अपने दिमाग से मुश्किल काम करवाना सीखो | Trick Your Brain to Like Doing Hard Things | Motivational

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अपने दिमाग से मुश्किल काम करवाना सीखो Trick Your Brain to Like Doing Hard Things - #AtomicHabits - ...
Video Transcript:
हेलो दोस्तों आज की वीडियो जेम्स क्लियर की बेस्ट सेलिंग बुक एटॉमिक हैबिट्स पर बेस्ड है रिसेंटली यह बुक काफी ट्रेंड भी कर रही थी इस वीडियो में इतनी सारी काम की टेक्नीक बताई गई है कि यह वीडियो हैबिट्स बनाने और तोड़ने के अल्टीमेट गाइड की तरह है इस वीडियो को लास्ट तक देखने के बाद हैबिट्स रिलेटेड आपको शायद ही कोई और वीडियो देखने की जरूरत पड़े तो इस वीडियो को अपने किसी प्लेलिस्ट में सेव कर लो लाइक करके अपने लाइक वीडियोस में शामिल कर लो ताकि इस वीडियो को आप जब भी दोबारा देखना चाहो तो
आसानी से ढूंढ सको तो चलिए शुरू करते हैं अमेजिंग लाइफ चेंजिंग वीडियो को चैप्टर वन द पावर ऑफ टाइनी हैबिट्स पैसों की कंपाउंडिंग तो हम सब समझते हैं लेकिन क्या आप हैबिट्स की कंपाउंडिंग को समझते हैं असल में कंपाउंडिंग नंबर्स का खेल है जरा सोचिए एक दिन में आप अपने आप को कितना बेटर बना सकते हो कम से कम 8 पर फिर आपके मन में सवाल आएगा कि इससे क्या होगा लेकिन बस इतने की ही तो जरूरत है अगर आप रोज खुद को 8 पर बेटर बनाते हो तो साल में आप अपने आप को 37
पर बेटर इंसान बना सकते हो मान लो आप 365 दिन कंसिस्टेंसी मेंटेन नहीं कर सकते लेकिन हफ्ते में 5 दिन तो कर ही सकते हो यानी 332 दिन तो भी आप खुद को 30 पर बैटर तो बना ही लोगे अगले 5 साल में आप अपने बड़े से बड़े गोल को अचीव कर सकते हो वहीं अगर आप रोज 1 पर भी कुछ ऐसा करते हो जो आपको आपके गोल से दूर ले जाता है तो आप 0.03 पर पर आ जाओगे कुल मिलाकर आप स्टार्टिंग पॉइंट पर खड़े रह जाओगे बस यही सारा खेल है अगर आप सही
डायरेक्शन में जा रहे हो तो टाइम आपके हर स्टेप को मैग्नीफाई करके आपको मंजिल तक पहुंचा देगा वहीं अगर आप गलत डायरेक्शन में जाओगे तो यही टाइम आपका दुश्मन बन जाएगा और आपको आपके गोल से दूर ले जाता चला जाएगा इस बात को जेम्स ने ब्रिटिश साइकलिंग टीम की सक्सेस स्टोरी की मदद से समझाया है ब्रिटिश साइकलिंग टीम एक ऑर्डिनरी परफॉर्मिंग टीम थी जिसने पिछले 100 सालों में केवल एक ओलंपिक गोल्ड हासिल किया था फिर साल 2003 में एसोसिएशन ने एक नए कोच डेव ब्रेलसफोर्ड को [संगीत] अपॉइंटमेंट गोल्ड और पांच टूर द फ्रांस में जीत
हासिल की थी और यह सब पॉसिबल हुआ ब्रेलसफोर्ड की टेक्नीक एग्रीगेशन ऑफ मार्जिनल से इसके मुताबिक अगर एक साइक्लिक साइकलिंग से जुड़ी हर चीज में 1 पर का इंप्रूवमेंट भी लाए तो उसकी ओवरऑल परफॉर्मेंस काफी इंप्रूव हो जाएगी इसलिए कोच ने हर छोटी-छोटी चीज में चेंजेज किए जैसे साइकिल के टायर को लाइट और बेटर ग्रिपिंग का बनाया साइकिल की सीट आरामदायक बनाई साइकलिंग सूट पिलो से लेकर खाने पीने और हाथ धोने के तरीके तक को बदल दिया इन सब छोटे-छोटे चेंजेज के कारण ब्रिटिश साइकलिंग टीम एक आम टीम से नंबर वन टीम बन गई चैप्टर
टू पावर ऑफ आइडेंटिटी आप अपनी आदतें क्यों नहीं बदल पाते क्योंकि या तो आप गलत चीज को बदलने की कोशिश कर रहे हैं या फिर आपका तरीका ही गलत है यह यूनिवर्सिटी में ओल्ड एज लोगों के दो ग्रुप पर हुई रिसर्च के मुताबिक है जो लोग अपने बुढ़ापे को लेकर पॉजिटिव थॉट्स रखते हैं उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी नेगेटिव थॉट्स रखने वालों के मुकाबले 7.6 इयर्स ज्यादा होती है यह अपने आप में बहुत बड़ा नंबर है क्योंकि और कोई भी चीज लाइफ एक्सपेक्टेंसी को इतना नहीं बढ़ाती ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो बुढ़ापे के बारे में पॉजिटिव
है उनके पास जीने की चाह है इसलिए वह मेंटल और फिजिकल दोनों लेवल पर अपना ख्याल रखते हैं वहीं नेगेटिव थॉट्स वाले हमेशा खुद को बीमार और अकेला महसूस करते हुए बस मौत की राह देखते रहते हैं और केवल इस एक माइंडसेट से बहुत कुछ बदल सकता है एक्चुअली बिहेवियर चेंज के तीन लेयर होते हैं पहला लेयर है रिजल्ट या आउटकम दूसरा लेयर है आउटकम तक पहुंचने का प्रोसेस और तीसरा लेयर है आइडेंटिटी यानी आपका बिलीफ सिस्टम या आपका माइंडसेट जनरली कुछ अचीव करने के लिए लोग पहले गोल सेट करते हैं फिर उसका प्रोसेस डिजाइन
करते हैं जैसे मुझे अगले 5 महीने में 10 किलो वजन कम करना है यह है आउटकम उसके लिए मुझे रोज दो घंटे वर्कआउट करना है और हेल्थी खाना खाना है यह है प्रोसेस लेकिन इसमें एक प्रॉब्लम है कि यह तरीका कुछ समय बाद बोरिंग हो जाता है और लोग कंसिस्टेंसी मेंटेन नहीं कर पाते इसलिए जेम्स बिहेवियर चेंज को डीपर लेवल पर ले जाने की बात करते हैं जिसके मुताबिक आप जो हासिल करना चाहते हो उसे अपनी आइडेंटिटी का हिस्सा बना लो यानी अपने माइंडसेट और बिलीव सिस्टम में शामिल कर लो जैसे अगर आप खुद को
ऐसा पर्सन मानने लगे जो कभी वर्कआउट मिस नहीं करता तो आप चाहे कितना भी बिजी हो आप वर्कआउट के लिए टाइम निकाल ही लोगे क्योंकि हमारा ब्रेन अपने आइडेंटिटी मेंटेन रखने के लिए हमारे एक्शंस को मॉडिफाई करता है इसलिए कहा जाता है कि आप जो सोचते हो वही बन जाते हो आपका माइंडसेट और बिलीव सिस्टम जैसा होगा आपका ब्रेन उसी के हिसाब से एक्शंस डिजाइन करेगा और उसका आउटकम भी वैसा ही मिलेगा चैप्टर थ्री रथसप्तमी लैक ऑफ फोकस यानी फोकस की कमी हमें यही नहीं पता होता कि हमारी प्रायोरिटी क्या हैं एक जमाना था जब
हर इंसान को अपना काम पता था और वह बस उसी पर फोकस करता था और तभी कामयाबी भी आसानी से मिलती थी लेकिन आज क्या हो रहा है चाहे इंडिविजुअल हो या ऑर्गेनाइजेशन हर जगह प्रायोरिटी की बात आती है यानी सेल्स भी चाहिए कस्टमर सेटिस्फेक्शन भी काम में क्वालिटी भी और क्वांटिटी भी लेकिन जेम्स कहते हैं कि चीजें जितनी ज्यादा सिंपलीफाइड होंगी उन पर फोकस करके काम करना उतना आसान होता है जैसे अगर आप एक स्टूडेंट है तो आपका ध्यान केवल अपनी स्टडीज में होना चाहिए और आपका पूरा रूटीन उसी के इर्दगिर्द घूमना चाहिए आप
बाकी कामों को उसके हिसाब से मैनेज करें ना कि कामों के मुताबिक स्टडीज को उसी तरह अगर आप बिजनेस एक्सपेंशन प्लान बना रहे हैं तो एक बार में एक ही प्रोडक्ट पर फोकस करो उसके बाद अगले प्रोडक्ट के बारे में सोचो ची ची को सिंपलीफाई करके आदतें बनाना इसलिए आसान है क्योंकि हमारा ब्रेन इसी के लिए डिजाइन है कि हम एक बार में एक चीज पर फोकस कर सकते हैं मल्टीटास्किंग का कांसेप्ट आपको क्वांटिटी ऑफ वर्क तो दे सकता है लेकिन क्वालिटी ऑफ वर्क नहीं आइए देखते हैं कि ऐसा क्यों है जजेस के एक पैनल
को हजार केसों पर सुनवाई करके एक फैसला लेना था कि कैदियों को जेल से छोड़ना है या अभी सजा बरकरार रखनी है जब उनके फैसले का ग्राफ बनाया गया तो यह देख कर सब हैरान थे कि सुबह के टाइम रिहा होने वाले कैदियों का नंबर ज्यादा था और जैसे-जैसे टाइम बीतता गया यह नंबर कम होता गया और लंच के बाद में फिर थोड़ा इजाफा हुआ और शाम तक कैदियों के हक में ना के बराबर फैसले आए ऐसा क्यों इसे डिसीजन फिटीग कहते हैं आपको जितने ज्यादा डिसीजंस लेने पड़ते हैं उतना ही आपका ब्रेन थक जाता
है आपका फोकस कम होने के कारण क्वालिटी ऑफ वर्क खराब हो जाता है इसलिए जब बात आदतें बदलने की हो तो प्रायोरिटी नहीं बल्कि प्रायोरिटी पर फोकस करना चाहिए चैप्टर फर द 255 प्रिंसिपल वरन बफेट का गोल्डन रूल आपका ड्रीम प्रोजेक्ट जिस पर आप काफी समय से काम कर रहे थे जो प्रायोरिटी लिस्ट में सबसे आगे था अभी तक पूरा नहीं हुआ ना ही वह उस रफ्तार से प्रोग्रेस कर रहा है जैसा आप चाहते हो हर कोई यह समझता है और जानता है कि लाइफ में उसे क्या चाहिए फिर भी उसे हासिल नहीं कर पाता
क्यों इन सवालों के जवाब आपको वरन बफेट के द 20 55 प्रिंसिपल से मिलेंगे वरन बफेट ने अपने पर्सनल पायलट माइक फील्ड को यह सिखाया था माइक फील्ड कहते हैं कि यह उनकी लाइफ में गोल्डन लेसन की तरह काम करता है बफेट ने माइक से 25 ऐसी चीजों को लिस्ट करने के लिए कहा जिसे वह लाइफ में करना चाहते हैं जब माइक वह लिस्ट लेकर आए तो बफेट ने उनसे पांच सबसे इंपॉर्टेंट चीजों को सर्कल करने को कहा और फिर बाद में कहा कि अब सिर्फ तुम इन पांच चीजों पर ही फोकस करना और अब
यह बताओ कि बाकी की 20 चीजों का तुम क्या करोगे तो माइक ने कहा कि मैं पांच चीजों पर तो फोकस करूंगा लेकिन जब फ्री टाइम मिलेगा तो बाकी की 20 चीजों पर भी फोकस करूंगा तो बफेट ने कहा कि यही तुम गलती कर रहे हो यह बाकी की जो 20 चीजें हैं यह तुम्हारी अवॉइड एट एनी कॉस्ट लिस्ट में शामिल है इन्हें तुम्हें कभी भी नहीं करना है जब तक तुम यह पांच चीजें हासिल नहीं कर लेते तब तक तुम्हें उन 20 पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है यह फार्मूला आप अपने शॉर्ट टर्म
गोल्स पर भी अपना सकते हो जो कि एक दिन के हो सकते हैं एक हफ्ते के या फिर एक साल के या फिर आप अपने लाइफ के गोल्स पर भी अपना सकते हो हमारा ब्रेन कुछ इस तरह से डिजाइन है कि हम आसानी से उन गोल्स की तरफ डिस्ट्रक्ट हो जाते हैं जो शॉर्ट टर्म के होते हैं और इंस्टेंट प्लेजर देते हैं इसके कारण हम अपने मेन गोल पर फोकस नहीं बना पाते जैसे कि आपको पता है कि आपको अभी एक घर खरीदने की जरूरत है लेकिन आप क्या करते हो आप लोन से कार उठा
लेते हो आपको पता है कि आपको बिजनेस में पैसों की जरूरत है लेकिन आप क्या करते हैं आपको कोई मोबाइल फोन अट्रैक्टिव लगता है तो आप अपना पुराना मोबाइल फोन जो कि अच्छा खासा चल रहा था उसकी जगह एक नया फोन ले लेते हो इसलिए जेम्स कहते हैं कि अगर आपको कुछ हासिल करना है तो हर सुबह उन चीजों की लिस्ट मत बनाओ जो आपको करना है बल्कि उनकी लिस्ट बनाओ जो आपके काम में डिस्ट्रक्शन बन सकते हैं ताकि आप उनसे दूरी बनाए रख सको लाइफ में कोई भी 25 गोल्स हासिल नहीं कर सकता लेकिन
अगर वह दो-तीन बड़े गोल हासिल कर ले तो भी सक्सेसफुल हो जाएगा इसलिए यह सोचने के बजाय कि आप क्या कर सकते हो आपको यह सोचना है कि आपको क्या करना चाहिए चैप्टर फाइ थ्री आर्स ऑफ हैबिट फॉर्मिंग हम सबकी एक कमजोरी है कि हम बुरी आदतों को आसानी से पकड़ लेते हैं जबकि अच्छी आदतों को बनाने में हमें काफी प्रॉब्लम आती है हमारा ब्रेन उसके लिए तैयार ही नहीं होता फिर चाहे एक के बाद एक में फीड कर लेता है जिससे अगली बार जब वह इंसीडेंट होता है तो ब्रेन उस रूटीन को दोहराने को
कहता है बुरी आदतों का रिवॉर्ड इंस्टेंट होता है इसलिए उसे हम जल्दी अडॉप्ट कर लेते हैं इसका मतलब यह है कि अगर आपको कोई बुरी आदत छोड़नी है तो आपको इसका रिमाइंडर बंद करना होगा जैसे अगर शाम को टीवी ऑन करके स्नैकिंग का मन करता है तो आप शाम में बोरियत को दूर करने के लिए किसी और तरीके का इस्तेमाल कर सकते हो जैसे वॉकिंग को हॉबी दोस्तों के साथ आउटिंग जब रिमाइंडर ही नहीं रहेगा तो रूटीन भी खत्म हो जाएगा अगर खाना खाने के बाद पढ़ने बैठते हो और आपको नींद आती है तब वॉक
करते करते वीडियो लेक्चर देख लो आपकी हैबिट खुद बदल जाएगी इसी तरह जब आपको किसी नई अच्छी आदत को रूटीन में शामिल करना है तो उसे खुद पर थोपने से बेहतर है कि आप उसे किसी ऑलरेडी स्टब्ड हैबिट से मिलाकर कॉकटेल हैबिट बना सकते हो जिससे नई आदत सीखने में आसानी होगी जैसे आप रोज सोचते हो कि ऑफिस से आकर रनिंग के लिए जाओगे लेकिन आपका शरीर कहता है कि आप थक गए हो तो कल करेंगे तो ऐसे में आप अपने ऑफिस से निकलते ही रनिंग शूज डाल लो ताकि आपके दिमाग को रनिंग पर जाने
का रिमाइंडर मिले फिटनेस का रिवॉर्ड एक लॉन्ग टर्म गोल है और उसे शॉर्ट टर्म में बदलने के लिए आप खुद से कह सकते हो कि जब आप रनिंग करके आओगे तो आप अपना फेवरेट म्यूजिक सुन सकते हो या फेवरेट टीवी शो देख सकते हो इस तरह आप हैबिट फॉर्मिंग कि ये थ्री आर्स थ्योरी समझकर आप आसानी से अपनी बुरी आदतें छोड़ सकते हो और नई आदतें बना भी सकते हो चैप्टर सिक्स टू मिनट्स प्रिंसिपल्स किसी भी नई हैबिट को स्टार्ट करना इतना कठिन क्यों होता है क्योंकि हम उसके एंड रिजल्ट पर फोकस करते हैं जैसे
अगर आप कहें कि मुझे मैराथन दौड़ना है और आप पहले ही दिन जोश में आकर 10 किमी दौड़ने चले गए तो हो सकता है कि आपको थकान हो जाए बल्कि हो ही जाएगी और आपके ब्रेन का न्यूरोलॉजिकल सिस्टम उसे नेगेटिव रिवॉर्ड की तरह ट्रीट करेगा जिसके कारण जब भी आप दौड़ने के बारे में सोचोगे तो आपका ब्रेन ना करने के बहाने बनाने लगेगा इसलिए कहते हैं कि हैबिट को इतना सिंपलीफाइड कर दो कि वह 2 मिनट में हो जाए या मैराथन रनिंग बन जाए रनिंग शूज पहनकर रोज 10 मिनट की वॉक करना 6 घंटे स्टडी
बन जाए टेबल पर बैठो और नोट्स ओपन करो रीडिंग हैबिट बन जाए सोने से पहले बस एक पेज पढ़ना है किसी भी आदत को शुरू करने में में सिर्फ दो मिनट लगने चाहिए जेम्स कहते हैं कि असली मोटिवेशन काम स्टार्ट करने से पहले नहीं बल्कि काम स्टार्ट करने के बाद आती है क्योंकि अगर हम टाइम वर्सेस फ्रिक्शन ग्राफ देखें तो किसी भी काम को स्टार्ट करने में हमें सबसे ज्यादा फ्रिक्शन फेस करना पड़ता है यानी अपने दिमाग से लड़ना पड़ता है अगर हम उन शुरुआती दो मिनट को आसान बना देंगे तो हमें आगे का काम
करने के लिए मोटिवेशन मिलेगी और आगे का काम खुद बखुदा अगर आप सोच रहे हैं कि एक पेज पढ़ने से क्या होगा नोट्स खोलने से क्या होगा तो आप यह सोचो कि बिल्कुल ना पढ़ने से एक पेज पढ़ना तो अच्छा है किताब ना खोलने से तो नोट्स खोलकर सिलेबस देखना ही बेहतर है अकॉर्डिंग टू साइंस जो चीज ड 20 सेकंड्स से कम की होती है वह हमारे ब्रेन में किसी रिचुअल की तरह फिट हो जाती है और जब भी आप इस रिचुअल को करोगे तो आपको आगे का काम करने का जोश और मोटिवेशन खुद बखुदा
प्री कमिटमेंट एंड इंप्लीमेंटेशन इंटेंशन प्री कमिटमेंट टर्म पहली बार नोबल प्राइज विनर थॉमस शेलिंग ने दिया था इसका मतलब है कि आप अपने आप को फ्यूचर में जैसा देखना चाहते हो उसके लिए आज ही कमिटमेंट करो यह अगर आप चाहते हैं कि आप सिर्फ हेल्थी खाना खाओ तो जब भी आप खाने का सामान खरीदने जाओ तो ऐसा कुछ ना खरीदें जो आप नहीं चाहते हो कि आप खाओ अगर आप कल जिम जाना चाहते हो तो आप खुद से कहो मैं कल 8 बजे ऑफिस से आकर ब्लैक लोवर और टीशर्ट में जिम जाऊंगा आप अपने कमिटमेंट
को जितना ज्यादा स्पेसिफिक करोगे आपके सोचे हुए काम करने के चांस उतने ज्यादा होंगे यह एक न्यूरोलॉजिकल प्रोसेस है कि हम किसी फ्यूचर हैपनिंग को जितने डिटेल में इमेजिन करते हैं वह हमारे दिमाग में इतने अच्छे से इंग्रे हो जाता है और हमारा ब्रेन उसे करने के लिए मजबूर सा फील करता है प्री कमिटमेंट सेल्फ कंट्रोल और सेल्फ मैनेजमेंट का बहुत स्ट्रांग तरीका है प्री कमिटमेंट से मिलता-जुलता ही दूसरा साइकोलॉजिकल कांसेप्ट है इंप्लीमेंटेशन इंटेंशन इस प्रिंसिपल को साइकोलॉजिस्ट पीटर गलविज सर ने दिया था बेसिकली यह एक इफ और देन प्रिंसिपल है इसमें आप अपने गोल
ओरिएंटेशन एक्शन को किसी पर्टिकुलर सिचुएशन के साथ टैग करते हो हमारा न्यूरोलॉजिकल सिस्टम सिचुएशन को आसानी से आइडेंटिफिकेशन को करने के चांस बढ़ जाते हैं जैसे आपका गोल सेविंग्स करने का है तो आपका इंप्लीमेंटेशन इंटेंशन होगा कि मैं जब भी वॉलेट निकालकर किसी को पैसे दूंगा तो डायरी में मैं उसे नोट कर लूंगा इसी तरह आपका जो भी गोल हो उसे आप कुछ इस हिसाब से मॉडिफाई कीजिए कि जब भी एक् सिचुएशन होगी तो मैं y काम करूंगा लोग दो कारणों से अपने गोल्स को हासिल नहीं कर पाते पहला उन्हें गोल सेट करने के बाद
गोल ओरिएंटेड एक्शन को स्टार्ट करने में दिक्कत होती है और दूसरा दूसरा काम स्टार्ट तो कर देते हैं लेकिन कुछ टाइम बाद ऑफ ट्रैक हो जाते हैं यानी मेंटेनेंस में दिक्कत आती है इंप्लीमेंटेशन इंटेंशन की मदद से आप इन दोनों से खुद को बचा सकते हो क्योंकि अगर आपने खुद को सिचुएशन के साथ टैग किया तो जब भी सिचुएशन आएगी आपका ब्रेन ऑटोमेटिक एक्शन स्टार्ट कर देगा और क्योंकि आपने एक्शन को अच्छे से ब्रेन में स्पेसिफाई किया है इससे आप रास्ते से भटक भी नहीं पाओगे चैप्टर 8 कीस्टोन हैबिट्स अगर हम यह सोच कि हमें
अपनी लाइफ में क्या-क्या बदलना है तो अच्छी और बुरी आदतों की एक लंबी लिस्ट तैयार हो जाएगी लेकिन अपने ऑलरेडी बिजी स्केड्यूल में इतना कुछ फिट करना बहुत मुश्किल है इसलिए ऑथर ने एक सॉल्यूशन निकाला जिसका नाम है कीस्टोन हैबिट्स जिस तरह कीस्टोन किसी भी आर्क का सबसे जरूरी पत्थर होता है जिस पर बाकी सारे पत्थर टिके होते हैं उसी तरह कीस्टोन हैबिट्स वो हैबिट है जिसे अपनी लाइफ का हिस्सा बनाने से आप अपनी लाइफ के बहुत से पार्ट्स को ठीक कर सकते हो जैसे अगर आपने सुबह उठकर अपना बेड अरेंज करने की हैबिट बना
ली तो आपको सुबह एक टास्क कंप्लीट करने का सेटिस्फेक्शन मिलेगा आपके अंदर दिन के बाकी काम को पूरा करने का कॉन्फिडेंस आएगा फोकस बढ़ेगा रात को जब बेड पर जाओगे तो उस अरेंज्ड बेड को देखकर अच्छा महसूस होगा और नींद में भी हेल्प मिलेगी यानी आपको फोकस और अच्छी नींद के लिए अलग से खुद को कुछ सिखाना नहीं पड़ा वह आपकी कीस्टोन हैबिट्स के गुड इफेक्ट के तौर पर खुद ही आ गया कीस्टोन हैबिट्स के कुछ एग्जांपल्स है एक्सरसाइज मेडिटेशन कुकिंग जब आप किसी भी कीस्टोन हैबिट्स को फॉलो करोगे तो उसके साथ कई और बेनिफिट्स
आपको खुद बखुदा आपको फास्ट फूड खाना है बस फोन निकाल लो ऑर्डर करो नॉन स्टॉप मूवीज देखकर टाइम वेस्ट करना है बस लैपटॉप खोलो और फॉलो करता है लेकिन हम इस ब्रेन की लेजनेवा उठा सकते हैं यानी अगर आप चाहते हो कि कोई काम आप ना करो तो आप उसे अपने लिए कठिन बना दो आपका ब्रेन खुद उसे छोड़ देगा जैसे अगर आप स्मोकिंग क्विट करना चाहते हो तो सिगरेट खरीदना बंद कर दो इसकी जगह चूइंग गम रखो जब आपके जेब में सिगरेट नहीं होगी तो आपके स्मोकिंग करने के चांसेस बहुत कम हो जाएंगे उसकी
जगह आप खुद को चूइंग गम ऑफर करो इस प्रोसेस को एनवायरनमेंट डिजाइन बोलते हैं जिसमें हम अपने ब्रेन के बाय डिफॉल्ट लेजी एक्शन की मदद से बुरी आदतों से छुटकारा पा सकते हैं चैप्टर 10 द सीन फील्ड एनर्जी जेम्स क्लियर कहते हैं मास्टर फॉलोज कंसिस्टेंसी यानी वही लोग एक्सपर्ट बनते हैं जो अपने काम में कंसिस्टेंट रहते हैं कंसिस्टेंसी को मेंटेन रखने के लिए ऑथर ने मशहूर कॉमेडियन सीन फील्ड की स्ट्रेटेजी का सहारा लेने को कहा है एक बार सीन फील्ड जैसे से उभरते हुए कॉमेडियन ब्रेन जैक ने पूछा कि कि अच्छी परफॉर्मेंस के लिए आप
नए कलाकारों को क्या मैसेज देना चाहते तो सीन फील्ड एन कहा कि अच्छी परफॉर्मेंस के लिए आपको अच्छे-अच्छे जोक की जरूरत पड़ेगी और अच्छे जोक्स के लिए आपको रोज जोक्स लिखने की आदत डालनी पड़ेगी इसके लिए सीन फील्ड ने एक स्ट्रेटजी बताई एक बड़ा वॉल कैलेंडर लो रोज जोक लिखना स्टार्ट कर दो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कैसा जोक लिखा लेकिन आपको लिखना है लिखने के बाद उस डेट को रेड मार्कर से क्रॉस कर दो धीरे-धीरे आप देखोगे आपके ब्रेन को आदत पड़ गई है इसके बाद आपका ब्रेन किसी भी कीमत पर रेड
क्रॉस करने की चेन को ब्रेक नहीं करना चाहेगा आप चाहे कितने भी बिजी हो आपको एक जोक लिखने का टाइम तो मिल ही जाएगा इस आईडिया से आप अपना कोई भी गोल अचीव कर सकते हैं जैसे आपको 100 पुशअप्स तक पहुंचना है तो आप रोज पांच पुशअप जरूर करो यह काफी आसान है आप क्या करते हो या आप अच्छे से से पुशअप्स लगा पाते हैं या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता बस आपको रोज कोशिश करनी है और उस डेट को कैलेंडर पर रेड मार्क करना है ऐसा करते हुए एक दिन आप 100 पुशअप्स के
गोल तक जरूर पहुंच जाओगे अगर आप शुरू में ही अपने लिए बड़ा गोल रखोगे तो खुद को थका डालोगे और क्विट कर दोगे बेसिकली सेंट्रल आइडिया यह है कि डोंट ब्रेक द चेन तो दोस्तों यह थे जेम्स क्लियर की बुक एटॉमिक हैबिट्स से हैबिट के बारे में नियर सारी टेक्नीक जिनसे आप अपने ब्रेन को बड़े से बड़ा काम करने के लिए ट्रिक कर सकते हो हमारी लाइफ का बहुत सारा पार्ट हमारी हैबिट्स का ही नतीजा है हम अपनी लाइफ का 40 पर हिस्सा अपनी हैबिट्युअली चीजों को करने में लगाते हैं और केवल सिक्स स्टार्ट पर
के लिए कुछ सोचते हैं इसीलिए हमारी सक्सेस काफी हद तक हमारी आदतों पर डिपेंड करती है इस वीडियो को अगर मैं बहुत शॉर्ट म सराइज करूं तो आदतें बदलने के लिए सबसे पहले आपको अपनी आदत को सिंपलीफाई करना है उसके लिए छोटे-छोटे स्टेप्स लेने हैं कीस्टोन हैबिट्स सेलेक्ट करनी है एनवायरनमेंट को है हैबिट फ्रेंडली बनाना है और कंसिस्टेंसी मेंटेन रखनी है फिर आप जो चाहोगे वह चीज पॉसिबल हो जाएगी आपका ब्रेन और टाइम दोनों आपके दोस्त होंगे अगर वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक जरूर करना अगर आप चैनल पर पहली बार आए हो तो
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