क्या आपको पता है एक लड़के ने अपने घर में ही एक न्यूक्लियर मशीन बना डाला लोग इंटरनेट पे डार्क वेब पे देख के क्या नहीं करते और इंटरनेट पे क्या-क्या बनाने के सीक्रेट्स आप नहीं खोज सकते यह बताओ आप लिटरली कुछ भी बना सकते हो और एक ऐसी जगह जहां एक नहीं पांच सूरज उगते हैं हैं क्या बोला तूने ऐसा आपका रिएक्शन होगा पर इसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए और जब किसी का मेमोरी लॉस होता है तो वो उठ कैसे कहता है ना कौन हूं मैं कौन हूं मैं यह याद नहीं पर भाषा
याद है भाषा वोकैबुलरी और ग्रामर याद है तभी ना ये लाइन कह रहा है वो इंसान कि कौन हूं मैं हिंदी में तो ये कैसे होता है मेमोरी लॉस इतना अजीब क्यों होता है इसका आंसर आपको मिलेगा और टॉम क्रूज का एक 30 सेकंड का मूवी सीन इसके बारे में आपको एक ऐसी बात बताऊंगा जो कि आप लिटरली जान के शॉक हो जाओगे और 18 लाख का हेयर कट कैसा दिखता है ये आज आपको दिखाऊंगा ये सब और ऐसी और कई इंटरेस्टिंग रैंडम फैक्ट्स आज आप इस वीडियो में जानोगे जिन्हें जानने के बाद आप एक
ही शब्द कहोगे मार्वेल अस अगर आपने अभी तक नहीं किया है तो सब्सक्राइब करके बेल आइकन जरूर ऑन कर लेना बेल आइकन मतलब कोई भी वीडियो मिस नहीं होगी लेट्स बिगिन फैक्ट नंबर 19 7500 मैन मेड सैटेलाइट जो कि अभी धरती का चक्कर लगा रहे हैं उसमें से सबका बाप है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जो कि धरती का चक्कर लगाता है 28500 किमी पर आवर पे यानी लगभग 7.8 किमी पर सेकंड पे पर यह लाइन सुनने के बाद ना अंदाजा नहीं लग पाता कि कितना स्पीड है दिखाओ तो सही सही इसको फील कराने के लिए आपको
यह दिखाता हूं ये इतना स्पीड है कि इस स्पीड से बिल्डिंग्स सुई से पार होगा लगभग आठ किलोमीटर पर सेकंड कम नहीं होता यानी अगर ये धरती के सामने ग्राउंड के पास चलता तो आप इसमें बैठ के दिल्ली से मुंबई सिर्फ 3 मिनट में चले जाते हैं जी हां 3 मिनट कहा मैंने यानी बुलेट ट्रेन से अप्रॉक्स 47.8 एक फैस्ट क्या है कि इसको बनाने में 2 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्चा आता है नहीं तो बुलेट ट्रेन के बदले ऐसे ही ट्रेवल बना दिया जा हर जगह पे फैक्ट नंबर 18 देखो हम जमीन के
जीव हैं हम लैंड पे रहते हैं पर मछलियां यानी फिशेज जल की रानी है तो अगर मछलियां यानी फिशेज अपना वर्ल्ड मैप बनाएं हम लोग का वर्ल्ड जैसे लैंड है वैसे ही मछलियों की दुनिया पानी है तो वो पानी का मैप बनाएंगी तो वो मैप कुछ ऐसा दिखता ये है वर्ल्ड मैप ऑफ फिशेज इसको आप ध्यान से देखो ये ऐसा दिखेगा जहां पर और एक इंटरेस्टिंग सा क्वेश्चन आता है देखो समझो ध्यान से ओके फोकस हियर आप और हम हवा के बीच में रहते हैं आप जहां भी हो अभी जिस जगह पे भी आपके सामने
हवा मौजूद है राइट हवा बहुत है लेकिन वो हमें दिखता नहीं है हवा हमारे लिए इनविजिबल है पर है अरबो लिटर्स में तो सवाल ये है कि डीप समुद्र के गहराइयों में जहां मछलियां रहती है तो जैसे हमारे लिए हवा है पानी समुंद्र का पानी जो है वो मछलियों के लिए भी तो वैसा ही होगा वो बचपन से ही पानी में रहते आ रही है तो इसका मतलब पानी उनके लिए इनविजिबल होगा जस्ट लाइक हवा हमारे लिए इनविजिबल है इसका मतलब तो ये होना चाहिए कि मछली लियां पानी को एज अ डिस्टिंक्ट ऑब्जेक्ट नहीं देख
पाती होंगी क्योंकि पानी उनके फील्ड ऑफ विजन में हमेशा रहता है तो जिस तरह हमारे लिए हवा है वैसे ही पानी मछलियों के लिए है क्योंकि पानी सिंपली मछलियों का पार्ट ऑफ एनवायरनमेंट है 24 * 7 तो हां यही सच्चाई है वो पानी को एज अ डिस्टिंक्ट ऑब्जेक्ट नहीं देख पाती है डिस्टिंक्ट ऑब्जेक्ट यानी किसी चीज को देख पाना अलग से और हम इंसानों के लिए जिस तरह जब हवा में कुछ डिसर पशन होता है जैसे कि डस्ट या स्मोक आ है तो हमें हवा काइंड ऑफ विजिबल हो जाता है वैसे ही पानी में जब
कोई डिसर पशन आ जाए कोई बहुत बड़ा वेव आए कोई शिप डूब जाए हलचल हो तभी वो पानी को फील कर पाते होंगे जिस तरह हम हवा में जब स्मोक या डस्ट आए तब थोड़ा सेंस कर पाते हैं कि हां हवा ऐसा पार्टिकल का बना होगा फैक्ट नंबर 17 एक मजेदार सा कमेंट आया था ये भाई कह रहे थे कि अगर एंड्राइड में कोबाल्ट की मात्रा बढ़ा दी जाए तो क्या फोन में जीटीए 6 चल सकता है भाई एक केंद्र है गेम एडिक्शन केंद्र मुझे लगता है आपको वहां जाना चाहिए देखो मोबाइल में पावर जो
है वो मेनली 80 पर प्रोसेसर से आती है तो प्रोसेसर अगर स्ट्रांग हो तो चल जाएगी कोई भी गेम कोबाल्ट की मात्रा प्लैटिनम की मात्रा बढ़ाने से कुछ नहीं होगा एक प्रोसेसर के अंदर इतना छोटा एरिया होता है कि आप इमेजिन भी नहीं कर सकते जैसे कि तो और भी डिटेल अभी बाकी है और उसके अंदर जाएंगे तो और भी बहुत ही इस लेवल पे आपको पाइपलाइन की तरह कुछ दिख रहा होगा तो सर्किट बोर्ड्स ऐसे बनते हैं और इतने कॉम्प्लेक्शन निक डिवाइस को पावर मिलती है ये रियली में इनसेन है कि इलेक्ट्रॉनिक्स आखिर इतनी
बारीकी से बनाई कैसे जाती है हर एक एलिमेंट हर एक टुकड़ा रिफाइंड होना चाहिए थोड़ा सा गड़बड़ हुआ तो पूरा चिप खराब हो जाएगा इतने डिटेल में काम रहता है फैक्ट नंबर 16 इस यूनिवर्स का अंत कैसे होगा इसके ऊपर बहुत सारी थ्योरी हैं देखो यूनिवर्स के अंदर मौजूद हर चीज की शुरुआत हुई और अंत होगा यह तो निश्चित है चाहे वो कोई इंसान हो या फिर कोई प्लेनेट हो या फिर सोलर सिस्टम हो सब खत्म हो जाएंगे पर ये चीजें आप मैं ये सब चीज जिस कंटेनर में है जहां है ये कंटेनर ये पूरा
यूनिवर्स ये ब्रह्मांड ये सृष्टि ये भी तो खत्म होगा एक दिन तो इसी के एंड होने का एक इंटरेस्टिंग थ्योरी आपको बताता हूं जिसका ऑफिशियल नेम है वैक्यूम डिके थ्योरी और इस थ्योरी के हिसाब से यह यूनिवर्स जिस तरह मैं गायब हुआ एक सेकंड के अंदर सब खत्म वैसे ही यूनिवर्स अचानक से सिंपली सीज टू एजिस्ट खत्म ये बड़ी डीप बात है दिमाग को एक जगह करो और सोचो आप और हम अभी इस यूनिवर्स में है ठीक है और अचानक से यह यूनिवर्स सीज टू एजिस्ट खत्म हो जाए तो खत्म होने के बाद याद रखने
वाला तो कोई है नहीं कि क्या था कोई विटनेस तो है नहीं अब तो अगर सब कुछ खत्म भी हो जाए तो क्या कोई फर्क पड़ेगा क्योंकि कोई तो बचा ही नहीं रहेगा इस चीज को याद रखने के लिए कोई बचा ही नहीं रहेगा कि यूनिवर्स था भी यानी अगर ये यूनिवर्स सिंपली एक सेकंड में सीस टू एजिस्ट हो गया खत्म गायब हो गया तो हमें पता भी नहीं चलेगा यह बात है पता चलने के लिए कुछ होना जरूरी है ना तो अगर अभी खत्म हो गया तो हम कभी जान ही नहीं पाएंगे कि हम
कभी थे व्ट बहुत ही डीप बात है हम कभी जान ही नहीं पाएंगे कि हम कभी थे भी सब बस जीरो नथिंगनेस एम्टिनेशन वॉइड इसे ही वैक्यूम डिके थ्योरी कहते हैं वैक्यूम डीके का ऑफिशियल डेफिनेशन देखो एक ऐसा कैटास्ट्रोफिक इवेंट जिसमें यह यूनिवर्स सडन डिस अपीयर हो जाएगा और बस ऐसा हो जाएगा कि कुछ था ही नहीं ये थ्योरी तो इंटरेस्टिंग था पर यह कुछ कुछ भी नहीं है सबसे भयंकर थ्योरी यूनिवर्स एंड होने की वो है द बिग क्रंच और यह सोच के गूस बम सा आया ता सही में देखो एक सिंगल पॉइंट से
यूनिवर्स की शुरुआत हुई थी बिग बैंग वो फटा और पूरी सृष्टि एसिस्टेंसिया था वो अभी भी फैल रहा है रियल टाइम में आपने सुना ही होगा कि ये यूनिवर्स एक्सपेंड कर रहा है यानी जो मोमेंटम आज से करोड़ों साल पहले बना था उसका प्रभाव आज तक है तो अकॉर्डिंग टू बिग क्रंच थ्योरी ये बबल ये एक्सपेंड होते-होते एक पॉइंट ऐसा आएगा जब यूनिवर्स का एक्सपेंशन डी एक्सलरेट होगा यानी स्लो होने लगेगा और स्लो होने के बाद फिर स्टॉप होगा और स्टॉप होने के बाद फिर रिवर्स होने लगेगा यानी सब कुछ आपस में क्लोज आने लगेगा
यानी सारे तारे सारे गैलेक्सी आपस में पास आने लगेंगी सारा मैटर कंप्रेस होने लगेगा आकाश गंगा यानी मिल्की वे का जो साइज है वो सोलर सिस्टम इतना हो जाएगा और धरती का साइज मटर के दाने इतना हो जाएगा और एट दी एंड पूरा ब्रह्मांड इतना छोटा हो जाएगा कि वो लिटरली जो मेरा हाथ है यहां पे गोल सहा जाएगा इतना छोटा और उसके बाद क्या होगा आप शायद गेस कर पा रहे होंगे उसके बाद दबेग रीस्टार्ट बटन और फिर से स्टार्ट होगा अनदर बिग बैंग और फिर फॉर्म होगा एक नया ब्रह्मांड और अकॉर्डिंग टू साइंटिस्ट्स
हमारे इस ब्रह्मांड के जिसमें हम लोग अभी हैं इसके पहले जो ब्रह्मांड था वो भी ऐसे ही एंड हुआ था और फिर जब रीस्टार्ट हुआ तो ये ब्रह्मांड फॉर्म हुआ फैक्ट नंबर 15 देखो ऐसी कई चीजें हैं जो कि आप घर बैठे नहीं बना सकते मान लो आप साइंस स्टूडेंट हो या फिर इंजीनियरिंग स्टूडेंट हो मैकेनिकल स्टूडेंट हो तो क्या आप एक इंजन को फ्रॉम स्क्रैच बना सकते हो आपके पास कुछ भी नहीं है आपको पूरा एक इंजन बनाना है आप बना सकते हो आपको उतनी नॉलेज हो जाएगी बना लोगे लेकिन वक्त लगेगा और पैसा
भी लेकिन ये एक रिकॉर्ड है कि किसी भी स्टूडेंट कॉलेज की स्टूडेंट की बात हो रही है किसी ने भी आज तक कोई न्यूक्लियर डिवाइस नहीं बनाया है पर ये रिकॉर्ड बबर टूट चुका है एक न्यूक्लियर मशीन को बनाना जिसमें न्यूट्रॉनस प्रोड्यूस हो और हम एटॉमिक एक्सपेरिमेंट्स को कर पाएं यह बनाना बहुत मुश्किल होगा पर होता है ना पहली बार कुछ अमेजिंग कर देने वाला लड़का ये उन्हीं लड़कों में से एक है यूके का एक स्टूडेंट जिसको आप अपनी स्क्रीन पे देख रहे हो जिसका नाम है सिरसे मेन कैरिनी उसने अपने कॉलेज प्रोजेक्ट में ही
इस मशीन को बना डाला मतलब भाई ने कैजुअली चुंगम चबाते हुए दुनिया का अननोइंग ली ही मतलब इसको नहीं पता था मैं क्या कर रहा हूं मैं दुनिया का पहला कॉलेज स्टूडेंट हूं जो कि न्यूक्लियर डिवाइस को बना रहा हूं तो अननोइंग्ली ही उसने दुनिया के सबसे खतरनाक मशीनस में से एक को बना डाला मतलब इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है देखो एक डीप बात बता रहा हूं मैं आपको सिंपली एक फोटो दिखाता हूं ये देखो कितना मस्त माउंटेन है पेड़ है पौधे हैं इंसानियत की शुरुआत ऐसे ही हुई थी जंगलों में अब
इतने रॉ फॉर्म रॉ वर्ल्ड से हम आ गए ब्लूटूथ वाईफाई 5g फाइबर ऑप्टिक्स वीएफ एक इंस्टेंट कम्युनिकेशन हम पेड़ पौधों से वायरलेस कम्युनिकेशन वाईफाई स्पेसशिप सैटेलाइट ब्लैक होल का फोटो कहां से कहां तक पहुंच गए यानी वी वेंट फ्रॉम दिस टू दिस और यह देखो यह आपका रूम है और इसमें आप चाहो तो लिटरली एक न्यूक्लियर रिएक्टर खड़ा कर सकते हो फैक्ट नंबर 14 मेटल जैसे कि लोहा आपको इनके बारे में एक बहुत ही इंटरेस्टिंग प्रॉपर्टी बताता हूं देखो धरती पर अगर मैं दो लोहे को सामने लाऊं तो क्या वो चिपक जाएंगे ऐसा तो कुछ
नहीं होता धरती पे लेकिन इस स्पेस में अगर आप दो लोहे के टुकड़े को आपस सामने लाओगे तो कुछ ही मिनट्स के अंदर आपस में जुड़ जाएंगे और एक लोहा का टुकड़ा बन जाएगा धरती में जैसे वेल्डिंग होता है ना लोहे को जोड़ने के लिए बिल्कुल वैसे ही वेल्डिंग हो जाएगा और परमानेंटली जुड़ जाएगा इसे कोल्ड वेल्डिंग कहते हैं यानी वेल्डिंग का खर्चा अगर आपको धरती पर बचाना हो तो स्पेस में चले जाओ फ्री में वेल्डिंग हो जाएगा जीनियस आईडिया राइट पैसा बहुत बचेगा लेकिन फैक्ट नंबर 13 क्या आपने कभी ऐसा सीन देखा है कई
कंट्रीज में सन का ये इल्यूजन दिखता है जिसमें एक सन के बदले आसमान में मल्टीपल सनस नजर आने लगते हैं और ये नजारा सच में ऐसा होता है कि लोग देखने के बाद कहते हैं व्हाट लेकिन जैसा कि आपने गेस कर ही लिया होगा ये एक इल्यूजन है और इसे कहते हैं सन डॉग इसको कैजुअली सन अ डॉग इल्यूजन कहा जाता है पर इस नेचुरल फेनोमेन का साइंटिफिक नेम है पैरल इसलिए कभी आसमान में दो-चार सूरज दिखने लगे तो पागल मत हो जाना फैक्ट नंबर 12 एक बड़ा ही इंटरेस्टिंग कमेंट था जिसमें से आप में
से किसी इंसान ने कहा था कि मान लो धरती पे मौजूद 8 बिलियन यानी 800 करोड़ लोग इसमें से पूरे 800 करोड़ लोगों ने पेड़ लगा दिया तो इससे क्या होगा कुछ ही घंटों में लिटरली 8 बिलियन पेड़ लग जाएंगे यानी इससे एक दिन के ही अंदर पोल्यूशन में तो कमी आनी चाहिए राइट रॉन्ग फर्क पड़ेगा पता है बहुत फर्क पड़ेगा पता है कितना घंटा फर्क पड़ेगा इस धरती पे टोटल 3 ट्रिलियन पेड़ है यानी 3 लाख करोड़ पेड़ और अगर सभी इंसानों ने एक-एक पेड़ लगाया तो 800 करोड़ पेड़ होगा और टोटल नंबर कितना
है 3 लाख करोड़ पेड़ अब 800 और ₹ लाख में फर्क नहीं होता 800 जो नंबर है वो 3 लाख का 1 पर भी नहीं है 3 लाख का 1 पर 3000 होता है ना यानी धरती के ओवरऑल इकोसिस्टम में 1 पर भी फर्क नहीं पड़ेगा अब आप लोगों में से बहुत लोग कहेंगे ये क्या बता रहा है भाई तू लोगों को इसका मतलब क्या कोई पेड़ ड़ नहीं लगा है क्या गजब बात कर रहा है देखो ये फैक्ट था ये समझाने के लिए कि पेड़ लगाने से ज्यादा इंपॉर्टेंट है जो एसिस्टिंग पेड़ है ना
उसको बचाना धरती पे जो एसिस्टिंग जंगले हैं उसकी रक्षा करना और उसे नेचुरली कंपाउंड शांति से होने देना वो सबसे बेस्ट चीज है जो आप कर सकते हो इंडस्ट्री कहीं लगेगी शहर में तो पेड़ काटेंगे एकदम धड़ाधड़ और यहां पर फिर वही कंपनी किसी अपने इनिशिएटिव में एक-एक पेड़ लगाने का ड्रामा करेगी अरे भाई एक-एक पेड़ लगाने का ड्रामा करने से अच्छा जो एजिस्टिफाई अगर सोसाइटी के हजार लोग मिलकर हजार पेड़ लगा दिए और वही सोसाइटी का किसी एक मेंबर ने कंपनी खड़ा करने के लिए एजिस्टिफाई यानी सेव द नेचर मैं ये नहीं कह रहा
कि प्लांटिंग इंपॉर्टेंट नहीं है भाई पेड़ लगाओ वो भी जरूरी है लेकिन जैसा कि मैंने कहा उससे ज्यादा इंपॉर्टेंट ये है कि जो है उसको बचाओ धरती बहुत बड़ी चीज है सिर्फ ये चिंदी 800 करोड़ चींटियों के सामने यानी हमारे सामने फैक्ट नंबर 11 मैं आपको इंडिया के बहुत सारे ओल्ड मैप्स को दिखाना चाहता हूं इंडिया का जो सबसे ओल्डेस्ट सर्वाइविंग मैप है यानी भारत का सबसे पुराना मैप जो कि एजिस्ट करता हो सिंपल तो वो है ये मैप इसे पेटिंग मैप कहा जाता है क्योंकि इसकी ओरिजिनल कॉपी एक जर्मन इंसान के पास थी और
उसने ही इस ओरिजिनल मैप का रॉ कॉपी दुनिया के सामने शेयर किया था और उसका नाम था कॉनरैड पेटिंग इसलिए इसे पेटिंग मैप कहा जाता है और ये है ओल्डेस्ट मैप ऑफ इंडिया दैट एसिस्ट्स देखो इस मैप के ऊपर आपका घर कहीं ना कहीं होगा है ना किसी ना किसी लोकेशन में और आपका घर जहां पे भी होगा जैसे मान लेते हैं दिल्ली में यहां पे तो उस टाइम देखो ये कुछ और ही था और वहां पे प्रोबेबली जंगल होगा आज से 1600 साल पहले यानी आपका पीढ़ी से 15 पीढ़ी पहले चले जा तब का
मैप है ये फैक्ट नंबर 10 एक फोटो दिखाने वाला हूं मैं आपको और वो दुनिया के सबसे वियर्ड और अनबिलीवर्स का पिक्चर है और समझो मैं क्या समझा रहा हूं आपको इसमें जो आप वाइट कपड़े में एंप्लॉयज को देख रहे हो ये वाले ये ऑफिशियल टेक्निकल लोग हैं और जहां पे रेस हो रही है उसके सामने खड़े हैं ये जैसे मान लो यहां से रेस शुरू हो रही है ये एंडिंग पॉइंट है तो ये एंडिंग पॉइंट के पास ही खड़े हैं और ये किस लिए खड़े हैं पता है आप यकीन नहीं करोगे देखो क्या है
कि ओलं ओलंपिक गेम्स दुनिया के लिए मजाक तो है नहीं ओलंपिक में जो भी रेस होता है उस रेस में कौन सबसे पहले फिनिशिंग लाइन पर अपना पैर रख रहा है ये ठीक से देखना बहुत इंपॉर्टेंट होता है लेकिन आप सोच रहे होंगे ये क्या बात हुई ठीक से देखना मतलब क्या है ये आजकल तो कैमरे एकदम एगजैक्टली ड्रैग कर सकते हैं कि कौन पहले पैर रखा पर यह बात है 1964 की जिस समय हाई स्पीड कैमरा एजिस्ट नहीं करते थे तो ये जो लोग खड़े हैं ये इसलिए खड़े हैं ताकि अलग-अलग एंगल से ऊंचे
नीचे सबसे ये देख पाए कि कौन पहले पैर रखा है जी हां ये वही लोग हैं और इन टेक्निकल लोगों का एक ऑफिशियल नेम भी है इन्हें ट्रैक जजेस कहा जाता है ये आपको बड़ा ही अजीब लग रहा होगा लेकिन ये ट्रू है इसलिए इसको सबसे वियर्ड पिक्स में से एक कहा जाता है मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा है कि अगर पांच ने बोला कि नहीं इसने पैर रखा और पांच ने बोला कि नहीं इसने पैर रखा तो किसका बात मानेंगे गजब सिस्टम था भाई फैक्ट नंबर नाइन एक एसिएंट चाइनीज फिलोसोफर थे जिनका
नाम है संजू उन्होंने एक बहुत ही डीप लाइन कहा था जो कि मैं आपको दिखाना चाहता हूं ये देखो ये है वो लाइन एन इविल मैन विल बर्न हिज ओन नेशन टू रूल ओवर दी एशेज ये बड़ी ही गजब लाइन है एक खराब राजा एक खराब पॉलिटिशियन अपने ही देश को राख में बदल देगा और फिर उन एशेज यानी उन राख पे राज करेगा जो इंसान का ऑब्सेशन होता है पावर को लेके वो इस हद तक होता है मतलब ये कोर्ट जितनी बार पढ़ो उतना एक गजब सा मीनिंग बना रहा है एन इविल मैन विल
बर्न हिज ओन नेशन टू रूल ओवर दी एशेज जो लोग पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट रखते हैं आप लोगों में से उनको मजा आया होगा ये पढ़ने में फैक्ट नंबर एट ये फैक्ट आपकी लाइफ सेव कर सकता है मैंने आपको ये बताया है कि सबसे खतरनाक नशा किसी सब्सटेंस का नहीं होता है ड्रग का नहीं होता है बल्कि गैंबलिंग का होता है यानी ₹1000000 जीतने का लालच जिसके चक्कर में आपके पास जो ₹1 है वो भी चले जाते हैं ये जो गैलिंग होता है जैसे कि कसीनो इसको और ब्रेन को लेके बहुत सी रिसर्चेबल डीप बातें पता
चली है गैंबलर्स का माइंड ऐसा हो जाता है कि वो पैसे को जीतने के लिए नहीं खेलते उनका मोटिव होता है टू एस्केप लाइफ जब कोई गैंबलिंग कर रहा होता है जब कोई सट्टा लगा रहा होता है तब उनका माइंड बहुत शांत हो जाता है और इंसान का फोकस सिर्फ सट्टे पे होता है और ध्यान से सुनना इससे क्या होता है कि उस समय के लिए थोड़ी देर के लिए इंसान अपने लाइफ के प्रॉब्लम्स को भूल जाता है इसे डिस एसोसिएटिव एक्सपीरियंस कहते हैं डिस एसोसिएटिव एक्सपीरियंस यानी लोग अपने रियल लाइफ को कुछ समय के
लिए ही भुलाना चाहते हैं स्केप करना चाहते हैं इसीलिए ऐसा होता है कि जो लोग कसीनो या किसी भी तरह के गैंबलिंग में हारते रहते हैं हारते रहते हैं लेकिन हारने के बावजूद भी वो गैलिंग करने सट्टा करने आ ही जाते हैं भले ही वो टोटल कितने भी पैसे हार जाए फिर भी आ जाएंगे लोन लेकर आ जाएंगे क्योंकि उनके दिमाग में विनिंग से ज्यादा उस डिस एसोसिएटिव मोमेंट को एक्सपीरियंस करना होता है डैट्समे प्रॉब्लम्स को स्केप करने की इच्छा ही किसी भी तरह के एडिक्शन के फॉर्म होने का बेसिक कारण होता है और एक
डीप बात वो डिस एसोसिएटिव मोमेंट एक्सपीरियंस एट अ बेसिक लेवल एक स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस होता है फैक्ट नंबर सेवन भाई ये बात है स नहीं होती बहुत कुछ लैक हो रहा होता यह कोई क्वेश्चन है नेम समथिंग इंडिया इंवेंटेड बताता हूं जीरो और डेसीमल सिस्टम जिससे कि दुनिया का सारा कंप्यूटर स्ट्रक्चर रन हो रहा है ये इनिशियली इंडिया से ही आया फाइबर ऑप्टिक्स केबल फाइबर ऑप्टिक्स टेक्नोलॉजी जिसके ऊपर दुनिया भी नाच रही है फास्ट इंटरनेट फास्ट इंटरनेट कहके ये भी इंडिया की ही देन है और ये जो न्यूटन जो कि 300 साल पहले ग्रेविटी को खोजे
थे उन्हें क्रेडिट तो मिल गया वेस्टर्न पावर के चलते पर अंग्रेजों यह जान लो कि भारत के एक महान मैथमेटिशियन यानी गणितज्ञ ने ग्रेविटी के कांसेप्ट के बारे में बहुत पहले ही बता दिया था अब इंटेलेक्चुअल लोग पूछेंगे कि क्या प्रूफ है इसका वी नीड प्रूफ कि इंडिया ने पहले बताया था तो ब्रह्मगुप्ता ने आज से 1300 साल पहले एक टेक्स्ट लिखा था जिसके ओरिजिनल रिकॉर्ड्स भी फिजिकली मौजूद है और उस टेक्स्ट का नाम था ब्रह्मगुप्ता सिद्धांत इसमें ये कहा गया था कि एक अट्रैक्शन फोर्स होता है जिसके चलते सभी चीजें धरती पे टिकी हुई
है ये सिर्फ एक एक चीज की बात हो गई इतिहास में ऐसे कई इन्वेंटर्स थे जिनको प्रॉपर क्रेडिट नहीं मिल पाया दुनिया का सबसे पहला आई कैटरेक्ट सर्जरी सुश्रुता ने किया था इस धरती का सबसे पहला प्लास्टिक सर्जरी भी इंडिया में ही हुआ था लॉन्ग बिफोर मॉडर्न साइंस इंडियन फिलोसोफर कनाडा ने परमाणु यानी इस वर्ल्ड के सबसे सूक्ष्म यानी दुनिया के सबसे सूक्ष्म चीजों के बारे में भी बता दिया था जिसको कि एटम कहते हैं और ये लिस्ट और भी लंबा है बताऊंगा तो इसी में 30 मिनट निकल जाएगा एक लाइन में ये कहता हूं
कि दुनिया में अगर भारत का वैल्यू अभी 200 पॉइंट्स है फॉर एग्जांपल तो होना चाहिए एटलीस्ट 3000 पॉइंट्स 10 15 एक्स ज्यादा ये बात है फैक्ट नंबर सिक्स बहुत सारे धर्म में ऐसा पूजा होता है या फिर एक ऐसा स्पिरिचुअल बिलीफ होता है अपने-अपने गॉड्स को लेके जिसमें एक नाम को बार-बार रिपीट किया जाता है या फिर माले को रिपीटेडली गिना जाता है और सबसे फेमस जो माला काउंटिंग है उसमें 108 बार हम माले को काउंट करते हैं तो क्या है कि जो लोग काउंटिंग को ठीक से ट्रैक नहीं कर पाते हैं उनके लिए मस्त
सा डिवाइस आ चुका है जो कि आपको टेंशन फ्री कर देगा और काउंट कर देगा आपके लिए कि आपने कितने बार टच किया है देखो ऐसा प्रोडक्ट है ये वंडरफुल प्रोडक्ट राइट मारूंगा बहुत भूल कर भी ऐसे प्रोडक्ट्स को यूज मत कर लेना देखो रिपीटेशन यानी एक ही चीज को रिपीट करना और 108 काउंट करते समय जो आप मन में ट्रैक करते हो और जो फोकस यूज होता है आपके ब्रेन का वही आपके ब्रेन को बेनिफिट पहुंचाता है वो रिपीटेशन और ट्रैकिंग ही तो ब्रेन को को शांत करता है तो ऐसे काउंटर वाले प्रोडक्ट का
यूज करके जो बेसिक पर्पस है उसे ही आप डिलीट मार देते हो रिसर्च में ये पहले से ही फाइंड हो चुका है कि रिपीटेशन से दिमाग का फ्रंटल लोब एक्टिवेट होता है जिसके चलते कंसंट्रेशन और मेमोरी बढ़ता है और ब्रेन में एक सूद इफेक्ट भी आता है जो लोग भगवान को मानते हैं वो कहते हैं कि हम भगवान का नाम लेते हैं इसलिए ब्रेन को पावर मिलती है पर जो लोग नास्तिक है वो भी इस लॉजिक को समझ लो न्यूरोसाइंस को पढ़ लो और आपको पता चल जाएगा कि रिपीट या माला जपना या या फिर
गॉड का नाम लेना ऐसा कई धर्मों में है और यह सिस्टम इयर्स या फिर डिकेड्स या फिर सेंचुरी से ही नहीं है बल्कि हजारों सालों से एजिस्ट करते आ रही है और इस दुनिया में करोड़ों लोग रेपुटेशन करते हैं फैक्ट नंबर फाइव टॉम क्रूज की एक मूवी है जिसका नाम है वैनिला स्काई उसका सीन मैं आपको दिखा रहा हूं ये सीन आपको एक नॉर्मल मूवी सीन की तरह दिख रहा होगा न्यूयॉर्क का जो टाइम स्क्वायर है वही तो आपको इस सीन में दिख रहा है इसमें खास क्या है है ना ये दुनिया के सबसे महंगे
सींस में से एक है मूवी में ये टाइम स्क्वायर का सीन बस 30 सेकंड तक था पर इसे बनाने में $ मिलियन डॉलर यानी 8 करोड़ के ऊपर खर्च हो गया इतना इसलिए खर्च हो गया क्योंकि डायरेक्टर कैमरन क्रावि ने vfx3 से परमिशन लेना पड़ा और एरिया को क्लोज करने से जो डिसर पशन हुआ जो डिस्टर्ब हुआ बिजनेसेस को यानी जो दुकान है उनका तो सेल कम होगा अगर कुछ देर के लिए भी बंद कर दिया जाए तो तो उसका मुआवजा यानी उसका कंपनसेशन देना पड़ा दुकान वालों को और एडवर्टाइजमेंट वालों को उसके बाद ही
इनको परमिशन मिली दिन था नवंबर 122000 सुबह 5:00 बजे टाइम स्क्वायर को खाली कर दिया गया और 3 घंटे तक एरिया को सील्ड रखा गया 8 बजे तक और 3 घंटे से निकला 30 सेकंड का सीन ये दुनिया के सबसे आइकॉनिक सींस में से एक माना जाता है वैसे बता दूं इस मूवी का बजट टू बॉक्स ऑफिस रेशियो भी बहुत अच्छा था बजट था 68 मिलियन डॉलर और कमाया था 203 मिलियन डल यानी बजट था 5544 करोड़ इतने में मूवी बनी थी और कमाया था 00 करोड़ यानी ये सब चीज ये सब तामझाम फाइनली वर्थ
इट रहा प्रॉफिट तो मिला फैक्ट नंबर फोर कहा जाता है कि फिंगरप्रिंट फिंगरप्रिंट वाला बायोमेट्रिक एक बहुत ही सटीक प्रूफ होता है आपको फ्लैट या प्लॉट लो रजिस्ट्री के वक्त फिंगरप्रिंट लगेगा आप आधार कार्ड बनवाओ उसमें भी फिंगरप्रिंट लगेगा यानी ये फिंगरप्रिंट बहुत ही सीरियस चीज होती है आपके लाइफ में ये लिटरली आपकी पहचान है और आपका सारा एसेट इसी से लिंक्ड है पर मैंने आपको एक बीमारी के बारे में बताया था जिसका नाम है एडमेट ग्लाइफ फोबिया यानी जन्म से ही फिंगरप्रिंट ना होना ये तो ऐसी बीमारी थी जो जन्म से होती है यानी
जिसको जन्म से नहीं हुई उसको नहीं होगी लेकिन फिर मन में सवाल आता है कि क्या नॉर्मल इंसान के साथ ऐसा हो सकता है कि उसका फिंगरप्रिंट गायब हो जाए हां ऐसा हो सकता है एपिडर्मिस और सोरायसिस इन दोनों कंडीशन में में फिंगरप्रिंट्स गायब हो सकते हैं या फिर स्किन कंडीशन के चलते ये जो लाइंस है इसमें से कोई लाइन मिसिंग हो सकता है यानी जिनको ये होता है वो खुद वही है लेकिन जब आधार कार्ड ऑफिस जाएंगे कुछ अपडेट कराने तो मशीन कहेगा फिंगरप्रिंट नॉट मैच्ड लेकिन सबसे राहत वाली बात ये है कि ये
बहुत रेयर बीमारी है और पूरे भारत में तो हजार लोगों को भी नहीं होगी ये मुश्किल से फैक्ट नंबर थ्री लाइट चला जाना ये एक ऐसी चीज है जो कि आपने बचपन से आज तक लिटरली हजारों बार एक्सपीरियंस कर चुका होगा पर लाइट कटती क्यों है लाइट जाने के दो कारण होते हैं पहला या तो मेंटेनेंस चल रही होती है किसी इंपॉर्टेंट पार्ट की या फिर दूसरा इलेक्ट्रिकल पावर ग्रिड ओवरलोड हो चुका होता है जो कि सबसे आम कारण है लाइट कटने का पर सवाल ये है कि क्या होगा अगर लाइट ना कटे तो यानी
मान लो जो लाइट मैन है उसने ड्रिंक कर लिया और कहा आज पूरे 24 घंटे लाइट दूंगा और नहीं काटा तो क्या होगा तो इससे मिलियंस ऑफ डॉलर्स यानी ठन करोड़ के ऊपर का लॉस हो सकता है तो इसलिए पूरे सिस्टम को बचाने के लिए ही लाइट काटा जाता है और थोड़ा गर्मी सहना पड़ता है आपको पता है एज पर रिकॉर्डेड डाटा इस धरती पे ऐसा कोई शहर नहीं है जहां पे लाइट ना कटता हो मतलब अजीब बात लग रही होगी लेकिन टेक्निकली बता रहा हूं यानी इसका मतलब ये है यानी हम इतने एडवांस्ड युग
में जी रहे हैं फिर भी ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं आई है जो कि 24 * 365 डेज सस्टेन कर सके बिना कटे यानी साल भर ना कटना तो इसलिए हां लाइट अगर कटे और आपको गर्मी लगे तो आप अपने आप को कहना कि आप बहुत बड़ा पर्पस सर्व कर रहे हो आप जो गर्मी सह रहे हो उस चलते पूरा इलेक्ट्रिक सिस्टम पूरा ग्रिड सिस्टम बचा हुआ है आपके चलते लिटरली करोड़ों रुपए का नुकसान होने से बच रहा है कितने अच्छे हो आप फैक्ट नंबर टू मान लो किसी का एक्सीडेंट हो गया और उसका मेमोरी लॉस हो
गया फिर वो इंसान हॉस्पिटल में उठा उसको कुछ याद नहीं आ रहा कुछ भी नहीं याद आ रहा है फिर वो कहता है कौन हूं मैं पर बात यह है कि अगर मेमोरी ही लॉस हुआ है तो उसे भाषा वोकैबुलरी और ग्रामर कैसे पता है मूवीज में आपने ये सीन को बहुत बार देखा होगा और कंफ्यूज भी हुआ होगा मेमोरी लॉस मतलब तो कुछ भी नहीं याद होना चाहिए ना तो इसका एक साइंटिफिक आंसर है एक इंसान के दिमाग में मेरे को ले लो दो तरह के मेमोरी होते हैं एक एपिसोड क मेमोरी और दूसरा
बेसिक प्रोसीजरल मेमोरी एपिसोड मेमोरी मतलब आपके जिंदगी का हर एक दिन देखो आपकी जिंदगी एक सीरियल की तरह है हर एक दिन जब आप उठते हो तो एक नया एपिसोड होता है जी हां हर एक दिन एक नए एपिसोड की ही तो तरह होता है ना तो इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे नाम दे दिया एपिसोड मेमोरी एपिसोड वाला मेमोरी तो जब किसी का एक् एक्सीडेंट होता है फिर कोई भी कारण के चलते दिमाग में अगर मेमोरी लॉस हो जाए तो सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है एपिसोड मेमोरी को इसलिए इंसान खुद कौन है उसका मां-बाप कौन है
या फिर लास्ट 10 साल का पूरा इतिहास भूल जाता है पर पर पर जो प्रोसीजरल मेमोरी होती है वो ब्रेन के दूसरे जगह पे स्टोर होती है यानी भाषा बोलने का तरीका ये सब देखो क्या इंसान के जिंदगी में कोई भी एक दिन ऐसा होता है जब वो कुछ भी ना बोले नहीं होता है ना डेली हम बोलते हैं तो ये एक ऐसा मेमोरी हो होता है जो कि बहुत डीप रूटेड होता है हमारे ब्रेन में और डॉक्टर्स कहते हैं कि ये काइंड ऑफ इम्यून होता है किसी भी तरह के चोट से यानी ये जो
बेसिक चीज है भाषा बोलने का तरीका ये उतनी जल्दी नहीं जाता है जब तक कि आपको ह्यूज लेवल का चोट ना लग जाए और आप एकदम कुछ बोलने लायक नहीं रह जाए अगर हजार भयंकर कार एक्सीडेंट्स हुए हैं तो उसमें से सिर्फ 10 ऐसे एक्सट्रीम केसेस होते हैं जिसमें कार एक्सीडेंट के बाद इंसान सब कुछ ही भूल जाता है और बोल ही नहीं पाता है लिटरली ए बी सी डी बेसिक उसको फिर से लर्न करना पड़ता है याहे ना बोल पाना यह बहुत ही रेयर केस होता है और हम रेयर केस को नहीं देख सकते
और बाकी 99 पर केसेस वैसे ही होते हैं जिसमें इंसान अपने डे टू डे लाइफ और एपिसोड्स को भूल जाता है और बेसिक डीपी रूटेड चीज को नहीं भूलता यानी एपिसोड मेमोरी डे टू डे लाइफ वाला मेमोरी सॉफ्ट कोर होता है वो चोट से तुरंत जा सकता है लेकिन प्रोसीजरल मेमोरी यानी भाषा मैं कौन हूं ये हार्ड कोरली इंटीग्रेटेड है इसलिए वैसा मेमोरी हटना उतना आसान नहीं है और यह सिर्फ 0.01 पर केसेस में ही होता है ये सब कुछ मेमोरी हट जाना इसलिए मूवीज में आप यही सीन देखते होंगे कि कैरेक्टर कहता है कौन
हूं मैं मुझे नहीं पता कौन हूं अच्छा आप मेरे मां-बाप हो यानी मां-बाप याद नहीं रहते लेकिन बोलने का तरीका याद रहता है तो ये था एक्सप्लेनेशन फैक्ट नंबर वन हाजी हसन अल बोलकिया जो कि सुल्तान है ब्रोही नामक देश के उन्होंने $24000 यानी उस समय 2009 के एक्सचेंज रेट के हिसाब से बता रहा हूं ₹1 लाख खर्च किया था अपने हेयर कट पे केन मोडू नाम का एक बार्बर रहता है लंदन में और वो उनका फेवरेट बार्बर है और वो लंदन से ब्रुनेई देश आया सिर्फ हेयर कट के लिए ब्रुनेई एक छोटा सा देश
है और इसका पॉपुलेशन मात्र 450000 है पर यहां ऑयल यानी तेल बहुत ही ह्यूज मात्रा में अवेलेबल है और वहां पे क्योंकि पॉपुलेशन बहुत कम है और रिसोर्सेस बहुत ज्यादा है इसलिए वहां का जो एवरेज पर कैपिटा इनकम है वो इयरली एवरेज नंबर जो है वही 45 लाख है और किंग का शौक तो मैंने आपको बता ही दिया और 2009 में जब ये हुआ तब से 151 साल हो गए हैं अभी लेकिन 15 साल में भी उस रिकॉर्ड को किसी ने नहीं तोड़ पाया और वो हेयर कट यह था यानी हेयर कट तो नॉर्मल था
बट कॉस्ट का रिकॉर्ड बन गया हेयर के बारे में एक बहुत ही इंटरेस्टिंग फैक्ट बताता हूं आपको मान लो आपने एक साइड एक इंसानी बाल लिया और दूसरे साइड उसी साइज और डायमीटर का एक कॉपर वायर लिया यानी तांबे का तार लिया तो अगर हम इन दोनों को कंपेयर करें तो कौन ज्यादा स्ट्रांग पर होगा ये बताओ कॉमन सेंस ये कहता है कि कॉपर वायर ज्यादा स्ट्रांग पर होगा पर असल में ह्यूमन हेयर का स्ट्रेंथ ज्यादा है हेयर के बारे में दूसरा अमेजिंग फैक्ट आप क्या कंज्यूम करते हो ये सिर्फ आपके बाल से ही पता
लगाया जा सकता है उसके अंदर सारे ट्रेसेस होते हैं और अगर कोई ड्रग्स लेता है अल्कोहल लेता है या फिर किसी भी टाइप का खाना खाता है मशरूम या कुछ भी ये सब डाटा सिर्फ हेयर फॉलिकल से पता लगाया जा सकता है हेयर फॉलिकल टेस्ट कहते हैं जिस टेस्ट में ये सारी बातें पता चलती है और सिर्फ आपके बाल से ही आपका सारा चिट्ठा खुल सकता है कि आप क्या-क्या कंज्यूम करते हो बहुत लोग इंश्योरेंस लेते समय स्मोकर या नॉन स्मोकर में अगर वो स्मोक करते हैं फिर भी नॉन स्मोकर पे टिक कर देते हैं
लेकिन अगर इंश्योरेंस कंपनी चाहे तो सिर्फ आपका हेयर फॉलिकल टेस्ट से ही सब डाटा पता कर सकती है कि आप कुछ सब्सटेंस वगैरह लेते हो या नहीं पर एक और इंपॉर्टेंट जानकारी ये है कि वो वैलिडिटी जो होता है ना रिचार्ज वो 90 दिन का ही होता है यानी आपके हेयर में यूजुअली 90 दिन का ही डाटा मौजूद होता है यानी अगर किसी ने मान लो 100 दिन पहले अल्कोहल लिया था और उसका हेयर फॉलिकल टेस्ट हो रहा है तो नॉर्मली हेयर फॉलिकल टेस्ट में कुछ भी नहीं आता है यानी कोई 90 डेज क्लीन है
तो हेयर फॉलिकल टेस्ट में कुछ भी नहीं आएगा 90 डेज के अंदर का सारा ट्रेस यूजुअली पाया गया है फॉरेंसिक में तो यह था आज का वीडियो आई होप आपको ये बातें इंटरेस्टिंग लगी होंगी हमेशा की तरह लाइक कमेंट और शेयर जरूर करना इस वीडियो को और अगर आपने अभी तक नहीं किया है तो सब्सक्राइब करके बेल आइकन जरूर ऑन कर लेना थैंक यू फॉर वाचिंग मिलते हैं अगले वीडियो में