पानी पूरी वाले हाइजीन का ध्यान नहीं रखते यह सबको पता है ना हाथ धोना ना फ्रेश इंग्रेडिएंट्स का यूज करना सड़े हुए आलू और प्याज भी मसाले में डाल देते हैं कि आपकी स्ट्रीट में कोई गोलगप्पे वाला खड़ा है बीच में उसको नेचर्स कॉल आया वो गया मूत्र विसर्जन करके वापस आया वापस आकर हाथ धोए नहीं और उन्हीं हाथ से लोगों को गोलगप्पे खिलाने लगा एक और खतरनाक केस मार्च 2024 में तेलंगाना के वारंगल में हुआ जब एक आइसक्रीम वेंडर का यह वीडियो वायरल हुआ बीच रात 3:00 बजे अचानक से रामाष्ण और विजय को पेट
दर्द और वोमिटिंग होने लगी पहले उनके मां-बाप उन्हें लोकल हॉस्पिटल लेकर गए और फिर वहां से जब यलुरू गवर्नमेंट हॉस्पिटल लेकर जा रहे थे तभी रास्ते में दोनों ही बच्चों की मौत हो गई इस अंधविश्वास में जीना बंद कर दो कि एक ही तो बाइट है अरे एक बाइट से क्या ही हो जाएगा भाई एक बाइट से भी फर्क पड़ता है लेकिन क्या कभी इन रील्स में इनके चेहरे और फालतू बातों के अलावा कुछ और भी नोटिस किया है हम सब में से शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने ये अजीबोगरीब वीडियो क्लिप्स नहीं देखी होंगी
यार भाई प्लीज परेशान पुलिस वाले एफसीडी वाले इससे भी महान ये आप हमसे बात काहे बात कर रहे हो मत रुकिए आप यहां पे अरे नहीं आपको कुछ और इससे भी महान ये क्या एंड द लिस्ट इज नेवर एंडिंग लेकिन क्या कभी इन रील्स में इनके चेहरे और फालतू बातों के अलावा कुछ और भी नोटिस किया है ये देखो कैसे ये लड़की वड़ा पाव बनाते वक्त अपने मुंह में उंगली डालती है और फिर उसी उंगली से वड़ा पाव बनाने लग जाती है ये देखो कैसे बर्तन से बाहर शेलफ पर गिरा हुआ खाना इकट्ठा किया जाता
है और फिर अंदर ले जाकर मिक्स कर दिया जाता है ले भाई बंसी वाले की जय यह देखो कैसे यह पानी पूरी वाला एकदम साफ हाथों से मसाला और पानी को मिक्स कर रहा है यह देखो कैसे यह बंदा छोले बनाते वक्त पानी की बचत कर रहा है सही बात है जब सब्जी में ही हाथ धो सकते हैं तो अलग से पानी क्यों वेस्ट करना यह देखो कैसे यह बंदा इस गंदे पानी में से ही बर्तन धोए जा रहा है और इस आखिरी क्लिप में तो हद ही हो गई यह पानी पूरी वाला गोलगप्पे के
पानी में अपना यूरिन डाल के लोगों को पिला रहा था थैंकफुली आज यह बंदा जेल में है इन शॉर्ट हम सब क्लियरली देख पा रहे हैं कि इंडिया में फास्ट फूड स्टॉल्स की क्या स्थिति है और इनसे मिलने वाला खाना कितना ज्यादा अनहाइजीनिक है इसलिए आज की इस 3D एनिमेटेड वीडियो में हम स्टेप बाय स्टेप समझेंगे कि जिन स्ट्रीट फूड्स की वजह से लोगों की मौत तक हो जा रही है उनसे आप खुद को कैसे बचा सकते हो और ये स्ट्रीट फूड वाले इन फूड आइटम्स में ऐसा क्या खतरनाक मिला रहे हैं कि लोगों का
एडिक्शन इन स्ट्रीट फूड्स की तरफ बढ़ता ही जा रहा है लेकिन हर बार की तरह शुरू से शुरू करते हैं देखो जंक फूड फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड तीनों अलग-अलग चीजें हैं जंक फूड यानी कि जीरो न्यूट्रिशनल वैल्यू वाला फूड जैसे जिसमें साल्ट फैट या शुगर वगैरह ज्यादा क्वांटिटी में हो फास्ट फूड यानी कि कोई भी ऐसा फूड जो जल्दी से बनाकर सर्व किया जा सके जरूरी नहीं है कि सभी फास्ट फूड्स अनहेल्ी हो कुछ-कुछ हेल्दी भी होते हैं जैसे सैलेड हमस एक्सेट्रा और स्ट्रीट फूड का बेसिक मीनिंग बस इतना सा है कि ऐसा खाना
जो स्ट्रीट्स पे मिले वो अनहेल्ी भी हो सकता है हेल्दी भी हो सकता है लेकिन 90% केसेस में अपने देश में अनहेल्दी ही होता है आगे इस वीडियो में हम जंक फूड की बात करेंगे या यूं कह लो कि अनहेल्दी स्ट्रीट फूड्स का कच्चा चिट्ठा खोलेंगे और एग्जैक्ट उन केमिकल्स और इंग्रेडिएंट्स पर नजर रखेंगे जिनकी वजह से यह जानते हुए भी लोग अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाते कि जंक फूड हमारे लिए एक्सट्रीमली डेंजरस है 60 करोड़ लोग हर साल बीमार होते हैं और 4,20,000 लोग हर साल मरते हैं WHO की एक रिपोर्ट के
मुताबिक और ध्यान से देखो कि इस रिपोर्ट में रीज़न क्या दिया हुआ है कंटैमिनेटेड और अनसेफ फूड खाने की वजह से इसी बात को और ज्यादा समझने के लिए बीबीसी ने एक इंटरेस्टिंग साइंटिफिक स्टडी की थी जिसमें दो जुड़वा बहनें एमी और नसी को एक खास डाइट रूटीन फॉलो करने को कहा गया था यह एक्सपेरिमेंट यह जानने के लिए था कि अगर एक इंसान सिर्फ जंक फूड और अनहेल्दी स्ट्रीट फूड खाए और दूसरा सिर्फ हेल्दी घर का बना हुआ खाना तो शरीर पर क्या असर पड़ेगा एक्सपेरिमेंट शुरू होने से पहले ही बीबीसी वालों के लिए
यह भी तो जरूरी था ना कि दोनों ही कैंडिडेट्स की प्रोफाइल नॉर्मल हो इसलिए इस रूटीन को फॉलो करने से पहले ही इन दोनों बहनों पर कुछ टेस्ट करवाए गए थे जैसे ब्लड टेस्ट लिपिड प्रोफाइल टेस्ट और ब्लड शुगर टेस्ट टेस्ट होने के बाद अगले 14 दिनों तक जो डिसाइड हुआ था वही हुआ यानी कि एमी ने दबा के जंक फूड ही खाया या यूं कह लो कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड यानी कि बहुत ज्यादा तला भुना खाया एंड ऑन द अदर हैंड नसी ने घर का बना हुआ खाना और सिर्फ सैलेड ही खाया फाइनली 14
दिन बीत चुके हैं और अब टाइम है यह चेक करने का कि इस एक्सपेरिमेंट का एमी और नसी पर एक्सैक्टली क्या फर्क पड़ा देखो नसी की रिपोर्ट्स तो एकदम नॉर्मल ही आई उसके ब्लड फैट लेवल लिपिड प्रोफाइल और ब्लड शुगर सभी चीजें स्टैंडर्ड वैल्यूस के अंदर ही आई थी लेकिन दूसरी तरफ एमी के रिजल्ट्स काफी शॉकिंग थे उसका ब्लड फैट लेवल लिपिड प्रोफाइल और ब्लड शुगर लेवल तीनों ही काफी हद तक बढ़े हुए मिले थे और ऑब्वियसली वेट और बॉडी फैट तो बढ़ ही गया था अब यहां इस बात को भी समझो कि ये स्ट्रीट
फूड का ट्रेंड कोई लेटेस्ट ट्रेंड नहीं है बल्कि खराब स्ट्रीट फूड का ट्रेंड लेटेस्ट ट्रेंड है इनफैक्ट स्ट्रीट फूड्स हमारे एनसेेस्टर्स की देन है पहले के जमाने में भी स्ट्रीट फूड की स्टॉल्स लगा करती थी और उन पर मिलता क्या था रोस्टेड ग्रेंस और नट्स जैसी हेल्दी चीजें फिर समय का पहिया घुमा और धीरे-धीरे इन स्टॉल्स की कैटेगरी में नए-नए आइटम्स ऐड होते गए समोसा पकोड़ा और चाट जैसे स्नैक्स हमेशा से ही लोगों के फेवरेट रहे हैं और इस तरह से अनहेल्ी आइटम्स स्ट्रीट फूड्स की कैटेगरी में ऐड होते गए जंक फूड का पहला नॉन
इंट्रोडक्शन इंडिया में अंग्रेजों के राज में हुआ जब उन्होंने क्लब्स और कैंटीन में सैंडविचेस और पेस्ट्रीज जैसे स्नैक्स इंट्रोड्यूस किए इनफैक्ट 1947 में आजादी के बाद भी वेस्टर्न स्टाइल फास्ट फूड इतना कॉमन नहीं था हमारे ट्रेडिशनल स्ट्रीट फूड्स ही डोमिनेट करते थे मुंबई का वड़ा पाव और कोलकाता का काठी रोल सबको पसंद था लेकिन 1990 में इकोनमिक लिबरलाइजेशन के बाद इंटरनेशनल फास्ट फूड चेस इंडिया में आने लगे McDonalds ने 1996 में अपना पहला आउटलेट खोला और इंडियन टेस्ट के हिसाब से मेन्यू को एडप्ट किया उन्होंने मैकालू टिक्की और महाराजा मैक जैसे आइटम्स इंट्रोड्यूस किए फिर
समय के साथ 21 सेंचुरी में जैसे-जैसे लोग मनी माइंडेड बनते गए जैसे-जैसे स्ट्रीट फूड खाना एक ट्रेंड बनता गया वैसे-वैसे स्ट्रीट फूड्स और जंक फूड्स एक सॉलिड बिज़नेस मॉडल बन गए और आज स्थिति ये हो गई है कि जिसकी मर्जी वो ठेला लगाओ लोगों को कचरा खिलाओ और पैसा कमाओ अभी लास्ट ईयर ही कर्नाटका में हुई एक इन्वेस्टिगेशन के दौरान यह पाया गया कि वहां पर एक पानी पूरी वाला जो खिला रहा था वो सिर्फ पानी पूरी नहीं थी बल्कि आपका वन वे टिकट टू हेल भी था क्योंकि ज्यादातर सैंपल्स में कैंसर कॉजिंग एजेंट्स पाए
गए थे इसी के साथ कर्नाटक में बिकने वाले बुढ़िया के बाल गोभी मंचूरियन और कबाब में भी कैंसर फैलाने वाले एजेंट्स पाए गए थे जिसके चलते इनको बनाने में यूज़ होने वाले आर्टिफिशियल कलर्स को तो बैन तक कर दिया गया था पानी पूरी वाले हाइजीन का ध्यान नहीं रखते यह सबको पता है ना हाथ धोना ना फ्रेश इंग्रेडिएंट्स का यूज करना सड़े हुए आलू और प्याज भी मसाले में डाल देते हैं ऐसा ही एक केस 5 नवंबर को बेंगलुरु में सामने आया जिसमें एक वेंडर को पुलिस ने अरेस्ट किया वो सिर्फ गंदा सामान ही यूज़
नहीं कर रहा था बल्कि पकड़े जाने पर झूठ भी बोल रहा था कि सब कुछ साफ था अब सोचो अगर मैं आपको बोलूं कि अपने घर के वॉशरूम से पानी पी लो या किसी पब्लिक वॉशरूम से पानी पी लो तो ऑब्वियसली आप ऐसा नहीं कर सकते लेकिन अगर वही पानी अगर कोई पानी पूरी वाला अपनी चटनी में यूज़ करे और आप उस पानी को बिना सोचे समझे पी जाओ तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर का जो केस पकड़ा गया उसमें एक वेंडर सुलभ शौचालय से पानी ला रहा था और उसी से पानी पूरी बना रहा था महाराष्ट्र
के कोल्हापुर में पानी पूरी बेचने वाले एक स्ट्रीट वेंडर को टॉयलेट का पानी इस्तेमाल करते हुएंगे हाथों पकड़ा गया यह स्ट्रीट वेंडर पानी पूरी का पानी बनाने के लिए टॉयलेट का पानी इस्तेमाल कर रहा था यह तो एक इस वीडियो की वजह से सामने आ गया वरना सोच के देखो ऐसे हजारों ठेले वाले और हैं जो पता नहीं कहां-कहां का पानी यूज करते होंगे अब यह भी अस्यूम कर लेना बहुत बड़ी गलती है कि सिर्फ स्ट्रीट स्टॉल्स पर मिलने वाली पानी पूरी ही खराब है असल में कुछ समय पहले एफएसएसएआई ने कर्नाटक में रोड साइड
स्टॉल्स से प्लस बड़े-बड़े रेस्टोरेंट से भी पानी पूरी के 260 सैंपल्स कलेक्ट किए थे और इनमें से 41 सैंपल्स में आर्टिफिशियल कलर्स का यूज़ हो रहा था ऐसे आर्टिफिशियल कलर्स जिनकी वजह से कैंसर होने की संभावना बढ़ रही थी सिर्फ यह इन्वेस्टिगेटिव स्टडीज ही नहीं कई रियल लाइफ केसेस में डेथ तक भी हो चुकी है जैसे एक केस पिछले साल जून में डिंडीगुल तमिलनाडु में भी देखने को मिला था यह काफी शॉकिंग और डिस्टर्बिंग न्यूज़ थी एक 17 ईयर ओल्ड लड़के की मौत एलिजिडली पानी पूरी खाने के बाद हो गई अभी तक एग्जैक्ट कॉज कंफर्म
नहीं हुआ लेकिन इस तरह के केसेस ज्यादातर फूड पोइजनिंग या कंटैमिनेटेड फूड की वजह से ही होते हैं यह बात सच है कि हम सब सोचते हैं कि कल के दिन हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं हो सकता लेकिन असल बात तो यह है कि कल का कोई भरोसा नहीं किसे पता था कि तमिलनाडु का एक लड़का सिर्फ बाहर का खाना खाने से अपनी जान गवा बैठेगा सोचो किसी की फैमिली के मेन अर्निंग पर्सन के साथ ऐसा हो जाए तो उसकी फैमिली पर क्या बीतती होगी और उनके बच्चों की पढ़ाई घर के खर्चे यह सब कैसे
मैनेज होते होंगे ऐसे बुरे वक्त में एक ही चीज उस परिवार के काम आती है और वो है एक इंश्योरेंस और उसमें भी मैं कहूंगा आप एक टर्म इंश्योरेंस लो क्योंकि यह इंश्योरेंस का प्यूरेस्ट फर्म होता है जिसमें 600-700 जैसा प्रीमियम देना पड़ता है और आपको अपनी फैमिली के लिए 2 करोड़ तक का कवरेज मिल सकता है और इसकी एक और खासियत यह है कि इसे जितने कम ऐज में लिया जाए आपका प्रीमियम उतने में ही लाइफ टाइम के लिए लॉक हो जाता है लेकिन अगर आपने इसे डिले किया तो सेम कवरेज आपको अगली बार
महंगा पड़ सकता है इसके अलावा लोगों की लाइफ में एक और इमरजेंसी जो कभी भी आ जाती है वो है मेडिकल इमरजेंसी जिससे ना केवल आपकी सेविंग्स पर असर पड़ता है बल्कि आपके फैमिली फाइनेंससेस भी वीक हो जाते हैं ऐसे में एक हेल्थ इंश्योरेंस आपके बहुत काम आ सकता है जो कि आजकल ₹300-400 जैसे छोटी रकम में ही मिल जाता है और यह आपके करोड़ों के मेडिकल बिल का खर्चा बचा सकता है तो दोनों तैयारी जरूरी है हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस बोथ कौन सी कंपनी का प्लान लोगे यह आपके ऊपर है मैंने आपकी सुविधा
के लिए लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में दे दिया है चेक करो सारे ट्रस्टेड इंश्योरेंस पार्टनर्स मिल जाएंगे एक ही जगह पर जहां पर आप अपनी जरूरत के हिसाब से बेस्ट प्लान्स को कंपेयर कर सकते हो और अभी इन प्लांस को ऑनलाइन परचेस करने पर 15 टू 25% तक का डिस्काउंट भी मिल जाएगा तो जल्दी करो अभी के अभी ये दोनों इंश्योरेंसेस लेकर आप एकदम निश्चिंत हो सकते हो ताकि किसी भी इमरजेंसी के लिए आप और आपका परिवार एकदम सुरक्षित रहे पानी पूरी का पानी अगर अंदर गंदा या कंटैमिनेटेड हो जैसे सीवेज वाटर या फिर अनट्रीटेड वाटर
से लिया गया हो तो उससे बैक्टीरियल इंफेक्शंस भी हो सकते हैं सड़े हुए आलू खराब मसाला या पूरी अगर ज्यादा पुरानी हो तो टॉक्सिक बैक्टीरिया डेवलप हो सकते हैं वेंडर अगर हाथ धोने का साफ सफाई का ध्यान ना रखे तो उसके हाथों से भी इनफेक्शन फैल सकता है कई बार ई कोलाय सेल मनेला या कोलेरा जैसे बैक्टीरिया इन कंटैमिनेटेड फूड से हमारी बॉडी के अंदर जाते हैं जो सीवियर वोमिटिंग डिहाइड्रेशन और ऑर्गन फेलियर तक कॉज कर सकते हैं मोर ओवर चेन्नई में मद्रास हाई कोर्ट में के राजेंद्र ने एक पीआईएल फाइल की थी यह बताते
हुए कि मैदा को बेंजोइक पेरोक्साइड या क्लोरीन ऑक्साइड से ब्लीच किया जाता है और सिर्फ ब्लीचिंग ही नहीं बल्कि मैदा को सॉफ्ट बनाने के लिए एक केमिकल एलोक्सिन भी मिलाया जाता है इस वजह से मैदा में मल्टीपल केमिकल कॉमोनेंट्स होते हैं जो हेल्थ के लिए हार्मफुल हो सकते हैं फॉलोइंग दिस पीआईएल मद्रास हाई कोर्ट ने एफएसएसएआई को आर्डर दिया कि वो इस मामले का प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन करें और अगर यह दावा सच निकले तो तुरंत एक्शन लें अब यह एलोक्सन एक ऐसा केमिकल है जो पेनक्रियाज के बीटा सेल्स को डैमेज करके इंसुलिन प्रोडक्शन को डिसरप्ट कर
सकता है यह बीटा सेल्स हमारी बॉडी में इंसुलिन बनाते हैं हां वही इंसुलिन जो ग्लूकोस के लेवल्स को रेगुलेट करता है अब सोच के देखो जब ये बीटा सेल्स ही अपना काम ढंग से नहीं कर पाएंगे तो बॉडी में इंसुलिन कम बनेगा जिसकी वजह से आपको डायबिटीज होने का खतरा बढ़ेगा एनिमल स्टडीज में भी देखा गया है कि एलोक्सन डायबिटीज कॉज कर सकता है इस वजह से यह कंसर्न उठ रहा है कि कहीं यह लोगों की हेल्थ के लिए भी डेंजरस ना हो जंक फूड आइटम्स जैसे मोमोज ब्रेड एक्सट्रा में तो मैदा भर-भर के यूज़
होता है लेकिन एक ऐसी चीज जिसके बिना यह जंक फूड भी फीके फीके से लगते हैं वो है मेयोनेज़ सबसे पहले तो यह वीडियो देखो मेयोनेज़ बनाने के लिए कितना ज्यादा मात्रा में तेल डाला जा रहा है इनफैक्ट मेयोनेज़ में 80% तेल ही तो होता है इसलिए इसे सबसे अनहेल्दी फूड्स में काउंट किया जाता है सिर्फ एक टेबलस्पून मेयोनेज़ में लगभग 100 से ज्यादा कैलोरीज होती हैं और लोग जनरली इसे ज्यादा क्वांटिटी में यूज़ कर लेते हैं जो वेट गेन का मेजर कॉज बन सकता है मार्केट में जो मेयोनेज़ मिलता है उसमें प्रिजर्वेटिव्स आर्टिफिशियल फ्लेवर्स
और स्टेबलाइज़र्स होते हैं जो डाइजेस्टिव इशूज़ और गट हेल्थ को अफेक्ट करते हैं एक और प्रॉब्लम यह है कि मेयोनेज़ में जो ऑइल्स यूज़ होते हैं उसमें ओमेगा सिक्स फैटी एसिड्स बहुत ज्यादा मात्रा में होता है जो बॉडी में इनफ्लेमेशन बढ़ाकर क्रॉनिक डिजीज का रिस्क इनक्रीस करता है पिछले साल जून 2024 में मुंबई में रहने वाले एक डॉक्टर ने यमो कंपनी की बटरस्कॉच आइसक्रीम कोन ऑनलाइन मंगवाई थी आइसक्रीम खाते वक्त उस डॉक्टर के मुंह में एक बड़ा सा टुकड़ा महसूस हुआ पहले उसने सोचा कि शायद कोई बड़ा नट जैसे कोई ड्राई फ्रूट वगैरह होगा लेकिन
जब उसने मुंह से निकाल के देखा तो वो एक मांस का टुकड़ा निकला जिसमें नाखून भी था एक और खतरनाक केस मार्च 2024 में तेलंगाना के वारंगल में हुआ जब एक आइसक्रीम वेंडर का यह वीडियो वायरल हुआ इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि यह बंदा मास्टरबेट करके सीमन को आइसक्रीम में मिक्स कर रहा था लोकल लोगों ने यह हरकत वीडियो में रिकॉर्ड कर ली और जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया पुलिस ने वेंडर को अरेस्ट कर लिया और उसका आइसक्रीम कार्ड भी सीज कर दिया वेंडर के
अगेंस्ट पब्लिक प्लेस में ऑब्सिन एक्ट करने के अंडर केस रजिस्टर भी कर दिया गया है खैर अब अगर आप एक अनहाइजीनिक ठेले से पानी पूरी खाओगे तो ऐसे रियल लाइफ स्केल में आपको माइक्रोबायोलॉजिकल लेवल पर ऐसा कुछ गड़बड़ टाइप दिखाई नहीं देगा लेकिन आंखें तब खुलती है जब साइंटिस्ट इन ठेलों से सैंपल्स इकट्ठा करते हैं और फिर उनको स्टडी करते हैं ऐसी ही एक बहुत इंटरेस्टिंग स्टडी की थी इंस्टट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट केटरिंग एंड न्यूट्रिशन पूसा ने इन्होंने सैंपल्स कलेक्ट करने के लिए वेस्ट दिल्ली की ऐसी पांच लोकेशनेशंस चूज़ की जहां पर मैक्सिमम सेल्स हुआ
करती थी इन्होंने पौश एरियाज भी चूज़ किए थे जैसे कनोट प्लेस और रजौरी गार्डन इन सभी एरियाज में इन्होंने समोसे गोलगप्पे बर्गर और मोमोज़ की दुकानों को महीने में अलग-अलग दो बार बड़े इंटरवल्स पर विजिट किया और सैंपल्स कलेक्ट किए शॉकिंगली जब इन सैंपल्स की टेस्टिंग हुई तब साइंटिस्ट को ऐसीऐसी चीजें मिली जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोची थी एक बात और मैं सैंपल्स का रिजल्ट बताऊं उससे पहले आप इस वीडियो को एक बार पॉज करके गोलगप्पे खा के आ जाओ क्योंकि हो सकता है उसके बाद आप जिंदगी में कभी गोलगप्पे ना खाओ हां
तो सैंपल्स का रिजल्ट्स यह निकला कि साइंटिस्ट को चार ऐसे बैक्टीरियल पैथोज्स मिले जो उन्होंने एक्सपेक्ट ही नहीं किए थे बेसिलस सीरियस क्लॉस्ट्रीडियम परफिंजेंस स्टेफिलोकोकस ओरियस सेलमेनोला स्पीशीज ये सभी बैक्टीरियल पैथोजंस वोमिटिंग डायरिया टाइफाइड फूड पोइजनिंग एक्सट्रा और बोनस पर अटैक करते हैं लेकिन चिंता की बात साइंटिस्ट के लिए यह उतनी ज्यादा नहीं थी जितनी यह थी कि यह बैक्टीरियल पैथोज्स और इनके साथ मिला हुआ ई कोलाई का सोर्स क्या हो सकता है या फिर यूं कह लो कि यह इस गोलगप्पे के पानी में आया कैसे तो एज अ कंक्लूजन ऑफ दिस स्टडी डॉक्टर अर्पिता
शर्मा ने बताया कि गोलगप्पे के पानी का कोिलीफॉर्म टेस्ट अगर पॉजिटिव आ रहा है तो यह डायरेक्ट इंडिकेशन है इस बात का कि उस पानी में फीकल कंटैमिनेशन है या फीकल मैटर है अगर आसान भाषा में बोलूं तो उस गोलगप्पे के पानी में मलमूत्र की कुछ मात्रा मौजूद है प्रैक्टिकली यह रियल लाइफ में हो कैसे रहा है कुछ ऐसे कि आपकी स्ट्रीट में कोई गोलगप्पे वाला खड़ा है बीच में उसको नेचर कॉल आया वो गया मूत्र विसर्जन करके वापस आया वापस आकर हाथ धोए नहीं और उन्हीं हाथ से लोगों को गोलगप्पे खिलाने लगा और ऐसा
ही फीकल मैटर से कंटैमिनेटेड पानी लोगों को एक्स्ट्रा और चाहिए यही गोलगप्पे का पानी जिसमें इतने हार्मफुल बैक्टीरिया प्रेजेंट होते हैं इन्हीं में से एक बैक्टीरियम है विब्रियो कोलेरी नॉर्मल केस में यह बैक्टीरियम अलोंग विद अदर्स आपके पेट में जाता है और आपके पेट में मौजूद HCL एसिड ऐसे बैक्टीरियास को मार देता है लेकिन जब आप गोलगप्पे का कंटैमिनेटेड पानी बार-बार पीते हो तो अमाउंट ऑफ बैक्टीरिया एंटरिंग योर स्टमक इंक्रीजसेस जिससे कुछ बैक्टीरिया सर्वाइव करके स्मॉल इंटेस्टाइन में एंटर करके मल्टीप्लाई होकर आपको बीमार कर सकते हैं ऐसा ही कुछ हुआ था इसी साल 24 जनवरी
को आंध्र प्रदेश के यलुरु डिस्ट्रिक्ट में जहां दो लड़कों की रोड साइड स्टॉल से गंदा पानी पूरी खाने से मौत हो गई थी असल में रामाकृष्णा जो 10 साल का था और विजय जो 6 साल का था शाम को 7:30 बजे अपने माता-पिता के साथ घर से बाहर गए उन्होंने पानी पूरी खाई उनके माता-पिता ने भी कहीं से स्ट्रीट फूड कंज्यूम किया फिर रात को वो लोग वापस अपने घर चले गए और सो गए बीच रात 3:00 बजे अचानक से रामाष्ण और विजय को पेट दर्द और वोमिटिंग होने लगी पहले उनके मां-बाप उन्हें लोकल हॉस्पिटल
लेकर गए और फिर वहां से जब येलूरू गवर्नमेंट हॉस्पिटल लेकर जा रहे थे तभी रास्ते में दोनों ही बच्चों की मौत हो गई अब यहां तक यह तो समझ आ गया कि स्ट्रीट्स में बिकने वाले जंक फूड से मौतें हो रही हैं लोग बीमार पड़ रहे हैं लेकिन यह समझ नहीं आया कि ये सब पता होने के बावजूद भी दुनिया थम क्यों नहीं रही है इसके पीछे कोई तो साइंस होगी ना हां साइंस है और वो है ओमामी टेस्ट देखो ये है आपकी टंग इसके थ्रू हम अलग-अलग टेस्ट को आइडेंटिफाई कर सकते हैं जैसे स्वीट
साउ सॉल्टी बिटर और ओमामी मीनिंग ओमामी एक फिफ्थ बेसिक टेस्ट है ह्यूमन टंग का ओमामी टेस्ट का मेन कॉम्पोनेंट ग्लूटमिक एसिड होता है ग्लूटमिक एसिड एक अमीनो एसिड है जो नेचुरली कई फूड्स में मिलता है जैसे टोमेटोज़ मशरूम्स एक्सट्रा जब यह ग्लूटमिक एसिड हमारे टेस्ट बर्ड्स से कांटेक्ट करता है तब यह उमामी रिसेप्टर्स को एक्टिवेट करता है इस एक्टिवेशन से ब्रेन में डोपामिन रिलीज़ होता है जो प्लेज़र और क्रेविंग्स का सिग्नल भेजता है स्ट्रीट फूड में स्पाइसेस फर्मेंटेड सॉसेस और स्लो कुकिंग मेथड्स यूज़ होते हैं जो ओमामी टेस्ट को और एनहांस करते हैं फ्राइड फूड्स
और स्मोकी डिशेस भी ओमामी रिसेप्टर्स को एक्टिवेट करते हैं जो टेस्ट बर्ड्स को और एक्साइट करता है अब इस ग्लूटमिक एसिड में अगर सोडियम मिला दिया जाए तो जो प्रोडक्ट बनेगा वो है एमएसजी यानी कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट क्योंकि यह आसानी से डिॉल्व हो जाता है और उमामी टेस्ट को और स्ट्रांग कर देता है इसलिए ही इसे आर्टिफिशियली फूड्स में मिलाया जाता है एमएसजी आर्टिफिशियली प्रोसेस्ड फूड जैसे इंस्टेंट नूडल्स चिप्स फ्रोजन फूड प्रोसेस्ड स्नैक्स और चाइनीस फूड में डाला जाता है अब दिक्कत तब होती है जब एमएसजी एक्सेसिव मात्रा में कंज्यूम किया जाए क्योंकि यह ओवरईटिंग
वेट गेन और हेल्थ इश्यूज जैसे एमएसजी सिम्टम कॉम्प्लेक्स को भी ट्रिगर कर सकता है अगर कोई एक बार में ज्यादा एमएसजी कंज्यूमेट कर लेता है तो उसकी बॉडी का नर्वस सिस्टम ओवरएक्टिवेट हो सकता है जो हेडेक थकान शरीर में चक्कर आना झनझनाहट जैसे सिम्टम्स क्रिएट कर सकता है इसलिए यह बोला भी जाता है कि बाय चांस अगर आप अपने घर पे चिप्स कुरकुरे वगैरह खा रहे हो तो कभी भी छोटे बच्चों के साथ में शेयर मत करना क्योंकि यह जंक फूड डायरेक्टली नर्वस सिस्टम को इंपैक्ट करता है और उन बच्चों का नर्वस सिस्टम तो अभी
जस्ट डेवलपिंग फेज में है इस एमएसजी की वजह से ही साल 2015 में नेशनल इंडिया एक बड़े क्राइसिस में फंस गया था जब उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यूपीएफडीए के टेस्ट में मैगी नूडल्स में ज्यादा लेड और एमएसजी पाया गया एफएसएसएआई के टेस्ट में मैगी इंस्टेंट नूडल्स विद टेस्ट मेकर में तीन बड़ी प्रॉब्लम मिली पहली तो ज्यादा लेड कंटेंट की मैगी में लेड की मात्रा अलाउड लिमिट 2.5 पीपीएम से ज्यादा पाई गई दूसरी मिसलीडिंग लेबलिंग की Maggi के पैकेट पर नो एडेड एमएसजी लिखा था जो गलत निकला और तीसरी अनअथराइज़्ड प्रोडक्ट की Maggi
ओट्स मसाला नूडल्स बिना प्रॉपर अप्रूवल के मार्केट में ल्च कर दिया गया था कंट्रोवर्सी इतनी बढ़ गई कि Maggi को सारे वेरिएंट्स मार्केट से वापस लेने का ऑर्डर दिया गया और पूरे इंडिया में Maggi के प्रोडक्शन सेल और डिस्ट्रीब्यूशन को 5 महीने तक के लिए रोक दिया गया था फिर से साल 2021 में एक और कंट्रोवर्सी हुई जिसमें एक इंटरनल रिपोर्ट लीक होने की वजह से यह सामने आया कि Nesle के 60% से ज्यादा फूड प्रोडक्ट्स हेल्थ के रिकॉग्नाइज्ड स्टैंडर्ड्स को मैच ही नहीं करते हैं इंडिया में एफएसएसएआई के फूड सेफ्टी रूल्स उतने स्ट्रिक्ट नहीं
है इस वजह से कंपनीज़ ज्यादा पाम ऑयल और हाइड्रोजनेटेड ऑइल्स का यूज करती हैं ऊपर से लोग भी सस्ता और टेस्टी फूड प्रेफर करते हैं जो कंपनीज़ को और भी चीप और अनहेल्दी इंग्रेडिएंट्स यूज करने का मौका देता है अगर आप किसी भी नमकीन चॉकलेट या प्रोसेस्ड फूड का पैकेट देखोगे तो आपको ज्यादातर जगह पाम ऑयल ही मिलेगा यह सिर्फ nसle Pepsio या आईटीc जैसे बड़े ब्रांड्स तक सीमित नहीं है बल्कि पूरी फूड इंडस्ट्री में कॉमन प्रैक्टिस है जो सस्ते और लोअर क्वालिटी इंग्रेडिएंट्स इंडिया जैसी डेवलपिंग कंट्रीज में यूज़ होते हैं वही प्रोडक्ट्स यूरोप यूएस
और ऑस्ट्रेलिया जैसे डेवलप्ड नेशंस में बेटर इंग्रेडिएंट्स और हेल्थियर ऑइल्स के साथ बेचे जाते हैं अगर आप कभी रोडसाइड स्टॉल पर समोसा या पकोड़े खाने गए हो तो एक छोटी सी ऑब्जरवेशन करो तेल का कलर कैसा दिखता है ज्यादातर केसेस में ब्लैक या गंदा ब्राउन होगा क्यों क्योंकि यह बार-बार यूज किया गया ऑइल होता है जिसमें ट्रांस फैट्स की मात्रा डेंजरसली हाई होती है और ऑइल भी कौन सा वही पाम ऑइल या हाइड्रोजेनेटेड ऑयल जो सस्ता है और हेल्थ के लिए स्लो पोइजन है यह बात अच्छे से समझ लो कि हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन
ट्रांस फैट ही है जो आर्टिफिशियली प्रोड्यूस किया जाता है जिसे फूड कंपनीज़ कॉस्ट कम करने के लिए और शेलफ लाइफ बढ़ाने के लिए यूज करती हैं यह एनिमल फैट्स जैसे बटर से सस्ते होते हैं पूरी दुनिया में हर साल 5 लाख से ज्यादा डेथ्स ट्रांस फैट के एक्सेसिव इंटेक की वजह से होती हैं ट्रांस फैट्स एलडीएल यानी कि बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं एचडीएल यानी कि गुड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं डस अल्टीमेटली आर्टरीज ब्लॉक होने का रिस्क बढ़ता है इसका डायरेक्ट इंपैक्ट हार्ट अटैक और स्ट्रोक के चांसेस इनक्रीस कर देता है एक सर्वे में
पता चला कि दिल्ली और हरियाणा के 25% स्ट्रीट फूड स्नैक्स में हाई लेवल्स ऑफ ट्रांस फैट पाया गया नॉट जस्ट दिस फेक पनीर और एडल्टरेटेड पनीर अपने देश में काफी जगह पर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है जो कि हेल्थ के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है अब जरा इस वीडियो को ध्यान से देखो यह बंदा 200 ग्र पनीर ब्रेड पकोड़े में डाल रहा है ऊपर से इतनी सारी चीजें भी दे रहा है और प्राइस सिर्फ ₹50 भाई ये पॉसिबल कैसे है आप कहीं भी जाके चेक कर लो मार्केट में 200 ग्र amul पनीर ₹90
का आता है और सरस पनीर ₹77 का आता है तो फिर यह बंदा जो पनीर यूज़ कर रहा है वो किस फैक्ट्री से आ रहा है अभी कुछ समय पहले ही हमारे यहां जयपुर में एक मिलावटी पनीर बनाने वाली फैक्ट्री को भी सीज किया गया था यह तो आप समझ गए होंगे कि नकली पनीर ज्यादा प्रॉफिट कमाने और कॉस्ट को कम करने के लिए बनाया जा रहा है ऐसे केसेस आए दिन आते ही रहते हैं सबसे पहले असली दूध की जगह सिंथेटिक मिल्क तैयार किया जाता है जिसमें डिटर्जेंट पाउडर शैंपू रिफाइंड ऑयल और स्टार्च मिलाया
जाता है ताकि दूध थिक और क्रीमी लगे फिर इस नकली दूध को फाड़ने के लिए सिट्रिक एसिड या सस्ते विनेगर का यूज किया जाता है जिससे पनीर जैसा सॉलिड टेक्सचर मिल सके इस मिक्सचर को जमाकर प्रेस किया जाता है ताकि टाइट और कॉम्पैक्ट शेप मिल सके वेट बढ़ाने के लिए इसमें स्टार्च और सिंथेटिक केमिकल्स मिलाए जाते हैं और कभी-कभी यूरिया वाशिंग पाउडर और फॉर्मेलिन भी यूज किया जाता है फॉर्मेलिन हां यह वही केमिकल है जो डेड बॉडीज प्रिजर्व करने के लिए यूज होता है और कुछ लोग फ्रूट्स वेजिटेबल्स और दूध को ज्यादा फ्रेश दिखाने के
लिए यूज करते हैं यह बहुत हार्मफुल है क्योंकि यह कार्सिनोजेनिक यानी कि कैंसर पैदा करने वाला हो सकता है यह सब इसलिए किया जाता है ताकि पनीर ज्यादा दिन तक खराब ना हो फेक पनीर को टेस्ट करने के लिए आप एक सिंपल सा मेथड अप्लाई कर सकते हो अगर पनीर बॉइलिंग वाटर में डालने के बाद चिपचिपा हो जाए या हार्ड हो जाए तो वह फेक हो सकता है पनीर पर आयोडीन डाल कर देखो अगर कलर ब्लू या ब्लैक हो जाए तो वह नकली है अब देखो यह जो वेबसाइट है हाइपरप्योर यह Zomato का बी टू
बी प्लेटफार्म है जिसके थ्रू Zomato रेस्टोरेंट्स और फूड बिज़नेसेस को फ्रेश हाई क्वालिटी इंग्रेडिएंट्स और किचन सप्लाई डिलीवर करता है यह बल्क में फूड मटेरियल्स प्रोवाइड करता है जिसमें वेजिटेबल्स डेरी मीट ऑयल्स और पैकेज्ड गुड्स शामिल होते हैं अभी पिछले ही साल अक्टूबर 204 में लोगों ने जोatो को क्रिटिसाइज करना शुरू कर दिया क्योंकि वॉइस इस हाइपर प्योर के थ्रू रेस्टोरेंट्स को एनालॉग पनीर बेच रहा था एनालॉग पनीर एक नॉन डेयरी सब्सीट्यूट है जो वेजिटेबल ऑयल्स स्टार्च और मिल्क सॉलिड्स से बनाया जाता है इसका टेस्ट और टेक्सचर असल में पनीर जैसा ही दिखने के लिए
डिजाइन किया जाता है लेकिन यह सस्ता और ज्यादा शेलफ लाइफ वाला होता है इसलिए कुछ रेस्टोरेंट और फूड चेन्स इसको प्रेफर करते हैं वैसे तो फेक पनीर ज्यादा टॉक्सिक होता है लेकिन एक एनालॉग पनीर भी लो न्यूट्रिशन सब्स्टट्यूट ही है जो असली पनीर की जगह यूज़ होता है और दोनों ही हेल्दी नहीं है सोच के देखो रेड चिल्ली पाउडर जो हर इंडियन किचन का एक इंपॉर्टेंट इंग्रेडिएंट है वो भी कई बार मिलावट का शिकार हो चुका है इसमें नमक टेल्क पाउडर सोप स्टोन और आर्टिफिशियल कलर्स तो मिलाए ही जा रहे थे अब एक कदम और
आगे बढ़कर ब्रिक पाउडर यानी कि ईंट का चूरा भी मिलाना शुरू कर दिया है हल्दी पाउडर की जगह यह मैटनिल येलो यूज़ होता है इसके अलावा टाटा सनसेट येलो इंडिगो कार्माइन एक्सट्रा जैसे आर्टिफिशियल कलर्स भी इंडियन फूड्स में सिर्फ उनकी विजुअल अपीयरेंस को अट्रैक्टिव बनाने के लिए मिलाए जाते हैं एजोडाइस जो डेवलप कंट्रीज में बैंड है इंडिया में बिना किसी रोक-टोक के फूड इंग्रेडिएंट्स के रूप में यूज़ हो रहे हैं मतलब सच में कितनी ज्यादा जरूरत है एफएसएसएआई को और ज्यादा स्ट्रिक्ट रेगुलेशंस अप्लाई करने की लखनऊ बेस्ड इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की एक स्टडी
के मुताबिक तो इंडिया में मिलने वाली मिठाइयों में ऑरेंज टू ओरामाइन जैसे बैंड डाइस का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है अभी स्क्रीन पर जो लिस्ट आपको दिख रही है उसमें आप क्लियरली देख सकते हो कि किन-किन खानों की चीजों में यह हार्मफुल आर्टिफिशियल कलर्स मिलाए जा रहे हैं इन नकली रंगों का डायरेक्ट इंपैक्ट किडनी लिवर स्प्लीन टेस्टिकल्स और ओवरीज पर पड़ रहा है जो लॉन्ग टर्म में सीरियस हेल्थ इश्यूज कॉज कर सकता है बच्चों में भी इनका इफेक्ट दिख रहा है जिससे बिहेवियरल चेंजेस और हाइपर एक्टिविटी जैसी प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं कर्नाटक गवर्नमेंट
ने तो आर्टिफिशियल फ़ूड कलर्स पर बैन लगा दिया है और जो फ़ूड वेंडरर्स इस रूल का वायलेशन करेंगे उन पर 7 साल तक की जेल और ₹1 लाख तक का फाइन लग सकता है अगर आपको लगता है कि स्ट्रीट फूड एक छोटी सी हाइजीन प्रॉब्लम है तो यह वीडियो एक वेक अप कॉल है जो कुछ भी अभी हमने देखा गंदा पानी फेक इंग्रेडिएंट्स हार्मफुल केमिकल्स और फूड पोइजनिंग के रियल केसेस यह सब एक बड़ी हेल्थ क्राइसिस का हिस्सा हैं क्या सिर्फ एक गोलगप्पा खाना या एक वड़ा पाव खाना इतना हार्मफुल हो सकता है कि किसी
इंसान की जान ही चली जाए बिल्कुल और सिर्फ एक नहीं हर साल लाखों लोग इस चीज की वजह से बीमार पड़ रहे हैं शॉकिंग बात यह है कि लोग जानते हैं कि स्ट्रीट फूड अनसेफ हो सकता है फिर भी दबा के खा रहे हैं क्यों क्योंकि एडिक्शन सा हो गया है अब तो उस ओमामी टेस्ट का और उन चीप प्राइसेस का यही वजह है कि चाहे टॉयलेट का पानी यूज़ हो चाहे फेक पनीर यूज़ हो रहा हो फिर भी लोग कंटीन्यूअसली खाए जा रहे हैं स्ट्रीट फूड्स छोड़ देना समाधान नहीं है स्ट्रीट फूड्स ना के
बराबर खाना समाधान है जिंदगी में 80% अगर सेहत के लिए खा रहे हो तो 20% अगर सोल के लिए भी खाओगे तो भी चलेगा लेकिन बस इन कुछ खास बातों का ध्यान रखना है बेवकूफी मत करो स्ट्रीट फूड ढंग से चूज़ करो जिस ठेले वाले की हाइजीन जीरो हो वहां से खाना मत लो देखो वो हाथ धोता है कि नहीं खाना ढंग से कवर करता है कि नहीं अगर नहीं करता तो अवॉइड करो फेक और एडल्टरेटेड फूड के बारे में सीखो फेक पनीर सिंथेटिक मैदा और एडल्ट रेटेड मसाले का टेस्ट कैसे करें यह सीखना जरूरी
है पनीर को आयोडीन से टेस्ट करो अगर ब्लू हो जाए तो फेक है अगर समोसा या पकौड़ा जबरदस्त लग रहा है तो अंदर कोई ना कोई केमिकल या लो ग्रेड ऑयल होगा अगर आप देखो कि कोई वेंडर गंदा पानी यूज कर रहा है या कोई मिलावट कर रहा है तो रिपोर्ट करो एफएसएसआई और लोकल अथॉरिटीज के कंप्लेंट पोर्टल्स पर जाकर इश्यूज उठाओ अगर हम सबकॉन्शियस और अवेयर हो जाएंगे तो इंडिया में स्ट्रीट फूड कल्चर भी सुधरेगा सोच के देखो हम लोगों का एक एक्शन कल किसी की जान बचा सकता है इस अंधविश्वास में जीना बंद
कर दो कि एक ही तो बाइट है अरे एक बाइट से क्या ही हो जाएगा भाई एक बाइट से भी फर्क पड़ता है दैट्स इट फॉर टुडे पॉलिसी बाजार से हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस लेना मत भूलना लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है खैर इस वीडियो में मैंने बताया है कि सत्तू वर्सेस वे प्रोटीन का फालतू कंपैरिजन करके कैसे आप लोगों को बनाया जा रहा है