1922 में एक 23 साल का लड़का शिमला के सिसिल होटल के सामने खड़ा था वो यहां एक क्लर्क की नौकरी करना चाहता था लेकिन होटल के गार्ड ने उसके अपीयरेंस को देखते हुए उसे अंदर तक आने नहीं दिया उस समय किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि आगे चलकर यही लड़का ना केवल इस होटल का मालिक बनेगा बल्कि पूरे इंडिया की वन ऑफ द मोस्ट लग्जरियस होटेल चेन को बिल्ड करेगा यह कहानी है द ओबरॉय होटल्स की साल 18985 में जन्म होता है मोहन सिंह ओबेरॉय का वो केवल छ महीने के थे जब
एक एपिडेमिक में उन्होंने अपने फादर को खो दिया लेकिन इसके बाद भी मोहन की मदर ने इंश्योर किया कि उन्हें एजुकेशन मिले 16 साल की उम्र में उन्होंने कॉलेज एजुकेशन के लिए लाहौर जाके डीएवी कॉलेज को जवाइन कर लिया और वहां उनकी लाइफ में दो खास चीजें हुई पहला उन्होंने इंग्लिश में कम्युनिकेट करना सीखा और दूसरा उन्हें एक शू फैक्ट्री में पार्ट टाइम जॉब मिल गई देखते ही देखते उन्होंने डिजाइन और प्रोडक्शन प्रोसेस को डीप समझ लिया वो एक नॉर्मल वर्कर से पहले सुपरवाइजर बने और फिर फुल टाइम मैनेजरियल पोजीशन पे आ गए गरीबी से
उठकर आए मोहन को लगने लगा था कि उनकी लाइफ अब सेटल हो चुकी है कि तभी कहानी में एक ट्विस्ट आता है 1919 में पूरे इंडिया में ब्रिटिशर्स के द्वारा लगाए गए रोलेट एक्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट चालू हो गए जिस कारण कई बिजनेसेस को नेगेटिव इंपैक्ट हुआ कुछ सालों तक स्ट्रगल करने के बाद 1922 में शू फैक्ट्री भी बंद हो गई और रातों-रात मोहन अनइंप्लॉयड हो गए कोइंसिडेंटली इसी दौरान मोहन की इशर देवी से शादी हो जाती है और उनकी एक न्यूबॉर्न बेटी भी रहती है इसीलिए मोहन डेस्प्रिंग की पूरी जिंदगी बदल देने वाला था
और वो शहर था शिमला गर्मियों में शिमला ही ब्रिटिश इंडिया का कैपिटल हुआ करता था जिस कारण यहां हाई रैंकिंग ऑफिशियल और टूरिस्ट का आना जाना लगा रहता था और इसीलिए यह काम ढूंढने के लिए एक परफेक्ट शहर था लेकिन अनफॉर्चूनेटली मोहन शिमला में अपने पहले ही जॉब इंटरव्यू में रिजेक्ट हो गए वो डिसपिटर में चलते जा रहे थे कि तभी उन्होंने अपने आप को एक आलीशान बिल्डिंग के सामने पाया वो शिमला के सबसे पॉपुलर होटल द सेसल होटल आ पहुंचे थे उन्होंने वहां के हाई प्रोफाइल गेस्ट्स और टॉप नॉच स्टाफ को देखा जिसके बाद
उन्होंने ठान लिया कि वो तब तक शिमला नहीं छोड़ेंगे जब तक उन्हें सिसल में जॉब ना मिल जाए उन्होंने गहरी सांस ली और कॉन्फिडेंटली अंदर जाने लगे लेकिन सिसल के गार्ड ने उनकी अपीयरेंस को देखते हुए उन्हें अंदर जाने नहीं दिया मोहन इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे उन्होंने होटल के बाहर तब तक वेट किया जब तक होटल के मैनेजर बाहर नहीं आए मैनेजर के आते ही मोहन कॉन्फिडेंटली उनके पास गए और कहा आई एम लुकिंग फॉर अ जॉब सर डू यू हैव अ वैकेंसी एट द ससल मोहन की इंग्लिश सुनकर मैनेजर काफी इंप्रेस
हुए और अगले ही दिन उन्हें द सिसिल होटल में 50 पर मंथ की सैलरी पे क्लर्क की नौकरी मिल गई सिसिल में मोहन की मेन रिस्पांसिबिलिटी थी कोल की सप्लाई और स्टॉक मैनेज करना जल्द ही उन्हें आईडिया आया कि कोल डस्ट बॉल्स यूज करके होटल का बहुत पैसा बच सकता है ये बॉल्स ना केवल सस्ती हैं बल्कि ये अपनी स्लो बर्निंग कैरेक्टरिस्टिक के कारण रात भर बॉयलस को चालू रख सकती है और सुबह बस थोड़ी सी नॉर्मल कोल ऐड करके पानी जल्दी गर्म हो सकता है उन्होंने ये आईडिया इंप्लीमेंट किया और होटल का बहुत फायदा
हुआ इसके अलावा मोहन को टाइपिंग और शॉर्ट हैंड राइटिंग भी आती थी इसीलिए जल्द ही उन्होंने मैनेजर को डॉक्यूमेंटेशन और लेटर्स लिखने में असिस्ट करना चालू कर दिया यह सब देखकर मैनेजर ने उन्हें प्रमोट करके गेस्ट क्लर्क बना दिया और सैलरी भी बढ़ा दी सेसिल होटल में यूजुअली केवल वीआईपी गेस्ट आते थे और मोहन एंड गेस्ट्स के बिहेवियर और प्रेफरेंसेस को डीप ऑब्जर्व करते थे साथ ही साथ उन्होंने खुद से ही कई और रिस्पांसिबिलिटीज जैसे कैशियर की रिस्पांसिबिलिटी भी ले ली थी जिस कारण उन्हें गेस्ट से पर्सनल इंटरेक्शन करने का मौका मिलता था इन सब
के कारण 1925 तक वो ना केवल वीआईपी गेस्ट से डील करने में एक्सपर्ट बन चुके थे बल्कि उनमें होटल के सभी ऑपरेशंस की गहरी समझ आ चुकी थी इसी बीच सिसल के मैनेजर ने अपना खुद का होटल खरीदने का फैसला किया उन्होंने शिमला में ही 50 कमरों का कार्टन होटल खरीद लिया मैनेजर का नाम क्लार्क्स था इसीलिए उन्होंने होटल का नाम बदलकर क्लार्क्स होटल रख दिया उन्हें पता था कि मोहन को होटल इंडस्ट्री की एक्सेप्शनल समझ आ चुकी है इसीलिए उन्होंने मोहन को क्लार्क्स होटल जॉइन करने का ऑफर दिया लेकिन एक क्लर्क की तरह नहीं
बल्कि एक पार्टनर की तरह मोहन को अब क्लार्क्स होटल के प्रॉफिट्स का छोटा सा हिस्सा मिलने वाला था पार्टनर बनते ही होटल की पूरी रिस्पांसिबिलिटी मोहन पे आ चुकी थी और ऐसा होते ही उन्होंने क्लार्क्स होटल को पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर दिया उन्होंने तुरंत होटल को रिनोवेट किया खास तौर पे बार को अपग्रेड किया जिससे वहां यंग गवर्नमेंट एंप्लॉयज आने लगे उन्होंने ब्रिटिश ऑफिसर से पर्सनली कनेक्ट करके उन्हें अपने नए होटल में इनवाइट किया और पर्सनलाइज सर्विसेस ऑफर की और फाइनली उनकी वाइफ इशर देवी ने इंश्योर किया कि व होटल की हर सप्लाइको खुद
मार्केट में जाकर लाएं ताकि क्वालिटी क्वांटिटी और प्राइस में कोई कॉम्प्रोमाइज ना हो इन सब के चलते कुछ ही महीनों में क्लार्क्स होटल की ऑक्युपेंसी डबल होके 80 पर तक पहुंच गई लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है जिससे यह पूरा होटल उनके हाथ से एक झटके में छिन सकता था क्लार्क्स की वाइफ काफी बीमार पड़ जाती है और क्लार्क्स डिसाइड करते हैं कि वो होटल को ₹2000000 में बेच के इंग्लैंड लौट जाएंगे मोहन काफी डिसपे थे इतनी मेहनत के बाद भी अब इस होटल का फ्यूचर अनसर्टेन था और उनके पास इसे खुद खरीदने के पैसे
नहीं थे सिचुएशन को देखते हुए इशर देवी ने अपनी पूरी ज्वेलरी बेच दी लेकिन इसके बाद भी उनके पास सफिशिएंट पैसे इकट्ठा नहीं हो पाए थे बचे हुए पैसों को अरेंज करने के लिए मोहन ने अपने गांव के एक मनी लेंडर से हाई इंटरेस्ट पे लोन ले लिया रिस्क बहुत बड़ा था लेकिन उन्हें भरोसा था कि वो प्रॉफिट्स कमा के इस लोन को चुका देंगे 34 की एज में मोहन सिंह ओबरॉय क्लार्क्स होटल के मालिक बन चुके थे लेकिन साथ में उनके ऊपर बहुत बड़ा डेट भी था इसीलिए मोहन और इशर देवी ने पहले से
भी ज्यादा मेहनत की और पर्सनली काफी फ्रुगली रहते हुए सभी अर्निंग्स को होटल में री इन्वेस्ट किया अल्टीमेटली 2 साल के अंदर ही उन्होंने क्लार्क्स होटल को सक्सेसफुली रन करते हुए पूरा लोन चुका दिया मोहन की सक्सेस का एक मेन कारण था उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स उन्होंने इंग्लिश लैंग्वेज में स्ट्रांग कमांड हासिल कर ली थी जिस कारण वो ना केवल ससल के मैनेजर को इंप्रेस कर पाए थे बल्कि अपने होटल्स के हाई प्रोफाइल गेस्ट से भी सक्सेसफुली डील कर पाते थे और आज के दिन तो करियर सक्सेस के लिए इंग्लिश की इंपॉर्टेंस और भी ज्यादा बढ़
चुकी है इसीलिए अपनी इंग्लिश को इंप्रूव करने के लिए मैं डू लिंगो पप को यूज करता हूं जो बिल्कुल फ्री है लेट मी शो यू अब इस एक्सरसाइज में मुझे इंग्लिश से हिंदी में ट्रांसलेशन करना है दिस इज माय ऑफिस इज दिस योर ऑफिस नेहा इज दिस योर ऑफिस नेहा तो आपने देखा कितना सिंपल है राइट इस ऐप के थ्रू अपनी इंग्लिश को ब्रश अप करने के लिए मैंने इंटरमीडिएट इंग्लिश कोर्स लिया और मुझे रियल लाइफ सिनेरियो में काफी इंप्रूवमेंट दिखी मुझे इस ऐप की सबसे अच्छी बात यह लगी कि ये पूरी लर्निंग प्रोसेस को
गेमीफाई करके उसे काफी फन बना देता है अगर आपको भी अब्रॉड जाना है बेटर जॉब चाहिए या सिंपली प्रोफेशनल सिनेरियो में ज्यादा कॉन्फिडेंट फील करना है तो ये ऐप आपके लिए है ऐप का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन और पिं कमेंट में है तो फटाफट डाउनलोड कर लीजिए लेकिन अब मोहन अपनी लाइफ में केवल एक 50 रूम के होटल तक लिमिटेड नहीं रहना चाहते थे वो अब होटल बिजनेस का पूरा एंपायर बिल्ड करना चाहते थे इसी दौरान उन्हें पता चला कि कलका में एक होटल लीस पे अवेलेबल था और ये होटल था द ग्रैंड होट होटेल 500
रूम्स के साथ ग्रैंड होटल ना केवल कलका बल्कि पूरे इंडिया का वन ऑफ द बिगेस्ट एंड मोस्ट प्रेस्टीजियस होटल था यह होटल कोल्काटा की पहली बिल्डिंग्स में से एक था जिसमें हाइड्रोलिक लिफ्ट थी और सालों से इसने रॉयल फैमिलीज सेलिब्रिटीज और डिग्निटरीज को होस्ट किया था लेकिन रिसेंटली यहां कंटेम वाटर के कारण टाइफाइड आउटब्रेक हो गया था जिसमें छह लोगों की जान चले गई थी इस इंसिडेंट के बाद होटल की रेपुटेशन मिट्टी में मिल चुकी थी इसीलिए अल्टीमेटली 1937 में ये होटल बंद पड़ गया और इसके ओनर्स इसे लीस पे देना चाहते थे मोहन के
सामने अब दो रास्ते थे या तो शिमला में अपने छोटे होटल को बिना कोई रिस्क के चलाते रहे या फिर क्लार्क्स होटल से 10 गुना बड़े होटल को लीज पे लेकर अपनी किस्मत आजमाएं मोहन ने दूसरा ऑप्शन चुना और 8000 पर मंथ के रेट पे द ग्रैंड होटल को लीज पे ले लिया लेकिन जब उन्होंने होटल की हालत को प्रॉपर्ली देखा तो उन्हें अपने डिसीजन पे डाउट होने लगा बिल्डिंग के अंदर के हर दीवार में धूल की मोटी परत जमी हुई थी पेंट उखड़ चुका था और इंटीरियर्स बुरी तरह डैमेज हो चुके थे होटल को
रिवाइव करने के लिए उसे एक मैजिकल ट्रांसफॉर्मेशन की जरूरत थी इसीलिए मोहन ने फिर से एक लोन लिया और बिना देरी किए एक मैसिव क्लीनअप ऑपरेशन करवाया जिसमें होटल का हर एक कोना डीप क्लीन करवाया गया इंटीरियर्स जैसे टपस ट्रीज गिल्ट मिरर्स मार्बल पिलर्स और चैलियिल उन्होंने पर्सनली होटल के पुराने स्टाफ जैसे शेफ हाउसकीपिंग स्टाफ और पोर्टर्स एक्सट्रा को रीच आउट किया और उन्हें वापस होटल जॉइन करवाया क्योंकि यही लोग होटल को सबसे अच्छे से जानते थे लेकिन एक चीज को रिस्टोर करना अभी भी बाकी था और वो थी होटल की रेपुटेशन जो टाइफाइड आउटब्रेक
के कारण खराब हुई थी मोहन ने इस प्रॉब्लम को जड़ से खत्म करने का फैसला किया उन्होंने होटल में लगे हुए हर एक पाइप और ओवरहेड टैंक को निकाल फेंका और एक नया मॉडर्न प्लंबिंग सिस्टम इंस्टॉल किया आल्सो उन्होंने एक नई प्रैक्टिस एस्टेब्लिश की जिसमें वो खुद सुबह सबसे पहले अपने पूरे स्टाफ की हाइजीन जैसे नेल्स हेयर और यूनिफॉर्म को इंस्पेक्ट करते थे इवेंचर के बीच यह बात फैल गई कि ना केवल ग्रंड होटल पहले से ज्यादा प्रीमियम सर्विसेस दे रहा है बल्कि वोह अब 100% सेफ है और इसीलिए अगले दो सालों में ग्रैंड होटल
की ऑक्युपेंसी वापस से बढ़ने लगी लेकिन जैसे ही सिचुएशन बेटर होने लगी वैसे ही एक और सेटबैक आ गया वर्ल्ड वॉर 2 वॉर के स्टार्ट होते ही ब्रिटिश आर्मी के हजारों सोल्जर्स के लिए कलक एक बेस बन चुका था और इन सोल्जर्स के अकोमोडेशन के लिए ब्रिटिशर्स को काफी जगह चाहिए थी इसीलिए ब्रिटिश ने बाकी कई बिल्डिंग्स के साथ-साथ ग्रैंड होटल को भी वॉर के दौरान अपने कब्जे में लेने के ऑर्डर्स पास कर दिए अगर इतनी मेहनत और इन्वेस्टमेंट के बाद यह होटल मोहन के हाथ से निकल जाता तो वो लोंस ना चुकाने के कारण
बैंक रप्टली उन्होंने हिम्मत की और ब्रिटिश जनरल को समझाया कि अगर सोल्जर्स का रहना और खाना खुद आर्मी मैनेज करेगी तो आर्मी को हर दिन ₹1 पर सोल्जर खर्च करने होंगे लेकिन मोहन केवल ₹10 पर सोल्जर के प्राइस में सब कुछ मैनेज कर सकते हैं जिससे आर्मी का बहुत पैसा बच सकता है लकिली जनरल ने डील डन कर दी लेकिन अब मोहन को कैसे भी बहुत कम प्राइस चार्ज करते हुए होटल को प्रॉफिटेबली चलाना था मोहन ने दिमाग लगाया और पूरे होटल के सभी लग्जरियस इंटीरियर्स को सेफली रिमूव करके स्टोर कर लिया और उनकी जगह
स्टर्डी और चीप इंटीरियर्स लगा दिए इवन किंग साइज बेड्डी सर्विसेस को रिमूव करके बेसिक सर्विसेस से रिप्लेस कर दिया गया ऑक्युपेंसी को मैक्सिमाइज करने के लिए जहां हो सके वहां बेट्स लगा दिए गए इवन कॉरिडोर्स और कोर्टयार्ड्स को भी डॉरमेट्री में कन्वर्ट कर दिया गया अल्टीमेटली 1400 लोगों की कैपेसिटी वाले ग्रैंड होटल में 4000 सोल्जर्स रुकने लगे मतलब 0000 का रेवेन्यू हर दिन इन सभी स्ट्रेटेजी के चलते मोहन 1945 के एंड तक करोड़ों रुपए कमा चुके थे और अब ग्रैंड होटल वापस नॉर्मल कस्टमर्स के लिए भी ओपन हो चुका था ग्रैंड होटल की ग्रैंड सक्सेस
के बाद मोहन के पास पहले से भी बड़ा एक नया गोल था पूरा हिंदुस्तान वो इंडिया में खुद की एक होटल चेन ओन करना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने एसोसिएट होटल्स ऑफ इंडिया यानी एचआई को एक्वायर करने का ठान लिया एचआई पूरे इंडिया के आठ सबसे लग्जरियस होटल्स को ओन करता था जिसमें शिमला का सेसल होटल भी शामिल था समय के साथ एचआई का मैनेजमेंट डिटेरिटोरियलाइजेशन सबसे लग्जरियस होटल्स के ओनर बन चुके थे इंक्लूडिंग सेसल होटल वही सेसल होटल जहां उन्हें घुसने तक से मना कर दिया गया था मोहन के दिमाग में अब केवल एक
एम था अपने 10 होटल्स को इंटरनेशनल लेवल के लग्जरी होटल से भी बेटर बनाना और इसे अचीव करने के लिए उनके पास एक कमाल का मास्टर प्लान था 1952 में उन्होंने एक वर्ल्ड टूर प्लान किया जिसमें उनका मेन गोल था वर्ल्ड के टॉप मोस्ट होटल्स में जाकर उन्हें डीप स्टडी करना उन्होंने इस टूर में लंदन के डोर्चेस्टर होटल पेरिस के जॉर्ज फिफ्थ होटल और पुटो रको के हिल्टन होटल जैसे टॉप होटल्स में स्टे किया हर एक होटल में स्टे करते वक्त वो हमेशा एक नोटबुक और पेन कैरी करते थे और होटल के हर एक लेआउट
और ऑपरेशंस पे डिटेल्स लेते थे तीन महीनों में 25 होटल्स को स्टडी करने के बाद उनके पास कई 100 पेजेस के नोट्स इकट्ठा हो चुके थे उन्होंने इंडिया वापस आके अपनी लर्निंग्स के बेस पे अपने होटल्स के किचन लेआउट रूम डिजाइन पब्लिक एरिया डिजाइन मेन्यू डिजाइन और रूम सर्विस जैसी हर एक में मैसिव इंप्रूवमेंट्स किए और इंटरनेशनल लेवल के स्टैंडर्ड्स अचीव कर लिए 1955 में मोहन ने देखा कि इंडिया में कई ऐसी हिस्टोरिकल प्लेसेस हैं जहां एक टाइम पे तो राजा महाराजा रहा करते थे लेकिन आज वहां कोई नहीं रह रहा उन्हें यहां एक बहुत
बड़ी अपॉर्चुनिटी दिखी इसीलिए उन्होंने रॉयल फैमिली से नेगोशिएट करके इन पैलेस को लीस पे लेने का फैसला किया सबसे पहले उन्होंने कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के गुलाब भवन पैलेस को होटल में कन्वर्ट किया और इसी तरह इंडिया को मिला उसका पहला रियल पैलेस होटल 1970 तक अपनी कंटिन्यूड सक्सेस को देखते हुए ओबरॉय ग्रुप को लगने लगा कि वो इंडियन लग्जरी होटल इंडस्ट्री के अनडिस्प्यूटेड किंग बन चुके हैं लेकिन फिर कहानी में एंट्री होती है एक ऐसे ग्रुप की जो ओबेरॉय ग्रुप के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बनके उभरता है और ये ग्रुप था द ताज
होटल ग्रुप 1971 तक ताज का केवल एक ही होटल था उनका मुंबई का ताज पैलेस होटल लेकिन फिर उन्होंने पहली बार मुंबई से बाहर अपना पहला होटल ल खोला उन्होंने उदयपुर के लेक पैलेस को होटल में कन्वर्ट किया फिर 1972 में जयपुर में रामबाग पैलेस की शुरुआत की 1976 में फका होटल को खरीद के दिल्ली में एंट्री ली इसी तरह 1980 तक ताज ग्रुप इंडिया की ऑलमोस्ट हर प्रॉमिनेंट सिटी में अपने होटल्स खोल चुका था ओबरॉय को पता था कि अगर उन्हें ताज ग्रुप को सच में टक्कर देनी है तो उन्हें उस शहर में अपना
होटल खोलना होगा जहां ताज का फ्लैगशिप होटल था यानी इंडिया का फाइनेंशियल कैपिटल मुंबई 1970 में मोहन ने डिसाइड किया कि वो मुंबई के नरीमन पॉइंट पे स्क्रैच से एक होटल बिल्ड करेंगे इस होटल में 500 रूम्स होने वाले थे और 34 फ्लोर्स के साथ ये उस समय मुंबई की सबसे ऊंची बिल्डिंग्स में से एक होने वाला था प्रोजेक्ट का टोटल बजट 7 करोड़ का था लेकिन देखते ही देखते होटल का कॉस्ट करीब 20 करोड़ तक पहुंच गया इस प्रोजेक्ट के लिए ओबरॉय ग्रुप ने लोन लिया था और एक ऐसा टाइम आया था जब हर
एक दिन की ही इंटरेस्ट पेमेंट्स 120000 तक पहुंच गई थी इतने बड़े फाइनेंशियल प्रेशर के चलते से पूरे ओबरॉय ग्रुप के फाइनेंस अफेक्ट होने लगे और ऐसा लगने लगा कि कंस्ट्रक्शन रोकना पड़ेगा लेकिन फिर 72 की एज में मोहन ने खुद छ महीनों तक मुंबई में कैंप किया और इंश्योर किया कि होटल टाइम पे कंप्लीट हो 1973 में होटल ऑपरेशनल हुआ और ओबरॉय ग्रुप के लिए चीजें नॉर्मल होने लगी लेकिन फिर ओबरॉय को एक और झटका मिलता है 1975 में इंदिरा गांधी इंडिया में इमरजेंसी घोषित कर देती हैं जिस कारण देश में एक इकोनॉमिक डाउन
टर्न आ गया और फॉरेन और डोमेस्टिक ट्रैवलर्स की कमी हो गई इसका सबसे ज्यादा इंपैक्ट हुआ होटल इंडस्ट्री को ओबरॉय ग्रुप का डेट इस हद तक बढ़ गया कि उन्हें अपने मुंबई के होटल को बेच देने तक का प्रेशर था लेकिन मोहन ने ऐसा नहीं होने दिया इसी दौरान उन्होंने देखा कि लेबन में सिविल वॉर चालू हो गई है जिस कारण अरब कंट्रीज के कई हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स जो पहले बिजनेस या लेजर के लिए लेबन जाते थे वो इंस्टेड मुंबई आने लगते हैं मोहन ने इस अपॉर्चुनिटी को पहचाना और एक मास्टर प्लान तैयार किया उन्होंने
अपने होटल्स के 200 स्टाफ मेंबर्स को क्रैश कोर्स देके अरेबिक सिखवा ताकि वह अरब गेस्ट से इफेक्टिवली कम्युनिकेट कर सके होटल के डॉक्यूमेंट जैसे रूम सर्विस डायरेक्ट्रीएंट्री के चलते ओय होटल अरब गेस्ट्स के लिए फर्स्ट चॉइस होटल बन गया और अगले कुछ ही सालों में रॉय ने ना केवल अपना लोन पे ऑफ कर दिया बल्कि इस होटल से ह्यूज प्रॉफिट्स भी जनरेट किए इस सक्सेस के साथ ओबरॉय ग्रुप ने अपने आप को इंडिया की मोस्ट प्रॉमिनेंट लग्जरी होटल चेन के तौर पे इस्टैब्लिशमेंट नहीं करनी चाहिए जो सेकंड बेस्ट हो और उन्होंने इसी फिलॉसफी के साथ
ओबरॉय ग्रुप को बिल्ड किया आज अपने 32 लग्जरी होटल्स के साथ ओबरॉय ना केवल इंडिया बल्कि वर्ल्ड के फाइनेस्ट्राइड सबसे इंपोर्टेंट बात यह है कि हजारों करोड़ों के इस बिजनेस एंपायर को बिल्ड करने के पीछे एक ऐसे इंसान का हाथ है जो कभी खुद होटल का क्लर्क हुआ करता था अगर आपको यह वीडियो अच्छी लगी तो मैं रिकमेंड करूंगा कि आप नेक्स्ट इस वीडियो को देखें [संगीत]