यह है एक आम इंडियन के दांत और यह है एक आम इंडियन सेलिब्रिटी के दांत दोनों में काफी अंतर है राइट वेल ऐसे दांत पाने के पीछे ना एक साइंस है एक विज्ञान है जिसका इस्तेमाल यह सेलिब्रिटीज रोज करते हैं पर दूसरी तरफ एक आम इंडियन तो हर रोज दो ऐसी चीजें करता है जो उसके दांतों को पीला करते जा रही है और उसे पता भी नहीं चल रहा है अगर इसे नहीं रोका गया तो अच्छा चांस है कि कुछ ही सालों में आपके दांत ऐसे हो जाएंगे बट डोंट वरी फ्रेंड्स आज के इस वीडियो
में ना मैं आपको कुछ ऐसे सॉल्यूशंस बताऊंगा जिससे आप एटलीस्ट दो से तीन शेड्स या फिर ऑन एन एवरेज चार से पांच शेड्स या फिर मैक्स 10 शेड्स तक अपने दांतों को वाइट कर पाओगे एंड नो आई एम नॉट इवन किडिंग अब एक चीज आपको बताता हूं फ्रेंड्स आप लिटरली शॉक हो जाओगे इसे देखना ये है करीब 8000 साल पुराना एक इंसानी स्कल इनके दांतों की बनावट आप देख सकते हो क्लियर इनके दांत सफेद और बहुत ही स्ट्रांग दिखाई दे रहे हैं 8000 साल गुजरने के बाद भी लेकिन उसी के बाजू में यह है एक
15वीं सदी यानी कि बस 500 साल पहले की एक ह्यूमन स्कल यहां पर आप लिटरली देख सकते हो इसके दांतों की क्या हालत हो गई है और यह कोई इकलौता अनोखा एग्जांपल नहीं है बल्कि मिडिवल एज में बहुत से स्केलेटन में सेम ही पैटर्न देखा गया है कितना वियर्ड है राइट बढ़ते आधुनिकता और टेक्नोलॉजी के साथ हमारे दांत उल्टा पीले और कमजोर होते चले जा रहे हैं सो आखिर यह हो क्या रहा है है वेल आगे ना कुछ बहुत ही इंटरेस्टिंग खुलासे होने वाले हैं जो बहुत ही कम लोग जानते हैं बट उससे पहले तो
क्या आपको यह पता है कि आज बहुत से लोग तो जिन टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करते हैं अपने दांतों को चमकाने के लिए वही टूथपेस्ट उनके दांतों को खराब कर रहे हैं और यह मैं नहीं डेंटिस्ट कह रहे हैं और साथ ही में आज के सोशल मीडिया की दुनिया में तो अच्छे दांत होना सबसे डिजायरेबल कॉस्मेटिक फीचर हो गया है इसके बकायदा मेजरेबल मॉनेटरी और सोशल फायदे हैं और इसीलिए तो आज मार्केट में आपको कई सारे ऐसे टूथपेस्ट के ब्रांड्स मिल जाएंगे जो दावा करते हैं कि आपके दांत दो से तीन दिनों में ही वाइट
कर देंगे जैसे कि ये वाइट एन टीथ इन ओनली थ्री डेज बस सिर्फ तीन दिनों में शाइनी वाइट दांत तो कितने तो आपको क्रिएटिव प्रोडक्ट्स मिल जाएंगे जैसे कि ये वाइट निंग किट जो कि इन फैंसी ब्लू एलईडीज के साथ ऐसा क्लेम करता है कि आपके दांतों को बस सिर्फ 7 दिन के अंदर सफेद कर देगा या फिर ये वाइट निंग पेंस जो तो इंस्टेंट टीथ वाइट करने का दावा करते हैं क्या ये सारे के सारे दावे सच भी है या सिर्फ और सिर्फ मार्केटिंग गिम है क्योंकि दूसरी तरफ बहुत से डेंटिस्ट तो यह भी
क्लेम करते हैं कि हमें तो टूथपेस्ट की भी जरूरत नहीं है हम सिर्फ पानी और ब्रश से ही अपने मुंह को जर्म फ्री और क्लीन रख सकते हैं तो सही कौन है और आखिर गलत कौन वेल फ्रेंड्स लाइफ में ना आप हर जगह पर यही देखोगे कि 10 लोग कुछ अलग चीजें बोलते हैं और 10 लोग कुछ अलग ही भलता ही आज इंटरनेट के युग में नॉइस एक्सट्रीमली ज्यादा हो गया है और जो सबसे ज्यादा चिल्लाता है जरूरी नहीं कि वही सच्चाई बोल रहा है और इसीलिए मेरी लाइफ में एक सिंपल सी फिलॉसफी है खुद
सच्चाई को ढूंढो चीजों के पीछे के फंडामेंटल लॉजिक यानी कि साइंस को समझकर और इसीलिए फ्रेंड्स आज हम टूथ वाइटिंग और टूथ येलोइंग के पूरे साइंस को ही समझेंगे ताकि इस वीडियो को देखने के बाद कुछ ही दिनों में आप अपने दांतों को भी हैप्पीडेंट की ऐड की तरह चमका पाओगे बट वीडियो को आधा अधूरा मत देखना इसके पूरे साइंस को समझना ऑल कॉसेस एंड इफेक्ट्स के साथ सो लेट्स मेक अ गोल टुडे टू इंप्रूव एटलीस्ट 2 लाख स्माइल्स और शुरू करते हैं ये वीडियो लाइक ठोक कर अब यार कभी सोचा है जानवरों को ब्रश
करने की जरूरत क्यों नहीं पड़ती आई मीन आई डाउट आपने कभी किसी खरगोश को ब्रश करते हुए देखा होगा या फिर किसी बिल्ली को फ्लॉसिंग करते हुए देखा होगा आज से 8 से 10000 साल पहले स्टोन एजेस में भी तो इंसान कौन सा ब्रश या टूथपेस्ट यूज करते थे और तो और नेचर मैगजीन में पब्लिश हुए इस 2013 की स्टडी के हिसाब से मिडिवल स्टोन एजेस यानी कि आज से लगभग 8 से 10000 साल पहले ह्यूमंस के दांत आज के मुकाबले ज ज्यादा वाइट और हेल्दी भी हुआ करते थे इस अकेले स्टडी में ही कोई
एकाद नहीं बल्कि ऐसे 33 स्केलेटल रिमेंस मिले गए हैं और यही सेम फैक्ट और भी कई सारी स्टडीज और पुराने स्केलेटल रिमेंस भी प्रूफ करते हैं और हमने कंपैरिजन में भी तो देख लिया 8000 साल पुराना स्कल वर्सेस 15 सेंचुरी यानी कि बस 500 साल पहले का ह्यूमन स्कल तो यह आखिर हो क्या रहा है भाई आज के तारीख में हम इंसान कहां पर भटक गए आज तो मॉडर्न एज में उल्टा ओरल हाइजीन टूथ केयर गम केयर सेंसिटिविटी कैविटीज जैसी चीजों को लेकर तो लोग ऑबसेस्ड हैं और दूसरी तरफ हमारे आंसेस्टर्स तो लिटरली असभ्य जंगली
शिकारी थे केव मैनस थे अच्छा इसका जवाब देने से पहले ना थोड़ा सा अपना दिमाग लगाओ लेट्स पॉज फॉर अ मोमेंट आप अपने बचपन के पिक्चर्स को याद करने की कोशिश करो जब आप लेट्स से एक या दो साल के थे तो आपके दांत कौन से रंग के थे कोई भी यंग बच्चा एक या दो साल का जिसका दांत आना बस शुरू ही हुआ है उसके दांत कौन से रंग के निकल वेल शाइनी वाइट कलर राइट यानी कि वाइट टीथ हमारा नेचुरल स्टेट है यह प्रकृति का तोहफा है हम इंसानों को सो मतलब साफ है
कहीं ना कहीं आज के डेली लाइफ में ही कुछ तो और कहीं तो गड़बड़ी हो रही है जिसके वजह से हमारे दांत पीले होते चले जा रहे हैं मानव इतिहास में दो बड़े बदलावों की वजह से आज तक इंसानों के दांत पीले और कमजोर होते जा रहे हैं सो आज से 10000 साल पहले जैसे ही किसानों ने खेतीबाड़ी करना शुरू किया वैसे ही हमारे मुंह दांतों और जबड़ो में कुछ मेजर बदलाव आने लगे खेतीबाड़ी करने से पहले हम इंसान कुछ दो मिलियन सालों तक हंटर गैदरर्स हुआ करते थे जैसे आपको पता होगा यानी कि हम
खाने और शिकार की तलाश में सालों साल भटकते रहते थे बट जैसे ही हमने खेतीबाड़ी करना शुरू किया तो हम एक ही जगह पर फाइनली सेटल होने लगे अब फार्मिंग के वजह से ना मेजर बदलाव आया हमारे डायट और लाइफस्टाइल में हम हैवली सॉफ्ट कार्बो हाइड्रेट रिलेटेड खानों पर डिपेंडेंट होने लगे क्योंकि मोस्टली सीरियल्स जैसे कि वीट बार्ली एटस की सबसे ज्याद फार्मिंग की जाती थी और हम अपने नेचुरल हार्ड फाइब्रसिस्टिक मीट रूट्स पल्प्स इनसे हम स्विच होने लग गए इस नए सॉफ्ट कार्बोहाइड्रेट रिच डाइट ने हमारे मुंह के बैक्टीरियल एनवायरमेंट को हमें अ केलिए
बदल के रख दिया और साथ में ही हमारे जबड़ो तक का भी शेप बदलने लग गए आई विल एक्सप्लेन दिस इन जस्ट अ वाइल बट दूसरा बड़ा बदलाव आया 19वीं सदी में जब इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन हुआ जब मैदा और रिफाइंड शुगर घर-घर में मिलने लगा और इनसे बनी चीजें एक्सट्रीमली कॉमन हो गई सो ऑल इन ऑल अगर पूरे इंसानी इतिहास में देखा जाए ना तो सॉफ्ट कार्बोहाइड्रेट्स और शुगर सबसे बड़े थ्रेट्स रहे दांतों को पीले करने के पीछे सो हमारे मुंह में हमारे गट यानी कि इंटेस्टाइंस के बाद सबसे ज्यादा बैक्टीरिया मौजूद होते हैं एट एनी
गिवन टाइम हमारे मुंह में 700 से भी ज्यादा बैक्टीरिया मौजूद होते हैं और इनमें से कुछ बैक्टीरिया एक हेल्दी एनवायरमेंट क्रिएट करते हैं तो कुछ बैक्टीरिया दांत को पीला करने वाला और सड़ने वाला एनवायरमेंट क्रिएट करते हैं यह सारे बैक्टीरिया हमारे दांतों के ऊपर के लेयर्स में चिपके होते हैं जरा अपने दांतों को हल्का सा खुतला अच्छा चांस है कि आपके नाखूनों में कुछ वाइट सा या ऑफ वाइट सा सॉफ्ट स्टिकी चीज निकलेगा ये बेसिकली होते हैं बायोफिल्म्स जो कि इन्हीं बैक्टीरिया की कॉलोनी होती है देखो प्रकृति में ना मोस्ट ऑफ दी माइक्रो ऑर्गेनिस्ट मस
ऐसे ही बायो फिल्म्स में ही सरवाइव करते हैं जैसे अगर आपने कभी तालाबों में भी देखा होगा या झरनों में स्टिकी स्टिकी सी काई जमी हुई मिल जाती है यह काई भी तो फंगस और एल्गे का एक बायोफिल्म ही तो है अब आपके दांतों के ऊपर बायोफिल्म्स का होना इतना बड़ा प्रॉब्लम नहीं है जितना बड़ा प्रॉब्लम उस बायोफिल्म में कौन से बैक्टीरिया मौजूद है वो है देखो 700 में से कुछ बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो हमारे दांतों के एकदम बड़े दुश्मन होते हैं ये सारे उनमें से कुछ बैक्टीरिया के नाम है जो आपको स्क्रीन पर
दिख रहे होंगे और इन सब में से ऑलमोस्ट सारे साइंटिस्ट यूनानिमिटी है ये बैक्टीरिया सबसे ज्यादा दांतों को पीला भी करता है और डैमेज भी करता है सो अब आता है यहां पे अगला सवाल हमारे दांत आखिर पीले ही कैसे होते हैं वेल हमारे दांतों का ना सबसे भारी लेयर होता है जिसे कहते हैं नामल जो कि शाइनी वाइट कलर और ट्रांसलूसेंट होता है और नामल एक ऐसा लेयर होता है जो कि एक बार पूरी तरीके से इरोड हो गया तो उसे हमारा बॉडी स्किन या हेयर की तरह दोबारा से री ग्रो नहीं कर सकता
यानी कि एक बार ये लेयर छील गया या इरोड हो गया तो हमेशा हमेशा के लिए चला जाएगा अब नामल के अंदर का लेयर होता है डेंटिन जो कि हल्का सा लोइश कलर का होता है यही दांत को स्ट्रक्चर देता है और हड्डियों से भी ज्यादा मजबूत होता है अब होता क्या है ना जब भी हम कोई सॉफ्ट कार्बोहाइड्रेट्स या शुगर खाते हैं जैसे लेट्स से हमने ब्रेड या केक खाया तो क्योंकि ये सॉफ्ट एंड स्टिकी होते हैं तो ये हमारे दांतों के बीच में चिपक जाते हैं अब हमारा सलाइवा इन्हें ग्रैजुअली ब्रेक डाउन करके
इनके शुगर को रिलीज करने लगता है अब यह शुगर खाना बनते हैं बैड बैक्टीरिया जैसे एस म्यूट्स लैक्टोबैसिलस और एक्टिनोलाइट सेट्र के अब ये बैड बैक्टीरिया या आखिर बैड है ही क्यों पहली बात तो वेल बिकॉज ये शुगर कंज्यूम करके एसिड्स रिलीज करते हैं मोस्ट नोटबली लैक्टिक एसिड जो दांतों के लिए जहर जैसा होता है यही बैक्टीरिया फिर हाइड्रोजन सल्फाइड और मिथाइल मेरक पटन जैसे गैसेस भी रिलीज करते हैं जिससे मुंह से बदबू आने लगती है और क्योंकि ये बैक्टीरिया बायोफिल्म्स में रह रहे होते हैं सो पूरे बायोफिल्म्स के साथ ही यह लैक्टिक एसिड आपके
दांतों में चिपकने लगता है और धीरे-धीरे करके इनेमल को इरोड करने लगता है अब इससे दो चीजें होती है जो ही एगजैक्टली दांतों को पीला करती है सबसे पहली चीज क्योंकि एनामेल पतला हो चुका है तो अंदर के डेंटिन का लेयर ज्यादा क्लीयरली विजिबल हो जाता है और डेंटिन का कलर जैसे आपको पता है लोइश होता है इसीलिए बाहर से देखने पर हमारे दांत भी पीले नजर आते हैं नंबर टू अब क्योंकि इन बैक्टीरिया ने एसिड्स रिलीज करके दांतों को पोरस बना दिया होता है तो जो भी खाना हम खाते हैं जो किसी भी कपड़े
में रंग लगा सकता है वो अब दांतों के भी इन माइ इक्रो पोर्स में घुसने लगते हैं और अंदर के लेयर्स में घुसने लग जाते हैं इसीलिए फिर चाहे आप कितना भी ब्रश क्यों ना कर लो कितना भी घस लो घस घस आप थक जाओगे बट वो गहरा पीलापन निकलता ही नहीं है क्योंकि वह अंधर लेयर्स तक अंधर पोरस लेयर्स तक घुस चुका है सो जो भी डार्क पिगमेंट्स वाले फूड्स होते हैं ना जैसे चाय कॉफी हो गया कोला रेड वाइन सोय सॉस बेरीज एक्सट्रा इनमें क्रोमोजन नाम के केमिकल कंपाउंड्स होते हैं और यही क्रोमोजन
की वजह से ही आपके दांत और जी पर खाने का कलर चिपकता है अब सिर्फ खाने से ही नहीं हां बल्कि स्मोकिंग टोबैको कंजमेट डिस्कलरेशन होता है अब इनमें से सबसे डेंजरस फूड्स होते हैं जो शुगर भी होते हैं और एसिडिक भी और साथ में कलर भी छोड़ते हैं तीनों का डेडली कॉमिनेशन जैसे कोलाज एनर्जी ड्रिंक्स वाइन एट्र ये सारे बेवरेजेस रेगुलरली कंज्यूम करना और बिना मुंह धोए कई घंटे निकाल देना या लेट्स से रात को पी के सो जाना ये आपके दांतो के लिए जहर की तरह होता है इन फूड आइटम्स का पीएच वैल्यू
इतना एसिडिक होता है कि बस समय की दे रही है ये दांतों के एनेमल को पिघला शुरू कर देंगे और अपने कलर्स को चिपकाना शुरू कर देंगे इसे स्टेनिंग कहते हैं और चाय जैसे फूड आइटम्स जिसे हर कोई रेगुलरली कंज्यूम करता है मैं तो टैनिन नाम का भी एक केमिकल भारी मात्रा में मौजूद होता है जो क्रोमोजन को दांतों में और ज्यादा स्ट्रांग चिपकाते हैं सो ऐसे होते हैं हमारे दांत पीले अब आप बेसिकली बेस समझ चुके हो यह समझना बहुत ही जरूरी है क्योंकि स्टेनिंग की प्रॉब्लम का रूट कॉज इन फूड्स का कलर नहीं
होता बल्कि एसिड्स और बैड बैक्टीरिया है जिनके एनेमल कोरोजन की वजह से ही ये स्टेंस हमारे दांतों की गहराई तक पहुंच पाते हैं और फिर निकलने से इंकार कर देते हैं वरना तो एक माउथ वॉश करके ही आप इसे आसानी से निकाल पाते हैं साइंस में ना आपको जैसे पता होगा रूट कॉज का पता लगाना सबसे इंपॉर्टेंट होता है वरना हम सिम्टम्स से डील करते रह जाएंगे और हमें कभी भी रिजल्ट्स मिलेगा नहीं क्योंकि रूट कॉज ही नहीं मालूम और इसीलिए मैं कभी भी अपने वीडियोस में आपको बस सलूशन नहीं बताता हूं बल्कि रूट कॉज
रूट मैकेनिज्म और कॉसेस एंड इफेक्ट्स को भी एक्सप्लेन करता हूं ताकि आपकी एक साइंटिफिक कॉज एंड इफेक्ट्स बेस्ड थिंकिंग डिवेलप हो यह थिंकिंग लाइफ के किसी भी एरिया में सक्सेस पाने के लिए बहुत ही जरूरी होती है और इसी सोच के जरिए हम सच्चाई तक भी पहुंच पाते हैं आंखें बंद करके कुछ भी अंधविश्वास की तरह बिलीव नहीं कर लेते और बाय द वे मेरे रिसर्च के सारे रेफरेंसेस आपको नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएंगे ताकि आप अपना खुद का भी रिसर्च कर सको सो अब आई एम श्यर कनेक्ट हो रहा होगा कि पिछले 10000 सालों
में एगजैक्टली क्या बदला हमारे मुंह का बैक्टीरियल इकोसिस्टम बट दैट्ची स्ट्रक्चर नहीं लग रहा है ये एक पुराने होमो सेपियन की खोपड़ी है एकदम सेलिब्रिटी की तरह टीथ स्ट्रक्चर लग रहा है राइट वेल कई रिसर्चस के हिसाब से 10000000 इयर्स पहले जब इंसानों ने हंटिंग गैदरिंग छोड़कर खेतीबाड़ी करना स्टार्ट किया था ना तब से लेकर आज तक हमारे जबड़े छोटे होते जा रहे हैं और इससे यह हो रहा है कि आज के दौर में लोगों में टेढ़े मेढे दांत पक टीथ टीथ ओवर ग्रोथ या अंडर ग्रोथ के प्रॉब्लम्स कॉमन हो गए और इसीलिए बहुत से
लोगों को ब्रेसेज लगाने की जरूरत पड़ती है अब खुद ही देखना मुझे बताओ आपके कितने ही दोस्तों के दांत इस खोपड़ी की तरह परफेक्ट होंगे इंसानी दांतों में आज कितना वेरिएशंस आ गए जबकि मोस्ट ऑफ दी जानवर तो मोर और लेस एक ही तरह होते हैं स्ट्रक्चरल ऐसा इसीलिए हुआ वंस अगेन क्योंकि फार्मिंग और आग की डिस्कवरी के बाद हम हार्ड फाइब्रसिस्टिक फूड्स कंज्यूम करने लगे और इससे हुआ यह कि हमें वाइड स्ट्रांग जॉज की जरूरत ही नहीं पड़ने लगी और एवोल्यूशन की भाषा में एकदम सिंपल है यूज इट और यू लूज इट और इसीलिए
धीरे-धीरे करके हमारे जबड़े पतले और कमजोर होते चले गए सो अब हम समझ चुके हैं कि 10 हज सालों में क्या बदला कैसे हमारे दांत बेहतर से बदतर होते चले गए अब बात करते हैं कि आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल और डाइट के हिसाब से हम अपने दांतों को पहले की तरह वाइट और स्ट्रांग कैसे बना सकते हैं क्योंकि आज तो क्लियर हम हंटर गैदरर्स नहीं है सो आज के युग में यह वाइटिस कैसे अचीव किया जा सकता है सेलिब्रिटीज कैसे कर लेते हैं भाई सो आज के समय में ना पूरी डेंटल केयर इंडस्ट्री 39 बिलियन
डॉलर्स की है जिसमें से 9 बिलियन डॉलर्स यानी कि ऑलमोस्ट 25 पर कि तो सिर्फ टीथ वाइटिंग इंडस्ट्री है यानी मार्केटर्स को ये अच्छे से पता है कि हमारे सोसाइटी में सफेद फे दांतों की आज क्या महत्व है और इसीलिए हर कोई अपने प्रोडक्ट्स बनाकर कंज्यूमर्स को चिपकाने के पीछे लगा है फिर चाहे वो असर भी करते हो या फिर नहीं बस महज गिमिक हो जैसे इसे एक ब्राजीलियन रिपोर्ट ने डिस्क्लोज किया कि ओवर द काउंटर मिलने वाले मोस्ट ऑफ दी टीथ वाइटिंग प्रोडक्ट्स या तो सिर्फ ऊपर ऊपर के ही दाग निकालते हैं या फिर
ना के बराबर ही वाइट निंग प्रोवाइड करते हैं और ऐसा इसीलिए है क्योंकि पूरे टीथ वाइटिंग इंडस्ट्री में कुल मिलाकर सिर्फ दो ही कैटेगरी के प्रोडक्ट्स मिलते हैं और इसमें से एक कैटेगरी थोड़ी बहुत यूजफुल है टीथ वाइटिंग करने में और दूसरी कैटेगरी एक्सट्रीमली यूजफुल है अब इन दो कैटेगरी को छोड़कर मोस्ट ऑफ दी प्रोडक्ट्स या तो गिमिक है या फिर थोड़ा बहुत ही क्लीन अप करते हैं सो पहली कैटेगरी की बात करते हैं जो है एब्रेजिव्स की बेसिकली आप कोल गेट पेप्सोडेंट सेंसोडाइन क्लोजअप किसी भी टूथपेस्ट को उठाकर उन पर प्रिंटेड इंग्रेडिएंट्स के लिस्ट
को पढ़ लेना उनमें आपको सोडियम बाय कार्बोनेट कैल्शियम कार्बोनेट सिलिका कैल्शियम फॉस्फेट इन सभी में से ना एक या दो इंग्रेडिएंट्स जरूर देखने को मिलेंगे दरअसल ये सभी सेम तरह के कंपाउंड्स हैं और ये लिटरली आपके दांतों को रगड़ने का खरोच का और पॉलिश करने का काम करते हैं इन्हें मेडिकल टर्म्स में कहा जाता है एब्रेजिव्स अच्छा आप में से बहुत से लोगों ने डाबर का या किसी भी और कंपनी का दंत मंजन पाउडर भी यूज किया होगा ये पाउडर्स भी वही एब्रेजिव्स की ही कैटेगरी में आते हैं बेसिकली जब भी हम इसे ब्रश करते
हैं तो यह सॉलिड पार्टिकल्स हमारे नामल पर घिस घिस कर सारे प्लैक और अटके हुए फूड पार्टिकल्स को निकाल ते हैं स्क्रब करके और हम में से मोस्ट ऑफ दी लोग ऐसे ही एब्रेजिव्स वाले टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करते हैं लेकिन इनमें दो बड़े प्रॉब्लम्स है नंबर वन फर्क नहीं पड़ता कि इसकी कंपनी मार्केटिंग कैसे कर रही है बट ये सिर्फ और सिर्फ सुपरफिशियल यानी कि ऊपर ऊपर के ही दाग निकालते हैं हां ये आपके दांतों के ऊपर बायो फिल्म्स वगैरह निकाल देंगे लेकिन जो दाग नामल के गहरे लेयर्स में घुस चुके हैं उनको तो
ये छू भी नहीं पाएंगे निकालना तो दूर की बात है और इसीलिए कई पीले दांत वाले लोग या फिर दाग वाले दांत वाले लोग ब्रश घस घस थक जाएंगे मगर पीलेपन से मुक्ति ही नहीं मिलेगी अच्छा दूसरा प्रॉब्लम यह दांतों को साफ तो कर देते हैं बट क्योंकि ये एब्रेजिव है इसीलिए ये नामल को धीरे-धीरे घिसते घिसते पतला भी करते जाते हैं ये नामल की सतह पर से कैल्शियम और फॉस्फेट मिनरल्स को इरोड करके डीमिनसे भी कॉज कर सकते हैं और इसीलिए कई डेंटिस्ट इलेक्ट्रिक टूथ ब्रशस ज्यादा रिकमेंड करते हैं क्योंकि इसमें प्रेशर सेंसिटिविटी होती
है ताकि आप दांतों पर ज्यादा प्रेशर लगाकर जोर-जोर से ना घस इसी चीज को आप दूसरी तरीके से भी काउंटर कर सकते हो आप फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट भी इस्तेमाल कर सकते हो जो बेसिकली घसे हुए नामल में मिनरल्स डिपॉजिट करने का काम करते हैं सो इवन अगर लेट्स से आप बहुत ही ज्यादा एसिडिक डाइट कंज्यूम करते हो या सॉफ्ट ड्रिंक्स वगैरह की आपको हैबिट है तो उसकी वजह से आपके दांतों के अगर नामल इरोड हो गया है तो फ्लोराइड टूथपेस्ट काफी हद तक रिमिनिरलाइजेशन कर सकता है और आपके नामल के हार्डनेस को रिस्टोर करेगा बट
इसके बाद भी जैसे कि हमने देखा ये टूथपेस्ट दांतों में गहरे घुसे हुए स्टेंस को तो दांतों से नहीं ही निकाल पाते और इसीलिए इससे कई ज्यादा इफेक्टिव है यह सेकंड कैटेगरी ऑफ टीथ वाइटनर्स ब्लीचिंग केमिकल्स ब्लीचिंग ट्रीटमेंट्स अब तक का बाय फार मोस्ट इफेक्टिव ट्रीटमेंट रहा है टीथ वाइटिंग के लिए और इनमें भी हाइड्रोजन पेरोक्साइड और कार्बेमाइड पेरोक्साइड ये दो ब्लीचिंग एजेंट्स सबसे ज्यादा इफेक्टिव है 2021 की एक यूरोपियन रिसर्च में जब सभी तरह के वाइटिंग प्रोडक्ट्स और ट्रीटमेंट्स को कंपेयर किया गया तो पाया गया वो प्रोडक्ट्स जिसमें या तो हाइड्रोजन पेरोक्साइड है या
कार्बो माइट पेरोक्साइड यूज किया गया है उन प्रोडक्ट्स के रिजल्ट्स सिग्निफिकेंट बेहतर थे किसी भी और ट्रीटमेंट मेथड से और इसीलिए ये दो केमिकल्स टीथ वाइटिंग के गोल्ड स्टैंडर्ड हो गए हैं अब टेक्निकली अगर देखा जाए तो कार्बेमाइड पेरोक्साइड भी हमारे दांतों में जाकर हाइड्रोजन पेरोक्साइड में ही डीकंपोज हो जाता है सो अंत में हाइड्रोजन पेरोक्साइड ही वो मेन ब्लीचिंग एजेंट है जो वाइट निंग लाता है सो ये कुछ इमेजेस है हाइड्रोजन पेरोक्साइड के वाइट निंग के काफी ड्रास्ट्रिंग प्रोडक्ट्स तो सीधा 15 से 20 शेड वाइट करने की गारंटी दे देते हैं और इसीलिए मोस्ट
ऑफ द इंडियन सेलिब्रिटीज भी यही वाइटिंग ट्रीटमेंट्स करवाते हैं या तो डेंटिस्ट के पास जाकर या फिर ऑनलाइन प्रोडक्ट्स के जरिए सो आखिर ये हाइड्रोजन पेरोक्साइड इतने पावरफुल तरीके से टीथ वाइट निंग कैसे कर लेता है वेल जैसे कि हमने जाना था कि दांत पीले या डाक होते ही इसीलिए है क्योंकि इनमें पिगमेंट वाले केमिकल्स क्रोमोजन चिपक जाते हैं और दांतों की डीप लेयर्स तक घुस जाते हैं बट दैट्ची रिलीज करता है जो काफी रिएक्टिव होता है और इसीलिए यह ऑक्सीजन हमारे दांतों में घुसकर इन क्रोमोजन के क्लम्स को छोटे-छोटे माइक्रोस्कोपिक टुकड़ों में तोड़ देता
है जिस वजह से डिसइंटीग्रेट होने की वजह से यह क्रोमोजन के स्टेंस हमें नजर आना बंद कर देते हैं यह रिएक्शन एक सिंपल सा केमिकल रिएक्शन होता है जो आप कॉमनली अपने लाइफ में भी देखते हो जैसे अगर आपको अपनी वाइट शर्ट की चमक को वापस से लौटाना है तो आप उसे ब्लीच में डालते हो या फिर कभी आपके फेवरेट शर्ट या ड्रेस पर गलती से ब्लीच गिर गया हो तो वो दर्द आप समझ सकते हो वो अपना कलर गवा देती है क्योंकि यही सेम ब्लीचिंग मैकेनिज्म उन कपड़ों के पिगमेंट्स को भी ऑक्सिडाइज कर देता
है अब यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि ऑलमोस्ट सारे के सारे ब्लीचेज में ना मेन एक्टिव एलिमेंट जो रूट लेवल पर काम करता है ऑक्सीजन ही होता है आपने नोटिस किया होगा जैसे ही आप ब्लीचिंग पाउडर को पानी में डालते हो तो करके झाग निकलने लगता है यह वही ऑक्सीजन है जो रिलीज हो रहा है जो दाग निकालता है अब चाहे कपड़े के ब्लीचेज हो उनमें या तो ऑक्सीजन ब्लीच यूज़ होता है या फिर क्लोरीन ब्लीच जो भी एंड में जाकर ऑक्सीजन ही रिलीज करके वाइट निंग क्रिएट करेगा सेम टीथ ब्लीचिंग के
लिए भी है चाहे हाइड्रोजन पेरोक्साइड या कार्बेमाइड पेरोक्साइड रूट लेवल पर ऑक्सीजन ही वो वाइटिंग इफेक्ट एक्चुअली में क्रिएट करेगा सो अब आप ये तो समझ गए हो कि टीथ वाइटिंग इंडस्ट्री का गोल्ड स्टैंडर्ड क्या है अब अगला सवाल ये कैसे यूज किया जाता है और क्या इसके कोई साइड इफेक्ट्स या हेल्थ रिस्क तो नहीं है सो वेल इट टोटली डिपेंड्स ऑन आपका गोल क्या है मैं आपको स्लाइड टीथ वाइट निंग यानी कि दो से तीन शेड से लेकर मॉडरेट टीथ वाइटिंग यानी कि पांच से छह शेड और एक्सट्रीम टीथ वाइट निंग यानी कि आठ
से 10 शेड तीनों के ऑप्शंस एक्सप्लेन कर दूंगा उनके प्रोज एंड कॉन्स के साथ और फिर आपकी मर्जी आप इस पर खुद और रिसर्च करके अपना फाइनल डिसीजन ले सकते हो सो चलो बात करते हैं कि अगर आपको अपने दांतों को दो से तीन शेड अगर वाइट करना हो तो क्या ऑप्शंस अवेलेबल है अच्छा अब एक बहुत ही बड़ा नोट हां सबसे पहले तो आपको टीथ येलोइंग वाले जो हैबिट्स है ना उसको ही कंट्रोल में लाना होगा जैसे हमने पहले जाना था हाईली एसिडिक सॉफ्ट शुगर चिवी शुगर और स्टिकी शुगर चीजों को खाना लिमिट करो
और अगर खा भी लिया तो उसके बाद हमेशा मुं धोने की एक आदत बनाओ स्पेशली रात के सोने से पहले अगर मीठा खा लिया हो तो वरना वो दांत के लिए जहर बन जाएगा और टीथ येलोइंग तो कॉज करेगा ही बट दांत को जो डैमेज करेगा वो अलग तो ये सारे बेस्ट प्रैक्टिसेस जिनके बारे में हमने पहले बात किया वो तो फर्स्ट स्टेप होगा वरना एक तरफ आप दांत को सफेद करने जा रहे हो ट्रीटमेंट्स करवा के और दूसरी तरफ से वापस से पीले कर रहे हो अब दो से तीन शेड्स दांतों को अगर वाइट
करना है ना तो उसके लिए आपको एक कंपैरेटिव सेफर और वीकर ब्लीचिंग एजेंट की जरूरत होगी क्योंकि ब्लीच या किसी भी तरह का ऑक्सीडेंट हमारे बॉडी के सॉफ्ट टिशूज के लिए हार्मफुल होता ही है अगर यह ज्यादा मात्रा में हमारे गम्स या टंग के कांटेक्ट में आ जाए तो ये इंफ्लेमेशन सेंसिटिविटी ब्लीडिंग से लेकर वर्स्ट केस सिनेरियो में अल्सर्स भी कॉज कर सकते हैं यही वजह है कि कमर्शियल टूथपेस्ट में पेरोक्साइड की मात्रा पर रोक लगाया जाता है बट ये कंट्री टू कंट्री भी डिपेंड करता है जैसे यूरोपियन यूनियन के लॉ के अनुसार टूथपेस्ट में
हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा 0.1 पर से ज्याद नहीं हो सकती यही वैल्यू फिर 3.5 है यूएसए में और इंडिया में तो वाइटिंग टूथपेस्ट में पेरोक्साइड का इस्तेमाल करना ही बैंड है और इसीलिए आपको पेरोक्साइड वाले टूथपेस्ट इंडिया में मिलेंगे नहीं बट डोंट वरी इंडिया में एक बेटर अल्टरनेटिव अवेलेबल है पोटैशियम पेरोक्सी मोनोसल्फेट या सिंपली मोनोपरसल्फेट और एमपीएस जो अगेन एक ब्लीचिंग एजेंट है बट गुड न्यूज़ इज अमेरिकन जर्नल ऑफ डेंटिस्ट्री के 2023 के ही रिसर्च के अनुसार 1 पर पोटैशियम मोनोपरसल्फेट सेफ एंड वायबल ऑप्शन है टीथ वाइटिंग के लिए और भी कई सारी स्टडीज है
जो सिमिलर चीज प्रूव करती है और इंडिया में यह टोटली अवेलेबल भी है जैसे यह टूथपेस्ट कोलगेट विजिबल वाइट ऑक्सीजन वाइट निंग अब मैंने इसे पर्सनली भी ट्राई किया है कुछ चार-पांच दिन पहले ही मैंने खरीदा था एंड ये यस इससे आप एटलीस्ट दो से तीन शेड्स तो एक्सपेक्ट कर ही सकते हो या उससे थोड़ा बहुत ज्यादा भी और मुझे यह परफेक्टली सेफ भी लगा अब अगर आपको भी इसे ट्राई करना है तो एक 00 के छोटे पैक का लिंक मैं नीचे डिस्क्रिप्शन में डाल दूंगा आई एम पर्सनली हैप्पी विद द प्रोडक्ट और साइंस बैकड
भी है सो इट्स अ विन विन अब अगर लेट्स से आपको इससे और भी ज्यादा पांच शेड्स तक टीथ वाइट निंग करवानी है तो रिस्क थोड़ा सा बढ़ जाएगा बट रिजल्ट्स भी देखो ऐसा नहीं है कि आप मुह खून की उल्टियां करने लगोगे बट अगर आपके दांत वीक या सेंसिटिव है और आपको एक्स्ट्रा सेफ रहना है तो आप एक बार डेंटिस्ट से कंसल्ट कर सकते हो इस कैटेगरी में आएंगे ऑनलाइन प्रोडक्ट्स जैसे वाइट निंग स्ट्रिप्स या जेल्स जिनमें अराउंड 3 से 10 पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है या फिर दूसरे और प्रोडक्ट्स जो कि 10 पर
से 20 पर कार्बो माइड पेरोक्साइड यूज करते हैं बेसिकली 10 पर कार्बो माइट पेरोक्साइड अंत में जाकर कुछ 3.5 से 4 पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड में ही कन्वर्ट होने वाला है अब यहां पर यह प्रोडक्ट जो मैंने देखा स्ट्रिप बेस्ड है जो वैसे तो 20 शेड्स वाइट निंग प्रॉमिस कर रहा है बट पेरोक्साइड बेस सलूशन से आप एटलीस्ट पांच शेड्स तो एक्सपेक्ट कर ही सकते हो इस किट में कुछ 14 वाइटिंग स्ट्रिप्स है जिनमें यूजुअली ब्लीचिंग एजेंट्स ही होते हैं और एक एलईडी लाइट है जो इन ब्लीचिंग एजेंट्स के पेनिट्रेशन को और स्ट्रांग बनाता है वो
बात अलग है कि लेटेस्ट रिसर्चस बताते हैं कि इन लाइट्स का ज्यादा कुछ असर नहीं होता है बट ये स्ट्रिप्स डेफिनेटली रिजल्ट दिखाने के कैपेबल है सो अगर आप थोड़ा सा सीरियस वाइट निंग कंसीडर कर रहे हो सो यह प्रोडक्ट और वाइट निंग टूथपेस्ट का कमो बहुत ही पावरफुल कॉमिनेशन हो सकता है और एटलीस्ट फाइव प्लस शेड्स का वाइट निंग तो दे ही देगा इस प्रोडक्ट पर रिसर्च करना हो तो इसका भी देखो यह इतना पावरफुल क्यों है क्योंकि डेंटिस्ट 40 पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड तक के जेल्स को यूज करते हैं और पेनिट्रेशन के लिए यूवी
लाइट्स यूज करते हैं जो कि आप घरों में ट्राई भी नहीं कर सकते प्लस वो सेफ्टी और इफेक्टिव नेस दोनों का ख्याल रखते हैं जिस वजह से इंस्टेंट वाइटिंग मिलती है डेंटिस्ट के क्लीनिक में जाकर यह प्रोसीजर करवाने से आप इजली आठ से 10 शेड्स तक भी वाइटिंग एक्सपेक्ट कर सकते हो सिंगल या मल्टीपल सेटिंग्स के बाद अब फाइनली फ्रेंड्स कुछ बहुत ही कम लोगों के दांतों का कलर परमानेंटली पीला ही रहता है या फिर परमानेंट डार्क ब्राउन कलर के धब्बे अब यह बहुत ही रेयरली होता है और कई केसेस में जेनेटिक भी होता है
किसी बीमारी की वजह से भी कभी-कभार हो जाता है या फिर कभी-कभार ट्रामा या चोट लगने की वजह से भी किसी दांत के डीपर लेयर्स इसकी डेंटिन के ब्लड वेसल्स बर्स्ट होने की वजह से भी होता है यू नो ऐसे किस्म के ट्रामा में ब्लड दांतों में एकदम डीप डेंटिस में ट्रैप हो जाता है और ऑक्सीडो करर डाक शेड ले लेता है इन प्रॉब्लम्स का ना सिर्फ और सिर्फ एक ही सलूशन है जो एक प्योर कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट है और वो है आर्टिफिशियल [संगीत] विनियर्ड मेंट करवा लिया ना तो आपको 10 से 15 सालों तक येलो
दांत की चिंता ही नहीं करनी होगी क्योंकि ये विनियर्ड या कंपोजिट मटेरियल के कवर या कैप की तरह होते हैं ये एक तरह से फेक नेल्स लगाने के जैसा ही कांसेप्ट है सो गाइस नाउ लेट मी आस्क यू टीथ वाइट निंग और येलोइंग को लेकर आपका कांसेप्ट क्लियर हुआ ना देखो सबसे इंपॉर्टेंट है चीजों के रूट्स और फंडामेंटल्स की अंडरस्टैंडिंग डिवेलप करना और बाकी का दुनिया भर का रिसर्च आप खुद ही कर लोगे क्योंकि आपके पास सही डायरेक्शन होगा इस वीडियो के रिसर्च में सबसे माइंड ब्लोइंग चीज मुझे पर्सनली यह लगी कि कैसे आज से
10000 साल पहले के हमारे जंगली पूर्वजों के दांत हमसे ज्यादा वाइट और स्ट्रक्चर्ड थे ये इस चीज को भी दर्शाता है कि कैसे एक बहुत ही सिंपल सा बदलाव रियल बदलाव फार्मिंग के इन्वेंशन ने कुछ अनवांटेड सेकंड डिग्री और थर्ड डिग्री चेंजेज भी क्रिएट किए और लाइफ में भी ऐसा ही तो होता है कोई भी एक्शन लेने से पहले हमारी नजरें तो सिर्फ फर्स्ट डिग्री चेंज पर ही जाती है सो हमें भी अपनी लाइफ में सिर्फ शॉर्ट साइटेडनेस नहीं बल्कि लॉन्ग साइटेडनेस भी रखना चाहिए एटलीस्ट साइंस के सिद्धांत तो हमें यही सिखाते हैं सो उम्मीद
है इस वीडियो में जो भी आपने सीखा उसे प्रैक्टिकली यूज करके अपने दांतों की सेहत और कॉस्मेटिक अपीयरेंस को आप इंप्रूव करोगे अपने दांतों पर चार चांद की चमक लगा दोगे थैंक्स फॉर वाचिंग जय विज्ञान जय हिंद [संगीत]