दुनिया में कामयाबी दिलाने वाला अगर कोई सबसे बड़ा शब्द है तो वो है लगन जब हम बास की तरह आसमान छू सकते हैं तो मुर्गे की तरह क्यों उड़े कल की तैयारी आज से नहीं अभी से करिए बिना मेहनत किए ऑप्टिमिस्टिक होना आलस कहलाता है अधिकतर लोग बेहद ऑर्डिनरी जीवन जीते हैं और मर जाते हैं नमस्कार दोस्तों मैं सोनू शर्मा सफलता के सीक्रेट हम सिर्फ इंसानों से ही क्यों सीखें पक्षियों और जानवरों से क्यों ना सीखें जो हर दिन जिंदा रहने के लिए शिकार करने या शिकार होने से बचने के लिए जंगल में जूझते रहते
हैं जानवर कितने चतुर होते हैं क्या हम यह समझने लायक चतुर हैं और तो और जानवर इस धरती पर तब से हैं जब मानवता का कोई अस्तित्व भी नहीं था और जब इस धरती से मानवता का अस्तित्व मिट जाएगा तब भी इस धरती पर शायद जानवर ही रहेंगे आज के इस वीडियो में प्रकृति से पैदा हुए अनेकों पक्षियों और जानवरों में से तीन शानदार जीवों से सीखने की कोशिश करते हैं सबसे पहले ऊंट मैं हमेशा मजाक में कहता हूं कि ऊंटों और इंसानों के बीच सबसे बड़ा फर्क यह है कि ऊंट पूरे हफ्ते बिना पिए
काम कर सकता है और इंसान पूरे हफ्ते बिना काम किए पी सकता है हम सबने ये सुना है कि ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं पर क्या हमने कभी यह सोचने की कोशिश की कि क्यों आखिर ऊंट रेगिस्तान का जहाज है जबकि घोड़ा ऊंट से बहुत तेज दौड़ता है पर हम घोड़े की तारीफ में ऐसा कुछ नहीं कहते आज समझते हैं क्यों दोस्तों दुनिया में कामयाबी दिलाने वाला अगर कोई सबसे बड़ा शब्द है तो वह है लगन मतलब जब बाधाएं आपके रास्ते में आती हैं तो भी आप रुकते नहीं और अपनी दिशा में चलते
ही चले जाते हैं और अगर आप सही मायने में लगन सीखना चाहते हैं तो रेगिस्तान में जाकर ऊंट को देख लें दूर-दूर तक फैला हुआ रेगिस्तान चेहरे पर और आंखों पर पड़ते गर्म रेत के थपेड़े पानी का नामो निशान नहीं सुबह से शाम तक अंगारे की तरह तपती रेत पर 3040 मील दूर चलना और इससे भी बड़ी बात अपनी पीठ पर 200 किलो का वजन लात कर चलना और सिर्फ एक दिन नहीं भगवान ना जाने कितने दिनों तक ऊंट हमें याद दिलाता है कि अगर हम संकल्प वान हो तो कुछ भी असंभव नहीं है इसलिए
आपके जीवन में जब भी चुनौतियां आए ऊंट को याद कर लें और याद रखें ऊंट धीरे-धीरे ही सही पर निरंतर लगातार आगे बढ़ते रहते हैं एक बार में सिर्फ एक कदम क्योंकि ऊंट अच्छे से जानते हैं कि वह 100 मीटर की फर्राटा नहीं दौड़ रहे बल्कि मैराथन दौड़ रहे हैं इसलिए वे कभी जल्दबाजी या हड़बड़ी में नजर नहीं आते नपी तुली चाल चलते हैं उनके अंदर मुश्किल एनवायरमेंट में खुद को ढाल लेने की योग्यता होती है हमें भी यह याद रखना चाहिए कि जिंदगी 100 मीटर की दौड़ नहीं बल्कि मीलों लंबी मैराथन है ऊंट हमें
सिखाते हैं कि जीवन में कभी टेंशन नहीं लेना अगर लोग आपसे आगे निकल जाएं तो भी नहीं अभी काफी दौड़ बची है और अगर आप ऊंट की तरह धीरे-धीरे हि सही पर लगातार चलते रहे तो सबसे आगे निकल सकते हैं साथियों जीवन छोटा दिखता है लेकिन काफी लंबा होता है इसलिए प्लानिंग हमेशा लॉन्ग टर्म के हिसाब से ही करें हमेशा याद रखें सिचुएशन कितनी ही कठोर क्यों ना हो भगवान ने आपको उससे ज्यादा कठोर बनाया है सिचुएशन हमेशा निर्जीव होती हैं पर आप सजीव हैं इसलिए आप अपनी सिचुएशन से ज्यादा ताकतवर हैं कुछ इंटरेस्टिंग बात
बताता हूं अब अबू दबी में आपको ऊंट के दूध से बना मिल्क शे मिल सकता है ऊंट के दूध में गाय के दूध से ज्यादा विटामिन और लोहा होता है इसका इस्तेमाल कजाकिस्तान में टीबी के साथ कई बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है ऊंटों का इस्तेमाल युद्ध में किया जाता है क्योंकि उनके करीब आने से घोड़े डर जाते हैं क्योंकि घोड़ों को ऊंट की गंद से डर लगता है हमारी भारतीय सेना और बीएसएफ के जवान राजस्थान के रेगिस्तान इलाकों में पहरा देने के लिए आज भी ऊंटों का इस्तेमाल करते रहते हैं यानी वह
हमारी पहरेदारी भी कर रहे हैं अब बात करते हैं कुदरत के बनाए सबसे अनोखे पक्षी बाज की सबसे पहली ची सीखें यदि जीवन में आप बास की तरह आसमान छूना चाहते हैं तो आपको मुर्गों का साथ छोड़ना होगा एक शानदार कहानी से समझते हैं मुर्गी पालने वाले को एक रोज बाज का एक अंडा मिला और उसने इसे मुर्गियों के दड़बा में रख दिया समय बीतने पर बाज का बच्चा भी मुर्गी के बच्चों के साथ पलने लगा और खुद को इन्हीं की तरह मुर्गा समझने लगा मुर्गे केवल कुछ ही दूर तक उड़ पाते हैं इसलिए उस
बाज ने भी कुछ ही दूर तक उड़ना सीख लिया एक दिन उस बाज ने आसमान में एक बड़े पक्षी को उड़ता हुआ देखा बड़ा इंप्रेस हुआ उसने आसपास की मुर्गियों से पूछा वह कौन है तो मुर्गियों ने जवाब दिया वह बाज है पक्षियों का राजा है आसमान में रहता है हम तो जमीन पर रहते हैं क्योंकि हम तो बस मुर्गे हैं उनकी बात सुनकर वह बाज पूरी जिंदगी मुर्गे की तरह जिया और मुर्गे की तरह ही मर गया क्योंकि जीवन भर वह खुद को मुर्गा ही समझता रहा साथियों ये कहानी बहुत ऑर्डिनरी है लेकिन इसमें
गहरी सीख है अधिकतर लोग बेहद ऑर्डिनरी जीवन जीते हैं हैं और मर जाते हैं उन्हें एहसास ही नहीं होता कि उनके अंदर बास के बच्चे की ही तरह कई योग्यताएं छिपी हैं जिनको वह कभी इस्तेमाल ही नहीं करते किसी ने खूब कहा है कि कब्रिस्तान संसार की सबसे अमीर जगह है क्योंकि यहां आपको सभी आशाएं और सपने मिलेंगे जो कभी पूरे ही नहीं हुए वो पुस्तकें मिलेंगी जो कभी लिखी ही नहीं गई वो गीत मिलेंगे जो कभी गुनगुनाए ही नहीं गए वो एक्सपेरिमेंट जो कभी किए ही नहीं गए और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वह
शख्स पहला कदम उठाने से पहले ही डर गया दोस्तों जब हम बास की तरह आसमान छू सकते हैं तो मुर्गे की तरह क्यों उड़े बाज हमें सिखाता है कि हमेशा विजेताओं के साथ र 10000 फीट की ऊंचाई पर आपको कोई दूसरा पक्षी कभी नहीं मिलेगा अगर कोई दूसरा पक्षी होगा तो वह बाज ही होगा बाज कबूतरों से दोस्ती कभी नहीं करते वे छोटे पक्षियों के साथ नहीं उठते क्योंकि उनको कबूतर या दूसरे छोटे पक्षियों के साथ उड़ने के लिए नीचे आना होगा क्योंकि बाकी पक्षी ऊपर नहीं आ सकते दूसरी चीज जो आप मादा बाज से
सीख सकते हैं वह है कंफर्ट जन मादा बाज अपने बच्चों को कंफर्ट जन से बाहर निकलने के लिए मजबूर करती है ताकि वह उड़ना सीख सक जब बाज के बच्चों का उड़ना सीखने का वक्त आता है तो वह मां घोंस मेंं से पंखों और नरम घास की आरामदेह परतें हटा देती है ताकि कांटों और नुकीली टहनियों की चुबन से चूज डिस्कंफर्ट में आ जाएं और घोंसला छोड़कर उड़ने की कोशिश करें अगर चू मुझे फिर भी घोंसला नहीं छोड़ते तो मां उन्हें घोंस दों से नीचे गिरा देती है और ऐसा बार-बार करती है ताकि वह उड़ना
सीख जाएं हर बार गिरने पर चूजे कूदकर घोंसले में लौट आते हैं लेकिन कांटों और टहनियों से लहू लुहान हो जाते हैं पर मां तरस नहीं खाती उन्हें फिर से धक्का देकर गिरा देती है यह तकनीक बहुत क्रूर दिखाई देती है लेकिन जरूरी है अगर मां ऐसा ना करें तो बच्चे कभी उड़ना नहीं सीख पाएंगे और दूसरे जानवर उन्हें अपना शिकार बना लेंगे इसी कठोर ट्रेनिंग की वजह से चूजे एक दिन उड़ना सीख लेते हैं बाज सिखाता है कि अगर ऊंचा उड़ना है तो इंसान को भी अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना ही होगा और
दिल दहला देने वाली चीज जो बाज हमको सिखा देता है वो यह कि बाज जब बूढ़ा हो जाता है तो उसके नाखून उसकी चोंच कमजोर हो जाते हैं उसके पंखों में इतनी ताकत नहीं होती कि वो उस ऊंचाई पर उड़ सके जिस ऊंचाई का वह आदि था ऐसे वक्त में कोई भी नियति को स्वीकार करके मरने का इंतजार करता पर बाज ऐसा नहीं करते बाज नियति को स्वीकार करने के बजाय नियति को बदलने के लिए ऊंचे पहाड़ों में चले जाते हैं और अपनी टूटी हुई चोंच से एक-एक करके अपने सारे पंख नोच करर तब तक
फेंकता है जब तक उसके बदन से आखिरी कमजोर पंख ना निकल जाए फिर वह अपने नाखून और चोंच को पत्थर से मार-मार कर तोड़ देता है बूढा बाज अब बिना पंख के बिना चोंच और नाखून के लहू लुहान और कमजोर हालत में पहाड़ के किसी कोने में छिप जाता है और वक्त गुजरने का इंतजार करता है धीरे-धीरे बाज के बदन पर नए पंख आते हैं उसकी चोंच और नाखून पहले से ज्यादा नुकीले और पहने होकर दोबारा उगते हैं और फिर बाज वापस उसी ऊंचाई पर उड़ता है जिससे नीचे उड़ना उसे कभी गवारा नहीं था जिंदगी
में ऊंचा उड़ने की ख्वाहिश रखने वाले भी अक्सर सोचते हैं कि हम कमजोर हैं हमारे पास ताकत कम है हमें लगता है सब खत्म हो चुका है पर यही वक्त होता है है जब हम अपनी आदतें अपनी कमजोरियां नोच कर फेंक दें अपने नाखून और अपनी चोंच यानी कि हुनर और ज्ञान को पहना करें और खुद को एक तकलीफ दे प्रोसेस से गुजार कर एक नया मजबूत इंसान बना दें साथियों वीडियो के आखिरी भाग में सीखते हैं कुदरत के बनाए शायद सबसे छोटे जीव चींटियों से चींटियां कभी हार नहीं मानती आप चींटियों को मसल सकते
हैं क्योंकि भगवान ने उनको कमजोर शरीर दिया है पर भगवान ने चीटियों को इतनी मजबूत विल पावर दी है कि आप उन्हें बिना मारे रोक ही नहीं सकते ध्यान से अगर आप उनको देखें वह एक लाइन में डिसिप्लिन के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ती हैं आपको कभी चींटियां दिखें तो आप उनके रास्ते के सामने उंगली रख दीजिए वह आपकी उंगली को पार करके अपने गोल की तरफ बढ़ जाएंगी आप उनके रास्ते में पेन पेंसिल कुछ रख दीजिए तो उस पेन पेंसिल को पार करके निकल जाएंगे यहां तक कि अगर चींटियों के रास्ते में पहाड़
भी आ जाए तो व पहाड़ को भी पार करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाती हैं आज तक किसी ने ऐसी चींटियां नहीं देखी जो बिना अपना खाना लिए वापस अपने बिल में चली गई हो दूसरी बड़ी बात जो हम इस छोटे से जीव से सीख सकते हैं वो यह कि भविष्य के बारे में सोचना चींटियां गर्मी के मौसम में सर्दी के बारे में सोचने लगती हैं खाना लाओ वापस लाओ यही एक सिद्धांत है टेक द फूड ब्रिंग बैक टेक द फूड ब्रिंग बैक वो पूरी गर्मियां काम करते-करते गुजार देती हैं क्योंकि उन्हें पता है
कि वह सर्दियों में बाहर नहीं निकल सकती चींटियां सर्दियां आने पर रोने में यकीन नहीं रखती चींटियां सर्दियां आने पर ढोने में यकीन रखती हैं अपने वजन का 20 गुना उठाने वाली ये चींटियां सर्दियों में भी खाली पेट नहीं रहती क्योंकि उन्होंने पूरी गर्मी इस मौसम की तैयारी की है एग्जाम कल है आज पढ़ूंगा प्रेजेंटेशन परसों है कल बनाऊंगा मंडे से शुरू करूंगा 1 तारीख से शुरू करूंगा यह बहाने हमें चींटियों से भी छोटा बना देते हैं एग्जाम आने वाला है यह एक साल पहले आपको पता होता है तो फिर एक दिन पहले का इंतजार
क्यों करना चींटियां बनिए कल की तैयारी आज से नहीं अभी से करिए सबसे बड़ी सीख जो आप इस नन्हे से जानवर से सीख सकते हैं वह है दिस शेल टू पास जब सर्दियों का मौसम आता है इंसान की हड्डियां कांपने लगती हैं तब ये चींटियां खुद को यह याद दिलाती रहती हैं कि सर्दियां चली जाएंगी यह वक्त गुजर जाएगा चींटियों से मिली इस सीख से यह सीखा जा सकता है कि लाइफ में ऑप्टिमिस्टिक होना कितना जरूरी है लेकिन बिना मेहनत किए ऑप्टिमिस्टिक होना आलस कहलाता है चींटियां जानती हैं कि सर्दी का मौसम कुछ दिनों का
है पर जब वह खाना इकट्ठा करती हैं तो दो-तीन महीने का सोचकर कभी इकट्ठा नहीं करती वो उतना खाना इकट्ठा करती हैं जितना कर सकती हैं वो आने वाली मुसीबत की तैयारी मुसीबत की स्ट्रेंथ के हिसाब से नहीं करती वो अपनी स्ट्रेंथ अपनी लिमिट के हिसाब से तैयारियां करती है यहां सीखने वाली बात यह है कि सामने क्या होने वाला है अच्छा बुरा जो भी आपको बस अपना संपूर्ण समर्पित कर देना है आपकी कोशिश आपकी मेहनत में कोई कसर नहीं होनी चाहिए चाहिए लक्ष्य छोटा हो बड़ा हो हमेशा जाओ और अपने मैक्सिमम लिमिट को छूने
की कोशिश करो आज कई इंसानों की बुरी हालत इसलिए है क्योंकि हम जानवरों की तरफ कभी सीखने के इरादे से देखते ही नहीं वरना प्रकृति की बनाई हर संरचना हमें कुछ ना कुछ सिखा सकती है जिन जानवरों को हम छोटा और तुच्छ समझते हैं उन्हीं के बारे में मिसाल देते हुए हमारे शास्त्रों ने हमें सलाह दी है कि कोवे की तरह चौकन्ना रहो बगुले की तरह ध्यान लगाओ एक कौवा कंकर कंकर जोड़कर पानी को उसकी तलहटी से से खींच कर अपनी चोंच के बराबर ले आता है एक बगुला मछली के शिकार के लिए टकटकी लगाए
घंटों देखता रहता है और एक कुत्ता जरा सी आहट होने पर उठ जाता है यह गुण अगर इंसान अपने अंदर ले आए तो व किसी भी फील्ड में कुछ भी करना चाहता हो दुनिया की कोई ताकत उसे अपना लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक सकती साथियों उम्मीद करता हूं आज का ये वीडियो आपको पसंद आया होगा अगर पसंद आया हो तो चैनल को सब्सक्राइब कर दें वीडियो को लाइक कर दें और शेयर कर दें अगले किसी और वीडियो के साथ फिर आपसे मुलाकात करूंगा तब तक अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए थैंक यू सो मच जय
हिंद