ब्रह्मोत्सवम एक बहुत बड़ा उत्सव है जो हमारे मंदिर में न दिन तक मनाया जाता है और इसे लोग अपने नाते रिश्तेदारों मित्रों वगैरह के साथ बहुत धूमधाम से मनाते हैं उत्सव के दौरान जबरदस्त धूमधाम रहती है मुख्य मंदिर के अंदर और बाहर सड़कों पर भी रोज सुबह और शाम को मुख्य मंदिर से भगवान श्री मलय स्वामी की सवारी
निकलती है दिन के शेड्यूल के हिसाब से उन्हें दर्जन से ज्यादा तरह के अलग-अलग वाहनों पर विराजमान कर मंदिर के आसपास माडा स्ट्रीट से गुजारा जाता है उत्सव के शुरू होते ही माहौल जोश से भर जाता है इंडिया और दूसरी कंट्री से स्पेशल डिलीवरीज आती हैं पड़ोसी राज्य से आई शोभा यात्रा की छतरियां से लेकर फूलों तक जिनमें से कुछ तो दुनिया के दूसरे कोनों से आए हैं ब्रह्मोत्सवम महीने पहले ही हम अपने डोनर्स को प्रोग्राम शेड्यूल और हमारी फ्लोरल रिक्वायरमेंट्स के बारे में बता देते हैं हमें ज्यादातर फ्लावर्स बैंगकॉक सिंगापुर और साथ ही अमेरिका
से आते हैं जिन दिनों उत्सव नहीं होते तब हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट 100 से 200 किलो के बीच फूल इस्तेमाल करता है ब्रह्मोत्सवम के दौरान क्वांटिटी बेहद बढ़ जाती है ब्रह्मोत्सवम करीब 35 टन से ज्यादा फ्लावर्स यूज करते हैं ब्रह्मोत्सवम डेकोरेशंस के लिए और इसके अलावा करीब 150 से 200 किलोग्राम फ्लावर्स भगवान के रिचुअल्स और सुबह और शाम की तमाम शोभा यात्राओं की सेवाओं में यूज किए जाते हैं इनमें से बहुत सारे फूल तो शोभा यात्रा के उन वाहनों को सजाने के काम आते हैं जिन्हें विशाल भीड़ देखने आएगी दिन चाहे उत्सव का हो या आम दिन
हो तिरुमला में भीड़ को संभालना और उसकी देखरेख करना टाउन के सबसे बड़े एडमिनिस्ट्रेटर चैलेंज में से एक है ऐसा चैलेंज जिसमें जरूरत पड़ती है हजारों वॉलेट्स यानी श्रीवारी सेवकों की तिरुमला में श्रीवारी सेवक हर जगह दिखाई देते हैं यह अपने चमकदार रंग के स्कार्प्स पहने श्रद्धालुओं की सेवा करते गाइड करते और मदद करते अलग से दिख जाते हैं 2000 में यहां 198 लोग आते थे आज पर डे यहां पर 1500 से 2000 लोग आते हैं अक्रॉस द कंट्री स्पेशली फ्रॉम साउथ इंडिया मैं बहुत दिनों से श्रीवरी सेवक बनने की सोच रही थी मुझे बहुत
खुशी है कि ब्रह्म उत्सवम के दौरान मुझे भगवान की सेवा करने का मौका मिला ब्रह्मोत्सवम के दौरान करीब 3000 श्रीवारी सेवक ड्यूटी पर रहेंगे इधर वह ब्रह्मोत्सवम के लिए पहुंच रहे तीर्थ यात्रियों की सेवा के लिए तैयार हो रहे हैं तो उधर पूरे तिरुमला में सिक्योरिटी एजेंसीज ने निगरानी बढ़ा दी है टीटीडी की सिक्योरिटी एंड विजिलेंस कमिटी को आंध्र प्रदेश स्टेट पुलिस की कोशिशों में हाथ पटाकर यह पक्का करना होगा कि उत्सव खासकर वाहनों की शोभा यात्राओं में कोई अड़चन ना आए हमने कैमरे लगाए हैं इनमें पीटी जट कैमरे हैं और सभी चीजों की मॉनिटरिंग
हो रही है जैसे मान लीजिए कि ठीक उस वक्त से जब वाहना मंडपम से वाहन बाहर आता है वहां से शोभा यात्रा के पूरी होकर उसके वापस वाहना मंडपम में आने तक हर होने वाली मूवमेंट पर हमारी नजर है हम पुलिस डिपार्टमेंट को रेगुलेट करते हैं किसी भी बंदोबस्त में यहां पुलिस डिपार्टमेंट के लिए सर्विस ओरिएंटेशन चल रहा है जहां हम बताते हैं कि कैसे बिहेव करना है और कैसे सर्विस देनी है उन तमाम श्रद्धालुओं को जो दूर-दूर से भगवान के दर्शन के लिए आए हैं ब्रह्मोत्सवम के दौरान हर रोज नए श्रद्धालु पहुंचते हैं पांचवें
दिन सबसे ज्यादा भीड़ जुटती है लोग यहां शाम को होने वाली उस शोभा यात्रा सेवा में शामिल होने आए हैं जिसे कहते हैं गरुड़ सेवा हम यहां सुबह 7:00 बजे ही पहुंच गए थे नहीं तो खड़े होने की जगह भी नहीं मिलती और इतनी सुबह-सुबह भी यहां पर बहुत सारे लोग थे क्योंकि आज गरुड़ उत्सवम है और यह इवेंट इंपॉर्टेंट है तिरुमला में श्रद्धालुओं को अभी लंबा इंतजार करना होगा इस बीच टीटीडी के मील सर्विस स्टाफ के लिए वक्त है सेवा में जुटने का इन्हें पक्का करना होगा कि सभी श्रद्धालुओं को रिफ्रेशमेंट्स मिल जाए 3
लाख बटर मिल्क्स एक स्लॉट ऑलरेडी डिस्ट्रीब्यूटर मारा स्ट्रीट में निली 175000 कंप्लीट हो चुके हैं गरुण सेवा के मौके पर लाखों लोग यहां आते हैं लेकिन हम भी अपने स्टाफ के साथ पूरी तरह तैयार है तो यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी टीटीडी के आला अधिकारी मौके पर मौजूद रहकर खुद सारे इंतजाम देखते हैं और तीर्थ यात्रियों से मिलते हैं हम उम्मीद कर रहे हैं कि हर चीज हमारे ओरिजिनल प्लान के हिसाब से होगी हम हमेशा की तरह सतर्क हैं नजर रखे हुए हैं यह देखने के लिए
कि सब ठीक ठाक हो शाम होने पर मंदिर के आसपास जोश परवान चढ़ने लगता है [संगीत] श्री वेंकटेश्वर भक्ति चैनल के कंट्रोल रूम्स में टीम्स लाइव टेलीविजन ब्रॉडकास्ट की तैयारी कर रही [संगीत] हैं जबकि सिक्योरिटी कंट्रोल रूम्स में हर कोई बेहद चौकन्ना है और फिर जिस पल का इंतजार था व आ पहुंचा [प्रशंसा] गरुड़ के आकार का दिव्य वाहन वो सुनहरा रथ दिखाई देता है जिस पर बैठे हैं श्री मलपा स्वामी जो मंदिर के मुख्य भगवान का सवारी में निकलने वाला स्वरूप [प्रशंसा] है शोभा यात्रा की रस्म के हिसाब से जीयर्स सबसे आगे चलते [प्रशंसा]
हैं शोभा यात्रा के रास्ते में वेद पाठशाला के स्टूडेंट्स मंत्रोच्चार करते हैं हम पिछले 30 साल से यहां आ रहे हैं बचपन से ही मैं ब्रह्मोत्सवम में शामिल हो रही हूं यह एक अनोखी जगह है यहां आते ही जैसे आप भगवान से जुड़ जाते हैं रमना गोविंद ब्रह्मोत्सवम का जश्न उस शाम के बाद भी बाकी के चार दिन तक जारी रहता है हर रोज प्रतिमा मुख्य मंदिर से बाहर आती है और सवार होती है एक अलग वाहन पर जिनमें से कुछ श्री वेंकटेश्वर स्वामी की कथा में आए माइथोलॉजी सिंबल्स को रिप्रेजेंट करते हैं बाकियों को
श्रद्धालुओं की एकजुट ताकत आगे खींचती है भगवान को तमाम तरह के विधि विधान से पूजा जाता है जिन्हें लाखों की भीड़ निहारती है पहाड़ पर बसे इस टेंपल टाउन पर मिलन होता है भौतिक और पारलौकिक का और लगातार बहती है धारा तिरुमला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी की भक्ति की [संगीत] h