Shockingly 95% Australia is completely empty and the reasons are very interesting. Starting with the...
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क्यों 95 ऑस्ट्रेलिया पूरा खाली पड़ा हुआ है यह है ऑस्ट्रेलिया दुनिया की सिक्स्थ लार्जेस्ट कंट्री यह इतना विशाल है कि इसमें इंडिया जैसे दो बड़े देश समा जाएंगे लेकिन आज के तारीख में 95 ऑस्ट्रेलिया पूरी तरीके से वीरान यानी खाली पड़ा हुआ है आप इस मैप को जरा देखिए जहां-जहां पर भी आपको ये येलो डॉट्स नजर आ रहे हैं ना बस वहीं पर ऑस्ट्रेलिया के लोग रहते हैं मतलब ऑस्ट्रेलिया की 90 पर पॉपुलेशन सिर्फ और सिर्फ उसके 0. 22 पर एरिया में ही केंद्रित है व्हिच मींस 1 पर से भी कम एरिया में यानी मेजर्ली सिर्फ इन पांच शहरों में सिडनी ब्रिस्बेन पर्थ एडिलेड और मेलबर्न इन फैक्ट नॉर्थ साउथ ईस्ट वेस्ट इन चारों बॉर्डर्स से आप जितना अंदर की तरफ जाते चले जाओगे ना आपके जिंदा रहने के चांसेस उतने ही ज्यादा घटते चले जाते हैं ऑस्ट्रेलिया में अब ऐसा क्यों होता है इसके पीछे एक बहुत ही इंटरेस्टिंग रीजन है जिसे हम आगे समझेंगे लेकिन इन माय ओपिनियन ये ऑस्ट्रेलिया को एक बहुत ही मिस्टीरियस कंट्री बनाता सच बात तो यह है कि 95 पर ऑस्ट्रेलिया खाली क्यों पड़ा है इसके पीछे एक बहुत ही दर्दनाक रीजन है जो कि इतिहास ने हमसे हम इंडियन से भी छुपाने की कोशिश की और हम इंडियंस के साथ बाकी के दुनिया वासियों के साथ भी देखो हम सब जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में ओरिजनली जो लोग रहा करते थे वो एबोरिजिनल्स ओरिजिन के लेकिन आज अगर आप देखोगे तो पूरे के पूरे ऑस्ट्रेलिया में ऑलमोस्ट सिर्फ वाइट्स ही रहते हैं सो आखिर इन एबोरिजिनल के साथ ऐसा क्या हुआ वेल हम सबने यह जरूर सुना होगा कि ब्रिटिशर्स ने इंडियंस का क्या हाल किया था कैसे ब्रिटिश रूल में लाखों इंडियंस मारे गए थे उन्हें टॉर्चर किया गया एक्सप्लोइट किया गया लेकिन हमें यह कभी नहीं पढ़ाया गया कि यही सो कॉल्ड सिविलाइज ब्रिटिशर्स ने एबोरिजिनल्स का क्या हाल किया किस लेवल पर एबोरिजिनल करवाया गया मैस पर्सीक्यूशन करवाया गया ये ऑस्ट्रेलियन हिस्ट्री का एक काफी डार्क फेस था जो कहीं ना कहीं दुनिया से एक तरह से छुपाया गया लेकिन इसे समझने के लिए हमें इस कहानी की शुरुआत सन 1606 से करनी होगी जब ऑस्ट्रेलिया पहली बार डिस्कवर हुआ था सो जैसे हमने जाना था ऑस्ट्रेलिया के ओरिजिनल इनहैबिटेंट्स एबोरिजिनल्स और टॉरेस स्ट्रेट आईलैंडर्स थे कॉलोनाइजर्स के ऑस्ट्रेलिया की खोज करने से पहले ये जंगलों में रहा करते थे वहीं पर शिकार करके खाना पना खाया करते थे दवा और हथियारों का भी इंतजाम वहीं से किया करते थे इनके कल्चर की एक यूनिक बात थी कि अपने जमीन को पैसे के दम पर नहीं तोलते थे यानी ये खुद को अपने जमीन का मालिक नहीं मानते थे और इसीलिए इनके कल्चर में लैंड फेंसिंग का कोई कांसेप्ट ही नहीं था वहीं पर दूसरे तरफ 17 सेंचुरी वो दौर था जब पूरे दुनिया में यूरोपिय ट्रेडिंग के नाम पर न्यू लैंड रिसोर्सेस को एक्सप्लोइट करने के लिए एक्सप्लोरेशंस कर रहे थे और उसी दौरान इसी मकसद के लिए इंडिया अफ्रीका और यूएसए की भी खोज हुई थी इसी बीच 26 जनवरी 1788 को कुछ ब्रिटिशर्स बॉटनी बे जो एरिया मॉडर्न डे सिडनी में है वहां पर लैंड किए और जैसे ही उन्हें ऑस्ट्रेलिया के इस कल्चर के बारे में मालूम पड़ा कि यहां पर कोई भी अपना लैंड ओन नहीं करता उन्हें इस जमीन में एक बहुत अच्छी अपॉर्चुनिटी दिखी इनफैक्ट उन्होंने अपने इस न्यूली डिस्कवर्ड लैंड को एक नया नाम भी दे दिया टेरा नुलियस यानी कि एक ऐसा लैंड जिसका कोई राजा नहीं है अब इनिशियली ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने भी ब्रिटिशर्स का काफी फ्रेंडली वेलकम किया पर ये अकेले बिल्कुल भी नहीं थे ये अपने साथ अपने देश के क्रिमिनल्स यानी कि चोर डकैत खूनी और बलात्कारियों को लेकर आए थे और उनका फंडामेंटल मकसद बस यही था ऑस्ट्रेलिया को ब्रिटेन की एक पीनल कॉलोनी बनाना पीनल कॉलोनी बेसिकली एक ऐसी जगह होती है जहां पर सरकार अपराधियों को सजा के तौर पर भेजती है और वहां पर उनसे मजदूरी वगैरह कराती है जैसे फॉर एग्जांपल इंडिया में ब्रिटिशर्स ने काला पानी बनाया तो 1788 से 18680 वहां पर लाकर छोड़ दिया पर वहां के इंडिजन अस लोगों को इसके बारे में कुछ भी नहीं मालूम था स्पेशली शुरुआत में कि ब्रिटिशर्स वहां पर एक पीनल कॉलोनी बनाने आए हैं और उन्हें पता चलता भी कैसे ब्रिटिशर्स ने उन्हें बहलाया फुसला या उन्हें तरक्की के सपने दिखाए और उनकी परमिशन लेकर शुरुआत में उन्होंने वहां पर बस थोड़े से लैंड की ही बात की और उसे ही सिक्योर किया ब्रिटिशर्स बेसिकली अपना एक बेस बनाना चाहते थे जिसे इंडिया में उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के थ्रू किया अब ब्रिटिशर्स के ऑस्ट्रेलिया आने से दो चीजें हुई पहली तो ये कि ये अपने साथ जानलेवा बीमारियां लेके आए वो बीमारियां जिनसे अब तक यह सेक्ड नेटिव ऑस्ट्रेलियंस बिल्कुल भी इम्यून नहीं थे जैसे फॉर एग्जांपल फ्रेश ब्रोंकाइटिस मीजल्स स्कारलेट फीवर चिकन पॉक्स स्मॉल पॉक्स और वूपिंग कफ ये सारी बीमारियां पहले ऑस्ट्रेलियन लैंड में बिल्कुल भी मौजूद नहीं थी और इसीलिए लोगों की इम्युनिटी डिवेलप नहीं हुई थी और इस वजह से यह तेजी से फैलने लग गई कि सिडनी में साल भर के अंदर ही 50 पर पॉपुलेशन स्मॉल पॉक्स जैसी बीमारी से मारी गई सेम हाल था पोर्ट फिलिप एरिया का भी वहां भी 50 पर पॉपुलेशन रातों-रात वाइप आउट हो गई बीमारी की वजह से और ईयर आफ्टर ईयर ये बीमारियां लोगों की जान लेते चली गई लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि इतना सब होते देख ब्रिटिशर्स जिनके वजह से यह बीमारी आई थी उन्होंने उस बीमारी का इलाज उनके पास था फिर भी वो इलाज लोगों तक नहीं पहुंचाया उन्होंने मोस्टली सभी लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया इनफैक्ट अगर आपको याद है तो ऐसी ही सेम चीज इंडियंस के साथ भी हुई थी 1900 में जब इंडिया में कलेरा स्मॉल पॉक्स और मलेरिया जैसी बीमारियां फैली थी हमारे देश में 30 लाख से ज्यादा लोगों की जानें गई थी ब्रिटिशर्स को इन बीमारियों का इलाज वैक्सीन तक मिल चुका था लेकिन उन्होंने एक बार भी इंडियंस का इलाज नहीं किया और उन्हें बस मरने के लिए छोड़ दिया और बस यही हाल सेम ऑस्ट्रेलियन इंडिजन लोगों के साथ भी हुआ दूसरी चीज जैसे मैंने बताया था शुरुआत में तो ब्रिटिशर्स ने सिर्फ थोड़ा सा ही लैंड लिया था लेकिन फिर धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया की जमीनें हड़पने के लिए इन्होंने फेंसिंग करना शुरू कर दिया बस कुछ ही समय में यह लोग करन डे होबार्ट मेलबर्न और ब्रिस्बेन में फैल गए और जैसे-जैसे फेंसिंग बढ़ी ऑस्ट्रेलिया के इंडिजन लोगों के विल से होने वाले काम अब उन पर फोर्सफुली थोपे जाने लगे जिन एरियाज में अंग्रेजों ने फेंसिंग की थी वहां पर ऑस्ट्रेलियंस के शिकार करने वहां का साफ पानी इस्तेमाल करने और वहां से खाने की चीजें लेने पर पाबंदी लगा दी गई यूं समझ लो बस कुछ ही सालों में वहां के लोगों पर अंग्रेजों ने राज करना शुरू कर दिया था वो ऑस्ट्रेलियंस की जमीनों पर उन्हीं से खेतों में जबरदस्ती मजदूरी कर वाने लगे और उनके लाचार बीवी और बच्चों का रेप किया करते हद तो तब पार हो गई जब इन्होंने प्रेग्नेंट औरतों से तक काम करवाना शुरू कर दिया था वो उन्हें जबरदस्ती गहरे समुद्र में भेजा करते और उनसे मोतियां चुनवा थे इन्हें ना उन औरतों की परवाह थी और ना ही उनके होने वाले बच्चों की धीरे-धीरे यह अत्याचार इतना बढ़ गया कि 1795 में ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने बगावत कर दी इनके बीच एक जंग शुरू हो गया जो आने वाले 100 सालों तक चलता रहा इसके बीच में कई छोटे-बड़े वॉर्स भी लड़े गए अब यूं तो सभी जंगे हमेशा तबाही लाने के लिए ही जानी जाती है पर ऑस्ट्रेलिया की इस लंबी वॉर ने ऐसी तबाही मचाई कि वहां की 90 पर पॉपुलेशन एक झटके में खत्म हो गई यस तीन से 75 लाख की पॉपुलेशन साल 1900 आने तक सिर्फ और सिर्फ 30000 से 75000 तक ही बाकी रह गई थी क्योंकि लाखों की तादाद में वहां के नेटिव ऑस्ट्रेलियंस मारे जा रहे थे और ये पॉपुलेशन ड्रॉप सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के इंडिजन लोगों का ही था एक्चुअली में ऑस्ट्रेलिया की खोज के बाद से ही यानी पिछले तीन सेंचुरी में वहां पर ट्रेड करने के लिए कई और देशों के लोग आए जैसे जर्मन चाइनीज और इवन जापानीज भी और इन सबके इनफ्लक्स के वजह से वहां का पॉपुलेशन 50 लाख तो था लेकिन बस उस पॉपुलेशन में से इंडिजन ऑस्ट्रेलियंस ऑलमोस्ट 90 पर खत्म हो चुके थे पर अंग्रेज यहां पर भी नहीं रुके उन्होंने जल्दी इस रही सही पॉपुलेशन को भी खत्म करने का रास्ता ढूंढ निकाला और वो तरकीब थी वर्ल्ड वॉर में इन्हें भेजना जिसमें ब्रिटिशर्स ने ऑ ऑलिया के लोगों को और अपने देश से लाए हुए कन्विसिटी दिया 1914 वर्ल्ड वॉर व में ब्रिटिशर्स ने हर पांच में से एक इंसान को यूरोप लड़ने के लिए भेज ऑस्ट्रेलिया की एक रेपुटेड वेबसाइट ऑस्ट्रेलिया वॉर मेमोर का डटा यह बताता है कि इस वॉर में ब्रिटिशर्स ने 18 से 44 इयर्स के बीच के 4189 आदमियों को जंग के लिए भेजा लेकिन इसमें से 40 पर आदमी वापस नहीं लौटे सो ऑस्ट्रेलिया की मेल पॉपुलेशन ऑलरेडी डिक्लाइन पर थी कितने में 1942 में एक बार फिर से इनका इवॉल्वमेंट स्टार्ट हो गया वर्ल्ड वॉर ट में भी इस जंग में भी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन की ही एक कॉलोनी बन गई थी और ब्रिटेन के साइड से लड़ रही थी तो अगेन काफी सारे ऑस्ट्रेलियंस यहां पर भी मारे गए ऑस्ट्रेलिया पर इवन काफी सारे एयर अटैक्स भी हुए इनफैक्ट 1942 से 43 के बीच में तो जापान ने ऑस्ट्रेलिया के नॉर्दर्न पार्ट्स में 90 प्लस अटैक्स किए थे सो बेसिकली दोनों भी वॉर्स में वहां की पॉपुलेशन इफेक्ट तो हुई लेकिन स्पेशली मेल पॉपुलेशन काफी ज्यादा डिक्लाइन हुई और फिर इन सभी हिस्टोरिकल जंगो के अलावा ऑस्ट्रेलिया की आबादी को कंट्रोल करने में एक पॉलिसी का भी बहुत बड़ा हाथ है जैसे मैंने पहले बताया था ब्रिटिशर्स ऑस्ट्रेलिया में आए ही थे उस पर कब्जा करने के लिए उसे दूसरा ब्रिटेन बनाने के लिए और इसीलिए उन्होंने एक इमीग्रेशन रिस्ट्रिक्शन एक्ट 1901 लाया इस एक्ट को वाइट ऑस्ट्रेलियन पॉलिसी भी कहते हैं और इस एक्ट का मेन एम यही था कि ऑस्ट्रेलिया में जो भी नॉन वाइट्स है बेसिकली जैसे एशियन इमीग्रेंट हो गए या फिर नेटिव ऑस्ट्रेलियंस हो गए उन पर रोक लगाया जा सके और सिर्फ ब्रिटिशर्स वहां पर रूल करें सो अब इसके बाद वाइट्स को छोड़कर किसी भी और एथनी सिटी के ग्रोथ रेट में एक लगाम लग गया और यह भी एक रीजन है जिस वजह से हम वहां पे देखते हैं कि मोस्ट ऑफ दी पॉपुलेशन वहां पर ऑस्ट्रेलियन वाइट्स है सो अब तक हमने जो भी जाना उसे एकदम शॉर्ट में समझे तो ब्रिटिशर्स के आने से दो चीजें हुई एक बीमारी फैली और लोग मरने लगे बड़ी तादाद में दूसरा 100 साल लंबे इंटरनल कॉन्फ्लेट की वजह से ऑस्ट्रेलिया की 90 पर इंडिजन अस पॉपुलेशन खत्म हो गई एंड दन नेक्स्ट वर्ल्ड वॉर वन वर्ल्ड वॉर 2 ने उनके मेल पॉपुलेशन पर काफी बड़ा इंपैक्ट छोड़ा एंड लास्ट एंड फाइनल ब्लो था इमीग्रेशन एक्ट का जिसने माइग्रेंट्स की वजह से बढ़ रही ऑस्ट्रेलियन पॉपुलेशन को भी एकदम से रोक दिया करंट सिचुएशन ऑस्ट्रेलिया की यह है कि आज वहां पे 2. 6 करोड़ लोग रहते हैं लेकिन इसमें नेटिव ऑस्ट्रेलियंस की आबादी सिर्फ 3.
8 पर है मतलब सिर्फ और सिर्फ 10 लाख नेटिव ऑस्ट्रेलियंस आज इस वक्त ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं यह आबादी तो इंडिया के एक एवरेज टाउन की आबादी से भी कम है सो अब तक हमने इतिहास पढ़ के यह समझ लिया कि कैसे ऑस्ट्रेलिया बनने से पहले ही 90 पर उसकी पॉपुलेशन वहीं पर खत्म हो गई थी पर अब क्वेश्चन यह आता है कि आज पॉपुलेशन वापस से बढ़ने के बावजूद 95 पर जितना ऑस्ट्रेलिया क्यों खाली पड़ा हुआ है आखिर क्यों ऑस्ट्रेलिया की मेजॉरिटी पॉपुलेशन सिर्फ इन पांच सिटीज में ही कंसंट्रेटेड है तो इसके पीछे एक दूसरा बड़ा रीजन है उसका ज्योग्राफिकल लोकेशन जो हर साल उस देश में ऐसा कहर बरसाता है कि वहां पर सर्वाइवल काफी मुश्क हो जाता है अब सबसे पहले ना ऑस्ट्रेलिया की बहुत ही यूनिक ज्योग्राफी को समझते हैं अगर आप मैप को ध्यान से देखोगे तो ऑस्ट्रेलिया तीन मेजर लैंड फॉर्म्स में बैटा हुआ है पहला वेस्टर्न प्लाटू मतलब इस पूरे टू थर्ड एरिया में सिर्फ डेजर्ट है और इसीलिए यहां पर इंसानों का रहना पॉसिबल ही नहीं है दूसरा सेंटर लोलैंड्स यह पूरा येलो पार्ट लोलैंड तो है लेकिन यहां की नदियों में तक नमकीन खारा पानी है जो एग्रीकल्चर और इंसानों के लिए बिल्कुल भी सूटेबल नहीं है और तीसरा ईस्टर्न हाइलैंड इस ग्रीन पार्ट में केप यॉक पेनिंस सुला से बे स्ट्रेट आइलैंड तक पहाड़ी पहाड़ है जंगल है यानी यहां पर मेजर्ली सिर्फ लैंड एरिया है जहां उपजाऊ जमीन भी है और पीने के लिए सूटेबल पानी भी है पर लोगों के लिए यहां पर भी रहना ऑस्ट्रेलिया की लोकेशन और उसके क्लाइमेटिक कंडीशंस की वजह से मुश्किल होते जा रहे हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में तीन एक्सट्रीम वेदर कंडीशंस होते हैं पहला डेजर्ट फिर फ्लड्स और लास्टली ऑस्ट्रेलिया काफी ज्यादा साइक्लोन प्रोन भी है पर आखिर ऐसा क्यों चलो देखते हैं सो सबसे पहले ये समझो कि ऑस्ट्रेलिया के सदन पार्ट यानी कि नीचे के हिस्से में अंटार्कटिका और उसका ठंडा पानी है अब जब पानी गर्म नहीं होगा तो उससे बादल भी नहीं बनेगा प्लस इस मैप में आप क्लियर देख सकते हो कि ऑस्ट्रेलिया के साउथ में एज सच कोई भी बड़ा ग्रीन एरिया नहीं है मतलब ना यहां पर बादल बनते हैं और ना ही उन्हें यहां पर होल्ड करने के लिए हाई माउंटेन रेंजेस हैं और इसीलिए आप ये लाइट ग्रीन पार्ट देख रहे हो इस पूरे रीजन में बारिश ही नहीं होती और इसीलिए ऑस्ट्रेलिया का 70 पर हिस्सा डेजर्ट है और ड्राउन प्रोन है जिससे ऑस्ट्रेलिया की क्रॉपिंग इंडस्ट्री को हर साल वन . 1 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है और क्वींसलैंड की बात करें जो ऑस्ट्रेलिया की मेजर सिटी है उसे तो 2017 में ही गवर्नमेंट ने एक ड्राउन स्टेट डिक्लेयर कर दिया था अब ऑस्ट्रेलिया में इतना सॉल्टी वाटर नहीं इतना खारा पानी क्यों है इसे समझने के लिए सेंट्रल लोलैंड की बात करते हैं तो वहां पर सबसे पहले तो मिट्टी और चट्टानें जो कि लाखों साल पुरानी है उनकी सैलिनिटी लेवल नेचुरली ही बहुत हाई होती है सो जब ये चट्टानें टूटती है तो इनके अंदर मौजूद नमक वहां आसपास के पानी में भी घुल जाता है एंड लास्टली ये भी जान लेते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में इ बाढ़ और साइक्लोंस क्यों आते हैं अब देखो ऑस्ट्रेलिया इक्वेटर के ठीक नीचे है और इक्वेटर वो जगह है जहां पर डायरेक्ट सनलाइट पड़ती है और इस जगह हमेशा एक्सट्रीम गर्मी होती है अब हमारी पृथ्वी वेस्ट टू ईस्ट रोटेट करती है जिसकी वजह से उसके अपोजिट दिशा में बहुत ही तेज ट्रेड विंड्स बहते हैं फ्रॉम ईस्ट टू वेस्ट नाउ इन दोनों भी कंडीशंस की वजह से पैसिफिक ओशन का गर्म पानी हवाओं के साथ बहते हुए ऑस्ट्रेलिया के ईस्ट में आते जाता है और ऑस्ट्रेलिया में बादल फॉर्म होते हैं प्लस यहां पर ग्रेट डिवाइडिंग माउंटेन रेंज है जो क्लाउड्स को आगे नहीं बढ़ने देते यहीं पर ब्लॉक कर देते हैं और इस वजह से ऑस्ट्रेलिया के इस हिस्से में बारिश होती है और ग्रीन एरिया बनता है बट ये तो हुआ ऑस्ट्रेलिया की बारिश का सिनेरियो नंबर वन सिनेरियो नंबर टू में पैसिफिक ओशन से बहकर आ रहा गर्म पानी ईस्ट में आकर बहुत ज्यादा मात्रा में पाइल अप होने लग जाता है और इस गर्म पानी के नीचे जो ठंडा पानी है वो रश करने लगता है अमेरिका की तरफ जिससे एक स्टार्क कंट्रास्ट क्रिएट हो जाता है जिसका नतीजा इस वेरिएशन की वजह से ट्रेड विंड्स और भी ज्यादा तेज हो जाते हैं यानी कि अब सिचुएशन को समझो ईस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में बादल तो बन रहे थे पहाड़ उन्हें आगे जाने से भी रोक रहे थे पर इसमें एक और एक चीज अब आ गई तेज हवाएं और बस इन्हीं वजहों की वजह से ऑस्ट्रेलिया में फ्लड लाइक कंडीशंस हो जाते हैं जो एक्सट्रीम में पहुंचकर साइक्लोंस को भी जन्म दे देते हैं इन फैक्ट इट्स नॉट वेरी अनकॉमन ओवर देयर ऑस्ट्रेलिया को हर साल दो से तीन साइक्लोन सरवाइव करने पड़ते ही हैं जिनमें काफी डिस्ट्रक्शन होता है सो टू समिट ऑल अप ऑस्ट्रेलिया की हिस्ट्री से ही उसकी पॉपुलेशन ग्रो नहीं कर पाई आज जो पॉपुलेशन वहां पर है उसके लिए भी ऑस्ट्रेलिया की एक्सट्रीम क्लाइमेट कंडीशंस को सरवाइव करना मुश्किल हो रहा है प्लस ऑस्ट्रेलिया की ज्योग्राफी तीसरा मेजर फैक्टर जैसे हमने देखा ऑस्ट्रेलिया के बाकी पार्ट्स में ह्यूमन सर्वाइवल कितना ज्यादा मुश्किल है और इसीलिए वहां की मेजॉरिटी पॉपुलेशन सिर्फ कुछ ही एरियाज में कंसंट्रेटेड है सो बस यही है फ्रेंड्स ऑस्ट्रेलिया के 95 खाली होने के पीछे की पूरी कहानी अगर आपको यह वीडियो पसंद आया तो आई एम वेरी श्योर आपको यह वीडियो भी जरूर पसंद आएगा जिसमें मैंने एक्सप्लेन किया है कि 99. 7 मंगोलिया आखिर पूरी तरीके से खाली क्यों है 99.