India-Pakistan Partition Explained

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Nitish Rajput
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Video Transcript:
मेजॉरिटी में हिंदू हैं इलेक्शन होगा तो हिंदू जीतेगा लॉ बनाएगा तो वह भी हिंदू बनाएगा तो मुस्लिम कहां जाएंगे जिन्ना ने तो मौलवी और मौलाना का जो पूरा कांसेप्ट था उसको ही क्रिटिसाइज कर दिया ट्रेनों में लाशें भर के भेजी बंटवारे में ऑफिस के जो टाइपराइटर और टेबल थे उनको भी नहीं छोड़ा वह भी आधे आधे बांट दिए इन लोग ये इंडियन नेशनल कांग्रेस तो हिंदू पार्टी है 6 पर लीडर्स को अगर छोड़ दिया जाए तो सारे हिंदू रखे हैं इन्होंने जिन्ना तो कह रहे हैं कि हिंदू और मुस्लिम साथ में ही नहीं रह सकते
तो फिर पंजाब और बंगाल के हिंदू क्यों चाहिए जिन्ना ने कह दिया था कि इंडिया के सारे मुस्लिम्स का जो रिप्रेजेंटेटिव है वो मैं हूं तुम सबके लीडर हो तो हम क्या करें हम सब जॉब छोड़ दें और सेम टाइम पे सावरकर ने बुक लिख के हिंदू राष्ट्र की डिमांड कर दी और आरएसएस को भी सारे लीडर ने सेम ईयर में बना दिया अगर ऐसा है तो कैंडिडेट खड़ा होगा तो मुस्लिम खड़ा होगा वोट भी खाली मुस्लिम करेगा हिंदू वोट नहीं कर [संगीत] पाए देखिए इससे पहले हमने बात की थी ईस्ट इंडिया कंपनी की कि
कैसे एक मसाले का बिजनेस करने आई छोटी सी कंपनी ने हमारे देश को गुलाम बना लिया था और फिर क्या-क्या करके हमने उनसे आजादी ली उसके ऊपर भी वीडियो बनाई थी और आज यह जो वीडियो है इसमें हम बात करेंगे कि जब आजादी मिल गई थी तो फिर ऐसी क्या मजबूरियां बन गई थी उस टाइम पे कि इंडिया का पार्टीशन करना पड़ा और बड़े से बड़े दिग्गज जो थे वो इस चीज को रोक क्यों नहीं पाए आज 77 साल हो चुके हैं इस पार्टीशन को लेकिन आज भी आपको लोग बहस करते हुए दिख जाएंगे कि
ये जो पार्टीशन हुआ ये सही हुआ या गलत हुआ क्या सच में ऐसी कोई चीज हो सकती थी जो इस पार्टीशन को रोक देती एक्चुअल में इसका जिम्मेदार कौन है और देखिए जब भी हमारे देश के पार्टीशन की बात होती है तो हमारे इमोशंस जो है वो बहुत ज्यादा हाई रहते हैं जिस तरीके से हमारे लिए जिन्ना विलन है वैसे ही आप पाकिस्तान में जाके बात करोगे तो वहां पे नेहरू और गांधी जी को गलत बताया जाता है और कुछ का ये भी मानना है कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल या फिर सुभाष चंद्र बोस
जी होते तो ये जो मैटर था ये वहीं पर सॉल्व हो गया होता आप अगर इस मुद्दे पर कभी किसी से बात करोगे तो हर कोई कहता है कि ये नहीं होना चाहिए था हम तो चाहते ही नहीं थे कि ऐसा हो सब लोग आपस में प्यार से रहते थे ये तो नेताओं ने मजबूरी बना दी थी लेकिन जब उस टाइम पर एक दूसरे को मारने काटने की बात आई तो कोई भी पीछे नहीं हटा नफरत ऐसी थी कि 15 से 20 लाख लोगों को काट दिया गया था देखिए इस पार्टीशन के बाद कई लोग
सड़क प आ गए थे अपना घर जमीन काम छोड़ के उन्हें फिर से शुरुआत करनी पड़ी थी वैसे तो वो टाइम एकदम अलग था लेकिन आप आज भी फाइनेंशियल सिक्योरिटी की वही वैल्यू है फ्यूचर सिक्योर करने के लिए अब लोग अलग-अलग तरह की इन्वेस्टमेंट्स करते हैं जिसमें से स्टॉक मार्केट एक है अब देखिए स्टॉक मार्केट के अंदर फायदे की गारंटी तो कोई नहीं ले सकता लेकिन आप करेक्ट नॉलेज से अपने फायदे की प्रोबेबिलिटी जरूर बढ़ा सकते हैं जैसे पिछले 1 साल में बनना इंजीनियरिंग का स्टॉक 20 टाइम्स इंक्रीज हुआ है क्योंकि इनको 1700 करोड़ के
ऑर्डर्स मिले थे ऐसे ही आदित्य विजन के कई स्टेट्स में स्टॉक एक्सपेंशन करने के बाद उनका स्टॉक प्राइस 100 टाइम्स बढ़ा और ऐसे ही के एपीआई ग्रीन को जब बड़े ऑर्डर्स मिले तो उनका स्टॉक प्राइस बढ़ा तो इससे आप समझ सकते हैं कि इन कंपनीज के प्राइस बढ़ने में लॉजिक था तो अगर आपके पास कंपनी के ऑर्डर्स एक्सपेंशन सेल्स और प्रॉफिट जैसी इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन है तो आप लॉजिकली बेटर डिसीजन ले पाओगे लेकिन इस तरीके की इंफॉर्मेशन निकालने के लिए आपका बहुत ज्यादा टाइम जाएगा और इसका सॉल्यूशन दिया है सोवन ने ये बहुत इजी है विद
इन फ्यू क्लिक्स आप देख सकते हैं किस कंपनी को बड़े ऑर्डर्स मिले किसका एक्सपेंशन हुआ कंपनी का प्रॉफिट क्या है और ऐसे और भी बहुत सारे इंपोर्टेंट डाटा और सोवन की जो इंफॉर्मेशन है ये कोई प्रेडिक्शन नहीं है बल्कि एनएससी और बीएससी से सोर्सड एक्यूरेट इंफॉर्मेशन है सॉवरेन आपके टाइम की रिस्पेक्ट करता है और सिर्फ इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन देता है और इसके साथ-साथ सॉवरेन अपने नए यूजर्स को 45 डेज का फ्री ट्रायल देता है और आप यहां पे फेमस इन्वेस्टर आदित्य जोशी से इन्वेस्टिंग भी सीख सकते हैं वो भी बिल्कुल फ्री में तो आज ही सोवन
पप को डाउनलोड करें लिंक इज इन द डिस्क्रिप्शन तो टॉपिक पे वापस आते हैं तो एक्चुअल में उस टाइम पे ऐसी क्या सिचुएशन बन गई थी और मजबूरी ऐसी क्या फंसी थी कि बड़े से बड़े महारती जो थे उनकी भी स्ट्रेटेजी फेल हो रही थी और इस पार्टीशन के बीच जिम्मेदार कौन है गलती किसकी है एक-एक डिटेल मैं आपके सामने रखूंगा ताकि अगली बार जब आपके सामने कोई पार्टीशन की बात करें तो आपको एक्चुअल डिटेल पता हो तो देखिए ये है कराची और कराची के इस खराद डिस्ट्रिक्ट के इस घर में उस टाइम पे ब्रिटिश
इंडिया का पार्ट था तो इस घर में एक जिन्ना बाई पूंजा नाम से एक बिजनेसमैन रहता था और इस बिजनेसमैन के यहां पे 25th ऑफ दिसंबर 187 सिस को एक लड़के का जन्म होता है जिसका नाम पड़ता है मोहम्मद अली जिन्ना जो इस पूरी सिचुएशन का सबसे मेन कैरेक्टर है जिन्ना के जो दादा थे वो पहले हिंदू थे लेकिन बाद में इन्होंने मुस्लिम रिलीजन को अपना लिया था इनके दादा पहले खोजा कास्ट से थे खोजा कास्ट के लोग पहले हिंदू हुआ करते थे फिर बाद में इन्होंने इस्लाम रिलीजन अपना लिया था और फिर आगे जिन्ना
जो थे उन्होंने भी मुस्लिम रिलीजन को ही फॉलो किया अब जैसे-जैसे जिन्ना बड़े होने लगे तो जिन्ना ने कराची के क्रिश्चन मिशनरी सोसाइटी हाई स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी की और फिर इसके बाद ये लंदन चले गए और वहां जाके अपनी लॉ की पढ़ाई करने लगे अब काफी टाइम तक जिन्ना लंडन में रहने के बाद वहां पे अपनी पढ़ाई करने के बाद वकीलों के बीच में रहने के बाद जिन्ना ईयर 18960 आते-आते बम्बे में जाके अपनी लीगल प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं और इस टाइम पे जो आजादी की लड़ाई वगैरह चल रही थी इससे बिल्कुल
दूर थे और गांधी जी जो थे वो भी उस टाइम पे साउथ अफ्रीका में थे तो कहने का मतलब है कि जिन्ना और गांधी जी उस टाइम पे अंग्रेजों के खिलाफ जो आजादी की स्ट्रगल चल रही थी उससे बिल्कुल दूर थे और उस टाइम पे किसी ने नहीं सोचा था कि ये जो दोनों हैं आगे चलके कितना बड़ा काम करने वाले हैं देखिए उस टाइम पे ब्रिटिश इंडिया का जो मैप था वो ये था ये जो आप ब्लू में देख रहे हैं ये प्रिंसली स्टेट्स थे जिनको ब्रिटिशर्स इनडायरेक्टली रूल करते थे और बाकी ये जो
पूरा येलो एरिया है इसको ब्रिटिशर्स डायरेक्टली रूल करते थे और ये जो येलो एरिया है आगे चलके इसी एरिया का पार्टीशन होना था बाकी प्रिंसली स्टेट क्या है डायरेक्टली और इनडायरेक्टली कैसे रूल करते हैं ये सब हमने ऑलरेडी डिस्कस कर लिया इस वीडियो में हम सिर्फ और सिर्फ पार्टीशन की बात करेंगे उस टाइम पे करीब टोटल पॉपुलेशन 38 करोड़ थी जिसमें से 65 पर हिंदू थे और 27 पर मुस्लिम थे और इसमें से भी ब्रिटिश इंडिया का ये जो आप नॉर्थ वेस्ट और नॉर्थ ईस्ट का एरिया देख रहे हो इसमें जो थी वो मुस्लिम पॉपुलेशन
जो थी वो मेजॉरिटी में थी जैसे खाबर पख्तून में 94 पर बलूचिस्तान में 87 पर सिंध में 71 पर पंजाब में 57 पर बंगाल में 55 मुस्लिम थे और बाकी जितनी जगह थी वहां पे हिंदू मेजॉरिटी में थे ये जो सारी डिटेल मैं आपको बता रहा हूं ये इसलिए बता रहा हूं क्योंकि यही सेंसस का जो डटा था यही इस पार्टीशन की आगे चलके जड़ बनता है अब देखिए काफी टाइम तक ये सारी चीजें चलती है इसके बाद ईयर आता है 1903 और फ्रीडम फाइटर जो थे इन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था
हिंदू मुस्लिम सारी कम्युनिटी जो थी वो एक साथ मिलके अंग्रेजों को परेशान कर रही थी और इसमें भी सबसे ज्यादा दिक्कत जो ब्रिटिशर्स के सामने आ रही थी वो बंगाल से आ रही थी उस टाइम का बंगाल प्रोविंस जो था वो बहुत ही बड़ा था आज का वेस्ट बंगाल बिहार आसाम छत्तीसगढ़ झारखंड बांग्लादेश यह सब आता था उसमें जितने भी फेमस पॉलिटिशियन थे लॉयर्स इंटेलेक्चुअल्स बंगाल से ही ब्रिटिशर्स को निशाना बनाते थे तो कहने का मतलब है कि उस टाइम पे बंगाल जो था वो रिवोल्यूशन एक्टिविटीज का हब बन चुका था और इस वजह से
ब्रिटिशर्स जो थे इस पूरे जगह से बहुत ज्यादा गुस्सा रहते थे अब होता क्या है कि जब ये सारी एक्टिविटीज बहुत ज्यादा बढ़ने लगती हैं तो इसके 2 साल बाद यानी कि ईयर 1905 में वाइस रॉय लॉर्ड कर्जन बंगाल से डील करने के लिए एक प्लान बनाते हैं उनको वहां पर रहते-रहते एक चीज समझ में आ गई थी कि इंडियंस को रिलीजन के नाम पे बांटा जा सकता है और अगर ये किसी तरीके से इनकी यूनिटी ब्रेक कर देते हैं तो इनको मैनेज करना बहुत आसान हो जाएगा और ये जो नेशनलिज्म की फीलिंग भरी हुई
है सारे इंडियंस में ये रिलीजियस ट्रेड में कन्वर्ट हो जाएगी तो इसके लिए लॉर्ड कर्जन जो थे वो जुलाई 1905 को एक अनाउंसमेंट करते हैं इसमें ये कहते हैं कि बंगाल जो है ये बहुत ही ज्यादा इसका एरिया बड़ा है इसकी वजह से एडमिनिस्ट्रेशन में बहुत दिक्कत आ रही है तो बंगाल का पार्टीशन करना पड़ेगा और बंगाल जो था एज अ होल पूरे बंगाल के अंदर हिंदू जो थे वो मेजॉरिटी में थे लेकिन बंगाल का जो ईस्ट साइड था वहां पे मुस्लिम पॉपुलेशन ज्यादा थी तो लॉर्ड कर्जन ने क्या किया एक प्लान तरीके से बंगाल
को डिवाइड किया उसने जो बंगाल का ईस्ट एरिया था जहां पे मुस्लिम मेजॉरिटी ज्यादा थी उसको ईस्ट बंगाल बना दिया आज की डेट में वो बांग्लादेश है और बाकी जो बचा बंगाल था उसको वेस्ट बंगाल बना दिया अब जब अंग्रेजों ने बंगाल का पार्टीशन किया तो ईस्ट बंगाल के अंदर जो मुस्लिम्स थे वो पहले बंगाल के अंदर माइनॉरिटी थे लेकिन अब ईस्ट बंगाल बनते ही मेजॉरिटी में आ गए थे और हिंदू जो पहले मेजॉरिटी में थे वो माइनॉरिटी बन गए थे ईस्ट बंगाल के अंदर और बाकी जो वेस्ट बंगाल के लोग थे वहां एस ज्यादा
कोई दिक्कत नहीं थी वहां जैसे पहले था वैसे ही रहा लेकिन वेस्ट बंगाल के लोग भी गुस्सा हो गए थे क्योंकि उनके हाथ से आधा बंगाल चला गया था इंडिपेंडेंस नॉ यट ब रिजिंग टन क्ली इ हर एंड मनिंग फल हिंदू एंड मुस्लिम सीक सेफ्टी एंड ू सराउंडिंग पीस लविंग पीपल अब ये जो बंगाल का पार्टीशन हुआ था इस चीज को लेके इंडियन नेशनल कांग्रेस ने सबको इकट्ठा किया आंदोलन करना स्टार्ट किया कि बंगाल का जो पार्टीशन है ये गलत है लेकिन कहीं ना कहीं ईस्ट बंगाल के जो मुस्लिम्स थे उनको इस पार्टीशन से उतनी
ज्यादा दिक्कत नहीं हुई जैसे पहले एक साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाती थी धरने दिए जाते थे इस बार ये जो बंगाल का पार्टीशन हुआ था इसको लेके जो धरने वगैरह दिए जा रहे थे ईस्ट बंगाल के जो मुस्लिम्स थे एक सेगमेंट था मुस्लिम्स का वो इसमें एक्टिवली पार्टिसिपेट नहीं कर रहे थे और यह पहली बार एक ऐसी सिचुएशन बनी थी जहां पे एक साथ आंदोलन करने की बजाय यह डिस्कशन स्टार्ट हो गया था कि ये जो इंडियन नेशनल कांग्रेस है ये हिंदुओं की पार्टी है पूरी पॉपुलेशन के 26 पर मुस्लिम्स हैं लेकिन कांग्रेस
ने अपनी पार्टी में सिर्फ 6.59 पर मुस्लिम डेलिगेट्स रखे हैं और डिस्कशन यह था कि कल को अगर अंग्रेज चले भी गए कि लड़ाई तो सब लोग लड़ रहे हैं लेकिन मुस्लिम्स जो हैं उनकी तो फिर भी नहीं चलेगी क्योंकि कांग्रेस तो हिंदुओं की पार्टी है इलेक्शंस भी होंगे तो हिंदू ही जीतेंगे तो आजादी के बाद भी हमारी उतनी नहीं चलेगी लेकिन इंडियन नेशनल कांग्रेस ने इस चीज को भांप लिया था उनको समझ में आ गया था कि यह जो रिलीजियस एंगल उठने लगा है ये इस पूरे मूवमेंट को खराब कर देगा तो उन्होंने अपने
हर स्टेप में एक ही स्टांप रखा वो स्टांप ये था कि उन्होंने ये कहा कि देखिए रिलीजन जो है वो आपका एक प्राइवेट मैटर है रिलीजन के बेस पर पॉलिटिक्स करना बहुत ही डेंजरस हो सकता है और उन्होंने हर कम्युनिटी को जाकर यही चीज समझाई कि हम अंग्रेजों के खिलाफ जिस आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें हम एक सेकुलर इंडिया को देखते हैं जिसमें हर धर्म हर कम्युनिटी के लिए ज जगह होगी आपको कोई भी डरने की बात नहीं कांग्रेस ने यही मैसेज कन्वे किया कि नेशनलिज्म और देश जो है वो किसी भी धर्म
या कम्युनिटी से बड़ा होता है इनफैक्ट जो उस टाइम पे धर्म की बात करते थे उनको कांग्रेस वाले कम्युनल बोलते थे लेकिन ये जो बंगाल का पार्टीशन हुआ था इसमें हिंदू मुस्लिम के बीच में एक दरार पड़ चुकी थी और अंग्रेजों का जो प्लान था वो काम करने लगा था और ये जो टाइम चल रहा था इसी बीच में जिन्ना की भी एंट्री होती है पॉलिटिक्स में ईयर 1906 में कांग्रेस कलकाता के अंदर एक सेशन कर रही थी इसी में जिन्ना आए थे और जिन्ना ने कांग्रेस को जवाइन कर लिया था देखिए थोड़ा सा जिन्ना
के बारे में मैं बता देता हूं आपको जिन्ना की जो आज इमेज है उस टाइम पे जिन्ना के जो पर्सनल बिलीफ थे वो बिल्कुल अलग थे उस टाइम पे जो जिन्ना थे वो सेकुलरिज्म की बहुत ज्यादा बात करते थे कांग्रेस की सेकुलर आइडियो जीी से बहुत ज्यादा इंप्रेस थे और जिन्ना जो थे वो मौलाना मौलवी को बहुत क्रिटिसाइज करते थे जिन्ना का जो लाइफस्टाइल था वो ट्रेडिशनल इस्लामिक प्रैक्टिसेस से बहुत ही अलग था सरोजिनी नायडू जी ने ऑन रिकॉर्ड जिन्ना को एंबेसडर ऑफ हिंदू मुस्लिम यूनिटी तक का टैग दिया था लेकिन आगे चलके सारी चीजें
घूमें मेंगी अभी आप थोड़ा सा वेट करिए बस तो अब अंग्रेजों ने बंगाल का पार्टीशन तो कर दिया था इसको लेके पूरा जो इंडियन नेशनल कांग्रेस था वो धरने वगैरह दे रहे थे प्रोटेस्ट कर रहे थे सेम टाइम पे जिन्ना की भी एंट्री हो गई थी उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर लिया था और इसी टाइम पे एक चीज और हो जाती है होता क्या है कि जब यह सारी चीजें चल रही थी तो सेम ईयर 1906 में ईस्ट बंगाल जो अभी-अभी डिवाइड होके नया स्टेट बना था जहां पे मुस्लिम मेजॉरिटी में थे वहां पे ढाका शहर
के अंदर अभी तो बांग्लादेश हो गया व वहां पे मुस्लिम्स की एक मोहम्मद एजुकेशनल कान्फ्रेंस चलती थी ये हर साल वहां पे होती थी लेकिन अब क्या था कि डिवाइड हो गया था तो ईस्ट बंगाल के अंदर हो रही थी इसमें मुस्लिम कौम की जो ग्रोथ वगैरह है इन सारी चीजों पर डिस्कशन होता था तो इस बार जो ढाका के अंदर ये सेशन हुआ ये थोड़ा सा अलग था यहां के सेशन में डिस्कशन ये हुआ कि ये जो इंडियन नेशनल कांग्रेस है जो इंडियन मुस्लिम्स और हिंदू दोनों को रिप्रेजेंटेटिव बनने का दावा कर रही है
ये तो एक हिंदू पार्टी है पूरे देश में मेजॉरिटी में हिंदू हैं इलेक्शन होंगे तो हिंदू ही जीतेंगे सरकार आएगी तो हिंदुओं की आएगी और फिर जो लॉ है वो भी हिंदू ही बनाएंगे तो हमारे रिप्रेजेंटेशन का क्या तो इस मीटिंग के अंदर इन्होंने डिसाइड किया कि जैसे इंडियन नेशनल कांग्रेस है इसमें हिंदू ज्यादा हैं ऐसे ही हम एक मुस्लिम पॉलिटिकल पार्टी बनाएंगे जो मुस्लिम्स की बात को आगे रखेगी और इंडिया के जितने भी मुस्लिम्स हैं उनका रिप्रेजेंटेशन करेगी और यही वो टाइम था जब 38 ऑफ दिसंबर 1906 को इन्होंने मिलके ऑल इंडिया मुस्लिम लीग
नाम से पार्टी बना दी इसका एम यह था कि जो मुस्लिम्स की बातें हैं उनको आगे रखा जाएगा और मुस्लिम्स को ज्यादा से ज्यादा रिप्रेजेंटेशन मिले इसको लेके अपनी बात आगे रखेंगे और ऐसा नहीं था कि ऐसे ही बस इन्होंने पार्टी बना दी थी एक प्लान तरीके से ब्रिटिशर्स के सामने इन्होंने सेपरेट इलेक्टोरेट्स जो थी वो इंडिया के हिंदू और मुस्लिम्स किसी की भी बात हो सारी बातें ब्रिटिशर के सामने इंडियन नेशनल कांग्रेस ही रखती थी लेकिन ये पहली बार हुआ था कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के पैरेलल में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग आके खड़ी हो
गई थी और अंग्रेजों के सामने अलग से डिमांड रखती थी तो मुस्लिम लीग जब बनी तो इन्होंने अंग्रेजों के सामने यह डिमांड रखी कि मुस्लिम्स को अब सेपरेट इलेक्टोरेट्स इलेक्टरेट क्या है और इसकी डिमांड क्यों रख रहे थे मुस्लिम लीग वाले देख जब नॉर्मल इलेक्शन होते हैं तो कोई भी खड़ा हो सकता है जिसको ज्यादा वोट मिलेंगे वो जीत जाता है अब इसमें दिक्कत यह होती है कि जो कम्युनिटी नंबर्स में ज्यादा होती है जिसको वोह चाहते हैं वही इलेक्शन बार-बार जीतता है और ऐसे में जो माइनॉरिटी होती है जिसके लोग कम होते हैं उसके
चुने हुए लोग कभी पावर में आ ही नहीं सकते क्योंकि अल्टीमेटली तो वोट ही काउंट होंगे तो मुस्लिम लीग ने ये जो सेपरेट इलेक्टरेट की डिमांड रखी थी इसमें ये कहा इन्होंने कुछ जगह पे हमें सेपरेट इलेक्टरेट दे दो इसमें होगा ये कि वहां पे सिर्फ मुस्लिम कैंडिडेट्स ही खड़े होंगे और जो वोट करेंगे वो भी सिर्फ मुस्लिम्स ही होंगे बाकी कोई और नहीं करेगा मान लो एक एरिया है वहां पे 100 लोग रहते हैं जिसमें से 60 मुस्लिम्स हैं और 40 जो है वो बाकी की कम्युनिटी हैं और अगर सेपरेट इलेक्टरेट का सिस्टम होगा
तो ये जो 60 मुस्लिम्स हैं सिर्फ यही वोट करेंगे बाकी के जो 40 लोग हैं वो वोट नहीं करेंगे और जो कैंडिडेट्स खड़े होंगे वो भी मुस्लिम स ड़ होंगे इससे होगा यह कि माइनॉरिटी के जो लोग हैं वह भी पावर में आएंगे और अंग्रेज ऐसी ही सिचुएशन चाहते थे जिसमें इंडियन कम्युनिटी पावर के चक्कर में आपस में उलझे रहे अब आपका एक क्वेश्चन इसमें ये भी हो सकता है कि क्या उस समय पे इलेक्शंस होते भी थे क्योंकि पावर में तो ब्रिटिशर्स थे तो देखिए उस टाइम पे लिमिटेड रिप्रेजेंटेशन के साथ इनडायरेक्ट इलेक्शंस होते
थे हर कोई वोट नहीं कर सकता था बस कुछ सिलेक्टेड प्रॉपर्टी ओनर टैक्स पेयर्स और एजुकेटेड इंडिविजुअल्स जो थे वही वोट कर पाते थे मेनली अमीर लोग ही वोट कर पाते थे जिनको ब्रिटिशर्स चाहते थे ये मुस्लिम लीग जो बनी थी इसके प्रेसिडेंट उस समय मोहम्मद शाह थे और जिन्ना जो थे वो उस समय कांग्रेस में थे और वो इस चीज को क्रिटिसाइज करते थे कि ये जो मुस्लिम लीग अलग से सेपरेट इलेक्टरेट मांग रही है इससे डिवाइड होंगे लोग तो ये चीज को वो क्रिटिसाइज करते थे लेकिन आगे चलके सिचुएशन ऐसे चेंज होगी कि
जिन्ना खुद ही सेपरेट इलेक्टोरेट्स लीग उस समय बनी थी तो इसमें ऐसा नहीं था कि सारे के सारे मुस्लिम्स का सपोर्ट आ गया था बस कुछ अमीर मुस्लिम्स जो लैंडलॉर्ड थे उनका ही सपोर्ट था मुस्लिम लीग को बाकी जो सपोर्ट था मुस्लिम्स का वो कांग्रेस को ज्यादा था और यही रीजन था कि इंडियन नेशनल कांग्रेस जो थी वो कहती थी कि ये जो मुस्लिम लीग है ये जो कह रही है कि इंडिया के जो सारे के सारे मुस्लिम्स हैं उनके हम रिप्रेजेंटेटिव हैं तो ऐसा कुछ भी नहीं है इंडिया के जो हिंदू और मुस्लिम जितनी
भी कम्युनिटी है सबके रिप्रेजेंटेटिव हम हैं यानी कि इंडियन नेशनल कांग्रेस है लेकिन आगे चलके ब्रिटिशर्स ने मुस्लिम लीग को एक अलग तरीके से सपोर्ट करा ताकि वो उनके लॉयल बने रहे और कांग्रेस चाहती थी कि पैरेलल में आके मुस्लिम लीग खड़ी हो क्योंकि तभी वो मैनेज हो पाएंगे तो अब इसके कुछ टाइम बाद यानी कि ईयर 1909 में मुस्लिम लीग वाले क्या करते हैं ये जो उनकी सेपरेट इलेक्टोरेट्स लीग वाले शिमला पहुंचते हैं और लॉर्ड मेंटो और लॉर्ड मोर्ले से जाके मिलते हैं उनके सामने अपनी सारी डिमांड रखते हैं कि उनको कैसे भी करके
सेपरेट इलेक्टोरेट्स जो थे वो बड़े आराम से इस डिमांड को मान लेते हैं तो उस टाइम पे यूनाइटेड प्रोविंस बंगाल पंजाब बमबे प्रेसिडेंसी मद्रास प्रेसिडेंसी सेंट्रल प्रोविंस यहां पे अंग्रेज कह देते हैं कि अब यहां पे मुस्लिम्स के लिए सेपरेट इलेक्टोरेट्स काउंसिल में भी मुस्लिम्स के लिए सीट जो थी वो रिजर्व कर दी गई यह जो ईयर 1909 के मोर्ले मिंटो रिफॉर्म्स थे इसके आने के बाद मुस्लिम लीग बहुत ज्यादा खुश हो जाती है इनफैक्ट इंडिया की जो पूरी मुस्लिम पॉपुलेशन थी उसके अंदर भी मुस्लिम लीग बहुत ज्यादा पॉपुलर होने लगती ये जो मुस्लिम लीग
ने सेपरेट इलेक्टोरेट्स को इस एक इंसिडेंट की वजह से बहुत ही कम टाइम में मुस्लिम लीग जो थी वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के पैरेलल में आके खड़ी हो गई थी और अब जब मुस्लिम लीग की पॉपुलर बढ़ती है तो जिन्ना जो कि कांग्रेस में थे उन्होंने ईयर 1913 में मुस्लिम लीग को जवाइन कर लिया मतलब कि कांग्रेस को छोड़ा नहीं उन्होंने एक साथ कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों को जॉइन किया उस टाइम पे जिन्ना का यह कहना था कि ऐसा करके यह हिंदू मुस्लिम यूनिटी को मेंटेन कर पाएंगे और मुस्लिम लीग और कांग्रेस जो ये
जो अलग-अलग रास्ते पे चल रही है इससे काफी दिक्कतें आएंगी आजादी में तो एक रास्ता बनाया जाएगा जिससे मुस्लिम लीग और कांग्रेस जो है वह एक साथ आके अपने मेन गोल को अचीव करें ब्रिटिशर्स से आजादी ना कि आपस में लड़े और इस चीज से कांग्रेस जो थी वो भी खुश थी क्योंकि कांग्रेस कुछ भी करके मुस्लिम लीग को अपने साथ ही रखना चाहती थी वो और डिवाइड नहीं करना चाहती थी और मुस्लिम लीग जवाइन करने के बाद जिन्ना जो थे वो इन दोनों की मीटिंग करवाते हैं लखनऊ के अंदर जिसको लखनऊ पैक्ट के नाम
से भी जाना जाता है तो इस मीटिंग के अंदर मुस्लिम लीग जो है वो कुछ डिमांड रखती है अपनी मुस्लिम लीग कांग्रेस से कहती है कि हम आपके साथ तभी आएंगे जब आप हमें जो सेपरेट इलेक्टोरेट्स मुस्लिम कैंडिडेट्स की सीट्स हैं उनको थोड़ा सा बढ़ा दो आप अब वैसे तो कांग्रेस जो थी वो रिलीजन के बेसिस पे सीट्स मिलना इन सब चीजों के खिलाफ थी लेकिन कांग्रेस जैसे तैसे करके इस चीज को मान लेती है और कहती है कि आजादी की जो लड़ाई चल रही है ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट इसमें आप हमारे साथ आके खड़े हो
जाओ तो इस लखनऊ पैक्ट के अंदर कांग्रेस और मुस्लिम लीग जो है वो एक एग्रीमेंट पे आ जाते हैं इस टाइम पे कांग्रेस के अंदर भी कई हिंदू नेशनलिस्ट लीडर थे जैसे लाला लाजपत राय मदन मोहन मालविया ये इन सारी चीजों से ज्यादा खुश नहीं हो रहे थे तो उन्होंने एक काम किया कि जैसे मुस्लिम्स के लिए मुस्लिम लीग है तो उन्होंने ईयर 1915 में हिंदू महासभा बना दी थी ताकि हिंदुओं की भी बात आगे रखी जा सके और अभी तक ये जितनी भी चीजें चल रही थी इंडिया के अंदर गांधी जी इससे थोड़ा दूर
थे लेकिन इस टाइम पे एंट्री होती है गांधी जी की इसी टाइम पे गांधी जी साउथ अफ्रीका से इंडिया वापस आ जाते हैं और यहां से कांग्रेस जो बैकफुट प जा रही थी हर चीजें माननी पड़ रही थी उसकी सिचुएशन जो है वो बदल जाती है गांधी जी जब आए थे तो उन्होंने क्या-क्या किया था कांग्रेस किस तरीके से जॉइन की थी वो सारी चीजें हमने ऑलरेडी डिस्कस कर रखी है तो मैं वो सारी चीजें नहीं डिस्कस करूंगा सिर्फ पार्टीशन पे ही फोकस रखूंगा अब गांधी जी के आने के कुछ टाइम बाद एक सिचुएशन बनती
है उस टाइम दुनिया के अंदर फर्स्ट वर्ल्ड वॉर जो थी वो खत्म हुई थी और एलाइड पावर जो थी जिसमें ब्रिटिश एंपायर था उसने ऑटोमन अंपायर को हरा दिया था और उस टाइम पे ऑटोमन एंपायर के जो हेड होते थे उनको कैलिफ यानी खलीफा कहा जाता था और पूरे वर्ल्ड के जो मुस्लिम्स थे वो इनको अपना स्पिरिचुअल और रिलीजियस लीडर मानते हैं क्योंकि ये हजरत प्रॉफिट मोहम्मद के सक्सेस ससर थे तो उस टाइम पर हुआ यह था कि वॉर जीतने के बाद एलाइड पावर जिसमें ब्रिटिश अंपायर भी था इन्होंने ऑटोमन अंपायर को बांटना शुरू कर
दिया था और अपने अंडर में लेना शुरू कर दिया था और ऐसे एरियाज जिसमें मुस्लिम्स के होली प्लेसेस थे जिनके ऊपर कैलिफ यानी खलीफा का कंट्रोल था वो सारे एरिया भी ये अपने अंडर लेने लगे थे और इस पर्टिकुलर चीज से पूरे वर्ल्ड के जो मुस्लिम्स थे बहुत ज्यादा गुस्सा थे पूरी दुनिया में प्रोटेस्ट हो रहे थे तो इंडिया के अंदर भी प्रोटेस्ट स्टार्ट हुए उसको खिलाफत मूवमेंट भी बोला जाता है इंडिपेंडेंस इ नॉ यट ब कट रिजिंग टर्न क्विकली इन हरर एंड मनिंग शल हिंदू एंड मुस्लिम सीक सेफ्टी एंड यू सराउंडिंग पीस लविंग पीपल
और अली ब्रदर जो थे उन्होंने इस खिलाफत मूवमेंट को इंडिया के अंदर स्टार्ट किया था अब गांधी जी ने इसको हिंदू मुस्लिम यूनिटी के लिए एक अपॉर्चुनिटी की तरह देखा तो गांधी जी खिलाफत मूवमेंट के जो अली ब्रदर्स थे इनसे जाके मिलते हैं कि हम यह जो आपकी खिलाफत मूवमेंट है इसमें आपका पूरा सपोर्ट करेंगे अंग्रेजों के खिलाफ हिंदू मुस्लिम सब मिलके अंग्रेजों के खिलाफ आएंगे और इस चीज को लेकर गांधी जी ने एक-एक हिंदू से अपील की कि खिलाफत मूवमेंट के सपोर्ट में आए कई सारी कॉन्फ्रेंस भी की उसी टाइम पर कांग्रेस का नागपुर
में सेशन चल रहा था गांधी जी ने उसके अंदर भी मुस्लिम्स के साथ-साथ हिंदुओं को भी जोड़ के खिलाफत इशू को डिस्कस किया था अब इससे हुआ ये कि इंडिया के जो मुस्लिम्स थे वो कन्वेंस हुए और कांग्रेस के सपोर्ट में आए कांग्रेस जो कहती थी कि हम इंडिया के अंदर हिंदू और मुस्लिम्स दोनों के रिप्रेजेंटेटिव हैं ये चीज और स्ट्रांग हो गई और कांग्रेस की जो सेकुलर अप्रोच थी जिसमें कहा गया था कि इंडिया एक सेकुलर देश होगा हिंदू मुस्लिम सब एक साथ रहेंगे ये चीज और स्ट्रांग हो गई थी कहने का मतलब है
कि कांग्रेस जो है वो स्ट्रांग हो गई थी और इस टाइम पे मुस्लिम लीग जो थी वो थोड़ी डाउन पड़ी थी वो जो दावा कर रही थी कि इंडिया के सारे मुस्लिम्स की वो रिप्रेजेंटेटिव है उसका ये दावा थोड़ा हल्का पड़ गया था अब इसके बाद एक और बहुत ही सरप्राइजिंग चीज होती है जिन्ना जो थे वो कांग्रेस और मुस्लिम लीग से रिजाइन मार देते हैं एक तो वो कहते हैं कि जब से गांधी जी आए हैं और जिन तरीकों का यूज़ करके वो नॉन कॉपरेशन मूवमेंट और सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट चला रहे हैं उससे जिन्ना
बिल्कुल भी खुश नहीं है दूसरी चीज जिन्ना का ये कहना था कि कांग्रेस जो है और ये जो मुस्लिम लीग है ये रिलीजियस पॉलिटिक्स कर रहे हैं जिसके वो खिलाफ थे तो यही सारे रीजन बता के जिन्ना जो थे वो रिजाइन मार के लंडन चले जाते हैं लेकिन इसमें यह भी कहा जाता है कि जिन्ना इसलिए चले गए थे क्योंकि कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों में उनको कोई पूछ नहीं रहा था कांग्रेस के अंदर गांधी जी की चल रही थी और मुस्लिम लीग में मुख्तार अहमद अंसारी जो थे वो अपनी चला रहे थे तो इस
वजह से जिन्ना जो थे वो गुस्से में गांधी को तानाशाह बोल के पॉलिटिक्स वगैरह छोड़ के सीधे लंदन चले गए थे तो अब इसके काफी टाइम तक हिंदू मुस्लिम जो हैं वो साथ में मिलकर काम करते हैं ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट में अपनी बातें रखते हैं लेकिन ईयर 1923 में ब्रिटिशर्स क्या करते हैं पंजाब के अंदर एक मुस्लिम मेजॉरिटी वाला एरिया था तो वहां पे ब्रिटिशर्स क्या करते हैं एक मुंसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1923 लेके आ जाते हैं और ये जो एरिया था जहां पे मुस्लिम मेजॉरिटी में थे पहले जितनी मुस्लिम्स की सीट थी उससे ज्यादा सीट
रिजर्व कर देते हैं मुस्लिम्स के लिए और जो हिंदू पॉपुलेशन थी उनकी सीट एकदम से कम हो जाती है अब इस इंसिडेंट की वजह से जो हिंदू थे वहां के वो भड़क जाते हैं कि सेपरेट इलेक्टो रेट भी दिया जा रहा है मुस्लिम्स को सेंट्रल लेजिस्लेटिव काउंसिल में भी अलग से सीटें रिजर्व की जा रही हैं और यहां पे भी हमारी सीट कम कर दी गई है तो इसकी वजह से इस पूरे एरिया में हिंदू मुस्लिम जो टेंशन थी वो दोबारा से बढ़ने लग गई थी और इस चीज का इंपैक्ट जो था वो इंडिया के
बाकी पार्ट में भी पड़ा तो हिंदू महासभा ने भी कहा कि अगर ऐसी बात है तो हिंदू जो हैं उनको भी रिलीजन के नाम पे ज्यादा सीटें दो और सेम टाइम पे वीर सावरकर जो कि अंडमान के सेल्यूलर जेल में बंद थे उन्होंने हिंदुत्व हु इज अ हिंदू इस नाम से एक बुक भी लिख दी थी जिसमें हिंदुत्व और हिंदू राज बनाने की बातें कही गई थी इसको अंग्रेजों ने उसी टाइम पे बैन कर दिया था ये सारी चीजें एक ही साथ हो रही थी और उसी टाइम पे पंजाब और यूपी में आर्य समाज ने
शुद्धि कैंपेन लॉन्च कर दिया था और फिर इसका इंपैक्ट धीरे-धीरे इतना बड़ा कि 2 साल बाद हिंदू कम्युनिटी के कई लीडर्स ने मिलके आरएसएस का भी फॉर्मेशन कर दिया था तो कहने का मतलब यह है कि अब यह वो सिचुएशन थी जहां पे हिंदू मुस्लिम कम्यूनली टेंशन जो थी वो डे बाय डे बढ़ती जा रही थी और ये जो सिचुएशन थी ये अंग्रेजों को बहुत ज्यादा सूट कर रही थी जब भी कोई एकजुट होने की कोशिश करता था अंग्रेज क्या करते थे किसी एक कम्युनिटी को पकड़ के उसको बेनिफिट दे देते थे फिर दोनों कम्युनिटी
लड़ने लगती थी और ये जो ईयर 1925 था ये कांग्रेस के लिए वैसे ही बहुत टेंशन बना रहा था कांग्रेस जो एक यूनाइटेड सेकुलर भारत बनाने के लिए मुस्लिम पॉपुलेशन को अपने साथ जोड़ रही थी और उनकी बातों को कहीं ना कहीं एक मिडिल ग्राउंड पे आके डिस्कस कर रही थी तो उसके पैरेलल में हिंदू महासभा और आरएसएस जैसी ऑर्गेनाइजेशन भी खड़ी होती जा रही थी जो कांग्रेस के ऊपर हिंदुओं को लेकर भी प्रेशर बना रही थी तो कांग्रेस अगर मुस्लिम के सपोर्ट के लिए कुछ करती थी तो हिंदू कम्युनिटी बुरा मानती थी और कांग्रेस
एक हिंदू पार्टी है इसका टैग तो ऑलरेडी कांग्रेस के ऊपर था ही तो कांग्रेस कुल मिलाकर बीच में फंसी पड़ी थी और इस चीज का पूरा का पूरा फायदा जो हुआ वो मुस्लिम लीग को हुआ उसने इस मौके का फायदा उठा के ज्यादा से ज्यादा इंडिया के जो मुस्लिम्स थे वो अपनी तरफ जोड़े हिंदू महासभा हो गई आरएसएस हो गई इन्होंने बहुत ज्यादा प्रेशर बनाया कांग्रेस के ऊपर इस तरह का प्रेशर था कि अगले साल यानी कि 1926 में कांग्रेस ने बंगाल और पंजाब एरिया में जितने भी कैंडिडेट उतारे सब के सब हिंदू उतारे और
इसकी वजह से मुस्लिम पॉपुलेशन जो थी वह कांग्रेस से नाराज हो गई थी तो अब ऐसा टाइम आ चुका था कि जो मुस्लिम लीग थी उसको इंडियन मुस्लिम्स का सपोर्ट मिलने लगा था और इसी को ध्यान में रखते हुए ईयर 1930 में मुस्लिम लीग जो है वो अपना नेक्स्ट स्टेप लेती है मुस्लिम लीग के प्रेसिडेंट मोहम्मद इकबाल ने अपने अलाहाबाद सेशन में अनाउंस कर दिया कि देखिए अब ऐसा नहीं चलेगा हमें हमारा हक चाहिए यह जो पंजाब नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस जिसे खाबर पख्तून भी कहते हैं सिंध और बलूचिस्तान इन सबको जोड़ के एक स्टेट
बना दो यह पहली बार था जब मुस्लिम लीग ने एक सेपरेट स्टेट की डिमांड करी थी यह याद रखिएगा कि सेपरेट स्टेट की डिमांड की है सेपरेट कंट्री की डिमांड नहीं कि है सेपरेट कंट्री की डिमांड अभी थोड़ी देर में आएगी आगे और ये जो पाकिस्तान वर्ड था पहली बार यह वर्ड जो था वो भी इसी टाइम पे निकला था कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट चौधरी रहमत अली ने एक पंपलेट बनाया था जिसका टाइटल था नाउ और नेवर और इसी पेंपलेट में पहली बार इन्होंने पाकिस्तान नाम डिक्लेयर किया था पाकिस्तान से आई गायब था पाकिस्तान नाम
से टाइटल दिया था इसको यह पहली बार था जब यह वर्ड लोगों के सामने आया था तो इधर ये सारी चीजें चल रही थी और इसके कुछ टाइम बाद ईयर 1933 में लियाकत अली खान जो जिन्ना के बहुत ही खास थे यह लंडन में जाते हैं ये जाके वहां पे जिन्ना से जाके मिलते हैं और कहा जाता है कि इसी पर्टिकुलर टाइम पे लियाकत अली खान और जिन्ना ने ये डिस्कशन किया था कि जिन्ना को वापस इंडिया में आके मुस्लिम लीग जवाइन करना चाहिए और जवाइन करने के बाद एक अलग मुस्लिम देश की डिमांड रखनी
चाहिए जिसको 100% मुस्लिम सपोर्ट मिलेगा ये प्लान लंदन के अंदर डिस्कस हुआ था ऐसा कहा जाता है और फिर नेक्स्ट ईयर अप्रैल में यानी के अप्रैल 1934 को जिन्ना इंडिया वापस आके सबसे पहले मुस्लिम लीग जवाइन करते हैं उसके प्रेसिडेंट बनते हैं और इस बार जब जिन्ना इंडिया आए थे अपनी जो पुरानी आइडियो जीी थी उसको बिल्कुल पीछे छोड़ दिया था एकदम बदले हुए जिन्ना इंडिया वापस आए थे और उनका जो पॉलिटिकल स्टांप था इंडियन पॉलिटिक्स के अंदर उसको पूरी तरीके से चेंज कर दिया था इन्होंने मुस्लिम लीग जो थी उसको पूरी तरीके से रीऑर्गेनाइज
किया लीडरशिप चेंज की उसकी और बैक टू बैक कांग्रेस के ऊपर निशाना साधा कि कांग्रेस एक हिंदू पार्टी है मुस्लिम को अलग आइडेंटिटी चाहिए अलग देश चाहिए होगा जो टू नेशन थ्योरी थी कि हिंदू मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते जिन्ना ने इंडिया के एक-एक मुस्लिम को यह समझाना चालू किया और यूनाइट करना चालू किया जिन्ना ने मुस्लिम्स को यह समझाया कि ये जो कांग्रेस है यह यूनाइटेड सेकुलर इंडिया के नाम पे मुस्लिम्स को कुछ भी नहीं देगी सारी जो पावर है वह हिंदुओं के हाथ में रहेगी अब इसके बाद क्या होता है कि ईयर
1935 आते-आते ये जो अंग्रेज थे रिवोल्यूशन एक्टिविटीज इतनी ज्यादा ज्यादा बढ़ गई थी इंडिया के अंदर कि इनके ऊपर भी बहुत ज्यादा प्रेशर था और इन्होंने मजबूरी में इस प्रेशर को रिलीज करने के लिए यह लोग लेकर आते हैं गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 तो जैसा मैंने आपको अभी थोड़ी देर पहले बताया था कि पहले लिमिटेड लोग ही वोट कर पाते थे तो इस एक्ट में वैसे तो बहुत सारी चीजें थी लेकिन जो मेन चीज थी वो ये थी कि इलेक्शन में कौन वोट करेगा उनके जो नंबर्स हैं आम जनता के जो नंबर्स हैं वो
बढ़ा दिए गए थे अब इस एक्ट के आने के बाद जो इलेक्शन होंगे उसमें करीब 30 35 मिलियन इंडियन वोटर जो थे वो वोट करने के लिए बल हो गए थे जिसमें ये था कि थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा होना चाहिए टैक्स भरना चाहिए उसको कुछ लैंड वगर उसके नाम पे हो तो वो वोट कर सकता है तो कुल मिला के जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 आया था इसमें मोटा मोटी यह था कि पूरे इंडिया के स्टेट्स में इलेक्शन होंगे और इंडियन पॉलिटिकल पार्टी जैसे कांग्रेस मुस्लिम लीग हिंदू महासभा ये सब इलेक्शन लड़ेंगे और जो
जीतेगा वो उस स्टेट के अंदर चलाएगा और उसके साथ-साथ एक अपना ये गवर्नर भी रख देंगे उस स्टेट के अंदर तो ये प्लान था इनका और इस एक्ट को लाने के बाद नेक्स्ट ईयर 1930 36 में ये जो अंग्रेज थे ये इलेक्शन करवाते हैं टोटल 1585 सीट्स पे इलेक्शन होने थे और इस इलेक्शन में हिंदू महासभा मुस्लिम लीग जो थी इन सबको बुरी तरीके से पीछे करके कांग्रेस जो थी वो 707 सीट्स पे जीत जाती है और मुस्लिम लीग जो थी वो सिर्फ 106 सीटें जीतती है यहां तक कि हाल ये हो गया था इस
इलेक्शन में कि जो सीट्स मुस्लिम्स के लिए सेपरेट इलेक्टोरेट्स ने वहां पे भी मुस्लिम कैंडिडेट्स खड़े करके मुस्लिम लीग को हरा दिया था और इस इलेक्शन के बाद एक चीज साफ हो गई थी कि इंडिया के अंदर सारे हिंदू और मुस्लिम पॉपुलेशन के जो रिप्रेजेंटेटिव है वो कांग्रेस है मुस्लिम लीग नहीं है और ये जो इलेक्शन हुए थे ये मुस्लिम लीग के लिए बहुत बड़ा डिजास्टर थे मुस्लिम लीग बिल्कुल खुश नहीं थी और यहां से मुस्लिम लीग एक बहुत बड़ा शिफ्ट लेती है बहुत ही अग्रेसिव तरीके से अपना स्टांप बदलती है मुस्लिम लीग अब इसके
बाद ईयर आता है 1939 और इस ईयर में एक और ऐसी चीज होती है जिसकी वजह से कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोबारा से एकदम अलग रास्ता चुनती हैं एक्चुअली होता क्या है कि इस साल ब्रिटिशर्स ने बिना इंडिया की लीडरशिप से पूछे अनाउंस कर दिया कि सेकंड वर्ल्ड वॉर में ब्रिटिश एंपायर के साथ इंडिया भी है और इंडिया के जो सोल्जर्स हैं वो भी इस वॉर में पार्टिसिपेट करेंगे अब ये जो चीज थी इसको सुनके कांग्रेस जो थी वो गुस्सा हो जाती है कि हमसे बिना पूछे आप हमारा और हमारे सोल्जर्स का जो पार्टिसिपेशन है
वो वर्ल्ड वॉर में करवा रहे हो और कांग्रेस ने कहा कि हम एक शर्त पे वर्ल्ड वॉर में आपका साथ देंगे अगर आप ये प्रॉमिस करो कि वॉर जब खत्म हो जाएगी तो वहां से आने के बाद आप हमें आजादी दे दोगे लेकिन इस चीज के लिए ब्रिटिशर्स जो थे वो हां नहीं कर रहे थे तो कांग्रेस ने क्या किया इसी टाइम पे जितने ये 707 लीडर इनके इलेक्शन में जीत के आए थे कांग्रेस पार्टी के जो स्टेट चला रहे थे उन सब से रिजाइन मरवा देती है ताकि काम सारे रुक जाएंगे ब्रिटिशर्स ने इसमें
कई तरीके के ऑफर भी दिए कि कुछ लिमिटेड पावर हम देंगे आपको जिसको अगस्त ऑफर वगैरह भी बोला जाता है लेकिन कांग्रेस ने कहा कि नहीं हमें पूर्ण स्वराज चाहिए फुल इंडिपेंडेंस चाहिए तभी हम साथ देंगे इसके बाद क्रिप्स कमीशन वगैरह बहुत सारी चीजें आई लेकिन कांग्रेस अपनी बात पे अड़ी रही कांग्रेस का यह मानना था कि यह एग्जैक्ट सही टाइम है ब्रिटिशर्स के ऊपर प्रेशर बना के आजादी लेने का और इसी टाइम पे कांग्रेस ने अपने आंदोलन जो है वो बहुत तेज कर दिए थे गांधी जी ने क्विट इंडिया मूवमेंट जो था वो शुरू
कर दिया था मुस्लिम लीग की लीडरशिप ने सोचा कि ये एकदम सही टाइम है कि ब्रिटिशर्स का यहां पे सपोर्ट करो जब उनको सबसे ज्यादा जरूरत है और जब वॉर खत्म होगी और हम उनको सपोर्ट करेंगे तो वो हमें भी फेवर करेंगे जैसे वो पाकिस्तान की जो डिमांड कर रहे थे इन सारी चीजों को लेके वो फेवर करेंगे तो मुस्लिम लीग जिसके बारे में ऑलरेडी कहा जाता था कि ये ब्रिटिशर्स की बहुत ही लॉयल है वो अपना अनकंडीशनल सपोर्ट ब्रिटिशर्स को इस टाइम प दे देती है हिंदू महासभा यहां पे कहती है कि अगर मुस्लिम
लीग जो है वो अपनी सीट नहीं छोड़ रही है तो हम भी नहीं छोड़ेंगे तो उन्होंने भी अपनी सीट नहीं छोड़ी और अंग्रेजों को सपोर्ट किया तो ये वो टाइम था जब कांग्रेस की जितनी भी लीडरशिप थी सबने रिजाइन कर दिया था और क्विट इंडिया मूवमेंट की वजह से आधे से ज्यादा लीडर जो थे वो जेल के अंदर थे तो इस पर्टिकुलर टाइम पे कांग्रेस थोड़ी सी बैकफुट पे थी और इसी टाइम पे हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग जो थे वो बहुत ही स्ट्रांग हुए थे और दोनों ग्रुप आपस में खुल के लड़ रहे थे
मुस्लिम लीग का कहना था कि हम मुस्लिम इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करेंगे और उधर हिंदू महासभा का कहना था कि हम हिंदू इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करेंगे हिंदू महासभा कह रही थी कि हिंदुओं के इंटरेस्ट तब तक प्रोटेक्ट नहीं होंगे जब तक मुस्लिम्स हमारी बात नहीं मानेंगे और मुस्लिम लीग कह रही थी कि मुस्लिम्स के इंटरेस्ट तब तक प्रोटेक्ट नहीं होंगे जब तक हिंदू हमारी बात नहीं मानेंगे और कांग्रेस जो सेकुलरिज्म की बात करती थी उसकी आधी से ज्यादा लीडरशिप पावर से बाहर थी और आधी जेल में थी तो इस टाइम पे हिंदू मुस्लिम दंगे भी बहुत
तेज हो गए थे और ये जो सिचुएशन थी इसने इंडिया को पार्टीशन की तरफ बहुत तेजी से ढकेल दिया था मुस्लिम्स लीग के लिए अब बहुत ही ज्यादा आसान हो गया था इंडिया के मुस्लिम्स को वो एक साथ नहीं रह सकते और इस सारी जद्दोजहद के बाद मुस्लिम लीग का एक सेशन होना था इस सेशन में इन्होंने अब ऑफिशियल एक रेजोल्यूशन पास करके अनाउंस कर दिया कि हिंदू मुस्लिम जो हैं वो एक साथ नहीं रह सकते इसलिए इंडिया के जो मेजॉरिटी वाले स्टेट्स हैं जैसे पंजाब सिंध एन डब्ल्यूएफपी यानी के नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस बलूचिस्तान
बंगाल और आसाम ये सबको मिलाकर हमें एक अलग पाकिस्तान चाहिए और कांग्रेस तो पहले से ही कहती आ रही थी कि इंडिया का पार्टीशन बिल्कुल भी नहीं होगा तो दोनों पार्टियां अपनी-अपनी बात पैड़ी हुई थी और एक डेडलॉक सिचुएशन हो गई थी अब इसके बाद क्या होता है कि ईयर 1945 आते-आते सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म हो जाती है यूके बहुत वीक हो चुका था और यूएस और यूएन से भी यूके के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर आ रहा था कि आपकी जितनी भी कॉलोनी हैं उनको आप छोड़ दो इनफैक्ट इंडिया के अंदर भी जितने भी फ्रीडम
फाइटर्स थे उन्होंने बहुत ज्यादा अंग्रेजों को परेशान कर रखा था अंग्रेज खुद डरे हुए थे कि ब्रिटिश इंडिया की आर्मी में जो इंडियन सोल्जर्स हैं वो उल्टा अंग्रेजों के ऊपर अटैक ना कर दें तो कहने का मतलब है कि इस पर्टिकुलर ईयर में यानी कि 1945 में यूके की सिचुएशन पूरी तरीके से बदल चुकी थी और यूके का इंडिया से निकलने के अलावा और कोई सॉल्यूशन नहीं बचा था तो यूके चाहता था कि इससे पहले कि नाम खराब हो या हम पे अटैक करें हम पे मार के हमें निकालें इससे बढ़िया खुद ही हमें निकल
जाना चाहिए और सेम टाइम पे ये जो वॉर खत्म हुई थी यूके के अंदर पॉलिटिकल पार्टी भी चेंज हो जाती है अब लेबर पार्टी जीत के गवर्नमेंट में आती है और क्लेमेंट एटली ये पीएम बनते हैं यूके के और और पीएम बनने के बाद 15th ऑफ मार्च 1945 को एक हिस्टोरिकल अनाउंसमेंट करते हैं कि यूके अब इंडिया के ऊपर अपना कंट्रोल नहीं रखेगा और इंडिया को छोड़ के वापस चला जाएगा इंडिया को आजादी दे देगा अब यूके ने ये चीज तो बोल दी थी कि आजादी दे देगा लेकिन आजादी दे तो दे किसको दो-दो रिप्रेजेंटेटिव
हैं एक मुस्लिम लीग दूसरा कांग्रेस और दोनों एकदम अलग-अलग रास्ते पे हैं कोई अपनी बात से पीछे हटने को राजी नहीं है मुस्लिम लीग जैसे आपको पता है कि वो पहले से ही कहती आ रही है कि हम इंडिया के सारे मुस्लिम्स के रिप्रेजेंटेटिव हैं कांग्रेस कह रही है कि इंडिया के अंदर जितने भी लोग हैं हिंदू मुस्लिम सबके रिप्रेजेंटेटिव हम हैं तो आजादी का डिस्कशन होना किससे है और किस तरीके से होना है इसके बारे में कुछ क्लेरिटी नहीं आ रही थी तो अब इसके लिए ब्रिटिशर्स क्या करते हैं अगले साल यानी कि 1946
के स्टार्टिंग में ब्रिटिशर्स एक इलेक्शन करवाने की बात करते हैं और इलेक्शन करवाने के पीछे का जो मेन रीजन था वो यह था कि अंग्रेज चाहते थे इंडिया की जो पॉलिटिकल पार्टीज हैं जैसे मुस्लिम लीग कांग्रेस ग्राउंड लेवल पे लोगों का सपोर्ट किस तरीके का है लोग क्या चाहते हैं और इस इलेक्शन को कराने के पीछे एक और रीजन था कि यह मुस्लिम लीग जो अलग पाकिस्तान बनाने की जो डिमांड कर रही है लोगों में ये डिमांड कितनी स्ट्रांग है और कांग्रेस ये जो सेकुलर और यूनाइटेड भारत की बात कर रही है इसको कितना सपोर्ट
मिल रहा है लोगों के बीच में तो कहने का मतलब है कि इस इलेक्शन से यूके यह समझना चाहता था कि जब वह इंडिया को छोड़ के जाएंगे तो किस तरीके से पावर शेयरिंग होगी किसको क्या देना होगा पार्टीशन होगा या नहीं होगा होगा तो किस तरीके से होगा इसको लेकर क्लेरिटी आएगी ये जो इलेक्शन होना था ये मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच में एक डायरेक्ट कंपटीशन था जिसमें कांग्रेस जो थी वो वोट मांग रही थी एक सेकुलर यूनाइटेड इंडिया के नाम पे जहां पे हिंदू और मुस्लिम सब साथ में रहेंगे और मुस्लिम लीग
जो है वो वोट मांग रही थी एक अलग मुस्लिम देश बनाने के नाम पे और फिर इलेक्शन करवाए जाते हैं और इलेक्शन के बाद इलेक्शन का रिजल्ट आता है और रिजल्ट बहुत हैरानी वाले थे कांग्रेस हिंदू मेजॉरिटी वाले एरिया में जीत जाती है 1585 सीट्स में से 923 सीट्स कांग्रेस को मिल जाती हैं लेकिन इसमें सरप्राइजिंग बात यह थी कि मुस्लिम लीग जो थी जो मुस्लिम रिजर्व एरिया थे उसमें उसको 90 पर से ज्यादा वोट मिले थे टोटल 482 सीट्स में से 425 सीट्स मुस्लिम लीग बड़े आराम से जीत गई थी मतलब कि इस इलेक्शन
से साफ हो गया था कि मुस्लिम लीग जो है वही इंडिया के मुस्लिम्स की असली रिप्रेजेंटेटिव है और इस इलेक्शन के बाद कहीं ना कहीं हर किसी को रियलाइफ हो गया था कि अब इंडिया का पार्टीशन होके रहेगा ब्रिटिशर्स ने ट्राई किया कि दोनों पार्टी जो है कांग्रेस और मुस्लिम लीग इनको मिला के एक इंटरम गवर्नमेंट भी बनाई जाए लेकिन मुस्लिम लीग ने उसमें काम ही नहीं होने दिया जिन्ना अलग देश की डिमांड पे पूरी तरीके से अड़े हुए थे और नेहरू जो थे वो भी अपनी बात से पीछे नहीं हट रहे थे अब सिचुएशन
ऐसी थी कि ब्रिटिशर्स को जल्दी से जल्दी इंडिया से निकलने था लेकिन फिर से कोई सलूशन बन नहीं रहा था तो यूके ने क्या किया यूके ने अपने तीन कैबिनेट मिनिस्टर इंडिया भेजे ताकि इंडिया के अंदर एक सलूशन निकाला जा सके और इसको कैबिनेट कमीशन बोला गया तो अब 24th ऑफ मार्च 1946 को यूके से ये तीनों कैबिनेट मिनिस्टर जो थे वो इंडिया पहुंच जाते हैं ताकि ये डिसाइड हो सके कि कैसे आगे इंडिया के अंदर सरकारें चलेंगी पॉलिटिकल पार्टी चाहती क्या है कांस्टिट्यूशन कैसा होगा पावर डिस्ट्रीब्यूशन किस तरीके से किया जाए यह काम इनका
था ये लोग बहुत कोशिश करते हैं तीन से चार वीक तक मल्टीपल मीटिंग्स करते हैं कांग्रेस के साथ मुस्लिम ली लीडर्स के साथ हर एक लीडर के साथ लेकिन कोई सलूशन नहीं निकलता है जिन्ना और नेहरू दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए थे और ब्रिटिशर्स जो थे वो जल्दी से जल्दी इंडिया से निकलना चाह रहे थे तो कैबिनेट मिशन जो आया था वो इतना ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो गया था कि इसने 16th ऑफ म 1946 को खुद से अनाउंस कर दिया कि आप लोग आपसी सहमती नहीं बना पा रहे हो तो इंडिया को आजादी कैसे मिलेगी
उसका प्लान जो है वह हम खुद से बना के आपको दे रहे हैं और फिर थोड़े टाइम बाद कैबिनेट मिशन जो था उसने अपना एक प्लान बना के पब्लिश कर दिया इस पन के अंदर सबसे पहली चीज कही गई कि इंडिया का कोई भी पार्टीशन नहीं होगा दूसरी चीज इसमें इन्होंने कही कि कम्युलस मेंटेशन यानी कि जो सेपरेट इलेक्टोरेट्स समझाया जिसमें इन्होंने तीन चीजों के ऊपर बात करी जिसमें प्रोविंशियल यानी कि स्टेट्स की ग्रुपिंग थी दूसरी प्रिंसली स्टेट के बारे में बताया था तीसरी चीज कांस्टीट्यूशन बनाने के लिए कांस्टीट्यूएंट असेंबली कैसे बनेगी उसके बारे में
बताया था पहला पॉइंट प्रोविंशियल यानी कि स्टेट्स की जो ग्रुपिंग थी कि ये इंडिया के जितने स्टेट्स हैं इनको तीन ग्रुप में डिवाइड कर देंगे ग्रुप ए ग्रुप बी और ग्रुप सी ग्रुप ए में इन्होंने रखे यूनाइटेड प्रोविंस बॉम्बे मद्रास सेंट्रल प्रोविंस बिहार और उड़ीसा ग्रुप बी में रखे पंजाब सिंध नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस और बलूचिस्तान और ग्रुप सी में इन्होंने रखे बंगाल और आसाम अब अगर ये तीनों ग्रुप को अगर आप ध्यान से देखोगे तो इसमें आप नोटिस करोगे कि ग्रुप ए जो है उसमें हिंदू मेजॉरिटी वाले स्टेट्स हैं और ग्रुप बी और ग्रुप
सी में मुस्लिम मेजॉरिटी एरियाज हैं इसके साथ-साथ इसमें इन्होंने कहा कि जितने भी हमने स्टेट्स डिवाइड किए हैं यानी कि प्रोविंस डिवाइड किए हैं ये अपना खुद का एक कॉन्स्टिट्यूशन बनाएंगे फिर सब मिलके पूरे देश का कॉन्स्टिट्यूशन बनाएंगे तो बेसिकली इसमें जो पूरा अनडिसाइडेड इंडिया था इसको सिर्फ और सिर्फ एक सेंट्रल गवर्नमेंट के अंडर में ना रख के थ्री टियर सिस्टम बना दिया था सबसे पहले सेंट्रल गवर्नमेंट उसके बाद ग्रुप्स होंगे और उसके बाद स्टेट्स होंगे सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथ में सिर्फ फाइनेंस फॉरेन अफेयर और कम्युनिकेशन होगा बाकी जितनी भी चीजें होंगी वो सारी की
सारी स्टेट जो है वो खुद डिसाइड कर लेगा और ये जो पूरा सिस्टम बना के अंग्रेजों ने भेजा था इस पूरे सिस्टम में सेंट्रल गवर्नमेंट जो थी वो बहुत वीक हो गई थी स्टेट्स के पास ज्यादा पावर आ गई थी और इसके बाद इसमें एक चीज और इन्होंने कह दी थी कि 5 साल जब हो जाएंगे तो कोई भी स्टेट चाहे तो अपनी मर्जी के हिसाब से ग्रुप को छोड़ के दूसरे ग्रुप में जा सकता है और ये जो बाकी बचे हुए प्रिंसली स्टेट थे ये चाहे तो इंडिपेंडेंट रह सकते हैं या फिर इंडिया के
साथ मिल जाए और तीसरी चीज कांस्टीट्यूएंट असेंबली जो कांस्टिट्यूशन बनाएगी इंडिया का उसमें कौन-कौन होगा उसमें इन्होंने ये कहा कि जिस कम्युनिटी की जितनी पॉपुलेशन होगी उसकी परसेंटेज के हिसाब से कांस्टीट्यूएंट असेंबली में भी उस कम्युनिटी के उतने ही मेंबर आएंगे ताकि हर कम्युनिटी का रिप्रेजेंटेशन हो सके कांस्टिट्यूशन बनाने में अब इसमें पाकिस्तान बनाने की जो डिमांड थी वो तो पूरी तरीके से हट गई थी लेकिन उसके बाद भी जिन्ना जो थे वो इस प्लान के लिए एग्री कर गए थे और वो इसलिए कर गए क्योंकि जो पाकिस्तान वो डिमांड कर रहे थे उनको उससे
भी बड़ा पाकिस्तान फ्यूचर के अंदर बनता हुआ दिख रहा था इसमें रूल था कि 5 साल बाद जो ग्रुप जो जो चाहेगा जहां से जहां मूव करना चाहेगा कर सकता है तो जिन्ना ने सोचा कि आगे चलके सेंटर के हाथ में तो ज्यादा पावर है नहीं तो अपना और बड़ा पाकिस्तान बनाने में आसानी होगी थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन जो वो चाह रहे हैं वो अचीव कर लेंगे लेकिन कांग्रेस ने इस चीज को पकड़ लिया था कांग्रेस ने कहा कि चलो बाकी सारी चीजें तो इसमें सही है कि आप इंडिया को डिवाइड नहीं कर रहे हो
तीन ग्रुप में आपने बना दिया है बस इसमें एक दो चीजें चेंज करनी होंगी एक तो ये जो आपने ग्रुप बनाया यानी कि जो तीन ग्रुप बनाए आपने स्टेट्स को डिवाइड किया है इसमें किसी भी स्टेट के लिए कंपलसरी नहीं होना चाहिए कि वो किस ग्रुप में रहेगा ये चीज बोली कांग्रेस ने कांग्रेस के हिसाब से ये होना चाहिए कि ये जो आपने तीन ग्रुप बनाए हैं कोई स्टेट किसी भी ग्रुप में जाना चाहे तो वो कर सके इसको मैंडेटरी नहीं होना चाहिए अब ये चीज अगर हो जाती तो इससे जिन्ना का जो सपना था
वो टूटता हुआ दिख रहा था और इसके साथ-साथ कांग्रेस ने कहा कि ये जो आपने सेंटर के हाथ में पावर दी है बहुत ही कम दी है इसको और स्ट्रांग करना चाहिए सेंटर को क्योंकि अभी भले ही आप यूनाइटेड इंडिया बना दे रहे हो लेकिन अगर सेंटर के हाथ में पावर नहीं होगी तो आगे चलके देश टूटेगा क्योंकि स्टेट जो है वो अपनी मनमानी करेंगी अब कांग्रेस की ये जो दो मांड थी इसको लेके ब्रिटिशर्स काफी हद तक एग्री हो गए थे लेकिन जिन्ना जो थे उनका प्लान जो था वो पूरी तरीके से फेल हो
रहा था इन सब चीजों को करने से तो जिन्ना जो थे जो इन्होंने पहले हां कर दिया था वो इस कैबिनेट मिशन से ये जो पूरा प्लान था इससे बैक आउट कर देते हैं अब मुस्लिम लीग अगर बैक आउट कर देती है और कांग्रेस भी नहीं मान रही थी तो ब्रिटिशर्स कहते हैं कि कोई बात नहीं आप इसको आके जवाइन करिए कांस्टीट्यूएंट असेंबली का पार्ट बनिए कांस्टीट्यूशन बनाना शुरू करिए बाकी चीजों पे डिस्कशन हो जाएगा तो कांग्रेस तो ब्रिटिशर्स की बात मान के कांस्टीट्यूएंट असेंबली वगैरह में काम करना स्टार्ट कर देती है लेकिन मुस्लिम लीग
जो थी वो अब एक एकदम अलग रास्ते प निकल जाती है जिन्ना जो थे वो गुस्सा होके 29th ऑफ जुलाई 1946 को मुस्लिम लीग की वर्किंग कमेटी की एक इंपॉर्टेंट मीटिंग रखते हैं इसमें ये कहते हैं कि ये जो इंडियन नेशनल कांग्रेस है ये मुस्लिम्स की जो जेनुइन डिमांड्स हैं उनको नजरअंदाज कर रहे हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं और अगर इन लोगों ने हमारी बात नहीं मानी तो 16th ऑफ अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन के रास्ते हम अपना हक लेंगे अबी डायरेक्ट एक्शन का मतलब क्या था उस पर्टिकुलर टाइम पे तो नहीं समझ
में आया था वो आगे चल के अभी समझ में आएगा लेकिन इतना समझ में आ रहा था कि 16 अगस्त को सारे मुस्लिमों को वो रोड प उतरने को कह रहे थे उस टाइम पे बंगाल के अंदर मुस्लिम लीग जो थी वो पावर में थी हुसैन शहीद ये बंगाल को हेड कर रहे थे और मुस्लिम लीग के मेंबर भी थे तो इन्होंने क्या किया था एक स्टार ऑफ इंडिया नाम से न्यूज़पेपर था इन्हीं के एमएलए का था तो इन्होंने 16th ऑफ अगस्ट 1946 को जो डायरेक्ट एक्शन डे का प्लान था कि क्या-क्या होगा और वो
सारी चीजें लोगों प पहुंचाने के लिए इसी अखबार में पूरा का पूरा प्लान पब्लिश कर दे ते हैं ताकि मुस्लिम लीग के जो सपोर्टर हैं वो इकट्ठा हो जाएं अब इसके बाद 16th ऑफ अगस्त की जब डेट आती है इस दिन बंगाल के अंदर हुसैन शहीद जो कि हेड कर रहे थे वो पुलिस को हटा देते हैं पुलिस उस टाइम प होती नहीं है अब इसमें बोला तो यह गया था कि पीसफुल प्रोटेस्ट होगा लेकिन इस प्रोटेस्ट में दंगे होते हैं इस चीज को द ग्रेट कलकाता किलिंग भी कहते हैं हजारों लोगों की जान गई
फिर धीरे-धीरे करके इंडिया के बाकी जगह पे हिंदू मुस्लिम एक दूसरे की जान के प्यासे हो गए पूरे इंडिया के के अंदर लोग एक दूसरे को निकाल निकाल के काट रहे थे और ये दंगे सिर्फ वो एक दिन की बात नहीं थी ये दंगे कंटीन्यूअसली चलते रहते हैं अगले 1 साल तक चलते रहते हैं और डेली 200 से 300 लोगों की मरने की खबर आती थी शुरू में कांग्रेस ने जिन्ना के इस डायरेक्ट एक्शन डे को बहुत ज्यादा सीरियस नहीं लिया था लेकिन ये जो डायरेक्ट एक्शन डे जिन्ना ने कराया था इसकी वजह से कांग्रेस
के हाथ से सारी चीजें निकल चुकी थी लोग रोड पे आ गए थे अब कांग्रेस कुछ नहीं कर पा रही थी और कांग्रेस के पास दिक्कत यह थी कि दंगे रोकने के लिए वो खुद तो पावर में थी नहीं अंग्रेज जो थे वो जल्दी से जल्दी इस परे डिसीजन लेके भागना चाहते थे और दंगे तभी रुकेंगे जब इंडिया का पार्टीशन होगा जिन्ना अपनी बात पे अड़े हुए थे कि वो पूरी मुस्लिम कौम के रिप्रेजेंटेटिव हैं और उनको एक अलग पाकिस्तान चाहिए जिन्ना जब कहते थे कि मैं इंडिया के सारे मुस्लिम्स का रिप्रेजेंटेटिव हूं तो कांग्रेस
में कई सारे मुस्लिम लीडर्स थे जैसे मौलाना अब्दुल कलाम तो ये लोग कहते थे कि जिन्ना ये मजाक वाली बातें कर रहे हैं क्योंकि हम लोग क्या करें फिर हम लोग घरों में जाके बैठ जाएं अब देखिए हो ये रहा था कि डेली लोग मर रहे थे इंडिया में हर तरफ कम्युलस फैल चुकी थी अब इससे निपटने के लिए एक ही सोल्यूशन था कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग एक एग्रीमेंट में आए लेकिन दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए थे तो यह दोनों जल्दी से कोई डिसीजन लें इससे निपटने के लिए यूके के जो पीएम थे
क्लीमेंट एटली इन्होंने 28 ऑफ फरवरी 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन में एक अनाउंसमेंट की कि बहुत हो गया चाहे अब इंडिया के जो पॉलिटिशियन हैं यह एग्रीमेंट में आएं चाहे ना आए 38 ऑफ जून 1948 को हम लोग पावर ट्रांसफर करके इंडिया से चले जाएंगे फिर उसके बाद इंडिया के अंदर कुछ भी हो उसके जिम्मेदार हम नहीं होंगे इन्होंने उस समय कह दिया था कि इंडिया के जितने भी स्टेट्स हैं हम सबको इंडिपेंडेंट करके चले जाएंगे इसको बेल्कन प्लान भी बोलते हैं इससे नेहरू जी और जिन्ना दोनों परेशान हो गए नेहरू जी कह रहे
थे कि कहां हम दो देश बांटने को रेडी नहीं है आप इतने सारे टुकड़े करने की बात कर रहे हो जिन्ना जो थे वो भी छह प्रोविंस को मिला के एक पाकिस्तान बनाना चाहते थे और ऐसे में पाकिस्तान के भी टुकड़े हो जाएंगे और हर स्टेट का जो लीडर होगा वो छोटे-छोटे स्टेट का हेड बन जाएगा एक्चुअल में तो कहीं ना कहीं इनकी पीएम बनने की भी एस्पिरेशन थी और अंग्रेज ने ये जो डेट दी थी 38 ऑफ जून 1948 की अगर जिन्ना और नेहरू अड़े रहते मानते नहीं और अंग्रेज यहां से चले जाते तो
इंडिया की जो इंटरनल सिचुएशन है वो आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती जगह-जगह प दंगे ऑलरेडी हो रहे थे कांस्टिट्यूशन बना नहीं था जिन्ना की जिन एरिया में पकड़ती वहां पर क्या होता कितनी मारकाट होती क्या सिचुएशन होती ये इमेजिन भी नहीं किया जा सकता था तो जब अंग्रेजों ने ये एक स्पेसिफिक डेट दे दी कि हम चले जाएंगे तो नेहरू जी और जिन्ना दोनों सेम पेज पर आने की कोशिश करना स्टार्ट करते हैं और अब यहां से कांग्रेस जो थी वो भी अब पार्टीशन के ऑप्शन के बारे में डिस्कशन स्टार्ट कर देती है तो एक
तरह से जिन्ना का ये जो प्लान था डायरेक्ट एक्शन डे का ये काम किया और कांग्रेस को झुकना पड़ा क्योंकि दंगे जो थे वो डे बाय डे बढ़ रहे थे उस टाइम के कांग्रेस के प्रेसिडेंट कृपलानी जी ने कहा कि रदर देन हैव अ बैटल वी शुड लेट देम हैव देयर पाकिस्तान और 19th ऑफ मार्च 1947 को नेहरू जी ने भी ये चीज बोल दी कि पार्टीशन करना पड़ेगा अब ये जो अनाउंसमेंट की थी अंग्रेजों नेने कि ये लोग 38 ऑफ जून 1948 को चले जाएंगे उसी अनाउंसमेंट के अगले दिन ये एक काम और करते
हैं वेवल जो उस टाइम का इंडिया का वॉइस रॉय था यूके ने इनको भी हटा दिया कि इतने टाइम से इनको काम दिया गया था कि इंडिया के लीडरों से बात करके कुछ सॉल्यूशन निकाला जाए और इन्होंने बहुत टाइम खराब कर दिया था और अंग्रेज जो थे वो बहुत जल्दी निकलना चाह रहे थे तो वेवर्स को हटा के लॉर्ड माउंट बेटन को इंडिया का वॉइस रोय बना के तुरंत भेजा जाता है इस काम को निपटाने के लिए अब जब पाकिस्तान के डिस्कशन देश के अंदर स्टार्ट होना चालू हुए तो पंजाब के सिख और बंगाल के
हिंदू परेशान हो गए इन्होंने कहा कि अगर पार्टीशन में पंजाब और बंगाल पूरे पाकिस्तान को चला जाएगा तो हम तो फंस जाएंगे हम तो बिना कुछ किए ही माइनॉरिटी बन जाएंगे पाकिस्तान के अंदर जाके तो ये लोग साफ मना कर रहे थे कि इनको पाकिस्तान के साथ नहीं जाना है और जिन्ना जो थे इनको आराम से समझा के पंजाब और बंगाल जो था वो पूरा लेने की डिमांड कर रहे थे उनका कहना था कि ये जो पंजाब और बंगाल के सिख और हिंदू हैं ये पाकिस्तान में आराम से रह सकते हैं माइनॉरिटी बनके कोई दिक्कत
नहीं आएगी और इसको लेके जिन्ना को क्रिटिसाइज भी किया गया क्योंकि जिन्ना का कहना था कि हिंदू मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते इसलिए इंडिया का बंटवारा करना होगा लेकिन जब पंजाब और बंगाल की बात आ रही है तो वहां पे यह हिंदू और सिख को अपने पाकिस्तान में रखने के लिए आराम से तैयार हैं तो इसी चीज़ पे कहा गया कि जिन्ना को सिर्फ पावर से मतलब है और यह बंटवारा भी किसी के राइट्स के लिए नहीं कर रहे हैं बल्कि पाकिस्तान के हेड बनने के लिए कर रहे हैं और अब इसके बाद डेट
आती है ड ऑफ जून 1947 तो बहुत ही डिटेल डिस्कशन के बाद माउंट बेटन क्या करते हैं इस डेट को इंडिया और पाकिस्तान को दो अलग देश बनाने का एक प्लान पब्लिक करते हैं इसे माउंट बेटन प्लान भी बोला जाता है होता है इसमें माउंट बैटन ने इंडिया और पाकिस्तान दो अलग देश बना के दोनों देशों को डोमिनियन स्टेटस दिया मतलब कि देश को आजादी तो मिल जाएगी इंटरनल मैटर एडमिनिस्ट्रेशन जितनी भी गवर्नेंस होगी सब खुद से करी जाएगी लेकिन इंडिया और पाकिस्तान दोनों ब्रिटिश क्राउन के अंडर रहेंगे ये चीज इसलिए की गई थी क्योंकि
माहौल बहुत ज्यादा खराब था उस टाइम पे दंगे बहुत ज्यादा हो रहे थे चीजें आउट ऑफ कंट्रोल हो सकती थी और कांस्टीट्यूशन वगैरह भी बना नहीं था तो सारा एडमिनिस्ट्रेशन जो था उसको सेटअप करने में भी टाइम लगता तो इसलिए ये डिसाइड हुआ कि जब तक दोनों कंट्रीज का कांस्टीट्यूशन नहीं बनता तब तक उन्हें एक डोमिनियन स्टेटस दिया जाएगा तो इसी वजह से जब ईयर 1950 में इंडिया का और 1956 में पाकिस्तान का कॉन्स्टिट्यूशन बना तब जाके दोनों देशों को पूरी तरीके से ब्रिटिश क्राउन के अंडर से हटाया गया और इसके बाद ये जो माउंट
बैटन प्लान था इसमें कहा गया कि पंजाब और बंगाल के केस में वोटिंग हो जाएगी मुस्लिम हिंदू और सिख के जो रिप्रेजेंटेटिव हैं ये अलग-अलग वोटिंग कर लेंगे कि अगर हिंदू और सिख भी चाहते हैं पाकिस्तान के साथ जाना तो पंजाब और बंगाल को भी दो पार्ट में बांट दिया जाएगा लेकिन जब वोटिंग हुई तो हिंदू और सिख जो थे उन उन्होंने पाकिस्तान की बजाय इंडिया के साथ रहना प्रेफर किया तो इस केस में पंजाब और बंगाल को ईस्ट और वेस्ट पार्ट में डिवाइड करके इंडिया और पाकिस्तान में बांट दिया गया तो कहने का मतलब
है कि यह सारी चीजें होने के बाद फाइनली जो पाकिस्तान था उसके अंडर में सिंध नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर आज का जो खाबर पख्तून है वो बलूचिस्तान सिलेट वेस्ट पंजाब और ईस्ट बंगाल बाकी जितना बचा वो सब इंडिया के पास गया और जो प्रिंसली स्टेट थे उसमें माउंट बैटन प्लान में ये था कि जो पुराने अंग्रेजों के साथ प्रिंसली स्टेट के जो एग्रीमेंट हुए हैं वो सब रद्द हो जाएंगे और प्रिंसली स्टेट अगर चाहते हैं पाकिस्तान के साथ जुड़ना या इंडिया के साथ जुड़ना या इंडिपेंडेंट रहना यह पूरी तरीके से उनकी मर्जी है और जब यह
पार्टीशन हुआ तो जिस रेजीमेंट के अंदर मुस्लिम सोल्जर्स जो थे वो ज्यादा थे वो रेजीमेंट पाकिस्तान को दे दी गई जैसे सिंध रेजीमेंट बलूच रेजीमेंट फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट ये सारी रेजीमेंट जो थी वो पाकिस्तान के पास गई बाकी इंडियन रेलवे सिविल सर्विसेस फाइनेंशियल एसेट्स और जो ब्रिटिशर्स का लोन था वो भी इंडिया और पाकिस्तान में बरा बराबर बांट दिया गया यहां तक कि जो ऑफिस की टेबल चेयर टाइपराइटर थी उनको भी आधा-आधा बांटा गया और माउंट बेटन प्लान जब पब्लिक किया गया था तो उसमें एक चीज और कही गई थी कि पहले जो डेट दी
गई थी 38 ऑफ जून 1948 की इसको चेंज करके अब 15th ऑफ अगस्त 1947 को दोनों देशों को आजादी मिलेगी ये डेट इसलिए रखी थी क्योंकि जापान ने इस डेट को अलाइड फोर्सेस के सामने सरेंडर किया था और माउंट बेटन जो थे उस टाइम साउथ ईस्ट एशिया में सुप्रीम कमांडर थे तो ये डेट जो थी वो यादगार बनाना चाहते थे और बहुत क्लोज थी उनके तो इसीलिए उन्होंने यह डेट फिक्स करी थी इसके बाद माउंट बैटन प्लान में यह कहा गया था कि एक कमेटी बनाई जाएगी जिसके जो चेयरमैन है वो रेडक्लिफ होंगे और इंडिया
और पाकिस्तान का बॉर्डर कहां से जाएगा और किस-किस जगह से जाएगा यह कमेटी वो चीज फिक्स करेगी कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर राजा जी ने कहा था कि अच्छा हुआ कि आजादी की जो डेट है वो 38 ऑफ जून 1948 से चेंज कर दी गई थी क्योंकि अगर अंग्रेज अगले साल तक के लिए रुकते तो कोई पावर बचती ही नहीं जिसको ट्रांसफर किया जा सकता इस पूरे माउंट बैटन प्लान को जब कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने एक्सेप्ट कर लिया तो इसको फर्थ ऑफ जुलाई 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस बिल के नाम से बहुत ही जल्दबाजी में
ब्रिटिश पार्लियामेंट में लेके जाया गया और फिर जल्दी-जल्दी डिस्कशन करके इस बिल को यूके के पार्लियामेंट हाउस ऑफ कॉमन हाउस ऑफ लॉर्ड में पास करके और फिर अगले दिन यूके के जो किंग थे उनसे साइन करा के ये जो बिल था अब ये एक्ट बन जाता है जिसका नाम होता है इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 इसी एक्ट के थ्रू हमें आजादी मिली थी अब इसके तुरंत बाद जो इंडिया पाकिस्तान का जो बॉर्डर बनने की के लिए कमीशन बना था उसके चेयरमैन रेडक्लिफ इनको कहा जाता है कि जल्दी से जल्दी इंडिया पाकिस्तान का बॉर्डर बनाओ और इसके
लिए इनको सिर्फ तीन वीक का टाइम दिया गया ये जो रेडक्लिफ थे जिनको बॉर्डर बनाने का काम दिया गया था इनको इंडिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था ना तो कभी इससे पहले इंडिया आए थे और यहां तक इनको पंजाब एक्चुअल में पड़ता कहां पे है यह तक नहीं पता था तो इनको इंडिया का जो कल्चर है इंडिया की जियोग्राफी है उसके बारे में कुछ भी आईडिया नहीं था लेकिन इन्होंने क्या किया इंडिया के मैप को एक पेपर पे मंगवाया और जहां बॉर्डर बनाना था वहां की डिस्ट्रिक्ट का हिंदू मुस्लिम पॉपुलेशन का सारा
डाटा मंगवाया फिर यह एक-एक डिस्ट्रिक्ट उठा के इन्होंने हिंदू मुस्लिम मेजॉरिटी वाले एरिया के हिसाब से बॉर्डर बनाते चले गए और ऐसे करके इन्होंने एक पेपर पे इंडिया के दो टुकड़े कर दिए अब इसके बाद डेट आती है 14th ऑफ अगस्त 1947 लेकिन अभी तक बॉर्डर कहां पे बनाया जाएगा ये चीज रेडक्लिफ ने ऑफिशियल अनाउंस नहीं की थी तो किसी को भी नहीं पता था कि इंडिया पाकिस्तान का बॉर्डर होगा कहां पे अब नेक्स्ट डे 15 ऑफ अगस्त 1947 यानी के टेक्निकली 14th ऑफ अगस्त 1947 की रात को 12:00 बजे के बाद इंडिया और पाकिस्तान
की आजादी डिक्लेयर होनी थी लेकिन पाकिस्तान अपनी इंडिपेंडेंस इंडिया के साथ नहीं मनाना चाहता था वो अपनी आइडेंटिटी इंडिया से अलग रखना चाहता था और इसके साथ-साथ माउंट बेटन जो इंडिया के वॉइस रोय थे उनके लिए भी 15th ऑफ अगस्त को कराची और दिल्ली में एक साथ आजादी की जो सेरेमनी थी उसको अटेंड करना एक चैलेंज था तो पाकिस्तान ने 14th ऑफ अगस्त को ही अपनी इंडिपेंडेंट अनाउंस कर दी और जब यह चीज कर दी गई तो ब्रिटिश अथॉरिटी जो थी उसने भी 14th ऑफ अगस्त को ही पाकिस्तान की जो इंडिपेंडेंस थी उसको अपने रिकॉर्ड
में रखा और नेक्स्ट डे 15th ऑफ अगस्त को इंडिया को इंडिपेंडेंस मिल जाती हैल प्ली रे ल ि द बथ ऑफ दम ऑफ [संगीत] इंडिया इंडिपेंडेंट इंडिया के जो पहले गवर्नर थे वो माउंट बेटन को ही बनाया गया था ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि अभी भी काफी सारे एसेट्स बचे थे उनका डिवीजन होना था और इंडिया और पाकिस्तान के बीच में स्मूथली पावर ट्रांसफर होने में भी बहुत सारी चीजें थी तो इन सारी चीजों के लिए एक न्यूट्रल आदमी चाहिए था तो ये सारी चीजों को देख के इंडिया ने फैसला लिया था कि आजाद
भारत के जो गवर्नर जनरल बनेंगे वो लॉर्ड माउंट बेटन ही बनेंगे लेकिन पाकिस्तान की तरफ जिन्ना ने खुद को बनाया था गवर्नर जनरल अब आजादी के दो दिन बाद यानी कि 177th ऑफ अगस्त 1947 को इंडिया पाकिस्तान का जो एक्चुअल बॉर्डर था रेड क् उसको अनाउंस कर देते हैं अब उस टाइम पे इंफॉर्मेशन इतनी आसानी से नहीं पहुंचती थी तो कई-कई जगह पे तो ऐसा हुआ कि लोग अपना काम कर रहे थे तो कोई आके जाके बताता था कि यहां से अब घर छोड़ के चलना पड़ेगा अब ये इंडिया नहीं रहा अब ये पाकिस्तान हो
गया है ये जो इस टाइम पे हर किसी को पावर लेने की जल्दी थी किसी को पावर छोड़ के जाने की जल्दी थी इसकी वजह से जो मिसमैनेजमेंट हुआ उसकी वजह से बहुत लोगों की जान गई जैसे ही अनाउंसमेंट होती है बॉर्डर की तो बांग्लादेश के अंदर ये जो यहां पे रहने वाले हिंदू थे वो माइग्रेट होक यहां जाना चालू कर देते हैं और यहां के रहने वाले मुस्लिम जो थे वो माइग्रेट होके यहां जाना चालू कर देते हैं ऐसे ही पंजाब की बात करें तो इस साइड लाखों सिख इधर माइग्रेट होना चालू कर देते
हैं ऐसे ही मुस्लिम जो थे वो इधर माइग्रेट होना चालू कर देते हैं और इन दोनों एरिया में सबसे ज्यादा कम्युलस थी पहले तो इस पूरे माइग्रेशन में बहुत ज्यादा मारकाट हुई कई जगहों पे लाइन लगी होती थी एक दूसरे को लोग कहते थे कि मेरा घर मैं वहां प छोड़ के आ रहा हूं तुम वहां पे जाके रह लेना इस तरीके की हालात हो गए थे अब ये माइग्रेशन ऐसा नहीं था कि गाड़ियां आई सबको बैठा के ले गई इस माइग्रेशन में बहुत ही ज्यादा बड़े स्केल प दंगे स्टार्ट होते हैं औरतों के कपड़े
फाड़े जाते हैं जबरदस्ती होती है लोग एक दूसरे को काटना शुरू कर देते हैं ट्रेनों में लाशें भर के भेजी जाती थी रातों रात लोगों को अपना घर छोड़ के भागना था और अपनी जान बचानी थी और इसके बाद भी अपने अच्छे खासे घर छोड़ के उनको रिफ्यूजी कैंप में जाना था लोगों में आपस में नफरत किस लेवल की थी इसका अंदाजा आप इस तरीके से लगा सकते हो कि पार्टीशन हो चुका था सॉल्यूशन हो चुका था अब किसी भी बात का कोई भी मतभेद नहीं था उसके बाद भी 10 से 20 लाख लोग पार्टीशन
होने के बाद सलूशन मिलने के बाद भी काट दिए गए आज भी अगर आपके आसपास कोई ऐसा परिवार होगा या आपके जानने में कोई ऐसा होगा जो पार्टीशन के टाइम प जो लोगों के बच्चे होंगे अभी अगर आप उनसे बात करोगे तो बताएंगे कितना खतरनाक था कई-कई ऐसे केस भी थे जहां 20-20 साल होने के बाद भी लोग रोते थे कि मुझे मेरे घर बॉर्डर के उस पार भेज दो मुझे घर वापस जाना है और सबसे बड़ी बात जिन्ना जो इस बंटवारे के लिए अड़े हुए थे यह सब होने के बाद अगले ही साल उनको
टीबी हो जाता है और उससे उनकी डेथ हो जाती है और फिर इसके बाद 26 ऑफ जनवरी 1950 को जब इंडिया का कंस्ट बनता है तब इंडिया का जो डोमिनियन स्टेटस था वो हट जाता है और इंडिया को पूरी तरीके से आजादी मिल जाती है पाकिस्तान का जो डोमिनियन स्टेटस था वो 23 ऑफ मार्च 1956 को हटा था और फिर पाकिस्तान भी पूरी तरीके से आजाद हो गया था लेकिन आज की डेट तक लोग इस बंटवारे को भूले नहीं है आज भी उनके दिल में जो उस टाइम पे हुआ था वो सारी चीजें रहती हैं
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