दोस्तों आज की कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी अक्सर हम कई मौकों पर कुत्तों का नाम लेकर मिसाल दिया करते हैं किसी को गाली देते हैं तो कुत्ते का नाम जुबान पर आता है गाली आदमी को देते हैं पर नाम कुत्ते का बदनाम होता है क्या कुत्ता इतना गया गुजरा जीव है हमने उसे कभी खिलाने पिलाने के बारे में तो नहीं सोचा चाहे कितने ही दिन से भूखा द्वार पर पड़ा हो लेकिन हमें कभी उसका नाम इस्तेमाल करने में लज्जा नहीं आई आपसे निवेदन है 5 मिनट का समय निकालकर इस कहानी को जरूर सुन
लेना शायद आपकी सोच बदल जाए नमस्कार दोस्तों, बोधी थिन्क्स्पाय यूट्यूब चैनल में आपका दिल से स्वागत है। अगले दिन सुरेश उस महात्मा से मिलने के लिए निकल गया वह पहुंचकर सुरेश ने देखा कि महात्मा अपने आश्रम में कुछ लोगों को उपदेश दे रहे थे तभी सुरेश ने महात्मा को प्रणाम किया और कहा गुरुदेव मेरे मन में एक प्रश्न उठ रहा है महात्मा ने कहा भंते ने संकोच होकर पूछो आपके मन में वह कौन सा प्रश्न उठ रहा है तब सुरेश ने कहा गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हूं कि कुत्ते को एक टुकड़ा रोटी खिलाने से
मनुष्य को कौन सा फल मिलता है तभी महात्मा ने बताया अगर मनुष्य कुत्ते को रोटी खिलाने के आठ फायदे जान जाए तो कभी दुखी नहीं होगा भंते कुत्ते को एक टुकड़ा रोटी खिलाने से मनुष्य को आठ फायदे होते हैं तथा जो भी मनुष्य इन फायदों के बारे में जान जाता है उसका जीवन धन्य हो जाता है और उसको जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है जो भी मनुष्य पृथ्वी लोक पर कुत्ते को एक टुकड़ा रोटी खिलाता है उसे आठ फायदे होते हैं और वह जीवन भर सुखी रहता है और उसे मृत्यु के
बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है महात्मा ने कहा भंते तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं ध्यान से सुनना फिर तुम्हें सब पता चल जाएगा एक समय की बात है एक काले रंग का कुत्ता था वह बहुत ही लाचार था और भूखा प्यासा था वह गांव में सभी के घर-घर जाता था परंतु उसे कोई भी व्यक्ति रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं देता था वह भूख के मारे इधर उधर घूमता रहता एक दिन वह गांव के बाहर नदी के किनारे एक ऋषि के आश्रम पर पहुंच गया और ऋषि से कहने लगा हे मुनिवर मुझे लगता है आप
बहुत ही विद्वान तथा ज्ञानी है इसीलिए मैं भूखा प्यासा आपके पास आया हूं कृपा करके आप मुझे एक टुकड़ा रोटी का दे दीजिए जिसे मैं खाकर अपनी भूख को शांत कर लूं तभी वह ऋषि कहते हैं हे स्वान क्या तुम्हें गांव में एक टुकड़ा रोटी का किसी ने नहीं दिया जिसे तुम खाकर अपनी भूख मिटा सको वह कुत्ता ऋषि से कहता है हे मुनिवर मैं आपको क्या बताऊं आप मेरी बातों पर विश्वास नहीं करोगे तभी वह रश्य कहते हैं स्वान तो बताओ तुम्हारी बातों पर मैं विश्वास अवश्य करूंगा मुझे तुम बहुत ही लाचार दिखाई पड़ते
हो तभी वह कुत्ता कहता है ठीक है मुनिवर मैं आपको अपनी बीति बताता हूं कुत्ता अर्षि से कहता है हे मुनिवर दुनिया के लोगों हम पर रहम करो हमारा कोई घर नहीं होता है कोई आसरा नहीं होता है कमाकर खाना हमें नहीं आता है हमें वस्त्र भी पहनने का ज्ञान नहीं है इसलिए सर्दी गर्मी और बरसात में हम ऐसे ही घूमते रहते हैं हमें पढ़ना लिखना भी नहीं आता मुनिवर आपकी तरह हमें अनुशासन नहीं आता हमें आपकी तरह बोलना नहीं आता यह हमारा दुर्भाग्य ही समझिए परंतु हमें आपकी तरह भूख भी लगती है चोट लगने
पर हमें आपकी तरह पीड़ा भी होती है हमें आपकी तरह रोना भी आता है बस इन्हीं तीन कामों में हम आपकी बराबरी करते हैं इसलिए हम पर दया दिखाइए हमें और कष्ट मत दीजिए ईश्वर ने तो हमें वैसे भी कष्ट देकर ही भेजा है ऊपर से आप लोग हमें परेशान करते हैं हम आपकी तरह मनुष्य नहीं है हम पराधीन जीव हैं जब हमारा जन्म हुआ उस समय हमारे आंख कान बंद थे कह नहीं सकते कि उस समय आपके जन्म पर जैसे नाच गाना होता है बाजे बजते हैं खुशी मनाई जाती है हमारे जन्म पर भी
यह सब हुआ होगा हमारे जन्म पर किसने खुशी मनाई होगी हम जिस बिछौना पर थे वह रुई का नरम तो था सर्दी बिल्कुल नहीं लगती थी मैं मन में सोच रहा था कि किसी बड़े घर में पैदा हुआ हूं लेकिन जब हमारी आंख खुली तो मैंने देखा कि हमारी मां जिसे आप लोग कुतिया बोलते हो वह अपने पांच बच्चों को छाती से चिपका कर एक राह के ढेर में पड़ी थी हम पांच भाई थे बाकी चार भाई तो लाल और भूरे रंग के थे मैं अकेला ही काले रंग का था सब छोटा मैं ही था
इसलिए कमजोर था मेरी मां हम लोगों के पास कम ही आती थी क्योंकि उसे भी अपने भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती थी यदि वह ना खाती तो हमें दूध कहां से पिलाती उस एक मां पर हम पांच भाई निर्भर थे वह बेचारी अपने भोजन के लिए इधर-उधर दौड़ती रहती थी कभी भोजन मिल भी जाता था कभी नहीं भी मिलता था लेकिन वह हमेशा हम पांचों का बड़ा ख्याल रखती थी आखिर वह हमारी मां थी वह रात भर जाग करर गांव की रखवाली करती थी किसी की मजाल नहीं थी कि कोई अनजाना आदमी बुरी नियत से
गांव की तरफ भी झांक जाए दूसरे गांव के कुत्ते भी हमारी मां के डर से गांव में नहीं आते थे गांव के किसी किसान के खेत में कोई जानवर खड़ी फसल खाने आते तो हमारी मां उसे दौड़कर भगा देती गांव वालों के लिए इतना सब करने के बाद भी कोई कोई मनुष्य तो हमारी मां को भोजन तक नहीं देता था भोजन के लिए हमारी मां को मजबूर होकर छीना झपटी करनी पड़ती थी कई बार तो लोग उसे लाठी डंडों से पीट पीट कर भगा देते थे बेचारी उस दिन भूखी प्यासी रहकर पेट की आग से
जलती रहती थी वह कहता है हे मुनिवर आखिर भूख तो हमें आपकी ही तरह लगती है ऊपर से उसे अपने पांचों बच्चों की चिंता भी लगी रहती थी आखिर मां जो थी भूख उसे चैन से बैठने नहीं देती थी और गांव वालों का भी उसे देखकर हृदय नहीं पसीजता था तो बेबस होकर उन लोगों के घरों में में चोरी से घूम पड़ता था और खाने की कोई चीज मिल जाती तो उसे खाकर अपने पेट की आग बुझा लेती थी कई बार तो लोग उसे खाने की वस्तु ले जाते हुए देखते तो लाठी डंडे लेकर उसके
पीछे पड़ जाते कुछ निर्दय लोग तो कई बार उसे घर के अंदर बंद करके पीटते थे हमारी मां का बुरा हाल कर देते थे फिर वह कुत्ता आर्शी से कहता है हे मुनिवर हमारी मां ने क्या बिगाड़ा था उसने सिर्फ अपने पेट के लिए भोजन ही तो चुराया था चोरी करने का हमें कोई शौक नहीं है पर पापी पेट हमें यह सब करने के लिए मजबूर कर देता है एक दिन की बात है बड़ी जोरदार बरसात हो रही थी ओले पड़े थे ठंडी हवा चल रही थी उस ठंड में ठिठुर कर हमारे तीन भाई मर
गए उस दिन हमारी मां बहुत रोई थी लेकिन मनुष्य हमारी पीड़ा को नहीं समझा क्योंकि उसके बच्चे थोड़े ही मरे थे फिर वह कुत्ता कहता है हे मुनिवर अब हम सिर्फ दो भाई रह गए थे हमारी मां हम दोनों की अच्छे से देखभाल करने लगी फिर एक दिन उसी गांव में एक सेठ के घर पर दावत चल रही थी और अनेक प्रकार की मिठाइयां बन रही थी सेठ जी के घर काफी मेहमान आए हुए थे हमारी मां कुछ खाने की तलाश में बार-बार उधर जाती लेकिन लोग उसे दुत्कार कर भगा देते थे किसी को उस
पर इतना भी तरस नहीं आया कि एक रोटी उस बेचारी को खाने को फेंक दे एक रोटी से उनका क्या बिगड़ जाता मेरी मां बार-बार जाती और वहीं खड़ी-खड़ी देखती रहती थी सेठ जी के आंगन में दावत खाने का सिलसिला चालू हुआ भोजन परोसा जाने लगा मेरी मां भी वहीं जाकर पूछ हिलाने लगी खाना परोसने वाला आदमी जब किसी काम से भीतर गया तो मेरी मां दबे पांव रोटी लेने को चल पड़ी फिर दूसरे आदमी ने मेरी मां को जाते हुए देख लिया तो चारों ओर से लोग चिल्ला चिल्लाकर उसकी तरफ भागे मेरी मां उनकी
चीख सुनकर घबरा गई दो तीन आदमी लाठी लेकर उसके पीछे बड़े बेहर से दौड़े मेरी मां वहां से घबराकर भागने लगी परंतु उसे वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला क्योंकि सामने से लोग लाठी डंडे लेकर आ रहे थे तभी मेरी मां वहां पर जो लोग भोजन कर रहे थे उनको लांघ कर निकल गई आगे वह कुत्ता कहता है हे मुनिवर मेरी मां अपने निकलने पर इतनी हैरान नहीं थी जितनी कि उन लोगों को देखकर हुई थी जो वहां पर दावत खा रहे थे वह सब उठकर खड़े हो गए उन्होंने भोजन करना छोड़ दिया
और कहने लगे कि कुतिया के लांग जा जाने के कारण भोजन भ्रष्ट हो गया है सब एक दूसरे से विचार विमर्श कर रहे थे कि अब क्या किया जाए खाना तो सब खराब हो गया है फिर सेठ जी फूट फूट कर रोने लगे कुछ लोग तो यह भी कह रहे थे कि भाई कुतिया के लाने से भोजन खराब कैसे हो गया उसने खाने में या पतलो में मुंह थोड़ी डाला है सिर्फ ऊपर से लांग कर ही तो गई है और कहने लगे शहरों में तो लोग कुत्ते को पालकर घर के अंदर सुलाते भी हैं और
खिलाते भी हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है अगर कुतिया लांघ कर गई है तो भोजन खराब नहीं हुआ है लेकिन उनमें से कुछ लोग बड़े घरों से ताल्लुक रखते थे उन्होंने एक भी नहीं चलने दी कह रहे थे कि भोजन तो भ्रष्ट हो गया है यह हमारे खाने के लायक नहीं है आखिरकार उन्हीं की बात मानी गई अब तो वह सारा भोजन गरीबों में बांट दिया गया उस दिन तो मेरी मां को खूब पेट भर के खाना मिला था ऐसा सुख उसने जीवन में कभी नहीं पाया था लेकिन वह सुख उसके लिए बड़ी
मुसीबत बन गया वह भोजन करके वहां आराम से लेटी ही थी उतने में वह सेठ डंडा लेकर वहां आ पहुंचा और उसे बुरी तरह से पीटने लगा उसे वहां से भागने का भी कोई अवसर नहीं मिल पाया डंडों की चोट से वह बुरी तरह से चिल्लाने लगी मां का विलाप सुनकर पत्थर भी पिघल जाता है पर उस निर्दय को उस पर जरा भी रहम नहीं आया वह उसे कठोरता पूर्वक पीटता रहा मां का वह सौर पूरे गांव में सुनाई दे रहा था तब कुछ लोग आए और उसे समझाते हुए बोले सेठ जी जाने दो भूख
में तो आदमी की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है यह तो एक पशु है इसे अच्छे बुरे का क्या ज्ञान अब इसे मारकर आपको क्या मिलेगा जो होना था सो हो गया लोगों के समझाने के बाद उसने हमारी मां को पीटना बंद किया फिर बड़ी मुश्किल हालात में वह हमारे पास आई मां ने आकर सारी कहानी हम दोनों भाइयों को सुनाई हमने सोचा कि कितना कष्ट भरा है हम कुत्तों का जीवन आदमी एक रोटी के टुकड़े के बदले एक चोर के जितना पीटता है बेकार है ऐसे लोग जो हम लोगों की पीड़ा को नहीं समझते
वह कुत्ता कहता है हे मुनिवर एक दिन की बात है उसी गांव के बाहर एक ब्राह्मण आकर ठहरा हुआ था उसने अपने भोजन के लिए एक जगह चुल्ला बनाया और उस पर दाल बनाने के लिए रख दी उसके बाद आटा गोद कर रख दिया वह वहीं पास में कुएं पर पानी लेने चला गया इधर कहीं से मेरी मां भी घूमती हुई वहीं पहुंच गई उसने आटे को देखा तो सोचने लगी कि शायद इस आटे का कोई मालिक नहीं है यही सोचकर वह उस आटे को खाने लगी उधर उस ब्राह्मण ने कुएं के पास से देखा
कि उसका आटा एक कुतिया खा रही है तो वह बड़ा दुखी हुआ वह बेचारा रोने लगा क्योंकि वह भी दो दिनों का भूखा और थका हुआ था कुछ लोगों ने उसे कहा अरे ब्राह्मण देवता इस कुतिया ने तुम्हारा भी आटा बिगाड़ दिया कल तो इसने ने सेठ जी की पूरी रसोई बिगाड़ कर रख दी ब्राह्मण दुखी होता हुआ बोला भाई मुझे क्या मालूम था यह दुष्ट कुतिया मेरे आटे को खाने के लिए घात लगाए बैठी है ब्राह्मण ने ना आव देखा ना ताव लाठी लेकर उस कुतिया के ऊपर टूट पड़ा मां उस आटे को ठीक
से खा भी नहीं पाई थी पर उससे ज्यादा की उस पर लाठी बरस गई महीनों तक मेरी मां लड़खड़ाते हुई घूमती रही तब उस दिन समझ में आया कि आदमी कितना खुदगर्ज है हम उसका कोई भी कार्य करते हैं तो भी वह हमें नहीं समझता आगे वह कुत्ता कहता हे मुनिवर हमारी कमी यह है कि हम उन्हीं मतलबी इंसानों के अधीन रहना चाहते हैं जो हमें कष्ट देता है जो हमें प्यार से खिलाता है हम उसके कितने काम आते हैं यह नहीं पता उनके घर की रखवाली तो करते ही हैं साथ ही साथ और भी
बहुत सारे लाभ हैं जिन्हें मनुष्य नहीं जानता महात्मा ने कहा यदि मनुष्य कुत्ते को रोटी खिलाने के फायदे जान तो अपने जीवन में होने वाले नुकसान से बच सकता है आज मैं आपको बताऊंगा कुत्ते को रोटी खिलाने के आठ फायदे मनुष्य को पता नहीं है कि जब भी घर में रोटी बनाई जाती है तो सबसे पहली रोटी गौ माता की होती है और पिछली रोटी कुत्ते की होती है महात्मा ने कहा ऐसा ही विधान भगवान ने बनाया था लेकिन भगवान के बनाए उस विधान को भूलकर मनुष्य अगली और पिछली रोटी स्वयं ही खा जाता है
इसका दुष्प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है कुत्ता वह प्राणी है जिसको रोटी खिलाने से मनुष्य के जीवन में पड़ने वाले ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं महात्मा ने कहा कुत्ते को रोटी खिलाने का पहला फायदा कुत्ते को रोटी खिलाने से क्षण का नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है ण ग्रह जब अपनी कुदृष्टि डालता है तो हर मनुष्य बर्बाद हो जाता है जिस व्यक्ति पर उनकी महादशा का आरंभ हो जाता है तो बने बनाए काम अपने आप बिगड़ने लगते हैं और वह मनुष्य आर्थिक तंगी का शिकार हो जाता है उस स्थिति में व्यक्ति यदि
कुत्ते को रोटी खिलाता है तो उस पर क्ण का दुष्प्रभाव बहुत ही कम हो जाता है कुत्ते को रोटी खिलाने का दूसरा फायदा कुत्ते को रोटी खिलाने से भाग्य आपके पक्ष में हो जाता है आपके घर के अंदर नकारात्मक शक्ति नष्ट हो जाती है कुत्ते को रोटी खिलाने का तीसरा फायदा कुत्ते को रोटी खिलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और आपके घर में धन दौलत की कभी कमी नहीं रहती है कुत्ते को रोटी खिलाने का चौथा फायदा कुत्ते को रोटी खिलाने से आपके ऊपर कर्ज नहीं चढ़ता और जो पहले से आप कर्जदार हैं
उससे भी मुक्ति मिल जाती है कुत्ते को रोटी खिलाने का पांचवा फायदा कुत्ते को सुबह शाम भोजन देने से आपका व्यापार बहुत अच्छे से चलता है कुत्ते को रोटी खिलाने का छठा फायदा कुत्ते को रोटी देने से आपकी आयु में वृद्धि होती है और अटका हुआ धन वापस मिल जाता है कुत्ते को रोटी खिलाने का सातवां फायदा कुत्ते को रोटी देने से हमेशा आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और मानसिक रूप से आप मजबूत रहते हैं आपका मन हमेशा ऊर्जावान रहता है अच्छे विचार आपके मन के अंदर आते हैं कुत्ते को रोटी खिलाने का आठवां
फायदा कुत्ते को रोटी खिलाने से भगवान प्रसन्न रहते हैं क्योंकि भगवान को समस्त जीवों की चिंता रहती है और जो समस्त जीवों पर दया खाता है भगवान भी उस मनुष्य से हमेशा प्रसन्न रहते हैं भगवान की कृपा सदैव उस परिवार पर बनी रहती है आपने अपने बूढ़े बड़ों से सुना होगा कहते हैं कि जब कुत्ता रोता है तो अब सुगुन होता है कोई संकट आता है किसी की मृत्यु होती है इसलिए कुत्ते को कभी रुलाना नहीं चाहिए इस प्रकार से महात्मा ने सुरेश को कुत्ते को रोटी खिलाने के आठ फायदे बताए और जो भी मनुष्य
कुत्ते को रोटी खिलाता है तो उसे इन आठों फायदों का फल प्राप्त होता तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह कहानी आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताना और अच्छी लगी हो तो इस चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लेना तो चलिए मिलते हैं ऐसी ही कोई नई कहानी में तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमोह बुद्धाय